hotaks444
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मिन्नी भी सोफा के बॅकरेस्ट पे साइड पकड़ के झूम झूम के अपनी चूत बहा रही थी. कभी एक हाथ से अपने को सपोर्ट करती तो कभी दूसरे से. कभी अपनी चूत में उंगलियाँ डालती और कभी अपने मम्मे नोच लेती. सबसे कम मज़ा नीचे बैठी राखी को आया क्योंकि वो अपनी गीली चूत को सिर्फ़ अपनी उंगलिओ से ही शांत कर पाई थी.
इस घमासान के बाद जगह जगह वीर्य और चूतरस टपकती चूते और लंड बिखरे पड़े थे और लंबी गहरी साँसों के साथ एक दूसरे के जिस्मों को टटोल रहे थे. अपने बदन पे 4 अलग अलग हाथों का स्पर्श अलग जहॉं पे महसूस करते हुए सरला कब सो गई उसे पता ही नही चला.
चुदाई के कुच्छ देर बाद सरला, राजू और सुजीत बाथरूम में घुस गए और नहाने लगे. सरला को बीच में रखते हुए राजू और सुजीत ने उसके बदन की अच्छे से रगड़ के धुलाई की. सरला भी बॉडी तो बॉडी बाथ से मस्त हुई पड़ी थी और उसके लोड़ों पे अच्छे से अपना पेट, गांद, चूत, जांघें और चूचे रगड़ रही थी. उसको यकीन नही हो रहा था कि इतने मज़े से उसने अपने नीचे के दोनो छेद भरवाए थे. कुच्छ महीनो पहले जब सुजीत ने उसकी गांद की दीवारें खोली थी तो वो बहुत ताड़पी थी. पर अब जैसे चूत वैसी गांद बन के रह गई थी. बस उसमे से रस नही टपकता था. इतने में उन्हे बाबूजी के करहाने की आवाज़ सुनाई पड़ी और 3नो मुस्कुराते हुए अपना नहाना फिनिश करके बाहर आ गए.
बाबूजी का लंड मिन्नी और राखी के मूह में बार बार घुस रहा था. वो कार्पेट पे लेटे हुए थे और दोनो कुत्ति बनी उनके लंड की सेवा कर रही थी. फॉर ए चेंज सखी अपने पति के साथ थी और उसका लंड चाट रही थी. बाबूजी तो पूरे तने हुए थे पर संजय का लंड अभी भी आधे रास्ते में था. अपने अगाल बगल में खड़े सुजीत और राजू के लोड़ों को मसल्ते हुए सरला ने दोनो को सिर उठा के किस किया और उनसे अपने मम्मे चुस्वाए और फिर उनको राखी और मिन्नी की फूली हुई चूतो की तरफ धक्का दे दिया. इस बार भी फॉर ए चेंज राजू ने मिन्नी की चूत पकड़ी और सुजीत ने राखी की और धीरे धीरे अपने लंड उनकी चूतो में घुसा दिए.
उधर सरला इठलाती हुई अपने सगे दामाद के पास पहुँची और सखी के बगल में खड़ी होके अपने दामाद की आँखों में झाँका. संजय की आँखों में वासना का समुंदर लहरें मार रहा था. उसको देखते हुए संजय ने सखी का सिर पकड़ा और अपना आधा खड़ा लंड उसके मूह में पेल दिया. सखी की नाक उसकी झांतों वाले हिस्से पे रगड़ खाने लगी.
''आआओ ना मम्मी वेट क्यों कर रही हो.....आओ और सखी को सिख़ाओ कि एक मर्द का लोडा कैसे चूस्ते हैं......इसे शादी के इतने सालों में हम सबने तो बहुत कुच्छ सिखा दिया. अब आपकी बारी है........अपनी मा से सीखेगी तो शायद और अच्छा करेगी....'' संजय अपनी निपल पे हाथ फेरते हुए बोला.
" हां हां बेटा तुम्हारा तो यही सपना है ना कि मा बेटी एक साथ तेरा लंड चूसे......साले हरामी की औलाद.....तू है तो मेरा दामाद पर तेरे जैसा चोदु इंसान मैने आज तक नही देखा. और फिर घोड़े जैसा लोडा......उम्म्म्म ....इसको देख के तो वैसे भी मेरी चूत फड़फदा जाती है. सो तुझे तो मना भी नही कर सकती भद्वे......चल रे अब बेटी और मा की एक साथ लेने की तैयारी करले. '' कहते हुए सरला ने खड़े खड़े ही आगे झुक के अपने दोनो हाथ सोफा के बॅकरेस्ट पे रखे और संजय के सिर के उपर हवा में अपना सिर कर दिया.
संजय सोफा के किनारे पे गांद टिकाए और टांगे खोले पसरा हुआ था. सखी उसकी टाँगों के बीच में बैठी थी और उसके लंड का सेवन कर रही थी. सरला दोनो टांगे चौड़ी किए हुए सखी के सिर के उपर हवा में चूत लहराए और दोनो हाथ संजय के कंधों के पिछे सोफा पे टिकाए खड़ी थी. संजय ने आगे बढ़ के उसके झूलते हुए चूचे मूह में भरने चाहे तो सरला ने बालों से पकड़ के उसे वापिस खींच लिया. फिर उसका चेहरा चिन से पकड़ के दबाया तो संजय का मूह खुल गया और सरला ने निशाना बनाते हुए करीब 1 फुट उपर से उसके मूह में थूक की लार डालनी शुरू की. पहली बार तो लार ठीक से नही गई पर दूसरी बार में ठीक संजय के मूह में जाके गिरी. सखी को ये देख के बहुत ही सेक्सी फील हुआ और साथ ही थोरी जलन भी हुई. शाम से उसकी चूत अभी तक खाली रही थी. उधर मिन्नी और राखी दोनो कार्पेट पे मस्ती से अपने अपने पति से चुद रही थी और साथ ही साथ बाबूजी का लोडा चूस रही थी.
'' मा तुम थोड़ी देर के लिए मुझे संजय के साथ छोड़ दो. बाद में दोनो एक साथ संजय को मज़ा दे देंगे. मेरी चूत बहुत बिदक रही है......उफ़फ्फ़...मुझे लंड लेना है इसमे...आप हटो और मुझे अपनी हवस मिटाने दो.'' कहते हुए सखी ने संजय का पूरा खड़ा लोडा मूह से निकाल दिया और टेडी होके सरकते हुए संजय के उपर आ गई. सखी की पीठ संजय के सीने पे थी और चूत लंड के टोपे पे. सरला तो अपनी जगह से नही हटी पर सखी ने अपनी चूत को सेट किया और धीरे धीरे लंड पे उतरने लगी. कुच्छ ही पल में लंड 8 - 9 इंच अंदर घुस गया और गहरी साँस लेते हुए सखी रुक गई.
''कोई बात नही तू खाज मिटवा ले .....पर मुझे जाने को क्यों कहती है...इस कुत्ते के मज़े तो लेने दे अपनी मा को...माना कि तेरा ख़सम है पर इसके जैसा चोदु तुझे मिला तो मेरी वजह से ही है. लो दामाद जी जब तक नीचे से उचक उचक के बेटी की चुदाई करते हो तब तक साथ साथ मा के मम्मे ही चूस लो.......उम्म्म्ममम मदर्चोद अभी भी बच्चे के जैसे निपल चूस्ते हो तुम.....तुमसे निपल चुस्वाते हुए लगता ही नही है कि किसी जवान लौंदे से चुस्वा रही हूँ....हान्न्न्न बेटाअ ऐसे ही.....उउम्म्म्म कर दो अपनी सासू मा के दूध खाली .....उउम्म्म्ममम और तू क्यों रुकी पड़ी है....तू भी पिई ले.....बचपन में अकेले पीती थी आज पति के साथ मिलके पी ले......उउम्म्म्मममम....एसस्स.........मज़ाअ आ गया दोनो एक साथ चुस्वा के...........'' सरला आधी झुकी झुकी मस्ती में गांद घुमाए जा रही थी. करीब 2 मिनट तक खूब सिसकियाँ मारते हुए उसने अपने मम्मे सखी और संजय से बारी बारी चुस्वाए. सखी की चूत में संजय का लंड अच्छे से सॅट्ट सत्त करके चल रहा था और सखी अपनी मा के चूचे चूस्ते हुए एक बार हल्के से झाड़ भी चुकी थी.
इस घमासान के बाद जगह जगह वीर्य और चूतरस टपकती चूते और लंड बिखरे पड़े थे और लंबी गहरी साँसों के साथ एक दूसरे के जिस्मों को टटोल रहे थे. अपने बदन पे 4 अलग अलग हाथों का स्पर्श अलग जहॉं पे महसूस करते हुए सरला कब सो गई उसे पता ही नही चला.
चुदाई के कुच्छ देर बाद सरला, राजू और सुजीत बाथरूम में घुस गए और नहाने लगे. सरला को बीच में रखते हुए राजू और सुजीत ने उसके बदन की अच्छे से रगड़ के धुलाई की. सरला भी बॉडी तो बॉडी बाथ से मस्त हुई पड़ी थी और उसके लोड़ों पे अच्छे से अपना पेट, गांद, चूत, जांघें और चूचे रगड़ रही थी. उसको यकीन नही हो रहा था कि इतने मज़े से उसने अपने नीचे के दोनो छेद भरवाए थे. कुच्छ महीनो पहले जब सुजीत ने उसकी गांद की दीवारें खोली थी तो वो बहुत ताड़पी थी. पर अब जैसे चूत वैसी गांद बन के रह गई थी. बस उसमे से रस नही टपकता था. इतने में उन्हे बाबूजी के करहाने की आवाज़ सुनाई पड़ी और 3नो मुस्कुराते हुए अपना नहाना फिनिश करके बाहर आ गए.
बाबूजी का लंड मिन्नी और राखी के मूह में बार बार घुस रहा था. वो कार्पेट पे लेटे हुए थे और दोनो कुत्ति बनी उनके लंड की सेवा कर रही थी. फॉर ए चेंज सखी अपने पति के साथ थी और उसका लंड चाट रही थी. बाबूजी तो पूरे तने हुए थे पर संजय का लंड अभी भी आधे रास्ते में था. अपने अगाल बगल में खड़े सुजीत और राजू के लोड़ों को मसल्ते हुए सरला ने दोनो को सिर उठा के किस किया और उनसे अपने मम्मे चुस्वाए और फिर उनको राखी और मिन्नी की फूली हुई चूतो की तरफ धक्का दे दिया. इस बार भी फॉर ए चेंज राजू ने मिन्नी की चूत पकड़ी और सुजीत ने राखी की और धीरे धीरे अपने लंड उनकी चूतो में घुसा दिए.
उधर सरला इठलाती हुई अपने सगे दामाद के पास पहुँची और सखी के बगल में खड़ी होके अपने दामाद की आँखों में झाँका. संजय की आँखों में वासना का समुंदर लहरें मार रहा था. उसको देखते हुए संजय ने सखी का सिर पकड़ा और अपना आधा खड़ा लंड उसके मूह में पेल दिया. सखी की नाक उसकी झांतों वाले हिस्से पे रगड़ खाने लगी.
''आआओ ना मम्मी वेट क्यों कर रही हो.....आओ और सखी को सिख़ाओ कि एक मर्द का लोडा कैसे चूस्ते हैं......इसे शादी के इतने सालों में हम सबने तो बहुत कुच्छ सिखा दिया. अब आपकी बारी है........अपनी मा से सीखेगी तो शायद और अच्छा करेगी....'' संजय अपनी निपल पे हाथ फेरते हुए बोला.
" हां हां बेटा तुम्हारा तो यही सपना है ना कि मा बेटी एक साथ तेरा लंड चूसे......साले हरामी की औलाद.....तू है तो मेरा दामाद पर तेरे जैसा चोदु इंसान मैने आज तक नही देखा. और फिर घोड़े जैसा लोडा......उम्म्म्म ....इसको देख के तो वैसे भी मेरी चूत फड़फदा जाती है. सो तुझे तो मना भी नही कर सकती भद्वे......चल रे अब बेटी और मा की एक साथ लेने की तैयारी करले. '' कहते हुए सरला ने खड़े खड़े ही आगे झुक के अपने दोनो हाथ सोफा के बॅकरेस्ट पे रखे और संजय के सिर के उपर हवा में अपना सिर कर दिया.
संजय सोफा के किनारे पे गांद टिकाए और टांगे खोले पसरा हुआ था. सखी उसकी टाँगों के बीच में बैठी थी और उसके लंड का सेवन कर रही थी. सरला दोनो टांगे चौड़ी किए हुए सखी के सिर के उपर हवा में चूत लहराए और दोनो हाथ संजय के कंधों के पिछे सोफा पे टिकाए खड़ी थी. संजय ने आगे बढ़ के उसके झूलते हुए चूचे मूह में भरने चाहे तो सरला ने बालों से पकड़ के उसे वापिस खींच लिया. फिर उसका चेहरा चिन से पकड़ के दबाया तो संजय का मूह खुल गया और सरला ने निशाना बनाते हुए करीब 1 फुट उपर से उसके मूह में थूक की लार डालनी शुरू की. पहली बार तो लार ठीक से नही गई पर दूसरी बार में ठीक संजय के मूह में जाके गिरी. सखी को ये देख के बहुत ही सेक्सी फील हुआ और साथ ही थोरी जलन भी हुई. शाम से उसकी चूत अभी तक खाली रही थी. उधर मिन्नी और राखी दोनो कार्पेट पे मस्ती से अपने अपने पति से चुद रही थी और साथ ही साथ बाबूजी का लोडा चूस रही थी.
'' मा तुम थोड़ी देर के लिए मुझे संजय के साथ छोड़ दो. बाद में दोनो एक साथ संजय को मज़ा दे देंगे. मेरी चूत बहुत बिदक रही है......उफ़फ्फ़...मुझे लंड लेना है इसमे...आप हटो और मुझे अपनी हवस मिटाने दो.'' कहते हुए सखी ने संजय का पूरा खड़ा लोडा मूह से निकाल दिया और टेडी होके सरकते हुए संजय के उपर आ गई. सखी की पीठ संजय के सीने पे थी और चूत लंड के टोपे पे. सरला तो अपनी जगह से नही हटी पर सखी ने अपनी चूत को सेट किया और धीरे धीरे लंड पे उतरने लगी. कुच्छ ही पल में लंड 8 - 9 इंच अंदर घुस गया और गहरी साँस लेते हुए सखी रुक गई.
''कोई बात नही तू खाज मिटवा ले .....पर मुझे जाने को क्यों कहती है...इस कुत्ते के मज़े तो लेने दे अपनी मा को...माना कि तेरा ख़सम है पर इसके जैसा चोदु तुझे मिला तो मेरी वजह से ही है. लो दामाद जी जब तक नीचे से उचक उचक के बेटी की चुदाई करते हो तब तक साथ साथ मा के मम्मे ही चूस लो.......उम्म्म्ममम मदर्चोद अभी भी बच्चे के जैसे निपल चूस्ते हो तुम.....तुमसे निपल चुस्वाते हुए लगता ही नही है कि किसी जवान लौंदे से चुस्वा रही हूँ....हान्न्न्न बेटाअ ऐसे ही.....उउम्म्म्म कर दो अपनी सासू मा के दूध खाली .....उउम्म्म्ममम और तू क्यों रुकी पड़ी है....तू भी पिई ले.....बचपन में अकेले पीती थी आज पति के साथ मिलके पी ले......उउम्म्म्मममम....एसस्स.........मज़ाअ आ गया दोनो एक साथ चुस्वा के...........'' सरला आधी झुकी झुकी मस्ती में गांद घुमाए जा रही थी. करीब 2 मिनट तक खूब सिसकियाँ मारते हुए उसने अपने मम्मे सखी और संजय से बारी बारी चुस्वाए. सखी की चूत में संजय का लंड अच्छे से सॅट्ट सत्त करके चल रहा था और सखी अपनी मा के चूचे चूस्ते हुए एक बार हल्के से झाड़ भी चुकी थी.