desiaks
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रीता ने मुझे विस्तार से समझाया पर मैं ज्यादा समझी नहीं थी- “मेरी सहेली पर कोई तकलीफ कभी ना आए...” मैंने लगनी भरे लब्जों में कहा।
रीता ने कहा- “वो हमारे हाथ में कहां है? पर तू ये बता की समझी कि नहीं समझी?"
मैंने ऐसे ही “हाँ” में सिर हिला दिया।
रीता- “वो तो मुझे ट्राई करनी थी की भैया आते हैं की नहीं? बाकी उसके जैसे 2-3 को तो मैं अकेली ही भारी पड़ती...” रीता ने अपनी बड़ाई करते हुये कहा।
मैं- “हाँ, तुम हंटरवाली जो ठहरी। पूरी कालेज तुझसे डरता है...” मैंने उससे हाथ जोड़ते हुये कहा।
थोड़े दिन बाद
रीता- “निशा वो पेड़ के नीचे लड़का खड़ा है ना उसको देख तो?” रीता ने कालेज के कंपाउंड के पेड़ के नीचे खड़े लड़के की तरफ उंगली करते हुये मुझसे कहा। रीता के कहने पर मैंने पेड़ की तरफ नजर डाली तो वहां जो लड़का खड़ा था, वो हमारी तरफ ही देख रहा था।
मैं- “क्या दिखा रही हो? वो हमें ही देख रहा है, हमारे बारे में क्या सोचेगा?” मैंने मेरी नजर उसपर से हटाते हुये रीता को नाराजगी से कहा।
रीता मेरी बात सुनकर हँसते हुये बोली- “वो हमें देख रहा है इसीलिए तो मैं तुझे दिखा रही हूँ... वो महाशय कैसे लगते हैं, ध्यान से देखकर बता ना...”
मैंने फिर से उस लड़के पर नजर डाली, लड़का मध्यम क़द का दुबला सा था और आँखों पर चश्मा लगाए हुये था- “ठीक है, सीधा-सादा लग रहा है...” मैंने कहा।
रीता- “वो तुमसे दोस्ती करना चाहता है.” रीता ने फिर हँसते हुये कहा।
मैं- “तुझे किसने बताया?” मैं समझ गई थी की रीता को उसी ने बताया होगा, पर मैं रीता के मुँह से सुनना चाहती थी।
रीता- “उसी ने बताया, और कौन बताएगा?” रीता ने कहा।
मैंने सवाल किया- “तो फिर तुमने उससे क्या कहा?”
रीता- “मैंने तो पहले उसे ना ही बोल दिया की मैं निशा से कुछ नहीं कहूँगी, पर उसने मुझसे बहुत रिकवेस्ट की तो मैं तुझे बता रही हूँ..” रीता ने अपनी सफाई दी।
मैं- “तुमने मुझे ये सब बताने की रिश्वत कितनी ली?” मैंने रीता को चिढ़कर पूछा।
मेरी बात सुनकर रीता हँसते हुये बोली- “पोलिस वाले की बहन हूँ, रिश्वत तो लँगी ही समझी... 500 का रिचार्ज करवाया। बहुत बड़ा आशिक है तेरा...”
मैंने गंभीरता से रीता को कहा- “तुम्हारी ये आदत हम पर कभी भी भारी पड़ सकती है..."
रीता- “तू यार, बहुत डरती है और मैं किसी भी लड़के से एकाध बार पैसे लेकर कह देती हूँ की निशा ने ना बोल दिया है, और बिचारों का दिल टूट जाता है, और फिर मुझे कभी नहीं मिलते...” रीता ने फिर से अपनी सफाई में कहा।
रीता ने कहा- “वो हमारे हाथ में कहां है? पर तू ये बता की समझी कि नहीं समझी?"
मैंने ऐसे ही “हाँ” में सिर हिला दिया।
रीता- “वो तो मुझे ट्राई करनी थी की भैया आते हैं की नहीं? बाकी उसके जैसे 2-3 को तो मैं अकेली ही भारी पड़ती...” रीता ने अपनी बड़ाई करते हुये कहा।
मैं- “हाँ, तुम हंटरवाली जो ठहरी। पूरी कालेज तुझसे डरता है...” मैंने उससे हाथ जोड़ते हुये कहा।
थोड़े दिन बाद
रीता- “निशा वो पेड़ के नीचे लड़का खड़ा है ना उसको देख तो?” रीता ने कालेज के कंपाउंड के पेड़ के नीचे खड़े लड़के की तरफ उंगली करते हुये मुझसे कहा। रीता के कहने पर मैंने पेड़ की तरफ नजर डाली तो वहां जो लड़का खड़ा था, वो हमारी तरफ ही देख रहा था।
मैं- “क्या दिखा रही हो? वो हमें ही देख रहा है, हमारे बारे में क्या सोचेगा?” मैंने मेरी नजर उसपर से हटाते हुये रीता को नाराजगी से कहा।
रीता मेरी बात सुनकर हँसते हुये बोली- “वो हमें देख रहा है इसीलिए तो मैं तुझे दिखा रही हूँ... वो महाशय कैसे लगते हैं, ध्यान से देखकर बता ना...”
मैंने फिर से उस लड़के पर नजर डाली, लड़का मध्यम क़द का दुबला सा था और आँखों पर चश्मा लगाए हुये था- “ठीक है, सीधा-सादा लग रहा है...” मैंने कहा।
रीता- “वो तुमसे दोस्ती करना चाहता है.” रीता ने फिर हँसते हुये कहा।
मैं- “तुझे किसने बताया?” मैं समझ गई थी की रीता को उसी ने बताया होगा, पर मैं रीता के मुँह से सुनना चाहती थी।
रीता- “उसी ने बताया, और कौन बताएगा?” रीता ने कहा।
मैंने सवाल किया- “तो फिर तुमने उससे क्या कहा?”
रीता- “मैंने तो पहले उसे ना ही बोल दिया की मैं निशा से कुछ नहीं कहूँगी, पर उसने मुझसे बहुत रिकवेस्ट की तो मैं तुझे बता रही हूँ..” रीता ने अपनी सफाई दी।
मैं- “तुमने मुझे ये सब बताने की रिश्वत कितनी ली?” मैंने रीता को चिढ़कर पूछा।
मेरी बात सुनकर रीता हँसते हुये बोली- “पोलिस वाले की बहन हूँ, रिश्वत तो लँगी ही समझी... 500 का रिचार्ज करवाया। बहुत बड़ा आशिक है तेरा...”
मैंने गंभीरता से रीता को कहा- “तुम्हारी ये आदत हम पर कभी भी भारी पड़ सकती है..."
रीता- “तू यार, बहुत डरती है और मैं किसी भी लड़के से एकाध बार पैसे लेकर कह देती हूँ की निशा ने ना बोल दिया है, और बिचारों का दिल टूट जाता है, और फिर मुझे कभी नहीं मिलते...” रीता ने फिर से अपनी सफाई में कहा।