Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 6 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

सुनील भागता हुआ होटेल की रिसेप्षन पे पहुँचा अपनी टिकेट्स दी और हर कीमत पे सबसे पहली फ्लाइट देल्ही के लिए जो थी उसकी कन्फर्मेशन के लिए रिक्वेस्ट करी.

टिक टिक टिक एक एक सेकेंड सुमन और सुनील को भारी पड़ रहा था. रात थी के ख़तम होने का नाम ही नही ले रही थी.

दो घंटे बीत गये और एक एसएमएस आया सुनील के मोबाइल पे

मेसेज जिस तरहा लिखा गया था टूटा फूटा ये सॉफ बता रहा था कि लिखने वाले ने बड़ी मुश्किल से लिखा था.

वो मेसेज था सागर का सुनील के नाम

एक ज़िम्मेदारी दे के जा रहा हूँ - रीप्लेस मी ---- इन दा लाइफ ऑफ युवर मोम --- सेव रूबी ----- लव यू - मेरा ये आखरी हू....कू...म ....................

सागर को दो मेसेज आए थे -----

1. पहला रूबी से ---- सेव मी अंकल ------ रमण के साथ होने वाले हादसे के बाद वो बहुत ही टूट गयी थी और जब भी उसे एमोशनल सहारे की ज़रूरत पड़ती थी - वो सागर से ही बात करती थी - एक बेटी --- जिसे ये नही मालूम था कि वो अपने बाप का ही सहारा ले रही है --- उसका बाप ही उसे हर - मुश्किल से लड़ने में मदद करता है.

2. दूसरा मेसेज था रमण का जो ग़लती से सागर के पास आया था.

रमण के मोबाइल में रूबी के नंबर के एक दम बाद सागर का ही नंबर था.
समर और सविता घर वापस आ चुके थे - लेकिन रूबी अपनी सहेली के घर से वापस नही आई थी. रमण रूबी को खोना नही चाहता था ---- उसने ये मेसेज रूबी को भेजा --- जो सागर को मिला ...........

परवरिश का कितना फरक पड़ता है बच्चों पे – इसका उधारण ये कहानी दे रही है कहाँ एक तरफ एक भाई –रमण दो साल से अपनी बहन को भोग रहा था और कज़िन के बारे में सोचने लगा था और दूसरी तरफ सुनील अपनी तरफ बढ़ते हुए अपनी बहन और अपनी माँ के कदमो को रोकने की हर तरहा से कोशिश कर रहा था.

खैर आते हैं कहानी पे.

सागर को जब होश आया तो सोनल उसके पास ही थी आइसीयू रूम में एक डॉक्टर होने के नाते.

सागर जान गया था वो बच नही पाएगा और जब तक सुमन और सुनील आते कहीं देर ना हो जाए – उसे सुनील से कुछ कहना था – एक ज़िम्मेदारी देनी थी ---- वो जानता था सुमन उसके बाद टूट जाएगी और सुमन की जिस्मानी ज़रूरतें अधूरी रह जाएँगी – शायद अब वो समर से कोई रिश्ता नही रखना चाहता था और उसे सिर्फ़ एक ही शक्स पे भरोसा था जो सुमन को दिल से प्यार कर पाएगा – इसलिए उसने सुनील को ये मेसेज भेज दिया – रीप्लेस मी – इन युवर मोम’स लाइफ.

जब सागर मेसेज भेज चुका था सोनल ने उससे मोबाइल ले लिया पर वो ये नही देख पाई थी कि सागर ने क्या मेसेज भेजा और किसको भेजा.

सागर ने सोनल को धीमे स्वर में इतना कहा – कि उसका मोबाइल सुनील को दे दिया जाए. ये आखरी अल्फ़ाज़ थे सागर के. क्या बताना चाहता था सागर सुनील को--- शायद वो उसे उस मेसेज को दिखाना चाहता था – जो रमण रूबी को भेजना चाहता था पर ग़लती से सागर को भेज बैठा.

वो मेसेज ये था.
- रूबी मेरी जान, एक ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो. लॉट आओ यार तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए – दो साल से हम साथ है एक दूसरे को अच्छी तरहा समझते हैं – माफ़ करदो प्लीज़. देखो पुरानी यादों को अब तक मैने संभाल के रखा है – ये एक सेल्फी थी जिसमे रमण और रूबी नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे.
इसके बाद रूबी का मेसेज – सेव मी अंकल
उसकी बेटी का शोषण दो साल से हो रहा था और वो अंजान रहा – ये बात वो सहन नही कर पाया – रूबी हमेशा उसके दिल में बसती थी – उसकी वो बेटी जिसे वो अपनी बाँहों में नही झूला सका – जिसे वो बाप का प्यार नही दे सका – उस बेटी का शोसन उसका ही भाई कर रहा था. ये बात सागर की जान ले बैठी – उसके पास अब एक ही सहारा था – एक ही रास्ता बच गया था – उसकी जान उसका बेटा – सुनील.

सुनील को जब सागर का मेसेज मिला उसे रूबी को सेव करने की बात तो समझ में आई कोई प्राब्लम हो गयी होगी – लेकिन रीप्लेस मी इन युवर मोम’स लाइफ – ये ये पढ़ के तो मोबाइल उसके हाथों से छूट गया –

सुमन ने मोबाइल उठा के वो मेसेज देखा – उस मेसेज के पीछे छुपे सागर के प्यार और उसके दर्द को सुमन समझ गयी – आँखें बरसने लगी दिल और भी ज़ोर से तड़पने लगा अपने प्यार अपने जीवन साथी के पास जल्द से जल्द पहुँचने के लिए.

सुमन ने सागर का नंबर मिलाने की कोशिश करी पर तब तक सोनल उसका मोबाइल ऑफ कर चुकी थी.

सुनील और सुमन बुत बने सुबह का इंतेज़ार कर रहे थे - दोनो की आँखों से आँसू टपक रहे थे.

पत्थर का बुत बनी सोनल अपने पिता के पार्थिव शरीर को देख रही थी – नितांत अकेली – आँखें पथरा गयी – पुकार रही थी – पापा मुझे छोड़ के ना जाओ – पर उसकी ये आवाज़ सुनने वाला जा चुका दूर बहुत दूर जहाँ से कोई कभी लॉट के वापस नही आ सकता था.

हॉस्पिटल के स्टाफ ने सोनल को डॉक्टर्स रूम में किसी तरहा बिठाया – उसके कॉलीग्स ने बहुत कोशिश करी के वो किसी तरहा रो पड़े – लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. उसकी आँखें शुन्य को देख रही थी – इंतेज़ार कर रही थी किसी का.
रात किसी तरह बीती और सुबह सुमन और सुनील एरपोर्ट भागे – होटेल के स्टाफ ने किसी तरहा उनकी बुकिंग करवा दी थी.

दोपहर तक दोनो हॉस्पिटल पहुँच चुके थे जहाँ सागर का पार्थिव जिस्म उनका इंतेज़ार कर रहा था.

सागर को देख सुमन रो पड़ी – उसका प्यार उसे छोड़ के जा चुका था. सुनील तो पत्थर बन गया था – रो भी नही सकता था – अब उसे ज़िम्मेदारी उठानी थी अपनी बहन की अपनी माँ की. जैसे ही सुनील – सोनल के सामने गया – सोनल की आँखों की चमक लॉट आई – वो सुनील के सीने पे मुक्के मारते हुए रोने लगी और सुनील की बाँहों में बेहोश हो गयी.

सुनील ने सुमन को भी संभालने की कोशिश करी – पर क्या करता – एक औरत का सुहाग उसे छोड़ गया था हमेशा के लिए – एक औरत का प्यार उसे छिन गया था. एक पत्नी बेवा बन गयी थी. –

डॉक्टर्स ने सोनल की देखभाल की और वो कुछ देर बाद होश में आ गयी.
सुनील ने हिम्मत दिखाई और माँ बेटी को घर ले गया अपने पिता के पार्थिव जिस्म के साथ.

सागर के सभी दोस्त पहुँच गये – जैसे ही समर और सविता पहुँचे – सुनील का पारा चढ़ गया.
 
समर ने सुमन को बाँहों में भर साँत्वना देने की कोशिश करी तो सुनील उसपे झपट पड़ा – सुमन को उसकी बाँहों से अलग करते हुए पथरीली आवाज़ में जिसे सुन के कोई भी कांप जाए – स्टे अवे आंड नेवेर ट्राइ टू टच हर.

समर को समझ नही आया कि ये क्या हो गया. सुमन तो पत्थर हो चुकी थी. सविता ने समर को दूर ही रहने का इशारा किया और समर जहाँ सारे मर्द बैठे थे चुप चाप वहाँ जा के बैठ गया.

वक़्त आ चुका था सागर को आखरी विदाई देने का – सुनील ने विधि पूर्वक अपने पिता का अंतिम संस्कार किया.

घर सूना हो गया और रह गये बस तीन लोग जो दीवारों में सागर को खोज रहे थे- उसकी यादें उन्हें तडपा रही थी. सविता सुमन के पास रुकना चाहती थी पर सुनील को समर की मोजूदगी बर्दाश्त नही थी - उसने दोनो को सॉफ सॉफ जाने के लिए कह दिया ---- और दुबारा कभी भी अपनी शकल ना दिखाने को बोल दिया.

सुनील अपने आँसू रोक अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहा था. रात हो चुकी थी - सुनील ने मुश्किल से सुमन और सोनल को खाना खिलाया जो कि उनके पड़ोसी लेके आए थे.

सोनल ने सागर का मोबाइल सुनील को दे दिया. पर इस वक़्त सुनील को सुमन और सोनल की ज़यादा चिंता थी. दोनो माँ बेटी सुनील से चिपकी हुई आँसू बहा रही और वो बस उनके सर पे हाथ फेरता हुआ संतावना देने की कोशिश करता रहा.

रोते रोते दोनो सुनील की गोद में सर रख सो गयी. सुनील अपनी जगह से बिकुल ना हिला और रात धीरे धीरे सरक्ति रही एक नये दिन के इंतेज़ार में - एक नयी सुबह - एक नयी जिंदगी जो बिखर चुकी थी - जिसे सुनील को समेटना था.

सुबह जब सुमन की नींद खुलती है तो उसे पता चलता है कि सुनील सारी रात बैठा रहा और वो और सोनल उसकी गोद में सर रखे हुए जाने कब सो गये थे – सोनल अभी भी सो रही थी. सुनील सागर की फोटो को बस देखे ही जा रहा था. उसकी आँखों में आँसू थे जिन्हें वो टपकने नही दे रहा था.

जाने वाला जा चुका था अब लॉट के नही आएगा – उसकी यादें साथ रहेगी – उसके प्यार का अहसास साथ रहेगा – सुमन अपने जी को कड़ा करती है – उसके बच्चों की जिंदगी का सवाल सामने खड़ा था – वो सुनील को अपने गले लगा लेती है ‘पगले सारी रात बैठा रहा – हमे हटा के थोड़ा तो आराम कर लेता’

‘कैसे आप दोनो की नींद तोड़ता – अब मुझे ही तो सब संभालना है’

‘मेरा बच्चा – मेरी जान’ भाव विहल हो सुमन सुनील के चेहरे को चुंबनो से भर देती है.

इतने में कोई पड़ोसी इनके लिए छाई नाश्ता ले आता है – सोनल भी उठ जाती है – तीनो फ्रेश हो कर नाश्ता करते हैं.

शोक मनाने लोग आते जाते रहते हैं- एक कोने में बैठे सुनील को सागर के मोबाइल की याद आती है – वो उसे खोलता है और जैसे ही उसकी नज़र उस मेसेज पे पड़ती है जो रमण ने भेजा था ग़लती से – वो समझ जाता है सागर की जान क्यूँ गयी – एक बाप अपनी बेटी की रक्षा नही कर पाया – उसका खून खोलने लगा – वो दूसरे कमरे में चला गया और उसने रूबी को कॉल किया.

‘भाई !’ रूबी की आवाज़ में दर्द था वो अपने प्यारे अंकल को आख़िरी बार देख भी ना पाई थी.

‘टेक युवर ऑल डॉक्युमेंट्स – पॅक अप और अगली फ्लाइट से यहाँ आजा – अकेले आने में डर लगता है तो मैं आता हूँ तुझे लेने – कहाँ है अभी तू’

‘अभी तो अपनी सहेली के घर हूँ – मम्मी पापा आ चुके हैं वो मुझे यूँ नही आने देंगे’

‘तू अपनी सहेली के पास रह – मुझे अड्रेस एसएमएस कर दे – मैं आरहा हूँ तुझे लेने’

सुनील अभी सुमन को कुछ बता नही सकता – थोड़ा संभली हुई नज़र आ रही है – ये बात पता चलते ही उसका दुख और भी बढ़ जाएगा – सोनल को कुछ बता नही सकता था – मोका ऐसा था कि दोनो को छोड़ के जा नही सकता – अभी तो सागर की अस्थियों का विसर्जन भी करना था – पर डॅड का भी हुकुम था – सेव रूबी – तो ये तो करना ही था – आख़िर बहन थी उसकी – जिसका शोषण हुआ था.

सुनील – सुमन को एक कमरे में ले गया

‘मोम मुझे आज और अभी मुंबई जाना है – रात तक वापास आ जाउन्गा – डॅड ने एक काम दिया है उसे पूरा करना बहुत ज़रूरी है’

सुमन : बेटा इस वक़्त ऐसे महॉल में तुम घर नही रहोगे तो ….

सुनील : माँ बस आज दिन की ही तो बात है जल्दी आने की कोशिश करूँगा – मैं कॉन सा आप दोनो को एक पल के लिए अकेला छोड़ना चाहता हूँ – पर ये काम बहुत ज़रूरी है रूबी की जिंदगी का सवाल है – मैं उसे लेने जा रहा हूँ

सुमन : कुछ बोलने वाली थी --- पर रुक गयी सवालिया नज़रों से सुनील को देखने लगी – उसे वो एसएमएस याद आगया जो सागर ने मरने से पहले भेजा था.

सुनील : ट्रस्ट मी मोम.

सुमन : ठीक है जा – अपना ख़याल रखना – और गुस्से को कंट्रोल में रखना ( वो समझ गयी थी कि आज समर और इसके बीच ज़रूर कुछ होगा – पर होनी को कोई टाल सकता है क्या)


सुनील उस पते पे पहुँच गया और रूबी को साथ ले उसके घर गया. सविता ने दरवाजा खोला – सुनील को देख बहुत हैरान हुई आंड साथ में रूबी को देख तो और भी हैरान हुई.

वो दिल से प्यार करती थी सुनील से – उसके आने पे हैरानी के साथ उसे खुशी भी हुई. आगे बढ़ उसने सुनील को गले से लगा लिया ‘ मेरा राजा – अचानक कैसे आना हुआ – चल अंदर चल’

समर अंदर हॉल में ही बैठा टीवी देख रहा था. सुनील को देख हैरान हुआ – उसे सुनील के व्यवहार पे बहुत गुस्सा था – और उसे देखते ही फिर वो गुस्सा उसके चेहरे पे दिखने लगा – वो आगे बढ़ सुनील को गले लगाना चाहता था पर जैसे ही उसने सुनील से नज़रें मिलाई – उन आँखों में उसने नफ़रत का जवालामुखी देखा.

समर को कुछ समझ नही आ रहा था कि ऐसा क्या हो गया है – वो सुनील जो उसकी इतनी इज़्ज़त करता था आज किस तरहा नफ़रत से देख रहा है.

सुनील : रूबी – जा पॅक अप कर – आंड टेक ऑल युवर डॉक्युमेंट्स.

समर – सविता : क्या मतलब?

सुनील : मासी मैं रूबी को साथ ले जा रहा हूँ हमेशा के लिए – अब ये मेरी ज़िमेदारी है – रूबी यहाँ नही रहेगी.

समर : बहुत ही गुस्से में बोला – क्या बकवास है ये – रूबी कहीं नही जाएगी.

सुनील : हिम्मत है तो रोक के दिखा दो – मेरी बहन तुम जैसे गलिज़ इंसान के साथ नही रहेगी.

सविता : सुनील हद में रहो क्या बक रहे हो तुम – तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई अपने मोसा से ऐसी बात करने की.

सुनील : मोसा…… एक ख़ूँख़ार हँसी के साथ – मोसा नही मासी – मेरा नाजाएज बाप.

समर और सविता की आँखें फटी रह गयी – इसे ये राज कैसे पता चला.

समर : बड़ों की बातों में तुम्हें बोलने का कोई अधिकार नही – जो हुआ हो गया – हम चारों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं – और हम अपने सभी बच्चों से बहुत प्यार करते हैं. अपने आप को ठंडा कर बेटा – ऐसे नही करते.

सुनील – बहुत ही गुस्से से चिल्लाया – शट दा क्रॅप – तू इंसान कहलाने के लायक नही – मुझे गर्व है मैं अपने डॅड का बेटा हूँ- गलिज़ इंसान – तू मेरी माँ को मुझे सेक्स लेसन्स देने के लिए मजबूर कर रहा था – जो माँ –बेटे के रिश्ते की मर्यादा को नही समझता – वो क्या रिश्ते निभाएगा – मेरी बहन तेरे साथ सेफ नही है. वो यहाँ किसी कीमत पे नही रुकेगी. मुझे मजबूर मत करना – मैं कुछ भी कर जाउन्गा.

सविता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया – उसे अपने कानो पे भरोसा नही हुआ :
सुनील क्या बक रहा है – जो भी मन में आया भोंकने लग गया – माना तुझे गुस्सा है – पर इसका मतलब…..

सुनील : बस मासी बस – इस गलिज़ इंसान को तुम इतने सालों में नही समझी. तभी इसका खून इतना गंदा निकला.
 
समर का पारा बहुत हाइ हो चुका था – वो उठ के सुनील को मारने दौड़ा – इससे पहले उसका हाथ सुनील के चेहरे के करीब पहुँचता सुनील ने उसे ज़ोर का धक्का दे के गिरा दिया. और चिल्लाया ‘ जान से मार दूँगा हरामजादे – तूने रमण के नाम पे गंदी नाली के कीड़े को जनम दिया है – बहुत नाज़ है तुझे अपनी परवरिश पे – तो देख ये – सुनील रमण का वो मेसेज समर के मोबाइल पे भेज देता है और साथ ही रूबी का मेसेज भी.

अपनी पॅकिंग करती आँसू बहाती रूबी सब सुन रही थी उसे अपने कानो पे भरोसा नही हो रहा था - उसकी जिंदगी में ये क्या मोड़ आ गया था - उसे नाज़ होने लगा सुनील पे जिसे वो अपना कज़िन ही मानती थी - पर वो उसका सोतेला भाई है - ये बात उसे अब ही पता चली थी. उसे अब भी ये नही पता चला था कि उसको जनम देने वाला कोई और नही उसका प्यारा अंकल सागर ही था.

समर – वो मेसेज देखता है – उसके हाथ पार फूल जाते हैं – सविता भी वो मेसेज देखती है – उसे अपनी आँखों पे भरोसा नही होता – उसे चक्कर आ जाते हैं – वो गिरने को होती है पर सुनील उसे संभाल लेता है. और सोफे पे बिठा देता है.
 
रमण इस वक़्त घर नही था वरना या तो सुनील के हाथों मरता या फिर समर के ही हाथों.

सविता थोड़ा सम्भल चुकी थी – अब उसे सुनील की सब बातों पे भरोसा हो गया था. एक बाप कैसे एक माँ को बोल सकता है अपने ही बेटे के साथ सेक्स करने को – यही गंदा खून तो रमण में आया – जिसने अपनी बहन को नही छोड़ा. वो खुद में भी ग़लतियाँ ढूँडने की कोशिश करने लगी – कहाँ कमी रह गयी थी – उसकी परवरिश करने के तरीके में. सविता की आँखों से आँसू टपकने लगे : वो भर्राई हुई आवाज़ में बड़ी मुश्किल से बोली – बेटा – मुझे भी साथ ले चल – मैं यहाँ एक पल भी नही रुक सकती.

समर : सविता……

सविता : बस अब और नही – बहुत झेल लिया तुम जैसे गलिज़ इंसान को --- अब और नही – डाइवोर्स पेपर्स भेज दूँगी. सुनील मैं अभी आई - वो जा के अपनी पॅकिंग करने लगी . माँ बेटी दोनो एक दूसरे को देख रही थी - दोनो एक दूसरे से लिपट के रोने लगी ' क्यूँ नही बताया तूने मुझे - अपनी माँ पे ही भरोसा नही था' क्या बताती बेचारी रूबी वो जिसे प्यार समझ रही थी वो प्यार नही उसका शोसन था और ये बात उसे बहुत देर बाद पता चली थी. माँ बेटी आनन फानन अपनी पॅकिंग कर लेती हैं - सविता समर के दिए हुए किसी भी जेवर को हाथ नही लगाती यहाँ तक की जो पहने हुए थे वो भी उतार के फेंक देती है.

हाल में आके वो अपने गले से मन्गल्सुत्र उतार कर समर के मुँह पे फेंक देती है.

समर लूटा पिटा सा सा सोफे पे बैठा सोचने लग गया – ये कॉन सा तूफान उसकी जिंदगी में आ गया. अब उसमे हिम्मत नही थी सुनील से नज़रें मिलाने की.ना वो सविता को रोक पाया और ना ही रूबी को.

सुनील रात तक सविता और रूबी को ले अपने घर पहुँच गया.


सुनील ने बड़ी मुश्किल से एरपोर्ट पे सविता की बुकिंग उसी फ्लाइट में करवाई जिसमे उसने खुद की और रूबी की कर रखी थी.

रूबी को एक तरफ सुनील पे भरोसा था और दूसरी तरफ उसे अपनी जिंदगी अंधकार में जाती हुई लग रही थी. कितना भरोसा कितना प्यार करती थी वो रमण से – मिला क्या शोसन – वो भी एक भाई के हाथों – काश रमण – सुनील जैसा होता – ये सोच वो सिसक पड़ी – उसकी आँखों से आँसू टपक पड़े.

वेटिंग लाउंज में बैठे सुनील ने जब रूबी को आँसू बहते हुए देखा तो उसके करीब जा के उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम – बस इतना ही बोला ‘मैं हूँ ना’ आज सुनील वाक़्य में सागर की जगह ले चुका था – ये कुछ दिनो में जो कुछ भी हुआ – वो उसे उसकी उम्र से बहुत आगे ले गया था – अब वो अपने परिवार का दर्द तो रिजोल्व कर सकता था – पर अपना दर्द उसे दिल के बंद कोने में रखना था – वो अपने परिवार में – जिसमे दो लोग और जुड़ चुके थे – उनको कभी भी ये अहसास नही होने देना चाहता था कि अंदर से वो खुद कितना टूट चुका है – वो दहाडे मार के रोना चाहता था – अपने डॅड सागर की गोद का सकुन – उनके प्यार को महसूस करना चाहता था – पर सब कुछ उस से छिन गया था.

सुनील के दो शब्द रूबी को यूँ लगे जैसे खुद उसके सागर अंकल ने उस से बोले हों – वो सुनील से लिपट के रोने लगी. सुनील अपनी इस बहन को चुप करने में लग गया – जिसकी जिंदगी एक अभिशाप बन चुकी थी – उसे फिर से अपनी इस बहन की जिंदगी को सावांरना था. कैसे होगा ये सब वो खुद से सवाल करने लगा ---उसने अपनी आँखें बंद कर ली ---- सागर का चेहरा उसकी आँखों में समा गया – एक आवाज़ उसके कानो में गूँजी – यू आर माइ ब्रेव सन – प्रूव इट बॉय – आइ ट्रस्ट यू फुल्ली.

सुनील के चेहरे पे जो दर्द के साए मंडराने लगे थे वो गायब हो गये – उसके डॅड आज भी उसके साथ थे – और क्या चाहिए था उसे.

सविता तो किसी और ही दुनिया में थी – आज तक जो भी हुआ वो सब एक फ्लश बॅक की तरहा उसके जेहन में घूम रहा था – सबसे बड़ा दुख उसे इस बात का हुआ था कि उसके अपने बेटे ने उसकी बेटी का जीवन तबाह कर डाला था ------ उसके भी आँसू टपकने लगे ----- रूबी को संभालने के बाद जब सुनील की नज़र सविता पे पड़ी तो वो उसके पास चला गया – उसकी गोद में अपना सर – रखते हुए बोला – बस माँ – तेरा ये बेटा है ना.

ये वो बेटा था जिसको उसने जन्मा नही था – ये बेटा उसके पति की अय्याशि का सबूत था - कितना फरक था रमण में और इसमे – काश वो सागर की ही बीवी होती – पर जो होना था वो हो गया – अब जो होना है वो हो के रहेगा – इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी – कैसे संभालेगा ये --- नही अब मैं टूटुन्गि नही इसका पूरा साथ दूँगी – अपनी दीदी का साथ दूँगी - हम सब मिलके झेल लेंगे जो भी होगा---- काश मैने इसे जनम दिया होता --- दीदी तुम्हारी कोख धन्य है --- मुझमें ही कुछ खराबी थी .

अपने दर्द से बाहर निकल सविता सुनील के सर पे हाथ फेरने लगी . रात करीब 10 बजे ये लोग घर पहुँचे – सुमन ने जब दरवाजा खोला तो सामने सुनील के साथ सविता और रूबी को देखा.

सविता लपक के सुमन के गले लग गयी ----------दीदी ------------और दोनो बहने रोने लगी – सुनील और रूबी वहीं खड़े दरवाजे पे दो बहनो के मिलन को देख रहे थे.
 
रोने की आवाज़ें सुन सोनल कमरे से बाहर निकल आई ---- सामने जो मंज़र देखा ------तो उसका दिल भी रोने को करने लग गया ---- उसने अपनी बाँहें फैला दी और रूबी – अपनी माँ और मासी के जिस्मो से रगड़ती हुई अपनी बड़ी बहन की बाँहों में – समा गयी --- दोनो बहने रोने लगी .

दो दो बहनो का जोड़ा रो रहा था --- और दरवाजे पे खड़ा सुनील इस मिलन को देख खुद को रोक ना सका --- उसकी भी आँखों में आँसू आ गये --- पर जिंदगी तो आगे बढ़ानी थी ----- ‘मोम अंदर तो आने दे --- मासी माँ को अपने कमरे में ले जा’

सुमन अपनी बहन को देख ये तो भूल ही गयी थी – कि उसका बेटा सारा समान लिए अभी तक दरवाजे पे खड़ा है – वो एक जंग लड़ने गया था और जीत के वापस आया था – उसके डॅड ने उसे जो हुकुम दिया था – सेव रूबी --- उस हुकुम की उसने तामील कर ली थी . वो सीना चौड़ा कर के बोल सकता था – डॅड –आपके भरोसे को टूटने नही दूँगा.

सुमन को अभी ये तो पता नही था कि सविता क्यूँ आई है --- पर रूबी को देख --- उसे ये यकीन हो गया था – सुनील सागर की जगह ले चुका है.

दोनो बहने अपने आँसू पोंछते हुए अलग हुई और सुमन लपक के सुनील के सीने से लग गयी – ‘आइ आम प्राउड ऑफ यू’

दोनो माँ बेटा घर के अंदर आ गये –

सविता का दिल कर रहा था अपने इस बेटे के साथ चिपक –रो-रो के अपनी सारी भडास निकाल ले – पर वो सुनील को और दुखी नही करना चाहती थी – वो देख रही थी – समझ रही थी – कैसे एक चट्टान की तरहा उभर के सामने आया है --- उसे नाज़ था – घमंड होने लग गया था – कि वो इसकी मासी भी है और सोतेली माँ भी .

‘मोम बहुत थक गया हूँ – भूख भी लगी है’ इससे पहले सुमन कुछ बोलती सोनल ने रूबी को खुद से अलग किया और किचन की तरफ भागी – उसका प्यार भूखा जो था.

सुमन और सविता भी किचन की तरफ लपकी . सुनील ने सारा लगेज घर के अंदर किया – दरवाजा बंद किया और सोफे पे निढाल होके गिर पड़ा --- उसे यूँ गिरते देख रूबी जो दूर खड़ी सब देख रही थी – चिल्लाती हुई लपकी ‘भाईईईईईईईईईई’

रूबी जा के सुनील से चिपक गयी ‘ भाई ठीक हो ना’

‘जिसकी तेरी जैसे प्यारी बहन हो – उस भाई को कुछ हो सकता है क्या – अहह’ सुनील के जिस्म का पोर पोर दर्द कर रहा था – एक पल का चैन भी तो नही मिला था – जब से सागर उस से जुदा हुआ था.

सुनील के जाने के बाद ना सुमन ने कुछ खाया था ना सोनल ने --- आज भी खाना पड़ोसी ही दे के गये थे जिसे सोनल गरम करने पे लगी हुई थी – सुमन और सविता भी उसका हाथ बटाने लगी .

सुनील अधमरा सा सोफे पे पड़ा हुआ था – और रूबी उसके सर को दबा रही थी – बहन के हाथों में कितना जादू होता है – सुनील की आँखें बंद हो गयी – उसे नींद आ गयी.

सोनल और बाकी खाना ले के जब हॉल में आए तो देखा किस तरहा सुनील अधमरा सा पड़ा था – रूबी उसका सर दबा रही थी --- एक साथ तीन लोगो की अलग भावनाएँ उठ खड़ी हुई –
सोनल : तेरा सारा दर्द हर लूँगी – एक मोका तो दे

सुमन : मेरे लाल तुझे किसी की नज़र ना लगे

सविता : बेटी आज तूने मेरा मान रख लिया

तीनो ने डाइनिंग टेबल पे खाना रखा और सुनील की तरफ बढ़े जहाँ रूबी आँखों से आँसू टपकाती अपने भाई को सकुन पहुँचाने की कोशिश कर रही थी.

तीनो उस से लिपटना चाहती थी ---- पर पहला हक़ तो सुमन का ही था. घुटनो के बल बैठ – अपने राजदुलारे के चेहरे को छूते हुए – ‘ खाना खा ले बेटा’

सुनील की आँख अपनी माँ की आवाज़ सुन खुल गयी और देखा – उसकी वो बहन जो जिंदगी भर उस से दूर रही कैसे उसका सर दबा रही थी --- उसके दोनो हाथों को अपने हाथों में थाम बस यही बोल पाया ‘मैं हूँ ना’ – ये तीन शब्द ना सिर्फ़ रूबी की रूह को छू गये – बल्कि सुमन – सविता और सोनल ----तीनो पे असर पड़ा – पर वो असर अलग अलग किस्म का था.

वो असर क्या था – ये तो बस वो तीनो ही जानते थे – थका हुआ दर्द से भरा हुआ भूक से बिलबिलाता हुआ – बहन के हाथों कुछ आराम पाता हुआ सुनील उठ खड़ा हुआ --- और डाइनिंग टेबल पे बैठ गया ----- सब ने खाना खाया ----- आज सुनील का जिस्म उसका साथ छोड़ रहा था – वो बुरी तरहा थक चुका था जिस्म से भी और दिल-ओ-दिमाग़ से भी – वो बस अब गिरना चाहता था.

सुमन : सोनल रूबी को अपने कमरे में ले जा

सोनल कुछ वक़्त सुनील के साथ बिताना चाहती थी – पर वो बहन जो कभी कभी मिलती थी उसका मोह भी था – वो रूबी को अपने कमरे में ले गयी.

खुलती बंद होती आँखों के साथ सुनील बोला – मैं अपने कमरे में जाता हूँ मोम.

सुमन उसका हाथ पकड़ उसे अपने कमरे में ले गयी (क्या ये शुरुआत थी सुनील का उस एक और हुकुम मानने की – जिसे सुमन ने भी मान लिया था) - ना अभी ऐसा कुछ नही था – अभी तो बस एक माँ अपने बेटे को कुछ सकुन देना चाहती थी – जिंदगी कुछ आगे बढ़ चुकी थी – गम के बादल कुछ छाँट गये थे – सुनील को इस वक़्त बस एक बिस्तर चाहिए था – वो बिस्तर पे गिर पड़ा .

उसके एक तरफ सविता सो गयी और एक तरफ सुमन --- पर सुमन की आँखों में नींद कहाँ थी – उसने सुनील के जिस्म की दबाई शुरू कर दी. – सविता भी कहाँ पीछे हट ती उसने सुनील की टाँगों को दबाना शुरू कर दिया – सुनील हड़बड़ा के उठ गया – ये क्या….

सुमन ने उसे बोलने नही दिया --- चुप चाप सो जा

माँ की डाँट के आगे बेबस सुनील अपनी आँखें बंद कर लेट गया --- दोनो बहने – घर के एक्लोते मर्द को कुछ सकुन पहुचाने की कोशिश करने लगी – कब वो दोनो सोई पता ही ना चला.

अब वक़्त आ चुका था जिंदगी को आगे बढ़ाने का – अगले दिन सुबह उठते ही सुनील के मन में एक डर समा गया – कि रात को रूबी ने कहीं कुछ बोल तो नही दिया तो सोनल – वो बिल्कुल नही चाहता था कि सोनल को कुछ पता चले और उसकी नज़रों में माँ बाप की प्रतिष्ठा की धज्जियाँ उड़ जाए. इसलिए सबसे पहले उसने रूबी को खोजा और इस बात की सख्ती से ताकीद कर दी – कि वो अपनी ज़ुबान सारी जिंदगी बंद रखेगी.

आज कितने दिनो बाद घर का कोई शक्स किचन में घुसा था. सोनल ने सबके लिए चाइ बनाई.

पूरा परिवार एक साथ बैठा – सबने चाइ पी और फिर सभी फ्रेश हुए.

आज दिन था सागर की अस्थियों को विसर्जन करने का. सुनील अकेला जाना चाहता था ताकि बाकी लोग आराम कर सकें – पर सुमन और सोनल कहाँ मानने वाली थी – सविता और रूबी भी पीछे नही हटी – तो यही तय हुआ के पूरा परिवार ऋषिकेश जाएगा.
 
गंगा की लहरों ने सागर की अस्थियों को अपनी शरण में ले लिया और इसके साथ सागर अपनी अंतिम यात्रा पे निकल गया.
उस दिन ये लोग ऋषिकेश में ही रुके.

सागर अब हमेशा के लिए जा चुका था – पर जो पीछे रह गये उन्हें तो जीना था – अब उसके बिना जीना था. सभी गमगीन थे पर सुनील कमरे में बैठा आगे की सोच रहा था – रूबी का ट्रान्स्फर करवाना था अपने कॉलेज में जो इतना आसान नही था – पर उसे यकीन था कि वो ये कर पाएगा.

सबसे बड़ी चिंता जो उसे खा रही थी – वो थी रूबी की सुरक्षा --- दो साल से रमण उसे भोग रहा था – और एक बार सेक्स की आदत पड़ जाए तो उसे दबाना बहुत मुश्किल होता है – जिस्म की भूख के आगे रूबी कहीं किसी और के साथ संबंध ना बना ले और अपने जीवन का सत्यानाश ना कर डाले. किस तरहा रूबी को सिर्फ़ करियर की तरफ लगाए और उसका सारा ध्यान सिर्फ़ पढ़ाई पे –

क्या रूबी की शादी कर देनी चाहिए – पर उसके करियर का क्या होगा? और बिना करियर अच्छा लड़का भी तो नही मिलेगा?

सोनल, रूबी, और सविता एक कमरे में सो चुके थे सफ़र की थकान उन से बर्दाश्त नही हुई थी.

दूसरे कमरे में सुनील और सुमन थे. सुमन बिस्तर पे बैठी अपने ख़यालों में गुम थी और सुनील कुर्सी पे बैठा खिड़की से बाहर झँकता रूबी के बारे में सोच रहा था. सोच सोच के सुनील का दिमाग़ थक गया उसे कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था.

एक पल तो ये ख़याल आया कि उसे डाइरेक्ट रूबी से बात करनी चाहिए – पर एक भाई अपनी बहन से इस बारे में कैसे बात कर सकता था - अगर करी तो रमण और उसमे क्या फरक रह जाएगा – कहीं वो मुझे भी रमण की तरहा ग़लत ना समझ बैठे – नही – नही मैं उस से कोई बात इस मामले में नही कर सकता. कुछ और ही सोचना पड़ेगा.

क्या माँ से बात करूँ ? पर कैसे – कोई बेटा अपनी माँ से छोटी बहन की सेक्स नीड के बारे में कैसे बात कर सकता है.

क्या करूँ डॅड – इस ज़िम्मेदारी को कैसे निभाऊ?

सुमन अपने ख़यालों में सागर के साथ बिताए उन प्यार भरे लम्हों को याद कर रही थी – जो अब उसे फिर नही मिलने वाले थे – बस उनकी याद ही रह गयी थी – याद करते करते वो सिसक उठी – कैसे प्यार से चूमता था वो – कैसे फूल की तरहा उसे संभालता था – कैसे उसकी रग रग में आनंद की लहरें भर देता था. अब ये सूनी जिंदगी सागर के बिना कैसे कटेगी –


उसे सागर के उस एसएमएस की याद आई जिसमे उसने सुनील को आखरी हुकुम दिया था – रीप्लेस मी ---- क्या ये हो सकता है – क्या ऐसा होना चाहिए – वो पल वो लज़्ज़त उसे . लगे जब उसने सुनील को सेक्स लेसन देते हुए उसने सुनील के होंठों को चूमा था – उसके स्पर्श का अहसास अपने मम्मे पे महसूस किया था ----- लेकिन मर्यादा ----- मैं बहक गयी थी – सुनील नही बहका था. अब तो सागर जा चुका है – तो क्या सुनील……… उफफफ्फ़ ये मुझे क्या हो रहा है – क्या अनाप शनाप सोचने लगी हूँ. वो ख़यालों की दुनिया से बाहर आती है – उसकी नज़र सुनील पे पड़ती है – कितना सीरीयस था वो इस वक़्त – क्या सोच रहा था वो – सुनील को इस तरहा गमगीन सुमन कभी नही देख सकती थी – बिस्तर से उठ के वो सुनील के पास चली गयी और प्यार से उसके सर पे हाथ फेरते हुए बोली –

‘क्या सोच रहा है – सब ठीक हो जाएगा – अब तो सागर की यादों के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी’

सुनील सोचों से बाहर निकल अपनी माँ की तरफ देखता है – जो सवाल उसके मन में रूबी के बारे में उठ रहे थे – कैसे उनको वो सुमन के सामने रखे – उसकी सोच में दुबई हुई आँखों ने सुमन को बता दिया – वो किसी गहरी चिंता में है.

जाने कितनी देर सुनील और सुमन एक दूसरे की आँखों में देखते रहे.

‘बता क्या बात है – किस बात की चिंता हो रही है तुझे’

सुनील चुप रहता है.

‘बोल ना – देख अब हम दोनो दोस्त भी हैं – बोल जो तेरे दिल में है’

सुनील हिम्मत कर ही लेता है सुमन से बात करने की – और कोई रास्ता नही था उसके पास

‘मैं सोच रहा था आप शादी……………..’

अभी वो पूरी बात बोल भी नही पाया था के सुमन का . पड़ गया उसके गालों पे पड़ गया.

सुमन तो पागल हो गयी -------- चिल्लाते हुए बोली – ‘तू तू तूने सोच भी कैसे लिया मेरी शादी के बारे में – भूल गया अपने डॅड का आखरी हुकुम ----- मेरी लाइफ में कोई और नही आ सकता सिवाए तेरे’

फिर वो वहीं ज़मीन पे बैठ के रोने लगी. ‘ हाउ कुड यू थिंक ऑफ डूयिंग दिस………’

सुनील को हँसी आ गयी – ये औरतें भी…… फट से नज़ीते पे पहुँच जाती हैं ……….पर एक डर भी उसके दिल में समा गया …… मोम तो डॅड के हुकुम को सीरियस्ली ले रही हैं…….. ये तो कभी हो ही नही सकता…..डॅड का ये हुकुम तो मैं कभी पूरा नही कर ..

सुनील जा के ज़मीन पे सुमन के पास बैठ गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया.

‘पूरी बात तो सुन लिया करो….. आपकी शादी के बारे में नही मैं रूबी की शादी के बारे में बात करना चाहता था.’

सुमन के रोने को एक दम ब्रेक लग गया – आँखें फाडे सुनील को देखने लगी – ये मैने क्या कर डाला – बिना पूरी बात सुने थप्पड़ मार दिया – ग्लानि से भर उठी वो.

सुनील के चेहरे को अपने हाथों भर उसे चूमने लगी – ‘सॉरी – सॉरी – पागल हो गयी हूँ मैं – बिना वजह तुझ पे हाथ उठा दिया – सॉरी बेटा – सॉरी’

‘बस माँ बस ---- ये सोचो क्या करना है’

‘पर इतनी जल्दी भी क्या है – उसका करियर तो बनने दे’

‘डर लग रहा है मोम – वो बहक सकती है – कहीं कोई उन्च नीच हो गयी तो……..’

‘इंसान ग़लतियों से सीख जाता है – अब उसके पास तू है मैं हूँ सोनल है --- हमारा साथ और हमारी दी हुई दिशा से वो बाहर नही जाएगी’

‘नही माँ इसकी कोई गॅरेंटी नही ------ अब आगे कैसे बोलूं – आपको खुद समझ जाना चाहिए’

सुमन सोच में पड़ गयी सुनील किस तरफ इशारा कर रहा है ऐसी क्या बात है जो वो खुल के नही बोल सकता.

काफ़ी देर तक सुमन सोचती रही पर उसे कुछ समझ ना आया सुनील क्या कहना चाहता – फिर दिमाग़ की बत्ती . – ये शादी की बात कर रहा है – यानी – यानी ये रूबी की सेक्स नीड के बारे में बोलना चाहता है – ओह गॉड!!!! ---- मेरे दिमाग़ में ये बात क्यूँ नही आई ----- एक माँ कैसे बच्चों की सेक्स नीड के बारे में सोच सकती है. फिर इसने कैसे सोच लिया – एक भाई होते हुए ………….. ओह ये धीरे धीरे सागर की जगह ले रहा है – ज़िम्मेदारी समझ रहा है ….. इस चिंता है पूरे परिवार की – रूबी की ज़िम्मेदारी हमारी ही तो है.

मुझे सविता से बात करनी होगी – इस समस्या का कोई हल निकालना होगा.

सुमन बड़े फक्र से सुनील को देखने लगी. ‘ ह्म्म्मे समझ गयी तेरी बात – मैं सविता से बात करूँगी – देखते हैं क्या हल निकलता है’

‘ठीक है मोम – मैं कुछ खाने का इंतेज़ाम करता हूँ – आप बाकी लोगो को उठा लो’ ये कह के सुनील बाहर निकल गया. सुमन उसे जाते हुए देखती रही.

जिंदगी जो बिखर गयी थी उसे अब .ती हुई महसूस होने लगी और वो बाकी लोगो को उठाने दूसरे कमरे में चली गयी.

खाने के बाद सब सो गये. अगले दिन दोपहर तक देल्ही पहुँच गये. सुमन ने एक कमरा सेट कर दिया सविता और रूबी के लिए.
 
दोपहर को खाने के बाद सोनल और रूबी – सोनल के कमरे में अपनी बातों में लगी रही. सुनील कॉलेज चला गया प्रिन्सिपल से बात करने – अपने साथ रूबी के सारे डॉक्युमेंट्स ले गया था.

सविता – सुमन के साथ उसके कमरे में बिस्तर पे लेटी आराम कर रही थी.

सुमन : सवी कब वापस जा रही है. (सुमन को अब तक नही मालूम था कि सविता हमेशा के लिए समर को छोड़ के आई है – वो तो यही समझ रही थी कि वो रूबी को . आई है कुछ दिनो में वापस चली जाएगी.)

सविता : सूमी मैं उसे हमेशा के लिए छोड़ आई हूँ. बस अब डाइवोर्स पेपर्स तयार कर के भेजने हैं.

सुमन उठ के बैठ गयी – बात इतनी आगे बढ़ जाएगी ये तो उसने सोचा ही नही था – वो बस यही सोच रही थी समर और सुनील में कुछ गरमा गर्मी होगी रूबी को लेकर.

सविता : कितना गिरा हुआ आदमी है वो हम दोनो को चोदता है फिर भी उसने तुझे सुनील को सेक्स लेसन्स देने के लिए कहा – एक माँ को एक बेटे के साथ. छ्हीईई

सुमन को वो दिन याद आने लगे जब वो सुनील को सेक्स लेसन्स दे रही थी – उसके जिस्म में हलचल मचने लगी पर उसने खुद को काबू में कर लिया.

सविता : कितना आगे बढ़ गयी थी तो सुनील के साथ.

सुमन : उसकी मर्यादा की दीवार बहुत उँची है – कोई और होता तो जानने कितनी बार चोद डालता – वो तो हाथ भी नही लगाना चाहता था – कुछ करने की बात तो दूर – बस दो बार . हुआ था – एक बार मैने किया था और दूसरी बार भी उसे मजबूर कर उससे करवाया था. जब उसका हाथ अपने मम्मे पे रखा तो भड़क गया. – नाज़ है मुझे ऐसे बेटे पे.

सविता : पता नही मेरी परवरिश में क्या कमी रह गयी जो मेरा बेटा ऐसा निकला – अपनी बहन के साथ ---- घिंन आने लगी है उसपे. गंदे खून की औलाद गंदी ही निकलेगी.

सुमन : ऐसा होता तो सुनील भी उसी तरहा का होता…. वो तो ऐसा नही निकला.

सविता : ये सब सागर और तेरी परवरिश का करिश्मा है. वो तेरी कोख से जन्मा है तेरा असर उसमे ज़यादा है. शायद मेरी कोख ही खराब है जो शैतान को जनम दे डाला.

सुमन : कोख किसी की भी खराब नही होती – बस हालात और परवरिश ही माइने रखते हैं.

सविता : खैर छोड़ मैं उन दोनो के बारे में अब सोचना भी नही चाहती – सोचूँगी – बेटा पैदा होते ही मर गया. अब सुनील ही मेरे लिए मेरा बेटा है.

सुमन : तुझ से रूबी के बारे में ज़रूरी बात करनी थी.

सविता : रूबी के बारे में – क्या?

सुमन : तू जानती है रमण उसे दो साल से भोग रहा था – दो साल कम नही होते – जवान लड़की है सेक्स की आदत पड़ चुकी होगी – अब जब उसे सेक्स नही मिलेगा – कहीं भटक के ग़लत रास्ते पे ना चली जाए.

सविता भी उठ के बैठ गयी.

सविता : मैने तो इस बारे में सोचा ही नही….ये तो बड़ी समस्या बन जाएगी.

सुमन : सोचा तो मैने भी नही था – ये तो सुनील ने मजबूर किया मुझे सोचने के लिए.

सविता :ककककककककक्क्क्यययययययययययाआआआआआआआ

सुमन : ग़लत मत सोच उसके बारे में. वो अपनी ज़िम्मेदारी निभाना चाहता था अपनी बहन के लिए. जाने क्यूँ मुझे लग रहा है वो सागर की जगह ले रहा है धीरे धीरे. ज़िम्मेदारियाँ उठता जा रहा है. पता है उसने क्या कहा था ?

सविता : क्या……? ( वो आँखें फाडे कान खोले दिल की धड़कन को बढ़ाते हुए सुमन के जवाब का इंतेज़ार करने लगी)

सुमन : शादी ---- वो चाहता है रूबी की शादी कर दी जाए.

कुछ देर चुप्पी रही दोनो बहने सोच रही थी.
सविता : उ उ उसका करियर !!!

सुमन : यही तो समस्या है – कुछ समझ नही आ रहा

फिर चुप्पी छाई रही. कुछ देर बाद सुमन बोली.

‘एक रास्ता है अगर उसके करियर को भी बनने दिया जाए – उसकी शादी के बारे में अभी ना सोचा जाए……

सविता : और वो क्या – एक ठंडी साँस भरते हुए वो बोली…..

सुमन : लेज़्बीयन…………..सेक्स ----- उसकी सेक्स की भूख मिटती रहेगी ….. वो अपने करियर पे भी ध्यान दे पाएगी.

सविता : ये ये ये तू क्या बोल रही है…..

सुमन : तू ही बता अगर और कोई रास्ता है तो इस समस्या का हल निकालने के लिए ---- या शादी – या लेज़्बीयन – या फिर उसे खुला छोड़ दिया जाए जहाँ मर्ज़ी मुँह मारने के लिए.
 
सविता और रूबी के जाने के बाद --- समर खोखला सा हॉल में बैठा नीट दारू पीने लगा – सीना जलता रहा पर तड़प ख़तम ही नही हो रही थी.

उसने कभी . में भी नही सोचा था कि उसका बेटा अपनी बहन पे ही आसक्त हो जाएगा ----अपनी बहन को ही भोगने लगेगा . गुस्से के मारे उसके नथुने फूलने लगे- बेसब्री से वो रमण का इंतेज़ार कर रहा था – जिसकी वजह से ना सिर्फ़ उसकी बेटी उसका साथ छोड़ के चली गयी बीवी ने भी साथ छोड़ दिया.

माना उसकी सेक्स डिमॅंड ज़यादा थी – पर उसने कभी भी किसी और लड़की की तरफ आँख उठा के नही देखा था वो बस सविता और सुमन के हुस्न के जाल में क़ैद रहा उन दोनो से ही सन्तुस्त रहा.

ना जाने वो कॉन सा पल था – जब उसके दिमाग़ में ये आया कि वो सुनील को सेक्स मैं ट्रेन करने के लिए सुमन को बोल बैठा. वो सुनील से बहुत प्यार करता था उसमे उसे अपनी जवानी दिखाई देती थी – क्या जो रास्ता मैने चुना था क्या वो ग़लत था ?

कितनी ही बार पढ़ा के जापान में शुरू शुरू में ऐसा होता था. अगर ये रास्ता चुन लिया सुनील को ट्रेन करने का उसके कॉन्फिडेन्स को और बढ़ाने का तो क्या गुनाह किया.

ऊम्र देखो सुनील की – जवानी चढ़ चुकी है पर अब भी लड़कियों से दूर है ---- रमण को देखो हर जगह मुँह मारता है – अपनी जवानी को पूरी तरहा से एंजाय कर रहा है – पर हरामजादे ने अपनी बहन पे हाथ क्यूँ डाला?

पागल हो रहा था समर ---- दिमाग़ फट रहा था उसका.

क्या सोचा था क्या हो गया? सुनील की जगह रमण होता तो सुमन को चोद डालता. दोनो में मेरा खून फिर एक इतना अलग – उँचे संस्कारों से भरा हुआ और दूसरा ----- . क्या कमी रह गयी थी जो रमण ऐसा ना बना जैसा सुनील.

मुझ में ही कुछ कमी होगी – मेरी परवरिश में कमी होगी.

तब भी कोई भाई इतना कैसे गिर सकता है जितना रमण गिर गया.

सागर की मोत का कारण भी रमण है – वो मेसेज सागर के पास कैसे पहुँचा ……..
सब छिन गया है मुझ से – एक प्यारा दोस्त – एक प्यारी बीवी – पूरा परिवार छिन गया है मुझ से---और सुमन……..- सब रमण की वजह से.

बड़बड़ाता हुआ समर – रमण को ही दोषी मान रहा था. उसे अपनी ग़लतियाँ समझ ही नही आ रही थी.

रमण जब घर पहुँचा तो समर एक भूखे शेर की तरहा उसपे टूट पड़ा मार मार के उसका बुरा हाल कर दिया. रमण को समझ ही नही आया आज उसका बाप इतना पागल क्यूँ हो रहा है.

समर ने रमण की आवाज़ ही ना निकलने दी. और इतना मारा इतना मारा कि रमण बेहोश हो गया.

रमण को वहीं बेहोश और खून में लथपथ छोड़ समर घर से निकल गया.

समर घर से निकल एक बार में जाके बैठ गया और पीने लगा.
उसकी ईगो बहुत हाइ थी. बहुत जल्दी अपनी ग़लती मानने को तयार नही होता था. लेकिन वो सुमन का इतना बड़ा . था कि उसे खोने को तयार नही था.

अब सागर जा चुका था – वो सागर की जगह लेना चाहता था. उसे इस बात का गम था कि सविता उसे छोड़ के चली गयी पर इस बात का सबसे ज़यादा गम था कि वो अब सुमन से नही मिल पाएगा. सुमन तक पहुँचने की केवल एक सीडी थी और वो थी सविता.

और जिस तरहा से सविता नाराज़ हो के गयी थी डाइवोर्स तक का एलान कर के – उसे मनाना इतना आसान नही था.

2 दिन वो घर ही नही गया उसे इस बात की परवाह नही थी कि रमण का क्या हुआ – वो बस यही प्लान करता रहा किस तरहा सुमन को फिर से अपनी बाँहों में ले सके.

जिस वक़्त समर घर से निकला था उसके थोड़ी देर बाद रमण का एक दोस्त वहाँ पहुँचा – घर खुला था और रमण घायल बेहोश पड़ा था- उसे कुछ समझ नही आया वो रमण को फटाफट हॉस्पिटल ले गया.
समर ने एक आखरी प्रयास सोचा – सविता से माफी माँग लेता है तभी जा कर सुमन तक पहुँचने का रास्ता खुलेगा.
उसने सविता को फोन किया – ये वो वक़्त था जब सुमन और सविता रूबी के बारे में बात कर रहे थे और सोच रहे थे कि जो ऑप्षन्स सामने हैं उनमे से . चुने.
सविता कॉल नही लेना चाहती थी – पर सुमन के कहने पे उसने कॉल ले ली.

‘हां बोलो’

‘सवी मुझ से ग़लती हो गयी मुझे माफ़ कर दो – मुझे सुमन से वो सब नही कहना चाहिए था पता नही मुझे क्या हो गया था. वापस आ जाओ प्लीज़ मैं सुनील से भी माफी माँग लूँगा’

‘बहुत देर हो चुकी है समर बहुत देर – मुझे तुम से कोई रिश्ता नही रखना’

‘देखो मेरी बात को समझने की कोशिश करो – सागर जा चुका है – अकेली रह गयी है – इस वक़्त उसे और बच्चों को हमारी ज़रूरत है – मेरे लिए ना सही सुमन के लिए मुझे माफ़ कर दो – मैं सब ठीक कर दूँगा – एक ग़लती तो माफ़ कर ही दी जाती है’

‘कुत्ते, कमिने, हरामजादे आ गया असलियत पे- दुबारा हमारी जिंदगी में आने की कोशिश करी तो सोच ले तेरा क्या हाल होगा- गेट लॉस्ट – डाइवोर्स पेपर्स जल्दी मिलजाएँगे’

सविता ने कॉल कट करदी और गुस्से में मोबाइल ही फेंक डाला

समर दाँत पीसता रह गया.


आज दो दिन बाद रमण को होश आया- जिंदगी बदल चुकी थी- हॉस्पिटल के कमरे की छत को घूरता हुआ वो बीते दिनो के बारे में सोचने लगा – उसे अब भी ये नही मालूम था कि उसकी एक अंजान ग़लती की वजह से सागर की जान चली गयी.
उसे सिर्फ़ इस बात का दुख था कि रूबी उसकी एक ग़लती की वजह से उसे छोड़ गयी, और कभी पलट के भी नही देखा.

अब तो सब खुल गया था – सबको पता चल गया था उसका और रूबी का रिश्ता – वो रूबी से माफी माँग एक बार फिर नये सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहता था – पर क्या कोई अब उसे रूबी से मिलने देगा- हज़ार बार मेसेज भेज भेज कर माफी माँगी थी – पर रूबी ने किसी मेसेज का जवाब नही दिया – क्या लड़कियाँ इतनी संगदिल होती हैं.

या फिर रूबी को गिल्ट होने लगा कि वो अपने ही भाई के प्यार में फस्ति चली गयी – जो . की नज़रों में ग़लत था. सच क्या है – क्या है रूबी के मन में ये जानना उसके लिए बहुत ज़रूरी था. रूबी के बिना जीना उसे मोत से कम नही लग रहा था.
काँपते हाथों से उसने फिर रूबी को मेसेज भेजा और जवाब का इंतेज़ार करने लगा

रूबी बहुत सीधी लड़की थी और रमण उसकी जिंदगी में आने वाला पहला मर्द था और वो दिल से रमण से प्यार करती थी – लेकिन उस दिन जो हुआ था उससे वो बहुत डर गयी थी – उसका दिल टूट गया था – लेकिन फिर भी वो रमण को भुला नही पा रही थी. वो रमण से दूर इसलिए हुई थी क्यूंकी वो रमण का इम्तेहान लेना चाहती थी – वो देखना चाहती थी कि वो सिर्फ़ एक हादसा था या फिर रमण है ही ऐसा जिसकी लिए लड़की की भावना कोई माइने नही रखती – उसके लिए लड़की सिर्फ़ एक जिस्म थी खेलने के लिए.

मन में दुआ करती थी कि उसकी बात ग़लत निकले. वो इंतेज़ार कर रही थी – ये देखने के लिए कि कब रमण की जिंदगी में कोई और लड़की आती है.
उसकी सारी सहेलियाँ और उनके बॉय फ्रेंड्स ने रमण पे नज़र रखी हुई थी.

रूबी चाहती थी कि एक बार ये पता चल जाए कि रमण वाक़यी में उससे सच्चा प्यार करता है तो वो उसे फिर से कबूल कर लेगी और अपनी डिग्री ख़तम होने के बाद दोनो कहीं चले जाएँगे - अपनी जिंदगी एक दूसरे की बाँहों में बसर करने मिया बीवी की तरहा.
 
उस रात जब सविता ने समर के प्लान को फैल कर दिया वो खुंदक में और भी ज़्यादा पी गया और नशे में कार चलाने लगा. सामने आते ट्रक की लाइट्स उससे झेली नही गयी और उसका आक्सिडेंट हो गया. समरके साथ इस आक्सिडेंट में क्या होता है उसपे बाद में आएँगे - पहले ज़रा बाकी पत्रों को देख लें.

रूबी को रमण का मेसेज आता है जिसे वो इग्नोर कर देती है. और उस दिन रमण से मिलने हॉस्पिटल में वो लड़की आती है जिसके साथ कभी उसके संबंध रहे थे. काफ़ी देर वो रमण के साथ समय बिताती है और जाने से पहले रमण के होंठों को चूम के जाती है. दिल से टूटा रमण उसे अपना सहारा समझ लेता है और जब वो रमण का चुंबन ले रही होती है रमण अपनी एक काम करती भुजा से उसे खुद से चिपकाने की कोशिश करता है.

ये सीन रूबी की सहेली जो उसी हॉस्पिटल में थी रूबी को उसका एक फोटो भेज देती है.

रूबी जब ये फोटो देखती है वो आग बाबूला हो जाती है - उसने जो सपने संजोए थे वो धूल में मिल गये थे - उसे रमण से नफ़रत हो जाती है. अब उस लड़की और रमण का ये छोटा इन्सिडेंट आगे कोई रूप लेगा या नही अभी तो पता नही - क्या ये सिर्फ़ एक दो दोस्त का प्यार था जो काफ़ी समय बाद मिले थे - या अब भी रमण के दिल में उस लड़की के लिए सॉफ्ट कॉर्नर था. वक़्त कब क्या करवट बदलेगा - ये तो वक़्त खुद ही बताएगा.

सोनल देख लेती है कि हँसती हुई रूबी यकायक एक मेसेज आने के बाद बहुत सीरीयस हो गयी थी. सोनल ने बहुत कोशिश करी पर रूबी टालती रही और फिर सोनल ने भी ज़ोर देना बंद कर दिया.

उस दिन शाम को जब सुनील कॉलेज से लोटा तो प्रिन्सिपल को मना के आया था रूबी के अड्मिशन के लिए अब बस माइग्रेशन सर्टिफिकेट चाहिए था जिससे जल्दी लेने के लिए किसी ना किसी को मुंबई तो जाना ही था.

तो तय ये होता है की सुनील अगले दिन मुंबई जाएगा.


जिंदगी ज़ीनी पड़ती है और सब ने जीना शुरू कर दिया. सुनील जिस तरहा रूबी के लिए भागदौड़ कर रहा था उस से पूरा परिवार प्रसन्न था.

खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गये. सुनील अपने बिस्तर पे लेटा छत को देख रहा था – सोनल अपने कमरे में और सुमन अपने कमरे में दीवार पे लगी सागर की तस्वीर को. सविता और रूबी एक कमरे में थे. आज सविता रूबी से बात करना चाहती थी इस लिए वो उसके पास सोने गयी.

सुनील को आज पहली बार कुछ अजीब सा महसूस हुआ था – आज उसने ध्यान दिया कि सुमन सफेद साड़ी में बिना कोई मेक अप किए रहने लगी है. उसके दमकते हुए चेहरे पे कितनी उदासी के बादल छा गये हैं.

वो हंस खेलती सुमन जो पूरे परिवार को खुशियों के महॉल में रखती थी आज होनी ने उस पे ग्रहण लगा दिया था – एक टीस उठी सुनील के दिल में – पर वो कुछ कर भी तो नही सकता था. वो पहले वाली सुमन कहीं खो गयी थी. सुनील की आँखों में आँसू आ गये अपनी इस बेबसी और लाचारी पे.

वहाँ सुमन – सागर से गिला कर रही थी – क्यूँ छोड़ गये मुझे अकेले – कैसे रहूंगी तुम्हारे बिना. तुम्हारी एक कमज़ोरी जिसका फ़ायदा समर ने उठाया – आज जिंदगी का रुख़ ही बदल दिया – बिस्तर पे लेट वो खाली जगह जहाँ सागर उसके साथ सोता था उसे कचॉटने लगी – हाथ फेरते हुए सागर के होने का अहसास पाने की कोशिश करने लगी.

सोनल छत को घूरती हुई खुद से बातें कर रही थी - पापा तो चले गये बस अब एक तू ही है जानू मेरी जिंदगी में - मेरा साथ कभी ना छोड़ना वरना मर जाउन्गि.

सविता रूबी के साथ बिस्तर पे लेटी उसके सर पे हाथ फेर रही थी.
सविता : बेटी, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनके सबसे अच्छे दोस्त माँ बाप ही होते हैं, मेरी परवरिश में कहाँ कमी रह गयी थी जो तू मुझ पे ही भरोसा ना रख सकी.
आज अपनी सहेली से रमण का वो फोटो देख रूबी टूट चुकी थी और माँ के प्यार भर शब्दों ने उसके रुके हुए बाँध को तोड़ दिया.
वो सविता से चिपक के रोने लगी.
सविता ने कुछ देर उसे रोने दिया – फिर उसे चुप करने लगी.
‘बस बस अब चुप हो जा’
कुछ देर शांति रही.
‘बता ये सब कैसे शुरू हुआ – क्या उसने तेरे साथ ज़बरदस्ती की थी ‘
रूबी को शरम आ रही थी अपनी माँ से कुछ बोलते हुए.
‘शरमाने की ज़रूरत नही है बेटी –बता मुझे सब कुछ तेरी मदद ही करूँगी’
रूबी कुछ पल अपनी माँ को देखती रही फिर उसने बोलना शुरू किया –
‘आधे से ज़यादा कसूर तो माँ – आपका और पापा का है’
सविता के कान खड़े हो गये ---- ह्म ह्म ह्मारा!!!!
‘हां माँ – आप और पापा बहुत केर्लेस थे – आप लोगो ने ये भी ध्यान नही दिया कि बच्चे उस उम्र में पहुँच चुके हैं जब ना वो बड़े हुए थे और ना ही बच्चे रहे थे – आप दोनो कभी भी कुछ भी करने लगते थे – कई बार मैने आप दोनो को सेक्स करते हुए, किस करते हुए देखा और कई बार रमण ने – पर एक साथ हम दोनो ने नही – इसका असर मुझ पे भी पड़ा और रमण पे भी ---- पर रमण की गर्ल फ्रेंड्स थी वो अपने आप को सॅटिस्फाइ कर लिया करता था – मुझे बाहर किसी के साथ कुछ करने में डर लगता था – मैं अंदर ही अंदर जलती रहती थी – मेरी सहेलियाँ जब अपने बॉय फ्रेंड्स की हरकतें बताया करती थी मज़े ले ले कर मेरी हालत और भी खराब हो जाया करती थी.

रमण का इंटेरेस्ट मुझ में कब और कैसे हुआ – ये नही मालूम पर जब उसने मेरे करीब आने की कोशिश करी मैं डरने लगी कि खुद को रोक नही पाउन्गि – एक दिन उसने मुझे पूरा भरोसा दिलाया कि वो मुझे प्यार करता है – मैं उस वक़्त प्यार क्या होता है नही जानती थी – पर रमण के भरोसे पे उसका साथ देने लगी – पहली बार जब हमने सेक्स किया तब मुझे पता चला कितना आनंद मिलता है – उसके बाद मैने उसे कभी नही रोका – और धीरे धीरे मैं उस से प्यार करने लगी बिल्कुल ऐसे जैसे कोई बीवी अपने पति को करती है – पर इस बार जब आप गोआ गये हुए थे तो रमण सेक्स तो मेरे साथ कर रहा था पर उसके ख़यालों में सोनल दी थी – उसके मुँह से जब ऑर्गॅज़म के टाइम सोनल का नाम निकला मुझे आग लग गयी – मेरा भरोसा उसके उपर से टूट गया …… और …और…… मैं उसे दूर हो गयी – उसने बहुत बार माफी माँगी ….. पर अब मैं दुबारा धोखा नही खाना चाहती थी – मैने दूर हो कर ये देखना चाहा कि क्या वो सच में मुझ से प्यार करता है या फिर मेरा इस्तेमाल कर रहा था ---- वो अपने टेस्ट में हार गया’
और रूबी की रुलाई निकल पड़ी.
 
रूबी के शब्द सविता के कानो में लगातार बॉम्ब फोड़ रहे थे उसे कई बार समर को मना किया था कि वक़्त देखा करे – बच्चे बड़े हो रहे हैं – पर वो सुनता ही नही था – बस शुरू हो जाता था.

प्यूबर्टी ऐसी उम्र होती है जब माँ बाप को बहुत ध्यान रखना पड़ता है अपनी सेक्षुयल आक्टिविटीस को ले कर – जहाँ ध्यान नही रखा जाता – वहाँ बच्चे जाने किस किस रास्ते पे निकल पड़ते हैं – यही समर के घर हुआ – उसकी सेक्स ड्राइव बहुत ज़यादा थी – पर वो ये भूल गया था कि बच्चों की परवरिश कैसे की जाती है --- नतीजा सामने है.

सविता के अंदर हज़ारों सवाल खड़े हो गये - रूबी से आगे इस वक़्त कुछ बात करने की उसमे हिम्मत ही ना रही - रूबी रो रही थी बिलख रही थी - और सविता के खुद के आँसू निकल रहे थे - उसकी इस दिशा की वही तो ज़िम्मेदार थी - ना वो हर वक़्त समर का साथ देती - ना ये होता.

अगले दिन सुनील – रूबी से सारे डॉक्युमेंट्स ले के चला गया मुंबई – उसका माइग्रेशन सर्टिफिकेट लेने के लिए – पहले तो प्रिन्सिपल ने मना कर दिया – लेकिन जब – सुनील ने सागर और – सुमन के बारे में बताया – तो शर्मसार होके मान गया और ट्रान्स्फर सर्टिफिकेट दे दिया –

अगर रूबी उसे बोलती तो शायद एक बार वो रमण से मिलने की कोशिश करता --- पर रूबी ने ऐसा कुछ नही बोला और सुनील के दिल में समर और रमण के लिए सिर्फ़ आग ही थी वो उन्दोनो से बिल्कुल नही मिलना चाहता था.

उसका एक पुराना दोस्त देल्ही से मुंबई माइग्रेट हुआ था पारिवारिक कारणों की वजह से – उसने सुनील को प्रिन्सिपल के ऑफीस से बाहर निकलता हुआ देख लिया.

क्यूंकी इस किरदार की भूमिका सिर्फ़ यहीं है उसे एक विक्की का नाम दे रहा हूँ.

‘सुउुुुउउन्न्ञन्णनिल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल’ वो बड़े ज़ोर से चिल्लाया जब उसने सुनील को प्रिन्सिपल के ऑफीस से बाहर निकलते हुए देखा .

जैसे बरसों के बिछड़े मिलते हैं वैसे ही वो दोनो मिले.

‘सुना यार कैसा है – कोई पटाई या नही – या अभी तक हाथ से काम चला रहा है’- विक्की बोला.

सुनील का चेहरा एक दम सख़्त हो गया – उसने आज तक मूठ नही मारी थी.

‘ओह समझा पितामह का दूसरा जनम है तू ----- लानत है यार – लड़कियाँ जान देती है तुझ पे और तू बस किताबें’

‘डॅड नही रहे….’ सुनील ने टॉपिक बदलने की कोशिश करी क्यूंकी विक्की सागर से मिल चुका था और सागर भी विक्की को पसंद करता था.

फट से सुनील के गालों पे एक चाँटा पड़ा –

विक्की आग बाबूला हो गया – सागर के अंतिम दर्शन भी ना कर सका –

‘कामीने कुत्ते – एक कॉल --- 2 रुपये की एक कॉल नही कर सकता था – सर चले गये ---- कैसा दोस्त है तू – साले एसएमएस ही कर देता….’

सुनील की आँखों में आँसू थे और विक्की के भी – अब सुनील उसे क्या बताता क्या हुआ और क्या हालत थे .

दोनो खामोशी से आँसू बहाते रहे.

तभी विक्की बोला – ‘यार तुझे तो पता नही होगा - तेरे कज़िन रमण को किसी ने बुरी तरहा से मारा है और उसके डॅड – येआः तेरे मोसा लापता हैं ‘

सुनील का कोई इंटेरेस्ट नही था ये जानने में कि रमण के साथ क्या हो रहा है और समर के साथ क्या

उसने बात बदलने की कोशिश करी – यार मेरी शाम की फ्लाइट है और ये पेपर्स जमा करने बहुत ज़रूरी हैं – फिर आता हूँ रात को चेक करने क्या हुआ.

इतना बेवकूफ़ तो विक्की भी नही था कि ये ना समझे के दोनो कज़िन्स के बीच नही बनती – वरना अगर आपस में प्यार होता तो सुनील सब कुछ छोड़ रमण के पास जाता.

विक्की सीधा मतलब पे आता हुआ बोला – यार तेरी मदद चाहिए –

‘क्या ? मैं यहाँ क्या कर सकता हूँ ?’

रमन सर ने ट्रैनिंग डिपार्टमेंट की एक्सट्रा ड्यूटी ले ली है जब कि वो एमडी भी कर रहे हैं ( नो रीलेशन वित फॅक्ट्स – जस्ट आ फिक्षन) (असल में ये विक्की की चाल थी - वजह उसके लिए सागर था -- वो तो बस दो बिछड़े हुए को एक बार मिलाना चाहता था ---असलियत उसे कहाँ मालूम थी)

‘यार एक बार हॉस्पिटल चल और मुझे इंट्रोड्यूस करवा दे – नंबर बन जाएँगे भाई’

रमण सामने होगा तो वो क्या कर बैठेगा ये सोच सुनील की हालत खराब होने लगी – पर एक टाइम विक्की ने सुनील की बहुत बड़ी मदद करी थी --- सुनील ना नही कर पाया और विक्की के साथ चला गया ---
 
Back
Top