hotaks444
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दीदी- फिर होना क्या था अम्मा जी। रामू भैया से चुदवाकर मेरी सारी खुजली शांत हो चुकी थी। फिर भी अपने सगे भाई दमऊ से चुदवाना... इस खयाल से ही मेरी फुद्दी में खुजली उठने लगी। मुश्किल से एक ही मिनट हुए होंगे की किसी ने कमरे में प्रवेश किया और मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी। हाय... अब मेरा सगा भाई दमऊ मुझे याने अपनी सगी बहन को चोदने वाला है। वो भी बिना जाने। है उसे अगर पता चल गया की जिसे वो कोई दूसरी लड़की समझ रहा है वो उसकी सगी बहन है तो वो क्या करेगा? मेरा दिल घबरा रहा था। उसने कमरे में प्रवेश किया और सीधा पलंग के पास आकर मेरी दोनों टाँगें फैलाई और अपना मुँह मेरी फुद्दी के पास ले गया। फिर उसने मेरी फुद्दी के पास अपनी नाक लगाई और उसे बड़े प्यार से सूंघने लगा। मुझे कई दिन पहले की एक घटना याद आ गई। एक सांड़ एक गाय के पीछे पड़ा हुआ था और उसकी फुद्दी को बड़े ही प्यार से सूंघ रहा था। मुझे लगा की शायद मैं आज गाय बनी हुई हैं। और वो मेरा प्यारा सा सांड़। आज मेरी खैर नहीं। आज तो मेरी फुद्दी में मेरे सगे भाई का लण्ड घुसने ही वाला है। मुझे बड़े जोर की शर्म आ आ रही थी। पर अंधेरे के कारण मैं मजे में थी। मेरे भाई को पता नहीं था की मैं, उसकी सगी बहन हूँ। और मेरी फुद्दी में उसका लण्ड घुसने ही वाला है।
फिर दमऊ भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह के पास रख दिया। मैं पहले कुछ झिझकी कि कैसे अपने भाई के लण्ड को मुँह में ले सकती हूँ? फिर मेरे मन ने कहा- वो री अमृता वाह... अपनी फुद्दी में उसका लण्ड ले सकती है। पर अपने मुँह में नहीं। तू आज कौन सा व्रट थोड़े ही कर रखी है। अभी तो तूने रामू भैया का लण्ड भी तो चूसा था। रामू भैया का लण्ड चूस सकती है तो दमऊ भैया का लण्ड क्यों नहीं? भाई का दोस्त अगर तुझसे पूरा मजा ले सकता है तो तेरे सगा भाई का तो ज्यादा अधिकार है तुझपर, तेरी इस प्यारी सी फुद्दी पर। फिर उसे कौन सा मालूम पड़ने वाला है की ये तू है?
फिर मैं बड़े प्यार से उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। पर मुझे लगा कि रामू भाई के और दमऊ भाई के लण्ड दोनों में कुछ अलगपन नहीं लगा। जबकी दोपहर को मैंने देखा था की दमऊ भाई के लण्ड से रामू भाई का लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा था। उस हिसाब से दमऊ का लण्ड पहले वाले लण्ड से थोड़ा पतला और छोटा होना चाहिए। पर मुझे कुछ भी अलग नहीं लगा, वही मोटाई... वही लंबापन... वही खुशबू... बल्कि कुछ अलग सी महक भी उसमें शामिल थी। और मैं चौंक गई। बहुत बार अपने पति का लण्ड चूस-चूसकर इस खुशबू से वाकिफ हो चुकी थी।
लण्ड की खुशबू में फुद्दी के रस की खुशबू भी शामिल थी। पर दमऊ भाई के लण्ड पर फुद्दी के रस की खुशबू कैसे हो सकती है? घर में केवल तीन जान... रामू भाई, दमऊ भाई, और औरत जात के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मैं। तो क्या रामू भाई से चुदवाने के टाइम भी मैं जितना घबरा रही थी की शायद उनके लण्ड से चुदने के वक्त मुझे काफी दर्द होगा वैसा कुछ नहीं हुआ। फिर क्या बात है? मेरा सोच-सोचकर सिर चकराने लगा। इतने में दमऊ भाई, मेरे जांघों के बीच में बैठकर अपने लण्ड का सुपाड़ा एक धक्के के साथ घुसा चुके थे और अंजाने में मैंने भी अपना चूतड़ उछाल दिया था।
और दमऊ भाई के मुँह से निकला- “हे दीदी...”
मैं चौंक गई- “हे दीदी... इसका मतलब है कि रामू भाई ने इसे पूरा का पूरा वाकया सुना दिया है."
मैंने कहा- दमऊ भैया, प्लीज.. मुझे माफ कर दीजिए। पहले रामू भैया से और अब आपसे।
दमऊ- माफी तो मुझे चाहिए दीदी।
दीदी- क्यों भैया?
दमऊ- मैं दूसरी बार तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसा रहा हूँ।
दीदी- दूसरी बार? पहली बार आपने कब मेरी फुद्दी मारी भैया? कहीं बेहोशी की दवाई देकरके तो आपने?
दमऊ- नहीं दीदी, अभी थोड़ी देर पहले ही तो तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसाया था।
दीदी- तो... तो इसका मतलब है कि थोड़ी देर पहले रामू भैया को सोचकर मैं तुमसे ही चुदवा रही थी? और इतने में ही लाइट आ गई। मैंने देखा तो मैं नगी पलंग पे टाँगें फैलाये नीचे से अपना चूतड़ उछाल-उछालकर फुद्दी में लण्ड ले रही हूँ। और दमऊ भैया ऊपर से हुमच-हुमच करके अपना लण्ड मेरी फुद्दी में पेल रहे हैं। मारे शर्म के मैंने अपनी दोनों आँखें बंद कर ली। थोड़ा गुस्सा भी आया। दीदी- आपको शर्म आनी चाहिए दमऊ भैया? कोई इस तरह से अपनी ही सगी बहन को धोखे से चोदता है। भला? चलो हटो मुझे नहीं चुदवाना आपसे? मैंने दमऊ भैया से लिपटते हुए कहा।
दमऊ- आई आम सारी दीदी। मैंने कई बार कहने की कोशिश की। इस बात के गवाह मेरे इस कहानी को पढ़ने वाले सभी पाठक गवाह हैं की कई बार मैंने कहने की कोशिश की की दीदी मैं रामू नहीं... पर आपने मुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया।
दीदी- पर... तुझे दुबारा दमऊ बनकर आकर चोदने में कोई शर्म नहीं आई?
दमऊ- “अरी दीदी... पहली बार जितना मजा आया ना... दूसरी बार करने को जी चाह रहा था। और एक बात...
आप अंधेरे में रामू भाई से चुदवा रही थीं। पर गलती से वो मैं था। पर आपको ये तो मालूम नहीं था ना। कल दिन में अकेले में आप रामू से फिर से चुदवाने की कोशिश करतीं और वो साफ-साफ मना कर देता तो आपको कितनी ठेस पहुँचती...”
दीदी- “अरे दमऊ भैया, ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। पर रामू भाई कहाँ हैं? आप प्लीज अपने कमरे में चले जाइये। इससे पहले की रामू भाई इस कमरे में हम दोनों सगे भाई बहन को इस अवस्था में देखें... प्लीज आप... आप चले जाइये...”
दमऊ- उसकी चिंता ना कर बहन।
दीदी- नहीं, भैया नहीं... मैं ये जिल्लत बर्दस्त नहीं कर पाऊँगी। मैं ऊपर से तो अपने भाई को हटने को बोल रही थी पर मेरा शरीर... ये मानने को तैयार नहीं था, चूचियां फड़क रही थीं। जिसे दमऊ भाई एक को चूसते हुए दूसरे को दबा रहे थे। मेरे हाथ उनकी पीठ को सहला रहे थे। नाखून उनकी पीठ में चुभ रहे थे। मेरी फुद्दी अपना कामरस छोड़ रही थी। मेरे चूतड़ दमऊ भाई के हर धक्के का जवाब देने को अपने आप ताल से ताल मिलाकर उछल रहे थे, और फिर बारिष हुई.. जमकर बारिष हुई। इतनी झमाझम बारिष हुई की हम दोनों भाई बहन उसमें बहने लगे... बहने लगे। हमें कोई होश ना रहा। हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। पांच मिनट के बाद जब होश आया तो मैंने उसे धक्के देकर अपने ऊपर से नीचे गिराया और अपने कपड़े पहनने लगी। और दमऊ भाई के गालों पर मैंने थप्पड़ जड़ दिया।
दमऊ भाई पूरी तरह डर गया।
दीदी- तूने मुझे बर्बाद कर दिया दमऊ। अपनी सगी बहन को चोदते हुए तो शर्म नहीं आई। अब तो कपड़े पहन और मुझे जिल्लत से बचा। इससे पहले की रामू भैया हमें देख ले खिसक ले।
दमऊ- अरे दीदी, ये गेस्टरूम है.. आपका बेडरूम नहीं है।
दीदी- अरे सारी दमऊ भाई... मैं तो भूल ही गई थी की ये मेरा बेडरूम नहीं, गेस्टरूम है और मैं आई थी चुदवाने
को।
दमऊ- हाँ.. आप यहाँ आई तो थीं रामू से चुदवाने को पर चुदवा बैठी अपने भाई दमऊ से।
दीदी- वो भी धोखे से। पर भैया, रामू भैया कहाँ गये?
दमऊ- अरे दीदी, उनका एक अर्जेंट काल आ गया और उन्हें जाना पड़ा। और मेरी लाटरी निकल गई। फ्री में आपकी फुद्दी चोदने को मिल गई।
दीदी- तो तू मेरी फुद्दी चोदना चाहता तो था ही, आज मिल गई।
दमऊ- पर दीदी, आपको कैसे पता चला की मैं आपको चोदना चाहता हूँ।
दीदी- दोपहर को तुम्हारे मूठ समारोह समाप्त होने के बाद मैं आपके कमरे में गई थी और बेड के नीचे अपनी सगी बहन को चोदा नमक किताब पढ़ ली थी।
दमऊ- “चलो जो हुआ सो अच्छा हुआ..”
दीदी- क्या अच्छा हुआ? अब ससुराल जाकर मैं कौन से मुँह से अपने पति का सामना करूँगी की मैंने अपने सगे भाई से एक ही रात में तीन-तीन बार चुदवा लिया।
दमऊ- एक ही रात में तीन-तीन बार चुदवा लिया? लेकिन दीदी, मैंने तो आपको सिर्फ दो बार ही चोदा है।
दीदी- अरे भैया, दो बार चोदने के बाद अभी एक बार और भी चोदोगे ना मुझे, या नहीं चोदोगे? क्या मेरी फुद्दी इतनी बुरी है की सिर्फ दो बार चोदकर ही रुक जाओगे?
तो सासूमाँ... मैंने देखा की इतना सुनते ही दमऊ भाई का चेहरा खिल गया। उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और जगह-जगह चूमने लगा, चाटने लगा। और सासूमाँ, उस रात दमऊ भैया ने मुझे तीन बार नहीं पूरे चार बार चोदा था। और ये सिलसिला तब से चलते आ रहा है... चलते आ रहा है। मेरे दिल की एक तमन्ना थी की मैं रामू भैया के बिकाराल लण्ड से चुदवाऊँ कम से कम एक बार तो चुदवाऊँ। और भगवान ने मेरी सुन ली जब रामू भाई यहाँ पर आने वाले थे। मैंने दमऊ से कहकर एक ही स्लीपर बुकिंग करवाई।
सासूमाँ- और इस तरह तू रामू भाई के विशाल लण्ड को भी अपनी प्यारी सी फुद्दी में घुसेड़ ली, वो भी चलती बस के अंदर।
फिर दमऊ भैया ने अपना लण्ड मेरे मुँह के पास रख दिया। मैं पहले कुछ झिझकी कि कैसे अपने भाई के लण्ड को मुँह में ले सकती हूँ? फिर मेरे मन ने कहा- वो री अमृता वाह... अपनी फुद्दी में उसका लण्ड ले सकती है। पर अपने मुँह में नहीं। तू आज कौन सा व्रट थोड़े ही कर रखी है। अभी तो तूने रामू भैया का लण्ड भी तो चूसा था। रामू भैया का लण्ड चूस सकती है तो दमऊ भैया का लण्ड क्यों नहीं? भाई का दोस्त अगर तुझसे पूरा मजा ले सकता है तो तेरे सगा भाई का तो ज्यादा अधिकार है तुझपर, तेरी इस प्यारी सी फुद्दी पर। फिर उसे कौन सा मालूम पड़ने वाला है की ये तू है?
फिर मैं बड़े प्यार से उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। पर मुझे लगा कि रामू भाई के और दमऊ भाई के लण्ड दोनों में कुछ अलगपन नहीं लगा। जबकी दोपहर को मैंने देखा था की दमऊ भाई के लण्ड से रामू भाई का लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा था। उस हिसाब से दमऊ का लण्ड पहले वाले लण्ड से थोड़ा पतला और छोटा होना चाहिए। पर मुझे कुछ भी अलग नहीं लगा, वही मोटाई... वही लंबापन... वही खुशबू... बल्कि कुछ अलग सी महक भी उसमें शामिल थी। और मैं चौंक गई। बहुत बार अपने पति का लण्ड चूस-चूसकर इस खुशबू से वाकिफ हो चुकी थी।
लण्ड की खुशबू में फुद्दी के रस की खुशबू भी शामिल थी। पर दमऊ भाई के लण्ड पर फुद्दी के रस की खुशबू कैसे हो सकती है? घर में केवल तीन जान... रामू भाई, दमऊ भाई, और औरत जात के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मैं। तो क्या रामू भाई से चुदवाने के टाइम भी मैं जितना घबरा रही थी की शायद उनके लण्ड से चुदने के वक्त मुझे काफी दर्द होगा वैसा कुछ नहीं हुआ। फिर क्या बात है? मेरा सोच-सोचकर सिर चकराने लगा। इतने में दमऊ भाई, मेरे जांघों के बीच में बैठकर अपने लण्ड का सुपाड़ा एक धक्के के साथ घुसा चुके थे और अंजाने में मैंने भी अपना चूतड़ उछाल दिया था।
और दमऊ भाई के मुँह से निकला- “हे दीदी...”
मैं चौंक गई- “हे दीदी... इसका मतलब है कि रामू भाई ने इसे पूरा का पूरा वाकया सुना दिया है."
मैंने कहा- दमऊ भैया, प्लीज.. मुझे माफ कर दीजिए। पहले रामू भैया से और अब आपसे।
दमऊ- माफी तो मुझे चाहिए दीदी।
दीदी- क्यों भैया?
दमऊ- मैं दूसरी बार तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसा रहा हूँ।
दीदी- दूसरी बार? पहली बार आपने कब मेरी फुद्दी मारी भैया? कहीं बेहोशी की दवाई देकरके तो आपने?
दमऊ- नहीं दीदी, अभी थोड़ी देर पहले ही तो तेरी फुद्दी में अपना लण्ड घुसाया था।
दीदी- तो... तो इसका मतलब है कि थोड़ी देर पहले रामू भैया को सोचकर मैं तुमसे ही चुदवा रही थी? और इतने में ही लाइट आ गई। मैंने देखा तो मैं नगी पलंग पे टाँगें फैलाये नीचे से अपना चूतड़ उछाल-उछालकर फुद्दी में लण्ड ले रही हूँ। और दमऊ भैया ऊपर से हुमच-हुमच करके अपना लण्ड मेरी फुद्दी में पेल रहे हैं। मारे शर्म के मैंने अपनी दोनों आँखें बंद कर ली। थोड़ा गुस्सा भी आया। दीदी- आपको शर्म आनी चाहिए दमऊ भैया? कोई इस तरह से अपनी ही सगी बहन को धोखे से चोदता है। भला? चलो हटो मुझे नहीं चुदवाना आपसे? मैंने दमऊ भैया से लिपटते हुए कहा।
दमऊ- आई आम सारी दीदी। मैंने कई बार कहने की कोशिश की। इस बात के गवाह मेरे इस कहानी को पढ़ने वाले सभी पाठक गवाह हैं की कई बार मैंने कहने की कोशिश की की दीदी मैं रामू नहीं... पर आपने मुझे बोलने का मौका ही नहीं दिया।
दीदी- पर... तुझे दुबारा दमऊ बनकर आकर चोदने में कोई शर्म नहीं आई?
दमऊ- “अरी दीदी... पहली बार जितना मजा आया ना... दूसरी बार करने को जी चाह रहा था। और एक बात...
आप अंधेरे में रामू भाई से चुदवा रही थीं। पर गलती से वो मैं था। पर आपको ये तो मालूम नहीं था ना। कल दिन में अकेले में आप रामू से फिर से चुदवाने की कोशिश करतीं और वो साफ-साफ मना कर देता तो आपको कितनी ठेस पहुँचती...”
दीदी- “अरे दमऊ भैया, ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। पर रामू भाई कहाँ हैं? आप प्लीज अपने कमरे में चले जाइये। इससे पहले की रामू भाई इस कमरे में हम दोनों सगे भाई बहन को इस अवस्था में देखें... प्लीज आप... आप चले जाइये...”
दमऊ- उसकी चिंता ना कर बहन।
दीदी- नहीं, भैया नहीं... मैं ये जिल्लत बर्दस्त नहीं कर पाऊँगी। मैं ऊपर से तो अपने भाई को हटने को बोल रही थी पर मेरा शरीर... ये मानने को तैयार नहीं था, चूचियां फड़क रही थीं। जिसे दमऊ भाई एक को चूसते हुए दूसरे को दबा रहे थे। मेरे हाथ उनकी पीठ को सहला रहे थे। नाखून उनकी पीठ में चुभ रहे थे। मेरी फुद्दी अपना कामरस छोड़ रही थी। मेरे चूतड़ दमऊ भाई के हर धक्के का जवाब देने को अपने आप ताल से ताल मिलाकर उछल रहे थे, और फिर बारिष हुई.. जमकर बारिष हुई। इतनी झमाझम बारिष हुई की हम दोनों भाई बहन उसमें बहने लगे... बहने लगे। हमें कोई होश ना रहा। हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। पांच मिनट के बाद जब होश आया तो मैंने उसे धक्के देकर अपने ऊपर से नीचे गिराया और अपने कपड़े पहनने लगी। और दमऊ भाई के गालों पर मैंने थप्पड़ जड़ दिया।
दमऊ भाई पूरी तरह डर गया।
दीदी- तूने मुझे बर्बाद कर दिया दमऊ। अपनी सगी बहन को चोदते हुए तो शर्म नहीं आई। अब तो कपड़े पहन और मुझे जिल्लत से बचा। इससे पहले की रामू भैया हमें देख ले खिसक ले।
दमऊ- अरे दीदी, ये गेस्टरूम है.. आपका बेडरूम नहीं है।
दीदी- अरे सारी दमऊ भाई... मैं तो भूल ही गई थी की ये मेरा बेडरूम नहीं, गेस्टरूम है और मैं आई थी चुदवाने
को।
दमऊ- हाँ.. आप यहाँ आई तो थीं रामू से चुदवाने को पर चुदवा बैठी अपने भाई दमऊ से।
दीदी- वो भी धोखे से। पर भैया, रामू भैया कहाँ गये?
दमऊ- अरे दीदी, उनका एक अर्जेंट काल आ गया और उन्हें जाना पड़ा। और मेरी लाटरी निकल गई। फ्री में आपकी फुद्दी चोदने को मिल गई।
दीदी- तो तू मेरी फुद्दी चोदना चाहता तो था ही, आज मिल गई।
दमऊ- पर दीदी, आपको कैसे पता चला की मैं आपको चोदना चाहता हूँ।
दीदी- दोपहर को तुम्हारे मूठ समारोह समाप्त होने के बाद मैं आपके कमरे में गई थी और बेड के नीचे अपनी सगी बहन को चोदा नमक किताब पढ़ ली थी।
दमऊ- “चलो जो हुआ सो अच्छा हुआ..”
दीदी- क्या अच्छा हुआ? अब ससुराल जाकर मैं कौन से मुँह से अपने पति का सामना करूँगी की मैंने अपने सगे भाई से एक ही रात में तीन-तीन बार चुदवा लिया।
दमऊ- एक ही रात में तीन-तीन बार चुदवा लिया? लेकिन दीदी, मैंने तो आपको सिर्फ दो बार ही चोदा है।
दीदी- अरे भैया, दो बार चोदने के बाद अभी एक बार और भी चोदोगे ना मुझे, या नहीं चोदोगे? क्या मेरी फुद्दी इतनी बुरी है की सिर्फ दो बार चोदकर ही रुक जाओगे?
तो सासूमाँ... मैंने देखा की इतना सुनते ही दमऊ भाई का चेहरा खिल गया। उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और जगह-जगह चूमने लगा, चाटने लगा। और सासूमाँ, उस रात दमऊ भैया ने मुझे तीन बार नहीं पूरे चार बार चोदा था। और ये सिलसिला तब से चलते आ रहा है... चलते आ रहा है। मेरे दिल की एक तमन्ना थी की मैं रामू भैया के बिकाराल लण्ड से चुदवाऊँ कम से कम एक बार तो चुदवाऊँ। और भगवान ने मेरी सुन ली जब रामू भाई यहाँ पर आने वाले थे। मैंने दमऊ से कहकर एक ही स्लीपर बुकिंग करवाई।
सासूमाँ- और इस तरह तू रामू भाई के विशाल लण्ड को भी अपनी प्यारी सी फुद्दी में घुसेड़ ली, वो भी चलती बस के अंदर।