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- Dec 5, 2013
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यह कम हैरत की बात नहीं थी कि वहां युवक के स्थान पर रंगा-बिल्ला की चीखें गूंज रही थी —जीवन में शायद वे पहली ही बार किसी से इतनी मार खा रहे थे।
युवक के सामने एक नहीं चल पा रही थी उसकी—हर दांव निष्फल।
एक बार बिल्ला को मौका लगा तो उसने चेन का आंग्रिम सिरा पकड़ लिया—अब , वे दोनों चेन को अपनी तरफ खींचने लगे—युवक ने सिर्फ एक हाथ से चेन का यह सिरा पकड़ रखा था और बिल्ला ने दोनों हाथों से।
रंगा ने उछलकर युवक पर वार किया।
युवक के लिए उसके वार को बेकार करना और अपना वार करना जरूरी हो गया , इस चक्कर में चेन उसे छोड़नी पड़ी—बिल्ला चेन समेत लड़खड़ाकर फर्श पर गिरा।
रंगा युवक के वार के परिणामस्वरूप दूसरी तरफ पड़ा फर्श चाट रहा था।
युवक ने जम्प लगाकर रुई की गांठ में धंसा चाकू निकाला , उधर बिल्ला चेन हाथ में लिए न केवल उछलकर खड़ा हो गया था , बल्कि युवक पर चेन का वार भी करने वाला था कि युवक ने आनन-फानन में अपने बांये हाथ से चाकू उस पर फेंक मारा।
घप्प से चाकू का फल बिल्ला की गर्दन के एक तरफ से निकलकर दूसरी तरफ पार निकल गया। हृदयविदारक चीख के साथ चेन को छोड़ता हुअर बिल्ला 'धड़ाम ' से फर्श पर गिरा।
फर्श पर गिरने से पहले ही बिल्ला मर चुका था।
पल भर के लिए रंगा हतप्रभ रह गया , जबकि युवक ने इसी क्षण का लाभ उठाते हुए फर्श पर पड़े रिवॉल्वर पर जम्प लगा दी।
रंगा तब चौंका , जब युवक ने रिवॉल्वर उसकी तरफ तानकर कहा—“हाथ ऊपर उठा दो रंगा , वरना इस रिवॉल्वर से निकली गोली तुम्हारे भेजे के चीथड़े उड़ा देगी।"
बिल्ला की लाश पर नजर पड़ते ही उसका चेहरा अत्यन्त वीभत्स हो गया। गोरा चेहरा भभककर लाल-सुर्ख पड़ गया। दांत भींचकर गुर्राया— “त...तूने बिल्ला को मार दिया है हरामजादे , तुझे मैं कच्चा चबा जाऊंगा।"
युवक बड़े प्यार से बोला , “अगर बिल्ला के पास नहीं पहुंचना चाहते हो बेटे , तो हाथ ऊपर उठा तो , आई से हैंड्स अप।"
रंगा ने वस्तुस्थिति को भांपा , हाथ स्वयं ही ऊपर उठते चले गए।
"वैरी गुड—यह हुई न अच्छे बच्चों वाली बात।" युवक ने जहरीली मुस्कान के साथ कहा— "अब जरा ध्यान से मेरी बात सुनो—सच्चाई ये है कि मैं तुममें से किसी को मारना नहीं चाहता था—यह इत्तफाक की बात है कि आनन-फानन में बिल्ला मर गया।"
बेबस रंगा दांत किटकिटाता हुआ सिर्फ हाथ मलकर रह गया।
युवक जानता था कि यदि रंगा का बस चले तो वह उसे कच्चा चबा जाए , उसकी बेबसी का मजा लूटता हुआ बोला—“सर्वेश की हत्या तुम्हारे 'शाही कोबरा ' ने की थी और उस जुर्म की सजा उसे ही मिलेगी , तुमने सर्वेश की लाश को ले जाकर केवल रेल की पटरी पर रखा था , मैं तुम्हें सिर्फ उसी जुर्म की सजा देना चाहता था—और वह सजा मौत नहीं थी , किन्तु संयोग से बिल्ला मर गया है।"
"इस संयोग की बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी तुझे।" रंगा गुर्राया।
“इस बात को अच्छी तरह समझ लो कि यदि तुमने मेरे सभी सवालों का सही जवाब दिया और मेरा बताया हुआ काम बिना-बाधा के किया तो मैं तुम्हें बख्श दूंगा। जिंदा रहे तो सम्भव है कि मौका लगने पर कभी मुझसे बिल्ला की मौत का बदला ले सको , मगर यदि तुमने मेरे सवालों का ठीक जवाब नहीं दिया , या मेरा एक खास काम नहीं किया तो बदला लेने का मौका तुम्हें कभी नहीं मिलेगा , क्योंकि यकीन मानो , उस अवस्था में मैं तुम्हें यहीं , अभी बिल्ला के पास पहुंचा दूंगा। ”
विवश रंगा कसमसाकर रह गया।
युवक ने पूछा— "पहला सवाल—मुझे बताओ कि उस दिन सात बजे तुम सर्वेश को उसकी सीट से उठाकर कहां ले गए थे ?"
"मैं तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा।" रंगा ने दृढ़तापूर्वक कहा।
मगर रंगा की यह दृढ़ता बहुत ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी।
इसी ललक ने रंगा को तोड़ दिया—युवक के हर सवाल का जवाब देता चला गया वह। जब युवक अपने सभी सवालों का जवाब पा चुका तो बोला— “थेंक्यू—अब तुम्हें इसी शराफत के साथ मेरा एक काम भी करना होगा।"
"क्या?" जीने के लिए रंगा ने पूछा।
"उस काम को सुनने से पहले जरा तुम एक चीज को ध्यान से देख तो और उसके काम करने के तरीके को गौर से सुन लो।" कहने के साथ ही उसने रिवॉल्वर पट्टियों से बंधे दाएं हाथ में ले लिया , बोला— "निश्चय ही मेरा यह हाथ जला हुआ है , मगर ध्यान रखना , ट्रेगर दबाने जैसा आसान काम यह हाथ यकीनन कर सकेगा। ”
रंगा शान्त रहा।
युवक ने बायां हाथ जेब में डालकर अण्डाकार बम जैसी वस्तु निकाली और उसे रंगा को दिखाता हुआ बोला— “तुम देख रहे हो कि यह एक बम है , देखने में भले ही छोटा लगे , मगर इतना शक्तिशाली जरूर है कि जहां फटेगा , वहां एक गज व्यास के घेरे में जितनी भी चीजें होंगी , उनके परखच्चे उड़ा देगा।"
रंगा की दृष्टि अण्डाकार बम पर जम गई।
"जिस तरह हैँडग्रेनेड में एक पिन होती है , उसी तरह की पिन इसमें भी है और उस पिन के हटते ही कस-से-कम तुम्हारे लिए यह अणुबम से भी कहीं ज्यादा खतरनाक बन जाएगा। ऐ , ये देखो , जरा ध्यान से देखो कि इसे मैंने किस तरह पकड़ रखा है।" कहने के साथ ही युवक ने बम को तर्जनी और अंगूठे के सिरे से पकड़ लिया , बोला—"अब जैसे ही दांतों से इसकी पिन निकालूंगा , वैसे ही यह साक्षात् मौत बन जाएगा—इस बम में किसी इंसानी जिस्म की ऊष्मा मात्र से फट जाने का गुण पैदा हो जाएगा।"
बहुत ही सावधानीपूर्वक युवक ने दांतों से उसमें से एक पिन खींच ली , बोला—“अब यह फटने के लिए तैयार है , किसी के छूने मात्र से फट जाएगा।"
" 'म...मगर यह सब कुछ तुम मुझे क्यों बता रहे हो ?"
"ताकि तुम अनावश्यक रूप से इस बम के साथ छेड़खानी न करो।"
"म...मुझे भला क्या जरूरत पड़ी है ?"
"अभी पता लग जाएगा।" कहते हुए युवक ने अण्डाकार बम आगे बढ़कर धीमें से रूई की एक गांठ के ऊपर रख दिया , जेब से इलेक्ट्रिक स्विच निकाला , अपनी रिस्टवॉच में समय देखने के बाद बोला— “हालांकि तुम कोई तार आदि ऐसा कुछ नहीं देख रहे हो , जिससे समझ सको कि इस बम का सम्बन्ध इस स्विच से भी है।"
"स्विच से ?”
"हां , दरअसल यह स्विच इस बम को फटने से रोकने के लिए बनाया गया है।"
"क्या मतलब ?”
"अगर मैं तकनीकी जानकारी बताने बैठा तो शाम इसी गोदाम में हो जाएगी। फिर भी विश्वासपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि तुम उसे समझ ही जाओगे , इसीलिए मोटी-सी बात यह जान लो कि इस बम में हर पांच मिनट बाद फट पड़ने की तीव्र इच्छा होती है , जैसा कि मैंने बताया , यह स्विच बम को फटने से रोकने के लिए बनाया गया है , प्रत्येक पांच मिनट के अन्दर इस स्विच को दबाना जरूरी है , यदि इस स्विच को नहीं दबाया गया तो समझ तो कि छठे मिनट में बम फट जाएगा।"
"क्या मतलब ?”
"मतलब यह ” रिस्टवॉच में समय देखते ही युवक ने अपने हाथ में दबे स्विच को एक बार दबा दिया। इधर स्विच दबा , उधर बम में 'पिंग-पिंग ' की आवाज़ के साथ एक हरा बल्ब लपलपाया। युवक ने कहा— “इस स्विच के दबते ही बम में छुपा हरा बल्ब पिंग-पिंग की आवाज के साथ ही लपलपाएगा—इसका अर्थ है कि बम को अगले पांच मिनट तक फटने से रोक दिया गया है—जिन पांच मिनट के बीच इस स्विच को नहीं दबाया जाएगा , उनके गुजरते ही बम फट जाएगा।"
"अजीब बम है ?"
युवक ने आगे बढ़कर बम को तर्जनी और अंगूठे के सिरे से सावधानी के साथ उठा लिया और रंगा के नजदीक पहुंचा। रिवाल्वर से कवर किए उसके पीछे पहुंचा और फिर अचानक ही बम को उसने रंगा के कॉलर के अन्दर डाल दिया।
"य...ये क्या कर रहे हो ?" दहशत के कारण रंगा चीख पड़ा।
उसकी पीठ पर से सरसराता हुआ बम पतलून की वेस्ट पर अटक गया। अब वह पीठ के सबसे निचले सिरे पर अटका हुआ था और बम की 'चुभन ' वह स्पष्ट महसूस कर रहा था। युवक अजीब-से अन्दाज में हंसता हुआ उसके सामने आ गया और बोला— “ अब तुम महसूस कर सकते हो कि बम कहां है—इतना भी समझ सकते हो कि तुम्हारी त्वचा से सिर्फ यही 'प्वाइंट ' 'टच ' है जिस पर जिस्म की ऊष्मा से कोई फर्क नहीं पड़ता है , अगर ऐसा न होता तो अब तक बम फट चुका होता और तुम्हारे जिस्म के परखच्चे इस गोदाम में बिखरे पड़े होते।"
रंगा का सफेद चेहरा निचुड़े हुए कपड़े-सा निस्तेज हो गया। आतंकित स्वर में उसने पूछा— "म...मगर यह तुमने यहां क्यों डाल दिया है ?"
युवक ने कहा— "अब , न तो तुम ज्यादा उछल-कूद कर सकते हो—और न ही किसी अन्य की मदद से बम को वहां से निकाल सकते हो—बम वहीं रहेगा—स्विच मेरे पास है—भले ही एक-दूसरे से हम चाहे जितनी दूर चले जाएं , मगर स्विच और बम का सम्बन्ध विच्छेद नहीं होगा—बम में एक माइक्रोफोन भी है , जो मुझे बताता रहेगा कि तुम कहां , किससे , क्या बातें कर रहे हो—जब तक मैं प्रत्येक पांच मिनट के अन्तराल पर स्विच को दबाता रहूंगा , तब तक तुम जीवित रहोगे और जिस अन्तराल में मैँने इसे नहीं दबाया , वह तुम्हारी जिन्दगी का आखिरी अन्तराल होगा।"
रंगा के जिस्म से मानो समूचा खून निचोड़ लिया गया।
"हर अन्तराल पर मैं तब तक इसे दबाता रहूंगा जब तक कि तुम मेरे अनुसार काम करते रहोगे — और अन्त में खुश होकर बम को वहां से हटा दूंगा।"
“त …तुम क्या चाहते हो ?" रंगा को अपनी ही आवाज किसी गहरे कुएं से उभरती-सी महसूस हुई।
युवक के सामने एक नहीं चल पा रही थी उसकी—हर दांव निष्फल।
एक बार बिल्ला को मौका लगा तो उसने चेन का आंग्रिम सिरा पकड़ लिया—अब , वे दोनों चेन को अपनी तरफ खींचने लगे—युवक ने सिर्फ एक हाथ से चेन का यह सिरा पकड़ रखा था और बिल्ला ने दोनों हाथों से।
रंगा ने उछलकर युवक पर वार किया।
युवक के लिए उसके वार को बेकार करना और अपना वार करना जरूरी हो गया , इस चक्कर में चेन उसे छोड़नी पड़ी—बिल्ला चेन समेत लड़खड़ाकर फर्श पर गिरा।
रंगा युवक के वार के परिणामस्वरूप दूसरी तरफ पड़ा फर्श चाट रहा था।
युवक ने जम्प लगाकर रुई की गांठ में धंसा चाकू निकाला , उधर बिल्ला चेन हाथ में लिए न केवल उछलकर खड़ा हो गया था , बल्कि युवक पर चेन का वार भी करने वाला था कि युवक ने आनन-फानन में अपने बांये हाथ से चाकू उस पर फेंक मारा।
घप्प से चाकू का फल बिल्ला की गर्दन के एक तरफ से निकलकर दूसरी तरफ पार निकल गया। हृदयविदारक चीख के साथ चेन को छोड़ता हुअर बिल्ला 'धड़ाम ' से फर्श पर गिरा।
फर्श पर गिरने से पहले ही बिल्ला मर चुका था।
पल भर के लिए रंगा हतप्रभ रह गया , जबकि युवक ने इसी क्षण का लाभ उठाते हुए फर्श पर पड़े रिवॉल्वर पर जम्प लगा दी।
रंगा तब चौंका , जब युवक ने रिवॉल्वर उसकी तरफ तानकर कहा—“हाथ ऊपर उठा दो रंगा , वरना इस रिवॉल्वर से निकली गोली तुम्हारे भेजे के चीथड़े उड़ा देगी।"
बिल्ला की लाश पर नजर पड़ते ही उसका चेहरा अत्यन्त वीभत्स हो गया। गोरा चेहरा भभककर लाल-सुर्ख पड़ गया। दांत भींचकर गुर्राया— “त...तूने बिल्ला को मार दिया है हरामजादे , तुझे मैं कच्चा चबा जाऊंगा।"
युवक बड़े प्यार से बोला , “अगर बिल्ला के पास नहीं पहुंचना चाहते हो बेटे , तो हाथ ऊपर उठा तो , आई से हैंड्स अप।"
रंगा ने वस्तुस्थिति को भांपा , हाथ स्वयं ही ऊपर उठते चले गए।
"वैरी गुड—यह हुई न अच्छे बच्चों वाली बात।" युवक ने जहरीली मुस्कान के साथ कहा— "अब जरा ध्यान से मेरी बात सुनो—सच्चाई ये है कि मैं तुममें से किसी को मारना नहीं चाहता था—यह इत्तफाक की बात है कि आनन-फानन में बिल्ला मर गया।"
बेबस रंगा दांत किटकिटाता हुआ सिर्फ हाथ मलकर रह गया।
युवक जानता था कि यदि रंगा का बस चले तो वह उसे कच्चा चबा जाए , उसकी बेबसी का मजा लूटता हुआ बोला—“सर्वेश की हत्या तुम्हारे 'शाही कोबरा ' ने की थी और उस जुर्म की सजा उसे ही मिलेगी , तुमने सर्वेश की लाश को ले जाकर केवल रेल की पटरी पर रखा था , मैं तुम्हें सिर्फ उसी जुर्म की सजा देना चाहता था—और वह सजा मौत नहीं थी , किन्तु संयोग से बिल्ला मर गया है।"
"इस संयोग की बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी तुझे।" रंगा गुर्राया।
“इस बात को अच्छी तरह समझ लो कि यदि तुमने मेरे सभी सवालों का सही जवाब दिया और मेरा बताया हुआ काम बिना-बाधा के किया तो मैं तुम्हें बख्श दूंगा। जिंदा रहे तो सम्भव है कि मौका लगने पर कभी मुझसे बिल्ला की मौत का बदला ले सको , मगर यदि तुमने मेरे सवालों का ठीक जवाब नहीं दिया , या मेरा एक खास काम नहीं किया तो बदला लेने का मौका तुम्हें कभी नहीं मिलेगा , क्योंकि यकीन मानो , उस अवस्था में मैं तुम्हें यहीं , अभी बिल्ला के पास पहुंचा दूंगा। ”
विवश रंगा कसमसाकर रह गया।
युवक ने पूछा— "पहला सवाल—मुझे बताओ कि उस दिन सात बजे तुम सर्वेश को उसकी सीट से उठाकर कहां ले गए थे ?"
"मैं तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा।" रंगा ने दृढ़तापूर्वक कहा।
मगर रंगा की यह दृढ़ता बहुत ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी।
इसी ललक ने रंगा को तोड़ दिया—युवक के हर सवाल का जवाब देता चला गया वह। जब युवक अपने सभी सवालों का जवाब पा चुका तो बोला— “थेंक्यू—अब तुम्हें इसी शराफत के साथ मेरा एक काम भी करना होगा।"
"क्या?" जीने के लिए रंगा ने पूछा।
"उस काम को सुनने से पहले जरा तुम एक चीज को ध्यान से देख तो और उसके काम करने के तरीके को गौर से सुन लो।" कहने के साथ ही उसने रिवॉल्वर पट्टियों से बंधे दाएं हाथ में ले लिया , बोला— "निश्चय ही मेरा यह हाथ जला हुआ है , मगर ध्यान रखना , ट्रेगर दबाने जैसा आसान काम यह हाथ यकीनन कर सकेगा। ”
रंगा शान्त रहा।
युवक ने बायां हाथ जेब में डालकर अण्डाकार बम जैसी वस्तु निकाली और उसे रंगा को दिखाता हुआ बोला— “तुम देख रहे हो कि यह एक बम है , देखने में भले ही छोटा लगे , मगर इतना शक्तिशाली जरूर है कि जहां फटेगा , वहां एक गज व्यास के घेरे में जितनी भी चीजें होंगी , उनके परखच्चे उड़ा देगा।"
रंगा की दृष्टि अण्डाकार बम पर जम गई।
"जिस तरह हैँडग्रेनेड में एक पिन होती है , उसी तरह की पिन इसमें भी है और उस पिन के हटते ही कस-से-कम तुम्हारे लिए यह अणुबम से भी कहीं ज्यादा खतरनाक बन जाएगा। ऐ , ये देखो , जरा ध्यान से देखो कि इसे मैंने किस तरह पकड़ रखा है।" कहने के साथ ही युवक ने बम को तर्जनी और अंगूठे के सिरे से पकड़ लिया , बोला—"अब जैसे ही दांतों से इसकी पिन निकालूंगा , वैसे ही यह साक्षात् मौत बन जाएगा—इस बम में किसी इंसानी जिस्म की ऊष्मा मात्र से फट जाने का गुण पैदा हो जाएगा।"
बहुत ही सावधानीपूर्वक युवक ने दांतों से उसमें से एक पिन खींच ली , बोला—“अब यह फटने के लिए तैयार है , किसी के छूने मात्र से फट जाएगा।"
" 'म...मगर यह सब कुछ तुम मुझे क्यों बता रहे हो ?"
"ताकि तुम अनावश्यक रूप से इस बम के साथ छेड़खानी न करो।"
"म...मुझे भला क्या जरूरत पड़ी है ?"
"अभी पता लग जाएगा।" कहते हुए युवक ने अण्डाकार बम आगे बढ़कर धीमें से रूई की एक गांठ के ऊपर रख दिया , जेब से इलेक्ट्रिक स्विच निकाला , अपनी रिस्टवॉच में समय देखने के बाद बोला— “हालांकि तुम कोई तार आदि ऐसा कुछ नहीं देख रहे हो , जिससे समझ सको कि इस बम का सम्बन्ध इस स्विच से भी है।"
"स्विच से ?”
"हां , दरअसल यह स्विच इस बम को फटने से रोकने के लिए बनाया गया है।"
"क्या मतलब ?”
"अगर मैं तकनीकी जानकारी बताने बैठा तो शाम इसी गोदाम में हो जाएगी। फिर भी विश्वासपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि तुम उसे समझ ही जाओगे , इसीलिए मोटी-सी बात यह जान लो कि इस बम में हर पांच मिनट बाद फट पड़ने की तीव्र इच्छा होती है , जैसा कि मैंने बताया , यह स्विच बम को फटने से रोकने के लिए बनाया गया है , प्रत्येक पांच मिनट के अन्दर इस स्विच को दबाना जरूरी है , यदि इस स्विच को नहीं दबाया गया तो समझ तो कि छठे मिनट में बम फट जाएगा।"
"क्या मतलब ?”
"मतलब यह ” रिस्टवॉच में समय देखते ही युवक ने अपने हाथ में दबे स्विच को एक बार दबा दिया। इधर स्विच दबा , उधर बम में 'पिंग-पिंग ' की आवाज़ के साथ एक हरा बल्ब लपलपाया। युवक ने कहा— “इस स्विच के दबते ही बम में छुपा हरा बल्ब पिंग-पिंग की आवाज के साथ ही लपलपाएगा—इसका अर्थ है कि बम को अगले पांच मिनट तक फटने से रोक दिया गया है—जिन पांच मिनट के बीच इस स्विच को नहीं दबाया जाएगा , उनके गुजरते ही बम फट जाएगा।"
"अजीब बम है ?"
युवक ने आगे बढ़कर बम को तर्जनी और अंगूठे के सिरे से सावधानी के साथ उठा लिया और रंगा के नजदीक पहुंचा। रिवाल्वर से कवर किए उसके पीछे पहुंचा और फिर अचानक ही बम को उसने रंगा के कॉलर के अन्दर डाल दिया।
"य...ये क्या कर रहे हो ?" दहशत के कारण रंगा चीख पड़ा।
उसकी पीठ पर से सरसराता हुआ बम पतलून की वेस्ट पर अटक गया। अब वह पीठ के सबसे निचले सिरे पर अटका हुआ था और बम की 'चुभन ' वह स्पष्ट महसूस कर रहा था। युवक अजीब-से अन्दाज में हंसता हुआ उसके सामने आ गया और बोला— “ अब तुम महसूस कर सकते हो कि बम कहां है—इतना भी समझ सकते हो कि तुम्हारी त्वचा से सिर्फ यही 'प्वाइंट ' 'टच ' है जिस पर जिस्म की ऊष्मा से कोई फर्क नहीं पड़ता है , अगर ऐसा न होता तो अब तक बम फट चुका होता और तुम्हारे जिस्म के परखच्चे इस गोदाम में बिखरे पड़े होते।"
रंगा का सफेद चेहरा निचुड़े हुए कपड़े-सा निस्तेज हो गया। आतंकित स्वर में उसने पूछा— "म...मगर यह तुमने यहां क्यों डाल दिया है ?"
युवक ने कहा— "अब , न तो तुम ज्यादा उछल-कूद कर सकते हो—और न ही किसी अन्य की मदद से बम को वहां से निकाल सकते हो—बम वहीं रहेगा—स्विच मेरे पास है—भले ही एक-दूसरे से हम चाहे जितनी दूर चले जाएं , मगर स्विच और बम का सम्बन्ध विच्छेद नहीं होगा—बम में एक माइक्रोफोन भी है , जो मुझे बताता रहेगा कि तुम कहां , किससे , क्या बातें कर रहे हो—जब तक मैं प्रत्येक पांच मिनट के अन्तराल पर स्विच को दबाता रहूंगा , तब तक तुम जीवित रहोगे और जिस अन्तराल में मैँने इसे नहीं दबाया , वह तुम्हारी जिन्दगी का आखिरी अन्तराल होगा।"
रंगा के जिस्म से मानो समूचा खून निचोड़ लिया गया।
"हर अन्तराल पर मैं तब तक इसे दबाता रहूंगा जब तक कि तुम मेरे अनुसार काम करते रहोगे — और अन्त में खुश होकर बम को वहां से हटा दूंगा।"
“त …तुम क्या चाहते हो ?" रंगा को अपनी ही आवाज किसी गहरे कुएं से उभरती-सी महसूस हुई।