Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex - Page 6 - SexBaba
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Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex

भाभी की चूत चुदाई की प्यास

जब मैं कॉलेज से वापस आया तो कम्मो मुझको बैठक में मिली और बोली- भाभी तुम्हारा खाने पर इंतज़ार कर रही है।
कम्मो खाना लेने रसोई गई ही थी कि भाभी बैठक मैं आ गई और आते ही मुझको एक बहुत प्रगाढ़ आलिंगन दिया और मेरे होटों पर चुम्मी दी।
वैसे ही मैंने उनका स्वागत किया और पूछा- क़ैसी हो भाभी जान? नीचे ऊपर सब ठीक है ना?
भाभी ज़ोर से हंस दी और बोली- ऊपर तो ठीक है लेकिन नीचे अभी भी कुछ कुछ हो रहा है।
मैं भी शरारत भरी मुस्कान के साथ बोला- लगता है कि नीचे का कोटा अभी पूरा नहीं हुआ शायद!
भाभी भी शर्माते हुए बोली- कहाँ होगा लला, बरसों की प्यास है, ऐसे थोड़ी ही जायेगी।
मैं बोला- भाभी जान, आप फ़िक्र ना करो, अब मैं आ गया हूँ आपकी प्यास यूँ ही मिट जायेगी देखती जाओ. वो कम्मो से आप की बात हुई क्या?
कम्मो कमरे में आते हुए कहा- पूरी बात हो गई है छोटे मालिक, सुना है रात में आपकी काफी चुदाई हुई है क्या?
मैं बोला- तुम को कैसे पता चला?
कम्मो बोली- वो रेडियो पर खबर थी और अखबार में भी छपा है यह सब!
भाभी और मैं बड़े ज़ोर से हंस दिए।
मैं बोला- सच्ची? कहीं हम दोनों की फ़ोटो तो नहीं छपी न?
कम्मो बोली- हाँ छपी है और दिखाया है कि गाय सांड पर चढ़ी हुई है और बेचारा सांड टाएँ टाएँ फिस हो रहा है।
भाभी और कम्मो बड़ी ज़ोर ज़ोर से हंस रही थीं।
!
मैं बोला- भाभी जान के लिए क्या ख़ास बनाया है पारो ने?
भाभी बोली- पारो कह रही थी कि हमारे घरेलू सांड को बहुत मेहनत करनी पड़ती है सो सांड और साँडनी के लिए कुछ ख़ास बनाया गया है।
मैं बोला- मैं इतने दिनों से कई गायों की सेवा कर रहा हूँ और मेरे लिए कुछ ख़ास नहीं बनाया गया है।
कम्मो बोली- आज आपको फिर पाये का सूप यानि पाये का शोरबा पीना पड़ेगा ताकि आप का लंडम षंडम लम्बा और मोटा हो जाए हमारे ख़ास मेहमान के लिए!
बस इसी तरह हंसी मज़ाक में खाना हो गया और फिर भाभी और कम्मो मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई।
वहाँ कम्मो ने बताया- मैंने भाभी को समझा दिया है कि भैया को एक पूर्ण पुरुष बनाया जा सकता है यदि भाभी साथ दे तो! भाभी का चेकअप किया है और वो बिल्कुल नार्मल है और भैया द्वारा ही गर्भवती हो सकती है यदि कोशिश की जाए तो!
मैं बोला- तो भैया में जो कमी है वो कैसे पूरी करोगी?
कम्मो बोली- मैंने भाभी को समझा दिया है कि क्या दवा देनी है और कैसा भोजन देना है। कल जब भैया वापस आएंगे तो भाभी उनको समझा देगी और ज़रूरत पड़ी तो चुदाई का असली तरीका भी दिखा दिया जाएगा।
मैं चौंकते हुए बोला- वो कैसे संभव है यार?
भाभी बोली- अगर तुम तैयार हो तो तुम और कम्मो हम दोनों के सामने चुदाई करके दिखाओगे? और भैया को समझा दोगे कि चुदाई का सही तरीका क्या है?
मैं कुछ परेशान हो कर बोला- अरे वाह, यह कैसे संभव है? मुझको शर्म आएगी भैया के सामने!
कम्मो बोली- कल रात एकदम अनजान भाभी के सामने उनको चोदते हुए शर्म नहीं आई आपको छोटे मालिक?
मैं बोला- देखो कम्मो, भाभी एक औरत है और क्योंकि वो मुझको चोद रही थी इसलिए मैं तो काफी देर सारी रात की चुदाई को एक सपना मात्र ही समझता रहा। वो तो मुझको काफी देर बाद पता चला कि मैं तो चुद गया हूँ और मुझको चोदने वाली मेरे ऊपर ही बैठी है!!!!
कम्मो और भाभी हंसी के मारे लोटपोट हो रहीं थी।
तब कम्मो बोली- वाकयी में भाभी ने बड़ी बहादुरी का काम किया। शेर को शेर के पिंजरे में ही हरा दिया। खैर वो तो छोड़ो, अब भैया को सिखाना है सही तरीका चुदाई का… वो कैसे करें?
भाभी बोली- सोमू ही कर सकता है यह काम और वो डर के मारे आगे नहीं आ रहा! सोमु तुम ही बताओ कैसे करें अब?
मैं बोला- अभी काफी टाइम है यह सब सोचने का, चलो पहले हो जाए थोड़ी चुदाई भाभी और कम्मो के साथ!
भाभी फ़ौरन मान गई और कम्मो पारो को बता आई कि हम सब चुदाई कार्यक्रम में लगे हैं तो किसी को अंदर मत आने देना। 
सबसे पहले भाभी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किये और जब मैं नंगा हो गया तो काफी देर वो मुझको देखती रही। मेरा लंड तो तना हुआ ही था, वो उसको हाथ में लेने लगी तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और उनके कपड़े उतारने लगा।
उधर कम्मो भी अपने कपड़े उतार रही थी।
जैसे ही भाभी पूरी नंगी हो गई, कम्मो उसकी सफाचट चूत को हाथ से सहलाने लगी।
कम्मो और मैंने भाभी के नंगे जिस्म को भरपूर निगाहों से देखा, बहुत ही सुन्दर और सुगठित शरीर था भाभी का सिवाये उस की सफाचट चूत का, जो चूत लगती ही नहीं थी, वैसे भी चूत के स्थान पर बाल इसीलिए बनाये गए थे ताकि उस जन्मजननी स्थान को उजागर किया जाए, बालों के बिना वहाँ कुछ भी नहीं दिखता है सिवाए एक पतली सी लाइन के!
मैं और कम्मो जल्दी से भाभी के सुंदर भागों पर अपना कब्ज़ा ज़माने की होड़ में लग गए। मैंने भाभी के मम्मों पर कब्ज़ा जमा लिया और कम्मो भाभी के चूतड़ों पर काबिज़ हो गई।
मैं बड़े प्यार से उसके काले चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा और उसके मोटे गोल उरोजों को छूने और सहलाने लगा।
भाभी के काले घने बाल बहुत लम्बे और रेशमी लग रहे थे।
भाभी ने मेरे खड़े लंड को दोनों हाथों में पकड़ रखा था और उस की हल्की हल्की मुठी मार रही थी।
कम्मो ने भाभी में अपनी ऊँगली डाल रखी थी और उसकी भग को मसल रही थी।
भाभी भी दोनों हाथों का आनन्द ले रही थी।
तभी कम्मो ने कहा- भाभी तैयार है!
और तभी भाभी और मुझको एक सख्त आलिंगन में ले लिया, हम दोनों को बिस्तर पर ले गई, पहले उसने भाभी को लिटा दिया और मुझको भाभी की चौड़ी हुई टांगों में बैठने का इशारा किया और मैं लेकर वहां बैठ गया और धीरे से लंड को चूत के मुंह और उसकी भग से रगड़ने लगा।
थोड़ी देर में भाभी की अति गीली चूत के ऊपर लंड घिसाई करता रहा और फिर लंड को चूत के ऊपर रख कर हल्का धक्का दिया और लंड सारा का सारा अंदर चला गया भाभी ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के चारों ओर फैला दी।
अब मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा।
भाभी के रसीले होटों को चूमना और उसके गोल उभरे हुए गालों को किस करना एक अपना ही आनन्द देता था।
गर्म भाभी ने गर्मजोशी दिखाते हुए नीचे से ही कमर उठा उठा कर चुदाई में साथ देना शुरू कर दिया।
ऐसे में भाभी जल्दी ही छूट गई लेकिन फिर तैयार हो गई।
अब मैंने पोजीशन बदल दी, उनको उठाया और अपनी गोदी में ले लिया और उसकी उभरी हुई चूत में मोटा लंड डाल दिया।
वो भी मुझ से पूरी तरह से चिपक गई। 
उधर कम्मो भाभी की आनंद में वृद्धि करते हुए उसके पीछे बैठ गई और हम दोनों को एक सख्त जफ़्फ़ी डाल कर हमको पूरा ही चिपका दिया।
मैं लंड चूत में डाल कर बैठा था लेकिन कम्मो भाभी की गांड को हाथ से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
भाभी मेरे और कम्मो के बीच में फंसी हुई थी और जैसे कम्मो चाहती थी वैसे ही हम दोनों को करना पड़ता था।
अब भाभी की चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया था तो मैंने कम्मो को आँख का इशारा किया और वो अब तेज़ी से भाभी की गांड को आगे पीछे करने लगी।
फिर भाभी ज़ोर की ‘हाय मैं गई…’ कह कर मेरे साथ और चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दोहने लगी।
फिर उसने अपना सर मेरी छाती में रख दिया और अपने शरीर की कम्पन से मेरे लंड को जीत की ख़ुशी दे दी।
अब मैंने भाभी को लिटा दिया और उसके पीछे बैठी कम्मो को निशाना बना दिया और जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी।
भाभी मेरे इस हमले को देख रही थी और कम्मो के मम्मों को उँगलियों से मसल रही थी। क्यूंकि कम्मो चुदाई देख रही थी तो वो बहुत ही गर्म हुई हुई थी, वो भी चंद धक्कों के बाद झड़ गई और मुझको बैठे हुए ही अपने से चिपका लिया।
कम्मो ने ज़रा हट कर मेरे गीले लंड को अपनी चूत से निकाला और उसको हैरानी से देखने लगी।
मैंने पूछा- क्या देख रही हो रानी?
कम्मो बोली- आज यह कुछ और भी लम्बा और मोटा हो गया है।
भाभी ने भी मेरे लंड को हाथ में लिया और कहा- यह रात से तो और मोटा और लम्बा हो गया है कम्मो, यह कैसे?
कम्मो हँसते हुए बोली- यह सब मेरी खुराक का कमाल है, आप आगे आगे देखिये, मैं छोटे मालिक के लंड को लोहे का हथोड़ा बना दूंगी, सख्त सख्त चूत को फाड़ कर रख देंगे यह!
हम सब हंस पड़े।
तब कम्मो ने भाभी से पूछा- और चुदाना है क्या?
भाभी हँसते हुए बोली- नहीं कम्मो रानी, इतना ही काफी है, और फिर रात भी तो है अपने पास!
मैं और भाभी एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर सो गए थोड़ी देर के लिए, मैं भाभी के मोटे मम्मों को बड़ी ललक से देख रहा था और बार बार उनको चूस भी रहा था।
लेकिन मेरे दिमाग में ‘भैया को कैसे मनाएँगे’ का प्रश्न ही चल रहा था। फिर मैंने सोचा भैया को मनाने का काम सिर्फ भाभी का है और किसी का नहीं… तो भाभी को पूरी कोशिश करनी होगी भैया को राज़ी करने में!
यह ही सब सोचते हुए मैं गहरी नींद में सो गया।
जब उठा तो भाभी जा चुकी थी, सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझको क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आप की मर्ज़ी होगी वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चलाक लोमड़ी हो! चलो जब मौक़ा आएगा तो देखेंगे।
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
[size=large]भाभी के साथ मस्ती की चूत चुदाई
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जब उठा तो भाभी जा चुकी थी सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी चूत लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझ को क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आपकी मर्ज़ी होगी, वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चालाक लोमड़ी हो! देखो कम्मो, आज तक तुमने मेरे लिए कई औरतों का इंतज़ाम किया और कभी कोई ऐतराज़ नहीं उठाया तो अगर तुमको भी कोई मर्द पसंद कर लेता है तो मुझको ख़ुशी ही होगी। क्यों मैंने ठीक कहा न?
कम्मो ज़ोर से हंस दी और बोली- छोटे मालिक, आपकी उम्र तो ज़्यादा नहीं है लेकिन आप बात बड़ी ही सुलझी हुई करते हो!
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
मैंने बात छेड़ते हुए कहा- भाभी कल रात जब आप मेरे कमरे में आई तो क्या आपको किसी किस्म की झिझक हुई थी? यानि अगर मैं जाग जाता हूँ तो कहीं शोर न मचाऊँ? ऐसा आपने सोचा था क्या?
भाभी बोली- हाँ सोमू, मैं पहले बहुत डर गई थी यह सोच कर कि न जाने सोमु क्या कहे? कहीं शोर न मचा दे या फिर मुझको बुरा भला न कहने लगे? लेकिन तुम्हारा खड़ा लंड देखा तो मन पक्का कर लिया कि आज इस छोकरे को तो चोद ही दूंगी, बाद की बाद में देखी जायेगी।
मैं बोला- अच्छा भाभी, आप में इतनी हिम्मत है क्या?
भाभी बोली- वो क्या है सोमू, तुम्हारे पयज़ामे का टेंट इतना ऊंचा खड़ा था कि मेरा पहले मन हुआ कि देखूँ कि क्या छुपा रखा है पायज़ामे में? जब अंदर घुस कर मैंने अपना मुंह नीचे करके पायजामा सरकाया तो तुम्हारा लंड ज़ोर से मेरे मुंह पर आकर लगा। पहले तो मैं हैरान हुई कि यह क्या लगा मुझको, लेकिन जब मैंने तुम्हारे लंड को लहराते देखा तो मुझको गुस्सा आ गया कि इस छोटे छोकरे की इतनी हिम्मत कि मुझको अपने लंड से थप्पड़ मारे!
मैं और कम्मो हंसी के मारे लोटपोट हो गए मैं बोला- फिर क्या हुआ?
भाभी बोली- फिर क्या था, मैंने अपनी नाइटी ऊपर उठाईं और तुम्हारे लंड पर धीरे से बैठ गई, मेरी चूत तो गीली हो रही थी, उसके मुंह पर रखते ही वो इसको पूरा का पूरा अपने अंदर निगल गई।
मैं और कम्मो बड़े ध्यान से सारी बात सुन रहे थे, भाभी की बातें सुनने के बाद मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों न भाभी वाली कहानी फिर से दोहराएँ भैया के साथ?
मैंने कम्मो और भाभी को भी यह बात बताई, मैंने कहा- जब भैया आ जाएँ, उस रात आप तो भैया के साथ सोयेंगी। इधर मैं और कम्मो अपने कमरे में सो जाएंगे। भैया के सोने के ठीक एक घंटे बाद तुम उनको जगा देना कि कुछ अजीब आवाज़ें आ रही हैं, उठो चल कर देख तो लो। भैया को लेकर जैसे ही तुम बाहर निकलोगी तो हमारे कमरे से ‘अह्ह्ह उह्ह्ह’ की आवाज़ें आ रही होंगी। तुम भैया को लेकर हमारे कमरे में आ जाना जहाँ कम्मो को मैं चोद रहा हूँगा और वो ज़ोर ज़ोर से आह उह्ह कर रही होगी। 
कम्मो बोली- यह ठीक है, ऐसा करने से भाभी के ऊपर भी बात नहीं आएगी और हम चुदाई का पहला पाठ भी भैया को पढ़ा देंगे, क्यों भाभी?
मैं बोला- लेकिन भाभी, भैया अंदर आने से ज़रूर कतराएँगे कि किसी के चुदाई में दखल मत दें लेकिन आपको उनका हाथ पकड़ कर अंदर लाना होगा और एक और चुपचाप खड़ा कर देना होगा।
भाभी बोली- यह मैं कर लूंगी। और हो सका तो उनके बैठे हुए लंड को हाथ से खड़ा करने की कोशिश ज़रूर करूंगी।
मैं उठा और झट से भाभी को एक ज़ोरदार किस कर दी होटों पर और फिर कम्मो को भी होटों पर किस की और कस कर एक जफ़्फ़ी भी डाली।
हमारा यह प्लान तो बन गया और अब भैया के आने की इंतज़ार करने लगे।
उस रात को मैंने और कम्मो ने भाभी को हर तरह से चोदा, कभी घोड़ी, कभी गोद में उठा कर और कभी गोद में बिठा कर कभी आगे से और कभी पीछे से यानि कोई भी पोजीशन नहीं बची जिससे हम दोनों ने भाभी को न चोदा हो।
सुबह होने तक भाभी निढाल हो चुकी थी और कहने लगी- मेरी तो पूरी तृप्ति हो गई, सारे जीवन में ऐसी चुदाई नहीं हुई। 
फिर कम्मो ने भाभी को धर दबोचा कभी वो नीचे और कभी भाभी नीचे, यहाँ तक भाभी ने हाथ जोड़े- बस बाबा, अब और नहीं।
फिर हम तीनों एक दूसरे को जफ़्फ़ी डाल कर सो गए।
रात को जब भी मेरी नींद खुलती तो मैं दोनों की चूत में ऊँगली डाल कर देखता था कि कौन सी ज़्यादा गीली है।
जो भी ज़्यादा गीली होती उस चूत पर चढ़ जाता था और जब तक वो छूट नहीं जाती थी तब तक उसको चोदता रहता था।
उसके बाद मैं लंड को कम्मो की चूत में पीछे से डाल कर सो जाता था।
सुबह मेरी नींद तब खुली जब शायद कम्मो मेरे लिए चाय लेकर आई थी, तब तक भाभी जा चुकी थी अपने कमरे में!
मैं बाहर निकला और चुपके से भाभी के कमरे की तरफ चला गया। भाभी शायद बाथरूम में नहा रही थी। मैंने बाथरूम का हैंडल घुमाया तो खुला हुआ था, मैं दरवाज़ा खोल कर चुपके से अंदर आ गया, देखा कि भाभी मुंह पर साबुन लगा रही थी और उसको पता नहीं चला कि मैं अंदर आ गया हूँ।
अभी साबुन लगाते हुए वो उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी दूर चला गया और भाभी बंद आँखों से ही हाथ इधर उधर करके उस को ढूंढने लगी।
मुझको शरारत सूझी और मैंने साबुन को पकड़ा और भाभी के हाथों में दे दिया।
पहले तो भाभी कुछ नहीं समझी लेकिन फिर जब समझ आई तो झट से बोल पड़ी- कौन अंदर आया है?
भाभी पानी डालने के लिए लोटा ढून्ढ रही थी वो मैंने हटा दिया और उसकी जगह अपना खड़ा लंड निकाल कर भाभी के हाथ में दे दिया।
भाभी तो पहले परेशान हो गई कि यह क्या चीज़ हाथ में आ गई, लेकिन वो जल्दी ही संभल गई और पहचान गई कि यह सोमु का लंड है।
उसने झट उसको अपने मुंह में डाल दिया और उसको चूसने लगी हालांकि उसकी आँखें बंद ही थी।
अब मैंने उसके मुंह पर पानी का लोटा डाला तो सारा साबुन साफ़ हो गया और भाभी ने आँखें खोली और मुझको देखा तो एकदम से खुश हो गई, उसने मेरे को अपनी नंगी छातियों से चिपका लिया और मेरा पायजामा भी खींच कर उतार दिया और कुरता भी उतार दिया।
अब हम दोनों नंगे हो गए और एक दूसरे को नहलाने लगे।
मैंने भाभी को फिर से साबुन लगा दिया और उसको मल मल कर नहलाने लगा। थोड़ा सा साबुन उसकी चूत में भी लगाया और ज़ोर से रगड़ा।
भाभी ने भी मेरे लौड़े को भी साबुन से साफ़ किया, फिर नंगी भाभी ने मुझको भी नहलाया और छोटे बच्चे की तरह से मेरा हर अंग साफ़ किया।
अब जब मैंने नंगी भाभी को पुनः देखा तो मेरा लंड एकदम से अकड़ गया और मैंने भाभी को दीवार के ऊपर हाथ रख दिए और फिर पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसकी मस्त चुदाई शुरू कर दी।
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थोड़ी देर ऐसी चुदाई के बाद ही मैंने भाभी को सीधा खड़ा किया और उसकी एक टांग को अपने ऊपर लेकर लंड को चूत में डाल दिया। 
काफी देर ऐसे चोदने के बाद भाभी काफ़ी तीव्र रूप से झड़ गई और मुझको अपने से लिपटा कर ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी और हाय हाय करने लगी।
मैंने भाभी को कस कर अपने से लिपटाये रखा, जब वो थोड़ी शांत हुई तो मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया।
भाभी बोली- सोमू यार, तुम तो मुझको बिगाड़ कर ही रख दोगे, अब तुम्हारे बिना मैं कैसे जी पाऊँगी, उफ़्फ़, क्या चुदाई है तुम्हारी।
फिर हम एक दूसरे का जिस्म सुखाते हुए बाहर निकले और सामने ही कम्मो को मुस्कराते हुए पाया।
हम दोनों को नंगा देख कर वो भी बड़ी खुश हुई और झट से मुझको बड़े तौलिये में ढक कर मेरे कमरे में ले आई।
कम्मो ने आते ही कहना शुरू कर दिया- छोटे मालिक, आपने इतना बड़ा रिस्क लिया। कहीं भैया आ जाते तो? और आपने कॉलेज नहीं जाना था आज?
मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
[size=large]कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।
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भैया भाभी का चूत चुदाई खेल
मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।
शाम होते ही भैया भी वापस आ गए, जब वो नहा धोकर फ्रेश हो गये तो मैं बैठक में जा कर बैठ गया।
भैया से उनका हाल चाल पूछा और ‘कैसा रहा उनका ट्रिप…’ ये बातें होती रहीं।
फिर कम्मो चाय ले आई हम सबके लिए, भाभी सबको चाय देने लगी और थोड़ा सा नाश्ता भी किया।
फिर भैया आराम करने की खातिर अपने कमरे में चले गए और भाभी फिर बैठक में आ कर बैठ गी।
तब कम्मो ने भाभी को कहा कि आज रात को भैया को नींद की गोली मत खाने देना वरना सारा प्लान चौपट ही जाएगा। 
रात को भैया और हम सबके लिए पारो ने पाये का शोरबा बनाया था और साथ में बटेर का मीट बनाया था और जाफरानी पुलाव के साथ मखनी दाल बनाई थी उसने!
भैया खाने के बाद बोले- मज़ा आ गया, आज से पहले कभी इतना स्वादिष्ट खाना नहीं खाया।
भाभी भी बोली- वाकयी इतना लज़ीज़ खाना आम तौर पर नहीं मिलता।
पारो को बुला कर भाभी भैया ने खाने की बड़ी तारीफ की। फिर कोकाकोला पी कर हम सब अपने कमरों में चले गए।
भाभी जाते हुए आँख मार गई कि सब प्लान के मुताबिक चल रहा है।
कम्मो दरवाज़े बंद करके मेरे कमरे में आ गई, उसने बताया कि आज खाना खाते वक्त भैया ने उसके चूतड़ पर हाथ फेरा था और हल्के से आँख भी मारी थी।
कम्मो ने यह भी बताया कि जब से वो आये हैं, उसको अजीब नज़रों से देख रहे हैं।
मैंने कहा- कम्मो रानी, भैया तुम पर आशिक हो गए हैं और वो आज रात तुमको चोदने की कोशिश करेंगे।
यह कह कर मैंने कम्मो को अपनी तरफ खींच लिया और उसके लबों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दे दिया।
कम्मो बहुत खुश हो रही थी कि चलो भैया की मदद हो जायेगी।
फिर हम दोनों ने धीरे धीरे एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये और मैंने कम्मो के मोटे मम्मों को चूसना शुरू किया। कम्मो के मम्मे मेरे द्वारा रोज़ चूसे जाने के बाद भी ज़रा भी ढीले नहीं पड़े थे और वैसे ही सख्त और सॉलिड बने हुए थे।
इसी तरह उसके मोटे और गोल चूतड़ भी सख्त और मोटे थे, उसको नंगी देख कर कोई भी मर्द जिसके लंड में दम है, उसके लिए पागल हो जाये।
वो ज़रूर अपने मम्मों की ख़ूबसूरती को बढ़ाने और क़ायम रखने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तमाल करती होगी।
मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी बालों से भरी चूत को चाटने लगा, उसके भग को जीभ से गोल गोल चूसने लगा।
कम्मो के चूतड़ अपने आप ही मेरे मुंह को घेर रहे थे और उसको दबा रहे थे।
मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के अंदर भी डाल दी और ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा।
जब कम्मो एकदम मस्त गीली और तड़फड़ाने लगी, तभी मैंने अपने हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख दिया और उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और अपने लंड को उसकी खुली चूत के अंदर धकेल दिया।
अब वो मेरे हाथों को झूला बना कर अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और खूब मस्ती से मुझको चोदने लगी, मैं भी उसको उठा कर कमरे के बाहर तक ले आया यह देखने के लिए कि भाभी भैया क्या कर रहे हैं।
तभी भाभी के कमरे का दरवाज़ा खुला और भाभी अचानक सामने आ गई, हमको इस तरह चुदाई करते देख के वो फिर कमरे में जल्दी चली गई और खूब हँसते हुए फिर आ गई, आते ही पूछा- यह क्या हो रहा है बच्चो?
मैंने कहा- भाभी, कम्मो कह रही थी कि झूला झूलना है तो मैं इस छोटे बच्चे को झूला झूला रहा था।
भाभी मेरे कमरे में आकर बहुत ज़ोर से हंसी और बोली- झूला छोड़ो और प्लान के मुताबिक ज़ोरदार चुदाई की आवाज़ों को निकालो नहीं तो मेरा मियां तो गहरी नींद में सो जायेगा।
मैंने कम्मो को बिस्तर पर पटक दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ कर अपने लम्बे लंड को कम्मो की चूत में फिर से डाल दिया और ज़ोरदार चुदाई करने लगा।
कम्मो ने भी ‘हाय हाय मर गई रे… फाड़ देगा ससुरा हमार चुतऱिया को… ऊह्ह ओह्ह्ह… हाय हाय…’ थोड़ी देर ही ऐसे आवाज़ें निकाली।
भाभी भैया को हाथ से पकड़ कर ले आई हमारे कमरे में, हम दोनों ने चुदाई क्रम जारी रखा और मैं और भी ज़ोर ज़ोर के धक्के मारता रहा।
मैंने चोर आँखों से देखा कि भैया की नज़रें तो कम्मो के नंगे जिस्म पर अटकी हुई थी और उसकी चूत में जा रहे मेरे लंड को ही देख रहीं थी।
भाभी ने भैया का पायजामा नीचे खिसका दिया था और भैया के खड़े लंड को पकड़ रही थी।
भैया ने अपना लंड भाभी के हाथ से छुड़ा लिया और खुद ही उसकी मुट्ठी मारने लगे थे। यह देख कर मैं कम्मो के ऊपर से उठ गया और पलंग के नीचे आ गया।
भैया ने आव न देखा ताव और झट से कम्मो की खुली चूत में अपना लंड डाल दिया जो 5- 6 इंच लम्बा था और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे।
कम्मो ने अपने टांगें बंद कर ली और भैया से कहा- धीरे धीरे करो आप!
और जब भैया थोड़ा आहिस्ता हुए तो उसने धीरे धीरे अपनी टांगें पूरी खोल दी।
भाभी ने भैया की कमर पकड़ ली और उनको स्पीड तेज़ नहीं करने दी।
उधर मैं अपना तना हुआ लंड भाभी की नाइटी को ऊपर उठा कर पीछे से उसकी उभरी हुई चूत में डाल दिया और धीरे से धक्के मारने लगा।
कम्मो ने भाभी को इशारा किया कि भैया की कमर को छोड़ दें।
अब कम्मो ने धीरे से अपनी चूत की पकड़ को तेज़ किया और भैया उस हिसाब से अभी भी धीरे धक्के मार रहे थे।
तब कम्मो नीचे से चूतड़ हिलाने लगी और भैया की हर धक्के का जवाब देने लगी।
मैंने भाभी को बाकायदा तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया। भाभी बेतहाशा गीली हो चुकी थी और वो भी घोड़ी बन गई थी, उन्होंने अपने दोनों हाथ पलंग पर रख दिए थे और पीछे से मैं खड़ा होकर उनकी ज़ोरदार चुदाई कर रहा था।
उधर देखा कि भैया अब काफी तेज़ी से कम्मो को चोद रहे थे और कम्मो भी झड़ने के करीब पहुँच गई थी। इधर भाभी एक बार झड़ चुकी थी और दूसरे झड़ाई की तैयारी में थी।
भाभी भैया की चुदाई को बड़े ध्यान से देख रही थी और काफी खुश लग रही थी कि भैया इतनी देर कम्मो की चूत में टिक गए थे।
फिर भैया एक ज़ोरदार हुंकार भर कर कम्मो की चूत के अंदर झड़ गए और उसके ऊपर पसर गए, उनकी आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से सांस ले रहे थे।
कम्मो उनके नीचे से उठी और उसकी जगह भाभी लेट गई।
जब भैया ने आँखें खोली तो बगल में भाभी को पाया।
यह देख कर कर वो थोड़ा चकराए फिर संयत होते हुए बोले- तुम कहाँ से आ गई सुमी डार्लिंग, मैं तो कम्मो को चोद रहा था ना?
!
भाभी बोली- हाँ वही तो, आप इतना बढ़िया चोद रहे थे उसको, कि बेचारी का दो बार छूट गया। ऐसा तो आपने कभी किया ही नहीं मेरे साथ?
यह कहते हुए भाभी भैया के लंड के साथ खेल रही थी और थोड़ा ही उसको छेड़ने पर ही भैया का लंड एकदम तन गया और भाभी एकदम से उस पर चढ़ बैठी और भैया को ऊपर से चोदने लगी।
भैया का आत्मविश्वास जागृत हो गया और वो अब मज़े से भाभी को चोदने लगे कभी धीरे और कभी तेज़, भाभी का जल्दी अपने पति के साथ भी छूट गया और भैया का भी उनके अंदर छूट गया।
दोनों बड़े प्रसन्न हो गए।
फिर कम्मो बोली- भैया को अब अगला कदम सिखाना है कि कैसे वो अपने पर पूरा कंट्रोल रख सकते हैं। भाभी और भैया आप मुझको और छोटे मालिक को चोदते हुए देखेंगे। जब भी भैया, आपका खड़ा हो जाये, छोटे मालिक मेरे ऊपर से हट जाएंगे और आप उनकी जगह ले लेना। ठीक है? कोई ऐतराज़ तो नहीं किसी को?
फिर मैंने और कम्मो ने बढ़िया चुदाई का खेल खेला और बीच में ही भैया अपने खड़े लंड को लेकर मुझ पर चढ़ गए और मैं भाभी पर चढ़ गया। कम्मो भैया को तेज़ और फिर आहिस्ता चोदने की कला सिखाने लगी और उनको जैसे ही उनका छूटने वाला होता तो एकदम रोक देती और फिर धीरे से फिर चुदाई का खेल शुरू कर देती।
कम्मो ने भैया के साथ यह खेल 3-4 बार किया और उनको छूटने से हर बार रोक दिया।
अब भैया को इतना आत्मविश्वास हो गया था कि वो जब चाहे तेज़ और जब चाहे आहिस्ता चुदाई कर सकते थे।
फिर कम्मो ने भैया को भाभी के साथ भिड़ा दिया और दोनों ‘रोको और फिर चलो’ का खेल बड़ी अच्छी तरह से खेलने लगे।
भैया हैरान थे कि उनका इतनी देर कैसे रुक गया।
[size=large]अंत में कम्मो ने मुझको और भाभी के साथ यही खेल करने के लिए कहा, इस खेल की डायरेक्टर कम्मो ही थी, उसने कहा- छोटे मालिक भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे क्योंकि इस अवस्था में चूत लंड को सख्ती से पकड़ कर रखती है और गाय की तरह दूध दोहती है लंड से!
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मैंने भाभी को ऐसे ही चोदा और कम्मो ने भाभी को चूत को सिकोड़ना भी बताया और कैसे लंड से दूध निकालते हैं वो भी सिखाया।
भाभी इस सारे काण्ड में 4-5 बार झड़ गई थी।
कम्मो हम सबके लिए ख़ास तौर से बनाया हुआ दूध ले कर आई जिसको पीकर हम सब में एक नया जोश भर गया।
भैया ने ख़ास तौर पर कहा कि कल वो कम्मो के साथ यही सबक दोबारा खेलेंगे।
फिर हम सब काफी थक चुके थे तो वो हम सब फर्श पर गद्दे बिछा कर एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
अगले दिन हम सब उठे और रात की ग्रुप चुदाई से सभी काफी खुश थे, सबके दिलों के अरमान पूरे हो चुके थे।
कम्मो ने हम सबको मेरे कमरे में ही चाय-वाय पिलाई। 
भैया भाभी को चूम रहे थे और भाभी मेरे लौड़े से अठखेलियाँ कर रही थी और मैं भी उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों के साथ खेल रहा था।
फिर हम सब चाय पीने के बाद उठे और भाभी और भैया अपने कमरे में नंगे ही चले गए।
मैं भी नाश्ता करने के बाद कॉलेज भाग गया।
दोपहर जब कॉलेज से वापस आया तो पता चला कि भैया और भाभी खाना खाने के बाद अपने कमरे में ही हैं।
मैंने खाना खाने के बाद सोचा कि चलो देखें भैया भाभी सच्ची में सो रहे हैं या फिर वो मस्ती कर रहे हैं।
दरवाज़ा थोड़ा भिड़ा हुआ था, मैंने चुपके से झाँक कर देखा, भैया और भाभी नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे।
मैं भी वापस आ गया और अपने कमरे में आराम करने लगा।
तभी कम्मो भी आ गई और आगे का क्या प्रोग्राम यह पूछने लगी।
मैं बोला- तुम बताओ आगे क्या करना चाहिए?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, मेरी बात आज दिन को भाभी से हुई थी, वो चाहती हैं कि तुम भाभी को गर्भवती करो क्यूंकि भाभी ने बहुत पहले भैया के वीर्य का टेस्ट करवाया था तब उसमें कीड़े बहुत ही कमज़ोर पाये गए थे और डॉकटरो का कहना था की भैया बाप नहीं बन सकते।
मैं बोला- यह बात भाभी जब मुझ से कहेगी तो मैं जैसा तुम कहोगी, वैसा ही करूँगा लेकिन बगैर भाभी की मर्ज़ी के उनके साथ कुछ नहीं करूंगा सिवाए चुदाई के।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं भाभी को कह देती हूँ, आगे भाभी जैसे ठीक समझे वो करे। वैसे आज भैया के साथ क्या प्रोग्राम रखेंगे हम?
मैं बोला- तुम बताओ कम्मो रानी, तुम इस खेल की डायरेक्टर हो?
कम्मो हँसते हुए बोली- ऐसा करते हैं, आज पारो को भी हमारे ग्रुप में शामिल कर लेते हैं अगर भाभी राज़ी हो तो? पारो को भी एक बार उनसे चुदवा देंगे तो उनका कॉन्फिडेंस शायद और भी बढ़ जाए।
मैं बोला- ठीक कह रही हो, कम्मो चूत की खिलाड़िन, कम्मो चूत की महराजिन और कम्मो चूत की डॉक्टर, ट्रेनर और चूत कंट्रोलर यह सब कुछ है तुम में!
कम्मो बोली- बस बस छोटे मालिक, बहुत तारीफ हो गई मेरी!
इतने में भाभी अपने कमरे से अपनी नाइटी पहने हुए निकली।
कम्मो ने सीधे से पूछा- भैया ने चोदा क्या?
भाभी मुस्कराते हुए बोली- हाँ दो बार चोद डाला उन्होंने।
हम सब बड़े खुश हुए लेकिन भाभी ने सिर्फ़ कम्मो की तारीफ करते हुए कहा- वाह कम्मो महारानी, तुमने जादू कर दिया। भैया मुझ को ऐसे चोद रहे हैं जैसे हमारा नया नया ब्याह हुआ है।
कम्मो भी खुश होकर बोली- चलो, यह ठीक हो गया है। अब आपकी क्या मर्ज़ी है बच्चे के बारे में? 
भाभी कुछ शर्माती हुई बोली- अगर सोमू दया कर दे और मुझको अपना वीर्य दान दे दे तो मैं धन्य हो जाऊँगी।
मैं बोला- अब तो भैया भी सक्षम हैं न, वो कर देंगे आपका कल्याण क्यों?
भाभी बोली- ऐसा संभव नहीं सोमू यार, तुम ही कर सकते हो मेरी मदद, बोलो क्या कहते हो?
मैं बोला- भैया के होते यह सम्भव नहीं, जब भैया फिर टूर पर जाएंगे तो कोशिश की जा सकती है।
कम्मो बोली- छोटे सरकार ठीक कह रहे हैं, कल कोशिश कर देखते हैं। आज क्या करने का इरादा है?
भाभी बोली- तुम बताओ क्या प्रोग्राम रखें रात के लिए?
कम्मो बोली- मैं सोच रही थी आज रात को पारो अपनी कुक को भी शामिल कर लेते हैं अपने ग्रुप में। तीन औरतों से भैया को भिड़ा देते हैं। उनका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाएगा, अगर आप बुरा ना मानें तो?
भाभी बोली- बहुत अच्छा प्लान है। पारो सब जानती है ना?
कम्मो बोली- बिल्कुल, वो हमारी साथिन है, क्यों छोटे मालिक?
मैं बोला- आप निश्चंत रहें भाभी जी!
कम्मो बोली- आज हम सब के लिए स्पेशल डाइट बना रही है और आशा है कि उससे आप सबको फायदा होगा, ख़ास तौर पर मर्दों को।
भैया अपने कमरे से निकले और हमें बातें करते देख कर हमारी तरफ ही आ गये, आते ही बोले- स्पेशल डाइट? वो क्या है कम्मो रानी बताओ तो सही?
कम्मो बोली- आप खुद ही देख लेना खाने के बाद, मैं अभी सबके लिए चाय लाती हूँ आप बैठक में बैठिये।
चाय पीने के बाद भैया हम सबको अपनी कार में लखनऊ शहर घुमाने ले गए।
1954 में लखनऊ एक बहुत ही छोटा शहर था, सिवाए 2 इमामबाड़े के लखनऊ में कुछ ख़ास नहीं था देखने को!
फिर भी भैया गोमती नदी की सैर करवा आये।
घर आकर भैया ने मुझको अपने कमरे में बुलवाया और कहा- सोमू यार, तुम हमारे लिए इतना कर रहे हो, कुछ हमारा भी फ़र्ज़ बनता है, आओ कुछ ड्रिंक वैगरह कर लेते हैं।
मैंने कहा- भैया मैं कुछ नहीं पीता हूँ सिवाए कोकाकोला के, आप शुरू करो, मैं कोक पीता हूँ।
भैया बोले- यार, यह कुछ नहीं है सिर्फ बियर ही है, इसमें कुछ नशा नहीं होता।
मैं बैठ गया और भैया ने एक गिलास में अपने लिए बियर डाली और दूसरे में मेरे लिए, मैंने थोड़ी सी पी, स्वाद कुछ बकबका लगा लेकिन मैं भैया की खातिर सारी पी गया।
भैया पूरी बोतल गटक गए।
कॉलेज में दूसरे लड़के बताते थे कि बियर में कोई ख़ास नशा नहीं होता फिर भी मैंने इसकी आदत नहीं डाली थी।
फिर कम्मो ने कहा- खाना लग गया है।
हम उठ कर बैठक में चले गए।
पारो ने आज खाने में ख़ास तौर पर गुरदे कपूरे सूखे बनाये और साथ में मटन चोप्स बनाई थी जो बहुत ही टेस्टी थी और साथ में नान थे।
बाद में कम्मो ने सबके लिए स्पेशल बनाई डिश देसी अण्डों का हलवा सबको दिया, जिसको सबने बहुत पसंद किया और कहा- पहले कभी नहीं खाया ऐसा हलवा!
खाना खाकर कोक पीया सबने और फिर सब मेरे कमरे में इकट्ठे हो गए।
तब तक कम्मो और पारो भी रसोई से फ़ारिग़ होकर हम सबके साथ आकर ग्रुप में शामिल हो गई।
मैंने कम्मो को कहा- कमरे में 3-4 मोटे गद्दे बिछा दो ताकि सारी कारवाई नीचे ही की जाए।
दोनों ने झट ऐसा ही किया।
पारो को देख कर भैया ने कहा- पारो भी अच्छी खासी औरत है यार सोमू, क्या यह भी शामिल होगी आज की चोदमचोद में?
मैं बोला- लगता तो है भैया, यह भी शामिल होगी हमारे साथ..
फिर कम्मो बोली- आप दोनों मर्द यहीं बैठो, हम सब औरतें तैयार होकर आती हैं। उसके बाद आपको इनमें से सही औरत को पहचानना होगा। अगर ठीक से पहचान लिया तो उसको आप चोद सकोगे अगर नहीं पहचान पाये तो दूसरी औरत को पहचानना होगा।
थोड़ी देर बाद तीनों औरतें अजीब अजीब कपड़े पहन कर कमरे में आई।
पहले भैया की बारी थी।
जब पहली औरत उनके आमने से निकली तो वो बोले- चाल ढाल से तो तुम्हारी रश्मि भाभी लग रही है, फिर भी मेरे ख्याल में यह तो शायद पारो है।
इतना सुनते ही उस औरत ने अपना घूँघट हटा दिया और वो सच में ही पारो ही थी।
घूँघट हटाते ही उसके सारे कपड़े अपने आप से उतर गए और वो सीधे ही भैया की गोद में बैठ गई।
अब दूसरी औरत आई और मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई थी।
मैं झट से पहचान गया कि वो भाभी हैं, मैंने ज़ोर से कहा- भाभी जी हैं यह!
[size=large]और जैसे ही घूंघट हटा तो देखा वाकयी में वो भाभी ही थी। भाभी के भी सारे कपड़े अपने आप उतर गए थे और वो नंगी होकर मेरे सामने आ कर मेरी गोद में बैठ गई।
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अब रह गयी कम्मो, वो भी आई और अपने कपड़े उतार कर चुदाई को सही ढंग से चलाने का काम करने लगी।
अब जब हम दोनों मर्दों ने कपड़े उतारे तो सब यह देख कर दंग रह गए कि भैया का लंड एकदम तना हुआ था, मेरा भी वैसे ही तना हुआ था।
कम्मो ने हम दोनों को लाइन में खड़ा कर दिया और पहले पारो को आवाज़ दी कि वो पहले भैया के खड़े लंड को चूसे और उसको चाटे और उसका छुटाने की कोशिश करे।
पारो झट से आई और भैया के खड़े लंड को चूसने लगी और उधर भाभी भी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
लेकिन न पारो, न ही भाभी हम दोनों के लंड को छुटा पाये और वो वैसे के वैसे ही तने खड़े रहे।
अब कम्मो ने आदेश किया कि दोनों औरतें घोड़ी बन जाएँ और दोनों आदमी उनको पीछे से चोदेंगे।
मैं और भैया झट से अपने काम में लग गए।
भैया ने कम्मो के इशारों के मुताबिक पहले धीरे धीरे से चुदाई की पारो की और फिर आहिस्ता से स्पीड तेज़ कर दी।
वो ध्यान से मेरे चुदाई के तरीके को देख रहे थे।
मैं तो भाभी की चूत से लंड पूरा निकाल कर फिर धीरे से सारा लंड अंदर डाल देता था, ऐसा मैंने कई बार किया।
भैया भी ठीक वैसे ही करने लगे और थोड़े टाइम में ही पहले भाभी का छूट गया और जल्दी ही पारो भी चिल्लाती हुई छूट गई।
अब कम्मो ने पारो की जगह ले ली और भैया को खूब सताने लगी।
जैसे ही भैया मेरी तरह अपने को रोक कर धक्का मारते, कम्मो अपनी चूत को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती।
और जैसे ही कम्मो को लगता कि भैया का छूटने वाला है, वो झट से रुक जाती और भैया एक गहरी सांस लेते और उनका वीर्य बाहर आते आते रुक जाता।
यह सिलसिला भैया और कम्मो के बीच काफी देर से चलता रहा और कम्मो भी कोई 3-4 बार छूट गई थी।
इस बीच मैं भी भाभी को 3-4 बार छूटा चुका था और जब भाभी बोली ‘सोमू, अब और नहीं…’ तो मैंने उनको छोड़ा।
फिर मैं पारो को साथ शुरू हो गया। मैं पलंग पर बैठ गया और पारो को अपनी गोद में बिठा लिया और उसको चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर पारो को आगे पीछे करने लगा।
वो इतनी गर्म हो चुकी थी लो वो 5 मिन्ट में झड़ गई और उसकी चूत से निकला दूधिया पानी मेरे हाथ पर जमा हो गया।
मैं उठा और पारो का दूधिया पानी भाभी के मम्मों पर लगा दिया और फिर उसको चूसने लगा। भाभी में अब फिर से हरकत होने लगी और मैं अब उसकी टांगों में बैठ कर लंड को चूत में पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया और पूरी स्पीड से भाभी की चुदाई करने लगा।
यह सिलसिला अभी और चलता लेकिन भाभी, कम्मो और पारो ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- अब और नहीं।
भैया ने सब औरतों को इकट्ठा किया और एक तरफ मुझको खड़ा किया और दूसरी तरफ खुद खड़े हो गए और बीच में तीनों औरतों को खड़ा किया और सबको कहा कि एक दूसरे की बाँहों को पकड़ लें और फिर वो सबको लेकर कमरे का चक्कर लगाने लगे और ज़ोर ज़ोर से गाने लगे- हरा दिया भई सबको हरा दिया। सब चूतें हारी और यह लण्डों की जीत हुई है।
कम्मो बोली- यह सब कमाल है स्पेशल डिश का है, उसने जिताया इनको और हराया हमको।
भाभी बोली- वो कैसे?
कम्मो बोली- वो ऐसे कि यह डिश ख़ास तौर से आदमियों के लिए बनाई जाती है और यह बड़े बड़े नवाबों की ख़ास-उल-ख़ास डिश होती थी और इस हलवे को खाकर वो एक रात में दर्जनों औरतों को चोद देते थे।
लेकिन यह डिश अगर औरत खाए तो वो बड़ी ही कामवासना से भर जाती है और काम क्रीड़ा में ज़्यादा देर नहीं टिकती लेकिन कई बार चुदवाने के लिए तैयार रहती हैं, यही कारण है कि औरतें हार गई और आदमी अभी भी डटे हैं मैदान-ऐ-जंग में!
भैया बोले- क्यों कम्मो रानी, अब और क्या प्रोग्राम है?
कम्मो बोली- आप दोनों मर्दों ने तो खूब ऐश कर ली, अब हमारी बारी है क्यूंकि हमारी चूतें अभी तक भूखी प्यासी हैं।
भैया अपने लोहे के समान खड़े लौड़े को देखते हुए कहा- हाँ हाँ, आ जाओ फिर से मैदान में, एक एक की बजा कर रख देंगे हम दोनों।
कम्मो ने कहा- हमको नहीं बजवानी अपनी चूत, हमको तो चटवानी हैं अपनी अपनी, करोगे क्या?
मैं बोला- क्यों नहीं, ज़रूर करेंगे आपकी सेवा, क्यों भैया?
भैया सोच में पड़ गए।
भैया को सोचते देख कर भाभी बोली- अरे जाने दो कम्मो रानी, भैया ने यह काम कभी किया ही नहीं, क्यूंकि यह तो इनके लिए नीच काम है ना! क्यों जी?
भैया अगल बगल झाँकने लगे।
मैंने मौके की नज़ाकत को भांपा और कहा- अरे भाभी आप क्या बातें कर रही हैं, अगर भैया ने यह काम पहले नहीं किया तो क्या हुआ हम सिखा देंगे न भैया को और पूरा परफेक्ट बना देंगे उनको।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उनको गद्दे पर लिटा दिया, पहले मैंने उन मोटे उरोजों को चूसा और फिर उनकी चूचियों को मुंह में डाल कर चूसा।
भाभी ने जोश में अपनी कमर उठा दी और मेरे मुंह को अपनी चूत में डाल दिया।
मैं बड़े मज़े से अब उनकी सफाचट चूत के होटों को चूसने लगा और फिर धीरे से अपनी जीभ का कमाल दिखाने लगा।
उधर कम्मो भैया को उठा कर भाभी और मेरे पास ले आई और भैया और कम्मो हमारी चूत चुसाई को बड़े ध्यान से देखने लगे।
पारो भी खाली नहीं बैठना चाहती थी तो वो भी भैया के पीछे खड़ी होकर उनके अंडकोष को हाथों में मसलने लगी। 
भाभी ने बड़ी ज़ोर ज़ोर से अपने मज़े उजागर करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और अपनी कमर को उठा कर अपनी चूत मेरे मुंह के साथ जोड़ दी, और फिर वो थोड़ी देर और चुसाने के बाद एकदम झड़ना शुरू हुई और मेरे मुँह को अपनी संगमरमर वाली जाँघों में ज़ोर से दबा दिया।

पारो भी भैया के लंड को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी, थोड़ी देर में भैया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने लंड को पारो के मुंह में आगे पीछे करने लगे।
कम्मो ने भैया के मुंह के साथ अपना मुंह जोड़ दिया और उनके होटों को चूसने लगी, कभी जीभ भी मुंह के अंदर डाल देती।
भैया ने पारो के मुंह में अंदर बाहर हो रहे लंड को और तेज़ी से अंदर डालना शुरू कर दिया। पारो को कम्मो ने आँख मारी और इशारा किया- बस और नहीं, कहीं भैया का छूट न जाए!
अब कम्मो ने भैया को अलग किया और खुद नीचे लेट गई और अपनी टांगें पूरी तरह से चौड़ी कर दी और पारो ने भैया के हिचकिचाते हुए मुंह को बालों से भरी चूत में डाल दिया।
कम्मो ने भैया के सर को अपनी चूत में भग के ऊपर रख दिया और हाथ से उनको भग को चूसने के लिए प्रेरित करने लगी।
भैया भी जल्दी समझ गए और अब पूरी मुस्तैदी से कम्मो की चूत को चूसने लगे।
और जैसे जैसे भैया सीखते गए वो भी एक एक्सपर्ट की तरह कम्मो की चूत को चाटने और चूसने लगे।
भाभी और मैं एकदम मस्ती से चूत चटाई में व्यस्त थे।
फिर भैया भी अपने बड़प्पन को भूल गए और आम आदमियों की तरह ही औरतों की सेवा में लग गए।
जब कम्मो छूट गई तो उसने सबको कहा- ताली बजाओ… भैया सीख गए एक और चुदाई सबक!
अब हम सब थक कर आराम करने लगे।
कम्मो उठी और नंगी ही अपने मम्मे हिलाती हुई बाहर गई और जल्दी ही सबके लिए ग्लासों में कोक डाल कर ले आई।
कोक पीते ही हम सब काफी फ्रेश हो गए।
मेरा सर भाभी की नंगी गोद में पड़ा था और भैया पारो की गोद में सर रख कर आराम फरमा रहे थे। यह देख कर कम्मो बड़ी खुश हो रही थी कि उसका बनाया हुआ प्लान पूरा खरा उतर रहा था।
भैया अब पूरी तरह से चुदाई कार्य सीख गए थे और बड़ी मस्ती से सबको चोद रहे थे।
कम्मो बोली- क्यों देवियो और देवताओ, आपकी क्या मरजी है, अब खेल बंद करें या अभी और चुदाई करनी है?
सबने बोला- अभी कुछ देर और… लेकिन क्या करना है यह तुम ही बताओगी?
कम्मो ने कहा- आओ घोड़ियों की रेस खेलते हैं।
सब बोल पड़े- यह घोड़ियों की रेस क्या चीज़ है कम्मो रानी?
कम्मो बोली- हम में से दो औरतें घोड़ी बन जाएंगी और ये दोनों घोड़े हम पर पीछे से चढ़ेंगे। जो औरत बच जायेगी वो इस खेल की कप्तान होगी और वो यह देखेगी कि कौन सी घोड़ा-घोड़ी की जोड़ी आखरी टाइम तक टिकती है। जो घोड़ा या घोड़ी हार मान जायेगा उस की टीम हार गई मानी जायेगी। क्यों मंज़ूर है?
भैया कुछ थके हुए लग रहे थे लेकिन फिर भी इस नई गेम के लिए तैयार हो गए।
कम्मो ने कहा- भैया जी, आप अपने लिए सवारी पसंद कर लीजिये?
भैया ने कहा- पसंद क्या करना है, जो भी मेरे साथ पार्टनर बनाना चाहे वो आ जाए।
पारो बोली- कम्मो और भाभी यह गेम खेलेंगी और मैं रेफरी का काम करूंगी।
कम्मो बोली- भैया अब चुन लो अपना पार्टनर? 
[size=large]भैया ने भाभी की तरफ देखा तो वो थोड़ी सी मेरी तरफ देख रही थी और कम्मो ही थी जो उनकी तरफ देख रही थी।
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भैया ने कम्मो को आँख मारी और कहा- मैं अपनी घोड़ी कम्मो को बनाऊँगा और उसकी सवारी करूंगा। क्यों सोमू ठीक है न? तुम भाभी को अपनी घोड़ी बना लो!
मैं बोला- जैसे आप कहें भैया, वैसे भाभी से भी पूछ लेते हैं कि उनकी क्या मर्ज़ी है? क्यों भाभी?
भाभी मुस्कराते हुए बोली- जैसा तेरे भैया कहें, वही ठीक है।
पारो बोली- दोनों घोड़ियाँ अपनी अपनी जगह पर घोड़ी बन जाएँ और घोड़ों का इंतज़ार करें। किसी घोड़ी या फिर घोड़े को कुछ पीने या खाने की इच्छा हो तो बता दे, नहीं तो फिर रेस शुरू होती है अब!
और यह कह कर उसने एक सीटी बजाई और कहा- चढ़ जाओ शहसवारो!
कम्मो और भाभी गद्दे पर घोड़ी बन कर तैयार हो गई और भैया घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए आये और कम्मो की चूत और गांड को सूंघने लगे।
यह देख कर सब घोड़ियाँ और घोड़े ज़ोर से हंस पड़े।
मैंने भी भैया की तरह ही पहले भाभी की चूत और गांड को सूंघा और फिर हिनहिनाते हुए घोड़ी बनी भाभी पर पीछे से मोटे लंड को पेल दिया।
भाभी थोड़ी देर के लिए उचकी और फिर मेरा पूरा लंड अंदर ले गई और अपनी गांड को मेरी अंडकोष के साथ जोड़ दिया।
उधर भैया भी बिल्कुल मेरी नक़ल कर रहे थे, वो भी लंड अंदर डाल कर कम्मो को पीछे से हाथ डाल कर उसके मम्मों के साथ खेल रहे थे और साथ में धक्के भी काफी तेज़ मारने शुरू हो गए थे।
मैं धीरे धीरे घोड़ी को दौड़ा रहा था ताकि वो थक ना जाए। मैंने एक हाथ अंदर डाल कर भाभी की चूत के भग को सहला रहा था जिस से भाभी और भी गर्म हो रही थी।
लेकिन भाभी छिपी आँखों से भैया को भी देख रही थी कि वो कैसे चुदाई का खेल कर रहे थे और मेरा भी साथ निभा रही थी अपने चूतड़ों को आगे पीछे कर के!
कोई 10 मिन्ट गुज़र चुके थे, भाभी एक बार छूट चुकी थी लेकिन मैं अब घोड़ी को सरपट भगा रहा था।
उधर भैया भी अब घोड़ी को बेलगाम कर के उसके ऊपर लेट चुके थे।
लेकिन कम्मो भैया को हारने देना नहीं चाहती थी तो वो उनको संभाल रही थी, बार बार उसको अपने चूतड़ों के धक्के से इशारा भी कर रही थी कि घुड़सवार धीरे चलो!
मैंने महसूस किया कि भाभी भी यही चाहती थी कि भैया ही जीतें सो उन्होंने जानबूझ कर तीसरी बार जब उनका छूटा तो वो लेट गई और कहने लगी- मैं हार गई… बस और नहीं!
कम्मो और भैया अभी भी धक्काशाही में लगे हुए थे।
पारो ने ज़ोर से सिटी बजा कर कहा- भैया और कम्मो जीत गए यह घुड़दौड़!
भैया पसीने पसीने हो रहे थे और कम्मो भी थकी हुई लग रही थी लेकिन मैं और भाभी अभी भी फ्रेश लग रहे थे। हम दोनों उठे और भैया और कम्मो को जीत की बधाई दी और कहा- कम्मो का चेला कैसे हार जाता यारो!
फिर पारो ने हम चारों की सेवा शुरू कर दी, मीठा शरबत रूह अफ्ज़ा बनाया हुआ रखा था, वो सबने पीया और कुछ थकावट कम होने लगी।
फिर भाभी ने कम्मो और पारो को 100-100 रूपए का इनाम दिया और उन दोनों को बड़ा धन्यवाद दिया कि बड़ा अच्छा प्रोग्राम हो गया।
फिर वो दोनों नंगे ही अपने कमरे में चले गए।
अगले दिन मैं समय पर कॉलेज चला गया और जाने से पहले भैया को ‘हैप्पी टूर’ बोल गया क्योंकि वो 2 दिन और एक रात के लिए दूसरे शहर जाने वाले थे।
कॉलेज से लौटने पर कम्मो ने मेरा स्वागत किया और ठन्डे पानी का गिलास मुझ को दे गई।
मैंने भाभी के बारे में पूछा तो वो बोली- भाभी और पारो कुछ खरीदना था, वो शहर गई हैं।
फिर वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन रुक रही थी जैसे कुछ झिझक महसूस कर रही हो।
मैं बोला- क्यों कम्मो डार्लिंग, कुछ ख़ास बात है क्या? कह दो बेझिझक!
कम्मो बोली- आज वो दोनों सेठानियाँ आई थी और आपका पूछ रही थी।
मैं बोला- वो मेरे बारे में क्या पूछ रही थी?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- उनकी चूतों में खुजली हो रही थी, तो वो मिटवाना चाहती थी।
मैं भी ज़ोर से हंस दिया- यूँ कहो न कि वो चुदवाना चाहती थी… तो तुमने क्या कहा उनको?
कम्मो बोली- मैंने तो पहले उनका चेकअप किया, दोनों को माहवारी आये दो दो महीने हो चुके थे यानि वो पूरी तरह से गर्भवती हो चुकी थी और बड़ी खुश थी, बता रही थी कि उनके परिवार में सब बड़े खुश थे खासतौर पर उनके सेठ लोग!
मैं हँसते हुए बोला- कम्मो रानी, तुमने मुझको इतनी छोटी उम्र में ही बाप बना दिया है। उधर गाँव में 4-5 औरतें भी गर्भवती हो गई थी और उनका बाप भी मुझको बनाया जा रहा है, उफ्फ्फ, क्या समय आ गया है। यह सब किया कराया उन के पतियों का है और तुम नाम मेरा जड़ रही हो।
कम्मो भी हँसते हुए बोली- वो पड़ोस वाली आंटी भी आई थी और वो भी पूरी तरह से गर्भवती है और तुमको चूमना और चोदना चाहती थी।
मैं बोला- चूमना और चोदना तो ठीक है लेकिन खामखाह में मुझको बाप ना बनाओ यारो।
कम्मो बहुत हंस रही थी और कह रही थी- मुझ को भी अगर शामिल किया जाए तो आप कम से कम एक दर्जन बच्चों के बाप बन चुके हो छोटे मालिक।
मैं बोला- कम्मो रानी, यह हंसने वाली बात नहीं है लेकिन यह सब मुझ को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि मैं एक दिन बहुत ही बड़ी मुसीबत में फंसने वाला हूँ।
कम्मो बोली- आप भाभी का गर्भाधान कर दो फिर हम सोचेंगे कि इस बारे में क्या किया जाए। मैं थोड़े टाइम बाद आपके वीर्य का टेस्ट करवाना चाहती हूँ, क्या कारण है कि जिस औरत को भी आप सही समय में चोदते हो, वो गर्भवती कैसे हो जाती है?
मैं बोला- हाँ कम्मो रानी, यह टेस्ट करवा लेते हैं, यह करना बहुत ज़रूरी है। तुमने उन सेठानियों और पड़ोस वाली आंटी को क्या कहा फिर?
कम्मो बोली- क्या कहना था, सब को डरा दिया कि इस समय गर्भ पूरी तरह से ठीक नहीं है तो से चुदाई से परहेज़ करना चाहिए आप सबको, अपने पतियों से भी!
मैं उदास हो कर बोला- उफ़्फ़, दो दो संगमरमर के बने बुतों को मुझ को चोदने नहीं दिया। कितनी मुश्किल से तो इतनी खूबसूरत औरतें हाथ लगी थीं और तुमने जल्दी से उनको गर्भवती बना दिया।
कम्मो हँसते हुए बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, ऐसे कई और ग्राहक आएंगे जैसे सेठानियों की खबर उनकी जानकार सहेलियों में फैलेगी और इनसे ज़्यादा खूबसूरत औरतें तुम्हारे पीछे भागेंगी।
मैं खुश होते हुए बोला- अगर यह खबर मम्मी पापा को पता चल जाती है तो मेरे तो मुंह में कालिख पुत जायेगी।
कम्मो बोली- आप घबराएं नहीं छोटे मालिक, वो दोनों बड़े ही खुश होंगे कि गांव और शहर के आधे से ज़्यादा बच्चों के वो दादा और दादी बने बैठे हैं।
यह सुन कर मैं और कम्मो तो हंसी के मारे लोट पोट हो गए।
फिर मैं सीरियस होते हुए बोला- कम्मो रानी, सच बताना यह गर्भाधान वाली बात तुमने पारो को बताई है कभी?
कम्मो बोली- कसम से छोटे मालिकम गर्भाधान वाली बात मैंने पारो को कभी नहीं बताई। मैं जानती हूँ कि यह बात अगर फ़ैल जाती है तो अनर्थ हो जाएगा। पारो यही जानती है कि ये सेठानियाँ और पड़ोस वाली भाभी सिर्फ चुदाने आती हैं और कुछ नहीं।
मैंने कम्मो को आलिंगनबद्ध किया और उसके होटों पर चूम लिया और कम्मो ने मेरे लौड़े को हाथ लगाया तो वो बैठा हुआ एकदम टन्न से खड़ा हो गया।
तब मैं बोला- लौड़ा हो तो सोमू जैसा, नहीं तो ना हो!
फिर हम दोनों खूब हँसे।
कम्मो कुछ संजीदा होते हुए बोली- भाभी का गर्भाधान ज़रूरी है और हमारे पास सिर्फ 3 दिन हैं फिर वो दोनों चले जाएंगे। वैसे भाभी के गर्भ वाले दिन आज से शुरू होंगे तो हमारे पास समय है कि भाभी की इच्छा पूरी की जा सके।
इतनी देर से चूत चुदाई और गर्भाधान की बातें चल रही थी तो मेरा लंड तो अब खड़ा क्या हुआ, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैंने कम्मो को कहा- थोड़ी से दे दे यार!
वो बोली- कोई आ न जाए ना!
फिर भी मैंने उसकी साड़ी को उसकी कमर के ऊपर में कर दी और पीछे से खड़े खड़े ही चोदने लगा।
वास्तव में उसकी चूत भी पनिया गई थी और वो भी आनन्द ले रही थी इस अचानक चुदाई का!
दस मिन्ट की अंदर बाहर की जंग में कम्मो कांपती हुई छूट गई और उसने मेरे एकदम गीले लंड को अपने पेटीकोट से साफ़ कर दिया। 
हम जैसे ही कमरे के बाहर निकले तो पारो और भाभी कोठी के गेट पर पहुँच गई थी और रिक्शा वाले को पैसे दे रही थी।
मैंने कम्मो को शरारत में उसके चूतड़ों को दबा दिया।
भाभी और पारो जैसे ही अंदर आई तो कम्मो ने उन दोनों को घेर लिया और देखने लगी कि क्या शॉपिंग की दोनों ने।
मैं अपने कमरे में आकर लेट गया, फिर जब खाना लग गया तो हम दोनों बैठक में मिले और मैंने भाभी को ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली और बाहर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा।
भाभी ने भी मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ और कहा- अरे वाह, यह तो अभी से खड़ा है, कहीं तुम दोनों बच्चों ने हमारे पीछे से कुछ गलत काम तो नहीं किया, बोलो?
मैंने कान को हाथ लगाते हुए कहा- नहीं मैडम जी, हमने कुछ भी गलत काम नहीं किया बल्कि सारे वही काम किये जो आप भी करती हैं।
यह सुन कर भाभी तो बेतहाशा हंसी।
खाना खाने के बाद मैं भाभी के साथ उनके कमरे में ही चला गया, वहीं हम दोनों लेट गए उनके पलंग पर!
भाभी मुझको बड़े गौर से देख रही थी और कुछ सोच रही थी।
कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद भाभी बोली- सोमू यार, तुम शक्ल-ओ-सूरत से एक छोटी उम्र के मासूम लड़के लगते हो लेकिन जब मैं तुम्हारे लंडम को देखती हूँ तो तुम एक पूरे जवान मर्द की तरह लगते हो! यह कैसे मुमकिन है?
मैं बोला- यह सब कुदरत का खेल है, पिछले साल तक तो मेरी आवाज़ एक छोटे लड़के की तरह पतली थी लेकिन लंडम तब भी कई औरतों को खुश कर चुका था।
भाभी बोली- तुम्हारी तो मौज है सोमू।
[size=large]मैं बोला- मौज क्या है भाभी, कॉलेज में जिस लड़की की तरफ देखता हूँ वो ही मुंह फेर लेती है कि यह तो अभी बच्चा है, बड़ी मुश्किल है भाभी कोई भी लड़की नहीं पटती।
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तब तक भाभी ने मेरा लंड मेरी पैंट से निकाल लिया था और उसको बड़े गौर से देख रही थी, वो सीधा रॉड की तरह एकदम खड़ा था और इधर उधर झूल रहा था।
मैंने भी भाभी की साड़ी चूत के ऊपर कर दी थी और उसकी सफाचट चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था।
मैं बोला- आपकी चूत इतनी सुन्दर है लेकिन अगर इस पर बाल होते न, तो यह और भी सेक्सी लगती। मुझको बालों से भरी चूत बहुत ज़्यादा पसंद है।
भाभी बोली- अगली बार आऊँगी तो इस पर घने बाल उगा कर लाऊंगी सिर्फ तुम्हारे लिए सोमू।
मैंने चूत पर हाथ लगाया तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैं बिना अपनी पैंट उतारे ही भाभी पर चढ़ गया, भाभी ने भी अपने टांगें फैला दी थीं और चूत एकदम से सामने आ गई थी।
मैंने धीरे से लंड को चूत में डाला और फिर आहिस्ता से अंदर बाहर करने लगा, गीली चूत होने के कारण फच फच की आवाज़ आने लगी।

मैं धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा, फिर मैंने भाभी के चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और चूत को ऊपर उठा दिया ताकि लंड पूरा अंदर तक जा सके।
कभी तेज़ और कभी धीरे और कभी पूरा निकाल कर सिर्फ आगे का हिस्सा अंदर और फिर कभी लंड के मुंह को भाभी के भग पर रगड़ना… इन सब तरीकों से मैं भाभी को चोद रहा था और मेरी इस मेहनत का फल यह मिला कि भाभी का जब छूटा तो वो इतने ज़ोर से चिल्लाई और उसका सारा जिस्म एकदम से अकड़ गया, मुझको इतने ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली कि मेरा अंग अंग चरमरा गया।
मैं भाभी का छूटने के बाद भी अपने लंड को चूत के अंदर डाले ही भाभी के ऊपर लेटा रहा और मैं भाभी के मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूमने लगा।
तब भाभी अपनी टांगें सिकोड़ने लगी, जिसका मतलब था कि मैं उनके ऊपर से हट जाऊ।ं।
मैंने भाभी को एक हॉट किस की और फिर उठ गया और अपने कमरे में आ लेट गया।
फिर ना जाने कब मेरी नींद लग गई. 
रात को कम्मो ने भाभी को पूरी बात समझा दी थी कि कैसे गर्भाधान की क्रिया शुरू होगी और कैसे इसका समापन होगा और यह भी बता दिया था कि इस सारे काम में 2-3 दिन लग सकते हैं।
भाभी ने कहा था कि वो कोशिश करके भैया को एक आध दिन और रोक लेंगी अगर इसकी ज़रूरत पड़ी तो!
रात को जब मैं और भाभी खाना खा चुके तो कम्मो हमारे लिए एक खास खीर बना कर ले आई जो हम दोनों को खानी थी।
खीर अति स्वादिष्ट थी और मैंने और भाभी ने दो दो बार खाई।
फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए और एक दूसरे को देखने लगे।
तभी कम्मो आ गई बोली- छोटे मालिक, आप कुरता पायजामा पहन कर तैयार हो जाइए, मैं भाभी को ख़ास तौर से तैयार करके लाती हूँ।
कम्मो और भाभी उनके कमरे में चली गई और मैं वहीं बैठा बोर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद वो भाभी को शादी वाले जोड़े में सजा कर लाई मेरे कमरे में! आते ही उसने कहा- हज़ूर नवाब साहिब, आपकी मलिका सुहागरात के लिए तैयार है।
मैं भी उसी लहजे में बोला- ऐ हसीं बांदी, क्या तुम्हारी मलिका हुसन का मुजस्मा है?
वो बोली- आप खुद ही उनका दीदार कर लीजिये, यह हुस्न का तौहफा आपके लिए यह कनीज़ ख़ास तौर से तैयार करके लाई है।
मैं बोला- बहुत खूब ऐ खूबसूरत कनीज़, तुमने हमारी बहुत अरसे की दिली मुराद को पूरा किया है, हम तुमको इनामात से सरोबार कर देंगे।
कम्मो बोली- अगर जान की ईमान पाऊँ तो अर्ज़ करने की गुस्ताखी कर रही हूँ कि आप और मालिकाए आला की मदद करने के लिए यह नाचीज़ आपके इस शाही हरम में आपके रूबरू रहने की इजाज़त मांगती है!
तभी भाभी घूँघट की आड़ से बोली- अरे तुम यह क्या गिटर पिटर कर रहे हो, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या बोल रहे हो तुम दोनों।

यह सुनना था कि मैं और कम्मो ज़ोर से हंस दिए, इस सारे चक्कर में भाभी का घूंघट भी खुल गया था और वो हैरत से हम दोनों को देख रही थी कि इन दोनों को क्या हुआ है जो खामख्वाह ही हंस रहे हैं। 
कम्मो ने भाभी का चेहरा फिर घूंघट में डाला और उनको पलंग पर बैठा दिया।
मैं धीरे से सजी धजी भाभी के करीब जा ही रहा था कि उससे पहले ही कम्मो ने मुझको एक गुलाब का फूल पकड़ा दिया और आँखों से इशारा किया कि यह मैं भाभी का घूंघट उठाने के बाद उनको पेश करूँ।
मैंने ऐसा ही किया, बड़े धीमे से भाभी का घूंघट उठाया और उनको गुलाब का फूल पेश किया और बोला- माशाल्लाह, क्या हुस्न है ऐ मलिका-ऐ-आलिया… मेरे ख्वाबों की हसीं परी, आपकी खिदमत में यह अदना सा तौहफा पेश है।
भाभी बोली- सोमू यार, यह क्या चल रहा है? कहाँ है मलिका-ऐ-आलिया और कहाँ है मेरा तौलिया?
इतना सुनना था कि मेरा और कम्मो का हंसी के मारे बुरा हाल हो रहा था।
भाभी हैरान और परेशान हम दोनों को टुकर टुकर देख रही थी।
फिर कम्मो ने भाभी को समझाया कि यह सिर्फ एक खेल है जो हम अक्सर एक दूसरे के साथ खेलते हैं क्यूंकि लखनऊ एक नवाबों का शहर है इसलिए लखनवी तहज़ीब तो दिखानी ही पड़ेगी ना! 
कम्मो खेल को आगे बढ़ाते हुए बोली- छोटे मालिक, आप अब आगे बढ़ कर मलिका-ऐ-आलिया का घूंघट हटा दीजिये।
घूँघट हटने के बाद मैंने उनके लबों को चूम लिया और उनके सारे जिस्म को गौर से देखने लगा जैसे कि अक्सर नया दूल्हा अपनी नई ब्याहता दुल्हनिया को बड़ी उमंग से देखता है।
मैं बोला- ऐ लखनऊ की हसीं दर हसीं मलिकाये-आलिया, अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं आपके संगमरमरी जिस्म को देखने की जुर्रत कर सकता हूँ क्या?
तब भाभी भी मलिका-ऐ-आलिया के रोल को खलते हुए बोली- ऐ हमारे सरताज, इस लौंडिया की क्या हिम्मत जो नवाब-ए-अवध को हमारे इस अदना से जिस्म को ना देखने देने की जुर्रत कर सके!
इतना सुनना था कि मैं पहले भाभी की साड़ी उतारने लगा और इस काम में कम्मो भी पूरी तरह से शामिल हो गई, पहले धीरे से उनकी साड़ी उतार दी फिर उनके ब्लाउज पर हाथ साफ़ किया और आखिर में उनके पेटीकोट को उतार दिया।
तब भाभी ने आगे बढ़ कर मेरे पायज़ामे का नाड़ा खोल दिया और कुरता भी उतार दिया, मेरे खड़े लंड को झुक कर भाभी ने प्रणाम किया और कहा- हे लंडम, जी मुझको एक पुत्र प्रदान करो!
मैंने भी एक हाथ ऊँचा कर के कहा- तथास्तु… पुत्रवती भव!!!
कम्मो भी मुस्कराते हुए बोली- चलो, अब आगे की कार्यवाही शुरू करते हैं। छोटे मालिक अब आप भी शुरू हो जाएँ।
मैंने झुकी हुई भाभी को अपने हाथों से उठाया और कहा- भाभी, नाटक खत्म हुआ, अब आप बताओ कैसे चुदना पसंद करेंगी?
भाभी शर्माते हुए बोली- जैसे तुम चाहो और जिससे बच्चा होने की संभावना अधिक हो, वैसे ही चोदो मुझको।
मैं बोला- इस मामले की माहिर तो अपनी कम्मो रानी है, वो ही बता सकती है कि कैसे चुदाई करें हम! डॉक्टर कम्मो रानी, आप बताओ कैसे चोदना है भाभी को?
इस बीच भाभी मेरे लंड से खेल रही थी और उसको इधर उधर कर रही थी लेकिन वो फिर अटेंशन में सीधा खड़ा हो जाता था।
कम्मो ने कहा- सबसे पहले भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे आप छोटे मालिक, जैसे आप पहले भी कर चुके हैं, जब मैं इशारा करूँगी आप अपना वीर्य भाभी की चूत में छोड़ेंगे। आगे मैं देख लूँगी, ठीक है?
अब मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों को दबाने लगा। भाभी भी अपनी चूत को मेरे खड़े लंड से रगड़ रही थी।
इसी तरह हम एक दूसरे को गले लगा कर प्रगाढ़ आलिंगन में बंधे हुए सारे कमरे का चक्कर लगाने लगे।
मेरा लौड़ा भाभी की चूत के ऊपर हल्की हल्की रगड़ लगा रहा था जिससे भाभी का जोश एकदम से बहुत तीव्र हो रहा था।
फिर मैं एकदम से नीचे बैठ गया और अपना मुंह भाभी की चूत में डाल दिया। भाभी वहीं लेटने लगी लेकिन कम्मो उनको उठा कर ऊपर पलंग पर ले गई और मुझको भी वहाँ आने का इशारा करने लगी।
भाभी ने पलंग पर लेटने के बाद अपनी गोल सफेद टांगों को खोल दिया और मैंने झट से अपनी पोजीशन लेकर उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में ही भाभी इतनी गर्म हो गई कि उन्होंने मुझको मेरे बालों से पकड़ कर मुझको चूत से हटा कर अपने ऊपर कर लिया और मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उनकी चुम्मियों का जवाब वैसे ही दिया और फिर उनको घोड़ी बनने के लिए उकसाया।
जब भाभी घोड़ी बन गई तो मैं भी उस चूतड़ों के बीच से अपना लंड उनकी उभरी हुई चूत में धीरे धीरे डालने लगा, लंड जब पूरा अंदर चला गया तो मैं ज़रा रुक गया और आज की भाभी की चूत की पकड़ को सराहने लगा, इतनी तेज़ और मज़बूत पकड़ भाभी की चूत में पहले कभी नहीं थी, यह ज़रूर कम्मो की ख़ास डिश का कमाल था।
अब मैंने धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, लंड को पूरा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने का क्रम शुरू कर दिया। लंड पूरा निकाल कर धीरे धीरे से पूरा डालना भी एक कला होती है जो चूत के शहसवार अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि लंड को पूरा निकालने का मतलब है कि लंड की टिप कभी भी चूत के बाहर नहीं आनी चाहिए।
इस तरीके से पूरे लंड का घर्षण और गर्जन कायम रहता है और औरतों को लंड का पूरा मज़ा मिलता रहता है।
और उधर कम्मो भी भाभी को गर्म करने की कोशिश कर रही थी, वो उसके गोल और मोटे मम्मों के साथ खेल रही थी।
फिर वो भाभी की चूत में हाथ डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगी, थोड़ी देर में भाभी खूब हिलते हुए झड़ गई।

मैंने अपनी चुदाई स्पीड फिर एकदम आहिस्ता कर दी ताकि भाभी को फिर गर्म करके उसका एक बार और छुड़ाया जाये।
मैं अब पूरा का पूरा लंड एक साथ अंदर डाल कर उसको भाभी की चूत में थोड़ा थोड़ा घुमाने लगा, यह स्टाइल भाभी को बहुत पसंद आया और वो जल्दी जल्दी अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।
कम्मो जो अभी भी भाभी की चूत में हाथ डाले हुए थी और उसके भग को रगड़ रही थी, नीचे से ही मुझको इशारा किया और मैं अपने लौड़े का घोड़ा सरपट दौड़ाने लगा।
इस रेस में भाभी एक बार फिर एकदम से अकड़ी और फिर चूतड़ हिलाती हुई झड़ गई और उनकी चूत से बहुत सा पानी नीचे गिरा।
[size=large]अब कम्मो ने मुझको इशारा किया कि मैं अपना छूटा लूँ जल्दी ही!
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मैंने लंड से भाभी की चूत के अंदर उसके गर्भाशय के मुंह को तलाश लिया और जब मेरा लंड उनके ठीक गर्भाशय के मुंह पर था तो मैंने अपना वीर्य का बाँध खोल दिया और भाभी की चूत को अपने वीर्य से पूरा भर दिया।
जैसे ही गर्म वीर्य भाभी की चूत और गर्भाशय पर गिरा, भाभी एक बार फिर झड़ गई और वो पलंग पर लेटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उनके चूतड़ अपने हाथों में पकड़ रखे थे।
कम्मो ने जल्दी से भाभी के पेट के नीचे 2 मोटे तकिये रख दिए ताकि उनके चूतड़ ऊपर रहें और वीर्य नीचे न बह जाए।
मैं भी उठ कर अपना लंड को साफ़ करने के लिए बाथरूम में चल गया।
तब तक भाभी सामान्य हो चुकी थी।
फिर हम पलंग पर लेट गए, एक तरफ़ कम्मो नंगी लेट गई और दूसरी तरफ़ भाभी, बीच में मैं लेट गया।
भाभी कुछ थकी हुई लगी और वो झट ही सो गईं।
मैंने कम्मो की चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी। मैंने देखा कि भाभी तो काफी गहरी नींद में थी तो मैं पहले कम्मो को चूमता रहा और फिर उसके मम्मों को चूसा और फिर उसकी भग को थोड़ी देर मसला और फिर जब वो मुझको खुद ही लंड से खींच कर अपने ऊपर आने का न्योता देने लगी तो मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया।
कम्मो के साथ चुदाई एक इंस्ट्रक्टर के साथ चुदाई के समान था क्यूंकि वो बड़े ध्यान से मेरी हर चेष्टा को देखती थी और जहाँ मैं गलती करता था वो मेरा कान पकड़ने में नहीं हिचकिचाती थी।
लेकिन मैं कम्मो को चोदते हुए ख़ास ख्याल रखता था कि उसके द्वारा बताये हुए तरीके का पूरी तरह से पालन हो क्यूंकि मैं उसके कमज़ोर पॉइंट अब जान गया था तो मुझको अपनी मर्ज़ी के मुताबिक उसको छुटाना आता था। अब भी वैसा ही हुआ, मैंने जल्दी से कम्मो रानी का छूटा दिया और उसके बाद एक मधुर चुम्बन और प्रगाढ़ आलिंगन के बाद हम दोनों सो गए।
सुबह उठा तो देखा कि कम्मो रानी तो नहीं थी लेकिन भाभी मस्त सोई थी। मैं उठा और टेबल पर रखी चाय पीकर अपने कपड़े पहनने लगा।
तब तक मैं नंगी लेटी भाभी के जिस्म को ही देखता रहा, एकदम लेटी औरत सदा ही काफी सेक्सी लगती है।
थोड़ी देर बाद भाभी को वैसे हो सोते छोड़ कर मैं कॉलेज की तैयारी में लग गया और जल्दी ही नहा धोकर तैयार होने लगा।
तब भाभी भी जाग गई और बड़ी ही मस्त अंगड़ाई लेती हुई उठी और मुझको एक बड़ी ही हॉट जफ़्फ़ी डाल दी और फिर मुझको बेतहाशा चूमने और मेरे लंड को पकड़ने लगी।
मैं बोला- क्या हुआ भाभी? इतनी मेहरबान क्यों हो रही हो?
भाभी मुझको कस कर फिर से जफ़्फ़ी डालने लगी और बोली- वाह सोमू राजा, यार तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं हैरान होकर बोला- ऐसा क्या किया है मैंने भाभी जान?
भाभी बोली- रात को तुम सोये सोये ही मुझ पर 3 बार चढ़े हो और 2 बार कम्मो पर भी चढ़े, अपने आप चढ़ जाते हो और फिर जब मेरा छूट जाता था तुम अपने आप ही उतर जाते थे। यह कैसे होता है यार? तुम्हारी आँखें तो पूरी तरह से बंद थी।
मैं बोला- मैं खुद नहीं जानता यह कैसे होता है भाभी। अगर मैंने आपको सोये सोये चोद कर गलती की है तो मुझको माफ़ कर दीजिए।
भाभी एकदम प्यार से बोली- नहीं सोमू, मैं तो अपनी हैरानी बता रही थी तुमको!
मैं बोला- मैं अपनी इस कमज़ोरी को जानता हूँ लेकिन कम्मो कहती है कि मेरा शरीर बहुत अधिक यौन क्रिया करने में सक्षम है तो वो बगैर मेरे चाहे ही ऐसा हो जाता है।
इतने में कम्मो भी आ गई और भाभी को सुबह की चाय देते हुए बोली- मैंने सुन लिया है भाभी आप जो कह रही हैं वो बिल्कुल सही है, छोटे मालिक को रात को कुछ नहीं पता रहता कि वो क्या कर रहे हैं।
भाभी बोली- जो सोमू की पत्नी बनेगी, उसकी तो मौज ही मौज है।
कम्मो बोली- अच्छा भाभी, छोटे मालिक तो कॉलेज जा रहे हैं और वापस आकर फिर से आप को चोदेंगे ताकि गर्भ ठहरने की सम्भावना बढ़ जाए। ठीक है न? भैया तो शाम को को ही आएंगे ना?
भाभी ने कहा- वो कह रहे थे कि उनको लौटते हुए शाम हो जायेगी।
कॉलेज से लौटा तो जल्दी से खाना खाकर मैं तैयार हो गया और कम्मो भाभी को ले कर मेरे कमरे में आ गई।
कम्मो बोली- भाभी, जी आपको पूर्ण रूप से कामवासना से ओतप्रोत होना है तो मैं इस काम में आपकी मदद करती हूँ और छोटे मालिक भी यही काम करेंगे।
हम तीनों जल्दी ही वस्त्रहीन हो गए और कम्मो ने भाभी को पलंग पर लिटा दिया, फिर मैंने भाभी के गोल सॉलिड मम्मों को मुंह में ले लिया और उनको चूसने लगा।
काली गोल चूचियों को चूसना भाभी को बहुत अधिक मज़ा देता था, वो काम मैंने शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में भाभी गर्मी से उफन गई और उनकी चूत में उंगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी।
तब कम्मो ने मुझको इशारा किया, मैंने भाभी को पलंग पर चिट लेटा दिया और उनकी चौड़ी संगममर जैसी टांगों में बैठ कर चुदाई का काम शुरू कर दिया।
भाभी जल्दी ही चुदाई में पूरी तरह से रंग गई और खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
कोई 10-12 मिन्ट बाद मैंने महसूस किया कि भाभी के गर्भाशय का मुंह खुल रहा है और बंद हो रहा है। तभी भाभी का छूट गया और मेरे जांघों को भिगो गया।
अब मैंने फिर धीरे धीरे से और फिर जल्दी ही तेज़ तेज़ चुदाई करने दी।
इस बीच कम्मो भाभी के मम्मों को चूस रही थी और साथ ही उसके भग को भी मसल रही थी।
अब भाभी ने अपनी कमर को ऊपर को उठा कर झटका देना शुरू कर दिया और मैं समझ गया कि भाभी फिर स्खलित होने वाली हैं, मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ हो गई और मैंने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के नीचे रख कर उनको ऊपर उठा लिया और गहरे और तेज़ धक्के मारने लगा।
भाभी जोश में तड़फड़ा रही थी और अपने सर को इधर उधर कर रही थी, कम्मो ने इशारा किया और मैंने भी निशाना साध कर ठीक उनके गर्भाशय पर लंड को बिठा कर अपना तीव्र फव्वारा छोड़ दिया।
मैंने भाभी के चूतड़ों को ऊपर उठाये हुए ही अपने लंड के साथ जोड़ दिया।
कम्मो ने बाद में बताया कि मैं और भाभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए बुरी तरह से कांप रहे थे।
भाभी को नीचे पलंग पर लिटा कर कम्मो ने उनके चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये को रख दिया और मुझको नीचे आने के लिए कहा।
मैं बगल में लेट गया और ज़ोर ज़ोर से हांफ़ने लगा, जब थोड़ा हांफ़ना कम हुआ तो कम्मो ने वहीं रखा खास शरबत का गिलास हम दोनों को पकड़ा दिया।
भाभी भी आँख मूंद कर लेटी हुई थी, जब शरबत दिया गया तो उन्होंने पहले मुझको होटों पर किस किया और साथ ही कस के जफ़्फ़ी डाली और कहा- थैंकयू सोमू यार! यू आर ग्रेट!
अब मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठक में आ गया क्यूंकि मुझको अंदेशा था कि भैया कभी भी वापस आ सकते हैं।
जब सब सामान्य हुए तो चाय का इंतज़ाम पारो ने कर दिया।
चाय पी कर मैं अपनी कोठी के बगीचे में टहलने लगा।
कोई 6 बजे भैया वापस आये और काफी थके हुए लगे, आते ही नहाये धोये और बैठक में आकर बोले- सोमू यार, मेरा काम यहाँ खत्म हो गया है, कल सवेरे हम निकल जाएंगे अपने गाँव के लिए!
मैंने कहा- अभी कुछ दिन और रुक जाते, बड़ा मज़ा आ रहा था आपके और भाभी के साथ!
भैया बोले- फिर आएंगे और फिर यह मज़ा दोबारा करेंगे।
उस रात हम सब अपने अपने कमरों में सोये और भाभी को कम्मो ने पहले ही कह रखा था कि आज की रात भैया से ज़रूर चुदवाना।
अगले दिन भैया और भाभी जाने के लिए तैयार हो गए थे, कम्मो थोड़ी देर के लिए भाभी को उनके कमरे में ले गई और थोड़ी देर में ही दोनों वापस भी आ गई और दोनों ही बड़ी खुश लग रही थी।
कम्मो ने मुझको आँख मारी और सर हिला दिया जिसका मतलब था कि काम हो गया था।
थोड़ी देर बाद नाश्ता करके वो दोनों अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए और मैं कॉलेज चला गया।
आज कॉलेज के मुख्य गेट पर मुझको शानू और बानो मिल गई।
पाठकों को याद होगा नैनीताल ट्रिप में ये लड़कियाँ उन चार लड़कियों का ग्रुप था जो मेरे संपर्क में आईं थी। और मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी।
शानू बोली- सोमु यार, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो, कभी मिलते ही नहीं?
मैं बोला- सॉरी दोस्तो, पीछे कुछ दिन बहुत बिजी था, मेरे घर में बहुत मेहमान आये हुए थे। बोलो क्या सेवा करें आप दोनों की?
शानू बोली- अभी टाइम है कुछ मिन्ट का तुम्हारे पास?
मैं बोला- हाँ हाँ, है क्यों नहीं, आप जैसी हसीनों के लिए टाइम ही टाइम है, तुम अर्ज़ करो क्या काम है?
शानू बोली- चलो फिर थोड़ी देर के लिए कैंटीन चलते हैं अगर कोई पीरियड नहीं है तुम्हारा तो?
मैं बोला- ठीक है आओ!
कैंटीन पहुँच कर मैंने पूछा- क्या खाएंगी या पियेंगी दोनों?
बानो बोली- एक एक कोक मंगवा लो यार!
मैं काउंटर पर गया और 3 कोक का आर्डर दे आया और वापस आकर उन दोनों के साथ बैठ गया।
पाठकों को याद दिला दूँ कि ये दोनों वही लड़कियाँ थी जिन्होंने मेरा अपहरण किया था जब मैं निम्मी और मैरी के कमरे से निकला था नैनीताल के होटल में।
कोक पीते हुए मैं बोला- शानू और बानो, कैसे हो आप दोनों, बड़े अरसे के बाद आपको मेरी याद आई जब कि बहुत सेवा की थी मैंने आप दोनों की नैनीताल में!
शानू हँसते हुए बोली- वही सेवा तो करवाने के लिए आई हैं तुम्हारे पास सोमू राजा।
मैं बोला- बोलो, क्या करना है मुझको?
शानू बोली- तुमने नैनीताल में बताया था कि तुम्हारे पास एक कोठी है जिसमें तुम रहते हो?
मैं बोला- हाँ है तो सही, बोलो क्या काम है?
शानू बोली- नैनीताल वाला किस्सा दोहराना है यार बस, और क्या करना है!
मैं थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला- देखो शानू, वहाँ मेरी हाउसकीपर भी है और एक कुक भी है, वहाँ तुमको वैसी प्राइवेसी नहीं मिल पाएगी जैसा कि नैनीताल में थी। बोलो उनके रहने से तुम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं तो फिर मैं बात कर लेता हूँ उन दोनों से?
शानू बोली- ठीक है कल सुबह बता देना। 
मैं बोला- सिर्फ आप दोनों ही हैं या फिर कोई और भी है?
शानू बोली- अगर किसी और को बुलाएँ तो तुम को ऐतराज़ तो नहीं न?
मैं बोला- कोई और लड़का या लड़की?
बानो बोली- लड़की ही होगी। हम तुमको उससे मिलवा भी देंगे।
मैं बोला- अपने कॉलेज की है या कहीं और की?
शानू बोली- हमारी क्लास फेलो है यार, लंच टाइम में तुम को मिलवा देते हैं उसको!
मैं बोला- उफ़ मेरे मौला 3 तुम और एक मैं?
[size=large]दोनों हंस पड़ी और शानू बोली- हमने देखा है कि कैसे तुम 4 को भी संभाल लेते हो!
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[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू बोली- यह कैसी शर्त है सोमू यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं। [/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी। गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं तो उसको देखता ही रह गया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं। [/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी। क्यों ठीक है न?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सोमू यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो? [/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जब घर पहुँचा तो कम्मो ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने कम्मो को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है। साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी। क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]चलो कम्मो ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया। [/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]लेकिन उसका अपना क्या हुआ?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]तब मैंने उसको पूछा- कम्मो डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो बोली- ठीक है।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राम लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ कम्मो ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया। मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में![/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो मुझको गुस्से में देख रही थी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अब कम्मो ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अब कम्मो उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी। जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]धीरे धीरे से कम्मो पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कम्मो ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]इस ऊहापोह में हमने मिल कर कम्मो की साड़ी खींच दी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]तब कम्मो भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी।[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ।[size=large]मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?
[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू बोली- यह कैसी शर्त है सोमू यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं। [/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी। गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं तो उसको देखता ही रह गया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं। [/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी। क्यों ठीक है न?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सोमू यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो? [/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जब घर पहुँचा तो कम्मो ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने कम्मो को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है। साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी। क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]चलो कम्मो ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया। [/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]लेकिन उसका अपना क्या हुआ?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]तब मैंने उसको पूछा- कम्मो डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो बोली- ठीक है।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]राम लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ कम्मो ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया। मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में![/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो मुझको गुस्से में देख रही थी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अब कम्मो ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अब कम्मो उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी। जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]धीरे धीरे से कम्मो पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]इस ऊहापोह में हमने मिल कर कम्मो की साड़ी खींच दी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]तब कम्मो भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी।[/font][/size]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large][size=large]कम्मो ने जल्दी से आगे बढ़ कर मुझसे पूछा- छोटे मालिक, आप ठीक तो हैं न?
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[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने उसको आँख मारी- कम्मो डार्लिंग, यह सब होने के बाद मैं कैसे ठीक रह सकता हूँ, मेरा तो स्वर्गवास हो गया लगता है।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]तीनों लड़कियाँ यह सुन कर बहुत ज़ोर से हंसने लगी।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]अब उर्मि बोली- इतने मोटे और लम्बे लंड वाला भूत मैंने पहले कभी नहीं देखा था।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं भी बोला- इतनी सुंदर परियाँ मैंने पहले कभी नहीं देखी थीं।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]और मैंने झट से उर्मि के गोल मम्मों को झपट कर पकड़ लिया और उनको चूमने लगा। उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हुई थी और लंड के लिए बेकरार हो रही थी।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]कम्मो ने कहा- अब उर्मि नीचे लेट जाए और छोटे मालिक उसको चोदना शुरू कर दें ताकि बाकी दोनों की भी बारी आ जाए। जब तक ये दोनों चुदाई में बिजी हैं, तब तक हम तीनों एक दूसरे से प्रेमालाप करेंगी। उर्मि के बाद शानू की बारी और आखिर में बानो और मेरी बारी है।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने पहले उर्मि को होंटों पर चुम्बन किया और फिर उसके मम्मों को चूसता हुआ पेट पर उसकी नाभि में जीभ से चुसाई और फिर नीचे का सफर शुरू हुआ।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]नीचे पहुँच कर नर्म, गुलाबी और उभरी हुई चूत को देखा, उसको सूंघा और फिर उसमें जीभ से हमला कर दिया।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उसकी भग को चूसने लगा तो उर्मि ने अपनी कमर उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह में दे मारा और उसको मेरे मुंह में रगड़ने लगी।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]वो बहुत ही कामातुर हो चुकी थी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी, मेरा लौड़ा भी इस हसीना की चूत के लिए तरस गया था।[/font][/size]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं उसकी टांगों में बैठा और अपने लोह समान लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर एक हल्का धक्का मारा, उर्मि की चूत बहुत ही टाइट थी तो लौड़ा बाहर ही रुका हुआ था।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]थोड़ी देर मैंने लंड को चूत के मुंह और भग पर रगड़ा और फिर प्रवेष के लिए अर्जी दी, इस बार शायद चूत ने इजाजत दे दी थी और लौड़ा आसानी से पूरा अंदर चला गया।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]जैसे ही लंड पूरा अंदर गया, उर्मि के मुंह से बहुत ज़ोर से हाय की आवाज़ निकली।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैंने घबरा कर पूछा- अंदर जगह कम है तो थोड़ा निकाल लूँ क्या?[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उर्मि तो नहीं समझी इस लतीफ़े को, लेकिन शानू और बानो ज़ोर से हंस पड़ी।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]मैं धीरे धीरे से चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा।[/font][/size]

[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]उधर कम्मो भी दोनों सेहलियों को गर्म करने में लगी थी, एक की चूत में उंगली थी और दूसरी के मम्मों में मुंह था।[/font][/size]

[size=large][font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=large]बानो के मोटे म
 
कम्मो ने तीनों को हमारे घर का फ़ोन नंबर दे दिया और कहा- कभी ज़रूरत हो तो फोन कर लेना।
उर्मि मेरे साथ वाली क्लास में बैठती थी और शानू और बानो एक ही क्लास में बैठती थी।
फिर मिलने का वायदा करके वो तीनों अपने अपने घर चली गई।
कुछ दिन बाद उर्मि मुझको कॉलेज में फिर मिली।
मेरा इंग्लिश का पीरियड खत्म हुआ तो अगला पीरियड खाली था, मैं क्लास में ही बैठा हुआ पिछले नोट्स को कॉपी करने में लगा था 
कि मुझको लगा कि कोई मेरे साथ बेंच पर आकर बैठ गया है।
मैंने मुड़ कर देखा तो वो उर्मि ही थी, उसको देखते ही मेरी तो बांछें खिल गई।
मैं बोला- आओ उर्मि जी, कैसी हैं आप?
उर्मि बोली- बिल्कुल ठीक हूँ और तुम सुनाओ सोमू कैसे हो?
मैं बोला- बढ़िया, लेकिन आपकी याद में बेकरार हूँ।
उर्मि बोली- वही हाल मेरा है. बहुत तरस रही है मेरी वो आपके उनके लिए?
मैं शरारत के मूड में बोला- मैं कुछ समझा नहीं उर्मि जी, कौन तरस रहा है किसके लिए?
उर्मि थोड़ा शर्माती हुई बोली- वही!
मैं उसके मुंह से पूरा नाम सुनना चाहता था तो बोला- वही कौन? कुछ नाम तो लीजिये कौन है वो?
उर्मि बोली- सोमू यार, तुम जानते हो कौन किसके लिए तरस रहा है, फिर भी बनते हो।
मैं बोला- सच्ची!! कसम से, मैं कुछ समझा नहीं, इसलिए पूछ रहा था कि कौन किसके लिए तरस रहा है।
उर्मि झुंझलाते हुए बोली- मेरी वो तुम्हारे उसके लिए तरस रही है।
मैं कुछ सकुचाते हुए बोला- आपकी वो मेरे उसके लिए तरस रही है? पर क्या है यह ‘वो’ और ‘उस’ ज़रा खोल के समझाओ ना उर्मि जी? 
मैं सीधा साधा लड़का हूँ यह लड़कियों की भाषा नहीं समझता उर्मि जी!
मन ही मन मैं मज़े ले रहा था। अब उर्मि ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा और फिर कहा- वाकयी में ही तुम नहीं समझे सोमू?
मैं बड़ा मासूम सा पोज़ बना कर बोला- कतई ही नहीं समझा, आप साफ़ शब्दों में कहिये न प्लीज!
अब उर्मि कुछ सोच में पड़ गई और फिर अपना मुंह मेरे कान के पास ला कर बोली- मेरी चूत आपके मोटे लंड के लिए तरस रही है।
मैं बोला- ऊह्ह्ह… रियली? ओह्ह्ह माय गॉड!
उर्मि बोली- क्यों क्या हुआ?
मैंने भी अपना मुंह उर्मि के कान के पास ले जाकर कहा- मेरा भी वो बहुत तरस रहा है आपकी उसके लिए!
अब उर्मि और मैं ज़ोर से हंस पड़े और उर्मि ने मेरी कमर में चुटकी काट ली, उर्मि बोली- बहुत शरारती हो गए तुम सोमू!
मैं बोला- जो भी बनाया हज़ूर आपने!
उर्मि बोली- कब करोगे?
मैं बोला- जब तुम चाहो।
उर्मि बोली- आज हो सकता है क्या?
मैं बोला- हाँ हाँ, हो क्यों नहीं हो सकता, तुम हुक्म तो करो मेरी जान, अभी अरेंज कर लेते हैं, तुम अकेली ही ना?
उर्मि बोली- हाँ!
मैं बोला- तब ठीक है, मैं कम्मो को फ़ोन कर देता हूँ, लास्ट पीरियड के बाद कैंटीन में मिलते हैं।
उर्मि चली गई तो मैंने कम्मो को फ़ोन कर दिया, उसने कहा कि वो खाना तैयार रखेगी। 
लास्ट पीरियड की खत्म होने की घंटी बजी तो मैं दौड़ कर कैंटीन पहुँच गया और वहाँ उर्मि का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में वो छोटे 
से बैग के साथ आ गई।
उर्मि और मैं रिक्शा में बैठ कर 10 मिन्ट में ही घर पहुँच गए।
कम्मो हमारा इंतज़ार कर रही थी, पहले उसने ठंडा शर्बत पिलाया और फिर खाना लगा दिया।
खाने के दौरान उर्मि ने बताया कि उसका घर भी वहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है।
कम्मो ने पूछा कि उसके घर में कौन कौन हैं तो वो बोली- बड़े भैया और भाभी हैं और एक छोटा भतीजा है जो बहुत ही शरारती है। वैसे 
हमारा गाँव वहाँ से 2-3 घंटे ही दूर है और मम्मी पापा वहीं रहते हैं।
कम्मो बोली- तुम बड़ी सुन्दर हो, अब तक तुम्हारी शादी क्यों नहीं हुई?
उर्मि बोली- ऐसा है दीदी, मेरे माँ बाप तो पीछे पड़े हैं लेकिन मैं तो एक डॉक्टर बनना चाहती हूँ तो अभी तक सबको बोल दिया है कि 
मेरी शादी करने की कोई कोशिश ना करें।
कम्मो भी हँसते हुए बोली- बहुत ही अच्छा विचार है तुम्हारा उर्मि… तुम ज़रूर डॉक्टर बन जाओगी।
फिर हम आइस क्रीम खाकर मेरे कमरे में आ गए। वहाँ कम्मो थोड़ी देर बाद आई और पूछने लगी- छोटे मालिक, आज मेरी ज़रूरत है 
यहाँ क्या?
मैंने उर्मि की तरफ देखा और पूछा- क्यों उर्मि? तुम्हारी क्या इच्छा है?
उर्मि बोली- सोमू, तुम्हारी क्या इच्छा है तुम बताओ।
तब कम्मो बोली- छोटे मालिक, आज आप अकेले ही संभाल लीजिये उर्मि को!
यह कह कर कम्मो वहाँ से चली गई.
मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुड़ कर उर्मि को उठा कर एक बहुत ही प्रगाढ़ आलिंगन किया और उसके होंटों को बहुत ही प्रेम से 
चूमा।
उर्मि भी मुझको चूमने लगी बेतहाशा और फिर वो एकदम से मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी और जल्दी जल्दी मुझको वस्त्रहीन करने लगी।
मैं भी उसके कपड़े उतारने लगा, पहले उसकी हल्के नीले रंग की साड़ी को उतार दिया और फिर उसके नीले रंग के ब्लाउज को भी 
अलग कर दिया और जल्दी ही उसके पेटीकोट को भी उतार दिया।
वो उस समय सिर्फ सिल्क की ब्रा में ही थी, मैं दूर खड़ा होकर उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा।
ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म का हर हिस्सा जैसे साँचे में ढला हुआ हो!
और जब मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया तो उसके गोल और ठोस उरोज ऐसे हाथ में उछल कर आ गए जैसे बड़े खूबसूरत गेंद हों। 
[size=large]औरतों के उरोज मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी रहे हैं, मेरी मम्मी बताया करती थी कि जितनी भी आया मेरी देखभाल के लिए रखी जाती थी 
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वो सब यही कहती थी कि मैं उनकी गोद में जाते ही सीधे उनके मम्मों पर हाथ रखता था।
मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंटों को चूमने लगा।
फिर उसको धीरे से मैं अपने पलंग की तरफ ले आया और उसको चित लिटा दिया। 
अब मैं खुद पलंग पर बैठ गया और उसके मम्मों के साथ खेलने लगा, फिर उनको मुंह में लेकर उनके काले चुचूकों को भी चूसने लगा, 
एक को चूम रहा होता तो उर्मि दूसरा मेरे मुंह में दे देती! जैसे एक के साथ दूसरा फ्री !!!
मैंने उर्मि के मम्मों के बाद अपना ध्यान उसके सपाट पेट और नाभि पर लग दिया और थोड़ा सा चाटने के बाद मैंने चूत पर छाए काले 
घने बालों की तरफ ध्यान केंद्रित कर दिया।
वहाँ ऊँगली से चूत के रेशमी बालों को छूते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल दी। बेहद गीली चूत में से भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी.
अब मैंने मुंह चूत में डाल दिया और उसकी भग को और चूत के लबों को चाटने लगा। फिर मेरा पूरा ध्यान उर्मि की चूत में छिपे भग 
पर चला गया,. भग को मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगा।
ऐसा करते ही उर्मि के चूतड़ अपने आप ऊपर की तरफ उठ गए और उसके मुख से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज़ आने लगी।
फिर एकदम उर्मि की दोनों जांघों ने मेरे मुंह को अपने बीच जकड़ लिया, उसके हाथों ने मेरे सर को ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन 
मैं मस्त चुसाई में लगा रहा।
फिर उर्मि एकदम से चिल्ला पड़ी- ऊह्ह्ह ऊह्ह…
और उसका सारा शरीर बेहद तीव्रता से कांपने लगा, उसकी जांघों ने मेरे मुंह को ऐसा ज़ोर का जकड़ा हुआ था कि मुझको सांस लेना भी 
मुश्किल हो रहा था।
फिर उर्मि का शरीर एकदम से ढीला पड़ गया और यह मौका देख कर मैं उर्मि की टांगों में लेट गया और काफी देर से खड़े अपने लौड़े 
को उर्मि की चूत के मुंह पर टिका कर एक हल्का सा धक्का मारा और फच्च से लंडम सारा उर्मि की चूत में गृहप्रवेश कर गया।
अब मैंने धीरे धीरे से चुदाई शुरू कर दी। उर्मि का आलम यह था कि वो ही आँखें बंद किये आनन्द ले रही थी।
कभी कभी नीचे से ठुमका ज़रूर लगा देती थी नीचे से शायद यह जताने के लिए कि वो सोई नहीं थी।
अभी भी मैं उसके उरोजों को मुंह में लेकर चूस रहा था।
धीरे धीरे उर्मि की सोई हुई चूत फिर से जागने लगी और वो अंदर ही अंदर मेरे लंड को पकड़ और छोड़ रही थी क्यूंकि शायद उसको यह 
उम्मीद थी कि इस गाय के थन से थोड़ा बहुत दूध निकल आये।
लेकिन वो अभी सोमू के लंड से वाकिफ नहीं थी पूरी तरह! यह वो लंड था जिसको ओलिंपिक सेक्स गेम्स में भी गोल्ड मेडल मिल 
सकता था।
यह मैं नहीं कह रहा यह मेरे द्वारा उन चुदी हुई चूतों का एक मत निर्णय था, ऐसा मेरा ख्याल है। 
लेकिन उर्मि की चूत अब पूरी तरह से जाग गई थी और पूरी शानो शौकत से चुदवा रही थी, कुछ धक्कों के बाद ही वो धराशाई हो गई।
अब मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया और उसके गोल और मुलायम चूतड़ों को अपने हाथों में लेकर धक्के मारने लगा।
वो भी बिदकी घोड़ी की तरह से अपनी लातें मरने से बाज़ नहीं आ रही थी लेकिन ऐसी घोड़ी को कंट्रोल करना मुझको अच्छी तरह से 
आता था।
मैंने फुल स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी, पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर… इसी क्रम और फिर सरपट घुड़दौड़ से मैंने उर्मि जैसी घोड़ी 
को भी मात दे दी।
जब तीसरी बार उर्मि छूटी तो वो पलंग पर ढेर हो गई और मैं उसकी बगल में लेट गया, मेरा लौड़ा तो अभी भी हवा में लहलहा रहा 
था।
मैं उठा और कम्मो को बुला लाया।
उसने आते ही पहले उर्मि का पसीना पौंछा और फिर उसको और मुझ को रूह अफजा शरबत पीने को दिया।
कम्मो भी वहाँ रुक गई और उर्मि जो मेरे साथ लेटी थी, उसके मम्मों को सहलाने लगी और उसकी चूत के बालों को संवारने लगी।
कम्मो बोली- उर्मि, अगर चाहो तो हमको बता सकती हो कि तुमको सबसे पहले किसने चोदा था?
उर्मि कुछ देर सोचती रही फिर बोली- मेरे गाँव में मेरा एक दूर का रिश्ते का भाई हमारे साथ रहता था, उसने मुझे पहली बार धोखे से 
चोदा था जब मैं किशोरावस्था में थी।
मैं बोला-अच्छा? बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ उर्मि… लेकिन उसके बाद तुम चुदाई की शौक़ीन कैसे हो गई?
कम्मो बोली- इस विषय के बारे में मैं बहुत कुछ जानती हूँ वो आप दोनों को भी बता देती हूँ। अगर कच्ची कली को तोड़ा जाए यानि 
छोटी उम्र वाली लड़की से यौन क्रिया की जाए तो वो एकदम से पगला जाती है और अक्सर देखा गया है कि वो किसी एक मर्द की हो 
कर नहीं रह सकती क्यूंकि उसके एक मर्द से तसल्ली नहीं होती। क्यों उर्मि, क्या मैं ठीक कह रही हूँ?
उर्मि हैरानी से कम्मो को देख रही थी। फिर एकदम से उर्मि रोने लगी और कम्मो उसको चुप करवाने की कोशिश करती रही। काफ़ी 
कोशिश के बाद उर्मि शांत हुई और बोली- बड़े अरसे के बाद मुझको सोमू जैसा मर्द मिला है जो मेरी भूख को शांत कर सकता है।
कम्मो बोली- छोटे मालिक जैसे आप एक तरह से एक अजीब बिमारी की चपेट में हो, वैसे ही उर्मि को भी उसी तरह की बीमारी है। 
यानि जबसे उसकी छोटी उम्र में चुदाई हुई है, तब से उसको चुदाने की तीव्र इच्छा रहती है और वो एक मर्द से पूरी नहीं हो पाती। क्यों 
मैं ठीक कह रही हूँ उर्मि?
उर्मि कुछ सोचते हुए बोली- नहीं ऐसी बात नहीं है, असल में मुझको काफी देर की चुदाई और एक रात में 3-4 बार की चुदाई बहुत 
अच्छी लगती है। यह ज़रूरी नहीं कि अलग अलग मर्द हों यह काम एक मर्द भी कर सकता है जैसे सोमू कर रहा है।
कम्मो बोली- इसका मतलब यह है कि तुम ने अभी तक कई मर्दों के साथ सम्भोग किया है?
उर्मि बोली- नहीं दीदी, मैंने मुश्किल से 2 मर्दों के साथ ही सेक्स किया है क्यूंकि गाँव में ज़्यादा चॉइस ही नहीं था तो मैं अभी तक तो 
ऊँगली से ही काम चलाती रही हूँ।
कम्मो बोली- फिर छोटे मालिक का कैसे पता चला तुमको?
उर्मि बोली- वो शानू और बानो ने अपना नैनीताल वाले ट्रिप का किस्सा सुनाया तो मुझको पता चला। लेकिन जब 3 दिन पहले सोमू ने 
[size=large]मेरे को चोदा ना, तो मुझको यकीन हो गया कि सोमू ही वो मर्द है जो मुझको पूरी तसल्ली दे सकता है।
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कम्मो और मैं एक दूसरे को देखने लगे कि क्या किया जाये?
कम्मो ने कहा- उर्मि, यह सारी कहानी तुम्हारे भैया और भाभी को पता है क्या?
उर्मि बोली- नहीं… उनको यह बात पता लग गई तो वो मुझको जान से मार देंगे। ठाकुर लोग बड़े ज़ालिम होते हैं आपको तो शायद 
मालूम होगा ना?
मैं बोला- बड़ी अजीब स्थिति है उर्मि तुम्हारी… अच्छा कब कब महीने में कब कब तुमको चुदवाने की इच्छा बहुत बलवती होती है?
उर्मि अपनी चूत में दायें हाथ की ऊँगली से अपनी भग को हल्के हल्के रगड़ रही थी, उसका बायां हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा 
था।
उर्मि शर्माते हुए बोली- पीरियड्स के बाद 10-15 दिन मेरे लिए बड़ी मुश्किल से कटते हैं और फिर मैं नार्मल हो जाती हूँ।
कम्मो बोली- यह समय तो आम लड़कियों और औरतों के लिए काफी उत्तेजना भरा होता है, इन्हीं दिनों गर्भवती होने का ज़्यादा चांस 
होता है। इसका मतलब यह है कि तुमको अगर इन 5-6 दिनों में अगर चुदाई का चांस मिल जाए तो इसके बाद तुमको कोई प्रॉब्लम 
नहीं होती है?
उर्मि ने हाँ में सर हिला दिया।
अब तक उर्मि फिर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वो मेरे लौड़े को बार बार खींच रही थी कि चुदाई के मैदान में फ़ौरन आ जाए।
मैंने उसको पलंग के सहारे खड़ा किया और उसके पीछे से लंडम की एंट्री उसकी चूत में कर दी।
वो अपनी चुदाई का किस्सा सुनाती हुए बहुत ही कामुक हो चुकी थी।
मैंने धीरे और फिर तेज़ वाली स्पीड का सहारा लिया और पूरी कोशिश में लग गया कि वो पूर्ण रूप से स्खलित हो जाए और उसकी 
चुदाई की भूख कुछ शांत हो जाए।
मैंने लंड की स्पीड को ऐसे कंटोल किया कि बार बार लंड उसकी चूत की गहराइयों में विचरता रहे और उसकी चूत को हर तरह से 
आनन्द की विभूति मिलती रहे।
कुछ देर में ही मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से कुछ रसदार पानी निकल रहा है और वो उसकी टांगों के नीचे गिर रहा है।
मैंने उस पानी को छूकर देखा तो वो काफी गाड़ा और खुशबूदार था।
यह देख कर मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और कुछ ही क्षण में उसके चूतड़ आगे पीछे होने लगे और फिर एक साथ पूरी तरह से 
मेरे लौड़े के साथ चिपक गए।
उर्मि के मुख से कुछ अस्फुट शब्द निकल रहे थे और फिर वो पलंग पर ढेर हो गई।
मैं भी कुछ देर अपना लंड उसकी चूत में डाल कर खड़ा रहा उसके पीछे।
थोड़ी देर बाद कम्मो आई और उसने तौलिये से मुझ को पौंछा, उर्मि की टांगें पकड़ कर उसको पलंग पर लिटा दिया और उसके सारे 
शरीर को अच्छी तरह से पौंछा।
फिर वो हम सबके लिए शरबत ले आई।
शरबत पीते हुए कम्मो ने उर्मि को कहा- तुम मुझको टेलीफोन करके आ जाया करो, यहाँ कुछ गपशप मार लिया करेंगे और अगर छोटे 
मालिक खाली हुए तो तुम्हारा काम भी कर दिया करेंगे। क्यों छोटे मालिक?
मैं बोला- हाँ हाँ ज़रूर, तुम्हारा काम अवश्य कर दिया करेंगे। जब चाहो कम्मो से फ़ोन पर बात कर के आ जाया करो, मैं तुम्हारी पूरी 
सेवा कर दिया करूँगा जैसे तुम चाहो वैसे ही!
फिर वो तैयार हो कर चलने लगी तो मैं उसको गेट पर जाकर रिक्शा में बिठा आया। 
कुछ दिन बीत जाने के बाद मुझको उर्मि फिर कॉलेज में मिली और बोली- तुमसे ज़रूरी बात करनी है, आओ कैंटीन चलते हैं।
मैं उसके पीछे चलते हुए कैंटीन पहुँच गया और वो एक टेबल पर बैठते हुए बोली- सोमू यार कुछ खाओगे या पियोगे?
मैं बोला- तुम बोलो, क्या लाऊँ तुम्हारे लिए?
उर्मि बोली- कुछ नहीं चाहिए यार, क्या तुम मेरे घर आ सकते हो थोड़े टाइम के लिए? 
मैं बोला- क्या काम है उर्मि, बोलो?
उर्मि बोली- मेरी एक क्लास फेलो तुमसे मिलना चाहती है।
मैं बोला- कब और कहाँ?
उर्मि बोली- मेरे घर में, आज ही! 
मैं बोला- ऐसा क्या काम आन पड़ा तुम्हारी सहेली को जो मुझको बुलाना चाहती है वो?
उर्मि बोली- मैं उसको बुला लाती हूँ तुम यहीं रुको।
मैं वेट करने लगा और थोड़ी देर में वो एक अपने जैसी ही खूबसूरत लड़की को साथ लेकर आ गई।
उसने हम दोनों को मिलवाया। उस लड़की का नाम हिना था और वो एक बड़े ही अमीर घराने से थी, वो कॉलेज अपनी कार में आया जाया करती थी।
हम दोनों ने हेलो किया एक दूसरे को!
फिर मैं चुपचाप वेट करने लगा कि इस लड़की को क्या काम हो सकता है मुझसे।
हिना बोली- देखो सोमू, मुझको तुम्हारी कुछ खासियतें पता चली हैं जिन पर मुझको कतई विश्वास नहीं, तो मैं चाहती हूँ कि मैं खुद उनको जांच लूँ?
मैं गुस्से में कांपने लगा था लेकिन मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाला और बड़े ही संयत स्वर में बोला- देखिये मैडम, मुझमें कोई भी ऐसी खासियत नहीं है जिसकी आपको जांचने की ज़रूरत पड़े, थैंक यू मैडम, बाय मैडम और बाय उर्मि!
यह कह कर मैं वहाँ से उठ आया और अपनी क्लास की तरफ जाने लगा।
तभी उर्मि ने मुझको आवाज़ दी- रुको सोमू, बात तो सुन लो पूरी हिना की..
मैं बोला- मैंने कोई बात नहीं सुननी, ओके बाय।
मैं फिर मुड़ कर जाने लगा कि हिना मेरे निकट आ गई और बोली- मुझको माफ़ करना सोमू, मुझको ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी।
मैं चुप रहा।
तब हिना फिर बोली- एक बार मेरी बात सुन तो लो यार सोमू।
मैं बोला- वैरी सॉरी हिना जी, वास्तव में जब आप ने मेरी खासियतों की जांच की बात की तो मुझको गुस्सा आ गया था। मुझमें ऐसी कोई भी खासियत नहीं है जो दूसरे लड़को में न हो!
हिना बोली- सॉरी यार, मुझसे गलती हुई थी, अच्छा ऐसा है मैं एक प्रोग्राम बनाना चाहती हूँ जिसमें सिर्फ हम 4 लड़के फ्रेंड्स और 4 लड़कियाँ सहेलियाँ होंगे।
मैं बोला- फिर क्या होगा।?
हिना बोली- मैं एक बहुत बड़े बंगले में रहती हूँ लखनऊ में जो मेरे पिताजी का है और वो इस शहर के बहुत ही अमीर आदमी हैं। कुछ दिनों के लिए मेरी सारी फैमिली लखनऊ से बाहर जा रही है तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं अपने बंगले में एक नाईट पार्टी अपने फ्रेंड्स के साथ करूँ।
मैं बोला- लेकिन मैं तो आपका दोस्त नहीं हूँ फिर मेरा क्या काम उसमें?
हिना बोली- मैं तुमको अपना दोस्त ही तो बनाना चाहती हूँ सोमू यार!
मैं बोला- ठीक है मैं दोस्ती के लिए तैयार हूँ लेकिन आप पहले मेरी कोठी में आओ तो सही, मुझको मेहमान नवाज़ी का मौका तो दो, फिर देखेंगे आगे की पार्टी का!
हिना बोली- ठीक है, कल मैं तुमसे आगे बात करूंगी, ओके बाय!
[size=large]मैं भी अपने टाइम पर कॉलेज से वापस घर आ गया और खाना वगैरह खा कर कुछ देर के लिए सो गया। शाम को कम्मो को सारी बात बताई और पूछा- क्या कल अपने दोस्तों को यहाँ बुला लूँ?
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कम्मो बोली- हाँ हाँ बुला लो न, मैं सब इंतज़ाम कर दूंगी।
अगले दिन कॉलेज खत्म होने पर हिना, उर्मि और उसकी कुछ फ्रेंड्स मुझको कैंटीन में मिले, सबसे परिचय करवाया गया। फ्रेंड्स में 2 लड़के और एक लड़की थी।
लड़कों के नाम विनोद और राज थे और लड़की का नाम निशि था। यह सब साइंस के विद्यार्थी थे जबकि मैं और उर्मि और निशि आर्ट्स के विद्यार्थी थे, हम चारों ही इंटर के प्रथम साल के विद्यार्थी थे।
फिर हम सब हिना की कार में बैठ कर मेरी कोठी में आ गए।
वहाँ कम्मो ने हम सबका स्वागत किया, बैठक में ले गई और शरबत और जलपान का इंतज़ाम कर दिया।
अब मैंने नए मेहमानों का निरीक्षण परीक्षण किया, इन नए मेहमानों में से मैं सिर्फ उर्मि को ही जानता था।
हिना और निशि देखने में सुन्दर थी, उनकी शारीरिक सुंदरता उनके कपड़ों के कारण नहीं आंकी जा सकती थी लेकिन वो मनमोहक अवश्य थी।
लड़कों में विनी 5 फ़ीट 8 इंच का पतले शरीर वाला लड़का था और राज का शरीर थोड़ा भरा हुआ नाटे कद बुत वाला था।
तभी कम्मो ने आकर कहा- खाना मेज पर लग गया है।
हम सब बैठ कर खाना खाने लगे और वहीं बातें शुरू हो गई कि क्या प्रोग्राम बनाया जाए?
हिना बोली- ऐसा है, मैं काफी अरसे से सोच रही थी कि हम कुछ लड़के लड़कियाँ मिल कर डांस और ग्रुप सेक्स का प्रोग्राम बनायें। ‘उसके लिए आजकल के माहौल में मॉडर्न लड़के और लड़कियाँ कहाँ से मिलेंगी?’
‘मैंने पूछताछ की तो पता चला कि मेरे अलावा दो लड़कियाँ और भी हैं जो इस किस्म का शौक रखती हैं और कुछ लड़कों ने भी अपनी रज़ामंदी जताई।’ हिना ने बताया।
विनी बोला- मेरे ख्याल में हम सबके अलावा भी कुछ और लड़के लड़कियाँ होंगे जिनको ग्रुप सेक्स से कोई परहेज़ ना हो।
उर्मि बोली- मैं भी कालेज की कुछ लड़कियों को जानती हूँ जिन्होंने ग्रुप सेक्स का आनन्द पिछले कुछ दिनों में ले लिया है।
यह कह कर वो मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं सर नीचे कर के किसी से भी नज़र नहीं मिला रहा था।
राज बोला- मैं अपने बारे में तो कह सकता हूँ कि मुझको ग्रुप सेक्स में कोई ऐतराज़ नहीं होगा और मैं काफी मज़ा ले सकूंगा।
अब मैं बोला- मैं सोचता हूँ कि हम सब ग्रुप सेक्स का पूरा मतलब नहीं समझे हैं अभी तक, मेरे विचार में ग्रुप सेक्स का पूरा मतलब और उससे जुड़ी हुई समस्याओं को पूरी तरह समझ पाएँ, उसके बाद फैसला लें कि यह करना है या नहीं।
हिना बोली- वाह सोमू यार, तुम तो काफी जानकारी रखते हो इस बारे में… मेरे ख्याल में सोमू ठीक कह रहा है और हमको इस बारे में पहले पूरी जानकारी ले लेनी चाहये। लेकिन यह जानकारी मिलेगी कहाँ से?
कुछ समय तक जब कोई नहीं बोला तो मैंने कहा- अगर हिना जी और आप सबको भी मंज़ूर हो तो मैं अपनी हाउसकीपर कम्मो रानी से मिलवा देता हूँ शायद उसको कुछ मालूम हो!
हिना और सबने कहा- ठीक है आप बुलाओ उनको हम पूछ लेते हैं!
मैं कम्मो को बुला लाया।
हिना ने सारी बात उसको बताई और पूछा कि आपकी राय में हमको क्या करना चाहिये इस मामले में।
कम्मो बोली- देखिये, मैंने भी अभी तक ग्रुप सेक्स या सामूहिक सेक्स के बारे में पढ़ा था कि पहले ज़माने में यह प्रथा राजा रजवाड़ों में आम थी और कई अमीर-उमरा इस तरह का सामूहिक यौन समारोह अपने महल मेंकिया करते थे लेकिन उसमें भाग लेने वाली स्त्रियाँ अक्सर बाज़ारू होती थी। जहाँ तक घरेलू लड़कियों का सवाल है, आजकल मॉडर्न माहौल में शायद यह मान्य हो लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन लड़कियों के लिए होती है क्यूंकि वास्तव में इस सारी क्रिया में लड़कियों का रोल इम्पोर्टेन्ट हैं। क्या आप लड़कियाँ इसके साथ होने वाली बदनामी की सम्भावना के लिए तैयार हैं?
हिना बोली- कैसी बदनामी दीदी?
कम्मो बोली- क्या आपके साथ यौन क्रिया में भाग लेने वाले लड़के इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि यह बात बाहर नहीं निकलेगी?
लड़के चुप रहे।
मैंने कहा- कम्मो जी ने सही सवाल उठाया है, क्या आज आप इन तीनों लड़कियों के साथ सेक्स करने के बाद यह गारंटी लेते हैं कि इसके बारे में कभी किसी को कोई बात नहीं बताएंगे?
सब लड़के चुप रहे।
तब कम्मो बोली- आप सिर्फ 6 लड़के लड़कियाँ हैं, आप में यह बात छुप सकती है अगर आप सब मिल कर कसम खाएँ कि कभी भी इस ग्रुप सैक्स के बारे में किसी को भी कुछ नहीं बताएँगे।
सबने ज़ोर से कहा- हम सब कसम खाएंगे कि हम इस बारे में कभी भी किसी को नहीं बताएँगे।
कम्मो बोली- चलो यह तय हो गया। अब सवाल है कि किस जगह यह कार्यक्रम किया जाए, क्यों हिना तुम्हारा क्या इरादा है?
हिना बोली- मैं सोच रही थी कि अगले हफ्ते मेरे मम्मी पापा बाहर जाने वाले हैं तो मैं अपने बंगले में उनके जाने के बाद इसका आयोजन कर लूंगी।
कम्मो बोली- सिर्फ शाम का या फिर पूरी रात का आयोजन होगा यह?
हिना बोली- कम्मो जी, आप क्या उचित समझती हैं?
कम्मो बोली- मेरे विचार में आप इस कार्यक्रम को दोपहर में कॉलेज खत्म होने के बाद ही रखें। आपके पास 3-4 घंटे होंगे इस काम के लिए… मेरे ख्याल में वो काफी हैं और फिर किसी भी लड़की को झूठ का सहारा नहीं लेना पड़ेगा अगर यह प्रोग्राम दिन को करते हैं।
हिना बोली- वो तो ठीक है लेकिन मेरे पास तो जगह सिर्फ रात को मिल पाएगी न!
[size=large]कम्मो ने मेरी तरफ देखा, मैं उसका इशारा समझा गया और मैंने कहा- मेरी कोठी में यह प्रोग्राम रख सकती हैं लेकिन उसमें हिस्सा लेने वाले केवल यही लोग होंगे सिर्फ हम 6… क्यों? मंज़ूर है?
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हिना ने सबकी तरफ देख कर पूछा- क्यों बॉयज एंड गर्ल्स मंज़ूर है?
सबने कहा- मंज़ूर है।
कम्मो बोली- आप सब लड़कियों को मालूम होना चाहिए कि इस ग्रुप सेक्स प्रोग्राम में कोई भी लड़का किसी लड़की के साथ और कोई लड़की किसी दूसरे लड़के के साथ सेक्स कर सकती है और किसी को कोई भी ऐतराज़ नहीं होगा।
सब बोले- हमको मंज़ूर है।
हिना बोली- इस प्रोग्राम में कुछ ख़ास खाने के लिए या पीने का इंतज़ाम हम आपस में पैसे इकटठे कर के करेंगे। क्यों मंज़ूर है?
जब सबने हाँ बोल दी तो हिना ने कहा- आप सब कम्मो दीदी को 100-100 रूपए दे दें। इस प्रोग्राम की तारीख बाद में तय होगी।
तब हिना बोली- आज जब हम सब इकट्ठे हुए ही हैं तो क्यों न आज कुछ थोड़ी सी शुरुआत कर लें? क्यों सोमू और कम्मो जी?
मैं बोला- हमको तो कोई ऐतराज़ नहीं, आप सब देख लो, क्यों कम्मो?
कम्मो बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक है, अगर आप सब तैयार हैं तो प्रबंध कर सकते हैं हम!
हिना ने सबसे पूछा तो सबने हाँ कर दी।
कम्मो बोली- इससे पहले कि कार्यवाही शुरू करें, आप सब अपनी कसम तो खा लो मिल कर!
हिना ने कहा- आओ सब जने एक दूसरे का हाथ पकड़ें और कसम खाएँ कि हम 6 इस ग्रुप में घटने वाली किसी भी घटना का ज़िक्र किसी और से नहीं करेंगे।
सबने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कसम खाई, फिर कम्मो सबको लेकर मुख्य गेस्ट रूम में ले गई। वहाँ नीचे फर्श पर मोटे गद्दे बिछा रखे थे और टेबल पर शीशे के गिलास, शरबत और कोक की बोतलें ला कर रख ली।
मैं बोला- आप सब शर्बत या फिर कोक पी सकते हैं। एक बात और अगर हिना जी और आप सब बुरा न मानें तो कम्मो जी सारे कार्यक्रम के दौरान यहीं रहेंगी ताकि कोई प्रॉब्लम हो तो वो उसको अटेंड कर सकती हैं।
हिना और सबने कहा- हमको कोई ऐतराज़ नहीं है।
फिर हिना ने कम्मो के साथ कुछ सलाह की और कहा- हम सब अपने कपड़े उतार देंगे। किसी को शर्म वर्म की प्रॉब्लम तो नहीं है ना? इस काम में कम्मो जी हम लड़कियों की मदद करेंगी।
फिर लड़के लोग अपने कपड़े उतारने लगे और कम्मो एक एक कर के लड़कियों के कपड़े उतारने लगी। सब से पहले हिना ही नग्न हुई, उसके बाद निशा और अंत में उर्मि।
अब कम्मो ने कहा- लड़के एक लाइन में खड़े हो जाएँ और लड़कियाँ उनके सामने लाइन बना कर खड़ी हो जाएँ।
अब मैंने और बाकी सबने अपने सामने खड़ी लड़की या लड़के को गौर से देखा कि वो देखने में कैसे हैं।
मेरे सामने हिना खड़ी थी और उसका शरीर काफी ख़ूबसूरती लिए हुए था, उसके मम्मे गोल और ज़्यादा मोटे नहीं थे लेकिन उसके चूतड़ मोटे और फैले हुए थे, गोल नहीं थे, चूत पर हल्के भूरे बाल थे और पेट एकदम स्पाट था।
फिर निशा को देखा, उसके मम्मे गोल लेकिन छोटे थे और चूतड़ भी गोल और छोटे थे, उभरे हुए नहीं थे और उसकी चूत पर काले घने बाल छाए हुए थे।
उर्मि की नग्न तस्वीर पाठकों के समक्ष पहले ही रखी जा चुकी है।

लड़को को देखा तो सिवाए मेरे किसी और का लंड खड़ा नहीं था, मेरा लंड एकदम तना हुआ खड़ा था।
कम्मो ने कहा- अब लड़की और लड़के की जोड़ियाँ बनाने का टाइम है, इसके दो तरीके हैं, या तो जैसे आप खड़े हैं आमने सामने वही आपके पार्टनर हैं या फिर लाटरी डाली जाए?
सबने कहा- आमने सामने वाले ही ठीक हैं।
कम्मो ने कहा- अब आप अपने पार्टनर को अपने पास ला सकते हैं और आगे का कर्यक्रम शुरू कर सकते हैं, लेकिन याद रहे कोई भी ऐसी हरकत ना करें जो आपके पार्टनर को मंज़ूर न हो।
[size=large]ग्रुप सेक्स
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कम्मो ने कहा- अब आप अपने साथी को अपने पास ला सकते हैं और आगे का कर्यक्रम शुरू कर सकते हैं, लेकिन याद रहे कोई भी ऐसी हरकत ना करें जो आपके पार्टनर को मंज़ूर न हो।
हिना धीरे धीरे चल कर मेरे पास आई, हम दोनों ने हाथ मिलाया, फिर हिना मेरे खड़े लंड को दखने लगी।
वो हैरान थी क्यूंकि किसी लड़के का लंड अभी भी पूरा खड़ा नहीं हुआ था।
राज का लंड काफी मोटा था लेकिन वो लम्बाई में छोटा था और उधर विनी का लंड लम्बा था लेकिन पतला लग रहा था।
क्यूंकि उर्मि के हिस्से में राज आया था सो वो उसके छोटे लंड को बड़ी मायूसी से देख रही थी और उसकी आँखें तो मेरे लम्बे और मोटे लंड की तरह ही थी।
मैंने हिना को अपने पास खींच लिया और उसके लबों पर एक सॉफ्ट चुम्बन जड़ दिया। उसने भी मेरे चुम्बन का जवाब अपनी बाहों को मेरे गले में डाल कर मुझको एक बड़ा ही गहरा चुम्बन दिया।
उसका हाथ अपने आप सरकता हुआ मेरे लौड़े पर चला गया और उसके साथ खेलने लगा। 
बाकी जोड़े भी एक दूसरे को लेकर बिजी हो गए। विन्नी निशि को किस कर रहा था और राज उर्मि के मम्मे चूस रहा था लेकिन वो दोनों ही अपने खड़े लंडों को लेकर दोनों लड़कियों के ऊपर टूट पड़े।
मैं और हिना एक दूसरे को बहुत ही गहरी किसिंग में लग गये, वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसके भग को मसल रहा था।
फिर मैंने हिना को लिटा दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा और मेरा एक हाथ उसके भग के को सहला रहा था।
हिना की चूत भी गीली हो चुकी थी लेकिन अभी इतनी नहीं थी कि लंड को डाला जाए।
मैं उसके मम्मों के काले चुचूकों को चूसने लगा और ऊँगली से उसकी भग को रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ही हिना ने मेरे लौड़े को खींचना शुरू किया जिसका मतलब था कि वो चुदाई के लिए तैयार है।
मैंने उसकी गोल सिल्की टांगों में बैठ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत के ऊपर रख कर भग को ज़ोर ज़ोर से रगड़ना शुरू किया।
अब हिना रह नहीं पा रही थी और अपनी कमर को ऊपर उठा कर लंड को अंदर डालने की कोशिश कर रही थी।
जब मैंने देखा कि वो काफ़ी उतावली हो गई है तो मैंने लंड का सिर्फ मुंह उसकी चूत पर रखा और थोड़ा भाग ही अंदर डाला कि उसके चूतड़ ने नीचे से ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लंड अंदर ले गई।
अब मैंने अपने हाथ उसकी कमर के नीचे रखे और उसके चूतड़ों को अपने हाथ में ले लिया और धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये, पूरा लंड निकाल कर फिर पूरा अंदर डालना यही क्रम मैंने अपना लिया।
हिना भी नीचे से पूरी कमर उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी।

दूसरी तरफ देखा कि विनी तेज़ धक्कों के आखरी पड़ाव पर पहुँच चुका था और राज उर्मि के अंदर झड़ चुका था और वो उर्मि की बगल में लेट कर हाम्फ़ रहा था।
उर्मि के हाव भाव से लग रहा था कि उसका कुछ भी नहीं हुआ और वो उठ कर बाथरूम में जा रही थी।
इधर मैंने हिना की चुदाई धीरे धीरे से थोड़ी तेज़ कर दी और ऐसा करते ही हिना ज़ोर से स्खलित हो गई और उसके मुख से हाय की जोर की आवाज़ निकली।
मैं भी रुक गया और जब वो थोड़ी सी संयत हुई तो उसको उठा कर मैंने अपने ऊपर बैठा लिया। 
अब वो ऊपर से मुझको धक्के मारने लगी और मैं अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा, ख़ास तौर से उसके चुचूकों को ऊँगली से गोल गोल घुमाने लगा।
जल्दी ही हिना फिर से तैयार हो गई और ऊपर से बैठे ही मुझको ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी। कोई 5 मिन्ट की ऐसी चुदाई के बाद वो फिर से काम्पने लगी और फिर झड़ गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से लेट गई।
अब मैंने उसको उठाया और उसको दीवार के सहारे खड़ा करके पीछे से चोदने लगा।
वो भी बड़े आनन्द से इस पोज़ में मुझसे चुदती रही। केवल 5 मिन्ट में फिर मैंने महसूस किया कि उसकी चूत फिर बंद और खुल रही है और थोड़ी देर में उसका ढेर सारा पानी झड़ गया और वो थक कर वहीं बैठ गई।
कम्मो जल्दी से आई और मैंने और उसने मिल कर उसको गद्दे पर लिटा दिया। 
दूसरी तरफ़ दोनों निशि और उर्मि खाली हाथ बैठी थी और दोनों लड़के आराम से गद्दों पर लेटे थे।
मुझको हिना से फारिग होते देख कर निशि उठ कर आई और मेरे लंड को चूसने लगी और उधर उर्मि विनी को जगाने की कोशिश करने लगी।
मैंने निशि की चूत को टटोला तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या इरादा है निशि? मुझसे करवाना है क्या?
वो बोली- हाँ सोमू प्लीज!
मैंने उसको कहा कि वो फ़ौरन घोड़ी बन जाए।
जैसे ही वो घोड़ी बनी, मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों के साथ खेलने लगा, अपनी पुरानी घुड़चाल शुरू कर दी यानि पूरा लंड निकाल कर फिर उसको पूरा डालना पहले धीरे धीरे, फिर जल्दी ही तेज़ी से घुड़ दौड़ शुरू कर दी, साथ ही उसके चूतड़ों पर हाथ की थपकी भी देने लगा।
चूतड़ों पर पड़ती थपकी को निशि ने बहुत ही पसंद किया और उसने अपने चूतड़ों को हिला हिला कर इस का अभिवादन किया।
अब मैंने उसको गर्म होते महसूस किया तो मैं पूरी ताकत से उसको पीछे से चोदने में लग गया, मेरी बेतहाशा स्पीड से वो घबरा गई और जल्दी ही छूट गई और छूटते ही चिल्ला पड़ी- मर गई रे!
कम्मो जल्दी से आई और उसको संभालने लगी.
मुझको खाली देख उर्मि दौड़ कर आ गई और बोली- सोमू प्लीज, मेरा भी काम कर दो, प्लीज सोमू!
मैं खड़ा हो गया और उसको चूतड़ों से उठा लिया और अपने खड़े लंड का निशिना लगा कर उसकी चूत में अपना मोटा लंड घुसेड़ दिया और फिर उसको हाथों में लेकर सारे कमरे का चक्कर लगाने लगा।
उर्मि मेरे लंड पर बैठी हुई अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और जल्दी ही वो पूरी तरह से मुझको चोदने लगी।
मैं आराम से खड़ा था और वो मेरे लंड पर नाच रही थी। जल्दी ही उसका नाच इतना तेज़ हो गया कि मैं और कम्मो उसको संभाल नहीं पा रहे थे।
जल्दी ही वो मेरे गले में अपनी बाहें डाल कर मुझ से चिपक गई और सिर्फ अपने चूतड़ों को आगे पीछे नचा रही थी।
थोड़ी देर में उसका नाचना बंद हो गया और वो मेरे मुंह से अपना मुंह जोड़ कर मेरी छाती से चिपक गई और ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी।
जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो वो अपने आप से मेरे लंड के ऊपर से हट गई और उसके हटते ही मेरा लंड पॉप कर बाहर आ गया। लंड का रंग एकदम लाल हो गया था जैसे बहुत ही गुस्से में हो!
[size=large]एक घंटे में 3 जवान लड़कियों को चोदने के बाद कोई भी आदमी या फिर लंड लाल सुर्ख हो ही जाता।
[/size]
 
जब सबने थोड़ी देर आराम कर लिया तो कम्मो सबके लिए रूह अफजा का शरबत ले आई।
शरबत पीने के बाद तीनों लड़कियाँ मेरे चारों तरफ खड़ी हो गई और बिना कुछ कहे ही बहुत सी बातें अपनी आँखों से कह गई जिसमें मुख्य बात थी कि अब फिर कब? तब सिर्फ़ मेरे साथ!
मेरी भी आँखें जवाब दे रही थी- देखेंगे तब की तब, फिर आ जाना सब की सब!
कम्मो बोली- चलिए खेल खत्म करें या अभी कुछ मन में बाकी है?
हिना ने सब की तरफ देख कर कहा- बोलो क्या मर्ज़ी है आप सब की?
लड़के सब चुप थे लेकिन उर्मि और निशि की मर्ज़ी अभी बाकी खेल खलने की थी.
कम्मो ने कहा- लड़के तो खेल खत्म करना चाहते है सो अच्छा हो गा अगर यह आज का शो यहीं खत्म किया जाए. चलिए लड़कियां और लड़के अलग अलग बाथरूम में अपने कपडे पहन लें.
कम्मो लड़कों को साथ वाले कमरे के बाथरूम में ले गई और तीनों लड़कियाँ वहीं बाथरूम में कपड़े पहनने लगी।
कपड़े पहन कर हम सब फिर बैठक में इकट्ठे हुए।
हिना बोली- कहो, कैसा रहा यह ग्रुप सेक्स का एक नमूना। आशा है आप सब ने इस प्रोग्राम का आनन्द लिया होगा। आगे का प्रोग्राम रखा जाए या नहीं उसके बारे में बाद में सोचेंगे। अब लड़के अपने घर जा सकते हैं लेकिन यह याद रहे कि जो कसम हम सबने खाई है उसका पूरा निर्वाह होना चाहये।
मैं विनोद और राज को कोठी के बाहर तक छोड़ आया जहाँ से उन्होंने रिक्शा कर ली थी।
वापस आया तो लड़कियों में बहस चल रही थी, उन सब का कहना था कि सिवाए मेरे बाकी दोनों लड़के बिल्कुल नौसिखिया थे, उनको काम क्रिया का ज़्यादा अनुभव नहीं था।
कम्मो बोली- मेरा भी यही ख्याल है, उसका मुख्य कारण मैं यह समझ रही हूँ कि शायद यह उनका सेक्स का पहला ही मौका था।
हिना बोली- मैं नहीं समझती कि आगे का प्रोग्राम हम अभी बना सकते हैं क्यूंकि जब तक हमको अनुभवी लड़के और लड़कियां नहीं मिल जाते, आगे के प्रोग्राम के बारे में सोचना भी बेकार है। क्यों कम्मो दीदी?
कम्मो बोली- बिल्कुल ठीक कह रही हो हिना जी!
हिना बोली- लेकिन एक बात जो साफ़ हो गई है वो है कि अपना सोमू कमाल का लड़का है यार, तीन तीन को तीन बार चोद देना और फिर तीन बार हर एक का छूटा भी देना और फिर खुद ज़रा सा भी नहीं थकना… वाह वाह… यह सब किस से सीखा तुमने सोमू? सच सच बताना?
मैं थोड़ा शरमाया और फिर बोला- सच बताऊँ, मेरी सेक्स गुरु कम्मो रानी है, ये सब दांव पेच कम्मो जी ने सिखाये हैं।
तीनो लड़कियों ने खूब तालियाँ बजाई।
हिना बोली- मुझको भी पूरा सेक्स का ज्ञान नहीं है और इन दोनों को भी शायद बहुत कम ज्ञान होगा, क्यों?
उर्मि और निशि ने हाँ में सर हिला दिया।
हिना बोली- कम्मो दीदी, क्या आप हम लड़कियों को भी सेक्स के मामले में ट्रेनिंग दे सकती हो?
कम्मो ने मेरी तरफ देखा और कहा- अगर छोटे मालिक इजाज़त दें तो यह काम हो सकता है।
मैं बोला- हाँ हाँ, ज़रूर ट्रेनिंग दो इनको भी और जो दूसरी लड़कियाँ भी ट्रेनिंग लेना चाहें, उनको भी ट्रेनिंग दो, यह तो पुण्य का काम है।
कम्मो बोली- लेकिन छोटे मालिक इसमें प्रैक्टिकल कर के भी दिखाना पड़ सकता है तो ऐसा पुरुष कहाँ से लाएँगे जो प्रैक्टिकल कर के लड़कियों को समझा सके?
मैं चुप रहा लेकिन हिना बोली- क्यों, अपना सोमू प्रैक्टिकल करके दिखा सकता है अगर ज़रूरत पड़ेगी तो!
मैं चुप रहा और फिर थोड़ी देर सोचने के बाद बोला- खैर वो मदद तो मैं करने को तैयार हूँ, बाकी जो कम्मो कहेगी वो हम सबको करना पड़ेगा। इस काम के लिए कम्मो को भी तो कुछ फीस मिलनी चाहिए न, बेचारी कॅाफ़ी मेहनत करेगी।
हिना बोली- उसकी आप चिंता छोड़ दीजिये, वो मैं संभाल लूंगी। अगले हफ्ते हम फिर यहाँ ही मिलते हैं आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए!

[size=large]कॉलेज की लेडी प्रोफेसर
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सब लड़कियों के जाने के बाद मैं और कम्मो बैठक में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है।
कॉलेज ग्रुप सेक्स तो एक बुरा एक्सपेरीमेंट था क्योंकि मैं समझता हूँ सबसे कमज़ोर कड़ी वो लड़के थे जिनको इस ग्रुप में शामिल किया गया था।
हिना ने बगैर उनकी कार्य कुशलता जाने ही उनको इस काम के लिए चुन कर बहुत बड़ी गलती की।
जब मैंने कम्मो से पूछा तो वो भी इसी विचार की थी।
फिर मैंने उससे पूछा कि उसका जो अपना क्लिनिक खुलने वाला था उसका क्या हुआ?
उसका जवाब था कि कोई खास पूछताछ नहीं हुई है हालाँकि उसने एक दो दाइयों को कहा भी था।
मैंने कम्मो से पूछा- वो सेठानियों का फ़ोन या वो खुद नहीं आई क्या?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- अगले अफ्ते उनका चेकअप होना है, देखो तब कुछ बात हो सके, क्या आपको उनकी चाहिये?
मैं बोला- देखो कम्मो, तुम्हारे अलावा अगर कोई खूबसूरत औरत या लड़की मेरे जीवन में आई है तो वो हैं रानी और प्रेमा, उनके जैसा शरीर न मैंने अभी तक देखा है और ना देखने की कोई उम्मीद है।
कम्मो बोली- ठीक है आज हम दोनों आपको चोदेंगी और आपका सारा रस निकाल कर ले जाएंगी। वैसे छोटे मालिक, आज शाम को मैं आपकी नज़र भी उतार दूंगी।
अगले दिन मैं टाइम पर कॉलेज चला गया। लंच इंटरवल में मुझको हिना मिल गई और मुझको लेकर कॉलेज के गार्डन में घूमने लगी।
घूमते हुए उसने कहा कि आज छुट्टी के बाद मैं उसके साथ उसके घर में चलूँ, एक ज़रूरी काम है।
मैंने पूछा- वही काम है क्या?
हिना हँसते हुए बोली- नहीं सोमू यार, तुमको किसी ख़ास बन्दे से मिलवाना है।
मैं बोला- बन्दा या बंदी?
हिना बोली- वहीं देख लेना न कि वो बंदा है या बंदी?
मैं बोला- ठीक है, मैं कम्मो को फ़ोन पर बता देता हूँ कि शाम हो जायेगी मुझको घर आते हुए।
कॉलेज की छुट्टी के बाद मुझको अपनी कार में लेकर हिना अपने बंगले में पहुँच गई।
उस वक्त बंगले में उसकी एक मेड थी और एक कुक थी और बाकी परिवार के सदस्य शहर के बाहर गए हुए थे।
उसकी नौकरानी शरबत ले आई और हम पीने लगे।
तभी कोठी में एक और कार आ कर रुकी और एक स्मार्ट लेडी उस में से निकल कर बैठक मैं आई।
हिना ने उठ कर उनका स्वागत किया।
मैं फ़ौरन पहचान गया कि वो तो हमारे कॉलेज की प्रोफेसर थी, मैंने भी उठ कर उनको नमस्कार किया। 
हिना ने कहा- मैडम, यह सोमू है अपने ही कॉलेज में प्रथम साल का आर्ट्स का छात्र है। और सोमू, तुम तो मैडम को तो जानते ही होगे।
मैंने कहा- मैडम को कौन नहीं जानता।
मैडम बोली- अरे यार, तुम तो फॉर्मल हो गए हो, हम तो अभी कॉलेज से बाहर हैं न, मेरा नाम निर्मला है, उससे ही पुकारो तुम दोनों।
मैं बोला- जैसा आप कहें निर्मला मैडम!
तब तक मेड कोल्डड्रिंक ले आई थी। 
हिना बोली- सोमू, निर्मला मैडम यहाँ एक ख़ास मकसद से आईं हैं। वो मैं खाना खाने के बाद बताऊँगी, चलिए खाना लग गया है।
हम सब उठ कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए और काफी स्वादिष्ट खाना खाने लगे लेकिन मैं इस खाने का पारो के बनाये खाने से मिलान करता रहा और पाया कि पारो के हाथ का खाना ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है।
खाने से फ़ारिग़ होकर हम फिर बैठक में आकर बैठ गए।
तब हिना बोली- निर्मला मैडम बेचारी बड़ी मुसीबत में हैं, उनके पति उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाते क्यूंकि वो ज़्यादा समय अपने कारोबार में बिजी रहते हैं।
यह कह कर हिना मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं मुंह झुका कर चुप बैठा रहा।
हिना फिर बोली- उनकी प्रॉब्लम को समझ रहे हो सोमू?
मैं बोला- समझ तो रहा हूँ लेकिन मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ इस मामले में?
हिना बोली- वही जो तुम अक्सर सबकी करते हो?
मैं बोला- क्या मदद चाहिए और कब चाहिए यह निर्मला मैडम को कहने दो हिना प्लीज!
निर्मला मैडम सर झुका कर बैठी रही लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि वे काफी दुखी हैं।
मेरा मन तो किया कह दूँ कि मैं मदद के लिए तैयार हूँ लेकिन फिर कम्मो के शब्द मन में गूँज रहे थे कि जब तक कोई भी औरत स्वयं यौन संबंध के लिए नहीं कहे, मुझको आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- निर्मला मैडम जी, मैं हर प्रकार से आप की सहायता करने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप कुछ बताएँ तो सही?
निर्मला मैडम मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं सेक्स की प्यासी हूँ। मेरे पति मेरा बिल्कुल ध्यान नहीं देते और आज 10 साल से मेरे घर बच्चा नहीं हुआ क्योंकि मेरे पति को सेक्स के प्रति कोई लगाव ही नहीं, न उनमें इसकी कोई इच्छा है लेकिन मैं उनसे तलाक भी नहीं ले सकती।
यह कहते हुए निर्मला मैडम फूट फूट कर रोने लगी।
मैं और हिना उनके पास गये और उनको तसल्ली देने लगे।
फिर वो एकदम से उठी और मुझको कस कर आलिंगन में ले लिया और मेरे होटों को बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उनको जफ़्फ़ी डाली और उनकी चूमाचाटी का वैसे ही जवाब देने लगा।
तब हिना बोली- आओ सोमू और मैडम, हम सब मेरे बैडरूम में चलते हैं।
बैडरूम में पहुँचते ही निर्मला तो मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह से टूट पड़ी, चूमने चाटने के अलावा मेरे लंड को भी पैंट के बाहर से पकड़ कर मसलने लगी।
हिना ने जल्दी से मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। कमीज और पैंट उतार कर मेरे अंडरवियर में हाथ डालने लगी तो मैंने उसका हाथ रोक दिया और कहा- पहले आप दोनों।
यह सुन कर निर्मला मुस्कराने लगी और हिना भी हंस दी, फिर दोनों ही अपनी साड़ियाँ उतार कर और ब्लाउज उतार रही थी कि मैंने निर्मला का हाथ रोक दिया और बोला- आपको निर्वस्त्र करने का सौभाग्य मुझको दीजिये मैडम जी! 
अब मैं निर्मला के ब्लाउज और पेटीकोट को बहुत धीरे धीरे से उतारने लगा और फिर उसकी ब्रा पर जब हाथ रखा तो उसके गोल और सॉलिड मम्मों को देख कर दिल एकदम से खुश हो गया।
उसके पेटीकोट को उतारा तो उसकी चूत पर हल्के काले बाल थे जिनको ट्रिम किया गया था।
मैं एकदम से झुका और अपना मुंह निर्मला जी की चूत में डाल दिया और उसकी चूत के लबों पर हल्के हल्के जीभ फेरने लगा।
ऐसा करते ही निर्मला एकदम से अकड़ गई और मेरा सर पकड़ कर उसने अपनी चूत में और ज़ोर से घुसेड़ दिया, अब उसकी भगनासा मेरे मुंह में थी और मैं उसको धीरे धीरे चूस रहा था।
मैंने अपना मुंह उसकी चूत से निकाल कर उसके मोटे मम्मों पर रख दिया और उसके चुचूकों को मज़ा लेकर चूसने लगा।
उधर देखा तो हिना भी अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे अंडरवियर के पीछे लगी हुई थी, उसको जैसे ही उतारा तो मेरा गुसाया हुआ लंड टन से सीधा खड़ा हो गया।
मेरा लंड अब निर्मला की चूत में घुस रहा था और बाहर से घर्षण रगड़ण कर रहा था।
मैंने अपने मुंह को निर्मला के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा, उसकी जीभ भी मेरे मुंह में प्रवेश कर रही थी। अब मैंने निर्मला को उसके चूतड़ों से उठाया और अपनी बाँहों में लेकर उसको पलंग पर लिटा दिया, फ़िर मैं उसकी गोल और सफ़ेद गुदाज़ झांगों में बैठ कर अपने लंड का उसकी चूत में गृह प्रवेश करवा दिया।

मैंने हिना को इशारा किया कि वो निर्मला के मम्मों को चूसे।
जैसे ही लंड कुछ अंदर जा कर सारा निरीक्षण परीक्षण कर बैठा तो मैंने लंड से धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा निकाल कर सिर्फ अगली टिप अंदर रख के मैं फिर पूरा अंदर धकेल देता था, एक दो बार लंड को बाहर निकाल कर उसकी भग को थोड़ा लंड से रगड़ा और फिर पूरा घुसेड़ दिया।
इसी क्रम से मैंने निर्मला को चोदना शुरू किया और थोड़ी मेहनत के बाद पहला नतीजा सामने आया जब निर्मला कांपती हुई झड़ गई और मुझको अपने से चपटा लिया।
अब मैंने उसको अपने जांघों के ऊपर बिठा लिया बगैर लंड को निकाले, उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको आगे पीछे करने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चूसने लगा।
हिना उसके पीछे बैठ गई और उसको आगे पीछे होने में मदद करने लगी, मैं कभी उसके लबों को चूसता और कभी उसकी जीभ के चुसके लेता, वो काफ़ी ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर से धक्के मार रही थी।
मैंने उसको कस कर जफ़्फ़ी मारी हुई थी और उसके मम्मों को अपनी छाती से क्रश किया हुआ था।
इस पोज़ में भी वो ज़्यादा देर नहीं टिक सकी और जल्दी ही ‘ओह्ह्ह आआह’ कह कर उसने अपना सर मेरे कंधे पर लुढ़का दिया और कम्कम्पाते हुई चूत से ढेर सारा पानी गिरा दिया।
मैंने देखा वो काफी थक चुकी थी तो मैंने उसको लेट जाने दिया।
मैं उठा और हिना के पीछे पड़ गया क्यूंकि मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था। मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया।
निर्मला भी यह खेल देख रही थी।
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर। हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी।
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी।
[size=large]मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया।
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लेडी प्रोफेसर की सन्तान की चाह

मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था। मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया।
निर्मला भी यह खेल देख रही थी।
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर। हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी।
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी।
मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया।
उधर देखा तो निर्मला अब अपनी ऊँगली चूत में डाल रही थी जो हरकत मेरे लंड को पसंद नहीं आई।
मैंने लेट कर निर्मला को अपने ऊपर आने के लिए निमंत्रित किया जिसको उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मैं लेटा था और वो मेरे ऊपर बैठी थी और खुले आम वो मुझ गरीब को चोद रही थी।
मौका देख कर मैं उसके मम्मों के साथ खेल रहा था या फिर उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को मसल रहा था।
ऐसा करने से निर्मला का मज़ा दुगना हो रहा था लेकिन मुझको काफी आराम मिल रहा था और मुझको ऐसा लग रहा था कि मेरी मोटरसाइकिल निर्मला के गेराज में खड़ी है और उसकी चूत उसकी सफाई कर रही हो।
थोड़ी देर बाद गेराज वाली चूत पकड़ धकड़ में लग गई और फिर आखिर में उस गेराज में लगे फ़व्वारे खुल गए और मेरी मोटरसाइकिल की पूरी धुलाई हो गई।
यानि निर्मला एक बार फिर झड़ गई और उतर के सीधे मेरे मुंह से अपना मुंह चिपका लिया। 
हिना जो पास ही खड़ी थी वो निर्मला के हटते ही मेरे लौड़े पर झपट पड़ी और उसको मुंह में ले कर चूसने लगी जैसे मलाई वाले पान की ग्लोरी हो!
जब हिना ने पूरी मलाई चाट ली तो मैंने पूछा- क्यों देवियो? बस करें या फिर अभी और मैच खेलने की इच्छा है?
निर्मला मेरे मज़ाक को समझ गई और हँसते हुए बोली- बस अब और नहीं, सारे प्लेयर्स बहुत थक गए हैं।
हिना ने अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ा हुआ था तो मैंने उससे प्रार्थना की- आप कृपा कर हमारे बॉलर को तो छोड़ दें, वो बेचारा घर जाए!
कपड़े पहन कर बैठे ही थे कि हिना ने चाय मंगवा ली और हम सब गर्म गर्म चाय पीने लगे।
फिर निर्मला बोली- जैसा कि मैंने बताया था, मेरी माँ बनने की बहुत इच्छा है लेकिन कोई साधन नहीं जुट रहा है।
मैं बोला- कैसा साधन जुटाने की कोशिश कर रही हैं मैडम आप?
निर्मला बोली- किसी पुरुष की मदद से गर्भाधान हो सके तो अच्छा है!
मैं बोला- अगर आप संजीदा हैं तो मैं इसकी राह सुझा सकता हूँ।
निर्मला बोली- कैसी राह? 
मैं बोला- हमारी कोठी में एक हाउसकीपर है वो काफी होशियार दाई भी है, आप चाहें तो उससे मैं आपको मिलवा सकता हूँ, आगे वो सलाह देगी कि क्या करना है।
निर्मला ने खुश होते हुए कहा- बहुत अच्छा, मैं उससे अवश्य मिलना चाहूंगी।
मैंने निर्मला और हिना का थैंक्स किया और घर के लिए निकलने लगा की निर्मला बोली- सोमू तुमने किस तरफ जाना है?
मैंने अपनी कोठी का पता बता दिया।
निर्मला बोली- चलो सोमू, मैं तुमको तुम्हारी कोठी में ड्राप कर देती हूँ मेरे तो रास्ते में पड़ेगी वो!
मैं इंकार करता रहा पर वो नहीं मानी और मुझको कार में बिठा लिया, हिना से बाई और थैंक्स किया और ‘फिर कल मिलते हैं’ का वायदा किया।
मेरे घर के पास आते ही वो चौंक कर बोली- अरे यह तो हमारे जानने वाले ठाकुर साहब की कोठी है, क्या तुम उनको जानते हो?
मैंने कहा- मैं उनका ही बेटा हूँ।
वो बड़ी गर्म जोशी से बोली- वाह सोमू यार, तुम तो अपने ख़ास निकले।
मैं भी ख़ुशी से बोला- मैडम जी क्या पता था कि आप हमारी जानकार निकलेगी, अंदर आइये, मैं आपको कम्मो से मिलवाता हूँ।
वो नानुकर करने लगी लेकिन मैं भी ज़बरदस्ती उनको अपनी कोठी में ले आया।
चोकीदार राम लाल ने सलाम किया।
फिर मैं मैडम को लेकर बैठक में आ गया और जल्दी ही कम्मो भी वहाँ आ गई।
मैंने उनका परिचय कराया और उनकी प्रॉब्लम भी बताई तो कम्मो बोली- अगर आप कल आ जाएँ तो मैं आपका पूरा चेकअप कर लूंगी और उसके बाद सोचेंगे कि क्या करना है।
अगले दिन निर्मला मैडम मेरे साथ ही मेरे घर आ गई.
खाना खाने से पहले कम्मो उनको लेकर मेरे बेडरूम में चली गई और आधे घंटे बाद वापस आई।
कम्मो ने आते ही कहा- मैडम तो बिल्कुल ठीक हैं, जो भी कमी है वो इनके पति में होगी।
मैं बोला- फिर क्या सोचा मैडम जी?
निर्मला मैडम बोली- कम्मो का सुझाव है कि मैं किसी दूसरे मर्द द्वारा गर्भाधान कर लूँ। लेकिन ऐसा मर्द मुझको कहाँ से मिलेगा?
कम्मो बोली- अगर आप बुरा ना मानें तो मेरा सुझाव है कि छोटे मालिक यह काम भली भांति कर सकते हैं।
निर्मला मैडम बोली- लेकिन यहाँ छोटे मालिक कहा मिलेंगे और वो क्यों तैयार होंगे इस काम के लिए?
कम्मो और मैं ज़ोर से हंस दिये और मैडम हमको हैरानी से देख रही थी।
निर्मला मैडम बोली- आप दोनों हंस क्यों रहे हैं? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया?
कम्मो हँसते हुए बोली- अरे मैडम छोटे मालिक तो आपके सामने ही खड़े हैं, और आप इन का थोड़ा सा लुत्फ़ भी ले चुकी हैं आज!
मैडम हैरानी से बोली- तुम्हारा मतलब छोटे मालिक सोमू है क्या?
मैं मुस्कराते हुए बोला- आपका सेवक मैडम, आपके सामने खड़ा है।
निर्मला मैडम इतनी खुश हुई कि आगे बढ़ कर मुझ को गले लगा लिया और मेरे लबों पर चुम्मियों का अम्बार लगा दिया।
वो सारे घटना चक्र से घबरा गई और सोफे पर बैठ गई और कम्मो उसके लिए कोक ले आई।
थोड़ी देर बाद वो संयत हो गई।
मैडम बोली- कम्मो क्या तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो? क्या सोमू गर्भाधान कर सकेगा?
कम्मो फिर हंसने लगी और बोली- ऐसा है मैडम जी, सबसे पहले इस छोटे मालिक ने मुझको गर्भवती किया, इसके बाद कम कम से इस सांड नुमा छोटे मालिक ने अब तक 10 औरतों को गर्भवती किया है और सब की सब ने इन से गर्भधारण केवल अपनी मर्ज़ी से किया है, इन्होंने कभी भी किसी लड़की या स्त्री को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ ना तो यौन क्रिया की है न उसको गर्भाधान किया है।
मैडम बोली- वो तो मैंने आज हिना के बंगले में देख लिया है, इसने मुझसे 3-4 बार सेक्स किया है लेकिन एक बार भी इसका नहीं छूटा था मेरे या फिर हिना के अंदर। ऐसा क्यों?
कम्मो बोली- छोटे मालिक को मैंने सेक्स ट्रेनिंग दी है बचपन से और इनको अपने पर पूरा कंट्रोल करना सिखाया है। इसलिए जब तक इनकी मर्ज़ी ना हो यह कभी नहीं छुटाते।
मैडम अभी भी हैरान थी और हैरानगी से सर हिलाते हुए बोली- कुछ विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन मैं तो आज सोमू का जलवा देख चुकी हूँ, अच्छा कम्मो, मुझको आगे क्या करना होगा?
कम्मो मैडम को एक तरफ ले गई और कुछ पूछा जिसका जवाब मैडम ने दे दिया।
कम्मो बोली- मैडम, अभी समय ठीक नहीं है आप इस काम के लिए कम से कम 20 दिन इंतज़ार कर लीजिये फिर आपका काम शुरू करेंगे। ठीक है? इस बीच आप जब चाहें, सोमू के साथ यहाँ आ सकती है।
[size=large]मेरी मौसेरी बहन की चूत
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अभी हम यह बातें कर ही रहे थे की फ़ोन की घंटी बजी।
मैंने फ़ोन सुना और वो मम्मी जी का था। 
हाल चाल पूछने के बाद वो बोली- सोमू, वो कानपुर वाली मौसी जी और उनकी दो बेटियाँ वहाँ लखनऊ आ रही हैं, वो कुछ दिन वहाँ ठहरने का प्रोग्राम बना रही हैं, कह रही थी कि वे हमारी कोठी में ठहरना चाहती हैं, बेटा, मैंने हाँ कर दी है, उनका ख़ास ख्याल रखना। वो कम्मो अगर तेरे नज़दीक है तो उसको फ़ोन देना, मैं उसको समझा देती हूँ।
मैं बोला- ठीक है मम्मी जी!
यह कह कर मैंने फ़ोन कम्मो को दे दिया।
फ़ोन पर बात करने के बाद कम्मो बोली- छोटे मालिक, आपने अपनी मौसी को पहले देख रखा है क्या?
मैंने कहा- हाँ देखा है कई बार, क्यों?
कम्मो बोली- मालकिन कह रही थी कि वो थोड़ी सनकी हैं, उनकी बातों का बुरा ना मानना आप सब!
मैं बोला- हाँ हैं तो थोड़ी सनकी लेकिन ऐसी डरने की को कोई बात नहीं, मैं उनको संभाल लूँगा। हाँ आज रात को तुम दोनों चुदवा लेना नहीं तो काफी दिन टाइम नहीं मिलने वाला। मैंने भी आज की चुदाई में नहीं छुटाया सो रात को तुम्हारी या फिर पारो की चूत को हरा करना है।
अगले दिन कॉलेज से वापस आया तो मौसी और उसकी बेटियाँ अभी तक नहीं आई थी। मैं खाने पर उनका इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर बाद ही चौकीदार रामलाल मौसी जी और उनकी बेटियों का सामान ले कर अंदर आ गया।
मौसी जी से चरणवंदना के बाद उनकी दोनों बेटियों की तरफ देखा तो दोनों ही सुन्दर और स्मार्ट लगी, साड़ी ब्लाउज में दोनों ही काफी अछी लग रही थी।
मिल कर हेलो हॉय हुई और मैंने अपना नाम बताया और उन दोनों ने भी अपने नाम बताये, बड़की का नाम मिन्नी और छोटी का नाम टिन्नी था।
मिन्नी थोड़ी ठहरे हुए स्वभाव की थी और टिन्नी काफी चंचल थी लेकिन दोनों थी बहुत ही बातूनी। मिन्नी कानपुर में गर्ल्स कॉलेज में इंटर के फाइनल में थी और टिन्नी मेरी तरह फर्स्ट ईयर में थी।
मिन्नी उम्र में भी मुझ से साल दो साल बड़ी थीं। ये मौसी जी मेरी मम्मी के रिश्ते में बहन थी, मेरी सगी मौसी नहीं थी।
उन्होंने आते ही अपना सनकीपन दिखाना शुरू कर दिया।
वो रसोई में गई और पारो को बोली- जितने दिन हम यहाँ हैं, खाना हम से पूछ कर बनाया जायेगा और सिर्फ कुछ चुनी हुई सब्जियाँ ही बनेगी, मीट रोज़ बनेगा और वो भी सिर्फ बकरे का!
मौसी ने यह भी बताया कि कल मौसा जी भी आ रहे हैं तो उनका कमरा तैयार कर दिया जाये।
कम्मो ने मेरे साथ वाला कमरा लड़कियों को दिया था और उनसे काफी दूर वाला कमरा मौसी के लिए तैयार किया गया था।
वो मौसी को लेकर दोनों कमरे उनको दिखा आई और मौसी को दोनों ही कमरे पसंद आ गए थे।
उस रात कुछ नहीं हुआ सिवाय इसके कि हम तीनों काफी देर मेरे कमरे में बैठ कर गपशप करते रहे।
मिन्नी ने कई बार कोशिश कि वो मेरी आँखों में आँखें डाल कर बात कर सके लेकिन मैंने उसको ज़्यादा छूट नहीं दी।
अगले दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो मौसा जी भी पहुँच चुके थे, उनसे मिल कर चरण स्पर्श किया और पूछा- आपको अपना कमरा पसंद आया है न?
तब मौसी ने बताया कि वो बड़की मिन्नी की सगाई पक्की करने आये हैं, यहीं लखनऊ का लड़का है और अपना कारोबार है।
मैंने ख़ुशी का इज़हार किया और फिर हम सबने मिल कर खाना खाया।
आते जाते दो बार मिन्नी से मेरी टक्कर होते होते रह गई और हर बार वो मेरी बाँहों में आकर झूल जाती थी।
मैं समझ गया कि मिन्नी टक्कर के अलावा भी कुछ और चाहती है।
अगली बार जब वो मेरे रास्ते से गुज़री तो मैं सावधानी से एक साइड हो गया लेकिन वो जानबूझ कर मेरे लौड़े को हाथ से छूते हुए निकल गई।
अब जब मौका लगा तो मैं भी साइड से निकलते हुए उसके चूतड़ों को हाथ लगाता गया।
थोड़ी देर बाद वो फिर मुझको रास्ते में मिली और इस बार उसने जानबूझ कर अपना बायां मुम्मा मेरी बाज़ू से टकरा दिया।
मैंने मुड़ कर उसको देखा और फिर अपने कमरे में चला गया।
वो भी इधर उधर देखती हुई मेरे पीछे मेरे कमरे में घुस आई और आते ही मुझको कस के जफ़्फ़ी मार दी और लबों पर चुम्मी जड़ कर फ़ौरन भाग कर कमरे से बाहर निकल गई।
मैं कुछ हैरान था, फिर मैं सोचने लगा कि यह तो गेम खेल रही है, मैंने भी सोचा कि चलो इसके साथ गेम ही खेल लेते हैं।
खाने के समय भी हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आमने सामने बैठे हुए थे, टेबल पर टेबल क्लॉथ पड़ा हुआ था, मिन्नी उसके नीचे से मेरी जांघों में अपना पैर टिका कर बैठी हुई थी और बार बार मेरे लंड को पैर से छू रही थी।
खाना खाकर हम जब अपने कमरे में आये तो पता चला कि मौसा मौसी कहीं बाहर जा रहे थे।
जैसे ही वो गेट के बाहर हुए तो मिन्नी और टिन्नी दोनों दौड़ कर मेरे कमरे में आ गई और मेरे कमरे का निरीक्षण करने लगी। मैं भी उनको बहुत मना कर रहा था लेकिन वो मान ही नहीं रही थी।
तब मैं मिन्नी के पीछे अपना पैंट में से खड़े लंड को उसके साड़ी से ढके चूतड़ों में टिका कर खड़ा हो गया। वो भी मेरे लंड को महसूस कर रही थी और उसने भी धीरे धीरे अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू कर दिया।
उधर टिन्नी हम दोनों के खेल से अनजान मेरी किताबों को देख रही थी।
मिन्नी ज़्यादा भरे हुए शरीर वाली और उभरे चूतड़ों और मोटे सॉलिड मुम्मों वाली लड़की थी। मिन्नी ने इस लंड चूत के घर्षण का आनन्द लेना शुरू कर दिया, अब उसने अपना बायां हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी।
मैंने उसके कान में कहा- अगर तुम चाहो तो और भी ज़्यादा आनन्द लिया जा सकता है।
उसने बगैर मुड़े ही फुसफुसा दिया- कैसे और कहाँ?
मैं बोला- मैं जा रहा हूँ और तुम थोड़ी दूर से मेरे पीछे आना शुरू कर दो और टिन्नी को भी बता आना कि तुम यहीं हो।
उसने हामी में सर हिला दिया और मैं चुपके से बाहर निकल आया और चलते चलते पीछे मुड़ कर भी देखता रहा कि मिन्नी आ रही है न!
मैं चुपके से चलते हुए पीछे के एक कमरे में चला गया जिसका दरवाज़ा खुला रहता था।
थोड़ी देर बाद मिन्नी भी वहाँ आ गई और मैंने झट से उसको अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
अब मैंने उसको कस कर आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक बहुत ही हॉट किस करने लगा और अपने हाथों को उसके मोटे चूतड़ों पर फेरने लगा, ब्लाउज के बाहर से ही मैं उसके मुम्मों को किस करने लगा।
वो भी मेरे लौड़े पर टूट पड़ी और पैंट के बटन खोलकर मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथ में लेकर मुठी मारने लगी।
अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सका और मिन्नी की साड़ी को ऊपर कर के उसकी चूत को सहलाने लगा, उसकी बालों से भरी चूत एकदम रंगारंग हो रही थी।
मैंने भी पैंट को नीचे सरकाया और लाल मोटे लंड को निकाल लिया और मिन्नी को पलंग पर हाथ रखवाकर खड़ा किया और उसकी चूत को सामने कर लिया और अपने लंड का निशाना साध कर उसकी चूत में पूरी ताकत से डाल दिया।
जैसे ही लंड चूत में गया, मिन्नी का मुंह खुल गया और वो आँखें बंद कर चुदाई का मज़ा लेने लगी।

मैंने भी लंड की धक्काशाही तेज़ कर दी और अँधाधुंध लंडबाज़ी शुरू कर दी।
इस धक्कमपेल में मिन्नी दो बार छूट गई और दूसरी बार छूटने के बाद उसने खुद ही जल्दी से चूत पर पर्दा गिरा दिया यानि साड़ी नीचे कर के बाहर की तरफ भागी।
यह कमरा असल में हमारा स्पेयर गेस्ट रूम था लेकिन पूरी तरह से सामान से सुसज्जित था। इस कमरे के बारे में सिर्फ मैं और कम्मो ही जानते थे।
जब मैं कमरे में वापस पहुँचा तो टिन्नी वहीं बैठी हुई मेरी किताब को पढ़ रही थी।
मैं पलंग पर लेट गया और सोच ही रहा था कि अच्छा हुआ मिन्नी की चुदाई का किसी को पता नहीं चला।
तभी टिन्नी बोली- दीदी का काम कर दिया सोमू?
मैं घबरा कर बोला- दीदी का कौन सा काम?
मिन्नी बोली- वही… जिसके लिए तुम पर दीदी बार बार दाना फैंक रही थी?
मैं बोला- कौन सा दाना और कैसा दाना? बताओ न प्लीज?
टिन्नी बोली- तुम मेरे सामने प्लीज वलीज़ ना करो और सीधे से बताओ कि मेरी बारी कब की है?
मैं बोला- कौन सी बारी और कैसी बारी?
टिन्नी चेयर से उठी और मेरे बेड पर आ कर बैठ गई और आते ही मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल कर उसको घूरने लगी और फिर बोली- अच्छा है मोटा भी है और लम्बा भी है, मुझको कब चखा रहे हो यह केला?
मैं चुप रहा और फिर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा, हँसते हुए बोला- तुम दोनों बहनें कमाल की चीज़ हो।
[size=large]टिन्नी बोली- मैं रात को आपका केला खाने आ रही हूँ।
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