hotaks444
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नजीबा ने ये सोचते हुए लंबी साँस ली। उसकी पलकें झपकीं और उसके होंठ थरथराये। कुत्ते से चुदने का ख्याल काफी विकृत था, ये नजीबा जानती थी - पर फिर भी ये ख्याल था बहूत चोदू। नजीबा को महसूस हो रहा था कि उसके चूतड़ों पे टकराता लंड कितना बड़ा और सख्त था - और वो कल्पना करने लगी कि वो विशाल लंड-माँस उसकी चूत को चोदता हुआ कैसा महसूस होगा।
एक चोदू जानवर को उसके आँड खाली करने में मदद करके उससे बचने का यह तर्कसंगत तरीका प्रतीत हो रहा था।
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दूसरा कुत्ता भी उनके आसपास उछलता हुआ उत्तेजना से भौंक रहा था। नजीबा ने देखा कि उस कुत्ते की टाँगों के बीच में उसका अत्यंत बड़ा लंड ऐसे झूल रहा था जैसे कि समुद्री जहाज का मस्तूल। अगर वो एक कुत्ते को चोदने देती है तो, नजीबा ने सोचा कि उसे दूसरे कुत्ते को भी चोदने देना पड़ेगा। सिर्फ एक को ही चोदने का मौक देना तो दुसरे के लिये उचित नहीं होगा। के लिये उचित नहीं होगा। “वैसे भी दो बार चुदने में तो अधिक आनन्द आयेगा!” नशे में चूर चुदक्कड़ औरत ने सोचा।
नजीबा ने अपना हाथ अपने घुटनों के बिच में से पीछे ले जाकर टीपू के चिपचिपे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। वो विशाल लंड नजीबा की पकड़ में धड़कने लगा। अब नजीबा को समझ आया कि उसके चूतड़ों पर वो लंड इतना सख्त क्यों महसूस हो रहा था। असल में उसके लंड में हड्डी सी थी जिसके कारण वो इतना सख्त और कड़क था। नजीबा ने लंड को अपनी मुट्ठी में सहलाया और टीपू ने आगे-पीछे हिलना बंद कर दिया। वो समझ गया कि इस चुदक्कड़ औरत का हाथ सहायता के लिये हाज़िर है और वो अपना लंड सही स्थान पर टिकाने के लिए नजीबा का इंतज़ार करने लगा।
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नजीबा ने फिर से अपनी मुट्ठी लंड पर आगे-पीछे चला कर उसे सहलाया। वो सोच रही थी कि क्यों ना ऐसे ही अपनी मुट्ठी से उस कुत्ते के लंड को झड़ा दे और फिर वैसे ही दूसरे कुत्ते को भी मुठ मार कर झड़ा दे। कुत्तों को मुठ मार कर झड़ाना, उनको चोदने जितना विकृत नहीं होगा, नजीबा ने सोचा।
परंतु इसमें चोदने जैसा मज़ा भी तो नहीं आयेगा।
टीपू के लंड को जड़ से पकड़ कर नजीबा ने अपनी कलाई तिरछी की और लंड का गर्म और दहकता सुपाड़ा अपनी गर्म चूत पर रगड़ने लगी। जब लंड का धड़कता हुआ गर्म । माँस उसकी क्लिट को छुआ तो नजीबा थरथरा उठी।
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टीपू मस्ती से पागल हुआ जा रहा था और नजीबा के कुल्हों से चिपका हुआ वो भौंकने और ठिनठिनाने लगा। उसका पूरा हट्टा-कट्टा बदन कांप रहा था। नजीबा यह जान कर बहुत रोमाँचित हो रही थी कि उसकी वजह से कुत्ता कितना उत्तेजित हो गया था और उसे चोदने के लिये कितना मतवाला हुआ जा रहा था। और दूसरा कुत्ता भी उतना ही मतवाला और जोश में था और अपना सख्त लंड झुलाता हुआ उनके आसपास ही कूद रहा था अपनी चूत के लिये कुत्तों की लालसा देख कर नजीबा और अधिक उत्तेजित हुई। जा रही थी। जानवरों से चुदाई के संबंध में जो भी शक या शुबहा उसे था, वो उसकी कामुक्ता और उत्तेजना की गर्मी में पिघल कर दूर हो गया।
एक चोदू जानवर को उसके आँड खाली करने में मदद करके उससे बचने का यह तर्कसंगत तरीका प्रतीत हो रहा था।
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दूसरा कुत्ता भी उनके आसपास उछलता हुआ उत्तेजना से भौंक रहा था। नजीबा ने देखा कि उस कुत्ते की टाँगों के बीच में उसका अत्यंत बड़ा लंड ऐसे झूल रहा था जैसे कि समुद्री जहाज का मस्तूल। अगर वो एक कुत्ते को चोदने देती है तो, नजीबा ने सोचा कि उसे दूसरे कुत्ते को भी चोदने देना पड़ेगा। सिर्फ एक को ही चोदने का मौक देना तो दुसरे के लिये उचित नहीं होगा। के लिये उचित नहीं होगा। “वैसे भी दो बार चुदने में तो अधिक आनन्द आयेगा!” नशे में चूर चुदक्कड़ औरत ने सोचा।
नजीबा ने अपना हाथ अपने घुटनों के बिच में से पीछे ले जाकर टीपू के चिपचिपे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। वो विशाल लंड नजीबा की पकड़ में धड़कने लगा। अब नजीबा को समझ आया कि उसके चूतड़ों पर वो लंड इतना सख्त क्यों महसूस हो रहा था। असल में उसके लंड में हड्डी सी थी जिसके कारण वो इतना सख्त और कड़क था। नजीबा ने लंड को अपनी मुट्ठी में सहलाया और टीपू ने आगे-पीछे हिलना बंद कर दिया। वो समझ गया कि इस चुदक्कड़ औरत का हाथ सहायता के लिये हाज़िर है और वो अपना लंड सही स्थान पर टिकाने के लिए नजीबा का इंतज़ार करने लगा।
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नजीबा ने फिर से अपनी मुट्ठी लंड पर आगे-पीछे चला कर उसे सहलाया। वो सोच रही थी कि क्यों ना ऐसे ही अपनी मुट्ठी से उस कुत्ते के लंड को झड़ा दे और फिर वैसे ही दूसरे कुत्ते को भी मुठ मार कर झड़ा दे। कुत्तों को मुठ मार कर झड़ाना, उनको चोदने जितना विकृत नहीं होगा, नजीबा ने सोचा।
परंतु इसमें चोदने जैसा मज़ा भी तो नहीं आयेगा।
टीपू के लंड को जड़ से पकड़ कर नजीबा ने अपनी कलाई तिरछी की और लंड का गर्म और दहकता सुपाड़ा अपनी गर्म चूत पर रगड़ने लगी। जब लंड का धड़कता हुआ गर्म । माँस उसकी क्लिट को छुआ तो नजीबा थरथरा उठी।
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टीपू मस्ती से पागल हुआ जा रहा था और नजीबा के कुल्हों से चिपका हुआ वो भौंकने और ठिनठिनाने लगा। उसका पूरा हट्टा-कट्टा बदन कांप रहा था। नजीबा यह जान कर बहुत रोमाँचित हो रही थी कि उसकी वजह से कुत्ता कितना उत्तेजित हो गया था और उसे चोदने के लिये कितना मतवाला हुआ जा रहा था। और दूसरा कुत्ता भी उतना ही मतवाला और जोश में था और अपना सख्त लंड झुलाता हुआ उनके आसपास ही कूद रहा था अपनी चूत के लिये कुत्तों की लालसा देख कर नजीबा और अधिक उत्तेजित हुई। जा रही थी। जानवरों से चुदाई के संबंध में जो भी शक या शुबहा उसे था, वो उसकी कामुक्ता और उत्तेजना की गर्मी में पिघल कर दूर हो गया।