Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 21 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

सबसे ज़्यादा खास बात तो उनकी चूत थी बेहद रस से भरी और कसी हुई थी वो हम दोनो एक दूसरे से होड़ करते हुए एक दूसरे के गुप्त अंगो को चाटे चूमे जा रहे थे मेरा पूरा लड उन्होने अपने गले मे अंदर तक उतार लिया था तो मैने भी अपनी पूरी जीभ उनकी नमकीन चूत मे घुसा दी थी मैं अपने हाथो से उनके मोटे मोटे कुल्हो को दबाते हुए उनकी रस से भरी चूत को चाटे जा रहा था बुआ हौले हौले मस्ती से भरी हुई आहे निकालते हुए अपनी चूत का रस मुझे पिलाए जा रही थी अब मेरी जीभ बहुत ही तेज़ी से चूत की दरार पे रगड़ खाने लगी थी दूसरी ओर वो भी मेरे सुपाडे पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाए जा रही थी 15-20 मिनट से हम दोनो एक दूसरे के अंगो का मज़ा लिए जा रहे थे तो एका एक मेरे लड से वीर्य की एक मोटी सी धार निकली और बुआ के गले से जा टकराई

मेरा लड उनके मुँह मे झटके खाने लगा और हर झटके के साथ मेरा पानी उनके मुँह मे गिरने लगा मैं पूरी तरह झाड़ चुका था पर फिर भी बुआ मेरे लड को चूसे ही जा रही थी इधर उनके मटकते चूतड़ बता रहे थे कि वो भी अब जाने ही वाली है तो मैं उनके दाने को और भी ज़ोर से चूसने लगा और दो चार मिनट बाद बुआ का चिप चिपा रस भी मेरे मुँह और थोड्डी पे बिखरा पड़ा था तो मैं उसे अलग हो गया बुआ ने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे मुँह पर लगे हुए अपनी चूत के रस को अपनी गरम जीभ से चाट ने लगी

फिर बुआ बोली तुझे मेरा पानी अच्छा लगता है तो मैने कहा कि हाँ मूज़े बड़ा ही मज़ा आता है आपकी प्यारी चूत चाटने मे बुआ शरमा गयी तो बुआ बोली की चल अभी थोड़ी देर मैं सो जाो फिर 6 बजे उठना भी है तो मैने कहा जैसे आपकी इच्छा मैं उनके कमरे से निकला और हॉल मे आ गया अभी सवेरा होने मे थोड़ा टाइम था तो मैने कूलर चलाया और सोफे पर सो गया कोई 9 बजे मेरी आँख खुली मैं उठा तो बुआ ने मुझे चाइ दी वो आज हॉस्पिटल नही गयी थी मैं चाइ पी ही रहा था कि तभी रीना का फोन आ गया उसने कहा कि दोपहर तक आ जाना याद से तो मैने चाची से कहा कि मुझे कही बाहर जाना है मेरा ब्लेज़र और जीन्स बाहर निकाल कर रख दो मैं नहाने जा रहा हू ठीक दस बजे मैं एक दम रेडी हो गया था मैने बाइक स्टार्ट की और शहर की तरफ चल पड़ा मुझे रीना के लिए गिफ्ट्स भी तो लेने थे शॉपिंग मे काफ़ी टाइम लग गया और मैं 11:30 पर उसके घर पहुचा उसने बड़ी ही गरम जोशी से मेरा स्वागत किया और अपने घरवालो से मिलवाया बड़ी खुशी हुई मुझे उसे मिलकर हमारा पूरा ग्रूप वहाँ पर था सभी काफ़ी दिनो बाद एक दूसरे से मिल रहे थे तो वातावरण मे एमोशन्स बह रहे थे

तो मैं मिता के पास गया आज तो मेरी परी बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी मैने उसको गले लगया तो लगा जैसे समय रुक सा गया हो हम सब अपने पुराने दिनो को याद करके उन पॅलो को दुबारा जीने की कोशिस कर रहे थे आज सब लोग अपनी अपनी फील्ड मे थे सब के कोर्सस बस कुछ ही दिनो मे पूरे होने वाले थे जब वो मज़े से अपने कॉलेजस के किस्से सुनाते तो मैं थोड़ा सा उदास हो गया अब अपनी ट्रेनिंग तो बस गान्ड घसाई थी और क्या था पर जब अपने दोस्त खुश तो अपन भी खुश और क्या चाहिए हम सब बाते कर ही रहे थे कि मिता ने एक अनाउसमेंट कर के सब को चौका दिया वो बोली कि उसका कोर्स पूरा होने के बाद वो आर्मी की मेडिकल कॉर्प मे जॉब के लिए अप्लाइ करेगी ये सुन कर सबसे ज़्यादा तो मैं हैरान हो गया रीना चुटकी लेते हुए बोली हाँ क्यो नही अब जहाँ भाई वहाँ पर भाभी तो रीना ने सभी दोस्तो को मेरे और मिथ्लेश के रीलेशन के बारे मे बता दिया सभी बेहद खुश हो गये सभी ने हमे मुबारकबाद दी पर मैने कहा कि मिता बस मज़ाक कर रही है वो आर्मी मे नही जॉब करेगी तो कुछ देर बाद मिता मुझे साइड मे ले गयी

और पूछा कि मैने ऐसा क्यो कहा तो मैने कहा कि यार तू सिविल मे ही जॉब करना ताकि तू घर भी संभाल पाए काफ़ी समझाया उसको फिर वो मानी फिर हम लंच करने लगे रीना ने बहुत ही अच्छा प्रोग्राम अरेंज किया था पूरा दिन हसी खुशी से बीत गया मैने कुछ तस्वीरे ले ली थी जो मेरे आगे के सफ़र मे मेरा सहारा बन ने वाली थी तभी अनिता भाभी का फोन आ गया कि मैं उन्हे हॉस्पिटल से पिक कर लू वो कल शाम से ही हॉस्पिटल मे थी तो मैने कहा कि ठीक है मैं आधे घंटे मे आता हू फिर मैने रीना से कहा कि अब मुझे जाना होगा पर वो बोली कि नही भाई डिन्नर कर के ही जाओगे तो मैने उसको सिचुयेशन बताई पर वो बोली की भाभी को इधर ही ले आओ हम भी साक्षी को देख लेंगे फिर घर निकल जाना मैं उसको मना नही कर पाया मैं हॉस्पिटल आया और भाभी को लिया और वापिस रीना के घर चल पड़ा भाभी ने पूछा कि हम कहाँ जा रहे है तो मैने कहा मेरे दोस्त के घर वो साक्षी और आपसे मिलना चाहते है फिर मैने उनको पूरी बात समझाई जब हम रीना के घर पहुचा तो बस कुछ लोग ही बचे थे मैने भाभी को रीना और मिता से मिलवाया
 
मिता ने साक्षी को अपनी गोदी मे ले लिया और उसको खिलाने लगी मैने भाभी को बता दिया कि मिता उनकी होने वाली देवरानी है तो भाभी बेहद खुश हो गयी भाभी ने बहुत देर तक मिता से बात की डिन्नर कर ही रहे थे कि मिथ्लेश को लेने उसका भाई आ गया चूँकि मैं उसको जानता नही था और ना ही मिता ने उस से इंट्रोडक्षन करवाया रात को 8 बजे हम भी वापिस घर की ओर मूड गये आज का दिन एक याद गार दिन था रास्ते मे भाभी बोली तेरे फ्रेंड्स तो बहुत अच्छे है कभी तू भी इनको अपने घर बुला ले तो मैने कहा भाभी आप तो मम्मी को जानती ही हो ना कोई भकेड़ा खड़ा कर देंगी तो भाभी ने कहा तू घबरा मत मैं मॅनेज कर लुगी तू जब भी बुलाए तो बता देना मैं तेरे साथ हू फिर मैने पूछा भाभी मिता कैसी लगी आपको तो वो बोली ठीक है पर लव मॅरेज वो भी अपने घर मे बहुत बड़ी बात है मैने कहा भाभी दुल्हन तो वो ही बनेगी चाहे कुछ भी हो जाए ऐसे ही बाते करते हुए हम घर आ गये

अब भाभी के घर कोई नही था तो आज हमारे यहाँ ही सोने वाली थी अंदर गये तो पता चला कि बुआ चाचा के साथ हॉस्पिटल गयी हुई थी तो आज बुआ रुकने वाली थी रात को वहाँ पर इसका मतलब चाची के साथ चान्स बन सकता था चाची ने खाने के बारे मे पूछा तो मैने बता दिया कि हम खाकर आए है तो वो बोली कहाँ पर तो अनिता ने उनको सारी बात बता दी फिर कुछ देर हमने बाते की फिर भाभी बुआ वाले कमरे मे सोने चली गयी वो थोड़ी थकि हुई भी थी मैं और चाची उपर चले गये

तो मैने सीढ़ियो वाले गेट को बंद किया मुड़ा तो देखा कि चाची ने छत पर ही हमारा बिस्तर लगा दिया है मैं उनकी गान्ड को सहलाने लगा नाइटीमे उनका दिल्कश बदन और भी सुंदर लग रहा था मैने जल्दी से अपने पयज़ामे को नीचे सरका दिया और अपने लड को उनके चुतडो से सटा दिया चाची बोली आज बड़े उतावले लग रहे हो तो मैने कहा मैं तो हमेशा ही रेडी रहता हू जहाँचूत मिले वही मार लेता हू पर आज मैं आपकी गान्ड मरूगा तो वो बोली नही नही वहाँ पर तो बहुत दर्द होता है तो मैने कहा मुझे कुछ नही पता अब कह दिया तो कह दिया और उनके चूतड़ पर एक चपत लगा दी चाची बोली मानोगे नही

मैने कहा गान्ड लिए बिना तो बिल्कुल नही वो बोली चाहे मेरी जान ही क्यो ना निकल जाए तो मैने कहा चाची सेक्स से कोई कभी मरता है क्या क्या तुम भी नखरे दिखाती रहती हो और मैं रूठने का नाटक करने लगा तो वो मेरे पास आई और

बोली कि ठीक है ज़्यादा आक्टिंग ना करो चलो आज तुम्हे अपने पिछवाड़े का मज़ा

भी दे ही देती हू उन्होने मुझे कहा कि उनके कमरे मे ड्रेसिंग टेबल मे आयिल

बॉटल पड़ी है मैं ले आउ मैं तुरंत ही गया और तुरंत ही आया जब मैं आया तो

देखा कि चाची अपने चूतड़ उपर किए हुए उल्टी लेटी पड़ी थी उनके मोटे मोटे

चुतडो से मेरी निगाह हट ही नही रही थी तो मैं बड़े ही प्यार से उनके कुल्हो को

मसल्ने लगा चाची ने एक आह भारी मैने अपनी उगली उनकी गान्ड के छेद से लगा

दी और उसको कुरेदने लगा छेद काफ़ी टाइट लग रहा था मैने पूछा कि चाची

चाचा गान्ड मारते है क्या तो वो बोली की हाँ कभी कभी कर लेते है अब मैने

अपने लड पे तेल लगाना चालू किया और उसको उपर से लेकर नीचे तक पूरा तेल से

सान लिया और एक ढक्कन तेल उनकी गान्ड पर भी डाल दिया और अपनी चिकनी उगली
को गान्ड मे घुसा दिया जैसे ही चाची की गान्ड मे उगली गयी उन्होने अपने

चुतड़ों को टाइट कर लिया और दर्द भरी आवाज़ मे बोली

आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहह इसको बाहर

निका लो मुझे मिर्ची लग रही है तो मैने कहा कुछ नही होगा बस तुम अपना

शरीर ढीला छोड़ो और थोड़े नखरे कम करो फिर मैने अपने लड को गान्ड पर

लगा दिया और एक धक्का लगाते हुए थोड़ा सा उसको गान्ड मे डाल दिया चाची का

शरीर दर्द से दोहरा हो गया तो मैने अपनी पकड़ को उनको शरीर पर मजबूत कर

दिया और अगले धक्के के साथ मेरा लड उनकी गान्ड को और चौड़ा करते हुए आगे

की ओर सरक गया उनकी आँखो से आँसू छलक गये पर मैं कहाँ रुकने वाला था तो

मैने दो झटक और लगाए और अपने टट्टो को उनके चुतडो से सटा दिया चाची

कराहते हुए बोली कि प्लीज़ तुम जल्दी से अपना काम कर लो मुझे बहुत तेज दर्द हो

रहा है मैं हौले से अपनी कमर को आगे पीछे कर ने लगा थोड़ी देर बाद उनको

थोड़ा सा सुंकून मिला तो मैने भी अपना गियर चेंज किया और थोड़ी सी स्पीड को

बढ़ा दिया मैं अपने हाथ नीचे की ओर ले गया और उनके बोबो को पकड़ लिया और

उनपर दबाव डालते हुए उनकी गान्ड मारने लगा उनकी गान्ड इतनी टाइट थी कि मुझे

बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था लड उनकी गान्ड की गर्मी को बर्दास्त नही कर पा

रहा था जब जब लड आगे पीछे होता ऐसा लगता कि गान्ड का छेद लड से चिपक

गया है मुझे तो बहुत ही मज़ा आ रहा था उनके चूतड़ बड़े ही लाजवाब थे

मैने लड को बाहर निकाला थोड़ा सा तेल उस पर और लगाया और फिर से गान्ड मे

धकेल दिया
 
मैं उनके गालो को चूमने लगा वो बार बार कह रही थी जल्दी करो

जल्दी करो मैने कहा कर तो रहा हू और कितनी जल्दी करू इधर गान्ड का दबाव

भी लड पर बढ़ता ही जा रहा था जैसे ही मेरे धक्के तेज हुए उनका दर्द भी

बढ़ता गया अब वो थोड़ी तेज आवाज़ मे कराहने लगी थी उनके कुल्हो का कंपन एक

मधुर आवाज़ उत्पन्न कर रहा था उत्तेजना से मेरे कान लाल हो गये थे मैने

उनको कस के पकड़ लिया और बेहद द्रुत्त गति से लड को अंदर बाहर करने लगा

और कोई 15-17 मिनट तक उनके चुतड़ों को बुरी तरह से हिलाता रहा तभी चाची

बोली कि वीर्य तो मेरी चूत मे ही गिराना भूल मत जाना मैने कहा ठीक है

कुछ मिनट बाद मुझे लगने लगा कि अब पानी बस छूटने ही वाला है तो मैने

उनको सीधा लिटाया और लड को योनि मे सरका दिया और बीस पच्चीस तेज तेज धक्के

लगाते हुए अंदर ही डिसचार्ज हो गया उनकी चूत मे मेरे पानी की छोटी से छोटी

बूँद भी समा गयी मैं उनके उपर पड़े पड़े ही उनको चूमता रहा वो भी

मेरा सहयोग करती रही फिर मैं साइड मे हो गया वो उठी और हाथ लगा कर अपनी

गान्ड को देखने लगी और मुझसे कहने लगी कि लगता है फट गयी है फिर वो

बड़बड़ाती रही और मेरी बनियान से अपनी गान्ड को सॉफ करने लगी और बोली कि कभी

कोई तेरी गान्ड मारे तो तुझे पता चले कि कितना दर्द होता है और मुंडेर पर

बैठ कर पेशाब करने लगी मैने पयज़ामा पहना और नीचे चला गया फ्रिड्ज से


पानी की बॉटल निकाली और वापिस आ गया मैने उनको भी पानी पिलाया फिर हम दुबारा
बिस्तर पर लेट गये

चाची मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली तुम्हारी छाती पर बाल नही है

मैने जवाब देते हुए कहा कि मैं ट्रिम्मर से सॉफ करता रहता हू ना इसलिए नही

है चाची मेरी छाती पर किस करने लगी वो मेरी छाती पे अपनी जीभ फेरने लगी

मुझे एक अलग सा एहसास होने लगा था अब वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगी थी

मेरे बदन मे उत्तेजना का संचार होने लगा मैं तो उनकी हरकत का दीवाना ही हो

गया था जैसे जैसे हमारा सेक्स बढ़ता जा रहा था मुझे उनकी नयी नयी अदाए

देखने को मिल रही थी वो मेरी छाती पर चढ़ि हुई थी और ना जाने कब मेरी

उग्लिया उनकी चूत के अंदर पहुच चूँकि थी मैं अपनी दो उग्लियो को अंदर डाल

कर अंदर बाहर करने लगा वो अपनी जाँघो को बार बार भीचने लगी वासना की आग से

उनका शरीर तापने लगा था तो मैने उनको बिस्तर पर बिठा दिया और उनकी जाँघो को

फैलाते हुए उनकी टाँगो के बीच मे घुस गया और चूत को चाट ने लगा जैसे


ही मैने उनकी चूत के दाने को मुँह मे लिया मस्ती से उनकी आँखे बंद हो गयी

और वो गहरी गहरी साँसे लेने लगी तो मैने अपने दाँत वहाँ पर गढ़ा दिए चाची की

मस्ती बढ़ती ही जा रही थी उनकी योनि बहुत ही गीली हो गयी थी मैने कुछ देर ही

चाटा था तो उन्होने मुझे हटा दिया और बोली कि चलो अब जल्दी सी काम पर लग जाओ

मैं बहुत ही गरम हो गयी हू अगर जल्दी ही ठंडी ना हुई तो इस गर्मी को झेल

नही पाउन्गी और मेरे लड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी और आहे भरने लगी तो

मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उचकाया और सुपाडा उनकी फांको को अलग करता

हुआ अंदर धस्ता चला गया उन्होने मुझे पूरी तरह से अपनी ओर खीच लिया

और मेरे कान मे फुसफुसाते हुए बोली कि मुझे बेदर्दी से चोदो तुम मैने

कहा चोद तो रहा हू और अपने लड को किनारे तक बाहर निकाला और पूरी ताक़त

लगाते हुए वापिस अंदर डाल दिया मैने उनके उपर वाले होंठ को अपने मुँह मे

दबा लिया और मज़े से उसको चूसने लगा चाची तो पहले ही वासना की आग मे जल

रही थी उनकी गर्मी को मेरा लड महसूस कर रहा था तो मैने अब अपना काम

शुरू कर दिया चाची भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी मेरे लड की गति और उनके

चुतडो की थप थप एक लयबद्ध धुन की रचना करे जा रही थी . से भी ज़्यादा


चिकनी चूत मे मैं अपना घोड़ा दौड़ाए जा रहा था उनकी हर एक सांस अब मेरे

मुँह मे ही क़ैद होती जा रही थी हर गुज़रते हुए पल के साथ मेरा जोश और भी

ज़्यादा होता जा रहा था चाची और मैं एक दूसरे से चिपक गये थे मेरा खून

हिलोरे मारने लगा था और फिर कोई आधे घंटे तक मैं उनको जबरदस्त तरीके

चोदा और फिर डिसचार्ज हो गया
 
अगले दिन मैने उठते ही मिथ्लेश को एसएमएस किया और पूछा कि क्या हम मिल सकते है तो उसने कहा कि मैं उसको पब्लिक लाइब्ररी के बाहर मिलू मुझे थोड़ा बॅंक का काम भी था तो मैने वो निपटाया फिर मिता को पिक कर लिया
आज तो वो बहुत ही प्यारी लग रही थी उसने पूछा हम कहाँ जा रहे है तो मैने कहा बस ऐसे ही घूमने के लिए और अपनी बाइक को नहर पे बने डॅम की ओर मोड़ दिया थोड़ी देर मे हम वहाँ पहुच गये एक अजीब सा सन्नाटा सा फैला हुआ था वहाँ पर अब गर्मी मे कौन आता वहाँ पर मैं और निशा तो अक्सर ही घूमते रहते थे वहाँ पर पर मिता के साथ आज पहली बार आया था पास ही एक बेरो का बगीचा था तो मिता बोली चलो बेर खाते है तो हम उस ओर चले गये वहाँ पर बस एक अम्मा ही थी तो उसे कुछ बेर लिए और इजाज़त ली कि क्या हम थोड़ी देर बाग मे घूम ले तो उन्होने हाँ कर दी



वहाँ के माहौल मे थोड़ी ठंडक सी थी तो गरम लू भी अच्छी लग रही थी मिता बोली एक बात मान नी पड़ेगी तुम्हारी चाय्स बहुत ही अलग है तुम साधारण चीज़ो को भी अलग बना देते हो तुम्हारी इसी बात पर तो मैं मर मिटी हू मैने मिता के हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया हम एक पेड़ के नीचे बैठ गये उसने पूछा कब जाना है तो मैने कहा एक हफ्ते बाद वो बोली मत जाओ ना मैं क्या कहता बस इतना ही कह पाया कि जाना पड़ेगा अब एक फ़ौजी का नसीब यही तो होता है गिनती के ही दिन मिलते है अब उसमे क्या क्या कर ले मिता ने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और कहने लगी कितनी जल्दी ख़तम हो गये तुम्हारे हॉलिडे तो मैने कहा यार तेरे प्यार के लिए ही तो नौकरी की है अब बस तू जल्दी से मेरी ज़िंदगी मे आ जा वो भावुक होते हुए बोली कि मैं तो आज आ जाउ पर घरवालो से बात कैसे करू कुछ समझ नही आता है

रोज सोचती हू कि मम्मी से बात करू बट हिम्मत नही पड़ती है

मेरा गला भी भर आया मैं बस इतना ही कह पाया मिथ्लेश नही जी पाउन्गा तेरे बिन जितनी भी साँसे है बस तेरे लिए ही है पहली और आख़िरी पसंद बस तू ही है कुछ भी कर पर बस तुम मेरी ही दुल्हन बन ना मैं बोला अगली छुट्टी आते ही चाहे कुछ भी हो मैं तेरे घर आउन्गा तेरा हाथ माँगने के लिए

मितलेश कहने लगी की तब तक उसका कोर्स भी ख़तम हो जाएगा और वो भी जॉब करने लग जाएगी कोई डेढ़ दो घंटे तक हम लोग वही रहे फिर मैने कहा यार भूख लग आई है चल चलते है और हम वापिस शहर की तरफ आ गये मैं उसको एक नये खुले रेस्टोरेंट मे ले गया और साथ ही हमने लंच किया मैं आज का पूरा दिन बस मिता के साथ ही बिताना चाहता था

जब वो साथ होती थी तो टाइम भी बहुत तेज़ी से दौड़ लगाने लगता था मैने बाइक को पार्किंग मे लगाया और पैदल ही बाजार की तरफ निकल गये मैने कहा कुछ लेना है वो मना करने लगी पर मैने उसके लिए कुछ ड्रेस खरीद ही ली फिर मैने उसके लिए एक घड़ी खरीदी तभी वो बोली कि मुझे गोलगप्पे खाने है तो मैं उसको लेकर खोम्चे पे गया लड़किया भी ना गोल्गप्पो के लिए बड़ी ही क्रेज़ी होती है वो बड़े चाव से खाती रही और मैं बस उसको देख कर खुश होता रहा


अब ज़िंदगी मे ये कुछ लम्हे ही तो थे जिनके सहारे मैं वहाँ आर्मी मे जीता था ये यादे ही तो मुझे हौसला देती थी मिता भी मेरी मनोस्थिति को समझ रही थी पर वो बेचारी भी क्या कर सकती थी वो बस मुझे खुश करने की कोशिश ही कर रही थी तभी मुझे एक स्टेशनरी की शॉप इखी तो मैने कुछ नये पैंट और ब्रश खरीद लिए

मिथ्लेश बोली अब भी पैंटिंग करते हो तो मैने कहा की हा जब भी तुम्हारी याद आती है कर लेता हू वो हँस पड़ी उसको खिल खिलाते हुए देख कर मेरा दिल भी झूम उठा जब जब वो मेरे पास होती थी मेरे दिल की धड़कन ऑटोमॅटिकली बढ़ जाती थी

हम दोनो एक शॉप की सीढ़ियो पर बैठे हुए थे वो पॉपकॉर्न खा रही थी मैं पेप्सी पी रहा था मैने कहा यार देख टाइम कितना चेंज हो गया है ना कभी हम एक समोसा खा कर ही खुश हो जाते थे और आज इतने रुपये खर्च करने के बाद भी मज़ा नही आता है तो वो बोली तुमने अच्छा याद दिलाया एक काम करो चलो आज फिर से अपनी पुरानी लाइफ को याद करते है आओ चले मैं उसके पीछे पीछे चल दिया हम वापिस उसी गली मे पहुच गये थे जहा अक्सर हम जलेबिया और समोसे खाया करते थे वो दुकान आज भी वैसे ही थी मैने कुछ जलेबिया ली आज भी वो दोनो मे ही देता था

गर्म गरम जलेबियो के साथ काजू-बादाम वाला दूध का कुल्हड़ पीकर मज़ा ही आ गया मैने दुकानदार को बताया कि कैसे हम 10+2 मे यहाँ आते थे हर तीसरे चौथे दिन वो भी थोड़ा खुश हो गया बिल पे करने के बाद मैने मिता को थॅंक्स कहा ऐसे ही शाम तक हम पैदल पैदल घूमते रहे तफ़री मारती रहे फिर हम पार्किंग आए बाइक ली अब बस घर ही जाना था
तो मैने मिता से पूछा कि वो कब तक रुकेगी तो वो बोली कि वो तो दो महीने रुकेगी क्योंकि कॉलेज की टर्म ऑफ हो गयी थी मैने कहा कि मैं उस से मिलने शिमला आउन्गा उसने कहा कि वो पैदल ही टेंपो स्टॅंड तक जाएगी मैने सर हिलाया और उसको जाते हुए देखता रहा मेरा थोड़ा दिमाग़ उलझ सा गया था तो मैने एक ठंडी बियर खरीदी और गटकाने लगा

ये सुनहरी रेत जो बार बार मेरे हाथो से फिसल जाती है अपने आप मे ना जाने कितनी ही कहानियाँ समेटे बैठी है कुछ हम जानते है और कुछ इस रेत मे ही दफ़न हो गयी तपती दुपहरी मे जब ये हवा से से चलती है तो मैं अक्सर अपनी इस पोस्ट से थोड़ा बाहर आकर खड़ा हो जाता हू ये गरम लू मेरे शरीर को जैसे छलनी कर डालती है पर ये गरम हवा भी जैसे मुझसे नाराज़ है मानो मुझसे कह रही हो कि वो भी मेरी तरह जुदाई का गम लिए बह रही है जब रात होती है तो ये रेत मुझ अपने आगोश मे ले लेती है बिल्कुल किसी माँ के आँचल की तरह एक सुकून सा मिलता है कल की बात है

अचानक से बारिश आ गयी ठंडी बूंदे मेरे तन को भिगो गयी लगा जैसे वो बरसात मेरी प्रेयसी का संदेशा लेकर आई थी जब मेरे चेहरे पर बारिश की फुहार पड़ी तो लगा कि जैसे मेरी प्रियतमा का चुंबन हो कभी कभी मैं अपने जज्बातो को काबू कर नही पता हू आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हू कभी कभी कोफ़्त होती है इस खाना बदोश ज़िंदगी से मुझे सबकुछ होकर भी कुछ नही है मेरे पास मैं यहा टुकड़ो मे जी रहा हू वो कही इसी हाल मे जी रही है मैं उसको भी क्या दोष दूँ बहुत मना किया था उस दीवानी लड़की को कि मैं तो एक झोंका हू कभी इस पल कभी उस पल पर वो भी मर्जानी मानी ही नही पर खुशी भी है कि वो दूर होकर भी हर पल पास ही है मेरी रूह से इस कदर जुड़ चुकी है वो कि शब्दो मे बया ही नही कर सकता दिल की बाते दिल मे ही कहीं रह जाती है कोशिश तो करता हू पर होंठो पे आ ही नही पाती है पर मैं करू भी तो क्या आज यहा कल वहाँ अब तो पूरी डुंजया ही मेरा घर हो गयी है जहा जगह मिली वही चद्दर तान कर सो गये सवेरा हुआ तो चल दिए ना किसी से कोई शिकवा है ना कोई गिला है आख़िर इस ज़िंदगी को मैने ही तो चुना था अपने लिए शिकायत नही कर रहा हू बस कभी कभी थोड़ा सा तल्ख़ हो उठता हू

जब कभी लगता है कि टूट के बस बिखर ही जाउन्गा तो अपनी इस पोस्ट के बाहर आकर खड़ा हो जाता हू बस थोड़ी ही दूरी पर एक बंकर और दिखता है जहा मेरे जैसा ही कोई और दिखता है बोली भाषा भी मेरे जैसी ही पर बीच मे एक तारो की दीवार है जिसे हम सरहद कहते है ना इस पर कुछ फरक है ना उस पार कुछ फरक है बस ये बाद हमे जुदा कर देती है अक्सर पेट्रॉल्लिंग टाइम पे उसे भी गुफ़्तुगू होती ही रहती है कभी ज़ुबान बात करती है कभी बंदूक कभी छुपकर जश्न भी साथ होता है तो कभी आँसू भी भा लेते है मैं कभी भी समझ नही पाता हू इंसानी भावनाओ को कभी तो अपनो को भी जुदा कर देती है और कभी दुश्मनो के लिए भी रुला देती है
 
पर मैं करू भी तो क्या मेरी तो फ़ितरत ही है ऐसी और फिर कातीलो का कहाँ कोई ईमान होता है बहुत ही घुटन महसूस करता हू आज़ाद परिंदे की तरह उड़ना चाहता हू पर क़ैद हू पिंजरे मे ये मेरी अधूरी हसरते मुझे हर रोज रूलाती है पर मैं कुछ ज़्यादा तो नही माँगता हू ना फिर सब कुछ तो ज़िंदगी ने पहले ही छीन लिया है बस ये साँसे ही चल रही है ऐसी राह चुन ली चलने को कि सबका साथ छूट गया बस पता नही वो पगली क्यो रह गई मेरे इंतज़ार मे उसका बहुत शुक्रगुज़ार हू मैं हर वो ज़िम्मेदारी निभाती है जो मैं पूरी ना कर पाया दिल मे आती है उसकी याद बात करने को जी चाहता है पर फोन मे उसका नंबर डाइयल करने की हिम्मत नही हो पाती है हम उसके ईमेल रो ज ही आ जाते है पर कभी शिकायत नही करती है साथ रहना ही तो प्यार नही होता है दूर रहकर पास होना ही प्यार है अबकी बार सोचा है कि दीवाली पे घर ज़रूर जाउन्गा

घर , पर मेरा घर है कहाँ उस गाँव को तो मैं बहुत पहले ही छोड़ आया था कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया था मैं अब किस मुँह से जाउ मैं वापिस हिम्मत ही नही होती है कई बार कोशिश भी की पर नही जा पाया आख़िर वो बुरी यादे मेरा रास्ता रोक लेती है बाप की बूढ़ी आँखे आज भी मेरी राह तकती होंगी माँ का क्या हाल होगा पता नही परिवार ने मेरे लिए बहुत कुछ किया पर मैं अपनी ईगो और जिद्द के कारण सब तबाह कर आया मानता हू टाइम बदल गया है पर आज भी वो घर मुझे ही पुकारता है बहुत याद आता है मुझे अपना गाँव घर रोज घुट घुट के जी रहा हू अब छुट्टिया प्रेयसी के फ्लॅट पे ही काट लेता हू पर याद आती है माँ के हाथ की बाजरे की रोटिया पैसा तो बहुत कमाता हू पर रोटियो मे वो मिठास नही मिलती जो अपने घर के खाने मे आती थी जब कभी शीशे मे खुद को देखता हू तो नज़रे नही मिला पाता हू हँसता भी हू जीता भी हू पर अंदर अंदर कुछ जैसे छूट रहा है करू भी तो क्या करू अब मैं ख़ुदग़र्ज़ जो ठहरा

ये मेरा अधूरा पन जो कभी पूरा नही हो पाएगा बस अब तो देखना है कि कितनी सांस बाकी है

अक्सर मिता से मिलने के बाद मैं उदास हो जाया करता था मैं उसकी जुदाई बर्दस्त

कर ही नही पाता था पर मेरे पाँवो मे मजबूरियो की बेड़िया पड़ी थी पर इन चार

सालो मे इतना तो सीख ही गया था कि अपने गम को कैसे छुपाया जाए घर आया


तो पता चला कि ताइजी की हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी थी तो उनसे मिलने चला गया

थोड़ी बात चीत की रवि बोला भाई आज का खाना तू इधर ही खाएगा तो मैने कहा ठीक है मैं ज़रा नहा धो लू फिर आता हू वापिस आकर मैं बाथरूम मे घुस गया आज पानी की ठंडी बूंदे भी मेरे मन की आग को ठंडा नही कर सकती थी

नहा कर थोड़ा अच्छा लगा चाची बोली क्या बात है आज बड़ा उदास लग रहा है क्या बात है तो मैने कहा छुट्टिया ख्तम होने वाली है वो बोली वो तो है पर कर भी तो क्या सकते है फिर मैने कहा कि मैं आज खाना रवि के यहाँ खाउन्गा तो
आप मत बना ना और घर से बाहर निकल पड़ा


भाभी ने सब कुछ मेरी पसंद का ही बनाया था बेहद ही लज़ीज़ भोजन था अपनी

लाइफ इन छोटे छोटे लम्हो पर ही तो टिकी हुई थी खाने के बाद मैं आँगन मे डाली

चारपाई पर लेट गया और लेटे लेटे हुए बाते करने लगा परिवार जो इंसान का सबसे

बड़ा सहारा होता है फिर भाभी खीर ले आई पेट तो पहले ही ठूंस ठूंस कर

भरा हुआ था अनिता भाभी बर्तन धोने रसोई मे चली गयी तो मैं भी वही

चला गया और उससे बाते करने लगा मैने कहा भाभी खाना तो बड़ा ही

बढ़िया था पर मेरा मन अभी नही भरा तो वो कहने लगी कि तो ऑर ख़ालो किसने

रोका है मैने कहा कि भाभी मुझे तो अभी बस आपको ही खाना है तो वो बोली

जल्दी ही मोका निकालूंगी तुम्हारे लिए और वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी काफ़ी

देर हो गयी थी वहाँ पर तो बुआ ने नज़र बचा कर मुझे इशारा किया तो मैं और

बुआ अपने घर आ गये तो बुआ कहने लगी कि मेरी झान्टे सुलग रही है और तू

वहाँ टाइमपास कर रहा था तो मैने कहा बुआ चाची भी इधर ही है उनको सो

जाने दो फिर मैं आपके कमरे मे आ जाउन्गा तो वो बोली ठीक है अब उपर चाची

नीचे बुआ जब मैं उपर गया तो चाची ने पकड़ लिया और किस करने लगी तो मैने

कहा चाची आज मैं थोड़ा सा थक गया हू आज नही करूगा तो वो हताश हो गयी

और बोली एक बार तो करले पर मैने सॉफ सॉफ मना कर दिया पर चाची कहाँ

मान ने वाली थी वो मुझे खीचते हुए अपने कमरे मे ले गयी और कुण्डी बंद

कर ली और मुझसे चिपकते हुए बोली कि मेरी चूत तो मारनी ही पड़ेगी चाहे राज़ी या

बेराजी तो मैने कहा कि चाची क्या मेरा रेप करोगी तो वो हँसने लगी और बोली रे

चाकू चाहे खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर कट ता तो खरबूजा ही है

और हँसने लगी और अपने घाघरे के नाडे को खोल दिया घाघरा उनके पैरो मे जा

गिरा अंदर कच्छि नही पहनी थी उन्होने तो नीचे से पूरा शरीर किसी ट्यूबलाइट की

तरह चमकने लगा एक पल मे ही मेरे लड ने सिटी मार दी चाची ने अपनी चोली

भी खोल दी और नंगी होकर बेड पर चढ़ गयी और मेरी पॅंट को खोलने लगी बड़ी ही

नज़ाकत से उन्होने मेरी पॅंट को नीचे किया और थोड़ा सा झुकते हुए मेरे लड

को अपने मुँह मे क़ैद कर लिया लड जो पहले ही करेंट मे आ चुका था और भी ज़ोर

से फुफ्करने लगा चाची अपने दाँतों से मेरे लड की खाल को काटने लगी मैने कहा

क्या करती हो मुझे तकलीफ़ हो रही है तो उन्होने और भी ज़ोर से अपने दाँत वापिस से

गढ़ा दिए मेरा पूरा लड उनके मुँह मे था कुछ देर तक वो पूरी तल्लिनता से उसको

चूस्ति रही फिर मैने उनके मुँह से उसको बाहर निकाला और चाची को बेड पर

खीच लिया उनको मैने टेडी लिटाया और उनकी पीठ के नीचे से हाथ ले जाते हुए

उनके एक बोबे को अपने हाथ से कस कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उनकी टाँग को

थोड़ा सा उपर उठा दिया मैने अपने शरीर को और भी उससे सटा दिया अब मेरा

लड चूत से कुछ ही इंच की दूरी पर था तो मैने अपने सुपाडे को गरमा

गरम चूत के मुख पर लगा दिया और एक कस कर धक्का लगा दिया चाची की एक

आ निकली और मेरा लड उनकी चूत मे समाता चला गया अब मैने अपने दोनो

हाथो मे उनके खरबूज़ो से उन्नत उभारो को थाम लिया और कस कस के धक्के

लगाने लगा चाची मीठी मीठी आहे भरने लगी चाची ने अपने चुतड़ों को

थोड़ा सा पीछे की ओर कर लिया ताकि मैं और भी अच्छे ढंग से उनकी चुदाई कर

सकूँ तो अब शुरू हो चुका था हमारा हवस का खेल
 
चाची जैसी मस्त माल को

चोदने का एक अलग ही मज़ा था दूसरी ओर मैं ये भी सोच रहा था कि बुआ मेरा

इंतज़ार कर रही होंगी पर इधर भी चोदना ज़रूरी ही था तो मैं लगा हुआ था

कुछ देर बाद मैं पूरी तरह से चाची के उपर आ गया था तो उन्होने अपनी टाँगो

को मेरी कमर के चारो तरफ लपेट लिया था और बेहद ही मस्ती से अपनी रस से

भरी हुई चूत मुझे दे रही थी मैं उनके गुलाबी होंठो को अब चूसने लगा था

चाची बोली तुम थोड़ा आराम से किस करा करो मेरे होंठ सूजा कर ही दम लोगे क्या

मैं बोला चाची अब आप बीच मे मज़ा किरकिरा मत करो और खुद भी मज़े लो और

मुझे भी मज़ा लेने दो तो वो मेरे माथे पर किस करती हुई बोली हाँ मेरे बेटे

चल अब बाते बहुत हो गयी थोड़ी स्पीड बढ़ा और जल्दी से मुझे मंज़िल पे

पहुचा दे तो मैं अब तूफ़ानी गति से चाची की चूत से मक्खन निकालने की

कोशिश कर रहा था चाची की चूत की पटरी पर मेरे लड की रेल सरपट सरपट

दौड़ती हुई स्टेशन की ओर बढ़ रही थी हम दोनो के बदन अब टूटने लगे थे और

फिर चाची का बदन धनुष की तरह तन गया और उनकी चूत से रस की नदी बह

चली मैने उनको मेरी बाहों मे कस लिया और तेज तेज धक्के लगाते हुए अपनी

मलाई से चूत को भर दिया चाची ने एक करारी किस दी और फिर साइड मे लेट गयी

और अपनी उफनती हुई सांसो को नियंत्रित करने लगी
 
चाची मेरे सीने पे हाथ फिराते हुए बोली

आज मैं इधर ही तेरे पास सो जाती हू तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि चाची घर

पे कोई नही है तो मैं नीचे ही सोउँगा तो उन्होने बुरा सा मुँह बनाया और कुछ

बड़बड़ाते हुए अपने कमरे मे चली गयी तो मैं कुछ देर रुका फिर मैने कच्छा

और बनियान पहनी और वैसे ही नीचे चला गया बुआ जाग ही रही थी मैने एक

नज़र उनपे डाली और रसोई मे चला गया फ्रिज खोला और थोड़ा सा पानी पिया बुआ

भी रसोई मे आ गयी और बोली कि इतनी देर लगा दी क्या कर रहा था तो मैने कहा

बुआ थोड़ा सा काम था तो बस वो ही निपटा रहा था बुआ थोड़ा सा और मेरे पास

आई और मेरे कच्छे के उपर से लंड को सहलाते हुए बोली कि तूने मुझे क्या

बना दिया है पहले मैं बस तेरे फूफा के साथ ही सेक्स करती थी और अब देख किसी

रंडी की तरह तुझ से चुदने को मरी जा रही हू पता नही वापिस अपने घर

जाके मेरा कैसे गुज़ारा होगा तो मैने उनकी चूचियो पर हाथ फिराते हुए कहा

कि बुआ फूफा से जाकर दबा के चुदना तो वो हँसने लगी और मेरे कच्छे को नीचे

सरका दिया और लंड को हिलाने लगी कुछ देर वो उसको हिलाती रही फिर वही रसोई के

फरश पर घुटनो के बल बैठ गयी और मेरे लंड को अपने गालो पे रगड़ने लगी

फिर वो लंड को अपने मुँह मे लेने ही वाली थी कि अचानक से वो मेरे लंड के

सुपाडे को सूंघने लगी और बोली कि इसमे से ये कैसी स्मेल आ रही है तो मैने

कहा पेशाब की आ रही होगी तो उन्होने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया और

तुरंत ही वापिस निकाल दिया और उठ कर रसोई की लाइट जला दी और मेरी ओर थोड़ा गुस्से

से देखते हुए बोली कि कामीने इस पर तो चूत का पानी लगा है बता किसको चोदा

है तूने .

मैं कुछ बोल पाता उस से पहले ही वो बोली कि अच्छा अच्छा तभी मैं कहूँ

कि उपर तुझे इतना टाइम क्यो लग गया तो तूने बबिता भाभी को भी नही बख्शा तो

मैने उनको पूरी बात डीटेल मे बता दी तो वो बोली चल ठीक ही है मैं उसकी इच्छा

समझती हू सबको ही होता है कि वो भी माँ बने अब क्या पता तेरी कोशिश से ही

उसकी गोद भर जाए और आँगन मे एक नये मेहमान की किल्कारिया गूँजे बुआ ने

लाइट बंद की और बोली अब आजा कमरे मे चलते है तो मैने कहा कि बुआ यही पे

करे क्या तो वो बोली नही कमरे मे ही आओ फिर खुल कर एंजाय करेंगे तो मैं उनके

पीछे पीछे कमरे मे आ गया बुआ अपने कपड़ो को उतार रही थी मैं उनके पीछे जा

कर खड़ा हो गया और अपने लंड को उनके चुतड़ों से सटा दिया बुआ के शरीर की

गर्मी बढ़ गयी मैने उनकी ब्रा को खोला और पीठ पर किस करने लगा इतने मे

बुआ ने सलवार और पैंटी को एक साथ ही उतार दिया हम दोनो अब नंगे हो चुके

थे बस एक तूफान और आने का इंतजार था लंड को बुआ ने अपनी मोटी मोटी जाँघो

मे दबा लिया था तो मैने उनकी चूचियो को अपने दोनो हाथो मे भर लिया और

उनको दबाने लगा बुआ की चूचियो की घुन्डियो से जब मैने छेड़ खानी करनी

शुरू की तो कुछ ही देर मे उनका साइज़ एक एक इंच से भी थोड़ा उपर हो गया बुआ

अपनी मदमस्त गान्ड को हिलाते हुए बोली कि आहह थोड़ा आराम से दबा बेटा

थोड़ा प्यार से दबा इनको मैं बुआ की गर्दन पे किस करता हुआ बोला बुआ आज की

रात को मेरे लिए याद गार बना दो तो बुआ बोली मैं तो तेरी ही हू जो चाहे कर ले

तो मैने बुआ को बेड पर घोड़ी बना दिया और उनके पीछे आते हुए उनकी बिना

बालों की जुवैसी चूत पे अपने होंठ लगा दिए
 
बुआ के चुतड एक दम से काँप उठे

मैंन उंगली की सहायता से उनकी योनि की दरार को थोड़ा सा फैलाया और अपनी लंबी

जीभ को चूत मे घुसा दिया और उसके गीलेपन को चाटने लगा बुआ ने बेड की

चादर को अपनी मुट्ठी मे कस लिया और अपने मोटे मोटे सुडोल चुतड़ों को और भी

ज़्यादा उपर की ओर कर लिया ताकि मैं अच्छे से अपनी जीभ फेर सकूँ तो अब मैं बुआ की

चूत और गान्ड दोनो को बारी बारी से चाट रहा था बुआ तो बहुत ही ज़्यादा मस्त हो

गयी थी और अपनी गान्ड को उछाल उछाल कर अपनी चूत से बहते हुए उस रस के प्याले

को मुझे पिला रही थी 8-10 मिनट की चूत चुसाई के बाद बुआ मुझसे अलग हो

गयी और बोली कि बस अब नही रह पाउन्गि अब मुझे ये चाहिए और लंड की ओर इशारा

किया और बेड के किनारे पर ही अपनी टाँगो को चोडा करके बैठ गयी तो मैने अपने

लंड को चूत पर सेट किया और एक ही धक्के मे पूरे लंड को चूत मे उतार दिया

बुआ कराहती हुए बोली

आआआआआआररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररराआआअम्म्म्मममम
म्म्म्मरममममममममममम सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
ईईईईईईईईईईई




मैने सॉरी कहा और अब दनादन शॉट लगाना चालू किया बुआ हर एक धक्के के

साथ मस्त और मस्त होती चली गयी बुआ की चूत इतनी चिकनी थी कि क्या बताऊ बड़े

से बड़ा लूब्रिकॅंट भी फैल था उस चिकनाई के आयेज और फिर वो तो मेरी पसंदीदा

चूत थी और उनकी चूत का छल्ला बेहद कसा हुआ था कुछ देर ऐसे ही रगड़ने

के बाद मैने उनको लिटा दिया और उनके उपर आकर उनको चोदने लगा बुआ ने

मेरी जीभ को अपने मुँह मे भर लिया और उसको चूस्ते हुए अपनी चूत मरवाने

लगी बुआ आज कुछ ज़्यादा ही चुदासी हो रही थी और नीचे से अपनी गान्ड को उचका

उचका कर चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी मैं पूरी रफ़्तार पकड़ चुका था और

दना दन चूत पे धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था और फिर वो लम्हा भी आया

जब बुआ मुझसे बुरी तरह लिपट गयी उन्होने अपने लंबे लंबे नाख़ून मेरी

पीठ में धंसा दिए और अपनी चूत से काम रस की बरसात करने लगी तो मैने

अपना और ज़ोर लगाते हुए और तेज़ी से उनको चोदने लगा बुआ इन धक्को को सहन

नही कर पा रही थी तो चूत और ज़ोर से बहने लगी उनकी सांस बुरी तरह से फूल गयी

थी तो वो हान्फते हुए बोली कि मैं चूत से लंड को निकाल लू पर मेरा तो लंड अभी

मैदान मे डटा ही था तो मैने कहा कि बुआ थोड़ी देर बस मैं भी फारिग हो जाता

हू तो वो बोली कि तू पीछे डाल ले मैं अभी चूत मे नही ले पाउन्गि मुझे जलन हो

रही है तो मैने उनको उल्टा किया और उनके चुतड़ों के छेद पे थूक लगाया और

अपने लंड को गान्ड मे डालने लगा उनकी गान्ड का छल्ला सुपाडे के दबाव से फैलने

लगा और धीरे धीरे करके मैने अपने पूरे लंड को गान्ड के अंदर पहुचा ही

दिया बुआ को थोड़ा दर्द हो रहा था पर वो गान्ड मरवाने को बिल्कुल तैयार थी

इनफॅक्ट लंड को उनकी गान्ड मे ही घुसा हुआ था मैंन उनके कंधो को पकड़ा और

गान्ड पे धक्के लगाने लगा बुआ की टाइट गान्ड का दबाव लंड पर पड़ने लगा था जब

जब मैं लंड को पीछे खीचता लगा की गान्ड का छेद साथ ही आएगा ऐसे ही मैं

उनकी गान्ड मारता रहा और कोई दस मिनट के बाद मैने अपना लावा गान्ड मे ही

गिरा दिया
 
कुछ देर बाद मैने लंड को बाहर निकाला बेचारा मुरझा कर सिकुड चुका था

दो दो गरमा गरम हुस्न की मल्लिकाओ को चोदने के बाद मैं भी थोड़ी थकान महसूस करने लगा था बुआ भी बहाल बेड पर पड़ी थी मैने दरवाजा खोला और बाथरूम मे चला गया बुआ भी थोड़ी देर बाद आ गयी और मेरे सामने ही मूतने लगी वो नज़ारा बहुत ही उत्तेजक था पर अब मेरा मूड नही था बुआ पेशाब करने के बाद चली गयी मेरे शरीर मे पसीने की चिप चिप हो रही थी तो मैं नहा ने लगा नहाने के बाद मैं वापिस आया तो सोचने लगा कि उपर जाके सोऊ या नीचे ही सो जाउ फिर मैं सोफे पे ही लेट गाया मैने मोबाइल निकाला और मिथ्लेश को एसएमएस कर दिया कि कल मिलना है ज़रूर


दरअसल मैं चाहता था कि ज़्यादा से ज़्यादा टाइम मैं उसके साथ बैठू तो फिर मैं सोफे पर ही सो गया अगले दिन मैं दस बजे उठा मोबाइल देखा तो पता चला कि मिता की कई मिस कॉल थी तो उसको फोन लगाया वो थोड़ा सा नाराज़ होने लगी तो मैने कहा कि यार मैं तो सो रहा था जस्ट अभी उठा ही हू तो उसने कहा कि वो मुझे वही पर मिलेगी जहाँ कल मिली थी मैं उसको पिक कर लू तो मैने कहा कि आधे घंटे मे आ जाउन्गा और जल्दी से नहाया-धोया और बाइक उठा कर चल पड़ा अपनी सपनो की रानी से मिलने उसको पिक किया पर शहर मे ऐसी कोई जगह नही थी जहाँ हम टाइम बिता सके तो मैने कहा डार्लिंग मेरे घर चलेगी क्या तो वो बोली कि ऐसे कैसे चल सकती हू पर मैने कहा मान भी जा यार होने वाली पत्नी के नाते ना सही तो एक दोस्त के नाते तो चल मैने कहा कि तू अपने दुपट्टे को मुँह पर लपेट ले ताकि कोई पहचाने ना और फिर मैं उसको अपने घर ले ही आया .


आज मेरी होने वाली दुल्हन मेरे घर आई थी बुआ और चाची को तो समझ ही नही आया कुछ पर मिता को देखकर वो खुश हो गयी अनिता भाभी तो बेहद ही खुश हो गयी थी मिता साक्षी को खिलाने लगी तो मैने कहा भाभी कुछ नाश्ते पानी का इंतज़ाम तो करो तो भाभी बोली हाँ अभी लाई और रसोई मे चली गयी बुआ और चाची मिता से बाते करने लगी कुछ ही देर मे मिता के व्यवहार ने उनका दिल जीत लिया फिर नाश्ते के बाद मैने कहा मिता आओ तुम्हे कुछ दिखाता हू और उसको अपने कमरे मे लाया अब साला यही पे थोड़ी सी प्राब्लम हो गयी मेरे कमरे की एक दीवार पर मिथ्लेश की तस्वीर बनी थी और एक दीवार पर निशा की मिता बोली कि ये किस की तस्वीर है तो मैने कहा कि ये मेरी दोस्त थी जो अब ना जाने कहाँ है तो मिता मेरे पास आई और बोली कि बस दोस्त ही है या कुछ ऑर तो मैने कहा तुम्हे क्या लगता है तो वो बोली अब तुम्हारे मन की मैं क्या जानू पर मुझे लगा कि वो कुछ सोच रही है तो मैने कहा यार मेरी पहली और आखरी ख्वाहिश तो बस तुम ही हो


तो वो बोली अरे रिलॅक्स हो जाओ मैं तो मज़ाक कर रही हू अब ये तुम्हारी दोस्त है तो मेरी भी दोस्त हुई ना मैं आल्बम ले आया जिसमे हमारी तस्वीरे थी स्कूल टाइम की मिता थोड़ी सेनटी हो गयी तो मैने उसको कहा कि यार एमोशनल क्यो हो हम साथ ही तो है मिता बोली क्या हमारी शादी हो पाएगी तो मैने कहा कि हो पाएगी नही हो गी ही फिर कुछ देर बाद हम नीचे आ गये मिता सबको ही बहुत पसंद आई थी कुछ तो बात थी ही मेरी पसंद मे अनिता भाभी तो उसे एक मिनट के लिए छोड़ ही नही रही थी कुल मिला कर माहौल बड़ा ही अच्छा बना हुआ था मैं तो आज बहुत ही खुश हो रहा था

आख़िर खुशी की ही तो बात थी मेरी प्रियतमा जो मेरे घर आई हुवी थी आज टाइम भी कुछ ज़्यादा ही जल्दी गुजर रहा था मिता ने पूछा कब जा रहे हो मैने कहा अगले सोमवार को वो थोड़ा सा और मेरे पास खिसक आई और बोली कि फिर कब आओगे तो मैने कहा जैसे ही छुट्टी मिलेगी सबसे पहले मैं शिमला आउन्गा तुम्हारे पास मैने उसको प्रॉमिस किया तब जाके उसको थोड़ा सा चैन मिला अब ये ही तो थी जिंदगी जब दूर थे तो दूर थे अब दिल ही नही कर रहा था उस से दूर होने को पर क्या करे जाना तो था ही मिथ्लेश बोली कि अब मैं जितना हो सके उतना टाइम तुम्हारे साथ ही स्पेंड करूँगी ना जाने फिर ये टाइम मिले ना मिले तो मैने कहा पगली ऐसा क्यो सोचती हो मैं वापिस भी तो आउन्गा तुम ऐसे ना बोलो हम बाते कर ही रहे थे क़ी चाची ने नीचे से आवाज़ लगाई चाइ पीने के लिए टाइम भी 4 हो रहा था तो हम ने चाइ पी फिर मैं मिथ्लेश को ड्रॉप करने चला गया
 
आज मैं बहुत ही अलग सा महसूस कर रहा था मिता जितना भी टाइम रुकी थी रोनक सी

आ गयी थी मेरे घर मे मैं सोच रहा था कि जब वो दुल्हन बनकर मेरे घर

आएगी तो ये घर तो खुशियो से झूम ही उठेगा वापिस घर आते आते 5 बज गये

थे तो बुआ बोली कि जा दुकान से कुछ सब्ज़िया ले आ और कुछ छोटा मोटा सामान

है ये भी लेता आईओ तो मैने झोला उठाया और दुकान की तरफ चल पड़ा दिल मे एक

अलग सी ही उमंग छाई हुई थी जब मैं दुकान पर पहुचा तो काफ़ी भीड़ थी तो

मैं साइड मे खड़ा हो गया और अपनी बारी का इंतज़ार करने लगा अब मैं आपको एक

बात बता ता हूँ कि दुकान दो भागो मे बटी हुई है एक साइड मे तो जनरल स्टोर

है और सब्ज़ी वग़ैरा बेचते है और दूसरी ओर आटा चक्की बनाई हुवी है तो मैं

अपनी बारी का इंतज़ार कर ही रहा था कि मोहल्ले की एक भाभी जिनका नाम सोनू है

उन्होने मुझे आवाज़ लगाई और कहा कि मैं आटे का बोरा उनके सर पर रखवा

दूं तो मैं उनकी ओर गया जब मैं उनको बोरा उठवा रहा था तो मेरी नज़र उनकी

चूचियो पर पड़ी . बेहद ही बड़ी बड़ी ठोस चूचियाँ ब्लाउस मे तो समा ही नही

पा रही थी और लग भग आधी चूचिया ब्लाउस से बाहर ही निकली पड़ी थी




भाभी भी ये भाँप गयी थी तो उन्होने चुटकी लेते हुए पूछा कि आटा उठवाओ ये

तो बाद मे देख लेना तो मैं थोड़ा सा झेंप गया और उनको बोरा उठवा दिया वो

अपने घर की ओर चल पड़ी और मैं उनके 61-62 करते हुए चुतड़ों को ताड़ने लगा

मैने सोचा अरे ये कैसे नज़र मे नही आई मेरा लंड अब पेंट मे परेशान

होने लगा था पर किसी तरह से कंट्रोल कर ही लिया अब सामान लेने का होश नही रहा

था बल्कि दिमाग़ मे प्लॅनिंग चल रही थी सोनू भाभी को चोदने की पर ये आसान

तो होना नही था पर इस को आसान बना ना ही था अगर ऐसी पटाका औरत को नही

चोदा तो क्या चोदा .
 
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