desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
#36
1 घंटे बाद हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए नाश्ता कर रहे थे ……बिल्कुल चुप-चाप ………एक खामोशी हम दोनो के बीच पसरी हुई थी , जिसको मैने ही तोड़ा…….
“ तो आज क्या प्रोग्राम है आपका, नेहा जी …….??“
“ मेरा प्रोग्राम तो आप के ऊपर डिपेंड करता है ……जैसा आप कहें ?” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया….
“ चलिए ………आज आपको अपने कुछ पुराने दोस्तो से मिलवा कर लाता हूँ “ मैने उसकी तरफ देख कर कहा………
“ आपके पुराने दोस्त ?............... यहाँ , दिल्ली मैं ?” उसने बड़ी हैरानी से पूछा ….
“ हां ………मेरे बचपन के साथी ……….चलेंगी मिलने ? “ मैने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा……..
“ बिल्कुल ………..अगर आप ले चलेंगे तो “ वो फिर मुस्कुराइ ……….
“ तो ठीक है ……...आप तय्यार हो जाइए ………फिर हम निकलते हैं “ मैने कहा और जल्दी जल्दी नाश्ता ख़तम करने लगा ……………..
1 घंटे बाद हमारी गाड़ी , तेज़ी से दिल्ली की सड़को पर दौड़ रही थी ………..मैं ड्राइव कर रहा था और नेहा मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी ………आज उसने एक ब्लॅक साड़ी पहनी हुई थी ………हमेशा की तरह ही बेहद खूबसूरत लग रही थी वो ……………वो खिड़की से बाहर देख रही थी और में बार बार उसकी तरफ……..
कुछ ही देर में हमारी गाड़ी कॅरोल बाग पहुँच गयी ……….मैं पुणे जाने से पहले आख़िरी बार यहाँ आया था, तब से अब तक काफ़ी साल बीत चुके थे……और इस जगह का नक्शा भी बदल चुका था ………सब कुछ मेरे लिए बिल्कुल नया सा था…….. पुरानी दुकाने अब दिखाई नही
पड़ रही थी और उनकी जगह बड़े बड़े शोरूम्स ले चुके थे ………..
मैने एक-दो लोगो से पूछा और फिर ढूंढता हुआ वहाँ पहुँच गया जो हमारी मंज़िल थी ………..सरदार जी का ढाबा , उस ही जगह पर था …….पर पहले से काफ़ी बड़ा और शानदार हो गया था ………मैं नेहा को साथ लेकर वहाँ पहुँचा और थोड़ी दूर खड़ा होकर देखने लगा………….
शेर-ए-पंजाब रेस्टोरेंट ….यह नाम था अब उस ढाबे का…… अंदर कुछ टेबल्स पड़ी हुई थी और कुछ बाहर , ढाबे के सामने ………..सरदार जी को ढूँढते हुए मेरी निगाह ढाबे के अंदर पहुँची तो मैने देखा कि वो अंदर एक छोटे से काउंटर के पीछे बैठे हुए एक न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे ………एक मुस्कुराहट मेरे होंठो पर आ गयी और साथ ही कुछ पुरानी यादें भी ………………
मैं नेहा को साथ लेकर सामने लगी हुई एक टेबल पर बैठ गया …..एक छोटा सा लड़का हमारे पास आया और टेबल को सॉफ करने लगा ………. फिर बोला “ क्या लेंगे साहब .? “
“ दो चाय और परान्ठे ले आ ……..” मैने उस से कहा और वो चला गया…….मैने नेहा की तरफ देखा ……..वो सवालिया निगाह से मेरी तरफ ही देख रही थी ……….
5 मिनिट के अंदर ही चाय और परान्ठे हमारी टेबल पर आ गये ……..मैने चाय का गिलास हाथ में उठा कर देखा और फिर उस लड़के से बोला …..” अर्रे ….यह क्या है , इतना गंदा गिलास ……? “
उसने गिलास को हाथ में उठा कर देखा और फिर दोनो गिलास वापस उठा कर ले गया ……और थोड़ी ही देर में दो नये गिलास में चाय ले कर आ गया ………..
मैने उन दोनो गिलासो को भी उठा कर देखा और फिर बोला “ यार ………..तुम लोग कभी कोई काम सही नही कर सकते क्या………फिर
से गंदे गिलास लेकर आ गये …….” इस बार मेरी आवाज़ कुछ ऊँची थी …….जो निश्चित रूप से अंदर भी पहुँच रही होगी …………..
उस बेचारे ने फिर से गिलास उठा कर देखे और बोला …..” यह तो सॉफ हैं साहब ……..”
“ अच्छा !!…………मुझ से बहस करता है ?” मैं और तेज़ आवाज़ में बोला…….लगभग चीखते हुए …………नेहा , चुपचाप बैठी मेरी सूरत देखे जा रही थी ………..
\
जो मैं चाहता था , वही हुआ ……..मेरी आवाज़ अंदर बैठे सरदार जी तक पहुँच गयी ….और वो उठ कर बाहर आ गये ……..फिर धीरे धीरे
हमारे पास आ गये …….मैं अभी भी उस लड़के को डाँट रहा था …….वो आकर मेरे से बोले ……
“ ओ……..की गल हो गयी बादशाहो …….?” …वही पहले जैसी ……..रौबदार आवाज़……
“ आपने यह सारे लड़के बिल्कुल बेकार रखे हुए हैं सरदार जी ……..किसी भी काम के नही हैं ? “ मैने उनकी तरफ देखते हुए
कहा……….वो 5 सेकेंड मेरी तरफ देखते रहे और फिर अपने उस लड़के से सारी बात पूछि ……….फिर मेरे से बोले ….
“ तुस्सी फिकर ना करो बाउजी ………..अब मैं दूसरे लड़के को भेज देता हूँ ……..आपको सॉफ बर्तन में खाना मिलेगा ……..”
“ क्या मालूम वो दूसरा लड़का भी ऐसा ही हो ………” मैं उनकी तरफ देखते हुए कहा ……….
“ बाउजी ……बहुत पुराने पुराने लड़के हैं यह सारे …….यहाँ रोज़ाना बहुत सारे ग्राहक आते हैं ………उन सब को यही लोग खाना खिलाते हैं …….आप फिकर ना करो ………”
“ माना यह सब पुराने हैं दार जी ………पर इन से पुराना एक और भी तो था ….जिसको आप भूल गये हो “ मैने कहा और फिर सर नीचे कर के चाय पीने लगा…….सरदार जी वापस जाने के लिए मूड गये थे , पर मेरी बात सुन कर रुक गये और बड़े गौर से मुझे देखने लगे
……….फिर आँखें सिकोड कर बोले “ किसकी बात कर रहे हो तुस्सी बाउजी ………”
मैने कुछ नही कहा , बस सीधा खड़ा होकर उनकी तरफ देखने लगा ……..वो मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखते रहे और फिर अचानक बोले “ ओयएए ………राजू !......मेरे पुत्तर ……….यह तू है ? “
______________________________
[/color]
1 घंटे बाद हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए नाश्ता कर रहे थे ……बिल्कुल चुप-चाप ………एक खामोशी हम दोनो के बीच पसरी हुई थी , जिसको मैने ही तोड़ा…….
“ तो आज क्या प्रोग्राम है आपका, नेहा जी …….??“
“ मेरा प्रोग्राम तो आप के ऊपर डिपेंड करता है ……जैसा आप कहें ?” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया….
“ चलिए ………आज आपको अपने कुछ पुराने दोस्तो से मिलवा कर लाता हूँ “ मैने उसकी तरफ देख कर कहा………
“ आपके पुराने दोस्त ?............... यहाँ , दिल्ली मैं ?” उसने बड़ी हैरानी से पूछा ….
“ हां ………मेरे बचपन के साथी ……….चलेंगी मिलने ? “ मैने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा……..
“ बिल्कुल ………..अगर आप ले चलेंगे तो “ वो फिर मुस्कुराइ ……….
“ तो ठीक है ……...आप तय्यार हो जाइए ………फिर हम निकलते हैं “ मैने कहा और जल्दी जल्दी नाश्ता ख़तम करने लगा ……………..
1 घंटे बाद हमारी गाड़ी , तेज़ी से दिल्ली की सड़को पर दौड़ रही थी ………..मैं ड्राइव कर रहा था और नेहा मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी ………आज उसने एक ब्लॅक साड़ी पहनी हुई थी ………हमेशा की तरह ही बेहद खूबसूरत लग रही थी वो ……………वो खिड़की से बाहर देख रही थी और में बार बार उसकी तरफ……..
कुछ ही देर में हमारी गाड़ी कॅरोल बाग पहुँच गयी ……….मैं पुणे जाने से पहले आख़िरी बार यहाँ आया था, तब से अब तक काफ़ी साल बीत चुके थे……और इस जगह का नक्शा भी बदल चुका था ………सब कुछ मेरे लिए बिल्कुल नया सा था…….. पुरानी दुकाने अब दिखाई नही
पड़ रही थी और उनकी जगह बड़े बड़े शोरूम्स ले चुके थे ………..
मैने एक-दो लोगो से पूछा और फिर ढूंढता हुआ वहाँ पहुँच गया जो हमारी मंज़िल थी ………..सरदार जी का ढाबा , उस ही जगह पर था …….पर पहले से काफ़ी बड़ा और शानदार हो गया था ………मैं नेहा को साथ लेकर वहाँ पहुँचा और थोड़ी दूर खड़ा होकर देखने लगा………….
शेर-ए-पंजाब रेस्टोरेंट ….यह नाम था अब उस ढाबे का…… अंदर कुछ टेबल्स पड़ी हुई थी और कुछ बाहर , ढाबे के सामने ………..सरदार जी को ढूँढते हुए मेरी निगाह ढाबे के अंदर पहुँची तो मैने देखा कि वो अंदर एक छोटे से काउंटर के पीछे बैठे हुए एक न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे ………एक मुस्कुराहट मेरे होंठो पर आ गयी और साथ ही कुछ पुरानी यादें भी ………………
मैं नेहा को साथ लेकर सामने लगी हुई एक टेबल पर बैठ गया …..एक छोटा सा लड़का हमारे पास आया और टेबल को सॉफ करने लगा ………. फिर बोला “ क्या लेंगे साहब .? “
“ दो चाय और परान्ठे ले आ ……..” मैने उस से कहा और वो चला गया…….मैने नेहा की तरफ देखा ……..वो सवालिया निगाह से मेरी तरफ ही देख रही थी ……….
5 मिनिट के अंदर ही चाय और परान्ठे हमारी टेबल पर आ गये ……..मैने चाय का गिलास हाथ में उठा कर देखा और फिर उस लड़के से बोला …..” अर्रे ….यह क्या है , इतना गंदा गिलास ……? “
उसने गिलास को हाथ में उठा कर देखा और फिर दोनो गिलास वापस उठा कर ले गया ……और थोड़ी ही देर में दो नये गिलास में चाय ले कर आ गया ………..
मैने उन दोनो गिलासो को भी उठा कर देखा और फिर बोला “ यार ………..तुम लोग कभी कोई काम सही नही कर सकते क्या………फिर
से गंदे गिलास लेकर आ गये …….” इस बार मेरी आवाज़ कुछ ऊँची थी …….जो निश्चित रूप से अंदर भी पहुँच रही होगी …………..
उस बेचारे ने फिर से गिलास उठा कर देखे और बोला …..” यह तो सॉफ हैं साहब ……..”
“ अच्छा !!…………मुझ से बहस करता है ?” मैं और तेज़ आवाज़ में बोला…….लगभग चीखते हुए …………नेहा , चुपचाप बैठी मेरी सूरत देखे जा रही थी ………..
\
जो मैं चाहता था , वही हुआ ……..मेरी आवाज़ अंदर बैठे सरदार जी तक पहुँच गयी ….और वो उठ कर बाहर आ गये ……..फिर धीरे धीरे
हमारे पास आ गये …….मैं अभी भी उस लड़के को डाँट रहा था …….वो आकर मेरे से बोले ……
“ ओ……..की गल हो गयी बादशाहो …….?” …वही पहले जैसी ……..रौबदार आवाज़……
“ आपने यह सारे लड़के बिल्कुल बेकार रखे हुए हैं सरदार जी ……..किसी भी काम के नही हैं ? “ मैने उनकी तरफ देखते हुए
कहा……….वो 5 सेकेंड मेरी तरफ देखते रहे और फिर अपने उस लड़के से सारी बात पूछि ……….फिर मेरे से बोले ….
“ तुस्सी फिकर ना करो बाउजी ………..अब मैं दूसरे लड़के को भेज देता हूँ ……..आपको सॉफ बर्तन में खाना मिलेगा ……..”
“ क्या मालूम वो दूसरा लड़का भी ऐसा ही हो ………” मैं उनकी तरफ देखते हुए कहा ……….
“ बाउजी ……बहुत पुराने पुराने लड़के हैं यह सारे …….यहाँ रोज़ाना बहुत सारे ग्राहक आते हैं ………उन सब को यही लोग खाना खिलाते हैं …….आप फिकर ना करो ………”
“ माना यह सब पुराने हैं दार जी ………पर इन से पुराना एक और भी तो था ….जिसको आप भूल गये हो “ मैने कहा और फिर सर नीचे कर के चाय पीने लगा…….सरदार जी वापस जाने के लिए मूड गये थे , पर मेरी बात सुन कर रुक गये और बड़े गौर से मुझे देखने लगे
……….फिर आँखें सिकोड कर बोले “ किसकी बात कर रहे हो तुस्सी बाउजी ………”
मैने कुछ नही कहा , बस सीधा खड़ा होकर उनकी तरफ देखने लगा ……..वो मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखते रहे और फिर अचानक बोले “ ओयएए ………राजू !......मेरे पुत्तर ……….यह तू है ? “
______________________________
[/color]