hotaks444
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अजय सिंह और प्रतिमा की नज़रें एक साथ उस चीज़ पर पड़ीं। और उस चीज़ को पहचानते ही दोनो अपनी अपनी जगह बैठे उछल पड़े। प्रतिमा ने अपना हाॅथ आगे बढ़ा कर उस चीज को उठा लिया। वो कण्डोम का पैकिट था। पैकिट खुला हुआ था मतलब उसमे मौजूद कण्डोमों में से कुछ का इस्तेमाल हो चुका था। प्रतिमा ने अपने पति अजय सिंह की तरफ अजीब भाव से देखा।
"ये है आपके शहजादे की पढ़ाई।" प्रतिमा के लहजे में कठोरता थी बोली__"और ये सब सिर्फ आपके लाड प्यार का नतीजा है।"
"इस उमर में ये नेचुरल बात है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा__"क्या तुम भूल गई कि हम दोनों ने खुद शादी के पहले इसका कितना इस्तेमाल किया था?"
"हाॅ मगर तब आप नौकरी पेशा थे।" प्रतिमा के चेहरे पर कुछ पल के लिए शर्म की लाली छाई थी किन्तु उसने शीघ्र ही खुद को नाॅर्मल करते हुए कहा था__"लेकिन शिवा अभी पढ़ रहा है। अगर इसी तरह चलता रहा तो वो क्या कर पाएगा भविश्य में?"
"तुम बेवजह छोटी सी बात को इतना तूल दे रही हो यार।" अजय सिंह ने कहा__"मुझे तुमसे ज्यादा चिंता है उसके भविश्य की, अगर नहीं होती तो ये सब नहीं करता। और अब इस बारे में कोई बात नही होगी समझी न?"
प्रतिमा कुछ न बोली। इसके साथ ही ड्राइंग रूम में सन्नाटा छा गया। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अजय सिंह ने कहा__"अब यूॅ मुह न फुलाओ मेरी जान, आज रात तुम्हें खुश कर दूॅगा चिन्ता मत करो।"
"क्या सच में?" प्रतिमा के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी__"लेकिन दो राउण्ड से पहले नहीं सोने दूॅगी मैं आपको ये सोच लेना।"
"ठीक है मेरी जान।" अजय सिंह मुस्कुराया__"एक एक राउण्ड तुम्हारे आगे पीछे से अच्छे से लूॅगा।"
"अच्छा जी?" प्रतिमा मुस्कुराई__"आप तो जब देखो मेरे पिछवाड़े के पीछे ही पड़े रहते हो।"
"औरत को पीछे से रगड़ रगड़ कर ही ठोंकने में हम मर्दों को मज़ा आता है डियर।" अजय सिंह ने कहा__"और तुम्हारे पिछवाड़े की तो बात ही अलग है यार।"
"और किसके किसके पिछवाड़े की बात अलग है?" प्रतिमा ने अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए कहा__"ज़रा ये भी तो बताइए।"
"तुम अच्छी तरह जानती हो मेरी जान।" अजय सिंह के चेहरे पर अजीब से भाव थे__"फिर क्यों पूॅछ रही हो?"
"बताने में हर्ज़ ही क्या है?" प्रतिमा हॅसी__"बता ही दीजिए।"
"तुम्हारे बाद अगर किसी और के पिछवाड़े में अलग बात है तो वो है हमारी बड़ी बेटी रितू। हाय क्या पिछवाड़ा है ज़ालिम का बिलकुल तुम्हारी तरह ही है उसका पिछवाड़ा।"
"अपनी ही बेटी पर नीयत बुरी है आपकी?" प्रतिमा ने कहने के साथ ही मैक्सी के ऊपर से अपने एक हाॅथ से अपनी चूॅत को बुरी तरह मसला फिर बोली__"मगर ये जान लीजिए कि रितू का पिछवाड़ा इतनी आसानी से मिलने वाला नही है आपको।"
"यही तो रोना है यार।" अजय सिंह आह सी भरते हुए बोला__"तुमको मेरी ख्वाहिश का पता है फिर भी अब तक कुछ नहीं किया।"
"चिंता मत कीजिए।" प्रतिमा ने कहा__"आपके लिए एक नई चूॅत और एक नए पिछवाड़े का इंतजाम कर दिया है मैंने।"
"क् क्या सच में..???"अजय सिंह खुशी से झूम उठा__"ओह डियर आखिर तुमने कर ही दिया। मगर, ये तो बताओ किसकी चूत और पिछवाड़े का इंतजाम किया है तुमने?"
"अभी थोड़ी कसर बाॅकी है जनाब।" प्रतिमा ने कहा__"मगर मुझे यकीन है कि एक दो दिन में काम हो जाएगा आपका।"
"काश! गौरी को हासिल कर पाता मैं।" अजय सिंह बोला__"उस पर तो मेरी तब से नज़र थी जब वह ब्याह कर इस घर में आई थी। एक झलक उसके जिस्म की देखा थी मैंने। एक दम दूध सा गोरा रंग था उसका और बनावट ऐसी कि उसके सामने कुदरत की हर कृति फीकी पड़ जाए।"
"कम से कम मेरे सामने उसकी खूबसूरती का बखान मत किया कीजिए आप।" प्रतिमा ने तीखे भाव से कहा__"आपको कितनी बार ये कहा है मैने। फिर भी आप उस हरामजादी की तारीफ करके मेरा खून जलाने से बाज नहीं आते हैं।"
"क्या करूॅ मेरी जान?" अजय सिंह कह उठा__"तुम्हारे बाद मुझे अगर किसी से प्यार हुआ है तो वो थी गौरी। मैं चाहता तो कब का उसकी खूबसूरती का रसपान कर लेता किन्तु मैने ऐसा नही किया। मैं उसे प्यार से हासिल करना चाहता था। तभी तो मैंने ये सब किया, उसको इतने दुख दिए और उसके लिए सारे रास्ते बंद कर दिए। मगर फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ और अब होगा भी कि नहीं क्या कहा जा सकता है?"
"आपने तो उन लोगों की खोज में अपने आदमी लगाए थे न?" प्रतिमा ने कहा__"उन लोगों ने क्या रिपोर्ट दी उनके बारे में?"
"मेरे आदमी खाली हाॅथ वापस आ गए थे।" अजय सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव उजागर हुए__"वो हरामी की औलाद विराज बड़ा ही चतुर व चालाक निकला। उसने अपनी माॅ और बहन को किसी दूसरे शहर के रूट से उन्हें मुम्बई ले जाने में कामयाब हो गया था।"
"शायद उसे अंदेशा था कि आप उन्हें पकड़ने के लिए अपने आदमियों को भेजेंगे।" प्रतिमा ने सोचपूर्ण भाव से कहा।
"हाॅ यही बात रही होगी।" अजय सिंह बोला__"वर्ना वो ऐसा काम क्यों करता? मगर कब तक मुझसे छिपा कर रखेगा वो अपनी माॅ और बहन को? मैं चैन से बैठा नहीं हूॅ प्रतिमा, बल्कि आज भी मेरे आदमी उनकी खोज में मुम्बई की खाक़ छान रहे हैं।"
"ये है आपके शहजादे की पढ़ाई।" प्रतिमा के लहजे में कठोरता थी बोली__"और ये सब सिर्फ आपके लाड प्यार का नतीजा है।"
"इस उमर में ये नेचुरल बात है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा__"क्या तुम भूल गई कि हम दोनों ने खुद शादी के पहले इसका कितना इस्तेमाल किया था?"
"हाॅ मगर तब आप नौकरी पेशा थे।" प्रतिमा के चेहरे पर कुछ पल के लिए शर्म की लाली छाई थी किन्तु उसने शीघ्र ही खुद को नाॅर्मल करते हुए कहा था__"लेकिन शिवा अभी पढ़ रहा है। अगर इसी तरह चलता रहा तो वो क्या कर पाएगा भविश्य में?"
"तुम बेवजह छोटी सी बात को इतना तूल दे रही हो यार।" अजय सिंह ने कहा__"मुझे तुमसे ज्यादा चिंता है उसके भविश्य की, अगर नहीं होती तो ये सब नहीं करता। और अब इस बारे में कोई बात नही होगी समझी न?"
प्रतिमा कुछ न बोली। इसके साथ ही ड्राइंग रूम में सन्नाटा छा गया। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अजय सिंह ने कहा__"अब यूॅ मुह न फुलाओ मेरी जान, आज रात तुम्हें खुश कर दूॅगा चिन्ता मत करो।"
"क्या सच में?" प्रतिमा के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी__"लेकिन दो राउण्ड से पहले नहीं सोने दूॅगी मैं आपको ये सोच लेना।"
"ठीक है मेरी जान।" अजय सिंह मुस्कुराया__"एक एक राउण्ड तुम्हारे आगे पीछे से अच्छे से लूॅगा।"
"अच्छा जी?" प्रतिमा मुस्कुराई__"आप तो जब देखो मेरे पिछवाड़े के पीछे ही पड़े रहते हो।"
"औरत को पीछे से रगड़ रगड़ कर ही ठोंकने में हम मर्दों को मज़ा आता है डियर।" अजय सिंह ने कहा__"और तुम्हारे पिछवाड़े की तो बात ही अलग है यार।"
"और किसके किसके पिछवाड़े की बात अलग है?" प्रतिमा ने अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए कहा__"ज़रा ये भी तो बताइए।"
"तुम अच्छी तरह जानती हो मेरी जान।" अजय सिंह के चेहरे पर अजीब से भाव थे__"फिर क्यों पूॅछ रही हो?"
"बताने में हर्ज़ ही क्या है?" प्रतिमा हॅसी__"बता ही दीजिए।"
"तुम्हारे बाद अगर किसी और के पिछवाड़े में अलग बात है तो वो है हमारी बड़ी बेटी रितू। हाय क्या पिछवाड़ा है ज़ालिम का बिलकुल तुम्हारी तरह ही है उसका पिछवाड़ा।"
"अपनी ही बेटी पर नीयत बुरी है आपकी?" प्रतिमा ने कहने के साथ ही मैक्सी के ऊपर से अपने एक हाॅथ से अपनी चूॅत को बुरी तरह मसला फिर बोली__"मगर ये जान लीजिए कि रितू का पिछवाड़ा इतनी आसानी से मिलने वाला नही है आपको।"
"यही तो रोना है यार।" अजय सिंह आह सी भरते हुए बोला__"तुमको मेरी ख्वाहिश का पता है फिर भी अब तक कुछ नहीं किया।"
"चिंता मत कीजिए।" प्रतिमा ने कहा__"आपके लिए एक नई चूॅत और एक नए पिछवाड़े का इंतजाम कर दिया है मैंने।"
"क् क्या सच में..???"अजय सिंह खुशी से झूम उठा__"ओह डियर आखिर तुमने कर ही दिया। मगर, ये तो बताओ किसकी चूत और पिछवाड़े का इंतजाम किया है तुमने?"
"अभी थोड़ी कसर बाॅकी है जनाब।" प्रतिमा ने कहा__"मगर मुझे यकीन है कि एक दो दिन में काम हो जाएगा आपका।"
"काश! गौरी को हासिल कर पाता मैं।" अजय सिंह बोला__"उस पर तो मेरी तब से नज़र थी जब वह ब्याह कर इस घर में आई थी। एक झलक उसके जिस्म की देखा थी मैंने। एक दम दूध सा गोरा रंग था उसका और बनावट ऐसी कि उसके सामने कुदरत की हर कृति फीकी पड़ जाए।"
"कम से कम मेरे सामने उसकी खूबसूरती का बखान मत किया कीजिए आप।" प्रतिमा ने तीखे भाव से कहा__"आपको कितनी बार ये कहा है मैने। फिर भी आप उस हरामजादी की तारीफ करके मेरा खून जलाने से बाज नहीं आते हैं।"
"क्या करूॅ मेरी जान?" अजय सिंह कह उठा__"तुम्हारे बाद मुझे अगर किसी से प्यार हुआ है तो वो थी गौरी। मैं चाहता तो कब का उसकी खूबसूरती का रसपान कर लेता किन्तु मैने ऐसा नही किया। मैं उसे प्यार से हासिल करना चाहता था। तभी तो मैंने ये सब किया, उसको इतने दुख दिए और उसके लिए सारे रास्ते बंद कर दिए। मगर फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ और अब होगा भी कि नहीं क्या कहा जा सकता है?"
"आपने तो उन लोगों की खोज में अपने आदमी लगाए थे न?" प्रतिमा ने कहा__"उन लोगों ने क्या रिपोर्ट दी उनके बारे में?"
"मेरे आदमी खाली हाॅथ वापस आ गए थे।" अजय सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव उजागर हुए__"वो हरामी की औलाद विराज बड़ा ही चतुर व चालाक निकला। उसने अपनी माॅ और बहन को किसी दूसरे शहर के रूट से उन्हें मुम्बई ले जाने में कामयाब हो गया था।"
"शायद उसे अंदेशा था कि आप उन्हें पकड़ने के लिए अपने आदमियों को भेजेंगे।" प्रतिमा ने सोचपूर्ण भाव से कहा।
"हाॅ यही बात रही होगी।" अजय सिंह बोला__"वर्ना वो ऐसा काम क्यों करता? मगर कब तक मुझसे छिपा कर रखेगा वो अपनी माॅ और बहन को? मैं चैन से बैठा नहीं हूॅ प्रतिमा, बल्कि आज भी मेरे आदमी उनकी खोज में मुम्बई की खाक़ छान रहे हैं।"