Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत - Page 8 - SexBaba
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Thriller Sex Kahani - आख़िरी सबूत

अब वो उसका इंतजार कर रही थी। इस तरह उसकी हसरत कर रही थी मानो वो उसका प्रेमी हो... उसका जेलर, उसका सज़्जाद, उसका कातिल? जो भी हो। हर बदलाव, हर घटना, हर कल्पनीय बाधा... मौत के साथ इस निरंतर संसर्ग के अलावा कुछ भी। उसकी विचारशील और अतृप्त मेहमान।

खाने की प्लेट आधी भरी थी, लेकिन अब वो कुछ नहीं खा सकती थी। कभी-कभार पानी से वो अपनी जबान तर कर लेती थी, लेकिन उसे प्यास भी नहीं लगी थीं। वो घिसटती हुई बाल्टी उसका साथ छोड़ गई थीं, एक-एक करके, ये सब कुछ इतना ही सीधा-सरल था।

वो आया क्यों नहीं था?

भले ही समय का अब कोई वजूद नहीं रहा था, लेकिन उसे अहसास था कि किसी चीज ने उसे देर करवा दी होगी। उसने तय किया कि वो चार हजार तक अपने दिल की धड़कनें गिनेगी, और अगर वो तब तक भी नहीं आया तो वो...

...तो वो फिर चार हजार धड़कनें गिनेगी।

क्या किन्हीं एक हजार धड़कनों को दूसरी एक हजार धड़कनों से अलग कर पाना मुमकिन है? क्या ऐसा किया जा सकता है? और अगर ऐसा है, तो इसकी तुक क्या है?

और जब उसने गिनना शुरू किया तो वो हाथ कसकर, और
कसकर दबता गया।

बादल गहरा गया |
मौत ने उसे भर दिया था।

"मुझे देर हो गई," उसने कहा, मोएर्क को उसकी आवाज मुश्किल से ही सुनाई दी होगी।\

"हां," वो बुदबुदाई।

वो खामोशी से वहां बैठा रहा और मोएर्क ने पाया कि अब वो उसकी सांसें गिन रही थी। हमेशा की तरह अंधेरे में घरघराती, मगर फिर भी वो उसकी थीं, खुद उसकी अपनी नहीं. कुछ ऐसी जो उसके अंदर से नहीं निकली थीं।

"मुझे अपनी कहानी सुनाओ," मोएर्क ने याचना की।

उसने एक सिगरेट जलाई और अचानक मोएर्क को महसूस हुआ कि वो मद्धम रोशनी उसके अंदर घुसती और फैलती जा रही है...अचानक उसका सारा बदन रोशनी से भर गया और अगले ही पल वो बेसुध हो गई। उसकी आंख खुली तो वो एक दमकती सफेद दुनिया में थी, जहां धड़कती और ओजस्वी चमक इतनी तेज और शक्तिशाली थी कि वो उसके अंदर कुलबुलाने लगी। उसके सिर में घुमेड़ों के भंवर से उठने लगे, और वो उनमें डूबने लगी, उन्होंने उसे अपने अंदर खींच लिया और वो इस बेतहाशा तेजी से घूमती धवलता में, रोशनी के इस उमड़ते सैलाब में बह गई...

फिर वो घटने लगा। बवंडर धीमा पड़ गया और उसने हिलोरे खाती मद्धम लय पा ली; लहरें और अवरोधक, और मिट्टी की गंध लौट आई। मिट्टी और धुएं की। एक बार फिर उसे केवल अंधकार और थरथराता लाल बिंदु दिखा और वो जान गई कि कुछ हुआ था। उसे ये नहीं पता था कि क्या, मगर वो कहीं और पहुंच गई थी और अब वापस आ गई थी। और अब वो बादल फैल नहीं रहा था |

कुछ तो हुआ था।

"मुझे अपनी कहानी बताओ," वो बोली, अब उसकी आवाज सधी हुई थी, पहले की तरह। "मुझे हेन्ज एगर्स के बारे में बताओ।"

हेन्ज एगर्स," वो बोला, और हिचकिचाया जैसे शुरू करने से पहले हमेशा हिचकिचाता था। "हां, मैं हेन्ज एगर्स के बारे में भी बताऊंगा। बस मैं थक गया हूं, बहुत थक गया हूं... लेकिन मैं अंत तक चलता रहूंगा, बेशक।"

मोएक के पास इतना वक़्त नहीं था कि ये सोचती कि उसके शब्दों का क्या अर्थ हो सकता है। उसने अपना गला साफ किया और बोलने लगा।

"ये सैल्स्टाट की बात है... वो वहां चली गई थी। या उसे वहां ले जाया गया था। सोशल सर्विसेज वाले उसे वहां ले गए थे और उसे ट्रोकबर्ग में रख दिया गया; तुम्हें ट्रीकबर्ग पता है?"

"नहीं।"

"ये उन सामुदायिक गृहों में से है जो विषम रोगियों की देखरेख का प्रबंध करते हैं... ओवरडोज या गंदी सुई की वजह से मर जाने तक उन्हें फिर से नशे में डूबने-बाहर निकलने, फिर डूबने और बाहर निकलने नहीं देते। ये मुश्किल मरीजों की देखरेख में मदद करता है। फिर... हमारा संपर्क था, अच्छा संपर्क; हम उससे मिलने गए, और वो बहुत बुरी नहीं थी। फिर से रोशनी की एक चमक थी, लेकिन कुछ महीने बाद हमने सुना कि वो भाग गई... बहुत लंबा समय गुजर जाने के बाद हमें कहीं से खबर लगी कि वो सैल्स्टाट में हो सकती है। ट्रीकबर्ग वहां से बहुत दूर नहीं है। मैं ड्राइव करके सैल्स्टाट गया और तलाश की... कुछ दिन बाद मैंने एक पता खोज निकाला और वहां जा पहुंचा। बेशक वो नशे का अड्डा था। मैं बहुत कुछ देख चुका हूं, लेकिन मैंने किसी को उससे बुरी हालत में नहीं देखा है जितने बुरे हाल में हेन्ज एगर्स के अस्तबल में ब्रिगिट और वो दूसरी औरत थी... वो उसे यही कहता था। अपना अस्तबल। बजाहिर उसने सोचा था कि मैं उसकी एक या दोनों वेश्याओं से संसर्ग के लिए आया हूं। उसके पास और भी हो सकती थीं..."

वो ठहरा।

"तुमने क्या किया?” कुछ देर बाद उसने पूछा।

"मैंने उसे मारा। उसकी नाक पर घूंसा मारा। इससे ज़्यादा कुछ करने की ताकत नहीं थी। वो गायब हो गया। मैंने एंबुलैंस को फोन किया और दोनों लड़कियों को अस्पताल में भरती करवाया... तीन ह्फ़्ते बाद वो मर गई। बिटी सैल्स्टाट के अस्पताल में मर गई। माफ करना, मैं इतना थक गया हूं कि तफ़सील नहीं बता सकता।"

"कॅसे?"

वो फिर ठहरा और उसने सिगरेट का गहरा कश लिया। उसे फर्श पर फेंका और शोले को पांव तले कुचल दिया।

"छठी मंजिल की खिड़की से कूदते हुए उसने अपना गला काट लिया था... पक्का कर लेना चाहती थी। वो 30 सितंबर, 1988 थी । वो सत्ताईस साल की थी।"
 
इस बार वो पहले कभी से ज़्यादा देर तक वहीं बैठा रहा। गहरी सांसें लेता अंधेरे में उससे तीन-चार गज दूर बैठा था। उनमें से कोई कुछ नहीं बोला; मोएर्क ने अंदाजा लगाया कि आगे कहने को कुछ नहीं बचा था।
उसका काम अब पूरा हो चुका था।
उसने अपना बदला ले लिया था।
कहानी कही जा चुकी थी।
सब खत्म हो गया था।

वो वहां अंधेरे में बैठे थे और मोएर्क को महसूस हुआ जैसे वो महज दो अदाकार हों जो अभी भी मंच पर ही बने हुए थे, हालांकि परदा तो कभी का गिर चुका था।

अब क्या? वो सोच रही थी। आगे क्या होगा?

हैमलेट की मौत के बाद होरेशियो क्या करेगा?

जिंदा रहेगा और एक बार फिर से कहानी सुनाएगा, जिसके लिए उससे इल्तेजा की गई थी? अपने खुद के हाथों मारा जाएगा, जैसी उसकी इच्छा है?

अंत में उसने सवाल करने की हिम्मत कर ही डालीः "तुम क्या करना चाहते हो?"

वो उसे चौंकते सुन सकती थी। शायद वो सच में सो गया था। वो एक अनंत क्लांति से घिर गया मालूम देता था, और मोएर्क को तुरंत ऐसा लगा कि वो उसे कुछ सलाह देना चाहेगी।

किसी तरह की दिलासा। लेकिन वास्तव में कुछ नहीं था।

"मुझे नहीं पता," उसने कहा। "मैं अपनी भूमिका निभा चुका हूं। मुझे कोई संकेत मिलना चाहिए। मुझे वहां जाना और संकेत का इतंजार करना चाहिये..."

वो खड़ा हो गया।

"आज क्या दिन है?" अचानक वो पूछ बैठी, वजह जाने बिना।

"दिन नहीं है?" वो बोला। "रात है।"

फिर वो उसे दोबारा छोड़कर चला गया।

खैर, मैं अभी भी जिंदा हूं उसने हैरानी से सोचा। और रात दिन की जननी है...

वान वीटरेन ने कमान संभाली।

अंधेरे में जो अब कम घना होने लगा था, रास्ता बनाते हुए वो आगे-आगे चला। पेड़ों के नीचे से धुंधली भोर की पतली सी रेखा घुसने लगी थी, लेकिन अभी भी अस्पष्ट रेखाओं, टिमटिमाहटों और छायाओं के अलावा कुछ भी समझ पाने के लिए बहुत जल्दी थी। रोशनी पर आवाज, आंख पर कान अभी भी हावी थे। उनके आगे बढ़ने पर उनके पांवों से टकराकर भागते छोटे जानवरों की हल्की सी सरसराहट और किकियाहटें सुनाई दे जाती थीं। अजीब सी जगह है, मुंस्टर ने सोचा।

“अब आराम से चलना," वान वीटरेन ने उनसे गुजारिश की। "बिना नजर आए पंद्रह मिनट बाद पहुंचना कहीं बेहतर होगा।"

आखिरकार वो एक कोने पर मुड़े और पत्थर के बने रास्ते पर निकल आए। वान वीटरेन ने दरवाजा खोला। वो हल्के से चरमराया, मुंस्टर महसूस कर सकता था कि वो चिंतित है; लेकिन आधे मिनट के अंदर वो सब अंदर थे।

वो बंट गए। दो सीढ़ियों के ऊपर गए। वो और मुंस्टर नीचे।

घोर अंधेरा था, उसने अपनी फ़्लैशलाइट जला ली।

"ये बस अंदाजा है." वो उसके कधे पर फुसफुसाया, लेकिन फिर भी मुझे पूरा यकीन है कि मैं सही हूं।"

मुंस्टर ने हामी भरी और उसके पीछे-पीछे चलता रहा।

"देखो!" वान वीटरेन ने रुकते हुए कहा। उसने खिलौनों से भरे एक पुराने गुड़ियाघर पर रोशनी फेंकी: गुड़ियां टैडी बीयर और बाकी सब चीजें जिनकी आप कल्पना कर सकते हैं। मुझे तभी समझ जाना चाहिए था... लेकिन शायद ये कुछ ज़्यादा हो जाता।"

वो नीचे चलते रहे, मुंस्टर उससे आधा कदम पीछे था। मिट्टी-मिट्टी और सिगरेट के बासी धुएं के बचे-खुचे अंश--की महक तेज होती गई। रास्ता संकरा होता गया और छत नीची, जिससे उन्हें थोड़ा नीचे और आगे को झुकना पड़ रहा था--फ़्लैशलाइट की थरथराती रोशनी के बावजूद वो टटोलते हुए आगे बढ़ रहे थे।

"यहां," अचानक वान वीटरेन ने कहा। वो रुक गया था और उसने एक लकड़ी के दरवाजे पर फ़्लेशलाइट की रोशनी डाली जिस पर मोटा सा ताला और डबल रोक लगी हुई थी। "यही है!"

उसने सावधानीपूर्वक दस्तक दी।
कोई आवाज नहीं आई।

उसने फिर कोशिश की, इस बार थोड़ा जोर से, और दूसरी ओर से मुंस्टर को हल्का सा शोर सुनाई दिया।

"इंस्पेक्टर मोएक?" वान वीटरेन ने सीलन भरे दरवाजे पर अपना गाल सटाते हुए पुकारा।

अब उन्हें एक स्पष्ट और निश्चित "हां" सुनाई दी, और इसी के साथ मुंस्टर को अपने भीतर कुछ फूटता सा महसूस हुआ। उसके चेहरे पर आंसू बहने लगे और दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें रोक नहीं सकती थी। मैं बयालीस साल का पुलिसवाला हूं और एक बच्चे की तरह यहां खड़ा रो रहा हूं। उफ!

लेकिन उसने फिक्र नहीं की। वो वान वीटरेन के पीछे खड़ा था और अंधेरे की ओट में रो रहा था। शुक्र है, उसने सोचा, बिना ये जाने कि वो किसे संबोधित कर रहा है।
 
वान वीटरेन ने क्रोबार निकाला और कुछेक नाकाम कोशिशों के बाद किसी तरह उसने ताला तोड़ डाला। उसने रोकें हटाईं और दरवाजा खोल दिया...

"रोशनी बंद करो," बियाटे मोएर्क धीमे से बुदबुदाई, और मुंस्टर बस उसकी बेड़ियां, उलझे जटाजूट से बाल और हाथों को देख पाया जिन्हें उसने अपनी आंखों पर रखा हुआ था।

मोएर्क के कहे मुताबिक रोशनी बंद करने से पहले वान वीटरेन ने कुछ पल के लिए फ़्लैशलाइट दीवारों पर डाली।

फिर उसने अबूझा सा कुछ कहा और लाइट बंद कर दी।

मुंस्टर टटोलते हुए मोएर्क की ओर बढ़ा। उसे अपने पैरों पर खड़ा किया... वो उस पर ढह गई, ये साफ था कि मुंस्टर को उसे उठाकर ले जाना होगा। उसने सावधानी से उसे उठाया और पाया कि वो अभी भी रो रहा है।

"कैसी हो तुम?" मोएर्क ने अपना सिर उसके कधे पर टिकाया तो उसने किसी तरह पूछा, और आश्चर्यजनक रूप से उसकी आवाज सधी हुई सुनाई दी।

"बहुत अच्छी नहीं," वो बुदबुदाई। आने का शुक्रिया।" "कोई बात नहीं," वान वीटरेन ने कहा। हालांकि मुझे पहले ही समझ लेना चाहिए था... मुझे अफसोस है कि आपको कुछ देर और बेड़ियां बर्दाश्त करनी पड़ेंगी। हमारे पास इनके लिए सही औजार नहीं हैं।"

"कोई फर्क नहीं पड़ता," बियाटे मोएर्क ने कहा। "लेकिन जब आप इन्हें उतार लेंगे तो मुझे तीन घंटे के लिए कोई बाथरूम चाहिए होगा।"

"बेशक," वान वीटरेन ने कहा। आपने बहुत ओवरटाइम जमा कर लिया है।"

फिर वो उन्हें वापस ले चलने के लिए आगे बढ़ गया।

क्रोप्के और मूजर पैशियो में पहले से उनका इंतजार कर रहे थे। "वो घर पर नहीं है." क्रोप्के ने कहा।

"ओह, साला," वान वीटरेन ने कहा।

"तुम चाहो तो मुझे उतार सकते हो," बियाटे मोएर्क ने कहा। "मैं चल लूगी..."

"सवाल ही नहीं उठता," मुंस्टर ने कहा।

आखिर वो है कहां?" वान वीटरेन ने दांत पीसे।
"सुबह के साढ़े पांच बजे हैं... उसे साला बिस्तर पर नहीं होना चाहिए क्या?"

बियाटे मोएर्क ने आंखें खोल ली थीं, लेकिन सुबह की मद्धम रोशनी से बचने के लिए वो हाथ से उन्हें ओट दे रही थी।

"कुछ देर पहले तक वो मेरे साथ था," उसने कहा।

"कुछ देर पहले?” क्रोप्के ने कहा।

"समय का अंदाजा लगाने में मुझे कुछ परेशानी हो रही है," उसने स्पष्ट किया। “एक घंटा... शायद दो घंटे।"

"बताया नहीं कि वो कहां जा रहा है?" वान वीटरेन ने पूछा।

बियाटे मोएर्क ने अपने दिमाग को खंगाला।

"नहीं," उसने कहा। "मगर वो कोई संकेत चाहता था, उसने कहा था–-"

"संकेत?" मूजर बोला।

"हां।"

वान वीटरेन ने कुछ पल इस पर सोचा। उसने एक सिगरेट जलाई और पक्के रास्ते पर टहलने लगा।

"हम्म," अंततः उसने कहा और ठहर गया। हां, ये मुमकिन है, बिल्कुल... क्यों नहीं? मुंस्टर!"

"हा।"

"ये देखना कि बेड़ियां निकाल दी जाएं और इंस्पेक्टर मोएर्क को अस्पताल ले जाओ।"

"घर," बियाटे मोएकं ने कहा।

वान वीटरेन बुदबुदाया।

"ठीक है," उसने कहा। "हम डॉक्टर को भेज देंगे।"

बियाटे मोएर्क ने हामी भरी।

क्रोप्के और मूजर, मेरे साथ आओ!"

"आपके ख्याल से वो कहां है?" मुंस्टर और मोएर्क चले गए तो क्रोप्के ने पूछा।

"अपने परिवार के साथ," वान वीटरेन ने कहा। "जहां उसकी जगह है।"

"मैं ठीक रहूंगी," बियाटे मोएर्क ने कहा।

"पक्का?"

"बिल्कुल। कुछ देर नहाऊंगी तो फिर से गुलाब सी हो जाऊंगी।"

"आधे घंटे में डॉक्टर आ जाएगा। तब तक मैं रुकना पसंद करता ।"

"नहीं, शुक्रिया," उसने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा। अब तुम अपने परिवार के पास वापस जाओ।"

वो ठहरा, उसका हाथ दरवाजे के हैंडल पर था।

"वो रिपोर्ट..." उसने कहा। "तुमने असल में उसका कितना हिस्सा पढ़ा था?"
वो हंस दी।

"ठीक है, मैं राज खोल देती हूं। कुछ नहीं। पन्नों के नंबर ने मुझे चौंका दिया था। जब मैंने मूल प्रति सौंपी थी, तो मैंने आखरी पन्ने को देखा था जिस पर पैंतीस अंक पड़ा था, नीचे... शायद मैंने उस समय इस बारे में कुछ कहा भी था।"

"सही है," मुंस्टर ने उस पल को याद करते हुए कहा।

"कॉपी पर कोई नंबर नहीं थे... बस। जब मैं पुलिस स्टेशन वापस गई तब तक मुझे उसकी बेटी के बारे में कुछ पता नहीं था। मैं यहां बस चार साल से काम कर रही हूं; जब मैंने काम शुरू किया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मैं तो बस ये देखना चाहती थी कि कॉपींग रूम से मुझे कुछ मिल पाता है या नहीं। मेरे ख्याल से जब मैं पहुंची तो उसने मुझे आते हुए देख लिया होगा, या जब मैं जा रही थी... बस। शायद ये महज इत्तेफाक ही था; मुझे नहीं पता कि उसने क्या ये सोचा था कि मैं कुछ जानती हूं। और कोई बात जो तुम्हें परेशान कर रही हो?"

मुंस्टर ने सिर हिलाया।

"हां, दरअसल थोड़ी-बहुत," उसने कहा। "मगर वो इंतजार कर सकती है।"
 
मुंस्टर ने सिर हिलाया।

"हां, दरअसल थोड़ी-बहुत," उसने कहा। "मगर वो इंतजार कर सकती है।"

"अब जाओ," उसने कहा। "लेकिन, अगर बदबू को बर्दाश्त कर सको तो पहले मुझे गले लगाओ।"

"रहने दो, सुबह से तुम्हें उठाए घूम रहा हूं," मुंस्टर ने उसके गिर्द बाहें डालते हुए कहा।

"आउच," बियाटे मोएर्क के मुंह से निकला।

"ठीक है, फिर, मुंस्टर ने कहा। "अपना ध्यान रखना।"

"तुम भी।"

उसने काफी दूर से ही उसे देख लिया था।

सुबह की हल्की रोशनी में, वो उसी जगह खड़ा हुआ था जहां उस शाम खड़ा था, एकदम शुरू में।

उस समय, जब उसने उसके पास न जाने का फैसला किया था। उसके दुख में बाधा न डालने का।

तब की तरह ही उसने अपने हाथ अपनी जेबों में डाले हुए थे। सिर झुका था। वो एकदम शांत खड़ा था, टांगें फैलाए, मानो बहुत देर से इंतजार कर रहा हो और सुनिश्चित करना चाहता हो कि वो अपना संतुलन न खो बैठे।

पूरी एकाग्रता से ध्यान लगाए। मगन शायद प्रार्थना में, वान वीटरेन ने सोचा, लेकिन शायद वो केवल इंतजार कर रहा था। कुछ होने का इंतजार। या वो बस दुख था शायद। उसकी पीठ ने इतना साफ कर दिया था कि वो परेशान नहीं किया जाना चाहता कि वान वीटरेन उसके पास जाने में हिचकिचा गया। उसने क्रोप्के और मूजर को दूरी बरतने का इशारा किया... ताकि कुछ देर के लिए वो उससे अकेले बात कर सके।

"गुड मॉर्निग," जब बस एक-दो गज ही बचे तो उसने कहा, बॉजेन ने शायद बजरी पर उसके कदमों की आहट सुन ली थी। "मैं अब आ रहा हूं।"

"गुडमॉर्निग," बॉजेन ने बिना हिले कहा।

वान वीटरेन ने बॉजेन के कधे पर हाथ रखा। कुछ पल शांत खड़ा, कब्र के पत्थर पर लिखी इबारत पढ़ता रहा।
ब्रिगिट बॉजेन
6/18/1964 – 9/30/1989
हेलेना बॉजेन
23/1934 – 9/27/1993

"कल?" वान वीटरेन ने कहा।

बॉजेन ने हामी भरी।

"पांच साल पहले। जैसा तुम देख सकते हो, उसकी मां उस दिन तक नहीं जी पाई... लेकिन वो बस तीन दिन पीछे रह गई थी।"

कुछ देर वो खामोश खड़े रहे। वान वीटरेन को पीछे से क्रोप्के के खांसने की आवाज सुनाई दी और उसने मुड़कर देखे बिना चेतावनी देते हुए हाथ उठा दिया।

"मुझे पहले ही जान लेना चाहिए था," उसने कहा। आपने मुझे कुछ संकेत भी दिए थे।"

बॉजेन ने पहले तो कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपने कधे उचकाए, और सिर हिला दिया।

"संकेत," आखिरकार उसने कहा। "मुझे कोई संकेत नहीं मिल रहा है... मैं यहां खड़ा हूं, इंतजार कर रहा हूं, काफी देर से, अभी फौरन ही नहीं...”

"जानता हूं," वान वीटरेन ने कहा। "शायद... शायद किसी चिह्न की गैरमौजूदगी ही अपने आपमें कोई चिह्न हो।"

बॉजेन ने आंखें उठाई।

"ईश्वर का मौन?" वो सिहर गया, उसने वान वीटरेन की आंखों में देखा। "

मोएर्क के लिए मुझे दुख है... आपने उसे रिहा कर लिया?"

"हा।"

इस सब कुछ को समझाने के लिए मुझे कोई चाहिए था। उसे ले जाने से पहले मुझे इसका अहसास नहीं था, लेकिन यही सच था। मैंने उसे मारने का कभी सोचा तक नहीं था।"

"बेशक नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "आपने ये कब जाना कि मैं समझ जाऊंगा?"

बॉजेन हिचकिचाया।

"शतरंज की उस आखरी बाजी में शायद । मगर यकीन नहीं था--"

"मुझे भी नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "मुझे मकसद ढूंढ़ने में दिक्कत हो रही थी।"
 
"लेकिन अब आप जानते हैं?"

"लगता तो है। कल क्रोप्के ने थोड़ी सी छानबीन की थी... कितना घिनौना है सब।"

"मोएर्क इस बारे में सब जानती है। आप उससे पूछ सकते हैं। उस सबको फिर से दोहराने की ताकत नहीं है मुझमें। मैं बहुत थक गया हूं।"

वान वीटरेन ने हामी भरी ।

"कल का वो फोन कॉल." बॉजेन ने कहा। मैं मूर्ख नहीं बना

था; ये विनम्र होने की बात ज्यादा थी, अगर आप बुरा ना मानें तो?"

"कोई दिक्कत नहीं," वान वीटरेन ने कहा। वो शुरुआती चाल थी जो मैंने अपने लिए बनाई थी।"

"आखरी चाल ज़्यादा थी," बॉजेन ने कहा। "मैं सोच रहा था कि आपको बहुत देर लग गई, तब भी..."

"मेरी कार खराब हो गई थी," वान वीटरेन ने कहा। "चलें?"

"हां," बॉजेन ने कहा। "चलें।"
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पांच
2 अक्तूबर

समुद्रतट अंतहीन था।

वान वीटरेन रुक गया और समुद्र को तकने लगा। पहली बार बड़ी-बड़ी लहरें थीं। ताजा हवा मजबूती पा रही थी और क्षितिज पर काले बादलों का झुंड खतरनाक ढंग से बड़ा हो रहा था। इसमें कोई शक नहीं था कि शाम तक बारिश होने लगेगी।

"मेरे ख्याल से अब हमें वापस चलना चाहिए," उसने कहा। मुंस्टर ने हामी भरी। आधे घंटे से ज़्यादा से वो टहल रहे थे। सिन ने तीन बजे खाना लगाने का वादा किया था, और बच्चों को टेबल पर आने देने से पहले यकीनन उन्हें खुद को साफ-सुथरा बनाना होगा।

"बार्ट!" मुंस्टर हाथ हिलाते हुए चिल्लाया। "अब हम वापस जा रहे हैं!"

"ठीक है!" छह साल का बालक रेत में दुबके दुश्मन पर अपना अंतिम हमला पूरा करते हुए चिल्लाया।

"मैं थक गई हूं," मुंस्टर की बेटी ने कहा। "मुझे गोद में ले चलें!"

उसने बेटी को अपने कधों पर उठा लिया और वो धीरे-धीरे समुद्रतट से वापस जाने लगे।

"वो कैसे हैं?" जब मुंस्टर को लगा कि मैरियके सो गई है और बार्ट काफी आगे निकल गया है, तब उसने पूछा।

"बहुत बुरे हाल में नहीं," वान वीटरेन ने कहा। "उन्हें भविष्य की कोई ज़्यादा फिक्र नहीं है। अहम बात ये है कि जो उन्हें करना था, वो उन्होंने कर दिया है।"

"क्या वो पकड़े जाना चाहते थे?"

"नहीं, लेकिन ये भी कोई खास मायने नहीं रखता था। हां, जब मोएर्क उनके पीछे लग गई तो वो बहुत बुरी स्थिति में पड़ गए थे।"

मुंस्टर ने पल भर सोचा।

"मैल्निक की रिपोर्ट में, असल में, ब्रिगिट बॉजेन के बारे में कितनी लाइनें थीं?" उसने कहा। "उसमें इतना ज़्यादा तो नहीं हो सकता--"
"पूरा एक पन्ना। उस साल के बारे में जब वो साथ रह रहे थे, बस। उसका नाम दो बार आया था। बेशक, मैल्निक को कुछ पता नहीं था; वो देश के हर पुलिस चीफ का नाम जान भी नहीं सकता। अगर उन्हें--बॉजेन को--थोड़ा और समय मिला होता तो उन्होंने पूरा पन्ना हटाने की बजाय कोई और नाम डाल दिया होता। अगर ऐसा किया होता तो वो बच निकलते। लेकिन हम तो कमोबेश खड़े हुए उनका इंतजार कर रहे थे, और आखिर, हमें पता तो लग ही जाना था कि कुछ गड़बड़ हो रही है।"
मुंस्टर ने हामी भरी।
"मैंने ये देखने की बहुत कोशिश की कि उन्होंने जो किया वो इतना भयानक है," उसने कहा। "नैतिक आधार पर कहू, मेरा मतलब है--"
"हां," वान वीटरेन ने कहा। "तुम कह सकते हो कि उन्हें पूरा हक था--शायद तीन लोगों के सिर काटने का तो नहीं--कि अपने इतने जबरदस्त दुख के लिए कुछ करते।"
उसने अपनी जेबों को टटोला और सिगरेट का एक पैकेट निकाला। लौ जला पाने से पहले उसे रुकना और लाइटर के आसपास अपने हाथों की कटोरी सी बनानी पड़ी।
“जबरदस्त दुख और जबरदस्त संकल्प,” उसने कहा, “इस डिश में यही दो मुख्य सामग्री हैं। ये मोएर्क के शब्द हैं, मेरे नहीं, लेकिन ये बहुत अच्छा सार हैं। दुख और संकल्प--और आवश्यकता। जिस दुनिया में हम जीते हैं वो अच्छी जगह नहीं ह--लेकिन काफी समय से हमें इसका अहसास है, है ना?"
कुछ देर वो खामोश चलते रहे। मुंस्टर को बियाटे मोएर्क की कोई और बात याद आई जो उसने कोठरी में बॉजेन के साथ हुई बातचीतों के बारे में कही थी।
जिंदगी हमारे ऊपर कुछ खास शर्ते थोप देती है, बियाटे ने कहा था कि ये उसने कहा था। अगर हम चुनौतियों को स्वीकार न करें तो हम चेतनाशून्य हो जाएंगे। हमारे सामने कोई असल चुनाव नहीं है।
चेतनाशून्य? क्या ये सही था? क्या ये वाकई वही था जो दिखाई देता था--बुराई के खिलाफ ये व्यर्थ लड़ाई? जहां परिणाम, भले ही वो कितना भी तुच्छा और असफल साबित हो, फिर भी महत्वपूर्ण था; जहां केवल कार्य, सिद्धांत ही महत्व रखते थे?
और एकमात्र पुरस्कार चेतनाशून्यता से बचना था। एकमात्र?
शायद यही पर्याप्त था।
लेकिन तीन लोगों की जिंदगियां--?
"तुम क्या सोचते हो?" वान वीटरेन ने उसकी विचारश्रृंखला तोड़ी। "तुम उनकी जगह होते तो क्या सजा देते?"
"सही मायनों में?"
"सही मायनों में।"
"मैं नहीं जानता," मुंस्टर ने कहा। "आप क्या कहते हैं?" वान वीटरेन ने जरा देर सोचा।
"आसान नहीं है," उसने कहा। "शायद कोठरी में बंद कर देता, जैसे उन्होंने मोएर्क के साथ किया था। लेकिन बेशक बेहतर मानवीय
स्थितियों में--लैंप, कुछ किताबें... और एक कॉर्कस्कू।"
वो फिर खामोश हो गए। पानी के किनारे पर साथ-साथ चलते और अपने-अपने सारों को जज़्ब होने देते हुए। हवा तेज होती जा रही थी। वो झोंकों में आ रही थी, जिनमें कभी-कभी आप लगभग झुक सकते थे, मुंस्टर ने महसूस किया। बार्ट पत्थरों के अपने संग्रह के लिए कुछ नई खोजें लिए दौड़ता आया। उसने उन्हें अपने पिता की जेबों में खाली कर दिया और फिर से आगे भाग गया। जब सफेदी की हुई निचली कॉटेज एक बार फिर नजर के दायरे में आई तो वान वीटरेन ने अपना गला खखारा ।
"जो भी हो," उसने कहा, "वो मेरी जिंदगी में अब तक आए कातिलों में सबसे ज़्यादा लुभावने हैं। ऐसा अक्सर नहीं होता कि आपको उनके साथ इतना घुलने-मिलने का मौका मिले--वो भी उन्हें जेल भेजने से पहले।"
मुंस्टर ने नजर उठाकर देखा। वान वीटरेन की आवाज में एक नया सुर था, आत्मवंचना का आश्चर्यजनक संकेत। कुछ ऐसा जो उसने पहले कभी पाया था, और वो उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। मुस्कुराहट रोक पाना अचानक मुश्किल हो गया था।
"शंतरज की बाजी कैसी रही?" उसने पूछा।
"मैं जीत गया, बेशक," वान वीटरेन ने कहा। तुम आखिर क्या सोचते हो? इसमें कुछ समय जरूर लगा, बस।"
कुछ घंटे बाद वो एक आखरी बार समुद्र के किनारे तक गया। उसने अपनी आखरी सिगरेट भी जलाई, और उसके खत्म होने तक अकेला वहां खड़ा रहा, किनारे की ओर आती उत्तेजित लहरों पर मनन करते हुए।
चीजें फिर से सांस लेने लगी थीं। आसमान और समुद्र दोनों--वही खतरनाक स्लेटी-बैंगनी का संयोग, वही अदमनीय शक्ति; और जब
उसे अपने हाथ पर बारिश की पहली बूंद महसूस हुई तो उसने इस सबसे अपनी पीठ फेर ली और अपनी कार की ओर बढ़ गया।
अब यहां से चलने का वक़्त हो गया है, उसने सोचा।
परदा गिर गया था। त्रासदी खत्म हो गई थी।
इडीपस जाता है। वान वीटरेन जाता है।
उसने कार स्टार्ट की। हैडलाइट ऑन की क्योंकि अंधेरा तेजी से गहराता जा रहा था, और मेनलैंड की ओर चल दिया।
मगर फिर भी, ये शायद हमेशा के लिए नहीं था। शायद कालब्रिंजेन क्योंकि रिटायर्ड फरसामार को भी अंततः पैरोल पर आने दिया जाएगा। और शायद शतरंज की बारीक से बारीक बढ़त भी चुनौती पेश कर सके।
वाइन के बढ़िया पैग के लिए इंसान क्या नहीं कर सकता? डिटेक्टिव चीफ इंस्पेक्टर वान वीटरेन ने ग्लव कंपार्टमेंट में पैंडरेकी को तलाशते हुए सोचा।


The End
 
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