Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है - Page 7 - SexBaba
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Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है

नीचे प्रीतम ज्योति की चूत मे तूफान मचाए हुवी थी ज्योति की टाँगे बुरी तरह काँप रही थी प्रीतम ने अब अपनी उंगली भी उसकी चूत मे सरका दी थी और उसके दाने पे बड़ी तेज़ी से जीभ रगड़ रही थी उपर मैं उसके होंटो को बुरी तरह निचोड़ रहा था ज्योति हमरे बीच फसि पड़ी थी तभी उसने जोरदार झटका खाया और अपना काम रस प्रीतम के मूह मे छोड़ दिया जिसे प्रीतम चटखारे लेते हुवी पी गयी आज की रात बड़ी जुल्मी थी और उपर से दो दो चुते फिर प्रीतम उठी और ज्योति को परे हटाते हुवे
मुझसे चिपक गयी और किस करने लगी तभी मुझे एक आइडिया आया

मैने दोनो को कहा कि एक साथ मेरा लंड चूसो और दोनो को नीचे बिठा दिया दोनो बारी बारी से लंड को अपने मूह की सैर करवाने लगी मैं तो सीधा जन्नत के दरवाजे पे पहुच गया दोनो के मिक्स थूक से पूरा लंड भीग गया था अब ज्योति के मूह मे मेरा लंड था और प्रीतम मेरी गोलियो को चूस रही थी ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नही मिला था दो गरम चुदासी लड़किया और मैं दोनो अपनी जीभ का कहर ढाए जा रही थी मुझे बहुत तेज गुद गुदि होने लगी थी मैने उन्हे रुकने को कहा पर वो तो मेरी सुन ही नही रही थी बस ऐसे लगी थी जैसे आज के बाद कभी लंड के दर्शन होंगे ही नही मैने भी अपने आप को दो शिकारी कुत्तियो के आगे छोड़ दिया

दोनो मे होड़ लगी हुवी थी लंड को बेहतर तरीके से चूसने की मुझे पता था कि ये दोनो आज मेरा पानी पी के ही दम लेंगी मेरी उत्तेजना का ज्वालामुखी बस फूटने ही वाला था कभी भी मैं डिसचार्ज हो सकता था और फिर वो लम्हा आ ही गया मेरी टाँगे कांप उठी और लंड से निकलती सफेद पानी की धार दोनो रंडियो के चेहरे को भिगोने लगी उन दोनो के चेहरे खुशी से लाल हो गये थे दोनो बहने पूरे मज़े से मेरे वीर्य को चाट रही थी मुझे उन्हे देख के बहुत सकून मिल रहा था मैने एक तकिया लिया और बेड पे लेट गया और उन्हे भी अपने पास लिटा लिया आज की रात बड़ी जबरदस्त थी

आज मुझे औरत का एक अलग रूप ही देखने को मिल रहा था मैने कहा कि उम दोनो 69 ट्राइ करो बस कहने की देर थी प्रीतम झट से शुरू हो गयी कुछ ही पॅलो मे दोनो के सर एक दूसरी की जाँघो के बीच फसे पड़े थे उन्हे इस तरह देख के बड़ा अच्छा लग रहा था जैसे कोई पॉर्न मूवी चल रही हो मैने उन्हे अलग किया और ऐसी सिचुयेशन बनाई कि प्रीतम को बेड के सिरहाने पे बिठाया और ज्योति अब उसकी चूत को चूसने लगी थी वो घुट नो के बल झुकी हुई थी प्रीतम अपने आप खुद की चूचियों को मसल रही थी मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था मैने भी झुकी हुवी ज्योति के चुतडो पे अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया

ज्योति चिहुनक पड़ी दूसरी ओर प्रीतम ज़ोर ज़ोर से मोन कर र्हाहियीईईईईईईईईई थी आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ ओहमाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ
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ज्योति अब ओर ज़ोर से प्रीतम की चूत चूसने लगी मैने भी ज्योति के चुतडो पी जीभ फेरते हुवे उसकी लंबी सी चूत की ओर अपने लबो को बढ़ाना शुरू किया ऐसी गोरी गोरी चूत चाटने को मिले तो लोग घी-दूध को भूल ही जाए मेरा लंड भी तन ने लगा था महॉल ऐसा था कि आज तो कामसूत्र का कोई नया ग्रंथ लिखा जा रहा हो प्रीतम ने अपनी मांसल टाँगो पे ज्योति के सर को ऐसे लप्पेट लिया था जैसे कोई नागिन ने कुंडली मारी हो ज्योति की लाल लाल चूत पूरी नदी बनी हुवी थी उसका रस मेरे होंटो से होते हुवे ठोड्डी तब को भिगो रहा था काफ़ी देर तक चुसाइ चलती रही मेरा तो फ्यूज ही उड़ गया था

लंड को बस अब चूत ही चाहिए थी तो मैने उसे प्रीतम की चूत से हटाया और उसे लिटाते हुए उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और एक ही झटके मे पूरा लंड ज्योति की चूत मे घुसा दिया ज्योति ने हल्की सी आहाः भरी और उसकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह कस लिया अब मैने दना दान शॉट लगाने चालू किए प्रीतम कहाँ पीछे रहने वाली थी वो अब ज्योति के मूह पे आके बैठ गयी और दुबारा अपनी चूत को चटवाने लगी मेरे हर धक्के पे मेरे अंडकोष उसकी गान्ड पे टकरा रहे थे हम तीनो एक दूसरे मे खोए हुवे थे मैं ज्योति को कुचले जा रहा था उसकी गान्ड भी अब चुदाई की ताल पे थिरकने लगी थी तभी प्रीतम ने मुझे उसपे से हटाया

और गॅप से मेरे लंड पे बैठ गयी औ अंपनी गान्ड को उछाल ने लगी उस टाइम ज्योति को बहुत मज़ा आ रहा था लंड को अपनी चूत से ऐसे निकलते देख उसे गुस्सा आ गया वो बोली दीदी अभी तो मेरी बारी है आप रूको पर प्रीतम कभी कहाँ किसी की मानती और उसने ज्योति की तरफ ध्यान भी नही दिया और बस मेरे लंड पे उछलने लगी अब ज्योति अपनी चूत मे उंगली करने लगी और प्रीतम को गालियाँ भी बक रही थी मुझे हँसी आ गयी अब मैने प्रीतम को अपने उपर से हटाया और उन दोनो को एक साथ घोड़ी बन ने को कहा

तो वो तुरंत ही बन गयी उफफफफफ्फ़ क्या वर्णन करू उस सीन का कोई शब्द ही नही हैं दोनो के मदमस्त चूतड़ पूरी तरफ मेरी ओर उभरे हुवे और बस एक हल्की लकीर सी चूत की दरार मैने अपना लंड ज्योति की चूत मे डाला और उसे चोदने लगा फिर झट से लंड को निकाला और प्रीतम की चूत मे डाल दिया इस तरह मैं बारी बारी से दोनो को चोद ने लगा आज एक तड़प भरी चुदाई हो रही थी कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने कहा तुम दोनो मे से एक को थोड़ी देर रुकना पड़ेगा तो प्रीतम बोली मैं बस झड़ने ही वाली हू तो पहले मुझे ठंडी करदो मैने ज्योति की ओर देखा तो उसने कहा ठीक है

तो मैं झट से प्रीतम पे सवार हो गया और पूरी ताक़त से उसे चोदने लगा कोई 5 मिनिट बाद ही उसकी साँसे तेज होने लगी मैने भी स्पीड और थोड़ी बढ़ाई और फिर उसकी चूत की पंखुड़ियो ने मेरे लंड को अपने मे कस लिया और प्रीतम स्खलित हो गयी थोड़ी देर मैं उसपे ऐसे ही पड़ा रहा फिर जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला ज्योति फट से मेरी गोद मे आ के बैठ गयी और लंड को अपनी चूत के दाने पे रगड़ने लगी मैं अब बहुत ही रोमांचित हो गया था पूरे शरीर मे कामवासना हिलोरे मार रही थी मैने ज्योति को इशारा किया तो उसने झट से लंड को सीधा किया और उसपे बैठ गयी
 
मैं उसकी निप्पल को चूसने लगा और वो अपनी मोटी गान्ड को हिलाते हुवे मुझे काम सुख देने लगी उसकी चूची का निप्पल बिल्कुल हार्ड हो गया था उसे चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था कुछ देर तक उसे अपने लंड पे झूला झुलाने के बाद मैने उसे लिटाया और उसमे फिर समा गया ज्योति ने अपने होंठ बढ़ा के मेरे होंटो पे रख दिए और चूसने लगी मैं दनादन ज्योति को चोदे जा रहा था 20 मिनट तक मैने उसे जी भर के चोदा और फिर उसकी चूत मे ही झाड़ गया …………………………………………………………….


मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था मैने पानी को बॉटल उठाई और अपने सर पे उडेल दी तब जाके थोड़ी राहत मिली प्रीतम अपनी आँखे बंद करके बेड के कोने मे लेटी हुवी थी ज्योति भी अपने आप को नियंत्रित कर ही रही थी घड़ी की तरफ नज़र गई तो पता चला कि साढ़े तीन बज गये हैं थोड़ी भूक भी लग ने लगी तो मैने प्रीतम से पूछा कि अभी कुछ मिलेगा क्या तो वो बोली 4 बजे वो चाइ बनाएगी और फिर बाडे मे जाएगी उसकी मा को चाइ देने तब ही पी लेना तो मैने कहा ठीक है और वो फिर से लेट गयी मैने ज्योति को इशारा किया और बाहर की तरफ आ गया अब मैं चॉबारे के छज्जे पे खड़ा था बहती हवा मेरे बदन मे सर सराहट पैदा कर रही थी

कि तभी ज्योति ने पीछे से अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मुझसे चिपक के खड़ी हो गयी उसकी उंगलिया मेरे सीने पे रेंगने लगी हम दोनो मे से कोई कुछ नही बोल रहा था कुछ देर हम ऐसे ही खड़े रहे फिर मैने उसे अपनी बाहों मे उठाया और नीचे की ओर ले चला प्रीतम के बरामदे मे एक तखत पड़ा था उसपे ज्योति को लिटा दिया और उसके बदन को उपर से लेके नीचे तक सहलाने लगा ज्यों जो मेरी उंगलिया उसके बदन को नाप रही थी ज्योति मचलने लगी हालाँकि वक्त का तक़ाज़ा ये था कि मुझे उस टाइम उनके घर से निकल जाना चाहिए था क्यों कि गाँव मे लोग सुबह सवेरे ही जाग जाते थे

चार बजने मे कुछ ही देर थी पर मैं निकल ही नही पाया ज्योति के गरम जिस्म की दावत को मैने एक बार ऑर स्वीकार कर लिया था मैं उसके चेहरे पे झुका और उसके माथे को चूम लिया और उसके गालो की ओर बढ़ा उसके गाल बहुत ही सॉफ्ट थे मैं उन्हे अपने दाँत से काट रहा था तो वो मचल ने लगी और बोली आहह दर्द होता है आप ऐसे मत करो तो मैने अपने होन्ट उसके होटो से लगा दिए तो उसने अपना मूह खोल के मेरी जीभ को रास्ता दिया अब हमारी जीभ एक दूसरी से टकरा रही थी उसने अपना हाथ मेरी गोलियो पे रखा और उन्हे सहलाने लगी मेरे लंड मे करेंट आना शुरू हो गया अब वो गोलियो को भींचने लगी मुझे थोडा दर्द महसूस हुआ

पर मज़ा भी मिल रहा था हमारे होंठ थूक से लिसडे पड़े थे पर वो भी स्वादिष्ट लग रहा था उधर घड़ी सरपट दौड़ रही थी तभी प्रीतम नीचे आई और हमारी तरफ देख के बोलो कमिनो फिर चालू हो गये और मुझे बोली जल्दी से करले और भाग जा कही किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी मैने कहा तू चिंता मत कर मैं अड्जस्ट कर लूँगा और दुबारा अपने होंठ ज्योति के होटो से लगा दिए ये भी एक अजीब सा ही हैं जितना रस किसी के होंटो से निचोड़ो उतना ही कम पड़ जाता है उसके होन्ट छोडने का मन होता ही नही था कुछ देर बाद मैने ज्योति को कहा की चल साथ साथ एक दूसरे के अंगो का रस पीते है और उसे झट से मेरे उपर उल्टा लिटा दिया

और अपने हाथ ज्योति की मस्त गान्ड पे टिका दिए तभी मुझे खुराफात सूझी और मैने अपनी उंगली उसकी गान्ड के छेद पे रगड़नी चालू कर दी सॉफ पता चल रहा थी की उसने अभी गान्ड मरवाने का सुख प्राप्त नही किया है पर अभी टाइम भी इतना ही था चूत चुद जाए वो ही बहुत था मैने फॉरन उसके चुतडो को अपने मूह पे सेट किया और अपनी लहराती जीभ उसके दाने से टच कर्वादी ज्योति का संपूर्ण अस्तित्व कांप गया उसके बदन मे झूर झूरी दौड़ गयी और उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने मूह मे भर लिया वो मेरे लंड पे अपने दाँतों से काट ने लगी थी पहले उसे अपने थूक मे भिगोति फिर उसे दांतो से काट ती तभी प्रीतम रसोई से चिल्लाई चाइ पियोगे या नही

तो मैने कहा हाँ बना और दुबारा अपना मूह ज्योति की टाँगो के बीच मे घुसेड दिया उसकी चूत का दाना बहुत ही वाइब्रट कर रहा था जिस से मुझे और भी जोश आ रहा था अब उसने अपनी जीभ मेरे अंडकोषो पे फेरनी शुरू की जब कोई ऐसा करता था तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था काफ़ी देर हम एक दूसरे के अंगो से ज़ोर आज़माइश करते रहे प्रीतम अपना चाइ का कप लेके हमारे पास आ चुकी थी और वही पे कुर्सी डाले हमारी लाइव चुदाई देखते हुवे चाइ की चूस्किया ले रही थी
अब मैने ज्योति की कुल्हो को थप थपाया और उसे इशारा किया हटने का वो वॉरान ही हट गयी
 
मैने उसकी लाल हो चुकी आँखो की ओर देखा कुछ तो उनमे वासना का ज़ोर था और कुछ पूरी रात की नींद थी मैने देर ना करते हुवे फॉरन उसकी टाँगे चौड़ी की और उसमे समाता चला गया ज्योति ने एक बार अपने शरीर को थोड़ा सा कसा और फिर मस्ती के सागर मे हिलोरे लेने लगी मैं उसकी चूत पे धक्के लगाए जा रहा था उसने अपने दाँत एक बार फिर मेरे गले पे गढ़ा दिए और मस्ताते हुवे मेरे गले को कचॉटने लगी मैं और वो एक दूसरे का ज़ोर पूरी तरह आज़माने पे तूल गये थे मैं पूरी ताक़त लगाते हुवे उसको चोद रहा था वो भी अब अपने चुतड उपर उठाने लगी थी तभी प्रीतम चिल्लाई कितनी देर लगाओगे आज तो हम सब गये काम से पर हम ने उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नही दिया

और अपना काम जारी रखा हमें चुदाई करते काफ़ी देर हो गयी थी परंतु इस बार पानी निकल ही नही रहा था पता नही क्या हो गया था मैं भी थकने लगा था तो मैने ज्योति से कहा कुछ देर वो मेरे उपर आ जाए वो झट से उपर आ गयी और अपनी कमर हिलाते हुवे धक्के लगाने लगी इधर प्रीतम बार बार टाइम का रोना रो रही थी दिन निकलना शुरू हो गया था पर मैं भी फसा पड़ा था पानी निकल ही नही रहा था और कोई दस मिनिट और ऐसे ही बीत गये तो मैने कहा तू नीचे आ और उसकी टाँगो को अपने कंधो पे रखा और तबड तोड़ शॉट लगाने चालू किए ज्योति बस कोई दो मिनिट ही उस स्पीड को झेल पाई और उसने अपना पानी छोड़ दिया इधर मुझे लग तो रहा था

कि मंज़िल करीब है पर कुछ हो नही रहा था अब ज्योति को भी तकलीफ़ होने लगी थी क्यों कि चूत का गीलापन ख़तम हो गया था वो बोली अब मैं और नही कर सकती मुझे मा फ करो मैने खींच के एक झापड़ उसे लगाया और और थोड़ी स्पीड बढ़ा दी मैं धक्के मारे ही जा रहा था की तभी एका एक मेरी टाँगे कांप उठी और गाढ़ा वीर्या ज्योति की चूत को भिगोता चला गया मेरी साँस बहुत बुरी तरफ फूल गयी थी कुछ मिनिट लग गये उन्हे संभालने मे तभी प्रीतम ने मुझे मेरे कपड़े दिए और बोली मैं बाहर जाकर देखती हू कि रास्ता सॉफ है या नही और मेरा इशारा मिलते ही तू निकल जाना मैने कहा ओके और मोका मिलते ही घर की राह पकड़ ली भोर हो चुकी थी इसका मतलब ये था कि मेरे घर वाले भी जाग चुके होंगे अब समय था एक ऑर झूठ बोलने का.
 
थकावट से पूरा शरीर दुखने लगा थामेहनत भी तो बहुत हुई थी पिछली रात को आँखो मे नींद चढ़ आई थी अब दिमाग़ भी काम नही कर रहा था जब मैं घर पहुचा तो देखा कि मैं गेट तो अंदर से बंद हैं मैं तो खुला छोड़ के गया था अब मैं अंदर कैसे जाउ ये सोचते हुए मैं बाहर बने चबूतरे पे बैठ गया अब मैं फसा कैसे अंदर जाउ आज तो पक्का फसा मैं पर और कोई जुगाड़ भी नही था तो बस इंतज़ार ही करना था कि कब कोई दरवाजा खोले और मैं अंदर जाउ कोई पंद्रह मिनिट बाद गेट खुला और हाथ मे झाड़ू लिए चाची ने दर्शन दिए वो मुझे ऐसे बाहर बैठा देख के बुरी तरह चोंक गयी और बोली तू यहाँ क्या कर रहा हैं तो मैने कुछ नही कहा और झट से भाग कर सीधा अपने कमरे मे घुस गया

शूकर था कि सनडे की वजह से फॅमिली मेंबर आज लेट तक सोए पड़े थे तो मैने अपने कपड़े उतारे और पलंग पे लेट गया और अपनी आँखो को बंद कर लिया थोड़ी देर ही सोया था कि किसीने बुरी तरह झिंजोड़ते हुए मुझे उठा दिया मेरी तो आँखे ही नही खूल रही थी जब कुछ सॉफ सॉफ दिखा तो पता चला मम्मी थी उन्होने मेरा बाजू पकड़ते हुए कहा पूरी रात भी कम पड़ती हैं क्या और मुझे खड़ा कर दिया मैने कहा आप चलो मैं अभी आता हू तो वो बोली नही अभी मेरे साथ चल अब मजबूरी थी तो बाहर आना ही पड़ा बैठक मे गया तो सभी लोग वही थे मैने दादी के पैर पड़े और एक साइड मे बैठ गया तो चाचा बोले जा चाइ ले आ रसोई से हमारे लिए

तो मैं वहाँ गया चाची कपो मे चाइ डाल ही रही थी तो मैने बोला चाची अगर कुछ बिस्कट या नमकीन है तो वो भी दे दो तो वो बोली तुझे भूक भी लग आई और गुस्से से मेरी ओर देखा मैने नज़र झुका ली वो धीरे से बोली बेटा तू मुझे तो बता ही सकता हैं कि आज कल तू रात भर कहाँ रहता हैं क्या मेरा इतना भी हक़ नही है तुझ पर तू कब्से बाते छुपाने लगा है तो मैने कहा मैं फिर कभी बताउन्गा अभी मुझे चाइ दो ओर ट्रे लेके बैठक मे आ गया मेरी हालत बहुत ही खराब हो रही थी नींद अपनी बाहें फैलाए मुझे बुला रही थी परंतु मैं मजबूर था सो नही सकता था मैने पापा से कहा कि आज क्या हम पनीर की सब्ज़ी बना सकते है

तो वो बोले हाँ क्यों नही और चाचा से बोले कि बस स्टॅंड से ले आइयो चाचा ने मेरी तरफ देखा मैं समझ गया कि ये भी मुझपे ही पड़ने वाली है तो मैं सीधा बैठक से बाहर निकल गया तभी ख्याल आया कि क्यों ना नाहया जाए मैं बाथरूम मे घुस गया मैं नहा ही रहा था कि मेरी नज़र चाची की पेंटी पे पड़ी शायद उन्होने नया पीस लिया था उनका ख्याल आते ही लंड महाशय अपनी औकात पे आगये चाची का ख्याल आते ही मेरे अंग मे तनाव आ गया और ना चाहते हुए भी मैं मुट्ठी मारने लगा और हमेशा की तरह उनकी कच्छी पे ही अपना रस गिरा दिया और उसे ठीक करके रख दिया नहा धो के निकला फिर टीवी पे रंगोली देखने लगा

तब तक भोजन भी तैयार हो गया था दबा के लिया और फिर अपने कमरे की ओर चल पड़ा मैं अपनी अलमारी की सफाई कर ही रहा था कि एक बॉक्स मे रंग मिल गये ना जाने कितने दिनो से मैने चित्रकारी नही की थी पता नही कितनी देर रंगो से खेलता रहा पर जब काम पूरा हुआ तो चेहरे पे मुस्कान आ गयी मिता का चित्र उकेर दिया था वहाँ पे दिल को सुकून सा मिला कई देर तक उसे देखता रहा फिर उसे अलमारी मे रख दिया ना चाहते हुए भी आख़िर आँख लग ही गयी और मैं सो गया जब मैं उठा तो 3 बज रहे थे घर मे सन्नाटा छाया हुआ था मैने देखा तो कोई नही दिखा तो मैं चाची के कमरे की ओर बढ़ा तो वो भी वहाँ पे नही थी अब ये लोग कहाँ गये

पर मेन गेट तो अंदर से बंद था तभी बाथरूम से चाची निकली नहा के उनके बालो से पानी टपक रहा था जो उनके ब्लाउस को पूरा भिगो रहा था और एक पेटिकोट नीचे लपेटा हुआ था जिसमे उनकी टाँगो का कटाव सॉफ सॉफ दिख रहा था तो मैने पूछा कि सब लोग कहाँ गये है तो उन्होने बताया कि दादी तो ताइजी के घर पे हैं और तुम्हारे चाचा भाई साब और दीदी अपने किसी दोस्त के घर गये है और शाम तक ही वापिस आएँगे तो मैने कहा कि तो आप ने मुझे पहले क्यों नही उठाया तो वो बोली कि तू सोया पड़ा था और रात को भी तू जगा ही होगा इसलिए डिस्टर्ब नही किया अब मैं उनकी ओर बढ़ा और उनके चुतडो पे चिकोटी काट ली वो बोली बाज आजा तू वैसे तो तुझे चाची चाहिए और बाकी तो उसे कुछ बताता भी नही हैं

मैने उनके चूतड़ कस्के मसल दिए और बोला चाची ऐसा कुछ नही हैं अगर होता तो मैं ज़रूर बताता मैने उन्हे अपनी बाहों मे भरते हुए कहा कि चाची बस एक बार कर लेने दो ना तो वो बोली नही , मैं तुम्हारे चाचा से संतुष्ट हू और उन्हे धोखा नही दूँगी मैने मस्का लगाते हुए कहा कि इसमे धोखा देने वाली बात क्या है थोड़ा प्यार मुझे भी चाहिए ना तो वो सीधा बोली बेटे जब जवान लड़का पूरी पूरी रात घर से बाहर भटकने लगे तो वो प्यार ही पाता हैं अगर तू मुझे बता दे कि तू कहाँ जाता हैं तो मैं तेरे लिए कुछ कर सकती हू तो मैने उत्साहित होते हुए कहा कि

अगर आप मुझे एक बार दे दो तो मैं बता दूँगा तो वो बोली हाई राम कैसे बात करता है कितना अश्लील होगया है तू ना जाने तुझे क्या हो गया हैं मैने कहा तो बताओ उन्होने कुछ सोचा और अपनी चूत पे उंगली फेरते हुए बोली कि मैं तुझे यहाँ पे किस करने दूँगी जब तू चाहे

मैं बोला उसमे कोन्सि बड़ी बात हैं वो तो मैं वैसे भी करलूंगा फिर मैने कहा कि अगर आप मेरे इसको चूसे तो मैं बता दूँगा तो बोली नही तो मैने भी कहा कि फिर आपकी मर्ज़ी तो उन्होने कुछ सोचा और बोली और एक बार ही चुसूगी तो मैं खुश होते हुए बोला कि ओके चाची जान और उनको चूम लिया और अपनी गोदी मे उन्हे उठाया और उनके बेड पे पटक दिया मैने दुबारा उन्हे चूमना शुरू किया और उनकी चूची भी मसल्ने लगा वो बोली क्या कर रहे हो पहले बताओ तो मैने उनसे वादा लिया कि वो किसी को भी नही बतायेन्गि तो उन्होने हम कह दिया अब बारी मेरी थी


मैने बिना लग लप्पेट के उन्हे कहा कि मेरी एक लड़की से दोस्ती हैं और मैं उस से मिलने जाता हू तो वो बोली बस दोस्ती या कुछ ऑर तो मैने कहा कि हमारे शारीरिक संबंध भी है तो उनकी आँख हैरत से फैल गयी वो बोली कब से चल रहा हैं तो मैने कहा कि कोई 2-3 महीने हो गये हैं उनका मूह खुला का खुला रह गया अब उन्होने सवाल दागा कि कोन हैं वो क्या अपने ही गाँव की हैं तो मैने कहा कि हम अपने ही गाँव की है उसका नाम प्रीतम है

वो बोली अपने मोहल्ले वाली मैने कहा हां तो उन्हे बहुत तेज़ गुस्सा आ गया और बोली तुझे ओर कोई ना मिली कितनी बदनाम लड़की है घर से भी भाग चुकी हैं तू कैसे उसके चक्कर मे पड़ गया तो मैने कहा चाची जैसा आप समझ रहे हो वो बिल्कुल वैसी नही है तो चाची बोली तू तो कहेगा ही आख़िर तेरा काम जो निकालती हैं चाची बोली तुझे उसका साथ छोड़ना होगा कहीं तू किसी मुसीबत मे ना फस जाए तो मैने उन्हे बताया कि चाची वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं चाची बोली तू समझने की कोशिश कर ये सब ठीक नही हैं तू बस अपनी स्टडी पे ध्यान दे तो मैने उन्ह सॉफ सॉफ कह दिया कि मैं सेक्स के बिना नही रह सकता हू तभी मैने कुछ सोचा और कहा कि चाची वो सब छोड़ो और अभी आप अपना वादा निभाओ और मैने अपनी पॅंट की जीप खोलते हुए लंड को बाहर निकल लिया और उनका हाथ अपने लंड पे रख दिया

तो चाचिबोली कि मैं जब चुसुन्गि जब तू वादा करेगा कि प्रीतम से अब कभी नहीमिलेगा तो मैने कहा ठीक है नही मिलूँगा तो वो बोली कमरे मे चलो फिर हम उनके कमरे मे पहुच गये वो मेरे पास बैठी मेरे लंड को सहलाने लगी चाची बोली वैसे तुम्हारा औज़ार मस्त हैं तो मैने कहा कि चाची आपको पसंद हैं तो इसे अंदर क्यों नही डलवाती हो वो बोली तू समझा कर और लंड के सुपाडे पे उंगलिया फेरने लगी मैने पुछा कि क्या मैं आपको नंगी कर दूं तो वो बोली नही पर मैने उनके पेटिकोट के अंदर अपना हाथ घुसा दिया और चड्ड़िक़े उपर से चूत को मसल्ने लगा
 
मैने कहा चाची आपकी चूत बहुत ही मस्त है तो वो शर्मा गयी मेरा लंड पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था मैने चाची का सर पकड़ा और अपने लंड पे झुका दिया चाची ने अपने गरम होंठ मेरे लंड के सुपाडे पे टिका दिए उफफफफफफफ्फ़ मेरी तो जान ही निकल गयी कितने दहक्ते होंठ थे उनके ऐसे लगा जैसे लंड की खाल जल ही जाएगी थोड़ी देर तक बस वो अपने होटो से ही सुपाडे को प्यार करती रही मैं उनकी पीठ को सहलाने लगा उन्होने आगे बढ़ते हुए थोड़े से लंड को मूह मे भर लिया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगी बहुत ही मादक अनुभूति थी वो बहुत धीमे धीमे लंड को चूस रही थी अब मैने उनकी एक चूची को अपनी मुट्ठी मे भर लिया

और उसे मसल्ने लगा उनमे भी वासना का संचार होने लगा चाची पूरी तरह लंड पे झुकी हुवी थी कुछ देर मैं ऐसे ही बोबो को मसलता रहा फिर अपने हाथ को उनके गोल मटोल चुतडो की ओर लेगया और पेटिकोट को उपर तक उठा दिया और उनकी कच्छि को घुटनो तक सरका दिया उधर उन्होने मेरे पूरे लंड को अपने गले तक उतार लिया था मैं उनके मस्त चुतडो को दबाने लगा फिर मैने अपनी उंगली उनकी गान्ड के छेद मे डालने लगा तो उन्होने चूतड़ कस लिए और बोली औच क्या करते हो तो मैने कहा कि आप बस चूसो और बाकी चीज़ो पे ध्यान मत तो तो उन्होने फिर से लंड को अपने मूह मे भर लिया अब मैने उंगली उनकी मदमस्त चूत पे रखी

तो वो पूरी गीली हो गयी मैने झट से उंगली को चूत मे सरका दिया चाची ने अपनी टाँगो को थोड़ा कस सा लिया था वो अब पूरी मस्ती मे लंड को चूसे जा रही थी और मैं भी उनकी चूत मे उंगली करे जा रहा था उनका बदन बहुत गरम हो गया था उन्हे लंड चूस्ते 12-13 मिनिट हो गये थे इधर मैने अपनी दो उंगलिया चाची की गरम चूत मे घुसेड दी थी तभी मेरे बदन मे गुदगुदी होने लगी ये सिग्नल था कि बस अब पानी निकलने वाला ही हैं तो मैने चूत से हाथ हटाया और उनके सर को अपने दोनो हाथो से लंड पे कस के दबा लिया और एक झटके से अपना गरमा गरम पानी चाची के मूह मे छोड़ दिया

क्या बताउ क्या फीलिंग आई थी 5-6 धार उनके मूह से होती हुई सीधा उनके गले को पार करती हुए उनके पेट मे पहुच गयी थी चाची ने भी लंड को बाहर निकालने की कोई जल्दी नही दिखाई और जब तक वो मुरझा नही गया तब तक चुस्ती ही रही फिर वो उठी और अपने पेटी कोट से मूह को पोंच्छा और मेरी ओर देखने लगी तो मैने उनके होंटो को चूमा और थॅंक यू कहा तो वो अपनी नज़रे नीचे करते हुए बोली अब तू भी थोड़ा कुछ चख ले मैं ये सुनके मुस्कुराया और उनके पेटी कोट मे घुस गया चूत से बहुत ही अच्छी खुसबू आ रही थी मैने देर ना करते हुए उनकी चूत को अपने मूह मे भर लिया

और अपनी जीभ चूत के अंदर डाल दी चाची मेरे सर को अपनी चूत पे दबाने लगी और आहे भर ने लगी चाची बोली जब तू इसे चूस्ता हैं तो मुझे बहुत अच्छा लग ता हैं तेरे चाचा कभी ऐसा नही करते है बस ऐसे ही चााआआआआआआआआआआआआआआटततटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटटतत्त ज़ाआाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ओह
हह
हह
हह
हह

मैं उनके चुतडो को मजबूती से थामे हुए चूत को चूस रहा था तभी मुझे एक आइडिया आया मैने अपने हाथ चुतडो से हटाए और उनकी टाँगो को थोड़ा चौड़ा किया और एक हाथ से उनके दाने को अंगूठे और उंगली से दबा लिया और उसे रगड़ते हुए उनकी चूत का रस चाटने लगा चाची पूरी तरह से मस्ता गयी थी उनकी गरम साँसे पूरे कमरे मे गूँज रही थी उनकी चूत और भी गीली हो गयी थी जैसे किसी ने वहाँ पे कोई नल खोल दिया हो उनकी आहिएन्ंनणणन् बढ़ती ही जा रही थी टाँगे कांप रही थी मैने अब ओर ज़ोर से दाने को मसलना शुरू कर दिया था कोई5 मिनिट और लगी और फिर उनका जोश ठंडा पड़ गया मैने उनकी मक्खन सी छूट को पूरी तरह अपने मुहमे भर लिया

और काम रस की एक एक बूँद को पी गया फिर चाची और मैं बेड पे लेट गये मैं उन्हे चूमता ही रहा कोई आधे घंटे हम ऐसे ही शरारत करते रहे फिर वो बोली जाओ दादी को बुला लाओ तब तक मैं तैयार हो लेती हू तो मैने उनकी चूत को मसला और बाहर चल पड़ा. ///

ताइजी के घर पे गया और दादी को कहा कि चाची बुला रही हैं तो उन्होनी कहा ठीक हैं अभी चल ते हैं , जब से अनिता भाभी वाला कांड हुआ था ताइजी हमेशा मुझे गुस्से से ही देखती रहती थी पर यारो को क्या फरक पड़ना था जब तक हम आए चाची चाय बना चुकी थी और हमे कप पकड़ाते हुई बोली कि वो लोग तो शाम तक ही आ पाएँगे तो भैंसो का दूध तो मैं निकाल लूँगी तू थोड़ा खेतो की तरफ चक्कर लगा अइयो पानी की होदि को भर दियो और साइड वाली बाड भी देखता हुवा आइयो हालाँकि ऐसे काम करने मे मेरा बिल्कुल मन नही होता था पर करने भी पड़ते थे तो मैने अपनी उसी ख़टरा साइकल को लिया और खेतो की ओर निकल पड़ा और कुछ ही देर मे पहुच गया
 
कमरे का ताला खोला और पानी चलाने के लिए स्विच ऑन किया तो पता चला लाइट नही हैं पर रास्ते मे तो कई लोगो की मोटर चल रही थी , हमारे खेतो की ओर कुछ मकान बने हुए थे तो उनसे थोड़ी जान पहचान थी मैने सोचा कि एक बार उनसे पूछ लेता हू कि लाइट हैं या नही क्योंकि हमारे तार भी उनकी तरफ से ही आए हुए थे तो मैं उनके घर की तरफ चल पड़ा मैने देखा कि दोनो कमरे मे ताले लटके पड़े हैं मैने सोचा कि शायद कहीं गये होंगे मैं वापिस मुड़ने ही वाला था कि छप्पर से कुछ आवाज़ आई तो मैं सीधा छप्पर मे चला गया जैसे ही मैं अंदर दाखिल हुआ मेरे तो होश ही उड़ गये मैने देखा कि बिम्ला काकी पूरी नंगी खाट पे पड़ी हैं

और एक बुड्ढ़ा जिसे मैं नही जानता था वो उनपे चढ़ा हुआ था , मुझे देखते ही दोनो की सिट्टी पिटी गुम हो गयी बुड्ढे ने फॉरन अपनी धोती को सही किया और नो दो ग्यारह हो गया अब बचे हम दो नो काकी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी मैने उन्हे चुप रहने को कहा और उनका लहनगा उठा के उन्हे दिया और बाहर आ गया पास रखे मटके से एक गिलास पानी भरा और अंदर जाके उन्हे पिलाया अब तक उन्होने भी अपने कपड़े पहन लिए थे मैं उनके पास ही बैठ गया तो वो बोली बेटा तूने जोभी देखा इसका जिकर किसी से मत करियो तो मैने कहा कि वो आदमी कॉन था उन्होने बताया कि वो पड़ोसी गाँव का ज़मींदार है

और उसके खेत भी कुछ दूरी पे ही हैं वो बोली तेरे काका कुछ काम धाम तो करते नही हैं बस दारू पीके पड़े रहते हैं ज़मींदार मेरी पैसो से मदद करता है और बदले मे कभी कभी …………………………………………………………………………………………… उन्होने शब्द अधूरे छोड़ दिए तो मैने कहा कभी कभी तुमको चोद्ता हैं उन्होने सर नीचे झुका लिया अब काकी को क्या पता कि मैं तो खुद ही चूत का आशिक़ था और ये तो भगवान की तरफ से गिफ्ट ही मिल गया था मैने दाँव खेलते हुए कहा कि अगर मैं इस बात का जिकर बाहर ना करूँ तो मुझे क्या मिलेगा तो काकी बोली मैं भला तुझे क्या दे सकती हू

तो मैने अपना हाथ उनकी पपीते जैसे चुचि पे रख दिया और हल्के से दबा दिया तो उन्होने गोर से मेरी ओर देखा और बोली कि तुम तो मेरी लड़की से भी छोटे हो तुम्हारे साथ कैसे तो मैने कह दिया देख लो काकी अब कोई ज़ोर ज़बरदस्ती तो हैं नही बस इतना हैं क्या पता कहीं मेरी ज़ुबान फिसल ना जाए , तो उन्होने सोचा और दुखी आवाज़ मे कहा ठीक हैं तू भी तेरी मनचाही कर ले तो मैने कहा कि काकी मैं आपकी मजबूरी का फ़ायदा नही उठाना चाहता हालाँकि मेरे मन मे है आपको चोदने की पर अगर आप राज़ी हो तो ही और डरो मत मैं किसी से नही कहूँगा आप निस्चिन्त रहो मुझे भी चूत की ज़रूरत हैं पर मैं ग़लत फ़ायदा नही उठाना चाहता तो काकी मुझे देखते ही रह गयी

मैं उठा और बाहर की ओर चल पड़ा तभी काकी भी पीछे पीछे आई और बोली कि जब तेरा जी करे आ जइओ और हँसने लगी मन तो हो रहा था कि अभी रगड़ दूं पर वक़्त नही था मेरे पास तो मैं अब खेत मे आया लाइट आ चुकी थी पानी भरा फिर बाड को देख के आया इन्सब मे काफ़ी टाइम लग गया अंधेरा होने लगा था तो मैने साइकल उठाई और तेज तेज घर की ओर चल पड़ा दिल मे एक उमंग थी कि एक चूत और मिलने वाली थी घर पहुचा तब तक वोलोग भी आ चुके थे मैने हाथ मुँह धोया और पापा को बताया कि बाड़ की तारबंदी करवानी पड़ेगी और कुवे वाला कमरा भी ख़स्ता हालत मे हैं

तो उसे तोड़के दो पक्के कमरे बना ले तो ठीक हो गा तो पापा ने चाचा से पूछा कि उनकी क्या राय हैं उन्होने कहा बात तो ठीक हैं काम तो करवाना ही पड़ेगा अगले महीने से बारिश होनी शुरू हो जाएगी उस से पहले ही करवा लेते हैं मैने तुरंत ही कह दिया कि मैं कोई भी ज़िम्मेदारी नही उठाउंगा इस काम की तो वो लोग हँसने लगे इसी तरह टाइम बीत रहा था कोई दस पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर गये थे जुलाइ ऐसी ही बीत गयी


चूत मारे भी पंद्रह दिन से ज़्यादा हो गये थे , प्रीतम की तरफ से कोई मोका भी नही मिला था आज कल उसकी मा उसके आगे पीछे मंडराती ही रहती थी चाची भी कोई खास रसीद नही दे रही थी बस किस ही करने देती थी मुट्ठी मारने का ही सहारा था पर उसमे भी मज़ा नही आता था , शेर को खून मूह लग चुका था .स्कूल में पढ़ाई जोरो से चालू थी मिता बस एक नज़र भर देख लिया करती थी पर वहाँ भी गाड़ी पॅसेंजर ट्रेन की तरह बस चल ही रही थी मैं रोज उसकी बेंच पे एक चॉकलेट रख देता था उसकी पसंद वाली जिसे वो चुपके से उठा के अपने बॅग मे रख लेती थी दिन गुजर रहे थे वो रोज टेंपो से स्कूल आती थी मैं अपनी ख़टरा साइकल पे गान्ड घिसा करता था

एक दिन मैं और मेरा दोस्त स्कूल की कॅंटीन मे बैठे हुए चर्चा कर रहे थे तो उसने आइडिया लगाते हुए कहा कि देख तू भी रोज टेम्पोसे ही आया कर ऐसे तुझे ज़्यादा वक़्त मिलेगा उसे देखने का और साथ साथ सफ़र करोगे तो क्या पता बात पक्की बन ही जाए आइडिया मे तो दम था पर साइकल का भी तो कुछ इलाज करना था तो मैं और वो स्कूल के बाद एक कबाड़ी के पास गये और 800 मे साइकल बेच दी घर पे आके कह दिया कि साइकल किसी ने चुरा ली और रोनी सूरत बना ली बात आई गयी हो गयी . अब रोज सुबह सुबह टेंपो पकड़ते स्कूल जाने के लिए और बड़ी ही सराफ़ात से अपनी सीट मिता को ऑफर करते फिर साथ साथ ही बातचीत करते हुए क्लास रूम तक पहुचते

क्लास मे भी नज़रे चुरा के एक दूसरे का दीदार कर ही लिया करते थे तभी घोसना हुवी कि स्कूल मे चित्रकारी की प्रतियोगिता हैं कोई भी स्टूडेंट अपनी रचना देना चाहता हो तो निर्धारित तारीख तक जमा करवा दे नया नया आशिक़ी का जुनून तो था ही तो मैने भी अपने बनाए चित्र को जमा करवा दिया और किस्मत से उसे प्रथम पुरूस्कर मिला पूरी क्लास मे मेरे ही चर्चे हो रहे थे हर कोई पूछ रहा था कि ……….. कॉन हैं इज़्ज़त एक दम से बढ़ गयी थी एक दिन मैं वॉटर कूलर के पास खड़ा था तो मिता अपनी सहेलियो के साथ आई उसकी सहेलिया आगे बढ़ गयी पर वो रुक गयी
 
वो शायद कुछ कहना चाहती थी पर थोड़ी उलझन मे थी, उसकी उंगलिया उसकी चुन्नी के कोने को गोल गोल घुमा रही थी मैने कहा हाँ बताओ क्या बात हैं, तो उसने कहा कि क्या तुम मुझे पैंटिंग सिख़ाओगे मैने कहा इसमे पूछने की क्या बात हैं आप जब भी चाहे ये सुनके उसके चेहरे पे मुस्कान आगयि और वो बड़ी ही अदा से इठलाते हुए चली गयी मैं उसे जाते हुए देखने लगा जब छुट्टी हुई तो टेंपो मे इतनीभीड़ नही थी वो मेरे सामने वाली सीट पे बैठी थी और कनखियो से ही मेरी ओर देख लेती थी उपर से टेंपो वाला भी आशिक़ी फिल्म का धीरे धीरे से मेरी जिंदगी मे आना वाला गाना चलाए हुए था

मेरे शरीर मे इश्क़ हिलोरे मारने लगा आज तो टेंपो वाले ने दिन बना दिया था फिर वो अपने स्टॅंड पे उतर गयी, कुछ देर बाद मैं भी अपने स्टॅंड पे पहुचा बॅग को कंधे पे लटकाए हुए मैं घर की ओर जा रहा था रास्ते मे प्रीतम देवी मिल गयी मैने पूछा कि कहाँ जा रही हो तो वो बोली दुकान गयी थी पेप्सी लेने तो मैने धीमे से कहा आज कल मिलती नही हो वो बोली कल लकड़ी काटने जाउन्गि जंगल मे मिल लियो टाइम लगे तो मैं खुश हो गया घर पहुचते ही सीधा अपने कमरे मे घुस गया कपड़े चेंज किए और किताबो मे खो गया आज काम काफ़ी ज़्यादा था शाम को ही बाहर निकला

चाचा आ चुके थे वो थोड़े हड़बड़ाये हुए थे मैने कहा क्या हुआ तो वो बोले चंडीघर जाना पड़ेगा कोई फाइल अटक गयी है उर्जेंट क्लियर करवानी पड़ेगी मैने कहा मैं भी चलूं घुमाई हो जाएगी तो वो बोले फिर कभी ले चलूँगा और पॅकिंग करने लगे रात की ट्रेन पकड़नी थी पापा भी आ चुके थे डिन्नर के बाद वो उठे और चलने को तैयार हो गये तो पापा ने स्कूटर की चाबी देते हुए कहा कि मैं उनको स्टेशन छोड़ आऊ और स्कूटर आराम से चलाने को कहा मैने एक किक मारी और चल दिए सहर की ओर कोई बीस मिनिट मे ही उन्हे स्टेशन पहुचा दिया ट्रेन टाइम पे ही थी

जब वापिस आ रहा था तो एक ख़याल आया और स्कूटर को बाजार की ओर मोड़ दिया और एक स्टेशनरी शॉप पे पहुँच गया और कुछ वाइट पैंटिंग पेपर ओर कई तरह के रंग खरीद लिए और उन्हे गिफ्ट पॅक करवा लिया बिल पे किया और घर की तरफ मूड गया घर पहुचा तो दस बज चुके थे

तो पापा बोले काफ़ी देर लगा दी तो बहाना बना दिया कि ट्रेन लेट थी और अंदर जा ही रहा था कि उन्होने हुकुम दिया कि तेरे चाचा नही हैं तो खेत पे तू ही सो जा थोड़ा समान पड़ा हैं अगर बारिश हो जाए तो संभाल लियो क्योंकि वहाँ पे काम चलाया हुआ था मैने कहा स्कूटर ले जाउ साइकल तो हैं नही उनकी इच्छा तो नही थी पर उन्होने हाँ कह दी मैने गिफ्ट पॅक को अपने कमरे मे जल्दी से छुपाया और खेतो पे चल दिया


वहाँ पहुचा ही था की बूंदा-बंदी शुरू हो गयी भाग के सारे सामान को ढका बेरिश तेज होने लगी थी तभी लाइट भी चली गयी हवा काफ़ी ज़ोर से चल रही थी बिजली कडकने लगी मैने बॅट्री ढूंढी पर जल्दबाज़ी मे वो घर पे ही रह गयी थी सामान तो सुरक्षित कर ही दिया था पर सोने की जगह तो थी ही नही तभी मुझे बिम्ला काकी का ध्यान आया मैने सोचा जब तक बारिश होती हैं उनके घर ही बैठ जाउन्गा स्कूटर स्टार्ट किया और उनके घर पहुच गया मैं पूरा भीग चुका था उनके बरामदे मे स्कूटर खड़ा किया और उन्हे आवाज़ दी वो लॅल्टेन लेके बाहर आई

और मुझे देख के बोली तुम इस वक़्त यहाँ पर तो मैने बताया कि आप तो जानती ही हो कि काम चल रहा हैं कुवे पे और बारिश आ गयी तो मैं इधर आ गया वो बोली अच्छा किया और एक तोलिया मुझे दिया मैने पूछा काका कहाँ हैं तो वो बोली कि सहर मे एक सेठ के गोदाम की चोकीदारी करता हैं और रात मे उधर ही रहता हैं दिन मे आता हैं मैने कहा ये तो बहुत बढ़िया बात हैं उन्होने कहा हाँ ठीक ही हैं कम से कम दारू तो नही पिएगा मैने पूछा आपका लड़का ???????????????????? तो उन्होने बताया कि वो नवोद्या स्कूल मे पढ़ता हैं और वही रहता हैं कभी कभी आता हैं तभी मुझे छींक आई तो वो बोली तू अपना बदन पोंछ मैं तेरे लिए दूध गरम करती हू

मैने मना किया पर वो नही मानी और अंदर चली गयी मैने अपने गीले कपड़े उतार दिए और निचोड़ के खूँटि पे टांक दिए बारिश अब बहुत ज़ोर से बरसने लगी थी और मैं बस गीले कच्चे मे खड़ा था काकी एक गिलास मे गरम दूध ले आई उसे पिया तो थोड़ी जान आई काकी मेरे जिस्म को निहारने लगी मैने पूछा क्या देख रही हो तो वो सकपका गयी मैने झट से गिलास ख़तम किया वो अंदर चली गयी मैं उनकी गान्ड को ही देख रहा था उनकी गान्ड बहुत ही बड़ी थी बिल्कुल किसी मटके की तरह तभी मेरे मन मे विचार आया कि आज तो काकी को चोद देता हू मैने अपना कच्छा भी उतार दिया और नंगा खड़ा हो गया


कुछ देर बाद वो वापिस आई तो मुझे नंगा देख बोली ये क्या है तो मैने कहा काकी उस दिन आपकी चूत उधार थी आज मोसम भी कुछ ऐसा ही हैं क्यों ना आज कुछ हो जाए उन्होने एक गहरी साँस ली और बोली ठीक हैं तेरा उधार आज चुका ही देती हू तो मैने कहा चलो छप्पर मे ही चल ते हैं लालटेन की रोशनी से पूरा छप्पर रोशन हो गया उन्होने फॉरन एक चारपाई पे बिस्तर लगाया मैं नंगा तो था ही उनके लहंगे का नाडा भी फॅट से खोल दिया 45 की उमर मे भी क्या गान्ड थी उनकी इतनी बड़ी गान्ड आज पहली बार देख रहा था मैं फॉरन उनसे चिपक गया

और अपने लंड को उनकी मोटी मोटी जाँघो के बीच दे दिया क्या गर्मी मिली उस टाइम सारी सर्दी एक मिनिट मे ही गायब हो गयी काकी बोली लंड तो काफ़ी गरम हैं तेरा कितना टाइम हो गया ऐसा कड़क लंड नही लिया हैं तो मैने कहा चिंता मत कर आज तेरी सारी इच्छा पूरी कर दूँगा और उनके ब्लाउस को भी निकाल दिया अब वो पूरी नंगी मेरे आगे खड़ी थी उनकी चूचिया बहुत ही भारी थी जैसे कोई पपीते हो मैने उन्हे बेदर्दी से मसलना शुरू किया तो वो दर्द से कराहती हुए बोली थोड़ा आराम से कर आज कल के लौडे भी ना किसी औरत को देखते ही कंट्रोल खो देते हैं
 
मैने कहा आज तू देखमेरा कंट्रोल और उसके निप्पल कस्के मसल दिया नीचे मेरा लंड उसकी टाँगो मे फसा हुआ मचल रहा था काकी ने अपनी मदस्त गान्ड को ओर पीछे की तरफ उभार लिया बेरिश भी अब बहुत ही तेज हो गयी थी मैने उनके कंधे पे काटना शुरू किया तो वो बोली आह ये क्या करता हैं मैने कहा आज तू कुछ मत बोल और बस देखती जा मैं उसके कंधो को चूमता चूमता गर्दन पे पहुच गया था मेरी लॅप लपाती जीबू उसकी गर्दन पे चल रही थी वो बोली मुझे गुद गुदि होती हैं अब मैने एक हाथ से उनका बोबा भींचना शुरू किया और दूसरा हाथ उनकी चूत पे रख दिया

चूत पे बालो का पूरा जंगल ही उगा पड़ा था मैने अपनी उंगली उनकी चूत की दरार पे फेरनी शुरू की उनकी साँस गरम होने लगी वैसे तो वो अड़ेढ़ औरत थी पर आज तो वो ही मेरी रानी थी जब मेरी उंगली उसकी चूत के दाने से टकराई तो मैने महसूस किया की उनका दाना किसी चने के जितना बड़ा था मैने उसे ज़ोर से मसल दिया काकी के होश उड़ गये वो बोली रे ज़ालिमम्म्मममममममममममममममममममममममममममममममममममममम ईईईईईईईई क्ीईईईईईईईईईईईई कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर हराआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ हैंन्नननननननननननननननननननननननननणणन् तुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउमिअन भी गरम हो रहा था मैने कहा बस तू देखती ज़ाआाआआआआआआआआआआआआआआआअ

और उनके दाने को मसल्ने लगा वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी बोली करेंट सा ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआअगा रहाआआआआआआआअ हियंन्ननणन्नमत्त्तटटटटटटटटटटटटतत्त कररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर मुझ भी जोश चढ़ना शुरू हो गया लंड अब पूरे जोश मे फडक रहा था काकी की चूत बुरी तरह से थर थरा रही थी उसमे गीला पन आना शुरू हो गया था काकी बोली छप्पर का दरवाजा बंद कर्दे ठंड आ रही हैं मैने फॉरन उसकी कुण्डी अटकाई और काकी को फिर से दबोच लिया इस बार उनका मूह मेरी ओर था मेरा लंड उनके पेट से टकरा रहा था चूत की गर्मी मेरी जाँघो पे महसूस हो रही थी मैने उनकी गर्दन मे हाथ डाले

और उनके मोटे मोटे होंटो को अपने होंटो मे क़ैद कर लिया और चूसने लगा कोई दस मिनिट तक मैं बस उन्हे चूस्ता ही रहा इस बीच उन्होने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और पपोल्ने लगी तब उन्होने अपने होंठ छुड़ाए और लंबी साँस लेने लगी अब मैने उन्हे खाट पे लिटा दिया और उनकी एक चुचि को अपने मूह मे भर लिया और उसे चूसने लगा और दूसरी को मसलता रहा तभी कही दूर बिजली कडकि तो उन्होने मेरे मूह को कस्के अपनी चुचि पे दबा दिया 15-20 मिनिट तक उनका रस निचोड़ ता ही रहा वो भी हाई हाई करने लगी थी इधर मेरा लंड बेकाबू हो रहा था अब मैने उनकी चिकनी जाँघो को थोड़ा अड्जस्ट किया और अपना मूह उनकी झान्टो से भरी चूत पे टिका दिया

काकी की चूत थोड़ी बड़ी और लंबी थी शायद उस उमर तक़ाज़ा आते आते चूतो का हाल ऐसा हो जाता होगा उनकी चूत की पंखुड़िया बाहर को लटकी पड़ी थी पूरी चूत काली थी आज तक तो बस लाल और गुलाबी चूत ही चोदि थी आज काली भी लिस्ट मे जुड़ने वाली थी मैने उनकी चूत को फैलाया और उसके दाने को अपने मूह मे भर लिया काकी को जैसे स्वर्ग का दरवाजा दिख गया उनकी टाँगे अपने आप उपर की ओर उठ गयी वो अपने बोबो को खुद ही मसल्ने लगी मैं उनके दाने को अपने दांतो से काटने लगा काकी तो जैसे पागल ही हो गयी थी सिसकारिया उनके मुहसे निकाल ती हुई जा रही थी वो बोली रीईईईईईई आआआआआआआआआज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज तो

मेयिन्न्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्न्न तेरईईईईईईईईईईईई पीईईईईईईईईईईईईईई कुर्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररबाआआआआआआआआआआन्न्नबननननननननननननननननननननननननननननननननननननननणणन् हूऊऊऊऊऊऊगययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई तेरीईईईईईईईईईईईईईइ रान्ंनननननननननननननननननननननननन्न्ँद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हूऊऊऊऊऊऊओ गेयीयियैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयैआइयीयिमयिन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्नन्न्न्न ओह आहह्ा क्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य्य कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर डीईईईईईईईईय्ाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ रीईईईईईई तुनीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्नीईईईईईईईईईईईईईईई

रे अब मैने दाने को छोड़ा और चूत को उपर से लेके नीचे तक चाटने लगा काकी की कमर मटकने लगी थी वो बहुत ज़ोर से बड बड़ा रही थी मैं सरपट जीभ को उपर नीचे कर रहा था
 
चूत से गाढ़ा पानी रिस रहा था अब मैने अपनी जीभ को तिकोना किया और उनकी चूत के अंदर डाल दिया उनका तो पूरा बदन बुरी तरह से हिल गया था कुछ देर ओर ऐसे ही चूत को चाटने के बाद मैं उठा तो काकी ने झट से अपनी टाँगो को फैलाया और मुझे चूत तक पहुचने का रास्ता दिया मैने अपने लंड को चूत पे रखा और घप से पूरा लंड एक ही झटके मे अंदर चला गया उनकी चूत थोड़ी ढीली थी पर ऐसे टाइम मे वो ही सहारा थी मैं पूरी तरह से उनपे छा गया था काकी बोली मुझे चोद दे

बस जल्दी से चोद दे नही तो मर ही जाउन्गि मैने लंड को सुपाडे तक बाहर खींचा और पूरी ताक़त से दुबारा अंदर डाल दिया काकी की आह निकल गयी अब मैने धक्के मारने शुरू किए उसकी जंघे मेरी टाँगो पे चढ़ि हुवी थी मैं पूरी तरह उसपे झुका उसे चोद रहा था मैने उसके निचले होन्ट को काटना शुरू किया वो और भी मस्त हो गयी और नीचे से गान्ड को उछालते हुए मेरा पूरा सहयोग कर रही थी वास्तव मे बहुत ही गरम पीस निकली वो तो मेरे होंटो ने उसके निचले होन्ट को बुरी तरह दबाया हुवा था

और लंड अपना जादू उसकी चूत पे चलाए जा रहा था मेरा हाथ काकी की गान्ड पे फिसल रहा था तो मेरी उंगली उनकी गान्ड के सुराख से टकरा गयी वो तो बहुत ही बड़ा लगा मुझे तो मैने कहा तेरे चूतड़ इतने मोटे कैसे हैं तो वो बोली मैने गान्ड खूब मराई हैं चूत तो बस बच्चे पैदा करने के लिए ही होती हैं असली धन तो गान्ड ही हैं तो मेरे कान खड़े हो गये ये तो साली पक्की वाली रंडी निकली नीचे मैं लगातार उनकी चूत पे धक्को की बरसात करे जा रहा था मैने उंगली पे ढेर सा थूक लगाया और उसकी गान्ड मे घुसा दी

अब उसे दोनो छेदों से मज़ा मिल रहा था काकी इस हमले के आगे ज़्यादा देर ना टिक पाई और थोड़ी देर मे ही अपनी संतुष्टी को प्राप्त कर गयी उनकी चूत से गंगा बह निकली पर मैं उन्हे दनादन चोदे ही जा रहा था और कोई 5 मिनिट बाद मैने भी अपने पानी से उनकी चूत को भर दिया

और उनके उपर ही लेट गया काकी बोली वाह रे तू तो छुपा रुस्तम निकला मुझे जवानी के दिनो की याद दिला दी तो मैने उनकी चुचि मसल्ते हुए कहा अभी तो पूरी रात हैं मेरी रंडी अगला नंबर तेरी गान्ड का लगेगा वो मुझसे चिपटते हुए बोली सब कुछ तेरा हैं जैसे तेरी इच्छा हो वैसे गान्ड मार या चूत बस मुझे ऐसे ही रगड़ता रह मैं तो तेरी गुलाम हो गयी हू और अपने मूह को मेरे सीने मे छुपा लिया
 
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