Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन

hotaks444

New member
Joined
Nov 15, 2016
Messages
54,521
हमने XXXXX PUB जाने का प्लान बनाया| घर से मैं ये बोल के निकल गया की मैं अनिल को साइट पे काम दिखा के आ रहा हूँ| जाते-जाते मैं पिताजी को बता गया की मैं अनिल और दिषु पार्टी करने जा रहे हैं| उन्होंने अपना वादा याद दिलाया और मैंने भी उनका पैर छू के हामी भरी की मैं अपना वादा नहीं भूलूँगा| दिषु ने हमें घर के बाहर से pick किया और हम loud music सुनते हुए Pub पहुँचे! दिषु हम दोनों के लिए टी-शर्ट्स और जीन्स ले आया था, जो हमने गाडी में ही बदल लिए थे| Pub पहुँचते ही दोनों आपे से बाहर हो गए| अनिल और दिषु तो पार्टी में खो गए| मैं बस PUB में बारटेंडर के पास बैठा हुआ था और "पानी" पी रहा था! I mean can you imagine guys ... खेर as usual Music की धुन और शराब से दोनों टुन हो चुके थे! हाँ मैंने उन्हें कोई drug नहीं लेने दिया| वापसी में गाडी में ही ड्राइव कर रहा था| पहले दिषु को उसके घर छोड़ा| दरवाजा उसकी नौकरानी ने खोला और मैं उसे उसके कमरे में लिटा आया| वापसी में उसके पापा दिखे और बोले;
दिषु के पापा: आज फिर पी?
मैं: Sorry अंकल|
दिषु के पापा: पर तुम तो पिए हुए नहीं लग रहे?
मैं: जी...मैंने अपने पिताजी से वादा किया था|
दिषु के पापा: तो ये कैसी Bachelor's party थी? दूल्हे को छोड़ के सबने पी! (वो मुस्कुराने लगे|) वैसे Good बेटा...काश ये पागल भी तुम्हारी तरह होता| तुम चाहो तो यहीं रुक जाओ|
मैं: अंकल...वो मेरा साला गाडी में है..उसे घर छोड़ के गाडी यहीं छोड़ जाता हूँ|
दिषु के पापा: नहीं..नहीं...बेटा...गाडी लेने कल इस पागल को भेज दूँगा|
मैं: Thanks अंकल and Good Night!
दिषु के पापा: Good Night बेटा!
मैं घर पहुँचा..शुक्र था की मेरे पास डुप्लीकेट चाभियां थीं तो मैं बिना किसी को उठाये अंदर aaya और दिषु को अपने कमरे में लेजाने लगा तो देखा वहाँ संगीता और सुमन सो रहे थे| मैं चुप-चाप पीछे हटा और उनके (संगीता) कमरे में उसे लिटा दिया और ऊपर रजाई डाल दी| आयुष तो अपनी दादी जी के पास सो रहा था और नेहा संगीता के पास| मेरे दरवाजा खोलने से शायद वो जाग गई थी| इसलिए जब मैं बैठक में लौटा, की चलो सोफे पर सो जाता हूँ तो नेहा कमरे का दरवाजा खोल के बाहर आई;
नेहा: पापा...आप तो सुबह आने वाले थे?
मैं: Awwww मेरा बच्चा सोया नहीं? आओ इधर! (नेहा आके मुझसे लिपट गई|)
नेहा: पापा आपके बिना नींद नहीं आती|
मैं: Awwwww मेरा बच्चा!
मैं चाहता तो अनिल के साथ उसी कमरे में सो जाता पर अब नेहा साथ थी... और अनिल से शराब की बू आ रही थी, और ऐसे हाल में मुझे ये सही नहीं लगा| अब सोफ़ा छोटा था तो दो लोग उसमें सो नहीं सकते थे| मैंने नेहा को गोद में उठाया और मैं पीठ के बल लेट गया और नेहा मेरे सीने पर सर रख के लेट गई| ऊपर से मैंने रजाई ले ली| नींद कब आई पता नहीं चला| सुबह तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा| सुबह संगीता ने नेहा और मेरे ऊपर से रजाई उठाई तब मेरी नींद खुली| घडी में साढ़े पाँच बजे थे;
संगीता: What are you doing here?
मैं: Good Morning Dear!
संगीता: You didn't answer me?
मैं: (मैंने अपनी एक आँख बंद की) रात को जल्दी लौट आया था!
संगीता: Seriously?
मैं: Yeah !
संगीता: तो यहाँ क्यों सोये हुए हो? और अनिल कहाँ है?
मैं: अंदर है! (मैंने उनके कमरे की तरफ इशारा किया| मैं समझ गया था की आज तो दोनों की शामत है!)
इतने में शोर सुन के पिताजी और माँ भी बाहर आ गए|
पिताजी: क्या हुआ भई? मानु...तू यहाँ क्यों सो रहा है?
मैं: जी वो...
संगीता: पिताजी....पता नहीं दोनों कहाँ गए थे? कपडे देखो इनके? कब आये कुछ पता नहीं? नेहा यहाँ कैसे पहुंची कुछ पता नहीं? अनिल कहाँ है, कुछ पता नहीं?
पिताजी: बेटा बात ये है की ये तीनों.... मतलब ये, अनिल और दिषु Party करने गए थे! मुझे बता के गए थे!
संगीता: Party? मतलब आपने शराब पी?
मैं: No Baby! Remember I promised you and dad!
संगीता: अनिल कहाँ है?
इतने में अनिल अपना सर पकडे बाहर आ गया|
 
अनिल: मैं इधर हूँ दीदी! आह! सर दर्द से फट रहा है!
संगीता समझ चुकी थी की अनिल ने शराब पी रखी है|
दीदी: तूने शराब पी?
अनिल: Sorry दीदी...ये मेरा और दिषु भैया का प्लान था| जीजू ने मन किया था पर हमारे जोर देने पे वो हमारे साथ Bachelor's पार्टी के लिए गए थे| पर उन्होंने एक बूँद भी शराब नहीं पी! उनकी कोई गलती नहीं!
संगीता: तूने शराब कब से पीनी शुरू की?
अनिल: वो roomies के साथ कभी-कभी पी लेता था!
संगीता: देखा पिताजी...!
पिताजी: बेटा आज की young Generation ऐसी ही है| खेर छोडो इस बात को ..आज तुम दोनों की शादी है! मानु की माँ ...अनिल को चाय दो...इसका सर दर्द बंद हो तो ...आगे का काम संभाले|
अनिल: पिताजी...बस एक कप चाय और मेरा इंजन स्टार्ट हो जाएगा|
सुमन: पिताजी: मैं चाय बनाती हूँ|
मैं उठा और अपने कमरे में जाके चेंज करने लगा और फ्रेश होने लगा| तभी पीछे से संगीता आ गईं;
संगीता: Sorry
मैं: Its ओके जानू! Now gimme a kiss and smile!
संगीता: कोई Kiss Wiss नहीं ...जो मिलेगी सब रात को?
मैं: यार... that's not fair! कम से कम सुबह के गुस्से के हर्जाने के लिए एक Kiss दे दो!
उन्होंने ना में गर्दन हिलाई| और मैं बाथरूम जाने को मुदा की तभी उन्होंने अचानक से मुझे अपनी तरफ घुमाया और अपने पंजों पे खड़े हो के मुझे Kiss किया| मेरे दोनों हाथ उनके पीठ पे लॉक हो गए थे और उनके हाथ मेरी पीठ पे लॉक थे| मैं उनके होठों को चूसने में लगा था और उनके बदन की महक मुझे पागल कर रही थी| इतने में सुमन चाय ले के आ गई, हम ये भूल ही गए की दरवाजा खुला है|
सुमना: (खांसते हुए) ahem ! चाय for the love birds!
हम अलग हुए, और सुमन को मुस्कुराता हुआ देख संगीता ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया| सुमन ने चाय टेबल पे रख दी और हमें देखने के लिए खड़ी हो गई| मैंने सुमन को जाने का इशारा किया..पर वो मस्ती में जानबूझ के खड़ी रही और मुस्कुराती रही| इतने में अनिल वहाँ आ गया और संगीता और मुझे इस तरह गले लगे हुए देख वो समझ गया और उसने सुमन का हाथ पकड़ा और खींच के बाहर ले गया|
मैं: Hey ...they're gone!
संगीता: They?
मैं: हाँ अनिल और सुमन|
संगीता: हे राम!
मैं: चलो जल्दी से Kiss निपटाओ और ....
संगीता: न बाबा ना ...बस अब नहीं...अगर माँ आ गईं तो डाँट पड़ेगी!
खेर मुहूर्त नौ बजे का था ... हमें यहाँ से बरात लेके छतरपुर जाना था| वहीँ का एक फार्महाउस पिताजी ने बुक किया था| संगीता, सुमन, अनिल, दिषु के माता-पीता और हमारे कुछ जानने वाले भौजी की तरफ थे| बरात लेके हम समय से पहुसंह गए और जो भी रस्में निभाईं जाती हैं वो निभाई गईं| अब बारी थी कन्यादान की! जब पंडित जी ने कन्यादान के लिए कहा तो पिताजी स्वयं आगे आये और पूरे आशीर्वाद के साथ उन्होंने कन्यादान पूरा किया| संगीता की आँखों से आंसूं की एक बूँद गिरी| मैंने देख लिया था पर उस समय रस्म चल रही थी तो मैं कुछ नहीं बोला| जैसे ही कन्यादान की रस्म समाप्त हुई मैंने उनके आंसूं पोछे और मेरे ऐसा करने से सब को पता चल गया की वो रो रहीं हैं| माँ उनके पीछे ही बैठी थीं, उन्होंने संगीता को थोड़ा प्यार से पुचकारा और उन्हें शांत किया| खेर इस तरह सारी रस्में पूरी हुईं और हम रात एक बजे के आस-पास घर पहुँचे|
ग्रह प्रवेश की रस्म हुई ... उसके बाद सब बैठक में बैठे थे...मैं और संगीता भी| बच्चे हँस-खेल रहे थे; मैंने उन्हें अपने पास बुलाया और बोला;
मैं: नेहा...आयुष....बेटा अब से आप मुझे सब के सामने पापा "कह" सकते हो!
दोनों ने मुझे सब के सामने पापा कहा और मेरे गले लग गए| दोस्तों मैं बता नहीं सकता मेरी हालत उस समय क्या थी? गाला भर आया था और मैं रो पड़ा| पिताजी उठे और मेरे कंधे पे हाथ रख के मुझे शांत करने लगे|
मैं: पिताजी......मुझे....सात साल लगे....सात साल से मैं आज के दिन का इन्तेजार कर रहा था|
पिताजी: बस बेटा...शांत हो जा...अब सब ठीक हो गया ना! अब तुम दोनों पति-पत्नी हो! बस-बस!
माँ: (मेरे आंसूं पोंछते हुए) बेटा.... तू बड़े surprise प्लान करता है ना? आज मैं तुझे पहला सरप्राइज देती हूँ? ये ले... (उन्होंने एक envolope दिया)
मैं: ये क्या है?
माँ: खोल के तो देख?
मैंने उस envelope को लिया तो वो भारी लगा...उसे खोला तो उसमें से चाभी निकली! इससे पहले मैं कुछ कहता माँ बोलीं;
माँ: तेरी नई गाडी! क्या नाम है उसका?
पिताजी: Hyundai i10!
मैं: Awwwwwwww thanks माँ! मैं उठ के माँ के गले लग गया| Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You Thank You !!!
पिताजी: O बस कर thank you ...अब मेरी बारी ये ले... (उन्होंने भी मुझे एक चाभी का गुच्छा दिया|)
मैं: अब ये किस लिए? एक साथ कितनी गाड़ियाँ दे रहे हो आप?
पिताजी: ये तेरे फ्लैट की चाभी है!
मैं: मेरा फ्लैट? पर किस लिए? और मैं क्या करूँ इसका? Wait ...wait ....Wait .... आप मुझे अलग settle कर रहे हो! Sorry पिताजी.... मैं ये नहीं लेने वाला|
पिताजी: बेटा...तुम लोग अपनी अलग जिंदगी शुरू करो| कब तक हमसे यूँ बंधे रहोगे|
संगीता उठी और मेरे हाथ से चाभी ली और पिताजी को वापस देते हुए बोली;
संगीता: Sorry पिताजी! हम आपके साथ ही रहेंगे...एक ही शहर में होते हुए आपसे अलग नहीं रह सकते| मुझे भी तो माँ-बाप का प्यार चाहिए! और आप मुझे इस सुख से वंचिंत करना चाहते हो?
माँ: देख लिया जी...मैंने कहा था न दोनों कभी नहीं मानेंगे| मुझे अपने खून पे पूरा भरोसा है| अच्छा बहु ये चाभी तू अपने पास ही रख|
मैं: (संगीता से चाभी लेते हुए) ये आप ही रखो... हमें नहीं चाहिए|
पिताजी: अच्छा भई...ये बाद में decide करेंगे| अभी बच्चों को सुहागरात तो मनाने दो|
अनिल और सुमन जो अभी तक चुप-चाप बैठे थे और हमारा पारिवारिक प्यार देख रहे थे वो आखिर बोले;
अनिल: जीजू...आप का कमरा तैयार है? चलिए !
हम कमरे में घुसे तो अनिल और सुमन दोनों ने कमरे को सजा रखा था| सुहाग की सेज सजी हुई थी और मैं देख के हैरान था...की wow ....!!! इतने मैं आयुष और नेहा भागते हुए आये और जगह बनाते हुए मेरी टांगों में लिपट गए|
______________________________
 
आयुष: मैं तो यहीं सोऊँगा|
नेहा: मैं भी पापा के पास सोऊँगी|
अनिल: ओ हेल्लो... ये तुम दोनों के लिए नहीं है| आपके मम्मी-पापा के लिए है| आप आज सुमन जी के साथ सो जाओ|
बच्चे जिद्द करने लगे....
मैं: कोई बात नहीं यार... सोने दे|
इतने में पिताजी बोले;
पिताजी: बच्चों ...आप में से किस को कल Special वाली Treat चाहिए?
दोनों एक साथ बोले; "मुझे"
पिताजी: तो फिर आज आप दोनों दादी और सुमन "मामी" के साथ सोओगे|
मैं: मामी? (अनिल के और सुमन के गाल लाल हो गए|)
पिताजी: हाँ भाई... अब सिर्फ शादी अटेंड करने के लिए तो कोई नहीं आता ना?
पिताजी की बात बिलकुल सही थी और सब समझ चुके थे की अनिल का इरादा क्या है? खेर सब बाहर गए और मैंने कमरा लॉक किया और उनकी तरफ मुड़ा;
मैं: FINALLY !!!! WE'RE TOGETHER !!!
संगीता: नहीं अभी नहीं...अब भी पाँच फुट का गैप है! ही...ही...ही...ही...
खेर वो रात मेरे लिए कभी न भूलने वाली रात थी! उस रात मैंने जो चाहा वो सब मिल गया| Thanks भगवान...and Thanks to you guys! सुहागरात के बारे में मैं कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि NOW Its PERSONAL! Hope You'll understand !!!
A SWEET BEGINNING !!!
 
परसों ससुर जी और सासु माँ आये थे जिनके बारे में मैंने आपको बहुत Brief में बताया था, तो उस बारे में भी आपको बता दूँ की आखिर बात क्या हुई| सुबह उठ के हम चाय पि रहे थे और बच्चे भी अभी नहीं उठे थे| दरवाजे पे दस्तक हुई, संगीता ठ के दरवाजा खोलने जा रही थी की मैंने उसे रोका और खुद ही दरवाजा खोलने चला गया| दरवाजा खोलते ही सामने देखा तो ससुर जी और सासु माँ खड़े थे| मैं एक दम से झुक के उनके पाँव हाथ लगाने लगा तो उन्होंने मुझे आधे में ही रोक लिया और ससुर जी ने मुझे अपने गले लगा लिया| इतने में पिताजी भी पीछे से आ गए;
पिताजी: समधी जी आप?
तब ससुर जी ने मुझे छोड़ा और मैं सासु माँ के पाँव चुने लगा| पिताजी की आवाज सुन के माँ और संगीता भी उठ के आ गए और अपने माता-पिता को देख संगीता की आँखें भर आईं पर वो अपनी जगह से हिली नहीं| पिताजी और ससुर जी गले मिले और इधर माँ और सासु माँ गले मिले| इस मिलनी का फायदा उठा के मैं संगीता के पास पहुँचा;
मैं: जान...आप खड़े क्यों हो? मम्मी-डैडी से गले नहीं मिलोगे?
संगीता रो पड़ी और मेरे कंधे पे सर रख के बोली;
संगीता: पिताजी ने आपकी इतनी बेइज्जती की और आप....
मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) Hey ...वो बड़े हैं..गुस्से में थे..कुछ कह दिया तो क्या हुआ? और आपने आज देखा ना...उन्होंने मुझे गले लगा लिया, अब इससे ज्यादा और क्या चाहिए आपको?
संगीता अब भी हिचक रही थी|
मैं: okay बाबा..माँ से तो मिलो? उन्होंने ने तो कुछ नहीं कहा था ना?
मैं उन्हें अपने साथ ले के मम्मी जी के पास लाया और वो उनसे गले मिली| मम्मी ने उनका माथा चूमा और तभी डैडी ने उनसे कहा;
ससुर जी: बेटी मुझसे गले नहीं लगेगी? अब तक नाराज है मुझ से?
संगीता उनके पास नहीं गई;
मैं: Hey? Come on ..
ससुर जी: बेटा (मैं) मुझ से गलती हो गई (उन्होंने हाथ जोड़े)...
पिताजी: (उनकी बात काटते हुए) नहीं ..नहीं समधी जी... आप ये क्या कर रहे हैं? कोई बात नहीं है...ये आपका भी उतना ही बेटा है जितना मेरा है| गुस्से में हो गया सो ओ गया..आप आइये और बैठिये|
ससुर जी: नहीं समधी जी...मैंने अपने सारे अधिकार खो दिए| मैं गुस्से से अँधा हो गया था| मुझे सब कुछ बाद में पता चला.. मानु ने जो हमारे परिवार के लिए किया ...वो सब जानने के बाद सच कहूँ तो ...मेरी हिम्मत नहीं होती की मैं आपके सामने भी खड़ा रह सकूँ| (वो झुक के पिताजी के आंव छूने लगे तो पिताजी ने उन्हें रोक दिया|) मैंने उसे इतना गलत समझा...उसे इतना भला-बुरा कहा और आज उसने मुझे देखते ही पाँव छुए.... मैं शर्मसार हूँ!
पिताजी: नहीं समधी जी... जो हुआ सो हुआ... मिटटी डालिये उन बातों पर| मानु की माँ...चाय रखो!
ससुर जी: अरे नहीं समधी जी...बेटी के घर का तो पानी भी नहीं पी सकते|
पिताजी: अरे समधी जी..वो सब पुरानी बातें हैं|
मैं: डैडी ..प्लीज ....
पिताजी: बस समधी जी... अब आप मना नहीं करेंगे|
ससुर जी ने मुझे अपने बॉस बिठा लिया और ये देख के संगीता अंदर अपने कमरे में आ गई थी| मैं उठा और अपने कमरे में आ गया| बच्चे अभी भी नहीं उठे थे, और संगीता बेड के किनारे खड़ी थी|
मैं: Hey ... listen to me ... आप मुझसे प्यार करते हो ना?
संगीता ने हाँ में सर हिलाया|
मैं: तो मेरे लिए प्लीज मेरे लिए...डैडी जी से मिल लो!
संगीता आ के मेरे गले लग गई| फिर वो मेरा हाथ पकड़ के बाहर आईं और अपने पिताजी से गले मिलीं और रो पड़ीं| डैडी जी ने बहुत कोशिश की पर वो चुप नहीं हुईं और अब तो डैडी जी की आँखें भी छलक आईं| आखिर वो मेरे गले लगीं और फिर मैंने उनके सर पे और बालों में हाथ फेरा तब जाके वो चुप हो गईं|
______________________________
I'm Back to Complete My Story !!!
 
ससुर जी: समधी जी ...आज दोनों को ये प्यार देख के मुझे यकीन हो गया की मेरी बेटी ने सही वर चुना है|
अब शर्म से मेरे गाल लाल हो गए थे!
मैं: डैडी जी...मैं आप को और मम्मी जी को ...एक खुशखबरी देना चाहता हूँ! संगीता प्रेग्नेंट है...उसे डेढ़ महीना हो गया है!
सासु माँ: बधाई हो समधन जी!
ससुर जी: बधाई हो समधी जी..और तुम दोनों को भी बधाई हो! ये बड़ी जबरदस्त खुशखबरी है! इसे मैं ऐसे नहीं जाने दूँगा... मैं अभी आया|
मैं: डैडी जी..आप कहाँ जा रहे हो?
ससुर जी: मिठाई लेने
माँ: अरे समधी जी ये लीजिये मुँह मीठा कीजिये|
माँ ने मिठाई का एक डिब्बा फ्रिज से निकाल के पिताजी को दिया और पिताजी ने मिठाई का एक पीस अपने हाथ से डैडी जी को खिलाया और इस तरह सब को मिठाई खाने-खिलाने का दौर चल पड़ा| सब बहुत खुश थे तभी डैडी जी बोले;
ससुर जी: बेटा तब तो कुछ दिन बाद मैं दुबारा तुम्हें लेने आऊँगा?
संगीता: जी पर क्यों?
ससुर जी: बेटा..तुम माँ बनने वाली हो ....मायके तो आना ही होगा? फिर नेहा और आयुष भी तो....
मैं: (उनकी बात काटते हुए) Sorry डैडी जी, पर मैं संगीता का पूरा ख्याल रखूँगा!
ससुर जी: पर बेटा ... तुम काम में बिजी रहोगे और फिर समधन जी को अकेले सब सम्भालना पड़ेगा|
मैं: नहीं.. डैडी जी... मैं काम पे जाना छोड़ दूँगा...पिताजी संभाल लेंगे!
पिताजी: समधी जी, बात ये है की ये दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते! इसने तो अभी से इसकी देखबाल शुरू कर दी है| एक नौकरानी आती है जो कपडे, झाड़ू और बर्तन कर के जाती है और पिछले तीन दिनों से तो ये लाड-साहब खाना भी बना रहे हैं|
ये सुन के सारे हँस पड़े और मेरी भी हँसी छूट गई|
घर में हँसी-ख़ुशी का माहोल था और ये हँसी ठहाका सुन बच्चे भी बाहर आ गए और नाना-नानी को देख मेरे पास खड़े हो गए|
मैं: बच्चों ...नाना-नानी के पाँव छुओ!
मेरी बात सुन के दोनों ने जाके उनके पाँव छुए और डैडी जी और मम्मी जी उन्हें दुलार करने लगे|
ससुर जी: बेटा...तुमहरा दिल बहुत बड़ा है...तुमने दोनों को इस तरह अपना लिया जैसे ये दोनों तुम्हारा ही खून हैं|
मैं: Actually ..डैडी जी...आयुष ...मेरा ही खून है और रही नेहा की बात तो...मैंने उसे उसके असल बाप से भी ज्यादा प्यार किया है| मैंने कभी दोनों में फर्क नहीं किया और ना ही उस नए मेहमान के आने के बाद करूँगा|
ससुर जी और सासु माँ हैरान हुए, होना भी था पर अगले पल दोनों के मुख पे मुस्कान आ गई|
सासु माँ: बेटा...तो क्या जब तुम गाँव आये थे तब....(उन्होंने बात आधी छोड़ दी|)
मैं: जी... उन दिनों में हम बहुत नजदीक आ गए और ....
फिर मैंने उन्हें सारी कहानी शुरू से आखिर तक सुना दी|
 
ससुर जी: बेटा..कुछ भी कहो...हमने तुम-दोनों जैसा प्यार नहीं देखा!!! तुम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हो..और भगवान तुम्हारी जोड़ी बनाये रखे|
शाम को जाते-जाते उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया और आने वाले मेहमान को भी अपना प्यार भरा आशीर्वाद देके जाने लगे| हाँ उन्होंने मुझे शगुन में कुछ पैसे दिए जिनहिं मेरे लाख मना करने पर भी वो नहीं माने|
15 दिसंबर को सतीश जी से मुझे हमारा Marriage Certificate मिल गया और मैं आयुष और नेहा के स्कूल पहुँच गया| Admin में जाके मैंने अपना marriage certificate की कॉपी और ओरिजिनल दिखा के दोनोंके Father's Name को change करा दिया| So now officially I'm their father!
So guys, here's a turn of events!
My Honeymoon just got canceled! क्योंकि आयुष और नेहा ने जिद्द पकड़ ली की हम भी जायेंगे|
सामान पैक था, tickets तैयार थीं और होटल booked था!
आयुष: पापा हम भी जायेंगे!
नेहा: पापा आप हमें छोड़ के चले जाओगे?
मैं: बेटा किसने कहा की हम आपको छोड़के जा रहे हैं? Come here ...
मैंने दोनों को गले लगा लिया अपना फोन निकला और होटल फोन करके एक एक्स्ट्रा कमरा बुक करने वाला था की संगीता नाराज हो गई;
संगीता: तुम दोनों बड़े हो गए हो! Just act like a grownup!
मैं: Hey ... Hey ... Hey .... मैं एक एक्स्ट्रा कमरा बुक कर रहा हूँ|
संगीता: Oh yeah ... और इन दोनों शैतानों का ध्यान कौन रखेगा?
मैं: okay ... बाबू calm down .... I'll figure out something! नेहा ... आयसुह ...बेटा आपका स्कूल है ना? तो आप हमारे साथ कैसे आ सकते हो?
आयुष: तो पापा आप हमें Winters holidays में हमें साथ ले चलो?
मैं दोनों के reason को सुन के हँस पड़ा|
मैं: clever हाँ...
संगीता: आपने देखा इन्हें?
मैं: okay done!
संगीता: Really? कभी-कभी लगता है मैं आपको कभी नहीं समझ पाऊँगी! बच्चों की ख़ुशी के लिए आप कुछ भी करते हो! हमारा Honeymoon तक cancel कर दिया?
मैं: बाबू cancel नहीं postpone. आप बताओ बच्चों का दिल तोड़के हम कैसे जा सकते हैं? उनका भी मन है घूमने का...
संगीता: और पिताजी से क्या कहोगे?
मैं: (लम्बी सांस छोड़ते हुए) देखते हैं...!
हम चारों बैठक में आये ... गाडी रात की थी ...या ये कहूँ की है ..... पर change of plans!
पिताजी: सारी तैयारी हो गई?
मैं: अ.......
संगीता: पिताजी हम नहीं जा रहे|
माँ: क्या? पर क्यों? मानु..क्या किया तूने?
मैं: नेहा और आयुष साथ आने की जिद्द कर रहे हैं| अब इनका दिल तोड़के कैसे जाउँ?
पिताजी: इधर आओ बेटा (उन्होंने नेहा और आयुष को अपने पास बुलाया और उन्हें समझाने लगे|) देखो बेटा ..आपके मम्मी-पापा को जाने दो...मैं और आपकी दादी जी आपको घुमाने इनसे अच्छी जगह ले जायेंगे| ये तो ठण्ड में अकड़ जायेंगे...हम आपको ताजमहल दिखाने ले जायेंगे|
आयुष: नहीं दादा जी... मैं पापा के साथ रहूँगा| (और वो आके मेरी कमर से हाथ लपेट के खड़ा हो गया|)
नेहा: हाँ दादा जी... मैं भी आयुष के साथ पापा के साथ ही जाऊँगी| (नेहा ने पिताजी को गले लगा लिया और सुबकने लगी|)
पिताजी: बेटा देखो जिद्द नहीं करते|
माँ: आप सब की कोशिश हो गई तो मैं कुछ कहूँ| बच्चों आप में से किस को गाजर का हलवा खाना है?
आयुष: मुझे! दीदी चलो .... (आयुष उठ के नेहा को चुप कराते हुए उसे माँ के पास ले जाने लगा|)
माँ: ऐसे नहीं...पहले मम्मी-पापा को जाने दो उसके बाद मैं रोज तुम्हें गाजर का हलवा खिलाऊँगी...!
आयुष: दादी जी ऐसा करते है की हम वापस आ के खाएंगे| (अब दोनों वापस मेरे पास आ गए|)
मैं: पिताजी ...कोई फायदा नहीं ये नहीं मानने वाले| मैं हम सब की टिकट्स बुक कराता हूँ| वैसे भी साल हो गए हमें Family Holiday पे गए हुए... आप लोग साथ होगे तो इन दोनों का भी ध्यान रख पाओगे!
पिताजी: बेटा तुझे पता है ना काम कितना फैला हुआ है? हम कैसे जा सकते हैं? तू ऐसा कर अपनी माँ को साथ ले जा|
माँ: वाह! तो यहाँ आपका ख्याल कौन रखेगा?
संगीता: पिताजी जायेंगे तो सारे नहीं तो कोई भी नहीं|
मैं: Agreed!
संगीता: आप कल से काम संभाल लो ..और जल्दी से काम निपटा लो...या कम से कम काम तो कम हो जायेगा तो संतोष भैया भी संभाल लेंगे|
 
11
मैं: पर ...
संगीता: मैं अभी ठीक हूँ... अभी डेढ़ महीना हुआ है प्रेगनेंसी का और आप ऐसे ध्यान रख रहे हो जैसे नौवां महीना हो|
मैं: तुम जान हमारी हो... तुम्हारे लिए कुछ भी कर जाऊँगा
मत कर जुदा मुझे खुद से...तेरी कसम मैं मर जाऊँगा!
संगीता ये सुन के शर्मा गई और जाके माँ से लिपट के अपना मुँह छुपा लिया|
माँ: तू ना...देख रहे हो जी?
पिताजी: हाँ भई देख रहा हूँ! बहुत प्यार करता है ये बहु से!
फिर उन्होंने मेरा कान उमेठा और कहा की;
पिताजी: कल से काम पे आजा ...साइट पे लेबर तंग करते हैं! और रात का ओवरटाइम संतोष संभाल लेगा! यहाँ तेरी माँ है….वो बहु का अच्छे से ख्याल रखेगी!
संगीता: तो पिताजी Family Holiday पक्का ना?
पिताजी: हाँ बहु पक्का!
ये सुन के आयुष और नेहा भी खुश हो गए! तो Guys इस तरह से मेरा Honeymoon Family Holiday में बदल गया| ये सुन के आपको हँसी तो आएगी...पर अगर कोई इंसान सिर्फ कसम से बंधे होने पर PUB में जा के पानी पी के गुजर कर सकता है, तो अपने Honeymoon को Family Holiday बनाने पे मुझे ख़ुशी ही हुई!
So we’ll be off to Munnar from 24th December to 2nd January! Moving on …
कल रात संगीता बहुत इमोशनल हो गई! वो भी इसलिए क्योंकि वो माँ के साथ बैठ के "Major Saab" देख रही थी| (My mom’s favorite movie) Oh comeon यार...its just a movie! That’s what I told her. Here’s what happened;
माँ और संगीता ड्राइंग रूम में बैठ के मूवी देख रहे थे! मूवी में एक सीन आया जहाँ मेजर साहब की पत्नी डिलीवरी के बाद उनसे कहती हैं की "आपको मेरी जगह अपने बच्चे को बचाना चाहिए था|" अब ये सुन्ना था की वो इमोशनल हो गई| मैं कमरे में बैठा कल रात वाली अपडेट टाइप कर रहा था| मेरे पूछने पे उन्होंने सब बताया|
मैं: यार Its just a movie.
संगीता: नहीं आप ये बताओ की अगर मेरी डिलीवरी होते समय ऐसा हुआ तो आप बच्चे को ही बचाओगे ना?
मैं: कतई नहीं!
संगीता नहीं ...आपको मेरी कसम!
मैं: Sorry ...इस बार मैं आपकी कोई कसम नहीं मानने वाला, फिर भले ही मुझे आपके गुस्से का सामना करना पड़े| I Love You and you're always my first priority!
संगीता: पर आपके बाप बनने का सुख? आप को उस बच्चे को अपनी गोद में खिलाना है...और ...
मैं: बाप बनने का सुख आपने मुझे दे दिया है| बस अब मैं इस बारे में और बात नहीं करना चाहता!
मैंने उन्हें चुप तो करा दिया पर वो पलंग पे बैठ गईं और गुम-सुम हो गईं|
मैं: क्या हुआ बाबू? (मैंने बड़े प्यार से पूछा)
संगीता: आप मुझसे इतना प्यार करते हो?
मैं: अब भी आपको पूछना पड़ रहा है? आपको कोई शक है?
संगीता: कभी-कभी लगता है की मैं आपको समझ ही नहीं सकती| You're so unpredictable!
मैं: I'll take that as a complement! Now no more रोना-धोना...okay?
उन्होंने हाँ में सर हिलाया और चली गईं|
P.S. 23rd को उनका Birtday है! And I’m planning a surprise for her! Will let you know guys on 24th! Till then Ta ..Ta..!!!
So guys here’s how I made her birthday special!
वैसे करने को तो मैं बस एक restaurant में उन्हें और बच्चों को (not to mention की मैं अपने माता-पिता को भी साथ ले जाता|) खाना खिलता and birthday treat was over. But instead I planned this:
23 दिसंबर को मैं साइट से जल्दी भाग आया और रास्ते में मैंने अपनी ID से एक नया नंबर ले लिया| घर आके मैंने अपना फोन संगीता के पास छोड़ा और अपना दूसरा फोन अपनी जेब में ही रखे बाथरूम में घुस गया| दरअसल मैं दो फ़ोन Use करता हूँ एक सिंगल sim और दूसरा डबल sim! बाथरूम से मैंने अपने पुराने नंबर पे मैसेज टाइप किया:
"मानु जी...
मैं आपको रोज आते-जाते हुए देखती हूँ! आप बड़े smart दीखते हो..पर आज अपने चेक शर्ट क्यों पहनी? कल प्लीज ब्लू पहनना!
माया"
मैंने वाकई में उस दिन चेक शर्ट पहनी थी| मैं जानता था की इसका रिएक्शन बड़ा जबरदस्त होगा| इसलिए मैंने जान बुझ के अपना नया sim निकाल दिया और बाहर आ गया| बाहर आके देखा की संगीता फोन कर रही है...उसी नंबर पे!
संगीता: (फोन काटते हुए) ये माया कौन है?
मैं: माया? (मैंने अपनी हैरानगी दिखाई|) पता नहीं? क्यों क्या हुआ? (मैं थोड़ा बेसब्र हो गया था पर शुक्र है की उन्हें समझ नहीं आया|)
संगीता: ये देखो..अभो-अभी मैसेज आया है!
मैंने मैसेज पढ़ा और ऐसे दिखाया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं|
मैं: पता नहीं कौन है?
संगीता: (संदेह करते हुए) पक्का?
मैं: हाँ यार... अगर जानता होता तो बता देता ना?
खेर रात को खाना कहते वक़्त मैंने फिर से डाइनिंग टेबल पे बैठ-बैठे चुपके से मैसेज टाइप किया और वापस अपने पुराने नंबर पे भेज दिया| फोन बज उठा और चूँकि संगीता मेरे साथ ही बैठी थी तो उसने ही फ़ोन उठाया और मैसेज पढ़ा;
"मानु जी,
आपका construction cum renovation का काम है ना?
माया"
अबकी बार तो संगीता ने फटाफट मैसेज का रिप्लाई दे दिया;
" कौन हो तुम? और ेरे बारे में इतना सब कुछ कैसे जानती हो?"
मैसेज मुझे नए नंबर पे रिसीव हुआ पर मैं देख नहीं सकता था| तो मैं बिलकुल चुप-चाप रहा. खाना खाया और फिर बाथरूम में घुस के मैसेज पढ़ा और रिप्लाई टाइप किया;
"नाम तो मैंने आपको बता ही दिया और आपका नंबर मिलना थोड़ा मुश्किल था पर यहाँ तो आपको और आपके पिताजी को सब जानते हैं तो कैसे न कैसे नंबर मिल ही गया|"
इतने में संगीता ने उसी नंबर पे फोन मिलाया ...मैं जानता था संगीता के अंदर जलन की आग भड़क चुकी है पर मैंने फोन नहीं उठाया अलबत्ता काट दिया और फोन स्विच ऑफ कर दिया| जब मैं बाहर आया तो संगीता गुस्से में तमतमा रही थी|
मैं: क्या हुआ? मुँह गुस्से से क्यों लाल है?
संगीता: उस लड़की ने फिर से मैसेज किया ...और मेरे फोन करने पे काट दिया| आखिर है कौन ये लड़की? गली में तो किसी का नाम माया नहीं है? कहीं ये कोई PG लड़की तो नहीं?
मैं: यार ...देखो आप मेरी तरफ से एक मैसेज टाइप करो और कहो की कल आपसे मिलना चाहता हूँ|
संगीता: हैं? आप...
मैं: अरे यार हम दोनों उससे मिलते हैं? उसे समझा देंगे...शायद आपकी बात मान जाये!
संगीता: पर उसका फोन स्विच ऑफ है?
मैं: बाबू...आप भेज दो..जब ओन करेगी तब देख लेगी! अब सो जाओ!
संगीता ने मैसेज टाइप किया और फ़ोन अपने सिराहने रख के मेरे साथ रजाई में सो गई|
______________________________
 
करीब बीस मिनट बाद मैं उठा और बाथरूम में घुस गया| मैंने फोन ओन किया और रिप्लाई किया:
"कल 01:00 बजे मैं Slice Of Italy XXXX में आपका इन्तेजार करुँगी| और प्लीज ... कॉल मत किया करो..आपकी कॉल काटने में मुझे बहुत अग्फ्सोस होता है!
माया"
जैसे ही मैं बाथरूम से फोन बंद करके आया संगीतक छूटते ही बोली;
संगीता: उसका रिप्लाई आया है....कल एक बजे Slice of Italy resturant में बुलाया है| कल इससे बात फाइनल करते हैं ...मैं उसे समझा दूंगी की वो हमें अकेला छोड़ दे वरना मैं पुलिस में कंप्लेंट कर दूंगी!
मैं: Wo ...Wo .... Wo .... calm down dear ! कल मिलके उसे अच्छे से समझा देंगे|
अगले दिन मैं जल्दी उठा और माँ-पिताजी के पास बच्चों को उठाने के बहाने आया और पिताजी और माँ को सारा प्लान समझा दिया| Slice of Italy में मैं पहले ही कल के लिए बुकिंग कर चूका था| चूँकि बच्चों की छुटियाँ जारी थीं तो माँ-पिताजी साढ़े गयरह बजे बच्चों को रिश्तेदारों के यहाँ घुमाने के बहाने निकल गए| जाते-जाते बच्चे संगीता को देख के बहुत मुस्कुरा रहे थे और जब संगीता ने उनकी हंसी का करें पूछा तो मैंने चुपके से उन्हें चुप रहने का इशारा किया और वो अपने दादा-दादी के साथ चले गए|
संगीता: ये बच्चे मुझे देख के इतना मुस्कुरा क्यों रहे थे?
मैं: यार बच्चे हैं... आप जल्दी से Omlet खाओ और फिर तैयार हो जाओ आज उस कलमुही से बात भी तो करनी है|
दरअसल भाइयों आपको बताने की तो जर्रूरत नहीं यहाँ दिल्ली में ठण्ड जबरदस्त पड़ने लगी है और इसलिए Breakfast में देर हो जाती है| साढ़े बारह बजे हम दोनों निकल पड़े और ठीक 01:15 पे रेस्टुरेंट पहुँचे!
संगीता: लेट हो गए! अगर वो चली गई तो?
मैं: अरे यार अगर चली जाती तो SMS ओ करती!
संगीता: हाँ... पर हम उसे पहचानेंगे कैसे?
मैं: हाँ..और हमें साथ देखेगी तो घबरा ना जाये! आप ऐसा करो आगे चलो और मैं कार पार्क कर के आता हूँ!
संगीता आगे चली गई...और मुझे कौन सा कार पार्क करनी थी...Vallet वाले को बुलाया और पैसे और गाडी की चाभी दी और पीछे-पीछे भागा गया| जल्दी से माँ-पिताजी को छुपने को कहा| संगीता सीढ़ियां उत्तर चुकी थी और उसे वहाँ कुछ इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे| मैंने पीछे से जाके उसके कान में कहा;
मैं: सरप्राइज मेरी जान! Happy Birthday to You!
और ये सुन के माँ, पिताजी और बच्चे जिन्होंने सर पे बर्थडे कैप पहनी थी वो पीछे से आये और संगीता को birthday wish किया! संगीता के चहरे की ख़ुशी बयान करने लायक शब्द नहीं हैं| इतनी ख़ुशी...इतनी ख़ुशी की उसकी आखें छलक आइन और वो मेरे गले लग गई|
संगीता: आप...आपने सब कुछ प्लान किया था? (उन्होंने सुबकते हुए कहा|)
और मैंने हाँ में गर्दन हिलाई|
माँ: अरे बहु...बस! आज तो ख़ुशी का मौका है!
आयुष: मम्मी..अभी तो केक भी काटना है!
संगीता फिर मेरी तरफ पलटी और उसकी आँखें अब भी नम थी| मैंने उसके आँसूं पोछे और दोनों नए जोड़े की तरह बाँहों से बाहों को लॉक किये सेंटर टेबल पे आ गए| cake का आर्डर पहले से ही दिया था और केक रेडी था, "White Forest"!!! केक पे लिखा था "Happy Birthday My Lovely Wife"!! उन्होंने केक काटा और पहला पीस मुझे पिताजी को खिलाया और उनका आशीर्वाद लिया फिर माँ को खिलाया और उनका भी आशीर्वाद लिया..अगला पीस वो मुझे खिलने वाई थीं पर मैंने वो पीएस नेहा को खिलने को कहा;
नेहा: उम्..Happy bday मम्मी!
नेहा ने संगीता के गाल को Kiss किया और उनके गाल पे भी केक लग गया| वो उसे साफ़ करने वाली थीं पर मैंने मना कर दिया फिर आयसुह की बारी थी..उसने तो आगे बढ़ के अपनी मम्मी का हाथ पकड़ लिया और खुद ही खाने लगा और फिर उसने जानबूझ के ऐसे kiss किया की उनके दूसरे गाल पे भी white केक की क्रीम का निशान पड़ गया| अब फाइनली मेरी बारी थी! उन्होंने मुझे केक खिलाया और मेरे गले लग गईं| मुझे भी शरारत सूझी और मैंने एक पीस उठा के उनके होंठ गाल और नाक तक को केक की वाइट क्रीम से रंग डाला| सब हंसने लगे! कल पहलीबार मैंने सब को PIzza खिलाया..माँ-पिताजी को तो ज्यादा पसंद नहीं आया पर बच्चों को बहुत पसंद आया| इसके आलावा Pasta और Calzone मंगाए थे| सभी कुछ अच्छे से निपट गया और हम सब एक साथ गाडी में वापस आ गए| शाम को चाय पीके पिक्चर का प्लान था वो भी "pk" मूवी अच्छी लगी सभी को except for the kiss between Sushant and Anushka ... She got a bit aroused with that. Interval में जब हम दोनों popcorns लेने आये तो वहाँ मेरे ऑफिस की एक पुरानी collegue मिली| साधना उसका नाम था;
साधना: Hi Maanu !
मैं: Hi ! उम्म्म Meet my wife Sangeeta!
साधना: ओह तो ये संगीता जी हैं? क्या बात है चुपके-चुपके शादी भी कर ली और बताया भी नहीं?
मैं: हाँ ..वो... सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की ...
साधना: कोई बात नहीं..पर Treat अभी बाकी है! कब दे रहे हो?
मैं: एक्चुअली कल हम Honeymoon cum Family Holiday पे जा रहे हैं तो वापस आके प्लान करता हूँ!
साधना: What? Honeymoon cum Family Holiday !!
मैं: हाँ...its a long story ...आके बताता हूँ!
साधना: okay! मिलते हैं!
वो लेडीज टॉयलेट में घुस गई और हम लाइन में खड़े थे;
संगीता: माया...साधना...और कितनों को जानते हो आप?
मैं: यार मेरी office collegue थी|
संगीता: और उसे मेरे बारे में कैसे पता?
मैं: यार उन दिनों मैं खोया-खोया रहता था...तो इसने पूछा और मैंने आपके बारे में बता दिया| मतलब Except that भौजी part ...
संगीता: हम्म्म...और भी कोई है?
मैं: ना..जब मिलेगी तब बता दूँगा|
उन्होंने प्यार भरे अंदाज में मुझे प्यार से गुस्सा मारा| Anyways ... मूवी खत्म हुई और हुंग़र आ गए| खाना-पीना बाहर ही था और घर आ के बस सोना था| बच्चों को किसी तरह समझा-बुझा के माँ-पिताजी के पास सुला दिया और मैं वापस बैठक में आ गया| संगीता न्यूज़ देख रही थी, मैंने चुपके से फ्रिज खोला और फूलों की थैली निकाली और बिस्तर पे सुहाग सेज जैसे सजा दिए| फिर मैंने कमरे की लाइट ऑफ की और बैठक में आके बैठ गया|
______________________________
 
संगीता: तो और भी कुछ सरप्राइज है मेरे लिए या बस?
मैं: Speaking of surprises there’s still one left…
मैंने फोन उठाया और डैडी जी और मम्मी जी को मिलाया और संगीता की उनसे बात कराई| दरअसल पिताजी किसी काम से लखनऊ आये हुए थी और वो रात को ही घर पहुंचे थी| मैंने उन्हें दिन में ही फोन किया था पर उन्होंने कहा की मम्मी जी को भी बात करनी है| तो मुझे उनको रात में फोन करना था! अपने माता-पिता से बात करके वो बहुत खुश थी|
संगीता: मैं हैरान हूँ की मेरा जन्मदिन मुझे तक याद नहीं...माँ-पिताजी को याद नहीं..और आपको याद था?
मैं: सिर्फ याद ही नहीं ...बल्कि ये कहूँ की Planned था! और RSS पे भी सब को बता दिया था| बल्कि आप जाके wishes देख लो! सब ने wish किया है वो भी एडवांस में!
संगीता: सच? मैं अभी देखती हूँ ...
हम दोनों कमरे में दाखिल होने को साथ उठे बस संगीता आगे थी और मैं पीछे, जैसे ही उसने लाइट ओन की तो सामने का दृश्य देख के उनकी आँखें बड़ी हो गईं!
संगीता: ये...आपने?
मैं: हाँ जान... अब Honeymoon तो मेरी वजह से Honeymoon cum Family Holiday बन गया..तो मैंने सोचा की आज ही क्यों न हनीमून मना लिया जाए!
She kissed me and thanked me for making this day so memorable! Then we …… you know….. the “passionate love” scene.. and after that she asked me something which made me LMAO!
संगीता: पक्का आपका किसी लड़की के साथ कोई चक्कर तो नहीं है ना?
ये सुन के मैं इतना हँसा... इतना हँसा की मेरे पेट में दर्द हो गया! आखिर जब मैं शांत हुआ तो उनकी बात का जवाब दिया;
मैं: बाबू...आपको शक है? अगर किसी और से चक्कर होता तो आज के दिन के लिए इतना प्लान करता?
संगीता: सच कहूँ तो आप पर खुद से ज्यादा भरोसा है...पर उस SMS ने और आज साधना जब मिली तो...न जाने क्यों आपको खोद देने का डर सताने लगा|
मैं: बाबू...मैं सिर्फ और सिर्फ आपसे ही प्यार करता हूँ| अगर नहीं करता तो सब से इस तरह लड़ाई ना करता-फिरता!
She was convinced and hugged me tightly. So guys this is how the day ended…on a very sweet note! Anyways, We’re off to munnar and will be back on 2nd January 2015! Then I’ll let you know what happened in Munnar may be with an extrabit of detail! I’ll be in touch with you guys…smartphone आखिर होते क्यों हैं?
______________________________
 
ट्रैन से रास्ता बड़ा शांतिपूर्वक कटा, माँ और संगीता लोअर birth पे थे| पिताजी middle birth पे थे और मैं top birth पे था| नेहा और आयुष मेरे पास ही लेटे हुए थे, हालाँकि मुझे थोड़ा डर था की कहीं वो गिर न जाएं इसलिए मैं निचे आ गया और दोनों को अपने साथ नीचे ले आया| अभी कोई सोया नहीं था ...बातों में समय कट रहा था| मैं माँ के पास बैठा था और आयुष संगीता के गोद में सर रख के लेट गया| बातों-बातों में सोने का समय हो गया| पिताजी तो ट्रैन के झटके सहते हुए सो गए थे| माँ की भी आँख लग चुकी थी आयुष भी संगीता के पास ही सो चूका था| नेहा मेरी गोद में सर रख के सो चुकी थी...पर मुझे और संगीता को नींद नहीं आ रही थी| पर ये ओपन कम्पार्टमेंट था...तो कुछ भी करना नामुमकिन था| कुछ भी करने से मेरा मतलब है .... बात करना ...या साथ बैठना....!!!
संगीता ने मुझे इशारे से कहा की मैं आयुष को middle birth पे लिटा दूँ| मैंने बड़ी सावधानी से आयुष को उठा के middle birth पे लिटा दिया और एक बार चेक किया की पिताजी सो रहे हैं या नहीं| मुझे उनके खरांटें सुनाई दिए...मतलब वो सो रहे हैं| उन्होंने दूसरी तरफ करवट ले राखी थी, बस माँ थीं जो हमारी तरफ करवट लेके लेटीं थीं| संगीता उठ के बैठीं और मैंने नेहा को भी middle birth पे, आयसुह के साथ ही लिटा दिया| मैं आके संगीता की बगल में बैठ गया और ऊपर से हमने जयपुरी रजाई ले ली ,अंदर गर्माहट बानी हुई थी| माँ-पिताजी भी जयपुरी रजाई लेके लेटे हुए थे, बच्चों ने कम्बल ले रखा था| संगीता को बहुत हँसी आ रही थी...
मैं: क्या हुआ?
संगीता: कुछ भी तो नहीं....!!! ही..ही...ही...
अब एक तो मिडिल बिरथ खुले होने से ठीक से बैठा नहीं जा रहा था ऊपर से उनकी हँसी ....
संगीता: आप ऐसा करो अपना सर मेरी गोद में रख लो|
मैं: माँ-पिताजी ने देख लिया तो?
संगीता: Hwwwwwww ..... तो मैं रख लेती हूँ?
मैं: Cool
और संगीता ने मेरी गोद में सर रख लिया...अब मुझसे बैठा तो नहीं जा रहा था पर किसी तरह मुड़ी हुई गर्दन का दर्द बर्दाश्त करते हुए बैठा रहा| माँ की आँख खुली तो उन्होंने हमें ऐसे बैठे और लेटे देखा तो मुस्कुराईं और दूसरी तरफ करवट कर के लेट गईं| आधी रात को एक-एक करके नेहा और आयुष को बाथरूम ले गया और वापस आके संगीता के सिरहाने बैठ गया|
संगीता: आप भी ऊपर जाके सो जाओ|.
मैं: बाबू अगर ऊपर ही सोना होता तो आपके पास क्यों बैठता?
संगीता: I like it when you call me बाबू!!!
मैं: I know ....इसीलिए तो बाबू कहता हूँ आपको!
इतने में पिताजी उठे और मुझे कहा;
पिताजी: बेटा सो जा....कल का दिन भी इसी ट्रैन में गुजारना है|
मैं: जी
पिताजी बाथरूम चले गए और मैं बेमन से ऊपर जा के सोने लगा तो आयुष उठ गया और मेरे साथ सोने की जिद्द करने लगा| आखिर मैं उसे अपने साथ ले के सो गया| अगले दिन भी उसी ट्रैन में...उसी जगह बैठे-बैठे ऊब गए! Maybe I should have booke an airplane ticket! Danm!!!! Thank God I had my Laptop through which I was connected to you guys. उसी पे हम फिल्म वगेरह देख लिया करते थे...पर बच्चे थे की शैतानी करने से बाज नहीं आ रहे थे| अगले दिन दोपहर की बात है...पिताजी दरवाजे पे खड़े थे और सिगरेट पी रहे थे, माँ और संगीता अपनी-अपनी खिड़की पे बैठे थे| मैं जान बुझ के संगीता के पास बैठा था, आयुष Middle वाली birth पे था और लैपटॉप पे गेम खेल रहा था, नेहा माँ के पास बैठी थी और उसने माँ के साथ कंबल ले रखा था| तभी एक आदमी चिप्स वगेरह बेचने आया| मैंने उस आदमी को रोका;
मैं: भाई चार चिप्स के पैकेट और दो चॉकलेट और हाँ एक कोका कोला और एक thumbsup|
मैंने एक पैकेट नेहा को दिया दिया, एक माको एक संगीता को और एक आयुष को| करीब पांच मिनट बाद नेहा बोली;
नेहा: पापा आपको अब भी याद है की मुझे चिप्स पसंद हैं? आप कभी नहीं भूले?
मैं: इधर आओ...
मैंने नेहा को अपनी गोद में बिठाया और उसे कहा;
मैं: बेटा मैं आपको कैसे भूल सकता हूँ? आपकी हर एक पसंद न पसंद मुझे याद है|
आयुष: (ऊपर से झँकते हुए) और मेरी?
मैं: आपकी भी बेटा... अब आप भी नीचे आ जाओ..बहुत हो गई gaming ....वरना चॉकलेट नहीं मिलेगी|
आयुष नीचे आ गया और हम चारों एक ही सीट पे बैठे थे| पिताजी भी आ गए और चिप्स खाने लगे| संगीता अब पहले की तरह डेढ़ हाथ का घूँघट नहीं करती थी| डेढ़ हाथ का घूँघट मुझे गंवारों की निशानी लगती थी इसलिए मैंने उन्हीने मन किया था| पर शर्म और लाज के चलते वो सर पे पल्ला रखती थीं| पिताजी से कभी भी नजर मिलके कुछ नहीं कहती थी, हाँ माँ के साथ उसकी chemistry बिलकुल वैसी थी जैसी मैं चाहता था| खेर आयुष ने बड़ा Naughty टॉपिक छेड़ दिया;
आयुष: पापा मेरा छोटा भाई आएगा या छोटी बहन?
मैं संगीता की तरफ देखने लगा और वो इस कदर झेंप गई की पूछो मत! पर मुझे इसमें भी रास लेना आता था और मैंने संगीता को सताने के लिए बात लम्बी खींच दी;
मैं: बेटा ऐसा करते हैं vote कर लेते हैं? ठीक है पिताजी?
पिताजी कुछ नहीं बोले! मैंने उनकी चुप्पी को हाँ समझा;
मैं: जो लड़के के support में हैं वो हाथ उठाओ?
नेहा ने सबसे पहले हाथ उठाया बस और किसी ने हाथ नहीं उठाया|
मैं: तो सिर्फ एक वोट? तो जो लड़की चाहते हैं वो हाथ उठाओ?
इस बार मेरा हाथ उठा और आयुष ने भी हाथ उठाया ...पर सबसे ज्यादा जोश में वही था| माँ-पिताजी ने दोनों बारी हाथ नहीं उठाया!
मैं: माँ...पिताजी...आप लोग किसकी तरफ हैं?
पिताजी: किसी की भी तरफ नहीं....बच्चे भगवान की देन होते हैं| जो किस्मत में होता है वही मिलता है...लड़का या लड़की से कोई फरक नहीं पड़ता|
माँ: हाँ पर ये (आयुष) ये तो अपनी छोटी बहन को बहुत तंग करेगा...है ना?
आयुष ने हाँ में सर हिलाया और सब हंसने लगे;
नेहा: ऐसे कैसे करेगा तंग? मैं हूँ ना....मैं अपनी छोटी बहन को इससे बचाऊँगी!
नेहा की बात सुन के सब हंसने लगे ...सामने वाली सीट पे एक आंटी बैठी थीं..वो भी हंसने लगी|
 
Back
Top