hotaks444
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मैं बाथरूम में घुस गया हाथ मुह धोकर आया तब तक रति ने खाना लगा दिया था मोमबत्ती की हलकी सी रौशनी में अपना तो वोही कैंडल लाइट डिनर हो गया था चुप चाप हम भोजन कर रहे थे बदन में थोडा सा दर्द होने लगा था ऐसे लग रहा तह की आज जैसे कोई बहुत भारी काम किया हो खाने के बाद मैंने पुछा- तुम्हारे पैर की खाल कैसे ही दवाई लगाई क्या
वो- नहीं बस कपडे से साफ़ किया था सोने से पहले लगा लुंगी
मैं- अभी लगाओ अब बस सोना है और क्या करना है लाओ दवाई मैं लगा देता हूँ बाकी काम बाद में मैं दवाई की ट्यूब को खोल ही रहा था की वो मोमबती भी दम तोड़ गयी कमरे में घुप्प अँधेरा हो गया
दूसरी मोमबत्ती है क्या
वो- नहीं ये छोटा सा टुकड़ा ही था पहले पता होता तो रख लेती
मैं – चलो कोई बात नहीं
रति बिस्तर पर बैठ गयी अँधेरे में बस अब हाथो से ही काम चलाना था अंदाजे से मैंने उसकी मैक्सी को ऊपर किया और उसकी जख्म पर दवाई लगाने लगा रति को थोडा दर्द होने लगा पर दवाई भी जरुरी थी उसकी कोमल जांघो को सहलाते हुए मैं दवाई लगा रहा था रति के बदन में एक बार फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी
आराम मिल रहा है पुछा मैंने
वो- हाँ, उम्म्फ आज तो लगता है की जैसे पैरो की जान ही निकल गयी हो
मैं- पैर दबा दू
वो- नहीं नहीं
मैं उसकी सही वाली जांघ पर अपनी उंगलिया फिराने लगा रति मेरे स्पर्श से बेचैन होने लगी मैं धीरे धीरे अपने हाथ को ऊपर चूत की तरफ ले जाने लगा उसकी पेंटी की लाइन को छूने लगा मैं
वो पैर पटकते हुए- क्या कर रहे हो
मैं- कुछ . . कुछ भी नहीं
वो- सच में
मैं- तुम्ही देख लो कुछ भी तो नहीं कर रहा
ये कहने के साथ ही मैंने अपनी मुट्टी में उसकी चूत को कस लिया और भींच दिया
आआआआआअह उफफ्फ्फ्फ़ की आवाज उसके मुह से निकली और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया
मैं- रति................. छूने दो मुझे
वो- क्यों मेरी परीक्षा लेने पे तुले हो क्यों सता ते हो मुझे इस कदर तुम, अब तो दर सा लगने लगा की कही मैं बह न जाऊ तुम्हारे साथ
मैं उसकी चूत को मसलते हुए, - तो क्या हुआ क्या तुम्हारा हक़ नहीं अपने हिस्से की ख़ुशी को पाने का क्या तुम्हे इस जिस्म की अंगड़ाईयाँ मजबूर नहीं करती रति मैं बस चाहता हूँ की तुम भी इस ख़ुशी को महसूस करो आखिर कब तक अपने झूठे विश्वाश के बूते जीती रहोगी तुम, मैं कोई भंवर नहीं हूँ जो जिसे बस तुम्हारे यौवन के रस को चखने की प्यास है
तुम्हे दिल से अपना मान लिया है सहयाद ये मेरी किस्मत का कोई करम था जो तुम्हारे दरवाजे पर मुझे ले आया
वो- पर तुम वो भी तो नहीं हो जिसको मैं ये सब सौंप सकूँ मैं
मैं- तो फिर क्यों मैं यहाँ तक आ गया क्यों तुम मुझे मेरी पहली कोशिश पर ही नहीं रोक सकी , मन की मेरी तो फितरत आवारा ठहरी पर तुम तो मजबूत थी फिर क्यों इस वक़्त तुम इस हालात म मेरी बाहों में सिमटी पड़ी हो रति जरा कोशिश तो करो मेरे मन को समझने को तुम्हारे लिए इसमें कोई छल कपट नहीं बस अगर कुछ हैं तो बस एक निश्चलता , एक अपना पण तुम्हारे लिए मैंने बहुत कोशिश की इन बीते चार दिनों में हर पल खुद को रोका पर नहीं रोक सका तुम्हारे करीब आने से तुम्हारे रूप की ये जलती हुई पवित्र ज्योति मुझे खीच लायी तुम्हारे पास
कच्छी का चूत के ऊपर वाला हिस्सा पूरी तरह गीला हो चूका था उसकी चूत से टपकते हुए योनी रस से मेरी उंगलिया चिप छिपी होने लगी थी मैं थोडा सा उसकी तरफ सरका और रति को बिना कुछ कहे अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसके गालो को चूमने लगा वो मीठी मीठी सी सिस्कारियां भरते हुए मेरी गोद में चढ़ सी आई , मैंने अपने हाथो से उसकी पीठ को सहलाने लगा और थोड़ी देर बाद पूर्ण रूप से उस यौवन के छलकते प्याले को अपनी गोद में बिठा लिया मेरा तौलिया ना जाने कब का खुल चूका था मेरे कच्चे की कैद में मेरा लंड बेकाबू होकर बहार निकलने का प्रयास कर रहा था ऊपर से रति के गोद में आ जाने से उसकी गांड मेरे लंड पर पूरा दवाब डाले हुए थी
रति- आः आह आह
मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उसके बदन से आजाद कर दिया रति ब्रा-पेंटी में मेरी गोद में बैठी हुई एक नाकाम कोशिश कर रही थी पर उसका बदन जो अब जल रहा था उस आग में जिसको आज उस बरसात की सख्त आवश्यकता थी जो उसके तन मन को आज इस कदर भिगो दे, उसको औरत होने का सुख दे उसकी हर प्यास को आज भिगो दे उस बंजर जमीन पर मैं आज घनघोर बादल बन कर बरस जाना चाहता था कमरे की खुली खिड़की से चन चन कर ठंडी हवा अपने साथ बारिश के एहसास को भी ला रही थी उसके सेब जैसे गालो को अपने मुह में भरते हुए मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया पल में ही उसकी कसी हुई छातिया मेरे सीने से आकार लग गयी उनकी नुकीली नोक मेरे सीने में धंसने लगी
बिना देर किये मैंने अपने चेहरे को उसके उभारो पर झुका दिया और उसकी एक चूची को मुह में भर लिया रति इस बार अपनी आहो को मुह में कैद नहीं रख पायी और उसके होतो से आह फूट पड़ी उम्म्म्फफ्फ्फ़ आःह्ह यीईईईए ये क्या कर दिया तुमने आः उसके बदन में जैसे 440 वाल्ट का करंट दोड़ने लगा था उसकी चूची क्या गजब थी मैंने एक को पीने लगा और दूसरी को भेंचने लगा मदमस्त मस्ती की तरंग रति के कामुक बदन में हिलोरे लेने लगी कमरे के सन्नाटे को उसके लबो से फूटी आहे भंग करने लगी
अब मैंने रति को बिस्तर पर पटक दिया और जल्दी से अपने कच्छे को उतार फेंका और जल्दी से दुबारा उसकी छातियो पर झुक गया पर इस बार मैंने उसके हाथ को लिया और लंड पर रख किया रति इ लंड को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में कस लिया औरत के हाथ को महसूस करते ही लंड की नसे फूलने-पिचकने लगी मैं बारी बारी से उसके दोनों बोबो का रसपान करने लगा रति धीरे धीरे मेरे लड को सहलाने लगी मुझे ख़ुशी थी की रति खुले मन से मेरा साथ दे रही थी आखिर उसे भी तो हक था अपनी इच्छाओ को जीने का चाहे फिर ये रास्ता बेशक गलत ही क्यों ना था पर फिर भी ................
करीब दस मिनट बाद मैं उसके बोबो से हट गया और उसकी कच्छी को उतरने लगा रति ने एक बार फिर से कम्जोर कोशिश की और कांपती सी आवाज में बोली- मानोगे नहीं मुझे भी पापिन करोगे ही अपने साथ
मैं- ये कोई पाप नहीं है रति बस मिलन है दो दोस्तों का मिलन है दो हिस्सों का जो अब से पहले भटक रहे थे कही पर
मैंने जैसे ही इलास्टिक को खीचा रति ने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर कर लिया ताकि मैं उसकी कच्छी को आराम से उतार सकू , अब उस अँधेरे में हम दोनों बिलकुल नंगे थे मैंने उसकी नाभि पर हल्का सा चुम्बन अंकित किया रति के समूल में हलचल मच रही वो किसी मछली की तरह मचलने लगी की आस हो जल्दी से समुन्दर में मिल जाऊ मैंने अपने हाथो से उसकी चूत को टटोला छोटी सी अनछुई चूत उसकी बेहद ही चिकनी एक भी बाल नहीं वहा पर ऐसा लगता था की जैसे आज या कल ही सफाई की गयी हो उसकी बहुत चिकनी पूरी तरह से योनी रस से भीगी हुई
मुझसे अब काबू ना रहा मैंने उसकी टांगो को सावधानी से थोडा सा फैलाया क्योंकि उसके पैर में जख्म भी तो था उस वजह से और अपने सर को उसकी जांघो के बीच में घुसा दिया , रति की चूत पर जीभ रखते ही मुझे मजा आ गया खारा खारा सा पानी मेरी जीभ से लड़ने लगा मेरी खुरदरी जीभ की रगड़ जो चूत पर पड़ी रति बुरी तरह से मचल पड़ी ओह्ह्हह्ह्ह्ह क्येआ किया तुम्नीईईईईईईईईईईई या क्याआआअ कर दिया ये तुमने मैंने मजबूती से उसकी टांगो को थामा और रति की पूरी चूत को अपने मुह में भर लिया रति की तो जैसे सिट्टी-पिट्टी गम हो गयी उसकी धड़कने बढ़ गयी साँसे रुक्नो को आई
वो- नहीं बस कपडे से साफ़ किया था सोने से पहले लगा लुंगी
मैं- अभी लगाओ अब बस सोना है और क्या करना है लाओ दवाई मैं लगा देता हूँ बाकी काम बाद में मैं दवाई की ट्यूब को खोल ही रहा था की वो मोमबती भी दम तोड़ गयी कमरे में घुप्प अँधेरा हो गया
दूसरी मोमबत्ती है क्या
वो- नहीं ये छोटा सा टुकड़ा ही था पहले पता होता तो रख लेती
मैं – चलो कोई बात नहीं
रति बिस्तर पर बैठ गयी अँधेरे में बस अब हाथो से ही काम चलाना था अंदाजे से मैंने उसकी मैक्सी को ऊपर किया और उसकी जख्म पर दवाई लगाने लगा रति को थोडा दर्द होने लगा पर दवाई भी जरुरी थी उसकी कोमल जांघो को सहलाते हुए मैं दवाई लगा रहा था रति के बदन में एक बार फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी
आराम मिल रहा है पुछा मैंने
वो- हाँ, उम्म्फ आज तो लगता है की जैसे पैरो की जान ही निकल गयी हो
मैं- पैर दबा दू
वो- नहीं नहीं
मैं उसकी सही वाली जांघ पर अपनी उंगलिया फिराने लगा रति मेरे स्पर्श से बेचैन होने लगी मैं धीरे धीरे अपने हाथ को ऊपर चूत की तरफ ले जाने लगा उसकी पेंटी की लाइन को छूने लगा मैं
वो पैर पटकते हुए- क्या कर रहे हो
मैं- कुछ . . कुछ भी नहीं
वो- सच में
मैं- तुम्ही देख लो कुछ भी तो नहीं कर रहा
ये कहने के साथ ही मैंने अपनी मुट्टी में उसकी चूत को कस लिया और भींच दिया
आआआआआअह उफफ्फ्फ्फ़ की आवाज उसके मुह से निकली और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया
मैं- रति................. छूने दो मुझे
वो- क्यों मेरी परीक्षा लेने पे तुले हो क्यों सता ते हो मुझे इस कदर तुम, अब तो दर सा लगने लगा की कही मैं बह न जाऊ तुम्हारे साथ
मैं उसकी चूत को मसलते हुए, - तो क्या हुआ क्या तुम्हारा हक़ नहीं अपने हिस्से की ख़ुशी को पाने का क्या तुम्हे इस जिस्म की अंगड़ाईयाँ मजबूर नहीं करती रति मैं बस चाहता हूँ की तुम भी इस ख़ुशी को महसूस करो आखिर कब तक अपने झूठे विश्वाश के बूते जीती रहोगी तुम, मैं कोई भंवर नहीं हूँ जो जिसे बस तुम्हारे यौवन के रस को चखने की प्यास है
तुम्हे दिल से अपना मान लिया है सहयाद ये मेरी किस्मत का कोई करम था जो तुम्हारे दरवाजे पर मुझे ले आया
वो- पर तुम वो भी तो नहीं हो जिसको मैं ये सब सौंप सकूँ मैं
मैं- तो फिर क्यों मैं यहाँ तक आ गया क्यों तुम मुझे मेरी पहली कोशिश पर ही नहीं रोक सकी , मन की मेरी तो फितरत आवारा ठहरी पर तुम तो मजबूत थी फिर क्यों इस वक़्त तुम इस हालात म मेरी बाहों में सिमटी पड़ी हो रति जरा कोशिश तो करो मेरे मन को समझने को तुम्हारे लिए इसमें कोई छल कपट नहीं बस अगर कुछ हैं तो बस एक निश्चलता , एक अपना पण तुम्हारे लिए मैंने बहुत कोशिश की इन बीते चार दिनों में हर पल खुद को रोका पर नहीं रोक सका तुम्हारे करीब आने से तुम्हारे रूप की ये जलती हुई पवित्र ज्योति मुझे खीच लायी तुम्हारे पास
कच्छी का चूत के ऊपर वाला हिस्सा पूरी तरह गीला हो चूका था उसकी चूत से टपकते हुए योनी रस से मेरी उंगलिया चिप छिपी होने लगी थी मैं थोडा सा उसकी तरफ सरका और रति को बिना कुछ कहे अपनी बाहों में कैद कर लिया और उसके गालो को चूमने लगा वो मीठी मीठी सी सिस्कारियां भरते हुए मेरी गोद में चढ़ सी आई , मैंने अपने हाथो से उसकी पीठ को सहलाने लगा और थोड़ी देर बाद पूर्ण रूप से उस यौवन के छलकते प्याले को अपनी गोद में बिठा लिया मेरा तौलिया ना जाने कब का खुल चूका था मेरे कच्चे की कैद में मेरा लंड बेकाबू होकर बहार निकलने का प्रयास कर रहा था ऊपर से रति के गोद में आ जाने से उसकी गांड मेरे लंड पर पूरा दवाब डाले हुए थी
रति- आः आह आह
मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उसके बदन से आजाद कर दिया रति ब्रा-पेंटी में मेरी गोद में बैठी हुई एक नाकाम कोशिश कर रही थी पर उसका बदन जो अब जल रहा था उस आग में जिसको आज उस बरसात की सख्त आवश्यकता थी जो उसके तन मन को आज इस कदर भिगो दे, उसको औरत होने का सुख दे उसकी हर प्यास को आज भिगो दे उस बंजर जमीन पर मैं आज घनघोर बादल बन कर बरस जाना चाहता था कमरे की खुली खिड़की से चन चन कर ठंडी हवा अपने साथ बारिश के एहसास को भी ला रही थी उसके सेब जैसे गालो को अपने मुह में भरते हुए मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया पल में ही उसकी कसी हुई छातिया मेरे सीने से आकार लग गयी उनकी नुकीली नोक मेरे सीने में धंसने लगी
बिना देर किये मैंने अपने चेहरे को उसके उभारो पर झुका दिया और उसकी एक चूची को मुह में भर लिया रति इस बार अपनी आहो को मुह में कैद नहीं रख पायी और उसके होतो से आह फूट पड़ी उम्म्म्फफ्फ्फ़ आःह्ह यीईईईए ये क्या कर दिया तुमने आः उसके बदन में जैसे 440 वाल्ट का करंट दोड़ने लगा था उसकी चूची क्या गजब थी मैंने एक को पीने लगा और दूसरी को भेंचने लगा मदमस्त मस्ती की तरंग रति के कामुक बदन में हिलोरे लेने लगी कमरे के सन्नाटे को उसके लबो से फूटी आहे भंग करने लगी
अब मैंने रति को बिस्तर पर पटक दिया और जल्दी से अपने कच्छे को उतार फेंका और जल्दी से दुबारा उसकी छातियो पर झुक गया पर इस बार मैंने उसके हाथ को लिया और लंड पर रख किया रति इ लंड को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में कस लिया औरत के हाथ को महसूस करते ही लंड की नसे फूलने-पिचकने लगी मैं बारी बारी से उसके दोनों बोबो का रसपान करने लगा रति धीरे धीरे मेरे लड को सहलाने लगी मुझे ख़ुशी थी की रति खुले मन से मेरा साथ दे रही थी आखिर उसे भी तो हक था अपनी इच्छाओ को जीने का चाहे फिर ये रास्ता बेशक गलत ही क्यों ना था पर फिर भी ................
करीब दस मिनट बाद मैं उसके बोबो से हट गया और उसकी कच्छी को उतरने लगा रति ने एक बार फिर से कम्जोर कोशिश की और कांपती सी आवाज में बोली- मानोगे नहीं मुझे भी पापिन करोगे ही अपने साथ
मैं- ये कोई पाप नहीं है रति बस मिलन है दो दोस्तों का मिलन है दो हिस्सों का जो अब से पहले भटक रहे थे कही पर
मैंने जैसे ही इलास्टिक को खीचा रति ने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर कर लिया ताकि मैं उसकी कच्छी को आराम से उतार सकू , अब उस अँधेरे में हम दोनों बिलकुल नंगे थे मैंने उसकी नाभि पर हल्का सा चुम्बन अंकित किया रति के समूल में हलचल मच रही वो किसी मछली की तरह मचलने लगी की आस हो जल्दी से समुन्दर में मिल जाऊ मैंने अपने हाथो से उसकी चूत को टटोला छोटी सी अनछुई चूत उसकी बेहद ही चिकनी एक भी बाल नहीं वहा पर ऐसा लगता था की जैसे आज या कल ही सफाई की गयी हो उसकी बहुत चिकनी पूरी तरह से योनी रस से भीगी हुई
मुझसे अब काबू ना रहा मैंने उसकी टांगो को सावधानी से थोडा सा फैलाया क्योंकि उसके पैर में जख्म भी तो था उस वजह से और अपने सर को उसकी जांघो के बीच में घुसा दिया , रति की चूत पर जीभ रखते ही मुझे मजा आ गया खारा खारा सा पानी मेरी जीभ से लड़ने लगा मेरी खुरदरी जीभ की रगड़ जो चूत पर पड़ी रति बुरी तरह से मचल पड़ी ओह्ह्हह्ह्ह्ह क्येआ किया तुम्नीईईईईईईईईईईई या क्याआआअ कर दिया ये तुमने मैंने मजबूती से उसकी टांगो को थामा और रति की पूरी चूत को अपने मुह में भर लिया रति की तो जैसे सिट्टी-पिट्टी गम हो गयी उसकी धड़कने बढ़ गयी साँसे रुक्नो को आई