hotaks444
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काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.
इन्ही सब ख़यालो मे खोई हुई काजल को देख कर कारण ने उसकी आँखो के सामने चुटकी बजाई, “हेलो....कहाँ खो गयी...”
“वो भैया बस ऐसे ही पुराने दिन याद आ गये.....वैसे यह आल्बम आपको मिला कहाँ से....और इसमे आपकी तो कही तस्वीर है ही नही...” काजल ने आल्बम का आख़िरी पन्ना पलट ते हुए कहा.
“यह आल्बम मुझे माँ ने दिया था. माँ की यह मेरे पास आख़िरी निशानी थी और यही मेरे दिल के सबसे करीब थी.....और रही बात तस्वीर की तो आख़िर एक अनाथ की तस्वीर कोई क्यू खीचेगा...खैर मैने सोचा था कि इस साल तेरे बर्थ’डे पर तुझे अपने दिल के सबसे करीब चीज़ ही गिफ्ट करू सो यह आल्बम ले आया..”
करण के अनाथ बोलने पर काजल को करण के लिए बहुत बुरा लगा, “मैं हू ना आपकी माँ....और अगर आपने फिर अपने आप को अनाथ बोला तो आपके यह माँ आपको बहुत मारेगी...समझे.” कहते हुए काजल करण के गले लग गयी.
अर्जुन से यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था. भले ही समय के साथ उसके दिल मे करण के लिए कड़वपन कम हो गया हो पर वो अभी भी करण को पसंद नही करता था.
“देखो अर्जुन भैया....करण भैया ने अपने सारे बचपन में इसी आल्बम को संजोए रखा जबकि इंसमे वो है भी नही...तस्वीर में सिर्फ़ मैं आप पापा और मम्मी है....फिर तुम कहते हो करण भैया हमारे परिवार का हिस्सा नही है..” काजल उठी और वो आल्बम को संभाल के अपने रूम मे रख आई.
अर्जुन के दिल मे कही ना कही करण के लिए एक भाई का प्यार था तो ज़रूर पर वो यह सबके सामने स्वीकारना नही चाहता था कि वो अपने सौतेले भाई से प्यार करता है. करण ने काजल को उसके जितना ही बराबर प्यार दिया था ज्सिके लिए वो करण का शुक्रगुज़ार था.
“चलो भाई लोग अब सोया जाए...आज बेडरूम मे ना सोकर यही सोते है....यहाँ तीन सोफे है और तीनो लोग आराम से इन तीनो सोफे पर फिट हो जाएँगे... गुडनाइट.” बोलकर काजल ने रूम की लाइट ऑफ कर दी और तीनो लोग चादर ओढ़ कर सो गये.
अभी उनको सोए कुछ घंटे ही हुए थे कि...
“करन्न्न्न………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” इस बार सपना अर्जुन को नही करण को आया था.
“माआआआ……………” हल्की सी चीख मार कर करण उठ गया.
करण के उठते ही सभी जाग गये. करण का भी वही हाल था जो कल रात अर्जुन का था, उसके चेहरे पर पसीने के बूँदें सॉफ झलक रही थी.
“क्या हुआ करण भैया.......” काजल तुरंत करण के पास गयी और अपनी नाइटी से उसके चेहरे का पसीना पोछने लगी.
“फिर वोही सपना.....” करण गहरी साँस लेता हुआ बोला.
“कैसा सपना....?” काजल ने पूछा
“एक सपना है जो मुझे करीब दो महीनो से हर रात आता है....उसमे हमारी माँ किसी अंधेरी गुफा मे बंद है और वो मुझे मदद के लिए पुकार रही है...” करण ने अपना सर पकड़ लिया.
उसकी बातें सुनकर काजल और अर्जुन दोनो हक्के बक्के रह गये. बार बार एक ही सपना आना कोई इतेफ़ाक़ हो सकता है. पर अगर वो ही सपना दो लोगो को एक साथ आए तो ज़रूर इसके पीछे कोई गहरा रहस्य होगा.
“करण भैया आप विश्वास नही करोगे पर अर्जुन भैया को भी यही सेम टू सेम सपना हर रात को करीब दो महीने से आ रहा है....” काजल बोली.
अब हैरान होने की बारी करण की थी. वो आश्चर्य से अर्जुन की ओर देख रहा था.
“इसका क्या मतलब हो सकता है....” करण बोला.
“इसका एक ही मतलब है कि माँ ज़िंदा है और आप दोनो को मदद के लिए पुकार रही है. काजल बोली और करण को अर्जुन के सपने के बारे मे पूरी बात बता दी.
“ना जाने ईश्वर का यह कैसा खेल है पर अगर हमारी माँ को हमारी ज़रूरत है तो हम ज़रूर जाएँगे....चाहे उसके लिए पाताल तक ही क्यू ना जाना पड़े.” कारण ने कहा.
“अगर यह सब का कुछ भी मतलब है तो हम अपनी माँ को ज़रूर ढूँढेगे...” अर्जुन भी जोश मे बोला.
काजल को तो बस यही देखना था, उसे आज उसके बर्थ’डे का रियल गिफ्ट मिल गया था कि उसके दोनो भाई पहली बार किसी भी बात पर एक साथ सहमत हुए है. उसे इस से ज़्यादा और क्या चाहिए था.
अगली सुबह उनके लिए एक नयी उम्मीद ले कर आई थी. बाहर का मौसम तो अब भी बहुत खुशनुमा था. चारो ओर घने काले बादल छाये थे और टिप टिप बारिश अभी भी हो रही थी. मुंबई मे मानसून कुछ ज़्यादा देर तक चलता है. सुबह हो जाने के बावजूद सूरज को काले काले बादलो के पीछे से नही देखा जा सकता था. काफ़ी ठंडी हवायें बह रही थी जिस से जुलाइ के महीने मे भी थोड़ा ठंड जैसा महॉल बन गया था.
इन्ही सब ख़यालो मे खोई हुई काजल को देख कर कारण ने उसकी आँखो के सामने चुटकी बजाई, “हेलो....कहाँ खो गयी...”
“वो भैया बस ऐसे ही पुराने दिन याद आ गये.....वैसे यह आल्बम आपको मिला कहाँ से....और इसमे आपकी तो कही तस्वीर है ही नही...” काजल ने आल्बम का आख़िरी पन्ना पलट ते हुए कहा.
“यह आल्बम मुझे माँ ने दिया था. माँ की यह मेरे पास आख़िरी निशानी थी और यही मेरे दिल के सबसे करीब थी.....और रही बात तस्वीर की तो आख़िर एक अनाथ की तस्वीर कोई क्यू खीचेगा...खैर मैने सोचा था कि इस साल तेरे बर्थ’डे पर तुझे अपने दिल के सबसे करीब चीज़ ही गिफ्ट करू सो यह आल्बम ले आया..”
करण के अनाथ बोलने पर काजल को करण के लिए बहुत बुरा लगा, “मैं हू ना आपकी माँ....और अगर आपने फिर अपने आप को अनाथ बोला तो आपके यह माँ आपको बहुत मारेगी...समझे.” कहते हुए काजल करण के गले लग गयी.
अर्जुन से यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था. भले ही समय के साथ उसके दिल मे करण के लिए कड़वपन कम हो गया हो पर वो अभी भी करण को पसंद नही करता था.
“देखो अर्जुन भैया....करण भैया ने अपने सारे बचपन में इसी आल्बम को संजोए रखा जबकि इंसमे वो है भी नही...तस्वीर में सिर्फ़ मैं आप पापा और मम्मी है....फिर तुम कहते हो करण भैया हमारे परिवार का हिस्सा नही है..” काजल उठी और वो आल्बम को संभाल के अपने रूम मे रख आई.
अर्जुन के दिल मे कही ना कही करण के लिए एक भाई का प्यार था तो ज़रूर पर वो यह सबके सामने स्वीकारना नही चाहता था कि वो अपने सौतेले भाई से प्यार करता है. करण ने काजल को उसके जितना ही बराबर प्यार दिया था ज्सिके लिए वो करण का शुक्रगुज़ार था.
“चलो भाई लोग अब सोया जाए...आज बेडरूम मे ना सोकर यही सोते है....यहाँ तीन सोफे है और तीनो लोग आराम से इन तीनो सोफे पर फिट हो जाएँगे... गुडनाइट.” बोलकर काजल ने रूम की लाइट ऑफ कर दी और तीनो लोग चादर ओढ़ कर सो गये.
अभी उनको सोए कुछ घंटे ही हुए थे कि...
“करन्न्न्न………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” इस बार सपना अर्जुन को नही करण को आया था.
“माआआआ……………” हल्की सी चीख मार कर करण उठ गया.
करण के उठते ही सभी जाग गये. करण का भी वही हाल था जो कल रात अर्जुन का था, उसके चेहरे पर पसीने के बूँदें सॉफ झलक रही थी.
“क्या हुआ करण भैया.......” काजल तुरंत करण के पास गयी और अपनी नाइटी से उसके चेहरे का पसीना पोछने लगी.
“फिर वोही सपना.....” करण गहरी साँस लेता हुआ बोला.
“कैसा सपना....?” काजल ने पूछा
“एक सपना है जो मुझे करीब दो महीनो से हर रात आता है....उसमे हमारी माँ किसी अंधेरी गुफा मे बंद है और वो मुझे मदद के लिए पुकार रही है...” करण ने अपना सर पकड़ लिया.
उसकी बातें सुनकर काजल और अर्जुन दोनो हक्के बक्के रह गये. बार बार एक ही सपना आना कोई इतेफ़ाक़ हो सकता है. पर अगर वो ही सपना दो लोगो को एक साथ आए तो ज़रूर इसके पीछे कोई गहरा रहस्य होगा.
“करण भैया आप विश्वास नही करोगे पर अर्जुन भैया को भी यही सेम टू सेम सपना हर रात को करीब दो महीने से आ रहा है....” काजल बोली.
अब हैरान होने की बारी करण की थी. वो आश्चर्य से अर्जुन की ओर देख रहा था.
“इसका क्या मतलब हो सकता है....” करण बोला.
“इसका एक ही मतलब है कि माँ ज़िंदा है और आप दोनो को मदद के लिए पुकार रही है. काजल बोली और करण को अर्जुन के सपने के बारे मे पूरी बात बता दी.
“ना जाने ईश्वर का यह कैसा खेल है पर अगर हमारी माँ को हमारी ज़रूरत है तो हम ज़रूर जाएँगे....चाहे उसके लिए पाताल तक ही क्यू ना जाना पड़े.” कारण ने कहा.
“अगर यह सब का कुछ भी मतलब है तो हम अपनी माँ को ज़रूर ढूँढेगे...” अर्जुन भी जोश मे बोला.
काजल को तो बस यही देखना था, उसे आज उसके बर्थ’डे का रियल गिफ्ट मिल गया था कि उसके दोनो भाई पहली बार किसी भी बात पर एक साथ सहमत हुए है. उसे इस से ज़्यादा और क्या चाहिए था.
अगली सुबह उनके लिए एक नयी उम्मीद ले कर आई थी. बाहर का मौसम तो अब भी बहुत खुशनुमा था. चारो ओर घने काले बादल छाये थे और टिप टिप बारिश अभी भी हो रही थी. मुंबई मे मानसून कुछ ज़्यादा देर तक चलता है. सुबह हो जाने के बावजूद सूरज को काले काले बादलो के पीछे से नही देखा जा सकता था. काफ़ी ठंडी हवायें बह रही थी जिस से जुलाइ के महीने मे भी थोड़ा ठंड जैसा महॉल बन गया था.