Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश - Page 7 - SexBaba
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Hindi Sex Kahani सियासत और साजिश

पूनम: ओह रविई बहुत अच्छा लग रहा है. हान्ंनणणन् आईसीए हाइ अपनेन्णन लंड को मेरीए चूत मे कुछ दर्र्ररर रहिईएन दो ओह. तुम्हारा लंड बहुत बड़ा हाइ ओह्ह्ह्ह माआ.

रवि कुछ देर ऐसे ही अपने लंड को पूनम की छूट मे डाले हुए, उसकी चुचियों को चूस्ता रहा. धीरे-2 पूनम की चूत की नसें फूलने लगी. और उसकी चूत मे और ज़्यादा खुजली होने लगी. और अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए, पूनम अपनी कमर को ऊपेर की ओर उचकाने लगी.

पूनम: (अपने होंठो को रवि के कंधों और गर्दन पर रगड़ते हुए) ओह्ह्ह्ह रवि अब जल्दी से मेरी चूत को अपने लंड से ओह रवि चोदो नाआ ओह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्हो ओह.

और पूनम तेज़ी से अपनी कमर को ऊपेर की ओर उचका कर रवि के लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने की कॉसिश करने लगी. उसकी चूत अब पूरी तरहा गीली हो चुकी थी. और रवि के लंड को अपनी दीवारों मे कस-2 कर मसल रही थी.

रवि भी पूनम की चूत की नसों को अपने लंड पर कसता हुआ, महसूस करके मस्त हो गया. और अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाल कर फिर से एक ही बार मे चूत मे पेलने लगा. लंड चूत गीली होने के कारण फॅक -2 की आवाज़ से अंदर घुस्स गया. पूनम रवि के बदन से एक दम चिपक गयी. उसने अपनी जाँघो को फैला कर अपनी टाँगों को रवि की कमर पर लपेट लिया.

अब रवि का लंड पूनम की चूत की ठुकाई करने के लिए सबसे अच्छी पोज़ीशन मे था. उधर रोमा अपनी चूत मे लगतार उंगली करते हुए, दो बार झाड़ चुकी थी. उसकी चूत , चूत के झांते और उसके हाथ उसकी चूत से निकल रहे रस से एक दम भीग चुके थे. और वो दो बार झड़ने के बाद फिर से गरम हो चुकी थी.

रवि अपने लंड को धीरे-2 पूनम की चूत के अंदर बाहर करने लगा. लंड का सुपाडा चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था. और पूनम भी अपनी चूत को ऊपेर की तरफ उचका-2 कर रवि के लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदवा रही थी.

पूनम: ओह रवि आज मुझे ओह्ह्ह्ह माआ जीईई भर क्ीई ओह चोद ले ओह मुझिईए सरीई रात चोद्द्द्द ओह मेरी जानंणणन् उंह उंह

और पूनम रवि के फेस को ऊपेर करके उसके पूरे फेस पर चुंबनो की बोछार करने लगी. ऊपेर से वो रवि के फेस के चारो तरफ चूम कर रवि के लिए अपने प्यार का इज़हार कर रही थी. और नीचे से पूनम की चूत अपना काम रस बहा कर रवि के लंड के लिए अपने प्यार का इज़हार कर रही थी.

दोनो पहले से काफ़ी गरम थे. जब रवि का लंड पूनम की चूत मे जड तक उतरता. तो रवि के लंड की जडो के आस पास का हिस्सा, पूनम की चूत की फांकों और उसके आस पास के हिस्से पर बुरी तरहा चोट करता. पर दोनो एक दूसरे की ओर अपनी कमर को पटक रहे त. पूनम की चूत की फाँकें और आस पास का हिस्सा एक दम लाल हो चुका था. पर वासना इस कदर हावी थी, कि दोनो मे से किसी को होश नही था.

दोनो अब झड़ने के करीब थे, और दोनो तेज़ी से अपने कमर को हिला रहे थे. रवि का लंड अब किसी एंजिन के पिस्टन की तरह तेज़ी से पूनम की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए, एक दूसरे के बदन को चूम रहे थे.

पूनम: (एक दम मस्ती से भरी आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रवि मेरी चूत आहह ओह्ह्ह्ह पानी छोड़ने वाली है. तेज़ी से अपने लंड से चोदो ना ओह्ह्ह्ह और ज़ोर से और तेजज्ज़ ओह मरर गयी ओह्ह माआ रवि रवि अहह अहह ओह

पूनम का बदन एक दम से ढीला पड़ गया. और रवि भी 3-2 बार अपने लंड को अंदर बाहर करने के बाद उसकी चूत मे अपने वीर्य की बोछार करने लगा. दोनो निढाल होकर लेट गये. जब कुछ देर बाद पूनम की साँसें दुरस्त हुई. उसने जल्दी से अपने ऊपेर से रवि को हटाया. और अपने पैंटी और लोवर पहन कर बाहर की तरफ जाने लगी.

रवि: (जल्दी से खड़ा होते हुए)कहाँ जा रही हो.

पूनम जानती थी, कि अगर रवि का बॅस चले तो, वो उसे सारी रात ऐसे ही अपने कमरे मे चोदता रहे गा. पर पूनम जानती थी, कि दोनो ने कॉंडम के बिना सेक्स किया है. जो ठीक नही है. और वो रवि को रोक भी नही पायगी.

पूनम: वो मे बाथरूम मे जा रही हूँ.

रवि: अच्छा जल्दी आना मे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ.

ये बोलते ही रवि फिर से अपना पाजामा पहन कर वापिस बिस्तर पर बैठ गया. पूनम ने डोर खोला और, डोर के बाहर जाकर बोली. अब सो जाओ. मे भी अपने रूम मे सोने जा रही हूँ.

और पूनम ये बोल कर तेज़ी से भाग कर अपने कमरे मे आ गयी. और अंदर डोर लॉक कर लिया. जब तक रवि बाहर आया, तो पूनम अपने कमरे मे घुस्स चुकी थी.

रवि अपने होंठो पर मुस्कान लिए अंदर आ गया. और लाइट बंद कर बिस्तर पर लेट गया. उसके दिल को इतना तो सकुन मिल ही गया था, कि अब जब भी आगे उसे मोका मिलेगा. वो पूनम को चोद सकता है


अगली सुबह जब रवि उठा. तो 10 बज चुके थे. जब वो नहा धो कर आगे हवेली मे गया तो, सामने मुरली और उसकी पत्नी निर्मला खड़ी थी.

रवि: अर्रे मुरली काका . आप यहाँ कैसे आना हुआ?

मुरली: वो बाबू जी ने तेरी काकी को यहाँ हवेली मे काम के लिए बुलाया है. वो आज से कुछ महीनो के लिए यहीं रहेगी.

रवि: ओह्ह अच्छा. और सुनाओ आप कैसे हो.

मुरली: मे ठीक हूँ. बेटा तुम कैसे हो?

रवि: मे भी ठीक हूँ काका. और खेतो मे काम कैसे चल रहा है.

मुरली: बस सब ठीक है.

और इतने मे राज भी अपने रूम से बाहर आ गया. निर्मला को देख राज के होंठो पर मुस्कान आ गये. दोनो की नज़रें आपस मे मिली. और निर्मला ने अपनी सारी के पल्लू को अपने होंठो के आगे कर लिया. ताकि किसी को शक ना हो.

राज : और आ गये.

मुरली: जी बाबू जी.

राज : और खेतो मे काम कैसे चल रहा है.

मुरली: बाबू जी सब ठीक है. अच्छा बाबू जी अब मे चलता हूँ.

राज : ठीक है. अगर किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो मुझ बता देना.

मुरली: जी बाबू जी.

और मुरली वापिस चला गया.
 
राज उस दिन बहुत खुस था. क्योंकि आज उसकी हवेली मे ही उसके लिए चूत का इंतज़ाम हो गया था. पर अभी राज को शायद चूत के लिए थोड़े दिन और तड़पना था. ठीक उसी टाइम फोन की घंटी बज उठी. राज ने फोन उठाया. और बात करने लगा. फोन डॉली की ससुराल से आया था.

जैसे कि मे पहले ही बता चुका हूँ. कि डॉली का पति अपनी माँ बाप की एकलौती औलाद था. और उसकी मौत के बाद. उसके पति का बिजनिस साहिल के नाम उसके सास ससुर ने कर दिया था. उनका बहुत बड़ा बिज्निस था. जिसमे 8-10 करोड़ की तो राज ने इनवेस्टमेंट करी थी, और बाकी का इनवेस्टमेंट का बड़ा हिस्सा डॉली के सास ससुर का था.

जैसे रवि ने डॉली के ससुर की आवाज़ सुनी. उसने डॉली को आवाज़ लगा दी. ये सोच कर कि वो शायद डॉली से बात करना चाहते हों. पर फिर राज जैसे फ़्रीज़ सा हो गया. डॉली उसके पास आकर खड़ी हो गयी. और राज से इशारे से पूछने की कॉसिश करने लगी. कि किसका फोन है. पर राज ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा.

डॉली चुप हो गयी. राज ने कुछ देर बात की, और फोन रख दिया. उसके माथे पर शिकन सी आ गयी थी. राज को परेशान देख, डॉली भी परेशान हो गयी.

डॉली: क्या हुआ भैया. क्या बात है किसका फोन था.

राज : कुछ नही तुम्हारे ससुर का फोन था.

डॉली: क्या कह रह थे वो.

राज : कुछ नही. बस जो उन्होने नयी फॅक्टरी शुरू करने के लिए ज़मीन खरीदी थी. उसपर से उसका पहला मालिक कब्जा नही छोड़ रहा है. वो ये कह कर और पैसे माँग रहे है. कि ज़मीन के रेट बढ़ गये हैं.

डॉली: (परेशान होते हुए.) पर भैया. मम्मी पापा ने तो सारे पेपर्स अपने नाम ट्रान्स्फर करवा लिए थे. फिर वो अब ऐसे कैसे कर सकता है. क़ानून नाम की भी कोई चीज़ है.

राज : (हंसते हुए. जैसे डॉली की बात को मज़ाक मे उड़ा रहा हो.) किस क़ानून की बात करती हो. जिसकी आँखों पर काले रंग की पट्टी बँधी होती है.

डॉली: पर ये तो नाइंसाफी है.

राज : (सोफे से खड़ा होते हुए) हूंम्म तुम्हे पता है. जो न्याय की देवी की मूरत कोर्ट मे लगी होती है. उसकी आँखों पर काले रंग की पट्टी सी बँधी होती है. जानती हो पट्टी किस चीज़ की होती है.

डॉली: किस चीज़ की भैया. पर उससे हमे क्या लेना देना.

राज (अपने सर को हिलाते हुए) लेना देना है डॉली लेना देना है. वो पट्टी पैसो की ताक़त वर लोगों की तरफ से बँधी होती है डॉली. और उस पट्टी का क्या करना है मुझ अच्छी तरह पता है.

डॉली: भैया कुछ करो ना. ऐसे तो हमारे बहुत से पैसें डूब जाएँगे.

राज : (डॉली के सर पर हाथ फेरते हुए) तू फिकर क्यों कर रही है. अभी तुम्हारा भाई ज़िंदा है.

और राज ने फोन उठा कर विशाल को कॉल की, और विशाल को सारे बात बताई. विशाल अपने दोस्त के लिए कुछ भी कर सकता था. विशाल ने ये बोल कर फोन रख दिया. कि वो 1 घंटे मे उसके घर पहुँच रहा है.

राज फोन रख कर अपने कमरे मे चला गया. डॉली भी उसके पीछे रूम मे आ गयी.

डॉली: भैया अब आप क्या करने वाले है. मुझे आपके इरादे कुछ ठीक नही लग रहे.

राज : (अपने कुछ कपड़ों को बॅग मे डालते हुए) मे अभी अलीगढ़ जा रहा हूँ.

डॉली: मे भी साथ चलूंगी.

राज : देखो तुम वहाँ जाकर क्या करोगी. तुम ऐसे ही फिकर करने लग जाती हो.

डॉली: नही भैया मुझे भी साथ चलो. और मैं कुछ दिन वहाँ माँ और पापा के साथ रहूंगी.

राज जानता था. कि डॉली भी उसी की तरहा ज़िद्दी है.

राज : ठीक है. जाओ तैयार हो जाओ. और हां रवि को भी तैयार होने के लिए बोल दो. जब मैं वहाँ से वापिस आ जाउन्गा. वो वहीं रहगा तुम्हारी और साहिल की देखभाल के लिए. मुझ कुछ दिन पहले तुम्हारे ससुर ने बताया था कि, उन्होने घर से 1 नौकर को छोड़ कर सब को हटा दिया है.

और वैसे भी अब उन्हे ज़्यादा नौकरों की ज़रूरत नही है. इसीलिए रवि अगर तुम्हारे साथ रहेगा. तो उन्हे भी साहिल और तुम्हे संभालने मे मदद मिल जाए गी. जाओ जाकर तैयार हो जाओ

और डॉली ने जल्दी से बाहर आकर हरिया को बोल दिया कि रवि को तैयार होने के लिए कह दें. और डॉली अपने रूम मे आकर तैयार होने लगी. राज तैयार होकर अपना बॅग उठा कर बाहर आ गया. रवि पहले से बाहर तैयार खड़ा था. उसका मन जाने का बिल्कुल भी नही था. पर वो राज की बात को कैसे टाल सकता था. और शायद होनी को भी यहीं मंजूर था.

राज का रवि और डॉली को साथ लेचलने मे अपना भी स्वार्थ था. क्योंकि डॉली के जाने के बाद राज बिना किसी डर के निर्मला के बदन को भोग सकता था. और रवि ही हवेली के अंदर ऐसा था. जो तेज था, जो शायदा राज के इरादों को भाँप सकता था.

जैसे ही राज बाहर आया. तो बाहर से गार्ड के साथ माखन शर्मा हवेली मे आ गया. गार्ड उसे हाल मे छोड़ कर चला गया.

राज: आओ माखन कैसे हो. तुम्हारा बेटा कैसे है.

माखन: आपकी दया से वो अब ठीक है बाबू जी. दो दिन बाद उसे छुट्टी मिलजाएगी.

राज : अच्छा अगर तुम्हें कोई तकलीफ़ ना हो तो क्या. तुम मेरे साथ 1-2 दिन के लिए अलीगढ़ चल सकते हो.

माखन : बाबू जी आप के मुँह से निकली हुई हर बार अब मेरे लिए भगवान के हुकम के बराबर है. बताए क्या काम है.

राज : कुछ ख़ास नही बस कुछ ज़मीन का लफडा है. चलो गे साथ मे.

माखन : जी बाबू जी. मे बस एक बार घर पर अपने छोटे भाई को बता कर आता हूँ. फिर मे आप के साथ कहीं भी चल सकता हूँ.

ये कह कर माखन शर्मा, अपने घर की ओर चला गया. और थोड़ी देर में है, डॉली भी साहिल को गोद मे उठाए हुए बाहर हाल मे आ गये. हरिया उनके बॅग्स उठा कर गाड़ी मे रखने लगा. करीब आधे घंटे मे विशाल भी राज के पास आ पहुँचा. सब लोग बाहर आ गये. विशाल के साथ उसका एक आदमी भी था. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद माखन भी आ गया.
 
राज ने माखन शर्मा को विशाल की कार मे बैठा दिया. रवि राज की कार की पिछली सीट पर साहिल को अपने हाथ लेकर बैठ गया, और डॉली और राज दोनो आगे बैठ गये. दोनो कार्स चल पड़ी. 2 घंटे के सफ़र के बाद वो सब अलीगढ़ पहुँच गये. डॉली के सास घर पर थे. और ससुर अपने ऑफीस मे गये थे.

डॉली ने जाते ही. अपनी साँस के पैर छुए. और डॉली की सास ने घर के नौकर से सब के लिए नाश्ता बनाने को कहा.

राज : (डॉली के साँस से) आंटी अंकल कहाँ है.

साँस: बेटा वो तो ऑफीस गये है.

राज : तो ठीक है. हम वहीं जाकर उनसे बात कर लेंगे.

चाइ नाश्ते के बाद राज विशाल और माखन शर्मा के साथ डॉली के ससुर के पास उनके ऑफीस पहुँच गये. डॉली का ससुर अजीत शर्मा एक बहुत ही सुलझा हुआ बिजिनिस मॅन था. पर इस मामले मे वो अपने आप को बहुत अकेला महसूस कर रहा था. राज ने अजीत शर्मा के कॅबिन के डोर नॉक किया.

अजीत शर्मा: (कॅबिन के अंदर से) कम इन.

और राज विशाल को लेकर अंदर चला गया. माखन शर्मा और विशाल के साथ आया हुआ आदमी बाहर रिसेप्षन मे सोफे पर बैठ गये.

अजीत शर्मा: (राज को देख कर अपनी चेर से खड़े होते हुए) अर्रे आओ बेटा. मे तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था. प्लीज़ बी सीट.

दोनो अजीत शर्मा के सामने चेर्स पर बैठ गये. अजीत शर्मा रिसेप्षन पर फोन करके कोल्ड ड्रिंक्स मँगवाई. और राज विशाल से अजीत शर्मा को मिलवाने लगा.

राज शर्मा: अंकल ये मेरा दोस्त है विशाल.

विशाल ने अजीत शर्मा से हाथ मिलिया.

राज शर्मा: अब बताए अंकल आख़िर बात क्या है.

अजीत शर्मा: बात वही है बेटा जो मेने तुम्हे सुबह बताई थी.

विशाल: अंकल बस आप उस आदमी का नाम बता दो. और वो कहाँ मिलेगा. बाकी हम देख लेंगे. आप को चिंता करने के ज़रूरत नही है.

अजीत शर्मा: (अपनी नम हुई आँखों को सॉफ करते हुए) काश कि मेरा बेटा इस दुनियाँ मे होता. तो किसी की हिम्मत नही होती मुझसे उलझने की.

राज : (अजीत के हाथ के ऊपेर अपने हाथ को रखते हुए) अंकल क्या आप मुझ अपना बेटा नही मानते.

अजीत शर्मा: नही बेटा ऐसे बात नही है. अब जो भी है. मेरे लिए तो तुम सब ही हो.

राज : बस फिर आप जल्दी से उस हरामजादे का नाम बता दो.

अजीत शर्मा ने एक विज़िटिंग कार्ड राज की तरफ बढ़ा दिया.

अजीत शर्मा: इस पर उसका नाम फोन नंबर. घर का अड्रेस, और ऑफीस का अड्रेस सब है.

राज शर्मा: (कार्ड पर लिखे नाम को पढ़ते हुए) बलजीत शर्मा. लगता है इससे मिलना ही पड़ेगा. अच्छा अंकल हम इससे मिल कर आते हैं.

विशाल राज दोनो अजीत शर्मा के ऑफीस से बाहर आ गये. उनको देख माखन शर्मा और विशाल के साथ आया हुआ, आदमी उनके पीछे बाहर आ गये

राज : (बाहर आते हुए.) विशाल अब इस बलजीत का क्या करना है.

विशाल: मे जानता हूँ इसका क्या करना है.(विशाल पीछे मूड कर उन दोनो की तरफ देखता है) तुम दोनो तैयार हो जाओ. अब देखते हैं, तुम्हारे बाजुओ मे कितनी जान है.

चार कार मे बैठ कर कार्ड पर लिखे हुए अड्रेस की तरफ चल पड़ते हैं.

माखन: बाबू जी आप ज़रा भी चिंता ना करो. मैं साले के पसलियां तोड़ दूँगा.

विशाल: बिल्कुल ऐसा ही करना पड़ेगा. उस साले के साथ.

और वो लोग कुछ ही देर मे बलजीत के ऑफीस के अंदर थे. जैसे ही वो लोग बिल्डिंग मे एंटर हुए, तो सामने एक लड़की रिसेप्षन पर खड़ी थी. विशाल उस लड़की के पास गया.

विशाल: हमे बलजीत से मिलना है.

लड़की विशाल और राज की तरफ देखने लगी…….बोलिए क्या काम है आप को?

विशाल: जी आप बस उससे इतना कह दो, कि विशाल और राज उससे बात करना चाहते हैं.

लड़की ने फोन उठाया. और इंटरकम से बलजीत के ऑफीस का नंबर. डायल किया.

बलजीत अपने ऑफीस मे चेर पर बैठा हुआ था. और उसके सामने एक लड़की नीचे घुटनो के बल बैठी हुई, उसके लंड को चूस रही थी. और बलजीत अपनी आँखे बंद किए हुए, जन्नत की सैर कर रहा था. जैसे ही फोन के रिंग बजी, बलजीत ने फोन उठा लिया. वो लड़की बिना रुके बलजीत के लंड को चूस रही थी.

बलजीत: (गुस्से से) क्या है, क्यों परेशान कर रही हो.

लड़की: सर कोई विशाल और राज आप से मिलना चाहते है.

बलजीत बात सुन कर थोड़ा सोच मे पड़ जाता है. और उस लकड़ी को बाहर जाने का इशारा किया. वो लड़की उठ कर बाहर चली गयी. बलजीत ने अपने लंड को अपनी पेंट मे किया. और पेंट ठीक करते हुए बोला.

बलजीत: उन्हें वेट करने के लिए बोलो.

लड़की: जी ठीक है.

लड़की: आप थोड़ी देर वहाँ बैठ कर वेट करें. सर अंदर बिजी हैं.

विशाल: तुम्हारे सर का ऑफीस कहाँ हैं.

लड़की एक रूम की तरफ इशारा करती है. विशाल राज की तरफ देखता है. और दोनो बलजीत के ऑफीस की तरफ जाने लगते हैं.

लड़की: (पीछे से ) सर प्लीज़ आप ऐसे अंदर नही जा सकतें. आप यहाँ बैठ कर वेट करो. सर आप को बुला लेंगे.

विशाल: तुमने हमें समझ क्या रखा है. मुझे वेट करने की आदत नही है.

अंदर शोर सुन कर बाहर खड़े दो सेक्यूरिटी गार्ड राज और विशाल की तरफ भागते हैं. और उनमे से एक राज के कंधे को पकड़ लेता है. पर अगले ही पल माखन उस आदमी को पीछे से गले से पकड़ लेता है. और उस आदमी का हाथ राज के कंधे से निकल जाता है. जैसे ही वो माखन की तरफ घूमता है. उसकी आँखों के सामने अंधैरा छा जाता है.

क्योंकि तब तक माखन शर्मा अपने बड़े से हाथ का घूँसा बना कर उसके मुँह पर दे मारता है. वो आदमी वहीं ढेर हो जाता है. और फर्श पर गिर जाता है. दूसरे गार्ड के होश वैसे ही उड़ जाते हैं. और वो वही रुक जाता है. राज और विशाल एक दम से बलजीत के ऑफीस के अंदर आ जाते हैं.

बलजीत जैसे ही अपने सामने विशाल और राज को देखता है, उसके होश उड़ जाते हैं. और वो अपनी चेर से खड़ा हो जाता है. राज और विशाल दोनो उसके सामने चेर्स पर बैठ जाते हैं.

विशाल: अबे साले ऐसे क्या देख रहा है. अपने बाप को पहचाना नही.

बलजीत को कुछ याद आता है. और उसके माथे पर पसीना आने लगता है. वो चेर पर बैठ जाता है.

बलजीत: क्या चाहिए तुम्हे. और तुम ऐसे किसी के भी ऑफीस मे कैसे घुस सकते हो.

विशाल: अबे चुप कर हराम की औलाद. हमें कॉन रोक सकता है. और सुन तूने भाई के रिश्ते दार की ज़मीन पर कब्जा कैसे कर लिया.

बलजीत: आप किसकी बात कर रहे हैं.

राज : अजीत शर्मा की बात कर रहे हैं.

बलजीत थोड़ी देर सोचता है. और फिर कहता है. पर अगर आप को वो ज़मीन चाहिए. तो और पैसे देने पड़ेंगे.

विशाल: अच्छा ठीक है. तूने पिछले महीने मेरे गाँव के साथ वाले गाँव मे बहुत सी ज़मीन खरीदी है ना. अब तू उसपर कदम रख कर दिखा. साले जिंदा गाड दूँगा वहाँ पर.अगर तूने वहाँ कदम भी रखा तो.

विशाल राज को इशारा करता है. और दोनो उठ कर बाहर आ जाते हैं.

राज : अब इसका क्या करना है.

विशाल: कुछ नही. जो करना था कर दिया. देखना अब साला कैसे लाइन पर आता है.

फिर वो लोग कार मे बैठ कर वापिस अजीत शर्मा के ऑफीस की तरफ चल पड़ते. और कुछ ही देर मे दोनो अजीत शर्मा के ऑफीस के अंदर थे. और अजीत शर्मा ने उनका स्वागत बड़ी सी मुस्कान के साथ किया.

राज : (अजीत शर्मा के सामने चेर पर बैठते हुए.) क्या बात है अंकल आप बहुत खुश लगे रहे है.

अजीत शर्मा: हां राज अभी-2 उस बलजीत के बच्चे का फोन आया था. मुझसे माफी माँग रहा था. और कह रहा था. कि उससे ग़लती हो गयी है. आप अपनी ज़मीन वापिस ले लो.

विशाल: देखा ना साले की दुखती रग पर हाथ रखा, तो कैसे तड़प रहा है.

राज : अच्छा अंकल जी अब हम चलते हैं. वापिस गाँव भी जाना है.

अजीत शर्मा: अर्रे भाई आज रात रुक जाओ. आज ही तो आए हो.

राज : नही अंकल जी. वहाँ का काम भी तो देखना है. वैसे भी डॉली यहाँ पर कुछ दिन रहने वाली है.

और राज ने सामने पड़ी टेबल पर रखे हुए फोन का उठाया, और अजीत शर्मा के घर का नंबर. डाइयल किया. और डॉली से बात की, और ये बता दिया कि, वो यहीं से वापिस गाँव की ओर लौट रहे हैं.

उसके बाद राज और विशाल अपने आदमियों को साथ लेकर गाँव की तरफ निकल लिए. राज शाम को अपनी हवेली मे था. वो शायद इसीलिए जल्दबाज़ी मे था, क्योंकि आज हवेली मे निर्मला भी थी..



राज शाम को गाँव पहुँच जाता है. कुछ देर विशाल उसके साथ बैठ कर बातें करता है. और फिर ये बोल कर चला जाता है, कि उससे जब भी ज़रूरत हो बस एक फोन कर दे. विशाल के जाने के बाद राज अपने रूम मे चला गया. हरिया और निर्मला खाना तैयार कर चुकी थी. निर्मला राज के रूम मे आ गयी.

निर्मला: (होंठो पर कामुक मुस्कान लिए हुए) बाबू जी खाना तैयार है. कहें तो खाना लगा दूं.

राज : (निर्मला की तरफ देखते हुए) हां लगा दो.

निर्मला बाहर आकर हरिया के साथ टेबल पर खाना लगाने लगी. जैसे ही खाना टेबल पर लगा. राज रूम से बाहर आ गया. और चेर पर बैठ गया.

राज : हरिया तुम आज कहाँ सो रहे हो.

हरिया: जैसे आप कहें बाबू जी.

राज : तुम्हारी बेटी आई हुई है ना. इसीलिए आज तुम पीछे अपने रूम मे सो जाना.

हरिया: ठीक है बाबू जी.

राज : आज निर्मला यही सो जाएगी.

निर्मला पास खड़ी राज की बातें सुन कर ही गरम हो रही थी. उसे पता था, कि आज राज उसकी चूत के जम कर चुदाई करने वाला है.

हरिया अपना और अपनी बेटी का खाना लेकर पीछे चला गया. रोमा भी पीछे चली गयी. खाना खाने के बाद राज ने हाल के मेन डोर को अंदर से लॉक कर दिया. और निर्मला को अपने रूम मे आने का इशारा करके अंदर चला गया.

थोड़ी देर बाद जब निर्मला रूम मे आई तो, उसका दिल राज को देख कर जोरों से धड़कने लगा. राज सिर्फ़ अंडरवेर मे उसकी तरफ पीठ करके खड़ा था. राज उसकी तरफ पलटा. तो निर्मला ने होंठो पर कामुक मुस्कान लाकर उसकी तरफ देखने लगी. और फिर राज की तरफ आने लगी.

निर्मला: क्या बात है बाबू जी. बड़ी जल्दी मे हो. इतनी जल्दी कपड़े भी उतार दिए.

और निर्मला ने पास आकर राज के लंड को अंडरवेर के ऊपेर से अपनी हथेली मे पकड़ लिया.राज ने भी निर्मला को उसके चुतड़ों से थाम लिया, और धीरे से उसके दोनो चुतड़ों को मसलने लगा.

निर्मला: आहह बाबू जीए. और ज़ोर से दबाइए ना. मुझ आप के हाथों की सख्ती बहुत पसंद है. ज़ोर-2 से दबाइए ना.

राज ने उसके चुतड़ों को उसके साड़ी और पेटिकॉट के ऊपेर से ज़ोर-2 से दबाना चालू कर दिया. निर्मला के मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
 
निर्मला ने अपना हाथ राज के लंड से हटा लिया. और दोनो हाथों से अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी. जैसे-2 निर्मला अपने ब्लाउस के बटन खोल रही थी. राज की आँखों के चमक बढ़ती जा रही थी. निर्मला ने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल कर ब्लाउस एक तरफ फैंक दिया.

अब उसके बड़े-2 आमो जैसे बूब्स उसकी वाइट कलर की ब्रा मे कसे हुए फड़ फडा रहे थे. राज पीछे हट गया. और निर्मला जल्दी से अपनी साड़ी और पेटिकॉट को उतारने लगी. कुछ ही पलों मे निर्मला सिर्फ़ वाइट कलर की पैंटी और ब्रा मे राज के सामने खड़ी थी.


राज का लंड निर्मला के गुदाज बदन को देख कर अंडरवेर मे झटके खाने लगा. और वो अपने लंड को अंडरवेर के ऊपेर से मसलने लगा.

राज : (अपने लंड को मसलते हुए) अब जल्दी से इन्हे भी उतार दे. चल जल्दी कर.

राज का इशारा ब्रा और पैंटी की तरफ था. राज का उतावला पन देख कर, निर्मला के होंठो के होंठो पर कामुक सी मुस्कान फैल गयी. और अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे ले गई. और अपनी ब्रा के हुक्स को खोलने लगी.

जैसे ही निर्मला ने अपनी ब्रा को उतारा. उसकी चुचियाँ उछल कर बाहर आ गयी. जिसके निपल्स देख कर राज के मुँह मे पानी आ गया. और वो निर्मला के करीब जाने लगा.

राज से रहा नही गया, और उसने आगे बढ़ कर निर्मला की पीठ पर अपनी बाहों को कस लिया. और अपने हाथों को उसके चुतड़ों की तरफ बढ़ाने लगा. निर्मला के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. और वो राज से चिपक गयी.

निर्मला की चुचियाँ राज की नंगी चैस्ट मे रगड़ खा रही थी. उसकी चुचियाँ के निपल्स की रगड़ अपनी चैस्ट पर महसूस करके, राज का लंड और तन गया.

राज निर्मला की पैंटी को दोनो साइड से पकड़ कर, उसके चुतड़ों से नीचे सरका दिया. और उसके चुतड़ों को दोनो हाथों मे पकड़ कर कसकस के दबाने लगा. निर्मला मस्ती के सागर मे गोते खा रही थी.

राज ने उसे बेड पर पटक दिया. और किसी भूखे जानवर की तरह उसके ऊपेर आ कर उसकी चुचियों को मसल्ने लगा.

निर्मला: अहह बाबू जी धीरे ओह्ह्ह जान निकाल दीए ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बाबू जी धीरे ओह्ह्ह्ह.

राज: साली तुझे मेरे हाथों की सखती बहुत पसंद है ना. ये ले, देख आज तेरे बदन को कैसे मसलता हूँ.

राज ने निर्मला की लेफ्ट चुचि को मुँह मे लेकर सक करना चालू कर दिया. निर्मला की आँखे मस्ती मे बंद होने लगी. राज किसी भूखे बच्चे की तरहा उसकी चुचियों को बारी-2 चूस रहा था. और निर्मला उसके नीचे लेटी हुई कसमसा रही थी.

निर्मला: बाबू जीईए अह्ह्ह्ह और ज़ोर से चूसो अहह बहुत अच्छा लग रहा है. हान्णन्न् पी जाओ मेरी चुचियाँ का सारा रस ओह मॅजा आ गया.

निर्मला की पैंटी उसकी जाँघो मे फसी हुई थी, उसकी चूत के फाँकें राज का लंड लेने के लिए फडक रही थी. राज का लंड भी पूरी तरहा फूल कर निर्मला की नाभि पर रगड़ खा रहा था. अचानक से राज घुटनो के बल बैठ गया. और उसकी पैंटी को दोनो तरफ से पकड़ कर खैंचते हुए, उतारने लगा.

निर्मला की चूत मे पहले से आग लगी हुई थी. वो तो बस राज के लंड को अपनी चूत मे जल्दी से जल्दी महसूस करने के लिए मचल रही थी. उसने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया. जिससे राज ने आसानी से निर्मला के पैंटी को निकाल कर एक तरफ फैंक दिया. और खुद के अंडरवेर को भी उतार दिया.

निर्मला की चूत मे राज का फनफनाता लंड देख कर और पानी आने लगा. और वो अपने होंठो को दाँतों मे भींच कर बड़ी ही कामुकता के साथ राज के लंड को वासना भरी नज़रों से देखने लगी.

निर्मला: आह बाबू जी आप का लंड कैसे लोहे की रॉड जैसे खड़ा है. अब जल्दी से अपना लौडा मेरी भोसड़ी मे घुस्सा दो ना. देखो ना मेरी चूत कैसे अपनी लार टपका रही है, आप के लंड को देख कर.

राज ने निर्मला की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा दिया. और उसकी जाँघो को दोनो तरफ फैला दिया. निर्मला अपने हाथों को अपनी चूत पर ले गयी. और अपनी चूत की फांकों को पूरी तरहा फैला दिया.

निर्मला की चूत का छेद उसके कामरस से लबालबा रहा था. उसकी चूत का चेड कभी फैल और कभी सिकुड रहा था. निर्मला की चूत का गुलाबी भीगा हुआ छेद देख कर, राज का लंड और झटके खाने लगा.

निर्मला: (अपनी चूत के गीले छेद को राज को दिखाते हुए) आहह देखो ना बाबू जी आप का लंड लेने के लिए कैसे मेरी चूत लार टपका रही है. अब इसकी रगड़ रगड़ कर चुदाई कर दो.

राज ने अपने लंड के सुपाडे को निर्मला की चूत के छेद पर टिका दिया. जैसे ही निर्मला की चूत के छेद पर राज का मोटा गरम सुपाडा लगा. निर्मला की आँखे मस्ती मे बंद हो गयी. उसने अपने हाथों से अपनी चूत की फकॉं को छोड़ दिया. और चूत की फाके राज के लंड के सुपाडे पर कसने लगी.

निर्मला: अह्ह्ह्ह बाबू जीई अब डाल भी दो मेरी चूत मे आग दहक रही ही. ओह बाबू जीई चोदो मुझे.

राज ने अपने हाथों से निर्मला की जाँघो को घुटनो के पास से पकड़ कर उसके जाँघो को उसके पेट से सटा दिया. और अपनी कमर को पूरी रफ़्तार से आगे की तरफ धकेला. लंड का सुपाडा निर्मला की चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुस गया. निर्मला की आँखे बंद हो गयी. उसके होंठो पर मुस्कान फैल गयी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईई बाबू जी बहुत मोटा लंड है आपका ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ज़ोर जोर्र्र से धक्के मारो ना. ओह्ह ओह

राज निर्मला की बातें सुन कर जोश मे आ गया, और तेज़ी से अपनी कमर हिलाते हुए. अपने लंड को निर्मला की चूत मे अंदर और अंदर करने लगा. निर्मला अपनी चूत की दीवारों पर राज के मुन्सल लंड के मोटे सुपाडे की रगड़ को महसूस करके और मस्त हो गयी. और वो अहह सीईईईईई उंह जैसे मादक सिसकारियाँ भरने लगी.

राज का लंड निर्मला की चूत से निकल रहे पानी से गीला होकर फॅक-2 की आवाज़ करते हुए अंदर बाहर हो रहा था. निर्मला ने भी मस्ती मे आकर अपने चुतड़ों को ऊपेर की तरफ उछाल-2 कर अपनी चूत को राज के लंड पर पटकना चालू कर दिया. दोनो की जाँघो के जडे आपस मे टकरा कर ठप-2 की आवाज़ कर रही थी.

निर्मला: (तेज़ी से अपनी जाँघो को फैला कर ऊपेर की तरफ अपनी चूत को उछालते हुए) हाअ हाां बाबू जी ओह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह और ज़ोर से चोदो ओह फाड़ दो मेरी चूत को उम्ह्ह सीयी ओह्ह्ह्ह बाबू जी मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है. भर दो मेरी चूत को अपने वीर्य से ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.

राज के तबडतोड़ धक्कों से निर्मला का पूरा बदन हिल रहा था. उसका बदन अकडने लगा. और उसने बेड शीत को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछालना चालू कर दिया. और फिर उसका बदन झटके खाने लगा. और उसकी चूत से गरम पानी की नदी बह निकली. राज भी उसके पीछे -2 झड गया. और उसके ऊपेर लूड़क गया.


दूसरी तरफ डॉली के ससुराल मे अगले दिन.

दोपहर का वक़्त था. घर का नौकर वापिस जा चुका था. अब वो शाम को वापिस आने वाला था. डॉली की सास अपने रूम मे सो रही थी. डॉली ऊपेर अपने रूम मे सो रही थी. रवि को डॉली के साथ वाला छोटा सा स्टोर रूम रहने के लिए दिया गया था. स्टोर रूम मे काफ़ी पुराना समान पड़ा हुआ था, और एक बेड लगा हुआ था. जिसपर रवि बैठा हुआ तेज़ी से अपने लंड को अपने हाथ से हिला रहा था. वो चूत ना मिलने के कारण थोड़ा परेशान था. तभी उसके डोर पर नॉक हुआ, रवि एक दम से घबरा गया.

रवि: ( अपने शॉर्ट्स को ऊपेर करते हुए) कॉन ही.

डॉली: रवि मुझे नहाना है. तुम ज़रा मेरे रूम मे आकर साहिल के पास बैठ जाओ.

रवि: (डोर खोल कर) चलें दीदी……

और रवि डॉली के पीछे उसके रूम मे आ गया. साहिल बेड पर बैठा हुआ, अपने खिलोनो से खैल रहा था. रवि बेड पर बैठ गया, और डॉली एक नाइटी लेकर बाथरूम मे जाने लगी. रूम मे अंधेरा था. पर जैसे ही डॉली ने बाथरूम का डोर खोला. और अंदर जल रही लाइट से डॉली की नाइटी जो उसने पहनी हुई थी. उसके अंदर का बदन नाइटी मे सॉफ दिखाई देने लगा….डॉली ने अंदर कुछ नही पहना हुआ था. उसका साँचे मे ढला बदन नाइटी के अंदर से रवि के ऊपेर कहर ढा रहा था. डॉली बाथरूम मे घुस्स गयी.

बाहर रवि का लंड उसके शॉर्ट्स मे लोहे की रोड की तरह खड़ा झटके खा रहा था. रवि अपने लंड को शॉर्ट के ऊपेर से सहलाने लगा. जैसे ही रवि के कानो मे पानी गिरने की आवाज़ पड़ी…उसकी दिल की धड़कन तेज हो गयी, और वो ना चाहते हुए भी, बाथरूम के डोर के पास आकर खड़ा हो गया….अंदर से डॉली के गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी. रवि अपने पर काबू ना रख सका, और घुटनो के बल नीचे बैठ कर के होल से अंदर झाँकने लगा……

जैसे ही उसकी नज़रें डॉली पर पड़ी, उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया. उसकी नज़रों के सामने डॉली का दूधिया बदन था. डॉली की पीठ डोर की तरफ थी. रवि की आँखे उसके बदन के हर हिस्से को नाप रही थी…..एक दम गोरी चिकनी पीठ और नीचे पतली कमर देख कर रवि का लंड झटके खाने लगा….जब डॉली अपने बदन को अपने हाथों से रगड़ती, तो उसके दोनो चूतड़ मटकने लगते…जिसे देख रवि मस्ती के सागर मे डूबता जा रहा था….शवर के नीचे खड़े-2 डॉली डोर की तरफ पलट गयी….रवि की आँखों के सामने एक मेच्यूर और दुनियाँ की सबसे हसीन औरत के बूब्स थे…..

रवि को अपना थूक अपने गले के नीचे गटकना मुस्किल हो गया. वो तेज़ी से अपने लंड को अपने शॉर्ट्स के ऊपेर से मसलने लगा…..डॉली की 36 साइज़ की चुचियाँ एक दम कसी हुई और गुदाज थी…उसके निपल्स एक दम तने हुए थी……और ऊपेर की तरफ झाँक रहे थी….नीचे डॉली की मसल जाँघो के बीच छुपी हुई चूत की फांकों की लकीर देखते ही, रवि के लंड ने उसके शॉर्ट्स मे वीर्य की धार छोड़ दी….रवि वहीं बैठा हाँफने लगा,…..कुछ देर बाद वो बेड पर आकर बैठ गया….और डॉली के बाहर आने का इंतजार करने लगा……

थोड़ी देर बाद डॉली बाथरूम से बाहर आई….उसने दूसरी नाइटी पहनी हुई थी….जैसे ही रवि उठ कर बाहर जाने लगा….डॉली ने उसे पीछे से आवाज़ लगाई. रवि वहीं रुक गया….उसका दिल डर के मारे धड़कना भूल गया……..कहीं डॉली दीदी को पता तो नही चल गया......

डॉली: रवि अभी थोड़ी देर और बैठो ……मे नीचे से दूध की बॉटल ले आउ…नही तो साहिल फिर से परेशान करेगा……..

डॉली नीचे चली गयी…डॉली के जाने के बाद रवि बाथरूम मे घुस गया, और पेशाब करने लगा…..तभी उसकी नज़र डॉली की वाइट कलर की वीशेप पैंटी पर पड़ी… नज़ाने रवि मे कहाँ से हिम्मत आ गयी….उसने पैंटी को उठकर अपनी शॉर्ट्स की एलास्टिक मे दबा लिया….और तेज़ी से बाहर आकर साथवाले स्टोर रूम मे पैंटी को रख कर वापिस डॉली के रूम मे आकर बैठ गया…..थोड़ी देर बाद जब डॉली ऊपेर वापिस आई…तो रवि बिना कुछ बोले वापिस अपने स्टोर रूम मे चला गया…..

रात का टाइम था…..सब लोग बैठ कर खाना खा रहे थे….पर रवि स्टोर रूम को अंदर से बंद करके डॉली की पैंटी को अपने लंड पर कस्के मूठ मार रहा था…उसके दिमाग़ मे डॉली का गोरा बदन घूम रहा था….वो सुबह 2 बार मूठ मार चुका था…और अपना सारा वीर्य डॉली की पैंटी मे उडेल चुका था….डॉली की पैंटी रवि के वीर्य से पूरी तरहा सनी हुई थी….रवि तेज़ी से अपने लंड को हिला रहा था….तभी उसके डोर पर नॉक हुआ, और बाहर से डॉली की आवाज़ आए…….

डॉली की आवाज़ सुनते ही उसके हाथ पैर डर के मारे काँपने लगी….उसने जल्दी से पैंटी को बेड के नीचे फैंक दिया, और उठ कर शॉर्ट्स को पहन कर डोर खोला….सामने डॉली खड़ी थी.

डॉली: क्या बात है रवि तुम्हारी साँस इतनी क्यों चढ़ि हुई है….तबीयत तो ठीक है ना.

रवि: जी वो दीदी जी बिल्कुल ठीक हूँ……

डॉली: जा फिर नीचे जाकर खाना खा ले…..रात बहुत हो चुकी है.

डॉली वापिस चली गयी……रवि अपने हाथ धो कर नीचे खाना खाने के लिए चला गया….


खाना खाने के बाद रवि फिर से अपने रूम मे आ गया….उसका दिल डॉली की ससुराल मे बिल्कुल भी नही लग रहा था….वो मन मे सोचने लगा कि, अगर वो गाँव मे होता तो, पूनम उसकी बाहों मे होती, और वो उसकी जवानी का रस पान कर रहा होता. अगर पूनम के साथ कुछ करने का मोका ना भी मिलता तो, रज़िया तो उसके हाथ मे है ही. वो कभी भी अपने लंड को उसकी चूत मे डाल कर अपने लंड को शांत कर सकता था.

पर अब वो यहाँ कैसे अपने लंड को शांत कर सकता था…इसीलिए वो अपने उस छोटे से स्टोर रूम मे बेड पर बैठा हुआ, अपने लंड पर डॉली की वीशेप पैंटी को कसे हुए मूठ मार रहा था…..और उसके दिमाग़ मे डॉली का गोरा बदन घूम रहा था…उसने रात भर दो बार मूठ मारी……और थकान के कारण उसे कब नींद आई…उसे पता नही चला………

अगली सुबह……..

रवि सो रहा था…….तभी बाहर से डॉली ने डोर को नॉक करना शुरू कर दिया….जैसे ही रवि नींद से जगा उसे अपनी हालत का अंदाज़ा हुआ…वो बेड पर एक दम नंगा लेटा हुआ था…और डॉली की पैंटी उसकी टाँगों के बीच मे पड़ी हुई थी…जो उसके वीर्य से एक दम सनी हुई थी…वो डॉली की आवाज़ सुन कर एक दम से हड़बड़ा गया. और जल्दी से उठ कर अपना शॉर्ट्स और टीशर्ट पहनने लगा…..कपड़े पहनने के बाद उसने डॉली की पैंटी को फिर से बेड के नीचे फैंक दिया…….और डोर खोला…

बाहर डॉली साहिल को गोद मे उठाए खड़ी थी….साहिल रो रहा था….शायद भूख के कारण…रवि डॉली की ओर देखते हुए बोला….

रवि: क्या हुआ दीदी क्या बात है…..

डॉली: देखो ना रवि साहिल भूक के कारण रो रहा है…घर मे दूध भी ख़तम है….जाओ बाज़ार से दूध ले आओ….(डॉली ने रवि की तरफ हाथ मे पकड़े हुए पैसे बढ़ा दिए….रवि ने पैसे लिए और तेज़ी से नीचे चला गया)

डॉली साहिल को चुप कराने के लिए बाहर गॅलरी मे टहलने लगी…इधर उधर घूमते हुए उसकी नज़र स्टोर रूम मे पड़े बॅट पर पड़ी…..ये बॅट डॉली के पति का था….उसे क्रिकेट खेलने का बहुत शॉंक था……..डॉली अपने आप को रोक ना पे…और स्टोर रूम के अंदर जाने लगी…अभी वो बॅट की तरफ बढ़ ही रही थी…कि उसके पैर मे कोई चीज़ अटक गये….स्टोर रूम मे अंधैरा था….जब डॉली ने उसे अपने पैर से निकाल कर ऊपेर उठाया…..तो उसकी आँखें फटी-2 रह गयी….

डॉली: ये क्या ये तो मेरी पैंटी है…पर ये ये यहाँ कैसे आई……

डॉली को कुछ समझ मे नही आ रहा था…वो पैंटी को उठा कर बाहर ले आई…और बाहर आकर देखने लगी….उसके चहरे का रंग एक दम से उड़ गया…..उसकी पैंटी रवि के वीर्य से सनी हुई थी….उसकी पैंटी पर रवि के कम के निशान पड़े हुए थे…जो अब तक सुख चुके थे…डॉली के गुस्से का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया….उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था, कि आख़िर ये हो क्या रहा है…..डॉली ने पैंटी को वहीं वापिस फैंक दिया…..और साहिल को लेकर अपने रूम मे आ गयी……

अपने रूम मे आने के बाद उसने साहिल को बेड पर लेटा दिया…..और खुद बाथरूम मे जाकर अपने हाथ को धोने लगी….उसे रवि से बहुत घिन आ रही थी…हाथ धोने के बाद वो बेड पर आकर बैठ गयी , और साहिल को उठा लिया…..डॉली के कुछ ही दिनो पहले दूध आना बंद हुआ था..इसीलिए वो अब साहिल को अपना दूध नही पिला पा रही थी…थोड़ी देर बाद रवि उसके रूम मे आ गया….उसके हाथ मे दूध की बॉटल थी…

रवि: दीदी ये लो……मे दूध ले आया….

डॉली ने उसकी तरफ देखे बिना उसके हाथ से दूध की बॉटल ली….और रवि बाहर चला गया….रवि के जाने के बाद डॉली साहिल को दूध पिलाने लगी…

दोपहर को जब सब लोग खाना खा चुके थे…..तो डॉली ऊपेर अपने रूम मे आ गयी…उसकी सास नीचे अपने रूम मे सो रही थी…घर मे जो नौकर काम करता था….वो वापिस जा चुका था…और घर मे रवि डॉली और उसकी सास ही थी… डॉली का दिल बहुत बेचैन था…वो बार-2 अपने मन मे यही सोच रही थी, कि आख़िर रवि की हिम्मत कैसे हुई, ऐसी हरकत करने की…..क्या वो भैया को नही जानता…वो उसे जिंदा ज़मीन मे गाढ देंगे……
 
तभी उसे स्टोर रूम का डोर बंद होने की आवाज़ आई…..डॉली ने साहिल की तरफ देखा…साहिल सो रहा था……..वो धीरे से बेड से खड़ी हुई….और बाहर आ गयी… स्टोर रूम का डोर अंदर से लॉक था…. वो डोर के पास आई, और नीचे पंजों के बल बैठ कर के होल से अंदर झाँकने लगी…अंदर काफ़ी अंधैरा था….पर जब थोड़ी देर बार उसकी आँखे अंदर की लाइट के हिसाब से सेट हुई, तो उसे उसकी आँखों के सामने था…उसे देख कर डॉली के रोंगटे खड़े हो गये…अंदर रवि बेड पर लेटा हुआ, तेज़ी से अपने लंड पर डॉली की पैंटी को लपेटे हुए मूठ मार रहा था……

डॉली को अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था….एक पल के लिए डॉली की आँखे भी रवि के 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड पर जम गयी…रवि के लंड के गुलाबी सुपाडे को देख कर उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी……पर अगले ही पल उसके गाल गुस्से के मारें लाल होकर दहकने लगी…वो उठ कर खड़ी हो गयी…और डोर को नॉक किया…..अंदर रवि ने जल्दी से खड़े हो कर अपने शॉर्ट्स को ऊपेर किया…और पैंटी को बेड के नीचे छुपा कर डोर खोला…….

रवि: (सामने डॉली को देख कर थोड़ा घबराते हुए) क्या हुआ दीदी……

डॉली का गुस्सा और बढ़ गया…..और उसने एक ज़ोर दार थप्पड़ उसकी गाल पर झाड़ दिया….रवि का गाल एक दम से सुन्न हो गया…..वो अपने गाल पर हाथ रख कर डॉली की ओर देखने लगा…….

रवि: (रुआंसी से आवाज़ मे) मैने क्या किया है दीदी…..

डॉली: (एक और थप्पड़ रवि के गाल पर मारते हुए) तुझे शरम नही आती….मुझे दीदी कहते हो……और मेरे बारे मे ग़लत सोचते हो…..

रवि: पर दीदी (इससे पहले कि रवि कुछ और बोलता डॉली ने दो थप्पड़ और उसकी गाल पर मार दिए…जिससे रवि का नीचे वाला होन्ट कट गया….और उससे खून निकलने लगा.)

डॉली: (अपने पैर से बेड के नीचे से पैंटी को निकालते हुए) ये क्या कर रहे थी.. कितनी गंदी सोच है तुम्हारी…..मुझे दीदी कहते हो…..और मेरे बारे मे ग़लत सोचते हो. तुम्हे ज़रा भी डर नही लगा ऐसा करते हुए…अगर भैया को बताया तो वो तुझे मार डालेंगे….शरम आनी चाहिए….

रवि घुटनो के बाल डॉली के पैरों को पकड़ कर बैठ गया…..और रोते हुए उससे माफी माँगने लगा…

रवि: दीदी मुझ माफ़ कर दो……आप बाबू जी को मत बताना……मैं बहक गया था..मुझ माफ़ कर दो…

डॉली बिना कुछ बोले हुए बाहर आ गयी….और अपने रूम मे चली गयी….


डॉली के जाने के बाद रवि वहीं बैठा रोता रहा…..डॉली का गुस्सा सातवे आसमान पर था…..वो अपने रूम मे आकर लेट गयी….उसका दिमाग़ उलझनो से भरा हुआ था…उसे पता नही चला उसे कब नींद आ गयी…..शाम के 5 बजे उसकी सास ने उसे ऊपेर आकर उठाया…..डॉली उठ कर बैठ गयी…

डॉली की सास: बेटा तेरे पापा का फोन आया था…….आज हमे रात को उनके फ्रेंड के बेटे की शादी मे जाना है….वो आते ही होंगे, चलो उठ कर तैयार हो जाओ…

डॉली: नही मम्मी जी आप जाए…….मेरा मन नही है….और तबीयत भी कुछ ठीक नही लग रही….

डॉली के साँस: ठीक है बेटा….मैं नौकर से कह देती हूँ, कि वो तुम्हारे और रवि के लिए खाना बना दे…..अच्छा मे नीचे जाकर तैयार होती हूँ…तू भी नीचे आजा चाइ तो पी ले…..

डॉली: ठीक है मम्मी जी….आप चलें मैं आती हूँ…..

डॉली की साँस नीचे चली गयी…डॉली उठ कर बाथरूम मे गयी…और हाथ मुँह धोने लगी….उसके दिमाग़ मे अभी भी दोपहर की घटना ही घूम रही थी..उसकी आँखों के सामने बार-2 रवि का फेस आ रहा था…..उसके होंठो से कितना खून निकल रहा था…मेने कुछ ज़्यादा ही सख्ती दिखा दी…मुझ उसे समझाना चाहिए था….आख़िर उसकी उम्र ही क्या है….और वो तो बेचारा बिना माँ बाप के पला है…अगर उसके माँ बाप जिंदा होते तो, वो ऐसा बिल्कुल भी नही करता…….आख़िर उसे इस उम्र मे सीधी राह दिखाने वाला भी तो कोई नही है…..

ये सब सोचते हुए डॉली साहिल को उठा कर नीचे आ गयी…नीचे उसका ससुर अजीत शर्मा आ चुका था…..और वो अपनी वाइफ का वेट कर रहा था……डॉली को देख कर वो बोला.

अजीत शर्मा: क्या हुआ बेटा आप तैयार नही हुए..

डॉली: नही पापा मे नही जा रही…..मेरी तबीयत ठीक नही है….आप मम्मा को साथ लेकर चले जाओ….

अजीत शर्मा: ठीक है बेटा…..पर अपना ख़याल रखना……

इतने मे डॉली की सास भी बाहर आ गयी…..और तैयार हो चुकी थी.

अजीत शर्मा: बेटा अब हम निकलते हैं….कल सुबह वापिस आएँगे….अपना ख़याल रखना….

डॉली: ठीक पापा जी…

डॉली के सास ससुर वापिस चले गये…..धीरे धीरे रात हो गयी…..नौकर खाना बना चुका था…उसने खाने को टेबल पर लगा दिया….और खुद अपने घर चला गया… डॉली के मन मे अशांति फैली हुई थी…रवि दोपहर से स्टोर रूम से बाहर नही निकला था…….खाना खाने के बाद डॉली ने एक प्लेट मे खाना डाला, और ऊपेर आ गयी…और स्टोर रूम का डोर नॉक किया…पर डोर खुला था…इसीलिए डोर खुल गया…

डॉली ने अंदर देखा….रवि ठीक उसी जगह बैठा हुआ था…..यहाँ पर डॉली ने दोपहर को उसको छोड़ा था….वो अपने घुटनो को मोड़ कर नीचे बैठा हुआ था. और उसने अपने सर को अपनी टाँगों मे छुपा कर रखा हुआ था… डॉली अंदर आ गयी….और बेड पर खाने की प्लेट रख कर नीचे पैरों के बल बैठ गयी…. और रवि के बालों मे अपने हाथ फेरते हुए बोली……

डॉली: रवि खाना खा लो……..

ये सुनते ही रवि ज़ोर ज़ोर से रोने लगा…..और डॉली से माफी माँगने लगा…डॉली उसे चुप करने के लिए बोल रही थी….पर रवि रोए जा रहा था….

रवि: दीदी मुझ माफ़ कर दो……मुझसे ग़लती हो गयी……आप बाबू जी को मत बताना…

डॉली: अच्छा नही बताउन्गी……पहले चुप करो, और खाना खा लो….फिर बाद मे बात करते हैं….

रवि: (अपने आँसू पोंछते हुए) दीदी आप ने मुझ माफ़ कर दिया ना….

डॉली: हां….चल अब उठ कर खाना खा ले…..

रवि उठ कर बेड पर बैठ गया, और खाना खाने लगा…डॉली उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए रूम से बाहर जाने लगी…

डॉली: रवि तुम मेरे रूम मे खाना खाने के बाद आना….मुझे तुम से कुछ बात करनी है….

रवि ने खाना खाते हुआ हां मे सर हिला दिया……..और डॉली अपने रूम मे चली गयी….रवि खाना खा कर नीचे चला गया…क्योंकि बाथरूम के लिए उसे नीचे बने बाथरूम मे ही जाना पड़ता था….जब वो नीचे आया तो, घर मे सन्नाटा पसरा हुआ था…..रवि वापिस ऊपर आ गया…और डॉली के रूम का डोर नॉक किया….

अंदर से डॉली ने उठ कर डोर खोला…..और बाहर आ गयी…..और रवि को इशारे से अंदर आने के लिए कहा….क्योंकि साहिल सो रहा था….दोनो अंदर आ गये…डॉली बेड पर बैठ गयी….और रवि उसके सामने किसी मुजरिम की तरह खड़ा था….

डॉली: (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) देखो रवि तुम जो अपने साथ कर रहे हो, वो ठीक नही है….तुम्हे पता भी है, ऐसी ग़लत हरकतों से इंसान के ऊपेर कितना बुरा असर पड़ता है…

रवि: पर दीदी मे बहक गया था……कल जब आप…..

और रवि बोलते-2 रुक गया…

डॉली: हां बतो रवि क्या कहना चाहते हो…..

रवि: (घबराते हुए) दीदी आप गुस्सा करोगी……

डॉली: देखो रवि सुबह मुझे तुम्हारे साथ ऐसे पेश नही आना चाहिए था…उसके लिए मे तुम्हे सॉरी कहती हूँ…मुझ पता है कि तुम बिना माँ बाप के पले हो…और इसीलिए मे तुम्हे हर तरहा मदद करूँगी….

रवि: दीदी मे इसीलिए बहक गया था, कि कल मैने आप को नहाते हुए देख था…मैं अपने आप पर काबू नही रख सका….मुझ माफ़ कर दो दीदी…..

रवि की बात सुन कर डॉली के फेस का रंग उड़ गया….वो एक टक रवि को देखे जा रही थी..उसका मुँह रवि की बातों को सुन कर खुला का खुला रह गया…..

डॉली: (चोन्क्ते हुए) क्या कह रहे हो…..

रवि: (घबराते हुए) दीदी मैं सच बोल रहा हूँ……..पर मुझसे ग़लती हो गयी है..मुझ माफ़ कर दो..( ये कहते हुए रवि की आँखों मे फिर से आँसू आ गये.)

डॉली: अच्छा-2 चुप करो नही तो साहिल उठ जाएगा….आओ इधर आओ…

डॉली ने रवि का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर अपने साथ बैठा लिया….और उसके आँसू पोंछते हुए उसे चुप कराने लगी….पर रवि चुप नही हो रहा था…..

डॉली: अब चुप करो रवि…..मैने तुम्हे माफ़ कर दिया है……पर मेरी एक बात को ध्यान से सुनो….ये चीज़ें अपने दिमाग़ से निकाल दो….(डॉली की बात सुन कर रवि ना मे सर हिलाने लगा. जिसे देख कर डॉली और कन्फ्यूज़ हो गयी)

डॉली: क्या कहना चाहते हो…….

रवि: दीदी मैं चाह कर भी…आपको अपने दिमाग़ से निकाल नही सकता…….मुझ माफ़ कर दो…..आप का फेस हर टाइम मेरी आँखों और दिमाग़ मे छाया रहता है….

डॉली: ये क्या कह रहे हो रवि तुम्हे ये सब नही सोचना चाहिए…तुम्हारी उम्र ही क्या है…..मेरे बारे मे ऐसा सोचना बंद कर दो…..जब तुम्हारी उम्र हो गी..तुम्हे मुझसे भी खूबसूरत पत्नी मिल जाएगी….

रवि: (रोते हुए) नही दीदी मैं आप को नही भूल सकता….मैं क्या करूँ…..मुझे खुद समझ मे नही आ रहा…..

डॉली रवि को चुप करा रही थी…..दोनो एक दूसरे के बिल्कुल पास बैठे हुए थे.. डॉली का दिल रवि के आँसू और उसके कटे हुए होन्ट को देख कर पिघलने लगा….उसे अहसास तक नही हुआ, कि कब रवि का एक हाथ उसकी कमर पर आ गया….रवि जानता था कि, घर मे और कोई नही है….रूम मे आने से पहले से उसने ये तय कर लिया था…कि आज वो हर हाल मे डॉली को पा कर रहे गा……चाहे उसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े…अगर बात बिगड़ गयी….तो वो घर से भाग कर कहीं दूर चला जाएगा…..पर वो अपनी किस्मत को आज़माने से नही चुके गा………

रवि अब अपने आँसुओ का सहारा लेते हुए, डॉली के पास और पास आता चला जा रहा था…डॉली को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नही था, कि रवि के मन मे क्या चल रहा है. डॉली रवि के बालों मे अपनी उंगलियों से सहलाते हुए, रवि को चुप करा रही थी. रवि का एक हाथ डॉली की कमर पर धीरे-2 ऊपेर नीचे हो रहा था. आख़िर कार रवि ने रोते हुए, अपने फेस को डॉली के गले पर लगा दिया. डॉली को एक पल के लिए थोड़ा अजीब लगा, पर अगले ही पल डॉली ये सोच कर चुप रह गये, कि रवि की मानसिक हालत ठीक नही है.

रवि: (रोते हुए) मुझ माफ़ कर दो दीदी, मैं अपने दिमाग़ से आप की छवि को नही निकाल पा रहा हूँ..ऐसा क्यों है दीदी…

इस दौरान रवि के होंठ डॉली की नेक से कुछ इंच दूर पहुँच चुके थे. जिसे डॉली नज़र अंदाज़ कर रही थी.

डॉली: मैं जानती हूँ रवि ये इतना आसान नही होगा. पर तुम्हे सबर से काम लेना चाहिए. धीरे- 2 सब ठीक हो जाएगा.

रवि के हाथ का दबाव डॉली की कमर पर धीरे -2 बढ़ता जा रहा था. डॉली को जब महसूस हुआ, तो उसके दिल की धड़कन एक दम से तेज हो गयी. उसने जैसे ही रवि को पीछे हटाना चाहा, रवि ने अपने होंठो को डॉली की नेक पर लगा दिया. डॉली के बदन मे मानो करेंट की लहर दौड़ गयी. उसका पूरा बदन थरथराने लगा. एक पल के लिए वासना के नशे मे उसकी आँखे बंद हो गयी. पर अगले ही पल उसने अपने आप को बहकने से रोकने के लिए, रवि को पीछे की ओर धकेलना चालू कर दिया.

पर रवि अब पीछे नही हटाना चाहता था, इसीलिए उसने डॉली को अपनी दोनो बाहों मे भर लिया. और अपने होंठो से डॉली की नेक के हर हिस्से को किस करने लगा. डॉली एक दम से मचल उठी. उसकी साँसें तेज हो गयी.

डॉली: ( मदहोशी से भरी लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह ये क्या क्या कर रहे हो रवि, पीछे हटो..छोड़ो मुझे..

पर रवि तो जैसे डॉली की बात को सुन ही नही रहा था. वो पागलों की तरहा डॉली की नेक पर किस करता हुआ, अपने हाथों से डॉली की पीठ को धीरे-2 सहला रहा था. डॉली का बदन ढीला पढ़ने लगा. उसकी आँखे भी बंद होने लगी. वो बड़ी मुस्किल से अपनी आँखों को खोल कर रखे हुए थी. फिर अचानक से डॉली की आँखे बंद हो गयी. वो एक दम से शांत हो गयी. जिसे देख रवि का हॉंसला बढ़ गया, और उसने डॉली के होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाना चालू कर दिया. रवि अपनी आँखों से डॉली के थरथरा रहे होंठो को देख कर और उतेज़ित हो गया.

और उसने अपने होंठो को डॉली के काँप रहे होंठो पर रख दिया. डॉली ने अपने होंठो को आपस मे भींच लिया. और रवि के कंधों पर अपने दोनो हाथों को रख कर रवि को पूरी ताक़त से पीछे की ओर धकेला. रवि बेड से नीचे जा गिरा. डॉली ने अपनी आँखे खोली. और बेड से उठ कर खड़ी हो गयी. रवि एक दम से हैरान रह गया. उसे अपना प्लान मिट्टी मे मिलता हुआ नज़र आ रहा था. उसके फेस का रंग एक दम से उड़ गया.
 
डॉली के आँखे गुस्से से भरी हुई थी. जैसे ही रवि खड़ा हुआ, डॉली ने एक जोरदार तमाचा उसके मुँह पर दे मारा.

डॉली: तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मेरे साथ ऐसे हरकत करने की.

इससे पहले कि रवि कुछ बोल पाता. उसके गाल पर एक के बाद एक दो थप्पड और झाड़ दिए. रवि का गाल लाल हो गया. वो एक टक डॉली को देखे जा रहा था.

डॉली: मुझे पता होता कि, तुम पर मेरे समझाने का भी कोई असर नही होगा, तो मे सुबह ही तुम्हे यहाँ से निकलवा देती. जाओ दफ़ा हो जाओ यहाँ से.

रवि: (अपने गाल पर आए हुए आँसुओं को सॉफ करते हुए) पर दीदी इसमे मेरा कोई कसूर नही है. मे आप से सच मे प्यार करता हूँ.

डॉली: बंद करो अपनी बकवास, और दफ़ा हो जाओ यहाँ से.

रवि: मे सच कह रहा हूँ दीदी.

डॉली: (गुस्से से) तुम्हे पता भी है प्यार का क्या मतलब होता है. तुम्हारे पास तो इतनी अकल भी नही है कि, मे तुम्हे समझा सकूँ. तुम्हे ये भी नही दिखाई देता. कि मे किसी की विधवा हूँ, एक बच्चे की माँ हूँ. शरम आनी चाहिए.

रवि: दीदी मे आप जैसी बड़ी-2 बातें करना नही जानता. पर मे सच मे आप से प्यार करता हूँ.

डॉली: मे तुम्हारी कोई बात नही सुनना चाहती..जाओ बाहर जाओ. मुझे तुम्हारी शकल नही देखनी है.

रवि रोता हुआ रूम से बाहर आ गया. डॉली ने अंदर से डोर लॉक किया, और अपने सर को पकड़ कर बेड पर बैठ गयी.

डॉली: (अपने आप से) ओह भगवान ये क्या हो रहा है.. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा.

डॉली बेड पर लेट गयी. और सोने की कॉसिश करने लगी. पर नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी.

डॉली सोने की नाकाम कॉसिश कर रही थी. पर वो सो नही पा रही थी. रात के 11 बज रहे थे. पर नींद अभी भी उसकी आँखों से कोसो दूर थी. तभी उसके कानो मे हल्की-2 रोने के आवाज़ पड़ी. डॉली एक दम से उठ कर बैठ गयी.. रोने की आवाज़ रवि की थी, डॉली ने अपना ध्यान दूसरी तरफ लगाने की कॉसिश की, पर वो अपने आप को रोकनही पाई , और बेड से धीरे से उठ कर डोर की तरफ जाने लगी. उसका एक दिल कर रहा था, कि वो रवि को उसके हाल पर छोड़ दे, वो अपनी इस हालत के लिए खुद ज़िम्मेदार है. और दूसरा दिल कर रहा था, कि उसे बाहर जाना चाहिए…

पर आख़िर कार डॉली अपने दिल के आगे हार गयी, और उसने धीरे से डोर खोला. जैसे ही उसने डोर खोला तो, वो एक दम से घबरा गयी. क्योंकि रवि बाहर गॅली मे बैठा हुआ था. और धीरे-2 सूबक रहा था. डॉली धीरे-2 रवि की तरफ बढ़ी, रवि डॉली की ओर देखने लगा….

डॉली: (परेशानी से भरी आवाज़ मे) क्यों रवि मुझे क्यों परेशान कर रहे हो..

रवि: दीदी मे आपको परेशान नही करना चाहता…मे तो बस आप से प्यार करता हूँ.

डॉली: (रवि की ओर पास आते हुए) नही रवि जो तुम सोच रहे हो, वो ठीक नही है. अपनी ज़िद्द छोड़ दो….

जब डॉली रवि के पास पहुँची, तो वो रवि का फेस देख कर एक दम से हैरान रह गये. उसके होंठो से खून बह कर उसकी चिन पर जमा हुआ था. ये देखते ही, डॉली का कोमल दिल एक दम से पिघल गया. और वो उसके बाद उसके पास बैठ गयी….

डॉली: तुम अपनी दीदी को बहुत प्यार करते हो ना.

रवि: हां डिड मे आप से बहुत प्यार करता हूँ….मे आपके बिना एक पल भी नही रह सकता….मे सच कह रहा हूँ……..

डॉली: फिर मेरी एक बात मनोगे…

रवि: हां दीदी बोलो…..मे आप की हर बात मानूँगा…..

डॉली: (एक लंबी साँस लेते हुए) देखो रवि मे अपने पति से बहुत प्यार करती थी, और आज भी करती हूँ…..उनकी जगह मेरे दिल मे और कोई नही ले सकता…..उसके इसके किसी और के बारे मे सोच भी नही सकती….तुम समझ रहे हो ना मे क्या कह रही हूँ….
रवि: हां दीदी मे समझ रहा हूँ……पर मे……

डॉली: (रवि को बीच मे टोकते हुए) देखो रवि तुम्हारे दिल पर मेरा कोई ज़ोर नही है. इसीलिए मे तुम्हे और तुम्हारे दिल को मेरे बारे मे सोचने से रोक नही सकती…अब तुम मेरे बारे मे क्या सोचते हो, वो तुम जानते हो, पर रवि मे तुम्हारी साथ ऐसा रिश्ता नही रख सकती….

रवि उठ कर खड़ा हो गया, और अपनी आँखों से आँसू सॉफ करने लगा….डॉली भी खड़ी हो गयी. वो रवि के चहरे की भावनाओ को पढ़ने के कॉसिश कर रही थी… वो सोच रही थी, कि शायद उसकी बात रवि के समझ मे आ गयी है….डॉली ने रवि को कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया, और उसके होंठो पर लगे हुए खून को अपने हाथ की उंगलियों से सॉफ करने लगी……

रवि: (डॉली की नरम उंगलियों को अपने होंठों पर महसूस करके) दीदी मैं आप से एक बात कहना चाहता हूँ, आप मना तो नही करोगी.

डॉली: (ये सोचते हुए कि, शायद रवि को उसकी बात समझ मे आ गयी है) हां बोलो.

रवि: (अपने गले का थूक मुस्किल से गटकते हुए) दीदी वो मे आप को एक बार किस करना चाहता हूँ….

डॉली रवि की बात सुन कर एक दम से हैरान हो गयी….वो पीछे की और हट गयी…इससे पहले कि डॉली बोलने के लिए अपना मुँह खोलती……..रवि फिर से बोल उठा….

रवि: दीदी प्लीज़ मना मत करना…..मे आपको बहुत प्यार करता हूँ….प्लीज़ एक बार इसके बाद मे आप से बहुत दूर चला जाउन्गा…….

डॉली चुप चाप बुत की तरह खड़ी थी. डॉली को कोई जवाब देता ना देख रवि उसकी तरफ बढ़ने लगा…जैसे जैसे रवि डॉली की तरफ बढ़ रहा था, डॉली की धड़कन तेज हो रही थी…..

वो नज़रें झुका कर खड़ी थी, और बीच -2 मे रवि की ओर देख रही थी….उसके हाथ पैर अंजाने डर के कारण कांप रहे थी….वो सोच समझ नही पा रही थी, कि वो जो करने जा रही है, ग़लत है या ठीक…..पर डॉली के पास इतना सोचने का टाइम नही था.. रवि उसके बिल्कुल पास आ चुका था…उसने डॉली की कमर के दोनो ओर अपने हाथ रख लिए…पतली सी नाइटी के ऊपेर से रवि के हाथों को अपनी कमर पर महसूस करके, डॉली के बदन मे कपकपि दौड़ गयी….और आने वाले पलों के बारे मे सोच कर उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया….

डॉली को ऐसे बिना कोई विरोध के खड़ा देख कर रवि की हिम्मत बढ़ने लगी. पर उसका हाल डॉली से भी बुरा था…उसने कभी कल्पना भी नही की थी, कि डॉली जैसे बहुत ही खूबसूरत और भरे हुए बदन की मालकिन उसके सामने ऐसे खड़ी हो गी…अपने सामने खड़ी उस कमनीय जैसी खूबसूरत औरत को देख कर उसके हाथ पावं भी कांप रहे त… उसके दिल की धड़कने भी तेज चल रही थी….

रवि डॉली को उसकी कमर से थामे हुए, धीरे -2 उसे अपनी तरफ सरकाने लगा. उन दोनो के बदन का फाँसला हर पल कम हो रहा था….जैसे -2 दोनो के जिस्म नज़दीक आ रहे थे.. डॉली की आँखे धीरे-2 बंद होती जा रही थी…आख़िर कार रवि ने हिम्मत करके डॉली को अपनी बाहों मे भर कर अपने से चिपका लिया….डॉली उसकी बाहों मे कसमसा गयी… रवि डॉली की ओर देखने लगा…..

डॉली ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी…उसके होन्ट ठहरथरा रहे थे…जिसे देख कर रवि की आँखों मे चमक आ गयी…वो अपनी किस्मत पर बड़ा इतरा रहा था….आख़िर कार वो आज डॉली के गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो का रस पान करने वाला था.. रवि ने डॉली की ओर देखते हुए, उसके थरथरा रहे गुलाबी रसीले होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाना चालू कर दिया….

डॉली अपने फेस और होंठो पर रवि की साँसों को महसूस करके मचल उठी….पर अगले ही पल उसके दिमाग़ मे ये आ गया कि, वो रवि को किस से आगे नही बढ़ने देगी. चाहे कुछ भी हो जाए….वो अपनी मान मर्यादा नही तोड़े गी….

रवि ने एक बार फिर से डॉली की ओर देखा…..और अपने होंठो को डॉली के नाज़ुक होंठो पर रख दिया….डॉली एक दम से कसमसा गयी…..रवि ने डॉली को अपनी बाहों मे और कस लिया….और धीरे -2 डॉली के होंठो को चूसने लगा…..डॉली अपने होंठो को बंद किए हुए थी…पर रवि जी भर के डॉली के होंठो को रस पीना चाहता था….इसीलिए उसने सिर्फ़ डॉली के नीचे वाले होंठ को अपने दोनो होंठो मे भींच लिया…जिसे डॉली के दोनो होंठो मे थोड़ा सा गॅप बन गया….और मोका देखते हुए, रवि ने डॉली के नीचे वाले होंठ को अपने दोनो होंठो मे ले लिया….और ज़ोर -2 चूसने लगा….ना चाहते हुए भी डॉली के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी…
 
रवि के हाथ डॉली की कमर पर अपना कमाल दिखा रहे थे…..वो कमर को सहलाता हुआ धीरे-2 अपने हाथों को डॉली के चुतड़ों की तरफ लेजा रहा था…डॉली उससे एक दम चिपकी हुई थी….डॉली की मस्त कर देने वाली चुचियाँ रवि की चैस्ट मे धँसी हुई थी….डॉली का बदन रवि की बाहों मे धीरे-2 ढीला पड़ने लगा….

जिसे रवि अच्छी तरह समझ रहा था…..ना चाहते हुए भी डॉली की चूत मे नमी आने लगी थी….डॉली अपनी पैंटी मे आए हुए गीले पन को सॉफ महसूस कर पा रही थी…रवि ने डॉली को गरम होते देख अपने हाथों को डॉली के चुतड़ों पर रख दिया. डॉली रवि के हाथों को अपनी नाइटी के ऊपेर से अपने चुतड़ों पर महसूस करके मचल उठी…..पर उसने रवि को कुछ नही कहा…बल्कि उसके होन्ट और खुल गये…रवि पागलों की तरहा डॉली के होंठो को चूसने लगा…वो धीरे -2 डॉली के दोनो चुतड़ों को मसल रहा था…..

डॉली के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….डॉली के हाथ जो कुछ देर पहले रवि के कंधों पर थे…अब वो दोनो हाथ रवि के सर के पीछे आ चुके थे…और वो अपने हाथों से धीरे-2 रवि के बालों को सहला रही थी… डॉली एक दम मदहोश हो चुकी थी….वो अब अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी…नीचे रवि का लंड भी अब अपनी औकात पर आ चुका था….और वो डॉली की चूत की फांको पर नाइटी और पैंटी के ऊपेर से सटा हुआ रगड़ खाने लगा…….

डॉली की चूत मे सरसराहट दौड़ गयी….जैसे ही उसी अपनी नाइटी और पैंटी के ऊपेर से रवि का लंड अपनी चूत की फांकों पर महसूस हुआ, उसने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया……जिसे देख कर रवि की हिम्मत और बढ़ गयी….और वो धीरे- 2 डॉली के चुतड़ों से नाइटी को पकड़ कर ऊपेर उठाने लगा……डॉली इतनी मस्त हो चुकी थी, कि उसे पता नही चला कि उसकी नाइटी उसके घुटनो से ऊपेर तक उठ चुकी है. रवि को अपना मकसद पूरा होता हुआ नज़र आ रहा था…..

डॉली अब एक दम गरम हो चुकी थी…उसके हाथ पैर उतेज्ना के मारें कांप रहे थे….और वो अब पूरी तरहा अपने होंठो को खोल कर चुस्वा रही थी….और रवि डॉली के होंठो को बहुत ही मस्ती के साथ चूसे जा रहा था……डॉली की चूत की फाके अब कुलबुलाने लगी थी….

अब डॉली की बर्दास्त से भी बाहर हो रहा था…..रवि ने धीरे-2 अपनी जीभ को डॉली के मुँह के अंदर करना शुरू कर दिया…बदले मे डॉली ने भी अपने होंठो को और खोल दिया, और कुछ ही पलों मे दोनो की जीभ आपस मे टकराने लगी….रवि ने डॉली की जीभ को अपनी होंठो मे कस लिया…..और उसकी जीभ को चूसने लगा…डॉली उससे और बुरी तरहा चिपक गये…उसकी चुचियाँ रवि की चैस्ट मे धँस गये… रवि का मन डॉली की चुचियों को अपनी चैस्ट पर महसूस करके और मचल उठा…..

धीरे – 2 डॉली की नाइटी भी उसकी जाँघो से ऊपेर तक चढ़ चुकी थी….पर अचानक अंदर साहिल के हल्के से रोने की आवाज़ आई…….साहिल की आवाज़ सुनते ही जैसे डॉली को होश आया….उसने अपने हाथों को रवि की चैस्ट पर रख कर उसे पीछे धक्का दे दिया…रवि इसके लिए बिकुल भी तैयार नही था….जिससे डॉली रवि की बाहों से बाहर आ गयी…. और बिना रवि की और देखते हुए, अपने रूम के डोर के पास आकर अंदर झाँकने लगी….

अंदर साहिल सो रहा था, शायद वो नींद मे से थोड़ी देर के लिए ही जगा था. इससे पहले कि डॉली रूम के अंदर जाती….रवि ने उसे पीछे से अपनी बाहों मे भर लिया…
पर अगले ही पल डॉली ने ने उसके हाथों को पकड़ कर झटक दिया….

डॉली: (तेज़ी से साँस लेते हुए) अपनी हद मे रहो रवि……ये ठीक नही है…मेने अब तुम्हारी एक बात मान ली. जाओ अब यहाँ से चले जाओ..

रवि: पर दीदी….

डॉली: अब मुझे कुछ और नही सुनना…जाओ यहाँ से……..

रवि: नही दीदी अभी मेरा मन नही भरा है……मुझे कुछ देर और किस करने दो…

डॉली: देखो रवि इससे पहले कि मुझ गुस्सा आए यहाँ से चले जाओ….

पर रवि पर अब वासना का भूत इस कदर सवार हो चुका था, कि वो ये सोच भी नही पा रहा था, कि वो जाने अंजाने अपनी जान को ख़तरे मे डाल रहा है….. रवि ने आगे बढ़ कर डॉली को पीछे से फिर से अपनी बाहों मे भर लिया….और अपने होंठो को उसकी पीठ के ऊपेरी खुले हिस्से पर लगा दिया….डॉली अपनी पीठ पर रवि के गरम होंठो को महसूस करके मचल उठी….वो रवि की बाहों से आज़ाद होना चाहती थी…..पर इस बार रवि की पकड़ बहुत मजबूत थी…..

रवि के हाथ धीरे-2 डॉली के पेट से होते हुए, उसकी चुचियों की तरफ बढ़ रहे थे. और डॉली का बदन रवि के हाथों को महसूस करके झटके खा रहा था…आख़िर कार रवि के दोनो हाथ डॉली के दोनो उन्नत उरोजो पर पहुँच ही गये….रवि डॉली के मुलायम 36 साइज़ के बूब्स को अपने हाथों मे पकड़ कर धीरे-2 मसलने लगा…..

डॉली की आँखे फिर से मस्ती मे बंद होने लगी….रवि अपने होंठो को डॉली की खुली पीठ के हर हिस्से पर रगड़ कर चाट रहा था…और डॉली के मुँह से हलकी-2 आहह ओह्ह्ह जैसी आवाज़ें निकल रही थी…..उसकी आवाज़ मे मदहोशी और वासना घुली हुई थी..

रवि का लंड अब उसके शॉर्ट्स मे एक दम तन कर आकड़ा हुआ था, जो उसका शॉर्ट्स फाड़ कर बाहर आने को बेताब था…रवि ने डॉली की पीठ से अपने होंठो को हटा दिया…और डॉली की चुचियों को धीरे- 2 मसलते हुए, अपने लंड को डॉली के चुतड़ों की दरार मे नाइटी के ऊपेर से रगड़ने लगा…….

डॉली: (काँपती हुए आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह रवि रुक जाओ….प्लीज़ मेरे साथ ऐसा ओह्ह ना करो. रवि हट जाओ पीछे आह सीईईईईई…

पर रवि डॉली की बातों को अनसुना करते हुए अपनी कमर हिला कर, अपने लंड को डॉली के चुतड़ों की दरार मे आगे पीछे करते हुए रगड़ रहा था……फिर अचानक रवि ने डॉली की चुचियों को छोड़ दिया…..और दोनो हाथों से डॉली की नाइटी को पकड़ कर एक ही झटके मे ऊपेर उठा दिया…..

- डॉली का दिल जोरों से धड़कने लगा….डॉली के दोनो चूतड़ रवि की आँखों के सामने ब्लॅक कलर की पैंटी मे थे….डॉली की वीशेप पैंटी उसके चुतड़ों की दरार मे इकट्ठी होकर धँसी हुई थी. और उसके दोनो पहाड़ जैसे चूतड़ रवि की आँखों के बिकुल सामने थे
बस डॉली की गान्ड का छेद उस पैंटी से ढका हुआ था……
 
डॉली ये सोच कर शरम से मरी जा रही थी……कि उसकी गान्ड रवि के आँखों के सामने है….डॉली की साँसें ये सोचते ही और तेज हो गयी….

डॉली: (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे) प्लीज़ रवि मान जाओ छोड़ दो मुझे ओह्ह्ह्ह पीछे हट जाओ….मे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ……चले जाओ यहाँ से……..

पर रवि के मन मे तो कुछ और ही था, आज उसने सोच लिया था, कि वो किसी भी कीमत पर पीछे नही हटेगा….उसने गॅलरी मे चारो तरफ देखा…वहाँ पर दीवार के साथ एक टेबल लगा हुआ था…जिस पर एक फ्लवर पॉट रखा हुआ था…वो टेबल उससे सिर्फ़ 4 फुट की दूरी पर था….

रवि ने डॉली को बाहों मे भर लिया….और डॉली की नेक को पीछे से किस करते हुए, उस टेबल के पास ले गया….उसने अपने एक हाथ से फ्लवर पॉट को नीचे रखा……और डॉली को अपनी तरफ घुमा लिया…..डॉली के गाल उतेजना के कारण एक दम लाल सुर्ख हो रखे थे….उसकी मदहोशी से भरी आँखे बहुत ही मुस्किल से खुल पा रही थी….रवि ने डॉली के होंठो की ओर देखते हुए, डॉली को अपनी बाहों मे भर लिया…उसकी नाइटी अभी भी उसकी कमर मे अटकी हुई थी……

रवि के हाथ डॉली के मुलायम चुतड़ों पर आ गये…..और उसने डॉली के चुतड़ों को धीरे-2 मसलते हुए, अपने होंठो को डॉली के होंठो की तरफ बढ़ाना चालू कर दिया. डॉली एक दम से मचल उठी…उसकी चूत से उसका काम रस निकल कर उसकी पैंटी को गीला कर रहा था…..जिसे वो अच्छी से महसूस कर पा रही थी…..

कुछ ही पलों मे रवि ने फिर से अपने होंठो को डॉली के गुलाबी रसीले होंठो पर रख दिया….इस बार डॉली ने बिना विरोध किए, अपने होंठो को खोल लिया, और रवि धीरे-2 डॉली के होंठो को चूसने लगा…..और साथ साथ मे वो डॉली के चुतड़ों की दरार मे अपनी एक उंगली को ऊपेर नीचे करके रगड़ने लगा….डॉली के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……उसने रवि के कंधों को कस के पकड़ लिया…….यहाँ तक डॉली के हाथों के नाख़ून भी रवि के कंधों मे धँस गये……

रवि अपने कंधों मे डॉली के नाख़ून के चुबन को महसूस करके और गरम हो रहा था….ये डॉली की मस्ती मे आने के संकेत थे….तभी अचानक रवि ने डॉली के चुतड़ों को अपने पंजों मे दबोच कर उसे ऊपेर उठा कर टेबल पर बैठा दिया….टेबल 4 फीट लंबा और सिर्फ़ 2 फीट चौड़ा था…. डॉली का दिल अंजाने डर के कारण जोरों से धड़क रहा था….उसके दिमाग़ मे बस यही चल रहा था, कि अब रवि क्या करने वाला है…

फिर रवि ने डॉली की दोनो टाँगों को पकड़ कर डॉली के पैरो को टेबल के ऊपेर रख दिया….जिससे डॉली की पिंडलियाँ, उसकी जाँघो से चिपक गयी….और डॉली पीछे की तरफ लूड़क गयी…पर पीछे दीवार थी…जिसके कारण उसकी पीठ दीवार से सॅट गयी… अब डॉली अपनी आँखे बंद किए हुए, तेज़ी से साँसें लेती हुई, टेबल पर बैठी थी…

नीचे उसकी वीशेप ब्लॅक कलर की पैंटी देख कर रवि का लंड उसके शॉर्ट्स मे झटके खाने लगा…उसकी पैंटी पर गीले पन के निशान देख कर रवि के होंठो पर मुस्कान आ गयी…..डॉली शरम के मारे मरी जा रही थी, उसने अपनी टाँगों को आपस मे सटा लिया… पर अगले ही पल रवि के होंठो पर मुस्कान आ गयी, और उसने डॉली की जाँघो को पकड़ कर खोल दिया…..

डॉली ने अपनी आँखों को एक बार खोला , और रवि की ओर देखते हुए फिर से अपनी आँखों को बंद कर लिया…..

डॉली: ये क्या कर रहे हो रवि……..ऐसे मत देखो…….प्लीज़ मुझ जाने दो…..

रवि के होंठो पर सिर्फ़ मुस्कान ही आई, पर उसने डॉली की बात का कोई जवाब नही दिया. फिर रवि ने अपने घुटनो को थोड़ा से मोड़ लिया, और डॉली की चूत के सामने आ गया.. डॉली आने वाले पलों के बारे मे सोच कर घबरा रही थी…….वो ना चाहते हुए भी रवि को रोक नही पा रही थी…..

फिर रवि ने डॉली की वीशेप पैंटी के आगे हुए गीले पन को देखते हुए, उसकी तरफ अपने होंठो को बढ़ाना चालू कर दिया…..डॉली रवि की गरम साँसों को अपनी जाँघो की जडो और चूत के आस पास महसूस करके एक दम से मचल उठी, उसने अपनी गुलाब की फंख़्ुड़ियों जैसे होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया. उसकी चुचियाँ उसके तेज सांस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी….

रवि ने तिरछी नज़रों से डॉली के फेस की ओर देखा….उस हसीना का चेहरा बिकुल लाल सुर्ख हो कर दहक रहा था….रवि के होंठो की मुस्कान हर पल बढ़ती जा रही थी. उसने डॉली की ओर देखते हुए, अपने होंठो को डॉली की चूत पर पैंटी के ऊपेर से रख दिया. जैसे ही रवि के होन्ट डॉली की पैंटी के ऊपेर से उसकी चूत पर लगे…डॉली एक दम सिसिया उठी, और उसने अपने दोनो हाथों से टेबल को कस के पकड़ लिया….

डॉली: ओह अहह उंगग्गग रवि क्या कर रहे हूऊओ. बस बससस्स करो ओह्ह्ह्ह क्यों तडपा रहे हो . छोड़ दो मुझे आह सीईईईईईई सीईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.

पर रवि को तो उसकी मन माँगी मुराद मिल गयी थी….वो डॉली की चूत की फांकों को पैंटी के ऊपेर से अपने होंठो मे भर कर ज़ोर-2 से चूसने लगा…डॉली की चूत से निकले हुए काम रस, जो कि उसकी पैंटी पर लगा हुआ था. रवि के मुँह मे उसका स्वाद घुल गया…जिससे रवि की आँखों मे अजीब सा नशा छा गया…..जैसे उसने कोई नशीली चीज़ चख ली हो….डॉली का पूरा बदन उतेजना के मारें कांप रहा था…

डॉली के बदन मे मस्ती की लहर चढ़ने लगी….वो अब काफ़ी गरम हो चुकी थी. फिर रवि ने अचानक से डॉली की वीशेप पैंटी को आगे से अपने हाथ से हटा दिया… सामने डॉली की गोरी फूली हुई चूत के होन्ट उसके काम रस से लबलबा रहे त…उसकी चूत का छेद उतेज्ना के कारण सिकुड और फैल रहा था…रवि को अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था……कि डॉली की गोरी चूत और उसकी चूत का गुलाबी रस से भरा छेद उसकी आँखों के सामने है…

रवि की आँखों की चमक और बढ़ गयी थी….रवि अपने आप को रोक ना सका, और उसने अपने होंठो को डॉली की चूत की फांकों पर लगा दिया….डॉली ज़ोर ज़ोर से सिसियाने लगी.. वो अपने दोनो हाथों से अपने बालों को पकड़ कर नोचने लगी…उसकी सिसकारियाँ पूरे घर मे गूंजने लगी…………

डॉली: अहह रवि ये क्या ओह उंह सीयी सीईईईईईईईईईई अहह उन्घ्ह्ह्ह उंघह बस करो ओह्ह्ह अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईई रवीीईईईईईई

डॉली अब लगभग चीखते हुए सिसकारियाँ भर रही थी…..उसकी आवाज़ मे मदहोशी और वासना घुली हुई थी….उसका पूरा बदन झटके खा रहा था….धीरे धीरे उसके दोनो हाथ रवि के सर पर आ गये….और वो रवि के सर को पीछे की ओर धकेलने लगी….रवि ने डॉली की चूत को चाटते हुए, अपनी शॉर्ट्स को घुटनो तक सरका दिया…..और फिर एक दम से खड़ा हो गया…

रवि के लंड के नसें एक दम फूली हुई थी…..और उसका लंड अकड़ कर झटके खा रहा था…रवि ने अपने लंड के सुपाडे को एक दम से डॉली की चूत के छेद पर लगा दिया.. जैसे ही रवि के लंड का गरम सुपाडा डॉली की चूत के छेद पर लगा….डॉली के बदन मे करेंट सा दौड़ गया…..

अचानक उसे अपनी हालत का अहसास हुआ….वो एक दम से घबरा गयी….उसने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को बड़ी मुस्किल से खोला, और रवि की ओर देखते हुए, काँपती आवाज़ मे बोली…..

डॉली: रवि प्लीज़ तुम्हे मेरी कसम है……बस करो…अब और नही…..

रवि ने डॉली की बात सुनते ही, अपने लंड के सुपाडे को डॉली की चूत के छेद से हटा लिया….और डॉली की ओर देखते हुए, मुस्कुराते हुए बोला.

रवि: चलो जैसे आप कहें. पर आप को भी मेरी एक बात माननी होगी…..

डॉली: (काँपती हुई आवाज़ मे. अब डॉली के पास रवि की बात को मानने के अलावा और कोई चारा भी नही था) हां बोलो….मे तुम्हारी हर बात मानूँगी….

रवि: (डॉली को अपनी बाहों मे भर कर टेबल से नीचे उतारते हुए) दीदी मे तुम्हे जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ…..जब तक तुम नही कहोगी…मे तुम्हारी चूत मे अपना लंड नही घुसाउन्गा….बोलो मुझ प्यार करने से तो नही रोकोगी…

डॉली के पास अब कोई चारा नही था….वो रवि के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर एक दम से शरमा गयी….उसने अपने सर को झुका लिया….और हां मे सर हिला दिया…..

ये देखते ही रवि के होंठो पर जीत की ख़ुसी की मुस्कान फैल गयी…उसने डॉली को अपनी बाहों मे भर लिया, और उसके होंठो पर अपने होन्ट रख दिए…डॉली को अपनी चूत के रस से भीगे हुए, रवि के होन्ट बड़े अजीब से लग रहे थे…..पर ना चाहते हुए भी उसे रवि का साथ देना पड़ रहा था….रवि जी भर कर डॉली के दोनो होंठो को बारी-2 चूस रहा था…और डॉली रवि की बाहों मे कस्मसाये जा रही थी….

रवि डॉली का हाथ पकड़ कर उसे स्टोर रूम मे ले गया…..और डॉली को बेड पर धक्का दे दिया…..डॉली बेड पर गिर पड़ी….उसकी टाँगें बेड के नीचे लटक रही थी. डॉली रवि को हैरत से भरी नज़रों से देख रही थी…जो लड़का कल तक उसकी गुलामी करता था. आज उसके साथ कैसे पेश आ रहा है…..

रवि ने डॉली की टाँगों को उठा कर घुटनो से मोड़ दिया….जिससे डॉली की नाइटी सरक कर उसकी कमर मे आ गयी….और फिर उसने डॉली की ब्लॅक कलर की वीशेप पैंटी को दोनो साइड से पकड़ कर एक झटके से खैंच दिया….कुछ ही पलों मे डॉली की पैंटी उसकी टाँगों से निकल कर फर्श पर पड़ी थी….डॉली ने अपनी आँखों को बंद कर लिया…रवि की आँखों के सामने डॉली की चूत का छेद फडफडा रहा था….जो उसके काम रस से भीग कर चमक रहा था….

रवि पैरो के बल नीचे बैठ गया….और अपने हाथों से डॉली की चूत की फांकों को फैला कर उसकी चूत की एक फाँक को अपने मुँह मे भर लिया…डॉली एक दम से मचल उठी….उसका पूरा बदन झटके खाने लगा….

डॉली: अहह उन्घ्ह्ह्ह उंघह सीईईईईईई ओह बसस्स बसस्सस्स करो ओह उईमा उफ़फ्फ़ उफफफफफ्फ़ अहह…..

डॉली की मस्ती और वासना से भरी सिसकारियाँ रवि के जोश को और बढ़ा रही थी… रवि ने अपने होंठो मे डॉली की चूत की एक फाँक को पूरा भरा हुआ था…रवि अपने होंठो का दबाव उसकी फाँक पे डालता हुआ, धीरे -2 फाँक को खैंचने लगा….डॉली की चूत के होन्ट रवि के होंठो से रगड़ खाते हुए, धीरे -2 बाहर आ रहे थे…जिसके कारण डॉली वासना के सागर मे डूबी जा रही थी…..उसकी सिसकाराया अब चीखो मे बदल गयी थी….और वो अहह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई नही रवीिइ ओह बस करूऊ अहह ऐसे मस्ती से भरी हुई सिसकारियाँ निकाल रही थी..

जैसे ही डॉली की चूत की फाँक खैंचते हुए, रवि के होंठो से बाहर आई…डॉली एक दम से सिहर गयी……उसने अपने खुले हुए बालों को कस के पकड़ लिया….और तेज़ी से अपना सर इधर उधर हिलाने लगी….

डॉली: बस बस करो रवि…….बस करो……
 
डॉली ठीक से साँस भी नही ले पा रही थी….रवि पर डॉली की किसी भी बात का कोई असर नही हो रहा था…..फिर रवि ने डॉली की चूत की दूसरी फाँक को अपने मुँह मे भर लिया…..और फिर से उसे अपने होंठो को बीच मे दबाते हुए, धीरे-2 खैंचने लगा…जैसे -2 डॉली की चूत की फाँकें रवि के होंठो से रगड़ खाती हुई उसके होंठो से बाहर आ रही थी…वैसे -2 डॉली के बदन मे मस्ती की लहर बढ़ती जा रही थी…

अब डॉली एक दम से मस्त हो चुकी थी…….रवि ने इस बार डॉली की चूत की दोनो फांकों को अपने मुँह मे भर लिया…और ज़ोर ज़ोर से चूस्ते हुए, होंठो मे दबा -2 कर खैंचने लगा….डॉली की सिसकारियों मे वासना का असर बढ़ता जा रहा था….जो रवि के लिए आग मे घी का काम कर रहा था….डॉली का पूरा का पूरा बदन कांप रहा था….रवि के हाथ डॉली के पेट मे हो रही थरथराहट को सॉफ महसूस कर पा रहे थे….

अचानक से डॉली का बदन अकड़ने लगा….डॉली की चूत मे से कामरस की नदी अपना बाँध तोड़ने को तैयार थी…उसकी कमर ऐसे झटके खाने लगी…जैसे वो खुद अपनी चूत को रवि के मुँह पर रगड़ रही हो……फिर अचानक से डॉली की चूत से काम रस का सैलाब उमड़ पड़ा….और गरम पानी की नदी उसकी चूत से निकल कर उसकी गान्ड के छेद की ओर बढ़ने लगी…. रवि ने झट से डॉली की चूत से अपना मुँह हटा लिया… और पास गिरी हुई पैंटी से डॉली की चूत को सॉफ करने लगा…..

डॉली ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर रवि की ओर देखा….रवि अपनी चमकती आँखों से उसकी चूत को देख रहा था….डॉली एक दम से शरम्शार हो गयी. उसने फिर से अपनी आँखों को बंद कर लिया…..

डॉली: (काँपती हुई आवाज़ मे) अब तो बस करो रवीिइ….देखो मेने तुम्हारी बात मान ली है….अब मुझ जाने दो……….

रवि: (डॉली की बात सुन कर मुस्कुराते हुए) नही दीदी मैने कहा था, कि मे जी भर कर आपको प्यार करना चाहता हूँ, अभी मेरा मन नही भरा है…….

डॉली अभी ठीक से अपनी साँसों को दुरस्त भी नही कर पे थी, की रवि ने अपनी बात पूरी होते ही….फिर से डॉली की चूत की फांकों को फैला दिया….पर इस बार उसने अपनी जीभ निकाल कर सीधा डॉली की चूत के दहकते और लबलबा रहे छेद पर लगा दिया….डॉली की कमर ने ऐसे झटका खाया, जैसे उसको किसी ने करेंट लगा दिया हो…

डॉली: ( अपनी चूत के छेद पर रवि की गरम जीभ को महसूस करके एक दम से तड़प उठी) ओह अहह अहह उफफफफ्फ़ रवीिइ रुकूऊव ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह सीईईई आह अहह अहह ओह……..

डॉली ऐसे मचल रही थी….जैसे कोई मछली पानी के बिना तड़पति है…..जिसे देख रवि का जोश दोगुना हो गया….और वो और ज़ोर ज़ोर से डॉली की चूत के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा……रवि 5 मिनट तक कभी अपनी जीभ से डॉली की चूत के छेद को चाटता, तो कभी उसकी चूत की फांकों को अपने होंठो मे भर कर चूस्ता………. डॉली फिर से झड़ने के बेहद करीब थी……..और उसका बदन फिर से अकड़ने लगा था…इसबार वो खुद इतनी मस्त हो गयी थी, कि वो अपने आप पर काबू ना रख सकी….और रवि के मुँह पर चूत को दबाने लगी…..और अगले ही पल उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया….

डॉली के तन बदन मे आग लगी हुई थी….अब उसके सबर का बाँध भी टूटने वाला था….पर रवि रुकने के मूड मे बिल्कुल भी नही था….उसने फिर से डॉली के नीचे पड़ी पैंटी को उठा कर, उसकी चूत को सॉफ किया…..और फिर से अपने होंठो को डॉली की चूत के छेद पर लगा दिया…..

अभी अभी झड़ी डॉली जो दो बार झाड़ चुकी थी…उसकी बर्दास्त की हद हो चुकी थी… वो फिर से सिसकारियाँ भरने लगी…और अपने हाथों से रवि के सर को पकड़ कर पीछे की ओर धकेलने लगी….

डॉली: (सिसियाते हुए) ओह्ह्ह बस करो रवि बस करो……

रात के 1 बज रहे थे….घर मे सन्नाटा छाया हुआ था….बस स्टोर रूम से डॉली की मादक और मस्ती से भरी हुई सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी…आख़िर कार डॉली के बहुत कहने पर रवि ने अपना मुँह उसकी चूत से हटा लिया….. और डॉली के ऊपेर लेट गया…और अपने होंठो को डॉली के होंठो की तरफ बढ़ाने लगा….

डॉली ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर रवि की और देखा….जो उसकी काम रस से भीगे हुए, अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा रहा था….डॉली ने अपना फेस दूसरी तरफ घुमा लिया….

रवि: (डॉली की ओर देख कर मुस्कुराते हुए) देखो अब आप मुझे रोक नही सकती…आप ने मुझसे वादा किया है….

ये कह कर रवि ने डॉली के फेस को अपने हाथों मे भर कर उसके होंठो पर अपने होन्ट रख दिए….अपने ही कामरस का स्वाद डॉली को बहुत अजीब सा लग रहा था….पर थोड़ी देर बाद डॉली ने हथियार डालते हुए, अपने होंठो को खोल दिया…और रवि फिर से डॉली के गुलाबी रसीले होंठो का रस पान करने लगा…..

डॉली के होंठो को धीरे-2 चूस्ते हुए, रवि डॉली की नाइटी जो कि उसकी कमर तक चढ़ि हुई थी…उसे और ऊपेर उठाने लगा….नीचे रवि का लंड डॉली की चूत के पास उसकी जाँघो की जडो मे रगड़ खा रहा था…और डॉली अपनी चूत के पास रवि के गरम सुपाडे की रगड़ महसूस करते हुए, फिर से मस्त होने लगी….

धीरे-2 रवि ने डॉली की नाइटी को उसकी चुचियों तक ऊपेर उठा दिया….जैसे डॉली की चुचियाँ नाइटी की क़ैद से बाहर आई….रवि का दिल जोरों से धड़कने लगा…वाह क्या मस्त चुचियाँ है. एक दम ठोस और तनी हुई….रवि तो जैसे डॉली की चुचियों को देख कर पागल ही हो गया….उसने दोनो चुचियों को अपने हाथों मे भर लिया… और धीरे -2 मसलने लगा….डॉली की बड़ी-2 गुदाज चुचियाँ उसके हाथों मे समा नही पा रही थी…फिर उसने दोनो चुचियों को मसलते हुए, लेफ्ट चुचि को अपने मुँह मे भर लिया.

डॉली एक दम से मदहोश हो गयी….उसके बदन मे सिहरन दौड़ गयी…और उसने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया….रवि अब पूरे जोश मे आ चुका था…उसने नीचे से अपने दोनो हाथों को डॉली की टाँगों मे डाल कर डॉली को बेड के ऊपेर सही से लेटा दिया….और खुद उसकी टाँगों के बीच अपनी टाँगों अडजेस्ट करके, डॉली के ऊपेर लेट गया…..

जिससे रवि के लंड का सुपाडा डॉली की चूत की फांकों पर रगड़ खा गया….डॉली एक दम से रवि के लंड को अपनी चूत की फांकों पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस करके घबरा गयी….और उसने रवि के कंधों पर हाथ रख कर उसे पीछे किया….डॉली का निपल पक की आवाज़ से रवि के मुँह से बाहर आ गया…..

रवि: (हैरान होकर डॉली की ओर देखते हुए) क्या हुआ….

डॉली: नही रवि ये ठीक नही है….

रवि: अब मे सिर्फ़ तुम्हे प्यार ही तो कर रहा हूँ…..

डॉली: पहले उसे वहाँ से हटाओ…..
 
डॉली का इशारा रवि के लंड की तरफ था….जो उसकी चूत की फांकों पर सटा हुआ था… ये सुनते ही रवि के होंठो पर मुस्कान आ गयी….रवि डॉली की बात को मानते हुए, थोड़ा नीचे खिसक गया…अब रवि का लंड डॉली की दोनो जाँघो के बीच मे तन कर झटके खा रहा था….रवि ने फिर से डॉली की चुचि को मुँह मे भर लिया…और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा…..डॉली जिसका अभी कुछ दिन पहले दूध आना बंद हुआ था, उसे आज अपनी चुचियों की नसों मे फिर से दूध भरता हुआ महसूस हो रहा था…..

डॉली ने फिर से अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया….और वो रवि के सर को अपनी चुचियों पर दबाने लगी….रवि ज़ोर-2 से डॉली की दोनो चुचियों को बारी-2 चूस रहा था…..और डॉली मस्ती मे उंह सीईइ अहह ओह कर रही थी….उसकी चूत का छेद फिर से फडफडाने लगा था…..डॉली अब पूरी तरहा मस्त हो चुकी थी… डॉली की नाइटी जो उसकी चुचियों के ऊपेर तक चढ़ि हुई थी, रवि को अपने दोनो के बीच मे एक दीवार सी लग रही थी…..

रवि ने डॉली की चुचियों को चूस्ते हुए, डॉली की नाइटी को दोनो हाथों से पकड़ कर और ऊपेर करना शुरू कर दिया….रवि ये देख कर हैरान रह गया कि, डॉली ने नाइटी को उतरवाने के लिए अपने दोनो हाथों को ऊपेर कर लिया…और अपने सर को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया…जिससे रवि ने डॉली की नाइटी को आसानी से निकाल कर फैंक दिया….

अब दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे…..और रवि डॉली की राइट चुचि को मुँह मे भर कर ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था….अचानक डॉली के निपल से दूध का बहाव शुरू हो गया….जिसे डॉली महसूस करके और उत्तेजित हो गयी…और उसने अपने हाथों से रवि के सर को अपनी चुचियों पर दबाना चालू कर दिया…..डॉली की सिसकारियाँ पूरे घर मे गूंजने लगी…

डॉली के हाथों की उंगलियाँ तेज़ी से रवि के बालों मे घूम रही थी….और रवि डॉली की लेफ्ट चुचि को अपनी हथेली मे भर कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा….और दूध की धार लेफ्ट वाले निपल्स से निकल कर रवि के फेस पर पड़ने लगी… और डॉली की चुचियों से निकला हुआ दूध डॉली की चुचियों के नीचे कमर पर जाने लगा…

डॉली: (मस्ती से भरी आवाज़ मे) अहह बस करो रवीिइ मे बहकक जाउन्गी…उम्ह्ह्ह सीईईईईईईई बस कार्ररर……

डॉली अपनी चुचियों के निपल्स से बाहर निकल रही दूध की धार देख कर और उतेज़ित हो गयी….और उसने रवि की पीठ पर अपने हाथों को तेज़ी से घुमाना चालू कर दिया,….ये देखते हुए, रवि भी डॉली की चूत मे अपना लंड पेलने के लिए सही पोज़ीशन मे आने लगा….और उसने बिना अपने हाथ की मदद से अपने लंड के सुपाडे को डॉली की कुलबुला रही चूत के छेद पर लगा दिया…जैसे ही रवि के लंड का गरम और मोटा सुपाडा डॉली की चूत के छेद पर लगा….डॉली के मुँह से आहह निकल गयी….

इस बार रवि ने अपने लंड को डॉली के छेद के अंदर नही घुसाया….बस ऐसे ही अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत के छेद पर टिका कर, डॉली की चुचियों को चूस्ता रहा…आख़िर कार डॉली का सबर भी जवाब दे गया….और उसकी कमर धीरे-2 खुद ही ऊपेर की ओर होने लगी…जिससे डॉली की चूत का दबाव रवि के लंड के सुपाडे पर बढ़ने लगा….

पर रवि ने फिर से अपनी कमर को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया…..रवि के लंड के सुपाडे का थोड़ा सा जो हिस्सा डॉली के भीगे हुए चूत के छेद मे गया था, वो फिर से बाहर आ गया….डॉली ने अपनी वासना से भरी हुई आँखों को खोल कर रवि की ओर देखा…जैसे पूछ रही हो……अब क्यों मुझ चोद नही देते……डॉली ने अपनी मस्ती से भरी नशीली आँखों से रवि को सवाल किया…. और रवि ने मुस्करा कर अपने होंठो पर जीभ फेरना शुरू कर दिया….डॉली ने फिर से अपनी आँखे बंद कर ली….और अपनी कमर को ऊपेर की ओर करते हुए, फिर से अपनी चूत को रवि के लंड के सुपाडे पर दबाने लगी..

डॉली ने अपनी जाँघो को पूरी तरहा फैला रखा था…..जिससे उसकी चूत की फैंखे फैली हुई थी….और चूत का गुलाबी छेद खुल कर रवि के लंड को अपने अंदर समा लेने के लिए बेताब था….जैसे ही डॉली की चूत का छेद फिर से रवि के लंड के सुपाडे पर दबा तो….डॉली एक दम से मचल उठी….उसने रवि को अपनी बाहों मे ज़ोर से कस लिया…

रवि ने भी देर करना ठीक नही समझा….और डॉली की जाँघो के नीचे से अपनी बाहों को निकालते हुए, उसकी टाँगों को ऊपेर उठा दिया….और अपनी कमर को पूरी तेज़ी से नीचे के तरफ धकेला…..

डॉली: अहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

और रवि के लंड का सुपाडा डॉली की चूत के छेद और दीवारों को फैलाता हुआ, आधा अंदर घुस्स गया…..डॉली अपनी चूत की दीवारों पर रवि के लंड के मोटे सुपाडे की रगड़ कर महसूस करके एक दम गरम हो गयी….उसकी चूत की दीवारें रवि के लंड को अपने अंदर भीच रही थी….जैसे वो रवि के लंड को कभी छोड़ना ही ना चाहती हो….

डॉली ने रवि की टी-शर्ट को गले से पकड़ लिया….और रवि को अपने होंठो पर झुकाने लगी….उसके होंठ गोल आकार ले चुके थे…जैसे वो रवि को बता रही हो….मेरे होंठो को चूसो…और रवि ने भी डॉली के होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूसना चालू कर दिया,….इसबार डॉली ने रवि के होंठो को अपने होंठो मे लेकर खुद चूसना चालू कर दिया,….रवि डॉली को इस तरहा गरम होता देख हैरान था….


डॉली पागलों की तरहा रवि के होंठो को चूस रही थी….और रवि भी डॉली के होंठो को चूस्ते हुए, नीचे धीरे-2 अपने लंड को डॉली की चूत के अंदर बाहर कर रहा था.. अभी रवि का आधा लंड ही डॉली की चूत के अंदर बाहर हो रहा था…पर डॉली की मस्ती का आलम इस कदर बढ़ चुका था, कि रवि का लंड अभी से डॉली की चूत से निकल रहे पानी से भीग चुका था….

रवि पहली बार ऐसी गुदाज चूत को चोद कर एक दम मस्त हो गया था….उसके लंड की नसें फटने को थी….और उसने एक ज़ोर दार धक्का मार कर अपने बाकी लंड को डॉली की चूत की गहराइयों मे उतार दिया….

डॉली: (रवि के होंठो से अपने होंठ अलग करती हुई) अहह माआ धीरीईए धीरीए करो ओह्ह्ह्ह ओह रवीीईईई बसस्स्सस्स उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईई उन्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह

रवि अब अपने लंड को पूरी रफ़्तार डॉली की चूत के छेद के अंदर बाहर करने लगा…और डॉली की चूत की दीवारों पर रगड़ ख़ाता हुआ रवि के लंड का सुपाडा डॉली को मदहोशी के सागर मे डुबोये जा रहा था…डॉली की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी…दोनो पहले से ही काफ़ी गरम थे….इसीलिए डॉली का बदन फिर से अकड़ने लगा….और वो पूरी तरहा मस्त हो कर अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछाल कर अपनी चूत को रवि के लंड पर पटकने लगी,….’

डॉली: अहह रवीिइ बससस्स और जोर्र्र्रर सीईई आह हाां औसे हाइयीयियी..

रवि डॉली की वासना से भरी मस्त सिसकारियो को सुन कर और जोश मे आ गया…और अपनी कमर को पूरी तेज़ी से हिलाते हुए, अपने लंड को डॉली की चूत के अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा….कुछ ही पलों मे डॉली का बदन फिर से अकड़ गया….और उसकी चूत से गरम पानी की नदी बह निकली…….रवि भी ज़्यादा देर ना टिक पाया…और डॉली की चूत मे झड़ने लगा….दोनो कुछ देर बाद शांत हुए, और रवि अपने सर को डॉली की चुचियों के बीच मे रख कर लेट गया…..


थोड़ी देर बाद जब डॉली का झड़ना शांत हुआ, तो उसे साहिल की चिंता होने लगी… साहिल दूसरे रूम मे अकेला सो रहा था…डॉली ने रवि को अपने ऊपेर से हटाया…और खड़ी होकर अपनी नाइटी पहन कर बाहर चली गयी….रवि बस उसे जाते हुए देख रहा था…डॉली की पैंटी अभी भी स्टोर रूम के फर्श पर पड़ी थी….

रवि का मन अभी भरा नही था….रात के 2 बज रहे थे…वो उठ कर डॉली के पीछे ऐसे ही बाहर आ गया….डॉली अपने रूम के डोर के पास पहुँच कर खड़ी हो गयी… और अंदर साहिल को देखने लगी….साहिल अंदर सो रहा था….तभी रवि ने डॉली को पीछे से बाहों मे भर लिया…और डॉली के गालों को चूमने लगा…इस बार डॉली ने कुछ नही कहा…और रवि के हाथों को पकड़ कर हटा दिया…और रूम के अंदर आ गयी… उसने रूम का डोर बंद नही किया….रवि डॉली के पीछे-2 रूम मे आ गया.

डॉली बेड के दूसरी तरफ जाकर बेड पर बैठ गयी…रवि डोर के पास खड़ा डॉली की ओर देख रहा था….डॉली ने अपनी नज़रों को उठा कर रवि की ओर देखा….रवि का लंड जो अभी भी आधा तना हुआ था, उसकी दोनो टांगों के बीच मे झूल रहा था…डॉली की आँखे रवि के मोटे और लंबे लंड पर अटकी हुई थी…फिर डॉली एक दम से झेन्प गयी, और उसने अपने सर को झुका लिया….

रवि बेड के दूसरी तरफ डॉली की ओर चला गया….डॉली रवि की और देखे बिना बेड पर लेट गयी….साहिल दीवार की तरफ सो रहा था….रवि दोनो के बीच मे बेड पर आकर लेट गया…डॉली की पीठ रवि की तरफ थी…रवि ने पीछे से अपना एक हाथ डॉली की कमर मे डाल दिया….डॉली एक दम से कसमसा गयी….

डॉली: (कसमसाते हुए) अब बस करो रवि देखो कितना टाइम हो गया है….

रवि: (डॉली के कान मे फुसफुसाते हुए) कोई बात नही दीदी, मे तो आप को सारी रात चोद सकता हूँ…..मेरा दिल करता है, मैं सारी रात आपकी चूत मे अपना लंड डाल कर पेलता रहूं….और अपनी बाहों मे भर कर आपके होंठो को चूस्ता रहूं…

डॉली का फेस रवि को दिखाई नही दे रहा था, रवि की बातों को सुन कर डॉली के होंठो पर मुस्कान आ गयी…..उसने अपने चुतड़ों की दर्रार मे रवि का लंड चूबता हुआ महसूस हो रहा था….रवि ने अपने होंठो को पीछे डॉली की नेक पर रख कर किस करना चालू कर दिया…डॉली एक दम से सिसक उठी….

डॉली: अहह सीईइ रवीीईई साहिल जाग जाएगा….

रवि ने डॉली के बात पर कोई ध्यान नही दिया…उसका हाथ डॉली के पेट सो होता हुआ, उसकी चुचियों पर आ गया….और वो डॉली की राइट चुचि को अपनी हथेली मे भर कर ज़ोर-2 से दबाने लगा…डॉली एक दम से कसमसा उठी…..

डॉली: (फुसफुसाते हुए) अहह रवि धीरे दर्द कर रहा हाइ ओह धीरीई.

पर रवि डॉली की मादकता से भरी हुई आवाज़ और सिसकियाँ सुन कर और ज़ोर ज़ोर से डॉली की चुचि को दबाने लगा….नीचे रवि का लंड डॉली की नाइटी के ऊपेर से उसके चुतड़ों की दर्रार मे से होता हुआ, उसकी चूत के ऊपेर रगड़ खा रहा था..डॉली भी पूरी तरहा मस्त हो कर अपनी गान्ड को रवि के लंड के ऊपेर दबाने लगी….उसका फेस वासना के कारण एक दम लाल होकर दहकने लगा…..

फिर अचानक से रवि ने डॉली की नाइटी को उसकी कमर से पकड़ कर ऊपर उठा दिया… जैसे ही डॉली की नाइटी उसके चुतड़ों तक ऊपेर उठी….डॉली के गोरे-2 चुतड़ों को देख कर रवि का लंड लोहे की रोड की तरहा अकड़ गया…

उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसके चुतड़ों के नीचे से ले जाकर उसकी चूत के छेद पर लगाने की कोसिस करने लगा….डॉली पहले से ही वासना की आग मे जल रही थी….उसने अपनी ऊपेर वाली टाँग को थोड़ा सा खोल कर उठा लिया, और पीछे से अपनी गान्ड को बाहर की तरफ करते हुए, अपनी कमर को अंदर की तरफ कर लिया…
 
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