Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 28 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

वो बोली मुझे तो दाल मे कुछ काला नज़र आता है वैसे अच्छी लड़की है और मेरे गाल पर हल्का सा चूम लिया मैने कहा भाभी कुछ करो ना मैं कल जा रहा हूँ तो वो बोली यार मैं भी मचल रही हू तुम्हारा ख़याल आते ही ये मेरी चिड़िया पानी छोड़ देती है पर मजबूर हू मैं और वैसे भी इतनी मस्त लड़की साथ लेकर घूम रहा है तो फिर मुझ बुढ़िया मे अब क्या रखा है



मैने कहा ले लो जीतने मज़े लेने है फिर टॉपिक चेंज करते हुए मैने कहा कि मैं आपसे मिलने ही आया हू कल मैं सुबह सुबह ही निकल जाउन्गा तो वो बोली जैसी तेरी मर्ज़ी है वो बोली तू जाकर उर्वशी के पास बैठ आज तेरे लिए स्पेशल साउत इंडियन फुड बनाया है मैं परोसती हू कुछ देर मी मेरा दिल भर आया ये भी तो मेरा छोटा सा परिवार ही था पर जाना ही था मुझे



शाम तक का टाइम मैं पद्मि नी भाभी के घर ही रहा दिल थोड़ा भारी था पर दिन हसी खुशी बीत गया सांझ ढल गयी थी सर भी आज कुछ जल्दी ही आ गये कुछ देर उनसे भी गुफ़्तुगू हुई उन्होने कहा कि शुरू के कुछ दिनो मे थोड़ी प्राब्लम आएगी क्योंकि फील्ड मे बिल्कुल अलग ही सिचुयेशन होती है ट्रैनिंग से बिल्कुल अलग सब कुछ रियल टाइम होता है



पर एक बार सिस्टम को समझ लोगे तो कोई प्राब्लम नही होगी उन्होने फिर कुछ टिप्स और दिए कुछ बेहद ज़रूरी हिदायती दी कि हर हाल मे बस ऑफीसर के ऑर्डर को ही फॉलो करना है इस बात को ना भूलना बात पूरी होने पर मैने सर के पाँव छुए और फिर उनसे अलविदा कह कर मैं और उर्वशी चल पड़े



मैने कहा बता आज डिन्नर के लिए कहाँ चलेगी तो वो बोली कि आज तुझे मैं खाना बना के खिलाउन्गी मैने कहा क्या बनाएगी तो वो बोली अपना देसी दाल- चुरमा , ये सुनते ही मैं खुश हो गया घर की याद आ गयी और चुरमा तो अपना आज भी फवरेट. है तो हसी-मज़ाक करते हुए हम पैदल पैदल उसके घर की ओर जाने वाली सड़क पर चल पड़े

घर आते ही उसने चेंज किया और मेरे पास आकर बैठ गयी दो दिन से वो कुछ ज़्यादा ही चिपक रही थी उसकी सांसो की खुश्बू जैसे मेरे जिस्म मे घुलने को बेताब ही थी बस मेरे हाँ कहने की ढील थी उसकी टी-शर्ट थोड़ी सी उपर हो गयी थी तो उसकी नवल दिख रही थी मैने अपनी उंगली उसमे डाल दी और गोल गोल फिराने लगा उर्वशी ने एक झुरजुरी ली



वो बोली क्या करते हो मैने कहा शरारत वो बोली तो जब मैं छेड़ा करूँ तो क्यो रोकते हो मैने कहा मैने कब रोका तो उसने बिना कुछ कहे मेरे लंड पर हाथ रख दिया और उसको दबा दिया एक पल मे ही लंड माजराज अपनी औकात पे आ गये और फनफना गये उर्वशी बोली यो तो तैयार सै मैने कहा है तो सही तो वो झट से बोली मैं भी कतई तैयार सूं



बात करते करते वो मेरी जाँघ पर सरक आई और अपने कुल्हो को मेरी जाँघ पर टिका कर बैठ गयी और मेरे गाल पर किस करने लगी मेरा लंड उसके कुल्हो मे समा जाने को पूरी तरह सी बेताब हो गया था गालो पर किस के बाद उर्वशी ने अपने प्यासे लबों को मेरे लबों से जोड़ दिया और मेरी गर्दन को अपने हाथो से पकड़ कर किस करने लगी उसने अपनी जीभ मेरे मूह मे डाल दी



मैं उसकी जीभ को चूसने लगा मस्त हो गया था मैं दुनिया सच ही कहती है कि औरत के जिस्म के आगे अच्छे अच्छे लोग हार जाते है किस करते करते उसने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल डाले और फिर मेरे सीने पर किस करने लगी और किस करते करते नीचे की और जाने लगी फिर उसने मेरे पयज़ामे मे हाथ डाला और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया



और उसको अपनी मुट्ठी मे भर कर हिलाने लगी उसकी नाज़ुक उंगलियो की पकड़ लंड पर मजबूत होने लगी अब मैं दो दिन से भरा पड़ा था तो मैने सोचा य मुट्ठी मार कर ही मेरा पानी निकाल दे तो अच्छा है मैं भी थोड़ा सा मस्ती के मूड मे था तो मैने उसकी टी-शर्ट को निकाल कर फेक दिया और ब्रा के उपर से ही चूचियो मे मूह मारने लगा तो उर्वशी और भी मस्त होने लगी



कुछ ही देर मे उसकी ब्रा भी उतर गयी थी मैं उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को चूसने लगा वो मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी उसकी चूचियो की गुलाबी निप्पल्स का नमकीन स्वाद मेरे मूह मे घुलने लगा था साथ ही साथ मैं उसकी पीठ को भी सहलाता जा रहा था उर्वशी अब उठ कर खड़ी हो गयी और मुझे भी उठा कर बेड पर ले आई और मेरे पयज़ामे को सरका कर मुझे नीचे से नंगा कर दिया



और मेरी जाँघो पर बैठ कर मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी तो मैने कहा कि तुम एक हाथ से मेरी गोलियो को सहलाओ और दूसरे हाथ से इसको हिलाओ तो वो वैसा ही करने लगी मैने अपनी आँखे बंद कर ली और उन मस्ती से भरे पलों का मज़ा लेने लगा मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था तो कुछ देर बाद मैने कहा उर्वशी क्या तुम इसको अपने मूह मे लेना पसंद करोगी



उसने अपने कंधे उच्काये और कहा ओके और कुछ पल लंड के सुपाडे को सूँघा और फिर घुप से लंड को अपने मूह मे भर लिया उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ एक पल मे ही मेरा शरीर झन झना गया कितने सॉफ्ट होठ थे उसके वो अपने मूह को लंड पे उपर नीचे करने लगी उसकी गरम साँसे लंड के सुपाडे पर टकराने लगी थी मैने अपने हाथ से उसकी पतली सुरहीदार गर्देन पे दबाव बढ़ा दिया उर्वशी ने अपने गले के अंतिम छोर तक मेरे लंड को अपने मूह मे लिया हुआ था
 
थूक उसके होंठो से बह कर उसकी जाँघो पर गिर रहा था वो बस लंड को चूसे जा रही थी मैं उठ कर बैठ गया ताकि वो अच्छे से लंड को चूस सके 15-16 मिनट तक मस्ती से लंड चूस्ती रही फिर मेरा डिसचार्ज होने का टाइम आ गया था पर मैने उसको लंड पर से हटा या नही



फिर लंड से गाढ़े सफेद द्रव्य की एक मोटी धार निकली और उर्वशी के मूह मे गिर गयी उसने पहले कभी ऐसा अनुभव नही किया था तो जैसे ही वीर्य उसके गले मे उतरा वो संभाल नही पाई और उसको खाँसी आ गयी और लंड बाहर आने से बाकी वीर्य की धारे उसकी छातियो और पेट पर गिर गयी वो तुरंत बाथरूम की ओर भाग गयी मैने बेड की चादर से ही लंड को सॉफ किया



और उसके पीछे पीछे बाथरूम मे चला गया वो अपना मूह धोकर कुल्ला कर रही थी वो थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली तुम बहुत ही गंदे हो मैने कहा इसमे गंदा क्या ये तो नॉर्मल है वो बोली ऐसा भी कोई करता है क्या मैने कहा अगर मेरा मूड होता तो मैं पता नही क्या क्या करता तेरे साथ वो शरमाते हुए बोली तो कर्लो ना किसी ने रोका है क्या



फिर हम किचन मे आ गये उसने डिन्नर बनाने की तैयारी शुरू करदी मैने कहा मैं तेरी हेल्प कर देता हू वो बोली अरे नही मैं कर लूँगी थोड़ी देर ही लगेगी पर मैने कहा मैं भी खाली बैठा बोर ही तो होऊँगा चलो साथ साथ ही खाना बनाते है वो बड़ी ही निपुण लड़की थी कुछ ही देर मे दाल- चुरमे की तैयारी करदी थी उसने दाल मे सीटी लग रही थी बस चूरमा ही बनाना था



उसने रोटियो को मिक्स्सर मे ग्राइंड कर लिया था बस घी ही मिलाना बाकी था उसने देसी घी का डिब्बा निकाला और मिलाने लगी मुझसे शरारत सूझी मैने उसकी निक्कर को नीचे सरका दिया पेंटी समेत और उसको अपनी तरफ किया और उठा कर स्लॅब पर बिठा दिया वो सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी मैने घी के डिब्बे को खोला और उर्वशी के पेट पर टपकाने लगा



घी उसकी नवल से होता हुआ चूत को भिगोने लगा सर्दी थी तो घी कुछ जमा जमा सा था अब मैने उसको चाटना शुरू किया मेरे होठ पूरी तरह से देसी घी मे डूब गये थे अब मैं उसकी घी से सनी चूत पर पहुच गया था चूत के खारे पन और घी के टेस्ट केआपस मे मिक्स होने से एक अलग सा ही मज़ा आने लगा था उर्वशी ने अपनी जाँघो को मेरे सर के इर्द गिर्द लप्पेट दिया

मैं बड़े ही मज़े से उसकी चूत को चाटे जा रहा था मैं तब तक लगा रहा जब तक कि उर्वशी का ऑर्गॅज़म नही हो गया फिर वो शरमाते हुए स्लॅब से नीचे उतरी और अपनी निक्कर को पहन लिया फिर वो खाना बनाने लग गयी उसके चेहरे पर एक नया नूर आ गया था मेरा लंड चीख चेख कर उसकी चूत मे जाने को गुहार लगा रहा था और मैं उलझा पड़ा था अपनी ही उलझनों मे



ऐसा दाल चुरमा फिर ज़िंदगी मे ना मिला खाने को क्योंकि उसमे उस मर्जानी का प्यार जो मिला हुआ था अगर मेरे दिल मे घर ना कर गयी होती वो तो कसम से अब तक उसके सारे छेद खोल चुका होता पर मैं भी अपनी ज़ुबान का पक्का ही था ना चोदु तो ना ही चोदु तो इतने स्वादिष्ट भोजन के बाद नींद तो आनी ही थी उर्वशी बोली मैं तेरे साथ सो जाउ



मैने कहा आजा और हम एक रज़ाई के अंदर ही आ गये उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया और छेड़खानी करने लगी मैने कहा यार कल मुझे निकलना है तो अभी सो जा फिर थोड़ी मस्ती के बाद वो मेरे कंधे पर सर रख कर सो गयी सुबह जब मैं उठा तो वो बिस्तर पर नही थी मैने देखा तो वो किचन मे थी और चाइ बना रही थी




मैने उसको एक हल्का सा किस किया और फिर नहाने चला गया जब तक मैं आया उसने नाश्ता रेडी कर दिया था वो थोड़ी उदास लग रही थी तो मैने कहा क्या बात है उसने कहा तू आज चला जाएगा ना जाने इब कब तेरा दीदार होगा , होगा के नही होगा मैने कहा यार मैं तेरी कसम ख़ाता हू चाहे मेरी जो भी हालत हो मैं जियुं या मरूं पर तेरी एक आवाज़ पे दौड़ा चला आउन्गा ये मेरा वादा है तू जब जब पुकारे गी मैं ज़रूर आउन्गा



पर तू भी वादा कर कि अपनी लाइफ को पूरी मस्ती से जिएगी तो वो बोली जैसा तू कहे सामान तो पॅक ही था पर हर एक घड़ी बड़ी भारी भारी सी लग रही थी उर्वशी बोली मैं बस स्टॅंड आउ मैने कहा ना यार तू इधर ही रह तू साथ होगी तो जाने मे थोड़ी मुश्किल होगी मैने कहा मेरा नंबर तो है ही तेरे पास और अगर तू कभी चेंज करले तो बता दियो और हाँ बात भी कर लियो कभी कभी




बस ये कोशिश कर रहे थे महॉल को थोड़ा हल्का करने की पर दिल तो जैसी बस फटने को ही था तो आख़िर वो समय आ ही गया जब देहरादून को अलविदा कहना था अपने बॅग को कंधे पर टांगा और संदूक को सम्हाल कर उठा लिया साला फ़ौजी आदमी की सबसे बड़ी प्राब्लम यही है कि दिल पर कोई ज़ोर नही चलता बस कुछ होता है तो एक जुनून उस मिट्टी के प्रति जिसे धरती माँ कहते है
 
तो अपनी भावनाओ को काबू किया और उर्वशी का साथ छोड़ दिया वो अपने गेट पर बस रोते हुए मुझे देखती रही दिल तो रो रहा था मेरा भी पर आँखों को समझा दिया था कि एक भी आँसू नही आना चाहिए पता नही क्यो एक एक कदम लेना भारी हो रहा था पर मैं चलता ही रहा मैने गेट पर आके ऑटो लिया और चल पड़े बस स्टॅंड की ओर वहाँ जाकर एक स्लीपर बस ली और शिमला की टिकेट ले कर अपनी सीट पकड़ ली



चारो तरफ धून्ध की गहरी चादर छाई हुई थी बस चलने मे थोड़ी देर थी तो मैने सोचा कि एक चाइ ही पी लूँ तो मैं चाइ लेने चला गया जब मैं वापिस आया तो कनडक्टर ने बताया कि सर जी पूरी सीट्स फुल हो गयी है एक लेडी है शिमला तक जाएगी अगर आप थोड़ा अड्जस्ट कर्लो तो वो भी आराम से सफ़र काट लेगी मैने कहा ओके भाई कोई इश्यू नही है तू बता दे उनको



दो मिनट बाद वो एक पतली से लेडी को लेकर आया और उसको स्लीपर नंबर बता दिया बस अब चलने को ही थी तो हम अपने बॉक्स मे चढ़ गये वो लेडी थी थोड़ी पतली सी पर नैन नक्श बड़े ही काटीले थे तो बस चल पड़ी सर्दी भी साली कुछ ज़्यादा ही गजब ढा रही थी उसने कोच के पर्दे खीच लिए और अपनी साइड मे बैठ गयी मैं खिड़की से बाहर देखने लगा पर धुन्द थी तो कुछ ज़्यादा दिखाई नही दे रहा था


अब इतने दिन बिताए थे यहाँ पर और कुछ लोग भी ऐसे मिल गये थे तो दिल बड़ा भारी भारी सा हो रहा था जैसे जैसे बस आगे बढ़ रही थी लग रहा था कि जैसे मेरा कुछ पीछे छूट रहा है आँखो से आँसू छलक पड़े मैं अपनी हथेलियो से आँसू पोंछने लगा तो उस आंटी का ध्यान मुझ पर गया उसने कहा बेटे क्या बात है कुछ परेशानी है क्या



तुम रो क्यो रहे हो मैने भराई हुई आवाज़ मे कहा नही आंटी जी ऐसी कोई बात नही है बस ऐसे ही तो वो बोली तुम परेशान लग रहे हो क्या मैं तुम्हारी कोई हेल्प कर सकती हू मैने कहा थॅंक्स आंटी जी उन्होने कहा थोड़ा पानी पी लो बेहतर फील करोगे मैने बॅग से पानी की बॉटल निकाली और थोड़ा सा पानी पी लिया उन्होने कहा शिमला जाओगे मैने हम मे गर्देन हिला दी



थोड़ी देर बाद मैने मिथ्लेश को फोन लगाया तो उसका फोन ऑफ आ रहा था तो मैने रीना का नंबर मिलाया और उसको कहा कि मैं शिमला आ रहा हू तो मुझे पिक कर लेना उसने कहा कि ठीक है आप पहुचते ही फोन करदेना मैं तुरंत ही आ जाउन्गी फिर उसका हाल चाल कुछ इधर उधर की बात करने के बाद फोन रख दिया आंटी बोली पहेली बार जा रहे हो शिमला मे



मैने कहा जी हाँ कुछ दोस्त रहते है तो सोचा कि उनसे मिलता चलूं सफ़र काटना था बिना बोरियत से तो सोचा की आंटी से ही बाते कर लेता हू और हम बात-चीत करने लगे तो पता चला कि आंटी जी कॉलेज प्रोफेसर है और किसी सेमिनार मे देहरादून आई थी 6 घंटे का सफ़र था और मोसाम को देखते हुए थोड़ा लंबा ही हो सकता था आंटी थोड़ी बातुनी किसम की थी



थोड़ी देर मे मुझे भी मज़ा आने लगा था उनके साथ मैने गोर किया देखने मे ठीक ठाक ही थी मैने सोचा चूत दे दे तो थोड़ा सा मज़ा ही मिल जाए मैने सोचा ट्राइ करने मे क्या जाता है थोड़ी लाइन मारूँगा बात बनेगी तो ठीक नही तो कोई बात नही

मोसाम बड़ा ही जालिम हो रहा था आज तो बस किसी तरह से रेंग ही रही थी क्यों कि आज धुन्ध बहुत ही ज़्यादा थी जिसकी वजह से विज़िबिलिटी कम हो गयी थी आंटी बोली पता नही कब पहुचेंगे शिमला मैने कहा आप फिकर ना करे चल पड़े है तो पहुच ही जाएँगे उन्होने कहा दो दिन के लिए अपनी डॉटर को पड़ोसियो के भरोसे छोड़ कर आई हू



मैने कहा आपके हज़्बेंड नही संभाल सकते क्या तो उसने कहा कि 8 साल पहले उसने डाइवोर्स ले लिया था और वो अब अपनी डॉटर के साथ रहती है तो मैने सॉरी कहा वो बोली अरे नही ये तो लाइफ मे चलता ही रहता है शादी नही जमी तो अलग हो गये फालतू मे घिसटना क्यो मैने कहा आप काफ़ी बोल्ड बाते करती हो उन्होने जवाब दिया सेल्फ़-डिपेंडेंट औरत हू



अपना कमाती हू तो फिर डर किसका जैसे चाहे जियु उसने कहा तुम क्या करते हो मैने कहा जी कुछ खास नही तो वो बोली पर कुछ तो करते होगे मैने कहा जी आर्मी मे लेफ्टिनेंट हू अभी ईमा से पस्सौउट किया है तो वो बोली वेरी गुड ब्रावो सच्ची बताऊ लाइफ मे पहली बार किसी सोल्जर से मिली हू उन्होने कहा आर्मी लाइफ बोरिंग होती है ना मैने कहा जी ये किसने कह दिया आपसे



वो बोली ऐसा ही तो होता है साल साल मे छुट्टी मिलती है और हर टाइम बस रूल्स रूल्स मैने कहा हाँ थोड़ी बहुत प्रॉब्लम्स तो हर फील्ड मे होती है पर ठीक है वो मुस्कुरा दी शाम के 6:30 हो गये थे डेढ़ घंटा हो गया था बस को चले हुए पर कुछ ख़ास्स दूरी तय ना कर पाए थे मैने बॅग से सॅंडविच निकाले और आंटी को भी ऑफर किए
 
खाने के बाद फिर से हमारी गुफ़्तुगू स्टार्ट हो गयी मैने ताड़ लिया था कि आंटी थोड़ी सी फ्रॅंक औरत है तो ट्राइ किया जा सकता है और वैसे भी लंड को हर जगह बस चूत ही चूत नज़र आया करती है फिर वो कोई बुक पढ़ने लगी मैने भी इयरफोन कानो मे लगाया और म्यूज़िक सुनते हुए आँखो को बंद कर लिया पता नही कब नींद के आगोश मे चला गया



जब मेरा लटका टूटा तो देखा कि बाहर अंधेरा पूरी तरह से छा गया था मैने कलाई घड़ी मे टाइम देखा तो 9 बज गये थे मैने ईक अंगड़ाई ली आंटी एक कुंबले ओढ़ कर लेटी हुई थी मैने कहा कहीं रुकेगी क्या रास्ते मे वो बोली रुकनी तो चाहिए मैं कॅबिन से नीचे आया और संदूक से अपना स्लीपिंग बॅग लेकर वापिस चढ़ गया पर वो कॅबिन के हिसाब से काफ़ी बड़ा था तो मेरे लिए प्राब्लम खड़ी हो गयी



ठंडी का मोसम और रात का सफ़र अब मैं क्या करू मेरी परेशानी देख कर आंटी बोली कि तुम मेरे साथ कंबल शेर कर्लो आधा रास्ता तो कट ही गया है आओ मेरे साथ अड्जस्ट हो जाओ मैने उनको थॅंक्स कहा और उनके कंबल मे घुस गया गरम कंबल के अंदर जाते ही सच मे काफ़ी अच्छा महसूस हुवा आंटी और मेरा जिस्म एक दूसरे से रगड़ खाने लगा



हम दोनो आराम से लेटे हुए थे कुछ पल शांत रहने के बाद मैने ट्राइ करने का सोचा मैने अपना हाथ उनके पेट पर रख दिया और उसको सहलाने लगा उनकी तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही हुआ पर ये पक्का था कि वो भी जाग ही रही थी क्योंकि हमे लेटे कुछ ही देर हुई थी कुछ देर उनके पेट को सहलाने के बाद मैने डाइरेक्ट्ली उनके बोबे पर हाथ रख दिया



और उसको धीमे धीमे से दबाने लगा आंटी की हालत टाइट होने लगी उनकी सांस एक दम से ही गरम हो गयी थी पर उनकी तरफ से अभी कोई रिक्षन नही था मैं धीरे धीरे उनकी चूची को दबाता रहा कुछ ही देर मे चूची की निप्पल्स तन गयी मैं अपना हाथ नीचे ले गया और साड़ी के उपर से ही चूत को दबा दिया अब आंटी फुसफुसाती हुए बोली ये तुम ये तुम क्या कर रहे हो



मैने आंटी का हाथ पॅंट के उपर से ही अपने लंड पर रखते हुए कहा कि कुछ नही आंटी जी ठंड कुछ ज़्यादा है तो बस गर्म होने की कोशिश कर रहा था आंटी ने लंड से हाथ हटा लिया और बोली चुप चाप सो जाओ वरना मैं शोर मचा दूँगी मैने कहा आंटी इतनी देर से बोबे मसलवा रही थी तभी क्यो नही मचाया शोर और दुबारा से उनके हाथ को अपने लंड पर रख दिया



उन्होने इस बार हाथ नही हटाया मैने कहा आंटी ऐसा चान्स कभी कभी ही मिलता है थोड़ा एंजाय कर्लो वो बोली पर पर…………….. मैं कहा पर वर कुछ नही आंटी जी मोसम भी मेहरबान है और आप भी कितनी हसीन हो कहते कहते मैं उनकी चूत पर अपने हाथ का दबाव बनाने लगा थोड़ी देर बाद वो भी गरम होने लगी मैं बोला तो क्या ख़याल है आपका उन्होने कुछ नही कहा पर मेरी पॅंट की ज़िप को खोल दिया ये उनका ग्रीन सिग्नल था



मैं तुरंत ही उनके उपर आ गया और उनके होटो पे किस करने लगा मैं बारी बारी से उनके गले, गालो और होंठो पर किस करने लगा आंटी फुसफुसाते हुए बोली नॉटी बॉय दाँत से मत काटो निशान लग जाएगा तो मैं वक़्त की माँग को समझते हुए थोड़ा कम जोश दिखाने लगा और बस अब उनकी लिप्स ही चूस रहा था कुछ चलती बस के हिचकोलो से भी मज़ा आ रहा था



जब मेरा मन उनके होंठो से भर गया तो मैने उनकी स्वेटर को उतार दिया और ब्लाउस को खोल के ब्रा भी उतार दी अब वो उपर से पूरी नंगी हो चुकी थी मैं टूट पड़ा उनकी चूचियो पर इतनी मोटी चूचिया तो नही थी पर ठीक थी अपना काम बन रहा था तो मैं उस आंटी के बोबो को मसल मसल के पीने लगा आंटी मस्त होने लगी और मचलने लगी



एक तो सर्द मोसम और उपर सी चलती बस मे चुदाई करने का मौका सीन बन गया था बोबो को अच्छे से निचोड़ने के बाद मैने अपना हाथ उनकी साड़ी मे घुसा दिया और होत अपने लबों से लगा दिए उनकी पतली पतली जाँघो को मैं सहलाने लगा आंटी ने अपनी जीभ मेरे मूह मे सरका दी और मज़ा लेने लगी मैं अपने हाथो को जाँघो पर फिराते फिराते उनकी जाँघो के जोड़ की तरफ बढ़ने लगा

अपनी साली किस्मेत भी सच मे भी कमाल थी जिस भी चूत को पाने की ख्वाहिश हुई वो आगे से ही मिल गयी तो मैने अपना हाथ अब पेंटी के उपर से चूत पर रख दिया और उसको मुट्ठी मे भर के मसल्ने लगा जबकि उपर आंटी पूरे मज़े से अपने होठ चुस्वा रही थी मैने उनकी साड़ी और पेटिकोट कमर तक उपर कर दिए और पेंटी की एलास्टिक मे अपनी उंगलिया फसा के उसको सरकाते हुए निकाल दिया


नीचे से अब आंटी नंगी हो चुकी थी चूत पर बेहद ही महीन बाल थे चूत से रिस्ते झरने की वजह से मेरी हथेली पूरी तरह से गीली हो गयी थी तो मैने अपनी पॅंट और कच्चा उतार दिया अब हालत कुछ यू थे कि मैं आंटी की चूत से खेल रहा था और वो मेरे लंड से कुछ देर की खेल खिलाई के बाद मैने उनकी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पर रखा और आंटी की चूत मे लंड को डाल दिया



आंटी धीमे से बस इतना ही बोलिकी आअहह थोड़ा आराम से पर अपना भी पक्के वाले हमारे लिए तो आराम तो वैसे भी हराम ही था तो दो पेल मे लंड को आंटी की चूत मे अच्छे से फिट कर दिया और आंटी को कहा कि तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने को दोनो ओर के पर्दे लगे हुए थे तो को चिंता वाली बात थी ही नही मैं धीरे धीरे से लंड को आगे पीछे करने लगा
 

जब जब मैं पेल मारता आंटी की चूचिया उपर को उछलती तो बड़ा अच्छा लगता मुझे कुछ देर उसी पोज़ मे चोदने के बाद मैं उनके उपर आ गया और उनके चेहरे को चूम ते हुए उनकी चूत मारने लगा आंटी की चूत काफ़ी तंग थी और लंड को खुल के घूमने का रास्ता नही दे रही थी तो चुदाई का आनंद डबल हो गया था क्यों कि मुझे पूरा ज़ोर लगाना पड़ रहा था



दो जिस्म एक दूसरे मे समा गये थे पूरा दम लगाते हुए मैं अपने लंड को आंटी की चूत की तंग गलियो मे घुमा ले रहा था और वो हौले हौले से सिसकारिया लेते हुए चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी उनकी चूत ने लंड को बहुत ही बुरी तरह से अपने शिकंजे मे कस रखा था जिस से मुझे भी बड़ा अच्छा अनुभव हो रहा था बस अपनी गति से चल रही थी और हमारी चुदाई अपनी गति से



अब मैं उनके उपर से हटा और उनको घोड़ी बना दिया दो चार चुंबन उनके कुल्हो पर अंकित किए और अपने लंड को चूत से लगा के एक पेल मार दी आंटी का बदन थोड़ा सा आगे की ओर हो गया और वो और भी झुक गयी मैने मजबूती से उनकी कमर को थाम लिया और उनको बुरी तरह से चोदने लगा उनकी सांसो की रफ़्तार भी बढ़ गयी थी घप घप मेरी गोलियाँ उनके चुतडो से टकरा रही थी



आंटी अपनी दोनो जाँघो को आपस मे चिपका कर घोड़ी बनी हुई थी तो चूत जैसे चिपक सी गयी थी मैं बड़े ही मज़े से उनकी चुदाई कर रहा था आधे घंटे तक बहुत मस्त चूत मारी उनकी और फिर लगभग लगभग हम दोनो आगे पीछे ही झाड़ गये मैने अपना पूरा वीर्य आंटी की चूत मे उडेल दिया और उनको अपनी बाहों मे लिए लिए ही लेट गया



कुछ पल लेटने के बाद मैं उनके उपर से हटा तो लंड भी चूत से बाहर निकल आया आंटी ने अपने रुमाल से चूत को सॉफ किया और मुझे बोली तुम्हे ये नही करना चाहिए था मैने कहा पर आपको भी तो मज़ा आया ना फिर वो कुछ ना बोली वो बोली अगर मैं शोर मचा देती तो मैने कहा वो भी देखते शिमला आने मे अभी थोड़ी देर थी मैने उनको अपनी गोदी मे खीच लिया



आंटी ने मेरे लंड को अपनी गंद की क्रॅक के बीच मे फिट किया और मेरी गोद मे बैठ गयी मैने अपने हाथो से उनकी गर्दन को थामा और अपने लबों को एक बार फिर से उनके रसीले होंठो पर लगा दिया और मिठास को पीने लगा उनकी थिरकति गान्ड के स्पर्श से लंड भी अपना सर उठाने लगा एक मजेदार किस के बाद मैने उनकी चूची को मूह मे भर लिया और अपने हाथो से उनकी पीठ को सहलाने लगा



सर्दी मे जिस्म की गर्मी से अच्छा कुछभी नही हो सकता है तो हमारा खून फिर से गरम होकर दौड़ने लगा आंटी थोड़ा सा उठी और मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर उस पर बैठती चली गयी कुछ ही पलों मे पूरा लंड उनकी चूत मे था और उनके चूतड़ मेरी जाँघो से आ लगे थे उन्होने अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और अपनी गान्ड को मटकाने लगी



मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनके कुल्हो को सहलाने लगा अब वो थोड़ा सा उपर उठती और फिर झट से वापिस नीचे आ जाती हौले हौले से उपर नीचे होते हुए वो चुदने लगी थी मुझे बड़ा जोश चढ़ गया था मैं अपने दाँतों से उनके कंधो और स्तनो पर काटने लगा था तो वो भी सिसकारिया लेने लगी थी चुदाई का रंग अब हवा मे पूरी तरह से घुल चुका था



उनको भी ऐसी मस्ती चढ़ि थी कि वो अब गोदी से उतरने की जैसे भूल ही गयी थी पर समय की माँग को देखते हुए मैने उनको लिटाया और उनके उपर चढ़ गया अब दोनो तरफ से ज़ोर लग रहा था मेरे हर शॉट के जवाब मे वो भी अपने चूतड़ उचका रही थी पच पुच की आवाज़ कॅबिन मे गूँज रही थी वो मेरे शोल्डर पर लव बाइट बनाने लगी
 
आंटी की चिकनी चूत मे लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था उस सर्द मोसम मे भी हमारे बदन से पसीना टपक रहा था हमारे होठ एक दूसरे के साथ लॉक हो गये थे ना वो हटने को तैयार थी ना मैं, मैं अब पूरा दम लगा कर उनको चोदने लगा था आंटी का बदन अब रेल बन गया था और फिर एक आह के साथ ही उनका बदन शांत पड़ गया और वो खल्लास हो गयी मैने थोड़ी देर और लगाई और फिर मैं भी झाड़ गया

जब हवस का तूफान शांत हुवा तो मैने अपने कपड़े पहन लिए आंटी भी तैयार हो गयी मंज़िल अब आने ही वाली थी जब बस शिमला मे रुकी तो सुबह के तीन बज रहे थे बस से उतरते ही गान्ड जैसे फट ही गयी इतनी जोरदार धुन्ध थी कि क्या बताऊ मैं सोचा कि ये बस का ड्राइवर यहाँ तक ले कैसे आया आंटी बोली मेरे घर चलो सुबह चले जाना जहाँ जाना है



पर मैने मना कर दिया क्योंकि अब दिल मे तलब लग गयी थी प्रेयसी के दीदार की तो आंटी तो अपने रास्ते निकल गयी मैने मिता को फोन किया और कहा कि मैं शिमला आ गया हूँ वो बोली मेरा वेट करो मैं थोड़ी देर मे आती हू ठंड से बदन कांप रहा था तो मैने सोचा कि एक चाइ ही पी लू गरम चाइ की चुस्कियो ने तो इस सर्दी मे समा बाँध दिया जैसे



मैं उसका इंतज़ार करने लगा कोई पोने घंटे बाद वो आ ही गयी उसने मुझे फोन किया कि कॉन सी साइड मे हो तो मैने बता दिया कुछ मिनट बाद मिता मेरे पास थी मेरी आँखो के सामने मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया दिल को ठंडक सी मिली उसने कहा की ठंड बहुत है आओ जल्दी से चलो मैने कहा भूख लगी है यहीं कुछ खा- पी लेते है



वो बोली मेरे रूम पर क्या कुछ नही मिलेगा तुमको और वो मुझे खीचते हुए बाहर रोड पर ले आई टॅक्सी की और हम आधे घंटे बाद उसके रूम पर थे एक कमरा और रसोई का सेट लिया हुवा था उसने किराए पर जिसमे वो और रीना रहती थी मैने पूछा रीना कहाँ है तो उसने बताया कि तुम आने वाले थे तो वो किसी दूसरी फ्रेंड के साथ अड्जस्ट हो गयी है



मिटा बोली तुम बैठो मैं रोटी बना ती हू मैने कहा ना रहने दे अभी 4 तो बजे गये है मैं थक सा गया हू तो सो जाउ वो बोली जैसे तेरी मर्ज़ी उसके पास एक ही बड़ा गद्दा था जो फर्श पर डाल के बिस्तर बनाया हुआ था मैं कन्फ्यूज़ सा हो गया तो वो बोली क्या सोच रहे हो मैने कहा मैं कहाँ सोउंगा तो वो बोली हम यही सोएंगे और कहाँ



मैने कपड़े चेंज किए और रज़ाई मे घुस गया मिता भी मेरे पास ही लेट गयी आज ये पहला मोका था जब हमे यू साथ रहने का मोका मिला था मिथ्लेश ने अपना सिर मेरे सीने से टिका दिया और बोली कुछ दिन रुकोगे ना मेरे साथ मैने कहा 2 दिन है फिर रिपोर्टिंग करनी है वो बोली अपना साथ हमेशा ऐसे ही क्यो होता है मैने कहा मैं क्या जानू



और सच भी था ना जाने कैसा ये मिलन था हमारा दो पल साथ रहते फिर लंबी जुदाई हो जाती थी पर फिर भी दिलो से प्यार कभी ना कम हुआ मिता का चेहरा दमक उठा था वो थोड़ा सा और मेरी तरफ सिमट आई और मेरे सीने पर अपना सर टिका लिया मैं उसकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा खामोशी थी पर उसमे भी कुछ अनकहे ज़ज़्बात बोल रहे थे
 
कुछ सफ़र की थकान भी थी तो बाते करते करते ना जाने कब नींद आ गयी पता ही नही चला जब मैं सोकर उठा तो दोपहर के 11 बज रहे थे टेबल पर एक चिट रखी थी मैने देखा मिता का मेसेज था कि वो कुछ ग्रोस्सरी का समान लेने मार्केट तक गयी है जल्दी ही वापिस आ जाएगी अब कुछ काम भी नही था और मेरा बदन भी अलसाया था



तो मैं फिर से बिस्तर मे घुस गया और जल्दी ही एक झपकी आ गयी फिर होश तब आया जब मिथ्लेश ने मुझे जगाया वो बोली कितना सोते हो तुम , तुम यहाँ मेरे लिए थोड़ी आए हो तुम तो बस सोने आए हो मैने कहा जान ऐसी बात नही है वो तो मैं ऐसे ही सो गया था उसने कहा उठ जाओ मैं तुम्हारे लिए चाइ बनाती हू मैने कहा जो हुकुम सरकार



करीब आधे घंटे बाद मैं चाइ-नाश्ता कर रहा था सफेद कलर मे मिता और भी निखार गयी थी मेरी नज़र उस पर से हट ही नही रही थी वो बोली मुझे यू ना देखो शरम आती है मैने कहा लो अब अपनी दिलरुबा को देखने का हक़ भी नही है क्या तो वो बोली तुम्हारी नज़र मेरे दिल को चीर जाती है कुछ कुछ होने लगता है मुझे मैने कहा क्या होता है मुझे भी बताओ ज़रा



वो शरमाते हुए बोली क्या तुम भी फिर उसने मुझे जल्दी से नाश्ता ख़तम करने को कहा वो बोली आज मैं तुम्हे शिमला घुमाती हू पर मैने मना करते हुए कहा कि डार्लिंग मैं तो बस तुम्हारा ही दीदार करना चाहता हू वो बोली जी हुज़ूर मैं कुर्सी पर बैठा था जब वो मुड़ने लगी तो मैने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खीचा तो वो मेरी गोद मे आ गिरी




ये पहला मोका था जब वो इस तरह से मेरे करीब थी दो पल के लिए जैसे सब कुछ ठहर सा गया हो उसने उठने की कोई कोशिश नही की मेरा एक हाथ उसके पेट पर था और दूसरा हाथ उसके कंधे पर था अक्सर होता यू था कि हम बस खामोश हो जाया करते थे और हमारी धड़कने ही बाते किया करती थी मैं अपना हाथ उसके बालों तक ले गया और



उसके बालो से रब्बर को हटा दिया उसकी जुल्फे खुल कर बिखर गयी कमर तक आते उसके बाल मुझे बड़ा ही सम्मोहित करते थे मैं अपने हाथ से उसकी गर्दन को सहलाने लगा मिता के माथे पर पसीना छलक आया वो धीमे से बोली छोड़ो मुझे जाने दो पर मैने कुछ ना कहा उसके बदन की महक मुझे रोमांचित करने लगी थी मिता उठने लगी तो मैने उसको फिर से बिठा लिया



मुहब्बत की चिंगारी मे शोले अब भड़कने लगे थे मिता का शरीर हल्का हल्का सा काँपने लगा था वो बोली मुझसे दूर हटो कही मैं बहक ना जाउ वो उठी और थोड़ा सा दूर जाकर खड़ी हो गयी मैं उठा और उसके पास जाकर उसको अपनी बाहों मे भर लिया ये कैसी घड़ी थी दिल मे आरमनान तो कई थे पर ज़ुबान खामोश थी मिता की साँसे भारी हो रही थी



वो मेरे आगोश मे थी दो दिल एक धड़कन हो रहे थे मिता और मैं अब बिल्कुल चुप-चाप एक दूसरे की बाहों मे जकड़े हुए खड़े थे समझ नही आ रहा कि उन लम्हो का वर्णन कैसे करू मैं शब्द ही नही मिल रहे है मुझे उस पल को बस मैं जीना चाहता था अनंत काल तक इतना ही कह सकता हू उस सर्द मोसम मे जैसे आग लगने ही वाली थी कि किसी ने बाहर से दरवाजा खड़खड़ा दिया

बड़ी ही नज़ाकत के साथ वो मुझसे अलग हुई और दरवाजे की तरफ बढ़ गयी पता चला कि रीना आई थी उसने मुझे हाई-हेलो किया और फिर हाल चाल पूछा ना जाने क्यो मिथ्लेश के गाल लाल हो गये थे शायद इसलिए कि ऐसा कभी मोका नही मिला था की जब हम दोनो यू साथ रह सके और वैसे भी जवान जिस्मो की आग को भड़कने मे ज़्यादा देर कहाँ लगा करती है



कुछ देर बात करने के बाद रीना ने कहा कि भाई आप दोनो यहाँ रहो जब तक आप हो मैं अपनी फ्रेंड के पास रह लूँगी बस कुछ सामान लेने आई थी आप अपना टाइम एंजाय करो और अपना सामान लेकर चली गयी अब बचे हम दीवाने दो दोपहर बीतने को ही थी मिता बोली कुछ खाओगे क्या तो मैने कहा जो मर्ज़ी खिला दो मेहमान है तुम्हारे तो वो बोली की तुम मेहमान कहाँ हो तुम तो मेरा ही एक हिस्सा हो



कसम से टच कर गयी उसकी ये वाली बात उसकी ये बात ही तो मुझे मार गयी थी उसकी सादगी ही उसकी खूबसूरती थी जिस पर मैं मर मिटा था मैने कहा मिथिलेश तो अब हमारे फ्यूचर का क्या सोचा है मैं चाहता हू कि जल्दी से जल्दी हम शादी करले अब मुश्किल है तुम्हारे बिना रहना तो मिता बोली की उसने कई जगह इंटरव्यूस दिए है और जल्दी ही उसकी जॉब भी लग जाएगी



जॉब लगते ही वो अपने घरवालो से खुल के बात कर पाएगी तो मैने कहा ठीक है पर इस साल हम शादी कर ही लेंगे वो बोली हम बाबा हम ज़रूर फेरे लेंगे और मुस्कुरा पड़ी उसकी मुस्कान मे जादू था जब भी वो मुस्कुराती थी तो मैं जैसे सब कुछ भूल जाता था जी करता था कि बस हमेशा उसे यू ही मुस्काता हुआ देखता ही रहूं खैर, कुछ देर बाद वो बोली आओ बाहर चलते है



शाम भी हो ही गयी थी तो हम दोनो तैयार होकर घर से बाहर चल पड़े मेरे लिए तो अंजाना सहर था तो उस पर ही छोड़ दिया जहाँ वो ले जाए वही सही मिथ्लेश सबसे पहले मुझे जाखू टेंपल ले गयी पहली नज़र मे ही इस सहर की खूबसूरती मेरे दिल मे उतर गयी थी कुदरत की हर रंगीनी यहाँ थी दिल को आराम सा मिलता था यहा पर प्रकृति से जुड़ने का मौका



सफेद बरफ से ढके हुए रास्ते हमने दो कप चाइ ली और चलते चलते ही एंजाय करने लगे मिता के साथ बड़ा ही ख़ुशगवार लग रहा था मोसम भी जैसे आज मिता के मिज़्ज़ाज़ के अनुसार चुहलबाजी करने को तैयार था शिमला मे जो चीज़ सबसे अच्छी लगी वो थे माल यहाँ पर बहुत सी शॉपिंग की हमने प्लान तो था कि पूरा शिमला ही नाप दूं पर समय नही था मेरे पास
 
मैने मिता से कहा कि अपना हनी-मून हम शिमला मे ही मनाएँगे तो वो शरमा गयी और बोली कि पहले शादी तो कर्लो मैने कहा शादी के लिए मैं तो तैयार हू चाहो तो आज ही कर्लो आओ इसी मंदिर मे कर लेते है वो कहने लगी कि ऐसे कैसे कर लूँ शादी मुझे दुल्हन बनाना है तो मेरे घर बारात लेकर आना फिर मुझे ले जाना मैं कहा कि तुम्हारी तरफ से ही देर हो रही है



वरना मैं तो कब से तैयार हू मिता ने अपनी बाहें मेरे गले मे डाली और कहने लगी की मैं भी तो तैयार ही हू ना जल्दी से वो घड़ी आ जाए जब मैं दुल्हन बन कर तुम्हारे घर आउन्गि हर रात जब मैं सोती हू तो बस यही एक सपना देखती हू की कब तुम्हारे नाम की मेहन्दी मेरे हाथो से सजेगी मैने उसको अपने से चिपकते हुए कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्दी ही अपनी मुराद भी पूरी होगी



रात अपने रंग मे रंग चुकी थी पर दो दीवाने सहर की गलिया नाप रहे थे मैं स्ट्रीट पर एक फेमस ढाबा था मिता अक्सर वहाँ जाती रहती थी तो हमने अपना डिन्नर वही करने का प्लान बनाया सच मे कसम से क्या टेस्ट था वहाँ के फुड का और उपर से मिता का साथ आधी रात होने को आई थी पर हम दोनो भटक रहे थे अंजानी गलियो मे



हल्की हल्की बरफ की चादर सड़को पर जैसे बिछ गयी थी मोसम भी आज जैसे कुछ कहना चाह रहा था मैं उस मर्जानी का हाथ थामे चल रहा था सर्द ठंडी रात मे उसकी दहक्ति सांसो की तपिश मेरी रूह को बड़ा आराम दे रही थी आज भी नही भुला हँ मैं शायद रात का 1 बजा था वो कोई चर्च था जिसके पास वाली गली मे मैने मिता का हाथ पकड़ा था
 
अंधेरी गली थी दूर किनारे पर एक लॅंप पोस्ट जल रहा था मेरे हालत बेकाबू होने लगे थे मैने मिता को अपनी ओर खीचा और अपने सीने से लगा लिया उसकी साँसे राजधानी एक्सप्रेस से भी ज़्यादा तेज गति से दौड़ रही थी मेरी बाहों मे झूलते हुए उसने कुछ कहना चाहा पर मैने उसके होंठो पर उंगली रख कर उसको चुप रहने को कहा



मैने मिता की कमर मे हाथ डाला उसने अपनी गर्देन थोड़ा सा उपर को उठाई और उसी पल मैने अपने प्यासे होठ उसके अनछुए लबों पर रख दिए दूर कही एक बिज़्ज़ली काड्की मिता और भी मुझ से लिपट गयी फिर क्या हुआ कुछ याद ना रहा मेरी दुनिया जैसे रुक ही गयी थी ये मेरे जीवन मे पहला मोका था जब मैने मिता को यू छुआ था ये हमारा पहला किस था



जो चिंगारी कही दबी पड़ी थी आज वो जैसे आग ही बन गयी थी ना जाने कब तक मैं उसको चूमता ही रहा अब हाई होश किसे अब हाई चैन किसे किसी मोम की गुड़िया की तरह मिथ्लेश मेरी बाहों मे जैसे पिघल ने लगी थी मैं इस अंधेरी रात मे अपनी प्रेयसी को बाहों मे थामे अंजनी गली मे खड़ा था मेरे पास शब्द ही नही है उन लम्हो को लिखने को


बस कुछ यादे ही बची है खैर , कुछ देर बाद मैं उस से अलग हुआ हमारी साँसे अब बहुत ही तेज़ गति से चल रही थी ना जाने क्यो वो और भी प्यारी लगने लगी थी मिता मूडी और कुछ कदम आगे की ओर चल पड़ी मैं वही रुका रहा तभी मैने उसको पुकारा मिता रुकी पीछे की ओर मूडी और भागकर मेरी बाहों मे समा गयी उसकी इस अदा ने तो साला कलेजा ही निकाल लिया मेरा एक पल मे

उस टाइम ना वो अपने आपे मे थी ना मैं कुछ होश मे था मुहब्बत बरस रही थी चारो तरफ मुझसे रुका ही नही गया मैं फिरसे अपनी प्रेयसी को चूमने लगा उसके सुर्ख होंठो से जैसे आज रस बह चला था मुहब्बत जैसे खुद आज मुझे इश्क़ का जाम परोस रही हो मैं मिता की गर्दन, गालो और होंठो पर चुंबनों की बरसात करने लगा



वो बस मेरे आलिंगन मे मचलती रही जब कुछ खुमारी टूटी तो हमने अपने आप को संभाला मिता ने शरम के मारे अपनी गर्दन झुका ली अब हम दोनो शांत थे तो मैने चुप्पी तोड़ ते हुए कहा कि आओ घर चलते थे रात भी काफ़ी हो गयी थी घर वहाँ से ज्यदा दूर नही था तो हम पैदल पैदल ही चलते हुए घर पहुच गये मिता थोड़ी चुप चाप सी थी



मैने कहा क्या हुआ तो वो कुछ ना बोली मैने उसके चेहरे को उपर किया और फिर से पूछा तो उसने बताया कि पहली बार किस किया तो थोड़ा सा अजीब लग रहा है मैने कहा इसमे अजीब क्या है वो और मैं बिस्तर पर पास पास बैठे हुए थे वो बोली कुछ दिन रुक जाते तो अच्छा रहता मेरा मन भी लगा रहता मैने कहा जान क्या करू मजबूरी है जाना तो पड़ेगा



वो मेरी गोद मे सर रख कर लेट गयी मैं उसकी ज़ुल्फो को सहलाने लगा रात धीमे धीमे बीत रही थी अगली सुबह मुझे निकल जाना था तो मैं भी थोड़ा उदास हो रहा था मैं तो अपनी ज़िंदगी का हर लम्हा बस मिथ्लेश की बाहों मे ही बिताना चाहता था पर चाह कर भी हम साथ टाइम गुज़ार नही पाते थे मिता बोली कश्मीर सेन्सिटिव इलाक़ा है तुम अपना ख़याल रखना



मैं कहा डार्लिंग फ़ौजी की जिंदगी तो भगवान भरोसे है और जब तेरी दुआए साथ है तो फिर मुझे क्या हो सकता है तू बस आवाज़ देना मैं दौड़ा चला आउन्गा बात करते करते मैं मिता के पेट पर अपनी उंगलिया फिराने लगा वो बोली मुझे टच ना करो प्लीज़ मुझे कुछ कुछ होता है मैने कहा होने दो तो वो बोली कि पहले शादी कर्लो फिर कितना भी टच करना मना नही करूँगी



और मुझसे दूर हो गयी आँखो मे नींद तो थी पर कुछ और बाते करना चाहता था तो उस रात बस एक दूसरे की बाहों मे बाते ही करते रहे सुबह हुई तो मैने अपना सामान पॅक कर लिया मिता बहुत ही उदास फील कर रही थी दिल तो मेरा भी नही कर रहा था पर जाना तो था ही तो दो रोटी उसके हाथ की ख़ाके मैं निकल पड़ा एक नये सफ़र की ओर



दिल भारी भारी हो रहा था पर क्या करता कुछ सफ़र बीता था कि उर्वशी का कॉल आ गया पहले तो उसने कल गालियाँ बकि फिर पूछा कि दो दिन से फोन क्यू नही किया तो उसको सिचुयेशन समझाई पर वो कहाँ समझने वाली थी तो लगी रही अपनी धुन मे वो बोली तू वापिस आजा मेरा दिल नही लग रहा है अब उसको कॉन समझाए कि अपना देहरादून से बसेरा छूट गया था



ज़िंदगी भी क्या हो गयी थी अब कुल मिला के तीन लड़किया आ गयी थी जो मेरे दिल के बहुत ही ज़्यादा करीब थी एक मिता, दूसरी निशा , और लास्ट मे उर्वशी निशा की याद आते ही दिल जैसे तड़प उठा ना जाने कहाँ खो गयी थी वो पता नही क्या हालत होंगे उसके यही सोचते सोचते ना जाने कब आँख लग गयी सफ़र भी लंबा था तो सोते सोते ही कटा
 
ज़िंदगी मे पहली बार भारत के स्वर्ग जाने का मोका मिला था तो एक दिन जम्मू ट्रेसिट कॅंप मे रहने के बाद आर्मी गाडियो मे थका देने वाला सफ़र करके आख़िर मैं श्रीनगर पहुच ही गया बला का खूब सूरत सहर था आरआर मे पहुचने के बाद अपने डॉक्युमेंट्स जमा करवाए दो दिन बाद मुझे ओफ्फिसीयाली ड्यूटी संभालनी थी बंदा अब लेफ्टिनेंट जो हो गया था



पहले दिन अपने सीनियर के साथ जाकर उस पोस्ट का नज़ारा देख लिया जहाँ अपने को अब ड्यूटी पे तैनात होना था श्रीनगर का लाल चौक पता चला अक्सर यहाँ कुछ ना कुछ होता ही रहता था कभी कुछ स्टूडेंट्स मार्च करते तो कभी कुछ मार्केट के दुकानदार तो कभी मिलितंट्स आकर बम ब्लासटिंग कर जाते थे ड्यूटी का पहला दिन था मेरी 6 बन्दो की टीम थी



एक घर के बाहर वाले हिस्से मे छोटी सी पोस्ट बना रखी थी यहाँ से पूरे एरिया का नज़ारा दिखता था तो अपनी 24 अवर्स की ड्यूटी इधर ही थी खाना पीना इधर ही आ जाता था एक दो दिन तो शान्ती से गुजर गये पर इधर ज़्यादा दिन शान्ती नही चलती थी उस दोपहर लंच के बाद मैने कमॅंड संभाली ही थी कि हमारी पोस्ट से कोई 200 मीटर दूर एक वन मे ब्लास्ट हो गया



चारो तरफ अफ़रा तफ़री मच गयी हमने तुरंत अपनी पोज़िशन संभाली 3-4 मिलिटेंट्स थे मेरी पूरी टीम स्ट्राइक पोज़िशन मे आ गयी काफ़ी भीड़ थी तो बहुत प्राब्लम हो गयी थी कॅप्टन सर ने क्लियर कर दिया कि सिविलियल्न्स को बचा के कही बाद मे पंगा ना हो जाए चारो तरफ धुआ, धूल थी पर फिर भी जैसे तैसे करके 1 बंदे को तो पकड़ ही लिया


ये मेरा पहला ओप्रेशन था साला ट्रैनिंग मे तो ये सब बताया ही नही जाता था मेजर साहिब सच ही कहा करते थे कि रियल टाइम मे सिचुयेशन बहुत ही अलग होगी मैं बहुत ही ज़्यादा घबरा गया था क्योंकि इस से पहले मैने तो किसी को थप्पड़ भी नही मारा था मेरी गान्ड फट के हाथ मे आ गयी थी पर ये तो आर्मी वालो की रुटीन लाइफ थी यहाँ पर



धीरे धीरे माहौल मे मैं भी अड्जस्ट होने लगा कुछ दिन और गुजर गये अब मेरी पर्मनेंट ड्यूटी इधर ही थी मुझ मे भी अब कॉन्फिडेन्स आने लगा था एक बार हालत को समझ लो तो ज़्यादा दिक्कत नही आती है वैसे भी तो दिन कट रहे थे मैं छुट्टी के लिए अप्लाइ करना चाहता था पर बात नही बन रही थी ऐसे ही 20 दिन गुजर गये थे



जिस घर के पास हमारी पोस्ट थी वो एक स्कूल टीचर का घर था और घर मे कुल 3 लोग ही थे सलीम साहिब, उनकी वाइफ रहमत और एक बेटी ज़ोया जो कॉलेज स्टूडेंट थी काफ़ी अच्छे ज़िंदा दिल लोग थे हमारी पोस्ट की वजह से उनको अक्सर परेशानी उठानी पड़ती थी पर कभी कुछ शिकायत नही किया करते थे

दो चार दिन और ऐसे ही गुजर गये कभी कभी रहमत आंटी चाइ वग़ैरा पिला दिया करती थी ड्यूटी भी बस घिसट ही रही थी मुझे जल्दी थी छुट्टी लेने की क्यों कि चाची को बच्चा भी होने वाला ही था मैं घर जाना चाहता था अब पर बात नही बन रही थी मैं भी परेशान हो चला था सीओ साहिब से बात की तो उन्होने कहा आजकल हालत थोड़े टाइट है थोड़े दिन बाद तुम्हारी छुट्टी सॅंक्षन हो जाएगी



कभी कभी मिथ्लेश से बात करता तो मन हल्का हो जाता था उर्वशी के फोन अब कम आते थे उसके फाइनल एग्ज़ॅम्स स्टार्ट हो गये थे तो वो भी बिज़ी ही हो गयी थी घर से रोज ही फोन आता था वो बस चाहते थे कि मैं जल्दी से जल्दी घर आउ पर अपनी मजबूरी कोई ना समझे उन दिनो घाटी मे हालत वास्तव मे बहुत ही ज़्यादा मुश्किल थे हर तरफ बस डर का माहौल था रोज कही ना कही फोजी मूव्मेंट चलती ही रहती थी



लाल चॉक पे एक चाइ नाश्ते की छोटी सी दुकान थी जिसे एक औरत चलाया करती थी उसका नाम तो पता नही था पर थी बला की खूब सूरत 28-29 साल की माशाअल्लाह क्या खूबसूरती थी उसकी जैसे कि मलाई वाले दूध मे किसी ने केसर मिला दिया हो कभी कभी मैं उसकी दुकान पर चाइ पीने चला जाया करता था कश्मीरी मसाले वाली चाइ तो वैसे ही मस्त होती है और जब वो अपने हाथो से बनाती तो फिर बस कहने ही क्या



ऐसे ही एक शाम के टाइम जब अंधेरा हल्का हल्का सा घिर ने लगा था ड्यूटी ख़तम करके मैं उधर चाइ पीने चला गया आज दुकान मे रोनक नही थी मैने उनको सलाम किया और कहा कि छाई मिलेगी तो वो बोली आज दुकान बंद है तो मैने कहा जी कोई बात नही मुझे पता नही था कि आज दुकान बंद है मैं फिर कभी आउन्गा और वापिस जाने के लिए मुड़ा ही था उन्होने आवाज़ दी



उन्होने कहा दुकान तो बंद है पर अगर आप चाहे तो पीछे मेरा घर है आप वहाँ आकर मेरे साथ चाइ पी सकते है मैने कहा जी शुक्रिया पर अभी मैं चलूँगा मैं जान बुझ कर नही गया क्योंकि अक्सर वहाँ के लोग मिलिटेंट्स से मिले होते थे और उनकी मुखबिरी किया करते थे मैं वापिस पोस्ट पर आ गया और एक कुर्सी डाल के बैठ गया रात हो गयी थी
 
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