hotaks444
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"आपने ऐसा कह कर यकीनन मेरे दिल को राहत पहुॅचाई है दीदी।" उधर से निधी कह रही थी___"वरना ये सच है कि मैं इस सबसे बहुत ही ज्यादा घबरा गई थी और चिंतित भी हो गई थी। मैं नहीं चाहती दीदी कि मेरी वजह से सब कुछ खत्म हो जाए और अगर सच में आपने किसी से वो सब कुछ बता दिया होता तो ये भी सच है कि फिर मेरे पास आत्म हत्या कर लेने के सिवा कोई दूसरा चारा न रह जाता। मैं किसी को अपना मुह न दिखा पाती और ना ही एक पल के लिए भी वैसी जलालत भरी ज़िंदगी जी पाती।"
"चुप कर तू।" आशा की ऑखों से ऑसुओं का जैसे बाॅध सा फूट पड़ा, बुरी तरह तड़प कर बोली___"ख़बरदार जो दुबारा फिर कभी आत्महत्या वाली बात की। तू सोच भी कैसे सकती है पागल कि मैं किसी से उस बारे में कुछ कह देती? इतनी पत्थर दिल नहीं हूॅ गुड़िया। मेरे सीने में भी तेरी तरह एक ऐसा दिल धड़कता है जिसमें किसी के लिए बेपनाह मोहब्बत जाने कब से अपना आशियां बना कर रहती है।"
"य..ये आप क्या कह रही हैं दीदी??" उधर से निधी का बुरी तरह चौंका हुआ स्वर उभरा___"आप भी किसी से मोहब्बत करती हैं?"
"क्यों गुड़िया?" आशा ने सहसा फीकी मुस्कान के साथ कहा___"क्या मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हो सकती? क्या मेरे अंदर एहसास नहीं हैं? अरे मेरे सीने में भी तो ऐसा दिल है जो धड़कना जानता है रे।"
"मेरा वो मतलब नहीं था दीदी।" उधर से निधी ने मानो सकपकाते हुए कहा___"मैं तो बस आपकी इस बात से हैरान हुई थी कि आप भी किसी से मोहब्बत करती हैं। वैसे कौन है वो शख्स जिसे मेरी प्यारी सी दीदी मोहब्बत करती है? मुझे भी तो बताइये न दीदी।"
"बहुत मुश्किल है गुड़िया।" आशा के चेहरे पर एकाएक ही कई सारे भाव आ कर ठहर गए, बोली___"बस यूॅ समझ ले कि एकतरफा मोहब्बत है ये।"
"मोहब्बत तो है न दीदी।" उधर से निधी ने कहा__"इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि वो एकतरफ से है या फिर दोनो तरफ से। मोहब्बत तो मोहब्बत ही होती है चाहे वो किसी की भी तरफ से हो। आप बताइये न किससे मोहब्बत करती हैं आप? मुझे ये जानने की बड़ी तीब्र उत्सुकता हो रही है प्लीज़ बताइये न।"
"मुझे मजबूर मत कर गुड़िया।" आशा की आवाज़ जैसे काॅप सी गई, बोली___"वर्षों से दबे उस मोहब्बत के एहसास को दबा ही रहने दे। क्योंकि मुझे इतने की ही आदत पड़ चुकी है और इतने से दर्द को ही सहने की हिम्मत है मुझमे। वो अगर बाहर आ गई तो फिर मैं उसे और उसके असहनीय दर्द को सम्हाल नहीं पाऊॅगी। इस लिए मुझसे मत पूछ मेरी गुड़िया। मैं तुझे ही क्या उस शख्स को भी नहीं बता सकती जिसे टूट टूट कर वर्षों से चाहा है मैने।"
"हाय दीदी।" उधर से निधी की मानो सिसकी सी निकल गई। कदाचित ऐसा इस लिए क्योंकि दोनो एक ही रोग के रोगी थे। ख़ैर निधी ने कहा___"ये कैसा रोग है दीदी? ये कैसा दर्द है, ये कैसा एहसास है? न जी पाते हैं और ना ही मर पाते हैं। ना चाहते हुए भी उससे फाॅसला कर लेते हैं जिसके बिना पल भी रह नहीं पाते हैं।"
"जाने दे गुड़िया।" आशा के अंदर से एक हूक सी उठी थी जिसने उसे हिला कर रख दिया था, बोली___"ऐसी बातें मत कर वरना इनका असर ऐसा होता है कि फिर एक पल भी सुकून नहीं मिलता। इस लिए ज़रूरी है कि हम अपने मन को अथवा दिल को बहला लें किसी तरह।"
"हाॅ ये तो सच कहा आपने।" निधी ने कहा___"हमें तो हर हाल में खुद को तथा अपने दिल को बहलाना ही होता है। किन्तु अगर आप बताना नहीं चाहती हैं तो कोई बात नहीं। अगर कभी दिल करे कि आपको अपने दिल के बोझ को हल्का करना है तो मुझसे वो सब बता कर ज़रूर खुद को हल्का कर लीजिएगा।"
"चल बाय।" आशा ने गहरी साॅस ली___"अपना ख़याल रखना और हाॅ अपने चेहरे की ये उदासी को कम करने की कोशिश भी करना।"
आशा की इस बात पर उधर से निधी ने हाॅ कहा और फिर काल कट गई। बाथरूम के अंदर एक तरफ की दीवार पर लगे आईने के सामने खड़ी आशा काल कट होने के बाद कुछ देर तक आईने में खुद को देखती रही और फिर सहसा उसके लब थरथराते हुए हिले___"तुझे कैसे बता दूॅ गुड़िया कि मेरे दिल में किस शख्स के प्रति बेपनाह मोहब्बत है? अगर तुझे पता चल जाए कि मुझे भी उसी से मोहब्बत है जिससे तुझे है तो बहुत हद तक संभव है कि तेरा दिल टूट जाएगा और फिर तू सब कुछ जानते समझते हुए भी खुद को बिखर जाने से रोंक नहीं पाएगी।"
आईने में दिख रहे अपने अक्श को एकटक देखती हुई आशा की ऑखों से एकाएक ही ऑसुओं के दो मोती छलकते हुए नीचे बाथरूम के फर्स पर गिर कर मानो फना हो गए। फिर उसने जैसे खुद को सम्हाला और मोबाइल को एक तरफ रख कर उसने वाश बेसिन पर लगे नलके को चला कर उसके पानी से अपने चेहरे को धोना शुरू कर दिया। उसके बाद उसने एक तरफ हैंगर पर टॅगे टाॅवेल से अपने धुले हुए चेहरे को पोंछा और फिर मोबाइल लेकर बाथरूम से बाहर आ गई।
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"चुप कर तू।" आशा की ऑखों से ऑसुओं का जैसे बाॅध सा फूट पड़ा, बुरी तरह तड़प कर बोली___"ख़बरदार जो दुबारा फिर कभी आत्महत्या वाली बात की। तू सोच भी कैसे सकती है पागल कि मैं किसी से उस बारे में कुछ कह देती? इतनी पत्थर दिल नहीं हूॅ गुड़िया। मेरे सीने में भी तेरी तरह एक ऐसा दिल धड़कता है जिसमें किसी के लिए बेपनाह मोहब्बत जाने कब से अपना आशियां बना कर रहती है।"
"य..ये आप क्या कह रही हैं दीदी??" उधर से निधी का बुरी तरह चौंका हुआ स्वर उभरा___"आप भी किसी से मोहब्बत करती हैं?"
"क्यों गुड़िया?" आशा ने सहसा फीकी मुस्कान के साथ कहा___"क्या मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हो सकती? क्या मेरे अंदर एहसास नहीं हैं? अरे मेरे सीने में भी तो ऐसा दिल है जो धड़कना जानता है रे।"
"मेरा वो मतलब नहीं था दीदी।" उधर से निधी ने मानो सकपकाते हुए कहा___"मैं तो बस आपकी इस बात से हैरान हुई थी कि आप भी किसी से मोहब्बत करती हैं। वैसे कौन है वो शख्स जिसे मेरी प्यारी सी दीदी मोहब्बत करती है? मुझे भी तो बताइये न दीदी।"
"बहुत मुश्किल है गुड़िया।" आशा के चेहरे पर एकाएक ही कई सारे भाव आ कर ठहर गए, बोली___"बस यूॅ समझ ले कि एकतरफा मोहब्बत है ये।"
"मोहब्बत तो है न दीदी।" उधर से निधी ने कहा__"इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि वो एकतरफ से है या फिर दोनो तरफ से। मोहब्बत तो मोहब्बत ही होती है चाहे वो किसी की भी तरफ से हो। आप बताइये न किससे मोहब्बत करती हैं आप? मुझे ये जानने की बड़ी तीब्र उत्सुकता हो रही है प्लीज़ बताइये न।"
"मुझे मजबूर मत कर गुड़िया।" आशा की आवाज़ जैसे काॅप सी गई, बोली___"वर्षों से दबे उस मोहब्बत के एहसास को दबा ही रहने दे। क्योंकि मुझे इतने की ही आदत पड़ चुकी है और इतने से दर्द को ही सहने की हिम्मत है मुझमे। वो अगर बाहर आ गई तो फिर मैं उसे और उसके असहनीय दर्द को सम्हाल नहीं पाऊॅगी। इस लिए मुझसे मत पूछ मेरी गुड़िया। मैं तुझे ही क्या उस शख्स को भी नहीं बता सकती जिसे टूट टूट कर वर्षों से चाहा है मैने।"
"हाय दीदी।" उधर से निधी की मानो सिसकी सी निकल गई। कदाचित ऐसा इस लिए क्योंकि दोनो एक ही रोग के रोगी थे। ख़ैर निधी ने कहा___"ये कैसा रोग है दीदी? ये कैसा दर्द है, ये कैसा एहसास है? न जी पाते हैं और ना ही मर पाते हैं। ना चाहते हुए भी उससे फाॅसला कर लेते हैं जिसके बिना पल भी रह नहीं पाते हैं।"
"जाने दे गुड़िया।" आशा के अंदर से एक हूक सी उठी थी जिसने उसे हिला कर रख दिया था, बोली___"ऐसी बातें मत कर वरना इनका असर ऐसा होता है कि फिर एक पल भी सुकून नहीं मिलता। इस लिए ज़रूरी है कि हम अपने मन को अथवा दिल को बहला लें किसी तरह।"
"हाॅ ये तो सच कहा आपने।" निधी ने कहा___"हमें तो हर हाल में खुद को तथा अपने दिल को बहलाना ही होता है। किन्तु अगर आप बताना नहीं चाहती हैं तो कोई बात नहीं। अगर कभी दिल करे कि आपको अपने दिल के बोझ को हल्का करना है तो मुझसे वो सब बता कर ज़रूर खुद को हल्का कर लीजिएगा।"
"चल बाय।" आशा ने गहरी साॅस ली___"अपना ख़याल रखना और हाॅ अपने चेहरे की ये उदासी को कम करने की कोशिश भी करना।"
आशा की इस बात पर उधर से निधी ने हाॅ कहा और फिर काल कट गई। बाथरूम के अंदर एक तरफ की दीवार पर लगे आईने के सामने खड़ी आशा काल कट होने के बाद कुछ देर तक आईने में खुद को देखती रही और फिर सहसा उसके लब थरथराते हुए हिले___"तुझे कैसे बता दूॅ गुड़िया कि मेरे दिल में किस शख्स के प्रति बेपनाह मोहब्बत है? अगर तुझे पता चल जाए कि मुझे भी उसी से मोहब्बत है जिससे तुझे है तो बहुत हद तक संभव है कि तेरा दिल टूट जाएगा और फिर तू सब कुछ जानते समझते हुए भी खुद को बिखर जाने से रोंक नहीं पाएगी।"
आईने में दिख रहे अपने अक्श को एकटक देखती हुई आशा की ऑखों से एकाएक ही ऑसुओं के दो मोती छलकते हुए नीचे बाथरूम के फर्स पर गिर कर मानो फना हो गए। फिर उसने जैसे खुद को सम्हाला और मोबाइल को एक तरफ रख कर उसने वाश बेसिन पर लगे नलके को चला कर उसके पानी से अपने चेहरे को धोना शुरू कर दिया। उसके बाद उसने एक तरफ हैंगर पर टॅगे टाॅवेल से अपने धुले हुए चेहरे को पोंछा और फिर मोबाइल लेकर बाथरूम से बाहर आ गई।
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