hotaks444
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कंचन ने उल्टा होकर अपनी दोनों टांगों को फ़ैला दिया और अपनी चूत को अपने पिता के होंठो के क़रीब रखते हुए सीधे लेट गई।
"आह्ह्ह्ह बेटी इतनी अच्छी गंध कहाँ से आ रही है। ओहहहह बेटी कहीं यह तुम्हारी चूत तो नही" मुकेश ने ख़ुशी से चिल्लाते हुए कहा । कंचन ने अपने पिता को कोई जवाब दिए बगैर उनके लंड को अपने हाथ में पकडकर चूमने लगी और अपनी चूत को पीछे धकलते हुए अपने पिता के मुँह पर दबाने लगी ।
कंचन के ऐसा करने से उसकी चूत सीधा मुकेश के होंठो पर दबने लगी । मुकेश भी समझ गया की यह उसकी बेटी की चूत है इसीलिए वह कंचन की चूत को अपने होंठो से चूमने लगा, मुकेश ने थोडी देर तक अपनी बेटी की चूत को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसकी छूट पर फिराते हुए उसके छेद में फिराने लगा ।
कंचन अपने पिता की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए अपनी चूत को उनकी जीभ पर दबाने लगी और मज़े से अपने पिता के लंड को अपने मूह में डालकर चूसने लगी । अपना लंड अपनी बेटी के गरम मुँह में जाते ही मुकेश की भी हालत खराब होने लगी और वह अपनी जीभ को कडा करके तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर करते हुए चाटने लगा ।
कंचन की हालत भी अब बुहत खराब हो चुकी थी। उसे अपने पूरे जिस्म में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी थी और उसका जिस्म बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था। कंचन उत्तेजना में आकर अपने पिता के लंड को बुहत ज़ोर से चूसने लगी, इधर मुकेश भी अपनी बेटी की चूत को बुहत तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चोदने लगा ।
कंचन का जिस्म अचानक ज़ोर से काम्पने लगा और उसकी चूत से पानी की नदिया बहने लगी । कंचन ने झरते हुए मज़े से अपनी आँखें बंद कर ली और मज़े में आकर अपने पिता के लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगी, मुकेश अपनी बेटी की चूत का पानी चाटते हुए खुद भी अपना कण्ट्रोल खो बैठा और उसके लंड से भी वीर्य की बारिश होने लगी ।
मुकेष का पूरा जिस्म झरते हुए ज़ोर से कांप रहा था ।कंचन अचानक अपने पिता के लंड से गरम वीर्य को अपने मुँह में महसूस करके जितना हो सकता था चाटने लगी और बाकी का वीर्य उसके होंठो से निकलकर नीचे गिरने लगा, थोडी ही देर में दोनों बाप बेटी निढाल होकर अपने मुँह को एक दुसरे से अलग करके ज़ोर से हांफ रहे थे ।
"आह्ह्ह्ह बेटी इतनी अच्छी गंध कहाँ से आ रही है। ओहहहह बेटी कहीं यह तुम्हारी चूत तो नही" मुकेश ने ख़ुशी से चिल्लाते हुए कहा । कंचन ने अपने पिता को कोई जवाब दिए बगैर उनके लंड को अपने हाथ में पकडकर चूमने लगी और अपनी चूत को पीछे धकलते हुए अपने पिता के मुँह पर दबाने लगी ।
कंचन के ऐसा करने से उसकी चूत सीधा मुकेश के होंठो पर दबने लगी । मुकेश भी समझ गया की यह उसकी बेटी की चूत है इसीलिए वह कंचन की चूत को अपने होंठो से चूमने लगा, मुकेश ने थोडी देर तक अपनी बेटी की चूत को चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसकी छूट पर फिराते हुए उसके छेद में फिराने लगा ।
कंचन अपने पिता की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए अपनी चूत को उनकी जीभ पर दबाने लगी और मज़े से अपने पिता के लंड को अपने मूह में डालकर चूसने लगी । अपना लंड अपनी बेटी के गरम मुँह में जाते ही मुकेश की भी हालत खराब होने लगी और वह अपनी जीभ को कडा करके तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर करते हुए चाटने लगा ।
कंचन की हालत भी अब बुहत खराब हो चुकी थी। उसे अपने पूरे जिस्म में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी थी और उसका जिस्म बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था। कंचन उत्तेजना में आकर अपने पिता के लंड को बुहत ज़ोर से चूसने लगी, इधर मुकेश भी अपनी बेटी की चूत को बुहत तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चोदने लगा ।
कंचन का जिस्म अचानक ज़ोर से काम्पने लगा और उसकी चूत से पानी की नदिया बहने लगी । कंचन ने झरते हुए मज़े से अपनी आँखें बंद कर ली और मज़े में आकर अपने पिता के लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगी, मुकेश अपनी बेटी की चूत का पानी चाटते हुए खुद भी अपना कण्ट्रोल खो बैठा और उसके लंड से भी वीर्य की बारिश होने लगी ।
मुकेष का पूरा जिस्म झरते हुए ज़ोर से कांप रहा था ।कंचन अचानक अपने पिता के लंड से गरम वीर्य को अपने मुँह में महसूस करके जितना हो सकता था चाटने लगी और बाकी का वीर्य उसके होंठो से निकलकर नीचे गिरने लगा, थोडी ही देर में दोनों बाप बेटी निढाल होकर अपने मुँह को एक दुसरे से अलग करके ज़ोर से हांफ रहे थे ।