Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 28 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

माँ ने एक ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया ऑर अलका की अहह निकल गई,,,,

बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,

बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,

तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,

वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,

लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,

करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,

हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह

उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,

ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,

जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,

मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,

मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,

क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,

मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,

जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,

हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,

अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,

मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,

ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी

चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,

मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,

माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,

माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,

मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,

अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,

मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,

जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,

तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,

अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,

माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,

करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,

करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,

अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,
 
आंटी करण की बात सुनके चुप हो गई ऑर माँ की तरफ देखने लगी,,,आंटी को कोई जवाब नही सूझ रहा था,,,

तभी माँ बोल पड़ी,,,,बेटा मेरी ग़लती से अलका की साड़ी पर जूस गिर गया था ,,इसलिए इसकी साड़ी को मैने धो कर सूखने
डाल दिया ऑर इसको अपनी साड़ी पहना दी,,,,माँ बात कर रही थी तो करण माँ की तरफ देख रहा था तो माँ ने उसको आँख
मार दी थी,,,,करण समझ गया कि उसकी माँ अभी आज मेरी माँ के साथ मस्ती कर चुकी है,,,वो खुश हो गया

अब चले माँ,,,,इतना बोलकर वो अलका आंटी को साथ लेके बाहर जाने लगा तभी सामने सोनिया आ गई,,,,

दरवाजा अभी खुला हुआ था,,,सोनिया अंदर आते हुए,,,,,हेलो आंटी,,,

अलका,,,,हेलो बेटी ,,हाउ आर यू,,,

सोनिया,,,आइम फाइन आंटी जी ,,,यू टेल,,,,

अलका,,,,आइम ऑल्सो फाइन बेटी,,,,,आज तुम भी लेट हो गई कॉलेज से,,,

सोनिया,,,,जी आंटी जी वो कविता के घर थोड़ा टाइम लग गया,,,,,आप जा रही हो आंटी जी,,,

अलका,,,,हाँ बेटी मैं तो सुबह से आई हुई हूँ अब जा रही हूँ,,,

सोनिया,,,,,ये तो ग़लत बात है आंटी जी मैं आई ऑर आप जा रही हो,,थोड़ी देर रुक जाओ ना,,,

अलका,,,,नही बेटी अब काफ़ी टाइम हो गया है,,फिर कभी आउन्गी,,,,,ऑर हो सके तो तुम भी कभी आ जाना चाइ कॉफी पीने,,

सोनिया,,,,,जी आंटी पक्का आउन्गी ,,ओके बाइ आंटी जी,

अलका आंटी दरवाजे से बाहर चली गई जबकि करण दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था ,,उसने सोनिया को ही बोला लेकिन सोनिया ने कोई जवाब नही दिया ,,,करण चुप चाप घर से बाहर अपनी माँ मे पास चला गया ऑर बाइक स्टार्ट करके माँ के साथ अपने
घर की तरफ चल दिया,,,,

हरम्जादा ,,कुत्ता ,कमीना,,,,सोनिया गुस्से से बोलती हुई घर के अंदर चली आई,,

अरे अरे आराम से बेटी ,,ये किसको गलियाँ दे रही हो ऑर क्यूँ,,,,

माँ मैं वूऊओ सोनिया बोलने ही लगी तभी उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,,,,,,,,,उसने जल्दी ही बात पलट दी,,,,,माँ वो रास्ते
मे एक लड़का बत्त्मीजी कर रहा था उसी को गालियाँ दे रही थी,,,,,

अरे बेटी राह चलते लोफेर टाइप के लड़के बदतमीज़ी करते ही रहते है तू टेन्षन मत लिया कर,,,,,चल अब गुस्सा थूक दे

मेरे साथ कोई बदतमीज़ी करके तो देखे माँ मैं उसका सर फोड़ दूँगी,,,,ये बात बोलते हुए भी सोनिया मेरी तरफ देख रही
थी,,मेरी तो साँसे ही अटक गई ,,साला ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई पत्थर उठा कर मार देगी मेरे सर पे,,,,

छोड़ो इन बातों को माँ,,,बोलो खाने मे क्या बनाया है,,,,,

अभी तो कुछ नही बना मेरी बेटी पर तू बोल तुझे क्या खाना है मैं अभी बना देती हूँ 5 मिनिट मे,,,,

कुछ भी बना दो माँ बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होके आई,,,,सोनिया उपर चली गई ऑर जाते हुए एक बार फिर से
मुझे पूरे गुस्से से घूर कर गई,,,,

मैं समझ गया था की सोनिया करण को गालियाँ दे रही थी तभी तो उसने करण के हाई का रिप्लाइ भी नही किया था,,,,,,मेरी
तो गान्ड फटी हुई थी कहीं सोनिया ने अलका आंटी को रोक लिया ऑर सब बता दिया करण ऑर शिखा के बारे मे तो आज तो करण
ऑर शिखा गये काम से ऑर अलका भी गई मेरे हाथ से,,लेकिन अलका आंटी नही रुकी ऑर सोनिया ने उनको रोका भी नही,,,

आज का दिन भी बोर रहा ऑर रात भी ,,कुछ भी नही हुआ ,,,,ना तो दिन मे किसी की चूत मिली ओर ना रात को,,,बस 2-3 बार
मूठ ज़रूर मारी थी माँ ऑर अलका आंटी को देख कर,,,,,

नेक्स्ट डे जब मैं ड्रॉयिंग रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ गया तो देखा रूम का दरवाजा खुला हुआ था सोनिया नही
थी रूम मे मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया ,,,,नीचे मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आ रही थी,,

जब नीचे आया तो देखा कि सोनिया ऑर कविता सोफे पर बैठी हुई थी साथ मे मां हही थी,,,,सोनिया ऑर कविता आज काफ़ी चेंज लग
रही थी दोनो अच्छी तरह से तैयार हुई थी जैसे किसी शादी मे जा रही थी,,,,,

मुझे देख कर कविता ने मुझे हाई बोला,,,,

हाई सन्नी,,,,,

हेलो कविता,,,,,,तभी माँ सोफे से उठी ,,,,तेरा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर पड़ा है बेटा ,,,

ठीक मैं माँ,इतना बोलकर मैं डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा तभी माँ अपने रूम मे चली गई,,मैं बैठ कर नाश्ता
करने लगा,,,,

आज तुम तैयार होके कहीं जा रही हो क्या कविता,,,,,मैने डाइनिंग टेबल से ही कविता को आवाज़ लगा कर पूछा,,,

हाँ सन्नी,,,,आज हम दोनो मूवीस देखने जा रहे है,,,,,

मूवी तो सुना था लेकिन मूवीस,,,एक साथ 4 मूवीस देखोगी क्या,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,

हाँ सन्नी,,,आज हम सुबह से शाम तक मूवीस देखेंगे ,,काफ़ी टाइम से हम लोग मूवीस देखने नही गई,,,आज पहले
मॉर्निंग शो फिर नून टाइम मे भी मूवी फिर ईव्निंग शो देख कर ही घर वापिस आएँगी,,,,,तूने चलना है तो
तू भी चल हमारे साथ,,,,,

थन्क्ष्क्ष कविता लेकिन मैं नही आ सकता मेरे आने से किसी का दिन खराब हो जाएगा ऑर शायद मूड भी,,,,,तुम जाओ ऑर एंजाय
करो,,,,,

कविता मेरी बात सुनके हँसने लगी क्यूकी वो समझ गई थी मैं सोनिया की बात कर रहा हूँ,,,लेकिन सोनिया मुझे वैसे ही गुस्से
से घूर रही थी,,,,

चल उठ कविता चले टाइम काफ़ी हो गया है ऑर वैसे भी इस से पहले की कोई साथ चलने को तैयार हो जाए हमे अब चलना
चाहिए,,,सोनिया गुस्से से उठी ओर कविता को भी हाथ से पकड़कर अपने साथ बाहर की तरफ ले गई,,,कविता सोनिया के साथ तो
जा रही थी लेकिन मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी लेकिन आँखों मे क्या था मैं
समझ नही सका,,,,

सोनिया ऑर कविता वहाँ से चली गई,,,

मैं नाश्ता करने लगा ऑर थोड़ी देर मे माँ अपने रूम से तैयार होके बाहर आ गई,,,,

माँ आज आप भी मूवी देखने जा रही हो क्या,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,,

नही बेटा मुझे कॉन लेके जाएगा मूवी के लिए मुझे तो अलका के घर जाना है,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,

मैं समझ गया कि माँ आज फिर मस्ती के मूड मे है ,,,,आज फिर माँ ऑर अलका आंटी की मस्ती होगी लेकिन आज वो सब होगा
करण के घर मे,,,,

चल तेरा नाश्ता हो गया तो कॉलेज जाते टाइम मुझे करण के घर ड्रॉप कर देना,,,,,

ठीक है माँ नाश्ता तो करने दो पहले या इतनी आग लगी हुई है,,,,,,

आग तो लगी हुई है बेटा लेकिन मेरे नही अलका की चूत मे,,,,

अच्छा माँ शोबा दीदी कहाँ है फिर गई क्या मामा को लेके बुटीक पर,,,,

नही बेटा वो अपने रूम मे है ऑर मामा गया है बुटीक पर शिखा को लेके ,,,आज उन लोगो का प्रोग्राम घर पर होगा,,

साला मेरा दिल तो किया घर पर ही रुक जाऊ ऑर मामा शोबा ऑर शिखा के साथ मस्ती करू क्यूकी करण के घर जाके माँ ऑर
अलका आंटी के साथ तो अभी मस्ती नही कर सकता था,,,,,

तभी माँ बोली जल्दी कर ना नाश्ता कितना टाइम लगाता है तू,,,

लो कर लिया नाश्ता ,,अब मैं उपर जाके अपना बॅग लेके आता हूँ आप चलो बाहर,,,क्यूकी आपको ज़्यादा जल्दी है ना,,,मैने
हँसते हुए माँ को बोला ऑर उपर अपना बॅग लेने चला गया,,,,

अभी रूम से बाहर ही आ रहा था तभी मोबाइल पर मेसेज आया,,,देखा तो मेसेज कामिनी भाभी का था,,,,जल्दी घर बुलाया
था भाभी ने,,,,

मैं दिल ही दिल मे खुश हो गया ऑर शुक्रिया अदा करने लगा उपर वाले का उसने मेरी भी सुन ली ,,सब लोग मस्ती करने वाले
थे ऑर एक मैं ही था जिसको बोर होना पड़ना था,,,लेकिन अब कामिनी भाभी ने बुलाया था तो आज मैं भी फुल डे मस्ती
करने वाला था,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ आइडिया आया ऑर मैने भुआ के ड्रॉयिंग रूम से एक स्ट्रॅप-ऑन उठाकर अपने
बॅग मे डाल लिया ऑर वहाँ से नीचे आ गया फिर माँ को साथ लेके घर से निकल पड़ा,,,,
 
माँ को करण के घर ड्रॉप किया तो देखा कि करण की बाइक नही थी इसका मतलब है वो कॉलेज जा चुका था ,,,मैने माँ
को ड्रॉप किया ऑर कामिनी भाभी के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
कामिनी भाभी के घर के बाहर आके मैने बाइक को साइड पर पार्क किया ऑर बेल बजा दी ,,,मैं बहुत खुश था भाभी की
वजह से क्यूकी उस दिन तो सूरज था घर मे इसलिए भाभी की गान्ड नही मार सका था ,,हालाकी सूरज की गान्ड मार कर भी
मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन आज दिल मे तमन्ना थी भाभी की गान्ड मारने की ,,क्यूकी उनकी गान्ड एक दम सील पॅक जो थी,
शोबा ने उनकी गान्ड मे नकली लंड पेल कर उसको थोड़ा खोल ज़रूर दिया था ऑर शोबा ने ऐसा इसलिए किया था ताकि भाभी की
गान्ड मेरे मूसल के लिए तैयार ही जाए क्यूकी शोबा उनकी गान्ड नही खोलती और मैं ही अपने मूसल ने उनकी गान्ड की शुरुआत
करता तो पक्का था उनकी जान ही निकल जानी थी,,,,आज भाभी ने मुझे यहाँ बुलाया था मेरे तो मन मे लड्डू फूट रहे
थे यही सोच सोच कर कि आज तो मस्त कुवारि गान्ड मिलने वाली है ,,,आज तो जी भरके मज़ा करूँगा क्यूकी आज घर मे
कोई नही होगा,, कविता तो सुबह ही सोनिया को लेके मूवीस देखने चली गई है वो शाम से पहले नही आने वाली,,,मैं तो
मन ही मन खुश होने लगा,,ऑर भाभी के बाहर आने की वेट करने लगा,,,

तभी सारी खुशी ऑर ख्वाहिशो को किसी की नज़र लग गई ऑर मेरा हँसता हुआ चेहरा एक दम उदास हो गया,,क्यूकी सामने से
सूरज चला आ रहा था ,,,,मैं गेट के उपर से उसको देख रहा था ,,क्यूकी मेरी हाइट लंबी थी ,मेरा चेहरा तो उतर गया
था ऑर मैं उदास हो गया था लेकिन वो मुझे देख कर बहुत खुश था,,,,

उसने आके गेट खोला,,,,,,ऑर मुझे हाई बोला,,,,,मैने भी उसको हाई बोला ऑर घर के अंदर चला गया ,,,,उसने जल्दी से गेट बंद
किया ऑर आगे बढ़ कर घर के मेन डोर खोला ऑर मुझे अंदर आने को बोलने लगा,,,, वो बड़ा खुश लग रहा था उसके हँसते
हुए चेहरे को देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा,,,,जब उसने हँसने के लिए मूह खोला तो मुझे लगने लगा कि मेरा
लंड उसके मूह मे है ओर वो बड़े प्यार से उसको चूस रहा है,,,,कसम से बड़ा मज़ा आया था उस दिन जब सूरज ने मेरे
लड को चूसा था,,,,हालाकी मुझे ये सब अच्छा नही लगता था फिर भी सूरज ने जिस अंदाज़ से मेरे लंड को चूसा था उस
अंदाज़ से आज तक किसी औरत ने मेरे लंड को नही चूसा था,,,,,मैं भाभी की गान्ड के बारे मे सोच सोच कर
खुश हो रहा था ऑर मुझे मस्ती भी चढ़ रही थी लेकिन सूरज को हस्ता देख मुझे ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी ऑर मेरा
लंड भी ज़्यादा रफ़्तार से ओकात मे आने लगा,,,,मेरा दिल किया कि अभी साले को पकड़ कर लंड मूह मे डाल दूं इसके,,,,

मैं दरवाजे पर खड़ा हुआ उसको देख रहा था ,,मैं उसके हँसते चेहरे को देख इतना गुम हो गया कि अंदर जाना ही
भूल गया ऑर ये भी भूल गया कि वो दरवाजा खोल कर खड़ा हुआ है ऑर मुझे अंदर जाने को बोल रहा है,,,

क्या हुआ सन्नी कहाँ खो गया,,,,,अंदर नही चलना क्या,,,,,

मैं उसकी आवाज़ से नींद से जागा ऑर अंदर की तरफ चलने लगा,,,ऑर वो मुझे देख कर हँसने लगा,,,,


मैं अंदर जाके सोफे पर बैठ गया ऑर वो भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गया,,,,,

हाउ आर यू सन्नी,,,,

आइम फाइन सूरज भाई,,,,हाउ आर यू,,,

मैं भी ठीक हूँ,,,,,

वो मेरे से बात करता हुआ खुश हो रहा था लेकिन मैं भाभी को तलाश कर रहा था ऑर घर मे इधर उधर देख
रहा था,,,

किसको तलाश कर रहे हो सन्नी,,,,

सूरज की बात सुनके मैं उसकी तरफ देखने लगा,,,किसी को भी नही सूरज भाई मैं तो घर को देख रहा हूँ,,,,

घर मे तुम पहली बार आए हो जो घर को देख रहे हो,,,,,वैसे तुम जिसको तलाश कर रहे हो वो अंदर है अभी आ जाएगी
थोड़ी देर मे,,,, तब तक बोलो चाइ लोगे या कॉफी


थॅंक्स्क्स्क्स सूरज भाई मैं अभी घर से नाश्ता करके ही आया हूँ,,,,,

लो आ गई जिसको तलाश कर रही थी तुम्हारी नज़रे सन्नी,,,,,सूरज ने मुझे अपने रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला मैने
भी उसकी उंगली का पीछा किया ऑर उस तरफ देखने लगा,,,,,

साला क्या मस्त माल थी कामिनी भाभी ,,जब भी देखो जितनी बार भी देखो दिल ही नही भरता था,,,अभी उसको देख रहा
था तो दिल कर रहा था वो ऐसे ही खड़ी रहे ऑर मैं उसको देखता ही रहूं,,,,अभी भाभी ने एक सॉफ्ट से कपड़े का झीना सा
कुर्ता पहना हुआ था जो उसके घुटनो से काफ़ी उपर था ऑर चूत से बस 3 इंच ही नीचे था ,वो कुर्ता काफ़ी पतले कपड़े का
था ऑर उपर से भाभी अभी अभी शवर लेके बाहर आई थी उसके बलों से पानी की ड्रॉप्स टपक रही थी जो कुर्ते को गीला
कर रही थी ऑर कुर्ता उसने बदन से चिपक रहा था ,,,कुर्ता इतना ज़्यादा गीला हो गया था की देखने से लग रहा था कि भाभी
ने भीगे बदन ही कुर्ता पहन लिया था टवल से खुद के जिस्म को पोच्छा भी नही था जिस वजह से कुर्ता पूरी तरह भीग
कर भाभी के जिस्म से लग गया था ऑर भाभी के पूरा बदन कुर्ते मे होने के बावजूद भी नंगा लग रहा था क्यूकी
कुर्ते के नीचे भाभी ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी ऑर ना ही पेंटी ,,,मैं भाभी को देखता ही रह गया ,आज वो कुछ ज़्यादा ही
सेक्सी लग रही थी वैसे जितनी बार भी देखता था भाभी को हर बार वो कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लगती थी ,,पहली बार से भी
ज़्यादा,,,,,,मैं तो खो ही गया था भाभी के खूबसूरत जिस्म मे,,,,
 
तभी भाभी चलती हुई हम लोगो के करीब आ गई ऑर मेरे करीब से गुजर कर सूरज के पास चली गई ऑर जाके सूरज की
गोद मे बैठ गई,,,,

जब भाभी मेरे पास से गुज़री तो भीगे भीगी बदन की खुश्बू से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ,,,दिल कर रहा था
कि भाभी को हाथ पकड़ कर अपने करीब खेंच लूँ ऑर सर से पैर तक चूमना शुरू कर दूं,,,,,

क्या देख रहे हो सन्नी ,,,,,ये तुम्हारी ही है,,,,ऐसे घूर कर मत देखो इसको,,कहीं भागी नही जा रही,,,,

भाभी हँसने लगी ओर मैं भाभी को देख कर थोड़ा शरमा गया,,,,,अब हालत ऐसे हो गये थे कि भाभी खुल कर पेश
आने लगी थी जबकि मैं शरमाने लगा था,,,,,

क्या सोच रहे हो सन्नी,,,,

मैं चुप रहा ,,,,

जो सोच रहे वो वो कर भी सकते हो तुम सन्नी लेकिन पहले मुझे खुश करना होगा,,,सूरज अभी बोल ही रहा था कि भाभी
उठी ऑर मेरे पास आ गई ऑर मेरे पास आके सोफे पर लेट गई ओर अपनी टाँगे मेरी टाँगों के उपर रख ली,,,मैं भाबी की
टाँगों की तरफ देख रहा था तो भाभी ने अपने घुटनो को उपर उठा कर टाँगों को खोल दिया ,,मैं तो दंग ही रह गया
भाभी की चूत देख कर ,,,भाभी ने पेंटी नही पहनी हुई थी जिसका मुझे पहले से पता लग चुका था लेकिन अब चूत को
इतना करीब से देख कर मेरे मूह मे पानी आने लगा,,,

भाभी की चूत एक दम सॉफ थी ,,एक भी बाल नही था जैसे भाभी ने अभी अभी शेव की थी ऑर जब भाभी ने अपनी टाँगों
को थोडा ऑर खोला तो भाभी की चूत भी ज्याद खुल गई ऑर अंदर का गुलाबी रंग का हिस्सा देख कर मेरी जान ही अटक गई,,

देख लो जी भरके सन्नी भाई लेकिन टच मत करना अभी,,,,क्यूकी इसको टच करने के लिए पहले मुझे खुश करना ज़रूरी
है,,,,सूरज इतना बोलकर सोफे से उठा ऑर अपने कपड़े उतारने लगा,,,,इधर भाभी भी उठी ऑर मेरे कपड़े उतारने लगी,,,,

मैं ऑर सूरज 2 मिंट मे नंगे हो गये ,,,,ऑर हम लोगो के नंगे होने का बाद भाभी ने भी कुर्ता उतार दिया ऑर नंगी हो
गई,,,,

मेरा लंड जो मस्ती मे पहले ही ओकात मे आ चुका था भाभी ने उसको हाथ मे पकड़ा ऑर हल्के से सहला दिया,,मुझे
ऐसे लगा जैसे कोई सलाब मेरे लंड मे उठ रहा था ऑर अभी बस दीवारें तोड़ कर बहना शुरू हो जाएगा,,,,भाभी
के छोटे छोटे कोमल हाथ लगते ही लंड मे मस्त इतनी ज़्यादा भरने लगी की मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा,,,,

तभी भाभी ने अपने सर को थोड़ा नीचे किया ऑर मेरे लंड पर एक किस करदी,,,मुझे लगा कि भाभी मेरे लंड को मूह मे
लेने लगी है इसलिए मैने खुद को सोफे से हलक उपर उठा दिया ताकि मैं भी अपने लंड को भाभी के मूह मे घुसा
दूं,,,लेकिन भाभी ने तो सिर्फ़ एक किस की मेरे लंड की टोपी पर ऑर मूह उपर उठा लिया ऑर सूरज को पास आने का इशारा किया

सूरज भी जल्दी ही मेरे करीब आ गया,,,,मैं सोफे पर बैठा हुआ था ऑर भाभी भी मेरे साथ ही बैठी हुई थी लेकिन सूरज
आके ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गया ऑर एक ही पल मे उसने सर झुका कर मेरे लंड को मूह मे भर लिया ऑर पहली ही
बार मे लंड को गले से नीचे तक ले गया ऑर बाहर निकाल दिया ऑर मेरे लंड पर थूक दिया फिर हाथ से मेरे लंड को
एक दो बार सहलाया ऑर फिर से सर झुका कर लंड को मूह मे ले लिया,,,,मैं तो मस्ती मे पागल होने लगा था ,,,इतना मज़ा
आने लगा था कुछ ही देर मे कि मैं भूल ही गया कि मेरा लंड भाभी नही सूरज भाई चूस रहा है ऑर मुझे अब फ़र्क भी
नही पड़ने वाला था क्यूकी मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था इतना मज़ा तो भाभी द्वारा भी नही आना था जितना मज़ा मुझे
सूरज को लंड चुस्वा कर आ रहा था,,

सूरज पूरी मस्ती मे मेरे लंड को मूह मे लेके चूस रहा था ऑर पूरा का पूरा गले से अंदर ले रहा था ,,इतना मज़े से तो
भाभी भी मेरा लंड नही चूस सकती थी ,,,मुझे सच मे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलू लेकिन ये मज़ा ज़्यादा देर तक
नही आया,,,,

सूरज ने जल्दी ही मेरे लंड को मूह से निकाल दिया ऑर अपने मूह से थोड़ा थूक अपने हाथ पर थूक कर अपनी गान्ड
पर लगा कर सामने के टेबल पर झुक गया ऑर गान्ड को मेरे सामने कर दिया लेकिन तभी मुझे याद आया कि मेरे बॅग मे
एक स्टर्प-ऑन है ,,मैने जल्दी से स्टर्प-ऑन निकाला ऑर भाभी के तरफ बढ़ा दिया ,,,भाभी कुछ नही समझी तो मैने भाभी को
जल्दी सोफे से खड़ा कर दिया ऑर भाभी को स्ट्रॅप-ऑन पहना दिया ,,,,मुझे थोड़ा टाइम लगा गया स्ट्रॅप-ऑन पहनने मे तो
सूरज पीछे मूड कर हम दोनो की तरफ देखने लगा तो मैने जल्दी सोफे से उठकर सूरज को ये बता दिया कि मैं आ रहा हूँ
ऑर जल्दी से सोफे से उठकर खड़ा भी हो गया,,सूरज ने पल भर क लिए पीछे मूड के देखा था लेकिन इतनी देर मे वो भाभी की
कमर पर बँधे स्ट्रॅप-ऑन को नही देख पाया,,,,,भाभी की कमर पर स्ट्रॅप-ऑन बाँध कर मैने भाभी को मूह से थूक
लेके उस नकली लंड पर लगाने को कहा तो भाभी ने ऐसा ही किया ,,फिर मैं भाभी को सूरज के पीछे ले गया ऑर अपने हाथ मे
थोड़ा थूक लेके सूरज की गान्ड पर लगा दिया ऑर फिर भाभी के नकली लंड को हाथ मे लेके सूरज की गान्ड मे घुसा
दिया ,,,भाभी एक लिए ये पहली बार था तो मैने खुद भाभी की कमर को आगे पीछे किया तो भाभी भी जल्दी ही समझ गई
ऑर अपने हाथ से सूरज की कमर को पकड़ कर सूरज की गान्ड मे नकली लंड पेलने लगी,,,,सूरज एक मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकलने लगी,,

अहह ऐसे हिी सुन्न्णी प्पूउर्रा ग्घहूऊस्सा दूओ मेरेयिइ गाणन्दड़ म्मी अहह एसए हहीी गाणन्दड़ मरूव मेरेईी
आहह उउहह बड़ा ंमाज़्जा आ र्राहहा हहाीइ उऊहह माआ हहयइईई सूरज सिसकियाँ लेने लगा तभी मैं आगे
बढ़ कर सूरज एक सामने जाके खड़ा हो गया,,,सूरज हैरान होके मुझे देखने लगा उसको समझ नही आ रहा था कि मैं
सामने खड़ा हूँ तो उसकी गान्ड कॉन मार रहा है तभी उसने पीछे मूड कर देखा ऑर भाभी को ऐसे हिलते देख कुछ
समझा नही लेकिन मस्ती ऑर मज़े से वो फिर सिसकियाँ लेने लगा लेकिन मैने उसकी सिसकियाँ बंद कर दी ,,

मैं आगे बढ़ा ऑर टेबल के दूसरी तरफ खड़ा हो गया ऑर अपने लंड को सूरज के करीब कर दिया ,,सूरज ने भी एक ही पल मे मूह,
खोल दिया ऑर मेरे लंड को मूह मे भर लिया,,,,,मैं चाहता तो सूरज की गान्ड मार लेता लेकिन मेरा दिल सूरज के मूह को
चोदने को कर रहा था क्यूकी उसके लंड चूसने का अंदाज़ ही बहुत निराला था,,,,,मैने सूरज के सर को पकड़ा ऑर अपने लंड
को तेज़ी से सूरज के मूह मे पेलने लगा ,सूरज को कोई परेशानी नही हो रही थी वो तो अपने सर को मेरी कमर से भी ज़्यादा
तेज़ी से हिला कर मेरे पूरे लंड को मूह मे लेने मे लगा हुआ था,,,,,मैं आगे से सूरज के मूह को चोद रहा था ऑर भाभी
पीछे से सूरज की गान्ड मार रही थी,,,करीब 10 मिनिट तक मैं सूरज के मूह मे लंड पेलता रहा ऑर फिर मैं सूरज के
पीछे चला गया ऑर भाभी को सूरज के सामने भेज दिया ,,,सूरज भाभी की कमर पर लगे नकली लंड को देख कर खुश भी
था ऑर थोड़ा हैरान भी,,शायद उसने पहली बार स्ट्रॅप-ऑन देखा था ,,लेकिन हैरानी से ज़्यादा उसको मस्ती चढ़ि हुई थी
इसने कामिनी को आगे बढ़ कर लंड को उसके मूह के करीब करने का इशारा किया ऑर कामिनी ने भी आगे बढ़कर लंड
को सूरज के मूह मे घुसा दिया,,,ऑर मैने पीछे जाके अपने लंड को सूरज की गान्ड मे घुसा दिया,,,,,
 
सूरज की गान्ड मे सच मे किसी
भी औरत की गान्ड से ज़्यादा मस्त आग लग रही थी मुझे,,,,उसकी पतली कमर को देख कर कोई भी नही कह सकता था की इस टाइम
जो मेरे सामने झुका हुआ है वो लड़का है ,,क्यूकी वो इतना स्लिम ट्रिम था जैसे कोई लकड़ी,,,,मैं भी उसी फीलिंग मे उसकी पतली
करम को हाथ मे पकड़ कर तेज़ी से उसकी गांद मारने लगा ऑर सामने से भाभी भी अपनी कमर हिला हिला कर सूरज के मूह
को चोदने लगी,,,तभी ज़्यादा मस्ती मे सूरज ने अपने छोटे से लंड को हाथ मे ले लिया ,,हाथ मे क्या उंगली मे ले लिया ऑर
हलके से मूठ मारने लगा क्यूकी उसका लंड था ही इतना छोटा कि खड़ा होता तो भी 1 इंच का ही होता,,,उसने मस्ती मे अपने
लंड को अपनी उंगलियों से पकड़ा ऑर मूठ मारने लगा ,,,उस से ज़्यादा कंट्रोल नही हुआ ऑर वो जल्दी ही झड गया,,मैने टेबल पर
उसके स्पर्म को देखा तो वो एक दम पानी की तरह सॉफ था ,,,कोई रंग नही था उसका ,,,,वो तो मुझे पैशाब ही लग रहा था जो
ज़्यादा मस्ती की वजह से निकल गया था,,,,अपना खेल ख़तम होते ही सूरज ने अपने मूह से भाभी के लंड को निकाल दिया
ऑर टेबल पर आगे बढ़ कर मेरे लंड को भी अपनी गान्ड से निकाल लिया,,,लेकिन मेरा अभी तक कुछ नही हुआ था इसलिए मैने
सूरज को फिर से पकड़ने की कोशिश की लेकिन वो आगे हो गया ऑर तभी भाभी ने भी मुझे रोक दिया,,,ऑर मेरे करीब आके
मेरे लंड को मूह मे भर लिया ,,मुझे कुछ राहत मिली तो भाभी ने मुझे वापिस सोफे पर बिठा दिया,,,ऑर हल्के हलके लंड
को चूसने लगी,,,,


करीब 3-4 मिनिट तक भाभी मेरे लंड को चुस्ती रही तब तक सूरज भी नॉर्मल हो गया ऑर हम लोगो के करीब आ गया,,

तूने मुझे खुश कर दिया सन्नी अब तू मेरी बीवी के साथ मस्ती कर सकता है ऑर मेरी तरह उसको भी खुश कर सकता है,,,


नही सूरज भाई मैं अकेला नही हम दोनो मिलकर भाभी को खुश करते है आज,,,,,

लेकिन कैसे सन्नी,,,,

तभी मैने भाभी की कमर पर बँधे हुए स्ट्रॅप-ऑन की तरफ इशारा किया,,,,भाभी जल्दी से उठकर खड़ी हो गई ऑर स्ट्रॅप-ऑन
निकाल कर सूरज की कमर पर बाँधने लगी,,,,,जब स्ट्रॅप-ऑन सूरज की कमर पर बँध गया तो मैने देखा कि सूरज की
आँखों मे आँसू आ गये ,,वो आँसू खुशी के थे या गम के नही पता,,,शायद वो अपनी इस हालत पर गुम सूम हो गया कि
उसकी कमर पर नकली लंड था या शायद वो बहुत खुश हो गया ऑर नकली लंड को अपना असली लंड समझने लगा ऑर इसी खुशी
मे उसकी आँखें नम हो गई,,,,

तभी भाभी ने सूरज की नम आँखों को देखा ऑर सूरज के आँसू सॉफ करते हुए सूरज को किस करने लगी ऑर फिर वापिस
ज़मीन पर बैठ कर सूरज के नकली लंड को मूह मे भरके चूसने लगी ऑर साथ ही अपनी उंगली से सूरज की गान्ड को सहलाने
लगी,,,मैं सोफे पर बैठ कर ये सब देख रहा था ऑर कुछ टाइम के लिए मस्ती भूल कर थोड़ा भावुक हो गया था,,लेकिन
साथ साथ अपने लंड को हल्के से सहला भी रहा था,,,,तभी मैने देखा कि सूरज अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा था
ऑर नकली लंड को भाभी के मूह मे घुसाने लगा था ,,उसको ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने असली लंड से ऐसा कर रहा था
क्यूकी आज पहली बार था जब वो अपनी कमर को ऐसे हिला रहा था वर्ना तो उसने अपने पीछे खड़े लोगो की कमर को हिलते
ही देखा था ,,,ऑर ख़ासकर अपने बाप की कमर को जो पीछे खड़ा होके उसकी गान्ड मारता था,,,,,


मैं उन लोगो को तरफ देख ही रहा था कि भाबी उठी ऑर मेरे करीब आ गई ऑर मुझे सोफे पर लेटा दिया ऑर खुद भी सोफे पर
चढ़ गई ऑर सोफे पर झुक कर अपने सर को मेरे लंड के करीब करके कुटिया बन गई ऑर मेरे लंड को मूह मे लेके चूसने
लगी,,,,इतने मे उसने सूरज को हाथ से पकड़ा ऑर अपने पीछे कर दिया ऑर सूरज ने भी पीछे से अपने लंड को भाभी की चूत
मे घुसा दिया ऑर हल्के हलके धक्के मारने लगा , ,,पहले तो वो धीरे धीरे कर रहा था लेकिन जल्दी ही उसकी स्पीड तेज
हो गई और जैसे जैसे उसकी स्पीड तेज होने लगी वैसे वैसे भाभी को मस्ती चढ़ने लगी ऑर भाभी भी मेरे लंड को तेज़ी
से चूस्ते हुए अपने सर को उपर नीचे करने लगी,,,,,मैं आराम से लेट कर मज़ा लेने लगा,,,,मैने देखा कि भाभी मस्ती
मे मेरा लंड तो चूस रही थी लेकिन भाभी की आँखू मे भी आँसू थे लेकिन चहरे पर एक अजीब सकून ओर खुशी भी
थी भाभी मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी ,,मुझे लगा कि भाभी मुझे थॅंक्स बोल रही है क्यूकी आज मेरी वजह
से शादी के 4 साल बाद उसका पति सूरज उसको चोद रहा था चाहे वो नकली लंड से ही चोद रहा था लेकिन यही नकली लंड
अब उसको अपने पति का असली लंड लग रहा था ,,मैने भाभी की आँखों से बहने वाले आँसू सॉफ किए ऑर उठकर भाभी
के फेस के पास चला गया ऑर भाभी को प्यार से किस करने लगा,,,भाभी भी बड़े प्यार से मुझे किस का रेस्पॉन्स देने
लगी ,,भाभी की किस मे भी आज एक अजीब एहसास था एक अजीब खुशी थी मुझे लग रहा था कि जैसे भाभी किस करते हुए
भी मुझे कुछ कह रही थी मुझे शुक्रिया बोल रही थी ,,मैं भी भाभी को उतने ही प्यार से किस का रेस्पॉन्स देते हुए
भाभी को तसल्ली दे रहा था,,,,,


कुछ देर बाद सूरज ने अपने लंड को भाभी की चूत से निकाला ऑर ज़मीन पर लेट गया ,,भाभी ने मुझे किस करना बंद
किया ऑर सूरज की तरफ देखने लगी तो मेरा ध्यान भी सूरज की तरफ गया आज उसके चेहरे पर भी खुशी सॉफ झलक रही थी
वो बहुत खुश था आज अपनी पत्नी को चोद कर ,,भाभी जल्दी से सोफे पर से उठी ऑर कुछ देर सूरज के नकली लंड को मूह मे
भरके चुस्ती हुई जल्दी से सूरज के उपर चढ़ गई ऑर नकली लंड को हाथ मे लेके अपनी चूत मे घुसा लिया ऑर अपने हाथ
सूरज की चेस्ट पर रख कर खुद के जिस्म को सूरज के लंड पर उछालने लगी ऑर नकली लंड को तेज़ी से अपनी चूत मे लेने
लगी ,,मैं अपने लंड को हाथ मे लेके सहला रहा था तभी सूरज ने भाभी को सर से पकड़ा ऑर अपने सर के करीब खींच
लिया ऑर भाभी के लिप्स को अपने लिप्स मे भरके किस करने लगा ऑर साथ ही मुझे देखते हुए अपने हाथ से इशारा करने लगा
पीछे से भाभी की गान्ड मारने का मैं भी जल्दी ही भाभी के पीछे चला गया ऑर ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गया ऑर
अपने लंड को हाथ मे लेके थोड़ा थूक लगा कर भाभी की गान्ड के होल पर रख दिया तभी सूरज ने अपने हाथ भाभी
की गान्ड पर रखे ऑर भाभी की गान्ड को दोनो तरफ खींच कर खोल दिया जिस से गान्ड का होल ज्याद खुल गया ऑर मैने
अपने लंड की हल्के धक्के के साथ भाभी की गान्ड मे उतार दिया ,,भाभी की गान्ड बहुत टाइट थी लंड थोड़ा ही अंदर
गया था कि भाभी के मूह से हल्की चीख निकल गई ,,चीख तेज थी लेकिन भाभी के लिप्स सूरज के लिप्स मे क़ैद थे इसलिए
भाभी ज़्यादा तेज नही चिल्ला सकी ,,,मैने लंड को हलके से पीछे करके बाहर निकाला ऑर खूब सारा थूक लगा लिया ऑर इतने मे
सूरज ने भाभी की गान्ड को ऑर भी ज़्यादा खोल दिया ऑर मैने वापिस अपने लंड को गान्ड के होल पर रखा ओर हल्का सा ज़ोर
लगा कर अपने लंड को वापिस गान्ड मे घुसा दिया तभी भाभी ने अपने लिप्स को सूरज के लिप्स से अलग किया ऑर ज़ोर से चिल्लाने
लगी,,,,

अहह उूुुउऊहह म्माआरररर गगययईीीई माआआअ ब्बाहहाररर
ननीककाल्लू इस्ककू सुउउन्नयी भ्हुत्त् दार्र्द्द हहूओ र्राहहा हहाइईइ हहयइीई माआआआ किट्थन्ना ब्बाददाअ
हहाइी त्तीर्राआ आहह ब्बाहहर्रा ननीककालूओ ईसस्क्कूव आहह तभी सूरज ने भाभी के सर को पकड़ा
ऑर नीचे करके भाभी को वापिस किस करने लगा ऑर भाभी की आवाज़ को बंद करने की कोशिश करने लगा ऑर साथ ही मुझे
हाथ से इशारा करते हुए लंड पेलने के बोलने लगा मैने भी अपने हाथ भाभी की गान्ड पर रखे ऑर खुद को अड्जस्ट
करते हुए अपने लंड को ज़ोर लगा कर पूरा का पूरा भाभी की गान्ड मे घुसा दिया ,,भाभी का जिस्म झटके खाने लगा ऑर
वो मुझे रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन सूरज ने भाभी की पीठ को कस्के अपनी बाहों मे भर लिया ऑर भाभी के लिप्स
को अपने लिप्स मे जकड कर किस करता रहा ,,,मैं समझ गया कि सूरज भी चाहता है कि मैं नही रुकु ऑर भाभी की गान्ड
मारता रहूं ऑर मैने भी वैसा ही किया ऑर भाभी की कमर को पकड़ कर अपनी स्पीड तेज करने लगा ऑर बीच बीच मे अपने
लंड पर थूक भी देता जिस से लंड चिकना हो जाता ,,,

भाभी कुछ देर तो चिल्लाती रही लेकिन जल्दी ही भाभी को मज़ा आने लगा ऑर भाभी तोड़ा शांत हो गई ऑर हिलना जुलना बंद
करके सूरज को किस का रेस्पॉन्स देने लगी ,,मैने भी देखा कि अब भाभी को मज़ा आने लगा तो मैने स्पीड थोड़ी तेज करदी
,,भाभी की गान्ड इतनी टाइट थी कि मुझे लग रहा था कि मैं अपने दोनो हाथों से अपने लंड को कस्के मुट्ठी मे भरके
मूठ मार रहा हूँ ,,मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था ऑर ऐसा लग रहा था कि अब मेरा कुछ ही देर मे पानी निकलने
वाला है मैं तेज़ी से भाभी को चोदता रहा ऑर भाभी भी मस्ती मे सूरज की किस करती रही,,,,सूरज भी भाभी की पीठ को
अपनी बाहों मे कस्के तेज़ी से अपनी कमर को ज़मीन से उछाल उछाल कर भाभी की चूत मे नकली लंड पेल रहा था
भाभी से भी ये डबल मज़ा कंट्रोल नही हुआ ऑर भाभी तेज़ी से सिसकियाँ भरने लगी मैं भी समझ गया ऑर सूरज भी
समझ गया कि भाभी अब झड़ने वाली है तो सूरज ने अपनी स्पीड तेज करदी ऑर मैने भी क्यूकी मैं भी बस झड़ने ही वाला
था क्यूकी भाभी की गान्ड बहुत ज़्यादा टाइट थी ,,,मुझे ऐसा ही लग रहा था कि मैं गान्ड नही मार रहा बल्कि अपने दोनो
हाथों से मूठ मार रहा हूँ,,,,,
 
कुछ 3-4 मिनट बाद ही भाभी ने अपने लिप्स को सूरज के लिप्स से अलग किया ओर तेज़ी से अहह उह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए पानी
निकालने लगी तभी मेरे लंड ने भी भाभी की गान्ड मे पिचकारियाँ मारना शुरू कर दिया ,,जितना टाइम भाभी की चूत ऑर
गान्ड से पानी निकला उतना टाइम मैं ऑर सूरज हल्के हल्के अपने लंड को आगे पीछे करते रहे मेरे भी लंड ने सारा पानी
निकाल दिया ऑर भाभी की चूत ने भी फिर मैने भाभी की गान्ड से अपने लंड को निकाला ऑर साइड पर हो गया तभी भाभी
भी सूरज के उपर से उठी ऑर ज़मीन पर लेट गई ओर तेज़ी से साँसे लेने लगी ,,भाभी के चेहरे पर खुशी ऑर सकून साफ साफ
झलक रहा था वो आज बहुत खुश थी ऑर मैं भी बहुत खुश था भाभी की टाइट गान्ड मार कर ,,,,भाभी को आज पहली बार
2 लंड का मज़ा मिला था ओर सबसे बड़ी बात थी की आज पहली बार सूरज ने भाभी को छोड़ा था जो भाभी के लिए बहुत बड़ी
बात थी,,,,,सूरज भी आज बहुत खुश था अपनी पत्नी को छोड़ कर चाहे वो खुशी नकली लंड की थी लेकिन मज़ा ऑर मस्ती तो
असली थी ,,आज पहली बार उसने अपनी पत्नी को इतना खुश किया था ऑर खुद भी बहुत खुश हुआ था,,,,,

कुछ टाइम बाद सब की हालत ठीक हुई तो सूरज ने उठकर मेरे लंड को मूह मे भर लिया ऑर मेरे लंड पर लगे स्पर्म को
चाट कर सॉफ कर दिया ऑर लंड को भी मूह मे लेके चूस कर अच्छी तरफ सॉफ कर दिया,,,,फिर वो कामिनी की तरफ गया ऑर
कामिनी की चूत को चाटने लगा ऑर सॉफ करने लगा ,,कामिनी ने अपने हाथ सूरज के सर पर रख दिए ऑर प्यार से सूरज के
बालों को अपनी उंगलियों से सहलाने लगी,,,,,


फिर वो दोनो उठ कर सामने वाले सोफे पर बैठ गये,,,,,,,

क्यू कामिनी मज़ा आया आज,,,,,सूरज ने किस करते हुए कामिनी भाभी से पूछा,,,,

कामिनी भाभी ने भी किस करते हुए जवाब दिया,,,,,हाँ सूरज बहुत मज़ा आया ,,,आज पहली बार ज़िंदगी मे इतना मज़ा आया है
कि मैं बता नही सकती ,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सूरज मुझे इतना खुश करने के लिए ऑर इतना मज़ा देने के लिए,,,,

थन्क्ष्क्ष्क्ष मुझे नही कामिनी थन्क्ष्क्ष्क्ष बोलो सन्नी को जिसकी वजह से तुम ऑर मैं आज इतने खुश है ,,,,ये नही होता तो हम इतना
मज़ा नही कर सकते थे,,,,

सही बोला सूरज लेकिन अगर तुम अपनी पत्नी को सन्नी के पास जाने की इजाज़त नही देते तो वो मुझे खुश कैसे कर सकता था

वो दोनो सच मे बड़े ही भावुक हो रहे थे,,,,

सही बोला कामिनी लेकिन हम ने मज़े की खातिर नही अपनी मजबूरी की खातिर सन्नी की हेल्प ली थी ,,लेकिन ये तो बड़ा मास्टर बंदा
निकला ,,,मजबूरी तो दूर की हमारी ऑर हमे इतना मज़ा भी दिया,,,,आज तो हम भी इसको इतना मज़ा देंगे कि ये याद रखेगा

इतना बोलकर सूरज ऑर कामिनी दोनो मेरे पास आए ऑर सोफे पर मेरी दोनो तरफ बैठ गये ,,,,,भाभी ने मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोलते हुए
मेरे लिप्स को चूमना शुरू कर दिया जबकि सूरज ने आते ही मेरे लंड को मूह मे भर लिया ,,,,,,फिर कुछ देर चूसने के बाद
बोला,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी जो तूने मुझे आज इतना खुश किया ऑर मेरी बीवी को भी,,,,,,

इसमे थॅंक्स्क्स की क्या बात सूरज भाई ऑर अभी आपको खुश कहाँ किया अभी तो आपको ऑर भी ज़्यादा खुश करना है,,,,

नही सन्नी आज मुझे खुश नही होना ,,,मुझे जितनी खुशी मिलनी थी मिल चुकी है,,,,आज तुम्हारी खुशी की बारी है ,,आज
तुम दिल भरके कामिनी के साथ मस्ती कर सकते हो,,,,ऑर मैं भी अपनी पत्नी को खुश करना चाहता हूँ ,क्यूकी ये बेचारी
काफ़ी टाइम बाद हँसना सीखी है खुश होने लगी हिया,,,,अभी हम मिलकर इसको खुश करते है मेरा क्या है मैं तो रात को भी
खुश हो सकता हूँ ,,,क्यूकी ये नकली लंड जो है मेरे पास ,,,अभी मैं कामिनी को खुश करता हूँ रात को कामिनी ये
नकली लंड लगा कर मुझे खुश करेगी,,,,,

ऐसी बात है तो सूरज भाई इस स्ट्रॅप-ऑन को आप अपने पास रख लो ,,इसकी हेल्प से आप भाभी को खुश कर सकते हो ऑर भाभी
भी आपको खुश कर सकती है,,अब आप दोनो की किसी ओर की ज़रूरत नही पड़ेगी ऑर ना ही आप लोगो को किसी तरह की कोई बदनामी
का डर रहेगा ,,,,,जब दिल किया आप लोग एक दूसरे को खुश कर सकते हो,,,,

सच मे सन्नी भाई,,,क्या हम इसको रख सकते है,,,,,

हाँ सूरज भाई बिल्कुल,,,ओर अगर आप लोग बोलो तो मैं आपको इसके साथ के ओर भी स्ट्रॅप-ऑन लेक दे सकता हूँ वो भी अलग अलग
साइज़ के ,,,लंबा ओर पतला ,,छोटा ऑर मोटा,,या फिर लंबा ऑर मोटा भी,,जैसा आप कहो,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई,,,,वैसे भी हम दोनो को इसकी बहुत ज़रूरत है,,इसकी वजह से आज पहली बार मैने कामिनी की चुदाई
की है ,,देखो ज़रा कितनी खुश है वो,,,

हाँ सन्नी सूरज ठीक बोल रहा है ,,आज तेरी वजह से ऑर इस चीज़ की वजह से मैं ऑर सूरज बहुत खुश है ,,आज पहली बार
मुझे लगा है कि सूरज सच मे मेरा पति है ऑर मैं इसकी पत्नी ,,,अगर तुम नही होते तो मैं ओर सूरज ऐसे ही घुट घुट
कर मरते रहते ओर इस मस्ती ऑर मज़े से अंजान रहते,,,,आज इसको ये पहने रहने दो ओर तुम दोनो मिलकर मुझे खुश करो
ऑर रात को मैं इसको पहन कर सूरज को खुश करूँगी,,,,

अब ये मत सोचा कि ये चीज़ हमे दे दी है तूने तो हम तुझे भूल जाएँगे,,हमे जब भी तेरी ज़रूरत होगी तुझे आना
पड़ेगा,,,,

नेकी ओर पूछ पूछ सूरज भाई,,,आपका जब दिल करे मुझे बुला लेना मैं फ़ौरन आ जाउन्गा,,,,

ज़रूरत तो तेरी पड़ेगी ओर अभी भी तेरी ज़रूरत है,,,,क्यूकी दोनो को मिलकर तेरी भाभी को जो खुश करना है,,,,


तो ठीक है भाई आज आप ऑर मैं मिलकर भाभी को खुश करते है सारा दिन,,,,,,मैने इतना बोला ही था कि भाभी ने मेरे सर
को अपनी तरफ मोड़ लिया ऑर मुझे किस करने लगी ऑर सूरज भी वापिस आने काम मे लग गया ऑर मेरे लंड को चूसने लगा,,,,


उस दिन कविता के घर आने से पहले मैने ऑर सूरज ने मिलकर भाभी को बहुत खुश किया बहुत मज़ा दिया ,,कविता ने 6 बजे
के बाद ही आना था इसलिए हम लोग अपना काम ख़तम करके 6 बजे फ्रेश होके सोफे पर बैठ गये ऑर भाभी जो आज बहुत ही ज़्यादा खुश थी वो किचन मे जाके कुछ खाने पीने को बनाने लगी,,,,,

भाभी ने कुछ पकोडे बना लिए ऑर साथ मे कॉफी ,,हम लोग बैठ कर खा पी रहे थे तभी बाहर बेल बजी ऑर सूरज
ने जाके गेट खोला ,,,,कुछ देर बाद सूरज एक साथ कविता ऑर सोनिया घर मे दाखिल हुए,,,,

कविता मुझे देख कर खुश थी लेकिन सोनिया वही गुस्से से मुझे घूर रही थी,,,लेकिन सूरज ओर भाभी के सामने वो
थोड़ा शांत हो गई,,,,

हेलो सन्नी ,,,,,,,हाउ आर यू,,,,

हेलो कविता,,,,,,,आइम फाइ9 ,,तुम सूनाओ ,,,मूवीस कैसी रही आज,,,,

इस से पहले कविता कुछ बोलती सोनिया बीच मे बोल पड़ी,,,,,,,ये यहाँ क्या कर रहा है,,,,

सूरज,,,,,,,,,अरे भाई क्या कर रहा है मतलब ,,,,हमारे साथ बैठ कर कॉफी पी रहा है ऑर क्या कर रहा है,,,,क्यू तुमको
कुछ प्रोबलम है क्या इसके यहाँ होने से,,,,

सोनिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही भाई मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी,,,,ये यहाँ नही आता अक्सर इसलिए पूछा,,,,

सूरज,,,,,,,,,,,,,,,,,ये तो आज भी नही आता वो तो मैं गेट पर खड़ा हुआ था तो इसको गली से गुज़रते देख लिया ऑर अंदर बुला लिया,,,,

अरे वाह भाभी आज पकोडे किस खुशी मे बनाए है,,,,इतना बोलकर कविता जल्दी से भाभी के पास जाके बैठ गई ऑर पकोडे
खाने लगी,,,,,,,,मूवीस बहुत अच्छी रही सन्नी खूब मज़ा किया हम दोनो ने,,,,,लेकिन अब सोचती हूँ मूवीस पर पैसे
बेकार मे खरच किए यहाँ घर रहती तो उस से ज़्यादा मस्ती करती भाभी के हाथ के बने पकोडे ख़ाके,,,,
 
तभी सोनिया भी जल्दी से भाभी एक पास आ गई ऑर पकोडे खाने लगी,,,,,चल; झूठी तूने पैसे कहाँ खर्च किए तूने तो
बोला था कि ये सूरज भाई की तरफ से ट्रीट है उन्होने तुझे पैसे दिए थे मूवीस के लिए,,,,,

तभी मैने सूरज की तरफ देखा तो उसने मुझे इशारा कर दिया,,मैं समझ गया कि सूरज ने कविता को पैसे दिए थे
ताकि वो शाम तक मूवीस देखती रहे ऑर यहाँ घर पर हम लोग आराम से मस्ती कर सके,,,

फिर सूरज भी सामने के सोफे पर बैठ गया ऑर हम सब लोग पकोडे खाने लगे,,,,भाभी कविता ऑर सोनिया अपनी ही बातों मे लगी हुई थी,,,,जबकि मैं ओर सूरज चुप चाप पकोडे खा रहे थे,,,


पकोडे ऑर कॉफ़ी ख़तम हो गई ओर मैं सोफे से उठ गया ,,,,,

ओके सूरज भाई अब मैं चलता हूँ ,,,,थोड़ा काम है मुझे घर पर,,,,

सूरज भी सोफे से उठ गया साथ ही मुझे देख कर भाभी भी सोफे से उठ गई,,,,

सूरज मेरे करीब आया ऑर बोलने लगा,,,,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई एक बार फिर ,,,,,अगर तुम ना होते तो आज मैं ऑर कामिनी इतना
खुश नही होते ,,,तुम्हारी वजह से ही आज ये खुशी मिली है हम पति पत्नी को,,,तुम्हारी वजह से हमारी बिखरती हुई
शादीशुदा ज़िंदगी फिर से सिमटने लगी है,,तुम ना होते तो आज भी हम लोग वैसे ही दुखी होते जैसे शादी के बाद से
थे लेकिन तुम्हारे आने से हम लोगो की ज़िंदगी मे खुशी वापिस पलट कर आई है,,,,,मैं जितना भी शुक्रिया अदा करू
तेरा वो कम है सन्नी,,,इतना बोलकर सूरज मेरे गले लग गया ऑर हलके आँसू भी आ गये उसकी आँखों मे


सोनिया ऑर कविता हम लोगो की तरफ देख रही थी तभी भाभी भी हम लोगो के पास आ गई ऑर सूरज ऑर मेरे गले लग गई,,

सूरज ठीक कह रहा है सन्नी आज तुम्हारी वजह से हम लोग इतना खुश है ऑर जो गिफ्ट तूने हम को दिया है उस से हम आगे की
ज़िंदगी भी खुश रह सकते है,,,,,हम कभी भी तेरा ये एहसान नही चुका सकते,,,भाभी की आँखें भी थोड़ा नम हो
गई,,

मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो पहले तो गुस्से से देखती थी मुझको लेकिन अब उसकी आँखों मे गुस्सा तो था लेकिन चहरे
पर कुछ अजीब भाव थे जिसको मैं पहचान नही पा रहा था,,तभी वो सोफे से उठी ऑर बाहर की तरफ जाने लगी,,,वो किसी
से कुछ नही बोली ओर चुप चाप बाहर चली गई,,,कविता भी उसके पीछे पीछे चली गई,,,

मैने भी भाभी ऑर सूरज भाई से अलविदा ली ऑर बाहर की तरफ आ गया,,,वो लोग अभी भी नम आँखों से मुझे बाहर जाते हुए
देख रहे थे,,,,,

मैं बाहर गेट पर पहुँचा तो कविता ऑर सोनिया कुछ बात कर रही थी,,

कविता,,,,,क्या हुआ तुझे तू ऐसे उठकर क्यू चली आई एक दम से,,,,

सोनिया,,,,,,,कुछ नही मुझे देर हो रही थी,,,मुझे घर जाना था,,,,चल अब तू मुझे घर छोड़के आ जल्दी से,,,

कविता,,,,,,,,तू मुझसे झूठ मत बोला कर,,मैं तेरी बेस्ट फ्रेंड हूँ तेरा झूठ पकड़ लेती हूँ एक मिनट मे,,,

सोनिया थोड़े गुस्से मे ,,,,,,,,,,,मैं झूठ नही बोल रही मुझे सच मे देर हो रही है ,,अब तू मुझे घर ड्रॉप करके
आएगी या मैं खुध चली जाउ,,,

इतनी देर मे मैं भी उनके पास पहुँच गया,,,

कविता,,,,मैं क्यू छोड़ने जाउ तेरे को,,ये सन्नी है ना तू इसके साथ चली जा,,,,,

सोनिया फिर गुस्से मे,,,,मुझे नही जाना किसी के साथ,,मैं तेरे साथ आई थी ऑर तेरे साथ ही जाउन्गी,,,,अगर तुझे नही जाना
तो बता दे मैं खुश चली जाती हूँ ऑटो रिक्शा पर,,,,

कविता,,,,,,तुझे हुआ क्या है ये तो बता,,जानती हूँ तू सन्नी से गुस्सा है लेकिन तूने अंदर देखा नही कि सन्नी की वजह
से भाई ऑर भाभी कितना खुश है,,,,कैसे आंटी को थॅंक्स्क्स्क्स बोलते बोलते वो लोग तक नही आरहे थे,,,उनकी आँखों मे
आँसू ने देखे तूने,,,,तुझे तो खुश होना चाहिए कि सन्नी की वजह से मेरे घर की सब खुशियाँ वापिस आ गई है,,आज
के दिन तो तू सन्नी से गुस्सा ख़तम कर सकती है,,,,,उसने तेरी बेस्ट फ्रेंड के घर मे खुशियों को वापिस बुला लिया है,,
अब कोई टेन्षन नही भाभी को,,,,

वो लोग बात कर रहे थे तभी मैने गेट खोला ऑर कविता को बाइ बोलके बाइक की तरफ चला गया,,,

तभी कविता ने मुझे आवाज़ दी,,,,,,एक मिनट रुक सन्नी अभी मत जा,,,

मैने बाइक स्टार्ट करली मगर वहाँ से गया नही,,,,

कविता,,,,,,,देख मैं जानती हूँ तेरी ऑर सन्नी की फाइ8 चल रही है किसी बात पर लेकिन अपनी बेस्ट फ्रेंड की वजह से तू एक दिन
के लिए उसको माफ़ नही कर सकती,,,आज भाभी ऑर भाभी कितने खुश है सन्नी की वजह से ऑर तू ऐसे गुस्से मे उठकर चली
आई तो वो लोग क्या सोच रहे होंगे,,,,क्या तू अपनी बेस्ट फ्रेंड के लिए इतना भी नही कर सकती,,,

सोनिया,,,,,क्या सच मे सारी प्रोबलम दूर हो गई है,,,,,भाभी की प्रोबलम भी,,लेकिन वो तो शोभा दीदी की वजह से दूर हुई थी
हम ने शोबा दीदी को बोला था भाभी की प्रोबलम के बारे मे,,,

कविता,,,,,हाँ शोबा दीदी को बोला था बट दीदी ने सन्नी को बता दिया था सब कुछ,,ऑर सन्नी के किसी दोस्त के फादर बहुत
अच्छे डॉक्टर थे ,,सन्नी ही भाभी को लेके गया था डॉक्टर के पास ,,ये बात भाभी ने खुद बताई थी मेरे को,,,इसलिए
सन्नी की वजह से ही भाभी की प्रोबलम दूर हुई ही ना कि शोबा दीदी की वजह से,,,

सोनिया,,,,,,,ऑर बाकी की प्रोब्लम्स ,,उनका क्या,,,,क्या वो भी दूर हो गई,,,,,मतलब तेरी प्रोब्ल्म्स,,,,

कविता ने सोनिया को चुप रहने का इशारा किया,,,,,,,,हाँ वो सब प्रोब्ल्म्स भी दूर हो गई है,,,,,सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ सन्नी की वजह से
अब हमारे घर मे कोई प्रोबलम नही है,,,अब बस खुशियाँ ही खुशियाँ है घर मे,,,,

सोनिया ऑर कविता गले लग गई ऑर बहुत ज़्यादा खुश हो गई,,,,,,मेरी समझ मे कुछ नही आया कि वो दोनो क्या बात कर रही थी,,,
कुछ कुछ तो मैं समझ गया लेकिन अभी बहुत कुछ समझना बाकी था,,,,,

चल अब मेरी खातिर तू सन्नी को एक दिन के लिए माफ़ कर्दे ओर उसके साथ घर चली जा,,,,

लेकिन कविता,,,,,,,,,

लिकिन वेकीन कुछ नही ,,अपनी बेस्ट फ्रेंड के लिए इतना भी नही कर सकती ,,,,ऑर अपने भाई के लिए जिसने तेरी बेस्ट फ्रेंड की इतनी
हेल्प की उसके घर मे खुशियों को वापिस लेके आया,,,,,,

ठीक है मेरी माँ अब ज़्यादा इमोशनल मत करो,,,इतना बोलकर दोनो हँसने लगी ऑर गले लग्के बाइ बोलने लगी,,,कविता ऑर
सोनिया दोनो बाहर आ गई जहाँ मैं बाइक स्टार्ट करके खड़ा हुआ था,,,,

ओके बाइ कविता इतना बोलकर सोनिया बाइक पर बैठ गई ,,,

बाइ सोनिया,,,,,बाइ सन्नी,,,,

मैने भी बाइ बोला ऑर बाइक आगे बढ़ा दी,,,,सोनिया ने मुझे नही पकड़ा हुआ था उसने बाइक को पकड़ा हुआ था,,,मैं
समझ गया कि कविता की वजह से ये सोनिया मेरी बाइक पर बैठ तो गई है लेकिन इसका गुस्सा अभी तक शांत नही हुआ है
इसलिए कविता की गली से बाहर निकलते ही मैने बाइक साइड पर रोक दिया,,,,,,

चल उतार,,,ओर खुद चली जा घर,,,,,मइए सोनिया को बाइक से उतरने को बोला,,,,,

क्या हुआ सन्नी,,,,,

कुछ नही,,मुझे लगा कि तूने भी कविता के घर से थोड़ी दूर आके बोल देना है कि मुझे तेरे साथ घर नही जाना
मुझे बाइक से उतार दो इसलिए तेरे बोलने से पहले ही मैने खुद बाइक रोक दिया,,,,,,चल उतर अब खुद चली जा घर

लेकिन सन्नी ,,,वो मेरे पास,,,वो,,

वो वो क्या,,,कविता के घर तो बड़ी गुस्से से बोल रही थी मुझे नही जाना इसके साथ मैं खुद चली जाउन्गी ,,तो अब
क्या हुआ,,,,,

सन्नी मेरे पास पैसे नही है,,मैं कैसे घर जाउन्गी,,,,,,

तो फिर फालतू का नखरा क्यूँ कर रही थी उसके घर ,,,,सीधी तरह बैठ नही सकती थी आके,,,,,

सॉरी सन्नी ,,लेकिन मेरी क्या ग़लती है सारी ग़लती तो तेरी है,,,,,

चल चल बस कर ,,,ज़्यादा मत बोल ,,मैं जानता हूँ मेरी ग़लती है ऑर मैं हूँ भी ग़लत इंसान,,,अब खुश,,,,इतना
बोलकर मैं बाइक आगे बढ़ा दी,,,,ना वो कुछ बोली ऑर ना मैं खुश बोला,,,,,

फिर आगे चलके ऑटो स्टॅंड आ गया मैने बाइक फिर रोक दी,,,,,,ऑर ऑटो वाले से पूछा,,,,,

भैया ------ नगर चलोगे क्या,,,,

हां साहिब ज़रूर चलेंगे,,,,,कितनी सवारी है,,,,,

एक सवारी है,,इतना बोलकर मैने सोनिया को बाइक से उतरने को बोला ऑर वो उतर गई,,,,,जा जाके ऑटो मे बैठ जा,,,,,,

वो उदास होके मुझे देख रही थी मानो बोल रही थी कि उसके पास पैसे नही है,,,,,तभी मैं अपने पर्स से पैसे निकाले
ऑर ऑटो वाले को दे दिए,,,,,
 
तभी सोनिया ने पूरे गुस्से से मेरी तरफ देखा ऑर रूठती हुई ऑटो मे जाके बैठ गई,,,,,मैने बाइक को आगे बढ़ा लिया ऑर ऑटो वाला भी पीछे पीछे आने लगा,,,,,

मैं बाइक के मिरर से पीछे ऑटो मे बैठी हुई सोनिया को देख रहा था ,,वो पूरे गुस्से मे मुझे घूर रही थी,,उसको
इतना गुस्सा था मेरे पर कि उसका दिल करता तो पत्थर मार कर मेरा सर फोड़ देती,,,लेकिन बेचारी कुछ नही कर सकती थी,,,,

मैने सोचा कि बाइक को ऑटो के साथ ही रखता हूँ ऑर उसको थोड़ा गुस्सा दिलाता हूँ,,,,थोड़ा तड़पाता हूँ लेकिन फिर
मैने सोचा कि ऑटो वाला क्या सोचेगा कि दोनो को एक जगह आना था तो लड़की को ऑटो मे क्यू बिठा दिया,,,यह सोच
कर मैने बाइक को तेज किया ऑर वहाँ से आगे बढ़ गया,,,


मैं घर पहुँचा तो मैं बहुत खुश था,,,एक तो आज सोनिया को मज़ा चखा दिया था ऑर उसको गुस्से को ओर भी भड़का
दिया था लेकिन आज मैं कोई ऐसी वैसी हरकत नही की थी बस मज़ाक मज़ाक मे उसको गुस्सा दिलवा दिया था ऑर उपर से मैं इस बात से खुश था कि आज सूरज भाई ऑर भाभी को वो स्टर्प-ऑन दे दिया था जिस से दोनो बहुत खुश हो गये थे,,अब वो दोनो मिलकर एक दूसरे को खुश कर सकते थे ,,उनको किसी की ज़रूरत नही थी,,,,मेरी भी नही,,फिर भी भाई ऑर भाभी ने बोला था कि अगर मेरी ज़रूरत पड़ेगी तो वो मुझे मज़ा ऑर मस्ती करने के लिए ज़रूर बुलाएँगे,,,,ऑर मैं भी तो उन लोगो के साथ मस्ती करने के लिए हमेशा तैयार था,,,क्यूकी जहाँ भाभी इतनी खूबसूरत थी वहीं सूरज को लंड चूसने का बड़ा हुनर था ओर उसकी गान्ड मार कर भी बहुत मज़ा आता था मुझे,,,,,

मैं सोनिया से पहले ही घर पहुँच गया था,,,मेरे घर आते ही मामा ने दरवाजा खोला जैसे ही मैं अंदर गया तो वो
बाहर निकल गया,,,,


कहाँ जा रहे हो मामा ,,,

कहीं नही बेटा बस थोड़ा काम है वही करने जा रहा हूँ,,,,

मैं सोचा नशेड़ी ऑर वहले बंदे को क्या काम हो सकता है,,,,,गया होगा अपने नशे का समान लेने,,,

खैर मामा वहाँ से चला गया ऑर मैं घर के अंदर आ गया,,,अंदर आके देखा तो माँ घर मे नही थी,,ना तो अपने
रूम मे थी ऑर ना ही किचिन मे थी,,,,शायद वो अभी भी करण के घर पर ही होगी,,,,,

मैने शोबा दीदी को भी आवाज़ लगाई तो कोई रिप्लाइ नही आया,,मैने नीचे भी देख लिया ऑर उपर जाके भी दीदी के रूम मे
देखा तो दीदी नही थी,,,मैं समझ गया कि दीदी वापिस बुटीक पर चली गई होगी ऑर मामा भी अभी वहीं गया होगा,,,,

सुबह से तो वो लोग घर पर ही मस्ती कर रहे थे लेकिन शाम को सोनिया ने आ जाना था घर पे इसलिए वो लोग बुटीक पर चले गये होंगे,,,,तभी तो मामा भी काम का बोलके घर से निकल गया है,,,अब ये रात को ही वापिस आएगा दीदी के आने के बाद,,,,लेकिन माँ अभी तक क्यू नही आई,,,लगता है माँ कुछ ज़्यादा ही मस्ती कर रही होगी अलका आंटी के साथ ऑर उनको कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा होगा तभी तो इतना टाइम हो गया है अभी तक वापिस नही आई ,,,,,,


मैं उपर रूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया,,,,तभी बाहर बेल बजी ऑर मैं दरवाजा खोलने चला गया,,,,,मैने
दरवाजा खोला तो सामने सोनिया खड़ी हुई थी,,,,,उसने मुझे पूरे गुस्से से देखा ,,उसका चेहरा फूला हुआ था ऑर आँखें
गुस्से से लाल थी,,,वो कुछ नही बोली ऑर घर के अंदर आ गई,,,,,मैं उसको देख कर थोड़ा डर तो गया था लेकिन मुझे बहुत
अच्छा लग रहा था बहुत मज़ा आ रहा था क्यूकी आज मैने जान बूझ कर उसको गुस्सा कर दिया था,,,मैं मन ही मन थोडा
खुश होने लगा था,,,,

वो अंदर चली गई ऑर मैं भी दरवाजा बंद करके अंदर आके सोफे पर बैठ गया जबकि वो उपर अपने रूम मे चली गई ,,,,


कुछ देर बाद वो फ्रेश होके चेंज करके नीचे आ गई ऑर माँ को आवाज़ देने लगी,,,,लेकिन उसको जल्दी ही पता चल गया कि घर पर कोई नही है,,,फिर वो किचन मे चली गई ऑर कुछ देर बाद कुछ सब्जियाँ ऑर नाइफ लेके डाइनिंग टेबल पर बैठ
गई,,,मैं समझ गया कि ये माँ के आने से पहले डिन्नर की तैयारी करने लगी है,,,,,मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे गुस्से से देखते हुए सब्जियाँ काटना शुरू कर दिया,,,,वो अपने दाँतों को ज़ोर ज़ोर से भींच कर मेरी तरफ लाल आँखों से देखती
हुई सब्जी काट रही थी,,,वो इतने गुस्से मे थी कि जैसे उसके हाथ मे सब्जी नही मेरी गर्दन है ओर वो मेरी गर्दन काट रही है,,


मैने उसकी तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नही दिया ऑर टीवी देखने लगा,,,,लेकिन मैं मन ही मन आज बड़ा खुश था ,,आज उसको इतना तंग जो किया था,,,जानभूज कर उसको आज गुस्सा दिलाया था,,,

कुछ देर बाद मैं किचन मे गया क्यूकी मुझे प्यास लगी थी,,मैने पानी को बॉटल निकाली ऑर पानी पीने लगा,,मैं
बॉटल को मूह से उपर करके पानी पी रहा था तो कुछ पानी नीचे ज़मीन पर गिर गया,,मैने उसकी कोई परवाह नही की
ऑर पानी की बॉटल को फ्रिज मे रख कर कुछ खाने को तलाश करने लगा,,,ऑर मुझे कुछ कुकीस भी मिल गई,,,मैं वहीं
खड़ा होके 2-3 कुकीस मूह मे डालके चबाने लगा ऑर कुछ कुकीस हाथ मे लेके कुकीस वाले बॉक्स को वापिस अपनी
जगह पर रख कर किचन से बाहर आने लगा,,,,तभी मैने देखा कि सोनिया किचन मे आ गई ऑर फ्रिज खोलकर कुछ
समान लेके वापिस बाहर जाने लगी,,,,तभी ज़मीन पर गिरे हुए पानी की वजह से वो फिसलकर गिरने लगी जो पानी मेरी वजह से गिरा था,,,,,सोनिया पीठ के बाल गिरने लगी तो मैने जल्दी से जाके उसको पकड़ लिया,,,मेरा हाथ उसकी पीठ पर था मैने उसको पकड़ कर सीधा किया ओर किचन से बाहर आ गया,,,ना तो उसने कुछ बोला ऑर ना मैं कुछ बोल सकता था क्यूकी मेरा मूह भरा हुआ था कुकीस से,,,,मैने किचन से बाहर निकलते टाइम उसकी तरफ मूड कर देखा तो उसकी आँखों मे गुस्सा ऑर अजीब सा भाव था,,मैं समझ नही पा रहा था लेकिन गुस्सा तो दूर से ही पहचान लेता था मैं उसका,,,,


मैं किचन से बाहर आके सोफे पर बैठा ऑर एक हाथ से रिमोट उठा कर चॅनेल सेट करने लगा ऑर दूसरे हाथ मे पकड़ी
हुई कुकीस खाने लगा,,,,मैं जान भूज कर टीवी देख रहा था ऑर कुकीस खा रहा ता क्यूकी मैं खुद पर क़ाबू कर
रहा था ,,,एक पल के लिए सोनिया को सहारा देके गिरने से बचाया था ऑर उसको पीठ पर हाथ लगाया था लेकिन उसी एक पल मे मेरी हालत पतली हो गई थी,,,,एक पल मे लगा कि कोई तूफान पूरे जिस्म मे खलबली मचाने लगा है ,,,लंड एक पल मे ओकात मे आना शुरू हो गया था ऑर अगर सोनिया को इस बात का पता चला जाता तो जिस नाइफ से सब्जी काट रही थी उसी से मेरी गर्दन काट देती,,,,

मैं टीवी देखते हुए खुद पर क़ाबू पा रहा था वहीं सोनिया वापिस डाइनिंग टेबल पर बैठ कर सब्जी काटने लगी थी,,,मैं टीवी
देखते हुए बीच बीच मे एक नज़र उसकी तरफ देख लेता ,,,लेकिन उसकी आँखों मे अब गुस्सा नही था लेकिन चहरे पर
अजीब भाव थे हालाकी वो मुझे घूर ज़रूर रही थी बट गुस्से से नही,,,,

तभी उसकी सब्जी कट गई ऑर वो किचन मे सब्जी रखके बाहर आ गई ऑर डाइनिंग टेबले पर कपड़ा मारने लगी,,मैं उसकी तरफ देख रहा था तो वो कपड़ा मारने के बाद सोफे की तरफ बढ़ने लगी ऑर मेरे पास आके दूसरे सोफे पर बैठ गई,,,तभी मैने अपनी कॉकीस ख़तम कर चुका था मैने रिमोट को टेबल पर रखा ऑर उठकर वहाँ से जाने लगा,,,,मैं झूठ मूठ
का गुस्सा ऑर अकड़ दिखा रहा था इसलिए उसके सोफे पर बैठते ही मैं वहाँ से उठके जाने लगा,,

अभी मैं सोफे से उठकर जाने ही लगा था कि मुझे सोनिया ने आवाज़ देके रोक लिया,,,,,,कहाँ जा रहे हो भाई,,,

मैने पीछे मूड कर नही देखा बस ऐसे ही पीठ करके उसकी बात का जवाब देने लगा,,,,,,,तुझे क्या लेना जहाँ मर्ज़ी जाउ
मैं,,इतना बोलकर मैं फिर से आगे बढ़ने लगा,,,,

तभी वो फिर से बोली लेकिन इस बार हल्के गुस्से से,,,,भाई मैने पूछा कहाँ जा रहे हो,,,,

मैं उसकी तरफ पलट कर नही देखा,,,,,,,,मैं उपर जा रहा हूँ अपने कमरे मे थोड़ा काम है,,,,

क्या काम है ,,,,?

तुझसे मतलब ,,,मुझे कुछ भी काम हो तेरे को क्या,,,,

तभी वो चलके मेरे आगे आके खड़ी हो गई ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,,क्या काम है भाई ,,,मुझे भी बताओ,,

मेरे काम से तुझे क्या लेना देना तू बैठ कर टीवी देख,,,,,मैं उपर जा रहा हूँ,,,

भाई तू ऐसा क्यूँ कर रहा है मेरे साथ,,,,इतना गुस्सा किस बात पर है तुझे,,,,क्यू मुझे इग्नोर कर रहा है ,,मुझे आज
अपने साथ घर भी नही लेके आया ऑटो मे बिठा दिया ऑर अब इतनी देर से टीवी देख रहा था ऑर जब मैं आई तो तू उठकर उपर जाने लगा,,,,सीधी तरह क्यू नही बोल दिया कि सोनिया यहाँ मत बैठो तो मैं नही बैठती,,,,एक तो खुद बुरा काम करते हो उपर से खुद ही गुस्सा हो जाते हो,,,,


अच्छा आज मैं उठा तो तेरे को नज़र आ गया ऑर जब तुम टीवी देखती हो ओर मैं आके सोफे पर बैठ जाता हूँ तो तुम क्यू उठकर भाग जाती हो,,तुम मुझे क्यू नही बोल देती कि सन्नी यहाँ मत बैठो,,

क्यूकी तुम बुरे हो भाई,,,बुरी बातें करते हो इसलिए तुम जब आके मेरे पास बैठ जाते हो तो मैं उठकर चली जाती हूँ,,,

हाँ हाँ मैं बुरा काम करता हूँ ऑर मैं बुरा इंसान हूँ,,,क्या अब ऑर कुछ कहना है तुझे,,,,या मैं जाउ उपर,,,,

नही जा सकते,,मेरी पूरी बात सुने बिना मैं नही जाने दूँगी,,,,उसने अपने हाथ को दोनो तरफ खोल दिया ऑर मेरे सामने
ऐसी खड़ी हो गई जैसे मेरा रास्ता रोक रही हो,,,

क्या बात करनी है,,जल्दी कर मुझे उपर जाना है,,,
 
भाई ऐसा मत कर मेरे साथ प्लज़्ज़्ज़ क्यू बार बार मुझे तंग करता है तू,,,क्यू ऐसी हरकत करता है कि मैं तेरे से गुस्सा
होने पर मजबूर हो जाती हूँ,,,,पहले तो तू ऐसा नही था अब कुछ महीनो मे तुझे क्या हो गया है ,,क्यू हम दोनो भाई
बेहन जो बहुत अच्छे दोस्त थे एक दूसरे के बिना नही रहते थे क्यू अब हम दोनो दूर दूर रहने लगे है ,,क्यू भाई
ऐसा क्या हो गया तुझे कुछ महीनो मे जो तू इतना बदल गया है,,,,इतना बोलते टाइम उसकी आँखों मे नमी आ गई,,,

बोल दिया जो बोलना था,,,,,अब मैं जा सकता हूँ क्या,,,,,,मैने उसके उदास चेहरे ऑर नम आँखों की भी कोई परवाह नही
की,,,ऐसा नही कि मैने परवाह नही की लेकिन मैं उसको ये जताना नही चाहता था क्यूकी अगर उसको पात चला जाता या ज़रा सा भी शो हो जाता कि मुझे उसके उदास चहरे की या नम आँखों की थोड़ी सी भी परवाह है तो वो मुझपे हावी हो जाती जो मेरे लिए अच्छी बात नही थी,,,क्यूकी अगर वो हावी हो जाती तो ऑर भी ज़्यादा ख़तरनाक हो जाती,,,,

नही जा सकते तुम भाई,,,पहले मेरी बात का जवाब दो,,,,ऐसा क्या हो गया तुझे कुछ महीनो मे जो तू इतना बदल गया,,,

मुझे नही पता मुझे क्या हुआ है बस इतना पता है मैं वो सन्नी नही रहा अब जो पहले था,,,अब मैं बुरा इंसान
बन गया हूँ बुरा भी नही बहुत ज़्यादा बुरा,,,तू दूर रहा कर मेरे से,,,,

मैं दूर नही रहूंगी तेरे से,,ऑर तू बुरा नही है भाई तू तो बहुत अच्छा है,,,लोगो की हेल्प करता है,,,,वो तो तेरा दोस्त
करण है जिसकी वजह से तू ऐसी हरकते करने लगा है ऑर उसकी वो कमीनी बेहन शिखा ,,उन दोनो ने ही तेरा दिमाग़ खराब किया है भाई,,,,वो अच्छे लोग नही है तू उनसे दूर रहा कर भाई,,,वही लोग तेरे को बुरा बना रहे है,,,,उनकी संगत मे
रहना बंद कर देगा तो खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा तू भाई,,,,,

मैं सोचा कि अब इसको क्या बोलू कि मैं उनकी संगत मे रहके बुरा नही बना बल्कि वो दोनो मेरी वजह से इस रास्ते पर
चलने लगे है,,,मेरी वजह से आज करण अपनी बेहन शिखा के साथ मस्ती करता है,,,

मुझे किन लोगो के करीब रहना है ऑर किन लोगो से दूर रहना है मैं अच्छी तरह जानता हूँ,,,,ऑर मैं अच्छा इंसान नही
हूँ बहुत बुरा हूँ,,,,तू मेरे से दूर रहा कर बस,,,,तेरे लिए यही ठीक रहेगा,,,,,,

मैने बोला ना मैं तेरे से दूर नही रहूंगी ,,,बचपन से हम दोनो साथ साथ है तो भला अब मैं तेरे से दूर क्यू
रहूं ,,,वो थोड़ा गुस्से से ऑर चिल्ला कर बोल रही थी,,,,,,,,,

मैं थोड़ा सहम गया था उसके गुस्से से,,,,,लेकिन मैने शो नही किया,,,,,

ऑर तुझे किसने बोला भाई तू बुरा है,,तू तो बहुत अच्छा है,,,,उस दिन मैने अपनी आँखों से देखा था,,,,

मैं साला सोच मे पड़ गया कि अब इसने क्या देखा लिया,,कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नही देख लिया,,,,अब तो बेटा सन्नी तू
गया काम से अब ये नही छोड़ने वाली तेरे को,,,,कच्चा चबा जाएगी ओर सारा खून भी निचोड़ कर पी जाएगी,,,,



क्या देखा तूने,,,,? मैने हैरान होके पूछा,,,,,

मैने देखा था भाई उस दिन कॉलेज मे वो लड़का जिसका हाथ टूटा हुआ था ऑर कुछ लड़के उसको मार रहे थे ,,पूरा
कॉलेज खड़ा तमाशा देख रहा था किसी ने हिम्म्त नही की उस लड़के को बचाने की लेकिन तू आगे गया था भाई उस लड़के
की हेल्प करने के लिए,,,,तूने उस लड़के को बचाया था उन लड़को से जो उसको मार रहे थे,,,,ऑर आज मुझे पता चला कि तूने कविता के घर की सारी प्रोबलंस दूर करदी है,,,मैने देखा था सूरज भाई ऑर कामिनी भाभी को,,,उनकी आँखों से निकलने
वाले खुशी के आँसू भी देखे थे वो लोग तुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोल बोल कर थक नही रहे थे,,,तूने उनकी फॅमिली मे दोबारा
से खुशियाँ भर दी है भाई,,,वो लोग कितना खुश थे,,,,,तुझे पता है ना कि कुछ टाइम से उनके घर के हालात ठीक नही
थे कोई दिन ऐसा नही था जब उनके घर मे फाइट नही होती थी,,कोई दिन ऐसा नही था जब उनके घर मे कामिनी ऑर कविता रोती नही थी लेकिन आज वो सब लोग खुश है ,,,ऑर उन लोगो के चहरे पर खुशी की वजह तुम हो भाई,,,,शोबा दीदी ने तो बस उनकी हेल्प करने की कोशिश की थी लेकिन असली हेल्प तो तूने की उनकी भाई,,,मुझे कविता ने सब बता दिया कैसे तुम अपने किसी दोस्त के फादर के पास जो एक बहुत अच्छे डॉक्टर है तुम उनके पास कामिनी भाभी को लेके गये ऑर उनका एलाज़ शुरू करवा दिया,,,कैसे तुम्हारी वजह से आज भाभी इतना खुश है,,,,,सूरज खुश है ,,,कविता खुश है,,,,,ऑर उन लोगो की वजह से मैं भी बहुत खुश हूँ भाई,,,,इतना बोलकर सोनिया मेरे करीब आ गई ऑर मेरे गले मे बाहें डालके मुझे हग करके रोने लगी,,,,

तुम बहुत अच्छे हो भाई,,,,सबका कितना ख्याल रखते हो सबकी हेल्प करते हो,,,फिर इतना बुरा काम क्यूँ करते हो,,,मैं जानती हूँ तुम बुरे नही तुम बस करण की वजह से ऐसी हरकते करते हो,,,,

वो पता नही क्या क्या बोलती जा रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कुछ सुनाई नही दे रहा था मैं तो बस उसके
इतने करीब होने से उसके जिस्म के एहसास से उसके बदन की खुश्बू से मदहोश होके किसी ऑर ही दुनिया मे पहुँच गया
था,,,,तभी ना जाने कब मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर गर्दन के थोड़ा नीचे चला गया ऑर एक हाथ जिसको मैं उसकी पीठ
पर कुर्ते के उपर रखने वाला था वो हाथ उसकी नंगी पीठ पर उसकी गान्ड से थोड़ा सा उपर टिक गया था,,,उसका कुर्ता
वैसे तो नीचे था लेकिन जब उसके हाथ उपर उठ गये जब उसने मेरे गले मे अपनी बाहें डाली थी तो हाथ उपर उठने की
वजह से उसका कुर्ता भी उपर उठ गया था ऑर मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर रखा गया था,,,मैं ऐसा नही करना
चाहता था लेकिन मैं उसके बदन की खुश्बू से मदहोश हो गया था ऑर ग़लती से उसका कुर्ता उपर उठने की वजह से मेरा
हाथ उसकी नंगी पीठ पर आ गया था,,,,

मेरा हाथ नंगी पीठ पर लगते ही उसकी आवाज़ बंद हो गई,,वो चुप हो गई,,,,

तभी मैने अपने उस हाथ को जो उसकी नंगी पीठ पर था उसको उसकी पीठ पर हल्के से सहलाया ऑर पीठ से उपर की तरफ ले आया जहाँ उसकी ब्रा थी,,मेरे ऐसा करते ही उसके बदन को तेज झटका लगा,,,,तभी मैने अपने हाथ को उसकी पीठ पर नीचे की तरफ ले जाना शुरू किया ऑर उसकी पीठ से एक तरफ करके उसकी कमर पर ले गया ऑर मुझे पता नही क्या हुआ मैने उसकी कमर को अपने हाथ मे ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया,,

मेरे ऐसा करते ही उसके मूह से हल्की आवाज़ निकली,,,वो आवाज़ कुछ अजीब थी जैसे किसी की साँसे अटक जाती है वैसे उसकी भी साँसे अटक गई थी,,उसके उपर के साँस उपर ऑर नीचे की साँस नीचे रह गई थी,,,,तभी मैने एक बार ऑर हल्के से उसकी कमर को दबा दिया ऑर दूसरे हाथ से जो उसकी गर्दन के नीचे उसकी पीठ पर था उस से उसको अपने ऑर करीब करके अपने से सटा लिया,,अब वो मेरे इतने करीब थी कि उसके बूब्स मेरी छाती पर दब रहे थे,,हम लोगो मे इतनी जगह भी नही थी कि हवा भी बीच से गुजर सके,,,,तभी मैं अपने लिप्स को उसके कान के करीब कर दिया ,,,,ऑर प्यार से हल्की मदहोशी मे बहुत स्लो आवाज़ मे उसको बोलने लगा,,,,,,


देख मैं आच्छा ल्लाडडकक़ा नाहहीी हूंन ,,मैईन्न ब्भ्हुत्त्त ब्बुउर्रा हून्न ,,इस ल्लीइयईी क्कहहत्ता हूओंन्न क्कीी
म्मेरेरीए ससी द्दूवररर र्राहहा क्कार्र तुउउउ कक्युउककीी म्मैहईन्न त्तेर्री सात्तह बभीी ककुउच्च ब्बुउर्रा कारर
साककत्ता हून्णन्न् र मायन्न न्नाहहिईीई चहाआतता क्कीिई म्मैहईन्न टररी स्साटतह ककुउचह ब्बुउर्रा करुउउउ
ऊरर तुऊुज्झहही हहुुरत्त काररुउउउ,कययुउकीी मायन्न तुउज़्झहहे हहुुरतत्त कररननी क्की ब्बरी म्मी स्सपपंनी मी
बहीी न्नाहहीी सूकच्छ साककत्ता,,,र तटूउज़्झहहे ककब्भीी डुूक्खहीी न्नाहहीी द्डेक्खह स्साकत्ताअ ,,तूऊ प्लज़्ज़्ज़ मेरेरी
ससी द्दूर्र र्राहहा क्काररररर,,,,,
 
इतना बोलकर मैने अपनी पकड़ को उसके जिस्म पर थोड़ा कमजोर कर दिया तो उसने बड़े आराम से कोई जल्दबाज़ी नही करते हुए मेरे से अलग होने की कोशिश की,लेकिन तभी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने उसको फिर कस्के अपने करीब कर लिया इस बार उसके मूह से हल्की अहह निकल गई लेकिन ये आह मस्ती की थी या दर्द की मैं ये नही जान सका क्यूकी मैने उसको बहुत ज़ोर से अपने साथ दबा लिया था ऑर फिर से मेरे लिप्स उसके कान के पास चले गये थे,,,,,

म्मैेईन्न ब्बुउर्रा हूँ तूओ इसस्क्का मत्तलाब्ब यईी न्नाहि क्कीी स्साररीइ गगल्लत्टीी म्मेरेयिइ हहाइी ककुउच्च गाल्लत्टीी
त्ीररीई बभीी हाइी तटूउ हहाइईइ हिी इट्त्न्नीी खूब्बससुर्राातत्त क्कीी मैईन्न क्क्य्या क्कू बहीी लद्डकक़ा त्तीरर काररीब्ब
आन्नी सीसी ल्लीययए ककुउच्च बहीी कररननी कू त्तायरर हहू जआययी ऊरर मायन्न बहीी टतेरी काररीब्ब आनने सीसी लिई
ककुउच्च बभीी काररननी क्कू ताययर्र हहूऊंन ल्लेककिन्न म्मायन्न्न्न् क्क्हुद्धह त्तीररी काररीब्ब ककब्भीइ
न्नाहहीी आट्टाअ यी टू त्त्तरीररी ज्जििसम्म क्कीी कखहुउस्शहबू हहाईईइ टटेररीई सन्नस्सूओ क्कीी माद्धूश्ह क्कररननी
वाल्लीइीइ मीहाकक हहाऐईइ टीररी पपाससीन्नी किी ममतहिि ऊरर नामककींन गंदा हाइईइ तूओ म्मूउज़्झहही
मद्धूस्सह क्कार्रक्की त्तीररी काररीब्ब आन्नी क्कू माजजब्बूओर क्कररत्त्टीी हाइईईई ,,माईंन त्तीर्रे क्काररीब्ब
नाहहिि आत्ता ययई तूओ तुउउउ हाइी ज्जू पपत्ता न्नाहहीी किस डोर्र ससी म्मूुझहही आपपंनी कारीबब ख्हीन्नच्छ
लेटटीीई हाइईइ,,,मैंन क्कीत्त्न्नी बारर इस डोर्र्र क्कूव टूद्दननी क्कीईइ क्कूशहीससह कारर चुका हहूँ लीक्कीिईन्न्न्न्
हहारर बारर नाकाँम रहहा हून्न्न ज़्जब्ब बहीी इश्स ड्ड़ोर्र क्कू टूद्धनने क्कीिई क़ूसशिीसश क्काररत्ता हू न टू यी
ड़ड्डोर्र र बहीी जय्यड्डा मजज़बूओत हहू जात्तीी हाइी र मुुझहही तीरीई तारराफ़ कखीन्न्कचछ लेटटी हाइईइ मेरेरा
ख़्हुडद प्पीरर क्कू क़बबू नाहहीी रीहहता ,,,,,,,,,,,इतना बोलते हुए मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे ऑर दूसरा
हाथ उसके बालों मे था ऑर मेरे हाथ की उंगलियाँ उसके बालों मे घूम रही थी ,,उसकी हार्ट बीट बहुत तेज थी ऑर उसकी
साँसे भी काफ़ी तेज ऑर गरम हो गई थी ,,,,वो मेरे साथ बिल्कुल सटके खड़ी हुई थी उसके दिल की तेज धड़कन मुझे अपने दिल के करीब महसूस हो रही थी जिसस वजह से मेरे दिल की धड़कन भी काफ़ी तेज हो गई थी,,,,मेरे हाथ लगातार उसकी पीठ को सहला रहा था ओर दूसरा हाथ उसके बालों को,,,,


तभी मैने अपने उस हाथ से जो उसके बलून मे था उस से उसके बालों को कस्के अपनी उंगलियों मे जकड़ा ऑर उसके सर को अपने से थोड़ा दूर किया ,,,,,मैने उसके चहरे को देखने लगा जिसपे एक मासूमियत थी ऑर आँखों मे एक उलझन थी वो
कुछ समझ नही पा रही थी जैसे मैं कुछ समझने की हालत मे नही था ,,वो मेरी आँखों मे देख रही थी ऑर मैं उसकी
आँखों मे ,उसके लिप्स थोड़े खुले हुए थे ऑर वो तेज तेज साँसे ले रही थी तभी मैं उसके सर को अपने करीब करने लगा
,वो समझ गई थी अब मैं क्या करने वाला हूँ क्यूकी मेरा ध्यान उसके लिप्स की तरफ था ऑर उसका ध्यान मेरी तरफ,,तभी
उसके हाथ जो मेरे गले मे थे वो अपने हाथों से मेरी पीठ को ज़ोर से दबाने लगी ऑर मेरी पीठ को अपने नाखूनो
से कुरेदने लगी ,,मुझे हल्का हल्का दर्द हो रहा था जो मुझे ऑर भी मस्त करने लगा था ,,जैसे जैसे उसके लिप्स मेरे
करीब आ रहे थे वैसे वैसे उसको आँखें भी बंद होने लगी थी,,,जब तक उसकी आँखे पूरी तरह बंद हुई तब तक
उसके लिप्स मेरे लिप्स से बस सटने ही वाले थे,,,,हम दोनो के लिप्स मे अब बस 1 इंच से भी कम फाँसला था ,,,उसका मूह भी खुला हुआ था ऑर मेरा भी ,,,हम दोनो की साँसे एक दूसरे के मूह मे जाने लगी थी,,,,मेरा हाथ उसकी पीठ पर कसने
लगा था ऑर दूसरा हाथ उसके बालों मे सहलाने लगा था,,,,,वहाँ पूरी तरह सन्नाटा था हालाँकि टीवी चल रहा था लेकिन
मुझे अब टीवी की आवाज़ सुनाई नही दे रही थी,,,मुझे तो बस उसकी तेज तेज साँसों की ऑर तेज़ी से धड़क रहे दिल की आवाज़ सुन रही थी,,,ऐसा लग रहा था कि उसकी साँसों का शोर ऑर दिल की धड़कन माहौल मे गूँज रही है ,,,,मैं पूरी तरह से बेक़ाबू हो गया था ऑर तभी उसके लिप्स से मेरे लिप्स टच कर गये ,,ऐसे लगा जैसे समंदर मे तूफान आ गया है ऑर माजी अपनी किश्ती को किनारे पर लगाने की राह तलाश कर रहा है , वही तूफान था मेरे अंदर ऑर मैं भी कोई राह तलाश रहा था लेकिन मुझे नही पता था मैं इस तूफान से बच पाउन्गा या नही ,,आगे क्या होनेवाला था मैं इस से अंजान था बस अपनी राह चलने की कोशिश कर रहा था,,,,,
 
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