Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान - Page 5 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान

सुधीर- एक बात कहूँ.. कभी भी मेरी किसी भी तरह की हेल्प की जरूरत हो, तो मुझे बोल देना.. मैं हमेशा तैयार रहूँगा और हो सके तो कभी-कभार इस बूढ़े के लौड़े का भी ख्याल रख लेना.. माना कोई तगड़ा लौड़ा तुम्हें मज़े देता होगा.. मगर मेरे लौड़े से भी कभी शिकायत का मौका नहीं दूँगा।

दीपाली आगे बढ़ी और सुधीर को एक चुम्बन किया।

दीपाली- आप चिंता मत करो.. जल्दी ही आपको दोबारा मज़ा देने आऊँगी और कभी कुछ काम होगा तो बता दूँगी.. ओके बाय.. मॉम गुस्सा करेगी।

सुधीर के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए.. वो खड़ा होकर कपड़े पहनने लगा। इधर दीपाली ने भी कपड़े पहन लिए थे।

दीपाली- अच्छा एक बात बताओ आप मुझे मलहम लगाने लाए थे.. उस समय आपके मन में क्या था? सच बताना।

सुधीर- अरे मैं झूठ क्यों बोलूँगा… सुनो उस वक्त मैंने सोचा कि तुम नादान लड़की हो इसलिए ऐसे बीच रास्ते में चूत खुजा रही हो.. मैंने मलहम की बात इसलिए कही कि अगर तुम मान जाओ तो मलहम लगाने के बहाने कम से कम तुम्हारी चूत को छूने का मौका मिल जाएगा और किसी तरह तुम्हें गर्म करके चोदने का ख्याल भी मन में था.. मगर तुम मेरी उम्मीद से ज़्यादा मस्त निकलीं।

दीपाली- ओह्ह इतने गंदे ख्याल थे.. मन में.. चलो कोई बात नहीं.. अबकी बार आऊँगी तब इस बात का जवाब दूँगी.. अब जाती हूँ बाय..

सुधीर- अरे रूको.. मैं तुम्हें घर तक छोड़ आता हूँ।

दीपाली- नहीं.. इसकी कोई जरूरत नहीं है.. आप यहीं रहो.. ओके बाय..

दीपाली वहाँ से निकल गई और अपने घर की और बढ़ने लगी।

इधर अनुजा रोटी बना रही थी और विकास किसी काम में बिज़ी था.. तभी फ़ोन की घंटी बजी ... अनुजा बाहर आई और फ़ोन उठाया।

सामने से दीपाली की माँ थी।

अनुजा- नमस्ते आंटी.. कैसी हो आप.. अब आपके भाई की तबियत कैसी है? आपके पास मेरे घर का नम्बर कहाँ से आया?

दीपाली की माँ- हाँ अब ठीक है.. नम्बर तो तुमने फ़ोन किया था ना.. मेरे फ़ोन में कॉलर आईडी है.. उस पर नम्बर आ गया था और मैंने लिख लिया था.. तुम कैसी हो?

अनुजा- अच्छा ये बात है.. हाँ मैं ठीक हूँ.. कैसे फ़ोन किया आपने?

दीपाली की माँ- बेटी वो दीपाली को भेज दो.. मैंने सोचा वो आ जाएगी.. मगर अब तक नहीं आई.. मैंने उसे कहा भी था कि हम शाम तक आ जाएँगे।

अनुजा के चेहरे का रंग उड़ गया था क्योंकि दीपाली को गए एक घंटा होने को आया था जबकि रास्ता इतना लंबा नहीं था.. वो कुछ बोलना चाहती थी मगर उसकी आवाज़ गले में अटक गई।

दीपाली की माँ- अरे लो, आ गई.. अच्छा बेटी मैंने तुमको ऐसे ही परेशान किया.. अच्छा रखती हूँ।

दीपाली भाग कर अपनी माँ से चिपक गई और प्यार करने लगी। उसकी माँ ने भी उसका माथा चूमा और बस इधर-उधर की बातें करने लगी।

इधर अनुजा सकते में आ गई कि आख़िर दीपाली इतनी देर तक कहाँ थी।

विकास- अरे जानेमन कहाँ खो गईं जल्दी से रोटी बनाओ, भूख लग रही है.. उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करनी है।

अनुजा- अरे कर लेना मेरे राजा.. मगर ये दीपाली इतनी देर कहाँ थी।

विकास के पूछने पर अनुजा ने सारी बात बता दी।

विकास- अरे कोई फ्रेंड रास्ते में मिल गई होगी.. उसके साथ कहीं चली गई होगी या बाहर खड़े-खड़े वक्त निकल गया होगा.. तू ज़्यादा सोच मत.. कल उससे पूछ लेना.. चल अब खाना बना…

अनुजा उसी सोच में रसोई में चली गई। खाना तैयार करके वो कमरे में ले गई और दोनों ने बड़े प्यार से एक-दूसरे को खाना खिलाना शुरू कर दिया।

रात में विकास ने 3 बार अनुजा की चूत और गाण्ड को बजाया और दोनों नंगे ही सो गए।
 
सुधीर से चुदवा कर दीपाली को रात अच्छी नींद आई सुबह बड़ी मुश्किल से उसकी मॉम ने उसे उठा कर स्कूल भेजा। स्कूल के गेट पर आज सिर्फ़ मैडी ही खड़ा हुआ था जैसे ही दीपाली आई.. उसने हल्की मुस्कान दी.. बदले में दीपाली भी मुस्कुरा दी।

मैडी- दीपाली तुमने कोई जवाब नहीं दिया.. सोमवार को आओगी ना?

दीपाली- आ तो जाऊँगी.. मगर तुम्हारे दोस्त मुझसे कोई बदतमीज़ी ना करें इसकी गारन्टी दो पहले…

मैडी- अपनी माँ की कसम ख़ाता हूँ कोई कुछ नहीं कहेगा.. बस तुम आ जाना प्लीज़…

दीपाली- ओके पक्का आ जाऊँगी.. आज गुरुवार है ना.. अभी तो बहुत दिन बाकी हैं ओके बाय…

दीपाली गाण्ड को मटकाती हुई स्कूल में चली गई मैडी वहीं खड़ा बस उसकी गाण्ड को देखता रहा।

तभी एक तरफ छुप कर खड़े सोनू और दीपक भी उसके पास आ गए।

दीपक- मान गए यार तूने साली को मना ही लिया.. अब आएगा मज़ा.. वैसे तूने सोचा क्या है.. उसको चुदने के लिए कैसे पटाएगा?

सोनू- साली कुतिया क्या बोल रही थी कि तुम्हारे दोस्तों को कुछ बदतमीज़ी नहीं करना चाहिए.. एक बार आ तो सही साली.. बड़ी शराफत से तुझे चोदेंगे हा हा हा हा…

मैडी- चुप करो सालों.. कोई सुन लेगा.. अब सोमवार तक उसके आस-पास भी नहीं जाना.. नहीं तो बना बनाया काम बिगड़ जाएगा।

दीपक- यार कहीं ऐसा ना हो तू अकेला मज़ा लूट ले.. और हम लौड़ा हाथ में लिए हिलाते और खड़े रहें.. देख एक लड़की के लिए दोस्ती मत तोड़ देना..

मैडी- साले इतना ही भरोसा है क्या मुझ पे.. तुम दोनों के बिना मैं कुछ नहीं करूँगा ओके.. अब चलो अन्दर.. वक्त हो गया…

क्लास में सब सामान्य चल रहा था, जब विकास आया.. तब दीपाली ने एक हल्की मुसकान दी, मगर विकास बस देख कर अनजान बन गया और किताब लेकर पढ़ाने लगा।

विकास- अच्छा बच्चों इम्तिहान के लिए जरूरी सवालों पर निशान लगा लो.. जो याद करने हैं।

कुछ लड़के और लड़कियां एक-दूसरे से धीरे-धीरे कुछ बोल रहे थे और ध्यान नहीं रहे थे। विकास का गुस्सा तेज था बच्चे उससे डरते थे.. मगर आज पता नहीं क्यों सब ध्यान नहीं दे रहे थे।

विकास ने जब ये देखा तो गुस्सा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया- क्या बकवास लगा रखी है.. चुपचाप निशान लगाओ..

सब चुप हो गए.. विकास काफ़ी देर तक सवालों के निशान लगवाता रहा इस दौरान वो बार-बार दीपाली को देख रहा था और दीपाली भी बहुत कामुक मुस्कान दे रही थी।

विकास को लगा शायद दीपाली कुछ कहना चाहती है क्योंकि वो बार-बार ऊँगली से कुछ इशारा कर रही थी.. मगर वो समझ नहीं पा रहा था।

विकास- दीपाली खड़ी हो जाओ।

दीपाली खड़ी हो गई और विकास को देखने लगी।

विकास- जाओ स्टाफ-रूम में.. जहाँ एक फाइल रखी है.. उस अलमारी में उसमें एक पेपर रखा है.. वो लेकर आओ।

दीपाली ‘ओके सर’ कह कर वहाँ से निकल गई..

उसको गए हुए कोई एक मिनट भी नहीं हुआ था कि विकास भी निकलने को हो गया।

विकास- बच्चों शोर मत करना.. मैं अभी आता हूँ और दीपाली वो पेपर ले आए तो उससे कहना कि बोर्ड पर उसमें लिखे सवाल लिख दे और सब कॉपी कर लेना.. वो कुछ ऐसे सवाल हैं जो किताब में नहीं हैं मैंने बनाए हैं। अक्सर इम्तिहान में सवालों को घुमा कर देते हैं उत्तर किताब में ही होता है मगर बच्चे समझ नहीं पाते हैं.. तो ध्यान से सब लिख लेना।

विकास क्लास-रूम से बाहर निकल गया मगर फ़ौरन वापस अन्दर आया शायद उसे कुछ याद आ गया।

विकास- प्रिया.. तुम क्लास की मॉनीटर हो.. ध्यान रखना पीछे से कोई शोर ना हो ओके…

प्रिया- ओके सर..
 
इतना बोलकर विकास फ़ौरन स्टाफ-रूम की तरफ गया।

दीपाली वो पेपर लिए वहीं खड़ी उसका इन्तजार कर रही थी।

विकास- हाँ अब कहो.. क्या इशारा कर रही थीं और सब के सामने ऐसे मुस्कुराया मत करो.. अगर किसी को शक हो गया तो?

दीपाली- सर किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. आप बेफिकर रहो.. आज सुबह आते समय दीदी को चोद कर आए हो क्या…

विकास- नहीं तो.. रात को मस्त ठुकाई की थी.. सुबह कहाँ वक्त मिलता है.. मगर तुम क्यों पूछ रही हो?

दीपाली- आपकी पैन्ट की ज़िप खुली हुई है.. क्लास में सब देख रहे थे ... ये तो अच्छा है कि अन्दर चड्डी है.. वरना आपका लंड बाहर आ जाता हा हा हा हा…

विकास- अरे धीरे.. कोई सुन लेगा.. ये कैसे खुली रह गई.. बच्चे क्या सोच रहे होंगे.. अच्छा अब तुम जाओ वरना किसी को शक हो जाएगा।

दीपाली- मेरे राजा जी एक बार लण्ड के दर्शन करवाओ ना.. बड़ा मन मचल रहा है।

विकास- तू पक्का मरवाएगी.. शाम को जितना चाहे देख लेना.. अभी जा यहाँ से…

दीपाली जाते-जाते लौड़े को सहला कर चली गई।

विकास डर सा गया अगर कोई आ जाता तो क्या होता… दीपाली के जाने के बाद विकास फाइल में कुछ देखने लगा… उधर दीपाली क्लास में गई तब प्रिया खड़ी हुई और विकास की कही बात उसको बताई वो बोर्ड पर सवाल लिखने लगी।

काफ़ी देर तक जब विकास नहीं आया तो क्लास में शोर होने लगा.. सवाल भी सबने लिख लिए थे।

तभी वहाँ विकास आ गया सब खामोश हो गए और सब की नज़र उनकी ज़िप पर गई जो अब बन्द थी।

कुछ बच्चों ने मुसकान देकर विकास को अहसास करा दिया कि वो क्यों हँस रहे थे।

विकास- प्रिया खड़ी हो जाओ.. कब से देख रहा हू तुम दाँत निकाल रही हो.. क्या हुआ तुम क्लास की मॉनीटर हो… अगर तुम ऐसा विहेव करोगी तो बाकी पर क्या असर पड़ेगा।

प्रिया- सर सॉरी…

विकास- दीपक, तुम मार खाओगे.. क्या ख़ुसुर-फुसुर कर रहे हो?

दीपक- कुछ नहीं सर सॉरी…

विकास- हाँ मैं जानता हूँ तुम सब क्यों हँस रहे थे.. यार मैं भी इंसान हूँ ... जल्दबाज़ी में ग़लती हो गई.. अब इसका ये मतलब थोड़े ही है कि तुम मेरा मजाक उड़ाने लगो।

विकास की बात सुनकर सब बच्चे समझ गए कि सर क्या कहना चाहते हैं।

सब ने एक साथ ‘सॉरी’ कहा.. तभी दूसरे विषय का घंटा बज गया और विकास वहाँ से चला गया।

बाकी का दिन सामान्य ही गुजरा.. छुट्टी के बाद दीपाली जाने लगी.. तब प्रिया ने उसको पीछे से आवाज़ दी।

प्रिया- दीपाली रूको.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।

(दोस्तो, यह है प्रिया इसकी उम्र 19 वर्ष की है.. इसका रंग साफ नहीं है.. थोड़ी साँवली है.. फिगर 30-26-30 का है मगर लड़के इसे भाव नहीं देते हैं और ये भी ज़्यादा किसी से बात नहीं करती है… बस अपनी धुन में रहती है। हाँ एक बात और यह दीपक के चाचा की लड़की है यानी दीपक की चचेरी बहन है। एक वजह यह भी है कि स्कूल में कोई लड़का इसके पास नहीं आता है। आप तो जानते ही हो.. दीपक और उसके दोस्त एक नम्बर के आवारा हैं और किसकी मजाल जो उनकी बहन को पटाने की सोचे.)

दीपाली- क्या हुआ ऐसे भाग कर क्यों आ रही है.. क्या बात करनी है।

प्रिया- यार बहुत ज़रूरी बात है.. इसी लिए भाग कर आई हूँ।

दीपाली- अच्छा चल बता.. क्या बात है?

प्रिया ने बात बताना शुरू किया तो दीपाली के चेहरे के भाव बदलने लगे चिंता की लकीरें उसके माथे पर साफ दिख रही थीं।

दीपाली- ओह माय गॉड.. तुम सच कह रही हो.. थैंक्स यार तुमने ये बात मुझे बता दी.. अच्छा एक बात सुनो किसी को भी ये बात मत बताना ओके.. मैं अपने तरीके से कुछ सोचूँगी।

प्रिया- अरे नहीं यार मैं पागल हूँ क्या…

दीपाली- थैंक्स यार…

प्रिया- यार प्लीज़.. मेरा एक काम कर दोगी.. प्लीज़ प्लीज़ ना मत कहना…

दीपाली- ओके कहो.. अगर मेरे बस में होगा तो जरूर कर दूँगी…

प्रिया फिर बोलने लगी और दीपाली बस आँखें फाड़े उसको देखने लगी।
 
आप ऐसा समझो कि दीपाली को उसकी बात सुन कर बहुत बड़ा झटका सा लगा।

दीपाली- तू पागल हो गई है क्या.. ऐसा नहीं हो सकता.. तूने ये सब सोचा भी कैसे.. मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगी ओके…

प्रिया- देख सोच ले.. तूने पहले हाँ कही है.. अब अगर तू ना करेगी तो मैं कुछ कर बैठूंगी.. बाद में तुमको पछताना पड़ेगा।

दीपाली- यह क्या बकवास है मुझे क्यों पछताना पड़ेगा हाँ.. और तूने यह सोच भी कैसे लिया.. मेरी तो समझ के बाहर है।

प्रिया ने फिर एक बात उसको कही और इस बार तो दीपाली ने अपने हाथ मुँह पर रख लिए.. आज प्रिया उसको एक के बाद एक झटके दे रही थी। दीपाली का गला सूख गया.. बड़ी मुश्किल से उसने बोला।

दीपाली- यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा तुझे ये कैसे पता चला…. चल इस बात को गोली मार.. देख प्रिया, तू अच्छी तरह सोच समझ कर देख ले उसके बाद भी अगर तुमको लगता है यह सही है तो ओके मैं तुम्हारा ये काम कर दूँगी.. मगर ये बात राज़ ही रखना।

प्रिया- मैंने अच्छी तरह सोच कर ही तुमको कहा है।

दीपाली- नहीं तू कल मुझे फाइनल बता देना.. उसके बाद समझूंगी.. ओके..

प्रिया- चल ठीक है.. कल बता दूँगी.. अब तू जा और प्लीज़ तू भी किसी को बताना मत…

दीपाली- तू पागल है क्या.. ये बात किसी को बताने की है क्या चल बाय… कल मिलते हैं।
 
(लो दोस्तो, चक्कर आने लगा ना.. कि यह क्या उलझन हो गई.. आख़िर यह प्रिया कहाँ से आ गई और ऐसी क्या बात की उसने दीपाली से.. अब ये सब जानना है तो कहानी को ध्यान से पढ़ते रहना पड़ेगा ना.. क्योंकि आप पिंकी सेन का स्टाइल जानते ही हो ... तो मजा लीजिए दोस्तो, वादा करती हूँ आपका मज़ा बढ़ता ही रहेगा। चलो अब कहानी पर वापस आती हूँ।)

दीपाली वहाँ से सीधी घर चली जाती है और खाने के बाद पढ़ाई में लग जाती है। एक घंटा पढ़ाई करने के बाद उसको नींद आ जाती है और वो गहरी नींद में सो जाती है।

शाम को दीपाली की मॉम उसे जगाती है तब उसे ख्याल आता है कि विकास सर इन्तजार कर रहे होंगे.. वो झट से तैयार होती है और घर से निकल जाती है। रास्ते में उसे सुधीर जाता हुआ दिखाई देता है.. वो पीछे से आवाज़ लगती है।

सुधीर- अरे आओ आओ.. दीपाली में कब से यहाँ खड़ा तुम्हारी ही राह देख रहा था.. मगर आज इधर से आने की बजाय दूसरी तरफ से कैसे आ रही हो ये बात समझ नहीं आई।

दीपाली- मैं रोज पढ़ने जाती हूँ.. आज लेट हो गई तो घर से आ रही हूँ.. समझे आप..

सुधीर- अच्छा अच्छा.. ये बात है.. चलो आज मलहम नहीं लगवाना क्या?

दीपाली- नहीं आज नहीं.. इम्तिहान करीब हैं.. तैयारी करनी है.. फिर कभी लगवाऊँगी.. अच्छा आपसे एक काम था…

सुधीर- हाँ बोलो.. इसमें पूछने की क्या बात है.. तुम तो बस हुकुम करो..

दीपाली ने सुधीर को बताया कि उसको क्या काम है.. सुधीर थोड़ा चौंका मगर जब दीपाली ने पूरी बात समझाई.. तब सुधीर सामान्य हो गया।

सुधीर- अरे ये तो बहुत छोटा सा काम है.. कल ही कर दूँगा और कुछ सेवा करवानी है तो बताओ…

दीपाली- नहीं अंकल बस ये काम कर दो जल्दी.. फिर आपके पास मलहम लगवाने आऊँगी ओके.. अब मुझे जाने दो.. पहले ही देर हो गई है।

सुधीर- अरे कितनी बार समझाऊँ.. अंकल नहीं.. सुधीर बोलो.. तुम्हारे मुँह से मेरा नाम ज़्यादा अच्छा लगेगा.. ओके.. अब जाओ.. कल इसी वक्त मिलना.. समझो तुम्हारा काम हो गया।

दीपाली वहाँ से सीधी अनुजा के घर चली जाती है वो अभी गेट पर ही पहुँची कि उसको अनुजा की आवाज़ सुनाई दी।

अनुजा- विकास.. आज दीपाली नहीं आई क्या बात है?

विकास- हाँ अब तक आ तो जाना चाहिए था.. पता नहीं क्यों नहीं आई स्कूल में तो बड़ी उतावली हो रही थी लौड़े के लिए.. पर अब तक नहीं आई।

विकास ने स्कूल से आते ही अनुजा को सारी बात बता दी थी।

अनुजा- नादान है इसलिए ऐसा किया उसने.. मैं फ़ोन करके पूछती हूँ। तबियत तो ठीक है ना उसकी..

दीपाली- हैलो.. तुमने पुकारा और मैं चली आई.. चूत चिकनी करके आई.. हा हा हा हा…

अनुजा- बदमाश चुप कर खड़ी हमारी बातें सुन रही थी और गाने का मतलब बदल दिया तूने हा हा हा…

विकास- मेरी जान इम्तिहान की जरा भी फिकर नहीं है क्या.. जो इतना देरी से आई.. अब कब पढ़ोगी और कब चुदोगी।

अनुजा- आज तो पढ़ाई और चुदाई एक साथ चलने दो।

विकास- हाँ यह आइडिया अच्छा है.. चल आजा कमरे में… जल्दी से कपड़े निकाल स्कूल में बहुत परेशान किया तूने.. आज ऐसे झटके मारूँगा कि तेरी सारी मस्ती निकल जाएगी।

अनुजा- आप दोनों पढ़ाई और चुदाई का मज़ा लो.. मुझे तो खाना बनाना है..

दीपाली- अरे ये क्या दीदी आप भी साथ में रहो ना… ज़्यादा मज़ा आएगा।

अनुजा- अरे नहीं रात को ही विकास ने बहुत ठुकाई की है और वैसे भी इतना वक्त कहाँ कि हम तीनों साथ में मस्ती कर सकें.. तुम मज़ा लो रविवार को सुबह जल्दी यहाँ आ जाना तब पूरा दिन खूब मज़ा करेंगे।

दीपाली- ओके दीदी यह सही रहेगा.. आप जाओ खाना बनाओ।

अनुजा के जाते ही दीपाली कपड़े निकालने में लग गई।

विकास- अरे वाह.. इतनी रफ्तार से.. लगता है आज चूत में बड़ी खुजली हो रही है.. चल निकाल.. मैं भी निकालता हूँ।

दीपाली- आपका लौड़ा है ही ऐसा की मन ही नहीं भरता और आज तो आपसे पढ़ते हुए चुदवाऊँगी.. नया फन हो जाएगा।

दोनों नंगे हो जाते हैं. विकास दीपाली को बिस्तर पर लिटा कर उसके मम्मों को चूसने लगता है और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगता है।

दीपाली- आह्ह.. ऑउच.. आज क्या हो गया आपको.. इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो आह्ह..

विकास- मेरी जान तेरे अनारों को दबाऊँगा.. तभी तो ये आम बनेंगे ना.. उफ्फ.. कितनी बार दबा चुका हूँ.. साले अब तक वैसे के वैसे ही कड़क हैं.।

दीपाली- आह.. आह्ह.. सर मुझे भी लौड़ा चूसना है.. आह.. साइड बदलो ना.. आह्ह.. प्लीज़ उईईइ।

विकास- अभी नहीं.. जब तेरी चूत चाटूँगा.. तब चूस लेना, अभी तो तेरे चूचे दबाने दे.. आज इनको बड़ा करके ही दम लूँगा।
 
दीपाली- आह्ह.. आह.. आप पर ये कैसा भूत सवार हो गया आह.. मेरी चूत को बड़ा करो ना.. आह्ह.. दीदी क्या बोलती हैं उईइ आईईइ भोसड़ी बना दो.. आह मेरी चूत की.. मगर आह मम्मों पर रहम खाओ…

विकास- साली स्कूल में बड़ा मन मचल रहा था ना तेरा.. पूरी रंडी वाली हरकतें कर रही थी.. आज तेरा सारा रंडीपना उतार दूँगा।

दस मिनट तक विकास चूचों को मसलता रहा.. उसका लौड़ा तन कर एकदम कड़क हो गया था और दीपाली की चूत भी गीली हो गई थी।

दीपाली- आह्ह.. अब तो चूसने दो आह्ह.. आपका लौड़ा भी आह्ह.. कैसे मेरी टाँगों में चुभ रहा है।

विकास- चल साली आजा.. अब मेरी ऊपर आकर अपनी चूत का स्वाद लेने दे.. तू आराम से लौड़ा चूस।

दोनों 69 कि स्थिति में आ गए, दीपाली बड़े प्यार से लौड़ा चूसने लगी थोड़ी देर बाद वो दाँतों से लौड़े को दबाने लगी।

विकास- आआ.. साली.. ये क्या कर रही है.. लौड़ा काटने का विचार है क्या? दर्द होता है।

दीपाली- हा हा हा क्यों मेरे मम्मों को दबाया था.. तब नहीं सोचा कि मुझे भी दर्द हो रहा होगा।

विकास- अच्छा ये बात है.. बदला ले रही है.. चल तू अबकी बार काट.. देख में तेरी चूत को कैसे खा जाता हूँ।

दीपाली- नहीं नहीं.. प्लीज़ चूत पर मत काटना.. बहुत दर्द होगा। मैं कुछ नहीं करूँगी।

विकास- अब आई ना लाइन पे… चल चूस मेरी जान.. मुझे भी चूत रस का मज़ा लेने दे।

काफ़ी देर तक ये चटम-चटाई चलती रही.. उसके बाद विकास ने दीपाली से कहा कि जो सवाल मैंने बताए थे उनमें से जो याद हो.. उसका उत्तर बताओ मैं लौड़ा चूत में डाल कर तुझे चोदता हूँ ओके…

दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. ये आइडिया अच्छा है.. आप सुन भी लोगे और चोद भी लोगे.. मज़ा आएगा।

विकास ने दीपाली की टाँगें कंधे पर रखी और ‘घप्प’ से पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया।

दीपाली- आईईइ मर गई रे आह…

विकास- आह.. नहीं सवाल का जवाब दो.. उहह उहह उहह.. वो दिल वाला ओके.. पूरी क्रिया बोलो…

दीपाली- आह्ह.. ओके आह्ह.. सर इंसान के आह्ह.. जिस्म में.. आह्ह.. चोदो आह्ह.. दिल का आह्ह.. बड़ा महत्वपूर्ण आह्ह.. मज़ा आ गया कार्य होता है.. आह ऐसे ही आह्ह.. रफ्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करो आह्ह..

विकास- वेरी गुड.. अच्छा बोल रही हो उह्ह ले उहह.. आगे बता।

पंद्रह मिनट तक विकास लौड़े को अन्दर-बाहर करता रहा.. तब तक दीपाली ने चुदाई के साथ-साथ तीन सवालों के जवाब बता दिए थे।
 
दीपाली- आह्ह.. मैं गई.. आह पैर दुखने लगे हैं आह मेरा पानी आ रहा है आह्ह.. फास्ट फास्ट आह…

विकास ने उसके पैरों को कंधे से उतार कर मोड़ दिया और पूरी ताक़त से चोदने लगा.. वो भी चरम पर आ गया था।

दो मिनट बाद लौड़े से पिचकारी निकली और चूत की दीवार से जा टकराई.. दीपाली भी गर्म वीर्य के अहसास से झड़ने लगी।

काफ़ी देर तक विकास उस पर ऐसे ही पड़ा रहा। उसके बाद उठकर बाथरूम चला गया। दीपाली अब भी वैसे ही पड़ी छत को देख रही थी।

विकास- अरे उठो.. जाओ बाथरूम में जाकर चूत साफ कर लो और कपड़े पहन लो.. पढ़ाई नहीं करनी क्या.. अब बहुत काम हैं।

दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. पढ़ना भी जरूरी है.. नहीं तो एक बार और चुदवा लेती।

विकास- तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन गई है.. अब तुझे एक बार से कहाँ सबर आएगा.. रविवार को पूरा दिन चोदूँगा.. अभी पढ़ना जरूरी है।

दीपाली उठ कर बाथरूम चली जाती है उसके बाद पढ़ाई चालू।

एक घंटा पढ़ने के बाद दीपाली घर चली जाती है।

रात का खाना खा कर वो अपने कमरे में बैठी हुई कुछ सोच रही थी। दीपाली को प्रिया की कही बात दिमाग़ में घूमने लगी वो अपने आप से बातें करने लगी।

दीपाली- क्या ऐसा हो सकता है प्रिया के मन में ये बात आई कैसे.. छी: मुझे तो सोच कर ही घिन आ रही है।

(ओह्ह.. दोस्तो, सॉरी आपका दिमाग़ घुमाने के लिए.. आप सोच रहे होंगे आख़िर ऐसी क्या बात कही प्रिया ने जो दीपाली इतना सोच रही है। चलो आपको ज़्यादा परेशान नहीं करूँगी… सुबह क्या हुआ.. वो बता देती हूँ इसके लिए कहानी को वापस थोड़ा पीछे ले जाना होगा तो चलो मेरे साथ।)

***********

दीपाली- क्या हुआ ऐसे भाग कर क्यों आ रही है? क्या बात करनी है?

प्रिया- यार बहुत ज़रूरी बात है इसी लिए भाग कर आई हूँ।

दीपाली- अच्छा चल बता क्या बात है?

प्रिया- यार जब तू स्कूल आई थी तब मैडी से बात करने के बाद जब अन्दर गई.. तब सोनू और दीपक भी वहाँ आ गए।

प्रिया ने उनके बीच हुई बात दीपाली को बताई.. दीपाली के चेहरे के भाव बदलने लगे चिंता की लकीरें उसके माथे पे साफ दिख रही थीं।

दीपाली- ओह माय गॉड.. तुम सच कह रही हो.. थैंक्स यार तुमने ये बात मुझे बता दी.. अच्छा एक बात सुनो किसी को भी ये बात मत बताना ओके.. मैं अपने तरीके से कुछ सोचूँगी।

प्रिया- अरे नहीं यार मैं पागल हूँ क्या?

दीपाली- थैंक्स यार।

प्रिया- यार प्लीज़.. मेरा एक काम कर दोगी.. प्लीज़ प्लीज़ ना मत कहना।

दीपाली- ओके कहो.. अगर मेरे बस में होगा तो जरूर कर दूँगी।
 
प्रिया- देख यार, तू तो जानती है ना स्कूल में मुझे कोई भाव नहीं देता और वैसे भी मेरे मन में बस दीपक बसा हुआ है.. किसी और का ख्याल मेरे दिमाग़ में आता ही नहीं मगर तू जानती है वो मेरा दूर का चचेरा भाई है। अब सुन, वो तुम्हें चोदना चाहता है और मैं उससे चुदना चाहती हूँ.. बस तू कुछ भी जुगाड़ करके मुझे दीपक से चुदवाने में मदद कर दे।

प्रिया बोलती रही और दीपाली बस आँखें फाड़े उसको देखने लगी। आप ऐसा समझो कि दीपाली को उसकी बात सुन कर बहुत बड़ा झटका सा लगा।

दीपाली- तू पागल हो गई है क्या? ऐसा नहीं हो सकता.. तूने ये सब सोचा भी कैसे? मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगी ओके…

प्रिया- देख सोच ले तूने पहले ‘हाँ’ कही है अब अगर तू ना करेगी तो मैं कुछ कर बैठूँगी.. बाद में तुमको पछताना पड़ेगा…

दीपाली- ये क्या बकवास है.. मुझे क्यों पछताना पड़ेगा हाँ.. और तूने ये सोच भी कैसे लिया.. मेरी तो समझ के ही बाहर है।

प्रिया- अच्छा तू विकास सर से चुदे वो ठीक और मैं गलत.. ना ना ज़्यादा सोच मत.. मैं बताती हूँ.. जब तू पेपर लेने गई और काफ़ी देर तक नहीं आई.. मैं तुमको बुलाने वहाँ आई थी.. मगर सर को देख कर मैं एक तरफ छुप गई थी और तब तुम लोगों की बात मैंने सुनी हैं। अब जाहिर सी बात है इतना तो ज्ञान है मुझे.. कि बिना चुदे तो तू ऐसी बात सर से करेगी नहीं…

दीपाली ने अपने हाथ मुँह पर रख लिए.. आज प्रिया उसको एक के बाद एक झटके दे रही थी।

दीपाली का गला सूख गया… बड़ी मुश्किल से उसने बोला।

दीपाली- यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा.. चल इस बात को गोली मार.. देख प्रिया तू अच्छी तरह सोच समझ कर देख ले.. उसके बाद भी अगर तुमको लगता है कि ये सही है तो ओके.. मैं तुम्हारा ये काम कर दूँगी.. मगर ये बात राज़ ही रखना।

प्रिया- मैंने अच्छी तरह सोच कर ही तुमको कहा है।

दीपाली- नहीं.. तू कल मुझे फाइनल बता देना.. उसके बाद समझूंगी… ओके..

प्रिया- चल ठीक है.. कल बता दूँगी अब तू जा और प्लीज़ तू भी किसी को बताना मत…

दीपाली- तू पागल है क्या.. ये बात किसी को बताने की है क्या.. चल बाय कल मिलते हैं।

**************

(तो दोस्तों अब आपको सारी बात समझ में आ गई होगी.. सॉरी मैंने पिछले डायलोग दोबारा यहाँ लिखे मगर ऐसे आपको समझ नहीं आता.. चलो अब आगे की कहानी का मजा लीजिए।)

दीपाली सोचते-सोचते अचानक से उठी उसे कुछ याद आया और उसने एक छोटी डायरी देखना शुरू की.. थोड़ी देर बाद उसने एक नम्बर को गौर से देखा और उस पर फ़ोन लगाया।

फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. थोड़ी देर बाद किसी ने फ़ोन उठाया।

दीपाली- हैलो क्या मैं प्रिया से बात कर सकती हूँ?

प्रिया- अरे दीपाली तू.. हाँ बोल क्या बात है और मेरा नम्बर तुझे कहाँ से मिला?

दीपाली- अरे यार पिछले साल इम्तिहान के वक्त तूने ही तो दिया था.. याद है?

प्रिया- हाँ याद आया.. मगर अभी तुझे क्या जरूरत पड़ गई.. फ़ोन करने की.. वो तो बता?

दीपाली- देख ऐसे फ़ोन पर मैं नहीं बता सकती.. तू कल स्कूल के बाद मेरे साथ मेरे घर आ सकती है क्या? बहुत जरूरी बात करनी है।

प्रिया- हाँ पढ़ाई के बहाने से आ तो सकती हूँ मगर ये बात तो तू कल भी बोल सकती थी.. अभी फ़ोन क्यों किया।

दीपाली- नहीं, कल बोलती तो तू घर में किसी को कैसे बताती अब सुन, सुबह स्कूल आने के पहले अपनी मॉम को बता कर आना ताकि किसी को कोई शक ना हो समझी।

प्रिया- हाँ यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं चल ओके बाय… कल मिलते हैं।

अगले दिन दीपाली स्कूल जा रही थी तब मैडी रास्ते में उसको मिल गया।
 
मैडी- हाय दीपाली गुड मॉर्निंग, कैसी हो?

दीपाली- गुड मॉर्निंग, क्या बात है आज गेट पर नहीं खड़े हुए.. यहाँ क्या कर रहे हो?

मैडी- तुम्हारा इन्तजार कर रहा था.. वहाँ वो मेरे दोस्त होते है ना.. तुमको अच्छा नहीं लगता इसलिए मैंने सोचा यहीं बात कर लूँ।

दीपाली- देखो मैडी वैसे तो मुझे तुम भी पसन्द नहीं हो क्योंकि तुम तीनों के ही चर्चे स्कूल में होते रहते हैं मगर तुम्हें मैंने कभी किसी को परेशान करते हुए नहीं देखा इसलिए तुमसे बात की.. अब ऐसे अकेले में यहाँ-वहाँ मुझसे बात मत किया करो।

मैडी- थैंक्स जो तुमने मुझे समझा मगर तुम गलत सोच रही हो मैं यहाँ किसी जरूरी काम से आया हूँ।

दीपाली- कैसा काम?

मैडी- प्लीज़ बुरा मत मानना.. तुम सोमवार को आ रही हो ना.. बस ये कनफर्म करना था क्योंकि अगर तुम आओगी तो मैंने सोचा है होटल में पार्टी दूँगा.. और अगर नहीं आओगी तो इतना खर्चा क्यों करूँ.. घर में ही सब को बुला लूँगा।

दीपाली- अच्छा इस बात का मैं क्या मतलब निकालूँ.. सिर्फ़ मेरे लिए ही तुम खर्चा करना चाहते हो और किसी की कोई वेल्यू नहीं है क्या?

मैडी- तुम फिर गलत समझ रही हो देखो तुम अच्छी लड़की हो.. अगर तुम आओगी तो कुछ खास लोगों के साथ हम चुपचाप होटल में पार्टी कर लेंगे. उसके बाद में घर आकर दोबारा मेरे फालतू दोस्तों के साथ शामिल हो जाऊँगा.. उनको मैं तुम्हारे सामने नहीं लाना चाहता.. बस यही असली बात है।

मैडी की बातों ने दीपाली को काफ़ी प्रभावित किया उसको बड़ी ख़ुशी हुई ये जानकार कि खास उसके लिए मैडी ये सब कर रहा है मगर उसको एक बात और समझ में आ गई कि मैडी उसको दाना डाल रहा है, सारा चक्कर चूत लेने का है बस।
 
दीपाली- मैं 100% आऊँगी जाओ तुमको जो तैयारी करनी है कर लो।

मैडी एकदम खुश हो गया और वहाँ से चला गया। दीपाली भी स्कूल की तरफ बढ़ने लगी।

(दोस्तो, आज विकास सर ने दीपाली को कई बार देखा मगर आज दीपाली ने बस हल्की सी मुस्कान दी उसका ध्यान तो प्रिया पर था.. दिन ऐसे ही बीत गया।)

छुट्टी के बाद प्रिया को ले कर वो घर की तरफ जाने लगी।

दीपाली- हाँ तो अब बता तूने क्या सोचा?

प्रिया- सोचना क्या था मेरा तो अब भी वही जवाब है कि हाँ.. मुझे दीपक चाहिए बस।

दीपाली- अच्छा एक बात तो बता तेरे दिमाग़ में ये ख्याल आया कैसे और दीपक ही क्यों और कोई भी तो हो सकता है.. अगर तू कहे तो सर से बात कर लूँ.. इसमें दो फायदे हैं.. एक तो सर मज़ा बहुत देते हैं दूसरा तू भाई के साथ सेक्स के पाप से बच जाएगी।

प्रिया- नहीं नहीं, सर को बताना भी मत.. समझी और कैसा पाप.. आजकल तो सगे भाई-बहन मज़ा ले रहे हैं.. फिर ये तो दूर के चाचा का बेटा है.. तू ये ज्ञान देना बन्द कर.. बस ‘हाँ’ कह दे कि मेरी हेल्प करेगी और आइडिया कैसे आया ये लंबी कहानी है.. घर चल कर बताऊँगी।

दीपाली- अच्छा हाँ.. बस खुश.. मगर तूने क्या सोच कर मुझे ये बात बताई है.. मैं कैसे तेरी मदद करूँगी?

प्रिया- कल जब उन तीनों की बात मैंने सुनी.. उसी वक्त मुझे एक आइडिया दिमाग़ में आया कि वो तीनों तेरे ऊपर लट्टू हैं.. अगर कुछ ऐसा हो कि तेरी जगह मैं आ जाऊँ और उनसे चुदवा लूँ.. बस यही सोच कर मैंने तेरे को बताई ये बात..

दीपाली- मगर कैसे यार?

प्रिया- तू इसकी टेन्शन मत ले.. मैंने बहुत सी चुदाई की कहानी पढ़ी हैं.. एक से एक आइडिया मेरे पास हैं।

दीपाली- लो बातों में पता भी नहीं चला.. घर भी आ गया।

दोनों घर में चली जाती है सामान्य सी फॉरमॅलिटी के बाद दोनों साथ खाना खा लेती हैं और दीपाली के कमरे में पढ़ाई के बहाने चली जाती हैं।

दीपाली- चल आजा अब यहाँ बैठ कर सबसे पहले मुझे ये बता कि दीपक का ख्याल तुझे कैसे आया और दूसरी बात क्या कभी तूने किसी के साथ कुछ किया है?

प्रिया- नहीं यार मैंने ऊँगली के सिवा कभी कुछ नहीं किया.. हाँ दीपक के बारे में तुझे शुरू से सब बताती हूँ। तभी तुमको मेरी चाहत समझ में आएगी।

दीपाली- चल बता में भी तो सुनू कि आख़िर माजरा क्या है?

प्रिया- अच्छा सुन देख तू तो जानती है दीपक और उसके दोस्त कितने बिगड़े हुए हैं।

दीपाली- हाँ यार पता है तू अपनी बात बता ना…

प्रिया- तू सुन तो.. बीच में मत बोल।

दीपाली- सॉरी चल.. अब नहीं बोलूँगी.. आगे की बात बता।

प्रिया- कई बार दीपक अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर घर आ जाता था.. किसी को पता नहीं चलता था।

दीपाली एकदम ध्यान से सब सुन रही थी।

प्रिया- अब सुन मेरी बात पिछले एक साल से मैं चुदाई की कहानी पढ़ रही हूँ और हर तरह की कहानी मैंने पढ़ी हुई हैं.. उसमें भाई-बहन की कहानी भी शामिल थीं। मेरे दिमाग़ में चुदाई करने की इच्छा ने जन्म ले लिया। स्कूल में कोई मुझे देखता भी नहीं था और मेरी चुदने की इच्छा दिन पर दिन बढ़ने लगी। एक बार चाचा जी को दीपक के शराब पीने की आदत का पता चल गया और उन्होंने उसे बहुत मारा और घर से निकाल दिया। मेरे पापा का स्वभाव थोड़ा नर्म है और चाचा बहुत तेज गुस्से वाले हैं। तब मेरे पापा दीपक को हमारे यहाँ ले आए ... उसे जरा भी होश ना था.. बड़ी मुश्किल से ऊपर मेरे कमरे के पास वाले कमरे में उसे लिटा कर पापा चले गए। उनके जाने के बाद माँ ने कहा कि उसके कमरे में पानी रख आओ और कुछ फल वगैरह भी रख दो.. होश आएगा तो खा लेगा।

दीपाली एकदम ध्यान से सब सुन रही थी।

- जब मैं कमरे में गई वो बैठा हुआ था जैसे ही मैं उसके पास गई उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगा- स..सुन तो यार म..मेरी बात गौर से सुन.. साला जिन्दगी का कचरा हो गया है सोनू.. तू मेरा भाई है ना.. तू.. मुझे अरे यार साला बात के बीच में मूत आ गया यार.. मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम तक ले चल ना.. स..साली आज तो ज्ज..ज़्यादा चढ़ गई है। मुझे कुछ समझ नहीं आया क्या करूँ.. क्योंकि वो मुझे अपना दोस्त समझ रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और बाथरूम तक ले गई।

दीपाली- यार क्या बोल रही है.. किसी ने देखा नहीं..?

प्रिया- अरे कमरे में बाथरूम था यार बाहर नहीं गई.. अब तू सुन…

दीपक- अरे स..साली ज़िप नहीं खुल रही आह्ह… साला मूत भी अन्दर ही निकल जाएगा।

प्रिया- मुझे लगा ये यहीं सूसू कर देगा.. मैंने नीचे बैठ कर उसकी ज़िप खोली.. उसने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। सीधे ही उसका लण्ड मेरी आँखों के सामने आ गया.. यार सोया हुआ भी बड़ा मस्त लग रहा था और मज़े की बात एकदम क्लीन था। मैंने हाथ से पकड़ कर उसे बाहर निकाला।
 
Back
Top