hotaks444
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज़िंदगी भी अजीब होती है[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेखक- FrankanstienTheKount
दोस्तो मुझे ये कहानी अच्छी लगी इसीलिए इस कहानी को मैं हिन्दी मे पोस्ट कर रहा हूँ[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज़िंदगी भी अजीब होती है कब कैसे मोड़ ले आती है हम कभी कल्पना भी नही कर सकते है. कुछ ऐसी ही मेरी कहानी है मैं कभी ऐसा नही बनना चाहता था पर एक चीज़ होती है तक़दीर जिसपे हमारा कोई बस नही चलता है.यह सब अचानक ही सुरू होता गया शुरुआत मे बहुत ही अच्छा लगता था पर आज जब पीछे मुड़कर देखता हू तो अजीब सा लगता है.खैर आपको बताता हू कि कैसे ये सब शुरू हुआ.
मेरा नाम $$$$ है. मैं एक गाँव मे रहता हू उस समय मेरी उमर तो कुछ खास नही थी पर वीसीआर पे ब्लूफिल्म ऑर सेक्सी कहानियो वाली किताब पढ़ कर थोड़ा जल्दी ही जवानी की ओर कदम बढ़ा दिए थे.ये कहानी शुरू हुवी जब मैं अपनी भाभी यानी मेरे तौजी के बेटे की वाइफ के पार्टी आकर्षित होने लगा उनका नाम अनीता था
23-24 की होगी उस टाइम पे वो काफ़ी हँसी-मज़ाक भी करती रहती थी. मैं नया नया जवान हुआ था तो दिल मे चूत मारने की कसक लगी रहती थी. धीरे धीरे अनिता भाभी मुझसे खुलने लगी हम कई देर बाते करते रहते थे और दिन कट रहे थे पर एकाएक दिन लगभग 11 बजे के आसपास्स मैं अपनी छत पर गया तो अचानक मैने देखा कि .........................................
अनिता अपने आँगन मे नहा रही है मेरे तो होश ही उड़ गये!उसको देख कर आप समझ सकते हैं कि गाँव मे लोग ऐसे ही नहाते है बाथरूम वगेरा का चलन गाँवो मे थोड़ा कम ही होता हैं,पानी मे भीगा हुआ उसका गोरा बदन
देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ज़िंदगी मे पहली बात किसी औरत तो ऐसा देखा था
बस एक काले रंग की कछि ही उसके बदन पे थी उसकी बड़ी बड़ी चूचिया देख कर मेरा तो दिमाग़ ही खराब होगया अचानक ही उसकी नज़र मुझ पे पड़ी तो वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराइ पर मैं तुरंत ही नीचे भाग गया. बस मेरे दिमाग़ मेउसका मादक बदन ही घूम रहा था शाम को मैं उसके घर पे गया तो वो अकेली ही थी हम बात करने लगे फिर
अचानक से उसने पूछा कि दोपहर को क्या देख रहे थे ? मैने उसको बताया कि कैसे वो सब हो गया. फिर वो हँसने लगी तभी मेरे दिमाग़ मे एक फिल्म का डायलॉग आया कि हसी तो फसी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने उसको पकड़ लिया और उसके गुलाबी होंटो को अपने होंटो मे दबा लिया और चूसने लगा वो एकदम से पीछे हुई और मेरी ओर देखने लगी
मैने बिना देर किए उसको आइ लव यू बोल दिया और दोबारा अपनी बाहों मे भरने की कोशिश की परंतु उसने कहा कि वो सोच के बताए गी और मुझे जाने को कहा क्योंकि उसकी सास आने वाली थी खैर अगले दिनो कुछ खास नही हुआ मैं सोच रहा था कि कब उसको चोदु.................
5-6 दिन बाद अनिता की सास हमारे घर आई और बताने लगी कि वो और उसके पति खाटू शामजी के दर्शन करने के लिए जा रहे है एक हफ्ते के लिए अगले दिन वो चले गये.[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेखक- FrankanstienTheKount
दोस्तो मुझे ये कहानी अच्छी लगी इसीलिए इस कहानी को मैं हिन्दी मे पोस्ट कर रहा हूँ[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ज़िंदगी भी अजीब होती है कब कैसे मोड़ ले आती है हम कभी कल्पना भी नही कर सकते है. कुछ ऐसी ही मेरी कहानी है मैं कभी ऐसा नही बनना चाहता था पर एक चीज़ होती है तक़दीर जिसपे हमारा कोई बस नही चलता है.यह सब अचानक ही सुरू होता गया शुरुआत मे बहुत ही अच्छा लगता था पर आज जब पीछे मुड़कर देखता हू तो अजीब सा लगता है.खैर आपको बताता हू कि कैसे ये सब शुरू हुआ.
मेरा नाम $$$$ है. मैं एक गाँव मे रहता हू उस समय मेरी उमर तो कुछ खास नही थी पर वीसीआर पे ब्लूफिल्म ऑर सेक्सी कहानियो वाली किताब पढ़ कर थोड़ा जल्दी ही जवानी की ओर कदम बढ़ा दिए थे.ये कहानी शुरू हुवी जब मैं अपनी भाभी यानी मेरे तौजी के बेटे की वाइफ के पार्टी आकर्षित होने लगा उनका नाम अनीता था
23-24 की होगी उस टाइम पे वो काफ़ी हँसी-मज़ाक भी करती रहती थी. मैं नया नया जवान हुआ था तो दिल मे चूत मारने की कसक लगी रहती थी. धीरे धीरे अनिता भाभी मुझसे खुलने लगी हम कई देर बाते करते रहते थे और दिन कट रहे थे पर एकाएक दिन लगभग 11 बजे के आसपास्स मैं अपनी छत पर गया तो अचानक मैने देखा कि .........................................
अनिता अपने आँगन मे नहा रही है मेरे तो होश ही उड़ गये!उसको देख कर आप समझ सकते हैं कि गाँव मे लोग ऐसे ही नहाते है बाथरूम वगेरा का चलन गाँवो मे थोड़ा कम ही होता हैं,पानी मे भीगा हुआ उसका गोरा बदन
देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ज़िंदगी मे पहली बात किसी औरत तो ऐसा देखा था
बस एक काले रंग की कछि ही उसके बदन पे थी उसकी बड़ी बड़ी चूचिया देख कर मेरा तो दिमाग़ ही खराब होगया अचानक ही उसकी नज़र मुझ पे पड़ी तो वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराइ पर मैं तुरंत ही नीचे भाग गया. बस मेरे दिमाग़ मेउसका मादक बदन ही घूम रहा था शाम को मैं उसके घर पे गया तो वो अकेली ही थी हम बात करने लगे फिर
अचानक से उसने पूछा कि दोपहर को क्या देख रहे थे ? मैने उसको बताया कि कैसे वो सब हो गया. फिर वो हँसने लगी तभी मेरे दिमाग़ मे एक फिल्म का डायलॉग आया कि हसी तो फसी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने उसको पकड़ लिया और उसके गुलाबी होंटो को अपने होंटो मे दबा लिया और चूसने लगा वो एकदम से पीछे हुई और मेरी ओर देखने लगी
मैने बिना देर किए उसको आइ लव यू बोल दिया और दोबारा अपनी बाहों मे भरने की कोशिश की परंतु उसने कहा कि वो सोच के बताए गी और मुझे जाने को कहा क्योंकि उसकी सास आने वाली थी खैर अगले दिनो कुछ खास नही हुआ मैं सोच रहा था कि कब उसको चोदु.................
5-6 दिन बाद अनिता की सास हमारे घर आई और बताने लगी कि वो और उसके पति खाटू शामजी के दर्शन करने के लिए जा रहे है एक हफ्ते के लिए अगले दिन वो चले गये.[/font]