Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 5 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

राधिका- अगर अब तुमने भी मुझे आटम बॉम्ब बोला ना ..तो मैं अभी यहाँ से चली जाउन्गि. फिर हाथ मलते रहना.

राहुल- नही हाथ तो नही मगर कुछ और ही मलना पड़ेगा. राधिका राहुल की बात समझते ही उसे ज़ोर से पिंच कर देती हैं.

राधिका- देख रही हूँ की तुम बहुत बिगड़ गये हो.

राहुल भी उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने होंठ उसके होंठ पर रखकर धीरे धीरे उसे चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो अपना हाथ उसके सर पर रख देती हैं.

कुछ देर तक दोनो ऐसे ही एक दूसरे के होंठ चूस्ते हैं फिर राहुल अपने हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए उसके सीने पर रख देता हैं और दूसरा हाथ उसके गान्ड पर रखकर धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता है.

राधिका- प्लीज़ राहुल, मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी आग आज ठंडी कर दो ना.

राहुल- तो बताओ ना तुम्हारी आग को मैं कैसे ठंडा करू. कहों तो पानी ले कर आऊ.

राधिका- घूर कर देखते हुए. जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती.

राहुल- अरे मेरी जान नाराज़ क्यों होती हो, बताओगि नही तो मैं तुम्हारे आग का इलाज़ कैसे करूँगा.

राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल उससे क्या कहलवाना चाहता हैं. लेकिन राधिका को अभी भी ये सब बोलने में झिझक हो रही थी.

राधिका- राहुल मुझे शरम आती हैं वो सब बात करने में. प्लीज़ ऐसे ही कर लो ना आज. ज़रूरी हैं क्या हर बात बोलना.

राहुल- क्यों खाना खाती हो तो पानी नही पीती क्या. वैसे ही ये भी ज़रूरी हैं. अगर नही कहोगी तो मैं भी आज कुछ नही करने वाला.

राहुल - बोलो ना जान. मुझसे कैसी शरम आज मैं तुम्हारी बेशर्मी देखना चाहता हूँ. क्या तुम मेरे लिए इतना भी नही कर सकती.

राधिका- पहले से ही बेशरम बना दिया हैं मुझे, और अब क्या बाकी रह गया हैं.

राहुल- तो फिर देर किस बात की है, चलो शुरू हो जाओ.

राधिका- ठीक हैं राहुल अगर तुम्हें ये सब से खुशी मिलती हैं तो ये ही सही. आज मैं तुम्हें अपनी पूरी बेशर्मी दिखाउंगी अगर सच में अगर तुम ना शरमा गये तो मेरा नाम भी राधिका नहीं.

राहुल- तो देख लेते हैं कि किसमे कितना दम हैं.

राधिका- अब बातें भी करोगे या कुछ शुरू भी करोगे.

राहुल- मैं नही कुछ करने वाला आज जो भी करोगी तुम करोगी. समझ लो कि मैं नया हूँ और तुम मुझे आज सब कुछ सिखा रही हो.

राधिका- अच्छा, ये क्या बात हुई. जाओ .......मैं........... ये नही कर सकती.

राहुल- फिर ठीक हैं मैं भी अब जाता हूँ.

राधिका तुरंत राहुल का हाथ पकड़ लेती हैं और उसका हाथ अपने राइट बूब्स पर रखकर ज़ोर से मसल देती हैं.

राधिका- आओ ना राहुल, मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. आओ और अपने राधिका को अच्छे से , अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ कर चोदो.

अब चौकने की बारी राहुल की थी. उसने कभी सपने में भी राधिका से ऐसी उम्मीद नही की थी. और उसका बड़ा सा मूह खुल जाता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो मैने कुछ ग़लत तो नही कहा ना. जो तुम चाहते थे वही तो बोला हैं.

राहुल- राधिका , मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा कि तुम इतनी बिंदास होकर ऐसे बातें कैसे बोल सकती हो.
 
राधिका अपने सर पर हाथ रखकर- हे भगवान!!! अब मैं क्या करू. नही बोलती हूँ तो कहते हो बोलो. अब बोल दिया तो कह रहे हो कैसे बोल दिया. अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ...........

राहुल- ठीक हैं , ठीक हैं, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, जो तुम्हे अच्छा लगे तुम बोलो. मैं अब कुछ नहीं बोलुगा.

राधिका- यार तुमने तो अच्छे भले चुदाई के खेल का पूरा सत्यनाश कर दिया. मेरी बात मानो थोड़ा फ्रेश हो जाते हैं फिर बाद में देखेंगे.

अब राहुल भी बुरा सा मूह बनाकर बिस्तर से उठ जाता हैं और फिर बाथरूम में जाकर मूह हाथ धो कर आता हैं.

राहुल- चलो पहले खाना खा लेते हैं फिर..बाद में वो सब करेंगे. अभी तो पूरा टाइम पड़ा हैं.

कुछ देर में राहुल और राधिका नीचे आते हैं और फिर रामू काका वही ड्रॉयिंग टेबल पर खाना परोसते हैं.

कुछ देर तक राहुल चुप चाप खाना ख़ाता हैं और फिर राधिका से कहता हैं.

राहुल- एक बात तो मैं तुम्हें बताना भूल ही गया. अगले हफ्ते मेरा प्रमोशन हो रहा हैं. मैं अब सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ. और मुझे नॉमिनेट करने के लिए सहर से बड़े बड़े लोग भी आ रहे हैं. तुमको भी ज़रूर आना होगा.

राधिका- तुमने ये कैसे सोच लिया कि मैं नही आउन्गि. ज़रूर आउन्गि. और तुमसे ज़्यादा मुझे खुशी होगी. मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.............................................

खाना खाने के करीब 1/2 घंटे बाद राहुल राधिका को अपने गोद में उठाकर सीधा अपने रूम में ले जाता हैं.

राधिका- अरे ये क्या कर रहे हो राहुल . मुझे नीचे उतारो प्लीज़.

राहुल- नहीं. अब तो मैं सीधे तुम्हे अपने बेडरूम में लेजाकार ही नीचे उतारूँगा.

राधिका भी अपनी बाहें राहुल के गले में डाल देती हैं और वो मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखने लगती हैं.

राहुल- ऐसे क्या देख रही हो जान.

राधिका- सोच रही हूँ कि आज तुम्हें मैं पूरी तरह से खुस कर दूं ताकि आज के बाद तुम्हें मुझसे कोई गिला शिकवा ना रहे.

राहुल- खुशी से चहकते हुए. सच में तो इसका मतलब जो मैं चाहता हूँ तुम वो सब करोगी.

राधिका- हां जो बोलॉगे वो सब करूँगी. अरे आज तो तुम्हें कुछ सिखाना भी हैं ना...........मिस्टर.

राहुल- क्या बात हैं जान आज तक मैने तुम्हारा ये रूप पहले कभी नहीं देखा.

राधिका- आज तो मैं तुम्हें बहुत कुछ दिखाने वाली हूँ जो तुमने आज तक नही देखा. और राधिका के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं.

राहुल जैसे ही राधिका को अपने रूम में ले आता हैं वो झट से उसे नीचे उतारता हैं और फिर दरवाज़े बंद कर लेता हैं.

राधिका भी राहुल को धक्का देकर उसे बेड पर गिरा देती हैं और फिर वही बेड के पास वो वही खड़ी रहती हैं.

राहुल- राधिका बताओ ना कहीं तुम मेरा सच में रेप तो नहीं करने वाली हो ना. अगर ऐसा हैं तो लगता हैं मुझे सच में शूसाइड करना पड़ेगा. तुम तो जानती हो ना ये कितने शर्म की बात होगी कि एक पोलिसेवाले का रेप वो भी उसी की प्रेमिका के हाथों.

राधिका अपनी एक उंगली अपने लिप्स पर रखती हैं और राहुल को चुप होने का इशारा करती हैं. राहुल भी बेचारा चुप होकर राधिका को देखने लगता हैं.

राधिका- आज मैं बोलूँगी और तुम चुप चाप सुनोगे. और राधिका अपना दुपट्टा अपने सीने से हटा देती हैं और उसे एक तरफ़ रख देती हैं.

राहुल- बोलो ना राधिका तुम क्या करने वाली हो. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.

राधिका- कहाँ ना अपना मूह बंद रखो.

राधिका फिर धीरे से राहुल के एक दम करीब आती हैं और अपना होंठ उसके होंठ पर रखकर धीरे धीरे उसे चूसना शुरू कर देती है. और कुछ देर में अपने दाँत से उसके लिप्स को हल्का सा काटने लगती हैं.

फिर वो धीरे से उठकर अपने बूब्स को राहुल के मूह पर धीरे धीरे रगड़ना शुरू कर देती हैं.

राधिका- क्यों आपका लंड अभी खड़ा हुआ कि नही. राधिका के अचानक ऐसे सवाल से राहुल तुरंत हड़बड़ा जाता हैं.

राहुल- राधिका......... सच में तुम बहुत बोल्ड हो.

राधिका- अभी तुमने मेरा बोल्डनेस देखा ही कहाँ हैं. ये तो बस शुरूआत हैं. देखते जाओ आगे आगे मैं क्या करती हूँ.
 
राधिका फिर धीरे से अपना कुरती उतार देती हैं और अब वो ब्रा में राहुल के सामने थी.

राधिका- क्या आँखें फाड़ कर देख रहे हो. मुझे बिना कपड़ों के पहले कभी नही देखा क्या.

राधिका के ऐसे तेवर को देखकर राहुल की बोलती पहले से ही बंद हो चुकी थी. आज मैं बताती हूँ कि रेप क्या होता हैं. आज इतिहास में एक लड़की एक लड़के का रेप करेगी. वो भी पोलीस वाले का .बोलो मुझपर कौन सी धारा और चार्जेशेट फाइल का केस करोगे .

राहुल- आरे मेडम क्यों तुम मेरी बॅंड बजाने पर तुली हो. अरे मेरी बस इतनी ही खता हैं कि मैने तुम्हें ज़रा खुलकर सेक्सी बातें करने को कहा था और तुम ................. लगता हैं सच में आज मेरी शामत आने वाली हैं.

राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल के शर्ट का बटन को एक एक कर खोलने लगती हैं. फिर वो उसका पेंट भी उतार देती हैं.

राधिका उसके उपर आ जाती हैं और फिर एक दम धीरे धीरे अपने लब से चूमते हुए पहले उसके होंठ और फिर गर्देन से होते हुए उसके सीने पर अपना होंठ फ़िराने लगती हैं. और फिर उसका बनियान भी निकाल देती हैं. फिर से वो अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटते हुए उसके निपल्स और पेट पर अपनी जीभ फिराती हैं. राहुल की हालत खराब होने लगती हैं और वो कस कर राधिका के बूब्स को मसल देता हैं.

राहुल- क्या जान आज सच में मुझे पागल बनाने का इरादा हैं क्या. कहाँ से सीखा ये सब.

राधिका- मैने बहुत सी ब्लू फिल्म्स में ऐसे देखा हैं. बस कुछ देख कर और कुछ.........................

राहुल- और कुछ?????क्या मतलब...... राहुल हड़बड़ाते हुए बोला.

राधिका- क्यों तुम मर्द लोग ही सब मज़े कर सकते हो क्या हमारा कोई हक़ नही बनता.

राधिका- रहने दो नही तो कहोगे कि मैं कॅरक्टर लेस हूँ. वैसे भी तुम तो बड़े शरीफ बनते हो.

राहुल- बनते हो का क्या मतलब... शरीफ हूँ. मैं तुम्हारी तरफ ब्लू फ़िल्मे नहीं देखता.

राधिका-ओह.....हो.... तो आज मैं तुम्हारी शराफ़त अभी थोड़े देर में उतार देती हूँ. इतना कहकर राधिका राहुल के अंडरवेर उतार देती है.

राधिका- तो ये हैं शराफ़त आपकी. देखो कैसे लंड महाराज खड़े होकर मुझे सलामी दे रहे हैं.

राहुल- अरे ऐसे ऐसे तेवर दिखाओगि तो क्या लंड नही खड़ा होगा. इसमें मेरी क्या ग़लती हैं.

राधिका- अच्छा अब मेरी ग़लती हैं. इतने ही साधु होते तो अपने लंड को पूरी कंट्रोल में नही रखते क्या.

राहुल- यार तुमसे तो बहस करना बेकार हैं. मुझे माफ़ करो मेरी मा ...............मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ. तुम जीती मैं हारा. बस.................

राधिका- वो तो अभी पता चल जाएगा बिस्तर पर कि कौन जीतता हैं और कौन हारता हैं.

राहुल- आज जान गया मैं औरत के असली रूप को. बस मुझे माफ़ करो और जो करना हैं कर लो.

राधिका- अरे मेरी जान इतनी भी क्या जल्दी हैं. अभी तो बस मैने ट्रेलर दिखाया हैं. अभी पूरी पिक्चर बाकी हैं.

राहुल- क्या ??? तो इसका मतलब अभी और भी कुछ बाकी हैं क्या.???

राधिका- ये तो शुरूवात हैं. बस देखते जाओ आगे आगे क्या होता हैं.

राधिका फिर धीरे से अपना सलवार खोल देती है और उसे अपने जिस्म से अलग कर देती हैं. फिर उसके बाद अपना ब्रा और पैंटी भी निकालकर एक दम नंगी हो जाती हैं. अब राहुल के भी जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.

राहुल बड़े गौर से राधिका को देखता है.

राधिका- तुम्हे टोमॅटो सॉस पसंद है क्या. ???

राहुल- आश्चर्य से!!!! अरे अब ये टोमॅटो सॉस बीच में कहाँ से आ गया. क्या फिर से भूक लगी हैं क्या.??

राधिका- तुमसे जितना पूछा जाए उतना ही बोलो. बोलो पसंद हैं कि नहीं.

राहुल- बात तो ऐसे कर रही हो जैसे की मैं कोई मुजरिम हूँ और तुम मुझे टॉर्चर कर रही हो. मुझे टोमॅटो सॉस बिल्कुल पसंद नहीं.

राधिका- आज के बाद तुम्हें ज़रूर पसंद आएगा.इतना बोलकर राधिका झट से किचेन में चली जाती हैं और कुछ देर में वो टोमॅटो सॉस की एक बॉटल लेकर राहुल के पास आती हैं.

राहुल- अब इसका क्या करने वाली हो मेडम. मुझे तुम्हारे इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं.

राधिका फिर से अपनी लिप्स पर उंगली रख देती हैं और राहुल को चुप रहने का इशारा करती हैं. राहुल भी मज़बूरन चुप हो जाता हैं.

राधिका- आज मैं तुम्हें टोमॅटो सॉस का रियल टेस्ट करवाउंगी . इसके बाद तुम इसे खाने के लिए हमेशा बेचैन रहोगे.

राहुल भी हैरत से राधिका को चुप चाप देखने लगता हैं.
 
राधिका फिर धीरे से टोमॅटो सॉस की बॉटल खोलती हैं और सबसे पहले उसे राहुल के लिप्स पर गिराना शुरू करती हैं. राहुल को अब समझ में आ जाता हैं कि अब राधिका उसके साथ क्या करने वाली हैं.

राधिका थोड़ा सा सॉस राहुल के होंठ पर गिराने के बाद अपने लबो को राहुल के लबो पर रख देती हैं. फिर बहुत धीरे धीरे उसे अपने जीभ से चाटना शुरू करती हैं. उसके बाद वो उसे अच्छे से चाट कर पूरा अपने मूह में ले लेती हैं. और इस बार वो अपने जीभ पर थोड़ा सा सॉस गिरा देती हैं और राहुल को अपनी जीभ निकालने का इशारा करती है. राहुल भी अपनी जीभ पूरी निकाल देता हैं.

राधिका फिर धीरे से अपना जीभ राहुल के जीभ से सटाती हैं और फिर धीरे धीरे वो टोमॅटो सॉस को उसके मूह में ट्रान्स्फर करती हैं. इस बार राहुल कुछ देर तक उसे अपने मूह में रखता हैं फिर वो भी अपने गले के नीचे उतार देता हैं.

राधिका- कैसा लगा टोमॅटो सॉस का टेस्ट.

राहुल- विश्वास नही होता राधिका कि तुम .........................

राधिका- अभी तुमने राधिका को अच्छे से जाना ही कहाँ हैं. आज मैं तुम्हें दिखाउंगी कि राधिका हैं क्या चीज़.........

फिर राधिका टोमॅटो सॉस को राहुल की गर्दन से गिराते हुए उसके सीना और निपल्स पर गिराती हैं. फिर वो बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराती हुई उसके गर्दन से होते हुए उसके निपल्स को अच्छे से चाट ती हैं और राहुल की हालत खराब होने लगती हैं.

राहुल- बस करो ना जान . आज मुझे मार डालगी क्या. बस अब सहन नहीं होता......आ.ह..

राधिका- क्या सहन नही होता. बोलो ना...

राहुल भी अब समझ जाता हैं कि राधिका ने उसकी चाल उसी पर चल दी हैं. जो सवाल राहुल अक्सर राधिका से पूछता था आज राधिका वो सवाल उससे पूछ रही है.

राहुल- सच में तुम जितनी खूबसूरत हो उतना ही तुम्हारा दिमाग़ भी तेज़ हैं. मेरी बिल्ली और मेरे से ही मियाऊ........

राधिका- तुमने बताया नही राहुल कि तुम्हें क्या सहन नहीं होता.

राहुल- मुस्कुराते हुए. यार तुमने ऐसे हालत पैदा कर दिए हैं कि अब मेरी भी बोलती बंद हो गयी हैं. सच में अब मुझे भी शरम महसूस हो रही हैं.

राधिका फिर वही सॉस को उसके लंड पर गिराने लगती हैं उर फिर अपनी उंगली से उसका टोपा खोलकर कुछ सॉस वहाँ पर भी गिरा देती हैं. फिर वो अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटना शर कर देती हैं. राहुल के ना चाहते हुए भी एक तेज़्ज़ सिसकारी उसके मूह से निकल जाती हैं. .

उसके बाद वो थोड़ा सा सॉस उसके बॉल्स पर भी गिरा देती हैं और एक एक करके उसके दोनो बॉल्स को अपने मूह में लेकर उसे चूसना चालू कर देती हैं. राहुल एक दम बेचैन हो जाता हैं.

राहुल- हां राधिका, ऐसे ही चाटो ना.....बहुत मज़ा आ रहा हैं........आ.......ह..........हह

राधिका- ज़रा खुल कर बोलो ना क्या चाटु.

राहुल- मुस्कुराते हुए..... मेरा लंड.

राधिका- ऐसे नही पूरा खुल कर बोलो. सॉफ सॉफ शब्दों में.........................

राहुल- कसम से मैने आज तक तुम जैसी लड़की नही देखी. अगर तुम किसी की भी बॅंड बजाने की सोच लो तो वो चाहे लाख कोशिश भी क्यों ना कर ले तुम उसका पूरा वॉट लगा ही दोगि.

राधिका- जान बातों में मुझे मत फँसाओ. जितना पूछ रही हूँ उतना बोलो.

राहुल- मेरे लंड को अपने मूह में लेकर उसे प्यार से चूसो.........ना........

राधिका- ये हुई ना बात..........

राधिका अच्छे से राहुल के लंड को पूरा चुस्ती हैं और उसपे लगा सॉस को पूरा चाट ती हैं फिर वो अपने होंठ राहुल के मूह में दे देती हैं. राहुल बुरा सा मूह बनाता हैं मगर कुछ बोल नही पाता.

राधिका कुछ देर तक राहुल के होंठ चुस्ती हैं फिर से वो उसका लंड धीरे धीरे चूसना शुरू कर देती हैं. राहुल की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.

कुछ देर ऐसे ही चुसाइ के बाद राहुल का शरीर अकड़ने लगता हैं और उसका कम भी निकल जाता हैं लेकिन आज राधिका राहुल के पूरे माल को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसका पूरा कम अपने गले के नीचे उतार देती हैं.

राहुल- कसम से जान वाकई में तुम पूरी नशा हो.

अब राहुल उठकर राधिका को अपने करीब खींच लेता हैं और अपने होंठ फिर से उसके होठ पर रख देता हैं.

राहुल- सच कहाँ तुमने राधिका. मुझे वाकई में ये टोमॅटो सॉस बहुत पसंद आया. अब मैं इसे और खाना चाहता हूँ.

इतना कहकर राहुल टोमॅटो सॉस उठा लेता हैं और फिर राधिका की गर्दन पर गिरा देता हैं. और फिर वो भी धीरे धीरे राधिका की गर्दन को चाटना शुरू कर देता हैं. राधिका की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती हैं. फिर वो नीचे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से उसके बूब्स को कस कर मसल देता हैं और उसके गुलाबी निपल्स को अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर देता हैं.

राधिका की भी सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर वो राधिका को बिस्तर पर लेटा देता हैं और सॉस की बॉटल को उसके बूब्स पर गिराना शुरू कर देता हैं और धीरे धीरे गिराते हुए उसके पेट से होते हुए उसकी चूत तक पूरा गिरा देता हैं. राधिका के जिस्म पर सॉस एक लाल डोरी जैसी लकीर सॉफ नज़र आती हैं.

राहुल झट से उसके उपर आता हैं और और पहले उसके निपल्स को अपने मूह में लेकर फिर सॉस को चाटना शुरू कर देता हैं. जैसे जैसे वो अपना जीभ फिराने लगता हैं राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं.

राधिका- हां राहुल ..........प्लीज़ ऐसे ही मेरे निपल्स को पूरा चूसो और और तब तक चूसो जब तक तुम्हारा मन ना भरे......

राहुल- जान तुम्हारे ये दूध इतने मस्त हैं कि मेरा मन इससे कभी ना भरेगा.

फिर राहुल भी अपने दाँत पर प्रेशर बढ़ाता हैं और राधिका के निपल्स को ज़ोर से अपने दाँतों से कुरेदने लगता है.

राधिका- हां............ऐसे ही...........काटो .........ना...........राहुल.......आ..........हह.आ....आआआआआअहह

फिर वो धीरे धीरे सरकते हुए नीचे की ओर आता हैं और उसके पेट को चाटना सुरू करता हैं. राधिका पर तो मानो कोई नशा सा छा गया था. वो अपनी आँखें बंद कर लेती हैं .

राहुल भी धीरे धीरे नीचे आता हैं और अबकी बार वो अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और उसके मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं....

राधिका भी अपनी चूत को उसके सामने पूरा फैला देती हैं और राहुल भी धीरे धीरे उसको चूसना शुरू करता हैं.

राधिका- आज मैं तुम्हें जन्नत दिखाना चाहती हूँ.

राहुल- आश्चर्य से ...........वो कैसे..
 
राधिका अपने दोनो हाथ ले जाकर अपनी चूत पर रखती हैं और राहुल के सामने उसे धीरे धीरे फैलाने लगती हैं. राहुल को भी उसकी चूत के अंदर गुलाबी रंग सॉफ नज़र आता हैं.

राधिका- राहुल ज़रा मेरी चूत के अंदर भी तो सॉस डालकर उसे चाटो नाअ.....

राहुल भी मुस्कुरा देता हैं और फिर वो टोमॅटो सॉस की बॉटल में से सॉस को राधिका की चूत के अंदर गिराना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में वो अपनी एक उंगली से उसके चूत में डालता हैं और फिर अच्छे से सॉस को मिलाना शुरू कर देता हैं. फिर वो झुक कर अपने होंठ उसकी चूत पर रख देता हैं और अपनी जीभ को राधिका की चूत में पूरा डालकर आगे पीछे फिराने लगता हैं और सॉस को भी चाटने लगता हैं.

राधिका भी अब अपना पूरा कंट्रोल खो बैठती हैं और फिर वो भी फारिग हो जाती है. और एक दम से बिस्तर पर पसर जाती हैं. अभी भी उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी.

कुछ देर में राहुल फिर उठता है और टोमॅटो सॉस को अपने लंड पर गिराता हैं और फिर वो झट से राधिका की चूत में घुसाना शुरू करता हैं. राधिका के भी मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. और धीरे धीरे वो अपना पूरा लंड राधिका की चूत में डाल देता हैं.

राधिका को शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होती हैं मगर कुछ देर में उसको भी मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.

राधिका झट से राहुल को पीछे धकेल्ति हैं और वो उठकर बैठ जाती हैं.

राहुल- अब क्या हुआ जान.

राधिका- आज तुम नीचे सोओगे और मैं तुम्हारे उपर चढ़ूंगी.

फिर राधिका उसको अपने नीचे सुला कर झट से उसके उपर चढ़ जाती है और फिर धीरे धीरे अपनी गान्ड आगे पीछे करना शुरू कर देती हैं. कुछ देर तक वो इसी पोज़िशन में राहुल का पूरा लंड अपनी चूत में लेती हैं फिर लगभग 15 मिनिट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद राहुल अपना कम राधिका की चूत में ही निकाल देता है. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं.

आज राधिका पहली बार इतने अच्छे से फारिग हुई थी. और वो धम्म से राहुल के उपर पसर जाती हैं और दोनो की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. घर की खामोशी में भी उनकी धड़कनों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी..............................
 
वक़्त के हाथों मजबूर--17

राधिका उठ कर बाथरूम में जाती हैं और कुछ देर में अपने कपड़े पहेन कर वापस आती हैं.राहुल भी अब अपने कपड़े पहन चुका था.

राहुल आब राधिका के पीछे जा कर राधिका से एकदम सटा कर खड़ा हो जाता है. और अपने दोनो हाथ धीरे से बढ़ाते हुए उसके बूब्स को अपने दोनो हाथों में कस कर पकड़ लेता हैं और अपने होंठ राधिका के गर्दन पर रख देता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो राहुल. अभी भी तुम्हारा मन नही भरा क्या???

राहुल-सच में जान तुम किसी नशे की तरह हो. जितना किया जाए उतना ही चढ़ता हैं. पता नहीं क्यों तुमसे मेरा जी ही नही भरता. जी करता हैं सुबह शाम बस तुम्हें ऐसे ही प्यार करू.

राधिका- ओ...मिस्टर. आशिक़ . मुझे अब घर भी जाना हैं. अभी इस वक़्त, मैं आपकी बीवी नहीं हूँ. जब आपकी बीवी बन जाउन्गि तो आप अपना पूरा हक़ जताना.

राहुल- अच्छा तो बस एक प्यारा सा लिप किस दे दो. फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा.

राधिका- देख रहीं हूँ राहुल तुम्हारी शैतानी बढ़ती ही जा रही हैं. अब मुझे देर हो रही हैं.

राहुल अपने होंठ धीरे से सरकाते हुए राधिका के कान के नीचे अपनी जीभ फिरा देता हैं और राधिका फिर से मचल जाती हैं.

राधिका- बस राहुल........ मत करो ना...मैं फिर से बहक जाउन्गि....

राहुल- तो बहक जाओ ना..............

राधिका राहुल को अपने से दूर करते हुए- बस करो ना राहुल अगर मैं फिर से गरम हो गयी तो इस बार तुम्हारी खैर नहीं..........

राहुल तुरंत दूर हटते हुए- अरे क्यों डरा रही हो जान. सच में मैने आज तक तुम्हारा ऐसा रूप कभी नहीं देखा था.

राधिका- चलो कम से कम मेरे से कोई पोलिसेवला तो डरता हैं......इतना कहकर राधिका भी मुस्कुरा देती हैं.

राहुल- मत जाओ ना जान. मुझे तुम्हारे बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता.

राधिका- नही राहुल मुझे जाना होगा. मैं तुम्हारे पास हर वक़्त तो नही रह सकती ना. लेकिन तुम तो मेरी साँसों में , मेरी हर धड़कन में बसे हो. क्या तुमसे दूर रहकर मुझे एक पल भी चैन आता हैं .मैं भी हर एक पल तुम्हारे लिए बेचैन रहती हूँ.

राहुल- अपनी आँखें बंद करो ना जान. मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूँ.

राधिका भी धीरे से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं.

राहुल उठकर वही ड्रॉयर में से एक पायल की जोड़ी निकालता हैं और फिर जाकर सीडी प्लेयर ऑन कर देता हैं. सीडी प्लेयर में फिर वही गीत बजने लगता हैं..........

चाँद सी महबूबा हो मेरी कब मैने ऐसा सोचा था.............

हां तुम बिल्कुल वैसे हो जैसे मैने सोचा था...........

फिर वो राधिका के एक दम करीब जाता हैं और बड़े प्यार से उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं.

राहुल- आँखें खोलो ना जान.

राधिका धीरे से अपनी आँखें खोलती हैं.

राधिका- बोलो ना राहुल क्या दिखाने वाले हो...........

राहुल धीरे से अपना एक उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं और चुप रहने का इशारा करता हैं.

राहुल- कुछ मत कहो ना जान..........बस ये गीत सुनो .................. इसमें मैं तुम्हें हर पल पल महसूस किया हैं. राधिका भी उस गाने मे खोने लगती हैं और राहुल भी उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं.

राहुल- जानती हो जान ये गीत सिर्फ़ मेरा फ़ेवरेट गाना ही नही हैं बल्कि इस गाने से मेरी सारी यादें तुमसे जुड़ी हुई हैं. मैने बस हर लम्हे में तुमको पाया हैं , तुमको पूजा हैं. अब तो लगता हैं कि तुम मेरी ज़िंदगी से बढ़कर हो.......अब तो मेरी मौत.......राहुल इससे पहले कुछ कहता राधिका अपना हाथ उसके मूह पर रख देती हैं.

राधिका- आगे कुछ मत कहना राहुल. अगर तुमपर ज़रा भी आँच आए तो उसके पहले राधिका तुम्हारे कदमों में बिछ जाएगी मगर तुम पर कोई आँच नही आने देगी.

राहुल- मेरी किस्मत हैं राधिका कि तुम मेरी ज़िंदगी में हो. सच कहता हूँ कि मैने पछले जनम में कोई अच्छा कर्म ज़रूर किया होगा. इस लिए मुझे इसका फल के रूप में तुम मिली हो.

फिर राहुल धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर पायल को राधिका के हाथ में दे देता हैं.

राधिका- ये क्या हैं राहुल. मुझे ये सब नहीं चाहिए. मुझे बस तुमसे प्यार हैं ना कि इन सब चीज़ों से...........

राहुल- मैं जानता हूँ कि मेरी हर चीज़ पर तुम्हारा पूरा हक़ हैं और जो मेरा हैं वो तुम्हारा भी तो हैं. ये तो मैं अपने होने वाली दुल्हन को प्यार के सौगात के रूप में दे रहा हूँ. रख लो ना इसे मुझे अच्छा लगेगा.

राधिका भी बड़े प्यार से राहुल के लब चूम लेती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं. और फिर ना जाने कितने देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में खोए रहते हैं.

थोड़े देर बाद -

राधिका-अब जाने दो ना राहुल मुझे अब देर हो रही हैं. घर पर भैया आए होंगे तो मुझसे कई तरह के सवाल करेंगे. और तुम जानते हो कि मुझसे झूट बोला नही जाता.

राहुल- काश राधिका ये वक़्त यहीं पर थम जाए. इस हसीन पल में मैं अपना सब कुछ भूलकर बस तुम में खोना चाहता हूँ.

राधिका- वक़्त तो राहुल ठहर नहीं सकता मगर मैं तुम्हारे साथ बीते हर पल को, हर एक लम्हे को तुम्हारी यादों को अपने सीने में प्यार से सँजोकर रखा है.

राहुल- आइ लव यू जान................ इतना कहकर राहुल बड़े प्यार से राधिका के लब को चूम लेता हैं और जवाब में राधिका भी उसके लबो को प्यार से चूम लेती हैं.

राधिका- लव यू टू.................राहुल.

राहुल-चलो अब मैं तुम्हें घर तक छोड़ देता हूँ और वही से अपने थाने भी चले जाऊँगा.
 
राहुल फिर राधिका को अपनी कार में बैठा कर उसे उसके घर से कुछ दूरी पर ड्रॉप कर देता हैं और वो सीधे अपने थाने चला जाता हैं.

जैसे ही राधिका घर पर पहुँचती हैं उसके भैया पहले से ही घर पर आ चुके थे.

कृष्णा- कहाँ थी अब तक राधिका. 6 बज चुके हैं और तुम्हारा कॉलेज तो 3 बजे तक बंद हो जाता हैं . और वैसे भी आज सनडे हैं तो कॉलेज तो बंद ही होगा ना..

राधिका वो भैया... बस ऐसे ही मैं...निशा के घर गयी थी.

कृष्णा- राधिका तुमने कब से झूट बोलना शुरू कर दिया. जहाँ तक मैं तुम्हें जानता हूँ की तुम कभी झूट नहीं बोलती. और वैसे भी मैं निशा के पास फोन कर के पूछ चुका हूँ और उसने मुझे बताया हैं कि वो आज तुमसे मिली ही नहीं हैं.

कृष्णा- राधिका अब मैं तुमसे यही उमीद करूँगा कि तुम जो भी मुझसे बात कहोगी सच कहोगी................................................बोलो राधिका क्या हैं सच..........................................

राधिका- भैया वो मैं आपको नही बता सकती.

कृष्णा- राधिका मेरा इतना तो हक़ बनता हैं की मेरी बेहन कहाँ जाती हैं, क्या करती हैं और किससे मिलती हैं.

राधिका-भैया वो बात हैं .........कि.

कृष्णा- बोल ना राधिका. विश्वास कर मेरा मैं तुझे कुछ नही कहूँगा.

राधिका- भैया वो............ दर-असल मैं राहुल से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ. इस वक़्त मैं उससे ही मिलकर आ रही हूँ.

इतना सुनकर कृष्णा को एकदम से गुस्सा आ जाता हैं लेकिन वो अपने गुस्से को पूरा कंट्रोल करके बोलता हैं.

कृष्णा- अच्छा वो पोलीस वाला. कहीं वही तो नही हैं ना ....................राहुल मल्होत्रा यहाँ का सब-इनस्पेक्टर.

कृष्णा- क्यों तुझे और कोई नही मिला था क्या. दिल भी लगाया तो एक पोलिसेवाले से .जानती नहीं हैं तू इन पोलीस वालों को. बहुत हरामी चीज़ होते हैं ये. बस तेरे बदन से खिलवाड़ करके तुझे छोड़ देंगे. कोई प्यार व्यार नही होता बस अपनी हवस को मिटाने के लिए तुझे इस्तेमाल कर रहा हैं वो इनस्पेक्टर.

राधिका- नहीं भैया राहुल ऐसा नहीं हैं. वो मुझ से सच्चा प्यार करता हैं.

फिर कृष्णा की नज़र राधिका की पहनी हुई हीरे की अंगूठी पर पड़ती हैं.

कृष्णा- राधिका के हाथ की ओर इशारा करते हुए- अच्छा तो वो तुझसे शादी करना चाहता हैं इसलिए उसने तुझे अपनी सगाई के तौर पर ये अंगूठी दी हैं.क्यों सच हैं ना..........

राधिका- प्लीज़ भैया मुझे ग़लत मत समझिए, मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूँ.

कृष्णा- कब से चल रहा हैं ये सब.

राधिका- यही कोई 6 महीने से............

कृष्णा- तब तो वो तेरे साथ सो भी चुका होगा. हैं ना................

राधिका भी अपना सिर नीचे झुका लेती हैं और नीचे फर्श की ओर देखने लगती हैं. कृष्णा को भी सब समझ में आ जाता हैं.

कृष्णा- एक बात जान ले राधिका अगर वो पोलिसेवला तेरे साथ कोई खिलवाड़ किया ना तो उस साले को मैं ज़िंदा ज़मीन में दफ़न कर दूँगा. और फिर उसके बाद मैं तेरा क्या हाल करूँगा तू फिर समझ लेना.

राधिका चाह कर भी एक शब्द नही बोल पाती हैं और बस नीचे अपना सिर झुकाए देखती हैं.

कृष्णा भी उसके पास आता हैं और फिर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों से उपर की ओर करता हैं.

कृष्णा- देख राधिका, मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं हूँ मगर दुनिया दारी अच्छे से जनता हूँ. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो. बस मैं यही कहूँगा कि जवानी के जोश में कोई ऐसा ग़लत कदम ना उठा लेना की आगे चलकर कोई तेरे पर उंगली उठाए.

राधिका भी झट से अपने भैया के सीने लग जाती हैं - भैया मुझे माफ़ कर दो ये बात मैने आप से इतने दिनो से छुपाकर रखी. मैने कई बार आपसे इस बारे में बात करने की कोशिश की मगर आप से मुझे कहने की हिम्मत नही हुई.

कृष्णा- कोई बात नहीं राधिका. मैं जानता हूँ कि तू कोई काम ग़लत कर ही नहीं सकती. चल अब झट से मुझे एक गरमा गरम चाइ पिला.

थोड़े देर में उसका बाप भी आ जाता हैं और फिर सब मिलकर चाइ पीते हैं. राधिका फिर घर का सारा काम ख़तम कर लेती हैं और रात में बिस्तेर पर जाकर सोने चली जाती हैं. आज उसके मन बहुत हल्का हो गया था. उसे इस बात की खुशी थी की उसके भैया ने भी अब राहुल को आक्सेप्ट कर लिया हैं.

........................................

कहते हैं ना कि खुशियों को ग्रहण लगते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ आज के बाद राधिका के साथ भी होने वाला था, जो अब उसकी जिंदगी में तूफान लाने के लिए काफ़ी था.

........................................
 
दूसरे दिन सुबह वो उठकर जल्दी से फ्रेश होती हैं और फिर किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं. सुबह सुबह ही उसके पिताजी घर से निकल गये थे. इस वक़्त बस कृष्णा और राधिका ही घर पर थे.

कृष्णा भी झट से उठकर अपने हाथ मूह धोता हैं और फ्रेश होकर सीधा राधिका के पास जाकर उसके कमर में अपना दोनो हाथ डालकर राधिका की गर्दन को चूम लेता हैं.

राधिका- ये क्या भैया, आप ऐसे आते हैं कि बिल्कुल पता भी नहीं चलता. मैं तो समझी थी कि आप मुझसे नाराज़ होंगे ..

कृष्णा- मैं भला अपनी ही बेहन से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ.

राधिका- लेकिन आपने मुझसे कहा था कि मैं तेरी मर्ज़ी से ही छुउंगा. फिर................

कृष्णा- तू हैं ही ऐसी जब तक तुझे ऐसे अपनी बाहों में नही ले लेता हूँ मुझे चैन ही नहीं मिलता.

राधिका- चलिए भैया मैं आभी चाइ लेकर आती हूँ.

फिर कृष्णा वही दूसरे रूम में चला जाता हैं और कुछ देर में राधिका भी दो सीशे के ग्लास में चाइ डालकर एक ट्रे में लेकर अपने भैया के पास जाती हैं.

कहते हैं कि अगर कुछ बुरा होने वाला होता हैं तो इंसान को उसका आभास पहले से ही हो जाता हैं. आज सुबह से ही राधिका का दिल बहुत बेचैन था. पता नहीं क्यों पर उसके दिल में एक अजीब सा डर जनम ले रहा था.....

राधिका जैसे ही ट्रे लेकर जाती हैं उसका पाँव फिसल जाता हैं और वो गिरते गिरते बचती है मगर उसके हाथ से ट्रे छूट कर फर्श पर गिर जाती हैं और सीशे के दोनो ग्लास टूट कर फर्श पर बिखर जाते हैं...

कृष्णा भी सीशे के टूटने की आवाज़ सुनकर दौड़कर राधिका के एक दम करीब आता हैं.

कृष्णा- क्या हुआ राधिका. ये ट्रे कैसे छूट कर नीचे गिर गया.

राधिका के आँख से आँसू निकल पड़ते हैं और वो दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं.

कृष्णा भी उसे अपनी बाहों में ले लता हैं.

कृष्णा- बोल ना राधिका तू ऐसे क्यों रो रही है. क्या हुआ कहीं चोट तो नहीं लगी ना...

राधिका का दाए हाथ की एक उंगली मे सीशे का एक टुकड़ा लग गया था जिसके वजह से उसके उंगली से खून निकल रहा था. कृष्णा की नज़र उसपर पड़ती हैं और वो झट से राधिका की उंगली को अपनी मूह में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में उसका खून बंद हो जाता हैं. मगर राधिका के आँसू नहीं बंद होते.

कृष्णा- तू रो.. क्यों रही हैं. देख ना अब तो खून भी बंद हो गया हैं.

राधिका- भैया ये सब कुछ ठीक नही हो रहा हैं. शीशे का ऐसे टूटना अपषगुन माना जाता हैं. और पता नही क्यों आज जब से मैं उठी हूँ मेरा दिल में अजीब तरह का डर लग रहा हैं.. पता नहीं भैया क्या होने वाला हैं.

कृष्णा- तू बेवज़ह परेशान हो रही हैं. अरे ये सब बेकार की बातें हैं. ऐसा कुछ नहीं होता.

फिर कृष्णा झुक कर पूरे काँच को उठाता हैं और उसे डस्टबिन में डाल देता हैं. राधिका फिर से चाइ बनाती हैं और कुछ देर में कृष्णा भी काम पर निकल जाता हैं.

राधिका फिर सोच में डूब जाती हैं. उस दिन भी तो राहुल के हाथों ऐसे सिंदूर का गिर का बिखर जाना, फिर आज शीशे का ऐसे टूटना हो ना हो ये दोनो चीज़ें का ऐसे एक साथ होना ज़रूर किसी अपषगुन का संकेत हैं....................................

राधिका बहुत देर तक इसी सोच में डूबी रहती हैं लेकिन उसकी घबराहट कम नही होती. फिर कुछ सोचकर वो आज कॉलेज ना जाने का फ़ैसला करती हैं. थोड़े देर में घर का काम ख़तम कर के वो अपने बिस्तेर पर जाकर लेट जाती हैं.

उधेर राहुल भी फ्रेश होकर अपने जीप से पोलीस स्टेशन चल देता हैं.रास्ते में उसके दोस्त विजय का फोन आता हैं.

विजय- कहाँ पर हो यार. आज कल लगता हैं बहुत बिज़ी रहते हो.

राहुल- नही विजय ऐसी कोई बात नही हैं. मैं अभी इस वक़्त पोलीस स्टेशन जा रहा हूँ अभी रास्ते में हूँ और मैं तुझे पहुँच कर थोड़े देर में फोन करता हूँ.

राहुल फोन काट देता हैं. फिर कुछ देर ड्राइव करता हुए वो कुछ दूर जाता हैं तो उसका ध्यान मिरर के बॅकसाइड पर जाता हैं. एक ट्रक उसके पीछे बहुत देर से आ रहा था. वो उसे साइड देता हैं मगर ट्रक की स्पीड तुरंत बढ़ जाती हैं और फिर एक ज़ोरदार टक्कर होती हैं और राहुल की जीप अनबॅलेन्स होकर पलट जाती हैं और ट्रक तेज़ी से वहाँ से निकल जाता हैं.
 
ट्रक की टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि राहुल की जीप का आधा हिस्सा पूरा चकनाचूर हो गया था. और राहुल भी वही पर तुरंत बेहोश हो जाता हैं. उसके हाथ और शरीर के कई हिस्सों में से खून बहने लगता था. उसके सर पर भी चोट आई थी इसके वजह से वो बेहोश हो गया था. वहाँ आस पास काफ़ी भीड़ जमा हो जाती हैं और फिर कुछ देर में राहुल को हॉस्पिटल में अड्मिट करा दिया जाता हैं.

करीब 2 घंटे के बाद उसे होश आता हैं और वो सबसे पहले राधिका का नाम लेता हैं. तभी उसका फ्रेंड अभय जो कि एम.डी हैं वो वहाँ पर आता हैं और उसे रिलॅक्स होने को बोलता हैं.

अभय- अरे भाई ये सब कैसे हो गया. भगवान का शुक्र मनाओ कि तुम्हें ज़्यादा चोट नही लगी वरना जिस तरह से तुम्हारी गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ था तुम्हारा बचना शायद मुश्किल था.

राहुल- पता नही अभय. मैं भी तो बस घर से पोलीसेस्टेशन ही आ रहा था मगर मेरे पीछे एक ट्रक बहुत देर से मेरे पीछे था. और मुझे पूरा यकीन है कि ये आक्सिडेंट हुआ नही कराया गया हैं.

अभय- डॉन'ट माइन राहुल . अभी अपने दिमाग़ पर इतना स्ट्रेस मत दो. इस वक़्त तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं.

तभी ख़ान भी वहाँ पर आ जाता हैं.

ख़ान- ये सब कैसे हो गया साहेब.

राहुल- पता नहीं ख़ान पर ये आक्सिडेंट कराया गया हैं. कोई मुझे जान से मारना चाहता हैं.

ख़ान- आप कहें तो मैं उस ट्रक का पता लगवाता हूँ. साला बच कर कहाँ जाएगा उसका नंबर प्लेट आपने देखा क्या.

राहुल- कोई फ़ायदा नही हैं ख़ान. मैं जानता हूँ कि वो ट्रक का नंबर भी जाली होगा. खैर पता कर्वाओ कौन हैं इस सब के पीछे...

करीब 10 बजे राधिका का मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं. राधिका फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो !! कौन बोल रहा हैं.

फोन ख़ान का था.

ख़ान- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.

राधिका- हां बोल रहीं हूँ . आप कौन???

ख़ान- मैं इनस्पेक्टर ख़ान बोल रहा हूँ. आप इस वक़्त कहाँ पर हैं.

राधिका- कहिए ख़ान जी. आपने मुझे कैसे याद किया. क्यों कोई ज़रूरी बात हैं क्या.

ख़ान- क्या आप इस वक़्त सिटी हॉस्पिटल आ सकती हैं ..

राधिका एकदम से घबराते हुए- क्यों क्या हुआ. आप ऐसे क्यो पूछ रहे हैं.

ख़ान- जी बात ये हैं कि राहुल सर....................

राधिका- क्या हुआ?? बोलिए ना ख़ान क्या हुआ मेरे राहुल को................और राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

ख़ान- जी........ उनका आक्सिडेंट हो गया हैं और इस वक़्त वो सिटी हॉस्पिटल में अड्मिट हैं और आपको याद कर रहे हैं.
 
राधिका इतना सुनते ही उसके आँखों के सामने अंधेरा सा छा जाता हैं और वो वो वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. उसे समझ में नही आता कि वो क्या बोले. बस उसके आँखों से लगातार आँसू बहने लगते हैं.

ख़ान- आप ठीक तो हैं ना....प्लीज़ आप जितनी जल्दी हो सके यहाँ पर आ जाइए. साहेब बस आपको याद कर रहे हैं.

राधिका फिर फोन रखती हैं और फिर जैसे रहती हैं उसी अवस्था में वो अपना घर लॉक करके वो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ती हैं. लेकिन उसकी आँखो से आँसू नही थमते. जैसे तैसे वो एक ऑटो में बैठकर वो हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं.

हॉस्पिटल में......................

राधिका जैसे ही हॉस्पिटल में एंटर होती हैं सामने उसे ख़ान दिखाई देता हैं.

ख़ान- आओ राधिका मैं आपका ही इंतेज़ार कर रहा था .

राधिका- कैसा हैं मेरा राहुल. ठीक तो हैं ना. आप कुछ बताते क्यों नहीं.

ख़ान कुछ बोलना ठीक नहीं समझता और वो राधिका के साथ राहुल के वॉर्ड की ओर चल देता हैं

जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती हैं वो लगभग चीखते हुए राहुल के पास दौड़ कर पहुँच जाती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.

राहुल- क्या हुआ जान. तुम क्यों इतना परेशान हो. मैं बिल्कुल ठीक हूँ. बस थोड़ी सी चोट आई हैं.

राधिका ज़ोर ज़ोर से राहुल से लिपटकर रोने लगती हैं..

राधिका- ये सब कैसे हो गया राहुल. मुझे पता था कि आज ज़रूर कुछ बहुत बुरा होने वाला हैं. मैं जब से आज सुबह से उठी थी तब से ना जाने क्यों मेरे दिल में बहुत घबराहट हो रही थी. और तो आज सुबह शीशे का टूट जाना क्या ये सब अपषगुन नहीं हैं तो और क्या हैं.

राहुल- रिलॅक्स जान. मैं ठीक हूँ. चिंता मत करो मेरा साथ तुम्हारा प्यार हैं मुझे कुछ नहीं होगा.

अभय- हां राहुल सही कह रहा हैं. जिस तरह से इनके गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ हैं इनका बचना शायद मुमकिन नही था. मगर ये शायद कोई चमत्कार ही कह सकते है कि बस एक दो जगह थोड़े ज़्यादा चोट आई हैं. ये बस एक दो दिन में ठीक हो जाएँगे.

ख़ान- मैने अभी विरलेशस मेसेज भेज दिया हैं. आप चिंता ना करे मैं उस ट्रक और उसके ड्राइवर का 2 दिनो के अंदर पता लगा ही लूँगा.

अभय- देखो राहुल आभी तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं. इस वक़्त तुम बस आराम ही करो.

राहुल- तुम्हारे रहते मुझे कुछ नही होगा अभय. यू आर दा बेस्ट डॉक्टर. और तुम्हारे पास सभी बीमारी का इलाज़ मौज़ूद हैं. और सबसे बड़ी बात कि तुम मेरे दोस्त भी हो. तो तुम्हारे रहते मुझे किस बात की फिकर हैं.

राहुल- बस करो ना जान. कब तक इन आँखों से आँसू बहाओगी. मैं ठीक हूँ. और राहुल अपने हाथ बढाकर राधिका के बहते आँसू पोंछ देता हैं.

राधिका भी अब कुछ नॉर्मल हो जाती हैं और जाकर अपना मूह धोकर वापस आती हैं.

ख़ान- अपनी तो साली लाइफ ही बेकार हैं. अगर ईमानदारी से नौकरी करो तो कोई ना कोई जान से मारने के पीछे पड़ा रहता हैं. और ना करो तो जनता कहती हैं कि साला करप्ट हैं . साला इधेर पहाड़ और उधर खाई.

राहुल- ख़ान ये ज़िंदगी इतनी आसान नही होती . यहाँ पर हर पल हर घड़ी ,स्ट्रगल हैं. जीने के लिए हर पल फाइट करना पड़ता हैं. अरे यही तो ज़िंदगी का दस्तूर हैं कभी खुशी तो कभी गम..........................................
 
Back
Top