hotaks444
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"बात तो तुम्हारी ठीक है।" जगदीश हॅस पड़ा__"संभावनाओं पर कुछ नहीं होता, कानून को तो सबूत चाहिए। और सबूत कोई है नहीं। वाह....ये तो कमाल हो गया बेटे।"
"अभी तो दिमाग़ से ही उनकी हालत खराब कर रखी है अंकल।" विराज ने कहा__"जबकि मैदान में खुल कर आना अभी बाॅकी है। जिस दिन आमने सामने का खेल होगा न उस दिन से अजय सिंह हर पल रोएगा, गिड़गिड़ाएगा, रहम की भीख माॅगेगा मुझसे और मेरी माॅ से।"
"उसके साथ यही होना चाहिए राज बेटे।" जगदीश ने कहा__"जो अपने माॅ बाप और भाई का न हुआ बल्कि उनके साथ इतना घिनौना कर्म किया ऐसे गंदे इंसान के साथ किसी भी कीमत पर रहम नहीं होना चाहिए।"
"उनके लिए रहम शब्द मैंने अपनी डिक्शनरी से निकाल कर फेंक दिया है अंकल।" विराज ने एकाएक ठंडे स्वर में कहा__"एक एक चीज़ का हिसाब लूॅगा मैं।"
"मैं तो उस कमीने शिवा को अपने हाथों से कुत्ते की तरह मारूॅगी।" सहसा निधि ने तपाक से कहा__"मुझे उसकी शकल से भी नफरत है। हाॅ नहीं तो।"
निधि के इस तकिया कलाम को सुन कर सब मुस्कुरा कर रह गए।
ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गए। अजय सिंह अब अपनी हालत पर काबू पा चुका था। बल्कि ये कहिये कि हर बात से काफी हद तक बेफिक्र हो चुका था। उसकी बेटी रितू द्वारा उसे पता चल चुका था कि तहखाने में बाॅकी कुछ नहीं मिला था। हलाॅकि रितू को इस बात के पता होने का सवाल ही नहीं था कि उसका बाप गैर कानूनी काम करता है। उसने तो फाॅरेंसिक रिपोर्ट को देखकर यही बताया था कि फैक्टरी में आग टाइम बम्ब के द्वारा ही लगी थी। अब उसकी तहकीकात सिर्फ इसी तरफ थी कि फैक्टरी के अंदर जाकर तहखाने में टाइम बम्ब किसने लगाया था??
रितू को एक सवाल ये भी परेशान कर रहा था कि इस केस की बारीकी से जाॅच पड़ताल कराने के पीछे होम मिनिस्टर का क्या मकसद था?? उसने तो सिर्फ केस को रिओपेन करने की अप्लीकेशन बस दी थी। उसका मकसद तो सिर्फ ये पता करना था कि इस केस में पुलिस ने इस प्रकार की रिपोर्ट क्यों बनाई थी?? दूसरी बात ये थी कि उसे लगता था कि फैक्टरी में लगी आग महज कोई इत्तेफाक़ की बात नहीं थी। बल्कि उसके पिता के किसी दुश्मन द्वारा लगाई गई थी। इस लिए वह इस सबका पता करके उस ब्यक्ति द्वारा अपने पिता के हुए भारी नुकसान की भरपाई करना चाहती थी। उसे तो इस बात से भी हैरानी थी कि रातों रात इस शहर के सारे पुलिस डिपार्टमेंट का तबादला क्यों कर दिया गया था??? इसके पीछे क्या सिर्फ ये वजह थी कि इस केस की पुलिस ने अपनी पूरी ईमानदारी के साथ छानबीन नहीं की, बल्कि किसी के कहने पर ऐसी रिपोर्ट तैयार की?? क्या सिर्फ यही वजह थी या फिर इसके पीछे भी कोई ऐसा कारण है जो फिलहाल अभी उसकी समझ से बाहर नज़र आ रहा है??
अजय सिंह बेफिक्र ज़रूर हो गया था किन्तु इस बात का उसे एहसास था कि एक तलवार अभी भी उसकी गर्दन पर लटकी हुई है, जो कभी भी उसका गला रेत सकती है। वह पक्के तौर पर समझ चुका था कि तहखाने से वह सब चीज़ें तहखाने में टाइम बम्ब लगाने वाले ने ही गायब की हैं। वह नहीं जानता था कि ये सब किसने किया है लेकिन इतना अवश्य जानता था कि देर सवेर उस ब्यक्ति का इस संबंध में कोई न कोई मैसेज ज़रूर आएगा। अजय सिंह उसी मैसेज के इन्तज़ार में था। दूसरी बात अपने बिजनेस को फिर से खड़ा करने के लिए वह कार्यरत भी हो गया था। फैक्टरी भले ही जल गई थी उसकी लेकिन उसके पास पैसों की कमी नहीं थी। गैर कानूनी धंधे में उसने बड़ी धन दौलत इकट्ठी कर ली थी। उसने फैक्टरी को फिर से शुरू करने के लिए उसकी मरम्मत का काम शुरू करवा दिया था। इस समय वह रात दिन इसी में ब्यस्त रहता था। उसकी छोटी बेटी नीलम वापस मुम्बई जा चुकी थी। अजय सिंह फैक्टरी को फिर से शुरू करने के लिए कार्यरत था, इस बात से अंजान कि उसके पीछे उसका बेटा शिवा अपने आचरण से क्या हंगामा खड़ा करने जा रहा था???
शिवा का ज्यादातर समय अपने आवारा दोस्तों के साथ मस्ती करने और गाॅव की किसी न किसी लड़की को पटा कर उनके साथ अपने अंदर की हवस मिटाने में जाता था। माॅ बाप की तरह वो भी अपने ही घर की औरतों व लड़कियों को गंदी नज़रों से देखता था और रात दिन अपनी ही माॅ बहनों तथा चाची को अपने नीचे लेटाने की सोचता रहता था।
"अभी तो दिमाग़ से ही उनकी हालत खराब कर रखी है अंकल।" विराज ने कहा__"जबकि मैदान में खुल कर आना अभी बाॅकी है। जिस दिन आमने सामने का खेल होगा न उस दिन से अजय सिंह हर पल रोएगा, गिड़गिड़ाएगा, रहम की भीख माॅगेगा मुझसे और मेरी माॅ से।"
"उसके साथ यही होना चाहिए राज बेटे।" जगदीश ने कहा__"जो अपने माॅ बाप और भाई का न हुआ बल्कि उनके साथ इतना घिनौना कर्म किया ऐसे गंदे इंसान के साथ किसी भी कीमत पर रहम नहीं होना चाहिए।"
"उनके लिए रहम शब्द मैंने अपनी डिक्शनरी से निकाल कर फेंक दिया है अंकल।" विराज ने एकाएक ठंडे स्वर में कहा__"एक एक चीज़ का हिसाब लूॅगा मैं।"
"मैं तो उस कमीने शिवा को अपने हाथों से कुत्ते की तरह मारूॅगी।" सहसा निधि ने तपाक से कहा__"मुझे उसकी शकल से भी नफरत है। हाॅ नहीं तो।"
निधि के इस तकिया कलाम को सुन कर सब मुस्कुरा कर रह गए।
ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गए। अजय सिंह अब अपनी हालत पर काबू पा चुका था। बल्कि ये कहिये कि हर बात से काफी हद तक बेफिक्र हो चुका था। उसकी बेटी रितू द्वारा उसे पता चल चुका था कि तहखाने में बाॅकी कुछ नहीं मिला था। हलाॅकि रितू को इस बात के पता होने का सवाल ही नहीं था कि उसका बाप गैर कानूनी काम करता है। उसने तो फाॅरेंसिक रिपोर्ट को देखकर यही बताया था कि फैक्टरी में आग टाइम बम्ब के द्वारा ही लगी थी। अब उसकी तहकीकात सिर्फ इसी तरफ थी कि फैक्टरी के अंदर जाकर तहखाने में टाइम बम्ब किसने लगाया था??
रितू को एक सवाल ये भी परेशान कर रहा था कि इस केस की बारीकी से जाॅच पड़ताल कराने के पीछे होम मिनिस्टर का क्या मकसद था?? उसने तो सिर्फ केस को रिओपेन करने की अप्लीकेशन बस दी थी। उसका मकसद तो सिर्फ ये पता करना था कि इस केस में पुलिस ने इस प्रकार की रिपोर्ट क्यों बनाई थी?? दूसरी बात ये थी कि उसे लगता था कि फैक्टरी में लगी आग महज कोई इत्तेफाक़ की बात नहीं थी। बल्कि उसके पिता के किसी दुश्मन द्वारा लगाई गई थी। इस लिए वह इस सबका पता करके उस ब्यक्ति द्वारा अपने पिता के हुए भारी नुकसान की भरपाई करना चाहती थी। उसे तो इस बात से भी हैरानी थी कि रातों रात इस शहर के सारे पुलिस डिपार्टमेंट का तबादला क्यों कर दिया गया था??? इसके पीछे क्या सिर्फ ये वजह थी कि इस केस की पुलिस ने अपनी पूरी ईमानदारी के साथ छानबीन नहीं की, बल्कि किसी के कहने पर ऐसी रिपोर्ट तैयार की?? क्या सिर्फ यही वजह थी या फिर इसके पीछे भी कोई ऐसा कारण है जो फिलहाल अभी उसकी समझ से बाहर नज़र आ रहा है??
अजय सिंह बेफिक्र ज़रूर हो गया था किन्तु इस बात का उसे एहसास था कि एक तलवार अभी भी उसकी गर्दन पर लटकी हुई है, जो कभी भी उसका गला रेत सकती है। वह पक्के तौर पर समझ चुका था कि तहखाने से वह सब चीज़ें तहखाने में टाइम बम्ब लगाने वाले ने ही गायब की हैं। वह नहीं जानता था कि ये सब किसने किया है लेकिन इतना अवश्य जानता था कि देर सवेर उस ब्यक्ति का इस संबंध में कोई न कोई मैसेज ज़रूर आएगा। अजय सिंह उसी मैसेज के इन्तज़ार में था। दूसरी बात अपने बिजनेस को फिर से खड़ा करने के लिए वह कार्यरत भी हो गया था। फैक्टरी भले ही जल गई थी उसकी लेकिन उसके पास पैसों की कमी नहीं थी। गैर कानूनी धंधे में उसने बड़ी धन दौलत इकट्ठी कर ली थी। उसने फैक्टरी को फिर से शुरू करने के लिए उसकी मरम्मत का काम शुरू करवा दिया था। इस समय वह रात दिन इसी में ब्यस्त रहता था। उसकी छोटी बेटी नीलम वापस मुम्बई जा चुकी थी। अजय सिंह फैक्टरी को फिर से शुरू करने के लिए कार्यरत था, इस बात से अंजान कि उसके पीछे उसका बेटा शिवा अपने आचरण से क्या हंगामा खड़ा करने जा रहा था???
शिवा का ज्यादातर समय अपने आवारा दोस्तों के साथ मस्ती करने और गाॅव की किसी न किसी लड़की को पटा कर उनके साथ अपने अंदर की हवस मिटाने में जाता था। माॅ बाप की तरह वो भी अपने ही घर की औरतों व लड़कियों को गंदी नज़रों से देखता था और रात दिन अपनी ही माॅ बहनों तथा चाची को अपने नीचे लेटाने की सोचता रहता था।