hotaks444
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इस काम में मैं अपना सीधा हाथ इस्तेमाल कर रहा था।
बाएं हाथ से मैंने उसकी पूरी तरह गीली, बहती-चूती योनि को रगड़ने सहलाने लगा जिससे वह फिर चार्ज होने लगी और जो कुछ पलों का अवरोध आया था, उससे उबरने लगी।
थोड़ी देर बाद जब लगा कि अब वह सह लेगी तो खाली वाला हाथ योनि से हटा कर मैंने उसमें तेल लिया और अपने लिंग को तेल से इस तरह सराबोर कर लिया कि दूल्हा चमकने लगा।
‘सुनो, मैं अब डालने जा रहा हूँ। कितना भी दर्द हो, यह सोचकर बर्दाश्त करना कि इस दर्द से कोई मर नहीं जाता और एकदम चिंहुक कर ऊपर नीचे न होना… चिकनाई बहुत है, फिसल कर नीचे के छेद में जा सकता है और गया तो झिल्ली तक पहुँचने से पहले रुक भी नहीं पाएगा।’ मैंने उसे चेतावनी देते हुए कहा।
‘अब तुम खुद अपनी क्लिटरिस को सहलाते हुए अपने को गर्म रखो, मेरा ध्यान अंदर डालने में है।’
उसने सर हिलाते हुए डालने का इशारा किया और खुद नीचे से अपना सीधा हाथ अपनी योनि तक ले आई और उसे सहलाने रगड़ने लगी।
मैंने उसके नितम्बों को सहलाते हुए सीधे हाथ से लिंग को पकड़ कर उसके छेद से टिकाया और अपनी उँगलियों से लिंग के अग्रभाग को उसके छेद पर दबाने लगा।
चुन्नटों भरा घेरा काफी सख्त था लेकिन चिकनाई इतनी ज्यादा थी कि चुन्नटों को खुलने में देर नहीं लगी।
और जैसे ही उसने पहली बाधा पार की, वह एकदम अंदर सरका और उसी पल में वह चिहुंक कर ‘अम्मी’ के उद्घोष के साथ चीखी।
अगला पल मेरे लिए अपेक्षित था इसलिए मैंने उसके कूल्हों के ऊपर, कमर पर अपनी उँगलियाँ धंसा दीं और उसके तड़प कर मेरे लिंग से बाहर निकल जाने की सम्भावना ख़त्म कर दी।
‘रिलैक्स- रिलैक्स… थोड़ा बर्दाश्त करो। अभी छेद अपने आप एडजस्ट कर लगा… तुम अपनी वेजाइना को सहलाओ।’
वह गूं गूं करती रही और मैंने अपने आधे घुसे, बल्कि यह कहा जाये तो ज्यादा सही होगा कि उसके कसे हुए छेद में आधे फंसे लिंग को और अंदर घुसाने की कोशिश की तो वह मचलने लगी।
‘मुझे लेट्रीन फील हो रही है… जाने दो।’ वह कांखते कराहते हुए ऐसे बोली कि लगा वाकयी में उसकी कैफियत ऐसी ही रही होगी।
मैंने अपना लिंग बाहर खींच लिया…’पक’ की आवाज़ के साथ खुला हुआ दरवाज़ा बंद हो गया और वह उठ कर कमरे से अटैच बाथरूम की तरफ भागी और दरवाज़े के पीछे गायब हो गई।
मैं बिस्तर पर गिर कर उसका इंतज़ार करने लगा।
पांच मिनट बाद वह वापस आई तो उसके चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव थे।
‘सॉरी…’ वह निदामत भरे लहजे में बोली और मेरे पास ही सर झुकाए बैठ गई।
‘इट्स ओके… पहली बार में हो जाता है… इसमें कोई बड़ी बात नहीं। यह तभी हो सकता है जब तुम मानसिक रूप से इसके लिए तैयार हो। अगर तुम ठीक नहीं महसूस कर रही तो कोई बात नहीं। हम ऐसे ही एन्जॉय करते हैं न।’ मैं उसके पास बैठ कर उसकी पीठ को सांत्वना भरे अंदाज़ में सहलाते हुए बोला।
वह थोड़ी देर अपनी घनेरी पलकें ऊपर उठा कर मेरी आँखों में देखती रही फिर निश्चयात्मक स्वर में बोली- नहीं, जो होगा आज होगा… यह मेरी ज़िन्दगी का वह वक़्त है, वह मौका है जो एक बार चला गया तो फिर कभी नहीं आएगा। मुझे पता नहीं था कि ऐसे वक़्त में कैसा महसूस होता है लेकिन अब पता है और मैं खुद को इसके लिए तैयार कर चुकी हूँ।
‘ऐज़ यू विश!’
‘पर नशा ख़त्म हो गया। फिर से बनाओ!’ वह बिस्तर की पुश्त से टिकती हुई बोली।
‘जैसी मैडम की मर्ज़ी।’ मैंने मुस्कराते हुए कहा और उठ कर ड्रिंक बनाने लगा… साथ ही दो सिगरेट भी सुलगा लीं।
हम फिर से शराबनोशी और स्मोकिंग करने लगे।
और इस बार जो रगड़घिस का दौर चला तो वह काफी वायलेंट तरीके से पेश आई। मैंने उसके बूब्स, योनि और चूतड़ों के साथ उसे वैसे ही रगड़ा कि फिर थोड़ी देर में ‘सी-सी’ करती पानी छोड़ने की कगार पर पहुँच गई।
इस बार छेद ढीला करने के लिये मैंने उसे डॉगी स्टाइल वाली पोजीशन में नहीं किया बल्कि चित लिटा कर बेड के किनारे खींच लाया और पांव घुटनों से मोड़ कर पीछे कर दिए। उसके दोनों छेद यूँ समझिए कि गद्दे की कगार पर आ गए थे।
खुद मैं नीचे उकड़ूं बैठ गया और उसकी योनि से ज़ुबानी छेड़छाड़ करने लगा।
उंगलियाँ फिर से तेल में डुबाईं और पहले बंद पड़े छेद को प्यार से सहलाया, फिर पहले एक उंगली और फिर कुछ देर में दोनों ही उंगलियाँ अंदर उतार दीं।
वह खुद अपने हाथों से अपने वक्ष को मसलने लगी थी और अपने निप्पलों को रगड़ने, खींचने लगी थी।
कुछ क्षणोपरांत जब वह तैयार हो गई तो खुद से उसने इशारा किया कि अब करो वर्ना ऐसे ही निकल जाएगा।
तब मैंने खड़े होकर उसके कूल्हों के नीचे कुशन रख कर छेदों को थोड़ा और ऊपर किया ताकि मुझे ज्यादा नीचे न होना पड़े और एक बार और अपने लिंग को तेल से सराबोर कर दिया।
इस बार जब शिश्नमुंड को छेद पर रख कर दबाया तो उसे अंदर सरकने में इतनी ताक़त न लगी।
जब वह अंदर गया तो मैंने उसका चेहरा देखा… उसने होंठ भींच लिए थे और खुद अपनी लार में उँगलियाँ गीली करके अपनी योनि पर ले आई थी और उसे रगड़ने सहलाने लगी थी।
धीरे धीरे करके इस बार मैंने अपने लिंग को उसके छेद में इतना धंसा दिया कि मेरा पेट उसके चूतड़ों से आ सटा।
‘पूरा अंदर हो गया?’ उसने कराहते हुए पूछा।
‘हाँ, अभी छेद खुद ही एडजस्ट कर लेगा। बस तुम खुद को गर्म किये रहो।’ मैंने आहिस्ता आहिस्ता लिंग को बाहर खींचते हुए कहा।
मैं जानता था कि भले वह चरम पर पहुँच चुकी हो लेकिन यह दर्द उसे वापस पीछे खींच लाएगा।
मैं उसका हाथ उसके वक्ष पर करके खुद अपने एक हाथ से उसके भगांकुर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़े बाहर निकाल लिया।
‘पक’ की आवाज़ तो फिर हुई लेकिन इस बार बेहद हल्की…
मैंने फिर से लिंग को वापस घुसाया… ज़ाहिर है कि उसे फिर खिंचाव का दर्द बर्दाश्त करना पड़ा।
पूरा लिंग अंदर सरकाने के बाद मैंने फिर उसे वापस खींच लिया।
बाएं हाथ से मैंने उसकी पूरी तरह गीली, बहती-चूती योनि को रगड़ने सहलाने लगा जिससे वह फिर चार्ज होने लगी और जो कुछ पलों का अवरोध आया था, उससे उबरने लगी।
थोड़ी देर बाद जब लगा कि अब वह सह लेगी तो खाली वाला हाथ योनि से हटा कर मैंने उसमें तेल लिया और अपने लिंग को तेल से इस तरह सराबोर कर लिया कि दूल्हा चमकने लगा।
‘सुनो, मैं अब डालने जा रहा हूँ। कितना भी दर्द हो, यह सोचकर बर्दाश्त करना कि इस दर्द से कोई मर नहीं जाता और एकदम चिंहुक कर ऊपर नीचे न होना… चिकनाई बहुत है, फिसल कर नीचे के छेद में जा सकता है और गया तो झिल्ली तक पहुँचने से पहले रुक भी नहीं पाएगा।’ मैंने उसे चेतावनी देते हुए कहा।
‘अब तुम खुद अपनी क्लिटरिस को सहलाते हुए अपने को गर्म रखो, मेरा ध्यान अंदर डालने में है।’
उसने सर हिलाते हुए डालने का इशारा किया और खुद नीचे से अपना सीधा हाथ अपनी योनि तक ले आई और उसे सहलाने रगड़ने लगी।
मैंने उसके नितम्बों को सहलाते हुए सीधे हाथ से लिंग को पकड़ कर उसके छेद से टिकाया और अपनी उँगलियों से लिंग के अग्रभाग को उसके छेद पर दबाने लगा।
चुन्नटों भरा घेरा काफी सख्त था लेकिन चिकनाई इतनी ज्यादा थी कि चुन्नटों को खुलने में देर नहीं लगी।
और जैसे ही उसने पहली बाधा पार की, वह एकदम अंदर सरका और उसी पल में वह चिहुंक कर ‘अम्मी’ के उद्घोष के साथ चीखी।
अगला पल मेरे लिए अपेक्षित था इसलिए मैंने उसके कूल्हों के ऊपर, कमर पर अपनी उँगलियाँ धंसा दीं और उसके तड़प कर मेरे लिंग से बाहर निकल जाने की सम्भावना ख़त्म कर दी।
‘रिलैक्स- रिलैक्स… थोड़ा बर्दाश्त करो। अभी छेद अपने आप एडजस्ट कर लगा… तुम अपनी वेजाइना को सहलाओ।’
वह गूं गूं करती रही और मैंने अपने आधे घुसे, बल्कि यह कहा जाये तो ज्यादा सही होगा कि उसके कसे हुए छेद में आधे फंसे लिंग को और अंदर घुसाने की कोशिश की तो वह मचलने लगी।
‘मुझे लेट्रीन फील हो रही है… जाने दो।’ वह कांखते कराहते हुए ऐसे बोली कि लगा वाकयी में उसकी कैफियत ऐसी ही रही होगी।
मैंने अपना लिंग बाहर खींच लिया…’पक’ की आवाज़ के साथ खुला हुआ दरवाज़ा बंद हो गया और वह उठ कर कमरे से अटैच बाथरूम की तरफ भागी और दरवाज़े के पीछे गायब हो गई।
मैं बिस्तर पर गिर कर उसका इंतज़ार करने लगा।
पांच मिनट बाद वह वापस आई तो उसके चेहरे पर शर्मिंदगी के भाव थे।
‘सॉरी…’ वह निदामत भरे लहजे में बोली और मेरे पास ही सर झुकाए बैठ गई।
‘इट्स ओके… पहली बार में हो जाता है… इसमें कोई बड़ी बात नहीं। यह तभी हो सकता है जब तुम मानसिक रूप से इसके लिए तैयार हो। अगर तुम ठीक नहीं महसूस कर रही तो कोई बात नहीं। हम ऐसे ही एन्जॉय करते हैं न।’ मैं उसके पास बैठ कर उसकी पीठ को सांत्वना भरे अंदाज़ में सहलाते हुए बोला।
वह थोड़ी देर अपनी घनेरी पलकें ऊपर उठा कर मेरी आँखों में देखती रही फिर निश्चयात्मक स्वर में बोली- नहीं, जो होगा आज होगा… यह मेरी ज़िन्दगी का वह वक़्त है, वह मौका है जो एक बार चला गया तो फिर कभी नहीं आएगा। मुझे पता नहीं था कि ऐसे वक़्त में कैसा महसूस होता है लेकिन अब पता है और मैं खुद को इसके लिए तैयार कर चुकी हूँ।
‘ऐज़ यू विश!’
‘पर नशा ख़त्म हो गया। फिर से बनाओ!’ वह बिस्तर की पुश्त से टिकती हुई बोली।
‘जैसी मैडम की मर्ज़ी।’ मैंने मुस्कराते हुए कहा और उठ कर ड्रिंक बनाने लगा… साथ ही दो सिगरेट भी सुलगा लीं।
हम फिर से शराबनोशी और स्मोकिंग करने लगे।
और इस बार जो रगड़घिस का दौर चला तो वह काफी वायलेंट तरीके से पेश आई। मैंने उसके बूब्स, योनि और चूतड़ों के साथ उसे वैसे ही रगड़ा कि फिर थोड़ी देर में ‘सी-सी’ करती पानी छोड़ने की कगार पर पहुँच गई।
इस बार छेद ढीला करने के लिये मैंने उसे डॉगी स्टाइल वाली पोजीशन में नहीं किया बल्कि चित लिटा कर बेड के किनारे खींच लाया और पांव घुटनों से मोड़ कर पीछे कर दिए। उसके दोनों छेद यूँ समझिए कि गद्दे की कगार पर आ गए थे।
खुद मैं नीचे उकड़ूं बैठ गया और उसकी योनि से ज़ुबानी छेड़छाड़ करने लगा।
उंगलियाँ फिर से तेल में डुबाईं और पहले बंद पड़े छेद को प्यार से सहलाया, फिर पहले एक उंगली और फिर कुछ देर में दोनों ही उंगलियाँ अंदर उतार दीं।
वह खुद अपने हाथों से अपने वक्ष को मसलने लगी थी और अपने निप्पलों को रगड़ने, खींचने लगी थी।
कुछ क्षणोपरांत जब वह तैयार हो गई तो खुद से उसने इशारा किया कि अब करो वर्ना ऐसे ही निकल जाएगा।
तब मैंने खड़े होकर उसके कूल्हों के नीचे कुशन रख कर छेदों को थोड़ा और ऊपर किया ताकि मुझे ज्यादा नीचे न होना पड़े और एक बार और अपने लिंग को तेल से सराबोर कर दिया।
इस बार जब शिश्नमुंड को छेद पर रख कर दबाया तो उसे अंदर सरकने में इतनी ताक़त न लगी।
जब वह अंदर गया तो मैंने उसका चेहरा देखा… उसने होंठ भींच लिए थे और खुद अपनी लार में उँगलियाँ गीली करके अपनी योनि पर ले आई थी और उसे रगड़ने सहलाने लगी थी।
धीरे धीरे करके इस बार मैंने अपने लिंग को उसके छेद में इतना धंसा दिया कि मेरा पेट उसके चूतड़ों से आ सटा।
‘पूरा अंदर हो गया?’ उसने कराहते हुए पूछा।
‘हाँ, अभी छेद खुद ही एडजस्ट कर लेगा। बस तुम खुद को गर्म किये रहो।’ मैंने आहिस्ता आहिस्ता लिंग को बाहर खींचते हुए कहा।
मैं जानता था कि भले वह चरम पर पहुँच चुकी हो लेकिन यह दर्द उसे वापस पीछे खींच लाएगा।
मैं उसका हाथ उसके वक्ष पर करके खुद अपने एक हाथ से उसके भगांकुर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से लिंग को पकड़े बाहर निकाल लिया।
‘पक’ की आवाज़ तो फिर हुई लेकिन इस बार बेहद हल्की…
मैंने फिर से लिंग को वापस घुसाया… ज़ाहिर है कि उसे फिर खिंचाव का दर्द बर्दाश्त करना पड़ा।
पूरा लिंग अंदर सरकाने के बाद मैंने फिर उसे वापस खींच लिया।