hotaks444
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सुधीर- एक बात कहूँ.. कभी भी मेरी किसी भी तरह की हेल्प की जरूरत हो, तो मुझे बोल देना.. मैं हमेशा तैयार रहूँगा और हो सके तो कभी-कभार इस बूढ़े के लौड़े का भी ख्याल रख लेना.. माना कोई तगड़ा लौड़ा तुम्हें मज़े देता होगा.. मगर मेरे लौड़े से भी कभी शिकायत का मौका नहीं दूँगा।
दीपाली आगे बढ़ी और सुधीर को एक चुम्बन किया।
दीपाली- आप चिंता मत करो.. जल्दी ही आपको दोबारा मज़ा देने आऊँगी और कभी कुछ काम होगा तो बता दूँगी.. ओके बाय.. मॉम गुस्सा करेगी।
सुधीर के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए.. वो खड़ा होकर कपड़े पहनने लगा। इधर दीपाली ने भी कपड़े पहन लिए थे।
दीपाली- अच्छा एक बात बताओ आप मुझे मलहम लगाने लाए थे.. उस समय आपके मन में क्या था? सच बताना।
सुधीर- अरे मैं झूठ क्यों बोलूँगा… सुनो उस वक्त मैंने सोचा कि तुम नादान लड़की हो इसलिए ऐसे बीच रास्ते में चूत खुजा रही हो.. मैंने मलहम की बात इसलिए कही कि अगर तुम मान जाओ तो मलहम लगाने के बहाने कम से कम तुम्हारी चूत को छूने का मौका मिल जाएगा और किसी तरह तुम्हें गर्म करके चोदने का ख्याल भी मन में था.. मगर तुम मेरी उम्मीद से ज़्यादा मस्त निकलीं।
दीपाली- ओह्ह इतने गंदे ख्याल थे.. मन में.. चलो कोई बात नहीं.. अबकी बार आऊँगी तब इस बात का जवाब दूँगी.. अब जाती हूँ बाय..
सुधीर- अरे रूको.. मैं तुम्हें घर तक छोड़ आता हूँ।
दीपाली- नहीं.. इसकी कोई जरूरत नहीं है.. आप यहीं रहो.. ओके बाय..
दीपाली वहाँ से निकल गई और अपने घर की और बढ़ने लगी।
इधर अनुजा रोटी बना रही थी और विकास किसी काम में बिज़ी था.. तभी फ़ोन की घंटी बजी ... अनुजा बाहर आई और फ़ोन उठाया।
सामने से दीपाली की माँ थी।
अनुजा- नमस्ते आंटी.. कैसी हो आप.. अब आपके भाई की तबियत कैसी है? आपके पास मेरे घर का नम्बर कहाँ से आया?
दीपाली की माँ- हाँ अब ठीक है.. नम्बर तो तुमने फ़ोन किया था ना.. मेरे फ़ोन में कॉलर आईडी है.. उस पर नम्बर आ गया था और मैंने लिख लिया था.. तुम कैसी हो?
अनुजा- अच्छा ये बात है.. हाँ मैं ठीक हूँ.. कैसे फ़ोन किया आपने?
दीपाली की माँ- बेटी वो दीपाली को भेज दो.. मैंने सोचा वो आ जाएगी.. मगर अब तक नहीं आई.. मैंने उसे कहा भी था कि हम शाम तक आ जाएँगे।
अनुजा के चेहरे का रंग उड़ गया था क्योंकि दीपाली को गए एक घंटा होने को आया था जबकि रास्ता इतना लंबा नहीं था.. वो कुछ बोलना चाहती थी मगर उसकी आवाज़ गले में अटक गई।
दीपाली की माँ- अरे लो, आ गई.. अच्छा बेटी मैंने तुमको ऐसे ही परेशान किया.. अच्छा रखती हूँ।
दीपाली भाग कर अपनी माँ से चिपक गई और प्यार करने लगी। उसकी माँ ने भी उसका माथा चूमा और बस इधर-उधर की बातें करने लगी।
इधर अनुजा सकते में आ गई कि आख़िर दीपाली इतनी देर तक कहाँ थी।
विकास- अरे जानेमन कहाँ खो गईं जल्दी से रोटी बनाओ, भूख लग रही है.. उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करनी है।
अनुजा- अरे कर लेना मेरे राजा.. मगर ये दीपाली इतनी देर कहाँ थी।
विकास के पूछने पर अनुजा ने सारी बात बता दी।
विकास- अरे कोई फ्रेंड रास्ते में मिल गई होगी.. उसके साथ कहीं चली गई होगी या बाहर खड़े-खड़े वक्त निकल गया होगा.. तू ज़्यादा सोच मत.. कल उससे पूछ लेना.. चल अब खाना बना…
अनुजा उसी सोच में रसोई में चली गई। खाना तैयार करके वो कमरे में ले गई और दोनों ने बड़े प्यार से एक-दूसरे को खाना खिलाना शुरू कर दिया।
रात में विकास ने 3 बार अनुजा की चूत और गाण्ड को बजाया और दोनों नंगे ही सो गए।
दीपाली आगे बढ़ी और सुधीर को एक चुम्बन किया।
दीपाली- आप चिंता मत करो.. जल्दी ही आपको दोबारा मज़ा देने आऊँगी और कभी कुछ काम होगा तो बता दूँगी.. ओके बाय.. मॉम गुस्सा करेगी।
सुधीर के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए.. वो खड़ा होकर कपड़े पहनने लगा। इधर दीपाली ने भी कपड़े पहन लिए थे।
दीपाली- अच्छा एक बात बताओ आप मुझे मलहम लगाने लाए थे.. उस समय आपके मन में क्या था? सच बताना।
सुधीर- अरे मैं झूठ क्यों बोलूँगा… सुनो उस वक्त मैंने सोचा कि तुम नादान लड़की हो इसलिए ऐसे बीच रास्ते में चूत खुजा रही हो.. मैंने मलहम की बात इसलिए कही कि अगर तुम मान जाओ तो मलहम लगाने के बहाने कम से कम तुम्हारी चूत को छूने का मौका मिल जाएगा और किसी तरह तुम्हें गर्म करके चोदने का ख्याल भी मन में था.. मगर तुम मेरी उम्मीद से ज़्यादा मस्त निकलीं।
दीपाली- ओह्ह इतने गंदे ख्याल थे.. मन में.. चलो कोई बात नहीं.. अबकी बार आऊँगी तब इस बात का जवाब दूँगी.. अब जाती हूँ बाय..
सुधीर- अरे रूको.. मैं तुम्हें घर तक छोड़ आता हूँ।
दीपाली- नहीं.. इसकी कोई जरूरत नहीं है.. आप यहीं रहो.. ओके बाय..
दीपाली वहाँ से निकल गई और अपने घर की और बढ़ने लगी।
इधर अनुजा रोटी बना रही थी और विकास किसी काम में बिज़ी था.. तभी फ़ोन की घंटी बजी ... अनुजा बाहर आई और फ़ोन उठाया।
सामने से दीपाली की माँ थी।
अनुजा- नमस्ते आंटी.. कैसी हो आप.. अब आपके भाई की तबियत कैसी है? आपके पास मेरे घर का नम्बर कहाँ से आया?
दीपाली की माँ- हाँ अब ठीक है.. नम्बर तो तुमने फ़ोन किया था ना.. मेरे फ़ोन में कॉलर आईडी है.. उस पर नम्बर आ गया था और मैंने लिख लिया था.. तुम कैसी हो?
अनुजा- अच्छा ये बात है.. हाँ मैं ठीक हूँ.. कैसे फ़ोन किया आपने?
दीपाली की माँ- बेटी वो दीपाली को भेज दो.. मैंने सोचा वो आ जाएगी.. मगर अब तक नहीं आई.. मैंने उसे कहा भी था कि हम शाम तक आ जाएँगे।
अनुजा के चेहरे का रंग उड़ गया था क्योंकि दीपाली को गए एक घंटा होने को आया था जबकि रास्ता इतना लंबा नहीं था.. वो कुछ बोलना चाहती थी मगर उसकी आवाज़ गले में अटक गई।
दीपाली की माँ- अरे लो, आ गई.. अच्छा बेटी मैंने तुमको ऐसे ही परेशान किया.. अच्छा रखती हूँ।
दीपाली भाग कर अपनी माँ से चिपक गई और प्यार करने लगी। उसकी माँ ने भी उसका माथा चूमा और बस इधर-उधर की बातें करने लगी।
इधर अनुजा सकते में आ गई कि आख़िर दीपाली इतनी देर तक कहाँ थी।
विकास- अरे जानेमन कहाँ खो गईं जल्दी से रोटी बनाओ, भूख लग रही है.. उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करनी है।
अनुजा- अरे कर लेना मेरे राजा.. मगर ये दीपाली इतनी देर कहाँ थी।
विकास के पूछने पर अनुजा ने सारी बात बता दी।
विकास- अरे कोई फ्रेंड रास्ते में मिल गई होगी.. उसके साथ कहीं चली गई होगी या बाहर खड़े-खड़े वक्त निकल गया होगा.. तू ज़्यादा सोच मत.. कल उससे पूछ लेना.. चल अब खाना बना…
अनुजा उसी सोच में रसोई में चली गई। खाना तैयार करके वो कमरे में ले गई और दोनों ने बड़े प्यार से एक-दूसरे को खाना खिलाना शुरू कर दिया।
रात में विकास ने 3 बार अनुजा की चूत और गाण्ड को बजाया और दोनों नंगे ही सो गए।