desiaks
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“साले कमीने कुत्ते आखिर मुझे अपनी कुतिया बना ही लिया, बेटी चोद, आह ओ्ह्ह्ह्ह” मैं कुतिया की तरह उनके लौड़े से फंसी बड़ बड़ करती रही। करीब बीस मिनट तक हम कुत्ते कुतिया की तरह आपस में जुड़े रहे उसके बाद उनका लंड सामान्य हुआ और “फच्चाक” की आवाज से मेरी चूत से बाहर निकल आया। हमारी चुदाई को सभी बड़े ही आश्चर्य, अविश्वास और कौतूहल से देख देख मजा लेते रहे। यह कार्यक्रम करीब दो घंटे तक चलता रहा था। सभी मर्दों ने जी भर के मनमाने ढंग से मुझे चोदा और अपने अंदर की ग्लानी से मुक्त हो कर मानो हवा में उड़ने लगे थे। सभी खुश थे और मैं भी बेहद खुश थी कि इन पांच वहशी दरिंदों की दरिंदगी भरी कामक्रीड़ा में शामिल हो कर उनकी सामुहिक भोग्या बन कर अकेले दम पर उनकी काम पिपाशा शांत कर सकी। मुझे अपनी क्षमता पर नाज़ हो रहा था, यह और बात है कि इस तरह मैं बड़ी ही बेशरम, नीच, छिनाल बनती जा रही थी। हम सभी थके मांदे पूरी तरह संतुष्ट निढाल नंग धड़ंग अवस्था में फर्श पर बिछे कालीन पर पड़े हुए थे।
मेरी चूचियों और सीने पर नानाजी और बड़े दादाजी के दांतों के लाल लाल निशान पड़ गये थे। करीम चाचा ने इस बेदर्दी से मेरी चूचियों को मसला था कि अभी भी दर्द कर रहा था जो कि चुदाई की मस्ती में मुझे महसूस नहीं हुआ था। मेरी चूत तो फूल कर किसी चुदी हुई कुतिया की तरह बाहर की ओर उभर आई थी। मेरी गांड़ का तो करीम चाचा ने सच में भुर्ता बना दिया था।
अचानक नानाजी, दादाजी से बोले, “अरे रघु, तूने चोदते समय कामिनी को रंडी की औलाद, कुतिया की औलाद क्यों कहा था?”
“यह सच है। इसकी मां सही में छिनाल ही थी। चाहे अनचाहे वह रंडी बनी। मेरा बेटा बच्चा पैदा करने के काबिल नहीं है यह बात मैं जान गया था, उस डॉक्टर से जिसने उसकी जांच की थी। उसका वीर्य बहुत पतला था। उसके वीर्य में शुक्राणु नहीं के बराबर थे या बहुत कमजोर थे जो लाइलाज था। फिर भी मेरी बहु गर्भवती हुई। मैं चकित था और एक दिन मैं ने अकेले में उससे पूछ ही लिया, “बहु सच बताओ, किसका बच्चा तेरे पेट में पल रहा है?” वह सन्न रह गई।
मैं बोला, “देखो मुझे पता है कि मेरा बेटा बाप नहीं बन सकता है। तूने किसके साथ मुंह काला किया है? मुझे सच बताओ तो मैं कुछ नहीं बोलुंगा, क्योंकि यह हमारे परिवार की इज्जत का सवाल है। तू गर्भवती है, सभी खुश हैं, हमारे खानदान का चिराग आने वाला है इस ख्याल से मैं भी खुश हूं। अब बता कौन है वह आदमी?” डरते डरते और रोते रोते उसने हरिया का नाम लिया। मैं ने उसे कहा कि यह बात और किसी को पता नहीं चलना चाहिए। फिर उसने इस लौंडिया को जन्म दिया। हम थोड़े निराश हुए लेकिन एक संतान होने की खुशी परिवार में थी। मुझे इस बात की तसल्ली थी कि मेरी बहु मां बन सकती है।
मैं ने कामिनी के पैदा होने के एक साल बाद बहु से कहा, “अब हमें खानदान चलाने के लिए एक बेटे की जरूरत है। मैं नहीं चाहता कि तुम फिर से बाहर के किसी मर्द के बच्चे को जन्म दो, जब घर में ही मेरे जैसा मर्द उपलब्ध है तो क्यों नहीं मुझसे ही संभोग करके गर्भधारण करती हो?”
मेरे इस प्रस्ताव से वह हत्प्रभ रह गई फिर बोली, “हाय राम, ससुरजी आप के साथ?”
“हां मेरे साथ। क्यों, मुझमें क्या खराबी है? चुपचाप मेरी बात मान लो वरना ठीक नहीं होगा।” मैं बोला। असल में जब से मुझे पता चला कि बहु लक्ष्मी बाहर के मर्द से चुद चुकी है, मैं उसे अलग ही नजर से देखने लगा था। उसके मस्त जवान नंगे बदन को अपनी बाहों में भर कर चोदने का ख्याल बार बार मेरे दिमाग में घूमता रहता था। मैं ने इसी बहाने से उसे मजबूर किया और चोदा।
यह सब मेरे इस चचेरे बड़े भाई केशव को एक दिन पता चला तो मुझसे बोला, “साले मादरचोद, अकेले अकेले इतने मस्त माल में हाथ साफ कर रहे हो? मुझे भूल गए हरामी? मैं भी बहु को चोदुंगा।” मैं क्या करता। राजी हो गया और बहु को केशव से भी चुदने के लिए मजबूर किया। फिर ठीक नौ महीने बाद इसका भाई पैदा हुआ। इस तरह मैं कुछ हद तक अपनी बहु लक्ष्मी को रंडी बना दिया।”
“ओह दादाजी आप तो बहुत बड़े हरामी निकले। मेरी मां को भी रंडी बना दिया।” मैं बोली।
नानाजी भी बेसाख्ता बोल उठे, “साले मादरचोद मेरी बेटी को इस हरामी हरिया के साथ साथ तुम दोनों भी चोद लिए? बड़े कमीने हो साले हरामियों।”
अगले भाग में आप विस्तार से जानेंगे कि किस तरह से मेरे दादाजी और बड़े दादाजी का मेरी मां के साथ अनैतिक संबंध स्थापित हुआ।
तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।
मेरी चूचियों और सीने पर नानाजी और बड़े दादाजी के दांतों के लाल लाल निशान पड़ गये थे। करीम चाचा ने इस बेदर्दी से मेरी चूचियों को मसला था कि अभी भी दर्द कर रहा था जो कि चुदाई की मस्ती में मुझे महसूस नहीं हुआ था। मेरी चूत तो फूल कर किसी चुदी हुई कुतिया की तरह बाहर की ओर उभर आई थी। मेरी गांड़ का तो करीम चाचा ने सच में भुर्ता बना दिया था।
अचानक नानाजी, दादाजी से बोले, “अरे रघु, तूने चोदते समय कामिनी को रंडी की औलाद, कुतिया की औलाद क्यों कहा था?”
“यह सच है। इसकी मां सही में छिनाल ही थी। चाहे अनचाहे वह रंडी बनी। मेरा बेटा बच्चा पैदा करने के काबिल नहीं है यह बात मैं जान गया था, उस डॉक्टर से जिसने उसकी जांच की थी। उसका वीर्य बहुत पतला था। उसके वीर्य में शुक्राणु नहीं के बराबर थे या बहुत कमजोर थे जो लाइलाज था। फिर भी मेरी बहु गर्भवती हुई। मैं चकित था और एक दिन मैं ने अकेले में उससे पूछ ही लिया, “बहु सच बताओ, किसका बच्चा तेरे पेट में पल रहा है?” वह सन्न रह गई।
मैं बोला, “देखो मुझे पता है कि मेरा बेटा बाप नहीं बन सकता है। तूने किसके साथ मुंह काला किया है? मुझे सच बताओ तो मैं कुछ नहीं बोलुंगा, क्योंकि यह हमारे परिवार की इज्जत का सवाल है। तू गर्भवती है, सभी खुश हैं, हमारे खानदान का चिराग आने वाला है इस ख्याल से मैं भी खुश हूं। अब बता कौन है वह आदमी?” डरते डरते और रोते रोते उसने हरिया का नाम लिया। मैं ने उसे कहा कि यह बात और किसी को पता नहीं चलना चाहिए। फिर उसने इस लौंडिया को जन्म दिया। हम थोड़े निराश हुए लेकिन एक संतान होने की खुशी परिवार में थी। मुझे इस बात की तसल्ली थी कि मेरी बहु मां बन सकती है।
मैं ने कामिनी के पैदा होने के एक साल बाद बहु से कहा, “अब हमें खानदान चलाने के लिए एक बेटे की जरूरत है। मैं नहीं चाहता कि तुम फिर से बाहर के किसी मर्द के बच्चे को जन्म दो, जब घर में ही मेरे जैसा मर्द उपलब्ध है तो क्यों नहीं मुझसे ही संभोग करके गर्भधारण करती हो?”
मेरे इस प्रस्ताव से वह हत्प्रभ रह गई फिर बोली, “हाय राम, ससुरजी आप के साथ?”
“हां मेरे साथ। क्यों, मुझमें क्या खराबी है? चुपचाप मेरी बात मान लो वरना ठीक नहीं होगा।” मैं बोला। असल में जब से मुझे पता चला कि बहु लक्ष्मी बाहर के मर्द से चुद चुकी है, मैं उसे अलग ही नजर से देखने लगा था। उसके मस्त जवान नंगे बदन को अपनी बाहों में भर कर चोदने का ख्याल बार बार मेरे दिमाग में घूमता रहता था। मैं ने इसी बहाने से उसे मजबूर किया और चोदा।
यह सब मेरे इस चचेरे बड़े भाई केशव को एक दिन पता चला तो मुझसे बोला, “साले मादरचोद, अकेले अकेले इतने मस्त माल में हाथ साफ कर रहे हो? मुझे भूल गए हरामी? मैं भी बहु को चोदुंगा।” मैं क्या करता। राजी हो गया और बहु को केशव से भी चुदने के लिए मजबूर किया। फिर ठीक नौ महीने बाद इसका भाई पैदा हुआ। इस तरह मैं कुछ हद तक अपनी बहु लक्ष्मी को रंडी बना दिया।”
“ओह दादाजी आप तो बहुत बड़े हरामी निकले। मेरी मां को भी रंडी बना दिया।” मैं बोली।
नानाजी भी बेसाख्ता बोल उठे, “साले मादरचोद मेरी बेटी को इस हरामी हरिया के साथ साथ तुम दोनों भी चोद लिए? बड़े कमीने हो साले हरामियों।”
अगले भाग में आप विस्तार से जानेंगे कि किस तरह से मेरे दादाजी और बड़े दादाजी का मेरी मां के साथ अनैतिक संबंध स्थापित हुआ।
तब तक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।