hotaks444
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भाभी की चूत चुदाई की प्यास
जब मैं कॉलेज से वापस आया तो कम्मो मुझको बैठक में मिली और बोली- भाभी तुम्हारा खाने पर इंतज़ार कर रही है।
कम्मो खाना लेने रसोई गई ही थी कि भाभी बैठक मैं आ गई और आते ही मुझको एक बहुत प्रगाढ़ आलिंगन दिया और मेरे होटों पर चुम्मी दी।
वैसे ही मैंने उनका स्वागत किया और पूछा- क़ैसी हो भाभी जान? नीचे ऊपर सब ठीक है ना?
भाभी ज़ोर से हंस दी और बोली- ऊपर तो ठीक है लेकिन नीचे अभी भी कुछ कुछ हो रहा है।
मैं भी शरारत भरी मुस्कान के साथ बोला- लगता है कि नीचे का कोटा अभी पूरा नहीं हुआ शायद!
भाभी भी शर्माते हुए बोली- कहाँ होगा लला, बरसों की प्यास है, ऐसे थोड़ी ही जायेगी।
मैं बोला- भाभी जान, आप फ़िक्र ना करो, अब मैं आ गया हूँ आपकी प्यास यूँ ही मिट जायेगी देखती जाओ. वो कम्मो से आप की बात हुई क्या?
कम्मो कमरे में आते हुए कहा- पूरी बात हो गई है छोटे मालिक, सुना है रात में आपकी काफी चुदाई हुई है क्या?
मैं बोला- तुम को कैसे पता चला?
कम्मो बोली- वो रेडियो पर खबर थी और अखबार में भी छपा है यह सब!
भाभी और मैं बड़े ज़ोर से हंस दिए।
मैं बोला- सच्ची? कहीं हम दोनों की फ़ोटो तो नहीं छपी न?
कम्मो बोली- हाँ छपी है और दिखाया है कि गाय सांड पर चढ़ी हुई है और बेचारा सांड टाएँ टाएँ फिस हो रहा है।
भाभी और कम्मो बड़ी ज़ोर ज़ोर से हंस रही थीं।
!
मैं बोला- भाभी जान के लिए क्या ख़ास बनाया है पारो ने?
भाभी बोली- पारो कह रही थी कि हमारे घरेलू सांड को बहुत मेहनत करनी पड़ती है सो सांड और साँडनी के लिए कुछ ख़ास बनाया गया है।
मैं बोला- मैं इतने दिनों से कई गायों की सेवा कर रहा हूँ और मेरे लिए कुछ ख़ास नहीं बनाया गया है।
कम्मो बोली- आज आपको फिर पाये का सूप यानि पाये का शोरबा पीना पड़ेगा ताकि आप का लंडम षंडम लम्बा और मोटा हो जाए हमारे ख़ास मेहमान के लिए!
बस इसी तरह हंसी मज़ाक में खाना हो गया और फिर भाभी और कम्मो मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई।
वहाँ कम्मो ने बताया- मैंने भाभी को समझा दिया है कि भैया को एक पूर्ण पुरुष बनाया जा सकता है यदि भाभी साथ दे तो! भाभी का चेकअप किया है और वो बिल्कुल नार्मल है और भैया द्वारा ही गर्भवती हो सकती है यदि कोशिश की जाए तो!
मैं बोला- तो भैया में जो कमी है वो कैसे पूरी करोगी?
कम्मो बोली- मैंने भाभी को समझा दिया है कि क्या दवा देनी है और कैसा भोजन देना है। कल जब भैया वापस आएंगे तो भाभी उनको समझा देगी और ज़रूरत पड़ी तो चुदाई का असली तरीका भी दिखा दिया जाएगा।
मैं चौंकते हुए बोला- वो कैसे संभव है यार?
भाभी बोली- अगर तुम तैयार हो तो तुम और कम्मो हम दोनों के सामने चुदाई करके दिखाओगे? और भैया को समझा दोगे कि चुदाई का सही तरीका क्या है?
मैं कुछ परेशान हो कर बोला- अरे वाह, यह कैसे संभव है? मुझको शर्म आएगी भैया के सामने!
कम्मो बोली- कल रात एकदम अनजान भाभी के सामने उनको चोदते हुए शर्म नहीं आई आपको छोटे मालिक?
मैं बोला- देखो कम्मो, भाभी एक औरत है और क्योंकि वो मुझको चोद रही थी इसलिए मैं तो काफी देर सारी रात की चुदाई को एक सपना मात्र ही समझता रहा। वो तो मुझको काफी देर बाद पता चला कि मैं तो चुद गया हूँ और मुझको चोदने वाली मेरे ऊपर ही बैठी है!!!!
कम्मो और भाभी हंसी के मारे लोटपोट हो रहीं थी।
तब कम्मो बोली- वाकयी में भाभी ने बड़ी बहादुरी का काम किया। शेर को शेर के पिंजरे में ही हरा दिया। खैर वो तो छोड़ो, अब भैया को सिखाना है सही तरीका चुदाई का… वो कैसे करें?
भाभी बोली- सोमू ही कर सकता है यह काम और वो डर के मारे आगे नहीं आ रहा! सोमु तुम ही बताओ कैसे करें अब?
मैं बोला- अभी काफी टाइम है यह सब सोचने का, चलो पहले हो जाए थोड़ी चुदाई भाभी और कम्मो के साथ!
भाभी फ़ौरन मान गई और कम्मो पारो को बता आई कि हम सब चुदाई कार्यक्रम में लगे हैं तो किसी को अंदर मत आने देना।
सबसे पहले भाभी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किये और जब मैं नंगा हो गया तो काफी देर वो मुझको देखती रही। मेरा लंड तो तना हुआ ही था, वो उसको हाथ में लेने लगी तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और उनके कपड़े उतारने लगा।
उधर कम्मो भी अपने कपड़े उतार रही थी।
जैसे ही भाभी पूरी नंगी हो गई, कम्मो उसकी सफाचट चूत को हाथ से सहलाने लगी।
कम्मो और मैंने भाभी के नंगे जिस्म को भरपूर निगाहों से देखा, बहुत ही सुन्दर और सुगठित शरीर था भाभी का सिवाये उस की सफाचट चूत का, जो चूत लगती ही नहीं थी, वैसे भी चूत के स्थान पर बाल इसीलिए बनाये गए थे ताकि उस जन्मजननी स्थान को उजागर किया जाए, बालों के बिना वहाँ कुछ भी नहीं दिखता है सिवाए एक पतली सी लाइन के!
मैं और कम्मो जल्दी से भाभी के सुंदर भागों पर अपना कब्ज़ा ज़माने की होड़ में लग गए। मैंने भाभी के मम्मों पर कब्ज़ा जमा लिया और कम्मो भाभी के चूतड़ों पर काबिज़ हो गई।
मैं बड़े प्यार से उसके काले चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा और उसके मोटे गोल उरोजों को छूने और सहलाने लगा।
भाभी के काले घने बाल बहुत लम्बे और रेशमी लग रहे थे।
भाभी ने मेरे खड़े लंड को दोनों हाथों में पकड़ रखा था और उस की हल्की हल्की मुठी मार रही थी।
कम्मो ने भाभी में अपनी ऊँगली डाल रखी थी और उसकी भग को मसल रही थी।
भाभी भी दोनों हाथों का आनन्द ले रही थी।
तभी कम्मो ने कहा- भाभी तैयार है!
और तभी भाभी और मुझको एक सख्त आलिंगन में ले लिया, हम दोनों को बिस्तर पर ले गई, पहले उसने भाभी को लिटा दिया और मुझको भाभी की चौड़ी हुई टांगों में बैठने का इशारा किया और मैं लेकर वहां बैठ गया और धीरे से लंड को चूत के मुंह और उसकी भग से रगड़ने लगा।
थोड़ी देर में भाभी की अति गीली चूत के ऊपर लंड घिसाई करता रहा और फिर लंड को चूत के ऊपर रख कर हल्का धक्का दिया और लंड सारा का सारा अंदर चला गया भाभी ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के चारों ओर फैला दी।
अब मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा।
भाभी के रसीले होटों को चूमना और उसके गोल उभरे हुए गालों को किस करना एक अपना ही आनन्द देता था।
गर्म भाभी ने गर्मजोशी दिखाते हुए नीचे से ही कमर उठा उठा कर चुदाई में साथ देना शुरू कर दिया।
ऐसे में भाभी जल्दी ही छूट गई लेकिन फिर तैयार हो गई।
अब मैंने पोजीशन बदल दी, उनको उठाया और अपनी गोदी में ले लिया और उसकी उभरी हुई चूत में मोटा लंड डाल दिया।
वो भी मुझ से पूरी तरह से चिपक गई।
उधर कम्मो भाभी की आनंद में वृद्धि करते हुए उसके पीछे बैठ गई और हम दोनों को एक सख्त जफ़्फ़ी डाल कर हमको पूरा ही चिपका दिया।
मैं लंड चूत में डाल कर बैठा था लेकिन कम्मो भाभी की गांड को हाथ से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
भाभी मेरे और कम्मो के बीच में फंसी हुई थी और जैसे कम्मो चाहती थी वैसे ही हम दोनों को करना पड़ता था।
अब भाभी की चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया था तो मैंने कम्मो को आँख का इशारा किया और वो अब तेज़ी से भाभी की गांड को आगे पीछे करने लगी।
फिर भाभी ज़ोर की ‘हाय मैं गई…’ कह कर मेरे साथ और चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दोहने लगी।
फिर उसने अपना सर मेरी छाती में रख दिया और अपने शरीर की कम्पन से मेरे लंड को जीत की ख़ुशी दे दी।
अब मैंने भाभी को लिटा दिया और उसके पीछे बैठी कम्मो को निशाना बना दिया और जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी।
भाभी मेरे इस हमले को देख रही थी और कम्मो के मम्मों को उँगलियों से मसल रही थी। क्यूंकि कम्मो चुदाई देख रही थी तो वो बहुत ही गर्म हुई हुई थी, वो भी चंद धक्कों के बाद झड़ गई और मुझको बैठे हुए ही अपने से चिपका लिया।
कम्मो ने ज़रा हट कर मेरे गीले लंड को अपनी चूत से निकाला और उसको हैरानी से देखने लगी।
मैंने पूछा- क्या देख रही हो रानी?
कम्मो बोली- आज यह कुछ और भी लम्बा और मोटा हो गया है।
भाभी ने भी मेरे लंड को हाथ में लिया और कहा- यह रात से तो और मोटा और लम्बा हो गया है कम्मो, यह कैसे?
कम्मो हँसते हुए बोली- यह सब मेरी खुराक का कमाल है, आप आगे आगे देखिये, मैं छोटे मालिक के लंड को लोहे का हथोड़ा बना दूंगी, सख्त सख्त चूत को फाड़ कर रख देंगे यह!
हम सब हंस पड़े।
तब कम्मो ने भाभी से पूछा- और चुदाना है क्या?
भाभी हँसते हुए बोली- नहीं कम्मो रानी, इतना ही काफी है, और फिर रात भी तो है अपने पास!
मैं और भाभी एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर सो गए थोड़ी देर के लिए, मैं भाभी के मोटे मम्मों को बड़ी ललक से देख रहा था और बार बार उनको चूस भी रहा था।
लेकिन मेरे दिमाग में ‘भैया को कैसे मनाएँगे’ का प्रश्न ही चल रहा था। फिर मैंने सोचा भैया को मनाने का काम सिर्फ भाभी का है और किसी का नहीं… तो भाभी को पूरी कोशिश करनी होगी भैया को राज़ी करने में!
यह ही सब सोचते हुए मैं गहरी नींद में सो गया।
जब उठा तो भाभी जा चुकी थी, सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझको क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आप की मर्ज़ी होगी वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चलाक लोमड़ी हो! चलो जब मौक़ा आएगा तो देखेंगे।
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
[size=large]भाभी के साथ मस्ती की चूत चुदाई
[/size]
जब उठा तो भाभी जा चुकी थी सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी चूत लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझ को क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आपकी मर्ज़ी होगी, वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चालाक लोमड़ी हो! देखो कम्मो, आज तक तुमने मेरे लिए कई औरतों का इंतज़ाम किया और कभी कोई ऐतराज़ नहीं उठाया तो अगर तुमको भी कोई मर्द पसंद कर लेता है तो मुझको ख़ुशी ही होगी। क्यों मैंने ठीक कहा न?
कम्मो ज़ोर से हंस दी और बोली- छोटे मालिक, आपकी उम्र तो ज़्यादा नहीं है लेकिन आप बात बड़ी ही सुलझी हुई करते हो!
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
मैंने बात छेड़ते हुए कहा- भाभी कल रात जब आप मेरे कमरे में आई तो क्या आपको किसी किस्म की झिझक हुई थी? यानि अगर मैं जाग जाता हूँ तो कहीं शोर न मचाऊँ? ऐसा आपने सोचा था क्या?
भाभी बोली- हाँ सोमू, मैं पहले बहुत डर गई थी यह सोच कर कि न जाने सोमु क्या कहे? कहीं शोर न मचा दे या फिर मुझको बुरा भला न कहने लगे? लेकिन तुम्हारा खड़ा लंड देखा तो मन पक्का कर लिया कि आज इस छोकरे को तो चोद ही दूंगी, बाद की बाद में देखी जायेगी।
मैं बोला- अच्छा भाभी, आप में इतनी हिम्मत है क्या?
भाभी बोली- वो क्या है सोमू, तुम्हारे पयज़ामे का टेंट इतना ऊंचा खड़ा था कि मेरा पहले मन हुआ कि देखूँ कि क्या छुपा रखा है पायज़ामे में? जब अंदर घुस कर मैंने अपना मुंह नीचे करके पायजामा सरकाया तो तुम्हारा लंड ज़ोर से मेरे मुंह पर आकर लगा। पहले तो मैं हैरान हुई कि यह क्या लगा मुझको, लेकिन जब मैंने तुम्हारे लंड को लहराते देखा तो मुझको गुस्सा आ गया कि इस छोटे छोकरे की इतनी हिम्मत कि मुझको अपने लंड से थप्पड़ मारे!
मैं और कम्मो हंसी के मारे लोटपोट हो गए मैं बोला- फिर क्या हुआ?
भाभी बोली- फिर क्या था, मैंने अपनी नाइटी ऊपर उठाईं और तुम्हारे लंड पर धीरे से बैठ गई, मेरी चूत तो गीली हो रही थी, उसके मुंह पर रखते ही वो इसको पूरा का पूरा अपने अंदर निगल गई।
मैं और कम्मो बड़े ध्यान से सारी बात सुन रहे थे, भाभी की बातें सुनने के बाद मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों न भाभी वाली कहानी फिर से दोहराएँ भैया के साथ?
मैंने कम्मो और भाभी को भी यह बात बताई, मैंने कहा- जब भैया आ जाएँ, उस रात आप तो भैया के साथ सोयेंगी। इधर मैं और कम्मो अपने कमरे में सो जाएंगे। भैया के सोने के ठीक एक घंटे बाद तुम उनको जगा देना कि कुछ अजीब आवाज़ें आ रही हैं, उठो चल कर देख तो लो। भैया को लेकर जैसे ही तुम बाहर निकलोगी तो हमारे कमरे से ‘अह्ह्ह उह्ह्ह’ की आवाज़ें आ रही होंगी। तुम भैया को लेकर हमारे कमरे में आ जाना जहाँ कम्मो को मैं चोद रहा हूँगा और वो ज़ोर ज़ोर से आह उह्ह कर रही होगी।
कम्मो बोली- यह ठीक है, ऐसा करने से भाभी के ऊपर भी बात नहीं आएगी और हम चुदाई का पहला पाठ भी भैया को पढ़ा देंगे, क्यों भाभी?
मैं बोला- लेकिन भाभी, भैया अंदर आने से ज़रूर कतराएँगे कि किसी के चुदाई में दखल मत दें लेकिन आपको उनका हाथ पकड़ कर अंदर लाना होगा और एक और चुपचाप खड़ा कर देना होगा।
भाभी बोली- यह मैं कर लूंगी। और हो सका तो उनके बैठे हुए लंड को हाथ से खड़ा करने की कोशिश ज़रूर करूंगी।
मैं उठा और झट से भाभी को एक ज़ोरदार किस कर दी होटों पर और फिर कम्मो को भी होटों पर किस की और कस कर एक जफ़्फ़ी भी डाली।
हमारा यह प्लान तो बन गया और अब भैया के आने की इंतज़ार करने लगे।
उस रात को मैंने और कम्मो ने भाभी को हर तरह से चोदा, कभी घोड़ी, कभी गोद में उठा कर और कभी गोद में बिठा कर कभी आगे से और कभी पीछे से यानि कोई भी पोजीशन नहीं बची जिससे हम दोनों ने भाभी को न चोदा हो।
सुबह होने तक भाभी निढाल हो चुकी थी और कहने लगी- मेरी तो पूरी तृप्ति हो गई, सारे जीवन में ऐसी चुदाई नहीं हुई।
फिर कम्मो ने भाभी को धर दबोचा कभी वो नीचे और कभी भाभी नीचे, यहाँ तक भाभी ने हाथ जोड़े- बस बाबा, अब और नहीं।
फिर हम तीनों एक दूसरे को जफ़्फ़ी डाल कर सो गए।
रात को जब भी मेरी नींद खुलती तो मैं दोनों की चूत में ऊँगली डाल कर देखता था कि कौन सी ज़्यादा गीली है।
जो भी ज़्यादा गीली होती उस चूत पर चढ़ जाता था और जब तक वो छूट नहीं जाती थी तब तक उसको चोदता रहता था।
उसके बाद मैं लंड को कम्मो की चूत में पीछे से डाल कर सो जाता था।
सुबह मेरी नींद तब खुली जब शायद कम्मो मेरे लिए चाय लेकर आई थी, तब तक भाभी जा चुकी थी अपने कमरे में!
मैं बाहर निकला और चुपके से भाभी के कमरे की तरफ चला गया। भाभी शायद बाथरूम में नहा रही थी। मैंने बाथरूम का हैंडल घुमाया तो खुला हुआ था, मैं दरवाज़ा खोल कर चुपके से अंदर आ गया, देखा कि भाभी मुंह पर साबुन लगा रही थी और उसको पता नहीं चला कि मैं अंदर आ गया हूँ।
अभी साबुन लगाते हुए वो उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी दूर चला गया और भाभी बंद आँखों से ही हाथ इधर उधर करके उस को ढूंढने लगी।
मुझको शरारत सूझी और मैंने साबुन को पकड़ा और भाभी के हाथों में दे दिया।
पहले तो भाभी कुछ नहीं समझी लेकिन फिर जब समझ आई तो झट से बोल पड़ी- कौन अंदर आया है?
भाभी पानी डालने के लिए लोटा ढून्ढ रही थी वो मैंने हटा दिया और उसकी जगह अपना खड़ा लंड निकाल कर भाभी के हाथ में दे दिया।
भाभी तो पहले परेशान हो गई कि यह क्या चीज़ हाथ में आ गई, लेकिन वो जल्दी ही संभल गई और पहचान गई कि यह सोमु का लंड है।
उसने झट उसको अपने मुंह में डाल दिया और उसको चूसने लगी हालांकि उसकी आँखें बंद ही थी।
अब मैंने उसके मुंह पर पानी का लोटा डाला तो सारा साबुन साफ़ हो गया और भाभी ने आँखें खोली और मुझको देखा तो एकदम से खुश हो गई, उसने मेरे को अपनी नंगी छातियों से चिपका लिया और मेरा पायजामा भी खींच कर उतार दिया और कुरता भी उतार दिया।
अब हम दोनों नंगे हो गए और एक दूसरे को नहलाने लगे।
मैंने भाभी को फिर से साबुन लगा दिया और उसको मल मल कर नहलाने लगा। थोड़ा सा साबुन उसकी चूत में भी लगाया और ज़ोर से रगड़ा।
भाभी ने भी मेरे लौड़े को भी साबुन से साफ़ किया, फिर नंगी भाभी ने मुझको भी नहलाया और छोटे बच्चे की तरह से मेरा हर अंग साफ़ किया।
अब जब मैंने नंगी भाभी को पुनः देखा तो मेरा लंड एकदम से अकड़ गया और मैंने भाभी को दीवार के ऊपर हाथ रख दिए और फिर पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसकी मस्त चुदाई शुरू कर दी।
!
थोड़ी देर ऐसी चुदाई के बाद ही मैंने भाभी को सीधा खड़ा किया और उसकी एक टांग को अपने ऊपर लेकर लंड को चूत में डाल दिया।
काफी देर ऐसे चोदने के बाद भाभी काफ़ी तीव्र रूप से झड़ गई और मुझको अपने से लिपटा कर ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी और हाय हाय करने लगी।
मैंने भाभी को कस कर अपने से लिपटाये रखा, जब वो थोड़ी शांत हुई तो मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया।
भाभी बोली- सोमू यार, तुम तो मुझको बिगाड़ कर ही रख दोगे, अब तुम्हारे बिना मैं कैसे जी पाऊँगी, उफ़्फ़, क्या चुदाई है तुम्हारी।
फिर हम एक दूसरे का जिस्म सुखाते हुए बाहर निकले और सामने ही कम्मो को मुस्कराते हुए पाया।
हम दोनों को नंगा देख कर वो भी बड़ी खुश हुई और झट से मुझको बड़े तौलिये में ढक कर मेरे कमरे में ले आई।
कम्मो ने आते ही कहना शुरू कर दिया- छोटे मालिक, आपने इतना बड़ा रिस्क लिया। कहीं भैया आ जाते तो? और आपने कॉलेज नहीं जाना था आज?
मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
[size=large]कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।
[/size]
जब मैं कॉलेज से वापस आया तो कम्मो मुझको बैठक में मिली और बोली- भाभी तुम्हारा खाने पर इंतज़ार कर रही है।
कम्मो खाना लेने रसोई गई ही थी कि भाभी बैठक मैं आ गई और आते ही मुझको एक बहुत प्रगाढ़ आलिंगन दिया और मेरे होटों पर चुम्मी दी।
वैसे ही मैंने उनका स्वागत किया और पूछा- क़ैसी हो भाभी जान? नीचे ऊपर सब ठीक है ना?
भाभी ज़ोर से हंस दी और बोली- ऊपर तो ठीक है लेकिन नीचे अभी भी कुछ कुछ हो रहा है।
मैं भी शरारत भरी मुस्कान के साथ बोला- लगता है कि नीचे का कोटा अभी पूरा नहीं हुआ शायद!
भाभी भी शर्माते हुए बोली- कहाँ होगा लला, बरसों की प्यास है, ऐसे थोड़ी ही जायेगी।
मैं बोला- भाभी जान, आप फ़िक्र ना करो, अब मैं आ गया हूँ आपकी प्यास यूँ ही मिट जायेगी देखती जाओ. वो कम्मो से आप की बात हुई क्या?
कम्मो कमरे में आते हुए कहा- पूरी बात हो गई है छोटे मालिक, सुना है रात में आपकी काफी चुदाई हुई है क्या?
मैं बोला- तुम को कैसे पता चला?
कम्मो बोली- वो रेडियो पर खबर थी और अखबार में भी छपा है यह सब!
भाभी और मैं बड़े ज़ोर से हंस दिए।
मैं बोला- सच्ची? कहीं हम दोनों की फ़ोटो तो नहीं छपी न?
कम्मो बोली- हाँ छपी है और दिखाया है कि गाय सांड पर चढ़ी हुई है और बेचारा सांड टाएँ टाएँ फिस हो रहा है।
भाभी और कम्मो बड़ी ज़ोर ज़ोर से हंस रही थीं।
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मैं बोला- भाभी जान के लिए क्या ख़ास बनाया है पारो ने?
भाभी बोली- पारो कह रही थी कि हमारे घरेलू सांड को बहुत मेहनत करनी पड़ती है सो सांड और साँडनी के लिए कुछ ख़ास बनाया गया है।
मैं बोला- मैं इतने दिनों से कई गायों की सेवा कर रहा हूँ और मेरे लिए कुछ ख़ास नहीं बनाया गया है।
कम्मो बोली- आज आपको फिर पाये का सूप यानि पाये का शोरबा पीना पड़ेगा ताकि आप का लंडम षंडम लम्बा और मोटा हो जाए हमारे ख़ास मेहमान के लिए!
बस इसी तरह हंसी मज़ाक में खाना हो गया और फिर भाभी और कम्मो मेरे साथ मेरे कमरे में आ गई।
वहाँ कम्मो ने बताया- मैंने भाभी को समझा दिया है कि भैया को एक पूर्ण पुरुष बनाया जा सकता है यदि भाभी साथ दे तो! भाभी का चेकअप किया है और वो बिल्कुल नार्मल है और भैया द्वारा ही गर्भवती हो सकती है यदि कोशिश की जाए तो!
मैं बोला- तो भैया में जो कमी है वो कैसे पूरी करोगी?
कम्मो बोली- मैंने भाभी को समझा दिया है कि क्या दवा देनी है और कैसा भोजन देना है। कल जब भैया वापस आएंगे तो भाभी उनको समझा देगी और ज़रूरत पड़ी तो चुदाई का असली तरीका भी दिखा दिया जाएगा।
मैं चौंकते हुए बोला- वो कैसे संभव है यार?
भाभी बोली- अगर तुम तैयार हो तो तुम और कम्मो हम दोनों के सामने चुदाई करके दिखाओगे? और भैया को समझा दोगे कि चुदाई का सही तरीका क्या है?
मैं कुछ परेशान हो कर बोला- अरे वाह, यह कैसे संभव है? मुझको शर्म आएगी भैया के सामने!
कम्मो बोली- कल रात एकदम अनजान भाभी के सामने उनको चोदते हुए शर्म नहीं आई आपको छोटे मालिक?
मैं बोला- देखो कम्मो, भाभी एक औरत है और क्योंकि वो मुझको चोद रही थी इसलिए मैं तो काफी देर सारी रात की चुदाई को एक सपना मात्र ही समझता रहा। वो तो मुझको काफी देर बाद पता चला कि मैं तो चुद गया हूँ और मुझको चोदने वाली मेरे ऊपर ही बैठी है!!!!
कम्मो और भाभी हंसी के मारे लोटपोट हो रहीं थी।
तब कम्मो बोली- वाकयी में भाभी ने बड़ी बहादुरी का काम किया। शेर को शेर के पिंजरे में ही हरा दिया। खैर वो तो छोड़ो, अब भैया को सिखाना है सही तरीका चुदाई का… वो कैसे करें?
भाभी बोली- सोमू ही कर सकता है यह काम और वो डर के मारे आगे नहीं आ रहा! सोमु तुम ही बताओ कैसे करें अब?
मैं बोला- अभी काफी टाइम है यह सब सोचने का, चलो पहले हो जाए थोड़ी चुदाई भाभी और कम्मो के साथ!
भाभी फ़ौरन मान गई और कम्मो पारो को बता आई कि हम सब चुदाई कार्यक्रम में लगे हैं तो किसी को अंदर मत आने देना।
सबसे पहले भाभी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किये और जब मैं नंगा हो गया तो काफी देर वो मुझको देखती रही। मेरा लंड तो तना हुआ ही था, वो उसको हाथ में लेने लगी तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और उनके कपड़े उतारने लगा।
उधर कम्मो भी अपने कपड़े उतार रही थी।
जैसे ही भाभी पूरी नंगी हो गई, कम्मो उसकी सफाचट चूत को हाथ से सहलाने लगी।
कम्मो और मैंने भाभी के नंगे जिस्म को भरपूर निगाहों से देखा, बहुत ही सुन्दर और सुगठित शरीर था भाभी का सिवाये उस की सफाचट चूत का, जो चूत लगती ही नहीं थी, वैसे भी चूत के स्थान पर बाल इसीलिए बनाये गए थे ताकि उस जन्मजननी स्थान को उजागर किया जाए, बालों के बिना वहाँ कुछ भी नहीं दिखता है सिवाए एक पतली सी लाइन के!
मैं और कम्मो जल्दी से भाभी के सुंदर भागों पर अपना कब्ज़ा ज़माने की होड़ में लग गए। मैंने भाभी के मम्मों पर कब्ज़ा जमा लिया और कम्मो भाभी के चूतड़ों पर काबिज़ हो गई।
मैं बड़े प्यार से उसके काले चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा और उसके मोटे गोल उरोजों को छूने और सहलाने लगा।
भाभी के काले घने बाल बहुत लम्बे और रेशमी लग रहे थे।
भाभी ने मेरे खड़े लंड को दोनों हाथों में पकड़ रखा था और उस की हल्की हल्की मुठी मार रही थी।
कम्मो ने भाभी में अपनी ऊँगली डाल रखी थी और उसकी भग को मसल रही थी।
भाभी भी दोनों हाथों का आनन्द ले रही थी।
तभी कम्मो ने कहा- भाभी तैयार है!
और तभी भाभी और मुझको एक सख्त आलिंगन में ले लिया, हम दोनों को बिस्तर पर ले गई, पहले उसने भाभी को लिटा दिया और मुझको भाभी की चौड़ी हुई टांगों में बैठने का इशारा किया और मैं लेकर वहां बैठ गया और धीरे से लंड को चूत के मुंह और उसकी भग से रगड़ने लगा।
थोड़ी देर में भाभी की अति गीली चूत के ऊपर लंड घिसाई करता रहा और फिर लंड को चूत के ऊपर रख कर हल्का धक्का दिया और लंड सारा का सारा अंदर चला गया भाभी ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के चारों ओर फैला दी।
अब मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा।
भाभी के रसीले होटों को चूमना और उसके गोल उभरे हुए गालों को किस करना एक अपना ही आनन्द देता था।
गर्म भाभी ने गर्मजोशी दिखाते हुए नीचे से ही कमर उठा उठा कर चुदाई में साथ देना शुरू कर दिया।
ऐसे में भाभी जल्दी ही छूट गई लेकिन फिर तैयार हो गई।
अब मैंने पोजीशन बदल दी, उनको उठाया और अपनी गोदी में ले लिया और उसकी उभरी हुई चूत में मोटा लंड डाल दिया।
वो भी मुझ से पूरी तरह से चिपक गई।
उधर कम्मो भाभी की आनंद में वृद्धि करते हुए उसके पीछे बैठ गई और हम दोनों को एक सख्त जफ़्फ़ी डाल कर हमको पूरा ही चिपका दिया।
मैं लंड चूत में डाल कर बैठा था लेकिन कम्मो भाभी की गांड को हाथ से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
भाभी मेरे और कम्मो के बीच में फंसी हुई थी और जैसे कम्मो चाहती थी वैसे ही हम दोनों को करना पड़ता था।
अब भाभी की चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया था तो मैंने कम्मो को आँख का इशारा किया और वो अब तेज़ी से भाभी की गांड को आगे पीछे करने लगी।
फिर भाभी ज़ोर की ‘हाय मैं गई…’ कह कर मेरे साथ और चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दोहने लगी।
फिर उसने अपना सर मेरी छाती में रख दिया और अपने शरीर की कम्पन से मेरे लंड को जीत की ख़ुशी दे दी।
अब मैंने भाभी को लिटा दिया और उसके पीछे बैठी कम्मो को निशाना बना दिया और जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी।
भाभी मेरे इस हमले को देख रही थी और कम्मो के मम्मों को उँगलियों से मसल रही थी। क्यूंकि कम्मो चुदाई देख रही थी तो वो बहुत ही गर्म हुई हुई थी, वो भी चंद धक्कों के बाद झड़ गई और मुझको बैठे हुए ही अपने से चिपका लिया।
कम्मो ने ज़रा हट कर मेरे गीले लंड को अपनी चूत से निकाला और उसको हैरानी से देखने लगी।
मैंने पूछा- क्या देख रही हो रानी?
कम्मो बोली- आज यह कुछ और भी लम्बा और मोटा हो गया है।
भाभी ने भी मेरे लंड को हाथ में लिया और कहा- यह रात से तो और मोटा और लम्बा हो गया है कम्मो, यह कैसे?
कम्मो हँसते हुए बोली- यह सब मेरी खुराक का कमाल है, आप आगे आगे देखिये, मैं छोटे मालिक के लंड को लोहे का हथोड़ा बना दूंगी, सख्त सख्त चूत को फाड़ कर रख देंगे यह!
हम सब हंस पड़े।
तब कम्मो ने भाभी से पूछा- और चुदाना है क्या?
भाभी हँसते हुए बोली- नहीं कम्मो रानी, इतना ही काफी है, और फिर रात भी तो है अपने पास!
मैं और भाभी एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर सो गए थोड़ी देर के लिए, मैं भाभी के मोटे मम्मों को बड़ी ललक से देख रहा था और बार बार उनको चूस भी रहा था।
लेकिन मेरे दिमाग में ‘भैया को कैसे मनाएँगे’ का प्रश्न ही चल रहा था। फिर मैंने सोचा भैया को मनाने का काम सिर्फ भाभी का है और किसी का नहीं… तो भाभी को पूरी कोशिश करनी होगी भैया को राज़ी करने में!
यह ही सब सोचते हुए मैं गहरी नींद में सो गया।
जब उठा तो भाभी जा चुकी थी, सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझको क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आप की मर्ज़ी होगी वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चलाक लोमड़ी हो! चलो जब मौक़ा आएगा तो देखेंगे।
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
[size=large]भाभी के साथ मस्ती की चूत चुदाई
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जब उठा तो भाभी जा चुकी थी सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा। मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ कम्मो मेरे लिए चाय ले आई थी।
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!
मैंने कम्मो से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं कम्मो की भी चूत लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?
कम्मो बोली- आपका क्या विचार है? मुझ को क्या करना चाहिए?
मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?
कम्मो बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आपकी मर्ज़ी होगी, वही मेरी भी होगी।
मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चालाक लोमड़ी हो! देखो कम्मो, आज तक तुमने मेरे लिए कई औरतों का इंतज़ाम किया और कभी कोई ऐतराज़ नहीं उठाया तो अगर तुमको भी कोई मर्द पसंद कर लेता है तो मुझको ख़ुशी ही होगी। क्यों मैंने ठीक कहा न?
कम्मो ज़ोर से हंस दी और बोली- छोटे मालिक, आपकी उम्र तो ज़्यादा नहीं है लेकिन आप बात बड़ी ही सुलझी हुई करते हो!
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी।
मैंने बात छेड़ते हुए कहा- भाभी कल रात जब आप मेरे कमरे में आई तो क्या आपको किसी किस्म की झिझक हुई थी? यानि अगर मैं जाग जाता हूँ तो कहीं शोर न मचाऊँ? ऐसा आपने सोचा था क्या?
भाभी बोली- हाँ सोमू, मैं पहले बहुत डर गई थी यह सोच कर कि न जाने सोमु क्या कहे? कहीं शोर न मचा दे या फिर मुझको बुरा भला न कहने लगे? लेकिन तुम्हारा खड़ा लंड देखा तो मन पक्का कर लिया कि आज इस छोकरे को तो चोद ही दूंगी, बाद की बाद में देखी जायेगी।
मैं बोला- अच्छा भाभी, आप में इतनी हिम्मत है क्या?
भाभी बोली- वो क्या है सोमू, तुम्हारे पयज़ामे का टेंट इतना ऊंचा खड़ा था कि मेरा पहले मन हुआ कि देखूँ कि क्या छुपा रखा है पायज़ामे में? जब अंदर घुस कर मैंने अपना मुंह नीचे करके पायजामा सरकाया तो तुम्हारा लंड ज़ोर से मेरे मुंह पर आकर लगा। पहले तो मैं हैरान हुई कि यह क्या लगा मुझको, लेकिन जब मैंने तुम्हारे लंड को लहराते देखा तो मुझको गुस्सा आ गया कि इस छोटे छोकरे की इतनी हिम्मत कि मुझको अपने लंड से थप्पड़ मारे!
मैं और कम्मो हंसी के मारे लोटपोट हो गए मैं बोला- फिर क्या हुआ?
भाभी बोली- फिर क्या था, मैंने अपनी नाइटी ऊपर उठाईं और तुम्हारे लंड पर धीरे से बैठ गई, मेरी चूत तो गीली हो रही थी, उसके मुंह पर रखते ही वो इसको पूरा का पूरा अपने अंदर निगल गई।
मैं और कम्मो बड़े ध्यान से सारी बात सुन रहे थे, भाभी की बातें सुनने के बाद मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों न भाभी वाली कहानी फिर से दोहराएँ भैया के साथ?
मैंने कम्मो और भाभी को भी यह बात बताई, मैंने कहा- जब भैया आ जाएँ, उस रात आप तो भैया के साथ सोयेंगी। इधर मैं और कम्मो अपने कमरे में सो जाएंगे। भैया के सोने के ठीक एक घंटे बाद तुम उनको जगा देना कि कुछ अजीब आवाज़ें आ रही हैं, उठो चल कर देख तो लो। भैया को लेकर जैसे ही तुम बाहर निकलोगी तो हमारे कमरे से ‘अह्ह्ह उह्ह्ह’ की आवाज़ें आ रही होंगी। तुम भैया को लेकर हमारे कमरे में आ जाना जहाँ कम्मो को मैं चोद रहा हूँगा और वो ज़ोर ज़ोर से आह उह्ह कर रही होगी।
कम्मो बोली- यह ठीक है, ऐसा करने से भाभी के ऊपर भी बात नहीं आएगी और हम चुदाई का पहला पाठ भी भैया को पढ़ा देंगे, क्यों भाभी?
मैं बोला- लेकिन भाभी, भैया अंदर आने से ज़रूर कतराएँगे कि किसी के चुदाई में दखल मत दें लेकिन आपको उनका हाथ पकड़ कर अंदर लाना होगा और एक और चुपचाप खड़ा कर देना होगा।
भाभी बोली- यह मैं कर लूंगी। और हो सका तो उनके बैठे हुए लंड को हाथ से खड़ा करने की कोशिश ज़रूर करूंगी।
मैं उठा और झट से भाभी को एक ज़ोरदार किस कर दी होटों पर और फिर कम्मो को भी होटों पर किस की और कस कर एक जफ़्फ़ी भी डाली।
हमारा यह प्लान तो बन गया और अब भैया के आने की इंतज़ार करने लगे।
उस रात को मैंने और कम्मो ने भाभी को हर तरह से चोदा, कभी घोड़ी, कभी गोद में उठा कर और कभी गोद में बिठा कर कभी आगे से और कभी पीछे से यानि कोई भी पोजीशन नहीं बची जिससे हम दोनों ने भाभी को न चोदा हो।
सुबह होने तक भाभी निढाल हो चुकी थी और कहने लगी- मेरी तो पूरी तृप्ति हो गई, सारे जीवन में ऐसी चुदाई नहीं हुई।
फिर कम्मो ने भाभी को धर दबोचा कभी वो नीचे और कभी भाभी नीचे, यहाँ तक भाभी ने हाथ जोड़े- बस बाबा, अब और नहीं।
फिर हम तीनों एक दूसरे को जफ़्फ़ी डाल कर सो गए।
रात को जब भी मेरी नींद खुलती तो मैं दोनों की चूत में ऊँगली डाल कर देखता था कि कौन सी ज़्यादा गीली है।
जो भी ज़्यादा गीली होती उस चूत पर चढ़ जाता था और जब तक वो छूट नहीं जाती थी तब तक उसको चोदता रहता था।
उसके बाद मैं लंड को कम्मो की चूत में पीछे से डाल कर सो जाता था।
सुबह मेरी नींद तब खुली जब शायद कम्मो मेरे लिए चाय लेकर आई थी, तब तक भाभी जा चुकी थी अपने कमरे में!
मैं बाहर निकला और चुपके से भाभी के कमरे की तरफ चला गया। भाभी शायद बाथरूम में नहा रही थी। मैंने बाथरूम का हैंडल घुमाया तो खुला हुआ था, मैं दरवाज़ा खोल कर चुपके से अंदर आ गया, देखा कि भाभी मुंह पर साबुन लगा रही थी और उसको पता नहीं चला कि मैं अंदर आ गया हूँ।
अभी साबुन लगाते हुए वो उसके हाथ से फिसल गया और थोड़ी दूर चला गया और भाभी बंद आँखों से ही हाथ इधर उधर करके उस को ढूंढने लगी।
मुझको शरारत सूझी और मैंने साबुन को पकड़ा और भाभी के हाथों में दे दिया।
पहले तो भाभी कुछ नहीं समझी लेकिन फिर जब समझ आई तो झट से बोल पड़ी- कौन अंदर आया है?
भाभी पानी डालने के लिए लोटा ढून्ढ रही थी वो मैंने हटा दिया और उसकी जगह अपना खड़ा लंड निकाल कर भाभी के हाथ में दे दिया।
भाभी तो पहले परेशान हो गई कि यह क्या चीज़ हाथ में आ गई, लेकिन वो जल्दी ही संभल गई और पहचान गई कि यह सोमु का लंड है।
उसने झट उसको अपने मुंह में डाल दिया और उसको चूसने लगी हालांकि उसकी आँखें बंद ही थी।
अब मैंने उसके मुंह पर पानी का लोटा डाला तो सारा साबुन साफ़ हो गया और भाभी ने आँखें खोली और मुझको देखा तो एकदम से खुश हो गई, उसने मेरे को अपनी नंगी छातियों से चिपका लिया और मेरा पायजामा भी खींच कर उतार दिया और कुरता भी उतार दिया।
अब हम दोनों नंगे हो गए और एक दूसरे को नहलाने लगे।
मैंने भाभी को फिर से साबुन लगा दिया और उसको मल मल कर नहलाने लगा। थोड़ा सा साबुन उसकी चूत में भी लगाया और ज़ोर से रगड़ा।
भाभी ने भी मेरे लौड़े को भी साबुन से साफ़ किया, फिर नंगी भाभी ने मुझको भी नहलाया और छोटे बच्चे की तरह से मेरा हर अंग साफ़ किया।
अब जब मैंने नंगी भाभी को पुनः देखा तो मेरा लंड एकदम से अकड़ गया और मैंने भाभी को दीवार के ऊपर हाथ रख दिए और फिर पीछे से अपना खड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसकी मस्त चुदाई शुरू कर दी।
!
थोड़ी देर ऐसी चुदाई के बाद ही मैंने भाभी को सीधा खड़ा किया और उसकी एक टांग को अपने ऊपर लेकर लंड को चूत में डाल दिया।
काफी देर ऐसे चोदने के बाद भाभी काफ़ी तीव्र रूप से झड़ गई और मुझको अपने से लिपटा कर ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी और हाय हाय करने लगी।
मैंने भाभी को कस कर अपने से लिपटाये रखा, जब वो थोड़ी शांत हुई तो मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया।
भाभी बोली- सोमू यार, तुम तो मुझको बिगाड़ कर ही रख दोगे, अब तुम्हारे बिना मैं कैसे जी पाऊँगी, उफ़्फ़, क्या चुदाई है तुम्हारी।
फिर हम एक दूसरे का जिस्म सुखाते हुए बाहर निकले और सामने ही कम्मो को मुस्कराते हुए पाया।
हम दोनों को नंगा देख कर वो भी बड़ी खुश हुई और झट से मुझको बड़े तौलिये में ढक कर मेरे कमरे में ले आई।
कम्मो ने आते ही कहना शुरू कर दिया- छोटे मालिक, आपने इतना बड़ा रिस्क लिया। कहीं भैया आ जाते तो? और आपने कॉलेज नहीं जाना था आज?
मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
[size=large]कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।
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