hotaks444
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ख़ान भाई और घर वालो के जाने के बाद सोनिया मेरे पास आई,,,,,इतना सब कुछ हो गया तूने
मुझे बताया क्यूँ नही सन्नी,,,
मैं बताना चाहता था लेकिन मैं तुझे और बाकी लोगो को ख़तरे मे नही डालना चाहता था
इसमे ख़तरे वाली क्या बात,,तू इतना अच्छा काम कर रहा है उन लोगो को सज़ा दिलवा रहा है
जो इतना घटिया काम करते है,,,,,घर वालो को ना सही कम से कम मुझे तो बता सकता
था ना,,,,मैं तेरी हेल्प कर सकती शायद इसमे,,,,वैसे अब भी देर नही हुई,,,अगर मैं
किसी भी तरह तेरी हल्प कर सकती हूँ तो मुझे बता सन्नी,,,,मैं भी तेरा साथ देना
चाहती हूँ इस सब काम मे,,,,
नही सोनिया मैं तुझे अपने साथ शामिल नही कर सकता,,,,वैसे भी मैं तुझे हर्ट नही
होने दे सकता,,,,लेकिन फिर भी अगर तू मेरी हेल्प करना चाहती है तो प्ल्ज़्ज़ कविता के
घर से बाहर नही निकलना ,,,कॉलेज भी नही जाना,,और जब जाना हुआ तो मुझे कॉल
करके जाना,,,जब तक मैं साथ नही हूँ तुम दोनो के तुम दोनो घर से बाहर कदम भी नही
रखना,,,,,
लेकिन सन्नी,,,मुझे भी तेरी हेल्प,,,,,अभी सोनिया फिर से बोलने लगी तो मैने उसको चुप
करवा दिया,,,,,,,बस अब मुझे इसके बारे मे कोई बात नही करनी,,,तुम चलो कविता के
घर मैं भी चलता हूँ तुम लोगो के साथ,,,,,
सोनिया कुछ नही बोली और कविता के साथ जाके कार मे बैठ गयी,,,फिर हम लोग वहाँ से
चल पड़े,,,कविता और सोनिया आगे सूरज भाई की कार मे और मैं भुआ की कार मे पीछे पीछे
कविता के घर पहुच कर हम लोग बहुत थक चुके थे,,एक तो गाँव से इतनी दूर तक ड्राइव
किया था और अब घर आके वो सब देखने को मिल गया जिसके बारे मे सोचा भी नही था,,,
कविता के घर पहुचे तो सूरज भाई और कामिनी भाभी भी बहुत परेशान थे क्यूकी न्यूज़
पर भी वो सब दिखा रहे थे जो आज मेरे घर पर हुआ था,,,,,
वो लोग भी मेरे से इस बारे मे बात करना चाहते थे लेकिन मैं कुछ नही बोला और खाना
ख़ाके सूरज के बाप के रूम मे जो अभी खाली था ,,वहाँ जाके सो गया,,,,लेकिन नींद
कहाँ थी आँखों मे,,,,मेरे घर मे 2-2 पोलीस वालो का खून हुआ था,,,,मेरा पूरा परिवार
ख़तरे मे था,,,ऐसी हालत मे मुझे भला नींद कैसे आ सकती थी
बेड पर लेट कर सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिए,,,,कैसे अपने प्लान को अंजाम दिया
जाए ,,,,क्यूकी जो प्लान पहले बना था अब उस प्लान पर काम नही कर सकते थे क्यूकी अब
शायद अमित और उसके बाप को मेरे पर शक़ हो गया था,,,,जब तक ये पक्का नही होता कि उन
लोगो को मेरे पर शक़ है या नही आगे कुछ भी करना मुमकिन नही था,,,यही सब सोच रहा
था कि दिमाग़ भारी हो गया,,,,तभी करण का फोन आ गया,,,,,
करण,,,,,,,,,,,हेलो सन्नी भाई आ गया तू,,,अभी पता चला ख़ान भाई से की तू गाँव से
वापिस आ गया है,,,,मुझे बताया क्यूँ नही जाते टाइम,,,,
सनी,,,,,,,अबे क्या बताता ,,,,तू तो बात ही नही कर रहा था मेरे से,,,,कितना ट्राइ किया
तेरा फोन भी ऑफ था,,,,
करण,,,,सौरी भाई थोड़ा परेशान था मैं बस,,,,लेकिन वो सब छोड़ बता घर वाले कैसे
है,,सब ठीक है ना,,,,और तू कहाँ है,,,,
सन्नी,,,,,, सब ठीक है करण,,,घर वाले भी और मैं भी,,,,घर वाले तो गये ख़ान भाई
के साथ और मैं कविता के घर पर हूँ,,,,तू बता कैसा है,,,,सब ठीक तो है ना तेरी
तरफ,,,,वहाँ तो कोई पंगा नही हुआ ना,,,,
करण,,,,,,नही भाई हम सब ठीक है कोई पंगा नही हुआ,,,,बस फिर भी थोड़ा परेशान
हूँ मैं,,,,
सन्नी,,,,,,क्या परेशानी है बता मुझे,,,,,,,
करण,,,,,,,,,,,,नही भाई अभी नही बता सकते तुम कल घर आना फिर बताउन्गा,,,,इतना
बोलकर उसने फोन काट दिया,,,,
साला इतनी मुश्किल से नींद आने लगी थी इसने फिर टेन्षन मे डाल दिया मुझे,,,खैर बड़ी
मुश्किल से आँख लगी थी,,इतना थक जो गया था और जब सुबह उठा तो 10 बज रहे थे,,
सुबह भी सूरज भाई और कामिनी भाभी की बातों से बचना था इसलिए कविता को बोलकर
नाश्ता अपने रूम मे ही मंगवा लिया और नाश्ता करके जल्दी से वहाँ से चला गया,,,
अभी घर से निकला ही था की ख़ान भाई का फोन आ गया,,,,ख़ान भाई चाहते थे कि हम
लोगो को अब सुमित को बाहर ले आना चाहिए ,,लेकिन मैने ख़ान भाई को मना कर दिया क्यूकी
पहले मुझे इस बात का पूरा विश्वास होना चाहिए था कि अमित और उसका बाप मेरे पर शक़
नही कर रहे ,,,,क्यूकी अगर वो मेरे पर शक़ कर रहे थे तो प्लान चेंज करना पड़ सकता
था,,,,इसलिए मैने ख़ान भाई को 2-4 दिन रुकने को बोला,,,,
फिर मैं चल पड़ा करण के घर की तरफ,,,,,
करण के घर पहुँचा तो थोड़ा डर गया,,,,वहाँ एक लाल बत्ती वाली कार खड़ी हुई थी और
साथ मे कुछ लोग गन्स लेके खड़े हुए थे,,,,,मैं डर गया कहीं अमित का बाप तो नही आ
गया करण के घर,,,,,लेकिन जैसे ही घर के अंदर गया देखा कि सब लोग समान पॅक कर
रहे थे,,,,तभी करण की नज़र पड़ी मेरे पर और वो भाग कर मेरे गले लग गया,,,,
भगवान का लाख लाख शूकर है तू ठीक है सन्नी भाई,,,,
अबे मैं तो ठीक हूँ लेकिन तुम लोग समान क्यूँ पॅक कर रहे हो,,,,मैने ये बात पूछी
थी करण से लेकिन जवाब कहीं और से मिला मुझे,,,,
ये लोग करण के पापा के पास जा रहे है,,,,,इतनी बात बोली थी रितिका के बाप ने जो मेरे
पीछे की तरफ सोफे पर बैठा हुआ था,,,,,
अमित और उसका बाप बहुत ख़तरनाक लोग है सन्नी बेटा,,,,मैं नही चाहता कि मेरी बेटी,,
दामाद या उसके ससुराल वालो को कोई नुकसान हो इसलिए मैं इन लोगो को करण के पापा के
पास भेज रहा हूँ जब तक ये पंगा सॉल्व नही हो जाता,,,,
सन्नी भाई मैं तुझे अकेला छोड़ कर नही जाना चाहता भाई,,,,ये जंग हम लोगो ने मिलकर
शुरू की है मैं तुझे ऐसे अकेले बीच मे छोड़कर नही भाग सकता,,,,कारण थोड़ा
उदास होके बोला,,,,
अबे तुझे किसने कहा मैं अकेला हूँ,,,,मेरे साथ ख़ान भाई है,,,,और जिसके साथ एक
पठान है एक मुसलमान है उसको किसी और की भला क्या ज़रूरत,,,,और वैसे भी तेरी अब
शादी हो गयी है तेरा पहला काम अपनी पत्नी की सुरक्षा करना है,,,और वैसे भी मैं
अपने घर वालो को सुरक्षित जगह भेज चुका हूँ और तेरे घाल वाले मेरे लिए पराए थोड़ी
है,,,,ये भी तो मेरी फॅमिली है,,,,मैं तो खुद चाहता हूँ कि तुम लोग कहीं दूर चले
जाओ,,,,ये तो अच्छा हुआ कि रितिका के पापा ने मेरी टेन्षन दूर करदी तुम लोगो को यहाँ से
भेजने की,,,,तो कब जाना है,,,
तभी शिखा मेरे पास आके रोने लगी,,,,,सन्नी तूने सब मेरी वजह से किया और अब मैं ही
तुझे छोड़कर भाग रही हूँ यहाँ से,,,,मुझे नही जाना इन लोगो के साथ मुझे यहीं
रहना है,,,,,इतना बोलकर वो रोती हुई मेरे गले लग गयी,,,
चुप कर पगली कहीं की,,,,तू भी मेरे लिए शोभा और सोनिया जैसी है,,,जब उन लोगो को
मैने यहाँ से दूर भेज दिया तो तुझे कैसे यहाँ रहने दे सकता हूँ,,,चल अब चुप
कर ,,,,और वैसे भी तुम लोग कॉन्सा हमेशा के लिए जा रहे हो,,,मैं जल्दी ही सब कुछ
ठीक कर दूँगा और फिर तुम लोगो को वापिस बुला लूँगा,,,मेरा भी दिल नही लगना तुम लोगो
के बिना,,,,,
अच्छा अब बता करण जाना कब है,,,,कितने बजे की फ्लाइट है और कब है,,,,
कल सुबह की फ्लाइट है सन्नी भाई,,,,6 बजे की,,,,
फिर तो अभी निकलना होगा,,,पॅकिंग हो गयी क्या,,,,
तभी अलका आंटी बोली,,,,हाँ सन्नी बेटा सारी पॅकिंग हो गयी,,,,
तो चलो चलते है,,,,अभी निकले तो रात 8-9 बजे तक देल्ही पहुँच जाएँगे,,और 11 बजे
तक ऐर्पोट,,,,वैसे भी ऐर्पोट रोड पर बहुत ज़ाम होता है,,,,,तो चलो अब देर किस बात
की,,,,,,
फिर हम लोग वहाँ से चल पड़े,,,,करण अपनी कार मे रितिका के साथ और मैं अपनी कार मे
शिखा और अलका आंटी के साथ,,,,,वैसे तो एक ही कार मे चले जाना था लेकिन समान बहुत
था इसलिए 2 कार मे गये हम लोग,,,,
रितिका का बाप साथ नही गया ,,क्यूकी उसको डर था वो साथ गया तो कहीं कोई देख ना ले
किसी को पता नही चल जाए कि रितिका और करण देश छोड़कर जा रहे है
मुझे बताया क्यूँ नही सन्नी,,,
मैं बताना चाहता था लेकिन मैं तुझे और बाकी लोगो को ख़तरे मे नही डालना चाहता था
इसमे ख़तरे वाली क्या बात,,तू इतना अच्छा काम कर रहा है उन लोगो को सज़ा दिलवा रहा है
जो इतना घटिया काम करते है,,,,,घर वालो को ना सही कम से कम मुझे तो बता सकता
था ना,,,,मैं तेरी हेल्प कर सकती शायद इसमे,,,,वैसे अब भी देर नही हुई,,,अगर मैं
किसी भी तरह तेरी हल्प कर सकती हूँ तो मुझे बता सन्नी,,,,मैं भी तेरा साथ देना
चाहती हूँ इस सब काम मे,,,,
नही सोनिया मैं तुझे अपने साथ शामिल नही कर सकता,,,,वैसे भी मैं तुझे हर्ट नही
होने दे सकता,,,,लेकिन फिर भी अगर तू मेरी हेल्प करना चाहती है तो प्ल्ज़्ज़ कविता के
घर से बाहर नही निकलना ,,,कॉलेज भी नही जाना,,और जब जाना हुआ तो मुझे कॉल
करके जाना,,,जब तक मैं साथ नही हूँ तुम दोनो के तुम दोनो घर से बाहर कदम भी नही
रखना,,,,,
लेकिन सन्नी,,,मुझे भी तेरी हेल्प,,,,,अभी सोनिया फिर से बोलने लगी तो मैने उसको चुप
करवा दिया,,,,,,,बस अब मुझे इसके बारे मे कोई बात नही करनी,,,तुम चलो कविता के
घर मैं भी चलता हूँ तुम लोगो के साथ,,,,,
सोनिया कुछ नही बोली और कविता के साथ जाके कार मे बैठ गयी,,,फिर हम लोग वहाँ से
चल पड़े,,,कविता और सोनिया आगे सूरज भाई की कार मे और मैं भुआ की कार मे पीछे पीछे
कविता के घर पहुच कर हम लोग बहुत थक चुके थे,,एक तो गाँव से इतनी दूर तक ड्राइव
किया था और अब घर आके वो सब देखने को मिल गया जिसके बारे मे सोचा भी नही था,,,
कविता के घर पहुचे तो सूरज भाई और कामिनी भाभी भी बहुत परेशान थे क्यूकी न्यूज़
पर भी वो सब दिखा रहे थे जो आज मेरे घर पर हुआ था,,,,,
वो लोग भी मेरे से इस बारे मे बात करना चाहते थे लेकिन मैं कुछ नही बोला और खाना
ख़ाके सूरज के बाप के रूम मे जो अभी खाली था ,,वहाँ जाके सो गया,,,,लेकिन नींद
कहाँ थी आँखों मे,,,,मेरे घर मे 2-2 पोलीस वालो का खून हुआ था,,,,मेरा पूरा परिवार
ख़तरे मे था,,,ऐसी हालत मे मुझे भला नींद कैसे आ सकती थी
बेड पर लेट कर सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिए,,,,कैसे अपने प्लान को अंजाम दिया
जाए ,,,,क्यूकी जो प्लान पहले बना था अब उस प्लान पर काम नही कर सकते थे क्यूकी अब
शायद अमित और उसके बाप को मेरे पर शक़ हो गया था,,,,जब तक ये पक्का नही होता कि उन
लोगो को मेरे पर शक़ है या नही आगे कुछ भी करना मुमकिन नही था,,,यही सब सोच रहा
था कि दिमाग़ भारी हो गया,,,,तभी करण का फोन आ गया,,,,,
करण,,,,,,,,,,,हेलो सन्नी भाई आ गया तू,,,अभी पता चला ख़ान भाई से की तू गाँव से
वापिस आ गया है,,,,मुझे बताया क्यूँ नही जाते टाइम,,,,
सनी,,,,,,,अबे क्या बताता ,,,,तू तो बात ही नही कर रहा था मेरे से,,,,कितना ट्राइ किया
तेरा फोन भी ऑफ था,,,,
करण,,,,सौरी भाई थोड़ा परेशान था मैं बस,,,,लेकिन वो सब छोड़ बता घर वाले कैसे
है,,सब ठीक है ना,,,,और तू कहाँ है,,,,
सन्नी,,,,,, सब ठीक है करण,,,घर वाले भी और मैं भी,,,,घर वाले तो गये ख़ान भाई
के साथ और मैं कविता के घर पर हूँ,,,,तू बता कैसा है,,,,सब ठीक तो है ना तेरी
तरफ,,,,वहाँ तो कोई पंगा नही हुआ ना,,,,
करण,,,,,,नही भाई हम सब ठीक है कोई पंगा नही हुआ,,,,बस फिर भी थोड़ा परेशान
हूँ मैं,,,,
सन्नी,,,,,,क्या परेशानी है बता मुझे,,,,,,,
करण,,,,,,,,,,,,नही भाई अभी नही बता सकते तुम कल घर आना फिर बताउन्गा,,,,इतना
बोलकर उसने फोन काट दिया,,,,
साला इतनी मुश्किल से नींद आने लगी थी इसने फिर टेन्षन मे डाल दिया मुझे,,,खैर बड़ी
मुश्किल से आँख लगी थी,,इतना थक जो गया था और जब सुबह उठा तो 10 बज रहे थे,,
सुबह भी सूरज भाई और कामिनी भाभी की बातों से बचना था इसलिए कविता को बोलकर
नाश्ता अपने रूम मे ही मंगवा लिया और नाश्ता करके जल्दी से वहाँ से चला गया,,,
अभी घर से निकला ही था की ख़ान भाई का फोन आ गया,,,,ख़ान भाई चाहते थे कि हम
लोगो को अब सुमित को बाहर ले आना चाहिए ,,लेकिन मैने ख़ान भाई को मना कर दिया क्यूकी
पहले मुझे इस बात का पूरा विश्वास होना चाहिए था कि अमित और उसका बाप मेरे पर शक़
नही कर रहे ,,,,क्यूकी अगर वो मेरे पर शक़ कर रहे थे तो प्लान चेंज करना पड़ सकता
था,,,,इसलिए मैने ख़ान भाई को 2-4 दिन रुकने को बोला,,,,
फिर मैं चल पड़ा करण के घर की तरफ,,,,,
करण के घर पहुँचा तो थोड़ा डर गया,,,,वहाँ एक लाल बत्ती वाली कार खड़ी हुई थी और
साथ मे कुछ लोग गन्स लेके खड़े हुए थे,,,,,मैं डर गया कहीं अमित का बाप तो नही आ
गया करण के घर,,,,,लेकिन जैसे ही घर के अंदर गया देखा कि सब लोग समान पॅक कर
रहे थे,,,,तभी करण की नज़र पड़ी मेरे पर और वो भाग कर मेरे गले लग गया,,,,
भगवान का लाख लाख शूकर है तू ठीक है सन्नी भाई,,,,
अबे मैं तो ठीक हूँ लेकिन तुम लोग समान क्यूँ पॅक कर रहे हो,,,,मैने ये बात पूछी
थी करण से लेकिन जवाब कहीं और से मिला मुझे,,,,
ये लोग करण के पापा के पास जा रहे है,,,,,इतनी बात बोली थी रितिका के बाप ने जो मेरे
पीछे की तरफ सोफे पर बैठा हुआ था,,,,,
अमित और उसका बाप बहुत ख़तरनाक लोग है सन्नी बेटा,,,,मैं नही चाहता कि मेरी बेटी,,
दामाद या उसके ससुराल वालो को कोई नुकसान हो इसलिए मैं इन लोगो को करण के पापा के
पास भेज रहा हूँ जब तक ये पंगा सॉल्व नही हो जाता,,,,
सन्नी भाई मैं तुझे अकेला छोड़ कर नही जाना चाहता भाई,,,,ये जंग हम लोगो ने मिलकर
शुरू की है मैं तुझे ऐसे अकेले बीच मे छोड़कर नही भाग सकता,,,,कारण थोड़ा
उदास होके बोला,,,,
अबे तुझे किसने कहा मैं अकेला हूँ,,,,मेरे साथ ख़ान भाई है,,,,और जिसके साथ एक
पठान है एक मुसलमान है उसको किसी और की भला क्या ज़रूरत,,,,और वैसे भी तेरी अब
शादी हो गयी है तेरा पहला काम अपनी पत्नी की सुरक्षा करना है,,,और वैसे भी मैं
अपने घर वालो को सुरक्षित जगह भेज चुका हूँ और तेरे घाल वाले मेरे लिए पराए थोड़ी
है,,,,ये भी तो मेरी फॅमिली है,,,,मैं तो खुद चाहता हूँ कि तुम लोग कहीं दूर चले
जाओ,,,,ये तो अच्छा हुआ कि रितिका के पापा ने मेरी टेन्षन दूर करदी तुम लोगो को यहाँ से
भेजने की,,,,तो कब जाना है,,,
तभी शिखा मेरे पास आके रोने लगी,,,,,सन्नी तूने सब मेरी वजह से किया और अब मैं ही
तुझे छोड़कर भाग रही हूँ यहाँ से,,,,मुझे नही जाना इन लोगो के साथ मुझे यहीं
रहना है,,,,,इतना बोलकर वो रोती हुई मेरे गले लग गयी,,,
चुप कर पगली कहीं की,,,,तू भी मेरे लिए शोभा और सोनिया जैसी है,,,जब उन लोगो को
मैने यहाँ से दूर भेज दिया तो तुझे कैसे यहाँ रहने दे सकता हूँ,,,चल अब चुप
कर ,,,,और वैसे भी तुम लोग कॉन्सा हमेशा के लिए जा रहे हो,,,मैं जल्दी ही सब कुछ
ठीक कर दूँगा और फिर तुम लोगो को वापिस बुला लूँगा,,,मेरा भी दिल नही लगना तुम लोगो
के बिना,,,,,
अच्छा अब बता करण जाना कब है,,,,कितने बजे की फ्लाइट है और कब है,,,,
कल सुबह की फ्लाइट है सन्नी भाई,,,,6 बजे की,,,,
फिर तो अभी निकलना होगा,,,पॅकिंग हो गयी क्या,,,,
तभी अलका आंटी बोली,,,,हाँ सन्नी बेटा सारी पॅकिंग हो गयी,,,,
तो चलो चलते है,,,,अभी निकले तो रात 8-9 बजे तक देल्ही पहुँच जाएँगे,,और 11 बजे
तक ऐर्पोट,,,,वैसे भी ऐर्पोट रोड पर बहुत ज़ाम होता है,,,,,तो चलो अब देर किस बात
की,,,,,,
फिर हम लोग वहाँ से चल पड़े,,,,करण अपनी कार मे रितिका के साथ और मैं अपनी कार मे
शिखा और अलका आंटी के साथ,,,,,वैसे तो एक ही कार मे चले जाना था लेकिन समान बहुत
था इसलिए 2 कार मे गये हम लोग,,,,
रितिका का बाप साथ नही गया ,,क्यूकी उसको डर था वो साथ गया तो कहीं कोई देख ना ले
किसी को पता नही चल जाए कि रितिका और करण देश छोड़कर जा रहे है