hotaks444
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जाल पार्ट--90
गतान्क से आगे......
तभी दोनो को किसी कार के आने की आवाज़ सुनाई दी.शाह ने फ़ौरन लंड बाहर खींचा & रंभा की सारी नीचे कर उसे कार मे बिठाया,फिर वही ज़मीन पे गिरे उसके बॅग & फटे ब्लाउस को उठाया & उसे थमाके खुद कार मे बैठ गया.उसने कार स्टार्ट की तभी 1 और कार पार्किंग मे आई.रंभा ने देखा & उसके मुँह से हैरत भरी आवाज़ निकलते-2 बची..सामने वाली कार देवेन की थी.रंभा ने बॅग से अपना मोबाइल निकाला & पहले शाह को कनखियो से देखा..वो कार निकालने मे मशगूल था.
काली कार वाहा आई & रुक गयी.देवेन 1 खाली जगह मे कार लगा उसके ड्राइवर के उतरने का इंतेज़ार कर रहा था.काली कार का दरवाज़ा अंदर से खुला & वो बाहर की तरफ धकेला ही जा रहा था कि कुच्छ देख वो रुक गया.शाह की कार बाहर निकल रही थी & वो काली कार का ड्राइवर शायद उसे देख रुक गया था.देवेन भी शाह की कार को देख रहा था मगर उसे पता नही था कि अंदर कौन है.
तभी वो चौंक गया,काली कार के ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर उसे तेज़ी से एग्ज़िट की तरफ बढ़ा दिया था.ठीक उसी वक़्त लिफ्ट आई & उसमे से 2 लोग उतर अपनी कार की तरफ बढ़े.देवेन ने अपनी कार काली कार के पीछे लगाई पर तभी वो दो लोग अपनी कार मे बैठ उसे रिवर्स कर उसी की कार के सामने ले आए थे.देवेन ने झल्ला के हॉर्न बजाया पर रास्ता सॉफ होने 2 मिनिट लगे & जब वो बाहर आया तो काली कार नदारद थी.वो आधे घंटे आस-पास के इलाक़े को छानता रहा मगर वो कार नही मिली.
रंभा मोबाइल पे मेसेज टाइप कर रही थी जब महदेव शाह ने उस से मोबाइल छीन पीछे की सीट पे फेंका & दाए हाथ से स्टियरिंग संभाले बाए से उसे अपनी ओर खींचा & चूमते हुए कार चलाने लगा.रंभा समझ गयी की अब मेसेज करना ख़तरे से खाली नही & फिर पार्किंग मे हुई चुदाई के बाद वो बहुत मस्त भी हो गयी थी.उसने बाया हाथ शाह के लंड पे रखा जोकि अभी भी उसकी पॅंट से बाहर था & उसके बाए गालो को चूमने लगी.
कार 1 सिग्नल पे रुकी तो शाह ने उसके सीने पे पड़ा आँचल हटाया & उसकी चूचियो चूसने लगा.रंभा सीट पे आडी उसकी ज़ुबान से मस्त होने लगी..कितना मस्ताना एहसास था ये!..वो शहर की भीड़ के बीचोबीच थी..उसकी खिड़की के बाहर 1 बाइक पे लड़का बैठा था..हर तरफ लोग थे पर किसी को ये खबर नही थी कि वो कार मे नगी थी & उसका आशिक़ उसकी चूचियाँ पी रहा था..उफफफ्फ़..रंभा ने आँखे बंद कर शाह के बॉल नोचे!
कुच्छ देर बाद बत्ती हरी हुई तो शाह ने महबूबा की चूचियाँ छ्चोड़ी & कार अपने गहर की तरफ बढ़ा दी.गहर पहुँचते ही गेट के बाहर खड़े दरबान ने सलाम ठोनकतेहुए गेट खोला & कार अंदर दाखिल हो गयी.दरबान गेट के बाहर था & आज भी शाह का घर बिल्कुल सुनसान था.
रंभा के कार से उतरते ही शाह ने उसे बाहो मे भर लिया & वही खुले मे ही उसे चूमने लगा.उसे खुद पे हैरत हो रही थी..इस लड़की मे ऐसी क्या कशिश थी..क्या जादू था जो वो इस तरह दीवानो सी हरकतें कर रहा था!..रंभा ने उसकी शर्ट पकड़ ज़ोर से खींची तो उसके बटन्स टूट के बिखर गये.रंभा ने कमीज़ को उसके जिस्म से अलग किया & उसके निपल्स को चूसने लगी.
शाह उसकी पीठ पे हाथ फिरा रहा था.रंभा उसके सीने को चूमती नीचे झुकी & उसकी पॅंट भी उतार दी.अब शाह पूरा नंगा था & वो सिर्फ़ सारी मे.वो शाह के लंड को चूसने मे जुट गयी तो शाह गाड़ी की बॉनेट से टिक के खड़ा हो गया & उसके बालो मे उंगलिया फिराने लगा.रंभा शाह के आंडो को चूस रही थी & अपनी उंगली से उसके लंड के छेद को हौले-2 छेड़ रही थी.शाह के लंड मे उसके छुने से सनसनी दौड़ गयी.उसने रंभा को पकड़ के उपर उठाया तो रंभा ने उसके गले मे बाहे डाल दी & उसे चूमने लगी.
शाह उसकी मांसल कमर & गुदाज़ गंद को सहलाते हुए उसकी किस का जवाब दे रहा था.शाह के गर्म हाथो की हरारत रंभा को फिर से मस्ती मे बावली कर रहे थे.रंभा चूमते हुए आहे भरने लगी थी & आगे होके अपनी चूत शाह के लंड पे दबा रही थी.अब उसे बस वो लंड अपनी चूत मे चाहिए था.शाह ने उसकी गंद की कसी फांको को पकड़ा & बाहर की ओर फैलाया तो रंभा ने आह भरते हुए किस तोड़ी & सर पीछे झटका.
उसके ऐसा करने से रंभा की चूचियाँ शाह के सामने उभर गयी & उसने अपना मुँह उनसे लगा दिया.रंभा ने भी चूचियाँ आगे उचका दी ताकि उसका आशिक़ आराम से उन्हे चूस सके.रंभा के जिस्म मे बिजली दौड़ने लगी.शाह उसके निपल्स को दन्तो से काटने के बाद पूरी की पूरी चूची को मुँह मे भर ज़ोर से चूस्ता तो वो सिहर उठती.शाह का दिल उसके मस्ताने उभारो को दबाने का किया तो उसने उसकी कमर पकड़े हुसे उसे घुमा के बॉनेट से लगाया & फिर उसकी कमर पकड़ उसे उसपे बिठा दिया.
रंभा ने अपनी टाँगे खोल उसे आगे खींचा तो उसने उसकी चूचिया पकड़ ली & मसलते हुए चूसने लगा.रंभा पीछे झुकती हुई आहे भर रही & अपनी ज़ूलफे झटक रही थी.उसके हाथ अभी तक शाह के सर से लगे अपने सीने पे उसे दबा रहे थे मगर अब उसकी चूत की कसक बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी.रंभा के हाथ शाह के सरक के नीचे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गंद पे आए & उसे दबाया.
शाह उसका इशारा समझ गया & उसके होंठ रंभा की चूचियो से फिसलते हुए उसके पेट के रास्ते उसकी चूत तक पहुँचे.थोड़ी देर उसने बॉनेट पे बैठी रंभा की अन्द्रुनि जाँघो को चूमा & फिर उसकी चूत मे जीभ फिराने लगा.रंभा का जिस्म झटके खाने लगा & वो मस्ती मे आहें भरते हुए अपनी टाँगो से शाह के जिस्म को & अपने हाथो से उसके सर को अपनी चूत पे दबाने लगी.शाह काफ़ी देर उसकी चूत चाटता रहा & जैसे ही उसने महसूस किया कि वो झड़ने की कगार पे है वो खड़ा हो गया & उसकी जंघे थाम अपना लंड उसकी चूत मे धकेला.
रंभा ने उसके कंधे थाम लिया & अपनी जंघे पूरी फैला उसके लंबे & बेहद मोटे लंड को चूत मे घुसने मे मदद की.वो उस से चिपेट गयी & उसके बाए कंधे पे ठुड्डी टीका उसकी पीठ & गंद से लेके उसके बालो तक बेसब्र हाथ चलाती उस से चुदने लगी.शाह के धक्के सीधे उसकी कोख पे पद रहे थे & उसके जिस्म मे मज़े की धाराएँ बहने लगी थी.चाँद धक्को के बाद उसके नाख़ून शाह के जिस्म को कहरोंछने लगे & वो झाड़ गयी.
झाड़ते ही वो निढाल हो बॉनेट पे लेट गयी.शाह ने बाया हाथ उसके पेट पे रखा & दाए से उसकी चूचिया मसलता उसे चोदने लगा.बंगल के खुले अहाते मे चिड़ियो की चाहचाहाहट के साथ दोनो की आहें,दोनो के जिस्मो के टकराने की आवाज़ & चुदाई से बॉनेट मे होती आवाज़ गूँज रही थी.
रंभा ने अपने सीने को मसल्ते आशिक़ के हाथो के उपर अपने हाथ जमा दिए थे & अपनी टाँगे उसकी कमर पे कसे उसकी चुदाई से पागल हुए जा रही थी.शाह भी बस अब उसकी चूत मे झड़ना चाहता था.वो आगे झुका & रंभा के कंधो के नीचे से हाथ लगाते हुए उसे अपनी बाहो मे भर लिया & उसके चेहरे को चूमते हुए धक्के लगाने लगा.रंभा भी उसके जिस्म को बाहो मे भर उसे खरोंछती अपनी कमर उचकाती उसका भरपूर साथ दे रही थी.
"आन्न्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह...!"
"ओह..!",रंभा शाह की चुदाई से बहाल हो कराही & झाड़ गयी.झाड़ते ही उसकी चूत ने शाह के लंड को दबोचा & वो भी आपे से बाहर हो वीर्य उगलने लगा.दोनो ने मंज़िल पा ली थी & अब बहुत सुकून था उनके चेहरो पे पर दोनो को पता था कि ये तो बस पहला पड़ाव है.अभी दोनो को शाम तक इस सफ़र को करना था & उसमे ऐसी काई मंज़िले तय करनी थी.
वो काली कार शाह के बंगल के बाहर आई & रुक गयी & उसका शीशा कुच्छ इंच नीचे हुआ,अभी भी उसके ड्राइवर की शक्ल च्छूपी थी.जब दोनो प्रेमियो ने साथ-2 मंज़िल पा के अपनी मस्तानी आहो से उसका इज़हार किया तो वो आवाज़ बाहर बैठे दरबान के कानो & उस कार के ड्राइवर तक पहुँची.दरबान अपने मालिक की हर्कतो से अच्छी तरह वाकिफ़ था & वो बैठा-2 मुस्कुराया & उस कार के ड्राइवर ने आवाज़ें सुनते ही शीशा बंद किया & कार वापस ले ली.
उस कार से बेख़बर शाह ने अपनी माशुका को अपनी बाहो मे उठाया & उसके हुस्न & जवानी का और लुफ्त उठाने के मक़सद से बंगल के अंदर चला गया.
“क्या हुआ?”,देवेन के वापस लौटते ही विजयंत मेहरा ने उस से सवाल किया.देवेन ने कंधे झटके जैसे उसे भी कुच्छ पता नही.विजयंत के माथे पे उसका जवाब सुन शिकन पड़ी तो उसने बताया कि कैसे उसने काली कार को खो दिया.
“हूँ..अच्छा,देवेन क्या ऐसा हो सकता है कि उस काली कार वाले को तुम्हारे पीछा करने का पता चल गया हो & उसने तुम्हे चकमा दिया हो?”
“लगता तो नही पर पक्का नही कह सकता.”
“तब तो हमारे पास तुम्हारी इश्तेहार मे दी तारीख तक इंतेज़ार करने के अलावा & इस सामने वाले घर पे नज़र रखने के अलावा & कोई चारा नही.”
“हाँ.”,देवेन ने ताकि आवाज़ मे जवाब दिया.उसके दिमाग़ मे बार-2 पिच्छले घंटे की बाते घूम रही थी.कभी उसे खुद पे गुस्सा आता कि क्यू उसने उस कार को नज़रो से ओझल होने दिया तो कभी वो इस सोच मे डूब जाता कि क्या सचमुच दयाल ही था उस कार मे.कुच्छ देर बाद उसने इस फ़िज़ूल की जद्दोजहद को अपने ज़हन से निकाला & रंभा का नंबर मिलाने लगा.घंटी बजती रही पर उसने फोन नही उठाया.देवेन ने 2-3 बार & उसका नंबर ट्राइ किया & फिर छ्चोड़ दिया.उसने सोचा कि ज़रूर वो किसी काम मे फँसी होगी मगर किस काम मे ये उसे पता नही था.
रंभा उस वक़्त महादेव शाह के सीने पे हाथ जमाए उसके लंड को अपनी चूत मे लिए कूद रही थी.उसका मोबाइल वही कार की पिच्छली सीट पे बज रहा था पर उसे उस वक़्त फोन क्या खुद का भी होश नही था.शाह के सख़्त हाथ उसकी कोमल चूचियो को मसल रहे थे & उसकी मस्ती का कोई ठिकाना नही था.शाह 2 बार झाड़ उसके जिस्म मे झाड़ चुका था & इसी वजह से अब वो झड़ने मे ज़्यादा वक़्त ले रहा था.रंभा ने देखा की वो थोडा थका भी लग रहा था.अपनी उम्र के हिसाब से तो इस वक़्त उसे गहरी नींद मे होना चाहिए था मगर वो किसी जवान मर्द की तरह 2 घंटे मे तीसरी बार उसे चोद रहा था.ये तो शायद कयि जवानो के बस की बात भी नही थी..पर फिर भी मुझे इसका ख़याल रखना होगा..रंभा ने सोचा & उसी वक़्त उसकी चूत ने अपनी मस्तानी हरकते शुरू कर दी & नतीजतन उसके साथ-2 शाह भी झाड़ गया.
“ओह्ह..थक गयी मैं तो..”,रंभा हाँफती उसके सीने पे पड़ी हुई थी,”..पागल कर देते हैं आप!“,शाह ने उसे हंसते हुए अपने उपर से उतारा तो रंभा उसकी बाहो के घेरे मे उसके बाई तरफ लेट गयी.
“पागल तो तुमने मुझे कर दिया है.”,शाह उसके जिस्म को प्यार से सहला रहा था,”अच्छा,ये बताओ कि समीर की अपायंट्मेंट्स के बारे मे पता किया तुमने?”
“आप मुझे इसके अलावा..”,रंभा ने उसके सिकुदे लंड पे चपत लगाई,”..किसी और बात के बारे मे सोचने का वक़्त दें तब तो पता लगाऊं!”,शाह उसके जवाब पे हंस पड़ा & फिर उबासी ली.रंभा ने इसीलिए झूठ बोला क्यूकी पहले उसे सब कुच्छ देवेन को बताना था & उसके साथ मिलके सारी प्लॅनिंग करनी थी.
“थोडा आराम कीजिए अब.”,रंभा ने उसका सीना सहलाया.
“हूँ.”,शाह को भी नींद आ रही थी,”मैं इसलिए पुच्छ रहा था क्यूकी मुझे पता चला है कि बस 4 दिन बाद ही मानपुर प्रॉजेक्ट का टेंडर खुलने वाला है.”
“ ओह.आप बेफ़िक्र रहिए,मैं जल्द ही ये काम पूरा करूँगी.”
“ओके,डार्लिंग.”,रंभा ने उसके सीने पे सर रख दिया & उसका पेट सहलाने लगी.कुच्छ ही देर मे शाह सो गया.कुच्छ देर तो रंभा वैसे ही पड़ी रही पर जब उसे यकीन हो गया कि शाह गहरी नींद मे चला गया है तब वो धीरे से उसकी बाँह केग हियर मे से निकालते हुए उठी & शाह की अलमारी खोल उसका 1 ड्रेसिंग गाउन निकाल के पहना.
“हेलो,देवेन.सॉरी पहले आपका फोन नही उठाया.”,वो बाहर आके कार से अपना मोबाइल निकाल उसपे बात कर रही थी.
“तुम हो कहा?”
“शाह के घर पे.”,रंभा को ना जाने क्यू ये बात बताते हुए थोड़ी ग्लानि सी हुई.
“ओह.”,देवेन की आवाज़ मे भी कुच्छ ऐसा था जोकि रंभा को आहत कर गया,”..तो वो कहा है?”
“सो रहा है.”
“अच्छा.”,देवेन की आवाज़ कुच्छ ज़्यादा भारी थी मगर उसने फ़ौरन खुद को संभाला,”..अच्छा ये सुनो,कोई आया था इश्तेहार मे दिए पते पे?”
“क्या?!कौन?!”,रंभा की धड़कने भी तेज़ हो गयी थी.देवेन ने उसे पूरी बात बताई,”..अच्छा,देवेन.ये शाह समीर का आक्सिडेंट करवाने को उतावला हो रहा है.उपर से मानपुर का टेंडर भी बस 4 दिनो मे खुलने वाला है.”
“समीर की अपायंट्मेंट्स मिली तुम्हे?”
“हां.”
“तो ठीक है.तुम इस शाह से ये निकलवाने की कोशिश करो की आख़िर वो समीर के साथ ये हादसा करवाएगा कैसे?..किस जगह पे?..किस से?..सब कुच्छ मगर होशियारी से.ये मुझे बहुत शातिर इंसान लगता है.ऐसे इंसान को ज़रा भी शक़ हुआ तो वो खुद को बचाने के लिए कुच्छ भी कर सकता है.”
“आप चिंता ना करें,देवेन.मैं सब संभाल लूँगी.”
“मुझे पूरा भरोसा है रंभा पर तुम्हे यू अकेला छ्चोड़ने मे फ़िक्र तो होती ही है ना.”
“बस ये सब निपट जाए,देवेन फिर सुकून ही सुकून होगा.”
“बस ऐसा जल्द से जल्द हो.”
“हाँ.अच्छा अब फोन रखती हू.शाम को आऊँगी.”
“ठीक है..अरे!रूको,अभी फोन मत काटो.”,देवेन के ज़हन मे तभी 1 ख़याल आया.
“हां,क्या हुआ?”
“रंभा,अब तुम यहा अपनी कार से नही आना & ना ही सामने के दरवाज़े से.जब भी आना पहले मुझे फोन करना & आते वक़्त अपनी शक्ल च्छुपाए रखना.देखो,आज जो आया वो आगे भी आ सकता है.तुम्हारी शक्ल लोग पहचानते हैं.अब मैं नही चाहता कि अगर वो काली कार फिर आती है तो उसका ड्राइवर कही तुम्हे देख कोई अटकल ना लगाए.”
“ठीक है,देवेन.मैं ख़याल रखूँगी.अब रखू फोन?”
हां.बाइ!”
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे......
तभी दोनो को किसी कार के आने की आवाज़ सुनाई दी.शाह ने फ़ौरन लंड बाहर खींचा & रंभा की सारी नीचे कर उसे कार मे बिठाया,फिर वही ज़मीन पे गिरे उसके बॅग & फटे ब्लाउस को उठाया & उसे थमाके खुद कार मे बैठ गया.उसने कार स्टार्ट की तभी 1 और कार पार्किंग मे आई.रंभा ने देखा & उसके मुँह से हैरत भरी आवाज़ निकलते-2 बची..सामने वाली कार देवेन की थी.रंभा ने बॅग से अपना मोबाइल निकाला & पहले शाह को कनखियो से देखा..वो कार निकालने मे मशगूल था.
काली कार वाहा आई & रुक गयी.देवेन 1 खाली जगह मे कार लगा उसके ड्राइवर के उतरने का इंतेज़ार कर रहा था.काली कार का दरवाज़ा अंदर से खुला & वो बाहर की तरफ धकेला ही जा रहा था कि कुच्छ देख वो रुक गया.शाह की कार बाहर निकल रही थी & वो काली कार का ड्राइवर शायद उसे देख रुक गया था.देवेन भी शाह की कार को देख रहा था मगर उसे पता नही था कि अंदर कौन है.
तभी वो चौंक गया,काली कार के ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर उसे तेज़ी से एग्ज़िट की तरफ बढ़ा दिया था.ठीक उसी वक़्त लिफ्ट आई & उसमे से 2 लोग उतर अपनी कार की तरफ बढ़े.देवेन ने अपनी कार काली कार के पीछे लगाई पर तभी वो दो लोग अपनी कार मे बैठ उसे रिवर्स कर उसी की कार के सामने ले आए थे.देवेन ने झल्ला के हॉर्न बजाया पर रास्ता सॉफ होने 2 मिनिट लगे & जब वो बाहर आया तो काली कार नदारद थी.वो आधे घंटे आस-पास के इलाक़े को छानता रहा मगर वो कार नही मिली.
रंभा मोबाइल पे मेसेज टाइप कर रही थी जब महदेव शाह ने उस से मोबाइल छीन पीछे की सीट पे फेंका & दाए हाथ से स्टियरिंग संभाले बाए से उसे अपनी ओर खींचा & चूमते हुए कार चलाने लगा.रंभा समझ गयी की अब मेसेज करना ख़तरे से खाली नही & फिर पार्किंग मे हुई चुदाई के बाद वो बहुत मस्त भी हो गयी थी.उसने बाया हाथ शाह के लंड पे रखा जोकि अभी भी उसकी पॅंट से बाहर था & उसके बाए गालो को चूमने लगी.
कार 1 सिग्नल पे रुकी तो शाह ने उसके सीने पे पड़ा आँचल हटाया & उसकी चूचियो चूसने लगा.रंभा सीट पे आडी उसकी ज़ुबान से मस्त होने लगी..कितना मस्ताना एहसास था ये!..वो शहर की भीड़ के बीचोबीच थी..उसकी खिड़की के बाहर 1 बाइक पे लड़का बैठा था..हर तरफ लोग थे पर किसी को ये खबर नही थी कि वो कार मे नगी थी & उसका आशिक़ उसकी चूचियाँ पी रहा था..उफफफ्फ़..रंभा ने आँखे बंद कर शाह के बॉल नोचे!
कुच्छ देर बाद बत्ती हरी हुई तो शाह ने महबूबा की चूचियाँ छ्चोड़ी & कार अपने गहर की तरफ बढ़ा दी.गहर पहुँचते ही गेट के बाहर खड़े दरबान ने सलाम ठोनकतेहुए गेट खोला & कार अंदर दाखिल हो गयी.दरबान गेट के बाहर था & आज भी शाह का घर बिल्कुल सुनसान था.
रंभा के कार से उतरते ही शाह ने उसे बाहो मे भर लिया & वही खुले मे ही उसे चूमने लगा.उसे खुद पे हैरत हो रही थी..इस लड़की मे ऐसी क्या कशिश थी..क्या जादू था जो वो इस तरह दीवानो सी हरकतें कर रहा था!..रंभा ने उसकी शर्ट पकड़ ज़ोर से खींची तो उसके बटन्स टूट के बिखर गये.रंभा ने कमीज़ को उसके जिस्म से अलग किया & उसके निपल्स को चूसने लगी.
शाह उसकी पीठ पे हाथ फिरा रहा था.रंभा उसके सीने को चूमती नीचे झुकी & उसकी पॅंट भी उतार दी.अब शाह पूरा नंगा था & वो सिर्फ़ सारी मे.वो शाह के लंड को चूसने मे जुट गयी तो शाह गाड़ी की बॉनेट से टिक के खड़ा हो गया & उसके बालो मे उंगलिया फिराने लगा.रंभा शाह के आंडो को चूस रही थी & अपनी उंगली से उसके लंड के छेद को हौले-2 छेड़ रही थी.शाह के लंड मे उसके छुने से सनसनी दौड़ गयी.उसने रंभा को पकड़ के उपर उठाया तो रंभा ने उसके गले मे बाहे डाल दी & उसे चूमने लगी.
शाह उसकी मांसल कमर & गुदाज़ गंद को सहलाते हुए उसकी किस का जवाब दे रहा था.शाह के गर्म हाथो की हरारत रंभा को फिर से मस्ती मे बावली कर रहे थे.रंभा चूमते हुए आहे भरने लगी थी & आगे होके अपनी चूत शाह के लंड पे दबा रही थी.अब उसे बस वो लंड अपनी चूत मे चाहिए था.शाह ने उसकी गंद की कसी फांको को पकड़ा & बाहर की ओर फैलाया तो रंभा ने आह भरते हुए किस तोड़ी & सर पीछे झटका.
उसके ऐसा करने से रंभा की चूचियाँ शाह के सामने उभर गयी & उसने अपना मुँह उनसे लगा दिया.रंभा ने भी चूचियाँ आगे उचका दी ताकि उसका आशिक़ आराम से उन्हे चूस सके.रंभा के जिस्म मे बिजली दौड़ने लगी.शाह उसके निपल्स को दन्तो से काटने के बाद पूरी की पूरी चूची को मुँह मे भर ज़ोर से चूस्ता तो वो सिहर उठती.शाह का दिल उसके मस्ताने उभारो को दबाने का किया तो उसने उसकी कमर पकड़े हुसे उसे घुमा के बॉनेट से लगाया & फिर उसकी कमर पकड़ उसे उसपे बिठा दिया.
रंभा ने अपनी टाँगे खोल उसे आगे खींचा तो उसने उसकी चूचिया पकड़ ली & मसलते हुए चूसने लगा.रंभा पीछे झुकती हुई आहे भर रही & अपनी ज़ूलफे झटक रही थी.उसके हाथ अभी तक शाह के सर से लगे अपने सीने पे उसे दबा रहे थे मगर अब उसकी चूत की कसक बहुत ज़्यादा बढ़ गयी थी.रंभा के हाथ शाह के सरक के नीचे उसकी पीठ से होते हुए उसकी गंद पे आए & उसे दबाया.
शाह उसका इशारा समझ गया & उसके होंठ रंभा की चूचियो से फिसलते हुए उसके पेट के रास्ते उसकी चूत तक पहुँचे.थोड़ी देर उसने बॉनेट पे बैठी रंभा की अन्द्रुनि जाँघो को चूमा & फिर उसकी चूत मे जीभ फिराने लगा.रंभा का जिस्म झटके खाने लगा & वो मस्ती मे आहें भरते हुए अपनी टाँगो से शाह के जिस्म को & अपने हाथो से उसके सर को अपनी चूत पे दबाने लगी.शाह काफ़ी देर उसकी चूत चाटता रहा & जैसे ही उसने महसूस किया कि वो झड़ने की कगार पे है वो खड़ा हो गया & उसकी जंघे थाम अपना लंड उसकी चूत मे धकेला.
रंभा ने उसके कंधे थाम लिया & अपनी जंघे पूरी फैला उसके लंबे & बेहद मोटे लंड को चूत मे घुसने मे मदद की.वो उस से चिपेट गयी & उसके बाए कंधे पे ठुड्डी टीका उसकी पीठ & गंद से लेके उसके बालो तक बेसब्र हाथ चलाती उस से चुदने लगी.शाह के धक्के सीधे उसकी कोख पे पद रहे थे & उसके जिस्म मे मज़े की धाराएँ बहने लगी थी.चाँद धक्को के बाद उसके नाख़ून शाह के जिस्म को कहरोंछने लगे & वो झाड़ गयी.
झाड़ते ही वो निढाल हो बॉनेट पे लेट गयी.शाह ने बाया हाथ उसके पेट पे रखा & दाए से उसकी चूचिया मसलता उसे चोदने लगा.बंगल के खुले अहाते मे चिड़ियो की चाहचाहाहट के साथ दोनो की आहें,दोनो के जिस्मो के टकराने की आवाज़ & चुदाई से बॉनेट मे होती आवाज़ गूँज रही थी.
रंभा ने अपने सीने को मसल्ते आशिक़ के हाथो के उपर अपने हाथ जमा दिए थे & अपनी टाँगे उसकी कमर पे कसे उसकी चुदाई से पागल हुए जा रही थी.शाह भी बस अब उसकी चूत मे झड़ना चाहता था.वो आगे झुका & रंभा के कंधो के नीचे से हाथ लगाते हुए उसे अपनी बाहो मे भर लिया & उसके चेहरे को चूमते हुए धक्के लगाने लगा.रंभा भी उसके जिस्म को बाहो मे भर उसे खरोंछती अपनी कमर उचकाती उसका भरपूर साथ दे रही थी.
"आन्न्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह...!"
"ओह..!",रंभा शाह की चुदाई से बहाल हो कराही & झाड़ गयी.झाड़ते ही उसकी चूत ने शाह के लंड को दबोचा & वो भी आपे से बाहर हो वीर्य उगलने लगा.दोनो ने मंज़िल पा ली थी & अब बहुत सुकून था उनके चेहरो पे पर दोनो को पता था कि ये तो बस पहला पड़ाव है.अभी दोनो को शाम तक इस सफ़र को करना था & उसमे ऐसी काई मंज़िले तय करनी थी.
वो काली कार शाह के बंगल के बाहर आई & रुक गयी & उसका शीशा कुच्छ इंच नीचे हुआ,अभी भी उसके ड्राइवर की शक्ल च्छूपी थी.जब दोनो प्रेमियो ने साथ-2 मंज़िल पा के अपनी मस्तानी आहो से उसका इज़हार किया तो वो आवाज़ बाहर बैठे दरबान के कानो & उस कार के ड्राइवर तक पहुँची.दरबान अपने मालिक की हर्कतो से अच्छी तरह वाकिफ़ था & वो बैठा-2 मुस्कुराया & उस कार के ड्राइवर ने आवाज़ें सुनते ही शीशा बंद किया & कार वापस ले ली.
उस कार से बेख़बर शाह ने अपनी माशुका को अपनी बाहो मे उठाया & उसके हुस्न & जवानी का और लुफ्त उठाने के मक़सद से बंगल के अंदर चला गया.
“क्या हुआ?”,देवेन के वापस लौटते ही विजयंत मेहरा ने उस से सवाल किया.देवेन ने कंधे झटके जैसे उसे भी कुच्छ पता नही.विजयंत के माथे पे उसका जवाब सुन शिकन पड़ी तो उसने बताया कि कैसे उसने काली कार को खो दिया.
“हूँ..अच्छा,देवेन क्या ऐसा हो सकता है कि उस काली कार वाले को तुम्हारे पीछा करने का पता चल गया हो & उसने तुम्हे चकमा दिया हो?”
“लगता तो नही पर पक्का नही कह सकता.”
“तब तो हमारे पास तुम्हारी इश्तेहार मे दी तारीख तक इंतेज़ार करने के अलावा & इस सामने वाले घर पे नज़र रखने के अलावा & कोई चारा नही.”
“हाँ.”,देवेन ने ताकि आवाज़ मे जवाब दिया.उसके दिमाग़ मे बार-2 पिच्छले घंटे की बाते घूम रही थी.कभी उसे खुद पे गुस्सा आता कि क्यू उसने उस कार को नज़रो से ओझल होने दिया तो कभी वो इस सोच मे डूब जाता कि क्या सचमुच दयाल ही था उस कार मे.कुच्छ देर बाद उसने इस फ़िज़ूल की जद्दोजहद को अपने ज़हन से निकाला & रंभा का नंबर मिलाने लगा.घंटी बजती रही पर उसने फोन नही उठाया.देवेन ने 2-3 बार & उसका नंबर ट्राइ किया & फिर छ्चोड़ दिया.उसने सोचा कि ज़रूर वो किसी काम मे फँसी होगी मगर किस काम मे ये उसे पता नही था.
रंभा उस वक़्त महादेव शाह के सीने पे हाथ जमाए उसके लंड को अपनी चूत मे लिए कूद रही थी.उसका मोबाइल वही कार की पिच्छली सीट पे बज रहा था पर उसे उस वक़्त फोन क्या खुद का भी होश नही था.शाह के सख़्त हाथ उसकी कोमल चूचियो को मसल रहे थे & उसकी मस्ती का कोई ठिकाना नही था.शाह 2 बार झाड़ उसके जिस्म मे झाड़ चुका था & इसी वजह से अब वो झड़ने मे ज़्यादा वक़्त ले रहा था.रंभा ने देखा की वो थोडा थका भी लग रहा था.अपनी उम्र के हिसाब से तो इस वक़्त उसे गहरी नींद मे होना चाहिए था मगर वो किसी जवान मर्द की तरह 2 घंटे मे तीसरी बार उसे चोद रहा था.ये तो शायद कयि जवानो के बस की बात भी नही थी..पर फिर भी मुझे इसका ख़याल रखना होगा..रंभा ने सोचा & उसी वक़्त उसकी चूत ने अपनी मस्तानी हरकते शुरू कर दी & नतीजतन उसके साथ-2 शाह भी झाड़ गया.
“ओह्ह..थक गयी मैं तो..”,रंभा हाँफती उसके सीने पे पड़ी हुई थी,”..पागल कर देते हैं आप!“,शाह ने उसे हंसते हुए अपने उपर से उतारा तो रंभा उसकी बाहो के घेरे मे उसके बाई तरफ लेट गयी.
“पागल तो तुमने मुझे कर दिया है.”,शाह उसके जिस्म को प्यार से सहला रहा था,”अच्छा,ये बताओ कि समीर की अपायंट्मेंट्स के बारे मे पता किया तुमने?”
“आप मुझे इसके अलावा..”,रंभा ने उसके सिकुदे लंड पे चपत लगाई,”..किसी और बात के बारे मे सोचने का वक़्त दें तब तो पता लगाऊं!”,शाह उसके जवाब पे हंस पड़ा & फिर उबासी ली.रंभा ने इसीलिए झूठ बोला क्यूकी पहले उसे सब कुच्छ देवेन को बताना था & उसके साथ मिलके सारी प्लॅनिंग करनी थी.
“थोडा आराम कीजिए अब.”,रंभा ने उसका सीना सहलाया.
“हूँ.”,शाह को भी नींद आ रही थी,”मैं इसलिए पुच्छ रहा था क्यूकी मुझे पता चला है कि बस 4 दिन बाद ही मानपुर प्रॉजेक्ट का टेंडर खुलने वाला है.”
“ ओह.आप बेफ़िक्र रहिए,मैं जल्द ही ये काम पूरा करूँगी.”
“ओके,डार्लिंग.”,रंभा ने उसके सीने पे सर रख दिया & उसका पेट सहलाने लगी.कुच्छ ही देर मे शाह सो गया.कुच्छ देर तो रंभा वैसे ही पड़ी रही पर जब उसे यकीन हो गया कि शाह गहरी नींद मे चला गया है तब वो धीरे से उसकी बाँह केग हियर मे से निकालते हुए उठी & शाह की अलमारी खोल उसका 1 ड्रेसिंग गाउन निकाल के पहना.
“हेलो,देवेन.सॉरी पहले आपका फोन नही उठाया.”,वो बाहर आके कार से अपना मोबाइल निकाल उसपे बात कर रही थी.
“तुम हो कहा?”
“शाह के घर पे.”,रंभा को ना जाने क्यू ये बात बताते हुए थोड़ी ग्लानि सी हुई.
“ओह.”,देवेन की आवाज़ मे भी कुच्छ ऐसा था जोकि रंभा को आहत कर गया,”..तो वो कहा है?”
“सो रहा है.”
“अच्छा.”,देवेन की आवाज़ कुच्छ ज़्यादा भारी थी मगर उसने फ़ौरन खुद को संभाला,”..अच्छा ये सुनो,कोई आया था इश्तेहार मे दिए पते पे?”
“क्या?!कौन?!”,रंभा की धड़कने भी तेज़ हो गयी थी.देवेन ने उसे पूरी बात बताई,”..अच्छा,देवेन.ये शाह समीर का आक्सिडेंट करवाने को उतावला हो रहा है.उपर से मानपुर का टेंडर भी बस 4 दिनो मे खुलने वाला है.”
“समीर की अपायंट्मेंट्स मिली तुम्हे?”
“हां.”
“तो ठीक है.तुम इस शाह से ये निकलवाने की कोशिश करो की आख़िर वो समीर के साथ ये हादसा करवाएगा कैसे?..किस जगह पे?..किस से?..सब कुच्छ मगर होशियारी से.ये मुझे बहुत शातिर इंसान लगता है.ऐसे इंसान को ज़रा भी शक़ हुआ तो वो खुद को बचाने के लिए कुच्छ भी कर सकता है.”
“आप चिंता ना करें,देवेन.मैं सब संभाल लूँगी.”
“मुझे पूरा भरोसा है रंभा पर तुम्हे यू अकेला छ्चोड़ने मे फ़िक्र तो होती ही है ना.”
“बस ये सब निपट जाए,देवेन फिर सुकून ही सुकून होगा.”
“बस ऐसा जल्द से जल्द हो.”
“हाँ.अच्छा अब फोन रखती हू.शाम को आऊँगी.”
“ठीक है..अरे!रूको,अभी फोन मत काटो.”,देवेन के ज़हन मे तभी 1 ख़याल आया.
“हां,क्या हुआ?”
“रंभा,अब तुम यहा अपनी कार से नही आना & ना ही सामने के दरवाज़े से.जब भी आना पहले मुझे फोन करना & आते वक़्त अपनी शक्ल च्छुपाए रखना.देखो,आज जो आया वो आगे भी आ सकता है.तुम्हारी शक्ल लोग पहचानते हैं.अब मैं नही चाहता कि अगर वो काली कार फिर आती है तो उसका ड्राइवर कही तुम्हे देख कोई अटकल ना लगाए.”
“ठीक है,देवेन.मैं ख़याल रखूँगी.अब रखू फोन?”
हां.बाइ!”
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क्रमशः.......