hotaks444
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अरे अरे कहाँ चले,,,,तुम बिल्कुल वैसे ही निकले जैसा ख़ान ने बोला था,,,मैं तो बस
मज़ाक कर रही थी देख रही थी ख़ान ने जो बताया था तुम्हारे बारे मे तुम वैसे हो भी
या बस फालतू मे ख़ान तुम्हारी तारीफ कर रहा था,,,,
अच्छा ,,तो क्या सोचा अपने,,,ख़ान भाई ठीक थे मेरे बारे मे या ग़लत,,,,
100% सही था ख़ान तुम्हारे बारे मे,,,,मैं तुम्हारे साथ मज़ाक कर रही थी सन्नी,,लेकिन
तुमको हमारा यकीन करना होगा,,,,अगर हम लोगो की हेल्प चाहिए तो यकीन करना पड़ेगा
हम लोगो पर,,,जानती हूँ आजकल की दुनिया मे राजनीति करने वालो का यकीन करना मुश्किल
है लेकिन सब लोग एक जैसे नही होते सन्नी,,,,,,,जैसे तुम अमित को सज़ा दिलवा कर अपने
कॉलेज और कॉलेज की लड़कियों को अमित से छुटकारा दिलवाना चाहते हो वैसे ही हम लोग
सेठी को इस पॉलिटिक्स की दुनिया से दूर करना चाहते है क्यूकी वो अपनी पवर का ग़लत यूज़
करता है,,,,हम दोनो का मक़सद एक ही है सन्नी,,,,,तुम वो वीडियो मुझे नही दे सकते लेकिन
मुझे दिखा तो सकते हो ना,,,,,
जी ज़रूर दिखा सकता हूँ,,,जब भी आप बोलो,,,,,,
क्या अभी दिखा सकते हो,,,,,,
वो वीडियो मेरे लॅपटॉप मे थी और लॅपटॉप अभी मेरे पास था लेकिन मैं इतनी जल्दी नही करना
चाहता था इसको वीडियो दिखाने मे ,,,
जी अभी तो नही दिखा सकता क्यूकी वो वीडियोस मेरे पास नही है अभी ,,,किसी महफूज जगह
पर है,,,लेकिन जब भी आप बोलो मैं वीडियोस आपको दिखा दूँगा,,,,
तो ठीक है,,,,,अभी तुम जाओ मैं मंत्री जी से बात करके तुमको बता दूँगी,,,उसने इतना
बोला और अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी,,,,फिर मेरी तरफ हाथ बढ़ाया और मैं भी उस से हाथ
मिलाकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा,,,
एक मिंट रूको सन्नी,,,,तुम ये सब बात करने यहाँ आए हो इस ऑफीस मे ये सब बात तो ख़ान
मेरे साथ फोन पर भी कर सकता था,,,,मुझे तो लगा था तुम सबूत लेके आओगे,,,
मैं सबूत साथ मे लेके नही घूमता मधु मेडम,,,,और ख़ान भाई आपको पूरी बात नही
बता सकते थे,,,,,,,,,,,,क्यूकी मरने वाली लड़कियों मे से एक लड़की ख़ान भाई की बेहन
थी,,,,,
मेरी बात सुनके मधु का मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,,वो कुछ नही बोल सकी,,,,और मैं
दरवाजा खोलके ऑफीस से बाहर आ गया,,,,,,,,
वहाँ से कार लेके चला ही था कि मुझे कविता का फोन आ गया,,,,मैने फोन पर बात
करनी शुरू की तो पीछे से मुझे सोनिया की आवाज़ आ रही थी जो किसी से बहस कर रही थी
किसी बात पर,,,
हेलो सन्नी कहाँ हो तुम ,,,जल्दी से अपने घर आ जाओ,,,वो थोड़ी परेशान लग रही थी
क्या हुआ कविता इतनी परेशान क्यूँ हो,,,,और ये पीछे से सोनिया की आवाज़ आ रही है किस से
झगड़ा कर रही है वो,,,,
किसी से नही तुम बस जल्दी से अपने घर आ जाओ,,,,इतना बोलकर कविता ने फोन काट दिया
मैं भी थोड़ा परेशान हो गया क्यूकी कविता भी परेशान थी,,,मैं तेज़ी से कार चलाता हुआ
घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
घर पहुँचा तो देखा कि सोनिया पोलीस वालो से बहस कर रही थी ,,,,जो पोलीस वाले घर
की निगरानी कर रहे थे,,,,
मैं कार से उतर कर सोनिया के पास गया तो सोनिया घर के अंदर जाने की कोशिश कर रही
थी जबकि वो लोग उसको अंदर नही जाने दे रहे थे,,,,
अरे हमारा घर है और हम लोग अंदर क्यूँ नही जा सकते,,,,सोनिया गुस्से से बोल रही थी उन
लोगो को,,,,
देखिए मेडम अभी जाँच-पड़ताल बाकी है जब तक हम लोगो का काम पूरा नही हो जाता हम
आपको अंदर नही जाने दे सकते,,हम लोगो को उपर से ओरडर है,,हम कुछ नही कर सकते,,
लेकिन सोनिया उनकी बात नही सुन रही थी,,,,क्या करती वो है ही इतनी ज़िद्दी,,,,
तभी मैने ख़ान भाई को फोन किया ,,पहले तो दूर हटके वो सारी बात बताई जो मधु के
ऑफीस मे हुई फिर सोनिया और पोलीस वालो की बहस के बारे मे बताया,,,ख़ान भाई ने मुझे
फोन उन पोलीस वालो को देने को बोला,,,,
उन लोगो ने ख़ान भाई से बात की और हम लोगो को अंदर जाने दिया,,,,
ख़ान भाई ने मुझे बता दिया था कि पोलीस अपना काम कर चुकी है और फ़ौरेंसिक टीम ने भी
अपना काम ख़तम कर लिया है,,,,,अब हम लोग घर के अंदर जा सकते है,,,क्यूकी जो भी
जाँच पड़ताल थी वो उसी जगह पर ज़्यादा थी जहाँ खून गिरा हुआ था जबकि घर के
अंदर से कुछ ज़्यादा सबूत नही मिले थे,,,,क्यूकी अंदर बस चोरी हुई थी और कुछ नही,,
हम लोग घर के अंदर चले गये ,,,,
तभी अंदर जाके कविता मुझसे बोली,,,थॅंक्स सन्नी तू आ गया ये सोनिया की बच्ची ने तो नाक
मे दम किया हुआ थे मेरे,,,मैं कब्से बोल रही थी कि पोलीस वालो से बहस मत कर लेकिन
ये थी कि मेरी बात ही नही सुन रही थी
तो क्यूँ ना करती बहस मैं,,,,हम लोगो का घर है और वो हम लोगो को ही अंदर नही जाने
दे रहे थे,,,,सोनिया थोड़ी गुस्से मे बोली और आगे चलके घर मे घुस गयी,,
मैने कविता को चुप रहने का इशारा किया क्यूकी अगर हम लोग ज़्यादा बोलते तो सोनिया ने हम
लोगो पर सारा गुस्सा उतार देना था,,,
सोनिया अंदर गयी और घर की हालत देख कर और ज़्यादा गुस्से मे आ गयी ,,,,एक बार मुझे
मिल जाए वो लोग जिन्होने मेरे घर की ऐसी हालत की तो कसम से जान ले लूँगी उनकी,देखो
तो ज़रा क्या हालत करदी हमारे घर की,,,,कीड़े पड़े उन लोगो को,,कुत्ते की मौत मरे वो
लोग,,,,
सोनिया गुस्से मे बोल रही थी और मैं और कविता उसको देख कर हंस रहे थे,,,,तभी सोनिया
का ध्यान हम लोगो की तरफ आया तो हम लोग चुप हो गये,,,,
ऐसे हंसस क्या रहे हो तुम दोनो,,,,चलो मेरी हेल्प करो,,,,,
कविता==========हेल्प ?? कैसी हेल्प???
सोनिया,,,,अरे घर को ठीक करने मे और भला क्या हेल्प चाहिए मुझे तुम लोगो से,,
तभी कविता मेरे से बोली,,,,,सन्नी क्या हम ऐसा कर सकते है,,,समान को हाथ लगा सकते
है,,,क्या पोलीस वाले,,,,,
वो अभी बोल ही रही थी कि मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,,हां कविता मेरी ख़ान भाई से बात
हो गयी है हम लोग समान को हाथ भी लगा सकते है और यहाँ रह भी सकते है अब,,
मैं यहाँ रहना तो नही चाहता था लेकिन कॉलेज मे अमित और सुरेश ने काफ़ी हद तक ठीक
ढंग से बात की थी मेरे साथ इसलिए मुझे नही लगता था हम लोगो को यहाँ रहने मे कोई
ख़तरा हो सकता है,,,,वैसे भी घर वाले तो दूर है महफूज है ,,,अगर कोई ख़तरा हुआ
भी तो मुझे सिर्फ़ सोनिया को बचाने का काम करना होगा जो काम मैं अपनी जान देके भी कर
सकता हूँ,,,,,
जब मैने कहा कि हम लोग यहाँ रह सकते है तो सोनिया खुश हो गयी और लग गयी घर की
हालत को ठीक करने ,,कविता भी उसकी हेल्प करने लगी,,,,
ओये तू क्यूँ बुत बनके खड़ा हुआ है ब्लॅकी चल तू भी हाथ लगा और हेल्प कर घर की सफाई
करने मे,,,,,,
नही अभी नही मुझे बहुत भूख लगी है पहले कुछ खिलाओ मुझे तभी कुछ काम कर सकता
हूँ मैं,,,,वैसे भी लंच टाइम हो गया है,,,,
तभी कविता बोली,,,,,,,,,ठीक है सन्नी मैं किचन का समान ठीक करती हूँ और फिर
खाना भी पका देती हूँ तुम तब तक सोनिया के साथ मिलकर नीचे वाले फ्लोर की हालत ठीक
करदो,.,,,,,
मैं और सोनिया मान गये और चले गये मोम और डॅड के रूम मे,,,,कविता चली गयी किचन मे
वैसे भी किचन मे ज़्यादा नुकसान नही हुआ था,,,कुछ बर्तन ही इधर उधर ज़मीन पर
पड़े हुए थे,,,,,,
मज़ाक कर रही थी देख रही थी ख़ान ने जो बताया था तुम्हारे बारे मे तुम वैसे हो भी
या बस फालतू मे ख़ान तुम्हारी तारीफ कर रहा था,,,,
अच्छा ,,तो क्या सोचा अपने,,,ख़ान भाई ठीक थे मेरे बारे मे या ग़लत,,,,
100% सही था ख़ान तुम्हारे बारे मे,,,,मैं तुम्हारे साथ मज़ाक कर रही थी सन्नी,,लेकिन
तुमको हमारा यकीन करना होगा,,,,अगर हम लोगो की हेल्प चाहिए तो यकीन करना पड़ेगा
हम लोगो पर,,,जानती हूँ आजकल की दुनिया मे राजनीति करने वालो का यकीन करना मुश्किल
है लेकिन सब लोग एक जैसे नही होते सन्नी,,,,,,,जैसे तुम अमित को सज़ा दिलवा कर अपने
कॉलेज और कॉलेज की लड़कियों को अमित से छुटकारा दिलवाना चाहते हो वैसे ही हम लोग
सेठी को इस पॉलिटिक्स की दुनिया से दूर करना चाहते है क्यूकी वो अपनी पवर का ग़लत यूज़
करता है,,,,हम दोनो का मक़सद एक ही है सन्नी,,,,,तुम वो वीडियो मुझे नही दे सकते लेकिन
मुझे दिखा तो सकते हो ना,,,,,
जी ज़रूर दिखा सकता हूँ,,,जब भी आप बोलो,,,,,,
क्या अभी दिखा सकते हो,,,,,,
वो वीडियो मेरे लॅपटॉप मे थी और लॅपटॉप अभी मेरे पास था लेकिन मैं इतनी जल्दी नही करना
चाहता था इसको वीडियो दिखाने मे ,,,
जी अभी तो नही दिखा सकता क्यूकी वो वीडियोस मेरे पास नही है अभी ,,,किसी महफूज जगह
पर है,,,लेकिन जब भी आप बोलो मैं वीडियोस आपको दिखा दूँगा,,,,
तो ठीक है,,,,,अभी तुम जाओ मैं मंत्री जी से बात करके तुमको बता दूँगी,,,उसने इतना
बोला और अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी,,,,फिर मेरी तरफ हाथ बढ़ाया और मैं भी उस से हाथ
मिलाकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा,,,
एक मिंट रूको सन्नी,,,,तुम ये सब बात करने यहाँ आए हो इस ऑफीस मे ये सब बात तो ख़ान
मेरे साथ फोन पर भी कर सकता था,,,,मुझे तो लगा था तुम सबूत लेके आओगे,,,
मैं सबूत साथ मे लेके नही घूमता मधु मेडम,,,,और ख़ान भाई आपको पूरी बात नही
बता सकते थे,,,,,,,,,,,,क्यूकी मरने वाली लड़कियों मे से एक लड़की ख़ान भाई की बेहन
थी,,,,,
मेरी बात सुनके मधु का मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,,वो कुछ नही बोल सकी,,,,और मैं
दरवाजा खोलके ऑफीस से बाहर आ गया,,,,,,,,
वहाँ से कार लेके चला ही था कि मुझे कविता का फोन आ गया,,,,मैने फोन पर बात
करनी शुरू की तो पीछे से मुझे सोनिया की आवाज़ आ रही थी जो किसी से बहस कर रही थी
किसी बात पर,,,
हेलो सन्नी कहाँ हो तुम ,,,जल्दी से अपने घर आ जाओ,,,वो थोड़ी परेशान लग रही थी
क्या हुआ कविता इतनी परेशान क्यूँ हो,,,,और ये पीछे से सोनिया की आवाज़ आ रही है किस से
झगड़ा कर रही है वो,,,,
किसी से नही तुम बस जल्दी से अपने घर आ जाओ,,,,इतना बोलकर कविता ने फोन काट दिया
मैं भी थोड़ा परेशान हो गया क्यूकी कविता भी परेशान थी,,,मैं तेज़ी से कार चलाता हुआ
घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
घर पहुँचा तो देखा कि सोनिया पोलीस वालो से बहस कर रही थी ,,,,जो पोलीस वाले घर
की निगरानी कर रहे थे,,,,
मैं कार से उतर कर सोनिया के पास गया तो सोनिया घर के अंदर जाने की कोशिश कर रही
थी जबकि वो लोग उसको अंदर नही जाने दे रहे थे,,,,
अरे हमारा घर है और हम लोग अंदर क्यूँ नही जा सकते,,,,सोनिया गुस्से से बोल रही थी उन
लोगो को,,,,
देखिए मेडम अभी जाँच-पड़ताल बाकी है जब तक हम लोगो का काम पूरा नही हो जाता हम
आपको अंदर नही जाने दे सकते,,हम लोगो को उपर से ओरडर है,,हम कुछ नही कर सकते,,
लेकिन सोनिया उनकी बात नही सुन रही थी,,,,क्या करती वो है ही इतनी ज़िद्दी,,,,
तभी मैने ख़ान भाई को फोन किया ,,पहले तो दूर हटके वो सारी बात बताई जो मधु के
ऑफीस मे हुई फिर सोनिया और पोलीस वालो की बहस के बारे मे बताया,,,ख़ान भाई ने मुझे
फोन उन पोलीस वालो को देने को बोला,,,,
उन लोगो ने ख़ान भाई से बात की और हम लोगो को अंदर जाने दिया,,,,
ख़ान भाई ने मुझे बता दिया था कि पोलीस अपना काम कर चुकी है और फ़ौरेंसिक टीम ने भी
अपना काम ख़तम कर लिया है,,,,,अब हम लोग घर के अंदर जा सकते है,,,क्यूकी जो भी
जाँच पड़ताल थी वो उसी जगह पर ज़्यादा थी जहाँ खून गिरा हुआ था जबकि घर के
अंदर से कुछ ज़्यादा सबूत नही मिले थे,,,,क्यूकी अंदर बस चोरी हुई थी और कुछ नही,,
हम लोग घर के अंदर चले गये ,,,,
तभी अंदर जाके कविता मुझसे बोली,,,थॅंक्स सन्नी तू आ गया ये सोनिया की बच्ची ने तो नाक
मे दम किया हुआ थे मेरे,,,मैं कब्से बोल रही थी कि पोलीस वालो से बहस मत कर लेकिन
ये थी कि मेरी बात ही नही सुन रही थी
तो क्यूँ ना करती बहस मैं,,,,हम लोगो का घर है और वो हम लोगो को ही अंदर नही जाने
दे रहे थे,,,,सोनिया थोड़ी गुस्से मे बोली और आगे चलके घर मे घुस गयी,,
मैने कविता को चुप रहने का इशारा किया क्यूकी अगर हम लोग ज़्यादा बोलते तो सोनिया ने हम
लोगो पर सारा गुस्सा उतार देना था,,,
सोनिया अंदर गयी और घर की हालत देख कर और ज़्यादा गुस्से मे आ गयी ,,,,एक बार मुझे
मिल जाए वो लोग जिन्होने मेरे घर की ऐसी हालत की तो कसम से जान ले लूँगी उनकी,देखो
तो ज़रा क्या हालत करदी हमारे घर की,,,,कीड़े पड़े उन लोगो को,,कुत्ते की मौत मरे वो
लोग,,,,
सोनिया गुस्से मे बोल रही थी और मैं और कविता उसको देख कर हंस रहे थे,,,,तभी सोनिया
का ध्यान हम लोगो की तरफ आया तो हम लोग चुप हो गये,,,,
ऐसे हंसस क्या रहे हो तुम दोनो,,,,चलो मेरी हेल्प करो,,,,,
कविता==========हेल्प ?? कैसी हेल्प???
सोनिया,,,,अरे घर को ठीक करने मे और भला क्या हेल्प चाहिए मुझे तुम लोगो से,,
तभी कविता मेरे से बोली,,,,,सन्नी क्या हम ऐसा कर सकते है,,,समान को हाथ लगा सकते
है,,,क्या पोलीस वाले,,,,,
वो अभी बोल ही रही थी कि मैं बीच मे बोल पड़ा,,,,,,हां कविता मेरी ख़ान भाई से बात
हो गयी है हम लोग समान को हाथ भी लगा सकते है और यहाँ रह भी सकते है अब,,
मैं यहाँ रहना तो नही चाहता था लेकिन कॉलेज मे अमित और सुरेश ने काफ़ी हद तक ठीक
ढंग से बात की थी मेरे साथ इसलिए मुझे नही लगता था हम लोगो को यहाँ रहने मे कोई
ख़तरा हो सकता है,,,,वैसे भी घर वाले तो दूर है महफूज है ,,,अगर कोई ख़तरा हुआ
भी तो मुझे सिर्फ़ सोनिया को बचाने का काम करना होगा जो काम मैं अपनी जान देके भी कर
सकता हूँ,,,,,
जब मैने कहा कि हम लोग यहाँ रह सकते है तो सोनिया खुश हो गयी और लग गयी घर की
हालत को ठीक करने ,,कविता भी उसकी हेल्प करने लगी,,,,
ओये तू क्यूँ बुत बनके खड़ा हुआ है ब्लॅकी चल तू भी हाथ लगा और हेल्प कर घर की सफाई
करने मे,,,,,,
नही अभी नही मुझे बहुत भूख लगी है पहले कुछ खिलाओ मुझे तभी कुछ काम कर सकता
हूँ मैं,,,,वैसे भी लंच टाइम हो गया है,,,,
तभी कविता बोली,,,,,,,,,ठीक है सन्नी मैं किचन का समान ठीक करती हूँ और फिर
खाना भी पका देती हूँ तुम तब तक सोनिया के साथ मिलकर नीचे वाले फ्लोर की हालत ठीक
करदो,.,,,,,
मैं और सोनिया मान गये और चले गये मोम और डॅड के रूम मे,,,,कविता चली गयी किचन मे
वैसे भी किचन मे ज़्यादा नुकसान नही हुआ था,,,कुछ बर्तन ही इधर उधर ज़मीन पर
पड़े हुए थे,,,,,,