desiaks
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- Aug 28, 2015
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मैं बस बाहर जाकर सारे लगेज अंदर लाया और डोर बंध कर दिया.
येही है आज से हमारा घर, हमारा संसार.
उनके पति का घर है यह.
माँ मुझे यह सब करते हुए देख रही थी.
वह और कुछ नहीं देख रही है, केवल साइड में खड़े होकर मेरे ऊपर नज़र टिकाके रखे है.
वह भी मेरी इस तरह अदायें देखते हुए मुझे नये तरह से अविस्कार कर रही होगी.
और शायद उसी लिए वह भी थोड़ा आश्चर्यचकित है और मन में एक अद्भुत आनंद की अनुभुति से उनके अंदर भी एक तूफ़ान चल रहा होगा.
मैं उनसे नज़र मिलाकर स्माइल दिया.
और फिर धीरे कदमों में उनके पास गया.
अब हमारी नज़र टीका हुआ है और एक दूसरे को नये तरह से अविस्कार के ख़ुशी से हम दोनों एक दूसरे के प्यार में खो रहे है.
मैं उनके एकदम पास गया.
वह अभी भी उन बड़े बड़े आँखों से प्यार लेकर मुझे बस देखते रहि.
मैं मन में हिम्मत लेकर मेरा हाथ बढाके उनके दोनों कंधे पक़डे.
और उनको मेरी तरफ खिचके मेरी बाँहों में भर लिया.
माँ ने कोई विरोध नहीं कीया और वह भी उनके शरीर को मेरे शरीर के साथ मिलाकर मुझे कसके पकड़ ली.
वह अपने सर को मेरे छाती के ऊपर रख के उनके दोनों हाथ मेरा पीछे ले जाकर मेरी पीठ को पकड़ के रखी है.
मैंने भी मेरे दोनों हाथ उनके पीठ के ऊपर ले जाकर उनको मेरे शरीर के साथ कसके पकड़के रखा है.
हम एक दूसरे की दिल की तेज धड़कनें मेहसुस करने लगे.
हम कुछ वक़्त ऐसे ही एक दूसरे को बाँहों में भरके फील करते रहे और हमारी सांसे तेज होने लगी.
मैं धिरे से उनके कांन के पास मेरे होठ ले जाकर बोला.
“आई लव यु”.
माँ बस मेरी बाँहों में पिघलते पिघलते धीरे धीरे बोलि.
“आई लव यु टू”.
हम एक दूसरे को कसके एक दूसरे के शरीर के साथ मिलाने लगे. मैं उनके नरम बोब्स को मेरे छाती पे मेहसुस करने लगा. और मेरा पेनिस मेरे जीन्स के अंदर धीरे धीरे सख्त होने लगा. हम एक दूसरे की पीठ को धीरे धीरे सेहलाने लगे. मैं तभी फुसफुसाकर उनके कांन में बोला
"अब टाइम आया की नहीं?
माँ ने शर्मा के मेरे छाती में अपना चेहरा छुपाया और फुसफुसाकर कहा.
“कौनसा”?.
मैने मेरे शरीर के हर कोने में उनके शरीर को मेहसुस करते हुए कहा
"तुम हमेशा हर चीज़ के लिए बोलती थी.. टाइम आने दीजिये..टाइम आने दीजिये...अभी भी वह टाइम नहीं आया क्या?
माँ ने इसका कोई जवाब न देकर मुझे बस और कसके पकड़के अपना शर्माया हुआ चेहरा छुपा रही है.
मैं मेरी आवाज़ में बहुत सारा प्यार और पैशन लेकर कहा
"बोलो ना मंजु"
मा कुछ पल कुछ न बोलके ऐसे ही मुझे पकड़के खड़ी रहि.
फिर कुछ पल बाद वह अपना चेहरा मेरे छाती से थोड़ा अलग कीया.
उनके पूरे शरीर में एक हल्का सा कम्पन हो रहा है और में उसको मेहसुस कर पा रहा हु.
मेरे भी अंदर एक तूफ़ान चल रहा है और मेरा पेनिस अब फुलकर एक दम बड़ा होने लगा.
फिर माँ अपना चेहरा धीरे धीरे ऊपर की तरफ करने लगी.
उनकी सांस तेज हो रही है. आँख बंध करके रखी है.
मैं केवल प्यार से उनको देखे जा रहा हु.
मैं भी उत्तेजना के कारन गरम होने लगा.
माँने अपना चेहरा रुक रुक के ऊपर किया.
उनके होठ काँप रहे है.
गुलाबी पतले होठो में प्यार और शर्म लगा हुआ है.
मेरे सवाल का कोई जवाब न देकर वह बस ऐसे अपना चेहरा ऊपर करके उनके होठ मुझे समर्पण करने के लिए खड़ी है.
मेरे छाती में जैसे कोई हज़ारो हथोडे पीट रहा है.
खूंन दौड रहा है और पेनिस में जाकर जमा होकर उसको और सख्त और खड़ा कर दिया.
पूर्ण समर्पित भाव से मेरे सामने खड़ी मेरी माँ,
जो की अब मेरी शादी कि हुई बीवी है,
उनके पीठ में अपने हाथ से उनको प्यार से पकड़ के मेरे होठो को धीरे धीरे उनके होठो की तरफ झुका ने लगा.
माँ आंख मूंद के रखी है, मेरा चेहरा उनके चेहरे के एकदम पास आते ही हम एक दूसरे की गरम सांस एक दूसरे के चेहरे पे मेहसुस करने लगे.
मेरे भी अंदर का कम्पन मुझे और आगे बढ्ने के लिए मजबूर किया और में मेरे होठ को माँ के होठ के ऊपर मिला दिया.
माँ का होठ टच होते ही उनका पूरा बदन एकदम काँप उठा.
मेरे शरीर में लिप्त हुआ , मेरे हाथ में पकडे हुये उनके नरम और हलके शरीर मे मैं वह कम्पन महसुस किया.
मेरे भी अंदर तूफ़ान सा चलने लगा.
मैं मेरा मुह हल्का सा खोला और माँ के दोनों होठो को हलके से एक बार चुस लिया.
मेरे मुह का गिला पण उनके होठ पे टच हुआ और वह भी धीरे से अपना मुह हल्का सा खोलि.
मैं जैसे दोबारा मेरे होठ उनके ऊपर रखे तो हम एक दूसरे के एक एक होठ को अपने अपने होठो के बीच पाया और धीरे धीरे उसको प्यार से हल्का हल्का चुसने लगा .
हम एक दूसरे के होठो को ऐसे चुस रहे है जैसे की हम मख़्खन की बनी हुई कोई चीज़ पे होठ लगाके चुस रहे है
यह ध्यान में रख के की उस मख़्खन की चीज़ का साइज शेप बरक़रार रख के चुसना है.
जोर से चूसूंगा तो वह पूरा पिघलके मुह में आजायेगा नहीं तो डैमेज होकर उनका शेप बिगड जाएगा.
वैसी सावधानी से हम नये नये लवर्स के जैसे एक दूसरे के होठ को धीरे धीरे चुसके हमारे प्यार को जताने लगे.
माँ का हाथ अब मेरी पीठ से धीरे धीरे ऊपर आकर मेरा कन्धा पकड़ी है.
मैं मेरा लेफ्ट हाथ से उनके पीठ के ऊपर सहलाने लगा.
और राईट हाथ से उनकी कमर को पकड़ के हमारा बैलेंस बनाके रखा है.
मैं धीरे धीरे मेरा मुह और खोलकर उनका पूर होठ मेरे मुह में लेने की कोशिश किया और मेरा जीब से उनके होठ चाटने लगा.
वह भी उनका मुह खोल के मुझे सहज कर दे रही है. माँ जिस तरह मेरे होंटो को किस कर रही थी वो पल मेरे लाइफ के बेस्ट पलो में से एक था
किस मतलब बस होंटो से होंट मिला दो , या सक करो , या जोर से दबा लो ऐसा नहीं होता
आज माँ मुझे जो किस कर रही है उसकी कल्पना में सपनो में भी नहीं कर सकता था
सपना तो अपने हाथों में होता है , जैसे चाहो इमेजिन कर सकते हो जैसे चाहे बेस्ट बना सकते हो , फिर भी सपने माँ के किस के सामने कुछ नहीं थे
मै तो स्टेचू बन गया
किस में इतना प्यार हो सकता है कभी सोचा नहीं था
अगर माँ के किस में इतना जादू है तो आगे आगे तो में सच मच स्वर्ग में न चला जाऊ
माँ के अंदर कितना प्यार छुपा है ये आज देखने को मिला
भले इतने सालो बाद उनको ये मोक्का मिला था फिर भी कोही जल्दबाज़ी नहीं थी किस करने में
आभी भी जिस सॉफ्टनेस से किस कर रही थी उस से वो किसी की भी जान ले लेंगी
जांन लेवा किस था
मेरा दिल तो इस किस को फील करने के लिये अपनी आंखे बंद करने को बोल रहा था
माँ के होंट मेरे होंटो पे मक्खन जैसे मूव हो रहे थे हम दोनों जिस तरह किस करने लगे उस से लग रहा था जैसे हम २ जिस्म एक जान हो
हमारी आत्मा आज एक दूसरे को प्यार कर रही है ऐसा लग रहा था
हमारी आत्माओ का मिलन हो रहा था मैंने मेरी जबान एकबार उनके मुह के अंदर डाली.
उनकी जबान से टकराया, फिर माँ ने अपनी जबान मेरे मुह सरकाई मैने उनकी जबान अपने होठो से पकड़ कर चुसना चालू किया
आह क्या स्वाद था जैसे शहद लगा हो
उनकी जबान बहोत देर चुसने के बाद अपनी जबान उनके मुह में डाली अब माँ की बारी थी माँ भी मेरी जबान पुरी तरह मग्न होकर चुसने लगी
फिर मैं अपनी जीभ निकालके उनके ऊपरवाले होठ को चुस्ने लगा.हमरा किस धीरे धीरे गहरा होते जा रहा है.
दोनों के हाथ के संचालन से एकदूसरे को पता चल रहा है की हम कितने उत्तेजित होगये है.
मेरे ज़िन्दगी का पहला किस है. वह भी अपनी माँ यानि की बीवी के साथ. माँ भी १८ साल बाद किसी पुरुष का स्पर्श पाकर धीरे धीरे मेरे बाँहों में पिघलते जा रही है. हमारे शरीर के बीच एक भी गैप नहीं जहाँ थोडी हवा भी रह पा रही.
दोनों का शरीर एक दूसरे से मिल गया.
मेरा पेनिस उनके शरीर में टकराके यह बताने की कोशिश कर रहा है की अब वह ज़ादा वक़्त ऐसे नहीं रहना चाहता है.
वह उनके पसन्दीदा जगह पे जाना चाहता है. माँ भी मेरा मन की चाहत को समझ रही है.
वह अब उनके तन मन उनके बेटे, जो की अब उनका पति है, उनके पास पूरा समर्पण करने के लिए तैयार हो रही है.
अचानक मोबाइल रिंग होने लगा.
हम बस एक दूसरे में खोये हुए थे तो पहले हम सुने नहि.
फिर थोडे टाइम बाद फ़ोन की घंटी हम दोनों को इस दुनिया में वापस लाई
येही है आज से हमारा घर, हमारा संसार.
उनके पति का घर है यह.
माँ मुझे यह सब करते हुए देख रही थी.
वह और कुछ नहीं देख रही है, केवल साइड में खड़े होकर मेरे ऊपर नज़र टिकाके रखे है.
वह भी मेरी इस तरह अदायें देखते हुए मुझे नये तरह से अविस्कार कर रही होगी.
और शायद उसी लिए वह भी थोड़ा आश्चर्यचकित है और मन में एक अद्भुत आनंद की अनुभुति से उनके अंदर भी एक तूफ़ान चल रहा होगा.
मैं उनसे नज़र मिलाकर स्माइल दिया.
और फिर धीरे कदमों में उनके पास गया.
अब हमारी नज़र टीका हुआ है और एक दूसरे को नये तरह से अविस्कार के ख़ुशी से हम दोनों एक दूसरे के प्यार में खो रहे है.
मैं उनके एकदम पास गया.
वह अभी भी उन बड़े बड़े आँखों से प्यार लेकर मुझे बस देखते रहि.
मैं मन में हिम्मत लेकर मेरा हाथ बढाके उनके दोनों कंधे पक़डे.
और उनको मेरी तरफ खिचके मेरी बाँहों में भर लिया.
माँ ने कोई विरोध नहीं कीया और वह भी उनके शरीर को मेरे शरीर के साथ मिलाकर मुझे कसके पकड़ ली.
वह अपने सर को मेरे छाती के ऊपर रख के उनके दोनों हाथ मेरा पीछे ले जाकर मेरी पीठ को पकड़ के रखी है.
मैंने भी मेरे दोनों हाथ उनके पीठ के ऊपर ले जाकर उनको मेरे शरीर के साथ कसके पकड़के रखा है.
हम एक दूसरे की दिल की तेज धड़कनें मेहसुस करने लगे.
हम कुछ वक़्त ऐसे ही एक दूसरे को बाँहों में भरके फील करते रहे और हमारी सांसे तेज होने लगी.
मैं धिरे से उनके कांन के पास मेरे होठ ले जाकर बोला.
“आई लव यु”.
माँ बस मेरी बाँहों में पिघलते पिघलते धीरे धीरे बोलि.
“आई लव यु टू”.
हम एक दूसरे को कसके एक दूसरे के शरीर के साथ मिलाने लगे. मैं उनके नरम बोब्स को मेरे छाती पे मेहसुस करने लगा. और मेरा पेनिस मेरे जीन्स के अंदर धीरे धीरे सख्त होने लगा. हम एक दूसरे की पीठ को धीरे धीरे सेहलाने लगे. मैं तभी फुसफुसाकर उनके कांन में बोला
"अब टाइम आया की नहीं?
माँ ने शर्मा के मेरे छाती में अपना चेहरा छुपाया और फुसफुसाकर कहा.
“कौनसा”?.
मैने मेरे शरीर के हर कोने में उनके शरीर को मेहसुस करते हुए कहा
"तुम हमेशा हर चीज़ के लिए बोलती थी.. टाइम आने दीजिये..टाइम आने दीजिये...अभी भी वह टाइम नहीं आया क्या?
माँ ने इसका कोई जवाब न देकर मुझे बस और कसके पकड़के अपना शर्माया हुआ चेहरा छुपा रही है.
मैं मेरी आवाज़ में बहुत सारा प्यार और पैशन लेकर कहा
"बोलो ना मंजु"
मा कुछ पल कुछ न बोलके ऐसे ही मुझे पकड़के खड़ी रहि.
फिर कुछ पल बाद वह अपना चेहरा मेरे छाती से थोड़ा अलग कीया.
उनके पूरे शरीर में एक हल्का सा कम्पन हो रहा है और में उसको मेहसुस कर पा रहा हु.
मेरे भी अंदर एक तूफ़ान चल रहा है और मेरा पेनिस अब फुलकर एक दम बड़ा होने लगा.
फिर माँ अपना चेहरा धीरे धीरे ऊपर की तरफ करने लगी.
उनकी सांस तेज हो रही है. आँख बंध करके रखी है.
मैं केवल प्यार से उनको देखे जा रहा हु.
मैं भी उत्तेजना के कारन गरम होने लगा.
माँने अपना चेहरा रुक रुक के ऊपर किया.
उनके होठ काँप रहे है.
गुलाबी पतले होठो में प्यार और शर्म लगा हुआ है.
मेरे सवाल का कोई जवाब न देकर वह बस ऐसे अपना चेहरा ऊपर करके उनके होठ मुझे समर्पण करने के लिए खड़ी है.
मेरे छाती में जैसे कोई हज़ारो हथोडे पीट रहा है.
खूंन दौड रहा है और पेनिस में जाकर जमा होकर उसको और सख्त और खड़ा कर दिया.
पूर्ण समर्पित भाव से मेरे सामने खड़ी मेरी माँ,
जो की अब मेरी शादी कि हुई बीवी है,
उनके पीठ में अपने हाथ से उनको प्यार से पकड़ के मेरे होठो को धीरे धीरे उनके होठो की तरफ झुका ने लगा.
माँ आंख मूंद के रखी है, मेरा चेहरा उनके चेहरे के एकदम पास आते ही हम एक दूसरे की गरम सांस एक दूसरे के चेहरे पे मेहसुस करने लगे.
मेरे भी अंदर का कम्पन मुझे और आगे बढ्ने के लिए मजबूर किया और में मेरे होठ को माँ के होठ के ऊपर मिला दिया.
माँ का होठ टच होते ही उनका पूरा बदन एकदम काँप उठा.
मेरे शरीर में लिप्त हुआ , मेरे हाथ में पकडे हुये उनके नरम और हलके शरीर मे मैं वह कम्पन महसुस किया.
मेरे भी अंदर तूफ़ान सा चलने लगा.
मैं मेरा मुह हल्का सा खोला और माँ के दोनों होठो को हलके से एक बार चुस लिया.
मेरे मुह का गिला पण उनके होठ पे टच हुआ और वह भी धीरे से अपना मुह हल्का सा खोलि.
मैं जैसे दोबारा मेरे होठ उनके ऊपर रखे तो हम एक दूसरे के एक एक होठ को अपने अपने होठो के बीच पाया और धीरे धीरे उसको प्यार से हल्का हल्का चुसने लगा .
हम एक दूसरे के होठो को ऐसे चुस रहे है जैसे की हम मख़्खन की बनी हुई कोई चीज़ पे होठ लगाके चुस रहे है
यह ध्यान में रख के की उस मख़्खन की चीज़ का साइज शेप बरक़रार रख के चुसना है.
जोर से चूसूंगा तो वह पूरा पिघलके मुह में आजायेगा नहीं तो डैमेज होकर उनका शेप बिगड जाएगा.
वैसी सावधानी से हम नये नये लवर्स के जैसे एक दूसरे के होठ को धीरे धीरे चुसके हमारे प्यार को जताने लगे.
माँ का हाथ अब मेरी पीठ से धीरे धीरे ऊपर आकर मेरा कन्धा पकड़ी है.
मैं मेरा लेफ्ट हाथ से उनके पीठ के ऊपर सहलाने लगा.
और राईट हाथ से उनकी कमर को पकड़ के हमारा बैलेंस बनाके रखा है.
मैं धीरे धीरे मेरा मुह और खोलकर उनका पूर होठ मेरे मुह में लेने की कोशिश किया और मेरा जीब से उनके होठ चाटने लगा.
वह भी उनका मुह खोल के मुझे सहज कर दे रही है. माँ जिस तरह मेरे होंटो को किस कर रही थी वो पल मेरे लाइफ के बेस्ट पलो में से एक था
किस मतलब बस होंटो से होंट मिला दो , या सक करो , या जोर से दबा लो ऐसा नहीं होता
आज माँ मुझे जो किस कर रही है उसकी कल्पना में सपनो में भी नहीं कर सकता था
सपना तो अपने हाथों में होता है , जैसे चाहो इमेजिन कर सकते हो जैसे चाहे बेस्ट बना सकते हो , फिर भी सपने माँ के किस के सामने कुछ नहीं थे
मै तो स्टेचू बन गया
किस में इतना प्यार हो सकता है कभी सोचा नहीं था
अगर माँ के किस में इतना जादू है तो आगे आगे तो में सच मच स्वर्ग में न चला जाऊ
माँ के अंदर कितना प्यार छुपा है ये आज देखने को मिला
भले इतने सालो बाद उनको ये मोक्का मिला था फिर भी कोही जल्दबाज़ी नहीं थी किस करने में
आभी भी जिस सॉफ्टनेस से किस कर रही थी उस से वो किसी की भी जान ले लेंगी
जांन लेवा किस था
मेरा दिल तो इस किस को फील करने के लिये अपनी आंखे बंद करने को बोल रहा था
माँ के होंट मेरे होंटो पे मक्खन जैसे मूव हो रहे थे हम दोनों जिस तरह किस करने लगे उस से लग रहा था जैसे हम २ जिस्म एक जान हो
हमारी आत्मा आज एक दूसरे को प्यार कर रही है ऐसा लग रहा था
हमारी आत्माओ का मिलन हो रहा था मैंने मेरी जबान एकबार उनके मुह के अंदर डाली.
उनकी जबान से टकराया, फिर माँ ने अपनी जबान मेरे मुह सरकाई मैने उनकी जबान अपने होठो से पकड़ कर चुसना चालू किया
आह क्या स्वाद था जैसे शहद लगा हो
उनकी जबान बहोत देर चुसने के बाद अपनी जबान उनके मुह में डाली अब माँ की बारी थी माँ भी मेरी जबान पुरी तरह मग्न होकर चुसने लगी
फिर मैं अपनी जीभ निकालके उनके ऊपरवाले होठ को चुस्ने लगा.हमरा किस धीरे धीरे गहरा होते जा रहा है.
दोनों के हाथ के संचालन से एकदूसरे को पता चल रहा है की हम कितने उत्तेजित होगये है.
मेरे ज़िन्दगी का पहला किस है. वह भी अपनी माँ यानि की बीवी के साथ. माँ भी १८ साल बाद किसी पुरुष का स्पर्श पाकर धीरे धीरे मेरे बाँहों में पिघलते जा रही है. हमारे शरीर के बीच एक भी गैप नहीं जहाँ थोडी हवा भी रह पा रही.
दोनों का शरीर एक दूसरे से मिल गया.
मेरा पेनिस उनके शरीर में टकराके यह बताने की कोशिश कर रहा है की अब वह ज़ादा वक़्त ऐसे नहीं रहना चाहता है.
वह उनके पसन्दीदा जगह पे जाना चाहता है. माँ भी मेरा मन की चाहत को समझ रही है.
वह अब उनके तन मन उनके बेटे, जो की अब उनका पति है, उनके पास पूरा समर्पण करने के लिए तैयार हो रही है.
अचानक मोबाइल रिंग होने लगा.
हम बस एक दूसरे में खोये हुए थे तो पहले हम सुने नहि.
फिर थोडे टाइम बाद फ़ोन की घंटी हम दोनों को इस दुनिया में वापस लाई