hotaks444
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"बिलकुल सही कहा तुमने ठाकुर।" चौधरी एकाएक कह उठा__"उसे ज़रूर सूचित करना चाहिए था और उसने ऐसा किया भी है।"
"क्या????" अजय सिंह चौंका___"मेरा मतलब है कि क्या सूचित किया उसने?"
"उसने फोन पर हमें बताया कि हमारे बच्चे उसके कब्जे में ही हैं।" चौधरी ने कहा___"और ये भी बताया कि वो उनके साथ क्या करेगा? शुरू शुरू में तो हमें समझ ही नहीं आया कि
ऐसा कौन कर सकता है, क्योंकि हमें यही पता नहीं था कि हमारे बच्चों ने किस लड़की के साथ वो सब किया था? दूसरी बात हम ये सोच रहे थे कि अगर मामला इतना बड़ा था तो पुलिस केस ज़रूर होता। इस लिए ये जानने के लिए हमने यहाॅ के पुलिस कमिश्नर से भी बात की थी मगर उसने बताया कि पुलिस ने कोई केस नहीं बनाया। पुलिस केस भी तभी बनाती जब लड़की के घर वाले एफआईआर कराने थाने में जाते। मगर लड़की के घर वाले तो पुलिस की दहलीज़ पर गए ही नहीं थे। हमने भी यही समझा था कि वो हमसे डर गए होंगे इसी लिए पुलिस केस नहीं किया। मगर फिर उस किडनैपर से और अशोक के द्वारा ही समझ में आया कि ऐसा कौन और क्यों कर सकता है?"
"ओह तो फिर क्या समझ आया आपको?" अजय सिंह ने पूछा।
"रेप पीड़िता के घर वाले तो ऐसा कर नहीं सकते।" चौधरी ने कहा___"क्योंकि उन्हें पता था कि पुलिस केस से कुछ होने वाला नहीं है और ऐसा करने की क्षमता उनमें थी नहीं। मगर अशोक ने अपने तरीके से पता लगाया कि एक शख्स और है ऐसा जो हमारे बच्चों को इस संबंध में किडनैप कर सकता है।"
"ऐसा शख्स भला कौन हो सकता है चौधरी साहब?" अजय सिंह चौंका।
"तुम्हारा भतीजा विराज।" चौधरी ने मानो अजय सिंह के सिर पर बम्ब फोड़ा।
"क्या????" अजय सिंह इस तरह उछला था जैसे औसके पिछवाड़े पर किसी ने चुपके से गर्म तवा रख दिया हो। फिर हैरत से ऑखें फाड़े हुए बोला___"ये आप क्या कह रहे हैं? भला विराज ऐसा क्यों करेगा?"
"इसकी बहुत बड़ी वजह है ठाकुर।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"दरअसल जिस लड़की का रेप किया था हमारे बच्चों ने उस विधी नाम की लड़की से तुम्हारा भतीजा विराज प्रेम करता था। जब उसे अपनी प्रेमिका के साथ हुए उस भयावह रेप का पता चला तो वो आग बबूला हो गया होगा और फिर मुम्बई से यहाॅ आ कर उसने अपनी प्रेमिका के साथ हुए रेप का बदला लेने के लिए ये सब कारनामा अंजाम दिया। हलाॅकि ये एक संभावना है ठाकुर क्योंकि हमारे पास अभी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विराज ही ये सब कर रहा है। संभावना इस लिए है क्योंकि ये काम या तो विधी के घर वाले कर सकते या फिर विराज। दोनो के ही पास ये सब करने की मजबूत वजह थी। ख़ैर जब हमें अशोक की तहकीक़ात से ये पता चला कि विधी किसी विराज नाम के लड़के से प्रेम करती थी तो हमने विराज के बारे में भी जानकारी हाॅसिल की। उसी जानकारी के तहत ये पता चला कि तुम्हारा भी विराज के साथ ऐसा ही कुछ हाल है। इस लिए हमने सोचा तुमसे मिल कर ही इस संबंध में बात की जाए।"
"सच कहूॅ तो ये बात मेरे लिए निहायत ही नई और चौंकाने वाली है चौधरी साहब।" अजय सिंह के मस्तिष्क में धमाके से हो रहे थे। उसके दिमाग़ की बत्ती भी एकाएक जल उठी थी। अब उसे समझ आया था कि विराज मुम्बई से यहाॅ किस लिए आया था? इसके पहले वो सोच सोच कर परेशान था कि विराज यहाॅ किस वजह से आया रहा होगा। ख़ैर उसने इन सब बातों को अपने दिमाग़ से झटका और फिर बोला___"मुझे तो पता क्या बल्कि इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि मेरे भतीजे का किसी लड़की से प्रेम संबंध भी हो सकता है और वो उसके चक्कर में आपके साथ इतना कुछ कर सकता है।"
"दूसरी बात ये कि हम तुम्हारी बेटी के विराज से मिल जाने की बात इस लिए कह रहे हैं क्योंकि वो एक पुलिस ऑफिसर थी।" चौधरी कह रहा था___"उसके थाना क्षेत्र के अंतर्गत रेप की वो वारदात हुई थी। इस लि ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसे उस वारदात का पता ही न चला हो। बल्कि ज़रूर चला होगा और जब उसने विधी को उस हालत में देखा होगा तो खुद ही कानूनन कोई ऐक्शन लेने का सोचा होगा। मगर ऐक्शन वो बिना आला ऑफिसर की अनुमति से कैसे ले सकती थी अथवा बिना पीड़िता के घर वालों द्वारा दर्ज़ करवाई गई एफआईआर के कैसे लेसकती थी? कमिश्नर ने उसे इस केस को बनाने से शख्त मना कर दिया होगा। ख़ैर, क्योंकि वो भी पुलिस वाली के साथ साथ एक लड़की थी इस लिए उसे उस रेप पीड़िता विधी से हमदर्दी हुई होगी। जिसके तहत वो उसी हमदर्दी के तहत विधी से मिलने भी गई होगी। उधर विधी के साथ हुई उस घटना की जानकारी किसी तरह विराज को भी हुई और वो फौरन ही मुम्बई से अपनी प्रेमिका के पास आ गया होगा। अतः संभव है कि इसी दौरान विराज की मुलाक़ात तुम्हारी बेटी से हुई हो और उसे भी ये पता चल गया हो कि विधी और विराज दरअसल प्रेमी कॅपल थे। ऐसी मार्मिक घटना के बीच किसी के अंदर मौजूद नफ़रत अगर प्यार में परिवर्तित हो जाए तो कोई हैरत की बात नहीं। ठाकुर, बस इसी वजह से हम कह रहे हैं कि तुम्हारी बेटी इन हालातों में विराज से मिल गई होगी। बाॅकी सच्चाई क्या है ये तो ईश्वर ही बेहतर तरीके से जानता है।"
अजय सिंह चौधरी की संभावना से भरी बातों को सुन कर बुरी तरह चकित था। उसे लगा कहीं यही सब सच तो नहीं? चौधरी की बातों में उसे सच्चाई की बू आ रही थी। हलाॅकि उसे तो पता ही था कि उसकी बेटी विराज का साथ दे रही है आजकल। उसने ये बात चौधरी से बताई नहीं थी, इसकी वजह ये थी कि फिर उसे और भी सारी बातें बतानी पड़ती जिनका हक़ीक़त से संबंध था। मगर अजय सिंह हक़ीक़त बता नहीं सकता था। उसे लगता था कि हक़ीक़त बताने से उसका कैरेक्टर चौधरी के सामने नंगा हो कर रह जाएगा।
"आपकी बातें और आपकी संभावनाएॅ सच भी हो सकती हैं चौधरी साहब।" फिर अजय सिंह ने कहा___"मगर क्योंकि महज संभावनाओं के आधार पर ही तो नहीं चला जा सकता न। इस लिए हमें साथ मिल कर सारी बातों का पता लगाना होगा।"
"हम भी यही कहना चाहते हैं तुमसे।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"मगर हमारे सामने समस्या ये है कि इस मामले में हम कोई भी क़दम खुल कर नहीं उठा सकते। क्योंकि तुम्हारे भतीजे ने साफ शब्दों में धमकी दी है कि अगर हमने कुछ उल्टा सीधा करने की कोशिश की तो वो हमें ही नहीं बल्कि इन तीनों को भी बीच चौराहे पर नंगा दौड़ा देगा।"
"ये क्या कह रहे हैं आप?" अजय सिंह चौधरी की ये बात सुन कर बुरी तरह हैरान रह गया था, बोला__"भला वो ऐसा कैसे कर सकता है?"
"दरअसल।" चौधरी ने ज़रा झिझकते हुए कहा___"उसके पास हम सबके खिलाफ़ ऐसे सबूत हैं जो अगर पब्लिक के सामने आ जाएॅ तो हम चारों का बेड़ा गर्क हो जाएगा।"
चौधरी की बात सुन कर अजय सिंह चौधरी को इस तरह देखने लगा था जैसे अचानक ही उसके सिर पर गधे का सिर नज़र आने लगा हो। अजय सिंह ये सोच कर भी हक्का बक्का रह गया था कि विराज के पास उसके खिलाफ़ तो उसका बेड़ा गर्क कर देने वाला सबूत था ही और अब चौधरी के खिलाफ़ भी ऐसा सबूत है उसके पास। अजय सिंह को लगा कि उसे चक्कर आ जाएगा ये जान कर मगर फिर उसने खुद को बड़ी मुश्किल से सम्हाला। उसे ये भी समझ आ गया कि जिस उम्मीद से और खुशी से वह चौधरी के पास आया था वो चौधरी तो खुद ही विराज के सामने भीगी बिल्ली बना बैठा है। ये सोचते ही अजय सिंह का सारी उम्मीद और सारी खुशी एक ही पल में नेस्तनाबूत हो गई।
"ये तो बहुत ही गजबनाक बात कह रहे हैं आप।" फिर उसने खुद को सम्हालते हुए कहा___"बड़े आश्चर्य की बात है चौधरी साहब कि आप जैसा इंसान सब कुछ करने की क्षमता रखते हुए भी कुछ नहीं कर सकता है।"
"ये सच है ठाकुर।" चौधरी ने गंभीर भाव से कहा___"जब तक उसके पास हमारे खिलाफ़ वो सबूत हैं तब तक हम कोई ठोस क़दम उठाने का सोच भी नहीं सकते हैं। दूसरी बात उसके कब्जे में हमारे बच्चे भी हैं जिनके साथ वो कुछ भी उल्टा सीधा कर सकता है। ऐसे हालात में हम उसके खिलाफ भला कोई कठोर क़दम कैसे उठा सकते हैं? इस लिए हमने सोचा कि हमारा जो दुश्मन है वही तुम्हारा भी है तो तुम ज़रूर इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही कर सकते हो। यकीन मानो ठाकुर, अगर तुम उस नामुराद का पता करके तथा उसके कब्जे से हमारे बच्चों के साथ साथ उस सबूत को भी लाकर हमारे हवाले कर दो तो हम जीवन भर तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे। तुम जिस चीज़ की हसरत करोगे वो चीज़ हम लाकर तुम्हें देंगे।"
मंत्री की ये बात सुन कर अजय सिंह चकित रह गया था। उसके मुख से कोई लफ्ज़ न निकल सका था। चौधरी उससे मदद की उम्मीद किये बैठा था जबकि उसे पता ही नहीं था कि इस मामले में तो वो खुद भी पंगु हुआ बैठा है। कितनी अजीब बात थी दोनो एक दूसरे से मदद की उम्मीद कर रहे थे जबकि दोनो ही एक दूसरे की कोई मदद नहीं कर सकते थे। अजय सिंह को एकाएक ही उसका भतीजा किसी भयावह काल की तरह लगने लगा था। उसके समूचे जिस्म में मौत की सी झुरझुरी दौड़ गई थी।
"क्या सोचने लगे ठाकुर।" उसे चुप देख कर चौधरी पुनः बोल पड़ा___"तुमने हमारी बात का कोई जवाब नहीं दिया। जबकि हम तुमसे इस मामले में मदद की बात कर रहे हैं।"
"मैं तो ये सोचने लगा था चौधरी साहब।" अजय सिंह ने गहरी साॅस लेते हुए कहा___"कि एक पिद्दी से लड़के ने प्रदेश की इतनी बड़ी हस्ती का जीना हराम कर दिया है। अभी तक तो मैं यही सोच रहा था कि उसने तो सिर्फ मेरा ही जीना हराम किया हुआ था मगर हैरत की बात है कि उसने अपने निशाने पर आपको भी लिया हुआ है।"
"सब वक्त और हालात की बातें हैं ठाकुर।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"उसके पास हमारे खिलाफ़ सबूत भी हैं और हमारे बच्चे भी हैं जिनके तहत उसका पलड़ा बहुत भारी है। अगर कम से कम हमारे बच्चे उसके पास नहीं होते तो हम उसे बताते कि हमारे साथ ऐसी ज़ुर्रत करने की क्या सज़ा मिल सकती थी उसे? ख़ैर छोंड़ो, तुम बताओ कि क्या तुम इस मामले में हमारी कोई मदद कर सकते हो या नहीं?"
"मैं पूरी कोशिश करूॅगा चौधरी साहब।" अजय सिंह ने कहा___"कि मैं इस मामले में आपके लिए कुछ खास कर सकूॅ और जैसा कि आपको मैं बता ही चुका हूॅ कि वो नामुराद मुझे भी अपना दुश्मन समझता है और मुझसे बदला ले रहा है तो उस हिसाब से ये भी सच है कि मैं भी यही चाहता हूॅ कि जल्द से जल्द वो मेरी पकड़ में आ जाए। एक बार पता चल जाए कि वो कमीना किस कोने में छुपा बैठा है उसके बाद तो मैं उसका खात्मा बहुत ही खूबसूरत ढंग से करूॅगा।"
"ठीक है ठाकुर।" चौधरी ने कहा___"हम भी यही चाहते हैं कि उसके ठिकाने का पता किसी तरह से चल जाए। उसके बाद हमारे लिए कोई क़दम उठाना भी आसान हो जाएगा।"
ऐसी ही कुछ देर और कुछ बातें होती रहीं। शाम घिर चुकी थी और अब रात होने वाली थी। इस लिए अजय सिंह चौधरी से इजाज़त लेकर वापस हल्दीपुर के लिए निकल चुका था। सारे रास्ते वह चौधरी के बारे में सोचता रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भतीजा इतना बड़ा सूरमा हो सकता है कि वो प्रदेश के मंत्री तक को अपनी मुट्ठी में कैद कर ले। उसने मंत्री से कह तो दिया था कि वो इस मामले में उसकी मदद करेगा मगर ये तो वही जानता था कि वो उसकी कितनी मदद कर सकता था? ख़ैर थका हारा व परेशान हालत में अजय सिंह अपनी हवेली पहुॅच गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो खुद अपने तथा चौधरी के लिए अब क्या करे?
"क्या????" अजय सिंह चौंका___"मेरा मतलब है कि क्या सूचित किया उसने?"
"उसने फोन पर हमें बताया कि हमारे बच्चे उसके कब्जे में ही हैं।" चौधरी ने कहा___"और ये भी बताया कि वो उनके साथ क्या करेगा? शुरू शुरू में तो हमें समझ ही नहीं आया कि
ऐसा कौन कर सकता है, क्योंकि हमें यही पता नहीं था कि हमारे बच्चों ने किस लड़की के साथ वो सब किया था? दूसरी बात हम ये सोच रहे थे कि अगर मामला इतना बड़ा था तो पुलिस केस ज़रूर होता। इस लिए ये जानने के लिए हमने यहाॅ के पुलिस कमिश्नर से भी बात की थी मगर उसने बताया कि पुलिस ने कोई केस नहीं बनाया। पुलिस केस भी तभी बनाती जब लड़की के घर वाले एफआईआर कराने थाने में जाते। मगर लड़की के घर वाले तो पुलिस की दहलीज़ पर गए ही नहीं थे। हमने भी यही समझा था कि वो हमसे डर गए होंगे इसी लिए पुलिस केस नहीं किया। मगर फिर उस किडनैपर से और अशोक के द्वारा ही समझ में आया कि ऐसा कौन और क्यों कर सकता है?"
"ओह तो फिर क्या समझ आया आपको?" अजय सिंह ने पूछा।
"रेप पीड़िता के घर वाले तो ऐसा कर नहीं सकते।" चौधरी ने कहा___"क्योंकि उन्हें पता था कि पुलिस केस से कुछ होने वाला नहीं है और ऐसा करने की क्षमता उनमें थी नहीं। मगर अशोक ने अपने तरीके से पता लगाया कि एक शख्स और है ऐसा जो हमारे बच्चों को इस संबंध में किडनैप कर सकता है।"
"ऐसा शख्स भला कौन हो सकता है चौधरी साहब?" अजय सिंह चौंका।
"तुम्हारा भतीजा विराज।" चौधरी ने मानो अजय सिंह के सिर पर बम्ब फोड़ा।
"क्या????" अजय सिंह इस तरह उछला था जैसे औसके पिछवाड़े पर किसी ने चुपके से गर्म तवा रख दिया हो। फिर हैरत से ऑखें फाड़े हुए बोला___"ये आप क्या कह रहे हैं? भला विराज ऐसा क्यों करेगा?"
"इसकी बहुत बड़ी वजह है ठाकुर।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"दरअसल जिस लड़की का रेप किया था हमारे बच्चों ने उस विधी नाम की लड़की से तुम्हारा भतीजा विराज प्रेम करता था। जब उसे अपनी प्रेमिका के साथ हुए उस भयावह रेप का पता चला तो वो आग बबूला हो गया होगा और फिर मुम्बई से यहाॅ आ कर उसने अपनी प्रेमिका के साथ हुए रेप का बदला लेने के लिए ये सब कारनामा अंजाम दिया। हलाॅकि ये एक संभावना है ठाकुर क्योंकि हमारे पास अभी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विराज ही ये सब कर रहा है। संभावना इस लिए है क्योंकि ये काम या तो विधी के घर वाले कर सकते या फिर विराज। दोनो के ही पास ये सब करने की मजबूत वजह थी। ख़ैर जब हमें अशोक की तहकीक़ात से ये पता चला कि विधी किसी विराज नाम के लड़के से प्रेम करती थी तो हमने विराज के बारे में भी जानकारी हाॅसिल की। उसी जानकारी के तहत ये पता चला कि तुम्हारा भी विराज के साथ ऐसा ही कुछ हाल है। इस लिए हमने सोचा तुमसे मिल कर ही इस संबंध में बात की जाए।"
"सच कहूॅ तो ये बात मेरे लिए निहायत ही नई और चौंकाने वाली है चौधरी साहब।" अजय सिंह के मस्तिष्क में धमाके से हो रहे थे। उसके दिमाग़ की बत्ती भी एकाएक जल उठी थी। अब उसे समझ आया था कि विराज मुम्बई से यहाॅ किस लिए आया था? इसके पहले वो सोच सोच कर परेशान था कि विराज यहाॅ किस वजह से आया रहा होगा। ख़ैर उसने इन सब बातों को अपने दिमाग़ से झटका और फिर बोला___"मुझे तो पता क्या बल्कि इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि मेरे भतीजे का किसी लड़की से प्रेम संबंध भी हो सकता है और वो उसके चक्कर में आपके साथ इतना कुछ कर सकता है।"
"दूसरी बात ये कि हम तुम्हारी बेटी के विराज से मिल जाने की बात इस लिए कह रहे हैं क्योंकि वो एक पुलिस ऑफिसर थी।" चौधरी कह रहा था___"उसके थाना क्षेत्र के अंतर्गत रेप की वो वारदात हुई थी। इस लि ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसे उस वारदात का पता ही न चला हो। बल्कि ज़रूर चला होगा और जब उसने विधी को उस हालत में देखा होगा तो खुद ही कानूनन कोई ऐक्शन लेने का सोचा होगा। मगर ऐक्शन वो बिना आला ऑफिसर की अनुमति से कैसे ले सकती थी अथवा बिना पीड़िता के घर वालों द्वारा दर्ज़ करवाई गई एफआईआर के कैसे लेसकती थी? कमिश्नर ने उसे इस केस को बनाने से शख्त मना कर दिया होगा। ख़ैर, क्योंकि वो भी पुलिस वाली के साथ साथ एक लड़की थी इस लिए उसे उस रेप पीड़िता विधी से हमदर्दी हुई होगी। जिसके तहत वो उसी हमदर्दी के तहत विधी से मिलने भी गई होगी। उधर विधी के साथ हुई उस घटना की जानकारी किसी तरह विराज को भी हुई और वो फौरन ही मुम्बई से अपनी प्रेमिका के पास आ गया होगा। अतः संभव है कि इसी दौरान विराज की मुलाक़ात तुम्हारी बेटी से हुई हो और उसे भी ये पता चल गया हो कि विधी और विराज दरअसल प्रेमी कॅपल थे। ऐसी मार्मिक घटना के बीच किसी के अंदर मौजूद नफ़रत अगर प्यार में परिवर्तित हो जाए तो कोई हैरत की बात नहीं। ठाकुर, बस इसी वजह से हम कह रहे हैं कि तुम्हारी बेटी इन हालातों में विराज से मिल गई होगी। बाॅकी सच्चाई क्या है ये तो ईश्वर ही बेहतर तरीके से जानता है।"
अजय सिंह चौधरी की संभावना से भरी बातों को सुन कर बुरी तरह चकित था। उसे लगा कहीं यही सब सच तो नहीं? चौधरी की बातों में उसे सच्चाई की बू आ रही थी। हलाॅकि उसे तो पता ही था कि उसकी बेटी विराज का साथ दे रही है आजकल। उसने ये बात चौधरी से बताई नहीं थी, इसकी वजह ये थी कि फिर उसे और भी सारी बातें बतानी पड़ती जिनका हक़ीक़त से संबंध था। मगर अजय सिंह हक़ीक़त बता नहीं सकता था। उसे लगता था कि हक़ीक़त बताने से उसका कैरेक्टर चौधरी के सामने नंगा हो कर रह जाएगा।
"आपकी बातें और आपकी संभावनाएॅ सच भी हो सकती हैं चौधरी साहब।" फिर अजय सिंह ने कहा___"मगर क्योंकि महज संभावनाओं के आधार पर ही तो नहीं चला जा सकता न। इस लिए हमें साथ मिल कर सारी बातों का पता लगाना होगा।"
"हम भी यही कहना चाहते हैं तुमसे।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"मगर हमारे सामने समस्या ये है कि इस मामले में हम कोई भी क़दम खुल कर नहीं उठा सकते। क्योंकि तुम्हारे भतीजे ने साफ शब्दों में धमकी दी है कि अगर हमने कुछ उल्टा सीधा करने की कोशिश की तो वो हमें ही नहीं बल्कि इन तीनों को भी बीच चौराहे पर नंगा दौड़ा देगा।"
"ये क्या कह रहे हैं आप?" अजय सिंह चौधरी की ये बात सुन कर बुरी तरह हैरान रह गया था, बोला__"भला वो ऐसा कैसे कर सकता है?"
"दरअसल।" चौधरी ने ज़रा झिझकते हुए कहा___"उसके पास हम सबके खिलाफ़ ऐसे सबूत हैं जो अगर पब्लिक के सामने आ जाएॅ तो हम चारों का बेड़ा गर्क हो जाएगा।"
चौधरी की बात सुन कर अजय सिंह चौधरी को इस तरह देखने लगा था जैसे अचानक ही उसके सिर पर गधे का सिर नज़र आने लगा हो। अजय सिंह ये सोच कर भी हक्का बक्का रह गया था कि विराज के पास उसके खिलाफ़ तो उसका बेड़ा गर्क कर देने वाला सबूत था ही और अब चौधरी के खिलाफ़ भी ऐसा सबूत है उसके पास। अजय सिंह को लगा कि उसे चक्कर आ जाएगा ये जान कर मगर फिर उसने खुद को बड़ी मुश्किल से सम्हाला। उसे ये भी समझ आ गया कि जिस उम्मीद से और खुशी से वह चौधरी के पास आया था वो चौधरी तो खुद ही विराज के सामने भीगी बिल्ली बना बैठा है। ये सोचते ही अजय सिंह का सारी उम्मीद और सारी खुशी एक ही पल में नेस्तनाबूत हो गई।
"ये तो बहुत ही गजबनाक बात कह रहे हैं आप।" फिर उसने खुद को सम्हालते हुए कहा___"बड़े आश्चर्य की बात है चौधरी साहब कि आप जैसा इंसान सब कुछ करने की क्षमता रखते हुए भी कुछ नहीं कर सकता है।"
"ये सच है ठाकुर।" चौधरी ने गंभीर भाव से कहा___"जब तक उसके पास हमारे खिलाफ़ वो सबूत हैं तब तक हम कोई ठोस क़दम उठाने का सोच भी नहीं सकते हैं। दूसरी बात उसके कब्जे में हमारे बच्चे भी हैं जिनके साथ वो कुछ भी उल्टा सीधा कर सकता है। ऐसे हालात में हम उसके खिलाफ भला कोई कठोर क़दम कैसे उठा सकते हैं? इस लिए हमने सोचा कि हमारा जो दुश्मन है वही तुम्हारा भी है तो तुम ज़रूर इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही कर सकते हो। यकीन मानो ठाकुर, अगर तुम उस नामुराद का पता करके तथा उसके कब्जे से हमारे बच्चों के साथ साथ उस सबूत को भी लाकर हमारे हवाले कर दो तो हम जीवन भर तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे। तुम जिस चीज़ की हसरत करोगे वो चीज़ हम लाकर तुम्हें देंगे।"
मंत्री की ये बात सुन कर अजय सिंह चकित रह गया था। उसके मुख से कोई लफ्ज़ न निकल सका था। चौधरी उससे मदद की उम्मीद किये बैठा था जबकि उसे पता ही नहीं था कि इस मामले में तो वो खुद भी पंगु हुआ बैठा है। कितनी अजीब बात थी दोनो एक दूसरे से मदद की उम्मीद कर रहे थे जबकि दोनो ही एक दूसरे की कोई मदद नहीं कर सकते थे। अजय सिंह को एकाएक ही उसका भतीजा किसी भयावह काल की तरह लगने लगा था। उसके समूचे जिस्म में मौत की सी झुरझुरी दौड़ गई थी।
"क्या सोचने लगे ठाकुर।" उसे चुप देख कर चौधरी पुनः बोल पड़ा___"तुमने हमारी बात का कोई जवाब नहीं दिया। जबकि हम तुमसे इस मामले में मदद की बात कर रहे हैं।"
"मैं तो ये सोचने लगा था चौधरी साहब।" अजय सिंह ने गहरी साॅस लेते हुए कहा___"कि एक पिद्दी से लड़के ने प्रदेश की इतनी बड़ी हस्ती का जीना हराम कर दिया है। अभी तक तो मैं यही सोच रहा था कि उसने तो सिर्फ मेरा ही जीना हराम किया हुआ था मगर हैरत की बात है कि उसने अपने निशाने पर आपको भी लिया हुआ है।"
"सब वक्त और हालात की बातें हैं ठाकुर।" दिवाकर चौधरी ने कहा___"उसके पास हमारे खिलाफ़ सबूत भी हैं और हमारे बच्चे भी हैं जिनके तहत उसका पलड़ा बहुत भारी है। अगर कम से कम हमारे बच्चे उसके पास नहीं होते तो हम उसे बताते कि हमारे साथ ऐसी ज़ुर्रत करने की क्या सज़ा मिल सकती थी उसे? ख़ैर छोंड़ो, तुम बताओ कि क्या तुम इस मामले में हमारी कोई मदद कर सकते हो या नहीं?"
"मैं पूरी कोशिश करूॅगा चौधरी साहब।" अजय सिंह ने कहा___"कि मैं इस मामले में आपके लिए कुछ खास कर सकूॅ और जैसा कि आपको मैं बता ही चुका हूॅ कि वो नामुराद मुझे भी अपना दुश्मन समझता है और मुझसे बदला ले रहा है तो उस हिसाब से ये भी सच है कि मैं भी यही चाहता हूॅ कि जल्द से जल्द वो मेरी पकड़ में आ जाए। एक बार पता चल जाए कि वो कमीना किस कोने में छुपा बैठा है उसके बाद तो मैं उसका खात्मा बहुत ही खूबसूरत ढंग से करूॅगा।"
"ठीक है ठाकुर।" चौधरी ने कहा___"हम भी यही चाहते हैं कि उसके ठिकाने का पता किसी तरह से चल जाए। उसके बाद हमारे लिए कोई क़दम उठाना भी आसान हो जाएगा।"
ऐसी ही कुछ देर और कुछ बातें होती रहीं। शाम घिर चुकी थी और अब रात होने वाली थी। इस लिए अजय सिंह चौधरी से इजाज़त लेकर वापस हल्दीपुर के लिए निकल चुका था। सारे रास्ते वह चौधरी के बारे में सोचता रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भतीजा इतना बड़ा सूरमा हो सकता है कि वो प्रदेश के मंत्री तक को अपनी मुट्ठी में कैद कर ले। उसने मंत्री से कह तो दिया था कि वो इस मामले में उसकी मदद करेगा मगर ये तो वही जानता था कि वो उसकी कितनी मदद कर सकता था? ख़ैर थका हारा व परेशान हालत में अजय सिंह अपनी हवेली पहुॅच गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो खुद अपने तथा चौधरी के लिए अब क्या करे?