Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 48 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

मैं अपना पयज़ामा लेके बाथरूम मे घुस गया और पयज़ामा पहन कर रूम मे वापिस आ गया,,
सोनिया खुश थी,,उसको लगा शायद मैं उसकी वजह से बाथरूम मे जाके पयज़ामा चेंज करके
आया हूँ,,,,लेकिन उसको क्या पता की बात कुछ और ही थी,,,,




मैं आके बेड पर लेट गये,,,,,सोनिया भी जाके अपने बेड पे लेटने लगी,,,,तभी बोली



भाई तूने मेडिसिन खा ली क्या,,,,,



पार्टी के चक्कर मे मेडिसिन खाना भूल ही गया था,,,,,मैने ना मे सर हिलाया तो उसने
मुझे मेडिसिन दी और पानी का ग्लास भी और वापिस जाके बेड पर बैठ गयी,,,,मैने मेडिसिन
ली और बेड पर लेट गया,,,,,


सुबह जब उठा तो फ्रेश होके नीचे आ गया,,,,,सब लोग बैठकर टीवी देख रहे थे,,रेखा
और मनोहर गाँव वापिस जा चुके थे लेकिन मामा अब यहीं था,,क्यूकी डॅड ने मामा को माफ़
कर दिया था,,,,,लेकिन मामा ने ग़लती क्या की थी ये अभी तक पता नही चला था मुझे,,



सोनिया भी कॉलेज चली गयी थी,,,,अब उसके पास शोभा की अक्तिवा जो थी,,,,मुझे अभी
कुछ दिन रेस्ट करनी थी,,,,



कुछ टाइम बाद डॅड भी बॅंक चले गये,,,,भुआ बुटीक चली गयी और साथ मे माँ को भी ले
गयी,,,,,,मुझे नाश्ता बना दिया था पहले ही,,,,,अब घर पर मैं और मामा थे,,,,मैं
मामा से बात करना चाहता था कि आख़िर उस दिन गाँव मे क्या हुआ था,,,,,मामा मेरे साथ ही
बैठकर टीवी देख रहा था,,,,इस से पहले मैं कोई बात शुरू करता मामा वहाँ से उठकर
चला गया,,,,फिर मैं अकेला ही रह गया घर मे,,,,



कॉलेज से आते टाइम सोनिया माँ को साथ लेके आ गयी थी,,,,फिर दोपेहर का खाना खाया और
सो गया,,,,,आज रात मैं भुआ के रूम मे सोया था,,,,क्यूकी मुझे सोनिया के साथ और सोनिया
को मेरे साथ सोने मे डर जो लगता था,,,,,


फिर 3-4 दिन ऐसे ही निकल गये,,,,सब लोग घर से चले जाते,,,,,माँ भुआ के साथ,,,डॅड
बॅंक ,,,,मामा पता नही कहाँ जाता था,,,,और सोनिया भी कॉलेज,,,,,ना तो सोनिया से बात हो
रही थी मेरी,,,,,मैं उस से पूछना चाहता था कि आख़िर वो मेरी और कविता की शादी के
बात पर इतनी उदास क्यूँ हो जाती थी,,,,और ना ही मामा से पूच सका इतने दिन की गाँव मे
क्या पंगा हुआ था,,,,क्यूकी माँ ने तो सीधे सीधे बताने से ही मना कर दिया था,,बोला था
जब टाइम आएगा तब बता दूँगी,,,लेकिन साला टाइम आएगा कब,,,,,,


आज सब लोग शाम को टीवी देख रहे थे,,,,,,डॅड भी बॅंक से जल्दी आ गये थे,,,,भुआ भी
जल्दी आ गयी थी बुटीक से,,,,कोई 4-5 बजे का टाइम रहा होगा,,,,मैं भी वहीं बैठा
हुआ था और सोनिया भी,,,,,,


अशोक,,,,,,,,तो सरिता कुछ बात बनी कविता के भाई के साथ या नही,,,कब आ रहा है वो
शादी की बात करने,,,,,,या तुम बोलो तो हम लोग चलते है उनके घर बात करने,,,,,

सरिता,,,,,,,जी मैने उस दिन सूरज को बोला था,,,,उसने अपनी माँ से बात करके फिर उनको
साथ लेके आने को बोला था,,,,,देखते है 2-3 दिन फिर मैं बात करती हूँ सूरज से,


मैने सोनिया की तरफ देखा तो सोनिया फिर से उदास हो गयी थी,,,,,,मैं उसके उदास चहरे की
तरफ देख रहा था और भुआ मुझे सोनिया की तरफ देखते हुए देख रही थी


तभी सब लोग एक दम चुप हो गये,,,,टीवी पर अमित के केस की लाइव न्यूज़ आ रही थी,,,इधर
न्यूज़ शुरू हुई ही थी कि मेरा फोन बजने लगा,,,ये फोन था ख़ान भाई का,,,,


मैने फोन कान पर लगाया और थोड़ा दूर हटके बात करने लगा,,,मैने देखा कि पोलीस
वाले अमित और उसके दोस्तो को हथकड़ी लगा कर कोर्ट से बाहर ले जा रहे थे,,,,अमित के
साथ साथ अमित का बाप मिस्टर सेठी भी था,,,और उनके पीछे ही सुरेश का बाप भी था जिसको
हथकड़ी लगी हुई थी,,,,


ख़ान भाई फोन पर बहुत खुश थे,,,,उन्होने बताया कि अमित और उसके दोस्तो के खिलाफ जो
सबूत थे उनकी हेल्प से अमित और उसके दोस्तो को उमर क़ैद की सज़ा हुई है,,,,उन लोगो पर
लड़कियों के रेप की और लड़कियों को ख़ुदकुशी के लिए उकसाने की धारा लगी है,,,,जबकि
अमित के बाप पर सबूतों से छेड़खानी करने का और अपनी पॉवर का ग़लत इस्तेमाल करने
का आरोप लगा है और उसको 8 साल की सज़ा हुई है,,,,सुरेश का बाप सरकारी गवाह बन गया
था इसलिए उसको कम सज़ा हुई है,,,,,सुरेश के बाप को 3 साल की सज़ा हुई थी,,,,,


अमित के बाप को भले ही सज़ा 8 साल की हुई थी लेकिन एक बार सज़ा होते ही ख़ान भाई को
यकीन था कि अब सीबीआइ बाकी के पेंडिंग केस पर भी काम शुरू कर देगी जो सेठी पर दर्ज
है,,,,अब सेठी जल्दी जैल से बाहर आने वाला न्ही,,,,



मैं ख़ान भाई की बात सुनकर बहुत खुश हुआ,,,,,जो जंग मैने और ख़ान भाई ने शुरू की
थी वो हम लोग जीत गये थे,,,,



मैने फोन बंद किया और सोफे पर जाके बैठ गया,,,,सब लोग बहुत खुश थे,,,,टीवी पर अमित
और बाकी लोगो की न्यूज़ और उनकी सज़ा के बारे मे सुनकर घर वाले खुश हो गये थे,,,




तभी डॅड मेरे करीब आ गये और मुझे सोफे से खड़ा करके अपनी बाहों मे भर लिया और ज़ोर
से अपने सीने से लगा लिया,,,,,,मुझे हल्का दर्द हुआ और मेरी आह निकल गयी,,,,गोली का
जखम अभी इतनी जल्दी भरने वाला नही था,,,,और डॅड ने भी खुशी के मारे मुझे पूरी
जान लगा कर बाहों मे भर लिया था,,,,




ये हुई ना बात,,,,मेरा बेटा जंग जीत गया,,,,आज मुझे बहुत फक़्र है तुझ पर बेटा,,,,तेरी
वजह से ऐसे घटिया लोगो को सज़ा हुई है,,,सच मे बड़ी खुशी हो रही है आज मुझे
बेटा,,,,,अब लग रहा है मेरा बेटा बड़ा हो गया है,,,,,अब तो जल्दी से शादी करवा दूँगा
तेरी कविता से,,,,,बोल करेगा ना शादी कविता से,,,,


तभी माँ भी सोफे से उठी,,,,इसका बस चले तो आज ही शादी करले से कविता से लेकिन आप
इसकी जान निकालने पर क्यूँ तुले हुए हो,,,,,इतनी ज़ोर से सीने से क्यूँ लगा रहे हो,,,,दर्द हो
रहा होगा मेरे बचे को,,,,चलो छोड़ो अब,,,,,



माँ ने शायद मेरी दर्द से निकली हुई आह सुन ली थी जब डॅड ने मुझे बाहों मे भरा था



अरे सरिता शेर है मेरा बेटा शेर,,,,और इतनी छोटे छोटे जख़्मो से शेरो को दर्द नही
होता ,,,,क्यूँ सन्नी बेटा ठीक बोला ना मैने,,,,,



मैं कुछ नही बोला बस हां मे सर हिला दिया,,,,



सरिता अब तो जल्दी से बस सूरज से बात करो,,,,अब तो जितनी जल्दी हो इसकी शादी करवाओ
कविता के साथ,,,,डॅड खुशी मे बार बार मेरी और कविता की शादी की बात कर रहे थे



लेकिन सोनिया खुश नही थी,,,मेरी और कविता की शादी की बात सुनके,,,वो थोड़ी उदास थी,



तभी मेरे से उसकी उदासी देखी नही गयी,,,,और मैं डॅड को बोलने लगा,,,,,



डॅड शादी की बात बाद मे लेकिन उस से पहले मुझे आपसे एक ज़रूरी बात करनी है,,,जब
मैने ज़रूरी बात बोली तो मामा और भुआ मेरी तरफ देखने लगे,,,,और माँ भी कुछ परेशान
हो गयी,,,क्यूकी उनको लगा था मैं उनसे गाँव वाली बात पूछने लगा हूँ लेकिन मैं तो कोई
और बात करने वाला था,,,,



हां हां बेटा बोलो क्या ज़रूरी बात करनी है,,,,,,अब तो तुम कुछ भी बोल सकते हो बेटा
 
तभी मैने सोनिया की तरफ देखा,,,उसका चहरे उदास था,,लेकिन अब वो थोड़ी परेशान भी
थी क्यूकी उसको भी नही पता था मैं क्या बात करने वाला हूँ,,,,वो मुझे सवालिया नज़रो
से देख रही थी,,,,,



बोल ना बेटा क्या ज़रूरी बात करनी है,,,,,डॅड की बात से मेरा ध्यान सोनिया से हटके डॅड
की तरफ गया,,,


डॅड मुझे आपसे मेरे और सोनिया के बारे मे बात करनी है,,,,जब मैने इतना बोला तो डॅड कुछ
सोच मे पड़ गये,,,,लेकिन जैसे ही मैने सोनिया की तरफ देखा उसका मुँह खुला का खुला रह
गया,,,,




हां हां बोलो बेटा क्या बात है तुम्हारी और सोनिया की,,,,कुछ झगड़ा हुआ क्या तुम लोगो मे

इस से पहले मैं कुछ बोलता सोनिया जल्दी से सोफे से उठी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उपर
की तरफ ले गयी,,,,




सोनिया मेरा हाथ पकड़ कर सीडियों से उपर की तरफ लेके जा रही थी,,लेकिन हम लोगो के
जाते ही डॅड बोलने लगे,,,,अब क्या बात हो गयी इन दोनो की,,,,,लगता है झगड़ा कुछ ज़्यादा
ही बढ़ गया है इनका,,,,

तभी गीता भुआ भी बोल पड़ी,,,हां हां अशोक ऐसा ही लगता है तभी तो उपर चले गये
दोनो अपना झगड़ा सॉल्व करने,,,,,लगता है सोनिया नही चाहती कि उन दोनो के झगड़े मे हम
लोग इन्वॉल्व हो,,,,


अरे भाई बहन का झगड़ा है,,,हम लोगो ने क्यू इन्वॉल्व होना,,,,खुद ही हल करने दो दोनो
को मिलकर,,,,,


मैं सीडियों से इतनी बात सुनता हुआ सोनिया के साथ उपर वाले फ्लोर पर आ गया,,,,,लेकिन वो
वहाँ नही रुकी और मुझे वहाँ से भी उपर छत पर ले गयी,,,,,


छत पर आते ही वो गुस्से मे बोली,,,,,क्या बात करनी है तूने डॅड से हम लोगो के बारे मे
बोल ना,,,चुप क्यूँ है,,,क्या ज़रूरी बात करने वाला था तू डॅड से,,,,



वही बात जो करने से तुम डरती हो,,,,,,तुम्हारी और मेरी बात,,,,हम दोनो के प्यार की बात



तेरा दिमाग़ तो ठीक है ना,,,पागल हो गया है क्या,,,,,हम दोनो भाई बहन है,,,और वैसे
भी वो लोग तेरी और कविता की शादी की बात करने वाले है सूरज भाई से,,,,देखा नही वो
लोग कितने खुश है ,,क्यूँ उनके चहरे से खुशी छीन लेना चाहता है तू,,,,क्या उनको
खुश देखकर तू खुश नहीं ,,,,,,



उनको खुश देखकर मैं खुश हूँ या नही ये तो नही पता लेकिन किसी को उदास देखकर मैं
उदास ज़रूर हूँ,,,,


मेरी बात से सोनिया थोड़ी परेशान हो गयी,,,,,उदास ,,कॉन उदास है,,,,तूने देखा नही सब लोग
कितने खुश है तूने जो जंग शुरू की थी वो तू जीत गया अब तेरी शादी भी हो जाएगी उस
लड़की के साथ जिसको तू प्यार करता है ,,,,फिर भला किसी ने उदास क्यूँ होना,,,,मुझे तो
सब लोग खुश नज़र आ रहे थे नीचे,,,,,



जानता हूँ सब लोग खुश है मेरी और कविता की शादी से,,,,,मैं भी बहुत खुश हूँ कि
मेरी शादी उस लड़की से होने लगी है जिसको मैं प्यार करता हूँ,,,,लेकिन ये सब सुनकर
क्या तुम खुश हो,,,,

मैं ,मैं वो,,,मैं ,,,,,,,,,,,,,सोनिया को कोई बात नही सूझ रही थी,,,,



बोल ना चुप क्यूँ हो गयी,,,,बता क्या तू खुश है मेरी और कविता की शादी की बात सुनके,



हां भाई मैं बहुत खुश हूँ ,,,,उसने चेहरे मेरी तरफ किया और हँसने लगी,,,लेकिन उसकी
आँखों की उदासी उसकी झूठी हँसी से छुप नही सकी थी मेरे सामने,,,,



मैं उसके करीब चला गया,,,,देख मेरी आखों मे और हँसके बोल यही बात कि तू खुश है
मेरी और कविता की शादी से,,,,,,बोला ना,,,


उसने चहरे झुका लिया,,,,बोल ना,,,,अगर तू सच मे मेरे से प्यार करती है तो देख मेरी
आँखों मे और बोल तुझे खुशी है मेरी और कविता की शादी से,,,बोल ना,,,,बोलती क्यूँ नही



तभी उसने सर उठाकर मेरी तरफ देखा और एक हाथ मेरे सर पर भी रख दिया,,,तू आँखों
मे देखकर बोलने की बात कर रहा है मैं तेरी कसम ख़ाके बोलने को तैयार हूँ भाई कि
मैं बहुत खुश हूँ तेरी और कविता की शादी की बात सुनके,,,,उसने ये बात मेरे सर पर
हाथ रखकर बोली तो मैं थोड़ा परेशान हो गया,,,,


मैने देखा था ये मेरी और कविता की शादी की बात से उदास हो जाती थी,लेकिन ये मेरी झूठी
कसम तो नही खा सकती ,,इस बात का भी मुझे यकीन है,,,,


अब हो गयी तसल्ली,,,,चल अब नीचे चल और बोल सबको की कोई ज़रूरी बात नही थी,,,तू
बस ऐसे ही मज़ाक कर रहा था,,,,,उसने मेरा हाथ पकड़ा और नीचे की तरफ चलने लगी


तभी मैने उसको खींच कर अपने करीब कर लिया,,,,और कस कर अपनी बाहों मे जकड लिया


वो एक दम मेरे से चिपक गयी,,,,,तू मेरे सर की झूठी कसम नही खा सकती ये बात तो
मैं मानता हूँ लेकिन तेरी आँखों की उदासी भी झूठी नही थी,,,मैने कयि बार नोट किया
है तू मेरी और कविता की शादी की बात से उदास हो जाती थी,,,,अगर तुझे खुशी है मेरी
और कविता की शादी की तो भला उदासी किस बात की होती है तुझे,,,,,



तभी उसकी आँखों मे हल्के आँसू आ गये,,,,,क्यूकी मैं तेरे से प्यार करती हूँ सन्नी,और
तू कविता से प्यार करता है शादी करने वाला है,,,,,उसके साथ हाथ मे हाथ डालके लोगो के
सामने जाने वाला है,,,,बाहर की दुनिया मे उसके साथ घूमने वाला है,,,,लेकिन मैं,,मैं
तो तेरे साथ बाहर भी नही जा सकती,,,तेरे हाथ मे हाथ डालके लोगो के सामने भी नही
घूम सकती,,,,तेरे साथ शादी भी नही कर सकती,,,इस बात की उदासी है मुझे,,मैं
बस छुप छुप कर लोगो से डर डर कर तुझे प्यार कर सकती हूँ,,तेरे जितनी हिम्मत नही
मेरे मे कि इतने लोगो के सामने माल मे तुझे किस कर सकूँ,,,अपने ही घर वालो को ये
बता सकूँ कि मैं तुझसे प्यार करती हूँ,,,,,नही है मेरे मे इतनी हिम्मत,,,,इतना बोलकर
वो मेरे गले लग्के रोने लगी,,,,,,


मैं उसकी सारी बात समझ गया,,,
 
मैने उसके सर को अपने शोल्डर से थोड़ा दूर किया और उसके आँसू सॉफ करने लगा,,बस इतनी
सी बात और तू घबरा गयी,,,,,मैं तुझसे प्यार करता हूँ सोनिया,,,,तेरे प्यार की वजह से
मेरे मे इतनी हिम्मत आती है कि मैं लोगो के सामने जाके ये कहने से नही डरता कि मैं
तेरे से प्यार करता हूँ,,,,ना ही अपने घर वालो के सामने कहने से डरता हूँ,,,,तेरे प्यार
मे बहुत ताक़त है सोनिया जो मुझे इतनी हिम्मत देता है,,,,लेकिन लगता है मेरे प्यार मे
इतनी ताक़त नही जो तू दुनिया के डर का या अपने ही घर वालो के डर का सामना कर सके,,
लगता है मेरा प्यार कमजोर है,,,,या तुझे मुझपे यकीन नही है,,,,


नही सन्नी ऐसे मत बोल प्लज़्ज़्ज़्ज़,,,,मैं खुद से ज़्यादा तेरा यकीन करती हूँ,,,और तेरे प्यार
मे बड़ी ताक़त है ,,,,ताक़त तो बस मुझमे नही जो मैं दुनिया के सामने जा सकूँ,,,तू खुद
को या अपने प्यार को रुसवा मत कर ये बोलके कि तेरे प्यार मे इतनी ताक़त नही,,,,



अच्छा अगर ये बात है तो साबित कर,,,पकड़ मेरा हाथ और चल मेरे साथ नीचे और बता दे
मोम डॅड को कि तू मेरे से प्यार करती है,,,,,


नही नही सन्नी,,,मैं ये नही कर सकती,,,,मैं मर जाउन्गी अगर उनको ये सब पता चल
गया,,,,पता नही वो क्या सोचेंगे हम लोगो के बारे मे,,,


वो जो सोचते है सोचने दे,,,,,लेकिन अगर आज मैने उन लोगो को अपने प्यार के बारे मे नही
बताया तो मैं भी मर जाउन्गा सोनिया,,,,,आज पूरी हिम्मत आई है मेरे मे ,,,आज नही बता
सका तो फिर कभी नही,,,,,

इतना बोलकर मैने उसका हाथ पकड़ा और नीचे की तरफ चलने लगा,,,,,,,



नही सन्नी प्ल्ज़्ज़ रुकजा ,,,,रुकजा सन्नी ऐसा मत कर,,,मैं मर जाउन्गी सन्नी,,,,,रुकजा प्ल्ज़


वो मुझे रुकने को बोलती गयी और मैं उसका हाथ पकड़ कर नीचे की तरफ चलता गया,,,,वो
अपना ज़ोर लगा रही थी अपना हाथ मेरे से छुड़वाने मे लेकिन आज नही,,आज नही जाने दूँगा
मे इसको,,,,




मैं उसको लेके नीचे आ गया,,,सब लोग सोफे पर ही बैठे हुए थे,,,,जब उन्होने मुझे
सोनिया को यूँ खींच कर नीचे लेके आते हुए देखा तो थोड़ा परेशान हो गये,,उपर से सोनिया
रोके आई थी इसलिए उसकी आँखें भी नम थी,,,,



ये सब क्या हो रहा है सन्नी,,,,,डॅड सोफे से उठते हुए बोले,,,,,


वही हो रहा है डॅड जो होना चाहिए,,,मैने बोला था ना कि आपसे ज़रूरी बात करनी है


हां हां बोल ,,,क्या बात करनी है,,,,,और ये सोनिया रो क्यूँ रही है,,,,,


कुछ नही डॅड बस थोड़ा डरी हुई है ये,,,


लेकिन ये रो क्यूँ रही है सन्नी,,,,क्या फिर से तुम दोनो का झगड़ा हुआ है ,,,


नही डॅड,,ये आँसू झगड़े के नही,,,,,,प्यार के है,,,,,बोल ना सोनिया,,,बोल साथ देगी मेरा
या मुझे रुसवा करेगी आज सबके सामने,,,


सोनिया चुप करके सर झुका कर खड़ी हुई थी,,,,,,


बोल ना सोनिया ,,,,साथ देगी अपने भाई का प्यार करने मे या नफ़रत का बीज पैदा करेगी मेरे
दिल मे,,,,,


ये सब क्या हो रहा है सन्नी,,,डॅड थोड़ा गुस्से मे बोले,,,,लेकिन सोनिया चुप रही,,,


तभी मैने सोनिया को उसके सर से पकड़ा और अपने करीब करके उसके होंठों मे अपने होंठ
रखके उसको किस करने लगा,,,,मैने उसको कुछ पल किस की और खुद से अलग करके दूर कर
दिया,,,,,


वो दूर हटके मुझे हैरानी से देखने लगी,,,,सब लोग भी हैरान हो गये मेरी इस हरकत
से,,,,,


तभी डॅड गुस्से मे बोले,,,,,,ये क्या बदतमीज़ी थी सन्नी,,,,तेरा दिमाग़ खराब हो गया है
क्या,,,,,,डॅड गुस्से से मेरी तरफ बढ़ने लगे तभी भुआ और माँ बीच मे आ गयी और उनको
रोक लिया,,,,


बोल सोनिया अब क्या बोलना है तुझे,,,,क्या मैने तेरे साथ बदतमीज़ी की ,,बोल ना इन लोगो को
कि मैं कितना बुरा हूँ,,,तेरे साथ हमेशा बदतमीज़ी करता हूँ,,,,तेरे करीब आता हूँ
तुझे हाँसिल करने की कोशिश करता हूँ,,,,तुझसे प्यार करने की गुस्ताख़ी करता हूँ,,



सोनिया वहीं खड़ी रही और मुझे नम आँखों से देखती रही लेकिन कुछ नही बोली,,,डॅड अभी
भी गुस्से मे पता नही क्या क्या बोल रहे थे,,,,





कुछ तो बोल,,,चाहे मुझे रुसवा ही कर्दे सबके सामने ,,,,लेकिन खुदा का वास्ता है तुझे
कुछ तो बोल,,,,प्ल्ज़्ज़ सोनिया ,,,,आज बड़ी मुश्किल से इतनी हिम्मत हुई है मुझमे कि अपने घर
वालो को बता सकूँ कि मैं अपनी बहन को कितना प्यार करता हूँ,,,,तू भी हिम्मत कर प्यार
नही तो ना सही,,,,हिम्मत कर थोड़ा गुस्सा कर और कर्दे मुझे सबके सामने रुसवा


मैने इतना बोला तो सोनिया भाग कर मेरे गले लग गयी और मेरे होठों पर किस करने लगी

सोनिया ने भी अपने प्यार का इज़हार कर दिया,,,,जैसे मैने उसको कुछ पल के लिए किस की उसने
भी मुझे कुछ पल के लिए किस की और जल्दी से भाग कर भुआ के पास चली गयी,,,,



तभी सब लोग हैरान रह गये जब सोनिया ने भी अपने प्यार का इज़हार कर दिया,,,


तभी मैने सबको और हैरान कर दिया,,,,,,हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते है डॅड और
शादी करना चाहते है,,,,मैने इतनी बात बोली तो गीता थोड़ी खुश हो गयी लेकिन बाकी लोग
नही,,,,,



डॅड रोने लगे और मामा को बोलने लगे,,,,,देख लिया ये क्या कर दिया तूने,,,,सब तेरी वजह
से हुआ है ,,सब बर्बाद कर दिया तूने,,,मेरी सारी फॅमिली को बर्बाद कर दिया,,,क्या बिगाड़ा
था मैने तेरा,,,,क्या बिगाड़ा था इन बच्चो ने तेरा,,,,किस ग़लती की सज़ा दी है तूने इन
बच्चों को,,,,डॅड रोते हुए ज़मीन पर बैठ गये,,,,माँ उनको चुप करवा रही थी,,,



उधर मामा भी रोने लगा,,,,,सोनिया भी भुआ के गले लग्के रो रही थी,,,,,


तभी मामा रोते हुए मेरे पास आया और मेरा हाथ पकड़ लिया,,,,और मुझे सोफे पर बिठा दिया
और खुद ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर मेरे सामने हाथ जोड़कर माफी माँगने लगा,,,


मुझे माफ़ कर्दे सन्नी बेटा,,,,ये सब मेरी वजह से हुआ है,,,,,मुझे माफ़ कर्दे बेटा,,
मुझे माफ़ कर्दे,,,मैने उस जुर्म की सज़ा दी है तुम लोगो को जो जुर्म तुम लोगो ने किया ही
नही,,,,,,



मामा आप रो क्यूँ रहे हो,,,,और भला मेरा मेरी बहन से प्यार करना कोई ग़लती है क्या जो
सब लोग इतने परेशान हो गये है,,,,,,वैसे भी तो इस घर मे कब्से जिस्म का नंगा नाच
चल रहा है,,,,,,बाप बेटी के साथ हवस पूरी कर रहा है,,,बेटा माँ के साथ ,,और भाई
बहन के साथ अपनी हवस मिटा रहा है,,,,तो भला एक भाई का अपनी बहन से प्यार करने
पर इतना गुस्सा क्यूँ आ रहा है आप लोगो को,,,आप लोगो को तो खुश होना चाहिए कि मैं
आपकी इस परंपरा को आगे लेके जा रहा हूँ,,,,



मेरी बात सुनके भुआ और माँ भी रोने लगी,,,,

कुछ देर रूम मे सन्नाटा रहा,,बस सब लोगो के रोने की ही आवाज़ आ रही थी,,,,फिर मामा
बोला,,,,,


तेरा कोई कसूर नही है सन्नी,,,,और ना ही हम सब का कसूर है जो हम लोगो ने अपनी
हवस को अपने ही घर मे पूरा किया,,,,कसूर तो उस हरामी किशन लाल का है जिसने मेरी
जिंदगी खराब करदी,,मेरे पूरे परिवार की ज़िंदगी खराब करदी,,,,,और बदले की आग मे
मैने तुम लोगो की फॅमिली,,, अपनी फॅमिली खराब करदी,,,,


मैं थोड़ा परेशान हो गया,,,,किषल लाल ,,,यानी माँ का चाचा,,,,जिसने सीमा का रेप किया
था ,,,लेकिन उसने सुरेंदर की फॅमिली को कैसे बर्बाद कर दिया,,,,मैं कुछ समझ नही
पा रहा था,,,,


मामा भला माँ के चाचा ने आपकी फॅमिली को कैसे बर्बाद कर दिया,,,,मैं कुछ समझा नहीं
 
वो तेरी माँ का चाचा नही है सन्नी,,,,वो अशोक का बाप है,,,,,और बदक़िस्मती से वो
तेरा भी बाप है,,,,,,,,तेरी बास्किस्मती ये है कि उसने तेरी माँ का एक बार रेप किया
लेकिन मेरी माँ का रेप तो वो हर रोज करता था,,,,हर दिन करता था हर पल करता था
और मैं बेबसी से सब कुछ देखता रहता था,,,,इतना बोलकर सुरेंदर रोता हुआ मेरे पैरो
मे गिर गया,,,,



सुरेंदर की बातों से मैं परेशान हो गया,,,,और सब लोगो की तरफ देखने लगा,,,माँ और
भुआ रोती हुई अपना सर हिला कर मुझे ये बता रही थी कि सुरेंदर जो बोल रहा है वो
सच है,,


अशोक ने आगे बढ़ कर सुरेंदर को उठाया और सामने सोफे पर बिठा दिया,,,,,गीता चलके उसके
पास चली गयी ,,,साथ वाले सोफे पर अशोक खुद बैठ गया,,इधर मैं बड़े सोफे पर अकेला
बैठा हुआ था तभी माँ मेरे पास आके बैठ गयी और माँ के पास सोनिया आके बैठ गयी,,,



तभी गीता सुरेंदर के सोफे की एक तरफ थोड़ी सी साइड पर बैठ गयी,,और उसका हाथ पकड़
लिया,,,,,,और सुरेंदर को बोलने को कहा,,,,


सुरेंदर बोलने लगा,,,,,,



मैं तेरा मामा नही सन्नी,,,,,और ना ही गीता तेरी भुआ है,,,,,गीता मेरी बहन है और
गाँव मे रेखा मेरी बहन है,,,,,हम तीनो भाई बहन है,,,,,और गीता अशोक की बहन
नही अशोक की पत्नी है,,,,


तभी मैं थोड़ा हैरान रह गया लेकिन तभी मुझे याद आया उस तस्वीर के बारे मे जो
मैने रेखा के घर देखी थी,,,,मैं उसको पहचान नही पा रहा था,,,उस तस्वीर मे 5
लोग थे जो जाने पहचाने लग रहे थे लेकिन 2 को मैं बिल्कुल भी नही पहचान रहा था
,,अब पता चला मैं 3 लोगो को क्यूँ पहचान रहा था वो तीन लोग सुरेंदर गीता और रेखा
और हो ना हो बाकी के 2 लोग इनके माँ बाप होंगे,,,,,




सुरेंदर ने आगे बोलना शुरू किया ,,,,,,,,,



मेरी माँ किशन लाल के घर काम वाली थी,,,किशन लाल के घर का सारा काम करती थी
और मैं भी माँ के साथ रसोई के काम मे हाथ बटाने उनके साथ जाता था,,,जबकि रेखा
पुष्पा देवी के साथ गाय भेँसो को संभालने का काम करती थी,,,,गीता की अशोक से बहुत
बनती थी इसलिए गीता अशोक के साथ स्कूल जाती थी,,,,,हम लोगो को भी स्कूल जाने का
दिल करता था लेकिन हम लोगो का बाप हमे स्कूल नही जाने देता था और ना ही किशन लाल
हमे स्कूल जाने देता था,,,वो चाहता था कि मैं माँ के साथ किचन का काम करूँ और
रेखा पुष्पा देवी के साथ गोबर संभालने मे उसकी मदद करे,,,,,वो गीता को भी नही जाने
देना चाहता था स्कूल लेकिन अशोक की ज़िद्द की वजह से किशन लाल गीता को स्कूल जाने
देता,,,,


मेरा बाप एक नंबर का शराबी था ,,,कोई काम नही करता था और किशन लाल इसी बात का
पूरा फ़ायदा उठाता था,,,,वो रोज मेरे बाप को शराब के लिए पैसे दे देता और बदले मे मेरी
माँ के साथ अपनी हवस मिटाता,,,मेरी माँ भी बेबस थी कुछ कर नही सकती थी,,,क्यूकी
जिस घर मे हम रहते जो हम लोग खाते पीते वो सब किशन लाल का था,,,,बाप ने तो पूरी
उमर कोई काम ही नही किया था,,,माँ मजबूर थी,,,,एक तो ग़रीब थी दूसरी एहसानो के बोझ
तले दबी हुई थी,,,,,,और मजबूरी मे किशन लाल को अपने जिस्म से खेलने देती कभी मना
नही करती,,,और किशन लाल भी उसकी मजबूरी का पूरा फ़ायदा उठाता ,,,,,,






सुरेंदर रो रहा था और बोल रहा था,,,,,,,






किशन लाल जब दिल करे मेरी माँ के जिस्म से खेलना शुरू कर देता,,,,कभी कमरे मे तो
कभी आँगन मे,,,,कभी खेतो मे तो कभी किचन मे,,,,मैं माँ के साथ काम करता था
किचन मे तो किशन लाल वहाँ आता और माँ के जिस्म से खेलना शुरू कर देता,, कभी वो
अकेला आता तो कभी दूसरे गाँव का ठाकुर( सरिता का बाप) भी आ जाता जो सरिता का बाप
था और किशन लाल का अच्छा दोस्त भी,,,,,,वो दोनो मिलकर मेरे सामने मेरी माँ के जिस्म के
साथ खेलते और मैं बस खड़ा तमाशा देखता रहता,,,,मैं बहुत छोटा था कुछ कर नही
सकता था,,,मुझे तो ये भी नही पता था कि वो लोग क्या कर रहे है,,,मुझे तो ऐसा लगता
जैसे वो लोग मेरी माँ को मार रहे है,,,,,कभी कभी गुस्से मे खून खौल जाता मेरा और
हाथ मे पकड़े चाकू को किशन लाल के सीने मे उतारने का दिल करता लेकिन माँ मना कर देती



कुछ टाइम बीत-ता गया और हम लोग थोड़े बड़े होने लगे,,,,रेखा और गीता भी बड़ी होने लगी
जवान होने लगी,,,,,गीता तो अशोक की वजह से बच जाती क्यूकी अशोक हमेशा उसके साथ ही
रहता था ,,,दोनो प्यार करते थे एक दूसरे को,,,लेकिन रेखा नही बच पाई,,,,पुष्पा देवी
ने भी कोशिश की उसको बचाने की लेकिन किशन लाल पुष्पा देवी को बहुत मारता था,,,


रेखा जवान हो गयी और किशन लाल ने ठाकुर के साथ मिलके उसको भी अपनी हवस का शिकार
बनाना शुरू कर दिया और जब मैं कुछ करने की कोशिश करता तो मुझे बाँध कर रखा
जाता और बहुत मारा जाता,,,,जब मार से भी कुछ नही हुआ तो मेरे परिवार को जान से मारने
की धमकी देके मेरे से ही मेरी माँ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने पर मजबूर किया जाने
लगा और मैं अपने परिवार की हिफ़ाज़त के लिए इस गंदे रास्ते पर चलने लगा,,


अगर मना करता तो किशन लाल और ठाकुर मेरे परिवार को मार देते,,,,मैं बेबस था बहुत
लाचार था,,,,,


रेखा के साथ साथ भी वही सब होने लगा जो मेरी माँ के साथ होता था,,,और माँ सारा दिन
किशन लाल और ठाकुर की गुलामी करती थक जाती और मेरे बाप के साथ रात को कुछ नही कर
पाती तो मेरे बाप ने भी रेखा के जिस्म का सहारा लेना शुरू कर दिया,,,मेरा बाप भी रेखा
के साथ हवस मिटाने लगा,,,,


कुछ टाइम बाद उन लोगो ने गीता पर हाथ डालने की कोशिश की ,,,मैने मना किया तो मेरे
बाप को मार डाला उन लोगो ने,,,,,मार कर नहर मे फैंक दिया और बोला कि शराब के नशे
मे नहर मे गिर गया है मेरा बाप,,,,



मैं गीता को नही बचा सकता था,,,अगर कोशिश भी करता तो अपने ही परिवार के किसी और
शख्स को खो देता,,,,,,लेकिन गीता ने अशोक को सब कुछ बता दिया और अशोक भी जानता था
वो कुछ नही कर पाएगा इसलिए वो गीता को लेके गाँव से भाग गया और शहर आ गया,,,



अशोक शुरू से गाँव के स्कूल मे पढ़ा था और बाद मे शहर मे पढ़ने जाने लगा था और
गीता भी साथ मे जाती थी इसलिए इन लोगो को शहर की काफ़ी जानकारी थी,,,,,,और उधर
पुष्पा देवी का केवल से बहुत प्यार था इसलिए शुरू से ही उसको शहर मे पढ़ने भेज दिया
गया था ताकि उसपे अपने बाप का गंदा साया नही पड़े,,उसको अपने बाप की करतूतों के बारे
मे कुछ पता नही चले,,,,,



गीता सुरक्षित हो गयी थी,,लेकिन मेरी माँ और रेखा नही,,,,,मेरे बाप की मौत के बाद
मेरी माँ ने भी उसी नहर मे कूद कर ख़ुदकुशी करली जहाँ मेरे बाप को मार कर फेंका
था ठाकुर और किशन लाल ने,,,,वो अब ज़िल्लत की जिंदगी को और ज़्यादा बर्दाश्त नही कर
सकी,,,,,,,

अब मैं और रेखा ही रहते थे,,,,,रेखा मेरी जान की हिफ़ाज़त के लिए कुछ नही कर सकती
थी और मैं रेखा की हिफ़ाज़त की वजह से कुछ नही कर पा रहा था,,,,माँ के मरने के बाद
मैं किशन लाल के घर का काम करने लगा,,खाना पकाने लगा,,,,


कुछ टाइम बीता तो किसी बीमारी के चलते ठाकुर भी मर गया,,,,ठाकुर ने मरने से पहले
सरिता की शादी अशोक से पक्की करदी थी लेकिन अशोक गीता के साथ भाग गया था,,ठाकुर
के मरने के बाद सरिता किशन लाल के घर रहने आ गयी थी,,,किशन लाल ने कभी गंदी
नज़र नही डाली थी सरिता पर क्यूकी वो ठाकुर की बेटी थी और जब सरिता की शादी होनी
थी अशोक से तो काफ़ी पैसा मिलना था किशन लाल को ,,इसलिए वो ना तो खुद सरिता पर
गंदी नज़र डालता और मुझे भी धमकी देता कि अगर मैने सरिता के साथ कुछ ग़लत किया तो
मुझे और रेखा को मार देगा,,,,

इधर अशोक शहर तो आ गया था लेकिन ना काम ना रहने की जगह,,,घर से थोड़े पैसे
लेके आया था उसमे 1-2 महीना ही गुज़रा हुआ था,,,,फिर पढ़ाई भी करनी थी और गीता को
भी पढ़ाना था,,,,जो पैसे थे उनसे किराए का कमरा लेके दोनो रहते थे और पार्ट टाइम जॉब
करने लगे थे,,,,,लेकिन इतने पैसे से शहर मे गुज़ारा नही होता था,,,,इसलिए गाँव जाके
बाप से पैसे माँगना चाहता था अशोक लेकिन उसको पता था उसका बाप उसकी हेल्प नही करेगा
और गीता भी उसको रोक देती गाँव जाने से,,,,

लेकिन जब दोनो ने शादी करली और गीता पेट से हो गयी तो पैसे की ज़रूरत आन पड़ी और
अशोक को मजबूरी मे गाँव जाना पड़ा क्यूकी गीता को बस कुछ दिनो मे बच्चा होने वाला था


लेकिन जब अशोक गाँव गया तो किशन लाल ने पैसे देने से मना कर दिया,,,और शर्त रखी
कि अगर अशोक सरिता से शादी करेगा तो ही उसको पैसे मिलने थे और वो भी इतने पैसे कि
वो अपना खुद का घर ले सकता था,,,,अशोक मजबूर था उसको पैसो की ज़रूरत थी इसलिए
वो सरिता से शादी करने को मान गया,,,


अशोक ने सरिता से शादी की और उसको अपने साथ शहर ले गया और शहर जाके कुछ पैसा
लगाया बच्चे की डेलीवरी पर और एक नया घर भी ले लिया,,,,,लेकिन गीता को अशोक की दूसरी
शादी मंजूर नही थी,,,,वो ना तो खुद सरिता के नये घर मे जाना चाहती थी और ना ही
विशाल को जाने देना चाहती थी,,,,




,,,,,,,,,,,,,,इस बात से मैं थोड़ा हैरान हो गया




हां सन्नी तुम ठीक समझे,,,,विशाल अशोक और गीता का बेटा है ,,,,,




गीता अपने किराए वाले घर मे ही रहने लगी थी,,,,अशोक कभी गीता के पास रहता तो
कभी सरिता के पास क्यूकी घर तो ले लिया था आगे पढ़ने और काम के लिए भी अशोक को पैसे
चाहिए थे,,,,उसने पैसो के लिए ही सरिता से शादी की थी,,,,लेकिन सरिता की भी अपनी
ज़रूरत थी,,,,उसकी शादी हो गयी थी वो चाहती थी उसका पति उस से प्यार करे उसको शादी
का हर सुख दे जो एक पति अपनी पत्नी को देता है,,,अशोक थक गया था बार बार एक घर
से दूसरे घर जाते जाते,,,,लोग बातें करना शुरू कर रहे थे लोगो की बातों से बचने
के लिए अशोक गीता को लेके सरिता वाले घर मे आ गया क्यूकी अब नया घर छोड़कर किराए
वाले घर मे रहना तो बेवकूफी होती,,,,लेकिन जब गीता विशाल के साथ सरिता के पास रहने
आई तो लोगो ने अशोक के घर बच्चा देखा तो उसको सरिता का बेटा समझ लिया,,,अशोक ने
भी लोगो की बातों से बचने के लिए यही कह दिया कि ये बेटा उसका और सरिता का है,लेकिन
अब दूसरी औरत घर मे आ गयी तो उसका क्या करना था,,,अशोक ने ग़लती से किसी को बता
दिया कि गीता उसकी बहन है,,,
 
दोनो मजबूर थे,,कुछ नही कर सकते थे,,,,एक माँ को अपने ही बच्चे की भुआ बनके रहना
पड़ रहा था और अशोक हर बार ऐसा बोलता कि बस कुछ दिन की बात है बस कुछ दिन की बात
है तो गीता भी अशोक का यकीन कर लेती,,,,,सरिता भी विशाल को अपने बच्चे जैसे प्यार
करती ,,,,हालाकी सरिता और गीता की बिल्कुल नही बनती लेकिन सरिता विशाल को बहुत प्यार
करती थी,,,,इस बात से गीता को गुस्सा भी था,,,लेकिन वो कुछ कर नही सकती थी,,,


लेकिन फिर वो दिन आया जब सरिता पेट से हुई,,,,,सरिता पेट से हो गयी और घर का काम
करना मुश्किल हो गया ,,,,गीता भी उसकी कोई हेल्प नही करती थी इसलिए घर का काम करने
के लिए किशन लाल ने मुझे यहाँ भेज दिया,,,,,क्यूकी अगर रेखा को भेज देता तो फिर
हवस किसके साथ पूरी करता,,,,,,,



मैं अब सरिता की हेल्प करने शहर आ गया,,,,,लोगो ने पूछा तो बता दिया मैं सरिता का
भाई हूँ,,बस बन गया मैं विशाल का मामा वैसे भी गीता का बेटा था वो मेरा भांजा ही
लगता था,,,,,लेकिन लोगो की नज़र मे वो सरिता का बेटा था और मैं सरिता का भाई,,



मैं गाँव मे तो कुछ नही कर सका लेकिन शहर मे मुझे किशन लाल का डर नही था,मैं
किचन मे तो काम करता था साथ ही सरिता की हर काम मे हेल्प करता था,,सरिता और मेरी
खूब बनती थी,,,,,वैसे भी मैं गीता का भाई था इस लिए सरिता मेरा ज़्यादा ख्याल रखती
जिस से गीता को और भी ज़्यादा गुस्सा आता था सरिता पर,,,,और इन दोनो की दुश्मनी का फ़ायदा
मैं उठा रहा था और सरिता के ज़्यादा करीब जा रहा था,,,,फिर कुछ टाइम बाद सरिता को
बेटी हुई ,,,शोभा,,,,,,,,शोभा के होने के बाद अशोक ने सरिता को एक बच्चा देके उसका मन
खुश कर दिया था,,,,अपना काम पूरा कर लिया था,,,,इसलिए अब वो सरिता की तरफ ज़्यादा
ध्यान नही देता था और इस बात का फ़ायदा भी मुझे हुआ और मैं सरिता के करीब बहुत
करीब हो गया और उसको वो सुख देने लगा जो अशोक नही दे पा रहा था वैसे भी मैने सोचा
कि ठाकुर से बदला नही लिया तो क्या हुआ उसकी बेटी सरिता ही सही,,,,


अब ये नोबत आ गयी थी कि सरिता मेरे साथ सोने लगी थी और गीता अशोक के साथ,,,अशोक
को भी सब पता था मेरे और सरिता के बारे मे ,,,,लेकिन वो मजबूर था गीता की वजह से
इसलिए उसने मुझे सरिता के करीब रहने दिया,,,,क्यूकी सरिता को भी वो सुख चाहिए थे
जो अशोक गीता को दे रहा था लेकिन गीता की वजह से वो वही सुख सरिता को नही दे
सकता था इसलिए उसने मुझे उसकी कमी पूरी करने दी और सरिता को वो सुख देने दिया जो वो
खुद नही दे पा रहा था,,,,


फिर देखते ही देखते बच्चे बड़े होने लगे,,,,विशाल शुरू से ही गीता को भुआ और सरिता
को माँ कहता था और शोभा भी गीता को भुआ सरिता को माँ और मुझे मामा कहने लगी थी


कुछ टाइम बाद वो खबर आई जब पता चला कि किशन लाल ने केवल की पत्नी सीमा का
रेप कर दिया ,,,,और जब केवल को पता चला कि सीमा की कोख से पैदा हुए बच्चे उसके नही
उसके बाप की संतान है तो वो उनको किशन लाल के पास गाँव छोड़ गया,,,,


सरिता को जब पता चला इस सब के बारे मे तो सरिता और मैं कुछ दिन के लिए गाँव चले
गये ,,,सरिता तुम बच्चों को(सोनिया और सन्नी) गाँव की गंदगी मे किशन लाल के पास नही
रहने देना चाहती थी इसलिए हम लोग हमारे घर मे रहे जो घर रेखा का था,,,हम लोग
करीब 1-2 साल उसी घर मे रहे और फिर बच्चों को लेके वापिस शहर आ गये ताकि किसी को
शक ना हो,,,,लोग यही समझने लगे थे कि तुम दोनो भी सरिता के बच्चे हो लेकिन जब
लोगो मे तरह तरह की बातें होने लगी और बच्चे बड़े होने लगे तो अशोक को डर था कहीं
बच्चे कुछ पूछ ना ले,,,इसलिए अशोक ने वो घर छोड़ दिया और हम लोग दूसरे मुहल्ले मे
चले गये,,,,,लेकिन अब तक शोभा और विशाल कुछ बड़े हो गये थे वो लोग गीता को भुआ
और मुझे मामा ही कहने लगे थे और उनकी नज़र मे सरिता उनकी माँ थी,,,


फिर तुम लोग बड़े होते गये और यही रिश्ता बनता गया हम सबका,,,,विशाल अशोक और गीता का
बेटा था जबकि उसकी नज़र मे गीता उसकी भुआ थी और सरिता उसकी माँ,,,,,,इधर शोभा की
नज़र मे भी अशोक उसका बाप और सरिता उसकी माँ थी इसलिए गीता को उसकी भी भुआ बनना
पड़ा,,,,वैसे भी सरिता से बदला लेने के लिए गीता शोभा को बहुत प्यार करती थी,,,और हर
टाइम उसको अपने साथ रखती थी,,,,,जैसे विशाल का प्यार सरिता के साथ ज़्यादा था वैसे ही
शोभा का ज़्यादा प्यार गीता के साथ था,,,,लेकिन तुम दोनो को हर किसी का बराबर प्यार मिला
था,,,,क्यूकी तुम्हारा किसी से खून का रिश्ता नही था,,तुम दोनो से किसी की लड़ाई नही
थी,,,,तुमको जितना प्यार सरिता से मिला उतना ही गीता से मिला,,,,,तुम बच्चे बड़े होने लगे
थे और मेरा शैतानी डेमाग अपनी गंदी सोच को अंजाम देने के बारे मे सोचने लगा था
,,,,,




मैं चाहता था कि जैसे मेरे परिवार को आपस मे हवस की आग मे जलाने का काम किया था
ठाकुर और किशन लाल ने मैं भी वैसे ही उनके परिवार को हवस की आग मे जला देना
चाहता था,,,,



हालाकी विशाल गीता का बेटा था लेकिन वो सरिता को अपनी माँ समझता था और मुझे भी अपना
बदला लेना था इसलिए सरिता को चुदाई की बुरी आदत लगा कर इसको अजीब अजीब शॉंक पैदा
कर दिए मैने इसके दिल मे जिस से ये विशाल से चुदवाने को तैयार हो गयी थी,,,,गीता ने
मुझे रोका भी था लेकिन मैं नही रुका,,,,,मैं तो चाहता था कि गीता भी मेरा साथ दे
और अशोक को शोभा के करीब करके लेकिन गीता ने मेरी बात नही मानी और फिर मैने अपना
शैतानी दिमाग़ चलाया और अशोक से ऐसी ऐसी बातें करने लगा कि अशोक का नज़रिया ही
बदल गया शोभा को देखने का,,,,,,और जब उसने विशाल को सरिता के साथ देख लिया तो
उसके दिल मे भी आग लग गयी शोभा के साथ सेक्स करने की,,,,,गीता भी मजबूर हो गयी ,अब
गीता मेरे शैतानी प्लान के बारे मे अशोक को कुछ नही बता सकती थी क्यूकी मैं उसका
भाई था वो अशोक को मेरे बारे मे सच बता कर मुझे नुकसान नही पहुचाना चाहती थी
इसलिए मजबूर होके उसने भी शोभा को अशोक के करीब कर दिया,,,,,


मैं अपने प्लान मे कामयाब हो गया था,,,,मैने भी इस परिवार मे हवस की आग लगा दी थी


अब बारी थी तेरी,,,,,तुझे भी मैं इस खेल मे शामिल करना चाहता था लेकिन तू तो पहले
से खेल मे शामिल होने के बारे मे सोच रहा था,,,,तेरे पर ज़्यादा मेहनत ही नही करनी
पड़ी मुझे,,,,,बस सोनिया पर करनी थी मेहनत,,,लेकिन जब अशोक का ध्यान जाने लगा सोनिया
की तरफ तो उसने गीता को बोला और गीता ने कोशिश की सोनिया के करीब जाने की तो सब
कुछ उल्टा ही हो गया,,,,

फिर मैने भी कभी कोशिश नही की इसके करीब जाने की,,,,,हालाकी मैं चाहता था ये
भी इस सब हवस के खेल मे शामिल हो जाए ,,,,,,मैं बदले की आग मे जल रहा था


लेकिन अब रेखा की शादी पर जब इतनी बड़ी हवेली सरिता ने गिफ्ट मे रेखा को दे दी तो
मेरे से रहा नही गया,,,,मेरी बहन जो अब तक ठाकुर की नोकरानि थी ,,किशन लाल की
नोकरानी थी अब वही एक हवेली की मालकिन बन गयी थी,,,,ये सब देखकर मेरा दिल पसीज
गया और मैने सरिता को सब कुछ बता दिया और अशोक को भी,,,,,इसलिए अशोक ने उस दिन
मुझे हवेली मे मारा था,,,,,





तभी अशोक बोला,,,,,,हां बेटा यही वजह थी कि मैने सुरेंदर को मारा था,,लेकिन फिर
मैने सोचा कि इसमे इसकी क्या ग़लती,,ये तो बदले की आग मे जल रहा था ,,ग़लती तो हम
लोगो की थी मेरी थी,,,कि मैं भी हवस मे इतना अँधा हो गया कि अपनी ही बेटी पर गंदी
नज़र रखने लगा अपनी ही बेटी के साथ हवस पूरी करने लगा,,,जितना कसूर सुरेंदर का
है उतना ही कसूर हम सब लोगो का है,,,,पहले सब बुरा लगता था लेकिन फिर तो आदत सी
हो गयी थी,,,,,लेकिन जब सुरेंदर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया तो हम सब की आँखें भी
खुल गयी और उस दिन से वो हवस का गंदा खेल ही बंद कर दिया हम लोगो ने,,,,


विशाल को भी सब बता दिया इसलिए वो बाहर देश चला गया,,,वो इस सब गंदगी से दूर
जाना चाहता है ,,,सब कुछ भूल जाना चाहता है,,,,

शोभा की शादी भी जल्दी जल्दी मे इसलिए की है ताकि वो भी इस सब से दूर चली जाए और
एक नयी ज़िंदगी शुरू करे,,,,,


वो लोग तो अपनी नयी जिंदगी की तरफ चले गये लेकिन तुम ,,,तुम सन्नी बेटा फिर से उसी
हवस की तरफ जा रहे हो,,,,,
 
मैं कुछ देर चुप रहा फिर बोला,,,,,,,,नही डॅड ,,मेरे दिल मे सोनिया के लिए हवस नही
प्यार है,,,,मैं उस से शादी करना चाहता हूँ और ये बात इसलिए नही बता रहा कि आप
मेरा परिवार हो और आप मेरा साथ दोगे मैं तो इसलिए बता रहा हूँ कि मैं इसके साथ शादी
करने वाला हूँ,,,,,इसको पत्नी बना कर लोगो के सामने लेके जाने वाला हूँ,,,मुझे फ़र्क
नही पड़ता कोई क्या सोचता है,,,,,ये मेरी बहन है तो इसमे मेरी क्या ग़लती,,,लेकिन अब मैं
इसको अपनी बहन नही अपनी पत्नी बना कर रखना चाहता हूँ,,और उसके लिए मुझे आप सब
के आशीर्वाद की ज़रूरत है,,,,आख़िर आप लोग मेरे माँ बाप हो,,,


लेकिन सन्नी मैं तो तेरी और कविता की शादी की बात सूरज के घर वालो से करने वाली हूँ
उसका क्या होगा बेटा,,,,,


तो करो ना बात मा,,,,मैने कॉन्सा बोला कि मैं सोनिया से शादी करूँगा और कविता से नही
करूँगा,,,,मैं इन दोनो से शादी करूँगा,,,,,,इस बात से ना तो कविता को कोई प्राब्लम
है और ना ही सोनिया को,,,,,,,

तभी माँ ने सोनिया की तरफ देखा तो सोनिया मे हां मे सर हिला दिया और माँ को बता दिया क्यों
उसको और कविता को कोई प्राब्लम नही है एक साथ सन्नी के साथ रहने मे,,,,



लेकिन तभी डॅड उठे और गुस्से से बोले,,,,,,,नही नही,,,ऐसा हरगिज़ नही हो सकता,,तेरी
शादी कविता से होगी ना कि सोनिया से,,,,सोनिया तेरी बहन है,,,,,और जितना जल्दी हो सके तू
ये बात अपने दिमाग़ मे बिठा ले,,,,,डॅड इतना सब कुछ गुस्से मे बोलते हुए अपने रूम मे
चले गये,,,,,


माँ पीछे से आवाज़ लगाती हुई डॅड के पीछे चली गयी,,,,,,अशोक रूको ,,,,एक मिनिट उसकी
बात को सुन तो लो,,,,समझो तो सही वो क्या कह रहा है,,,,,


लेकिन डॅड नही रुके और अपने रूम मे चले गये पीछे पीछे माँ भी चली गयी और फिर रूम
का दरवाजा बंद हो गया,,,,


तभी सुरेंदर मामा भी मेरे पास आया,,,,,,बेटा जो हम सबसे हुआ वो ग़लती थी,,,,अब तुम
भी उस ग़लती को दोहराओ मत,,,,कुध सोच कर देखो वो तुम्हारी बहन है,,,लोग क्या कहेंगे
तुम लोगो के बारे मे,,,,,,,ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,,,,,,,,मामा ने भी इतना बोला और घर
से बाहर चला गया




तभी सोनिया मेरे पास आई रोने लगी,,,,,,,,,मैने बोला था ना,,,,मैने बोला था ना कि मत
बताओ सबको,,,,,मैने बोला था ना,,,,कोई हमारी बात नही समझेगा,,,कोई ह्मारा रिश्ता नही
समझेगा,,,कोई ह्मारा प्यार नही समझेगा,,,,,,,,,मैने बोला था,,,मैने बोला था सन्नी,,तू
क्यूँ नही माना मेरी बात,,,,,,क्यू नाराज़ कर दिया सब लोगो को,,,,,,,,क्यूँ किया सन्नी तूने
क्यूँ किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सोनिया रोति हुई उपर छत की तरफ भाग गयी और पीछे पीछे
भुआ भी चली गयी,,,,,,,


मैं भी भुआ के पीछे उपर की तरफ चला गया,,,,सोनिया ने अपने रूम मे जाके दरवाजा अंदर
से बंद कर लिया था,,,भुआ बाहर खड़ी होके सोनिया को दरवाजा खोलने को बोल रही थी लेकिन
सोनिया अंदर से रोती हुई आवाज़ मे दरवाजा खोलने से मना कर रही थी और भुआ को वहाँ से
चले जाने को बोल रही थी,,,,,,

भुआ,,,,,,,सोनिया बेटी दरवाजा खोल ,,,बात तो कर मेरे से,,,,प्ल्ज़्ज़ बेटी दरवाजा खोल

सोनिया,,,,,,,नही भुआ मुझे किसी से कोई बात नही करनी,,,,,आप प्लज़्ज़्ज़ जाओ यहाँ से,,प्ल्ज़्ज़
भुआ मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो,,,,,


मैं भी भुआ के पास खड़ा हो गया और दरवाजे पर नॉक करने लगा,,,,सोनिया दरवाजा खोल
प्लज़्ज़्ज़्ज़ भुआ से ना सही मेरे से तो बात करले,,,,,


तेरे से तो अभी कभी बात नही करूँगी,,,तू भी जा यहाँ से,,,,चला जा मेरे से दूर ,,जा
चला जा ,,,,कभी करीब मत आना ,,,,,,सुना तूने सन्नी,,,,तुझे मेरी कसम कभी मेरे
करीब मत आना,,,,,,


सोनिया ने इतनी बात बोली और फिर कोई आवाज़ नही आई उसके रूम से,,,मैने और भुआ ने बहुत
कोशिश की दरवाजा खुलवाने की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ,,,,,


मैं फिर भी दरवाजे पर नॉक करता जा रहा था,,,,मुझे बेचैनी हो रही थी,,, मुझे
बात करनी थी सोनिया से,,,,




बस कर सन्नी,,,,वो दरवाजा नही खोलने वाली,,तुझे पता है वो ज़िद्दी है,,तू ज़िद्दी मत
बन,,,,भूल जा सब कुछ,,,,



कैसे भूल जाऊ भुआ,,,प्यार किया है सोनिया से,,,,अब तो मरके ही भूल सकता हूँ उसको




चुप कर पागल कहीं का,,,,ऐसे नही बोलते,,,,,जानती हूँ तू प्यार करता है उसको,,और वो
भी प्यार करती है तुझे,,,,देखा है क्यों बार तुम दोनो की आँखों मे एक दूसरे के लिए प्यार
,,,तुम क्या समझते थे कि मुझे कुछ पता नही ,,,,तुम्हारी माँ नही हूँ मैं सन्नी लेकिन
फिर भी तुम दोनो के दिल की हर बात समझती हूँ,,,


तो तुम ही बताओ भुआ मैं क्या करूँ,,,,,,,,,मैं इतनी बात करके रोने लगा,,,



भुआ मेरे आँसू पोछते हुए बोली ,,,,,,,कुछ मत कर सन्नी,,ये इश्क़ का समंदर किसी आग
के समंदर जैसा है,,,,इसको पार करने क लिए इस मे डूब जाना पड़ता है तभी किनारा
मिलता है,,,,,,लेकिन इसमे डूबना इतना आसान नही जब तक सोनिया तेरे साथ नही,,,अकेला तू
तक जाएगा इसको पार करते हुए,,,,,इसलिए बोलती हूँ ,,,कुछ मत कर सन्नी,,,,भूल जा
जो कुछ भी आज हुआ,,,,,




नही भुआ,,,,मैं नही भूल सकता,,,मैं डूब जाने को तैयार हूँ इस आग के समंदर मे,
फिर चाहे जो भी हो जाए,,,,



तू समझता क्यूँ नही,,,,,वो तेरा साथ नही देगी कभी,,,वो अपने परिवार को रुसवा नही कर
सकती किसी भी हालत मे,,,,,इतना प्यार मिला है उसको इस परिवार मे तुझे क्या लगता है कि
तेरे प्यार की खातिर वो सबके प्यार को भुला देगी,,,,,तेरी वजह से वो सबको रुसवा कर देगी
,,,,,मेरी बात समझ सन्नी,,,,,भूल जा सोनिया को,,,,,



नही भुआ मैं नही भूल सकता,,,बड़ी मुश्किल से आज अपने प्यार का इज़हार किया है सबके
सामने अब नही भूल सकता,,,,,नही भूल सकता भुआ,,,,इतना बोलता हुआ मैं नीचे की तरफ
आ गया,,,,




सोनिया की उदासी से मैं थोड़ा उदास हो गया,,,,,,ये सब क्या कर दिया मैने,,सोनिया को अपने
करीब करना था लेकिन वो तो गुस्सा हो गयी,,,,,अब क्या करूँ मैं,,,,किसके पास जाउ,,किस
से दिल की बात करू,,,,,,,,,,,,यही सोचता हुआ मैं घर से निकला और कविता के घर चला
गया,,,,,,


क्यूकी अब कविता ही थी जो मेरे दिल की बात समझ सकती थी,,,,उसके पास जाके ही सकून
मिलेगा मुझे,,,,,,,,,,,

अपने घर से रोता हुआ निकला और कविता के घर आ गया,,क्यूकी अब उसी के आगोश मे आके मुझे
चैन मिलना था,,,,,


कविता के घर की बेल बजाई तो कामिनी भाभी ने आके गेट खोला,,,,,जब भाभी ने मेरी
रोनी सूरत देखी तो अंदर चली गयी और कविता को बुला लाई,,,,,,


कविता ने बाहर आते ही मेरी हालत देखी और समझ गयी कि मैं उदास हूँ और भाग कर मेरे
गले लग गयी,,,,उसके गले लगते ही मेरे आँसू थम नही सके और मैने फूट फूट कर रोना
शुरू कर दिया,,,,,,,,



क्या हुआ रो क्यूँ रहा है,,,,,,,,क्या हुआ सन्नी,,,,कुछ तो बोल,,,,सन्नी बोल ना,,,,,क्या हुआ
क्यूँ मेरी जान निकल रहा है,,,,,,,,बोल ना ,,,,


मैं कुछ नही बोला बस रोता गया,,,,,,
 
कुछ देर बाद कविता ने मेरे आँसू सॉफ किए और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले गयी.,,,कामिनी
भाभी भी गेट बंद करके अंदर आ गयी,,,सूरज भी अंदर सोफे पर बैठा हुआ था और कामिनी
भी जाके सूरज के पास बैठ गयी,,,,,लेकिन कविता वहाँ नही रुकी और मेरा हाथ पकड़ कर
मुझे अपने रूम मे ले गयी और अंदर जाके दरवाजा बंद कर लिया,,,,



कविता ने मुझे बेड पर बिठा दिया और खुद भी मेरे पास आके बैठ गयी,,,,,


क्या हुआ सन्नी,,,,कुछ तो बोल,,,,,,झगड़ा हुआ क्या सोनिया के साथ,,,,घर पे कुछ हुआ क्या,,
कुछ बोल ना सन्नी,,,,देख मेरी जान निकल रही है,,,,ऐसे चुप मत रह,,,,,



फिर मैने बोलना शुरू किया और कविता को वो सब कुछ बता दिया जो भी आज घर मे हुआ,,जो
भी मामा ने बताया ,,,जो भी घर वालो का सच था,,,,



कविता कुछ देर चुप रही फिर बोली,,,,,,,मुझे माफ़ कर्दे सन्नी,,,मैने तुझे कुछ नही
बताया क्यूकी सोनिया ने मना किया था,,,


मैं उसकी बात से परेशान हो गया,,,,,क्या मतलब सोनिया ने मना किया था,,,,तुझे ये सब
पता था क्या,,,,


हां सन्नी,,,,सोनिया ने मुझे बता दिया था,,,,,और सोनिया को ये सब बताया था गीता भुआ ने
,,,,,मैने तेरे से झूठ बोला था कि पुष्पा देवी ने सोनिया को सब कुछ बताया था तेरी माँ
सीमा के बारे मे ,,,लेकिन मैं ग़लत थी,,,,वो सब गीता ने बताया था सोनिया को,,,,जब गीता
ने भी सोनिया को उस हवस के खेल मे शामिल करने की बात की सोनिया से तो सोनिया ने उसको
मना कर दिया और कस कर थप्पड़ लगा दिया था ,,,,,इसी बात पर गीता ने सोनिया से माफी
भी माँगी और सोनिया को सब कुछ सच सच बता दिया,,,,


सोनिया तेरे से बचपन से प्यार करती थी वो भी हवस के खेल मे शामिल होना चाहती थी लेकिन
वो किसी और के साथ नही बस तेरे साथ हवस पूरी करना चाहती थी,,,,क्यूकी वो चाहती थी
कि उसके जिस्म पर सिर्फ़ तेरा ही हक़ हो,,किसी और का नही,,,,वो तो खुद भी अपने जिस्म के साथ
कभी नही खेलती थी,,,


( तभी मुझे याद आया उस दिन जब सोनिया मुझे और कविता को सेक्स करते देख रही थी तब भी
वो चुप चाप से बस हम दोनो की तरफ देख ही रही थी कुछ कर नही रही थी ,,अपने जिस्म
को छू भी नही रही थी )



सोनिया को सब पता चल गया था,,,,तेरे और तेरे परिवार के बारे मे ,,,उस हवस के खेल के
बारे मे जो तुम सब मिलकर खेल रहे थे,,,,,,वो भी खेल मे शामिल होने का सोच रही थी
लेकिन जब उसको गीता से सब सच पता चल गया तो उसके कदम पीछे हटने लगे क्यूकी वो तेरी
सग़ी बहन थी,,,,


उसकी सोच थी कि शोभा तेरी सग़ी बहन नही है,,,हालाकी उसका और तेरा कोई ना कोई रिश्ता
ज़रूर था क्यूकी वो अशोक और सरिता की बेटी थी,,,,,,गीता भी तेरी भुआ थी लेकिन फिर
भी गीता और तेरा खून का रिश्ता नही था,,,,वैसे ही सरिता तेरी माँ ज़रूर थी लेकिन
फिर भी तेरा और सरिता का कोई रिश्ता नही था,,,,वो जानती थी कि सरिता ने तुम दोनो को
जनम नही दिया लेकिन फिर भी सरिता ने तुम दोनो को पल पोश कर बड़ा ज़रूर किया था
और जनम देने वाली माँ से पाल पोश कर बड़ा करने वाली माँ ज़्यादा बड़ी होती है लेकिन फिर
भी सोनिया सोचती थी कि सरिता और तेरा खून का रिश्ता नही है ,,तू जो भी उन लोगो के
साथ करता था उन सबसे तेरा कोई रिश्ता नही था लेकिन सोनिया के साथ तेरा खून का रिश्ता
था,,,,,जैसे भी हो तूने और सोनिया ने एक ही माँ की कोख से जनम लिया था,,,वो तेरी सग़ी
बहन थी बस यही बात उसको तेरे पास आने से रोक रही थी,,,,वो चाह कर भी तेरे पास
नही आ सकती थी,,,,चाह कर भी तुझे हाँसिल नही कर सकती थी,,,


कविता की बात से अब मैं सब कुछ समझ गया क्यूँ सोनिया मेरे करीब आके भी मेरे से इतनी
दूर थी,,,क्यूँ वो मुझे हाँसिल करने से डरती थी,,,, क्यूकी वो मेरी सग़ी बहन थी,,हम
लोगो का अशोक और उसके परिवार से कोई रिश्ता नही था लेकिन फिर भी एक रिश्ता बन गया था
हम लोगो मे,,,परिवार का रिश्ता,,,प्यार का रिश्ता,,,,उस परिवार ने हम दोनो को अपने परिवार
मे शामिल किया था ये बात सोनिया नही भूल सकती थी ,,उन लोगो ने हम दोनो को बहुत प्यार
दिया था ,,उस परिवार क प्यार की वजह से सोनिया अपने प्यार की क़ुर्बानी देने को तैयार हो गयी
थी,,,,,,,,,



तभी कविता का फोन बजने लगा,,,,,,,कविता ने ज़्यादा बात नही की फिर फोन बंद करके
मेरे पास आ गयी बोली,,सोनिया का फोन था सन्नी,,,तेरी वजह से परेशान थी,,बोल रही थी
तू गुस्से मे घर से निकल गया है,,,,मैने उसको बता दिया कि तुम यहाँ हो मेरे पास,,



फिर कुछ देर हम दोनो मे से किसी ने कोई बात नही की,,रात हो चुकी थी लेकिन मेरा दिल
नही कर रहा था घर जाने को,,,,कविता ने खाना खाने को बोला लेकिन मुझे भूख न्ही
थी ,,,,कविता ने भी ज़्यादा ज़िद नही की उसको पता था इस हालत मे मैं खाना नही खाउन्गा


,,,,,फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे साथ लेट गयी,,,,,,मैं अभी भी हल्के
'हल्के आँसू बहा रहा था,,,,,,वो मेरे पास लेट कर मेरे आँसू सॉफ करने लगी और मेरे
सर पे हाथ फिराने लगी,,,उसने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और अपने बहुत करीब कर
लिया,,,मैं उसके आगोश मे जाके कुछ राहत महसूस कर रहा था,,,,उसी राहत की वजह से
दिल को थोड़ा सकून मिला और आँख लग गयी,,,,नींद आ गयी,,,,और मैं सो गया,,,,,



सुबह उठा और कविता के साथ ही कॉलेज चला गया,,,अभी डॉक्टर ने रेस्ट करने को बोला था
लेकिन दिल को जब आराम नही था तो जिस्म को क्या आराम देना था मैने,,,,,कॉलेज मे सोनिया मिल
गयी लेकिन मैने उस से कोई बात नही की ना ही उसने मेरे से कोई बात की,,,उसका चेहरा बहुत
उदास था,,,,आँखें सूज गयी थी रो-रो कर,,,,वही हाल मेरा था,,,,हम दोनो एक दूसरे की
हालत पर तरस गये थे,,,,लेकिन फिर भी हम दोनो बात नही कर रहे थे,,,,,पूरे
कॉलेज मे अमित की सज़ा की बात चल रही थी पूरा कॉलेज खुश था लेकिन हम 3 लोग थे
जो बहुत उदास थे,,,,,,मैं सोनिया और कविता,,,,,,
 
कॉलेज से छुट्टी हुई तो घर आ गया,,,,घर आके मैने किसी से कोई बात नही की,,,रात को
मैं सोया भी था उपर गीता के रूम मे,,,,,अब गीता नीचे अशोक के साथ सोने लगी थी और
सरिता सुरेंदर के साथ,,,,,,,अब उन लोगो को हम लोगो का डर जो नही था,,,,बस मुझे और
सोनिया को डर था उन लोगो से,,,,,पहले वो लोग मेरी और सोनिया की वजह से साथ रहने से डर
रहे थे और अब मैं और सोनिया उनकी वजह से साथ मे रहने से डर रहे थे,,,,,सोनिया अपने
रूम मे सोने लगी और मैं गीता के रूम मे,,,,,


अगले दिन कॉलेज जाना था तो माँ ने मना कर दिया और ज़िद करके मुझे घर पर रोक लिया
कॉलेज नही जाने दिया,,,,,,आज अशोक सुरेंदर को अपने साथ लेके कहीं चला गया था,भुआ
बुटीक नही गयी और ना ही माँ कहीं गयी,,,,

माँ ने सोनिया को नाश्ता दिया और वो कॉलेज चली गयी ,,,मैने भी नाश्ता किया और पीछे की
तरफ आके गार्डन मे बैठ गया,,,,मैने माँ और भुआ से कोई बात नही की,,,और ना ही सोनिया
से,,,,


फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गये,,,मैं घर पे रहता,,,माँ और भुआ भी जबकि अशोक सुरेंदर
को लेके सुबह जाता और रात को 10-11 बजे के करीब घर आता,,,,,मैं कुछ समझ नही पा
रहा था,,,डॅड तो बॅंक मे जॉब करते थे लेकिन अब सुरेंदर को साथ क्यूँ लेके जाते थे और
भला इतनी देर रात क्यूँ घर आते थे,,,,


मैं अपने रूम मे लेटा हुआ था,,,दरवाजा खुला और सोनिया अंदर आ गयी,,,,आज सनडे का दिन
था कॉलेज से छुट्टी थी,,,


वो रूम मे अंदर आई लेकिन मेरे से कोई बात नही की बस चलके मेरे बेड के पास आ गयी ,,
मैं बेड पर बनियान और पयज़ामे मे लेटा हुआ था,,,सोनिया चलके मेरे पास आई और बनियान को
एक साइड करके मेरा जखम देखने लगी,,,,,मेरे जखम पर से टाँके(स्टिचस) खुल चुके
थे,,,जख्म भर चुका था काफ़ी हद तक,,,,,सोनिया ने मेरे जखम पर हाथ रखा और हल्के
से सहलाने लगी फिर मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा,,,,वो खुश थी कि मेरा जख्म भर
चुका है,,,,

फिर वो चलके रूम से बाहर जाने लगी तो मैने उसको आवाज़ दी,,,,,,सोनिया रूको एक मिनिट


वो मेरी बात सुनके रुक गयी और पलट गयी,,,,,,


मैं चलके उसके पास गया,,,,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सोनिया,,,मेरी इतनी केर करने के लिए मेरा इतना
ख्याल रखने के लिए और खांसकार उस दिन सबके सामने मुझे रुसवा ना करने के लिए,,,बहुत
बहुत शुक्रिया तुम्हारा जो उस दिन तुमने सबके सामने अपने प्यार का इज़हार किया,,,,


शुक्रिया बोलकर मुझे शर्मिंदा नही कर सन्नी,,,,मैं तेरे से प्यार करती हूँ लेकिन मैं
हद से ज़्यादा आगे नही बढ़ सकती,,,मैं मजबूर हो क्यूकी,,,,,,,

वो बोल रही थी तो मैने उसको चुप करवा दिया,,,,,मैं सब कुछ जान गया हूँ,,,तेरी क्या
मजबूरी है ,,,कविता ने मुझे सब कुछ बता दिया,,,,लेकिन अब तुझे डरने की ज़रूरत नही
मैं अब वो ग़लती कभी नही करूँगा,,,,तू मुझे दिल से प्यार करती है तो मैं भी तुझे
दिल से प्यार करूँगा,,,,कभी तेरे करीब नही आउन्गा,,,,वो हरकत नही करूँगा जिस से तू
रुसवा हो जाए,,,,,


वो मेरी बात से खुश हो गयी,,,,,मुझे भी अपना भाई सन्नी वापिस चाहिए ,,,हम दोनो एक
दूसरे से बहुत प्यार करते है सन्नी ,,,लेकिन ज़्यादा करीब नही आ सकते बट इसका मतलब ये
नही कि हम दोनो को एक दूसरे से दूर रहना होगा,,,एक दूसरे से खफा रहना होगा ,,,मैं
तेरे से दूर नही रह सकती तेरे से खफा नही रह सकती,,,,भूल गया हम लोग कितनी मस्ती
करते थे,,,,कितना खुश थे,,,,,मुझे वो सब वापिस चाहिए वो दिन वापिस चाहिए जब
हम लोग साथ मे रहा करते थे,,,,,बोल क्या बोलता है,,,,फिर से उन्ही दिनो की तरह मस्ती
करेगा मेरे साथ,,,,बोल बनेगा मेरा दोस्त,,,,,,


हां बनूँगा तेरा दोस्त,,,,,और बहुत मस्ती भी करूँगा,,,,,बहुत खुशी होगी मुझे तेरा दोस्त
बनकर,,,,,मैने इतना बोला तो वो हँसके मेरे करीब आके मेरे गले लगने लगी,,,


ना ना ये ग़लती नही,,,,,हम दोनो की दोस्ती दूर दूर से होगी,,,,करीब आना हम दोनो के
लिए ख़तरनाक हो सकता है,,,,,मैने इतनी बात बोली और हँसने लगा,,,,,तभी उसने मेरे
सर मे हल्का सा थप्पड़ मारा और मेरे गले लग गयी,,,,,,


फिर वो पीछे हटी और बोली,,,,,,चल आ नीचे चलते है,,,,,मैं तेरे लिए न्यू गेम भी
लेके आई हूँ पता है इतने दिन से तूने गेम भी नही खेली,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगी
और नीचे की तरफ चलने लगी मैं भी उसके साथ साथ नीचे की तरफ चलने लगा,,,
 
नीचे आके हम दोनो हंसते हुए बातें कर रहे थे,,,,माँ और भुआ ये देखकर बहुत खुश थी
कि हम लोगो मे फिर से बात शुरू हो गयी थी,,,,,,डॅड और मामा नज़र नही आ रहे थे,,,



माँ डॅड और मामा कहाँ है,,काफ़ी दिन से देख रहा हूँ वो लोग सुबह जल्दी चले जाते है और
लेट नाइट घर आते है,,,,,,क्या कुछ प्राब्लम चल रही है क्या,,


तभी भुआ बोली,,,,,नही बेटा अशोक और सुरेंदर ने नया काम शुरू किया है ,,,अशोक ने
बॅंक को जॉब छोड़ दी है और दोनो मिलकर नया काम करने वाले है उसी के चक्कर मे आज कल
सारा दिन बिज़ी रहते है,,,,


मैं खुश हो गया कि सब कुछ ठीक हो गया,,,,,डॅड और मामा मिलकर काम करने वाले है,,अब
तो मामा भी सुधर गया है जो कम करने को तैयार हो गया है,,,,,



तभी सोनिया ने मुझे न्यू गेम की सीडी दी और मैं शुरू हो गया ,,,,,अच्छा टाइम पास हुआ उस
दिन,,,,माँ भुआ और सोनिया अपना काम करती रही और मैं गेम खेलता रहा,,,


दिन अच्छे बीत रहे थे,,,,सुबह कॉलेज जाता तो भुआ की कार ले जाता,,सोनिया साथ मे होती
और जाते जाते हम लोग कविता को भी साथ ले जाते,,,,,,


सूरज ने अपनी माँ से बात करली थी और फिर अशोक और सरिता से भी,,,,हम दोनो की शादी
भी पक्की हो गयी थी,,,बस फाइनल एअर के बाद हम दोनो की शादी हो जानी थी,,अब इस बात
से सोनिया को परेशानी नही थी,,,

दिन बीतने लगे और सब कुछ नौरमल हो गया ,,,मेरे और सोनिया के बीच मे भी,,और बाकी फॅमिली
के बीच मे भी,,,लेकिन फिर आया वो क़यामत का दिन जिसके बारे मे मैने सोचा भी नही था

सर्दियों का मौसम था लेकिन अभी इतनी ज़्यादा सर्दी शुरू नही हुई थी,,,अभी हल्की बारिश
शुरू हो गयी थी जिसके बाद खूब सर्दी पड़ने वाली थी,,,हम लोग कार मे कॉलेज से घर आ
रहे थे,,मैं कुछ उदास था क्यूकी मैं कार मे था,,,,,,यही हाल था सोनिया का भी और
कविता का भी,,,,हम सब सोच रहे थे कि काश हम कार मे नही होते,,,,,काश हम लोग
बाइक पर होते ,,,




कविता को घर ड्रॉप करके मैं और सोनिया भी घर आ गये,,,,,



माँ ने चाइ के साथ पकोडे बनाए थे जो बारिश मे मौसम मे खूब पसंद थे मुझे और
सोनिया को,,,,हम लोग बैठकर चाइ के साथ पकोडे खाने लगे,,,,माँ और भुआ भी पास ही
थी,,,,,,,पकोडे खाने के बाद मैने कुछ पकोडे प्लेट मे रखे और अपने साथ लेके अपने
रूम आ गया,,,,सोनिया भी अपने रूम मे चली गयी,,,,,मैं पकोडे तो ले आया बट चटनी नही
लेके आया साथ मे इसलिए उपर वाले किचन मे चला गया चटनी की बॉटल लेने,,,,जैसे ही
मैं उपर वाले किचन मे जाने लगा मैने देखा कि सोनिया उपर वाले ड्रॉयिंग रूम की खिड़की
के पास खड़ी होके बारिश का नजारा ले रही थी,,,,क्यूकी उसके रूम मे कोई खिड़की नही थी,

मैं भी वापिस आया अपने रूम मे और पकोडे ख़ाता हुआ खिड़की के पास खड़ा हो गया,,ड्रॉयिंग
रूम की खिड़की जहाँ सोनिया खड़ी हुई थी वो घर के सामने की तरफ थी जबकि मेरे रूम की
खिड़की घर के पीछे की तरफ थी,,,,जहाँ से मैं पीछे वाले गार्डन को देख रहा था और
पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का नजारा ले रहा था,,,,मैं बारिश मे भीगना चाहता था लेकिन
माँ ने मना किया था,,,क्यूकी सर्दी की बारिश मे भीगता तो बुखार हो जाना था इसलिए माँ
ने मुझे मना किया था,,,,काफ़ी टाइम बारिश होती रही और मैं पकोडे ख़ाता हुआ बारिश का
नजारा लेता रहा,,,,,


रात डिन्नर करने के बाद मैं अपने रूम मे सोने आ गया तो देखा कि सोनिया अभी भी उपर
वाले ड्रॉयिंग रूम मे थी,,,उसने बेड से एक मॅट्रेस उठाकर खिड़की के पास रख लिया था और
वहीं सोने वाली थी,,,क्यूकी अभी भी बारिश हो रही थी,,वो बारिश मे भीग तो नही सकती
थी क्यूकी माँ ने मना किया था लेकिन उसको बारिश बहुत अच्छी लगती थी,,,इसलिए वो बारिश को
देख कर ही मन को तस्सली देना चाहती थी,,,,

मेरा हाल भी सोनिया जैसा था मैं भी उदास था कि बारिश मे नही भीग सकता था क्यूकी
माँ ने मना किया था,,,,,लेकिन अब रात हो चुकी थी सब अपने अपने रूम मे जाके सो चुके
थे अब अगर मैं उपर चला भी गया थोड़ी देर बारिश मे भीगने तो किसी को क्या पता
'चलने वाला था,,,यहीं सोच कर मैं हल्के कदमो से उपर की तरफ जाने लगा,,छत पर
गया तो अंधेरा ही अंधेरा था,,,,बहुत ठंड थी,,,बारिश भी बहुत तेज हो रही थी और बादल
भी बड़ी तेज़ी से गर्रज रहे थे बिजली चमक रही थी,,,,मुझे ठंड तो लग रही थी
लेकिन मुझे बारिश मे कुछ देर तो भीगना ही था,,,फिर चाहे कल बुखार ही क्यूँ ना हो जाए



मैं छत पर आके ठंडी से काँपता हुआ बारिश का मज़ा ले रहा था ,,,सच मे बहुत ज़्यादा
ठंड लग रही थी मुझे,,,मेरा पूरा बदन काँप रहा था दिल कर रहा था नीचे चला
जाउ लेकिन थोड़ी देर बाद ठंड कम लगने लगी और बारिश का मज़ा आने लगा,,,मैं बारिश
का मज़ा लेता हुआ आगे की तरफ बढ़ने लगा ,,तभी मेरे होश गुम हो गये,,,



हल्की सी बिजली चमकी तो मैने देखा आगे पानी की टंकी के पीछे सोनिया खड़ी हुई थी जो
बारिश का मज़ा ले रही थी,,,,,वैसे तो छत पर अंधेरा था लेकिन हल्की हल्की बिजली
चमकती तो रोशनी हो जाती थी और उसी चमकती बिजली की रोशनी मे मैने सोनिया को देखा तो
एक बिजली मेरे उपर भी गिर गयी,,,सोनिया ने वाइट कलर का नाइट सूट पहना हुआ था,एक
वाइट कलर का कुर्ता और साथ मे वाइट पयज़ामी,,,,उसका पूरा बदन भीग गया था,,उसको
शायद ठंड लग रही थी इसलिए वो टंकी के साथ वाली दीवार से चिपक कर खड़ी हुई थी


,,उसने कुर्ते के नीचे ब्रा नही पहनी हुई थी इस बात का अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब फिर से
बिजली चमकी,,,,,उसका कुर्ता भीग कर उसके जिस्म से चिपका हुआ था,,उसका जिस्म कुर्ते के
अंदर से भी मुझे नंगा प्रतीत हो रहा था,,,उसके छोटे छोटे बूब्स जो उमर के हिसाब से
थोड़ा आकार ले चुके थे जिन पर अभी तक किसी का हाथ नही लगा था वो बूब्स कुर्ते के
अंदर से सर उठाकर खड़े हुए थे,,,मैं सर्दी के मौसम मे छत पर बारिश का मज़ा
लेने आया था लेकिन सोनिया को देखकर मेरे अंदर का मौसम एक दम गर्म हो गया था,,


तभी उसकी नज़र भी मेरे पर पड़ी तो वो एक दम से घबरा गयी,,,,जैसे मुझे नही पता था
कि सोनिया छत पर होगी वैसे सोनिया को भी नही पता था कि मैं भी छत पर आउन्गा या
नही,,,,,


हम दोनो एक दूसरे को देखकर थोड़ा परेशान हो गये थे,,,डर गये थे,,,,क्यूकी ऐसी हालत
मे हम दोनो का यहाँ होना ख़तरनाक साबित हो सकता था,,,पहले तो मुझे खुद का डर था
लेकिन अब तो सोनिया भी बहकने लगी थी मेरे जिस्म को देखकर,,,,मैं खुद पर क़ाबू करना
चाहता था लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी,,,,,,एक बार नज़र भरके देखा था सोनिया को इतने
मे ही दिल मे एक तूफान उठने लगा था,,,,बाहर का मौसम भी काफ़ी बदला हुआ था,,,बारिश
इतनी तेज नही थी लेकिन बदल बहुत तेज गर्रज रहे थे,,बिजली बहुत तेज चमक रही थी,,


हम दोनो पूरी तरह से भीग कर एक दूसरे के सामने खड़े हुए एक दूसरे की तरफ देख रहे
थे,,,,मैं सोनिया से करीब 5-6 कदम की दूरी पर था और वो दीवार के साथ चिपक कर
खड़ी हुई थी,,,,उसकी हालत ब्यान कर रही थी वो बहुत डरी हुई थी,,,ना कि सिर्फ़ मेरी वजह
से बल्कि अब उसको खुद से भी डर लगने लगा था ,,क्यूकी अब वो भी मेरी तरफ आकर्षित
होने लगी थी,,,,,हालाकी कुछ दिनो मे हम दोनो के बीच सब कुछ नौरमल हो गया था लेकिन
अभी इस वक़्त हम दोनो ऐसी हालत मे एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे कि दोनो का बहक
जाना कोई बड़ी बात नही थी,,,,,


वो मेरे जिस्म को देख रही थी क्यूकी मेरी टी-शर्ट भी भीग कर मेरे जिस्म से चिपकी हुई
थी और मेरी छाती सोनिया को नज़र आ रही थी,,,,,सोनिया का कुर्ता भी उसके जिस्म से चिपका
हुआ था और उसका उपर का जिस्म नंगा नज़र आ रहा था मुझे,,,,,जब सोनिया को अपनी हालत
का अंदाज़ा हुआ वो कुछ ज़्यादा ही डर गयी,,,,और सर को हिला कर मुझे अपने करीब आने से
रोकने लगी लेकिन अब बहुत देर हो गयी थी मेरे कदम खुद-ब-खुद उसकी तरफ बढ़ने लगे थे
वो समझ गयी थी मैं रुकने वाला नही क्यूकी मेरा खुद पर कोई क़ाबू ही नही था,,मैं बहक
गया था,,,,सोनिया खुद भी बहक गयी थी लेकिन फिर भी वो खुद पर क़ाबू करने की पूरी
कोशिश कर रही थी,,,,,,
 
मैं अभी एक कदम उसकी तरफ बढ़ा था कि वो हल्के से आगे बढ़ने लगी और मेरे करीब से
चलके नीचे की तरफ जाने लगी,,,,,,जब वो मेरे करीब से गुजरने लगी तो एक पल के लिए
मेरे साइड पर खड़ी हो गयी और मेरी तरफ देखने लगी,,,,,वो मेरी राइट साइड खड़ी हुई थी
और मेरे चेहरे को देख रही थी और मैं भी उसके चहरे को देख रहा था,,,वो मेरे से
करीब 2-3 फीट दूर थी,,,उसने कुछ पल के लिए मुझे देखा और छत से नीचे की तरफ जाने
लगी तभी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने आगे बढ़ कर पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया,,,,वो मेरी
तरफ पलटी तो नही बस ऐसे ही कदम पीछे की तरफ बढ़ाती हुई मेरे करीब आ गयी,,उसकी
पीठ मेरी तरफ ही थी और मैं उसको हाथ से पकड़ कर अपने करीब कर रहा था,,,वो मेरे
करीब आ गयी और मैने अपने हाथ उसकी कमर की दोनो तरफ रखे और उसको अपने साथ चिपका
लिया ,,,,,



मेरी हालत खराब हो गयी थी और उसकी भी,,सोनिया मेरे साथ चिपक कर खड़ी हुई थी और
तेज़ी से साँसे ले रही थी,,,,,मेरे दोनो हाथ उसकी कमर की दोनो तरफ थे जबकि उसकी
पीठ मेरी छाती से चिपकी हुई थी,,उसकी साँसे उखड रही थी दिल की धड़कन बहुत तेज
हो चुकी थी और ऐसी ही हालत मेरी भी हो गयी थी,,,,वो मेरे साथ चिपक गयी थी तभी '
मैने आगे बढ़ कर उसके शोल्डर पर गर्दन के करीब अपने होंठ रख दिए और हल्की किस
करदी,,,,उसके जिस्म को एक तेज झटका लगा और वो आगे की तरफ बढ़ने लगी ,,,वो मेरे से आगे
बढ़ कर 2-3 कदम की दूरी पर खड़ी हो गयी लेकिन मेरी तरफ पलटी नही बस ऐसे ही पीठ
मेरी तरफ करके खड़ी रही,,,,मैं थोड़ा आगे हुआ और उसकी कमर से पकड़ कर अपने करीब
खींच लिया और फिर से उसकी कमर को पकड़ कर उसके साथ चिपक गया और उसकी गर्दन के
पास अपने होंठ रखकर किस करदी,,,वो एक दम से पीछे की तरफ पलट गयी और मेरे गले
लग गयी,,,,





वो पीछे की तरफ पलटकर मेरे गले लग गयी और मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और अपने
सर को मेरे राइट तरफ के शोल्डर पर रख दिया,,,मैने भी अपनी बाहों को उसके जिस्म
पर कस दिया और उसको अपने साथ चिपका लिया ,,,,,कुछ देर हम लोग ऐसे ही खड़े रहे फिर
मैने अपने हाथ से उसकी ज़ुल्फो को उसके चहरे से हटाया और उसके चहरे को देखने लगा,,,वो
एक दम मदहोश हो चुकी थी,,,बिजली चमकने की रोशनी मे उसका चाँद जैसा चेहरा बहुत
प्यारा लग रहा था,,,उसकी आँखें बंद थी ,,,तभी मैने हल्के से अपने होंठ उसके होंठों
पर रख दिए और किस करने लगा लेकिन वो एक दम से मेरे से दूर हट गयी ,,,


जब वो मेरे गले लगी थी तो हम पलट गये थे,,मैं छत के दरवाजे की तरफ हो गया था
और वो वापिस टंकी की तरफ,,,,,उसने पीछे हटके अपनी हालत पर क़ाबू करने की कोशिश की
और तेज़ी से उखड़ रही सांसो को थामने की ,,,,,,तभी उसकी नज़र दरवाजे की तरफ गयी जो
मेरी पीठ पीछे था,,,,वो भाग कर छत से नीचे जाना चाहती थी लेकिन दरवाजा मेरे
पीछे था और वो मेरे करीब से होके दरवाजे तक जाने का जोखिम नही उठना चाहती थी
उसको पता था अगर उसने दोबारा मेरे करीब से जाने की ग़लती की तो मैं उसको पकड़ लूँगा
और अगर इस बार मैने उसको पकड़ लिया तो शायद वो खुद को संभाल नही पाएगी और बहक
कर पिघल जाएगी मेरी बाहों मे,,,,,,ये जोखिम लेने को वो बिल्कुल तैयार नही थी,,,,



तभी मैं एक कदम उसके करीब गया और वो ना मे सर हिला कर मुझे करीब आने से रोकने
लगी,,,लेकिन मैं नही रुका और एक कदम और आगे बढ़ गया उसकी तरफ,,,,वो मेरी तरफ देख
रही थी और पीछे की तरफ कदम बढ़ाने लगी थी,,,,मैं एक कदम आगे बढ़ता उसकी तरफ
तो वो भी मुझे देखती हुई एक कदम पीछे की तरफ बढ़ने लगती और साथ साथ अपने सर को
ना मे हिला कर मुझे खुद के करीब आन ऐसे मना करती जाती,,,,,लेकिन मैं कहाँ रुकने '
वाला था,,,,मेरे कदम तो खुद-ब-खुद आगे की तरफ बढ़ रहे थे,,,ऐसे लग रहा था जैसे
मेरे जिस्म पर मेरा को कंट्रोल ही नही रहा हो,,,,,मेरा बस ही नही चल रहा था खुद के
जिस्म पर,,,


मैं एक एक कदम आगे बढ़ता गया और वो एक कदम पीछे होती गयी और सर को हिला कर मुझे अपने
करीब आने से मना करती गयी,,,,,पीछे होती होती वो दीवार तक पहुँच गयी अब पीछे हटने
की भी जगह नही थी वो बस सर को ना मे हिला रही थी और मुझे रुकने को बोल रही थी
लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,जब उसकी पीठ दीवार से चिपक गयी तो वो डर गयी,,


वो टंकी के पास की दीवार के साथ पीठ लगा कर खड़ी हो गयी थी और मैं फिर से उसके
करीब चला गया था,,,मैं उसके करीब था और वो मुझे और ज़्यादा करीब आने से मना कर
रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता गया और कुछ ही पल मे मैं उसके करीब चला गया था,,हम
दोनो मे अब 1 फीट की दूरी थी,,मैं उसके चेहरे की तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ
देखकर सर को ना मे हिला कर मुझे करीब आने से मना कर रही थी,,,


मैं उसके चेहरे की तरफ देख रहा था और वो अभी भी अपने सर को हिला रही थी और मुझे
मना कर रही थी,,,तभी मैने अपने दोनो हाथों से उसके चेहरे को पकड़ लिया ,,,मेरे दोनो
हाथ उसके गालों पर थे और मैं उसके क्यूट फेस को अपने हाथों मे पकड़ कर उसकी तरफ
देख रहा था,,,,,मेरी नज़र उसके चेहरे पर टिकी हुई थी और खांसकार उसके लिप्स पर वो
भी ये बात समझ गयी थी और आँखों ही आँखों मे मुझे मना कर रही थी ,,,बता रही थी
कि सन्नी रुक जाओ,,,,ऐसा मत करो,,,,लेकिन मैं नही रुका और उसके होंठों की तरफ बढ़ने
लगा,,,वो समझ गयी कि अब क्या होने वाला है इसलिए उसने जल्दी से अपने फेस को एक तरफ
टर्न कर लिया,,,लेकिन मैं फिर भी नही रुका और उसकी तरफ बढ़ता गया ,,उसके लिप्स तो एक
तरफ टर्न हो गये थे लेकिन उसके गाल मेरे सामने थे मैने अपने होंठ उसके गाल पर
रख दिए और हल्की किस करदी ,,फिर दूसरी किस फिर तीसरी ,,मैं उसके गाल को किस करने
लगा फिर उसके पूरे चहरे को,,,कभी फोरहेड पर तो कभी चिन पर,,,मेरे हाथ जो अभी
तक उसके चहरे पर थे वो हाथ उसके सर पर पीछे की तरफ चले गये थे और मैं उसके
पूरे फेस पर हर जगह किस कर रहा था,,,


फिर मैं उसके चेहरे से दूर हुआ और उसकी तरफ देखने लगा ,,उसकी आँखें बंद थी मैने
आगे बढ़के उसकी आँखों पर भी किस करदी और फिर उसके लिप्स पर,,,उसके लिप्स पर अभी मेरे
लिप्स टच हुए थे कि उसने अपने लिप्स को खोल दिया और मैने अपने लिप्स मे उसके लिप्स को
पकड़ लिया और किस करने लगा,,,,चूसने लगा उसके लिप्स को,,,,अभी तक उसके हाथ नीचे की
तरफ लटक रहे थे लेकिन लिप्स पर किस करने से वो ज़्यादा बहक गयी और उसके हाथ मेरी
कमर पर आ गये और उसने मेरी टी-शर्ट को उपर करके अपने हाथों से मेरी नंगी कमर और
पीठ को सहलाना शुरू कर दिया,,,,मैं भी उसको लिप्स को चूस्ता हुआ उसके सर को अपने हाथों
मे पकड़ कर प्यार से सहला रहा था,,,फिर मैने भी अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और
उसके कुर्ते को उपर उठाकर अपने हाथ उसकी नंगी कमर पर रख दिए,,,,,उसको एक दम से
झटका लगा और उसने मुझे खुद से दूर कर दिया,,,,,

मैं फिर से उस से दूर हो गया ,,वो खुद की हालत को क़ाबू कर रही थी ,,जब वो मुझे
किस कर रही थी तो पूरी तरह से बहक गयी थी और मेरा साथ दे रही थी लेकिन फिर भी
उसने अपनी बची खुचि हिम्मत जुटता कर मुझे खुद से दूर कर ही दिया था,,,अभी ना सिर्फ़
वो मेरे से बल्कि खुद की हालत से भी झूज रही थी,,,खुद पर क़ाबू कर रही थी ,वो
मुझे भी रोक रही थी और साथ साथ खुद को भी रोकने की कोशिश कर रही थी,,,उसको पता
था अगर वो भी बहक गयी तो आज वो ग़लती हो जाएगी जिसको करने से वो डर रही है,,


लेकिन मेरे लिए उसका बहक जाना ज़रूरी था तभी मैं उसके करीब जा सकता था उसको हाँसिल
कर सकता था,,,इसलिए मैने अपनी टी-शर्ट निकाल कर एक तरफ फेंक दी,,,,मेरा उपर का
जिस्म नंगा हो गया ,,,,,सोनिया मेरी तरफ देखने लगी और आँखों ही आँखों मे मेरे से सवाल
करने लगी,,,,,कि सन्नी तुमने ऐसा क्यूँ किया,,,क्यूँ निकाली अपनी टी-शर्ट,,,,,मैं कुछ न्ही
बोला और हल्के से मुस्कुरा दिया,,,,वो समझ गयी कि मैं उसको बहकाने की कोशिश कर रहा
हूँ और मेरी कोशिश कामयाब भी हो रही थी क्यूकी उसको नज़रे टिक गयी थी मेरी नंगी
छाती पर,,,,वो मेरी नंगी छाती को घूर रही थी,,तभी वो एक कदम मेरे करीब आई
लेकिन जल्दी ही पीछे हट गयी,,,,मैं समझ गया था वो अभी भी खुद से लड़ रही है खुद
पर क़ाबू करने की कोशिश कर रही है इसलिए मैं खुद उसके करीब हो गया और उसका हाथ
पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया,,,,,उसने अपना हाथ हटा लिया मैने फिर से उसका हाथ
पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया,,,,इस बार उसने अपना हाथ पीछे नही किया लेकिन अपने
हाथ को हिलाया भी नही,,,


वो अपने हाथ को हिला नही रही थी बस ऐसे ही हाथ को मेरी छाती पर रख कर मेरी तरफ
देख रही थी,,,,,,उसका हाथ मेरी छाती पर टिका हुआ था और मुझे एक मस्ती भरा एहसास
मिल रहा था एक सकून मिल रहा था,,,,तभी मस्ती मे मेरी आँखें बंद होने लगी,,,


अब मैं आँखें बंद करके उसके सामने खड़ा हुआ था ,,,,मेरा उपर का जिस्म नंगा था और उसका
एक हाथ मेरी छाती पर टिका हुआ था,,,,जैसे ही मेरी आँखें बंद हो गयी उसका हाथ मेरी
छाती से उठा और मेरे चहरे पर आ गया,,,मैने आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा तो
वो भी मेरी तरफ देख रही थी और मेरे चहरे को अपने हाथों से छू रही थी महसूस
कर रही थी,,,,वो अपने हाथों की उंगलियों को खोलकर मेरे पूरे चेहरे पर घुमा रही थी
मेरे पूरे चेहरे को महसूस कर रही थी,,,,फिर उसकी उंगलियाँ मेरे लिप्स पर टच होने
लगी और वो मेरे लिप्स को अपनी उंगलियों पर महसूस करने लगी,,,मेरा लिप्स थोड़े खुले हुए
था इसलिए मेरी गरम साँसे उसके हाथ पर लगने लगी और मेरी गर्म साँसे अपने हाथ पर
महसूस करते ही वो एक दम से आगे बढ़ने लगी और कुछ ही पल मे मेरे लिप्स तक पहुँच गयी
और मुझे किस करने लगी,,,,,



मैने भी कोई देर नही की और उसको किस का रेस्पॉन्स देने लगा,,,,मेरे हाथ उसकी पीठ पर
चले गये जबकि उसके हाथ मेरे गले मे थे और वो मुझे बाहों मे भरके किस करने लगी
थी,,,,,मेरे हाथ उसकी कुर्ते के अंदर चले गये इस बार वो फिर से घबरा गयी और मेरे
से दूर हटने की कोशिश करने लगी लेकिन इस बार मैने उसको दूर नही हटने दिया और
उसको कस लिया अपनी बाहों मे,,,,,उसने भी हथियार डाल दिए और मेरे से चिपक गयी,,,





कुछ देर हम लोगो ऐसे ही चिपक कर किस करते रहे,,उसके हाथ मेरे गले मे थे और वो
मुझे बाहों मे भरके किस कर रही थी जबकि मेरे हाथ उसके कुर्ते के अंदर से उसकी नंगी
पीठ पर थिरक रहे थे,,,,,,फिर कुछ देर बाद मैने उसके कुर्ते को अपने हाथों से पकड़ा
और उसके जिस्म से अलग करने लगा उसने भी हाथ हवा मे उठा दिया और अपना कुर्ता निकालने मे
मेरी हेल्प करने लगी,,,,,उसका कुर्ता निकल गया उसका भी उपर का जिस्म नंगा हो गया इस से
पहले मैं उसके जिस्म को एक झलक देख पाता वो जल्दी से मेरे साथ चिपक गयी,,,


 
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