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- Dec 5, 2013
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राज चिंता में पड़ गया. कोमल की परेशानी का हल अब कोई दवाई नही थी. अब तो सिर्फ सफाई करना ही एक जरिया था जिससे इस मुसीबत का अंत हो सके. अब शहर जाने की मुसीबत. कोमल तो शहर जा ही नही सकती. राज सोचता हुआ डॉक्टर के पास से चला आया. राज को कोमल के प्रति जबाब भी देना था. अब क्या जबाब दे राज? क्या कोमल से ये बोल दे कि अब कुछ नहीं हो सकता. ये सुनकर कोमल बहुत दुखी न हो जायेगी.
राज सोचता था कि गलती खुद उसी की है. उसी ने कोमल को ऐसा करने पर मजबूर किया था. वरना कोमल क्या ये चाहती थी? उसी ने इस सीधी साधी लडकी को ये बुरी आफत लगा दी. राज सोचता था कि उसे खुद ही कोमल की इस परेशानी का हल ढूढना है. उसकी गलती की सजा कोमल क्यों भुगते?
रात हुई. राज ने आज खाना नहीं खाया था. बस निढाल हुआ चारपाई पर पड़ा तारे गिन रहा था. शायद तारों में ही कोई समाधान निकल आये. लेकिन ये कोई आम समस्या नहीं थी. ये तो कोमल की जिन्दगी और मौत का सवाल था. कोमल को अगर कुछ हुआ तो राज कैसे जियेगा? क्या कोमल को कुछ हो जाने पर वो अपने आप को माफ़ कर पायेगा? उसकी एक गलती से कितना नुकसान होने जा रहा था.
राज को रात भर नींद नही आई थी.
इधर कोमल भी अपने पेट में पल रही इस मासूम आफत से रात भर जागती रही. उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था. क्यों वह राज को ये न बता सकी? क्यों उसकी हर बात बिना सोचे समझे पूरी करती गयी? कोमल को ये भी उम्मीद थी कि राज जरुर कोई न कोई समाधान निकाल चुका होगा. कल खत में जरुर कोई अच्छी बात पढ़ने को मिलेगी. ____ गाँव हो या शहर जब कोई भी बिनब्याही लडकी माँ बन जाती है तो उसका चिंतित होना स्वभाविक होता है. ये समस्या किसी भी समाज के व्यक्ति के लिए आराम से गले नहीं उतरती कि क्वारी लडकी माँ कैसे बन सकती है? और ये आज से नही तब से जब धरती पर भगवान ने जन्म लिया. भगवान कृष्ण के समय कुंती भी तो क्वारी कर्ण को जन्म दे चुकी थी और फिर उन्होंने उस बच्चे को नदी में छोड़ दिया. लेकिन कोमल क्या करे? वो तो बच्चा होने तक रुक भी नही सकती.
दोनों को सोचते सोचते सुबह हो गयी. राज कुछ फैसला कर चुका था जो आज वो कोमल को खत में लिख कर देने वाला था. फैसला बहुत बड़ा था. शायद कोमल को भी इस बात का अनुमान नही था. सब काम कर राज खत लिखने बैठ गया. कोमल भी अपने कॉलेज पहुंच चुकी थी. कॉलेज में पढाई से उसका कोई सरोकार न था. वो तो सिर्फ राज से जबाब के लिए कॉलेज गयी थी.
राज ने खत पूरा किया. माथे पर आये पसीने को पोंछ साईकिल उठा कोमल के कॉलेज के बाहर पहुंच गया, वो नाटा लड़का वहीं खेल रहा था. राज को चिंता में देख उस लडके ने भी कोई मजाक नहीं की. कुछ देर बैठने के बाद कोमल की झलक कॉलेज के मैदान में दिखाई दी. नटू बोला, “लाओ चिट्ठी दो अभी देकर आता हूँ.”
राज ने चिट्ठी निकाल उस लड़के को दे दी. लड़का एक सांस में कोमल के पास जा पहुंचा.
राज ने देखा कि कोमल के मस्कुराने में चिंता ज्यादा झलक रही है लेकिन वो राज की वजह से उस चिंता को दिखाना नही चाहती. कोमल राज से अलविदा का इशारा कर खत को पढने एकांत में चल दी. उसे आशा थी कि उसकी समस्या का आज अंत होकर ही रहेगा. एकांत में पहुंच उसने चिट्ठी को खोला. आज चिट्ठी पहले से ज्यादा बड़ी थी. शायद कुछ ज्यादा लम्बी बात लिखी होगी.
कोमल ने चिट्ठी को पढना शुरू किया, "मेरे जीवन की आस कोमल. में तुम्हारा अपराधी हूँ जो तुम्हें इस मुसीबत में डाल दिया. कसम भगवान की मुझे अगर ऐसा पता होता तो तुम्हे छूता तक नही. लेकिन मेरे दिमाग में तो ऐसा कोई विचार ही नही आया. मेरा गुनाह माफ़ी के काविल नहीं है इसलिए इसकी सजा भुगतने के लिए भी में तैयार हूँ.
मैंने डॉक्टर से भी बात की वो कहता है अब दवाई काम नहीं करेगी. समय ज्यादा हो चुका है. केवल सफाई करके ही इस से मुक्ति मिल सकती है लेकिन उसके लिए शहर जाना पड़ेगा जो शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल काम है. लेकिन अगर तुम्हे बुरा न लगे तो मेरे दिमाग में एक विचार आया है कि क्यों न इस बच्चे को हम इस दुनियां में आने दें? क्यों इस मासूम को विना गुनाह किये मार दिया जाय? में जानता हूँ तुम्हे ये बात बहुत मुश्किल भरी लगेगी कि घर में रहते ऐसा कैसे कर सकती हूँ? तो इसके लिए भी मेरे पास उपाय है. तुम दिल को थाम ध्यान से मेरी बात सुनना. मेरा विचार है कि क्यों न हम तुम यहाँ से कहीं भाग चलें? तुम किसी बात की चिंता न करना. पैसे आदि का बन्दोस्त में कर लूँगा. तुम बस खाली हाथ चली आना. तुम रोज़ की तरह ही कॉलेज आना फिर हम यही से भाग चलेंगे.
राज सोचता था कि गलती खुद उसी की है. उसी ने कोमल को ऐसा करने पर मजबूर किया था. वरना कोमल क्या ये चाहती थी? उसी ने इस सीधी साधी लडकी को ये बुरी आफत लगा दी. राज सोचता था कि उसे खुद ही कोमल की इस परेशानी का हल ढूढना है. उसकी गलती की सजा कोमल क्यों भुगते?
रात हुई. राज ने आज खाना नहीं खाया था. बस निढाल हुआ चारपाई पर पड़ा तारे गिन रहा था. शायद तारों में ही कोई समाधान निकल आये. लेकिन ये कोई आम समस्या नहीं थी. ये तो कोमल की जिन्दगी और मौत का सवाल था. कोमल को अगर कुछ हुआ तो राज कैसे जियेगा? क्या कोमल को कुछ हो जाने पर वो अपने आप को माफ़ कर पायेगा? उसकी एक गलती से कितना नुकसान होने जा रहा था.
राज को रात भर नींद नही आई थी.
इधर कोमल भी अपने पेट में पल रही इस मासूम आफत से रात भर जागती रही. उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था. क्यों वह राज को ये न बता सकी? क्यों उसकी हर बात बिना सोचे समझे पूरी करती गयी? कोमल को ये भी उम्मीद थी कि राज जरुर कोई न कोई समाधान निकाल चुका होगा. कल खत में जरुर कोई अच्छी बात पढ़ने को मिलेगी. ____ गाँव हो या शहर जब कोई भी बिनब्याही लडकी माँ बन जाती है तो उसका चिंतित होना स्वभाविक होता है. ये समस्या किसी भी समाज के व्यक्ति के लिए आराम से गले नहीं उतरती कि क्वारी लडकी माँ कैसे बन सकती है? और ये आज से नही तब से जब धरती पर भगवान ने जन्म लिया. भगवान कृष्ण के समय कुंती भी तो क्वारी कर्ण को जन्म दे चुकी थी और फिर उन्होंने उस बच्चे को नदी में छोड़ दिया. लेकिन कोमल क्या करे? वो तो बच्चा होने तक रुक भी नही सकती.
दोनों को सोचते सोचते सुबह हो गयी. राज कुछ फैसला कर चुका था जो आज वो कोमल को खत में लिख कर देने वाला था. फैसला बहुत बड़ा था. शायद कोमल को भी इस बात का अनुमान नही था. सब काम कर राज खत लिखने बैठ गया. कोमल भी अपने कॉलेज पहुंच चुकी थी. कॉलेज में पढाई से उसका कोई सरोकार न था. वो तो सिर्फ राज से जबाब के लिए कॉलेज गयी थी.
राज ने खत पूरा किया. माथे पर आये पसीने को पोंछ साईकिल उठा कोमल के कॉलेज के बाहर पहुंच गया, वो नाटा लड़का वहीं खेल रहा था. राज को चिंता में देख उस लडके ने भी कोई मजाक नहीं की. कुछ देर बैठने के बाद कोमल की झलक कॉलेज के मैदान में दिखाई दी. नटू बोला, “लाओ चिट्ठी दो अभी देकर आता हूँ.”
राज ने चिट्ठी निकाल उस लड़के को दे दी. लड़का एक सांस में कोमल के पास जा पहुंचा.
राज ने देखा कि कोमल के मस्कुराने में चिंता ज्यादा झलक रही है लेकिन वो राज की वजह से उस चिंता को दिखाना नही चाहती. कोमल राज से अलविदा का इशारा कर खत को पढने एकांत में चल दी. उसे आशा थी कि उसकी समस्या का आज अंत होकर ही रहेगा. एकांत में पहुंच उसने चिट्ठी को खोला. आज चिट्ठी पहले से ज्यादा बड़ी थी. शायद कुछ ज्यादा लम्बी बात लिखी होगी.
कोमल ने चिट्ठी को पढना शुरू किया, "मेरे जीवन की आस कोमल. में तुम्हारा अपराधी हूँ जो तुम्हें इस मुसीबत में डाल दिया. कसम भगवान की मुझे अगर ऐसा पता होता तो तुम्हे छूता तक नही. लेकिन मेरे दिमाग में तो ऐसा कोई विचार ही नही आया. मेरा गुनाह माफ़ी के काविल नहीं है इसलिए इसकी सजा भुगतने के लिए भी में तैयार हूँ.
मैंने डॉक्टर से भी बात की वो कहता है अब दवाई काम नहीं करेगी. समय ज्यादा हो चुका है. केवल सफाई करके ही इस से मुक्ति मिल सकती है लेकिन उसके लिए शहर जाना पड़ेगा जो शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल काम है. लेकिन अगर तुम्हे बुरा न लगे तो मेरे दिमाग में एक विचार आया है कि क्यों न इस बच्चे को हम इस दुनियां में आने दें? क्यों इस मासूम को विना गुनाह किये मार दिया जाय? में जानता हूँ तुम्हे ये बात बहुत मुश्किल भरी लगेगी कि घर में रहते ऐसा कैसे कर सकती हूँ? तो इसके लिए भी मेरे पास उपाय है. तुम दिल को थाम ध्यान से मेरी बात सुनना. मेरा विचार है कि क्यों न हम तुम यहाँ से कहीं भाग चलें? तुम किसी बात की चिंता न करना. पैसे आदि का बन्दोस्त में कर लूँगा. तुम बस खाली हाथ चली आना. तुम रोज़ की तरह ही कॉलेज आना फिर हम यही से भाग चलेंगे.