desiaks
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इस मुकदमे के बाद रोमेश को एक सप्ताह के लिए दिल्ली जाना पड़ गया । दिल्ली में उसका एक मित्र था, कैलाश वर्मा । कैलाश वर्मा एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी चलाता था और किसी इन्वेस्टीगेशन के मामले में उसने रोमेश की मदद मांगी थी ।
कैलाश वर्मा के पास एक दिलचस्प केस आ गया था ।
"सावंत राव को जानते हो ?" कैलाश ने रोमेश से बातचीत शुरू की ।
"एम.पी., जो पहले स्मगलर हुआ करता था । उसी की बात कर रहे हो ?"
"हाँ ।" कैलाश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, "कत्ल की गुत्थियाँ सुलझाने के मामले में आज न तो तुमसे बेहतर वकील है और न इंस्पेक्टर । वैसे तो मेरी एजेंसी से एक से एक काबिल आदमी जुड़े हुए हैं, मगर यह केस मैंने तुम्हारे लिए रखा है ।"
"पर केस है क्या ?"
"एम.पी. सावंत का मामला है ।"
"जहाँ तक मेरी जानकारी है, मैंने उसके मर्डर की न्यूज कहीं नहीं पढ़ी ।"
"वह मरा नहीं है, मारे जाने वाला है ।"
"तुम कहना क्या चाहते हो ?"
"सावंत राव के पास सरकारी सिक्यूरिटी की कोई कमी नहीं है । उसके बाद भी उसे यकीन है कि उसका कत्ल होके रहेगा ।"
"तब तो उसे यह भी पता होगा कि कत्ल कौन करेगा ?"
"अगर उसे यह पता लग जाये, तो वह बच जायेगा ।" वर्मा ने कहा ।
"कैसे ? क्या उसे वारदात से पहले अन्दर करवा देगा ?" रोमेश मुस्कराया ।
"नहीं, बल्कि सावंत उसे खुद ठिकाने लगा देगा । बहरहाल यह हमारा मामला नहीं है, हमें सिर्फ यह पता लगाना है कि उसका मर्डर कौन करना चाहता है और इसके प्रमाण भी उपलब्ध करने हैं । बस और कुछ नहीं । उसके बाद वह क्या करता है, यह उसका केस है ।"
"हूँ ! केस दिलचस्प है, क्या वह पुलिस या अन्य किसी सरकारी महकमे से जांच नहीं करवा सकता ?"
"उसे यकीन है कि इन महकमों की जांच सही नहीं होगी । अलबत्ता मर्डर करने वाले से भी यह लोग जा मिलेंगे और फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा पायेगी । वी.आई.पी. सर्किल में हमारी एजेंसी की खासी गुडविल है और हम भरोसेमंद लोगों में गिने जाते हैं और यह भी जानते हैं कि हम हर फील्ड में बेहतरीन टीम रखते हैं और सिर्फ अपने ही मुल्क में नहीं बाहरी देशों में भी हमारी पकड़ है । मैं तुम्हें यह जानकारी एकत्रित करने का मेहनताना पचास हजार रुपया दूँगा ।"
"तुमने क्या तय किया ?"
"कुल एक लाख रुपया तय है ।"
रोमेश को उस अंगूठी का ध्यान आया, जो उसकी पत्नी को पसन्द थी । इस एक डील में अंगूठी खरीदी जा सकती थी और वह सीमा को खुश कर सकता था । यूँ भी उनकी एनिवर्सरी आ रही थी और वह इसी मौके पर यह तगादा निबटा देना चाहता था ।
"मंजूर है । अब जरा मुझे यह भी बताओ कि क्या सावंत को किसी पर शक है या तुम वहाँ तक पहुंचे हो ?"
"हमारे सामने तीन नाम हैं, उनमें से ही कोई एक है, पहला नाम चन्दन दादा भाई का है । यह सावंत के पुराने धंधों का प्रतिद्वन्द्वी है, पहले सावंत का पार्टनर भी रहा है, फिर प्रतिद्वन्द्वी ! इनकी आपस में पहले भी कुछ झड़पें हो चुकी हैं, तुम्हें बसंत पोलिया मर्डर कांड तो याद होगा ।"
"हाँ, शायद पोलिया चन्दन का सिपहसालार था ।"
"सावंत ने उसे मरवाया था । क्योंकि पोलिया पहले सावंत का सिपहसालार रह चुका था और सावंत से गद्दारी करके चन्दन से जा मिला था । बाद में सावंत ने राजनीति में कदम रखा और एम.पी. बन गया । एम.पी. बनने के बाद उसका धंधा भी बन्द हो गया और अब उसकी छत्रछाया में बाकायदा एक बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा था । सबसे अधिक खतरा चन्दन को है, इसलिये चन्दन उसका जानी दुश्मन है ।"
"ठीक । " रोमेश सब बातें एक डायरी में नोट करने लगा ।
"दो नम्बर पर है ।" वह आगे बोला, "मेधारानी ।"
"मेधारानी, हीरोइन ?"
"हाँ, तमिल हीरोइन मेधारानी ! जो अब हिन्दी फिल्मों की जबरदस्त अदाकारा बनी हुई है । मेधारानी सावंत का क्यों कत्ल करना चाहेगी यह वजह सावंत ने हमें नहीं बताई ।"
कैलाश वर्मा के पास एक दिलचस्प केस आ गया था ।
"सावंत राव को जानते हो ?" कैलाश ने रोमेश से बातचीत शुरू की ।
"एम.पी., जो पहले स्मगलर हुआ करता था । उसी की बात कर रहे हो ?"
"हाँ ।" कैलाश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, "कत्ल की गुत्थियाँ सुलझाने के मामले में आज न तो तुमसे बेहतर वकील है और न इंस्पेक्टर । वैसे तो मेरी एजेंसी से एक से एक काबिल आदमी जुड़े हुए हैं, मगर यह केस मैंने तुम्हारे लिए रखा है ।"
"पर केस है क्या ?"
"एम.पी. सावंत का मामला है ।"
"जहाँ तक मेरी जानकारी है, मैंने उसके मर्डर की न्यूज कहीं नहीं पढ़ी ।"
"वह मरा नहीं है, मारे जाने वाला है ।"
"तुम कहना क्या चाहते हो ?"
"सावंत राव के पास सरकारी सिक्यूरिटी की कोई कमी नहीं है । उसके बाद भी उसे यकीन है कि उसका कत्ल होके रहेगा ।"
"तब तो उसे यह भी पता होगा कि कत्ल कौन करेगा ?"
"अगर उसे यह पता लग जाये, तो वह बच जायेगा ।" वर्मा ने कहा ।
"कैसे ? क्या उसे वारदात से पहले अन्दर करवा देगा ?" रोमेश मुस्कराया ।
"नहीं, बल्कि सावंत उसे खुद ठिकाने लगा देगा । बहरहाल यह हमारा मामला नहीं है, हमें सिर्फ यह पता लगाना है कि उसका मर्डर कौन करना चाहता है और इसके प्रमाण भी उपलब्ध करने हैं । बस और कुछ नहीं । उसके बाद वह क्या करता है, यह उसका केस है ।"
"हूँ ! केस दिलचस्प है, क्या वह पुलिस या अन्य किसी सरकारी महकमे से जांच नहीं करवा सकता ?"
"उसे यकीन है कि इन महकमों की जांच सही नहीं होगी । अलबत्ता मर्डर करने वाले से भी यह लोग जा मिलेंगे और फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा पायेगी । वी.आई.पी. सर्किल में हमारी एजेंसी की खासी गुडविल है और हम भरोसेमंद लोगों में गिने जाते हैं और यह भी जानते हैं कि हम हर फील्ड में बेहतरीन टीम रखते हैं और सिर्फ अपने ही मुल्क में नहीं बाहरी देशों में भी हमारी पकड़ है । मैं तुम्हें यह जानकारी एकत्रित करने का मेहनताना पचास हजार रुपया दूँगा ।"
"तुमने क्या तय किया ?"
"कुल एक लाख रुपया तय है ।"
रोमेश को उस अंगूठी का ध्यान आया, जो उसकी पत्नी को पसन्द थी । इस एक डील में अंगूठी खरीदी जा सकती थी और वह सीमा को खुश कर सकता था । यूँ भी उनकी एनिवर्सरी आ रही थी और वह इसी मौके पर यह तगादा निबटा देना चाहता था ।
"मंजूर है । अब जरा मुझे यह भी बताओ कि क्या सावंत को किसी पर शक है या तुम वहाँ तक पहुंचे हो ?"
"हमारे सामने तीन नाम हैं, उनमें से ही कोई एक है, पहला नाम चन्दन दादा भाई का है । यह सावंत के पुराने धंधों का प्रतिद्वन्द्वी है, पहले सावंत का पार्टनर भी रहा है, फिर प्रतिद्वन्द्वी ! इनकी आपस में पहले भी कुछ झड़पें हो चुकी हैं, तुम्हें बसंत पोलिया मर्डर कांड तो याद होगा ।"
"हाँ, शायद पोलिया चन्दन का सिपहसालार था ।"
"सावंत ने उसे मरवाया था । क्योंकि पोलिया पहले सावंत का सिपहसालार रह चुका था और सावंत से गद्दारी करके चन्दन से जा मिला था । बाद में सावंत ने राजनीति में कदम रखा और एम.पी. बन गया । एम.पी. बनने के बाद उसका धंधा भी बन्द हो गया और अब उसकी छत्रछाया में बाकायदा एक बड़ा सिंडीकेट काम कर रहा था । सबसे अधिक खतरा चन्दन को है, इसलिये चन्दन उसका जानी दुश्मन है ।"
"ठीक । " रोमेश सब बातें एक डायरी में नोट करने लगा ।
"दो नम्बर पर है ।" वह आगे बोला, "मेधारानी ।"
"मेधारानी, हीरोइन ?"
"हाँ, तमिल हीरोइन मेधारानी ! जो अब हिन्दी फिल्मों की जबरदस्त अदाकारा बनी हुई है । मेधारानी सावंत का क्यों कत्ल करना चाहेगी यह वजह सावंत ने हमें नहीं बताई ।"