Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद - Page 4 - SexBaba
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Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद

अपडेट-18

शाम को ठीक समय पर में घर पर आ गया. रोज की ही तरह हमने डिन्नर लिया. आज मा फिर नहाने चली गई. मेने भी बहुत तबीयत से शवर का मज़ा लिया और सोफे पर बैठ कर माका इंतज़ार करने लगा. जब मा मेरे रूम में आई तो आज वा सेक्सी ओपन नाइट गाउन में थी. गाउन के स्ट्रॅप्स उसने आयेज पेट पर बाँध रखे थे. चल कर आते समय उसकी भारी चूचियाँ गाउन में उच्छल रही थी.

"लगता है बड़ी बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है." मा ने अपनी स्वाभाविक हँसी से पूचछा.

"जिस इंतज़ार का फल मीठा हो उस इंतज़ार में भी मज़ा है. पर मा आज तो तुम कयामत ढा रही हो. क्या इरादा लेके आए हैं सरकार." मेने सोफे के पास खड़ी मा का हाथ पकड़ के कहा.

"कल तो में इतनी बेचैन हो गई की तुम्हें ठीक से देख ही नहीं सकी. पिच्छले 15 साल से जो मेरी तम्मनाएँ सोई पड़ी थी उन्हे तुमने एकाएक जगा दिया था. मेरे पुर शरीर में आग सी जलने लगी थी और चिंतियाँ सी रेंगने लगी थी . जब तक तूने मेरी प्यासी धरती पर प्यार की बौच्हार नहीं की में धू धू करके जल रही थी. लेकिन आज अपने लाल की पूरी जवानी अच्छी तरह देखूँगी. तेरे मतवाले अंग को जी भर के निहारँगी, उसे खूब प्यार करूँगी. वैसे तो तू मुझे आइस्क्रीम कॅंडी खिलाने कहाँ कहाँ ले जाता रहता है और पूच्छ पूच्छ खिलाता है; आज अपनी नीचेवली कॅंडी इस माको नहीं खिलाएगा?" मा ने कहा.

"अरे मेरी रानी इतनी जल्दी भी क्या है? आओ कुच्छ देर मेरी गोद में बैठो, मेरे से प्यारी प्यारी खुल के बातें करो. मेरा मतवाला लंड तो अब आपका बिना मोल का ग्युलम है. जब सरकार हुकुम करेंगे, बिल्कुल सीधा खड़ा होके आपको सल्यूट करेगा. आप जहाँ हुकुम देंगे वहीं दौड़ा चला जाएगा." यह कहते हुए मेने अपनी सेक्सी माको हाथ पकड़के आपनी गोद में बैठा लिया.

मा: "यह तो बहुत ही प्यारा स्वांिभक्त और आग्यकारी सेवक है. ऐसे सेवक के लिए तो मेरे महल का हर द्वार खुला है. कहीं भी कोई पहरा नहीं है और ना ही कहीं रोक है. इसकी जब भी जिस समय जहाँ जाने को इच्छा हो वहाँ फ़ौरन बेरोक टोक जा सकता है. राजमहल की महारानियों की सेवा में तो ऐसे ही फौलादी जिस्म के मुस्तैद ग्युलम चाहिए."
 


में: "यह आपका प्यारा ग्युलम ठीक वैसा ही है जैसा की आप चाहती हैं. यह इस विशाल राजमहल का हर बंद पड़ा और गुप्त द्वार खुद बा खुद तलाश लेगा और अपना रास्ता खुद बना लेगा."

"चलो अब उठो और अपने कपड़े खोलो. मुझे तो अभी कॅंडी चूसनी है." माने मचल कर कहा.

में आग्यकारी बालक की तरह सोफे से उठा और एक एक कर सारे कपड़े उतार मा के सामने पूरा नंगा हो गया. मा सोफे से उठ कर बेड पर बैठ गई थी. मेरा लंड टन गया था जिसे मा ने हाथ में ले लिया और मुठियाने लगी.

"इतना प्यारा कॅंडी सा लंड और रसगुल्ले सा सुपरा. इसे आज जी भर के चूसूंगई. मैने आज तक किसी मारद का लंड नहीं चूसा लेकिन कल्पनाओं में किसी मोटे और तगड़े लंड को पक्की लूंदखोर की तरह चूसा करती थी. आज वैसा ही लंड मेरे सामने है. विजय डार्लिंग अपने विशाल लंड को अपनी मा के मुख में देदे." यह कह कर मा ने मुझे बेड पर ले लिया और खुद चिट लेट गई. मेने मा के कंधों के दोनो ओर घुटने जमा लिए और मा के मुख में अपना लंड दे दिया. मा होंठ गोल कर के मुख से लंड को बाहर भीतर करते हुए गीला करने लगी. फिर जी जान से कोशिश करती जितना हो सके मुख के अंदर लेने लगी. पूरी कोशिश के बाद भी मा 6 इंच के करीब ही लंड मुख में ले पाई. मा कई देर मेरे लंड को चूस्टी रही, सुपरे पर जीभ फिरती रही, 1-2 बार आंडों को भी मुख में भरने की कोशिश की.

"तेरे इस मस्त लंड ने तो मुझे पक्की लूंदखोर बना दिया. देखो तो इस उमर में मुझे यह क्या हो गया?" मा ने कहा.

"मा तेरे जैसी जवान, हसीन और शौकीन औरत को इस उमर में आ कर जब ऐसा चस्का लगता है ना तो उस औरत के यार की तो लॉटरी खुल जाती है. ऐसी प्यासी और तड़पति औरत बहुत मस्त होके बोल बोलके आपनी जवानी का खजाना लूटती है. खुद भी पूरी तरह से खुल के जवानी के नये नये खेल खेलती है और अपने तोकू यार को भी पूरी मस्ती देती है. उस औरत के साथ मज़ा लेने में जो सुख है ना उस का वर्णन नहीं किया जा सकता. बड़ी नमकीन औरत है तू. तेरा यार बनके तो मेरा भाग्या खुल गया. अब तेरे साथ खुल के व्यभिचार करूँगा. तभी तो मुझे तेरे जैसी प्यासी और शौकीन औरतों का चस्का है. एक बार पाटने की देर है फिर तो इतनी मस्ती कराती है की पुच्च्ो मत." मेने बहुत ही कामुक अंदाज़ में होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा.
 


"जब तेरे जैसा मतवाला बांका यार मिल जाय तो हर जवान प्यासी औरत अपनी जवानी लुटाने को मचल जाती है. में 15 साल से तगड़े लॉड को तरस रही थी. एक बार जब तूने मेरे पर डोरे डालने शुरू किए तो मुझे तुम एक बेटे से ज़्यादा पूरा मर्द दिखाई देने लेगे. मुझे तेरा कसा शरीर, मजबूत पुत्ते, विशाल बाँहें, फैली जांघें आकार्षित करने लगी, में इनमें पीसने के लिए तड़प उठी. यह हमैइषा याद रखो जब भी हम दोनो एकांत में कमतूर होके मिले तब तुम बेटे से पहले एक पूर्ण पुरुष हो और में एक काम पीडिता पूर्ण नारी. तुम्हारे पौरुष का इसी में सम्मान है की तुम अपने समक्ष काम याचना लेके आई नारी की काम तृप्ति करो चाहे वा तुम्हारी जननी ही क्यों ना हो." यह कह कर मा ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया.

"चल मेरी राधा जान अब अपनी मालपुए सी छूट भी तो मुझे चटा दे. तुझे तो पता ही है की तुम कॅंडी चूसने की शौकीन हो तो में कोन में जीभ घुसाके क्रीम चाटने का शौकीन." मेरी बात सुन कर मा उठी और नाइट गाउन की डोर खोल दी. ओपन गाउन के नीचे माने कुच्छ भी नहीं पहन रखा था और माने गाउन अपनी बाँहों से निकाल दिया और मेरे सामने मेरी मा पूरी नंगी होके हांस रही थी.

में बेड पर लेट गया और मा को मेरे चेहरे पर घोड़ी नुमा बना लिया और मा का मुख मेरे पैरों की ओर कर दिया. मा की रसदार छूट का फाटक ठीक मेरे मुख के उपर था और मा का विशाल होड़े सा पिच्छवाड़ा मेरी आँखों के सामने था. बिल्कुल गोल शेप में बने नितंबों की दरार के बीचों बीच मा की गांद का बड़ा सा गुलाबी च्छेद सॉफ दिख रहा था. च्छेद ज़्यादा सिकुदा नहीं होकर खुला सा था. मेने मा की छूट अपने मुख पर दबा ली और मा की छूट जीभ अंदर घुसा घुसा कर मस्त हो कर चाटने लगा. मा की छूट लसलसा रस छ्चोड़ रही थी. मेने मा की छूट से जीभ निकाल कर दो अंगुल उसमें डाल दी जिससे छूट के गाढ़े रस से अँगुलियन सराबोर हो गई. अब वापस मा की छूट पर मुँह लगा दिया और उंगलियों में लगा रस मा के गांद के च्छेद पर मलने लगा.

इधर मा के मुख के सामने मेरा लंड तनटना रहा था जिसे मा चूसने लगी यानी की हम दोनों 69 की पोज़िशन में एक दूसरे की चूसा चूसी करने लगे. इधर मेने अंगुलियों में लगा सारा रस मा की गांद पर चुपद दिया और मा की गांद का च्छेद चिकना हो गया. अब मेने अपनी इंडेक्स फिंगर मा की गांद में पेलनी शुरू कर दी. मा की गांद बहुत ही कसी हुई थी. एक अंगुल भी आसानी से अंदर नहीं जा रही थी. छूट चाटते चाटते मेरे मुख में काफ़ी थूक इकट्ठा हो गया था जिसे एक हथेली पर लेकर मा की गांद पर अच्छे से माल दिया और इस बार कुच्छ ज़ोर लगा के गांद में अंगुल घुसा तो आधी अंगुल अंदर चली गई. अब में धीरे धीरे अंगुल भीतर बाहर करने लगा. कुच्छ देर में च्छेद ढीला हो गया और पूरी अंगुल भीतर बाहर होने लगी.

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अपडेट-19

माँ मेरे लंड के उपर झुकी हुई धीरे धीरे मेरे 11" के मोटे लौडे को अपने हलक में ले रही थी. वह मुख में जमा हुए थूक से मेरे लंड को चिकना कर रही थी और अपना मुख उपर नीचे करते हुए पक्की लंडखोर औरत की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी. अब लगभग मेरा पूरा लंड वा अपने मुख में ले चूसने लगी थी. माके इस प्रकार लंड चूसने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. में पहले से ही माँ की चूत अपने चेहरे पर दबाते हुए पूरी जीभ उसके अंदर डाल चाट रहा था और साथ ही माँ की गान्ड अपनी इंडेक्स फिंगर से मार रहा था. माँ के इस प्रकार जोश में भर लंड चूसने से मुझे भी जोश आ गया और मेरी अंगुल की स्पीड उसकी गान्ड में बढ़ गई.

मेरी देखा देखी माँ ने भी मेरा लंड चूस्ते चूस्ते मेरी गान्ड दोनो हाथों से कुच्छ उपर उठा ली जिससे माको मेरी गान्ड का छेद भली भाँति दिखने लगा. उसने ढेर सारा थूक अपने मुख से निकाला और अपनी 2-3 अंगुल में ले मेरे गान्ड के छेद पर चुपड दिया. तभी माँ ने शरारत से अचानक मेरी गान्ड में अपनी एक अंगुल ज़ोर्से घसेद दी. में इस अप्रत्याशित हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था और ज़ोर से चिहुन्क पड़ा. तभी माँ ने अपनी अंगुल कुच्छ बाहर लेके वापस ज़ोर से मेरी गान्ड में पूरी घुसेड दी. हालाँकि में खुद तो मुन्ना की गान्ड पहले ही मार चुका था पर मेरी खुद की गान्ड अब तक बिल्कुल कुँवारी थी. मुझे यह भी नहीं याद पड़ता कि कभी मेने खुद की भी अंगुल शौक से अपनी गान्ड में दी हो पर आज मेरी बिल्कुल कुँवारी गान्ड एक औरत के द्वारा मारी जा रही थी चाहे वह अंगुल से ही मारी जाय और वह औरत खुद मेरी माँ थी. लेकिन इस घटना से में बहुत खुश हो गया कि चलो माँ की मस्त गान्ड मारने की राह आसान हो गई जिसे में काफ़ी देर से अपने चेहरे के ठीक सामने लहराते देख मारने की फिराक़ में था.

मेरी एक अंगुल माँ की गान्ड में बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रही थी. तभी मेने अंगुल निकाल ली और इस बार दो अंगुल थूक से अच्छी तरह तर कर धीरे धीरे बहुत यातना के साथ माँ की गान्ड में पेलने लगा. में माँ को ज़रा भी दर्द महसूस नहीं होने देना चाहता था क्योंकि कहीं वह अपनी गान्ड देने से मना नहीं कर दे. थोड़ी कोशिश के बाद मेरी दो अंगुल माँ की गान्ड में जाने लगी. अब मुझे विश्वास हो गया कि यह मेरा मूसल सा लंड अपनी गान्ड में भी लेलेगी.

"माँ तुम्हारी गान्ड तो बड़ी मस्त है. लगता है इसको मरवाने की भी पूरी शौकीन हो. देखो कितने आराम से तुम्हारी गान्ड में अपनी अंगुलियों से मार रहा हूँ." मेने आख़िर पूछ ही लिया.

"नहीं रे तेरा बाप मेरी चूत की प्यास तो ठीक से बुझा नहीं पाता था भला वह मेरी गान्ड क्या मारता. कभी कभी में ही यूँ ही अंगुल कर लिया करती थी." माँ बोली.

"तो इसका मतलब अभी तक तुम्हारी गान्ड कुँवारी है. माँ जैसे तूने मुझे अपनी 15 साल से अन्चुदी चूत का मज़ा दिया वैसे ही अब अपनी इस कुँवारी गान्ड का मज़ा देना. तुम्हारी चूत का तो उद्घाटन नहीं कर सका पर अब तुम्हारी कुँवारी गान्ड का उद्घाटन तो में ज़रूर करूँगा." मेने माँ की गान्ड में अंगुली से खोद कर कहा.

"क्या कहता है तू? तुम्हारा घोड़े जैसा हल्लबी लॉडा कल बड़ी मुश्किल से चूत में ले पाई भला यह गान्ड में कैसे जाएगा. यह तो मेरी गान्ड को फाड़ के रख देगा. नहीं बाबा मुझे नहीं मर्वानी तुमसे गान्ड." माँ ने पुरजोर विरोध किया.

"माँ कल कितने प्यार से मैने तुम्हारी चूत ली थी ना. थोड़ा भी दर्द महसूस होने दिया था क्या? में उससे भी ज़्यादा संभाल कर और प्यार से तेरी गान्ड लूँगा. तेरे जैसी लंबी चौड़ी बड़ी गान्ड वाली औरत की पूरी नंगी करके गान्ड भी नहीं मारी तो फिर क्या मज़ा. तेरे जैसी मस्त गान्ड वाली औरत अपने प्यारे को जब मस्त होके गान्ड देती है ना तो उसका यार बाग बाग हो जाता है. उसका प्यार उस औरत के प्रति सैकड़ों गुना बढ़ जाता है." मेने माँ की गान्ड पर हाथ फेरते हुए कहा.

माँ: "लेकिन मेने आज तक कभी मरवाई नहीं. ये तो मुझे पता है कि शौकीन मर्दों को गान्ड मारने का भी शौक रहता है और अपना शौक पूरा करने के लिए चिकने लौन्डो को खोजते रहते हैं. हम औरतों की गान्ड मर्दों के मुक़ाबले वैसी ही क़ुदरती भारी होती है तो ऐसे मर्द हमारी गान्डो पर भी लार टपकाते रहते हैं पर भला हम औरतों को इस में क्या मज़ा है."

में: "माँ तुम नहीं जानती. कई मर्द क़ुदरती तौर पर तो मर्द होते हैं पर उनके लक्षण औरतें जैसे होते हैं; जैसे औरतों जैसे नाज़ुक, दाढ़ी मूँछ और छाती पर बालों का ना होना, औरतों के जैसे शरमाना इत्यादि. वैसे मर्द मारनेवालों से ज़्यादा मराने को लालायित रहते हैं. उन्हें मराने में जब मज़ा आता है तो इसका मतलब गान्ड मराने का भी एक अनोखा मज़ा है जो मराने वाले ही जानते हैं. तो तुम यह बात छोड़ो की गान्ड मराने में तुम्हें मज़ा नहीं आएगा. जब तूने आज तक मराई ही नहीं तो तुम इसके मज़े को क्या जानो? एक बार मेरे से अपनी गान्ड मरा के तो देखो. जैसे मेरे हल्लाबी लौडे से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा के तुम मेरी रखेल बन गई हो वैसे ही कहीं गान्ड मरवा के पक्की गान्डू ना बन जाओ और गान्ड मरवाने से पहले अपनी चूत मुझे छूने भी ना दो."

मेरी बात सुनके माँ ने कुच्छ नहीं कहा. मौन को सहमति मानते हुए में उठा और मेरी आल्मिराह से कॉंडम का पॅकेट और वसलीन का जार ले आया जो कुच्छ दिन पहले में इसके छोटे बेटे की यानी कि मेरे छोटे भाई मुन्ना की गान्ड मारने के लिए लाया था.

पॅकेट से कॉंडम निकाल कर मेने लंड पर चढ़ा ली. माँ को बेड पर घोड़िनुमा बना दिया और माँ की गान्ड पर अंगुल में ढेर सारी वसलीन लेकर चुपड दी. 2-3 बार माँ की गान्ड में अंगुल घुमा कर माँ की गान्ड अंदर से पूरी चिकनी कर दी. फिर मेने अपना लंड अच्छे से चुपड लिया. आख़िर एक तगड़ी गाय पर जैसे सांड़ चढ़ता है वैसे ही में माँ पर चढ़ गया.मेरा सुपाडा बहुत ही फूला था जिसका मुण्ड माँ की गान्ड में नहीं जा रहा था, नीचे माँ भी कसमसा रही थी. मेने फिर थोड़ी वसलीन माँ की गान्ड और मेरे लंड पर चुपड़ी. माँ से कहा कि वह बाहर की ओर ज़ोर लगाए. इस बार सुपाडा अंदर समा ही गया. माँ दर्द से छटपटाने लगी.

मेने लंड बाहर निकाल लिया और माँ का छेद रुपये के आकार का खुला सॉफ दिख रहा था जिसमें मेने अंगुल में ले वसलीन भर दी और माँ पर फिर चढ़ बैठा. 2-3 बार केवल सुपाडा अंदर डालता और पूरा लंड वापस बाहर निकाल लेता. इसके बाद में सुपाडा डाल गान्ड पर लंड का दबाव बढ़ाने लगा. माँ जैसे ही बाहर को ज़ोर लगाती लंड धीरे धीरे माँ की गान्ड में कुच्छ सरक जाता. माँ की गान्ड बहुत ही कसी थी. फिर लंड पूरा निकाल लिया और माँ की गान्ड और मेरे लंड को फिर वसलीन से चुपड कर माँ पर चढ़ गया. इस बार धीरे धीरे मेने लंड माँ की गान्ड में पूरा उतार दिया.

"हाय माँ तेरी गान्ड तो सोलह साल की कंवारी छोकरी की चूत जैसे कसी हुई है. देखो कितने प्यार से मेने पूरा लॉडा तुम्हारी गान्ड में पेल दिया बताओ तुम्हें दर्द हुआ." में माँ की लटकती चूची दबाते हुए बोला. अब में माँ की गान्ड से आधा के करीब लंड बाहर कर धीरे धीरे फिर भीतर सरकाने लगा था.

"पहली बार जब अंदर धुका था तो एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी. लेकिन अब जब अंदर जाता है तो गान्ड में एक मीठी मीठी सुरसुरी सी होती है. मारो मेरे राजा. आज तो तुमने मुझे एक नया मज़ा दिया है, एक नये स्वाद से अवगत कराया है." माँ ने मेरे चूची दबाते हाथ को पकड़ अपनी चूत पर रखते हुए कहा.

अब मेने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. नीचे से माँ भी गान्ड उछालने लगी थी. में समझ गया कि माँ पूरी मस्ती में है और पहली बार गान्ड मरवाने का मज़ा लूट रही है. अगले 5 मिनिट तक मेने माँ की गान्ड खूब कस के मारी. में पूरा लॉडा गान्ड से बाहर खींच एक ही धक्के में जड़ तक पेल रहा था. वासेलीन से पूरी चिकनी गान्ड में लंड 'पच्च' 'पच्छ' करता अंदर बाहर हो रहा था. थोड़ी देर बाद माँ की गान्ड से लॉडा निकाल लिया, कॉंडम निकाल साइड में रख दी और डॉगी स्टाइल में माँ पर चढ़ चूत में एक ही शॉट में पूरा लंड पेल दिया. में माँ को बेतहाशा चोदने लगा. माँ गान्ड पिछे ठेल ठेल चुदवा रही थी. थोड़ी देर माँ मानो मेरे लंड पर अपनी गान्ड पटकने लगी. तभी मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत में छूट पड़ा. उधर माँ भी ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी. कुच्छ देर बाद हम दोनो सिथिल पड़ गये.

मेने माँ को अपने आगोश में भर रखा था और माँ बिल्कुल मेरे से चिपकी मेरे साथ बिस्तर पर पड़ी थी. मेने माँ से कहा: "माँ कल तो मुन्ना भी वापस आ जाएगा. खेतों की बिकवाली का सारा काम मुन्ना ने कर दिया है और रुपये तुम्हारे बॅंक आकाउंट में डाल दिए हैं. कल शाम तक वा यहाँ पहून्च जाएगा."

माँ: "देख तू बहुत चालू और खुले स्वाभाव का है. मुन्ना के जाते ही तूने अपनी माँ को अपनी बीवी बना लिया है और उसके सब छेदो का मज़ा ले लिया है. पर मेरा अजय बेटा बहुत सीधा साधा है. ध्यान रखना कि उसके सामने कोई ऐसी हरकत मत कर देना कि बात बिगड़ जाए."

में: "माँ, तुम्हें बताया तो था कि अब मुन्ना पहले जैसा भोला नहीं रहा.तेरे दोनो बेटे ठीक तेरे पर गये हैं, तेरे जैसे ही मौज मस्ती के, पहनने के, खाने पीने के, घूमने फिरने के शौक. में खुलके करता हूँ तो वह थोड़ा झिझक कर. अपने भैया की हर खुशी के लिए मेरा मुन्ना पूरा तैयार रहता है. तुम उसकी बिल्कुल चिंता मत करो. उसका भी में कोई ना कोई रास्ता निकाल लूँगा." थोड़ी देर बाद कल की तरह माँ अपना गाउन उठा अपने रूम में चली गई. दूसरे दिन मेरे स्टोर जाते समय माँ बिल्कुल सामान्य थी.
 
अपडेट-20

शाम 8 बजे जब में स्टोर से घर पहूंचा तो माँ ने दरवाजा खोला. में अंदर आया तो देखा कि अजय सोफे पर बैठा था. अजय नहा धोके बिल्कुल फ्रेश हो कर शॉर्ट्स पहन कर बैठा हुआ था, इसका मतलब उसे आए देर हो गई थी. में भी अपने रूम में चला गया और फ्रेश होकर, नाइट ड्रेस पहन कर बाहर आ गया. अजय और माँ 3 प्लेट्स में खाना लगा डाइनिंग टेबल पर बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे. खाने के दौरान अजय से गाँव की बातें छिड़ गई. माँ गाँव में एक एक का हाल पूछ रही थी और अजय सारी बातें बताता जा रहा था.

खाना ख़तम करके हम तीनों मेरे रूम में आ गये. वहाँ भी हम तीनों बेड पर बैठ गाँव की ही बातें करते रहे. अजय ने बताया कि चाचा जी जल्द ही हमारे घर का भी कोई अच्छा ग्राहक खोज देंगे. तभी मेने अजय को छेड़ा.

"मुन्ना तूने तो गाँव में पूरी मस्ती की होगी. और तुम्हारे पुराने यार दोस्तों का क्या हाल है, खेत वेत में उनके साथ गये कि नहीं गये. वहाँ सकन्डो की तो कमी नहीं, खूब ऑट होंगे." अजय ने मेरी ओर देखके आँखें तरेरि और मेरा हाथ दबा दिया.

अजय: "भैया मेरा तो वहाँ गाँव और कचहरी के बीच चक्कर काटते काटते टाइम बीत गया पर लगता है आपने यहाँ पूरी मस्ती की है. आपने तो एक साप्ताह में मा को ही पूरा बदल दिया है. मा को ऐसी क्या घुट्टी पिला दी कि माँ पूरी जवान हो गई." अजय की बात सुन माँ ने थोड़ी आँखें झुका ली तभी मेने पास में अधलेटे अजय की गान्ड अपनी एक अंगुल से खोद दी. तभी माँ ने अजय को कहा कि वह दिन भर ट्रेन से चल कर आया है इसलिए आराम करले और खुद उठ कर अपने कमरे में चली गई. मा के जाते ही अजय ने उठ कमरेका दरवाजा बंद कर लिया.

अजय: "भैया मेरे गाँव जाते ही आपको यह चिंता सताने लगी कि में गाँव जाते ही सारे काम भूल अपने दोनो दोस्तों के पास मरवाने ना भाग जाउ. जैसे बहुत सुंदर पत्नी के पति को हरदम यह चिंता सताए रहती है कि मेरी आब्सेंट में यह किसी दूसरे के साथ मुँह काला ना करले वैसे ही आपको यह चिंता खा रही थी. पर भैया चिंता मत करो जैसे माँ ने पूरा पतिव्रत धर्म निभाया है वैसे ही आपका भाई भी भ्रात्रि धर्म निभा रहा है."

में: "मुन्ना, भ्रात्रि धर्म नहीं बल्कि पतिव्रत धर्म कहो. बताओ क्या तुम मेरी लुगाई नहीं हो?" यह कह में बेड से खड़ा हो गया और अजय को बाँहों में भर उसके होंठ चूसने लगा. मेने दोनो हाथ उसके औरतों जैसे भारी चूतड़ पर रख दिए और उन्हे मुट्ठी में कस दबाने लगा. फिर में सोफे पर बैठ गया और अपने प्यारे मुन्ना को अपनी गोद में बैठा लिया. मेरा लंड खूँटे की तरह तना हुआ था जो भाई की गुदाज गान्ड में चुभ रहा था.

अजय: "नीचे आपका लोहे का डंडा पूरा गरम है, उस पर बैठ कर ही मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है. चाचा जी और चाचीजी ने तो इतना कहा था कि साप्ताह 10 दिन गाँव में ही ठहर जाओ पर में तो काम ख़तम होते ही आपके डंडे की गर्मी लेने भागा भागा चला आया. भैया आपसे मस्ती लेने के बाद मेने तो किसी दूसरे की तरफ झाँकने की भी नहीं सोची. पर भैया आपने तो मेरे जाते ही माँ को मेरी भाभी जैसा बना दिया. माँ का पूरा कायाकल्प हो गया है जैसे स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो. भैया जैसे मेरे को अपनी लुगाई बना लिया कहीं माँ को भी सचमुच में मेरी भाभी तो नहीं बना दिया. आप बड़े चालू हो. मेरे जाने के बाद तो आपको पूरा मौका मिला था. इस बीच आपने अपने लंड का स्वाद माँ को भी चखा दिया होगा."

"मुझे तो शुरू से ही माँ जैसी बड़ी उमर की भरी पूरी खेली खाई औरतें पसंद है. आजकी डाइयेटिंग करनेवाली दुबली पतली लड़कियाँ क्या मेरा 11" का लॉडा चुपचाप झेल पाएँगी. भीतर डालते ही साली चिल्लाना शुरू कर देगी. उनकी हाय तौबा सुन कर ही आधी मस्ती तो हवा हो जाएगी. वहीं माँ जैसी प्यासी औरतें तड़प तड़प कर बोल बोल कर चुदवाती है जैसे तुम मस्त हो कर गान्ड मरवाते हो. मुन्ना अपनी माँ बहुत तगड़ा माल है, हम दोनो भाइयों की तरह लंबे बदन की और मस्ती लेने की पूरी शौकीन है. में माँ जैसी मस्त औरत की झान्टो से भरी चूत का तो रसिया हूँ ही पर तेरी गान्ड का स्वाद मिलने के बाद फूली फूली गुदाज गान्ड का भी शौकीन बन गया हूँ. तूने अपनी माँ की गान्ड देखी, साली क्या अपनी मस्त गान्ड को मटकाती हुई घर में इधर से उधर फुदक्ति रहती है. बता ऐसी मस्त गान्ड को देख कर मेरे जैसे लौंडेबाज़ का लॉडा खड़ा नहीं होगा, क्या मेरी इच्छा नहीं होगी कि इसे यहीं पटक लूँ और इसकी गान्ड उघाड़ी कर इस पर सांड़ की तरह चढ़ जाउ." में अजय के सामने माँ के बारे में बहुत ही कामुक बातें कर उसके मन में भी मा, के प्रति काम जगाना चाहता था. मेरी गोद में बैठ और ऐसी खुली बातें सुन अजय का लंड भी पूरा तन गया था. मेने अजय का शॉर्ट्स अंडरवेर सहित उसकी टाँगों से निकाल दिया. अजय का प्यारा लंड पूरा तन कर खड़ा था. गुलाबी सुपाडा पूरा चमड़ी से बाहर आ चमक रहा था. जितना प्यार मुझे अजय की गान्ड से था उतना ही प्यार मुझे उसके लंड से भी था. मेने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में जकड लिया और हल्के हल्के दबाने लगा.

में: "देख माँ के बारे में ऐसी बातें सुन कर ही तेरा कैसे खड़ा हो गया है. अरे अपनी माँ राधा रानी चीज़ ही ऐसी है कि हर कोई उसे चोदना चाहे, उसकी गान्ड मारना चाहे. भाई में तो जैसे तेरा दीवाना हूँ वैसे ही अपनी माँ का भी पूरा दीवाना हूँ. तू बता यदि तेरे को माँ की चूत चोदने को मिल जाय तो तू क्या उसे छोड़ देगा? माँ जैसी मस्त औरत की चूत और गान्ड बड़े भाग्यशाली को ही मस्ती करने के लिए मिलती है. हम दोनो तो बड़े खुशनसीब हैं कि कम से कम वह हरदम हमारी नज़रों के सामने तो है. देखना में जल्द ही कोई ऐसा रास्ता निकाल लूँगा कि हम दोनो भाई एक साथ उसकी मस्त जवानी का मज़ा लूटेंगे. में उसकी चूत में पेलूँगा तो तुम उसकी गान्ड मारना, उसके मुख में अपना पूरा लंड डाल के उसे खूब चुसवाना. एक बार माँ तैयार हो जाएगी तो हम दोनो भाइयों को खूब मस्ती करवाएगी. मुन्ना तुझसे एक बात में अपने दिल की कहता हूँ कि अपनी माँ खूब कड़क माल है. तूने देखा माँ के सेक्सी अंग क्या मस्त हैं? गुलाब की पंखुड़ी से रसभरे होंठ कि उन्हे चूसने से जी ना भरे, फूले फूले चिकने गाल की मुख में ले उन्हे चुभलाते रहो, क्या बड़ी बड़ी गोल और बिल्कुल शेप में चूचियाँ की दबाते दबाते हाथ ना थके, पतली कमर, चौड़ी चौड़ी चिकनी जांघें और माँ की मस्त गान्ड देखी पिछे कितनी उभरी हुई है और बिल्कुल तरबूज जैसे दो चूतड़ और एक बात तुझे ऑर बताता हूँ जब उसकी बाकी चीज़ें इतनी मस्त है तो उसकी दोनो टाँगों के बीच छुपा हुआ खजाना कितना मस्त होगा. दूसरी ओर पापा दुबले पतले से सूखे हुए थे और बीमार ही रहते थे और माँ के सामने तो बिल्ली के सामने चूहे जैसे दिखते थे. में सोचता रहता हूँ कि माँ जैसी कड़क और मस्त औरत को वे सॅटिस्फाइ भी कर पाते थे या बीच में ही पहूंचा कर खुद कुल्ला कर पिछे हट जाते थे. अब माँ को जो मज़ा पापा नहीं दे सके वही मज़ा माँ को हम दो भाई मिल कर दें तो कैसा रहेगा?

मुन्ना: "भैया आप बहुत गंदे तो हो ही साथ ही पूरे बदमाश और बेशर्म भी हो. भला कोई अपनी माँ को इस नज़रिए से देखता है? तो आपने तो मुझे अपनी जोरू बना लिया. जैसे लोग अपनी लुगाई के साथ करते हैं वैसे ही आप अपनी इस बिना व्याही जोरू के साथ करते हो. क्या मेरी गान्ड से आपका मन नहीं भरा जो माँ को चोदना चाहते हैं और उसकी गान्ड मारना चाहते हैं."

में; "अरे तुम तो मेरी इतनी प्यारी लुगाई हो जिसे में दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ. तुमसे में अपना कुच्छ भी छिपा कर नहीं रखूँगा, जो तेरे साथ करूँगा सब बता कर करूँगा और खूब प्यार से करूँगा. में तो तुमसे पूरा खुल गया हूँ इसलिए मन में कुच्छ भी ना छिपा कर तुझसे दिल की बात कर रहा हूँ. में जिससे प्यार करता हूँ उससे कुच्छ नहीं छिपाता और सच्चे प्यार में कुच्छ छिपाया भी नहीं जाता. जानता है तेरी गान्ड पर मेरा दिल क्यों आया हुआ था? दरअसल मुझे माँ की उभरी हुई फूली फूली गान्ड बहुत प्यारी लगती थी. हॉल में जब में सोफे पर बैठा होता था ऑर वह अपनी भारीभरकम गान्ड मटका मटका इधर से उधर फुदक्ति रहती थी तब अक्सर मेरा दिल करता रहता था कि इसे यहीं कार्पेट पर पटक लूँ और साड़ी कमर तक ऊँची उठा इस पर पिछे से चढ़ जाउ और अपना 11" लंबा और 4" मोटा हल्लबि लॉडा एक ही बार में इसकी गान्ड में जड़ तक उतार दूं. तुम्हारी गान्ड भी माँ को गान्ड जैसी बहुत मस्त है. अब मुझे माँ की गान्ड तो मिलनेवाली नहीं थी पर जब मुझे पता चला कि तू अपनी गान्ड का मज़ा लेने का शौकीन है तो मेने फ़ौरन मन में ठान लिया कि अपने प्यारे कमसिन मुन्ने को क्यों ना अपना लौंडा बना लिया जाय. अच्छा मुन्ना तुम तो गाँव में इतने वर्षों से हो तूने तो वहा कई लड़कियाँ चोदि होगी? खाली लोगों को अपनी गान्ड दे कर ही मज़ा लेते हो या किसी लड़की या औरत की ली भी है."

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अपडेट-21

अजय: "भैया मुझे तो लड़कियों और औरतों से बात करने में और उनकी ओर आँख उठाके देखने में ही शरम आती है, उन्हे चोदना तो
बहुत दूर की बात है. मेने इस रूप में आज तक किसी भी औरत की कल्पना तक नहीं की है."

में: "तो क्या तूने आज तक किसी जवान औरत की चूत भी नहीं देखी? पर तू माँ के साथ तो हमेशा रहता था. माँ की चूत तो तूने किसी भी तरह ज़रूर देखी होगी? माँ के सोते समय, नहाते समय कभी तो मौका मिला होगा. बता ना अपनी प्यारी राधा देवी की मस्तानी चूत कैसी दिखती है."

अजय: "हां भैया, कई बार देखी पर ठीक से नहीं देखी. माँ खेत में बैठ के मूतति थी तब एक बार यूँ ही नज़र पद गई. इसके बाद जब भी माँ मूतने बैठती में छुप जाता और माँ को मूतते हुए देखने लगा. दूरसे माँ की दोनो जांघों के बीच काले काले बालों का बड़ा सा झुर्मुट भर
दिखता था और उसके बीचसे च्छूर्र्रर की आवाज़ से मूत की धार निकलती हुई दिखती थी. भैया माँ का मूतने का वह सीन बहुत ही ग़ज़ब
का होता था. माँ का मूत बहुत वेग से निकलता था."

में: "मुन्ना तेरी यह बात सुन के तो मेरा मन मस्ती से भर गया है, लंड अकड़ने लगा है, में काम वासना से जलने लग गया हूँ. जी तो करता है कि माँ के उस बहते झरने के आगे मुख खोल दूं और उस मस्तानी धार को गटगट पी जाउ. क्या माँ की वह झांतदार चूत देखके तेरा लंड खड़ा नहीं होता था?"

अजय: "होता था भैया. तभी तो जब भी मौका मिलता था में ज़रूर देखता था. में इतना मस्त हो जाता था कि मेरे पाँव आपने आप किसी ऐसे दोस्त की तलाश में मूड जाते थे जिसके साथ मस्ती कर सकूँ."

में: "इसका मतलब माँ की नंगी चूत तेरे लंड को भी आकर्षित करती थी, नहीं तो तेरा लंड खड़ा नहीं होना चाहिए था. मेरा लंड भी माँ की झांतदार चूत के बारे में सोच, माँ की फूली मटकती गान्ड के बारे में सोच खड़ा होता है पर तेरे में और मेरे में फ़र्क यह है कि तूने उस चीज़ को पाने की कभी कोशीस नहीं की जिसे देख तेरा लंड खड़ा होता था वहीं में किसी दूसरे से मस्ती झडवाने की बजाय उसी चीज़ को
यानी की माँ की चूत या गान्ड को पाने का जी जान से प्रयास करता हूँ और जब मिल जाती है तो एक दम खुल्लम खुला उस चीज़ का
पूरा मज़ा लेता हूँ." यह कह मेने गोद में बैठे छोटे भाई के होंठ अपने होंठ में जकड लिए और मस्ती से उन्हे चूसने लगा. मेरा खड़ा लंड
नीचे भाई की गान्ड का छेद ढूँढ रहा था और उस बिल में समा जाने के लिए छटपटा रहा था.

मेरी गोद में बैठे अजय का लंड भी बिल्कुल तना हुआ था और उसकी आँखें लाल हो उठी थी. में भी वासना से पूरा जल रहा था और अपने मस्त भाई के होंठ चूस रहा था और उसके गाल खा रहा था.

अजय: "भैया आपकी बातें सुन कर बहुत मस्ती आ रही है. आप भी सब कुच्छ खोल पूरे नंगे हो जाइए. आज हम दोनो भाई मिल जवानी का खूब मज़ा लूटेंगे."

अजय की बात सुन में उठा और सारे कपड़े उतार बिल्कुल नंग धड़ंग हो गया. अजय की भी गॅंजी खोल उसे भी अपनी तरह पूरा नंगा कर लिया. हम दोनो जवान भाई बिल्कुल नंग धड़ंग खड़े खड़े एक दूसरे से चिपकने लगे, नीचे हमारे खड़े लंड आपस में टकरा रहे थे, हमारी छातियाँ आपस में पिस रही थी और हमारे होंठ बिल्कुल चिपके कुए थे. हम दोनो भाई अत्यंत कमतूर हो एक दूसरे के जवान मर्दाने
शरीरों का पूरा मज़ा ले रहे थे. एक दूसरे के चुतड़ों को दबा दबा दो शरीरों एक शरीर बना लेना चाह रहे थे. कुच्छ देर इस मुद्रा में मस्ती लेने के बाद में बेड पर आ कर बैठ गया और अजय भी मेरे पास बैठ गया.

में: "मुन्ना आज में रह रह कर माँ की चूत और गान्ड के बारे में ही सोच रहा हूँ, मुझे तेरी मस्त गान्ड में भी माँ की ही गान्ड दिखाई दे रही है
. देख माँ पूरी शहर के रंग में रंग गई है ना."

अजय: "लेकिन भैया ज़रूर आपने ही माँ को मजबूर कर के शहर के रंग में रंगा है और अब उसके दीवाने हो रहे हैं. आपने ही माँ को शहरी रंग ढंग अपनाने के लिए उकसाया होगा."

में: "लो विधवा होते हुए भी माँ की खुद की भीतर से ऐसा बनने की इच्छा नहीं होती तो में क्या माँ के साथ ज़बरदस्ती कर सकता था? माँ शुरू से ही रंगीन तबीयत की औरत है. वह तो पिताजी की बीमारी की वजह से और गाँव के दकियानूसी माहॉल की वजह से मन मार के बैठी थी.

मेरी उसे थोड़ी हवा देने की और छूट देने की देर थी कि पट्ठि की रंगीन तबीयत मचल गई और सारे शौक़ जाग गये. देखना जिस तरह एक बार कहते ही माँ ब्यूटी पार्लर में जा लौंडिया जैसी बन गई है ना वैसे ही थोड़ी सी कोशिश करते ही वह हम दोनो के सामने नंगी भी हो जाएगी. बता, तुम जो दूर से ही माँ की चूत देख के मस्त हो जाते थे जब वह खुद पास से तुमको अपनी चूत चौड़ी कर के दिखाएगी
तब तुम्हारी क्या हालत होगी? तूने माँ के मूतते समय माँ की चूत ठीक से देखी थी ना?"

 
अजय: "एक दो बार माँ मूतते समय नीचे झूक अपने दोनो हाथों से चूत को चौड़ी करती थी तब भीतर की लाल झलक देखी थी. पर आपको लगता है कि माँ हम लोगों के साथ यह सब करने के लिए राज़ी हो जाएगी. यदि हमारी ऐसी कोशिश से उसके दिल को थोड़ी भी ठेस लगी
तो मुझे तो बहुत दुख होगा और में फिर कभी भी माँ से आँख नहीं मिला सकूँगा. में माँ का दिल दुखा कर बिल्कुल भी उसके साथ मस्ती करना नहीं चाहता."

में: "मुझे लगता नहीं है बल्कि पूरा विश्वास है कि जितने हम दोनो उसकी जवानी का स्वाद चखने को उतावले हैं उससे ज़्यादा वह अपनी जवानी लुटाने को उतावली है. माँ तेरे से भी ज़्यादा मस्त और सेक्सी है. अब बता तुझे मेरे सामने पॅंट खोलने में शरम आती है, मेने जब पहली बार तेरी गान्ड अंगुल से खोदी थी तो तूने थोड़े नखरे दिखाए थे, वैसे ही माँ हम लोगों के साथ ऐयाशी करने को राज़ी है पर अपनी ओर
से झिझक रही है. तुम मेरा थोड़ा साथ दो देखना फिर में तुझे माँ से कैसे कैसे मज़े करवाता हूँ. एक बार माँ की जवानी चख लेगा और तुझे औरत का स्वाद मिल जाएगा ना तो फिर तुझे गान्ड मरवाने से ज़्यादा मज़ा चूत चोदने में आएगा. और फिर माँ का झांतदार बड़ा सा फुद्दा, सोच के ही लंड फुफ्कार मारने लग जाता है."

अजय: "अच्छा भैया माँ यदि राज़ी भी हो जाय तो क्या आप माँ को भी वैसे ही चोद पाएँगे जैसे कि आपने खुल कर अपने छोटे भाई की गान्ड मार ली."

में: "यह तभी संभव है जब माँ खुद मटक मटक कर अपनी जवानी मुझे दिखाए और कहे कि मैं सेक्स की आग में जल रही हूँ बेटे अपनी माँ की आग ठंडी करो तो बात ऑर है. में अपनी तरफ़ से तो थोड़ी भी कोशिश नहीं कर सकता. पर एक बात तो है माँ जैसी औरत मस्ती
तो पूरी करवाएगी. उसकी एक बार मुझसे चुदने की देर है फिर तो वह मेरे हलब्बी लौडे की रखैल बन जाएगी और बोल बोल कर अपनी चूत और गान्ड मुझे देगी. पर माँ के साथ में पहल नहीं कर सकता." में बिल्कुल खुल कर माँ को चोद चुका था और उसकी मस्तानी गान्ड भी मार चुका था पर भाई के सामने नादान बनने की आक्टिंग कर रहा था.

मुन्ना: "तो भैया माँ यदि राज़ी राज़ी दे तो आप क्या माँ को चोद सकेंगे? भैया आप भी क्या चीज़ हो. माँ यदि पूरी नंगी हो कर मेरे सामने आ जाय तो मेरा खड़ा होना तो दूर मेरी तो घिग्गी बँध जाएगी और यदि पहले से खड़ा भी होगा तो माँ को उस रूप में देख कर बेचारा मरे
चूहे सा सुस्त हो जाएगा."

मुन्ना की बात से में हंस पड़ा.

में: "तू चिंता मत कर. तेरे बड़े भैया तेरे साथ रह कर तेरी हिम्मत बढ़ाते रहेंगे और तू अपनी मस्त माँ को आराम से चोद सकेगा. मुझे एक
बार बस पता लग जाय कि माँ मेरे से चुदना चाहती है फिर तो में उसकी उसी तरीके से ताबड़तोड़ चुदाई करूँगा जैसी मेने तेरी गान्ड
मारी थी. जब में अपने प्यारे से छोटे भाई को पटा कर उसकी गान्ड मार सकता हूँ तो अपनी माँ को एक रंडी की तरह क्यों नहीं चोद सकता?"

मुन्ना: "भैया आप भले ही माँ को चोद लें पर आख़िर वह अपनी माँ है उसे रंडी तो मत बनाइए. फिर तो हम दोनो रंडी की औलाद हो गये ना?"

में: "मेने तुम्हे बताया ना कि पहले तो माँ खुद मस्त हो कर तथा बोल बोल कर अपनी चूत और गान्ड मुझे दिखाए. फिर मेरे से चोद देने के लिए भीख माँगे तभी में उसे चोद पाउन्गा. इतना यदि माँ कर सकेगी तो भला में उसे एक रंडी की तरह क्यों नहीं चोदुन्गा. में तो उसे गाली दे दे कर चोदुन्गा. पहले तो उसी की तरह में भी पूरा नंग धड़ंग हो जाउन्गा. तब उसे कहूँगा अरे बहन की लौडी तू अपने बेटे से चुदने के लिए आई है. क्या मेरा वह बाप साला हिन्जडा था जो तेरी भोसड़ी की आग ठंडी नहीं कर सकता था. अरे हरामजादी रंडी तू मेरी रंडी बनेगी
तभी में तुझे चोदुन्गा. खाली चोद के ही तुझे नहीं छोड़ दूँगा, में तेरी फूली फूली गान्ड भी मारूँगा, तेरे मुख में लॉडा पेलुँगा साली कुतिया. तुझे में कुतिया बना कर तेरे उपर पिछे से चढ़ कर तुझे चोदुन्गा. बेटे की भोसड़ी, तेरी चूत में बहुत आग है ना आज में अपने 11" के लौडे से तेरी सारी आग ठंडी कर दूँगा."

मुन्ना: "भैया आपकी ऐसी बातें सुन कर तो मेरे में भी आग लग गई है. आप बहुत सेक्सी बातें कर रहे हैं. भैया बहुत मस्ती चढ़ि है."

में: "अरे तू चिंता क्यों करता है. माँ का स्वाद में अकेले थोड़े ही चाखूँगा, तुझे भी तो उसे चोदने का, उसकी गान्ड मारने का पूरा मौका दूँगा. में उसे कहूँगा तू मेरी जोरू है तो मेरे प्यारे छोटे भाई की भाभी है और तू मेरे छोटे भाई के भी लंड की प्यास अपनी चूत और गान्ड दे कर बुझा
. फिर देखना अपनी यह माँ दोनो भाइयों की जोरू बन कर रहेगी."

मुन्ना: "भैया माँ तैयार भी हो जाएगी तो उसे नंगी देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो जाएगी और मेरा तो शायद माँ के सामने खड़ा तक
नहीं होगा तो में उसे कैसे चोद पाउन्गा?"

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अपडेट-22

में: "में चूस कर तेरा लंड खड़ा करूँगा और अपने हाथ से माँ की चूत में डालूँगा तू तो बस आँख मूंद कर धक्के लगाते रहना. अब तू मेरे साथ यह खेल खेलने लग गया है अब आगे आगे देखते रहना में तुझे कितनी मस्ती करवाता हूँ. अरे तू तो मेरा सबसे प्यारा लौंडा है. तेरे मस्त चिकने बदन का तो में दीवाना हूँ. तू तो मेरा खाश मक्खन सा चिकना लौंडा है. बता मेरा लौंडा है या नहीं."

मुन्ना: "जब आपसे अपनी गान्ड मरवाता हूँ तो आपका लौंडा तो हूँ ही." उसकी यह बात सुन मेने छोटे भाई को अपने सामने खड़ा कर लिया
. फिर अपनी इंडेक्स फिंगर से उसकी गान्ड का खुला छेद खोदते हुए मेने कहा,

में: "में तो तेरे जैसे चिकने और गुदगूदे छोकरे के इसी छेद का दीवाना हूँ, इस छेद का मेरेसे जी खोल कर मज़ा लेते रहना. आज भैया
तुझे इस छेद का ऐसा मज़ा देंगे कि अपने भैया को अपना सैंया बना लेगा. अरे तू तो मेरी रानी है रानी. तभी तो में अपनी माँ, मेरे दिल की रानी राधा रानी का मज़ा तेरे साथ बाँट कर लेना चाहता हूँ."

अजय: "भैया आपके तो मन में माँ पूरी बस गई है. में तो पूरा आपके साथ हूँ, ठीक है में तो माँ को कल ही कह दूँगा कि या तो मेरे लिए अपने जैसी कोई भाभी खोज के ले आए या खुद ही मेरी भाभी बन जाए. भैया आज आप कुच्छ भी मत करिएगा सब कुच्छ में करूँगा.
आप खाली यह सोचते रहिएगा कि मेरी जगह माँ आपके साथ ये सब कर रही है."

में: "ठीक है पर तुझे भी मेरी तरह बिल्कुल खुल कर एकदम खुली खुली बातें करते हुए मुझसे मज़ा लेना होगा. चुपचाप रहने में मुझे मज़ा नहीं आता है. क्यों ठीक है ना? में आज चुप रहूँगा और अपने आप को तेरी मर्ज़ी पर छोड़ दूँगा पर तुझे वैसी ही खुली खुली बातें करते हुए
मेरा मज़ा लेना होगा जैसा कि में तेरा मज़ा लेता हूँ."

मुन्ना: "ठीक है भैया तो आप मुझे अपने जैसा बेशर्म बनाना चाहते हैं. ठीक है जब बड़ा भैया चाहता है तो छोटा भाई भी पिछे क्यों रहे. खैर में आपके जैसा तो नहीं बन सकता क्योंकि में तो आपकी गान्ड मारने से रहा, मरानी तो आख़िर मुझे ही है. मेरे सैंया तो आप ही रहेंगे, में तो हरदम आपकी लुगाई ही रहूँगा."

में: "अरे तुझे मेरी मारनी है तो एक बार बोल कर तो देख. में तेरेसे इतने प्यार से मरवाउंगा कि तू भी क्या याद रखेगा. बोलना मेरे राजा,
क्या अपने भैया की मस्तानी गान्ड मारोगे?"

मुन्ना: "नहीं भैया मुझे नहीं मारनी आपकी गान्ड. आप ही रोज मेरी गान्ड मारा कीजिए." यह कह अजय उठा और आल्मिराह से कॉंडम का पॅकेट और वॅसलीन का जार निकाल लाया. उसने एक कॉंडम मेरे लंड पर चढ़ा दी और मेरे लंड को वॅसलीन से अच्छे से चुपाड़ने लगा. लंड चुपड कर उसने मुझे हाथ पकड़ बेड से उठा लिया और रूम की दीवार के सहारे मेरी गान्ड टिका मुझे खड़ा कर दिया. फिर वह
सिंगल सीटर सोफा मेरे सामने ले आया. उसने एक टाँग सोफे पर रखी और मेरे सामने झूक कर अपनी गान्ड के छेद पर वॅसलीन लगाने लगा. में पक्के गान्डू छोटे भाई की यह हरकत देख वासना से भर उठा पर चुपचाप खड़ा खड़ा इस सीन का मज़ा लेता रहा. तभी अजय
अपनी गान्ड का छेद फैला कर मुझे दिखाते हुए बोला,

मुन्ना: "हाय भैया देखिए ना मेरी गान्ड का यह मस्ताना गोल छेद देखिए ना. देखिए इस छेद पर में खुद वॅसलीन चुपड रहा हूँ. आप जानते हैं ना कि में इस गान्ड के बड़े से छेद पर वॅसलीन क्यों चुपड रहा हूँ. भैया में आपके लंड का दीवाना हूँ. आज में खुद अपने हाथ से आपका लॉडा अपनी गान्ड में पेलुँगा. हाय मेरे राजा जानी. अपने राजा भैया का मस्ताना लॉडा आज खुद आपका छोटा भाई अपनी गान्ड में पिलवाएगा."
जब गान्ड कुच्छ चिकनी हो गई तो उसने ज़ोर लगा कर आधी के करीब अपनी वह अंगुल अपने गान्ड में पेल ली. फिर उसने वह अंगुल बाहर निकाल ली और मेरी ओर मुड़ा. उसने दूसरे हाथ की इंडेक्स फिंगर और अंगूठे की सहायता से गोला बनाया और 3-4 बार वह वॅसलीन
मथि अंगुल मुझे बाहर भीतर कर दिखाई. छोटे भाई की इस अदा ने तो मुझे पूरा मस्त कर दिया. मेरा लॉडा टनटना कर पूरा सीधा खड़ा हो गया.

मुन्ना: "भैया आपका साँप तो आज बहुत जल्दी फुफ्कार मारने लगा. देखिए ना इसको मेरी गान्ड का बिल क्या दिख गया उस में जाने के लिए कैसे मचल रहा है? देखिए ना में इसीके लिए तो अपनी गान्ड चिकनी कर रहा हूँ और यह है कि थोड़ा भी सब्र नहीं कर रहा है. भैया थोड़ी देर इसे काबू में राखिया ना." मुन्ना यह बात कह हँसने लगा.

में: "अरे मुन्ना तू तो गाँव जा कर आने के बाद मेरी वाली भाषा बोलने लग गया. गाँव के दोस्तों से सीख कर आया है क्या?" अब मुन्ना मेरे खड़े लौडे पर ठीक से वॅसलीन मथने लगा. मेरे लंड और अपनी गान्ड को अच्छी तरह से चिकनी कर लेने के बाद वह अपनी टाँगें चौड़ी कर मेरे सामने खड़ा हो गया और थोड़ा झुक गया. उसने अपना एक हाथ पिछे कर मेरे लंड को पकड़ा और लंड के सुपाडे को अपनी गान्ड के छेद पर टिका लिया. फिर वह अपनी गान्ड खोलते हुए अपनी गान्ड कस के मेरे लंड पर दबाने लगा. मेरा सुपारा उसकी गान्ड में अटक चुका
था पर भीतर नहीं जा रहा था. तब एक झटके से उसने गान्ड आगे खींच ली और बोटल से कॉर्क जैसे निकलता है वैसे ही मेरा सुपारा उसकी गान्ड से निकल गया. तब उसने वापस ढेर सारी वॅसलीन मेरे लंड और अपने छेद पर मलि और वापस झुक कर मेरे लंड पर अपनी
गान्ड दबाने लगा. इस बार जैसे ही उसने गान्ड खोलते हुए एक झटके से गान्ड पिछे ठेली तो मेरा पूरा सुपारा उसकी गान्ड में समा गया.
मेने अपनी गान्ड दीवार पर ज़ोर से दबा दी और मुन्ना की मस्ती के साथ चुपचाप मज़ा लेने लगा.

अब अजय धीरे धीरे आगे पिछे हो कर मेरे लंड की अपनी गान्ड में जगह बना रहा था. तब उसने अपने दोनो हाथ पिछे अपने चुतड़ों पर रख लिए और अपने चुतड़ों को फैलाते हुए अपनी गान्ड कस के मेरे लंड पर दबाने लगा. उसकी इस क्रिया से मेरा लंड धीरे धीरे उसकी गान्ड
में सरकने लगा. थोड़ी ही देर में पट्ठे ने अपने आप मेरा 11" का मूसल सा लॉडा पूरा अपनी गान्ड में ले लिया. मेरे लंड को उसी प्रकार पूरा गान्ड में पिलवाए वह सीधा खड़ा हो गया और उसने अपना चेहरा उपर उठाया और विजयी भाव से उसने मेरे से आँखें मिलाई.

"क्यों भैया माँ होती तो क्या ऐसे ही आपसे मरवाती? आप ऐसे ही खड़े रहिएगा. आज आप मत मारिएगा, में खुद मर्वाउन्गा." अजय मेरी ओर देखते हुए कह रहा था. मेने अजय के होंठ अपने मुख में ले लिए और अपनी ज़ुबान उसके मुख में डाल दी जिसे अजय चूसने लगा. मेने अपने दोनो हाथ अजय के कुच्छ उभरे स्तनों पर रख दिए और जोश में उन्हे ही दबाने लगा. इसी मुद्रा में अजय रह रह गान्ड कुच्छ
आगे खींचता जिससे तीन चोथाई लंड बाहर आ जाता और फिर पिछे कस के ज़ोर का धक्का देता जिससे मेरा लंड जड़ तक वापस उसकी गान्ड में समा जाता. इस प्रकार वह कई देर मरवाता रहा और में उसे चूमता रहा. फिर वह सोफे के दोनो हॅंडल पकड़ झुक गया और तेज़ी
से आगे पिछे हो सटसट तेज़ी से गान्ड मरवाने लगा. शौकीन भाई के इस शौक का मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था.

कुच्छ देर इस प्रकार तेज़ी से गान्ड मरवाने के बाद उसने सोफा कुच्छ और आगे खींच लिया और अपने दोनो घुटने सोफे पर टेक दिए और अपनी गान्ड मेरे लंड के सामने उभार दी. उसकी फूली हुई बड़ी सी गोरी गान्ड मेरे सामने पूरी उभरी हुई बिल्कुल माँ की गान्ड जैसी मस्त लग रही थी. गान्ड का बड़ा सा गोल छेद बिल्कुल खुला हुआ साफ दिख रहा था. तब अजय ने वापस अपनी गान्ड का छेद मेरे लंड से
भिड़ा दिया और अपनी गान्ड जब तक मेरे लंड पर दबाता चला गया तब तक कि वापस मेरा पूरा लंड उसकी गान्ड में ना समा गया. एक
बार फिर सतसट गान्ड मरवाने की क्रिया शुरू हो गई.

में: "मुन्ना तू तो इस खेल का पक्का खिलाड़ी है. वाह भाई वाह आज तो तूने तबीयत खुश कर दी. क्या मस्त होके तूने अपनी गान्ड का मज़ा दिया है. में अब और ज़्यादा बर्दास्त नहीं कर सकूँगा." मेरी बात सुन अजय ने मेरा लंड अपनी गान्ड से निकाल दिया और खड़ा हो गया. उसने मेरे लंड से कॉंडम निकाल दी और हाथ से रगड़ लंड पूरा चमका दिया. फिर उसने मुझे करवट के बल बेड पर लिटा दिया और 69 के पोज़ में खुद लेट गया. हम दोनो भाई एक दूसरे के लंड जड़ तक अपने अपने मुख में ले चुके थे और चुभला चुभला कर चूसने लगे. हम चूस्ते
रहे और चूस्ते रहे जब तक की दोनो एक दूसरे के मुख में पूरे झड खलास नहीं हो गये. हम दोनो भाई कई देर ऐसे ही बेड पर पड़े रहे. कुच्छ देर बाद मेने अजय के सामने अपना मुख कर लिया और मुन्ना के गाल प्यार से चूम लिए. अजय ने भी आँखें खोल ली और बड़े प्यार से मुझे देखने लगा. हम दोनो भाई ऐसे ही एक दूसरे को देखते हुए सो गये.

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अपडेट-23

दूसरे दिन रात 9 बजे के करीब हम दोनो भाई साथ साथ घर पहुँचे. माँ भोजन बना हम लोगों का इंतज़ार ही कर रही थी. 10 बजे तक भोजन का काम निपट गया. भोजन के बाद हम दोनो भाई अपने कमरे में आ गये. थोड़ी देर बाद माँ भी वहाँ नाइटी पहन आ गई. अजय ने माँ
को पहली बार नाइटी में देखा था सो वह माँ को आँखें फाड़ फाड़ देखने लगा.

"ऐसे क्या घूर घूर के देख रहा है? यहाँ शहर में तो औरतें नाइटी पहन के बाज़ार तक में निकल जाती है. "हम दोनों के पास बिस्तर पर
बैठते हुए माँ ने कहा.

अजय: "माँ पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह तुम हो. मेने तो सोचा कि भैया की जान पहचान की कोई गर्ल फ्रेंड होगी. वाह माँ!
तुम तो ऐसे लग रही हो जैसे आसमान से कोई परी नीचे उतर आई हो."

में: "माँ, इन मॉडर्न हल्के फुल्के कपड़ों में तुम बहुत स्मार्ट लगती हो. देखो तुमको इस रूप में देख कर मुन्ना भी लाइन मारने लगा.

अजय: "में तो ये लाइन साइन मारना जानता नहीं पर मेरे जाने के बाद भैया ने माँ पर अपना पूरा जादू चला दिया है, देखो कैसे माँ को
पूरे अपने रंग में रंग लिया है. बताओ ना मेरे जाने के बाद आप लोगोने क्या क्या किया, कैसे कैसे मस्ती ली?"

अजय की बात सुन मेने चटखारे ले ले माँ के साथ सिनिमा जाने की, होटेलों में खाने की, पार्क की सैर करने की और माँ को मिसेज़. कपूर के ब्यूटी पार्लर में भेजने की और 'खूबसूरत' पिक्चर की स्टोरी के साथ माँ को अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने की बात बताई पर माँ की चुदाई वाला पूरा चॅप्टर गोल कर गया.

"जब तक में यहाँ था तब तो आप हम दोनो को ले एक दिन भी कहीं बाहर नहीं गये और मेरे जाते ही लाइन तो माँ पर आप मारने लगे." अजय ने शिकायत करते हुए कहा.

"नलायकों, क्या में तुम दोनों की लाइन मारने की चीज़ हूँ. लाइन तो मेरा यह शहरी बेटा उस ब्यूटी पार्लर वाली मिसेज़ कपूर को मारता है.
जब से यह मुझे कपूर के पार्लर में ले गया है तब से एक ही रट लगाए हुए है कि में भी उस कपूर की तरह बनूँ और दिखूं." माँ ने मेरा गाल चींटी में पकड़ते हुए कहा.

"हां माँ भैया को मिसेज़. कपूर जैसी और तुम्हारे जैसी बड़ी उमर की औरतें ही पसंद है तभी तो अब तक मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी नहीं लाए. क्यों भैया माँ को गर्ल फ्रेंड बनाते बनाते कहीं मेरी भाभी बनाने का तो इरादा नहीं है?" अजय ने माँ से नज़र बचा मेरी ओर आँख दबाते हुए कहा.

"क्या कहा? में तेरी भाभी बनूँगी यानी की इसकी लुगा...लुगा...? में तुझे भाभी जैसी दिखती हूँ? विजय तो कह रहा था की शहर में आकर तू बहुत समझदार हो गया है पर अभी भी तू गाँव जैसा ही भोलाभाला है." माने इसे अजय की भोलेपन भारी बात समझ हंसते हुए कहा.

अजय: "पहले तो भाभी जैसी नहीं दिखती थी पर अब भैया ने तुझे मेरी भाभी जैसा बना लिया है. माँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसी दुल्हन की भैया कल्पना करते हैं और रही सही कसर भैयाने मेरे जाने के 6-7 दिनों में पूरी कर दी. ज़रा तुम दोनो अगल बगल में सट कर तो बैठो." अजय ने मेरेको और माँ को अगल बगल में सटा कर बैठा दिया और कहा, "देखो कैसी राधा और श्याम की सी प्यारी जोड़ी है. माँ तुम तो
बिल्कुल भैया की उमर की लगती हो और तुम दोनो को देख कर कोई नहीं कहेगा कि ये पति पत्नी नहीं है." अजय अपनी ओर से मेरे लिए माँ को पटाने में पूरा ज़ोर लगा रहा था पर उस नादान को यह नहीं मालूम था कि मेने जैसे उसे अपने मस्त लंड का स्वाद चखाया है वैसे
ही माँ को भी चखा चुका हूँ.

माँ: "तो तू मुझे भाभी बनाना चाहता है पर पहले अपने भैया से तो पूच्छ लो. वह कहीं पिछे हट गये तो तू क्या करेगा?" अब माँ भी अपनी
जान में शरारत पर उतर गई और अजय के भोलेपन में शामिल हो गई.

"भैया अपनी शादी व्याह के मामले में खुद क्या बोलेंगे. जब मेने कह दिया तो हमारी तरफ से बात पक्की है. तुम शादी का जोड़ा पहन के
आ जाओ, चट मँगनी पट व्याह करा देंगे." अजय ने गाँव के बड़े बूढ़ो जैसी बात कही.

में: "अब भाई शादी व्यह की बात में खुद तो करने से रहा. मुन्ना की पसंद मेरी पसंद है और मुन्ना जो बात पक्की कर देगा वह मेरी तरफ से भी बिल्कुल पक्की है. मेने तो मुन्ना को बता दिया है कि मुझे तो माँ जैसी ही पति की सेवा करने वाली भरी पूरी सुंदर पत्नी चाहिए. अब मुन्ना जाने और उसका काम जाने."

अजय: "लो माँ भैया ने भी हामी भर दी. भैया के हरी झंडी देते ही अब माँ तू तो मेरी भाभी हो गई. माँ अब तू मुझे अपना देवर माने या ना माने पर में तो अब तुझे भाभी ही मानूँगा."

"यह तुम दोनो की अच्छी मिली भगत है. वह! मान ना मान में तेरा मेहमान वाली बात है यह तो. अब में तो चली सोने; एक मेरा लुगाई के रूप में सपना देखो और दूसरा भाभी के रूप में." यह कह माँ अपने कमरे में चली गई. माँ के जाते ही अजय ने कमरा बंद कर लिया और मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गया.

 

में: "मुन्ना आज तो तूने कमाल कर दिया. तूने वह काम कर दिखाया जो में सोच भी नहीं सकता था. तूने तो सीधे सीधे माँ से मेरी बात ही चला दी. मेरे प्यारे छोटे भाई अब किसी तरह इस मस्तानी औरत से मेरा टांका भिड़वा दे. तेरी कसम ख़ाके कहता हूँ कि में तेरे साथ मिल बाँट के ही इसका मज़ा लूँगा. माँ जैसी 46 साल की पूरी खेली खाई भरी पूरी औरत हम दोनो भाइयों को एक साथ पूरा मज़ा दे सकती है. तुझे
औरतों की पूरी पहचान नहीं है, माँ जैसी मस्त औरतों को जब इस उमर में जवानी का शौक़ चढ़ता है ना तो वे भला बूरा कुच्छ भी नहीं देखती. एक बार खुल गई तो खुद भी मस्त होकर हम दोनों के लंड का मज़ा लेगी और अपनी चूत और गान्ड हमारे लंड पर न्योछावर कर देगी."

अजय: "भैया मुझे पता है कि आपकी तबीयत माँ पर आ गई है और में जी जान से चाहता हूँ कि आपको माँ मस्ती करने के लिए मिल जाय. इसके लिए में हर कोशिश करूँगा. मेरे को यह लालच बिल्कुल भी नहीं है कि भैया के साथ साथ मुझे भी माँ से मस्ती करने का
मौका मिलेगा. में तो कभी कभी आपसे ही गान्ड मरवा के खुश हूँ."

"एक बार तू माँ को चूत और गान्ड का स्वाद चख लेगा ना तब देखना उस मज़े का पक्का लोभी बन जाएगा. ऐसी गुदाज औरत को अपनी गोद में खड़े लंड पर बिठा कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ मसलना, तब देखना तुझे कैसी मस्ती आती है. एक बार वह तेरे सामने अपनी चूत का फाटक खोल देगी तब देखना तेरी जीभ उसे चाटने के लिए लपलपाने लगेगी. और यदि तेरे सामने अपनी चौड़ी सी गान्ड उठा देगी तब तेरे लिए चुपचाप बैठे रहना क्या संभव हो पाएगा, तू सांड़ की तरह उस पर चढ़ दौड़ेगा. मेने तो जब से तेरे से माँ के मूतने की बात सुनी है
तब से उस धार के लिए मेरा हलक सुख रहा है. आज तो माँ के बारे में सोच सोच कर ही गर्मी चढ़ रही है. में तो खूब अच्छे से शवर में नहाउन्गा. क्या तू भी मेरे साथ नहाने चलेगा?" मेने बेड पर से उठते हुए कहा. फिर मेने ब्रीफ को छोड़ सारे कपड़े खोल दिए. माँ के बारे
में सेक्सी बातें करने से मेरा लंड पूरा खड़ा था और इस वजह से आगे से ब्रीफ फूल गया था. मुन्ना अभी भी बेड पर बैठा था. मेने ब्रीफ पर से फूले लंड को पकड़ हिलाते हुए अजय को दिखाया.

में: "मुन्ना देख माँ की चूत और गान्ड के बारे में सोच कर मेरा लंड कपड़े फाड़ बाहर आने के लिए मचल रहा है. अब तो इसे माँ की झान्ट भरी चूत और फूली हुई गान्ड मिले तभी यह ठंडा हो. चल उठ, तू भी अपने कपड़े खोल, ज़रा देखूं तो सही की तेरे लंड की क्या हालत है.
" मेरी बात सुन अजय ने भी एक एक कर ब्रीफ को छोड़ सारे कपड़े उतार दिए. अजय का भी ब्रीफ मेरी तरह आगे से पूरा फूला हुआ था.
मेने अजय का लंड ब्रीफ पर से पकड़ लिया और कहा, "देख मुन्ना तेरा लंड भी माँ की चूत और गान्ड के लिए तरस रहा है."

अजय: "हां भैया, आपकी इतनी गरम गरम बातें सुन पूरी मस्ती आ रही है."

"तो फिर चल हम दोनो भाई शवर में नंगे होके नहाते हैं और आज बाथरूम में मस्ती करेंगे." यह कह हम दोनो मेरे कमरे के विशाल बाथरूम में आ गये. बाथरूम में बड़ा सा बाथ टब लगा था और प्लास्टिक का पारटिशन परदा भी था. बाथरूम में आ मेने अपना ब्रीफ भी उतार दिया और अजय का भी अपने हाथ से ब्रीफ उतार उसे भी पूरा नंगा कर लिया. मेने अपने मस्त नंगे भाई को बाँहों में भींच ज़ोर से जकड लिया
और उसके होंठ चूमने लगा. हमारे लंड नीचे पुर खड़े आपस में टकरा रहे थे और दोनो भाई एक दूसरे के चूतड़ अपनी ओर दबा रहे थे. तभी मेने फुल फोर्स में शवर खोल दिया और ठंडे पानी की फुहारें बड़े वेग से हमारे नंगे जिस्म पर गिरने लगी. में अपना चेहरा भाई के चेहरे
पर रगड़ने लगा और एक दूसरे के अंग रगड़ रगड़ एक दूसरे को नहलाने लगे. हम काफ़ी देर इसी तरह नहाते रहे.

इसके बाद में अजय के सामने बाथरूम के फ्लोर पर बैठ गया और उसके मस्ताने लंड से खिलवाड़ करने लगा. कभी उसकी दोनो गोटियों को टोलते हुए हलके हल्के दबाता तो कभी उसके लंड का सुपारा खोलता और बंद करता. मुझे छोटे भाई के लंड से बहुत प्यार था और होता भी क्यों नहीं क्योंकि उतने ही प्यार से वह मुझे अपनी गान्ड भी तो मारने के लिए देता था. फिर मेने उसके लंड को अपने मुख में ले लिया
और आइस्क्रीम की तरह चूसने लगा. मैने लंड को अपने थूक से पूरा तरबतर कर लिया और लंड को मुखसे बाहर भीतर करते हुए काफ़ी
देर तक चूस्ता रहा. अजय का शरीर अकड़ने लगा. वह भी अपनी गान्ड तेल तेल कर मेरे मुख में अपने लंड को पेलने लगा.

इसके बाद में वहीं बाथरूम के मार्बल के फ्लोर पर लेट गया और अजय को घुटनों के बल पर ठीक अपने मुख पर ले लिया. इस पोज़ में अजय का लंड ठीक मेरे मुख के सामने था. मेने भाई के लंड के लिए वापस मुख खोल दिया. में कुच्छ देर फिर उसके लंड को चूस्ता रहा. तभी मेने कहा,

में: "अजय आज अपने लंडखोर भाई का मुख उसी तरह चोदु जैसे कि में तेरी गान्ड को अपने लंड से चोदता हूँ. अबे साले देखता क्या है. हुमच हुमच कर अपने भाई के मुख में अपना लॉडा पेल. देख मेने तेरे लंड के लिए अपना मुख खोल रखा है. आज अपना सारा माल मेरे मुख में ही झाड़ना. तू मेरे से जितने प्यार से अपनी गान्ड मरवाता है तेरे बड़े भैया उतने ही प्यार से अपना मुख तेरे लंड से चुदवाते हैं. मेरे मुख
में लंड का रस छोड़. रस नहीं निकलता है तो मदर्चोद भोसड़ी के मेरे मुख में मूत. मेरे मुख में मूत की धार छोड़, नहीं तो में तेरे लंड को काट खाउन्गा." मेरी बात सुन अजय के शरीर में एक बार ऐंठन हुई और दूसरे ही पल उसके लंड से गरम मूत मेरे मुख में बहने लगा. मेने उसका लंड जड़ तक अपने हलक में ले लिया और भाई का मूत्रपान मस्त हो कर करने लगा. कुच्छ ही देर में उसके लंड से मुत्र की धार
निकलनी बंद हो गई पर मेने लंड को मुख से बाहर नहीं निकाला. अगले ही पल थुलथुला कर उसका लंड मेरे मुख में झड़ने लगा. भाई का गाढ़ा वीर्य मेरे मुख को भर रहा था. कुच्छ वीर्य तो में गटक रहा था और कुच्छ उसके खड़े लंड में लपेट लंड को तेज़ी से मेरे मुख में बाहर भीतर कर रहा था.

फिर हम दोनो भाई शवर के नीचे खड़े हो गये और मेने शवर वापस चालू कर दिया. हम दोनो नंगे भाई ठंडे पानी से कई देर तक नहाते रहे. तभी मेने शवर बंद कर दिया. हम दोनों के नंगे जिस्म से पानी टपक रहा था. फिर एक बड़े टवल से हम दोनों ने एक साथ अपने भीगे जिस्म पोन्छे. बड़े टवल को दोनो के शरीर पर एक साथ लपेट आपस में टकराते हुए हम ने अपने शरीर अच्छी तरह पोन्छ लिए. फिर में कमरे
में आ गया और अपनी नाइट ड्रेस पहन ली और बिस्तर पर लेट गया. अजय भी नाइट ड्रेस चेंज कर चुपचाप रोज की तरह मेरे साथ एक
ही बिस्तर पर सो गया. आज में अपने भाई को तृप्त कर खुद एक आवरनाणिया तृप्ति महसूस कर रहा था और उसी की कल्पना में मुझे नींद आ गई.

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