desiaks
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- Aug 28, 2015
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बूढ़ा विचारपूर्वक उसे देख रहा था।
-“उस लड़की का इस सबसे क्या ताल्लुक है?”
-“कौन सी लड़की का?”
-“वही जो गायब है और जिसकी सैंडल की टूटी एड़ी तुम्हें मिली थी।”
-“यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मैं भी जानना चाहता हूं।”
-“तुम अलीगढ़ जा रहे हो?”
-“हां। अगर आप चलना चाहे तो मैं आपको लिफ्ट दे सकता हूं।”
-“इस मेहरबानी के लिए शुक्रिया। लेकिन मैं अभी इस बारे में सोचना चाहता हूं।”
-“अगर लीना यहां आती है तो क्या आप मुझे बता देंगे? मिसेज सैनी के जरिए आप मुझे कांटेक्ट कर सकते हैं।”
-“इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। हो सकता है, बता दूं और हो सकता है न भी बताऊँ। बूढ़े ने गहरी सांस ली- “यहां मेरे पास वह नहीं आएगी।”
-“मैं लीना की भलाई की खातिर ही कह रहा हूं।” दरवाजे से निकलता राज बोला- “अगर वह यहां आए तो मुझे बता देना।”
बूढ़ा दोनों हाथों से सर थामें खामोश बैठा रहा।
*********
झील के किनारे के साथ जाती सड़क पर फीएट ड्राइव करता राज सैनी की लॉज के पास से गुजरने के बाद चौंका।
लॉज तक गई प्राइवेट रोड के सिरे पर जिप्सी खड़ी थी। ड्राइविंग सीट पर मौजूद मिसेज सैनी विंडशील्ड के पीछे से जोर-जोर से उसकी ओर हाथ हिला रही थी।
सड़क की साइड में फीएट पार्क करके राज उसके पास पहुंचा।
सफेद शलवार सूट में आश्चर्यजनक ढंग से खूबसूरत नजर आने के बावजूद उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था।
-“मुझे उम्मीद नहीं थी तुम यहां मिलोगी।” राज बोला।
-“सुखवंत कौर ने बताया तुम यहां आए हो। मैं समझ गई इधर से ही वापस लौटोगे इसलिए यहां आकर इंतजार करने लगी।”
-“इनके लिए?” राज ने कहा और चाबियां निकालकर उसे दे दीं।
-“मैं इसलिए नहीं आई।” नर्वस भाव से हाथ में चाबियां थामें वह बोली- “अब जबकि मैं यहां आ गई हूं तो लॉज को देखना चाहती हूं। तुम साथ चलोगे?”
-“अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो वहां नहीं जाना था।”
-“मीना वहीं है?”
राज ने जवाब नहीं दिया।
-“मैंने दरवाजे पर दस्तक दी थी।” वह कहती गई- “लेकिन कोई नहीं बोला। क्या वह अंदर छिपी हुई है?”
-“नहीं, वह वहां कहीं नहीं है। जैसा कि तुम्हारे पति ने कहा था मीना बवेजा गायब हो गई है।”
-“लेकिन उसने सोमवार के बारे में मुझसे झूठ बोला था। सोमवार को सुखवंत कौर ने उन्हें साथ-साथ देखा था।”
-“उसने ही नहीं बूढ़े डेनियल ने भी उन्हें देखा था। बूढ़े ने जंगल में उन्हें अजीब सा काम करते हुए भी पकड़ा था।”
मिसेज सैनी के चेहरे पर शर्म की सुर्खी दौड़ गई।
-“ऐसा क्या कह रहे थे? क्या वे....?”
-“नहीं। वह जमीन में गड्ढा खोद रही थी और तुम्हारा पति उसे खुदाई करते देख रहा था।”
-“क्या? गड्ढा खोद रही थी?”
-“हां।”
-“लेकिन क्यों? किसलिए?”
-“यह मैं भी नहीं जानता। तुम्हारे साथ बैठ सकता हूं?”
-“जरूर। आओ।”
वह बगल वाली सीट पर खिसक गई।
राज ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
उसने ब्राउन चमड़े की एड़ी निकालकर उसे दिखाई।
-“इसे पहचानती हो?”
उसने एड़ी को उलट पुलट कर गौर से देखा।
-“लगता तो है। किसकी होनी चाहिए?”
-“तुम बताओ।”
-“मीना बवेजा की?”
-“यह जानती हो या अंदाजा लगा रही हो?”
-“उस लड़की का इस सबसे क्या ताल्लुक है?”
-“कौन सी लड़की का?”
-“वही जो गायब है और जिसकी सैंडल की टूटी एड़ी तुम्हें मिली थी।”
-“यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब मैं भी जानना चाहता हूं।”
-“तुम अलीगढ़ जा रहे हो?”
-“हां। अगर आप चलना चाहे तो मैं आपको लिफ्ट दे सकता हूं।”
-“इस मेहरबानी के लिए शुक्रिया। लेकिन मैं अभी इस बारे में सोचना चाहता हूं।”
-“अगर लीना यहां आती है तो क्या आप मुझे बता देंगे? मिसेज सैनी के जरिए आप मुझे कांटेक्ट कर सकते हैं।”
-“इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। हो सकता है, बता दूं और हो सकता है न भी बताऊँ। बूढ़े ने गहरी सांस ली- “यहां मेरे पास वह नहीं आएगी।”
-“मैं लीना की भलाई की खातिर ही कह रहा हूं।” दरवाजे से निकलता राज बोला- “अगर वह यहां आए तो मुझे बता देना।”
बूढ़ा दोनों हाथों से सर थामें खामोश बैठा रहा।
*********
झील के किनारे के साथ जाती सड़क पर फीएट ड्राइव करता राज सैनी की लॉज के पास से गुजरने के बाद चौंका।
लॉज तक गई प्राइवेट रोड के सिरे पर जिप्सी खड़ी थी। ड्राइविंग सीट पर मौजूद मिसेज सैनी विंडशील्ड के पीछे से जोर-जोर से उसकी ओर हाथ हिला रही थी।
सड़क की साइड में फीएट पार्क करके राज उसके पास पहुंचा।
सफेद शलवार सूट में आश्चर्यजनक ढंग से खूबसूरत नजर आने के बावजूद उसके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था।
-“मुझे उम्मीद नहीं थी तुम यहां मिलोगी।” राज बोला।
-“सुखवंत कौर ने बताया तुम यहां आए हो। मैं समझ गई इधर से ही वापस लौटोगे इसलिए यहां आकर इंतजार करने लगी।”
-“इनके लिए?” राज ने कहा और चाबियां निकालकर उसे दे दीं।
-“मैं इसलिए नहीं आई।” नर्वस भाव से हाथ में चाबियां थामें वह बोली- “अब जबकि मैं यहां आ गई हूं तो लॉज को देखना चाहती हूं। तुम साथ चलोगे?”
-“अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो वहां नहीं जाना था।”
-“मीना वहीं है?”
राज ने जवाब नहीं दिया।
-“मैंने दरवाजे पर दस्तक दी थी।” वह कहती गई- “लेकिन कोई नहीं बोला। क्या वह अंदर छिपी हुई है?”
-“नहीं, वह वहां कहीं नहीं है। जैसा कि तुम्हारे पति ने कहा था मीना बवेजा गायब हो गई है।”
-“लेकिन उसने सोमवार के बारे में मुझसे झूठ बोला था। सोमवार को सुखवंत कौर ने उन्हें साथ-साथ देखा था।”
-“उसने ही नहीं बूढ़े डेनियल ने भी उन्हें देखा था। बूढ़े ने जंगल में उन्हें अजीब सा काम करते हुए भी पकड़ा था।”
मिसेज सैनी के चेहरे पर शर्म की सुर्खी दौड़ गई।
-“ऐसा क्या कह रहे थे? क्या वे....?”
-“नहीं। वह जमीन में गड्ढा खोद रही थी और तुम्हारा पति उसे खुदाई करते देख रहा था।”
-“क्या? गड्ढा खोद रही थी?”
-“हां।”
-“लेकिन क्यों? किसलिए?”
-“यह मैं भी नहीं जानता। तुम्हारे साथ बैठ सकता हूं?”
-“जरूर। आओ।”
वह बगल वाली सीट पर खिसक गई।
राज ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
उसने ब्राउन चमड़े की एड़ी निकालकर उसे दिखाई।
-“इसे पहचानती हो?”
उसने एड़ी को उलट पुलट कर गौर से देखा।
-“लगता तो है। किसकी होनी चाहिए?”
-“तुम बताओ।”
-“मीना बवेजा की?”
-“यह जानती हो या अंदाजा लगा रही हो?”