hotaks444
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मैने तो बस एक ही सपना देखा था मिता के साथ एक छोटा सा आशियाना बसाने का फिर मुझे ऐसे क्यो लगता था कि मिता जैसे मुझसे दिन ब दिन दूर जाती जा रही हो और निशा दूर होकर भी पास ही लगती थी मेरा मन एक अजीब से द्वंद मे फस गया था ये कैसी गुत्थी थी जिसको मैं सुलझा नही पा रहा था तकदीर कैसा खेल खेलने जा रही थी ये तो बस वक़्त के गर्भ मे ही छुपा था खैर मैने सोच लिया था कि अगला पूरा दिन मैं निशा के साथ ही बिताउन्गा तो अगले दिन मैने पापा से रिक्वेस्ट करके उनका स्कूटर माँग लिया और निशा के साथ नहर पे चला गया हम दोनो नहर पे बनी हुई पुलिया पे बैठे थे हल्की सी धूप बिखरी पड़ी थी मंद मंद चलती हुई सर्द हवा तो मैने अपने बॅग से कॅमरा निकाला और निशा को पास के सरसो के खेत मे खड़ा करके उसकी तस्वीरे लेने लगा ना जाने क्यो उसका साथ इतना अच्छा लगने लगा था मुझे हम दोनो मस्ती कर रहे थे तो निशा बोली कि उसने मेरी नौकरी के लिए मन्नत माँगी थी और तुम भी कल चले जाओगे तो क्यो ना हम आज ही चल कर मंदिर मे माता को चुन्नी चढ़ा आए तो मैने कहा चल और स्कूटर का कान मोड़ दिया
हम मंडी पहुचे पूजा का समान लिया फिर निशा ने पूजा की मैं बस उसको देखता ही रहा तभी पता चला कि मंदिर मे भंडारा लगा हुआ है तो हम भी वही बैठ गये और जीमने लगे मंदिर मे हमे काफ़ी टाइम लग गया था जब हम वापिस आ रहे थे तो निशा ने कहा अब तो तुम नौकरी वाले हो गये हो वहाँ जाकर मुझे भूल तो नही जाओगे तो मैने कहा तुम्हे क्या लगता है तो वो बोल ऐसी कहावत है ना कि पंछी जब अपना घोंसला छोड़के जाता है तो फिर वापिस नही आता तो मैने कहा तू हमेशा मेरी दोस्त थी और मरते दम तक रहेगी ……………………………
मैने उसको कहा कि मैं वहाँ जाकर जल्दी ही फोन खरीद लुगा फिर मैं उस से बाते तो करता ही रहूँगा तो वो कहने लगी कि मुझे तो अब तुम्हारी आदत पड़ गयी है भगवान जाने कैसे अड्जस्ट करूगी तुम्हारे बिना शाम तक मैं उसके ही साथ रहा मैं आज भी कहता हू कि वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था वो दिन आज भी भुलाए नही भूलता आज भी यू बेरंग हो चुकी तस्वीरो को देखता हू तो दिल बस तड़प कर रह जाता है
अगले दिन मैं कुछ जल्दी ही उठ गया था पर मेरे मन मे एक उधेड़बुन सी चल रही थी घर का माहौल थोड़ा टेन्षन वाला सा था आज मुझे अपने नये सफ़र पर जाना था आज लग रहा था कि जैसे मैं एक पल मे ही बड़ा बन गया था सभी घर वाले उदास से लग रहे थे तो मैं मम्मी के पाँवो मे बैठ गया और उसे कहा कि एक ना एक दिन तो कमाने जाना ही पड़ता ना तो फिर अब आप सभी लोग ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा पर अंदर से मेरा मन भी भारी हो रहा था फिर मैं तैयार होने चला गया इसी तरह दोपहर हो गयी थी मेरी दो बजे की ट्रेन थी तो मैने अपना बॅग उठाया और घर वालो से विदा ली वो सभी स्टेशन आना चाहते थे पर मैने उनको मना कर दिया जब मैं प्लॅटफॉर्म पे पहुचा तो देखा कि निशा वहाँ पहले से ही एक बेंच पर बैठी थी उसने मुझे देखा और एक फीकी मुस्कान की साथ मेरा अभिवादन किया मैं चुपचाप उसके साइड मे बैठ गया ना वो कुछ बोल रही थी ना मैं कुछ बोल पाया
ट्रेन आने मे अभी कुछ देर थी मैं उस से बात करना चाहता था पर मेरी ज़ुबान को जैसे लकवा मार गया हो मेरे अंदर कुछ घुटने सा लगा था ना चाहते हुए भी मेरी आँखो मे आँसू आ गये मैं अपनी हथेली से उनको पोंछ ही रहा था कि तभी ट्रेन आने की अनाउसमेंट हो गयी और कुछ ही मिंटो मे ट्रेन लग गयी मैं बस इतना ही कह पाया कि निशा मेरे गले नही लागो गी और वो मेरी बाहों मे समा गयी मुझे किसी की परवाह नही थी कोई देखे तो देखे निशा के आँसू उसके गालो से होते हुए बहने लगे अब मैं उस से अलग हुआ ट्रेन बस चलने को ही थी तो मैने उसको बस इतना ही कहा कि मुझे भूल मत जाना और ट्रेन मे चढ़ गया जब तक वो मेरी नज़रो से ओझल ना हो गयी मैं गेट पे खड़े खड़े उसको ही देखता रहा ना जाने क्या सोच कर मैने अपने आँसुओ को बहाने से नही रोका
हम मंडी पहुचे पूजा का समान लिया फिर निशा ने पूजा की मैं बस उसको देखता ही रहा तभी पता चला कि मंदिर मे भंडारा लगा हुआ है तो हम भी वही बैठ गये और जीमने लगे मंदिर मे हमे काफ़ी टाइम लग गया था जब हम वापिस आ रहे थे तो निशा ने कहा अब तो तुम नौकरी वाले हो गये हो वहाँ जाकर मुझे भूल तो नही जाओगे तो मैने कहा तुम्हे क्या लगता है तो वो बोल ऐसी कहावत है ना कि पंछी जब अपना घोंसला छोड़के जाता है तो फिर वापिस नही आता तो मैने कहा तू हमेशा मेरी दोस्त थी और मरते दम तक रहेगी ……………………………
मैने उसको कहा कि मैं वहाँ जाकर जल्दी ही फोन खरीद लुगा फिर मैं उस से बाते तो करता ही रहूँगा तो वो कहने लगी कि मुझे तो अब तुम्हारी आदत पड़ गयी है भगवान जाने कैसे अड्जस्ट करूगी तुम्हारे बिना शाम तक मैं उसके ही साथ रहा मैं आज भी कहता हू कि वो मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था वो दिन आज भी भुलाए नही भूलता आज भी यू बेरंग हो चुकी तस्वीरो को देखता हू तो दिल बस तड़प कर रह जाता है
अगले दिन मैं कुछ जल्दी ही उठ गया था पर मेरे मन मे एक उधेड़बुन सी चल रही थी घर का माहौल थोड़ा टेन्षन वाला सा था आज मुझे अपने नये सफ़र पर जाना था आज लग रहा था कि जैसे मैं एक पल मे ही बड़ा बन गया था सभी घर वाले उदास से लग रहे थे तो मैं मम्मी के पाँवो मे बैठ गया और उसे कहा कि एक ना एक दिन तो कमाने जाना ही पड़ता ना तो फिर अब आप सभी लोग ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा पर अंदर से मेरा मन भी भारी हो रहा था फिर मैं तैयार होने चला गया इसी तरह दोपहर हो गयी थी मेरी दो बजे की ट्रेन थी तो मैने अपना बॅग उठाया और घर वालो से विदा ली वो सभी स्टेशन आना चाहते थे पर मैने उनको मना कर दिया जब मैं प्लॅटफॉर्म पे पहुचा तो देखा कि निशा वहाँ पहले से ही एक बेंच पर बैठी थी उसने मुझे देखा और एक फीकी मुस्कान की साथ मेरा अभिवादन किया मैं चुपचाप उसके साइड मे बैठ गया ना वो कुछ बोल रही थी ना मैं कुछ बोल पाया
ट्रेन आने मे अभी कुछ देर थी मैं उस से बात करना चाहता था पर मेरी ज़ुबान को जैसे लकवा मार गया हो मेरे अंदर कुछ घुटने सा लगा था ना चाहते हुए भी मेरी आँखो मे आँसू आ गये मैं अपनी हथेली से उनको पोंछ ही रहा था कि तभी ट्रेन आने की अनाउसमेंट हो गयी और कुछ ही मिंटो मे ट्रेन लग गयी मैं बस इतना ही कह पाया कि निशा मेरे गले नही लागो गी और वो मेरी बाहों मे समा गयी मुझे किसी की परवाह नही थी कोई देखे तो देखे निशा के आँसू उसके गालो से होते हुए बहने लगे अब मैं उस से अलग हुआ ट्रेन बस चलने को ही थी तो मैने उसको बस इतना ही कहा कि मुझे भूल मत जाना और ट्रेन मे चढ़ गया जब तक वो मेरी नज़रो से ओझल ना हो गयी मैं गेट पे खड़े खड़े उसको ही देखता रहा ना जाने क्या सोच कर मैने अपने आँसुओ को बहाने से नही रोका