hotaks444
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दिन शनिवार का था...और वक़्त सुबह 10 बजके 7 मिनट का...उस वक़्त घर की घंटी बजी....आदम पेट के बल सोया पड़ा हुआ था...अंजुम ने
उठके दरवाजा खोला तो पाया की लाजो आई हुई थी....अंजुम ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया तो वो अंदर आके काम निपटाने लगी.....
जब आदम के कमरे को झाड़ू मार रही थी तो उस वक़्त उसे ख्याल ना हुआ कि चादर ओढ़े आदम केवल एक कच्च्छा पहना हुआ है....उसने झाड़ू मारते मारते जब बिस्तर की तरफ गौर किया और चादर उठाई तो पाया की आदम नंग धड़ंग अवस्था में सो रहा है...उसने आदम के
कुल्हो पर से थोड़े सरके हुए कच्छे को देखा बालों से भरी गान्ड उसके सामने थी....एक तक लाजो उसके कुल्हो की तरफ देखते हुए शरम से लाल हो गयी...फिर उसने चादर को आदम के बदन पे डालते हुए झारू लगाना शुरू कर दिया....
.................................................
आदम उठके माँ के साथ लिविंग रूम में नाश्ता कर रहा था....अंजुम ने कहा की आज उसे ताहिरा मौसी से मिलने की बड़ा मान कर रहा है कयि दिनो से वो उसे मिली भी नही....आदम उसके जाने की बात को सुन मन ही मन मुस्कुराया तो अंजुम को आदम के खाने की फिकर हुई....
लाजो ने तपाक से कहा अरे काकी मैं हूँ ना मैं आदम बाबू को खाना बना के खिला दूँगी....अंजुम खुश हुई उसने कहा ठीक है फिर तो तुम
आज रोटिया और भिंडी की सब्ज़ी कटी हुई है उसे बनाके आदम को खिला देना और चाहो तो खुद भी खा लेना
आदम ने भी कहा हां ये आइडिया ठीक रहेगा क्यूँ लाजो?...
.लाजो शरम से मुस्कुराइ उसने कुछ ना कहा...
."हां आदम ठीक ही तो कह रहा है लाजो तुम दोपहर का खाना यही खा लेना ठीक है और जब तक मैं ना आउ मत जाना अगर ज़्यादा कोई प्राब्लम है तो बोलो तुम्हारी माँ को कॉल करके बता देती हूँ"........
.लाजो ने कहा कि उसे इतना चिंता नही करना....अंजुम मुस्कुराई अपने पति उर्फ बेटे आदम को घर पर छोड़के ताहिरा मौसी से मिलने चली गयी....अब घर में सिर्फ़ दो ही लोग थे....
लाजो ने आदम की तरफ देखा जो उसे देखके मुस्कुरा रहा था...
."अब तो जगह भी है आपके पास और वक़्त भी"......
.."ह्म सही कहा लाजो तो फिर काए को ये वक़्त ज़ाया होने दे".....
.लाजो ये सुनके खिलखिलाए हंस पड़ी....
उसने तुरंत पास जाके दरवाजे की कुण्डी लगाई और फिर एका एक आदम के करीब आई...
लाजो : खाना अभी बना दूँ बाबू की बाद में खाएँगे
आदम : पहले तो जो अधूरा रस्पान करना रह गया था उसके लिए तो वक़्त दो
लाजो : बाबू हामका लज्जा आवत है (मुझे शरम आती है)
आदम : पगली आज शरमाना नही आज खुलके मुझे मज़ा दो तुम...
."अरे कल ही तो आपकी शादी हुई और आज कैसे मुझपर टूट ना पड़ना चाहते है".......
"मैं तो तुझपे निशा के टाइम से ही टूट पड़ना चाहता था तेरे पसीने की महेक मुझे पागल कर देती है".......
."छी बाबू ये क्या कह रहे है?"........एका एक लाजो के गाल शरम से लाल हो गये....
उठके दरवाजा खोला तो पाया की लाजो आई हुई थी....अंजुम ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया तो वो अंदर आके काम निपटाने लगी.....
जब आदम के कमरे को झाड़ू मार रही थी तो उस वक़्त उसे ख्याल ना हुआ कि चादर ओढ़े आदम केवल एक कच्च्छा पहना हुआ है....उसने झाड़ू मारते मारते जब बिस्तर की तरफ गौर किया और चादर उठाई तो पाया की आदम नंग धड़ंग अवस्था में सो रहा है...उसने आदम के
कुल्हो पर से थोड़े सरके हुए कच्छे को देखा बालों से भरी गान्ड उसके सामने थी....एक तक लाजो उसके कुल्हो की तरफ देखते हुए शरम से लाल हो गयी...फिर उसने चादर को आदम के बदन पे डालते हुए झारू लगाना शुरू कर दिया....
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आदम उठके माँ के साथ लिविंग रूम में नाश्ता कर रहा था....अंजुम ने कहा की आज उसे ताहिरा मौसी से मिलने की बड़ा मान कर रहा है कयि दिनो से वो उसे मिली भी नही....आदम उसके जाने की बात को सुन मन ही मन मुस्कुराया तो अंजुम को आदम के खाने की फिकर हुई....
लाजो ने तपाक से कहा अरे काकी मैं हूँ ना मैं आदम बाबू को खाना बना के खिला दूँगी....अंजुम खुश हुई उसने कहा ठीक है फिर तो तुम
आज रोटिया और भिंडी की सब्ज़ी कटी हुई है उसे बनाके आदम को खिला देना और चाहो तो खुद भी खा लेना
आदम ने भी कहा हां ये आइडिया ठीक रहेगा क्यूँ लाजो?...
.लाजो शरम से मुस्कुराइ उसने कुछ ना कहा...
."हां आदम ठीक ही तो कह रहा है लाजो तुम दोपहर का खाना यही खा लेना ठीक है और जब तक मैं ना आउ मत जाना अगर ज़्यादा कोई प्राब्लम है तो बोलो तुम्हारी माँ को कॉल करके बता देती हूँ"........
.लाजो ने कहा कि उसे इतना चिंता नही करना....अंजुम मुस्कुराई अपने पति उर्फ बेटे आदम को घर पर छोड़के ताहिरा मौसी से मिलने चली गयी....अब घर में सिर्फ़ दो ही लोग थे....
लाजो ने आदम की तरफ देखा जो उसे देखके मुस्कुरा रहा था...
."अब तो जगह भी है आपके पास और वक़्त भी"......
.."ह्म सही कहा लाजो तो फिर काए को ये वक़्त ज़ाया होने दे".....
.लाजो ये सुनके खिलखिलाए हंस पड़ी....
उसने तुरंत पास जाके दरवाजे की कुण्डी लगाई और फिर एका एक आदम के करीब आई...
लाजो : खाना अभी बना दूँ बाबू की बाद में खाएँगे
आदम : पहले तो जो अधूरा रस्पान करना रह गया था उसके लिए तो वक़्त दो
लाजो : बाबू हामका लज्जा आवत है (मुझे शरम आती है)
आदम : पगली आज शरमाना नही आज खुलके मुझे मज़ा दो तुम...
."अरे कल ही तो आपकी शादी हुई और आज कैसे मुझपर टूट ना पड़ना चाहते है".......
"मैं तो तुझपे निशा के टाइम से ही टूट पड़ना चाहता था तेरे पसीने की महेक मुझे पागल कर देती है".......
."छी बाबू ये क्या कह रहे है?"........एका एक लाजो के गाल शरम से लाल हो गये....