Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - Page 16 - SexBaba
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Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार

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१४५ 
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नसीम आपा और अब्बू २ 
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अब्बू के होंठों में मेरे होंठों को कस कर चूमते हुए एक बार फिर से मेरा मुंह अपनी जीभ से खोल कर मेरा मुंह का हर कोना दिल खोल कर चूसने लगे। मैं भी पगला कर उनके दीवाने गीले चुम्बन 

का जवाब उतने ही ज़ोर से देने लगी। मेरे मुंह में जैसी ही अब्बू की मीठी गरम लार इकट्ठे हो जाती मैं उसे स्टॉक लेती पर बिना चुम्बन तोड़े। 

मेरी चूचियां अब्बू के मर्दाने बालों भरे सीने के नीचे कुचलीं हुईं थीं। उनके सीने की रगड़ से मेरे दोनों चुचुक गनगना रहे थे। मैं बिना सोचे अपनी चूत को अब्बू पेट से रगड़ रही थी। 

अब्बू ने चुम्बन तोड़ कर मेरे माथे, पलकों को चूमा। फिर उनका गरम मुंह मेरे कानों के मुलायम लोंको को चूसने लगा तो मेरा दिल धकधक करने लगा। अब्बू जैसे मेरे बदन के सारे वासना को 

उकसाने वाले हिस्सों को जानते थे। उनकी जीभ की नोक ने मेरे कान की सुरंग को भी नहीं छोड़ा। फिर उनकी जीभ ने मेरी गर्दन को कामुक चुम्बनों से ढक दिया। उनकी जीभ ने मेरी गर्दन को 

सहलाया और होंठों से खाल को चूसा। मेरे चूत से रस की धार बह चली थी। 

फिर उनकी जीभ की नोक ने मेरी फड़कती नाक की पूरे नक़्शे को धीरे धीरे सहलाया। फिर अब्बू ने मेरी पूरी नाक को अपने मुंह में भर कर अपनी जीभ की नोक को कभी एक नथुने में या फिर दुसरे 

नथुने में घुसेड़ कर उसे चूत की तरह चोदने लगते। मैं अब वासना से जल रही थी। और हलके हलके सिसक रही थी। 

अब्बू ने हलके हलके अपने चुम्बन मेरे बदन के नीचे हिसों की तरफ बड़ा दिए। अब्बू ने मेरे सीने को चूम और फिर एक हाथ से मेरे एक स्तन को सहलाते हुए दुसरे चूचुक को जीभ से हिलाते हुए उसे 

अपने मुंह ने भर कर चूसने लगे। उनका दूसरा हाथ मेरे दूसरे चूचुक को सहलाते, कभी ऊँगली और अंगूठे के बीच में हलके हलके दबाते। मैं अब खुल कर सिसक रही थी। अब्बू अपनी बेटी को अपने 

अब्बू और मर्दाने प्यार से पागल बना रहे थे। मेरे बदन में आग लग रही थी और उसे बुझाने की चाभी अब्बू के पास थी।

अब्बू ने मेरे दोनों चूचियों और चूचुकों को खूब क्षुमा, चूसा और सहलाया। मैं तो छह रही थी कि अब्बू अपने फावड़े जैसे बड़े हाथों से मेरे दोनों चूचियों को मसल मसल कर सूज दें। पर अब अपनी 

बेटी के साथ पहला संसर्ग अपने ही तरीके से करने वाले थे। मैं तो जो अब्बू करते उस से इतनी ही पागल हो जाती। 

अब अब्बू के चुम्बन मेरे उभरे गोल पेट के ऊपर छाने लगे। उन्होंने अपनी जीभ से मेरी गहरी नाभि को खूब कुरेदा चूमा। जब अब्बू के चुम्बन जाँघों के ऊपर पहुंचें तो मैं भरभरा कर झड़ने के लिए तैयार 

थी। बस अब्बू को मेरी जलती चूत की ऊपर एक बार ही अपना मुंह लगाना भर था। 

अपर अब्बू ने अपनी बेटी की वासना की आग को और परवान चढ़ाने के लिए मेरी चूत को अकेला छोड़ कर मेरे मांसल गुदाज़ जाघों को चूमते हुए नीचे जाने लगे। अब्बू ने मेरी सीधी जांघ और टांग 

की एक एक इंच को चूमा। जब उनके चुम्बन मेरे घुटने के पीछे की नाज़ुक संवेदनशील खाल को चुम रहे थे तो मैं तो मस्ती से बौखला गयी। 

मेरा सारा बदन गनगना उठा था। मैं अब बिलकुल तैयार थी। यदि उस वक़्त अब्बू ने एक धक्के में अपना घोड़े जैसा लन्ड मेरी चूत में ठूंस दिया होता तो मैं एक लम्हे में झड़ जाती। पर अब्बू मेरे 

बदन को सारंगी के तारों की तरह बजा रहे थे। 

आखिर में अब्बू ने मेरे दाएं पैर को गीले चुम्बनों से भर कर मेरे अंगूठे को अपने मुंह में भर लिया। उन्होंने मेरे दाएं पैर के अंगूठे को चूस चूस कर मुझे पागल। मुझे उस रात पता चला कि मेरे पैर की 

उँगलियों और अंगूठे भी मेरे वासना के बटन हैं। अब्बू ने मेरे पैर की सारी उंगलीयों को उतने प्यार चूस चूस आकर मुझे दीवानी कर दिया। फिर अब्बू ने मेरे बाएं पैर को भी वैसे ही प्यार से चूम चूस। 

उनके चुम्बन फिर मेरे बाएं टांग और जांघ के ऊपर कहर ढाते हुए मेरे पेंडू की ऊपर पहुँच गये। 

इस बार अब्बू ने अपनी जीभ से मेरी घनी घुंघराली झांटों को फैला कर मेरे भगोष्ठों को गुलाब की पंखुड़ियों की तरह अलग अलग कर दिया। अब्बू के जीभ की नोक ने मेरी चूत की गुलाबी सुरंग के 

मुहाने को सहलाया। मैं हलके से चीख उठी मस्ती में ," अब्बू अब्बू हाय रब्बा अब्बू । "

अब्बू ने मेरी गुदाज़ जांघों को मोड़ कर फैला दिया। अब मेरी रस से भरी चूत अब्बू के मुंह के लिए पुरी खुली थी। अब्बू ने मेरी जांघों को सहलाते हुए मेरी चूत को अपनी जीभ से कुरेद प्यार से 

हलके से। उन्होंने मेरे दाने को बिलकुल अकेला चूड़ दिया था। मैं तड़प रही थी झड़ने के लिए। मैं झड़ने के कगार पे थी बस अब्बू की जीभ को एक बार मेरे भग-नासे को कुरेदने भर था। पर अब्बू ने 

अपनी बेटी की वासना को ऐसी आसानी से नहीं खड़ने देने वाले थे उस रात। 

अब्बू ने जब मेरी वासना की आग को बेकाबू होते देखा तो अपनी जीभ से मेरी जांघें चूमने लगे। मैं तपड़ रही थी। पर मेरे झड़ने की चाहत और अब्बू का प्यारा सितम मुझे और भी जला रहा था। 

अब्बू ने एक बार फिर से मेरी चूत चूमने चाटने लगे। उन्होंने मेरी चूत की सुरंग को अपनी गोल गोल मोड़ी जीभ से चोदा। फिर उन्होंने मेरे तन्नाए दाने को चूसा चाटा। जैसे ही मैं झड़ने वाली थी ना 

जाने कैसे अब्बू जान गए और उन्होंने मेरी चूत को अकेला छोड़ दिया। 

मैं अब झड़ने की चाहत से जल रही थी। अब्बू ने कई बार मुझे झड़ने के कगार पे ले कर प्यासा छोड़ दिया। 

"अब्बू मेरे अब्बू, अब नहीं रहा जाता अब्बू। अब अपनी बेटी के ऊपर इतना प्यारा सितम बन्द कीजिये और झाड़ दीजिये मुझे अब्बू ……….. ,” मैं बिलबिला उठी थी। 

अब्बू ने एक बार फिर से अपना पूरा भारी भरकम बदन मेरे ऊपर डाल दिया। उन्होंने मेरे पसीने की बूंदों से सजे मुंह को जी भर कर चूमा। उन्होंने ममेरी बगलों को भी खूब चटखारे मारते हुए चूसा। मैं 

अब्बू के चूमने से मस्त पड़ी थी और मुझे पता ही नहीं चला। ना जाने किस लम्हे में अब्बू मोटे सेब जैसे सुपाड़े को मेरी चूत के दरवाज़े के ऊपर टिका दिया। 

मेरी वासना से भरी आँखें अब्बू की आँखों से अटक गयीं। 
 
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१४६ 
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नसीम आपा और अब्बू ३ 
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अब्बू ने प्यार से धीरे से अपना हाथी जैसा लन्ड अपनी बेटी की चूत में ऐसे घुसाया जैसे मेरी चूत इतनी नाज़ुक है की थोड़े से भी ज़ोर से फट 

जाएगी। 

वो लम्हा मुझे और अब्बू को हमेशा याद रहेगा। अब्बू बहुत धीरे धीरे एक एक इंच करके अपना लन्ड मेरी चूत के बहुत प्यार से डालने लगे। हम 

दोनों बाप-बेटी की आँखें एक लम्हे के लिए भी जुदा नहीं हुईं। मेरी चूत अब्बू के बोतल जैसे मोटे लन्ड के ऊपर फैलने लगी। उनका मोटा सूपड़ा 

अपनी बेटी की चूत में घुसने लगा। अब्बू के घोड़े जैसे हाथ भर लंबे लन्ड को बहुत देर लगी एक एक इंच करके जड़ तक मेरी चूत को भरने में। 

अब्बू के सुपाड़े ने मेरे उपजाऊ गर्भाशय को अंदर धकेलते हुए उनके महालन्ड के लिए जगह बनायीं। 

मेरा दिमाग़ वासना से तो जल ही रहा था। पर अब इस ख्याल से कि मेरी चूत को भरता फैलता हुआ लन्ड मेरे अब्बू का है। उस अब्बू का 

जिसके लन्ड के लन्ड के बीज से मैं अपनी अम्मी के गर्भ में बनी थी। अब वोही लन्ड मेरे उपजाऊ गर्भाशय को अपने उसी बीज से सींचेगा। मैं इन 

ख्यालों से और भी गरम हो गयी। 

अब्बू का लन्ड आखिर जड़ तक मेरी चूत में थंस गया था। मैं इस ख्याल से ख़ुशी से पागल हो गयी। 

"अब्बू मैं अब आपकी औरत बन गयी हूँ। आपका लन्ड आपकी बेटी की चूत में पूरा घुस गया है। हाय अब्बू क्यों हमने इतने साल बर्बाद किये ?" 

मैं ख़ुशी और वासना के बुखार से जलते हुए बुदबुदाई। 

"बेटी जो खुद की मर्ज़ी उसे हमें मानना पड़ेगा। अब मेरी बेटी वाकई मेरी बेटी और औरत बन गयी है ," अब्बू ने मेरे माथे के ऊपर चमकती 

पसीनों की बूंदों को प्यार से चाट लिया। 

"अब्बू अब अपनी बेटी और औरत को खूब चोदिये अपने लन्ड से। अब्बू क्या पता अल्लाह की मर्ज़ी से आपके वीर्य से मेरा गर्भ भर जाए ?" मैं 

अब हर आने वाली मुमकिन घटना के ख्याल से ख़ुशी से भर उठी। 

"बेटी क्या आदिल को यह अच्छा लगेगा ?"अब्बू भी इस ख्याल से खुश हो गए थे। 

"अब्बू अब आप मुझे चोदिये। आदिल आपको अपने अब्बू की तरह प्यार करतें हैं। और फिर नेहा है ना अपना जादू चलाने के लिए," मैं अब 

अब्बू से चुदने के लिए तड़प रही थी। 

"बेटी आज रात तो मैं तुम्हें सारी रात चोदूंगां,"अब्बू ने उनका लन्ड एक एक इंच करके मेरी चूत से बाहर निकलने लगा। मेरी फट पड़ने जैसी 

फ़ैली चूत खली खली महसूस करने लगी। मेरी चूत में जब सिर्फ अब्बू का सूपड़ा भर रह गया था तब उन्होंने पहले की तरह एक एक इंच करके 

अपना लन्ड एक बार फिर से मेरी चूत में डालने लगे। जैसे ही उनकी झांटें मेरे दाने से रगड़ीं मैं भरभरा कर झड़ गयी। 

"अब्बू …….. ऊ ………. ऊ ………. ऊ मैं झड़ गयी ……… ई ……… ई …………. ई ………ई अब्बू …….. ऊ ……… ऊ ……… ऊ ………. 

ऊ ," मैं झड़ने की ख़ुशी और विलासता से चीख उठी।

"नूसी बेटी अभी तो तुम कई बार झड़ोगी ,"अब्बू ने मेरी फड़कती नाक को अपने मुंह में भर लिया और मेरी चूत को उसी धीमी लंबी चुदाई से 

चोदने लगे। अब्बू का लन्ड मेरी चूत की हर नन्हे हिस्से को अपने लन्ड से रगड़ रहा था। 

मैं वासना से पागल हो गयी। मेरे अब्बू का लन्ड आखिर चूत में था यह ख्याल ही दीवाना करने के लिए। पर अब्बू का लन्ड जिस तरीके से मुझे 

चोद रहा था वो बहुत अनोखा था। धीमा पर ज़ोरदार। धीमा पर हर धक्के से मेरा गर्भाशय और भी पीछे धंस जाता। 

मैं अब बिना रुके झाड़ रही थी। मेरे झड़ने की लड़ी बन चली थी। और अब्बू ने मेरी वासना की आग के ऊपर तेल डालने के कई तरीके ढूंड। जब 

उनका मुंह और जीभ जब मेरी नथुनों को नहीं चोद रहा था तो मेरी पसीने से भीगी बगलों को चूस रहा था। जब मेरी बंगलें उनके थूक से गीली 

हो जातीं तो अब्बू का मुंह मेरे दोनों चूचियों और चूचुकों को चुम और चूस रहा था। 

सबसे ऊपर उनका लन्ड बिना रुके उसी दिमाग़ को पागल कर देने वाली धीमी रफ़्तार से मेरी चूत चोद रहा था। और मैं झरने की तरह लगातार 

झड़ रही थी। 

"अब्बू ……. अब्बू ………. अब्बू …….. आह ……. आनन्नन …….. आनह चो …… दी ……. ये ……. अब्बू ………. ऊ ,"मैं झड़ते हुए 

चीखी। 

आखिर मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि मैं गाफिल होने लगी। अब अब्बू ने यकायक चुदाई की रफ़्तार बदल दी। उन्होंने मेरी जांघें अपनी ताक़तवर 

बाँहों के ऊपर डाल कर पीछे धकेल दीं। उन्होंने अपना लन्ड सुपाड़े तक निकाल कर एक डरावने धक्के से जड़ तक ठूंस दिया। यदि मैं अनेकों 

बार झड़ने से पहले ही थकी नहीं होती तो मेरे चीख़ तुम लोगों के कमरे में भी गूँज उठती। 

अब्बू ने इस बार जो बेदर्दी सी चोदना शुरू किया तो धीमे ही नहीं हुए। उनका मेरी रस से लबालब चूत को रेल के से इंजन के पिस्टन की 

रफ़्तार से चोद रहा था। मेरी चूत से फच फच की आवाज़ें मेरे अब्बू की भयंकर चुदाई का गाना गया रहीं थीं। 

मैं अब और भी ज़ोर से सिसकने लगी और मेरे झड़ने की लड़ी और भी तेज़ हो गयी। 

अब अब्बू मेरी नथुनों को पागलों की तरह अपनी जीभ से चोद रहे थे और मेरी चूत बेरहमी से अपने घोड़े जैसे लन्ड से। और मैं हर कुछ लम्हों में 

बार बार झड़ रही थी। मैं इतनी वासना के हमले से पगला रही थी। मेरा बदन अब्बू के बदन-तोड़ धक्कों से तूफ़ान में पत्तों की तरह हिल रहा था। 

ना जाने कितनी देर तक अब्बू ने मुझे चोदा उसी बेरहम रफ़्तार से। जब अब्बू ने अपने लन्ड से अपने गरम उपजाऊ वीर्य की बारिश मेरे उपजाऊ 

गर्भाशय के ऊपर शुरू की तो मैं इतनी थक चुकी थी कि अब्बू के वीर्य और मेरे अण्डों की शादी का ख्याल भर ने मुझे गाफिल कर दिया। ना 

मालूम कितने फव्वारे मारे अब्बू के लन्ड ने मेरे गर्भाशय के ऊपर मैं लगभग बेहोश हो गयी थी।
 
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नसीम आपा और अब्बू ४ 
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जब मैं जगी तो अब्बू के भारी प्यारे बदन ने मुझे बिस्तर के ऊपर दबा रखा था। मैंने पागलों की तरह अब्बू के मुंह को चूम चूम कर 
गीला कर दिया। 

"अब्बू माफ़ कर दीजिये मैं तो आपकी चुदाई से गाफिल हो गयी ," मैंने अब्बू की मर्दानी नाक की नोक को चूमते हुए कहा। 

"बेटी आज रात कौन सोने देगा मेरी बेटी को ," अब्बू ने प्यार से कहा। 

मैं तो यह ही सुनना चाहती थी। आखिर यह मेरी और अब्बू की ' सुहागरात 'थी। 

"अब्बू अब मेरी बारी है आपको प्यार करने की ,"मैंने अब्बू से दरख्वास्त की। 

अब्बू ने जब अपना लन्ड मेरी मेरे रस और उनके वीर्य से भरी चूत से निकाला तो एक लंबी धार बिस्तर पर फ़ैल गयी। 

मैंने अब्बू को चित्त लिटा दिया। मैं उनके भारी-भरकम शरीर के ऊपर चढ़ गयी। पहले मैंने उनके मर्दाने चेहरे को अपने नन्हें हाथों में भर 

कर दिल भर कर चूमा। मैंने उनकी पलकें , उनका चौड़ा माथा , उनकी छोटी दाढ़ी से ढकी गर्दन को गीले मीठे चुम्बनों से इंच इंच गीला 

कर दिया। फिर उनके कानों के लोलकियों [इअरलोब्स ] को दिल भर कर चूसा। उनके कान के अंदर मैंने जीभ दाल उन्हें अपने गरम 

थूके से गीला कर दिया। अब्बू मेरे बेटी का अपने अब्बू की तरफ अपने प्यार का पागलपन से इज़हार करते देख आकर मर्दानी हल्की 

हल्की मुस्कान फेंकतें मुझे प्यार से देखते रहे। 

मैंने उनकी मर्दानी सुंदर नाक के शक्ल को अपनी जीभ की नोक नापने के बाद उसे अपने मूंह में भर लिया। फिर अपनी जीभ की नोक 

से मन भर कर उनके एक नथुने के बाद दुसरे नथुने को खूब प्यार से चोदा। मेरे थूक से उनकी नाक गीली हो गयी। 

मैं फिर उनकी मर्दानी चौड़ी बालों से भरी छाती को चुम्बनों से गीला करने के बाद उनकी बालों से भरी बगलों को भी चूस चूम कर खूब 

प्यार किया। उनके बदन से मेरी चुदाई की महनत से पसीने की मंद मंद खुशबू मेरे नथुनों में भर गयी। फिर बारी थी मेरे अब्बो की तोंद 

की। मैंने उनकी पूरी बालों से भरी तोंद को खूब चूमा और उनकी गहरी नाभि को जीभ से कुरेदने के साथ साथ उसे थूक से भर दिया। 

मैंने अब्बू की मोटे के पेड़ के तने जैसी भारी भारी चौड़ी जाँघों को चूमते हुए उनके पैरों की हर ऊँगली को दिल खोल कर मूंह में भर कर 

चूसा। 

और फिर मैं अब्बू के जाँघों को चूमते चूमते उनकी जांघों के बीच लटके घोड़े जैसे लंबे मोटे मूसल के ऊपर पहुँच गयी। मैंने उसे प्यार से 

थाम के हौले हौले मीठे चुम्बनों से उनके ख़ौफ़नाक पर प्यारे लन्ड के डंडे की पूरी लंबाई चूम ली। अब मैंने अब्बू के लन्ड का मोटा सेब 

जैसा सुपाड़ा अपने मूंह में भर कर हलके हलके चूसने लगी। अब्बू का लन्ड सिर्फ आधा खड़ा था फिर भी मुश्किल से मेरे दोनों हाथ उसे 

घेर पा रहे थे। जैसे जैसे उनका लन्ड तनतनाने लगा मेरा मूंह और भी खुल गया। मैंने अपनी जीभ की नोक से उनके पेशाब के छेद को 

कुरेदने लगी। मेरे नन्हें हाथ अब्बू के घोड़े जैसे लन्ड के तने को सहला रहे थे। 

मैंने एक हाथ से उनके बड़े अण्डों जैसे मोटे घने घुंगराले झांटों से ढके फोतों को सहलाने लगी। मैंने अब्बू के लन्ड को चूसना बन्द कर 

उनके फोटों के नीचे की मुलायम खाल को चूमने लगी। उनके जांघों और चूतड़ों से उठती मर्दानी खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी और मैं 

उनके मर्दाने शरीर के नमकीन खारे स्वाद के लिए बैचैन हो गयी। मैंने अब्बू को पलटने के लिए दरख्वास्त की। अब्बू अब पेट के बल 

लेते थे। मैंने उनके ऊपर लेट कर अपने फड़कते चूचियों से उनकी बालों भरी कमर की मालिश करने लगी। अब्बू के मुँह से निकली 

हलकी सिसकारी ने मेरे दिल और दिमाग़ में ख़ुशी की बिजली सी कौंधा दी। मेरे बड़े भारो उरोज़ उनके कमर और चूतड़ों के ऊपर रगड़ 

रगड़ कर उन्हें अनोखा मज़ा दे रहे थे। 

मैंने उनके मज़बूत भारी बालों से भरे चूतड़ों को फैला कर अपने तन्नाए हुए चुचुकों से उनकी गांड की दरार सहलाने लगी। मैंने अपने एक 

चूचुक से उनकी गांड के फड़कते छेद को कुरेदा तो उनके दोनों मांसल चूतड़ फड़क उठे। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनके फैले हुए 

चूतड़ों के बीच में अपना मूंह दबा दिया।
 
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नसीम आपा और अब्बू ५ 
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अब्बू की गांड की दरार से उठती खुशबु ने मुझे पागल सा कर दिया। मैंने उनके चूतड़ों के बीच की दरार को अपने जीभ से चूम 

चाट कर अपनी लार से नहला दिया। फिर मैंने अब्बू की गांड के छेद को अपनी जीभ से कुरेदने लगी। अब्बू की गांड का मांसल 

तंग छेद इतना कसा हुआ था की मैं जितनी भी कोशिश करती फिर भी मेरी जीभ की नोक उसमे नहीं घुस पायी। 

लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेरी जीभ बिना थके और निरुत्साहित हुए अब्बू की गांड के छल्ले को कुरेदती रही। आखिर कार बेटी 

के प्यार ने अब्बू की गांड के छेद की बढ़ को निरुत्तर कर दिया। 

अब्बू की गांड का छल्ला धीरे धीरे खुलने लगा और मेरी नदीदी जीभ की नोक उनकी गांड के अंदर घुस गयी। अब की गांड की 

सुगंध ने मेरे दिमाग में तूफ़ान उठा दिया। मैंने उनकी गांड के कसैले पर मेरे लिए मीठे स्वाद को अपनी जीभ से खोदने लगी। 

मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं थी अब। हर हदें टूट कर चूर चूर हो गयीं थीं। अब्बू के हलक से उबलती हलकी हलकी

सिसकियाँ मेरे मगज़ में ठप्पे की तरह दागी हों गयीं। 

मैंने दिल खोल कर अपने प्यारे अब्बू की गांड को जितनी मेरी जीभ अंदर सकती थी उतनी गहराई तक खूब कुरेदा चाटा। 

अब्बू का लन्ड अब टनटना रहा था। मेरा नन्हा नाज़ुक हाथ उनके बोतल जैसे मोटे लन्ड को भी सहलाने लगा। 

"नूसी बेटा अब तेरी चूत की खैर नहीं है। तूने आज मुझे पूरा दीवाना कर दिया है ,"अब्बू में भारी आवाज़ में कहा। 

"अब्बू तक आपि दीवानगी के मैं आपको और भी दीवाना करना चाहूंगीं। और मेरी चूत तो अब आपकी और आदिल की है। 

उसकी खैरखबर आप दोनों की ज़िम्मेदारी है ," मैंने अपनी लालची जीभ अब्बू की गांड से बाहर निकाल ली। 

अब्बू ने लपक कर मुझे बिस्तर पर पटक दिया। उन्होंने मेरी भारी मांसल झांगे उठा कर मेरी फ़ैली टांगों के बीच में बैठ गए। मेरी 

साँसें भारी हो गयीं। अब्बू ने अपने घोड़े जैसे मोटे लंबे लन्ड का सेब जैसा मोटा सूपड़ा मेरी घनी घुंघराली झांटों से ढकी चूत की 

दरार कर गुर्रा कर कहा , "नूसी बेटी अब आप मेरी औरत बन गयी हो। अब आपकी चूत मैं अपने दिल की चाहत से चोदूंगा। 

"

"अब्बू दिल खोल अपनी बेटी की चूत चोदिये। आपकी बेटी की चूत अब आपकी और आदिल की है जैसे आपका दिल चाहे 

वैसे मेरी चूत मारीये अब्बू ,"मैं चीखी। 

मैं वासना के तूफ़ान में उलझी हुई थी और अब्बू मेरी गीली और फड़कती चूत ऊपर अपना लन्ड दबा रहे थे । 

"अब्बू चोदिये अपनी बेटी की चूत। फाड़ डालिये अपनी बेटी चूत अपने घोड़े जैसे लन्ड से ," मैं वासना के बुखार से जलती 

हुए चीखी। 

अब्बू ने मुझे बिस्तर पर दबा कर अपने भारी भरकम चूतड़ों की ताकत से चूत फाड़ने वाला धक्का मारा। मैं बिलख कर चीख 

उठी। अब्बू का लन्ड का सूपड़ा मेरी चूत में धंस गया। अब्बू ने बिना रुके तीसरा दर्दनाक धक्का मारा और मेरी चूत में तीन-

चौथाई ठुंस गया। मैं सुबक रही थी। अब्बू ने मेरे खुले सुबकते मुंह के ऊपर अपना मूंह दबा कर एक और धक्का मारा।उनका 

आधा लन्ड अब मेरी चूत में घुस चूका था। मेरी चूत में मीठा दर्द हो रहा था अब्बू के लन्ड की मोटाई से। अब्बू ने अब बिना 

रुके एक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपना लन्ड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। 

मैं सुबक उठी। अब्बू का लन्ड चाहे जितना भी दर्द कर रहा हो पर मेरी चूत उनके लन्ड को अंदर बेताब थी। 

"उउनन्नन अब्बू ऊ ...... ऊ ......, "मैं सिसकने लगी चुदने की बेसब्री से। 

अब्बू ने बेटी के दिल की चाहत बिना बोले समझ ली और अपने महाकाय लन्ड को सुपाड़े तक निकल कर पूरी ताकत से मेरी 

चूत में ठूंस दिया। 
 
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१४९ 
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नसीम आपा और अब्बू ६ 
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"अब्बू चोदिये अपनी बेटी को ," मैं मस्ती के आलम में जल रही थी। 

अब्बू का दिल भी अब मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देने वाली चुदाई का था। उन्होंने अपना लन्ड मेरी चूत पूरी रफ़्तार से अंदर बाहर 

करने लगे। मैं मज़े और दर्द के मिले जुले आलम में डूबने लगी। अब्बू का लन्ड अब फच फच की आवाज़ें निकलता मेरी चूत की तौबा 

बुला रहा था। 

" उन्न्नन्न अब्बू ऊ ऊ ऊ ऊ आनननगगगग मममममम," मेरी सिसकियाँ रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं। 

अब्बू ने हचक हचक कर मेरी चूत मारनी शुरू कर दी। मैं थोड़े लम्हों की चुदाई से ज़ोरों से झड़ गयी। अब्बू ने मेरी पसीने से भीगी 

चूचियों को मसलते हुए मेरी चूत में अपना लन्ड रेल-इंजन के पिस्टन जैसे पेलने लगे थे। मेरी सिसकारियां और हलकी हलकीमज़े में 

डूबीं चीखें कमरे में गूँज उठीं। 

अब्बू का लन्ड मूसल की तरह मेरी चूत कूट रहा था। मेरी चूत फड़क फड़क कर अब्बू का बोतल जैसे मोटे लन्ड को कसने की 

नाकामयाब कोशिश करने लगी। पर अब्बू का लन्ड अब अपनी बेटी की चूत की तौबा बुलवाने के कामना से और भी मोटा लंबा लग 

रहा था। लेकिन अल्लाह गवाह है इस दिन का मेरी चूत ने छह साल से इन्तिज़ार किया था। इस लम्हे की मस्ती से मैं गहरे पानी के 

भंवर में डूबने लगी। 

अब्बू ने मेरी भारी जांघों को मोड़ अर मेरे घुटने मेरे सर के ऊपर तक पहुँच कर अब और भी ताकतवर धक्कों से मेरी चूत मारने लगे। 

मेरी चूत में से अब्बू के हर धक्के से फचक फचक के आवाज़ उठ रही थी। मैं अब लगातार एक लड़ी की तरह झड़ रही थी।

अब्बू ने ना जाने कितनी देर तक मेरी चूत मारी मैं तो झड़ झड़ के इतनी थक गयी की मेरी ऊंची सिसकारियां भी अब फुसफुसाहट बन 

गयी थीं। 

जब अब्बू का लन्ड मेरी चूत में खुला तो मैं उनके गरम उपजाऊ वीर्य की बारिश से बिलबिला उठी। इतना मज़े का अहसास था वो। 

अब्बू का लन्ड उनके वीर्य की हर फौवारे से पहले ऐंठ सा जाता था मेरी चूत में। 

फिर हम दोनों पसीने से भीगे एक दुसरे की बाँहों में गहरी गहरी सांस लेते बिस्तर पे ढलक गए। 

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जब मुझे होश आया तो अब्बू का पूरा वज़न अपने ऊपर पा कर मेरा दिल प्यार से भर गया। उनका लन्ड थोड़ ढीला हो गया था पर मेरी 

चूत फिर भी इतनी फैली हुई थी उसकी मोटाई के इर्द-गिर्द। 

"नूसी बेटा , मुझे अब पेशाब लगा है ," अब्बू ने मेरी नाक की नोक को चुभलाते हुए कहा। 

" और मुझे प्यास भी लगी है ," मैंने मौका देखा कर अब्बू के लन्ड को अपनी चूत से भींचते हुए कहा। 

गुसलखाने में अब्बू ने पहले अपनी प्यास बुझायी। मेरा सरारती सुनहरी शरबत की धार की एक एक बूँद अब्बू ने प्यार से सटक ली। 

फिर मैंने अब्बू का भारी लन्ड अपने खुले मुँह के आगे लगा कर अपनी प्यासी आँखे अब्बू की प्यार भरी आँखों में अटका दीं। जैसे ही 

मेरा मुँह अब्बू के खारे पेशाब से भर गया तो उसके मज़े से ही मेरी चूत फड़कने लगी। मैंने भी दिल खोल कर अब्बू के की हर बूँद 

को चटखारे लेते पी गयी। 

अब्बू ने मुझे गोद में उठा लिया। एक दुसरे के खुशबूदार पेशाब की महक से भरे हमारे खुले मुँह ज़ोर से चुपक गए। 

कमरे में पहुँच आकर अब्बू ने मुझे बिस्तर के पास उतार दिया। 

"अब्बू , नेहा ने आपकी जादुई चटाई के बारे में बताया था क्या अपनी बेटी को नहीं मज़ा देंगें उस जादुई चटाई का ? ,"मैंने इठलाते 

हुए अब्बू से पूछा। 

"अपनी बेटी के लिए तो जान भी दे देंगें नूसी ,"अब्बू ने मेरे फड़कते हुए उरोज़ों को मसलते हुए कहा। 

अब्बू ने बड़े बड़े दानेदार चटाई को बिस्तर पे फैला दिया। मुझे समझ आने लगा कि कैसे तुझे इतना मज़ा अय्या था उस चटाई के ऊपर 

लेट कर चुदवाने में। 

"मैंने अब्बू के भारी भरकम चौड़े मांसल बालों से ढके चूतड़ों को सहलाते हुए कहा ,"अब्बू अपनी बेटी की गांड की सील कब तोड़ेंगें 

आप ?" मैंने उनके दोनों चूतड़ों को प्यार से चूमते हुए पूछा। 

"बेटा गांड मरवाने में बहुत दर्द होगा आपको ,"अब्बू ने मुझे बाँहों में भर कर दिल भर चूमा, "आदिल बेटे ने आपकी गांड कैसे अकेली 

छोड़ दी अब तक ?" 

"दर्द हो या ना हो अब्बू गांड की सील तो बस आप ही तोड़ेंगें। आदिल ने मेरी गांड आपके लिए ही कुंवारी छोड़ी है ," मेरी बात सुन के 

अब्बू की आँखे खिल उठी। 

"यदि आपका बहुत दिल है तो ज़रूर गांड मारेंगें आपकी। बहुत ध्यान से मारेंगें नूसी जिस से आपको काम से काम दर्द हो ,"अब्बू ने 

मुझे चटाई पे पेट के बल लिटा दिया। 

मैंने अपना मुँह बायीं ओर मोड़ कर बेसब्री से छोटी बच्ची की तरह ज़िद करते हुए कहा ,"अब्बू आपको हमारी कसम है जो हमारी गांड 

को धीरे धीरे चोदा आपने। हमें पता है कि यदि लड़की की चीखें ना निकलें, और उसकी आँखें बरसात की तरह न बरसें तो मर्द को 

गांड मारने का मज़ा नहीं आता। आप हमारी गांड उसी तरह बेदर्दी से मारें जैसे आपने शन्नो मौसी की कुंवारी गांड मारी थी अम्मी की 

मदद से।"

अब्बू की मुस्कान और चेहरे पे फैली चमक से मुझे बता दिया कि मेरे अब्बू को अपनी बेटी के दिल की चाहत का पूरा इल्म हो चला 

था। 
 
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१५०
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नसीम आपा और अब्बू ७ 
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अब्बू कुछ और कहे बिना मेरे पट्ट बदन के ऊपर अपने पूरे वज़न से लेट गए। उनके भारी बदन से दब कर मेरे दोनों उरोज़ 

और सारा बदन चटाई के मोटे मोटे दानों के ऊपर कुचल गए। 

अब्बू को अब कुछ और कहने की ज़रुरत भी नहीं थी। उन्होंने मेरी गुदाज़ भारी भरकम जांघों को को फैला कर पीछे से मेरे 

कसी तंग चूत में अपना लन्ड ठूसने लगे। उस तरह लेते हुए मेरी चूत तंग हो गयी थी। अब्बू का घोड़े जैसा लन्ड अब और 

भी मोटा महसूस हो रहा था। 

अब्बू ने मेरे वासना से जलते लाल मुंह को चूमते हुए मेरी चूत लंबे धक्कों से मारते हुए मेरे कान के पास फुसफुसाए ,"नूसी 

बेटा जब हम आपकी गांड मारेंगें तो जितना दर्द भी हो आपको हम धीमे नहीं होंगें। "

मैं अब्बू के लन्ड के जादू से वैसे ही बेचैन हो चली थी और अब उनके आने वाले लम्हों के हुलिए से मेरी चूत में रस की बाढ़ 

बह चली। 

अब्बू ने मेरी चूत में एक और धक्का मारा और मस्ती और दर्द से मेरी हलकी सी चीख का मज़ा लेते हुए मेरे फड़कते 

नथुनों को चूमने चूसने लगे। 

"नूसी बेटा जब आपके अब्बू का लन्ड अपनी बेटी की गांड मारते हुए आपकी गांड के रस से लिस जाएगा तो कौन उसका 

स्वाद चखेगा ?"अब्बू ने मुझे और भी वासना के मज़े से चिढ़ाया। 

मैं अब झड़ने वाली थी , "अब्बू मुझे झाड़िए अब। आपकी बेटी अपने अब्बू का लन्ड चूस कर साफ़ कर देगी अपनी गांड 

मरवाने के बाद। "मैं मस्ती के आलम से जलती हुई बदमस्त हो गयी थी। 

अब्बू चूत को और भी ज़ोर से चोदने लगे। उनके हर धक्के से मेरे उरोज़ , मेरी चूत का मोटा लंबा सूजा दाना चटाई के 

दानों से मसल उठता। मेरे सारे बदन पे उन दानों की रगड़ अब्बू की चुदाई के मज़े में और भी इज़ाफ़ा कर रही थी। 

मैं कुछ लम्हों की चुदाई से भरभरा कर झाड़ उठी। अब्बू ने बिना रुके आधा घंटे और मेरी चूत मारी। मैं चार पांच बार झाड़ 

गयी थी। अब्बू ने अपना लन्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया। अब आ गया था वो लम्हा जिसका मुझे छह साल से 

इन्तिज़ार था। 

अब्बू ने मेरे मांसल भारी नितम्बों को अपने फावड़े जैसे बड़े हाथों से मसलते हुए उन्हें दूर तक फैला दिया। उनके सामने अब 

मेरी गांड का नन्हा छल्ला आने वाली गांड - चुदाई के मज़े और दर्द के सोच से फड़क रहा होगा। अब्बू ने झुक कर मेरी

गांड के ऊपर अपने मीठे थूक की लार टपका दी। अब्बू का लन्ड मेरी चूत के रस से लिसा बिलकुल गीला था। 

अब्बू ने अपना मोटे सेब जैसा सूपड़ा मेरी गांड के छले पे टिकाया और बिना कोई इशारा दिए एक गांड-फाड़ू धक्का मारा। 

मैं दर्द से बिलबिलाते हुए चीख उठी। 

अब्बू का पूरा सूपड़ा एक धक्के में ही मेरी गांड में धंस गया था। मुझे लगा जैसे मेरी कुंवारी गांड में जैसे किसीने गरम मोटी 

सलाख ठूंस दी हो। 

मेरी आँखे आंसुओं से भर गयीं। अब्बू अपना वायदा पूरी तरह से निभाने वाले थे। मेरी गांड की अब खैर नहीं थी। मैंने 

अपनी गांड को अल्लाह और अब्बू के भरोसे छोड़ दिया। और बस अब्बू के लन्ड को अपनी गांड में जड़ तक लेने के लिए 

बिलबिलाने लगी। चाहे जितना भी दर्द हो। मुझे अब अपनी गांड फटने का भी डर नहीं था। यदि खून भी निकले फटने से तो 

कुछ दिनों में ही दुरुस्त हो जाएगी। पर उस रात अब्बू के लन्ड से पहली बार गांड मरवाने का जन्नत जैसा मज़ा बार बार तो 

नहीं मिलने वाला था। 

अब्बू ने बिना मेरे सुबकने बिलबिलाने की परवाह किये अपने वायदे को निभाते हुए अपना पूरा वज़न ढीला छोड़ कर मेरे 

बदन के ऊपर गिर पड़े। उनके भारी वज़न से ही उनका लन्ड तीन चार इंच और मेरी बिलखती गांड में ठूंस गया। मैं अब दर्द 

से बिलबिला रही थी। मेरी आँखें गंगा जमुना की तरह बह रहीं थीं। मैं जितना भी कोशिश करती पर मेरे सुड़कने के बावज़ूद 

मेरे आंसू मेरे नथुनों में बह चले। 

अब्बू ने मेरे हाथों की उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंस ली और मेरे हांथो को पूरा फैला कर अपने लन्ड की कई और इंचोन 

को मेरी कुंवारी गांड में ठूंसने लगे। 

मेरा सुबकना बिलबिलाना मेरे मज़े के दरवाज़े पे खटखटाहट दे रहा था। अब्बू के पहलवानी भरी बदन और चूतड़ों की 

ताकत के कमाल से उनके हर धक्के से उनके घोड़े जैस लन्ड की कुछ और इन्चें मेरी गांड में सरक रहीं थी। 

जब मैंने अब्बू की घुँघराली खुरदुरी झांटों की खुरच को अपने चिकने गुदगुदे नितम्बों पे महसूस किया तो मैं समझ गयी कि 

अब्बू ने किला फतह कर लिया था। उनका टेलीफोन के खम्बे जैसा मोटा लंबा लन्ड मेरी कुंवारी गांड में जड़ तक धंस गया 

था। 

मैं दर्द से बिलबिलाती हुई रो तो रही थी पर मेरे अंदर फिर भी एक अजीब से पथभ्रष्ट चाहत थी की अब्बू मेरी गांड खूब 

ज़ोर से मारें और मुझे दर्द से बेहोश कर दें। वासना में जलते हुए ना जाने मेरे दिमाग़ में कैसे कैसे ख्याल आने लगे थे। मैं

बस अब्बू के लिए उस रात को यादगार बनाना चाह रही थी। 
 
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१५१
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नसीम आपा और अब्बू ८ 
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अब्बू ने अपना पूरा लन्ड बाहर निकाल कर दो धक्कों में फॉर से मेरी जलती गांड में ठूंस दिया। मैं सुबकते हुए चीख उठी। पर 

अब्बू ने बिना हिचके जैसे मैंने उनसे वायदा लिया था वैसे ही हचक हचक मेरी गांड को कूटने लगे। 

ना जाने कितनी देर तक मैं दर्द से बिलबिलाती रोती सुबकती रही पर एकाएक मेरी गांड में से एक मज़े की लहर उठ चली। 

अब्बू ने भी उसे महसूस कर लिया। उन्होंने मेरे आंसुओं और बहती नाक से सने मुँह को अपनी ओर मोड़कर उसे अपनी लंबी खुरदुरी 

जीभ से चूसने चाटने लगे। उन्होंने मेरे फड़कती नाक के दोनों नथुनों को भी अपनी जीभ से कुरेद कुरेद कर मुझे मस्ती के आलम में 

और भी गहरे डूबा दिया। 

"हाय अल्लाह ! अब्बू ना जाने कैसे अब मेरी गांड में से मज़ा उठने लगा है ," मैं वासना के बदहोशी में बुदबुदायी। 

"नूसी बेटा इसमें अल्लाह नहीं अब्बू के लन्ड का हाथ है ," अब्बू ने अपने दांतों से मेरे कानों के लोलकियों को चुभलाते हुए कहा। 

"अब्बू ………… ऊ…………. ऊ …………….ऊ ……………….. ओऊ ………….फिर मारिये ना मेरी गांड 

………….ऊन्नह्ह्ह्ह्ह………….. ," मैं बिलख उठी आने वाली मस्ती की चाहत से। 

अब्बू अब दनदना कर मेरी गांड मारने लगे। मेरी चूचियां चटाई की रगड़ से दर्दीले मज़े से कुचली हुईं थीं। मेरा दाना अब्बू के हर 

धक्के से चटाई के दानों से रगड़ कर मचल उठता था। 

मेरा सारा बदन ना जाने कितने मज़े के असर से जल रहा था। 

अब्बू ने तब तक मेरी गांड की चुदाई की जो तेज़ कड़कड़ी बनाई वो घण्टे तक नहीं ढीली हुई। मैं तब तक ना जाने कितनी बार 

झाड़ गयी थी। आखिर मैं चीख मार कर बेहोश हो गयी। 

जब मुझे होश आया तो अब्बू मेरे बदन के ऊपर वैसे ही लेते हुए थे। उनके तन्नाया हुआ लन्ड उसी तरह मेरी गांड में धंसा हुआ था। 

"नूसी अब आपकी गांड मुझे आपका खूबसूरत चेहरा देखते हुए मारनी है ," अब्बी ने मेरी नाक को चूसते हुए कहा। 

"अब्बू आपकी बेटी की गांड और चूत तो अब आदिल के साथ साथ आपकी भी है। जैसे मर्ज़ी हो वैसे ही मारिये आप ," मैंने प्यार 

से कहा। 

अब्बू ने अपना लन्ड एक झटके से मेरी तड़पती गांड से निकल तो मैं दर्द से चीखे बिना नहीं रह सकी। 

उनका लन्ड मेरी गांड के रास से पूरा लिसा हुआ था। तुरंत घुटनों के ऊपर झुक कर इठला कर बोली , "देखिये ना अब्बू ना जाने 

किस रंडी लड़की ने मेरे अब्बू का लन्ड गन्दा कर दिया है ?"

"यह गन्दा नहीं बेटा जन्नत के ख़ज़ाने से लिसा हुआ है ,"अब्बू ने मेरे घुंघराले बालों को सहलाते हुए कहा। 

" चलिये जो भी हो मैं ही साफ़ कर देतीं हूँ अपने प्यारे अब्बू के प्यारे लन्ड को ," मैं अब्बू के प्यार भरे इज़हार से ख़ुशी से दमक 

उठी। 
 
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१५२
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नसीम आपा और अब्बू ९ 
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मैंने अब्बू के फड़कते हर लन्ड को चूस चूम कर उसकी हर इंच को बिलकुल साफ़ कर दिया। अब उनका लन्ड मेरे थूक से 

लिस कर चमक रहा था। 

अब्बू ने थोड़े बेसबरेपन से मुझे चित्त लिटा कर मेरी भारी जांघों को पूरे मेरे कन्धों की ओर मोड़ कर मेरी गांड बिस्तर से ऊपर 

उठा दी। फिर बिना देर किये मेरी अभी भी खुली गांड के छेद में अपने लन्ड का मोटा सुपाड़ा जल्दी से फंसा दिया। मैं जब 

तक कुछ समझ सकती अब्बू ने एक बार फिर प्यार भरी बेदर्दी से अपना सारा का सारा हाथी का लन्ड मेरी गांड में दो तीन 

धक्को से ठूंस दिया। 

मैं अब उतने दर्द से नहीं चीखी जैसे पहली बार चीखी थी। अब्बू ने मेरी जांघों को अपनी बाँहों पे डाल कर अपने हाथों से मेरे 

पसीने से लतपथ उरोज़ों को कस कर अपने बड़े मज़बूत हाथों से मसलते हुए मेरी गांड की तौबा बुलवाने लगे। उनका लन्ड 

एक बार फिर से मेरी गांड के रस लिस कर चिकना हो गया। मेरी गांड के मक्खन की चिकनाहट से अब्बू का लन्ड अब फिर 

से सटासट मेरी गांड में इंजन के पिस्टन की राफ्टर और ताकत से अंदर बाहर आ जा रहा था। मैं अब वासना से सुबक रही 

थी दर्द न जाने कहाँ चला गया। 

अब्बू जब गांड -चुदाई की ताल तोड़ दांत किसकिसा कर कई बार एक ही धक्के से मेरी गांड में अपना पूरा लन्ड उतार देते 

तो मेरी सिसकारियां कमरे में गूँज उठती। 

"अब्बू ऊ ……. ऊ …….. ऊ ……… ऊ ………..ऊ ………..ऊवनन्ननन …………. उंन्नन्नन्न ," मैं सिसकते हुए बुदबुदाई। 

मेरे झड़ने की लड़ी एक बार फिर से लंबी पहाड़ी जैसी ऊंची हो चली। 

मैं अब अब्बू के महालण्ड से अपनी गांड के लतमर्दन के आगे घुटने टिक कर बस अपनी मज़े में लोट पोट होने लगी। 

अब्बू का लन्ड अब फचक फचक की आवाज़ें निकलता मेरी गांड को कूट रहा था। 

अब्बू के गले से कभी कभी 'उन्ह उन्ह ' की आवाज़ें उबाल पड़तीं। अब्बू अब और भी कोशिश कर रहे थे अपने धक्कों में और 

भी ताकत लगाने की। मेरी गांड की तो पहले से ही शामत आ चुकी थी। 

पर उस शामत मेरी गांड और चूत में वासना का तूफ़ान उठ रहा था। मेरी चूत कसमसा कर बार बार झड़ रही थी। मैं अब 

सिसकने के सिवाय कुछ भी बोलने ने नाकामयाब थी। मेरी मस्ती अब्बू के लन्ड से उपजी वासना की आग से और भी परवान 

चढ़ रही थी। 

अब्बू ने उसी ताकत और रफ़्तार से मेरी गांड की चुदाई ज़ारी रक्खी जब तक मैं इतनी बार झाड़ चुचोद की थी की मेरे होश 

हवास उड़ गए। 

अब्बू ने मेरी हालात पर तरस खा कर अपनी चुदाई की रफ़्तार बड़ाई। इस बार अब्बू सिर्फ अपने मज़े के लिए मेरी गांड रहे 

थे। 

जब अब्बू का लन्ड मेरी गांड की गहराइयों में अपने गरम उपजाऊ वीर्य की बारिश करने लगा तो मैं एक बार इतनी ज़ोर से 

झड़ गयी कि पूरी तरह गाफिल हो चली। 

जब मैं थोड़े होशोहवास में वापस आयी तो अब्बू प्यार से मुझे चूम रहे थे। मैंने भी अपनी बाँहों को अब्बू के गले का हार बना 

दिया और उनके खुले मुँह में अपनी जीभ घुस कर उनके मीठे थूक का स्वाद चखने लगी। 

"अब्बू मेरी गांड का हलवा आपने पूरा मैथ दिया है। मुझे अब बाथरूम जाना है ,"मैं बेशर्मी से अब्बू को चिड़ा रही थी। 

"बेटा बाथरूम तो मुझे भी जाना है ," अब्बू मुझे गुड़िया की बाँहों में उठा कर खड़े हो गए। उनका लन्ड अभी भी मेरी गांड में 

ठुसा हुआ था। 

बाथरूम में जाते ही अब्बू ने कहा ,"नूसी बेटा अपनी गांड कस लो। पहली गांड की चुदाई का मीठा रस तो मैं नहीं छोड़ने 

वाला। " अब्बू की चाहत से मुझे और भी मस्ती चढ़ गयी। अब्बू मेरी गांड की कुटाई के बाद अपना वीर्य मेरी गांड से पीना 

चाह रहे थे। 

"अब्बू पता नहीं और क्या क्या निकल जाये मेरी गांड में से ," मैंने हिचकते हुए कहा। 

"नूसी बेटा आपकी गांड में से जो निकले वो मेरे लिए नैमत जैसे होगा ,"अब्बू ने अपना लन्ड निकल और मैंने गांड कस ली। 

मैंने अपनी गांड के छेद को धीरे धीरे खोल और मेरी गांड जो अब्बू के वीर्य से लबालब भरी थी ढीली होने लगी। 

अब्बू ने बिना हिचक सब कुछ सटक गए। 

फिर अब्बू ने मेरा सुनहरी शरबत पिया। अब मेरी बारी थी अब्बू के लन्ड को चूस चाट कर साफ़ करने की। 

जब मैंने अपनी गांड के रस और अब्बू के वीर्य से लिसे उनके लन्ड को बिलकुल साफ़ कर दिया तो मैंने उनके खारे सुनहरी 

शरबत की सौगात मांगी। 

बिना एक बून्द जाय किया मैंने अब्बू सारा शरबत गटागट पी गयी। 

"अब्बू मेरी गांड का रस मुझे भी बुरा नहीं लगा ,"मैंने अब्बू के मूँह को चूमते हुए कहा। 

"बुरा! नूसी बेटा मुझे तो किसिस मिठाई से भी ज़्यादा मीठा लगा इसीसलिए मुझे और भी चाहिए ,"अब्बू ने प्यार से मुझे 

चूमा । 

"तो फिर अब्बू आपको मेरी गांड फिर से मारनी पड़ेगी ," मैंने बेटी के प्यार से इठलाते हुए कहा। 

अब्बू ने जवाब में मुझसे जो माँगा तो मैं हैरत से भौचक्की रह गयी। पर अब्बू की आवाज़ में इतनी चाहत थी की मैं भी उनकी 

विकृत वासना की आग में जल उठी। 

अब्बू और मैंने जो किया वो मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगा। उस से मैं और अब्बू और भी करीब आ गए एक मर्द और औरत की 

तरह ही नहीं पर अब्बू और बेटी की तरह भी। 

कमरे में वापस आ कर अब्बू ने रात देर तक मेरी चूत और गांड को इतनी बार चोदा की मैं तो गिनती ही भूल गयी। जब मैं 

एक बार फिर से बेहोश हो गयी तभी अब्बू ने मुझे छोड़ा। 
 
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१५३ 
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वापस मौजूदा वक़्त में 
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नसीम आपा की अब्बू के साथ बितायी रात का ब्योरा सुन कर शानू और मैं बिलकुल गरम हो गए। हम दोनों ने नसीम आपा को दबा लिया 

और बारी बारी उनकी चूत और गांड को चाट चूस कर उनकी हालात और भी बिगाड़ दी। फिर हम तीनों नहाने के बाद दोपहर के खाने के 

बाद बाहर चल पड़े। बुआ जान की कार कड़ी देख आकर मुझे अपने आगे की योजना का ख्याल आया। मैंने नसीम आपा को समझाया। 

हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से शानू को उसके कमरे में भेजा और बुआ के बंगले की और चल दिए। 

नूसी आपा और मैंने सिर्फ एक ढीला ढाला काफ्तान पहना हुआ था। शबनम बुआ ज़रूर रात में देर से वापस आयी होंगीं। 

उनके घर की बावरचन बाहर ही मिल गयी। पूछने पर बोली , "मालकिन सुबह वापस आयीं हैं। थकी हुईं थी सो तुरंत सोने चलीं गयीं। 

अभी भी अपने बैडरूम में हैं। "

यह तो और भी अच्छा था। नूसी और मैंने एक दुसरे को बिना बोले शाबासी दी और शब्बो बुआ के कमरे की ओर तेज़ी से चल पड़े। 

शब्बो बुआ पूर्णतया नग्न बिस्तर अपनी बाहें फैला कर सो रहीं थीं। शब्बो बुआ का स्त्रीत्व नैसर्गिक सौंदर्य से नूसी आपा और मैं इतनी 

प्रभावित हो गयीं कि दोनों हतप्रभ हो उनके हुस्न के नज़ारे को अपनी सोखने लगीं। 

शब्बो खाला अकबर चाचू से तीन साल छोटीं थीं। पर उनकी शादी उनसे पाँच बड़े ममेरे भाई से सिर्फ सोलह साक ई उम्र में हो गयी थी। 

शब्बो बुआ और उनके ममेरे भाई के बीच में प्यार का बीज बुआ की कमसिन उम्र में हो चला था। 

बुआ का गुदाज़ सुडौल बदन तब तक और भी भर गया था। बेटे के जन्म के बाद उनका बदन भरता चला गया था। 

शब्बो बुआ का साढ़े पांच फुट से थोड़ा , शायद एक इंच , कम ऊंचा शरीर। उनके चेहरे की सुंदरता और फिर उनकी नैसर्गिक सुंदर 

नासिका बस उतने से ही कई लोग उन्हें घूरते रह जातें है। फिर उनकी गोल गदरायी भारी बाहें। उनकी काँखों में घने घुंगराले बाल। नूसी 

आपा उन सुंदर बगलों से कभी भी जीत नहीं सकती थीं। 

उनका सीना ज़रूर गोल और भरा-पूरा ४४ इंच था। और उसके ऊपर उनकी स्थूल भारी गुदाज़ मुलायम भारी भरकम उनके स्तन एच एच 

जैसे थे। उनकी दो तह वाली उभरी कमर अड़तीस-चालीस [३८-४०] के लगभग थी। पर उसके नीचे थे उनके तूफानी चूतड़। दोनों ओर फैले 

पीछे और बगल में , लगभग पचास इंच के तो होंगे। फिर उनकी बगलों में घुंगराले घने बाल, बहुत गहरी नाभि , भारी केले के तने जैसी 

जांघें और उनके बीच घुंघराली झांटों का झुरमुट जो उनकी रंगों के ऊपर और निचले पेट की शोभा भी बड़ा रहा था।

शब्बो बुआ का बदन बिलकुल शास्त्रीय या क्लासिक रेतघड़ी [ हावरग्लास ] की तरह था। 

उनका लगभग अस्सी किलो का वज़न उनके स्त्रीत्व के हर अंग को और भी सुंदर बना रहा था। उनका विपुल गदल शरीर और अविश्वसनीय 

सुंदर गोल भरा-भरा चेहरा किसी देवता के संयम को चुनौती दे सकता था। 

जैसे किसी माँ को बिना आँख खोले अपने बच्चों की मौजूदगी का अभ्यास हो जाता है उसी तरह शब्बो आपा को नूसी आपा और मेरी 

मौजूदगी का अभ्यास हो गया और उनकी लंबी पलकें खुल गयीं। 

"अरे लड़कियों इतनी दूर क्यों कड़ी हो। चलो कूद जाओं बिस्तर में अपनी खाला की बाँहों में ," शब्बो बुआ नम्रता चाची की तरह खुले 

व्यवहार और स्पष्ट विचारों की मालिक थीं। ठीक नम्रता चची की तरह बिंदास और समाज के पाखंड और ढोंग से अछूती। 

"और पहले यह सब काफ्तान उतारो। खाला के बिस्तर में खाला के जैसे बन कर आओ ,"जैसा मैंने अभी बताया शब्बो बुआ बिल्कुल खुली 

निष्कपट और स्पष्टवादी थीं। 

नूसी आपा और मैंने जल्दी से अपने काफ्तान उतार फैंके और बुआ की खुली बाहों में कूद कर लेट गयीं। 

बुआ ने हम दोनों को बारी बारी प्यार से कई बार चूमा , "चलो अब पूरा ब्यौरा दो कि मेरे पीछे क्या गुल खिलाये तुम दोनों ने?"

नूसी आपा जल्दी से हंस कर बोलीं,"लंबी कहानी है खाला। "

"लंबी है तो क्या हुआ। हम तीनो की कोई फ्लाइट तो निकल नहीं जाने वाली !"शब्बो आपा ने नूसी आपा के खुले हँसते गुलाबी होंठों को 

गहरे चुम्बन से ढक दिया। 
 
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१५४ 
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नूसी आपा ने मुस्कुराते हुए की घर के रिश्तों की तरक्की की कहानी बतायी ,"शब्बो खाला,पहले तो नेहा ने अपनी भैया और जीजू से खूब चुदवाया। 

और यह मेरे पीठ के पीछे हुआ। "

मैंने कुछ कहने के बारे में सोचा पर शब्बो बुआ ने मुझे चूम कर चुप कर दिया। 

नूसी आपा ने आगे बात बढ़ायी , "और अब आपकी छोटी भांजी ने भी अपना कुंवारापन का तोहफा जीजू को दे दिया है। दोनों रंडियों ने दो दिन खूब 

चुदवाया अपने जीजू से। "

"अरे नूसी मैं तो सोच रही थी कि कितना सब्र करेगा मेरा आदिल अपनी साली के सही रास्ते पे आने का। चलो नेहा ने यह तो बहुत अच्छा काम किया 

है, " शब्बो बुआ ने मेरे सख्त खड़े चुचुकों को बेदर्दी से मसलते हुए मेरो बड़ाई की। 

"खाला अभी पूरी बात मैंने कहाँ बतायी है। नेहा ने एक और अच्छा काम किया है। उसने सुशी खाला के कहने पे अब्बू का बिस्तर भी गरम किया है। मैं 

तो अब नेहा और भी प्यार करतीं हूँ मेरे अब्बू का खाया रखने के लिए ,"नूसी आपा धीरे धीरे असली बात पे आ रहीं थी और मुझे जल्दीऔर बेसब्री से 

खुजली होने लगी। 

"नूसी आपा आप कछुए की चाल से बात बता रही हैं ," मैंने नूसी आपा से गेंद छीन ली , "शब्बो बुआ , नूसी आपा और अकबर चाचू का भी मिलान 

हो गया है। कल रात चाचू रात नूसी आपा को दिल भर कर कूटा है। "

शब्बो आपा धक् रह गयीं ," नूसी बेटा यह तो बहुत अच्छा हुआ। मेरा दिल अकबर भाईजान के अकेलेपन से दर्द स भरा हुआ था। पर अब मैं उनके 

लिए बहुत खुश हूँ। लेकिन नूसी यह बता की मेरे आदिल का लन्ड भाईजान के मुकाबले कैसा है ? उतना ही लंबा मोटा है या अलग है?"

"हाय अल्लाह क्या बताऊँ खालाजान दोनों का लन्ड जैसे एक दुसरे के जैसे हैं। जैसे एक ही सांचे में ढलें हों। बस अब्बू के लन्ड पे मोटी मोटी नसें हैं 

और उनके लन्ड का रंग थोड़ा गाड़ा है । पर आदिल का लन्ड बिलकुल चिकन और थोड़ा ज़्यादा गोरा है ,"नूसी आपा की आवाज़ में अपने खाविंद 

और अब्बू के घोड़े जैसे लण्डों के ऊपर फख्र साफ़ साफ़ ज़ाहिर हो रहा था। 

पर मुझे अचानक जैसे बिजली की कौंध जैसा ख्याल आया , "पहले आप यह बताइये शब्बो बुआ आपको कैसे पता की अकबर चाचू के लन्ड के 

बारे में। आपने कब देखा चाचू का लन्ड। सच बताइये बुआ ,"मैंने अब शब्बो बुआ के दोनों चुचुकों को बेदर्दी से मसल दिया। 

"नेहा ठीक कह रही है। मैं तो अब्बू और आदिल के लन्ड ख्याल से बिलकुल गाफिल हो गयी थी। आपने कब देखा अब्बू का लन्ड बुआ। आपको अब्बू 

की कसम हकीकत ब्यान कीजिये बिना कुछ छोड़े," नूसी आपा की ट्यूब लाइट देर से जली पर जब जली तो चमचमा के। 

"अरे तुम दोनों प्यारी रंडियां मेरे बेटे और भाईजान से दिल खोल के चुदवा के अब कैसे वकीलों की तरह जिरह कर रहीं हैं ? "बुआ ने नूसी और मेरे 

स्तनों को ज़ोर से मसला और हँसते हुए कहा , "ठीक है। जैसे तुम दोनों ने सच सच बताया तो मुझे भी हकीकत बयान करनी पड़ेगी। "

"तुम दोनों को पता है कि मेरा निकाह जब की थी तो मेरे ममेरे भाई मुज्जफर से हो गया था। हम दोनों पहले महीने से ही बच्चे की तमन्ना से दिन 

रात मुझे पेट से करने की पूरी कोशिश करने लगे थे। जब तीन साल बाद अकबर भैया का निकाह की होने वाली थी। मैं और रज्जो भाभी पहले दिन 

से ही बहनों की तरह करीब आ गयीं थीं। और रज्जो भाभी खूब खुल कर पानी और भाईजान की चुदाई का खुला खुला ब्योरा देतीं थीं। मेरे खाविंद 

का लन्ड खूब मोटा और तगड़ा था करीब आठ इंच का पर रज्जो भाभी के प्यारे से मुझे पता चला की अकबर भाईजान का लन्ड तो छगोड जैसा लंबा 

और मोटा है। दो महीनों के बाद नूसी के नानाजान घोड़े से गिर गए थे और उनकी टांग टूट गयी थी। भाभी को अपने घर जाना पड़ा। अकबर भाईजान 

रज्जो भाभी को रात दिन चोदने आदत वो रज्जो के बिना भूखे सांड की तरह पागल थे। उन्होंने शाम होते ही खूब शराब पीनी शुरू कर दी। मुझसे 

यह देखा नहीं गया और मैंने रज्जो भाभी को फोन किया और भाईजान की हालात ब्यान की। "

बुआ ने गहरी सांस ली और फिर आगे बताने लगीं ," रज्जो भाभी ने कहा हाय अल्लाह शब्बो मैं क्या करूँ। अब्बू की टांग का आपरेशन होने वाला 

है। अब तो शब्बो तुम्हारी इमदाद से ही काम बनेगा। मैंने रज्जो भाभी से पूछा कि भाभी मैं कैसे मदद कर सकतीं हूँ। 

“ रज्जो भाभी ने मुझे समझाया देखो शब्बो मेरे नंदोई भी वतन से बहार है पिछले महीने से। भाभी ने ठीक कहा था तुम्हारे फूफा जान पिछले दो 

महीनो से यूरोप में थे। भाभी ने आगे कहा कि देखो शब्बो तुम्हारा बदन भी चुदाई के लिए जल रहा तुम्हारे भाईजान भी चुदाई के लिए पागल हैं। देखो 

शर्म लिहाज़ को ठोकर मारो और मेरे कपडे पहन कर कब अकबर तोड़े नशे में हो तब उनके पास चली जाना। कमरे की बिजली धीमी कर देना और 

देखना कितनी आसानी से अकबर तुम्हें मुझे समझ लेंगें। मैं थोड़ी देर तो शर्म से घबराई पर भाईजान के प्यार की फतह ने मेरी शर्म को मेरे दिमाग से 

बाहर धकेल दिया।”
 
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