hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
"डालिंग क्या हुआ तुम्हें अपनी बेटी के साथ कुछ मजा मिला या नही" रेखा ने अंदर दाखिल होते ही अपने पति को टोकते हुए कहा।
"डालिंग मत पूछो मुझे कितना मजा आया मगर कंचन बेटी बुहत शर्मा रही है" मुकेश ने अपनी पत्नी के पास आते ही उसे अपनी गोद में बिठाते हुए कहा ।
"आआह्ह्ह क्यों जी जवान बेटी को गोद में बिठाकर सुकून नहीं मिला जो मुझे यहाँ बिठा दिया" रेखा ने अपने पति का लंड अपने चूतडों में लगते ही सिसकते हुए बोली।
"मजा तो बुहत आया मगर तुम जानती हो की यह तब तक मुझे ऐसे ही तँग करता रहेगा जब तक इसका पानी न निकल जाए" मुकेश ने अपने हाथ से अपनी पत्नी की चुचियों को पकडते हुए कहा ।
"च तो क्यों छोड़ा अपनी बेटी को अपने इस लंड को डाल देते अपनी बेटी की चूत में" रेखा ने जानबूझकर अपने पति को जोश दिलाते हुए कहा।
"डालिंग तुम यह क्या कह रही हो। मैं तो खुद यही चाहता हूँ मगर कंचन के साथ में कोई ज़बर्दस्ती नहीं करना चाहता" मुकेश ने रेखा की बात का जवाब देते हुए कहा।
"आप यहीं बैठो मैं अभी कंचन को बुलाकर लाती हुँ" रेखा ने मुकेश के हाथों को पकडकर वहां से उठते हुए कहा ।
"सुनो ऐसे ठीक नहीं है वह खुद ही कुछ दिनों में मान जाएगी" मुकेश ने अपनी पत्नी को रोकते हुए कहा।
"आप किसी बात की फिकर मत करो" रेखा ने जाते हुए अपने पति से कहा और अपने कमरे से निकलकर कंचन के कमरे में जाने लगी । कंचन अपने बेड पर लेटी हुयी अपने पिता के बारे में सोच रही थी की अचानक अपनी माँ को अपने कमरे में देखकर वह हैंरान होते हुए उठकर बैठ गयी ।
रेखा अंदर दाखिल होते ही अपनी बेटी के साथ बेड पर बैठ गयी।
माँ आप क्या बात है" कंचन ने अचानक अपनी माँ को देखकर हैंरान होते हुए कहा।
"क्यों बेटी क्या मैं तुझसे बात करने के लिए यहाँ नहीं आ सकती" रेखा ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ माँ आप क्यों नहीं आ सकती" कंचन ने अपनी माँ के टोकने से शरमाते हुए कहा।
"अरे मेरी बेटी तुम्हारी यही अदा तो तुम्हें बहुत ज़्यादा सूंदर करती है की तुम जल्दी शरमा जाती हो" रेखा ने अपने हाथों से कंचन के सर को पकड़कर ऊपर करते हुए कहा ।
"डालिंग मत पूछो मुझे कितना मजा आया मगर कंचन बेटी बुहत शर्मा रही है" मुकेश ने अपनी पत्नी के पास आते ही उसे अपनी गोद में बिठाते हुए कहा ।
"आआह्ह्ह क्यों जी जवान बेटी को गोद में बिठाकर सुकून नहीं मिला जो मुझे यहाँ बिठा दिया" रेखा ने अपने पति का लंड अपने चूतडों में लगते ही सिसकते हुए बोली।
"मजा तो बुहत आया मगर तुम जानती हो की यह तब तक मुझे ऐसे ही तँग करता रहेगा जब तक इसका पानी न निकल जाए" मुकेश ने अपने हाथ से अपनी पत्नी की चुचियों को पकडते हुए कहा ।
"च तो क्यों छोड़ा अपनी बेटी को अपने इस लंड को डाल देते अपनी बेटी की चूत में" रेखा ने जानबूझकर अपने पति को जोश दिलाते हुए कहा।
"डालिंग तुम यह क्या कह रही हो। मैं तो खुद यही चाहता हूँ मगर कंचन के साथ में कोई ज़बर्दस्ती नहीं करना चाहता" मुकेश ने रेखा की बात का जवाब देते हुए कहा।
"आप यहीं बैठो मैं अभी कंचन को बुलाकर लाती हुँ" रेखा ने मुकेश के हाथों को पकडकर वहां से उठते हुए कहा ।
"सुनो ऐसे ठीक नहीं है वह खुद ही कुछ दिनों में मान जाएगी" मुकेश ने अपनी पत्नी को रोकते हुए कहा।
"आप किसी बात की फिकर मत करो" रेखा ने जाते हुए अपने पति से कहा और अपने कमरे से निकलकर कंचन के कमरे में जाने लगी । कंचन अपने बेड पर लेटी हुयी अपने पिता के बारे में सोच रही थी की अचानक अपनी माँ को अपने कमरे में देखकर वह हैंरान होते हुए उठकर बैठ गयी ।
रेखा अंदर दाखिल होते ही अपनी बेटी के साथ बेड पर बैठ गयी।
माँ आप क्या बात है" कंचन ने अचानक अपनी माँ को देखकर हैंरान होते हुए कहा।
"क्यों बेटी क्या मैं तुझसे बात करने के लिए यहाँ नहीं आ सकती" रेखा ने अपनी बेटी की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ माँ आप क्यों नहीं आ सकती" कंचन ने अपनी माँ के टोकने से शरमाते हुए कहा।
"अरे मेरी बेटी तुम्हारी यही अदा तो तुम्हें बहुत ज़्यादा सूंदर करती है की तुम जल्दी शरमा जाती हो" रेखा ने अपने हाथों से कंचन के सर को पकड़कर ऊपर करते हुए कहा ।