desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
प्रिय पाठकों, अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि पांच बुजुर्गों के साथ मेरे अनैतिक संबंध को किस तरह विवाह जैसे पवित्र बंधन का जामा पहना दिया गया था और हमारे अंदर अब किसी तरह का अपराधबोध नहीं रह गया था, फलस्वरूप अब हम पति-पत्नी बन कर अंतरंग संबंधों का लुत्फ बेरोकटोक उठाने को स्वतंत्र थे, जिसका विधिवत शुभारंभ हमारी बेशर्मी भरी सुहागरात से हो चुकी थी। इसकेे प्रत्यक्ष साक्षी मेरी मां, चाची और पंडित जी थे। उन्होंने न सिर्फ हमारी बेहयाई भरी सुहागरात को अपनी आंखों से देखा, साथ ही साथ मां, चाची और पंडित जी ने हमारी आंखों के समक्ष आपस में वासना का नंगा नाच भी खेला। उस कमरे में उपस्थित सारे लोगों पर से वासना के तूफान का एक दौर गुजर चुका था। सभी लस्त पस्त नग्नावस्था में अस्त व्यस्त हालत में पड़े हुए थे। मैं अपने पांचों पतियों की मनमानी में पूर्ण रूप से समर्पित सहभागी होकर उन्हें पूरी संतुष्टि और खुशी प्रदान करती करती खुद भी स्त्रीत्व का आनंद लेती रही और इस दौरान मेरे साथ जो धकमपेल हुआ, उसके उपरांत थकान से चूर निढाल हो गई थी। उधर पंडित जी ने भी मेरी मां और चाची को तो अपनी चुदाई से बेहाल कर दिया मगर इस धींगामुश्ती में खुद भी थक कर चूर लुढ़के पड़े थे। इसी दौरान मेरे दिमाग में यह कुत्सित विचार आया कि क्यों न अभी ही मेरी मां के रंडीपन को अपनी आंखों से देखूं। मैं ने दादाजी के कानों में यह बात डाल दी और साथ ही यह भी कहा कि यह आप लोगों की पत्नी की इच्छा है और ज्यों ही मेरे बाकी पतियों को मेरी ख्वाहिश के बारे में पता चला, आज्ञाकारी पतियों की तरह प्रत्यक्ष रूप से मुझे खुश करने के लिए (किंतु परोक्ष रूप से शायद वे भी यही चाहते थे) देखते ही देखते मेरे पांचों पतियों के लिंग टनटना कर पुनः खड़े हो गए, जैसे शिकार को देख कर भेड़ियों की आंखों में चमक आ जाती है, वैसे ही सब की आंखों में चमक आ गई और सब के सब टूट पड़ने को तैयार हो गये।
“ध्यान रखिएगा कि सबसे पहले नानाजी का लौड़ा अपनी बेटी की चूत में घुसना चाहिए, क्योंकि वे मेरी मां को पहली बार चोदेंगे, फिर करीम चाचा, उनका लंड भी मेरी मां की चूत में पहली बार जाएगा और उसके बाद बाकी सब, क्योंकि आप लोग तो मेरी मां को पहले भी कई बार चोद चुके हैं। जैसी मर्जी वैसा चोदिए, जरा मैं भी तो अपनी मां के रंडीपन को देखूं” मैं ने कुटिलतापूर्वक मुस्कुराते हुए फुसफुसा कर उन्हें हिदायत दी। सब सहर्ष अपनी सहमत हो गए।
“अब देख क्या रहे हो, टूट पड़ो मेरे पतियों।” मैं ने सिग्नल दे दिया।
“जैसी आपकी आज्ञा श्रीमती जी” सब एक स्वर में बोल उठे और फिर पंडित जी से नुच चुद कर बेहाल लस्त पस्त थकी निढाल मेरी मां के नग्न जिस्म पर किसी भूखे शिकारी कुत्तों की तरह टूट पड़े। मेरी मां अपने ऊपर हुए इस आकस्मिक आक्रमण से दहशत में भर गई और बदहवास चीख पड़ी, “छोड़ो हरामियों मुझे, आह, कमीनों, मेरी बेटी को चोद कर पेट नहीं भरा क्या? कामिनी रोक अपने चोदू पतियों को, हाय राम ओह।” छटपटाती हुई अपने आप को उन भेड़ियों के चंगुल से मुक्त होने की असफल कोशिश करने लगी, किंतु मेरे काम पिपाशु पतियों को भला अब कौन रोक सकता था, बेलगाम पशुओं की तरह लगे भंभोड़ने, नोचने खसोटने। बड़े दादाजी मेरी मां की मोटी मोटी गांड़ में मुंह डाल कर चाटने लगे, दादाजी मां की पावरोटी जैसी योनि को चूसने चाटने लगे, करीम और हरिया बड़ी थल थल करती स्तनों को बेरहमी से चीपने और चूसने लगे, इधर जैसे ही मेरे बुलडोग थूथन वाले काले तोंदियल पति नानाजी अपने टन्नाए हुए मूसल जैसे लिंग के साथ मां के मुंह के पास पहुंचे, मां गिड़गिड़ाने लगी, “नहीं पापा, प्लीज आप तो अपनी बेटी के साथ ऐसा मत कीजिए”।
नानाजी गुर्राहट के साथ बोले, “अभी पापा बोलती है साली हरामजादी कुतिया, जब सभी ऐरे गैरे नत्थू खैरे मर्दों के लंड से अपनी चूत की कुटाई करवा करवा कर हमारी नाक कटवा रही थी तब यह ख्याल नहीं आया? पहले तू हमारी बेटी थी, अब बेटी से हमारी सास बन गई, लेकिन हम सब जानते हैं कि तू एक औरत है, और वह भी एक छिनाल औरत, जिसे चोदने के लिए हमारे बीच कोई रिश्ता नाता मायने नहीं रखता है। सिर्फ इतना याद रख कि तू एक चुदासी चूत वाली चुदक्कड़ औरत और मैं चुदक्कड़ मर्द। चुपचाप चूस मेरा लौड़ा, बुर चोदी, फिर मैं तेरी चूत का भुर्ता बनाता हूं।”
मेरी बेबस मां समझ गई कि इनकी बात मानने के अलावा और उसके पास और कोई चारा नहीं है। चुपचाप नानाजी का लिंग चूसने लगी। कुछ ही देर में नानाजी ने अपना तनतनाया हुआ लिंग मेरी मां के मुंह से निकाला और पंडित जी के वहशीयत भरे संभोग से फूल कर कुप्पा हुई योनि का तिया पांचा करने मां को कुतिया की तरह झुकने का हुक्म दिया, “चल अब तू मेरी कुतिया बन जा, मां की लौड़ी।”
“ध्यान रखिएगा कि सबसे पहले नानाजी का लौड़ा अपनी बेटी की चूत में घुसना चाहिए, क्योंकि वे मेरी मां को पहली बार चोदेंगे, फिर करीम चाचा, उनका लंड भी मेरी मां की चूत में पहली बार जाएगा और उसके बाद बाकी सब, क्योंकि आप लोग तो मेरी मां को पहले भी कई बार चोद चुके हैं। जैसी मर्जी वैसा चोदिए, जरा मैं भी तो अपनी मां के रंडीपन को देखूं” मैं ने कुटिलतापूर्वक मुस्कुराते हुए फुसफुसा कर उन्हें हिदायत दी। सब सहर्ष अपनी सहमत हो गए।
“अब देख क्या रहे हो, टूट पड़ो मेरे पतियों।” मैं ने सिग्नल दे दिया।
“जैसी आपकी आज्ञा श्रीमती जी” सब एक स्वर में बोल उठे और फिर पंडित जी से नुच चुद कर बेहाल लस्त पस्त थकी निढाल मेरी मां के नग्न जिस्म पर किसी भूखे शिकारी कुत्तों की तरह टूट पड़े। मेरी मां अपने ऊपर हुए इस आकस्मिक आक्रमण से दहशत में भर गई और बदहवास चीख पड़ी, “छोड़ो हरामियों मुझे, आह, कमीनों, मेरी बेटी को चोद कर पेट नहीं भरा क्या? कामिनी रोक अपने चोदू पतियों को, हाय राम ओह।” छटपटाती हुई अपने आप को उन भेड़ियों के चंगुल से मुक्त होने की असफल कोशिश करने लगी, किंतु मेरे काम पिपाशु पतियों को भला अब कौन रोक सकता था, बेलगाम पशुओं की तरह लगे भंभोड़ने, नोचने खसोटने। बड़े दादाजी मेरी मां की मोटी मोटी गांड़ में मुंह डाल कर चाटने लगे, दादाजी मां की पावरोटी जैसी योनि को चूसने चाटने लगे, करीम और हरिया बड़ी थल थल करती स्तनों को बेरहमी से चीपने और चूसने लगे, इधर जैसे ही मेरे बुलडोग थूथन वाले काले तोंदियल पति नानाजी अपने टन्नाए हुए मूसल जैसे लिंग के साथ मां के मुंह के पास पहुंचे, मां गिड़गिड़ाने लगी, “नहीं पापा, प्लीज आप तो अपनी बेटी के साथ ऐसा मत कीजिए”।
नानाजी गुर्राहट के साथ बोले, “अभी पापा बोलती है साली हरामजादी कुतिया, जब सभी ऐरे गैरे नत्थू खैरे मर्दों के लंड से अपनी चूत की कुटाई करवा करवा कर हमारी नाक कटवा रही थी तब यह ख्याल नहीं आया? पहले तू हमारी बेटी थी, अब बेटी से हमारी सास बन गई, लेकिन हम सब जानते हैं कि तू एक औरत है, और वह भी एक छिनाल औरत, जिसे चोदने के लिए हमारे बीच कोई रिश्ता नाता मायने नहीं रखता है। सिर्फ इतना याद रख कि तू एक चुदासी चूत वाली चुदक्कड़ औरत और मैं चुदक्कड़ मर्द। चुपचाप चूस मेरा लौड़ा, बुर चोदी, फिर मैं तेरी चूत का भुर्ता बनाता हूं।”
मेरी बेबस मां समझ गई कि इनकी बात मानने के अलावा और उसके पास और कोई चारा नहीं है। चुपचाप नानाजी का लिंग चूसने लगी। कुछ ही देर में नानाजी ने अपना तनतनाया हुआ लिंग मेरी मां के मुंह से निकाला और पंडित जी के वहशीयत भरे संभोग से फूल कर कुप्पा हुई योनि का तिया पांचा करने मां को कुतिया की तरह झुकने का हुक्म दिया, “चल अब तू मेरी कुतिया बन जा, मां की लौड़ी।”