hotaks444
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सहेली- अच्छा... तूने तो खूब मजे लूटे यार जीजाजी से।
कमलावती- अब असल वाकया सुन।
सहेली- सुना दे... उसको भी क्यों बाकी रखती है... सुना दे कि रात में कैसे चुदवाई?
कमलावती- दिन में हुई चुदाई से मैं कुछ पाँव को फैलाकर चल रही थी।
जब मेरी सास आई तो उनहोंने हँस के पूछा- बेटी क्या अभी कामरू आया था?
मैंने चौंक के उनको पूछा- हाँ सासूमाँ... पर आपको कैसे मालूम?
मेरी सास ने हँसकर बोला- “टाँगें फैलाकर चल रही है ना इसीलिए मैंने जाना... अपनी जवानी में तेरे ससुरजी से मिलने के बाद सुबह-सुबह मैं भी ऐसे ही चलती थी... पर तू तो दिन में ही...”
तब मैंने शर्माके कहा- “मैं क्या करती अम्मा जी, उन्होंने तो आते ही आपके लिए पूछा और जब उन्हें ये पता चला की आप घर पे नहीं हो तो अपनी बाहों में भरके पलंग के ऊपर पटक दिया और मुझे अपनी बाहों से तभी आजाद किया जब अपनी पूरी मनमानी कर ली...”
सहेली- अच्छा... तब तेरी सास ने क्या कहा?
कमलावती- “और क्या कहती... बोली की बड़ा ही बांका जवान है मेर कामरू... बिल्कुल अपने बाप के जैसा ही है। उसका... मस्त कड़क...”
सहेली- अच्छा, फिर तुने पूछा नहीं की उसने कब देख लिया, अपने बेटे का मस्त कड़क लण्ड।
कमलावती- अरे मैं कैसे पूछती भला... पर उन्होंने खुद ही कह दिया की एक दिन वो पेशाब कर रहा था तब देखा था उन्होंने।
सहेली- अच्छा... अच्छा मैं सोची की कहीं।
कमलावती- तूने क्या सोचा?
सहेली- नहीं... तू नाराज हो जाएगी?
कमलावती- बता तो सही।
सहेली- मैंने सोचा की कहीं उसने अपने बेटे के मस्ताने तगड़े लण्ड को कहीं अपनी फुद्दी में घुसवाके महसूस ना किया हो।
कमलावती- छीः छिनाल कहीं की।
सहेली- अच्छा फिर क्या हुआ? ये भी तो बता।
कमलावती- अरे यार क्या बताऊँ... रात हुई तो उन्होंने फिर से अपनी बाहों में भर लिया। और मैंने भी सुबह के मजे को सोचकर फिर से अपनी टाँगें फैला दीं... अब मुझे क्या मालूम था की दिन में उनका पानी निकल चुका था... और रात को उन्होंने जो चुदाई की की क्या बताऊँ? मेरा तीन बार पानी निकल चुका था। और वो मेरी । फुद्दी में दनदन-दनादन अपने लौड़े को पेले जा रहे थे... पेले जा रहे थे। मैंने उन्हें रुकने को कहा पर उन्होंने नहीं माना और पेलते ही गए... पेलते ही गये। मैं रोने लगी। छटपटाने लगी। पर उन्हें कोई रहम नहीं आया। मेरा दर्द बढ़ने लगा।
मैं जब जोर-जोर रोने लगी और उनके नीचे से निकलने को सोचने लगी तो उन्होंने मुझे जोर से जकड़ लिया और अपने लण्ड को घुसाने लगे। उनके होंठ मेरे होंठों पे थे, तो मेरी चीख नहीं निकल पा रही थी। पर मेरी आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे। फिर दर्द मजे में बदला और मैंने उनकी पीठ पर हाथ फिराना चालू कर दिया। नीचे से चूतड़ को भी उछालने लगी और फिर मैं चौथी बार झड़ गई, और शांत हो गई। पर ये... ये बिना रुके मेरी फुद्दी में लण्ड पेलते रहे। अब मजा दर्द में तब्दील हो गया। मेरी चीखें फिर से निकल गई। और जब इनका पानी निकला तो जैसे कोई बाढ़ सी आ गई हो। और हम दोनों ही उसमें बहने लगे। एक-दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े रहे।
दस मिनट के बाद ये उठे और मेरी तरफ देखा और चौंक गये। मैंने इनकी नजर का पीछा किया और नीचे अपनी फुद्दी की तरफ देखा तो उसमें से खून बह रहा था... ऐसी चुदाई कर दी थी की मेरी चूत फूलकर पावरोटी बन गई थी... मेरी फुद्दी का रंग एकदम लाल हो चुका था। दर्द के मारे छुआ भी नहीं जा रहा था। मैं उठ ही नहीं पा रही थी.. और फिर मैं बेहोश हो गई। और जब होश आया तब।
सहेली- क्या? ऐसे बेरहम हैं मेरे जीजाजी... उन्होंने तनिक भी रहम नहीं किया तुम पे। फिर क्या हुआ?
कमलावती- जब होश आया तो मेरी सास एक बर्तन में गरम पानी करके उसमें कपड़े भिगोकर मेरी फुद्दी को सेंक रही थी। मैंने शर्म से आँखें बंद कर ली और उठना चाहा।
तो मेरी सास ने कहा- अरे बहू लेटी रह... मेरे से क्या शर्म.. बेटी, लेटी रह। मैंने गरम पानी में हल्दी डाल के तेरी फुद्दी को सेंक दिया है। कल तक आराम आ जाएगा। कामरू को खूब डांटा है मैंने।
फिर मैंने कहा- अभी कुछ आराम मिला है।
तब उन्होंने मेरी साड़ी नीची करके अपने बेटे को आवाज लगाई और अपने सामने बैठकरके बड़े प्यार से समझाई की एक दिन में सिर्फ एक बार ही चोदना है.. और उन्होंने मन लिया।
पर मेरी सहेली आज तो इन्होंने दिन में मुझे पेल ही दिया है। उस बार तो मेरी सास ने गरम पानी का सेंक देकर मेरी फुद्दी को ठीक कर दिया... पर आज... हे भगवान्, मैं किस मुसीबत में फंस गई.. आज मेरा क्या होगा? मेरी फुद्दी का क्या होगा? मैं तो मर ही जाऊँगी। और मेरी फुद्दी फट के वो क्या बोलते हैं भोसड़ा बन जाएगी... हाँ नहीं तो।
सहेली- अरे कमलावती, तेरी सहेली के रहते तू क्यों चिंता करती है... मैं हूँ ना।
कमलावती- हाँ एक काम करते हैं... आज रात दोनों दोस्तों को साथ-साथ सोने देते हैं। और अपन दोनों सहेलियां एक साथ सो जाते हैं। भले ही रात को तुम मेरा चूस लेना और मैं तुम्हारा चूस लूंगी... प्लीज मेरी सहेली मुझे बचा ले।
सहेली- अरे... अभी से क्यों चिंता करती है... रात तो होने दे।
कमलावती- “फिर कहेगी कि अभी रात बाकी... अभी बात बाकी। फिर कहेगी पहले चुदवा ले, फिर देखते हैं। अरे एक बार ये शुरू हो गये ना फिर रुकने वाले नहीं हैं हाँ..."
सहेली- अरे, मैं कुछ करूंगी ना बाबा।
कमलावती- क्या करेगी बोल?
सहेली- होटेल का मैनेजर बोल रहा था की रात ठीक दस बजे यहाँ पावर कट होता है... रात ग्याराह बजे तक। तो मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है। अगर तुझे पसंद आए तो?
कमलावती- अरी बोल तो सही... पर मुझे इनसे बचा ले।
सहेली- देख, हम चारों खा पीकर ठीक नौ पचास पर ऊपर सीढ़ी चढ़ेंगे। दोनों को आगे-आगे चलने देंगे और हम पीछे-पीछे ठीक है?
कमलावती- फिर... फिर क्या होगा?
सहेली- वो दोनों अपने-अपने कमरे का दरवाजा खोल चुके होंगे। और जब हम सीढ़ियां चढ़कर ऊपर पहुँचेंगे तभी ठीक दस बजेगा और अंधेरा हो जायगा। हाथ को हाथ सुझाई नहीं देगा।
कमलावती- तब क्या होगा?
सहेली- तब हम कमरे में प्रवेश करेंगे और दरवाजा बंद कर लेंगे और पलंग पे जाकर सो जाएंगे। बस खतम।
कमलावती- अरे मेरे सैया मुझे सोने देंगे तब ना... बिना चोदे उन्हें नींद नहीं आती और अगर चोदे तो जानती है। ना क्या होगा? दिन में अपना पानी निकाल चुके हैं... और सहेली, अगर मैं उनके पास सोई तो... मेरी खैर नहीं... मेरी फुद्दी की खैर नहीं।
कमलावती- अब असल वाकया सुन।
सहेली- सुना दे... उसको भी क्यों बाकी रखती है... सुना दे कि रात में कैसे चुदवाई?
कमलावती- दिन में हुई चुदाई से मैं कुछ पाँव को फैलाकर चल रही थी।
जब मेरी सास आई तो उनहोंने हँस के पूछा- बेटी क्या अभी कामरू आया था?
मैंने चौंक के उनको पूछा- हाँ सासूमाँ... पर आपको कैसे मालूम?
मेरी सास ने हँसकर बोला- “टाँगें फैलाकर चल रही है ना इसीलिए मैंने जाना... अपनी जवानी में तेरे ससुरजी से मिलने के बाद सुबह-सुबह मैं भी ऐसे ही चलती थी... पर तू तो दिन में ही...”
तब मैंने शर्माके कहा- “मैं क्या करती अम्मा जी, उन्होंने तो आते ही आपके लिए पूछा और जब उन्हें ये पता चला की आप घर पे नहीं हो तो अपनी बाहों में भरके पलंग के ऊपर पटक दिया और मुझे अपनी बाहों से तभी आजाद किया जब अपनी पूरी मनमानी कर ली...”
सहेली- अच्छा... तब तेरी सास ने क्या कहा?
कमलावती- “और क्या कहती... बोली की बड़ा ही बांका जवान है मेर कामरू... बिल्कुल अपने बाप के जैसा ही है। उसका... मस्त कड़क...”
सहेली- अच्छा, फिर तुने पूछा नहीं की उसने कब देख लिया, अपने बेटे का मस्त कड़क लण्ड।
कमलावती- अरे मैं कैसे पूछती भला... पर उन्होंने खुद ही कह दिया की एक दिन वो पेशाब कर रहा था तब देखा था उन्होंने।
सहेली- अच्छा... अच्छा मैं सोची की कहीं।
कमलावती- तूने क्या सोचा?
सहेली- नहीं... तू नाराज हो जाएगी?
कमलावती- बता तो सही।
सहेली- मैंने सोचा की कहीं उसने अपने बेटे के मस्ताने तगड़े लण्ड को कहीं अपनी फुद्दी में घुसवाके महसूस ना किया हो।
कमलावती- छीः छिनाल कहीं की।
सहेली- अच्छा फिर क्या हुआ? ये भी तो बता।
कमलावती- अरे यार क्या बताऊँ... रात हुई तो उन्होंने फिर से अपनी बाहों में भर लिया। और मैंने भी सुबह के मजे को सोचकर फिर से अपनी टाँगें फैला दीं... अब मुझे क्या मालूम था की दिन में उनका पानी निकल चुका था... और रात को उन्होंने जो चुदाई की की क्या बताऊँ? मेरा तीन बार पानी निकल चुका था। और वो मेरी । फुद्दी में दनदन-दनादन अपने लौड़े को पेले जा रहे थे... पेले जा रहे थे। मैंने उन्हें रुकने को कहा पर उन्होंने नहीं माना और पेलते ही गए... पेलते ही गये। मैं रोने लगी। छटपटाने लगी। पर उन्हें कोई रहम नहीं आया। मेरा दर्द बढ़ने लगा।
मैं जब जोर-जोर रोने लगी और उनके नीचे से निकलने को सोचने लगी तो उन्होंने मुझे जोर से जकड़ लिया और अपने लण्ड को घुसाने लगे। उनके होंठ मेरे होंठों पे थे, तो मेरी चीख नहीं निकल पा रही थी। पर मेरी आँखों से झर-झर आँसू बह रहे थे। फिर दर्द मजे में बदला और मैंने उनकी पीठ पर हाथ फिराना चालू कर दिया। नीचे से चूतड़ को भी उछालने लगी और फिर मैं चौथी बार झड़ गई, और शांत हो गई। पर ये... ये बिना रुके मेरी फुद्दी में लण्ड पेलते रहे। अब मजा दर्द में तब्दील हो गया। मेरी चीखें फिर से निकल गई। और जब इनका पानी निकला तो जैसे कोई बाढ़ सी आ गई हो। और हम दोनों ही उसमें बहने लगे। एक-दूसरे की बाहों में बाहें डाले पड़े रहे।
दस मिनट के बाद ये उठे और मेरी तरफ देखा और चौंक गये। मैंने इनकी नजर का पीछा किया और नीचे अपनी फुद्दी की तरफ देखा तो उसमें से खून बह रहा था... ऐसी चुदाई कर दी थी की मेरी चूत फूलकर पावरोटी बन गई थी... मेरी फुद्दी का रंग एकदम लाल हो चुका था। दर्द के मारे छुआ भी नहीं जा रहा था। मैं उठ ही नहीं पा रही थी.. और फिर मैं बेहोश हो गई। और जब होश आया तब।
सहेली- क्या? ऐसे बेरहम हैं मेरे जीजाजी... उन्होंने तनिक भी रहम नहीं किया तुम पे। फिर क्या हुआ?
कमलावती- जब होश आया तो मेरी सास एक बर्तन में गरम पानी करके उसमें कपड़े भिगोकर मेरी फुद्दी को सेंक रही थी। मैंने शर्म से आँखें बंद कर ली और उठना चाहा।
तो मेरी सास ने कहा- अरे बहू लेटी रह... मेरे से क्या शर्म.. बेटी, लेटी रह। मैंने गरम पानी में हल्दी डाल के तेरी फुद्दी को सेंक दिया है। कल तक आराम आ जाएगा। कामरू को खूब डांटा है मैंने।
फिर मैंने कहा- अभी कुछ आराम मिला है।
तब उन्होंने मेरी साड़ी नीची करके अपने बेटे को आवाज लगाई और अपने सामने बैठकरके बड़े प्यार से समझाई की एक दिन में सिर्फ एक बार ही चोदना है.. और उन्होंने मन लिया।
पर मेरी सहेली आज तो इन्होंने दिन में मुझे पेल ही दिया है। उस बार तो मेरी सास ने गरम पानी का सेंक देकर मेरी फुद्दी को ठीक कर दिया... पर आज... हे भगवान्, मैं किस मुसीबत में फंस गई.. आज मेरा क्या होगा? मेरी फुद्दी का क्या होगा? मैं तो मर ही जाऊँगी। और मेरी फुद्दी फट के वो क्या बोलते हैं भोसड़ा बन जाएगी... हाँ नहीं तो।
सहेली- अरे कमलावती, तेरी सहेली के रहते तू क्यों चिंता करती है... मैं हूँ ना।
कमलावती- हाँ एक काम करते हैं... आज रात दोनों दोस्तों को साथ-साथ सोने देते हैं। और अपन दोनों सहेलियां एक साथ सो जाते हैं। भले ही रात को तुम मेरा चूस लेना और मैं तुम्हारा चूस लूंगी... प्लीज मेरी सहेली मुझे बचा ले।
सहेली- अरे... अभी से क्यों चिंता करती है... रात तो होने दे।
कमलावती- “फिर कहेगी कि अभी रात बाकी... अभी बात बाकी। फिर कहेगी पहले चुदवा ले, फिर देखते हैं। अरे एक बार ये शुरू हो गये ना फिर रुकने वाले नहीं हैं हाँ..."
सहेली- अरे, मैं कुछ करूंगी ना बाबा।
कमलावती- क्या करेगी बोल?
सहेली- होटेल का मैनेजर बोल रहा था की रात ठीक दस बजे यहाँ पावर कट होता है... रात ग्याराह बजे तक। तो मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है। अगर तुझे पसंद आए तो?
कमलावती- अरी बोल तो सही... पर मुझे इनसे बचा ले।
सहेली- देख, हम चारों खा पीकर ठीक नौ पचास पर ऊपर सीढ़ी चढ़ेंगे। दोनों को आगे-आगे चलने देंगे और हम पीछे-पीछे ठीक है?
कमलावती- फिर... फिर क्या होगा?
सहेली- वो दोनों अपने-अपने कमरे का दरवाजा खोल चुके होंगे। और जब हम सीढ़ियां चढ़कर ऊपर पहुँचेंगे तभी ठीक दस बजेगा और अंधेरा हो जायगा। हाथ को हाथ सुझाई नहीं देगा।
कमलावती- तब क्या होगा?
सहेली- तब हम कमरे में प्रवेश करेंगे और दरवाजा बंद कर लेंगे और पलंग पे जाकर सो जाएंगे। बस खतम।
कमलावती- अरे मेरे सैया मुझे सोने देंगे तब ना... बिना चोदे उन्हें नींद नहीं आती और अगर चोदे तो जानती है। ना क्या होगा? दिन में अपना पानी निकाल चुके हैं... और सहेली, अगर मैं उनके पास सोई तो... मेरी खैर नहीं... मेरी फुद्दी की खैर नहीं।