desiaks
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Thriller story आख़िरी सबूत
1
अगर अर्न्स्ट सिमेल को पता होता कि वो फ़रसामार का दूसरा शिकार बनने वाला है, तो उसने ब्लू शिप पर एक-दो पैग और चढ़ा लिए होते ।
बहरहाल, उसने बार में कॉफ़ी के साथ ब्रांडी और बर्फ़ के साथ व्हिस्की ली थी, साथ ही दूर कोने में मौजूद ब्लीच-ब्लांड औरत से निगाहें चार करने की भी कोशिश करता रहा, मगर बेदिली से। बजाहिर, वो कैनिंग फ़ैक्टरी की कोई नई कर्मचारी थी। उसने उसे पहले कभी नहीं देखा था, जबकि उसे शहर में मौजूद हसीनाओं का अच्छा ख़ासा अंदाज़ा था।
उसके दाएं डी जरनल का रिपोर्टर हरमैन शाल्क था जो कैलिनिन्ग्राद जैसी किसी जगह पर सस्ते वीकएंड के लिए उसे पटाने की कोशिश कर रहा था, और फिर जब उसकी पिछली शाम की तफ़्तीश का समय आया, तो ऐसा लगा कि इस ज़िंदगी में सिमेल से बात करने वाला आख़री आदमी शायद शाल्क ही रहा होगा।
मतलब, ये मानते हुए कि उसका काम तमाम करने से पहले फ़रसामार ने उसे कोई संदेश नहीं दिया था। जिसकी बहुत संभावना नहीं थी, क्योंकि पिछले केस की तरह, इस बार भी वार पीछे से और थोड़ा नीचे से तिरछा पड़ा था, इसलिए इसकी संभावना कम ही थी कि थोड़ी-बहुत बातचीत हुई होगी।
“आह, तो!" अपने गिलास की आख़री बूंद खाली करने के बाद सिमेल ने कहा था। मुझे बुढ़िया के पास वापस जाना चाहिए।"
यानी, अगर शाल्क को ठीक से याद था। जो भी हो, उसने उसे इससे बाज रखने की कोशिश की थी। उसने कहा था कि अभी मुश्किल से ग्यारह बजे हैं और कि रात अभी जवान है। लेकिन सिमेल दृढ़ था।
ये सही शब्द था। दृढ़। वो बार स्टूल से उतरा। उसने अपना चश्मा दुरुस्त किया और हमेशा की तरह अपने गंजे सिर पर बालों की उस दयनीय सी कूची पर हाथ फेरा-जैसे उससे कोई बेवकूफ बन जाएगा-कुछेक शब्द बड़बड़ाया और चल पड़ा। शाल्क ने आखरी बार उसकी पीठ की सफेद आकृति को देखा था जब वो दरवाज़े में थोड़ा ठिठका था और शायद इस सोच में हिचकिचा रहा था कि किधर जाए।
अब सोचने पर ये बात अजीब सी लगती थी। सिमेल को अपने घर का रास्ता तो पता था।
लेकिन हो सकता है वो वहां कुछ सैकंड खड़े रहकर अपने फेफड़ों को रात की ताज़ा हवा देना चाहता हो। ये एक गर्म दिन रहा था; गर्मियां अभी गई नहीं थीं और शामों में एक सौम्यता सी पैदा हो गई थी जिसे कई महीनों के गर्मियों के सूरज ने और भी समृद्ध कर दिया था। समृद्ध और परिष्कृत।
किसी ने कहा था, जैसे बड़े-बड़े घूटों में पीने के लिए बनी हों। ये रातें ।
वास्तव में, दूसरी ओर के सफ़र के लिए भी ये रात बुरी नहीं थी, अगर किसी को ऐसा सोचने की इजाज़त हो। डी जरनल में शाल्क का कॉलम मूल रूप से खेल और थोड़े से लोक-साहित्य से संबंधित था, लेकिन सिमेल से मिलने वाला आख़री आदमी होने के नाते, उसे इस प्रॉपर्टी डेवलपर के लिए मृत्युलेख लिखना था, जिसे अचानक हमारे बीच से छीन लिया गया था... जिसे हमारे समाज का एक स्तंभ कहा जा सकता था जो कई साल तक विदेश (प्रभावी टैक्स प्रबंध की समान सोच वाले अन्य नागरिकों के साथ कोस्टा डेल सोल में, लेकिन ये उस बारे में बात करने का मौका नहीं था) में रहने के बाद अभी अपने वतन वापस लौटा था, और जो अपने पीछे एक पत्नी और दो बड़े बच्चे छोड़कर गया था, पचास साल का हो गया था लेकिन अभी भी ज़िंदगी के पूरे शबाब पर था |
शाम की महक ज़िंदगी से भरपूर लग रही थी; वो हिचकिचाते हुए दरवाजे पर ठिठका।
क्या फिशरमैन्स स्क्वेयर और फिर आगे बंदरगाह तक टहलने का आइडिया अच्छा रहेगा?
इतनी जल्दी घर जाने का भी क्या फायदा? बेडरूम की मीठी सी महक और ग्रीट का भारी शरीर उसके दिमाग में कौंधा, और उसने टहलने के लिए बढ़ जाने का फैसला कर लिया। बस एक छोटी सी टहल के लिए। भले ही और कुछ हासिल न हो, लेकिन रात की गुनगुनी हवा ही अपने आपमें काफी होगी।
वो लांगवेज तक चला गया और फिर बंजेसकर्क की ओर मुड़ गया। उसी समय, हत्यारे ने लाइजनर पार्क में नींबू के पेड़ों की छाया से निकलकर उसका पीछा करना शुरू कर दिया। खामोशी से और सावधानी से, एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखते हुए और अपने रबर के तलवों से बिना आवाज किए। आज की रात उसकी तीसरी कोशिश थी, लेकिन फिर भी, बेसब्री का कोई चिह्न नहीं था। वो जानता था उसे क्या करना है और उसके दिमाग में जल्दबाजी का नामो-निशान तक नहीं था।
सिमेल हॉयस्ट्राट पर चलता रहा और फिर बंदरगाह की ओर उतरने लगा। फिशरमैन्स स्क्वेयर पर वो थोड़ा धीमा हुआ और रास्ते पर जड़े निर्जन पत्थरों पर धीरे-धीरे चलता हुआ कवर्ड मार्केट की ओर बढ़ गया। दो महिलाएं डूम्स एली के नुक्कड़ पर बातों में मसरूफ थीं, लेकिन उसने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। शायद वो उनके मुकाम के बारे में ठीक से नहीं जानता था, या शायद उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था।
या बस उसकी इच्छा ही नहीं थी। जब वो घाट पर पहुंचा, तो सिगरेट पीने के लिए कुछ मिनट को रुका और गोदी में नावों को डोलते हुए देखने लगा। हत्यारे ने भी मौका देखकर चौक के दूसरी ओर गोदाम की छाया में सिगरेट सुलगा ली। वो सिगरेट को अपने हाथों की कटोरी में अच्छी तरह छिपाए रहा ताकि उसके शोले की वजह से वो दिखाई न दे जाए और इस पूरे समय में उसने अपनी नजर शिकार से एक सैकंड को भी नहीं हटाई।
जब सिमेल ने अपनी सिगरेट को पानी में फेंका और जंगल की ओर बढ़ा, तो हत्यारा जान गया कि आज की रात ही वो रात है।
बेशक यहां एस्प्लेनेड और शहर के उस भाग-रिकेन-के बीच सिर्फ तीन सौ गज में पेड़ थे जहां सिमेल रहता था, और रास्ते में बहुत सी लाइटें थीं; लेकिन सारी ही लाइटें काम नहीं कर रही थीं और तीन सौ गज एक बहुत लंबी दूरी साबित हो सकती थी। जो भी हो, जब सिमेल ने अपने पीछे एक आहिस्ता से कदम की आवाज सुनी, तो वो जंगल के अंदर बमुश्किल पचास गज गया होगा और चारों ओर घना अंधेरा था।
गर्म और उम्मीदों से भरपूर, लेकिन जैसा कि कहा गया, घना।
उसे शायद डर महसूस करने का भी समय नहीं मिला था। और अगर मिला भी था, तो बस आखरी सैकंड के अंश में। रेजर जैसी तीखी धार पीछे से घुसी, दूसरी और चौथी वर्टिबरा के बीच और तीसरी वर्टिबरा के पार रीढ़ की हड्डी, ग्रासनली और कैरोटिड धमनी को काटती हुई निकल गई। वार अगर आधा इंच और गहरा होता तो शायद उसके सिर को शरीर से पूरी तरह अलग कर गया होता।
जो शायद दर्शनीय होता, लेकिन उससे नतीजे पर शायद ही कोई फर्क पड़ता।
किसी भी कल्पनीय मानदंड के अनुरूप, अर्न्स्ट सिमेल जमीन पर गिरने से पहले ही मर चुका होगा। उसका चेहरा पूरी ताकत से काफी चलते-फिरते कंकरीले रास्ते पर गिरा जिससे उसका चश्मा टूटा और अनगिनत गौण घाव दे गया। खून उसके गले से, ऊपर से और नीचे से, बह रहा था, और जब हत्यारे ने सावधानीपूर्वक उसे झाड़ियों में घसीटा, तब भी वो एक हल्की सी घरघराहट सुन सकता था। वो वहां खामोशी से बैठा रहा जबकि इस दौरान चार-पांच नौजवान वहां से गुजरे, फिर उसने घास में अपने हथियार को पोंछा और बंदरगाह की दिशा में वापस चल दिया।
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अगर अर्न्स्ट सिमेल को पता होता कि वो फ़रसामार का दूसरा शिकार बनने वाला है, तो उसने ब्लू शिप पर एक-दो पैग और चढ़ा लिए होते ।
बहरहाल, उसने बार में कॉफ़ी के साथ ब्रांडी और बर्फ़ के साथ व्हिस्की ली थी, साथ ही दूर कोने में मौजूद ब्लीच-ब्लांड औरत से निगाहें चार करने की भी कोशिश करता रहा, मगर बेदिली से। बजाहिर, वो कैनिंग फ़ैक्टरी की कोई नई कर्मचारी थी। उसने उसे पहले कभी नहीं देखा था, जबकि उसे शहर में मौजूद हसीनाओं का अच्छा ख़ासा अंदाज़ा था।
उसके दाएं डी जरनल का रिपोर्टर हरमैन शाल्क था जो कैलिनिन्ग्राद जैसी किसी जगह पर सस्ते वीकएंड के लिए उसे पटाने की कोशिश कर रहा था, और फिर जब उसकी पिछली शाम की तफ़्तीश का समय आया, तो ऐसा लगा कि इस ज़िंदगी में सिमेल से बात करने वाला आख़री आदमी शायद शाल्क ही रहा होगा।
मतलब, ये मानते हुए कि उसका काम तमाम करने से पहले फ़रसामार ने उसे कोई संदेश नहीं दिया था। जिसकी बहुत संभावना नहीं थी, क्योंकि पिछले केस की तरह, इस बार भी वार पीछे से और थोड़ा नीचे से तिरछा पड़ा था, इसलिए इसकी संभावना कम ही थी कि थोड़ी-बहुत बातचीत हुई होगी।
“आह, तो!" अपने गिलास की आख़री बूंद खाली करने के बाद सिमेल ने कहा था। मुझे बुढ़िया के पास वापस जाना चाहिए।"
यानी, अगर शाल्क को ठीक से याद था। जो भी हो, उसने उसे इससे बाज रखने की कोशिश की थी। उसने कहा था कि अभी मुश्किल से ग्यारह बजे हैं और कि रात अभी जवान है। लेकिन सिमेल दृढ़ था।
ये सही शब्द था। दृढ़। वो बार स्टूल से उतरा। उसने अपना चश्मा दुरुस्त किया और हमेशा की तरह अपने गंजे सिर पर बालों की उस दयनीय सी कूची पर हाथ फेरा-जैसे उससे कोई बेवकूफ बन जाएगा-कुछेक शब्द बड़बड़ाया और चल पड़ा। शाल्क ने आखरी बार उसकी पीठ की सफेद आकृति को देखा था जब वो दरवाज़े में थोड़ा ठिठका था और शायद इस सोच में हिचकिचा रहा था कि किधर जाए।
अब सोचने पर ये बात अजीब सी लगती थी। सिमेल को अपने घर का रास्ता तो पता था।
लेकिन हो सकता है वो वहां कुछ सैकंड खड़े रहकर अपने फेफड़ों को रात की ताज़ा हवा देना चाहता हो। ये एक गर्म दिन रहा था; गर्मियां अभी गई नहीं थीं और शामों में एक सौम्यता सी पैदा हो गई थी जिसे कई महीनों के गर्मियों के सूरज ने और भी समृद्ध कर दिया था। समृद्ध और परिष्कृत।
किसी ने कहा था, जैसे बड़े-बड़े घूटों में पीने के लिए बनी हों। ये रातें ।
वास्तव में, दूसरी ओर के सफ़र के लिए भी ये रात बुरी नहीं थी, अगर किसी को ऐसा सोचने की इजाज़त हो। डी जरनल में शाल्क का कॉलम मूल रूप से खेल और थोड़े से लोक-साहित्य से संबंधित था, लेकिन सिमेल से मिलने वाला आख़री आदमी होने के नाते, उसे इस प्रॉपर्टी डेवलपर के लिए मृत्युलेख लिखना था, जिसे अचानक हमारे बीच से छीन लिया गया था... जिसे हमारे समाज का एक स्तंभ कहा जा सकता था जो कई साल तक विदेश (प्रभावी टैक्स प्रबंध की समान सोच वाले अन्य नागरिकों के साथ कोस्टा डेल सोल में, लेकिन ये उस बारे में बात करने का मौका नहीं था) में रहने के बाद अभी अपने वतन वापस लौटा था, और जो अपने पीछे एक पत्नी और दो बड़े बच्चे छोड़कर गया था, पचास साल का हो गया था लेकिन अभी भी ज़िंदगी के पूरे शबाब पर था |
शाम की महक ज़िंदगी से भरपूर लग रही थी; वो हिचकिचाते हुए दरवाजे पर ठिठका।
क्या फिशरमैन्स स्क्वेयर और फिर आगे बंदरगाह तक टहलने का आइडिया अच्छा रहेगा?
इतनी जल्दी घर जाने का भी क्या फायदा? बेडरूम की मीठी सी महक और ग्रीट का भारी शरीर उसके दिमाग में कौंधा, और उसने टहलने के लिए बढ़ जाने का फैसला कर लिया। बस एक छोटी सी टहल के लिए। भले ही और कुछ हासिल न हो, लेकिन रात की गुनगुनी हवा ही अपने आपमें काफी होगी।
वो लांगवेज तक चला गया और फिर बंजेसकर्क की ओर मुड़ गया। उसी समय, हत्यारे ने लाइजनर पार्क में नींबू के पेड़ों की छाया से निकलकर उसका पीछा करना शुरू कर दिया। खामोशी से और सावधानी से, एक सुरक्षित दूरी बनाकर रखते हुए और अपने रबर के तलवों से बिना आवाज किए। आज की रात उसकी तीसरी कोशिश थी, लेकिन फिर भी, बेसब्री का कोई चिह्न नहीं था। वो जानता था उसे क्या करना है और उसके दिमाग में जल्दबाजी का नामो-निशान तक नहीं था।
सिमेल हॉयस्ट्राट पर चलता रहा और फिर बंदरगाह की ओर उतरने लगा। फिशरमैन्स स्क्वेयर पर वो थोड़ा धीमा हुआ और रास्ते पर जड़े निर्जन पत्थरों पर धीरे-धीरे चलता हुआ कवर्ड मार्केट की ओर बढ़ गया। दो महिलाएं डूम्स एली के नुक्कड़ पर बातों में मसरूफ थीं, लेकिन उसने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। शायद वो उनके मुकाम के बारे में ठीक से नहीं जानता था, या शायद उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था।
या बस उसकी इच्छा ही नहीं थी। जब वो घाट पर पहुंचा, तो सिगरेट पीने के लिए कुछ मिनट को रुका और गोदी में नावों को डोलते हुए देखने लगा। हत्यारे ने भी मौका देखकर चौक के दूसरी ओर गोदाम की छाया में सिगरेट सुलगा ली। वो सिगरेट को अपने हाथों की कटोरी में अच्छी तरह छिपाए रहा ताकि उसके शोले की वजह से वो दिखाई न दे जाए और इस पूरे समय में उसने अपनी नजर शिकार से एक सैकंड को भी नहीं हटाई।
जब सिमेल ने अपनी सिगरेट को पानी में फेंका और जंगल की ओर बढ़ा, तो हत्यारा जान गया कि आज की रात ही वो रात है।
बेशक यहां एस्प्लेनेड और शहर के उस भाग-रिकेन-के बीच सिर्फ तीन सौ गज में पेड़ थे जहां सिमेल रहता था, और रास्ते में बहुत सी लाइटें थीं; लेकिन सारी ही लाइटें काम नहीं कर रही थीं और तीन सौ गज एक बहुत लंबी दूरी साबित हो सकती थी। जो भी हो, जब सिमेल ने अपने पीछे एक आहिस्ता से कदम की आवाज सुनी, तो वो जंगल के अंदर बमुश्किल पचास गज गया होगा और चारों ओर घना अंधेरा था।
गर्म और उम्मीदों से भरपूर, लेकिन जैसा कि कहा गया, घना।
उसे शायद डर महसूस करने का भी समय नहीं मिला था। और अगर मिला भी था, तो बस आखरी सैकंड के अंश में। रेजर जैसी तीखी धार पीछे से घुसी, दूसरी और चौथी वर्टिबरा के बीच और तीसरी वर्टिबरा के पार रीढ़ की हड्डी, ग्रासनली और कैरोटिड धमनी को काटती हुई निकल गई। वार अगर आधा इंच और गहरा होता तो शायद उसके सिर को शरीर से पूरी तरह अलग कर गया होता।
जो शायद दर्शनीय होता, लेकिन उससे नतीजे पर शायद ही कोई फर्क पड़ता।
किसी भी कल्पनीय मानदंड के अनुरूप, अर्न्स्ट सिमेल जमीन पर गिरने से पहले ही मर चुका होगा। उसका चेहरा पूरी ताकत से काफी चलते-फिरते कंकरीले रास्ते पर गिरा जिससे उसका चश्मा टूटा और अनगिनत गौण घाव दे गया। खून उसके गले से, ऊपर से और नीचे से, बह रहा था, और जब हत्यारे ने सावधानीपूर्वक उसे झाड़ियों में घसीटा, तब भी वो एक हल्की सी घरघराहट सुन सकता था। वो वहां खामोशी से बैठा रहा जबकि इस दौरान चार-पांच नौजवान वहां से गुजरे, फिर उसने घास में अपने हथियार को पोंछा और बंदरगाह की दिशा में वापस चल दिया।