hotaks444
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मैं- मेरा कहना मनोगे?
देवर- हाँ भाभी हाँ... पर दिखाओ ना। आज भैया भी घर पे नहीं हैं। मम्मी पापा भी तीर्थ यात्रा पे गये हुए हैं। ऐसा मौका बार-बार नहीं आएगा भाभी।
मैं- चलो ठीक है। मैं आपको अपना सामान दिखाऊँगी तो बदले में मैं भी आपका सामान देखना चाहूँगी। मैंने भी आज से पहले इतना बड़ा, इतना मोटा लौड़ा नहीं देखा है।
देवर- क्यों? भैया का तो हर रविवार रात को देखती ही हो।
मैं- पर... आपको कैसे मालूम? अच्छा... खिड़की से आप ही झाँकते हो रात में।
देवर- हाँ भाभी, मैं सब देखता हूँ। पर इस रविवार को कुछ ज्यादा ही मजा आया।
मैं- क्योंकी मैंने खिड़की के पर्दे को पूरा का पूरा ही हटा दिया था। ताकी आपको हमारी सारी रासलीला दिख सके।
देवर- अच्छा... तो आप हमें ट्रेनिंग दे रही थी।
मैं- हाँ... देवरजी, पर अपना तो दिखाओ? चलो, मैं ही खोल देती हूँ आपके पैंट की जिप। अरे राम रे... देवरजी क्या है ये? इतना बड़ा भी कभी होता है? बाप रे इतना मोटा? इतना लंबा? मेरे तो एक हथेली में समाए नहीं समा रहा है। जब मेरी फुद्दी में घुसेगा तो मेरी फुद्दी का क्या हाल होगा? मैं तो इसे चूस ही नहीं पाऊँगी... अपनी फुद्दी के अंदर लेने की तो बात ही छोड़ दो।
देवर- क्यों झूठ बोल रही हो भाभी? आपने तो इस लण्ड को पहले से छुवा भी है और चूसा भी है।
मैं- नहीं तो? मैंने आज से पहले कभी भी आपके लण्ड को ना छुवा है ना ही चूसा है। कशम से।
देवर- किसकी कशम खाती हो?
मैं- “मैं चम्पारानी, अपनी चूत के चारों तरफ उगी हुई धुंघराली झांटों को अपने साये के ऊपर से सहलाते हुए, ये कशम खाकर कहती हूँ की अगर मैंने आज से पहले अपने प्यारे देवर के लण्ड को गलती से भी छुआ है या । देवरजी जैसे कहते हैं की इनके लण्ड को मैंने चूसा भी है तो अभी का अभी इस फुद्दी की सभी धुंघराली झाँटें सहीद हो जाएं। मेरी फुद्दी के चारों तरफ चूत को लण्ड से रखवाली करने को एक भी झाँट ना बचे। मेरी इस फुद्दी में आज मेरे प्यारे देवर का लण्ड घुसे ही घुसे। भले ही मैं कितना भी चिल्लाऊँ.. कितना भी रोऊँ... मेरा देवर आज मेरी जमकरके, कसकरके चुदाई करे? और इतना कहकरके मैंने साया साड़ी के ऊपर से ही खुजलाते हुए अपनी चूत को हथेली से सहलाया।
देवर- अरे भाभी... ये आपने कैसा कठोर कशम खा लिया? हो सकता है की मैंने कोई सपना देखा हो। पर रोज रात को लगता है, वो भी सिर्फ रवीवार को छोड़कर, की अंधेरे में कोई मेरे लण्ड को सहला रहा है। और फिर वो हसीना अपने मुँह में भरके मेरे लण्ड को चूसती है। और जब मेरे लण्ड से पानी निकलता है तो उसको भी वो गटक जाती है। मुझे मजा भी आता है और डर भी लगता है। और फिर वो साया कमरे में से बाहर निकल जाता है। मैं कमरे की बत्ती जलाकर सोता हूँ। पर... वो साया जब आती है, तब कमरे में अंधेरा होता है।
मैं- अरे, पर देवरजी... आपको कैसे मालूम की वो साया कोई औरत का है।
देवर- वो... भाभी, आप बुरा तो नहीं मनोगी? एक दिन मैंने उत्तेजान में आकर उसकी छातियां सहलाई थी। तब उसकी गुदाज छातियां सहलाकर मुझे लगा की ये पक्का औरत ही होगी। मैंने तो ये समझा था की वो साया आप ही हैं, पर आपने जिस तरीके से ये कठोर कशम खाई है... आप वो नहीं हो। मुझे माफ कर देना भाभीजी।
देवर- हाँ भाभी हाँ... पर दिखाओ ना। आज भैया भी घर पे नहीं हैं। मम्मी पापा भी तीर्थ यात्रा पे गये हुए हैं। ऐसा मौका बार-बार नहीं आएगा भाभी।
मैं- चलो ठीक है। मैं आपको अपना सामान दिखाऊँगी तो बदले में मैं भी आपका सामान देखना चाहूँगी। मैंने भी आज से पहले इतना बड़ा, इतना मोटा लौड़ा नहीं देखा है।
देवर- क्यों? भैया का तो हर रविवार रात को देखती ही हो।
मैं- पर... आपको कैसे मालूम? अच्छा... खिड़की से आप ही झाँकते हो रात में।
देवर- हाँ भाभी, मैं सब देखता हूँ। पर इस रविवार को कुछ ज्यादा ही मजा आया।
मैं- क्योंकी मैंने खिड़की के पर्दे को पूरा का पूरा ही हटा दिया था। ताकी आपको हमारी सारी रासलीला दिख सके।
देवर- अच्छा... तो आप हमें ट्रेनिंग दे रही थी।
मैं- हाँ... देवरजी, पर अपना तो दिखाओ? चलो, मैं ही खोल देती हूँ आपके पैंट की जिप। अरे राम रे... देवरजी क्या है ये? इतना बड़ा भी कभी होता है? बाप रे इतना मोटा? इतना लंबा? मेरे तो एक हथेली में समाए नहीं समा रहा है। जब मेरी फुद्दी में घुसेगा तो मेरी फुद्दी का क्या हाल होगा? मैं तो इसे चूस ही नहीं पाऊँगी... अपनी फुद्दी के अंदर लेने की तो बात ही छोड़ दो।
देवर- क्यों झूठ बोल रही हो भाभी? आपने तो इस लण्ड को पहले से छुवा भी है और चूसा भी है।
मैं- नहीं तो? मैंने आज से पहले कभी भी आपके लण्ड को ना छुवा है ना ही चूसा है। कशम से।
देवर- किसकी कशम खाती हो?
मैं- “मैं चम्पारानी, अपनी चूत के चारों तरफ उगी हुई धुंघराली झांटों को अपने साये के ऊपर से सहलाते हुए, ये कशम खाकर कहती हूँ की अगर मैंने आज से पहले अपने प्यारे देवर के लण्ड को गलती से भी छुआ है या । देवरजी जैसे कहते हैं की इनके लण्ड को मैंने चूसा भी है तो अभी का अभी इस फुद्दी की सभी धुंघराली झाँटें सहीद हो जाएं। मेरी फुद्दी के चारों तरफ चूत को लण्ड से रखवाली करने को एक भी झाँट ना बचे। मेरी इस फुद्दी में आज मेरे प्यारे देवर का लण्ड घुसे ही घुसे। भले ही मैं कितना भी चिल्लाऊँ.. कितना भी रोऊँ... मेरा देवर आज मेरी जमकरके, कसकरके चुदाई करे? और इतना कहकरके मैंने साया साड़ी के ऊपर से ही खुजलाते हुए अपनी चूत को हथेली से सहलाया।
देवर- अरे भाभी... ये आपने कैसा कठोर कशम खा लिया? हो सकता है की मैंने कोई सपना देखा हो। पर रोज रात को लगता है, वो भी सिर्फ रवीवार को छोड़कर, की अंधेरे में कोई मेरे लण्ड को सहला रहा है। और फिर वो हसीना अपने मुँह में भरके मेरे लण्ड को चूसती है। और जब मेरे लण्ड से पानी निकलता है तो उसको भी वो गटक जाती है। मुझे मजा भी आता है और डर भी लगता है। और फिर वो साया कमरे में से बाहर निकल जाता है। मैं कमरे की बत्ती जलाकर सोता हूँ। पर... वो साया जब आती है, तब कमरे में अंधेरा होता है।
मैं- अरे, पर देवरजी... आपको कैसे मालूम की वो साया कोई औरत का है।
देवर- वो... भाभी, आप बुरा तो नहीं मनोगी? एक दिन मैंने उत्तेजान में आकर उसकी छातियां सहलाई थी। तब उसकी गुदाज छातियां सहलाकर मुझे लगा की ये पक्का औरत ही होगी। मैंने तो ये समझा था की वो साया आप ही हैं, पर आपने जिस तरीके से ये कठोर कशम खाई है... आप वो नहीं हो। मुझे माफ कर देना भाभीजी।