hotaks444
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माँ ने एक ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया ऑर अलका की अहह निकल गई,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,
तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,
वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,
लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,
करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,
हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह
उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,
ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,
जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,
मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,
मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,
क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,
मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,
जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,
हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,
अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,
मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,
ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी
चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,
मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,
माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,
माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,
मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,
अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,
मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,
जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,
तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,
अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,
माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,
करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,
माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,
करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,
अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,
तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,
वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,
लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,
करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,
हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह
उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,
ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,
जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,
मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,
मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,
क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,
मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,
जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,
हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,
अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,
मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,
ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी
चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,
मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,
माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,
माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,
मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,
अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,
मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,
जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,
तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,
अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,
माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,
करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,
माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,
करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,
अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,