hotaks444
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कैसी गलती आंटी जी मैं आपसे प्यार करने लगा हूं आई लव यू( वीनीत ने बिना एक पल गंवाए एक सांस में ही सब कुछ बोल दिया। उसकीे बात सुनकर अलका एकदम से स्तब्ध रह गई उसे इस बात पर गुस्सा करें कि ना करें कुछ समझ नहीं पा रहीे थी। वह मन में बहुत कुछ सोचने लगी। मेरे बेटे का हम उम्र होकर मुझे से कैसी बातें कर रहा है। इसे कुछ समझ हे कि नहीं, विनीत के प्रपोजल का जवाब देते हुए अलका बोली।)
तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,
अरे अपनी उम्र देखो ओर मेरी उम्र देखो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।
आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं देखा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।
फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं' मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।
( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू ,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे देखता रह गया, वीनीत की नजर फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ' अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी डाटेंगी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को देखने लगा जहां से अलका रोज आती जाती थी ' ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।
रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ देखता था तो बस नोचने और खसोटने जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।
अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी देखने को मिल रहा था क्योंकि आज से बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुंह में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी' और उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब देख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छुआ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य लग रही थी' और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था। सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर सोनू बोला।
भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया' राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)
राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।
राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को देखकर उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।
ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।
( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की ' उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी देर नही लगी की उसकी गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें, राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।
अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को देख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता
तुम पागल हो क्या तुम्हें इतना समझ में भी नहीं आ रहा,
अरे अपनी उम्र देखो ओर मेरी उम्र देखो। कुछ तो ऊम्र का भी लिहाज कीया होता। तुम्हारी मां की उम्र की हुँ।
तुमको तो अपनी उम्र की कोई सुन्दर लड़की से कहना चाहीए था। मुझसे कहकर तुम्हे क्या हासिल हो जाएगा।
आंटी की कुछ हासिल करने वाला करने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता मुझे बस तुम अच्छी लगती हो आज तक मैंने तुम्हारे जैसी कोई औरत नहीं देखा, आप मुझे बहुत पसंद आई इसलिए तो मैं आपसे आई लव यू कह रहा हूं।
फिर वही आलाप जपना शुरु कर दिया तुमने। मैं कह तो रही हूं' मेरी उम्र में और तुम्हारी उम्र में बहुत फर्क है और मुझे इन सब चीजों में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है।
( अलका सड़क पर बने फुटपाथ पर चलती जा रही थी
साथ में विनीत भी अलका के कदमों से कदम मिलाकर चले जा रहा था। अलका भले ही ऊपरी मन से यह सब कह रही थी लेकिन अंदर ही अंदर विनीत की बातों को सुनकर वह प्रसन्न हुए जा रही थी। बातों ही बातों में सड़क का वह मोड आ गया जहां से अलका अपने घर की ओर चली जाती थी।। विनीत जानता था कि अलका अब अपने घर की तरफ मुड़ने वाली है। इसलिए विनीत की तड़प बढ़ती जा रही थी। उसने फिर से बोला।
( हाथ पकड़ते हुए) आंटी जी मैं सच कह रहा हूं मुझे आप से मोहब्बत होने लगी है। और रही बात उमर की तो मे उम्र को नहीं मानता। बस इतना जानता हूं कि मैं आपसे प्यार करने लगा हूं। अब मुझे आपके बिना कुछ अच्छा नहीं लगता, सोते जगते हर पल हर घड़ी आपकी याद मुझे सताती रहती है। मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगा आई लव यू ,आई लव यू
( अलका फिर से उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी और उसके सवाल का जवाब दिए बिना ही हंसते हुए फिर से मुख्य सड़क से नीचे उतर कर अपने घर की तरफ जाने लगी। विनीत वही खड़ा उसे देखता रह गया, वीनीत की नजर फिर से अलका के मादक बदन पर ऊपर से नीचे तक फीरने लगी। अलका हाई हील की सेंडल पहने हुए थी जिससे चलते समय उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही थिरक रहे थे ' अलका की बड़ी बड़ी गांड एक बार फिर से वीनीत के लंड में सुरसुराहट पैदा कर गई थी। विनीत वही खड़ा पैंट के ऊपर से ही लंड को मसलते हुए अलका को जाते देखता रहा और तब तक देखता रहा जब तक कि अलका उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई। वीनीत को उसका काम बनता हुआ नजर आ रहा था। क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि अलका उसको गुस्सा करेंगीे नाराज होगी डाटेंगी यह हो सकता है कि मिलना जुलना ही बंद कर दे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था बल्कि वह तो उसकी बातों को सुनकर मुस्कुरा रही थी। इसलिए तो विनीत एब एकदम आत्मविश्वास से भर चुका था। मुझे पक्का यकीन हो गया था कि बारिश की रात को जो काम उसने अधूरा छोड़ा था बहुत जल्द वह पूरा होने वाला है। कुछ ही देर में अलका भी आंखों से ओझल हो गई फीर भी वही खड़ा खड़ा उस रास्ते को देखने लगा जहां से अलका रोज आती जाती थी ' ईसके बाद विनीत भी अपने घर की तरफ चल दिया।
रसोई बनाते समय अलका बहुत खुश नजर आ रही थी वह मन ही मन में कोई गीत गुनगुना रही थी। और खुश क्यों ना हो बरसों के बाद किसी ने उसे प्रपोज किया था वरना जो भी उसकी तरफ देखता था तो बस नोचने और खसोटने जेसा ही विचार हर मर्द में आता था। अलका के हिसाब से विनीत सबसे अलग था। उसका अंदाज उसके बोलने का तरीका उसका एटीट्यूट सब कुछ अल्का को भाने लगा था।
अलका बहुत खुश थी । उसकी खुशी का पूरा असर आज रसोईघर में भी देखने को मिल रहा था क्योंकि आज से बच्चों के मन पसंद की खीर पूरी सब्जी और मालपुआ भी बना रही थी। तभी तो पढ़ाई कर रहे राहुल और सोनू दोनों को रसोई घर से आती स्वादिष्ट खुशबू इन दोनों के मुंह में पानी आ गया। राहुल और सोनू से एक पल भी रुका नहीं गया और वह दोनों रसोई घर में आ गए , रसोई घर में घुसते ही राहुल मालपुआ को चखना चाहता था लेकिन जैसे ही मालपुआ को लेने के लिए आगे बढ़ा ही था कि उसकी नज़र सीधे उसकी मां की भरावदार नितंब पे पड़ी' और उसके कदम ज्यों के त्यों वहीं रुक गए। राहुल की मम्मी मालपुआ को छानते वक्त एक पांव को घुटनों से मोड़ कर दूसरे पांव पर रखकर हल्के हल्के रगड़ रही थी। जिसकी वजह से उसके पीछे का भाग कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए था।
और ऊस वक्त उसने सिर्फ गाउन पहने हुए थी। जोकि उसके बदन से बराबर चिपका हुआ था इसलिए उसके अंगों का घुमाव मरोड़ और कटाव बराबर झलक रहा था। यह सब देख कर राहुल को अपनी जांघों के बीच सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। तत्काल उसके लंड ले तनाव आना शुरु हो गया। बड़ी-बड़ी और भरावदार गांड राहुल की कमजोरी बनती जा रही थी। विनीत की भाभी की भी गांड बिल्कुल ऐसी ही भरावदार और गोल गोल थी, और तो और उसने तो दिनेश की भाभी की गांड को छुआ भी था उसकी नरमाहट को अपनी हथेली में मसल मसल कर महसूस भी किया था। उस वक्त राहुल को विनीत की भाभी की बड़ी बड़ी गांड बहुत ही ज्यादा कामुक और अतुल्य लग रही थी' और उसे चोदने के बाद से उसकी नजर जब भी किसी औरत पर पढ़ते थी तो सबसे पहले उसके भरावदार गांड पर ही पड़ती थी। और वहां तो खुद दो तीन बार अपनी मां की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था। सबसे उसके मन के कोने में की मां की भरावदार गांड के प्रति आकर्षण बना हुआ था। इसलिए तो रसोई घर में प्रवेश करते ही, उसकी नजर जैसे ही उसकी मम्मी की भरावदार गांड जो कि गाउन का लबादा ओढ़े हुए थी उस पर पड़ते ही राहुल की यादें भरावदार गांड को लेकर तरोताजा हो गई,
राहुल वहीं खड़े होकर अपनी मां के पिछवाड़े का नजरों से जायजा ले रहा था तब भी इस तरह से खड़े हो जाने पर सोनू बोला।
भैया मम्मी तो आज पकवान बना रही है आज मजा आ जाएगा खाने मे। ( सोनू की आवाज उसके कानों में पढ़ते ही जैसे कि वह नींद से जगा हो इस तरह से सकपका गया' राहुल की मम्मी को भी इसका एहसास हो गया कि उसके दोनो बच्चे रसोईघर में आ चुके हैं। तभी वह मालपुआ तलते हुए बोली।)
राहुल सोनू तुम दोनो रसोई में चले आए मुझे मालूम है जिस लिए आए हो। आज तुम दोनों की पसंद का खाना बना रहीे हुं। ( मालपुआ को कड़ाई से निकालते हुए )
आज तो तुम दोनों के मुंह में पानी आ गया होगा।
राहुल के मुंह में मालपुआ की खुशबू से तो पानी आया ही आया था लेकिन अपनी मां की भरावदार गांड को देखकर उसके लंड से भी पानी की एक दो बुंद टपक पड़ी। राहुल बड़ी-बड़ी नितंब के आकर्षण से अपने आप को बचा नहीं सका और आगे बढ़ कर उसने पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में कसते हुए बोला।
ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो ,तुम हम दोनों का बहुत ख्याल रखती हो। आज तुमने हम दोनों के मनपसंद का खाना बनाई हो आज मैं बहुत खुश हूं मम्मी।
( राहुल अपनी बात हो गई पीछे से अपनी मां को भरा हुआ था लेकिन उसके पेंट में बना तंबू सीधे उसकी मां की गांड के दरार में घर्षण करने लगा था, राहुल आम तौर पर इसी तरह से रसोई घर में जब भी खुश होता था तो अपनी मम्मी को पीछे से यूं ही बाहों में भर कर दुलार करने लगता था। उसकी मां को भी है अौपचारीक ही लगा था की ' उसने अपनी गदराई हुई गांड पर कुछ नुकीला सा चुभता महसुस की ,उसे समझते जरा भी देर नही लगी की उसकी गांड पर जो नुकीली चीज चुभ रही है वह कुछ ओर नही बल्की राहुल का लंड है जो की ईस समय एकदम तनाव मे है। उस नुकीली चीज के चुभन को समझते ही उसका पुरा बदन अजीब से रोमांच मे झनझना गया। तुरंत उसकी बुर मे सिहरन सी दौड़ गई ओर उत्तेजना मे फुलने पिचकने लगी। उसको तो कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें, राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई थी तुरंत वह सकते में आ गई थी। उसको यह लग रहा था कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हुई है क्योंकि जहां तक वह पूरी तरह से अपने बच्चों से वाकिफ थी राहुल इस तरह का लड़का कदापि नहीं था वह इतनी गंदी हरकत जानबूझ कर ही नहीं सकता था।
वह समझ रही थी कि राहुल से यह हरकत अनजाने में ही हो रही है क्योंकि वह इस तरह से हमेशा उसे पीछे से बाहों में भर कर दुलार करता था। लेकिन आज की यह हरकत अलका को अजीब सी लगी क्योंकि इससे पहले उसके भरावदार नितंब पर इस तरह की चुभन कभी भी नहीं हुई।
अलका को लग रहा था कि यह हरकत राहों से अनजाने में ही हुई है लेकिन राहुल ने इस तरह की हरकत जानबूझकर किया था। अपनी मां के भरावदार गांड को देख कर वो अपने आप को रोक नहीं पाया था और सीधे जाकर पीछे से अपनी मां को बाहों में भरते हुए अपने पेंट में बने तंबू को आगे की तरफ बढ़ा कर अपनी मां की भरावदार गांड पर रगड़ने लगा था, राहुल को इस तरह से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। उसे अपने तंबु को अपनी मां की गांड पर चुभाने में रगड़ने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। राहुल उत्तेजना से एकदम से भर चुका था उसका बस चलता तो कब का गाउन उठाकर अपनी मां की बुर में लंड पेल दिया होता