desiaks
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अपडेट-18
शाम को ठीक समय पर में घर पर आ गया. रोज की ही तरह हमने डिन्नर लिया. आज मा फिर नहाने चली गई. मेने भी बहुत तबीयत से शवर का मज़ा लिया और सोफे पर बैठ कर माका इंतज़ार करने लगा. जब मा मेरे रूम में आई तो आज वा सेक्सी ओपन नाइट गाउन में थी. गाउन के स्ट्रॅप्स उसने आयेज पेट पर बाँध रखे थे. चल कर आते समय उसकी भारी चूचियाँ गाउन में उच्छल रही थी.
"लगता है बड़ी बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है." मा ने अपनी स्वाभाविक हँसी से पूचछा.
"जिस इंतज़ार का फल मीठा हो उस इंतज़ार में भी मज़ा है. पर मा आज तो तुम कयामत ढा रही हो. क्या इरादा लेके आए हैं सरकार." मेने सोफे के पास खड़ी मा का हाथ पकड़ के कहा.
"कल तो में इतनी बेचैन हो गई की तुम्हें ठीक से देख ही नहीं सकी. पिच्छले 15 साल से जो मेरी तम्मनाएँ सोई पड़ी थी उन्हे तुमने एकाएक जगा दिया था. मेरे पुर शरीर में आग सी जलने लगी थी और चिंतियाँ सी रेंगने लगी थी . जब तक तूने मेरी प्यासी धरती पर प्यार की बौच्हार नहीं की में धू धू करके जल रही थी. लेकिन आज अपने लाल की पूरी जवानी अच्छी तरह देखूँगी. तेरे मतवाले अंग को जी भर के निहारँगी, उसे खूब प्यार करूँगी. वैसे तो तू मुझे आइस्क्रीम कॅंडी खिलाने कहाँ कहाँ ले जाता रहता है और पूच्छ पूच्छ खिलाता है; आज अपनी नीचेवली कॅंडी इस माको नहीं खिलाएगा?" मा ने कहा.
"अरे मेरी रानी इतनी जल्दी भी क्या है? आओ कुच्छ देर मेरी गोद में बैठो, मेरे से प्यारी प्यारी खुल के बातें करो. मेरा मतवाला लंड तो अब आपका बिना मोल का ग्युलम है. जब सरकार हुकुम करेंगे, बिल्कुल सीधा खड़ा होके आपको सल्यूट करेगा. आप जहाँ हुकुम देंगे वहीं दौड़ा चला जाएगा." यह कहते हुए मेने अपनी सेक्सी माको हाथ पकड़के आपनी गोद में बैठा लिया.
मा: "यह तो बहुत ही प्यारा स्वांिभक्त और आग्यकारी सेवक है. ऐसे सेवक के लिए तो मेरे महल का हर द्वार खुला है. कहीं भी कोई पहरा नहीं है और ना ही कहीं रोक है. इसकी जब भी जिस समय जहाँ जाने को इच्छा हो वहाँ फ़ौरन बेरोक टोक जा सकता है. राजमहल की महारानियों की सेवा में तो ऐसे ही फौलादी जिस्म के मुस्तैद ग्युलम चाहिए."
शाम को ठीक समय पर में घर पर आ गया. रोज की ही तरह हमने डिन्नर लिया. आज मा फिर नहाने चली गई. मेने भी बहुत तबीयत से शवर का मज़ा लिया और सोफे पर बैठ कर माका इंतज़ार करने लगा. जब मा मेरे रूम में आई तो आज वा सेक्सी ओपन नाइट गाउन में थी. गाउन के स्ट्रॅप्स उसने आयेज पेट पर बाँध रखे थे. चल कर आते समय उसकी भारी चूचियाँ गाउन में उच्छल रही थी.
"लगता है बड़ी बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है." मा ने अपनी स्वाभाविक हँसी से पूचछा.
"जिस इंतज़ार का फल मीठा हो उस इंतज़ार में भी मज़ा है. पर मा आज तो तुम कयामत ढा रही हो. क्या इरादा लेके आए हैं सरकार." मेने सोफे के पास खड़ी मा का हाथ पकड़ के कहा.
"कल तो में इतनी बेचैन हो गई की तुम्हें ठीक से देख ही नहीं सकी. पिच्छले 15 साल से जो मेरी तम्मनाएँ सोई पड़ी थी उन्हे तुमने एकाएक जगा दिया था. मेरे पुर शरीर में आग सी जलने लगी थी और चिंतियाँ सी रेंगने लगी थी . जब तक तूने मेरी प्यासी धरती पर प्यार की बौच्हार नहीं की में धू धू करके जल रही थी. लेकिन आज अपने लाल की पूरी जवानी अच्छी तरह देखूँगी. तेरे मतवाले अंग को जी भर के निहारँगी, उसे खूब प्यार करूँगी. वैसे तो तू मुझे आइस्क्रीम कॅंडी खिलाने कहाँ कहाँ ले जाता रहता है और पूच्छ पूच्छ खिलाता है; आज अपनी नीचेवली कॅंडी इस माको नहीं खिलाएगा?" मा ने कहा.
"अरे मेरी रानी इतनी जल्दी भी क्या है? आओ कुच्छ देर मेरी गोद में बैठो, मेरे से प्यारी प्यारी खुल के बातें करो. मेरा मतवाला लंड तो अब आपका बिना मोल का ग्युलम है. जब सरकार हुकुम करेंगे, बिल्कुल सीधा खड़ा होके आपको सल्यूट करेगा. आप जहाँ हुकुम देंगे वहीं दौड़ा चला जाएगा." यह कहते हुए मेने अपनी सेक्सी माको हाथ पकड़के आपनी गोद में बैठा लिया.
मा: "यह तो बहुत ही प्यारा स्वांिभक्त और आग्यकारी सेवक है. ऐसे सेवक के लिए तो मेरे महल का हर द्वार खुला है. कहीं भी कोई पहरा नहीं है और ना ही कहीं रोक है. इसकी जब भी जिस समय जहाँ जाने को इच्छा हो वहाँ फ़ौरन बेरोक टोक जा सकता है. राजमहल की महारानियों की सेवा में तो ऐसे ही फौलादी जिस्म के मुस्तैद ग्युलम चाहिए."