Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 17 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

कुछ टाइम रूम मे सन्नाटा रहा,,,,,,,,वो दोनो डरे हुए थे ,,,,शायद मैं भी क्यूकी पता
नही था अब आगे क्या होगा,,,मैने एक प्लान तो बनाया था ऑर प्लान कामयाब भी हुआ लेकिन अब
आगे क्या होना था ये नही पता था किसी को भी,,,,मुझे भी नही ,,,,,,,,,,,क्या वो दोनो गुस्सा
करते मेरे पे,,,,,,,,,,,या करण मेरे से फाइट करता,,,,,,,या शिखा मेरे पे गुस्सा करती,,,,

तभी वो दोनो एक साथ गुस्से मे बोल पड़े..........

शिखा--सन्नी ये क्या किया तुमने ,,,,,शरम नही आती तुमको एक भाई बेहन के साथ ऐसा करते हुए
वो भी इतनी चालाकी से,,,,,,,,ज़रा तो सोचा होता ,,,,,,,,,

करण--सन्नी तुमको शरम नही आई मेरे से ही मेरी बेहन के साथ चुदाई करवाते हुए,,,,,क्या सोच
कर ऐसी घटिया हरकत की तूने,,,,,,,,मैं तेरी जान ले लूँगा,,,,,,,

इस से पहले करण कुछ ऑर बोलता शिखा बोलने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी ये तूने अच्छा नही किया
हम भाई बेहन है ,,,ऑर तूने हमारे बीच ये सब करवा दिया,,,ज़रा भी नही सोचा तुमने
हमारे रिश्ते के बारे मे,,,,,,,

सन्नी--अच्छा अब भाई बेहन का रिश्ता याद आ गया,,अभी कुछ देर पहले तो बड़ी मस्ती मे चुदाई
का मज़ा ले रहे थे दोनो,,,ऑर अब रिश्ते की बात कर रहे हो,,,,,,,,,

करण--सन्नी वो तो तुमने धोखे से मुझे,,,,,,,,,

सन्नी--धोखा नही करण इसको वासना बोलते है,,,,,,,,,,जब तेरा लंड तेरी बेहन की चूत मे था अगर
उसी टाइम मैं तेरी बेहन के फेस से चद्दर हटा देता तब भी तू नही रुकता ऑर वैसे ही
अपनी बेहन की चुदाई करता रहता,,,ऑर ना शिखा दीदी आप इसको रोकती ,,,क्यूकी जब एक लंड ओर
चूत का मेल होता है तो ये कोई नही सोचता कि लंड अपने भाई का है या बाप का,,,,ऑर ना ही
ये सोचता है कि सामने नंगी लेटी हुई औरत उसकी बेहन है या माँ,,,,किसी को कोई फ़र्क नही
पड़ता ,,,,,,,,,,,,,सबको बस मज़ा चाहिए,,,,,,,,,,,,,आप लोग बोलो क्या आप लोगो को मज़ा नही आया
एक दूसरे से चुदाई करके,,,,,,,,क्या तुझे ऐसा लगा करण कि जिस चूत मे तेरा लंड है वो
तेरी अपनी बेहन की है,,,,,,,,,,,,,,ऑर क्या शिखा दीदी आपको एक पल के लिए भी ऐसा लगा कि वो लंड
मेरा नही जो आपकी चूत मे चुदाई कर रहा है बल्कि आपके भाई करण का है,,,,,,,,दोनो
चुप चाप बैठे मेरी बात सुन रहे थे कोई कुछ नही बोला ,,,,,,,,,,करीब 5 मिनट तक
ऐसे ही रूम मे खामोशी का आलम रहा फिर मैं उठा ऑर ऐसे ही नंगा बाहर आ गया
ताकि उन दोनो को कुछ टाइम मिल सके ऑर वो दोनो खुद को ऐसी हालत मे करीब से देख सके
ऑर उनका डर कुछ हद तक दूर हो जाए,,,,,

मैं वहाँ से उठा ऑर किचन मे आके पानी पीने लगा क्यूकी मैं भी बहुत घबरा गया था
मैने कुछ ऐसा कर दिया था जिस से करण ऑर शिखा या तो मेरे से उमर भर के लिए नाराज़
हो जाते या अभी वापिस जाके मैं ऑर करण मिलकर एक ही बेड पर शिखा दीदी को 2 असली लंड का
मज़ा देते,,,,,,,,,,,,,,मैं किचन से अभी बाहर निकला ही था कि कुछ ऐसा हो गया जो मैने
सोचा भी नही था,,,,,,,,,,,,,
 
किचन से बाहर निकलते ही मेरी नज़र पड़ी माँ के रूम के दरवाजे के एक साइड खड़ी हुई
शोभा दीदी पे,,,,,,,,,मैं एक दम से डर गया लेकिन एक ही पल मे मेरा डर ख़तम हो गया जब
मैने अच्छी तरह से शोभा दीदी की हालत को देखा,,,,,,,,,,,उनकी कमीज़ उतरी हुई थी ब्रा के हुक
शायद खुले हुए थे क्यूकी ब्रा भी बूब्स से हल्की नीचे तक लटक रही थी सलवार उतर कर
पैरो मे गिरी हुई थी ऑर वो दीवार एक साथ पीठ लगा कर खड़ी हुई थी उनकी टाँगों से
अभी भी पानी रिस्ता हुआ नीचे ज़मीन पर गिर रहा था उनकी सलवार उनके पैरो मे थी जो
चूत से निकलने वाले पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी उनका एक हाथ उनके बूब्स पर था
ऑर एक हाथ अभी भी चूत पर था जिसकी शायद 2 उंगलिया अभी भी चूत के अंदर थी ऑर हाथ
भी धीरे धीरे हिल रहा था चूत से निकलने वाला पानी इतना ज़्यादा था कि ऐसा लग रहा
था जैसे उन्होने मस्ती मे वही खड़े खड़े पेशाब कर दिया था,,मैं समझ गया कि दीदी
ने सब कुछ देख लिया है तभी तो मस्ती मे उनका ये हाल हो गया था,,दीदी का ध्यान भी
मेरी तरफ था लेकिन उनपे कोई असर नही था बल्कि वो तो मुझे देख कर हल्के से मस्ती ऑर
शरारत भरे अंदाज मे मुस्कुरा रही थी उनके चेहरे की मुस्कान देख कर मेरे भी दिल
मे खुशी ऑर चेहरे पर हल्की मुस्कान खिल उठी थी ,,,क्यूकी अब मुझे करण ऑर शिखा दीदी
की सभी बातों का जवाब मिल गया था,,मैं चलके शोभा दीदी के पास गया ऑर मेरे पास
आते ही दीदी ने मुझे कस्के बाहों मे जकड लिया ऑर हम लोगो मे एक ज़बरदस्त किस शुरू
हो गई थी मैं तो नंगा ही था जबकि दीदी के जिस्म पर एक ब्रा थी जो बस उतरने ही वाली थी
मैने दीदी को कस्के बाहों मे पकड़ा ऑर किस करते हुए अपनी गोद मे उठा लिया जिस से दीदी
की सलवार भी नीचे गिर गई थी ,,,,मैं दीदी को ऐसे ही किस करते हुए बाहों मे उठाकर
माँ के रूम मे ले गया जहाँ अभी तक शिखा दीदी चेहरा झुका कर बैठी हुई थी ऑर करण
भी ऐसे ही पिल्लो को टाँगों के बीच फसा कर अपने लंड को शिखा से छुपा कर
बैठा हुआ था,,,,


रूम मे जाते ही मैने दीदी को किस करना बंद किया ऑर हम दोनो ने बेड
पर बैठे हुए करण ऑर शिखा दीदी की तरफ देखा ,,,,दीदी मेरी तरफ देख कर हँसने लगी ऑर
मैं भी उसी शरारती अंदाज़ मे दीदी की तरफ स्माइल करके देखने लगा,,,,करण ऑर शिखा का
ध्यान जब हमारी तरफ आया तो वो दोनो हमें ऐसी हालत मे देख कर दंग रह गये,,दोनो
का मुँह खुला का खुला ही रह गया,,,,,,तभी मैने दीदी को गोद से नीचे उतारा ऑर दीदी के पीछे
जाके उनकी ब्रा को भी सही से नीचे उतार दिया अब दीदी ऑर मैं बिल्कुल नंगे थे करण ऑर
शिखा दीदी की तरह,,,,,,,,शोभा दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड की तरफ ले गई जहाँ
शिखा चद्दर लेके मुँह खोले हमें देख रही थी शोभा ने जल्दी से आगे बढ़ कर शिखा के
सर को अपने दोनो हाथों से पकड़ा ऑर इस से पहले कि शिखा कुछ समझती या बोलती शोभा ने
शिखा के लिप्स को अपने लिप्स मे जकड लिया ऑर किस करना शुरू कर दिया ,,,,शिखा का ये पहला
अनुभव था शायद किसी लड़की के साथ किस करने का इसलिए वो कुछ ज़्यादा ही उछलने लगी थी
लेकिन शोभा ने उसको अच्छी तरह से क़ाबू कर लिया था ऑर प्यार से उसको किस कर रही थी,,जो शिखा
अभी कुछ देर पहले मेरे पे गुस्सा कर रही थी अभी एक ही पल मे शोभा दीदी के साथ किस करने
मे ही उसने हथियार डाल दिए थे,,,,एक तो शायद शिखा का पहला तजुर्बा था किसी लड़की के साथ किस
करने का ऑर उपर से शोभा का किस करने का अंदाज़ ही इतना मस्त था कि शिखा एक ही पल मे
पागल होने लगी थी,,,,,,,,,,,



जहाँ शिखा ने सेक्स की दहलीज़ पर कुछ ही सीडियाँ उपर चढ़ि
थी वहीं शोभा तो सेक्स की लिफ्ट मे सवार होके लास्ट फ्लोर तक पहुँच चुकी थी,,,उधर करण
का भी एक पल मे बुरा हाल हो गया था शोभा दीदी को अपने पास ऐसी नंगी हालत मे देख
कर ऑर उपर से शोभा का शिखा को ऐसे किस करना देख कर तो करण की हालत खराब होने
लगी थी तभी शोभा ने शिखा के जिस्म पर पड़ी चद्दर को हटा दिया ऑर एक ही पल मे शोभा
ने शिखा को बेड पर लेटा दिया ऑर शिखा को बड़े प्यार से किस करने लगी शिखा को कुछ भी
समझ नही आ रहा था लेकिन उसको ये सब अच्छा लग रह था क्यूकी नीचे लेटते ही अपने उपर
लेटी हुई शोभा की पीठ पर शिखा के हाथ चलने लगे थे,,,,,तभी शोबा दीदी ने अपने
हाथ शिखा के बूब पर रखे ओर उसको मसलना शुरू कर दिया शिखा की तो कुछ ही पल मे
हालत खराब होने लगी ऑर उसके हाथ तेज़ी से शोबा की पीठ पर चलने लगे शोभा ने भी
मोका देख कर अपने एक हाथ को शिखा की चूत पर रख दिया ,,,ऑर जल्दी से एक उंगली शिखा
की चूत मे घुसा दी इस से पहले शिखा कुछ समझ पाती शोभा ने जल्दी से उसकी चूत मे
उंगली पेलना शुरू कर दिया चूत मे उंगली जाते ही शिखा के हाथ भी तेज़ी से शोभा की पीठ'
पर चलने लगे ,,,,,,,,,

उधर करण ये सब देख कर हेरान रह गया वो शोभा ऑर शिखा की तरफ़ देख रहा था ऑर उसका
मुँह खुला हुआ था तभी उसने मेरी तरफ देखा मैं तो आराम से लेट कर अपने लंड को हाथ
मे लेके मसल रहा था क्यूकी अब शोभा आ गई थी अब मुझे कोई टेन्षन नही थी वैसे
भी शोभा ने आते ही सब कुछ बखूबी संभाल लिया था ,,,ना तो करण कुछ बोल सका ऑर
शिखा के बोलने से पहले कि शोभा ने उसको अपने बस मे कर लिया था,,,,,,,,मुझे लंड हिलाता
देख करण ने भी डरते हुए अपनी टाँगों से पिल्लो निकाल कर साइड किया मेरी नज़र जब
करण के लंड पर पड़ी तो उसका लंड भी ओकात मे आ चुका था,,उसने एक पल को मेरी तरफ
देखा ऑर मैने उसको सर हिलाकर इशारा कर दिया तो करण ने भी इशारा समझ कर हल्का सा
डरते हुए लंड को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर शोभा ऑर शिखा की हर्कतो को देख कर लंड को
प्यार से सहलाने लगा,,,,,,,,,,,,
 
अब तक शोभा दीदी पूरी तरह क़ाबू पा चुकी थी शिखा पर
तभी मैं भी उनकी हेल्प करने के लिए अपने सर को शिखा की चूत पर ले गया ऑर शोभा दीदी
के हाथ को वहाँ से हटा कर शिखा की चूत को मुँह मे भर लिया इतने मे ही शिखा एक दम
से उछल पड़ी शोभा दीदी ने जल्दी से शिखा के लिप्स को आज़ाद किया ऑर अपने सर को शिखा के '
बूब्स की तरफ मोड़ दिया शिखा के लिप्स शोभा से आज़ाद होते ही एक दम से शिखा की तेज-तेज
सिसकियाँ निकलना शुरू हो गई ,,,,,शोभा का फेस अब शिखा के बूब्स पर था ऑर शोभा ने
जल्दी से शिखा के एक बूब को मुँह मे भर लिया ऑर हाथों से दबाते हुए उसको ज़ोर ज़ोर से
चूसने लगी ऑर दूसरे वाले को भी ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों मे लेके दबाने लगी शिखा की
सिसकियाँ काफ़ी तेज थी शोभा बारी बारी एक उसके बूब्स मसल ऑर चूस रही थी ऑर मैं भी अपने
मुँह मे शिखा की पूरी चूत को भरके चूस रहा था,,,,कभी उसकी चूत के लिप्स को अपने
मुँह मे भर लेता तो कभी उसकी चूत मे ज़ुबान डालके तेज़ी से चोदने लग जाता ऑर कभी
चूत के लिप्स को हल्के से काटने लग जाता शिखा भी मस्ती मे शोभा के सर को अपने बूब्स
पर दबा देती तो कभी शोभा के सर मे हाथ घूमने लग जाती,,,,उधर करण अपने लंड
को हाथ मे लेके सहला रहा था,,तभी शोभा ने शिखा के बूब्स को मुँह से निकाला ऑर पलट
कर करण की तरफ हो गई ऑर करण के हाथों से उसके लंड को आज़ाद करके अपने मुँह मे क़ैद
कर लिया इस से पहले करण कुछ समझ पाता उसका लंड शोभा के मुँह मे पूरा अंदर तक
घुस चुका था ऑर शोभा ने जल्दी से करण के लंड को पूरा मुँह मे लेके तेज़ी से सर को उपर
नीचे करना शुरू कर दिया था करण ने भी एक ही पल मे शोभा के सामने हथियार डाल
दिए थे ऑर आराम से सर पीछे करके बेड पर लेट गया था उधर शोभा तेज़ी से करण के लंड
को पूरा मुँह मे लेके चूसने लगी हुई थी इधर मैं शिखा की चूत को पूरा मुँह मे
भरके चूस रहा था ,,,,,,,,ना तो करण कुछ बोल रहा था ओर ना ही शिखा वो दोनो बस
बेड पर लेटे हुए मस्ती मे सिसकियाँ ले रहे थे,,..

तभी कुछ देर करण का लंड चूसने के बाद शोभा उठी ऑर उसने करण को भी हाथ पकड़
कर उठा दिया करण भी चुप चाप उठ गया ,,,,,,शोभा ने करण को शिखा के सर के पास
बिठा दिया ऑर उसके लंड को अपने हाथों मे पकड़ कर शिखा मे मुँह मे पास कर दिया
पहले तो करण ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन शोभा ने उसको पकड़े रखा ऑर शिखा ने
भी अपने फेस को दूसरी तरफ टर्न कर लिया लेकिन मैने शिखा के फेस को पकड़ कर वापिस
करण के लंड की तरफ घुमा दिया ऑर खुद जल्दी से एक हाथ से शिखा की चूत मे तेज़ी से
उंगली करने लगा शोभा का हाथ भी तेज़ी से करण के लंड पर आगे पीछे होते हुए मूठ
मारने मे लगा हुआ था ताकि मज़ा कम होते ही करण पीछे नही हट जाए हम दोनो भाई
बेहन की करामात काम आई ऑर जहाँ शिखा ने अपने मुँह को खोल दिया था अपने ही भाई
के लंड को चूसने के लिए वहीं करण ने भी थोड़ा आगे होके अपने लंड को शिखा के मुँह
के करीब कर दिया था ऑर एक ही पल मे शिखा ने सर उठाया ऑर कारण ने लंड को नीचे करके
शिखा मे मुँह मे डाल दिया ऑर शिखा ने बड़े प्यार से अपने भाई के लंड को चूसना शुरू
कर दिया उधर शिखा के उपर से होते हुए शोभा ने मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया ऑर
चूसने लगी ,,,,,करण ऑर शिखा का ध्यान हम भाई बेहन की तरफ आया तो उन लोगो ने शरम
को बिल्कुल उतार फेंका ऑर मस्ती मे एंजाय करने लगे,,,,,शिखा बेड पर पीठ के बल लेटी हुई थी
ऑर करण उस्की लेफ्ट साइड पर सर के पास घुटनो के बल बैठा हुआ था ऑर अपने लंड को शिखा के
मुँह मे डालके हल्के से उसको लंड चुस्वा रहा था उधर मैं शिखा की राइट साइड पर
अपने घुटनो के बल बैठा हुआ था ऑर शिखा की चूत मे उंगली कर रहा था ऑर शोभा शिखा
की लेफ्ट साइड से उसके पेट से उपर से होते हुए मेरे लंड को मुँह मे लेके चूस रही थी अब तक
मेरी तरह करण का हाथ भी शोबा की चूत पर पहुँच गया था जैसे मैने शोभा को लंड
चुसवाते हुए शोभा की चूत मे उंगली कर रहा था वैसे ही करण शिखा को अपना लंड
चुस्वाता हुआ शिखा की चूत मे उंगली कर रहा था,,,,,


कुछ देर बाद शोभा उठी ऑर एक साइड होके मेरे पास आ गई ऑर मुझे बेड पर लेटा दिया फिर
खुद टाँगें खोलकर मेरे उपर आ गई हम लोग 69 के पोज़ मे आ गये ,,,उसने मेरे लंड को
मुँह मे भर लिया ऑर मैने अपने हाथों से उसकी गान्ड को अपने फेस से दबा लिया ऑर उसकी
चूत को जबरदस्त तरीके से मुँह मे भरके चूसने लगा वो भी उसी अंदाज़ मे मेरे
लंड को चूसने मे लगी हुई थी तभी मुझे बेड पर हल्की से हरकत महसूस हुई मैने जब
साइड होके देखा तो करण भी अपनी बेहन के उपर झुक गया था ऑर अपने सर को शिखा की
चूत पर रख दिया था,,फिर खुद की कमर को उपर नीचे करते हुए लंड को शिखा के मुँह
मे अंदर बाहर करते हुए खुद उसकी चूत को चूसने ऑर चाटने मे लग गया था,,,,,,,पूजा
ने करण को अब तक काफ़ी कुछ सिखा दिया था कुछ ही दिनो मे उसी का ये असर था कि आज करण
अपनी बेहन को खुश करने के लिए जी जान से मेहनत करने मे लगा हुआ था ,,,करण का लंड
मेरे लंड जितना लंबा था लेकिन मेरे लंड से बहुत पतला था शिखा करण के पूरे लंड को
अपने मुँह मे ले रही थी करण भी खुद अपनी कमर को उपर नीचे करते हुए अपने ज़्यादा से
ज्याद लंड जो शिखा के मुँह मे घुसा रहा था उधर शिखा भी पूरे लंड को मुँह मे
लेती हुई करण की गान्ड को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने सर पे नीचे की तरफ दबा रही
थी ऑर करण के पूरे लंड को गले से नीचे लेने की कोशिश कर रही थी हालांकि करण का सारा
लंड शिखा के मुँह के अंदर था फिर भी शिखा ऑर ज़्यादा लंड लेने को तैयार थी,,इधर
मेरा ऑर शोभा का भी यही हाल था शोभा खुद अपने सर को मेरे लंड पर दबा कर मेरे
पूरे लंड को मुँह मे ले रही थी साथ ही अपनी गान्ड को मेरे मुँह पे दबा कर अपनी पूरी
चूत को मेरे मुँह मे भरने की कोशिश कर रही थी,,,,मैं भी मस्ती मे अपनी कमर
को उछाल उछाल कर अपने लंड को उपर करके शोभा के मुँह को चोदने मे लगा हुआ था
ऑर साथ ही शोभा की गान्ड को अपने हठों मे पकड़ कर अपने मुँह पे दबा कर उसकी पूरी
चूत को मुँह मे भरके चूसने मे लगा हुआ था,,,,,,,,,,
 
फिर कुछ देर बाद शोभा मेरे उपर से उतर गई उसने करण को भी शिखा के उपर से हटा
दिया ऑर जल्दी से शिखा को भी पकड़ कर उठा दिया ऑर शिखा के लिप्स को फिर से अपने लिप्स मे
जकड कर किस करने लगी कुछ देर बाद उसने शिखा की टाँगो को खोला ओर उसको मेरे उपर
कर दिया जिस से शिखा की चूत मेरे फेस के उपर आ गई ओर मैने जल्दी से उसकी चूत को मुँह
मे भर लिया ओर शोभा खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत मे लेके आगे की
तरफ झुक गई ऑर करण के हाथ को पकड़ कर उसको अपनी गान्ड की तरफ पीछे कर दिया करण
भी पीछे हो गया शोभा ने करण के लंड को पकड़ा ऑर अपनी गान्ड के होल पर रख दिया



करण ने भी आगे होके लंड को शोभा की गान्ड मे घुसा दिया नीचे मेरा लंड शोभा की
चूत मे था ऑर मैं शिखा की चूत को चूस रहा था शोभा ने अपने सर को शिखा के
बूब्स पर रख दिया ऑर उसके बूब्स चूसने लगी जबकि पीछे से करण उसकी गान्ड ओर नीचे से
मैं उसकी चूत को चोदने लगे,,,,,,,,करण का ध्यान सामने उसकी बेहन शिखा की तरफ
था ऑर शिखा भी बड़े प्यार से मस्ती भरे अंदाज मे अपने भाई को देख रही थी इसी मस्ती
मे शिखा शोभा के सर को अपने बूब्स पर दबा रही थी ऑर अपनी चूत को मेरे मुँह से
दबा रही थी मैं भी नीचे से शिखा की चूत को चूस्ता हुआ शोभा की चूत को चोदने मे
लगा हुआ था जबकि करण भी शिखा की मस्ती भरी आँखों को देख कर शोभा की गान्ड को
तेज़ी से चोदने मे लगा हुआ था,,,,,,,शिखा के लिए ये एक नया अनुभव था जबकि करण तो
ये सब देख कर ही पागल हो चुका था,,,,,,हम लोग करीब 5-7 मिनट ऐसे ही चुदाई करते
रहे,,,फिर शोभा मेरे उपर से उतर गई ऑर करण ने भी अपने लंड को शोभा की गान्ड मे से
निकाल लिया फिर शोभा ने जल्दी से शिखा को भी मेरे फेस के उपर से उतारा ऑर उसको वैसे
ही मेरे उपर ऐसे झुका दिया जैसे कुछ देर पहले वो झुकी हुई थी अब शिखा की चूत मेरे
लंड के पास थी ऑर मैने भी कोई देर किए बिना अपने लंड को शिखा की चूत मे पेल दिया
ऑर शोभा ने पीछे जाके करण के लंड को मुँह मे भर लिया ऑर उसको थूक से चिकना करके
उसकी बेहन शिखा की गान्ड पर लगा दिया करण ने भी कोई देर नही की ऑर जल्दी से लंड को
शिखा की गान्ड मे घुसा दिया लंड अंदर जाते ही शिखा एक दम से उछल गई क्यूकी उसने
इतना मज़ा ज़िंदगी मे कभी नही किया था जितना मज़ा वो आज कर रही थी करण ने भी कभी
मेरे साथ मिलके पूजा को नही चोदा था क्यूकी जब भी हम एक साथ होते तो वो अकेला पूजा
को ऑर मैं अकेला मनीषा को चोदता था,,,,कभी हम दोनो ने एक साथ पूजा या मनीषा
को नही चोदा था .......उसके लिए भी ये सब नया था ऑर उसको भी इस नये मज़े से कुछ ज़्यादा
ही मस्ती चढ़ने लगी थी वही हाल शिखा का था एक साथ 2 लंड से चुदाई ज़्यादा देर तक
बर्दाश्त नही हुई शिखा से ऑर जल्दी से उसने पानी छोड़ दिया उसके पानी निकलते ही वो जल्दी
से साइड मे हो गई लेकिन मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर उसके नीचे उतरते ही शोभा वापिस मेरे उपर
आ गई जैसे पहले थी लेकिन इस बार उसकी पीठ थी मेरी तरफ ऑर उसके हाथ बेड पर थे ऑर
वो पीठ झुका कर अपनी गान्ड को मेरे लंड के करीब करके अपने हाथों का सहारा बेड
पर लेके झुकी हुई थी जबकि उसका उपरी हिस्सा करण के सामने था,,,जैसे उसके बूब फेस ऑर
चूत भी,,,


सॉफ जाहिर हो रहा था कि वो गान्ड मे मेरा मोटा मूसल लेना चाहती थी
जबकि चूत मे करण का लंबा ऑर पतला लंड,,,,मैने लंड को हाथ से पकड़ा ऑर उसकी गान्ड
पर लगा दिया उसने खुद नीचे होके लंड को गान्ड मे ले लिया ऑर उपर से करण ने अपने
लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया ऑर चुदाई करते टाइम शोभा के उपर झुककर शोभा के
बूब्स को चूसने लगा,,साइड मे लेटी हुई शिखा अभी तक हाँफ रही थी ऑर हान्फते हुए वो हम
लोगो की चुदाई देख रही थी,,,,,,मैं नीचे से तेज़ी से शोभा की गान्ड मार रहा था जबकि
उपर से करण शोभा के उपर झुक कर उसकी चूत मारता हुआ उसके बूब्स को चूस रहा था,,


शोभा कुछ बोल नही रही थी बस तेज़ी से सिसकियाँ लेती हुई चिल्ला रही थी क्यूकी आज उसका भी
पहला दिन था 2 असली लंड से चुदाई करने का ,,,,,,,पहले तो वो अक्सर एक असली ऑर एक नकली लंड
से चुदाई करवाती थी लेकिन आज 2-2 असली लंड उसकी चुदाई कर रहे थे उसके लिए भी ये नया
तजुर्बा था लेकिन मेरे लिए अब कुछ नया नही था,,,मेरे लिए सब खेल पुराना हो गया था
लेकिन हर बार खेलने के दौरान मज़ा नया ही आता था,,,,,हर बार एक अलग मस्ती चढ़ती थी
मुझे जैसे आज शिखा ऑर करण के साथ चुदाई कारने की मस्ती चढ़ि हुई थी,,जहाँ शिखा
2 लंड को ज़्यादा देर तक नही झेल सकी थी वहीं शोभा काफ़ी देर से डटी हुई थी 2 लंड लेने
मे लेकिन ज़्यादा देर तक वो भी नही टिक सकी थी उसने भी जल्दी ही पानी छोड़ दिया था लेकिन
अभी तक मेरा पानी नही निकला था ऑर करण पहले एक बार पानी निकल चुका था अपनी बेहन
की चूत मे इसलिए अभी तक टिका हुआ था वो भी,,,शोभा की चूत ने पानी छोड़ा था लेकिन
शोभा ने हमारा साथ नही छोड़ा था वो अभी भी पानी निकलने के बाद चुदाई मे साथ दे
रही थी हमारा ये बात देख कर शिखा कुछ हेरान लग रही थी तभी मैने शिखा की
तरफ देखा तो वो मुस्कुराने लगी उसकी मुस्कुराहट मे एक अजीब सी खुशी ऑर एक संतुष्टि थी
जैसे कि आज उसकी चूत की सारी प्यास भुज गई थी लेकिन साथ ही एक वासना भी थी उसके चेहरे पर
जिसका मतलब था कि वो एक बार ऑर चुदने को तैयार हो चुकी थी,,,,,शोभा भी अब तक दो बार
पानी निकलवा चुकी थी अपनी चूत का एक तो यहाँ बेड पर ऑर एक बार रूम मे बाहर जब
वो हम लोगो को देख रही थी बाहर खड़ी होके,,,


शिखा अपनी जगह से उठी ऑर उसने शोबा को किस करने शुरू कर दिया शोभा भी उसकी बात को
समझ गई उसको पता लग गया था कि शिखा अब फिर से तैयार हो गई है इसलिए वो मेरे उपर
से हट गई ऑर मैं भी जल्दी से खड़ा हो गया ऑर शिखा को पकड़ कर शोभा से अलग करके
अपनी गोद मे उठा लिया शिखा ने भी अपनी बाहों को मेरे गले से जकड कर खुद को मेरे
से चिपका लिया ओर मैने उसको टाँगों से पकड़ कर उसकी टाँगों को खोला ऑर लंड को उसकी
चूत मे घुसा दिया इतने मे शोभा ने करण को पकड़ा ऑर शिखा के पीछे खड़ा कर दिया
करण ने भी अपने लंड को शिखा की गान्ड मे घुसा दिया ऑर शिखा की कमर को पकड़
कर तेज़ी से शिखा की गान्ड को चोदने लगा,,शिखा मेरी गर्दन मे बाहें डालके लटकी हुई
थी ऑर मैं उसकी गान्ड को हाथों से पकड़ कर तेज़ी से उसको उपर नीचे करते हुए लंड को उसकी
चूत मे डालके चोद रहा था जबकि करण उसके पीछे खड़ा होके उसकी कमर को हाथों
से पकड़ कर लंड को उसकी गान्ड मे डालके तेज़ी से उसकी गान्ड को चोदने मे लगा हुआ था



आज अब तक की चुदाई मे किसी ने एक भी लफ़्ज नही बोला था क्यूकी माहौल ही ऐसा बना हुआ था
सब लोग चुपचाप मस्ती कर रहे थे लेकिन फिर भी शिखा ऑर कारण की हल्की हल्की सिसकियाँ तो
माहौल मे गूँज ही रही थी जिस से ऑर ज़्यादा मस्ती चढ़ने लग जाती थी शोभा हमारे पास
खड़ी हो गई ऑर उसने शिखा के सर को पकड़ कर अपनी तरफ मोड़ लिया ऑर जल्दी से उन्दोनो ने
फिर से किस शुरू करदी मैं तो पागलो की तरह आज शिखा की चुदाई कर रहा था ऑर कुछ हद
तक पागलपन करण की चुदाई मे भी झलक रहा था वो भी आज मस्ती मे पूरी तेज़ी से ऑर काफ़ी
लंबे टाइम से मैदान मे डटा हुआ था आख़िर उसकी अपनी बेहन से पहली चुदाई थी एक अलग
ही मज़ा था उसके लिए इसी एग्ज़ाइट्मेंट मे ही तो काफ़ी लंबी चुदाई कर रहा था वो लेकिन मेरा
अब होने ही वाला था क्यूकी मैं भी काफ़ी टाइम से चुदाई करने मे लगा हुआ था इस से पहले
कि मेरा होता मैने शिखा को गोद से उतार दिया ऑर उसके उतरते ही मैने उसको बेड पर लेटा
दिया ऑर करण को जल्दी से उसके उपर चढ़ा दिया करण ने भी जल्दी से अपने लंड को शिखा की
चूत मे घुसा दिया ऑर फिर से चुदाई शुरू करदी लेकिन दोनो का ध्यान मेरी तरफ था क्यूकी
मैं बेड पर खड़ा हुआ था ऑर शोबा मेरे पास घुटनो के बल बैठी हुई थी ऑर मैं अपने
हाथ को तेज़ी से लंड पर आगे पीछे कर रहा था जबकि शोभा मुँह को खोल कर मेरे पानी को
पीने के लिए तैयार बैठी थी कुछ ही पलों मे लंड ने पिचकारी मारना शुरू कर दिया ऑर मैने
सारा पानी शोभा मे मुँह मे निकाल दिया ऑर शोभा ने भी सारा पानी पी लिया,,ये देख कर
करण ऑर शिखा कुछ ज़्यादा ही मस्त हो गये करण ने अपनी स्पीड तेज करदी जबकि शिखा ने
अपने भाई को सर से पकड़ कर नीचे कर लिया ऑर फिर दोनो की लिप्स किस शुरू हो गई अब तो उन
लोगो को कोई टेंशन नही थी कि वो लोग भाई बेहन है अब तो वो पति पत्नी या गर्लफ्रेंड-बाय्फ्रेंड की तरह
मस्ती करने मे लगे हुए थे,,,,,,करीब 5-7 मिनट की एसी चुदाई के बाद करण ऑर शिखा
ने एक ही साथ पानी छोड़ा ऑर बेड पर लेट कर हाँफने लगे उधर मैं ऑर शोभा दीदी भी
नंगी होके बाहों मे बाहें डालके लेटे हुए थे इधर करण ने भी अपनी दीदी की अपनी
बाहों मे भर लिया था ,,,,,
 
उस दिन सोनिया के आने से पहले हम लोगो ने एक बार ओर चुदाई की थी ,करण ओर शिखा दोनो ही
बहुत खुश थे,,,,,,

शोभा तुम ऑर सन्नी कब्से,मेरा मतलब,,,,,,,,,शिखा ने अभी बोलना शुरू ही किया था कि
शोभा ने उसकी बात को बीच मे ही काट दिया

शोभा--हमे काफ़ी टाइम हो गया है शिखा ,,,कितना टाइम हो गया है ये तो याद नही,,,लेकिन इतना पता
है कि जब भी हमको मोका मिलता है हम उस मोके का पूरा फ़ायदा उठाते है,,कोई भी मोका
हाथ से नही जाने देते,,,,,,,,,,ऑर आज से तुम दोनो भाई बेहन भी इस खेल का पूरा लुफ्त उठा सकते
हो ऑर वो भी बिना किसी डर के अपने ही घर मे,,,,ना बदनाम होने का डर ना कोई टेन्षन,,,,

शोभा क्या तुमको नही लगता ये ग़लत है,,,,,,हम लोग भाई बेहन है,,,,,,,शिखा ने बोला???

नही शिखा ये ग़लत नही है,आख़िर हम लोग भाई बेहन है लेकिन उस से पहले हम लोग लड़का
ऑर लड़की है,,,ऑर किसी लड़के का किसी लड़की से ऐसा करना आम बात है ऑर वैसे भी हम बाहर
भी तो किसी लड़के से ये सब कर सकती है तो फिर घर मे क्यूँ नही,,,बाहर जाके ये सब करने
मे कितना डर लगता है कितना जोखिम होता है कल को कोई भी आपको बदनाम कर सकता है
लेकिन घर मे ये सब करने से ऑर वो भी अपने भाई के साथ,,,,इससे ना तो कोई परेशानी है ऑर
ना ही कोई टेन्षन,,एक डर ज़रूर होता है कि घर मे किसी को ना पता चल जाए इसलिए हम लोग
ऐसा तभी करते है जब घर पे कोई नही होता,,,,,,,जैसे कि आज,,,,,,,,,,

शोभा दीदी ने उसको सिर्फ़ मेरे ऑर उनके बारे मे बताया ना कि बुआ या किसी ऑर के बारे मे,,,,,,,,,

शिखा--हाँ ये बात तो ठीक है शोभा कि बाहर करने मे बहुत जोखिम होता है कल को कोई भी आपको
बदनाम कर सकता है,,,,,मैं भी तो बदनाम होने लगी थी लेकिन सही टाइम पर सन्नी ने
मुझे बचा लिया बदनाम होने से ,,,,,,फिर शिखा ने अमित ऑर वीडियो वाली बात भी बता दी
लेकिन इतना नही बताया कि मैने उसको ब्लॅकमेल किया बल्कि उसने तो ये बताया कि मैने सन्नी
को अपनी चूत का तोहफा दिया था खुद को बचाने क लिए,,,,,,,,,,

क्या दीदी,,,,,,,,,,अमित ने ऐसी हरकत की आपके साथ,,,,,,,,,,करण गुस्से मे बोला,,,,,,,,आपने मुझे
बताया क्यूँ नही मैं उस साले को जान से मार दूँगा,,,,,,,,,,,,,,

सन्नी--करण तुम शांत रहो प्ल्ज़्ज़ जल्दबाजी मे कुछ भी करना ग़लत है,,,,,हम लोग कोई तरीका
निकाल लेंगे अमित को सज़ा देने के लिए,,,,तुम बस देखते जाओ मैं क्या करता हूँ,,,,,,,

शिखा ऑर शोभा भी करण को समझाने मे लगी हुई थी तभी शिखा ने करण को किस किया ऑर
पल भर मे करण का गुस्सा शांत हो गया,,,,,,,,,,,,,

देखा भाई ने कितने आराम से गुस्सा कंट्रोल कर लिया बेहन के साथ किस करके,,,,,,,,मैं ऑर
शोभा दीदी हँसने लगे,,,,,,,,,,,

चलो अब बहुत हो गया जल्दी से कपड़े पहन लो सोनिया आने वाली है,,,, शोभा ने कहा

करण-लेकिन मेरा तो अभी ऑर दिल करता है शिखा दीदी के साथ मस्ती करने को,,,,,,,,,,,,


शिखा--हाँ मेरे भाई मेरा भी बहुत दिल करता है,,,,,,,,,,,,

जितनी मस्ती करनी है अब घर जाके करना वरना कोई पंगा हो जाना है यहाँ पर,,,,,ऑर वैसे
भी तुम लोगो का अब जब भी दिल करे अपने घर मे मस्ती कर सकते हो जब भी आंटी बाहर
जाए कहीं,,,,,अंकल तो वैसे भी बाहर चले गये है ,,,अब क्या टेन्षन जब दिल करे तब मस्ती
करना,,,,,,,,,भाई बेहन मस्ती करो खुश रहो ऑर चुदाई करके सुखी रहो ना कोई टेन्षन
ना कोई डर,,,,,,,,,,,,,इसी को कहते है परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई सुख नही है शोभा ने कहा

सब लोग हँसने लगे ऑर अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गये करण ऑर शिखा बाइ बोलके
चले गये लेकिन अभी तक दोनो का दिल नही भरा था चुदाई करके ,,,पक्की बात थी अगर उनकी
माँ घर पे नही हुई तो वो लोग जाते ही चुदाई शुरू कर देंगे,,,वैसे मेरा भी दिल कर रहा
था शोभा की चुदाई करने को लेकिन क्या करू हिट्लर जो आने वाली थी,,,,अब कुछ नही हो सकता
था,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी खाना तैयार करके किचन मे चली गई ऑर मैं भी दीदी के पीछे पीछे
चला गया,,,,,

सन्नी--चलो दीदी मेरा वादा तो पूरा हुआ,,,आपको एक मूसल दिला ही दिया मैने,,,वो भी अपने दोस्त करण
का ,,,,अब आप की बारी है मेरे लिए किसी चूत का इंतज़ाम करने की,,,,,

अच्छा तो तूने मुझे दिलवाया करण का मूसल,,,,मैं बाहर खड़ी सब सुन रही थी ऑर अगर मैं
नही होती तो तू गया था सन्नी,,,,दीदी हँसने लगी,,,

सन्नी--चलो जो भी हुआ दीदी लेकिन मेरी वजह से आपको एक मूसल तो मिला ना,,,,क्यूँ मज़ा आया ना करण के
मूसल के साथ चुदाई करने मे ,,,,,,,

शोभा--हाँ सन्नी बहुत मज़ा आया,,ऑर थॅंक्स तेरी वजह से मुझे एक बड़ा मूसल मिल गया ,,लेकिन उसका
मूसल बहुत पतला है फिर भी मज़ा बहुत देता है,,,,,,

सन्नी--हाँ दीदी लेकिन मज़ा तो देता है ऑर फिर अपने उस छोटे लंड से तो बेहतर ही है ना,,,,मैने दीदी
को इतना बोला तो दीदी घुरके देखने लगी मुझे,,,,,

कॉनसा छोटा लंड सन्नी,,,,,दीदी सवालिया नज़रो से देखने लगी मुझे,,,,,

अरे वही बुआ का नकली छोटा लंड दीदी,,,,,,मैने बात को टालते हुए बोला,,,,

अच्छा उसकी बात कर रहा है तू मैं तो कुछ ऑर ही समझी थी,,,,,दीदी ने चैन की साँस ली,,,,

आप क्या समझी थी दीदी,,,,,,मैने शरारती अंदाज़ मे पूछा,,,,

शोभा--कुछ नही,,,,तू अब जा यहाँ से मुझे काम करने दे सोनिया बस आती ही होगी,,,,,

सन्नी--लेकिन दीदी मेरी उस चूत का क्या,,,जो आपने वादा किया था,,,,

शोभा--ठीक है मैं देखती हूँ कुछ ऑर इंतेज़ाम करती हूँ तेरे लिए एक चूत का,,,तू बस जा अब यहाँ से
सोनिया किसी भी टाइम आने ही वाली होगी,,,,,

मैं किचन से बाहर निकला ऑर अपने रूम मे फ्रेश होने चला गया,,,

कुछ देर मे कविता ऑर सोनिया दोनो आ गई ,,,,,,कविता की आँखें अभी भी लाल थी सुबह टाइम तो
उसने आँखों पे चश्मा लगाया हुआ था लेकिन अभी घर के अंदर चश्मा नही था उसकी
आँखों पर ,,,,,मैं उसकी तरफ देख रहा था तो कविता मेरे से नज़रे चुरा रही थी तभी
सोनिया ने मेरी तरफ देखा ऑर गुस्से से मुझे नज़रे दूसरी तरफ करने का इशारा किया उसने
ऐसा इसलिए किया था ताकि दुखी ऑर रोती हुई कविता को ये एहसास ना हो जाए कि मुझे भी पता
चल गया है उसका चेहरा देख कर कि वो उदास है इस से उसको ऑर ज़्यादा हर्ट होता,,,,

सोनिया--चलो कविता तुम बाथरूम मे जाके फ्रेश हो जाओ मैं खाना लगा देती हूँ,,,,कविता नीचे
माँ के रूम मे चली गई फ्रेश होने ऑर सोनिया ने हॉल मे किचन की साइड मे लगे बेशन
पर ही मुँह हाथ धो लिया ऑर किचन मे चली गई जहाँ शोभा खाना बना रही थी फिर
सोनिया बर्तन लेके डाइनिंग टेबल पर रखके वापिस किचन मे चली गई ऑर खाना सर्व करने
मे शोबा दीदी भी उसकी हेल्प करने लगे इतने मे मैं भी हाथ धू कर वहाँ आ गई ऑर
एक चेयर पर बैठ गया,,,,,,,मेरे सामने वाली चेयर पर सोनिया बैठ गई जबकि साथ वाली चेयर पर
शोभा दीदी बैठ गई,,,शोभा दीदी मुझे खाना लगाके देने लगी जबकि सोनिया कविता के लिए
प्लेट तैयार करने लगी इतने मे कविता भी माँ के रूम से बाहर आ गई ऑर सोनिया के साथ बैठ
गई,,,,वो चाहे फ्रेश होके आई थी लेकिन फिर भी उसके मासूस चेहरे पर ये उदासी पढ़ने
के लिए किसी को एक पल भी नही लगता,,,,भोली भाले चेहरे पर उदासी दूर से ही झलक जाती है
,,,,,,कविता बैठ गई ऑर सोनिया ने खाने की प्लेट उसकी तरफ करते हमे उसको खाना खाने को
बोला,,,,,,,,,
 
तभी शोभा दीदी बोल पड़ी,,,,,,,,,,क्या हुआ कविता इतनी उदास क्यूँ हो,,,,,,,,,,

कविता--जी नही दीदी वो मैं बस,,,

तुमको देख कर लगता है तुम रोई थी,,,,,कोई प्राब्लम है क्या,,,,,,,,

इस से पहले कविता कुछ बोलती सोनिया ने शोभा की तरफ देखा ऑर फिर मेरी तरफ इशारा करते
हुए ये जताया कि सन्नी के सामने कोई बात नही करो,,,,,,,,

इतने में कविता की आँखों मे फिर से आँसू आने शुरू हो गये,,,,,,,,,,,,

कविता--मुझे भूख नही है सोनिया मुझे कुछ नही खाना ,,,कविता ने खाने की प्लेट को साइड करते हुए नम आँखों
से आँसू पोन्छते हुए बोला,,,,,,,,,,


क्यूँ नही खाना ,,,,,,,,कल से तूने कुछ नही खाया है,,,ऐसे कैसे होगा भला,,,,,,सोनिया
थोड़ा प्यार से उसको समझाते हुए खाने की प्लेट को वापिस उसकी तरफ करते हुए बोली,,,,,,,,,

तभी शोभा दीदी बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी तुम अपना खाना लेके अपने रूम मे जाओ,,,,,हमे
कुछ बता करनी है,,,,,,,,,,,,,शोभा दीदी ने आँखों ही आँखों मे मुझे इशारा कर दिया ऑर
मैं अपनी खाने की प्लेट लेके अपने रूम मे उपर की तरफ चला गया,,,,,,,,,,,,

मैने जाते टाइम सीडियों मे खड़े होके उनकी बात सुनने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही
हुआ वो लोग बहुत स्लोली बात कर रही थी मुझे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था,,,,

तो हार कर मैं अपने रूम मे चला गया ऑर खाना खाने लगा,,,,,,,,,,करीब 15-20 मिनट
बाद जब मैं खाने की प्लेट लेके नीचे आया तब तक वो लोग खाना बीच मे ही छोड़ कर
माँ के रूम मे चली गई थी,,,,ऑर दरवाजा बंद था,,,मैने सोचा क्यूँ ना दरवाजे के पास
जाके सुनूँ तो सही आख़िर मामला क्या है सारा लेकिन जैसे ही मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा तो
दरवाजा खुल गया ऑर सब लोग बाहर आ गई फिर शोभा दीदी अपने रूम मे उपर की तरफ चली
गई ऑर कविता ऑर सोनिया बाहर सोफे पर बैठ गई मैं भी तब तक सोफे पर जाके बैठ गया
कुछ देर बाद शोभा दीदी ड्रेस चेंज करके वापिस नीचे आई फिर सोनिया ऑर कविता के साथ
चली गई,,,,,

,सन्नी मैं ज़रा कविता के घर जा रही हूँ दरवाजा बंद कर्लो मुझे टाइम
लग जाएगा,,,,,,,,इतना बोलकर वो तीनो वहाँ से चली गई जबकि मैं टेन्षन मे सोफे पर
बैठ कर सोचने लगा कि आख़िर पंगा क्या है,,,ऐसी क्या बात हो गई कविता के घर जो शोभा
दीदी भी उसके घर चली गई है,,,,,,,,,,खैर मैने ज़्यादा टेन्षन भी नही ली ऑर आराम से बैठ
कर टीवी देखने लगा,,,,,,,



डॅड अपने टाइम पर घर आ गये ऑर आके फ्रेश होने लगे इतने मे मैने कॉफी तैयार करदी
डॅड के लिए,,,,,,,,,,,डॅड बाहर आए ऑर कॉफी पन लगे,,,,,,,,,,,,,

डॅड--तुम अकेले हो घर पे बाकी लोग कहाँ है,,,,,,,,,,

सन्नी--डॅड शोभा दीदी ऑर सोनिया कविता के घर गई है ,,,शायद कविता के घर मे कोई प्राब्लम है
डॅड इसलिए शोबा दीदी भी सोनिया के साथ गई है,,,,,,,,थोड़ी देर मे आ जाएगी,,,,,,,,,,

फिर ना डॅड ने कोई बात की ऑर ना मैने,,,वैसे भी हम लोगो मे कम ही बात होती थी,,,डॅड
मेरे से तब बात करते थे जब मेरे बारे मे कोई खबर मिलती थी उसको,जैसे पेपर मे
नंबर कम आए हो या कोई शरारत की हो मैने,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर मैं डॅड से तभी बता करता
था जब कुछ चाहिए होता था,,,,,,या पॉकेट मनी लेने के टाइम,,,,,,,,,,,

डॅड ने अपनी कॉफी ख़तम की ,,,,,,,,,,,ओके बेटा मैं भी चलता हूँ मुझे क्लब जाना है,,,

डॅड भी चले गये ओर मैं फिर से अकेला हो गया,,,,,,,,


रात को बुआ ने खाना बनाया ऑर हम लोग बैठ कर खाना खा रहे थे ,,,,,,,,

कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या बेटी,,,,,,,,,डॅड ने सोनिया से पूछा,,,,,,

डॅड की बात का जवाब देने से पहले सोनिया ने पूरे गुस्से मे घूर कर मुझे देखा मानो
आँखों ही आँखों मे बोल रही हो कि सन्नी तुमने डॅड को क्यू बताया,,,,,,,,,

जी नही डॅड वो स्टडी की टेन्षन कुछ ज़्यादा थी इसलिए ,,,,वैसे कोई प्राब्लम नही है,,,,, सोनिया ने डॅड को बताया

हाँ डॅड बड़ी क्लास मे है तो थोड़ी टेन्षन होनी तो लाजमी है,,,शोबा ने जवाब दिया ऑर
फिर सब खाना कहने लगे लेकिन सोनिया अभी भी मुझे ही घूर रही थी,,,,,,

अभी खाना खा ही रहे थे तभी फोन बजने लगा,,,,बुआ फोन के ज़्यादा करीब वाली
चेयर पर बैठी हुई थी इसलिए बुआ ने उठ कर फोन उठाया,,,,ऑर एक पल मे ही फोन को
वापिस टेबल पर रख दिया,,,,,,,,,,,,,शोबा तुम्हारी माँ का फोन है गाँव से,,,,,,,,,,,,,

शोबा से पहले सोनिया उठके फोन की तरफ भागी ऑर फोन उठा कर बात करने लगी,,,,,
बात करते करते ही वो रोने लगी,,,,मुझे लगा कि शायद माँ के चाचा जी का काम हो गया है
इसलिए सोनिया रोने लगी है,,,,,,,,,कुछ देर फोन पर बता करने के बाद सोनिया चेयर पर बैठ
गई,,,,,,,,,,,,

क्या हुआ बेटी सब कुछ ठीक तो है ना,,,,,,,,,,सोनिया रोने लग जाती है तभी शोबा उसके सर को
पकड़ कर अपनी छाती से लगा लेती है ऑर उसको चुप करवाने लग जाती है,,,रो मत पगली बता
ना क्या हुआ,,क्या बोला माँ ने फोन पर,,,,,,,,,,,,,

चाचा जी की तबीयत बहुत खराब है,,,,डॉक्टर ने बोला है कि अब बस 2-4 दिन के मेहमान है
चाचा जी,,,,,वो हम लोगो से मिलना चाहते है आखरी बार इसलिए माँ ने फोन किया है कि
हम सब लोग वहाँ आ जाए,,,,,,,,,,,,,, सोनिया ने रोते हुए बताया

ठीक है सोनिया हम सब लोग कल सुबह ही चलते है गाँव ,तू रो नही ,,,कुछ नही होगा
चाचा जी को,,,,,,,,,,,,,, मैने सोनिया को कहा

तभी डॅड गुस्से मे ,,,,,,,,,मुझे कहीं नही जाना ऑर ना ही गीता को,,,,,,,जिसको जाना है जाओ
,,,,,,,,,इतना बोलकर डॅड खाना छोड़ कर अपने रूम एम नीचे की तरफ चले जाते है,,,,

सोनिया रोती रहती है ,,,,,,,,,,,,,,जिसको नही जाना मत जाओ मुझे तो जाना है ऑर अभी जाना है,,,
सोनिया भी गुस्से मे एक तरफ से अपना फ़ैसला सुना देती है,,,,वो भी कम गुस्से वाली नही है

डॅड अभी सीडियों तक पहुँचे ही थे कि सोनिया की बात सुनके वापिस पलट गये,,,,,,,,

जिसको जाना है जाओ लेकिन मुझे मत बोलो जाने को,,,,,,,,डॅड ने फिर से गुस्से मे बोला ऑर
नीचे चले गये,,,,,,,,,,,,,,,,तभी बुआ ने सोनिया को गले से लगा लिया,,,,,,,,,बेटी तुम अपने डॅड
की बात का गुस्सा मत करना तुमको पता ही है कि वो गाँव जाने को कभी तैयार नही होंगे,,,,
तुम ज़िद्द मत करो ,,,ऑर तुमको जाना है तो जाओ कोई नही रोकेगा तुमको,,,,,,,,अगर अभी जाना है
तो अभी जाओ,,,,,,,,,,,

शोभा,,,,,,,,,,,,लेकिन बुआ अभी ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी इतनी जल्दी मे,,,,,,,,,,,

तभी मैं उठा ऑर सोनिया के पास जाके उसको बाहों मे लेके चुप करवाने लगा,,तू रो मत
पगली ट्रेन की टिकेट नही मिलेगी तो क्या हुआ मैं हूँ ना मैं लेके जाउन्गा तेरे को तू बस
रो मत प्लीज़,,,,,,तेरी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते मुझे,,,,मैं अभी बोल ही रहा था
तभी बुआ बोलने लगी,,,,,

कोई बात नही तुम लोग मेरी कार ले जाओ ऑर अभी चले जाओ,,,,तभी बुआ अपने रूम मे गई ऑर
अपनी कार की चाबी मेरी तरफ बढ़ाते हुए ,,,,,,,,,,,,,,,ये लो सन्नी मेरी कार ले जाओ ऑर सोनिया को
गाँव ले जाओ,,,,,,,,,,,,,

मेरे ऐसे दिल्लासा देने से सोनिया की आँखों से आँसू कुछ कम हो गये थे...

लेकिन बुआ मेरे पास तो लाइसेन्स नही है ऑर इतना लंबा सफ़र,,,,,,,,,,,,,,,,,

कोई बात नही बेटा,,,,,तुम कार ले जाओ कोई टेन्षन मत लो किसी बात की,,,,,,,,,बुआ ने सोनिया की
तरफ इशारा करते हुए बोला,,,मानो मुझे बोल रही हो कि सोनिया को चुप करवाने का यही
तरीका है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ठीक है बुआ ,,,,,,,,तभी सोनिया रोते हुए अपने रूम मे चली गई ओर साथ मे शोबा दीदी भी

सन्नी तुम कार आराम से ड्राइव करना ओर बाकी किसी चीज़ की टेन्षन मत लेना,,,अगर कुछ
गड़बड़ हुई तो मुझे फोन कर देना मैं सब संभाल लूँगी,,,,,,बुआ ने बड़े यकीन
के साथ बोला,,,,,,,,,,,

ठीक है बुआ,,,,,,,,,
 
शोबा दीदी जाने को तैयार नही हुई,,,क्यूकी उनका कोई एग्ज़ॅम था कल जो बहुत ज़रूरी था,,,,इसलिए
मैं ऑर सोनिया रत को निकल पड़े बुआ की कार मे गाँव जाने के लिए,,,,कार से गाँव तक की ड्राइव
कम से कम 8 अवर्स की थी,,,,,मैने अपने 2-3 जोड़ी कपड़े बाग मे डाल लिए थे ओर सोनिया ने
भी पता नही किटन आतिमे लगना था गाँव मे,,,,,,,,,,,हम लोग वहाँ से चल पड़े रास्ते भर
सोनिया रोती रही,,,,वो चुप होने का नाम ही नही ले रही थी,,,मैं तो बस चुप चाप ड्राइव
करता रहा,,,,वो पूरा सफ़र इतना रोती रही कि मैं उसकी तरफ वासना या सेक्स की नज़र से नही बल्कि
पूरा रास्ता उसको तरस ऑर दया की नज़रो से देखता रहा,,,लानत थी जो अब इस हालत मे भी उसको
ऐसी नज़र से देखता,,,,,,,,हालाकी वो रोती हुई भी बहुत मासूम लग रही थी लेकिन मुझे उसके
मासूम चेहरे पर आँसू अच्छे नही लग रहे थे,,,,,रात को करीब 11 बजे हम घर
से चले थे ऑर अगले दिन 9 बजे गाँव मे चाचा जी के घर पहुँच गये थे,,,,वैसे तो
8 अवर्स लगने थे लेकिन गाँव की सड़क बहुत ख़स्ता हालत मे थी इसलिए हमे ज़्यादा टाइम
लग गया था गाँव आने मे,,,,,,,,,,,वैसे भी रात को हल्की बारिश हुई थी जिसस से गाँव की सड़कें
ऑर भी ज़्यादा खराब हो गई थी,,,





मैने घर के गेट के सामने कार रोक दी ,,,गाँव का घर बहुत पुराना बना हुआ था लेकिन
था बहुत बड़ा,,,,लेकिन रहने के लिए 4 रूम थे बाकी सारा आँगन खुला था,,,4 मे से 2 रूम
ही थे जिसमे सोया जा सकता था,,,,एक स्टोर रूम था जबकि एक गोदाम था जहाँ फसल की कटाई
के बाद आनाज़ रखा जाता था,,,,घर के आस पास बहुत सारी ज़मीन थी ऑर गाँव मे घर भी
बहुत कम थे वो भी बहुत दूर दूर थे जो सबसे करीबी घर था वो भी कम से कम
500 मीटर दूर था,,,,,लेकिन ये क्या ,,,,,जैसे ही मैं कार से उतरा सामने देखा कि एक नया घर
बना हुआ था जो गाँव के हिसाब से नही किसी शहर घर के हिसाब से बना हुआ था ऑर इस
घर के करीब ही था,,,,मैं गाँव पहले करीब 4 साल पहले आया था तब ये घर नही था
लगता था अभी अभी बना है,,,वैसे भी देखने से ही लग रहा था कि ये घर कुछ टाइम
पहले ही बना था,,,,,मैं अभी घर को देख रहा था कि सोनिया गेट पर चली गई ऑर गेट पर
नॉक करने लगी,,,,जब तक मैने कार मे से कपड़ो वाला बॅग निकाला तब तक माँ ने गेट खोल
दिया था ऑर सोनिया माँ के गले लग कर रोने लगी थी,,,इतने मे मैं भी गेट पर पहुँच गया
लेकिन मैं रोया नही बस उन माँ बेटी को रोते देख थोड़ा उदास ज़रूर हो गया था,,,,,,,

मैं भी माँ के गले लगा ऑर हम लोग अंदर चले गये ,,,माँ हमे चाचा जी के रूम मे
ले गई चाचा जी का रूम बहुत बड़ा था वैसे घर के सारे रूम ही इतने बड़े बड़े थे कि
शहर मे हमारे घर के 2 रूम ऑर गाँव मे चाचा जी के घर का एक रूम ,,,,रूम मे
चाचा जी बेड पर लेटे हुए थे जो बेड हॉस्पिटल का बेड लग रहा था ऑर साथ मे ही एक चेयर
पर चाची बैठी हुई थी ऑर उनके साथ मामा जी बैठे हुए थे,,,,,मामा जी के पीछे एक
बंदा ऑर खड़ा हुआ था जो देखने मे चाचा जी का बेटा लग रहा था,,,,वैसे इन जनाब को
मैने पहले भी देखा था लेकिन बहुत टाइम पहले आज कल ये शहर मे रहते है अपनी फॅमिली
के साथ,,,,शायद चाचा जी की वजह से ही ये यहाँ आया होगा,,,,,,,,चाचा जी के बेड के पास एक
वेंटिलेटर मशीन पड़ी हुई थी जिस से एक ऑक्सिजन मास्क चाचा जी को लगा हुआ था,,,,चाचा
जी उसकी वजह से साँस ले रहे थे,,,,,,,,सोनिया कमरे मे एंटर होते ही चाचा जी के गले लग कर
रोने लगी,,,,,,तभी चाचा जी ने हल्के हाथों से मास्क उतारा ,,,,,,अभी मैं ज़िंदा हूँ बेटी
अभी तो मत रो,,इतने टाइम बाद आई हो यहाँ अब तो हंस कर मिलो ,,,,,,,तभी चाचा जी ने धीरे
धीरे हाथ उठाकर सोनिया के आँसू पोछे ऑर माँ को बाहर जाके चाइ नाश्ते का इंतज़ाम
करने को बोला,,,,,माँ बाहर चली गई ऑर मैं मामा जी को मिलके चाचा जी के बेटे से मिला
मुझे उसकी शकल कुछ अजीब लग रही थी,,,कुछ जानी पहचानी,,,ये मतलब नही कि मैं
उसको पहले भी मिल चुका था लेकिन अब मैं बड़ा हो गया था ऑर अब मुझे उसकी शकल
कुछ अजीब लग रही थी,,,,उधर सोनिया चाचा जी के गले से हटके चाची के गले लग गई
चाची गाँव की औरत थी छोटी छोटी बात पे जल्दी ही एमोशनल होने वाली औरत सोनिया के गले
लगते ही वो भी मेरी माँ की तरह रोने लग गई,,,,,जबकि चाचा जी हल्की आवाज़ मे गुस्सा करते
हुए चाची को बोल रहे थे कि क्यूँ रुला रही है पगली मेरी बेटी को इतने टाइम बाद शहर से
क्या रोने आई है ये अपने चाचा के पास,,,,,,,वो बंदा चाचा जी का बेटा हमे मिलके बाहर
चला गया ,,फिर मैं चाचा जी को मिला तब तक मामा जी बाहर से 2 चेयर ऑर एक टेबल लेके
आ गये ,,मैं चाचा जी को मिलके चेयर पर बैठ गया ऑर मेरे साथ वाली चेयर पर मामा जी
फिर चाची ऑर सोनिया भी बैठ गई,,,इतने मे माँ चाइ ऑर कुछ बिस्कुट लेके अंदर आ गई ऑर
सामने टेबल पर रख दिए,,,,हम लोग चाइ पीने लगे ऑर बातें करने लगे,,,

आपको बता दूं कि शहर मे कॉन कॉन हैं,,,

किशन लाल,,,,,,,,,,मेरी माँ के चाचा जी जो अभी 65 से उपर की उमर के है,,,गाँव मे खेती
करते है बहुत अच्छे इंसान है,,,ज़मीन भी काफ़ी है घर के साथ लगती जितनी भी ज़मीन
है सब इनकी है,,,ऑर बाकी क्या प्रॉपर्टी है ये मुझे नही पता,,इतना ही पता है कि ज़मीन
पर खेती करते है ऑर उसी की फसल को बेचकर काफ़ी पैसा कमा लेते है लेकिन अभी कुछ टाइम
से बहुत बीमार है,,,

पुस्पा देवी,,,,,,चाची जी,,,,,उमर 60 के आस पास,,,,,,,,गाँव की सीधी साधी औरत है,,हर टाइम
अपने पति की सेवा करती है बस,,,वही इसका धरम है ओर वही कर्म है,,इस से ज़्यादा ऑर कुछ
नही लिखूंगा इनके बारे मे,,,,

केवल किशन,,,,ये चाचा जी का एक्लोता बेटा है 38 ,,आज कल यही रहता है शायद चाचा जी की
वजह से लेकिन वैसे शहर मे रहता है अच्छी नोकरी है ,,अपनी फॅमिली के साथ वही रहता है
इसका इस कहानी से कुछ लेना देना नही है ऑर ना ही इसकी फॅमिली का इसलिए ज़्यादा कुछ नही
लिखूंगा,,,,

 
हम लोग चाइ पी रहे थे तभी चाचा जी ने फिर से अपने हाथ से अपना मास्क निकाला ऑर
मेरे से कुछ बोले लेकिन वो बड़ी स्लो आवाज़ मे बोल रहे थे कि मुझे कुछ समझ नही आ
रहा था इसलिए मैं अपनी चाइ के कप को हाथ मे लेके चाचा जी के पास हो गया ऑर उनकी बात
सुनने लगा,,,,,,,,


तुम दोनो ही आए हो बेटा ,,,कोई ऑर नही आया,,,,,,चाचा जी ने बड़ी आराम से स्लो आवाज़ मे
पूछा,,,,

चाचा जी को भाई का तो माँ ने बता दिया होगा की वो बाहर चला गया है,,,,शोबा के बहुत
ज़रूरी पेपर था इसलिए नही ,,,,,पापा को बॅंक से छुट्टी नही मिल रही थी आना तो वो भी
बहुत चाहते थे लेकिन आपको तो पता ही है,,,ऑर बुआ

अभी बुआ के बारे मे बोलने ही लगा ताकि चाचा जी ने मेरे मुँह पे हाथ रख दिया,,,ऑर
मुझे चुप करवा दिया,,,

तेरे बाप के पास कभी टाइम नही हुआ मेरे लिए ना पहले होता था ऑर ना अब पहले भी वो
तभी मैने देखा कि चाचा के हाथ को चाची ने अपने हाथों मे लिया ऑर तभी बोलते
बोलते चाचा ने चाची की तरफ देखा ऑर चाची ने चाचा को चुप रहने का इशारा किया ऑर
चाचा भी चुप हो गये ऑर एक दम से बात पलट दी चाचा जी ने,,,,,,,,,,,

अच्छा ये बताओ तुम लोगो की पढ़ाई कैसी चल रही है,,,,,,,,,चाचा जी के एक दम बात पलटने से
ऑर चाची के द्वारा चाचा के एक दम चुप हो जाने से जहाँ मैं ऑर सोनिया कुछ सोच मे पड़
गये थे वहीं माँ ऑर मामा सर झुका कर चाइ के कप को मुँह लगा कर चाइ पीने मे लगे थे
मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था ,,,,,,,,,,,,,,स्टडी ठीक चल रही है चाचा जी ,,,,बस आज कल
कुछ ज़्यादा ही बिज़ी रहते है स्टडी मे तभी तो इतना टाइम लग गया गाँव आने मे

हाँ बेटा तुम शहर वाले कुछ ज़्यादा ही बिज़ी हो गये हो जो इस बूढ़े को देखने भी नही
आते ,,,,बड़ी बड़ी इमारतों मे ऑर अपने ऑफीस मे घुटे रहते हो कभी इस गाँव की ठंडी ऑर
सॉफ हवा का लुफ्त उठाने भी आ जाया करो,,,,, चाचा जी ने कहा

नही चाचा जी ऐसी बात नही है,,पहले छोटी क्लास थी तो माँ के साथ कभी कभी आ जाता
था लेकिन अभी बड़ी क्लास मे हूँ तो स्टडी का बोझ कुछ ज़्यादा हो गया है,,,,,ऑर वैसे भी
बड़ी इमारतें अब सिर्फ़ शहर तक ही नही रह गई अब तो गाँव मे भी बड़ी इमारतें बनने
लगी है,,,,,मैने अभी देखा आपके घर से थोड़ी दूर भी एक नया घर बना है जो शहरी
अंदाज मे बना हुआ है,,,,,,,,,,, मैने चाचा जी से कहा

वो घर केवल ने बनाया है,,,,हर रोज गाँव मे आना मुश्किल था मेरे लिए इसलिए 15-20 दिन
मे एक बार आ जाता है 2 दिन के लिए लेकिन शहर वाले को गाँव के घर मे रहना अच्छा नही
लगा इसलिए नया घर बना लिया वो भी शहरी अंदाज़ वाला ,,मुझे भी बोल रहा था उस घर
मे जाने को लेकिन बेटा मैं देसी बंदा इसी घर मे रहने लाएक हूँ,,,,यहीं जन्मा हूँ
ऑर जितना दाना पानी लिखा है इसी घर मे खाउन्गा ऑर मरके ही निकलूंगा इस घर से,,,,,

तभी चाची बोली,,,,,,,,,,,,,,अजी शुभ शुभ बोलो ऐसे गंदे अल्फ़ाज़ मत लाओ अपनी ज़ुबान पर,,इतना
बोलते ही चाची की आँखें फिर से नम हो गई,,,,,,,,,

इस औरत को तो छोटी छोटी बात मे रोना आ जाता है,,,,आख़िर एक ना एक दिन तो मुझे जाना ही है
ना तो इसमे रोना क्या,,,तभी चाचा जी को खाँसी आने लगी ऑर माँ ने जल्दी से उनके हाथ से
मास्क पकड़ा ऑर उनको पहना दिया,,,,,,,,,,

आपको डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से माना किया है आप आराम करो बस,,,अब कोई बात नही करनी,,
तभी माँ ने मुझे ऑर सोनिया को भी रूम से बाहर जाने को बोला,,,,,,,,चलो बच्चों अब इनको
आराम करने दो तुम यहाँ रहोगे तो ये बातें ही करते रहेंगे,,,,,,,मैं चाइ ख़तम कर
चुका था ऑर सोनिया ने भी अपना चाइ का कप टेबल पर रखा ऑर हम लोग रूम से बाहर आ
गये,,,मामा जी उसी रूम मे चाचा जी के पास रहे जबकि माँ ऑर चाची जी बर्तन लेके रसोई
मे चली गई,,,मैं ऑर सोनिया बाहर आँगन मे चारपाई पर बैठ गये हमारा कपड़ो वाला
बॅग भी वही पड़ा हुआ था,,,,,,,

चलो तुम दोनो को तुम्हारा रूम दिखा देती हूँ,,,,,,,तभी चाची हमारे पास आती हुई
बोली,,,,,,चलो बच्चो मेरे साथ,,,,,मैं ऑर सोनिया चाची के साथ चल पड़े वो हमे घर से
बाहर ले जाने लगी तो मैने पूछा चाची कहाँ लेके जा रही हो आप हमे,,,,,,,,,,

बेटा तुम शहरी लोग हो गाँव के घर मे कहाँ रहोगे इसलिए तुम लोगो को केवल के घर मे
लेके जा रही हूँ जो पास मे है,,केवल ने अपने तरीके से नया बनवाया है अभी कुछ ही
महीने पहले,,,,मैने पीछे मूड कर माँ की तरफ देखा तो माँ भी हमे चाची के साथ
जाने का इशारा करने लगी ऑर हम लोग चाची के साथ चल पड़े,,,,,,,,,,,,
 
ये घर चाचा जी के घर से करीब 200 मीटर दूर था लेकिन सबसे करीबी घर यही था
बाकी के घर तो ऑर भी ज़्यादा दूर थे,,,,,,हम लोग अंदर गये तो देखा कि ये घर बहुत
अच्छा बना हुआ था,,,घर मे एक बड़ा सा हाल था जो काफ़ी खुला था जबकि रूम सिर्फ़ 2 ही थे
उपर भी कुछ बना हुआ था लेकिन अभी तक मैं उपर नही गया था,,,,ये घर चाचा जी के
घर से एक दम अलग था जैसे सहरी घर होते है,,,,जहाँ गाँव के घर मे एक तरफ 4 रूम
थे ओर एक खुला आँगन था जहाँ से आसमान सॉफ नज़र आता था,,,वहीं ये घर एक दम से
बंद था चारो तरफ से हॉल तो बहुत बड़ा था लेकिन सारे घर मे छत थी कहीं भी खुली
जगह नही थी गेट के उपर भी जंगला लगा हुआ था कहीं से भी ताजी हवा आने का कोई रास्ता
नही था,,,चाची हमको हमारे रूम मे ले गई,,,,,,,,,,,

ये लो बेटा ये तुम लोगो का रूम है,,साथ वाला रूम केवल का है,,,,

चाची ये घर तो बहुत अच्छा बना हुआ है,,,,,,,,,,मैने चाची से कहा,,,,

क्या खाख अच्छा बना हुआ है,,मुझे तो चिड़ीखाना लगता है हर तरफ से घुटन होने
लगती है,,,,ऑर भला अकेले को ही रहना था तो इतना बड़ा क्यू बनाया एक ही कमरा बना लेता
काफ़ी था,,,,खुद तो यहाँ रहने आ जाता है लेकिन परिवार अभी भी शहर मे है,,वो लोग
नही आते कभी गाँव शहर का कुछ ज़्यादा की असर हो गया है उन लोगो पे ये तो केवल भी
तेरे चाचा जी की वजह से आता है यहाँ,,,,वैसे तो ये भी 1 -1 साल मुँह नही दिखाता अपना,,
चलो अब तुम लोग आराम करो थक गये होगे रात के सफ़र से,,,,,

हम लोग अपने रूम मे गये तो चाची अपने घर को चल पड़ी वापिस,,,,,,,रूम काफ़ी अच्छा था,
बड़ा सा बेड लगा हुआ था एसी भी था रूम मे जबकि चाचा के घर तो चाचा के रूम मे
एक पंखा भी नही था उन लोगो को बिना पंखे के ही नींद आ जाती थी वैसे भी गाँव मे
तापमान सहर के मुक़ाबले काफ़ी कम होता है कम से कम 8 % डिग्री का फ़र्क होता है ये
मुझे भी महसूस हो रहा था,,,इस रूम मे ऑर चाचा के घर जब बैठ कर चाइ पी
रहे थे तब भी इतनी गर्मी का एहसास नही हुआ था,,,जबकि शहर मे तो बिना एसी के कुछ
पल मे ही बुरा हाल हो जाता है,,,,

चाची चली गई ओर सोनिया बेग से अपने कपड़े निकालने लगी ऑर फ्रेश होने बाथरूम मे चली
गई जबकि मैने बेग को बेड पर रखा ऑर घर देखने के लिए रूम से बाहर आ गया नीचे तो
2 रूम ऑर एक किचन के अलावा कुछ नही था तो सोचा क्यू ना घर की छत पे चला जाए तो
मैं उपर की तरफ़ चला गया उपर वाले फ्लोर पर भी कुछ नही बना हुआ था जस्ट एक बड़ा सा
हॉल था ऑर एक सोफा सेट पड़ा हुआ था ऑर कुछ नही था,,,,,मैं वहाँ से भी उपर चल पड़ा
ऑर छत पे चला गया छत भी पूरी खुली थी बस एक रूम था जो सीडियों के उपर ही बना
हुआ था ऑर उसपे लोहे का गेट लगा हुआ था लेकिन जैसे ही मैं छत पर एक तरफ आगे को गया
तो दिल खुशी से झूम उठा,,,,,हर तरफ़ हरे भरे खेत थे दूर दूर तक जहाँ भी नज़र
जाती खेत ही खेत थे वैसे भी जहाँ मैं इस टाइम खड़ा हुआ था ये घर गाँव के सभी
घरों से उँचा था जहाँ से गाँव का एक दम अलग ऑर खुश कर देने वाला नजारा देखने
को मिल रहा था,,मैं बहुत खुश था ये सब देख कर,,,इतनी शांति थी गाँव मे कि यहाँ
खड़े होके एक अजीब सा सकून मिल रहा था दिल को एक अजीब सी खुशी हो रही थी ,शहर के
शोर शराबे से दूर एक शांत जगह आके बड़ा मज़ा आ रहा था,,,,मैं करीब 20-25
मिनट से यहाँ खड़ा हुआ गाँव के शांत ऑर खूबसूरत नज़ारे से दिल को खुश कर रहा था'
तभी सोनिया भी छत पर आ गई ऑर मेरे करीब खड़ी होके छत से गाँव के नज़ारे लेने
लगी,,,,,उसके चेहरे से लग रहा था कि वो भी गाँव आके बहुत खुश थी,,,,,,,

थॅंक्स भाई,,,,,,,,सोनिया ने बड़े ही प्यार भरे अंदाज मे बोला

इसमे थॅंक्स्क्स की क्या बात है,,,,,,,मैने भी उसको जवाब दिया,,,

मुझे यहाँ लेके आने के लिए,,आपको नही पता मैं कितनी खुश हूँ यहाँ आके ऑर मेरे
से भी ज़्यादा खुश है चाचा जी हमारे यहाँ आने से,,,,,चाची मुझे बोल रही थी कि तुम
लोगो के यहाँ आने से आज कितने दिनो या पता नही महीने बाद ही चाचा जी के चेहरे पर
खुशी नज़र आई है,,वो बार बार चाचा जी की वजह से मुझे गले लगा कर शुक्रिया अदा
कर रही थी ऑर बोल रही थी कि हम लोग कुछ दिन यहाँ रुक जाए ताकि चाचा जी को आखरी दिनो मे
कुछ खुशी नसीब हो जाए,,,,,,,,ये सब आपकी वजह से हुआ भाई ना आप मुझे यहाँ लेके
आते ऑर ना चाचा चाची इतने खुश होते,,,,थॅंक्स्क्स्क्स भाई,,,,

इतना बोलते ही सोनिया मेरे गले लग गई ,,,,,गाँव की ठंडी हवा ऑर उपर से सोनिया जैसी लड़की मेरे
गले लगी तो ना जाने एक दम से कितने झटके लगे मेरे बदन को एक ही पल मे एक अजीब सी आग
भड़कने लगी मेरे अंदर दिल मे बेचैनी से भरे तूफान उठने लगे,,उसकी बाहें मेरे
गले मे थी ओर उसके छोटे छोटे बूब्स मेरी छाती से दबने लगे थे ऑर मुझे पागल करने'
लगे थे मेरा दिल चाहा कि कस्के उसको अपनी बाहों मे भर लूँ लेकिन मेरी हिम्मत नही
हुई ,,क्यूकी अगर मैं उसको प्यार से अपनी बाहों मे भर लेता तो पता नही वो क्या करती कहीं
गुस्सा ही ना हो जाती ,,वैसे भी अगर मैं उसको बाहों मे भरता तो शायद होश मे ना रह
पाता ऑर मदहोशी मे कुछ ऐसी वैसी हरकत कर देता इसलिए मैने उसको शोल्डर से पकड़ा ऑर
एक ही झटके मे अपने से दूर कर दिया,,,,,वो दूर होते ही अजीब नज़रो से मुझे देखने लगी
मुझे डर लगने लगा था उसके ऐसे देखने से ओर मैं ज़्यादा बेचैन होने लग जाता था जब
भी वो ऐसे मुझे देखती थी,,,,,,
 
तू मेरे से दूर रहा कर मेरे इतने करीब मत आया कर,,पता नही मुझे क्या हो जाता है जब'
भी तू मेरे करीब आती है,,,तू मेरी बेहन है ओर मैं तेरा भाई लेकिन जब भी तू करीब आती
है तो पता नही मुझे क्या हो जाता है एक अजीब से बेचैनि होने लगती है,,,ओर प्लीज़ तू ऐसे
मत देखा कर मेरी तरफ मुझे डर लगने लगता है तेरे से दिल ऑर ज़्यादा बेचैन हो जाता है
,,,ऑर मैं तुझे तेरे लिए नही चाचा जी के लिए यहाँ लेके आया हूँ ,,,,,,,,,ऑर प्लीज़ दोबारा से'
कभी मेरे करीब आने की कोशिश भी मत करना ये मेरी रिक्वेस्ट है तेरे से प्लीज़,,,


मैने इतना बोला ऑर छत से नीचे चला गया ऑर सोनिया वहीं खड़ी मुझे देखती रही ,,,,


मुझे पता नही क्या हो गया था मैं नीचे अपने रूम मे गया ऑर जल्दी से कपड़े लेके
बाथरूम मे चला गया ऑर शवर ऑन करके उसके नीचे खड़ा हो गया ,,,,मेरा जिस्म इतना
ज़्यादा गर्म हो गया था ऑर बेचैनी इतनी ज़्यादा हो गई थी कि मुझे गबराहट होने लगी थी जैसे
ही शवर के नीचे खड़ा हुआ तो कुछ शांति मिली मुझे,,,,,,,,,,उस एक पल मे आग लग गई थी
मेरे जिस्म मे जब सोनिया मेरे से चिपक कर खड़ी हुई थी,,,पता नही मैने खुद पर क़ाबू
कैसे किया ,,मुझे तो लगा था कि मैं मदहोशी मे कुछ पागलपन कर दूँगा लेकिन नही
मैने उस हालत मे खुद को क़ाबू कर लिया था लेकिन अब क़ाबू नही हो रहा था जल्दी से
लंड को पकड़ा ओर मूठ मारने लगा ऑर 2 मिनट मे ही पानी निकल गया क्यूकी सोनिया के साथ
चिपक कर खड़े होने से ही लंड का पानी निकलने वाला हो गया था ,,एक अजीब से कशिश थी
उसमे एक अजीब खुश्बू थी उसकी जिसने लंड के पानी को एक ही मिनट मे निकाल दिया था,,,,

नहा धो कर जब बाहर निकला तो सोनिया भी नीचे आके बेड पर टांगे ज़मीन पर लटकाए
बैठी हुई थी,,,मैं सिर्फ़ टॉवेल मे था तो सोनिया ने एक नज़र मेरी तरफ देखा ऑर फिर से फेस
को दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैने भी उसकी तरफ ध्यान नही दिया ऑर कपड़े चेंज करके
वहाँ से बाहर चला गया,,,,,जैसे ही उस घर से निकल कर चाची जी के घर की तरफ जा रहा था
तभी चाचा जी के घर से माँ निकल कर मेरी तरफ आ गई,,,,,

सोनिया कहाँ है,,,,,,,,माँ ने आते ही पूछा,,,,,,,,,

वो अपने रूम मे है शायद आराम करने लगी है,,,,,,,मैने जवाब दिया,,,,

तभी माँ ने मेरा हाथ पकड़ा ऑर चाची जी के घर की तरफ वापिस लेके जाने लगी लेकिन वो
मुझे चाची जी के घर नही लेके गई बल्कि चाचा जी के घर के पीछे ले गई जहाँ पर उनकी
गाय भेंसे बँधी हुई थी ,,,,,,,वो एक बड़ा सा आँगन था जिसमे करीब 30-40 गाय
थी ,,,माँ मुझे अंदर ले गई ऑर सामने एक छोटा सा रूम था जहाँ अंदर मामा खड़ा हुआ
था ,,माँ मुझे उसी रूम मे ले गई ऑर जाते ही दरवाजा बंद कर लिया,,,,,,,इस से पहले मैं
कुछ समझ पाता माँ ने मेरे लिप्स को कस्के अपने लिप्स मे जाकड़ लिया ऑर पागलो की तरह किस
करने लगी ऑर जल्दी से अपने ब्लाउस के बटन भी खोल दिए ऑर मेरे हाथ पकड़ कर अपने बड़े
बड़े बूब्स पर रख दिया,,,,,,,

कितना तड़प रही थी मैं तेरे लिए बेटा अच्छा हुआ तू यहाँ आ गया पीछे कुछ दिनो से सिर्फ़ तेरे
मामा के लंड से गुज़ारा कर रही थी आज तो जमके मज़ा लूँगी अपने बेटे ऑर भाई के लंड से
इतने बोल कर माँ ने मेरे लंड को पॅंट के उपर से ही पकड़ कर कस्के दबा दिया,,,,,,

रूको माँ कोई आ जाएगा यहाँ ,,,,,,मैने कहा

तभी मामा बोला,,,,,,,,,,,,,कोई नही आता बेटा यहाँ,,,बस एक काम वाली है जो यहाँ आके जानवरों
को चारा डालती है लेकिन वो सुबह 4 बजे आती है चारा डालके ऑर दूध निकाल के 7-8 बजे
चली जाती है फिर शाम को 5-6 बजे आती है,,,यहीं पर तो पिछले दिनो से मैं ऑर तेरी माँ
मस्ती कर रहे है,,

मैं--लेकिन चाचा ऑर चाची जी,,,,,,,,,,

माँ--बेटा तू टेन्षन मत ले कोई नही आता यहाँ वैसे भी चाचा मेडिसिन लेके सो चुका है ऑर
चाची सारी रात चाचा के पास बैठ कर जागती रहेगी इसलिए अब वो भी सो गई है तू किसी बात
की फ़िक्र मत कर बस मस्ती कर

मैं अभी मामा से बात कर रहा था कि माँ ने मेरी पॅंट को खोल कर मेरे लंड को मुँह
मे भर लिया मेरा लंड तो पहले से सोनिया की वजह से आग मे जल रहा था अब तो बस अपना
जलता हुआ लावा उगलने का इंतजार कर रहा था अब माँ की वजह से पूरी आग भुजा दूँगा
अपने लंड की ओर माँ की चूत की भी मैने भी जल्दी से मस्ती मे आके माँ के सर को कस्के
पकड़ लिया ओर उधर मामा ने अपें कपड़े निकल दिए ओर नंगा हो गया ऑर लंड को हाथ मे
लेके मसल्ते हुए माँ के करीब आ गया माँ ने मेरे लंड को चूस्ते हुए अपना ब्लाउस ऑर
ब्रा निकाल दी थी ऑर उपर का जिस्म नंगा हो गया था ,,,ऑर मुझे भी आँखों से इशारा कर दिया
कि मैं भी अपने कपड़े निकाल दूं मैने भी इशारा मिलते ही अपनी टी-शर्ट निकाल दी जबकि
माँ ने मेरी पॅंट को मेरी टाँगों से अलग करके साइड मे फेंक दिया अब मैं ऑर मामा जी
बिल्कुल नंगे थे जबकि माँ पेटिकोट पहने उपर वाला जिस्म नंगा करके घुटनो के बल बैठ
कर मेरे लंड को मुँह मे लेके चूस रही थी ऑर साथ ही एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए
एक हाथ से मामा के लंड को मूठ मार रही थी फिर कुछ देर बाद माँ ने मेरे लंड को
हाथ से हिलाना शुरू किया ऑर मामा के लंड को मुँह मे भर लिया ऑर पूरा अंदर लेके चूसने
लगी माँ तो बहुत अच्छी खिलाड़ी थी इस खेल की जो पूरा लंड मुँह मे लेके चुस्ती थी चाहे वो
लंड 9 इंच लंबा ही क्यूँ ना हो माँ पूरे लंड को मुँह मे लेके अपनी ज़ुबान को मुँह से
बाहर निकाल देती ताकि ऑर ज़्यादा लंड मुँह मे ले सके लेकिन ऑर लंड बचा ही कहाँ था पहले
से मामा का पूरा लंड माँ के मुँह मे था ऑर मामा के लंड की बॉल्स माँ के चेहरे के नीचे
टकरा रही थी ,,माँ बारी बारी से कभी मेरा ऑर कभी मामा का लंड चूस रही थी जब एक
लंड को चुस्ती तो दूसरे को हाथ मे लेके मसल्ने लगती ऑर एक हाथ से चूत को सहलाती रही,,

फिर कुछ देर बाद माँ उठी ऑर पीछे की तरफ जाके एक पुराना मॅट्रेस निकाला जो चारे की
बोरियों के पीछे पड़ा हुआ था ऑर उसको ज़मीन पर बिछा दिया ऑर तभी मामा आगे होके
मॅट्रेस पर पीठ के बल लेट गया ऑर माँ जल्दी से मामा के उपर चढ़ गई ऑर लंड को अपनी
चूत मे ले लिया फिर मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया ऑर मेरे लंड को मुँह मे भर
लिया ,,,

,नीचे से मामा माँ की चूत मे लंड डालके चोदने लगा हुआ था ऑर उपर से मैं
माँ के मुँह मे लंड डालके माँ के मुँह को चोद रहा था,,माँ लंड चूसने मे काफ़ी स्पीड
दिखा रही थी जिस से लंड के तेज़ी से अंदर बाहर होने से माँ के मुँह से थूक निकल कर
उनके चेहरे से होता हुआ उनके बूब्स पर गिरने लगा था माँ एक हाथ को मामा की छाती से
लगा कर एक हाथ से अपने बूब्स को मसल रही थी ,,बूब्स पर थूक गिरने से बूब्स काफ़ी
चिकने हो गये थे ऑर गोरे रंग के बूब्स तो काफ़ी चमकने लगे थे ,,मामा माँ की गान्ड
को कस्के अपने हाथों से पकड़ कर माँ को तेज़ी से उपर नीचे करते हुए अपने लंड पर ज़ोर
ज़ोर से उछाल रहा था ऑर पूरे जोश से माँ की चुदाई कर रहा था जबकि मैने माँ के सर को
कस्के अपने हाथों मे पकड़ा हुआ था ऑर तेज़ी से लंड को माँ क मुँह मे घुसा रहा था अब
माँ ने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला हुआ था ऑर मेरा लंड पूरा माँ के मुँह मे घुसने
लगा था मेरा आधा लंड माँ के मुँह मे जबकि आधा लंड गले से नीचे उतरने लगा था
ऑर मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था तभी माँ ने मेरे लंड को मुँह से निकालने के लिए
अपने सर को थोड़ा पीछे कर लिया जिस से मेरा लंड माँ के मुँह से निकल गया ऑर तभी माँ ने
मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उनके पीछे जाने को बोला ऑर खुद मामा की छाती पर सर रखके
आगे की तरफ़ झुका कर गान्ड को हल्का सा उपर उठा दिया मैने भी पीछे जाके थोड़ा सा थूक
हाथ मे लगाया ऑर फिर उसको माँ की गान्ड पर लड़ा दिया फिर लंड को हाथ मे पकड़ कर एक
ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया माँ की गान्ड मे ,,,,,,,,,,,

आआआहह उउउउउउउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हहययइईईईई
द्ढहीररी द्दाल ब्बेटया ददार्रद्द हूटता हहाइी त्त्ीररीई माआ कककूऊ आआअहह
उउउहह ,,,,,,,,,,,,,,सॉरी मा वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,क्कूविईई बाआटततटटटटतत्त
न्नाहहिि ब्बीत्त्ताअ ईीससीई ददार्र्र्दद्द म्मीई तत्तूओ आस्सल्लीइीइ माज्ज़जाअ आट्टाअ हहाइईइ
अओउर्रातत्ततत्त ककूऊव गगाआंन्ँदडड़ म्मार्रव्वाननी क्काअ ग्ग्गाअन्न्ंदड़ म्मईए
ददाआर्र्र्द्दद्ड न्ना हहूओ ततुउउउ क्क्य्या फ्फाय्यददाअ ग्गाअंन्दड़ म्मार्रांनी कक्का
ततुउउउ म्मीरीईइ फ्फीककरर म्मात्त्ट क्कार्र बास्स एआईसी हहिि टीज़्जजिि ससीए ल्लुउउन्न्ड्ड़ कूऊव
म्मीरीइ ग्गाअंन्दड़ म्मी ग्घूउसाताअ ररीह ऊरर जजूर्र ददार्ररर द्ड़हाककक्क्ीई
ल्ग्गाअत्ता ररीहह ततुउुज्झहही न्नाहहीी पपाटता त्तीररी ल्लुउन्न्ड्ड़ सीसी ल्लीइयईए म्‍मैईन्न
क्कीिट्त्न्ना त्टाद्दाप्प र्राहहीी टहिईीई ,,,,आआहह आब्ब्ब्बबब त्तीज्ज्ज्जीइ सस्सीए
कचछूड्द ब्बीतता म्मूउज़्झहही ऊरर जजूर्र ससी द्ड़हाक्का ल्लाग्गाअ ररूउक्कणन्ना
न्नाहहिईीई,,,,,,,,,,,,,मैने भी माँ की बात सुनते हुए तेज़ी से पूरा लंड माँ की गान्ड मे पेलते
हुए ज़ोर से धक्का मारना शुरू कर दिया ,,नीचे से मामा भी खुद को उपर उछाल उछाल
कर माँ की चूत मे लंड पेलने लगा माँ बस सिकियाँ लेती रही,,,,,,,,,,,,आज्ज्जज्ज एयेए र्राहहा
हहाइईइ ईत्त्न्ना ंमाज़्जाआ ज्जू ब्बतता न्नाहही स्साककत्तिीई ककब्बसससे त्तर्रस्स र्राहहीी
त्तहिि 2 लुन्न्ञन्ँद्द्द्द्ड ल्लीन्‍नी ककूऊव आहह ऊओररर ज्जूओर्र ससीए छ्छूड्डू
आपपननीी माआ क्कूव ब्बीत्ताअ ,,तुउउंम बभीी आपपननीी ब्बीहानं क्कूव ऊर्रर्ररर
त्टीजजिई ससीए छ्छूड़दूव ब्बाहहिईीईई आअज्ज ततुउउंम द्दूओन्णनू ममिल्ल्लककाररर्र्र्र्र्ररर
पफहाआअद्दद्ड द्दद्ड़ूऊव म्मईररीि कचहूवततत ऊओरर गगाणनदडड़ कककूऊऊऊ
जज़ार्रा बभहिि ररीहहाआंम्म म्मात्ट क्कारंनाआ र्रांन्दडीई ब्बाआंन्ना क्कारररर
कच्छूड़दूव म्मूउज़्झहीई ,,,आअहह क्क्कीिट्त्न्ना ंमाज़्जा आ र्रहहा हहाऐईइ
आअहह उूुुउऊहह हहययययययईई,,,,,,,,मेरा लंड भी ऑर उधर
मामा का लंड भी तेज़ी से माँ की चुदाई करने मे लगा हुआ था उधर माँ की सिसकियाँ भी तेज़ी
से निकल कर अपनी मस्ती को बयान कर रही थी,,,लेकिन माँ ज़्यादा ज़ोर से नही बोल रही थी उसकी आवाज़
उसी कमरे तक सीमित थी बस,,,,,,,,,,,
 
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