hotaks444
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तभी बाहर से किसी ने किवाड़ को खड़का दिया हम दोनो की तो गान्ड बुरी तरह से फॅट गयी फिर एक आवाज़ आई तो मैं तो जैसे मर ही गया ये तो मम्मी आ गयी थी और अंदर हम दोनो बचने का कोई रास्ता भी नही था वो लगता किवाड़ को खड़काए जा रही थी पसीना छलक आया मेरे माथे पे तो मैने गेट खोल दिया आख़िर कब तक ना खोलता जैसे ही वो अंदर आई और नज़ारा देखा मैं और वो काकी की लड़की खाट पे पड़ी गुड्दती हमारी कहानी को बयान कर रही थी वो तो तुरंत ही मम्मी के पाँवो मे पड़ गयी और रोते हुए बोली कि ताइजी मेरी कोई ग़लती नही है इसने मुझे पकड़ लिया और यहाँ ले आया तो मम्मी ने उसको कहा कि तू अपने घर जा वो तुरंत ही भाग छूटी अब बचा मैं मम्मी ने पहले तो तीन चार थप्पड़ रसीद किए मैने अपनी गर्दन झुका ली
उनका बीपी हाइ हो गया तो अब लगी मुझे गलियाँ बकने बहुत देर तक वो मुझे बकती रही मैं चुपचाप सुनता रहा जब वो कुछ शांत हुई तो मैं तुरंत ही वहाँ से भाग चला और सीधा घर आकर ही रुका मेरी गान्ड तो मर ही गयी थी मुझे बदहवास सा देखकर चाची पूछने लगी कि क्या हो गया तो मैने उको सारी कहानी बता दी वो बोली बेटा अब तो तू गया हम भी तुझे नही बचा सकते कोई दो घंटे बाद वो घर आई पर कुछ जिकर ना किया मुझे थोड़ी शान्ती मिली पर डर था कि कही पापा को कुछ ना बता दे माहौल काफ़ी टेन्षन वाला था रात को खाने तक सब ठीक ही था जब मैं सोने के लिए जा रहा था तभी पापा ने मुझे अपने कमरे मे बुलाया मैं अंदर जाके गर्दन झुका कर खड़ा हो गया तो उहोने कहा कि तेरी मम्मी ने आज तेरी शिकायत की है
मैं चुप ही रहा तो वो बोले बेटा ये जो हरकत तूने की है वो कही से भी माफी लायक नही है अब तू बरा बर का हो गया है तो क्या तुम्हे मारु बस इतना ही कहना चाहता हू कि अभी थोड़े मेच्यूर हो जाओ औरा आगे से ऐसा कोई काम मत करना जिस से तुम्हारी और परिवार की बदनामी हो माना कि तुम जवान हो पर थोड़ा कंट्रोल करो जैसे ही तुम्हारी पोस्टिंग होगी हम तुम्हारी शादी करवा देंगे पर तब तक तुम्हारी ऐसी कोई भी शिकायत नही आनी चाहिए मैने उनके पाव पकड़ लिए और माफी माँग ली वैसे भी मुझे दो दिन बाद जाना था तो दो दिन मैने घर पे ही काटे मम्मी तो मुझे दुश्मनो की तरह ही समझने लगी थी वो हर पल मेरे पिछे ही लगी रहती थी तो मैं भी शांत ही रहा दो दिन भी निकल गये और मैं अपनी जिंदगी को घिसने फिर से खडकवास्ला आ गया
वापिस आकर दो हफ्ते बहुत ही टाइट गुज़रे पर फिर धीरे धीरे मैं माहौल मे रंग ही गया समय अपनी गति से दौड़ता ही रहा मैने नया फोन खरीद लिया था तो दोस्तो से बाते भी होती ही रहती थी पर मैं अपने घर कम ही फोन करता था हफ्ते मे दो बार निशा की चिट्ठिया आ जाया करती थी कभी कभी मिता भी मेहरबानी कर दिया करती थी कुल मिला कर लाइफ कट ही रही थी कभी आउट पास मिल जाता तो दो- चार बॉटल बियर शाइर टिका दिया करते थे कभी कभी ऑफिसर्स की मॅडमो और लड़कियो को देखकर लड मे जोश आ जाता तो मुट्ठी ही मार लेता था इसी तरह से गान्ड घस्ते हुए मौसम बदल ता रहा और एक साल और गुजर गया अब बस 6 महीने और थे फिर हमे एनडीए देहराडू मे शिफ्ट होना था
हमारे ट्रैनिंग हवलदार ने एक दिन बताया कि अबकी बार टुकड़ो मे कॅडेट्स को 20 दिन की छुट्टी मिलेगी जो जाना चाहता है अपना नाम लिखवाओ हालाँकि मेरी भी इच्छा थी पर ना जाने क्यो मैने मना कर दिया और अकॅडमी मे ही रह गया 75-80% अकॅडमी खाली ही थी अब कुछ दिनो के लिए सुबह ड्रिल के बाद ज़्यादातर टाइम मैं खाली ही रहता था बस तीन टाइम मेस मे खाना खाना और सो जाना ये ही लाइफ थी एक दिन मेजर साहिब ने मुझे बुलाया और कहा कि अगर तू कहे तो मैं तेरी अरदली की ड्यूटी लगवा दूं कुछ दिनो के लिए तो तेरा टाइम भी ही पास हो जाएगा और कुछ एक्सपीरियेन्स भी हो जाएगा तो मैनें कहा कि जैसा आप ठीक समझे सर तो अगले दिन उन्होने मुझे दुबारा से बुलवाया और कहा कि तुम कॅप्ट.डॉक्टर. ऋतु चौहान के पास चले जाओ
उनका बीपी हाइ हो गया तो अब लगी मुझे गलियाँ बकने बहुत देर तक वो मुझे बकती रही मैं चुपचाप सुनता रहा जब वो कुछ शांत हुई तो मैं तुरंत ही वहाँ से भाग चला और सीधा घर आकर ही रुका मेरी गान्ड तो मर ही गयी थी मुझे बदहवास सा देखकर चाची पूछने लगी कि क्या हो गया तो मैने उको सारी कहानी बता दी वो बोली बेटा अब तो तू गया हम भी तुझे नही बचा सकते कोई दो घंटे बाद वो घर आई पर कुछ जिकर ना किया मुझे थोड़ी शान्ती मिली पर डर था कि कही पापा को कुछ ना बता दे माहौल काफ़ी टेन्षन वाला था रात को खाने तक सब ठीक ही था जब मैं सोने के लिए जा रहा था तभी पापा ने मुझे अपने कमरे मे बुलाया मैं अंदर जाके गर्दन झुका कर खड़ा हो गया तो उहोने कहा कि तेरी मम्मी ने आज तेरी शिकायत की है
मैं चुप ही रहा तो वो बोले बेटा ये जो हरकत तूने की है वो कही से भी माफी लायक नही है अब तू बरा बर का हो गया है तो क्या तुम्हे मारु बस इतना ही कहना चाहता हू कि अभी थोड़े मेच्यूर हो जाओ औरा आगे से ऐसा कोई काम मत करना जिस से तुम्हारी और परिवार की बदनामी हो माना कि तुम जवान हो पर थोड़ा कंट्रोल करो जैसे ही तुम्हारी पोस्टिंग होगी हम तुम्हारी शादी करवा देंगे पर तब तक तुम्हारी ऐसी कोई भी शिकायत नही आनी चाहिए मैने उनके पाव पकड़ लिए और माफी माँग ली वैसे भी मुझे दो दिन बाद जाना था तो दो दिन मैने घर पे ही काटे मम्मी तो मुझे दुश्मनो की तरह ही समझने लगी थी वो हर पल मेरे पिछे ही लगी रहती थी तो मैं भी शांत ही रहा दो दिन भी निकल गये और मैं अपनी जिंदगी को घिसने फिर से खडकवास्ला आ गया
वापिस आकर दो हफ्ते बहुत ही टाइट गुज़रे पर फिर धीरे धीरे मैं माहौल मे रंग ही गया समय अपनी गति से दौड़ता ही रहा मैने नया फोन खरीद लिया था तो दोस्तो से बाते भी होती ही रहती थी पर मैं अपने घर कम ही फोन करता था हफ्ते मे दो बार निशा की चिट्ठिया आ जाया करती थी कभी कभी मिता भी मेहरबानी कर दिया करती थी कुल मिला कर लाइफ कट ही रही थी कभी आउट पास मिल जाता तो दो- चार बॉटल बियर शाइर टिका दिया करते थे कभी कभी ऑफिसर्स की मॅडमो और लड़कियो को देखकर लड मे जोश आ जाता तो मुट्ठी ही मार लेता था इसी तरह से गान्ड घस्ते हुए मौसम बदल ता रहा और एक साल और गुजर गया अब बस 6 महीने और थे फिर हमे एनडीए देहराडू मे शिफ्ट होना था
हमारे ट्रैनिंग हवलदार ने एक दिन बताया कि अबकी बार टुकड़ो मे कॅडेट्स को 20 दिन की छुट्टी मिलेगी जो जाना चाहता है अपना नाम लिखवाओ हालाँकि मेरी भी इच्छा थी पर ना जाने क्यो मैने मना कर दिया और अकॅडमी मे ही रह गया 75-80% अकॅडमी खाली ही थी अब कुछ दिनो के लिए सुबह ड्रिल के बाद ज़्यादातर टाइम मैं खाली ही रहता था बस तीन टाइम मेस मे खाना खाना और सो जाना ये ही लाइफ थी एक दिन मेजर साहिब ने मुझे बुलाया और कहा कि अगर तू कहे तो मैं तेरी अरदली की ड्यूटी लगवा दूं कुछ दिनो के लिए तो तेरा टाइम भी ही पास हो जाएगा और कुछ एक्सपीरियेन्स भी हो जाएगा तो मैनें कहा कि जैसा आप ठीक समझे सर तो अगले दिन उन्होने मुझे दुबारा से बुलवाया और कहा कि तुम कॅप्ट.डॉक्टर. ऋतु चौहान के पास चले जाओ