hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
कामरू- पर भाभी, फिर से चुदाई के बदले देने के लिए मेरे पास और चार हजार नहीं हैं। चुम्मे के बदले देने के लिए एक हजार भी नहीं हैं।
रश्मि- अरे देवरजी, पैसा किस कम्बख़्त ने माँगा है। मैं तो अभी तुम्हें तुम्हारे दिए हुए पैसे पूरे के पूरे पाँच हजार वापस कर देंगी। पर पहले मेरे फुद्दी के अंदर से इस लोहे के सरि को तो निकालो।
कामरू- अरे नहीं भाभी... मुझे नहीं चाहिए, वो पाँच हजार। वो तो आपके रूपए ही हैं, आपको दे दिए। बस तेरा तुझको अर्पण, क्या लगे मेरा? जै... जै... मखमली चूत हरे... कि चूत चोदने को लड़का लड़की के आगे-पीछे फिरे... जै जै मखमली चूत हरे।
रश्मि- वाह देवरजी, क्या बात कही तुमने... तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा। पर अब तो लण्ड का पानी निकालो।
कामरू- बस भाभी, थोड़ी देर और बर्दास्त कर लो। मेरा भी पानी निकल ही जाएगा। पांचेक मिनट में।
रश्मि रोते हुये- “क्या? क्या मतलब है कि पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा। अरे मैं और एक पल भी बर्दास्त नहीं कर सकती हैं। बाहर निकालो... निकालो बाहर... वरना...”
कामरू- वरना... वरना क्या भाभीजी?
रश्मि- वरना... वरना और क्या साले, चूतड़ उछालते हुए चुदवाऊँगी और क्या? साले फिर से गर्म कर दिया तूने मुझे। पल भर तो आराम दे देते मेरे देवरजी... पर मजा बहुत आ रहा है।
कामरू- मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है भाभी। सच कहता हूँ कि मैंने आज तक अनगिनत चूत में लण्ड पेला है। कई तो पहले धक्के में ही बेहोश हो गई, और कई एक बार चुदवाने के बाद दुबारा चुदवाने की हिम्मत ना दिखा पाईं। पर सच कहता हूँ भाभी, आपकी बुर उनमें से सबसे प्यारी, सबसे न्यारी है।
रश्मि- हाँ हाँ पर अब बस करो, और निकालो अपना लण्ड... मेरी मखमली फुद्दी में से।
कामरू- बस भाभी... पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा इसका पानी।
रश्मि- क्क-क्या? पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा इसका पानी? पागल हो रखे हो क्या? साले चोद-चोदकर सुजा दिया मेरी फुद्दी को। निकालो लण्ड को। लगता है आज बुर की दोनों दीवारें छिल गई हैं, डाक्टर के पास जाना पड़ेगा। साले, तूने एक हजार चुम्मी के दिए और चार हजार चुदाई के दिए। अब लगता है कि चालीस हजार देकर चूत की फटी दीवारें सिलवानी पड़ेगी, डाक्टर से। और साला वो डाक्टर चोदूमल तो सच में महा-चोदू है। साले के पास सिर दर्द की शिकायत लेकर जाओ तो भी कपड़े खुलवा करके चूत के अंदर उंगली डालकर देखता है। कहीं सिर में दर्द चूत के रास्ते से होकर तो नहीं जा रहा है। चूत सिलाई से पहले एक चुदाई करेगा वो साला डाक्टर और सिलाई के बाद फिर से चोदेगा मुफ़्त में। जब तक घाव सूख नहीं जाते रोज गाण्ड अलग से मारेगा हरामी।
कामरू- अरे नहीं भाभी, जैसा आप सोचती हैं वैसा कुछ भी नहीं होगा। बस मेरा अभी निकलने ही वाला है। आप तनिक चूतड़ उछालो ना... मेरी पीठ भी सहलाओ।
रश्मि- साले, पाँच हजार रूपए क्या दे दिये। मेरी चूत का तो कचूमर ही निकाल दिया तूने। अरे मुझे नहीं चाहिए ये रूपए। निकाल दे लण्ड और ले ले वापस अपने पाँच हजार रूपए। अभी अलमारी से निकाल देती हैं। पर लण्ड तो निकाल ले मेरे देवर राजा। पर ये क्या? अब तो मजा आ रहा है रे... ले अब रुक क्यों गये? अबे हरामखोर, पेल... पेल... जोर से धक्का लगा.. हाँ... अब तो मेरा फिर से निकलने वाला है मेरे राजा।
कामरू- अरे मेरी रानी भाभी, मेरा निकालने ही वाला है। कहाँ निकालूं अपने लण्ड का पानी?
रश्मि- “अरे, मैं कौन सी कुंवारी लड़की हूँ की प्रेगनेन्ट होने से डर जाऊँ.. मेरे राजाजी, निकाल दे मेरी फुद्दी में अपने लण्ड का रस्स, भर दे मेरी फुद्दी को अपने लण्ड के रस्स से। हाँ हाँ... भर दे... पूरा भर दे.. हाय... कितना गरम-गरम पानी है...”
और दोनों ही पशीने-पशीने हो गये। एक-दूसरे से लिपट गये। दस मिनट के बाद।
रश्मि- हे देवरजी, जरा सोचो... कल जब मेरे पति घर आएंगे तो मैं उनसे कैसे आँख मिला पाऊँगी। मैंने उन्हें धोखा दिया है... सिर्फ पाँच हजार के लिए मैंने उन्हें धोखा दिया है। मुझे नहीं चाहिए ये पाँच हजार। आप अपना पैसा वापस ले लो।
कामरू- अरे नहीं भाभी, ये मैं नहीं ले सकता... ये तो आपका ही है। तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा... जै... जै... मखमली चूत हरे। चूत चोदने को लड़के क्या-क्या लफड़े करे। जै... जै... मखमली चूत हरे।
रश्मि- फिर भी देवरजी, मैं उनसे कैसे आँख मिलाऊँगी की मैं उनके दोस्त से उनके गैर हाजिर में दो-दो बार चुदवा ली।
कामरू- क्या कहा भाभी? दो-दो बार? पर मैंने तो एक ही बार चोदा है।
रश्मि- तो क्या फिर से चोदना नहीं चाहोगे मेरे बुद्धू देवरजी? भले ही मेरी चूत फूल के पावरोटी बन गई हो। पर आपके इस गधे जैसे लण्ड से दुबारा चुदने के लिए मैं इससे और भी ज्यादा दर्द बर्दास्त कर सकती हूँ। पर आपका लण्ड खड़ा हो तब ना... ये तो पूरा ही मुरझा गया है। अरे ये तो फिर से खड़ा होने लगा। अरे... रे देखो तो साले, लण्ड को फिर से फुद्दी मिलने की खुशी में कैसे उछलने लगा है। हाँ अब आएगा असली मजा जब । मिल बैठेंगे चार यार... आप, मैं, मेरी मखमली बुर और आपका ये मस्ताना लण्ड... और इसी तरह उस रात रश्मि तीन बार चुद गई।
सुबह सवेरे ही कामरू कमरे से निकला।
रश्मि उससे लिपटते हुए- मेरे देवरजी, फिर कब आओगे?
कामरू- पर भाभी... मेरे पास सचमुच पैसे नहीं हैं, देने के लिए।
रश्मि- अरे.. पैसा कौन माँग रहा है? मैं तो कहती हैं कि ये पाँच हजार भी वापस ले लो।
कामरू- नहीं भाभी, वो तो आपके ही हैं।
राशि- चलो, तू कहते हो तो रख लेती हूँ। पर जो मजा तुमने मुझे दिया है। मैं बिना पैसे के तुमसे रोज चुदवाने के लिए तैयार हैं। हाँ पर आपके दोस्त को पता नहीं चलना चाहिए। वरना लेने के देने पड़ जाएंगे।
कामरू- अरे भाभी, मैं तो उसे बोलूंगा नहीं। हाँ आप ही उन्हें बता दो तो दूसरी बात है।
रश्मि- मैं पागल थोड़े ही हैं, जो उसे बता दें की पहली बार मैंने एक हजार में एक चुम्मी दी और चार हजार में चुदवा ली तुमसे। बस तुम समय निकाल के आते रहना... ठीक है? अब उनकी दिन का ड्यूटी है। तुम अपनी रात ड्यूटी करवा लो। जब उनकी रात ड्यूटी होगी तो अपनी दिन ड्यूटी करवा लेना। फिर अपनी मौज ही मौज होंगी। अबकी राखी पे तुम्हें राखी भी बाँध देंगी तो इन्हें कोई शक भी नहीं होगा। और तू दिन में भैया और रात में सैंया बन जाना।
कामरू- अरे भाभी, मेरा फिर से खड़ा होने लगा। प्लीज... एक बार।
रश्मि- अरे देवरजी, पैसा किस कम्बख़्त ने माँगा है। मैं तो अभी तुम्हें तुम्हारे दिए हुए पैसे पूरे के पूरे पाँच हजार वापस कर देंगी। पर पहले मेरे फुद्दी के अंदर से इस लोहे के सरि को तो निकालो।
कामरू- अरे नहीं भाभी... मुझे नहीं चाहिए, वो पाँच हजार। वो तो आपके रूपए ही हैं, आपको दे दिए। बस तेरा तुझको अर्पण, क्या लगे मेरा? जै... जै... मखमली चूत हरे... कि चूत चोदने को लड़का लड़की के आगे-पीछे फिरे... जै जै मखमली चूत हरे।
रश्मि- वाह देवरजी, क्या बात कही तुमने... तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा। पर अब तो लण्ड का पानी निकालो।
कामरू- बस भाभी, थोड़ी देर और बर्दास्त कर लो। मेरा भी पानी निकल ही जाएगा। पांचेक मिनट में।
रश्मि रोते हुये- “क्या? क्या मतलब है कि पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा। अरे मैं और एक पल भी बर्दास्त नहीं कर सकती हैं। बाहर निकालो... निकालो बाहर... वरना...”
कामरू- वरना... वरना क्या भाभीजी?
रश्मि- वरना... वरना और क्या साले, चूतड़ उछालते हुए चुदवाऊँगी और क्या? साले फिर से गर्म कर दिया तूने मुझे। पल भर तो आराम दे देते मेरे देवरजी... पर मजा बहुत आ रहा है।
कामरू- मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है भाभी। सच कहता हूँ कि मैंने आज तक अनगिनत चूत में लण्ड पेला है। कई तो पहले धक्के में ही बेहोश हो गई, और कई एक बार चुदवाने के बाद दुबारा चुदवाने की हिम्मत ना दिखा पाईं। पर सच कहता हूँ भाभी, आपकी बुर उनमें से सबसे प्यारी, सबसे न्यारी है।
रश्मि- हाँ हाँ पर अब बस करो, और निकालो अपना लण्ड... मेरी मखमली फुद्दी में से।
कामरू- बस भाभी... पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा इसका पानी।
रश्मि- क्क-क्या? पांचेक मिनट में निकल ही जाएगा इसका पानी? पागल हो रखे हो क्या? साले चोद-चोदकर सुजा दिया मेरी फुद्दी को। निकालो लण्ड को। लगता है आज बुर की दोनों दीवारें छिल गई हैं, डाक्टर के पास जाना पड़ेगा। साले, तूने एक हजार चुम्मी के दिए और चार हजार चुदाई के दिए। अब लगता है कि चालीस हजार देकर चूत की फटी दीवारें सिलवानी पड़ेगी, डाक्टर से। और साला वो डाक्टर चोदूमल तो सच में महा-चोदू है। साले के पास सिर दर्द की शिकायत लेकर जाओ तो भी कपड़े खुलवा करके चूत के अंदर उंगली डालकर देखता है। कहीं सिर में दर्द चूत के रास्ते से होकर तो नहीं जा रहा है। चूत सिलाई से पहले एक चुदाई करेगा वो साला डाक्टर और सिलाई के बाद फिर से चोदेगा मुफ़्त में। जब तक घाव सूख नहीं जाते रोज गाण्ड अलग से मारेगा हरामी।
कामरू- अरे नहीं भाभी, जैसा आप सोचती हैं वैसा कुछ भी नहीं होगा। बस मेरा अभी निकलने ही वाला है। आप तनिक चूतड़ उछालो ना... मेरी पीठ भी सहलाओ।
रश्मि- साले, पाँच हजार रूपए क्या दे दिये। मेरी चूत का तो कचूमर ही निकाल दिया तूने। अरे मुझे नहीं चाहिए ये रूपए। निकाल दे लण्ड और ले ले वापस अपने पाँच हजार रूपए। अभी अलमारी से निकाल देती हैं। पर लण्ड तो निकाल ले मेरे देवर राजा। पर ये क्या? अब तो मजा आ रहा है रे... ले अब रुक क्यों गये? अबे हरामखोर, पेल... पेल... जोर से धक्का लगा.. हाँ... अब तो मेरा फिर से निकलने वाला है मेरे राजा।
कामरू- अरे मेरी रानी भाभी, मेरा निकालने ही वाला है। कहाँ निकालूं अपने लण्ड का पानी?
रश्मि- “अरे, मैं कौन सी कुंवारी लड़की हूँ की प्रेगनेन्ट होने से डर जाऊँ.. मेरे राजाजी, निकाल दे मेरी फुद्दी में अपने लण्ड का रस्स, भर दे मेरी फुद्दी को अपने लण्ड के रस्स से। हाँ हाँ... भर दे... पूरा भर दे.. हाय... कितना गरम-गरम पानी है...”
और दोनों ही पशीने-पशीने हो गये। एक-दूसरे से लिपट गये। दस मिनट के बाद।
रश्मि- हे देवरजी, जरा सोचो... कल जब मेरे पति घर आएंगे तो मैं उनसे कैसे आँख मिला पाऊँगी। मैंने उन्हें धोखा दिया है... सिर्फ पाँच हजार के लिए मैंने उन्हें धोखा दिया है। मुझे नहीं चाहिए ये पाँच हजार। आप अपना पैसा वापस ले लो।
कामरू- अरे नहीं भाभी, ये मैं नहीं ले सकता... ये तो आपका ही है। तेरा तुझको अर्पण क्या लगे मेरा... जै... जै... मखमली चूत हरे। चूत चोदने को लड़के क्या-क्या लफड़े करे। जै... जै... मखमली चूत हरे।
रश्मि- फिर भी देवरजी, मैं उनसे कैसे आँख मिलाऊँगी की मैं उनके दोस्त से उनके गैर हाजिर में दो-दो बार चुदवा ली।
कामरू- क्या कहा भाभी? दो-दो बार? पर मैंने तो एक ही बार चोदा है।
रश्मि- तो क्या फिर से चोदना नहीं चाहोगे मेरे बुद्धू देवरजी? भले ही मेरी चूत फूल के पावरोटी बन गई हो। पर आपके इस गधे जैसे लण्ड से दुबारा चुदने के लिए मैं इससे और भी ज्यादा दर्द बर्दास्त कर सकती हूँ। पर आपका लण्ड खड़ा हो तब ना... ये तो पूरा ही मुरझा गया है। अरे ये तो फिर से खड़ा होने लगा। अरे... रे देखो तो साले, लण्ड को फिर से फुद्दी मिलने की खुशी में कैसे उछलने लगा है। हाँ अब आएगा असली मजा जब । मिल बैठेंगे चार यार... आप, मैं, मेरी मखमली बुर और आपका ये मस्ताना लण्ड... और इसी तरह उस रात रश्मि तीन बार चुद गई।
सुबह सवेरे ही कामरू कमरे से निकला।
रश्मि उससे लिपटते हुए- मेरे देवरजी, फिर कब आओगे?
कामरू- पर भाभी... मेरे पास सचमुच पैसे नहीं हैं, देने के लिए।
रश्मि- अरे.. पैसा कौन माँग रहा है? मैं तो कहती हैं कि ये पाँच हजार भी वापस ले लो।
कामरू- नहीं भाभी, वो तो आपके ही हैं।
राशि- चलो, तू कहते हो तो रख लेती हूँ। पर जो मजा तुमने मुझे दिया है। मैं बिना पैसे के तुमसे रोज चुदवाने के लिए तैयार हैं। हाँ पर आपके दोस्त को पता नहीं चलना चाहिए। वरना लेने के देने पड़ जाएंगे।
कामरू- अरे भाभी, मैं तो उसे बोलूंगा नहीं। हाँ आप ही उन्हें बता दो तो दूसरी बात है।
रश्मि- मैं पागल थोड़े ही हैं, जो उसे बता दें की पहली बार मैंने एक हजार में एक चुम्मी दी और चार हजार में चुदवा ली तुमसे। बस तुम समय निकाल के आते रहना... ठीक है? अब उनकी दिन का ड्यूटी है। तुम अपनी रात ड्यूटी करवा लो। जब उनकी रात ड्यूटी होगी तो अपनी दिन ड्यूटी करवा लेना। फिर अपनी मौज ही मौज होंगी। अबकी राखी पे तुम्हें राखी भी बाँध देंगी तो इन्हें कोई शक भी नहीं होगा। और तू दिन में भैया और रात में सैंया बन जाना।
कामरू- अरे भाभी, मेरा फिर से खड़ा होने लगा। प्लीज... एक बार।